आजादी का अमृत महोत्सव के समापन समारोह के अन्तर्गत ’’मेरी माटी, मेरा देश’’ एवं ’’हर घर तिरंगा’’ अभियान के अवसर पर श्री आलोक सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक, कानपुर जोन, कानपुर द्वारा अमृत काल के पंच प्रण एवं राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्यों का निर्वहन करने की समस्त अधिकारी/कर्मचारीगण को शपथ दिलाई गयी।
Read More »दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा *मेरी माटी मेरा देश* अभियान के तहत “वीरों को नमन माटी का वंदन” कार्यक्रम के अंतर्गत पौधारोपण किया
कानपुर 9 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – 2023 आज से आरंभ होने वाले *मेरी माटी मेरा देश* अभियान के तहत आज 9 अगस्त, 2023 को “वीरों को नमन माटी का वंदन” कार्यक्रम के अंतर्गत एनएसएस वॉलिंटियर्स ने वृक्षारोपण कर माटी का वंदन किया तथा अमृत काल के पंच प्रण की शपथ ली। कार्यक्रम में 50 वॉलिंटियर्स समेत महाविद्यालय के अन्य छात्राओं तथा प्राध्यापिकाओं एवं ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। इस आयोजन को सफल बनाने में मुख्य रूप से महाविद्यालय की कार्यवाहक प्राचार्य प्रो वंदना निगम, कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव एल, एनसीसी प्रभारी डॉ मनीषी पांडे, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ साधना सिंह, डॉ उत्तमा, डॉ विमला देवी, डॉ हिना अफशा, डॉ ज्योत्सना आदि प्राध्यापिकाओं का विशेष योगदान रहा।
Read More »राष्ट्रपति ने पुद्दुचेरी में नागरिक अभिनंदन समारोह में भाग लिया; जिपमेर में लीनियर एक्सेलेरेटर और विल्लियानूर में 50 बिस्तरों वाले अस्पताल का उद्घाटन किया
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी में हमें विविध सांस्कृतिक धाराओं का मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि यहां तमिल, तेलुगु और मलयाली प्रभाव के साथ-साथ फ्रांसीसियों का प्रभाव भी देखने को मिलता है। राष्ट्रपति ने कहा कि वास्तुकला, त्यौहार और जीवनशैली सामंजस्यपूर्ण ढंग से एकसाथ मिलकर विविध प्रभावों को प्रतिबिंबित करते हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश पुद्दुचेरी ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। उन्होंने एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय एजेंसी द्वारा किए गए अध्ययन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच पुद्दुचेरी के सामाजिक प्रगति सूचकांक स्कोर 2022 में पहले स्थान पर आने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि पुद्दुचेरी ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता और पसंद, आश्रय, जल और स्वच्छता के मापदंडों पर बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। राष्ट्रपति ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि पुद्दुचेरी देश में सबसे अधिक साक्षरता दर वाले राज्यों में से एक है और यहां का महिला-पुरुष अनुपात भी महिलाओं के प्रति अनुकूल रहा है। उन्होंने कहा कि इन तथ्यों से जाहिर होता है कि पुद्दुचेरी के लोग महिला-पुरुष समानता में विश्वास रखते हैं। उन्होंने विकास और प्रगति के प्रति आधुनिक और संवेदनशील दृष्टिकोण के लिए पुद्दुचेरी के निवासियों की सराहना की।
राष्ट्रपति ने कहा कि पुद्दुचेरी तेजी से वैश्विक रुझान के रूप में पनप रहे आध्यात्मिक पर्यटन के लिए अद्भुत गंतव्य है और इसमें इस क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को प्रबल प्रोत्साहन देने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन में वृद्धि के साथ-साथ स्वास्थ्य पर्यटन और इको-पर्यटन से संबंधित गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन मंत्रालय ने चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप तैयार किया है
- भारत के लिए एक कल्याण गंतव्य के रूप में एक ब्रांड विकसित करना
- चिकित्सा और कल्याण पर्यटन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करना
- ऑनलाइन मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) पोर्टल स्थापित करके डिजिटलीकरण को सक्षम करना
- चिकित्सा मूल्य यात्रा के लिए पहुंच में वृद्धि
- कल्याण पर्यटन को बढ़ावा देना
- शासन और संस्थागत ढांचा
हालाँकि, अपनी वर्तमान में चल रही गतिविधियों के हिस्से के रूप में, पर्यटन मंत्रालय, देश के विभिन्न पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए, ‘अतुल्य भारत’ ब्रांड-लाइन के अंतर्गत, विदेशों में महत्वपूर्ण और संभावित बाजारों में वैश्विक प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया अभियान जारी करता है। चिकित्सा पर्यटन विषय सहित विभिन्न विषयों पर मंत्रालय के सोशल मीडिया खातों के माध्यम से डिजिटल प्रचार भी नियमित रूप से किया जाता है।भारत सरकार ने 30.11.2016 को कैबिनेट की मंजूरी के अनुसार ई-टूरिस्ट वीज़ा योजना को उदार बनाया और ई-टूरिस्ट वीज़ा (ईटीवी) योजना का नाम बदलकर ई-वीज़ा योजना कर दिया गया और वर्तमान में, इसमें ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीजा शामिल हैं जो कि ई-वीज़ा की उप-श्रेणियां हैं।ई-मेडिकल वीज़ा और ई-मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा के मामले में, ट्रिपल एंट्री की अनुमति है और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारियों (एफआरआरओ)/संबंधित विदेशी पंजीकरण अधिकारियों द्वारा प्रत्येक मामले के आधार पर और साथ ही मामले की योग्यता के आधार पर 6 महीने तक का विस्तार दिया जा सकता है। मेडिकल अटेंडेंट वीज़ा प्रमुख ई-वीज़ा धारक की वैधता के साथ सह-टर्मिनस था। इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय अन्य मंत्रालयों और हितधारकों जैसे अस्पतालों, मेडिकल वैल्यू ट्रैवल (एमवीटी) सुविधाप्रदाताओं, बीमा कंपनियों और एनएबीएच के साथ देश में चिकित्सा मूल्य यात्रा को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है। यह जवाब आज लोकसभा में संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने दिया।
जून, 2023 तक कोयला उत्पादन में 8.51 प्रतिशत की वृद्धि
देश में कोयले की ज्यादातर मांगों को स्वदेशी उत्पादन/आपूर्ति से पूरा किय जाता है। सरकार का ध्यान कोयले का घरेलू उत्पादन बढ़ाने और देश में कोयले के गैर-जरूरी आयात को खत्म करने पर है। वर्ष 2022-23 में कोयला उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में 14.77 प्रतिशत बढ़ा है। चालू वर्ष के दौरान जून, 2023 तक कोयले का घरेलू उत्पादन पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.51 प्रतिशत से अधिक बढ़ गया है। देश को कोयला उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं-
- कोयला ब्लॉकों के विकास में तेजी लाने के लिए कोयला मंत्रालय द्वारा नियमित समीक्षा।
- खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 बनाया गया है जो कैप्टिव खान मालिकों (परमाणु खनिजों के अलावा) को अपने वार्षिक खनिज (कोयला सहित) उत्पादन का 50 प्रतिशत तक खुले बाजार में बेचने में सक्षम बनाता है, जो कि अंतिम उपयोग संयंत्र से जुड़ी खदान की आवश्यकता को पूरा करने के बाद केंद्र सरकार के द्वारा निर्धारित तरीके से ऐसी अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाता है।
- कोयला खदानों के परिचालन में तेजी लाने के लिए कोयला क्षेत्र के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस पोर्टल।
- कोयला खदानों के शीघ्र परिचालन के लिए विभिन्न अनुमोदन/मंजूरी प्राप्त करने के लिए कोयला ब्लॉक आवंटियों की मदद के लिए परियोजना निगरानी इकाई।
- राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर सीआईएल की बंद पड़ी खदानों को फिर से खोलना और एमडीओ के माध्यम से सीआईएल की खदानों का संचालन।
- कोल इंडिया लिमिटेड अपनी भूमिगत (यूजी) खदानों, मुख्य रूप से सतत खनिकों (सीएम) में, जहां भी संभव हो, बड़े पैमाने पर उत्पादन प्रौद्योगिकियों (एमपीटी) को अपना रहा है। कोल इंडिया लिमिटेड ने छोड़ दी गईं या बंद खदानों की उपलब्धता को देखते हुए बड़ी संख्या में हाईवॉल (एचडब्ल्यू) खदानों में काम करने के बारे में भी परिकल्पना की है। कोल इंडिया लिमिटेड जहां भी संभव हो बड़ी क्षमता वाली भूमिगत खदानों की भी योजना बना रही है।
- अपनी खुली कटान वाली खदानों में, कोल इंडिया लिमिटेड के पास पहले से ही उच्च क्षमता वाले उत्खनकों, डंपर और सतह खनिकों में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी मौजूद है।
- सीआईएल की 7 बड़ी खदानों में प्रायोगिक स्तर पर डिजिटलीकरण का कार्यान्वयन, जिसे आगे भी दोहराया जाएगा।
- एससीसीएल ने 2023-24 तक 67 मीट्रिक टन के वर्तमान स्तर से 75 मीट्रिक टन उत्पादन करने की योजना बनाई है। नई परियोजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए नियमित संपर्क किया जा रहा है। इसके अलावा, नई परियोजनाओं की गतिविधियों की प्रगति और मौजूदा परियोजनाओं के संचालन की नियमित निगरानी की जा रही है।
“कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास”
प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड ने आज “कचरा मुक्त शहरों की दिशा में तकनीकी प्रयास” पहल के अंतर्गत दूसरे समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) ने ई-अपशिष्ट, ज्वैलर्स अपशिष्ट और ऑटोमोबाइल उपकरण अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र के विकास के लिए मेसर्स अल्केमी रिसाइक्लर्स प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। बोर्ड ने 1.90 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत में से 1.14 करोड़ रुपये का समर्थन मुहैया कराने पर सहमति व्यक्त की है।
प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास का उद्देश्य उन प्रस्तावों को बढ़ावा देना है, जो न केवल भारतीय शहरों से कचरे को खत्म करेंगे बल्कि कचरे से संपदा का सृजन करने के लिए तकनीकी उपायों को भी उपयोग में लाएंगे। प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण से प्रेरणा लेते हुए, स्वच्छ भारत मिशन: शहरी 2.0 का उद्देश्य हमारे सभी शहरों को कचरे से मुक्त बनाना है और स्वच्छता पर जोर देना है, प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (डीएसटी, भारत सरकार का एक संवैधानिक निकाय) ने उन भारतीय कंपनियों से आवेदन आमंत्रित किए हैं, जिनके पास अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन स्वदेशी प्रौद्योगिकियां हैं। इस अवसर पर बोलते हुए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के सचिव श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, “प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड के “कचरा मुक्त शहरों” के लिए प्रौद्योगिकी संबंधी प्रयास के प्रस्तावों को देश भर में भारतीय कंपनियों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। इन कंपनियों के द्वारा दिखाया गया उत्साह व रुचि एक स्वच्छ और अधिक टिकाऊ भविष्य बनाने के प्रति इनकी प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है। बोर्ड को अपशिष्ट प्रबंधन क्षेत्र में व्यावसायीकरण चरण में नवीन और स्वदेशी प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला प्राप्त हुई। इन प्रौद्योगिकियों में हमारे कचरे का निपटान करने के तरीके में आमूल-चूल बदलाव लाने और योगदान देने की क्षमता है ताकि कचरा-मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके।”
कंपनी ने प्रसंस्करण के लिए अपनी नवीन पद्धति का उपयोग करके ई-अपशिष्ट, आभूषण से जुड़े अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट से कीमती धातुओं को पुनः प्राप्त करने के लिए एक एकीकृत संयंत्र विकसित किया है। जब ई-अपशिष्ट, आभूषण अपशिष्ट और कार उपकरण अपशिष्ट को एक विशिष्ट अनुपात या संयोजन में मिलाया जाता है, तो पुनःप्राप्ति अनुपात बहुत बढ़ जाता है। इसके अलावा, कुछ अशुद्धियां फ्लक्स के रूप में कार्य करती हैं, जो पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में मदद करती हैं। इस कंपनी ने 750 टीपीए की स्थापित क्षमता पर इन तीन अपशिष्टों के संयोजन से सोना, चांदी, पैलेडियम, प्लैटिनम और रोडियम जैसी बहुमूल्य धातुओं की पुनःप्राप्ति का प्रस्ताव दिया है।
यह नवोन्मेषी पद्धति न केवल कीमती धातुओं की पुनःप्राप्ति अनुपात को बढ़ाती है, बल्कि यह कचरा प्रबंधन के लिए एक स्थायी समाधान भी प्रदान करती है। यह पद्धति इन तीन प्रकार के अपशिष्ट से बहुमूल्य धातुओं को कुशलतापूर्वक निकालकर पारंपरिक खनन प्रथाओं से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है। इसके अलावा, फ्लक्स के रूप में अशुद्धियों का उपयोग न केवल पुनःप्राप्ति प्रक्रिया में सुधार करता है, बल्कि यह अतिरिक्त रसायनों की आवश्यकता को भी कम करता है, जो इसे पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण और किफायती बनाता है।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट व्यापार का मुख्य रूप से अनौपचारिक चैनलों के माध्यम से प्रबंध किया जाता है, जो पर्यावरणीय खतरों, सरकारी करों और संसाधन की कमी को उत्पन्न करते हैं। परियोजनाओं का लक्ष्य इस समस्या को कम करना तथा प्रभावी और किफायती अपशिष्ट संग्रह के लिए चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल को बढ़ावा देना है। प्रस्तावित प्रसंस्करण क्षमता 750 टीपीए है, जो भारतीय बाजार का 0.0187% है। वैश्विक ई-अपशिष्ट की मात्रा बढ़ने की उम्मीद है, जो स्थानीय और वैश्विक दोनों स्तर पर परियोजना की व्यवहार्यता की क्षमता को
‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ अभियान
‘मेरी लाइफ, मेरा स्वच्छ शहर’ केवल एक योजना भर नहीं है, बल्कि यह एसबीएम-यू 2.0 के तहत यूएलबी द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा एक सार्वजनिक आउटरीच और जनता को बड़े पैमाने पर संबद्ध करने से संबंधित अभियान है। इस अभियान के लिए भारत सरकार ने किसी अलग संगठन का गठन नहीं किया है।
इस अभियान का उद्देश्य मिशन लाइफ के बारे में जागरूकता फैलाना और अपशिष्ट उत्पादन में कमी लाने, संसाधन संरक्षण को बढ़ावा देने और अपने रोजमर्रा के जीवन में ‘रिड्यूस, रीयूज़, रीसायकल’ (आरआरआर) को अपनाकर स्वच्छ और हरित पर्यावरण में योगदान देने के लिए नागरिकों के व्यवहार में बदलाव लाना है। इसका उद्देश्य पद्धतियों को शहरी स्वच्छता इको-सिस्टम में एकीकृत करके चक्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है, जो अपशिष्ट में कमी लाती है, संसाधनों के उपयोग को अधिकतम करती है तथा वर्तमान और भावी पीढ़ियों दोनों का कल्याण सुनिश्चित करती है।
नागरिकों को इस मुहिम से जोड़ने के लिए घर-घर जाकर जागरूकता अभियान, सोशल मीडिया अभियान के साथ-साथ प्रभावशाली लोगों को इसमें शामिल करने जैसे उपाय किए गए हैं। एमओएचयूए ने शहरी स्थानीय निकायों के लिए अभियान संबंधी दिशानिर्देश भी जारी किए, जिन्हें http://sbmurban.org/storage/app/media/%20Meri-LiFE-Mera-Swachh-Shehar-SOP-for-States-and-Cities-12th-May-2023.pdf पर देखा जा सकता है।
यह जानकारी आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
फाइलेरिया उन्मूलन में एनएसएस निभायेगा महत्वपूर्ण भूमिका
कानपुर 5 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, उत्तर प्रदेश के तीन लाख बीस हजार एनएसएस स्वयंसेवक फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सक्रिय भूमिका निभाएंगे । इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु राजधानी लखनऊ में प्रदेश के 27 जनपदों और विभिन्न विश्वविद्यालयों के एनएसएस समन्वयक , नोडल अधिकारियों, और कार्यक्रम अधिकारियों की प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमे एनएसएस राज्य संपर्क अधिकारी प्रो मंजू सिंह, युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना के दिशानिर्देशन में छत्रपति साहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । समन्वयक प्रो के एन मिश्रा के नेतृत्व में जिला नोडल अधिकारी डॉ श्याम मिश्रा , डॉ संगीता सिरोही , डॉ नीरज कुमार , डॉ आशीष गुप्ता , डॉ यश कुमार , नोडल कानपुर देहात ने प्रशिक्षण प्राप्त किया । इस प्रशिक्षण में फाइलेरिया के फैलाव , एमडीए , क्यूलेक्स मच्छर की रोकथाम जैसे विषयों को पीसीआई, मिलिंडा गेट फाउंडेशन के अधिकारियों और डॉक्टर्स द्वारा विस्तार से समझाया गया । प्रशिक्षण के उपरांत अब कानपुर विश्वविद्यालय अंतर्गंत जनपदों के एनएसएस महाविद्यालयों और अन्य महाविद्यालयों में 10 अगस्त से प्रस्तावित एमडीए वितरण में सहयोग देंगे साथ ही साथ स्वयं दवा खायेंगे और परिवार एवं आसपास के लोगो को दवा सेवन हेतु प्रेरित करेंगे ।
Read More »ग्राम पंचायतों का डिजिटलीकरण
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत पंचायती राज मंत्रालय देश के सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में ई-पंचायत मिशन मोड परियोजना का (एमएमपी) क्रियान्वयन कर रहा है। इसका उद्देश्य पंचायतों की कार्य प्रणाली में सुधार लाना और उन्हें अधिक पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी बनाना है। मंत्रालय ने योजना, लेखा और बजट जैसे पंचायत कार्यों को सरल बनाने के लिए एक लेखा अनुप्रयोग ई ग्राम स्वराज (eGramSwaraj) की शुरुआत की है। मंत्रालय ने विक्रेताओं/सेवा प्रदाताओं को वास्तविक समय पर भुगतान करने के लिए ग्राम पंचायतों (जीपी) के लिए सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ ई-ग्राम स्वराज को भी एकीकृत किया है। पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष के दौरान ई-ग्राम स्वराज के अंतर्गत उत्तर प्रदेश सहित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा की गई प्रगति का ब्यौरा अनुलग्नक में दिया गया है।
इसके अलावा, दूरसंचार विभाग (डीओटी) देश में सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारतनेट परियोजना को लागू कर रहा है। एक लाख ग्राम पंचायतों को जोड़ने की परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2017 में पूरा हो चुका है। भारतनेट के पहले चरण के तहत 1.23 लाख ग्राम पंचायतों में से लगभग 1.22 लाख ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार किया गया था। शेष ग्राम पंचायतों से जुड़ने के लिए दूसरे चरण का कार्यान्वयन प्रगति पर है। भारतनेट के दूसरे चरण के अंतर्गत 1.44 लाख आबंटित ग्राम पंचायतों में से 77,000 से अधिक ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है।
पंचायती राज मंत्रालय योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत वित्तीय तथा तकनीकी सहायता के माध्यम और समय-समय पर सलाह जारी करके राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पीआरआई के सुदृढ़ीकरण और विकास के लिए कई अन्य कदम उठा रहा है। उठाए गए विभिन्न उपायों में अच्छा कार्य करने वाली पंचायतों को प्रोत्साहित करना, पंचायतों के क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना है ताकि वे प्रभावी ढंग और कुशलता से हस्तांतरित कार्यों को निष्पादित कर सकें। इसके अलावा, बजट, लेखांकन और लेखा परीक्षा की प्रणालियों को सुदृढ़ करना और पंचायतों द्वारा सहभागी ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करने में राज्यों की सहायता करना शामिल है।
अनुलग्नक
वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान पंचायत स्तर पर अपनाया गया ई–ग्राम स्वराज
क्रं. संख्या | राज्य का नाम | 2020-21 | 2021-22 | 2022-23 | 2023-24 | ||||||||
ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य | ग्राम पंचायत में लागू | ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य | ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य | ग्राम पंचायत में लागू | ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य | ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य | ग्राम पंचायत में लागू | ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य | ग्राम पंचायतों की कुल संख्या और समतुल्य | ग्राम पंचायत में लागू | ऑनलाइन भुगतान सुविधा के साथ ग्राम पंचायत और समतुल्य | ||
1 | आंध्र प्रदेश | 13422 | 8843 | 0 | 13371 | 8840 | 0 | 13371 | 8763 | 2 | 13371 | 8763 | 0 |
2 | अरुणाचल प्रदेश | 2100 | 2068 | 0 | 2114 | 2096 | 0 | 2108 | 2096 | 1218 | 2108 | 2096 | 688 |
3 | असम | 2664 | 2197 | 2197 | 2664 | 2197 | 1973 | 2662 | 2197 | 2185 | 2662 | 2197 | 2111 |
4 | बिहार | 8387 | 8387 | 15 | 8221 | 8220 | 7924 | 8176 | 8175 | 7954 | 8176 | 8175 | 6782 |
5 | छत्तीसगढ़ | 11666 | 11663 | 11388 | 11658 | 11657 | 11303 | 11659 | 11658 | 11546 | 11659 | 11658 | 7405 |
6 | गोवा | 191 | 191 | 98 | 191 | 191 | 169 | 191 | 191 | 138 | 191 | 191 | 40 |
7 | गुजरात | 14308 | 14237 | 1 | 14343 | 14239 | 13168 | 14400 | 14272 | 13435 | 14589 | 14272 | 10616 |
8 | हरियाणा | 6304 | 6258 | 4497 | 6237 | 6204 | 3653 | 6230 | 6198 | 3768 | 6226 | 6188 | 4090 |
9 | हिमाचल प्रदेश | 3654 | 3613 | 29 | 3616 | 3613 | 1321 | 3615 | 3613 | 3563 | 3615 | 3613 | 2948 |
10 | जम्मू और कश्मीर | 4277 | 4276 | 4231 | 4291 | 4290 | 4251 | 4291 | 4290 | 4221 | 4291 | 4290 | 176 |
11 | झारखंड | 4364 | 4364 | 4268 | 4353 | 4352 | 4348 | 4345 | 4344 | 4338 | 4345 | 4344 | 4171 |
12 | कर्नाटक | 6008 | 6008 | 5940 | 5968 | 5967 | 5919 | 5958 | 5958 | 5942 | 5958 | 5958 | 5626 |
13 | केरल | 941 | 941 | 0 | 941 | 941 | 941 | 941 | 941 | 940 | 941 | 941 | 614 |
14 | लद्दाख | 193 | 193 | 173 | 193 | 193 | 151 | 193 | 193 | 82 | 193 | 193 | 0 |
15 | मध्य प्रदेश | 22813 | 22808 | 22496 | 23129 | 23069 | 22126 | 23032 | 22991 | 21495 | 23032 | 22991 | 18345 |
16 | महाराष्ट्र | 27903 | 27810 | 1264 | 27902 | 27813 | 18364 | 27900 | 27783 | 26185 | 27555 | 27448 | 18499 |
17 | मणिपुर | 3811 | 161 | 160 | 3812 | 161 | 153 | 3812 | 161 | 160 | 3812 | 161 | 0 |
18 | मेघालय | 6758 | 0 | 0 | 6760 | 0 | 0 | 6760 | 0 | 0 | 6760 | 0 | 0 |
19 | मिजोरम | 834 | 834 | 2 | 834 | 834 | 832 | 834 | 834 | 764 | 834 | 834 | 27 |
20 | नागालैंड | 1280 | 5 | 0 | 1293 | 5 | 0 | 1293 | 5 | 0 | 1293 | 5 | 0 |
21 | ओडिशा | 6798 | 6798 | 6714 | 6798 | 6798 | 6734 | 6798 | 6798 | 6773 | 6798 | 6798 | 6228 |
22 | पंजाब | 13270 | 13206 | 8082 | 13268 | 13207 | 10309 | 13241 | 13183 | 9813 | 13241 | 13183 | 7284 |
23 | राजस्थान | 11347 | 11314 | 3858 | 11343 | 11316 | 8493 | 11342 | 11315 | 11244 | 11342 | 11315 | 7936 |
24 | सिक्किम | 185 | 181 | 4 | 185 | 181 | 130 | 199 | 181 | 175 | 199 | 181 | 138 |
25 | तमिलनाडु | 12519 | 12490 | 7986 | 12525 | 12496 | 7783 | 12525 | 12494 | 12029 | 12525 | 12494 | 10835 |
26 | तेलंगाना | 12771 | 12765 | 0 | 12773 | 12767 | 0 | 12769 | 12767 | 12543 | 12769 | 12767 | 12451 |
27 | दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव | 38 | 0 | 0 | 38 | 0 | 0 | 38 | 0 | 0 | 38 | 0 | 0 |
28 | त्रिपुरा | 1178 | 1178 | 1176 | 1178 | 1178 | 1177 | 1178 | 1178 | 1158 | 1178 | 1178 | 911 |
29 | उत्तराखंड | 7791 | 7791 | 7763 | 7791 | 7791 | 6291 | 7812 | 7811 | 7730 | 7812 | 7811 | 7316 |
30 | उत्तर प्रदेश | 58984 | 58950 | 58425 | 58842 | 58810 | 57857 | 58842 | 58810 | 58151 | 58853 | 58821 | 51048 |
31 | पश्चिम बंगाल | 3340 | 3229 | 1863 | 3340 | 3229 | 3213 | 3340 | 3229 | 3223 | 3340 | 3229 | 3218 |
कुल | 270099 | 252759 | 152630 | 269972 | 252655 | 198583 | 269855 | 252429 | 230775 | 269706 | 252095 | 189503 |
यह जानकारी केन्द्रीय पंचायती राज के राज्य मंत्री श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर के रूप में दी।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित, लागत प्रभावी, कम भार वाले, अत्यधिक तीव्र (अल्ट्राफास्ट), 1.5 टेस्ला के उच्च क्षेत्र (हाई फील्ड) वाले अगली पीढ़ी के मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) स्कैनर का शुभारभ किया
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह एमआरआई स्कैनर देश में विकसित किया गया है, अतः आम आदमी के लिए एमआरआई स्कैनिंग की लागत बहुत कम होने की उम्मीद है, जिससे अभी तक अत्यधिक लागत वाले एमआरआई स्कैन तक भी सबकी पहुंच हो सकेगी। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, अंतरराष्ट्रीय बाजार से एमआरआई स्कैनर की खरीद में पूंजी निवेश भी बहुत हद तक तक कम हो जाएगा, जिसके कारण बहुत सारी विदेशी मुद्रा की भी बचत होगीI साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत में नैदानिक और चिकित्सीय विनिर्माण के दोहरे मिशन के उद्देश्य और आत्मनिर्भरता के समग्र उद्देश्य को भी अत्याधुनिक बनाया जा सकेगा। मंत्री महोदय ने कहा कि आने वाले वर्षों में, “भारत में बनाएं- विश्व के लिए बनाएं (मेक इन इंडिया-मेड फॉर द वर्ल्ड)” होगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि वास्तव में यह राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम), जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के लिए एक अभूतपूर्व कीर्तिमान स्थापित करने वाली उपलब्धि है क्योंकि हम सार्वजनिक-निजी भागीदारी प्रारूप के अंतर्गत अपने पहले स्वदेशी रूप से विकसित अत्याधुनिक एमआरआई स्कैनर को सामने लेकर आए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के अंतर्गत वोक्सेलग्रिड्स इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड ने देश की अब तक अपूर्ण आवश्यकता को पूरा करने के लिए अपने आप में सम्पूर्ण (कॉम्पैक्ट), कम भार वाले, अगली पीढ़ी के एमआरआई स्कैनर विकसित किया है।
मंत्री महोदय ने रेखांकित किया कि विश्व स्तरीय एमआरआई विकसित करने के लिए व्यय किए गए 17 करोड़ रुपये में से 12 करोड़ रुपये जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के माध्यम से जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) द्वारा प्रदान किए गए थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सॉफ्टवेयर के साथ अगली पीढ़ी के हार्डवेयर के इस संयोजन ने नैदानिक छायांकन (डायग्नोस्टिक इमेजिंग) के क्षेत्र में एक अत्यधिक विघटनकारी उत्पाद को सफलतापूर्वक प्रस्तुत करने में सक्षम बनाया है, क्योंकि यह भारत सरकार के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) से वाणिज्यिक बिक्री और निर्माण लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली भारतीय कंपनी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि विश्व की 70 प्रतिशत जनसंख्या की मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) की नैदानिक (डायग्नोस्टिक) पद्धति तक पहुंच नहीं है। कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी), एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसी अन्य छायांकन (इमेजिंग) प्रविधियों की तुलना में एमआरआई स्कैनर तक पहुंच सामान्य रूप से 3 गुना कम है। इसका कारण इसकी अत्यधिक उच्च पूंजीगत लागत है जो भारत जैसे विकासशील देशों में एक समस्या है। भारत में वर्तमान अनुमान बताते हैं कि एमआरआई का कुल स्थापित आधार 4800 है, जो कंप्यूटेड टोमोग्राफी (सीटी) से 3 गुना कम है और जो संभवतः इस उत्पाद की उच्च लागत एवं आयात पर निर्भरता के कारण भी है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में 350 से कम मशीनों की वार्षिक मांग है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि जागरूकता बढ़ने के साथ-साथ प्रमुख आयुष्मान भारत पहल सहित स्वास्थ्य देखभाल पहुंच और समावेशन में सुधार के लिए सरकार की कई पहलों के कारण, ग्लोबल डाटा इंक के अनुमानों के आधार पर वर्ष 2030 तक मांग दोगुनी से अधिक होने की उम्मीद है)।
मंत्री महोदय ने कहा कि भारत स्वदेशी रूप से विकसित पहला एमआरआई स्कैनर उपलब्ध कराकर इनमें से कई समस्याओं का समाधान करेगा, जो पहले से उपलब्ध मशीनों की तुलना में अत्यधिक लागत प्रभावी है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास इस सफलता को ग्लोबल साउथ में अन्य देशों के साथ साझा करने की संभावना भी प्रदान करता है ताकि उन्हें भी सस्ते और विश्वसनीय चिकित्सा इमेजिंग समाधानों तक पहुंच बनाने में सहायता मिल सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभा को यह भी बताया कि संसद में प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के मष्तिष्क की परिकल्पना, राष्ट्रीय अनुसन्धान फाउंडेशन (नेशनल रिसर्च फाउंडेशन -एनआरएफ) विधेयक के पारित होने के बाद, यह वैज्ञानिक और संबंधित मंत्रालयों के अलावा उद्योगों और राज्य सरकारों की भागीदारी तथा योगदान के लिए तंत्र बनाने के लिए उद्योग, शिक्षा और सरकारी विभागों एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग स्थापित करने के साथ ही एक इंटरफ़ेस भी विकसित करेगा। उन्होंने कहा कि यह एक नीतिगत ढांचा बनाने और नियामक प्रक्रियाओं को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करेगा जो अनुसंधान एवं विकास पर उद्योग द्वारा सहयोग और बढ़े हुए परिव्यय को प्रोत्साहित कर सके।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस सफलता को प्राप्त करने में यूपी इंडिया और डिजिटल इंडिया हमें देश को प्रगति और अंतरराष्ट्रीय पहचान की दिशा में ले जाने के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में हमारे सक्षम नेतृत्व और इस सफलता को प्राप्त करने के लिए मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहलों द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार करते हुए उनके प्रति आभार प्रकट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत, प्रौद्योगिकी का मात्र उपभोक्ता बने रहने के स्थान पर अब नवप्रवर्तक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
अपने संबोधन में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव, डीबीटी, डॉ. राजेश गोखले ने कहा कि उनके विभाग ने अपने विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में उपकरणों और नैदानिक पारिस्थितिकी तंत्र पर ध्यान देने के साथ ही जैवऔषधि (बायोफार्मा) क्षेत्र को सशक्त करने के लिए जबरदस्त प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) द्वारा कार्यान्वित जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) का राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) टीकों, समरूपजैव चिकित्सा उत्पादों (बायोसिमिलर्स), चिकित्सा उपकरणों और नैदानिकी (डायग्नोस्टिक्स) सहित जैव चिकित्सा शास्त्र (बायोथेराप्यूटिक्स) में भारत की प्रौद्योगिक एवं उत्पाद विकास करने की क्षमताओं में तेजी लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।