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उत्कृष्ट शिक्षाविद, पर्यावरण प्रेमी आध्यत्मिक वक्ता डॉ. मीनाक्षी

आध्यात्मिक विदुषि के रूप में विख्यात, वेद, पुराण, भागवत की प्रखर वक्ता ब्रज भूमि में जन्मी डॉ.मीनाक्षी (मोहिनी मंजरी) एक आध्यात्मिक उत्कृष्ट शिक्षाविद, समाज सेविका के साथ साथ पर्यावरण की सजग प्रहरी भी है। इन्होंने पूरे देश में अब तक दस हजार से ज्यादा वृक्ष लगाए है। प्रथ्वी और जल का संरक्षण के साथ लोगो को जागरूक करने में भी इनका योगदान बना रहता है। भारतीय संस्कृति और गौ संवर्धन रक्षा के प्रति विशेष लगाव होने के कारण, अपने जीवन का अधिक से अधिक समय इनकी सेवा कार्य मे बिताती है। डॉ.मीनाक्षी आने वाले समय में एक गौशाला और गरीब निर्धन बेसहारा बच्चो के लिए आश्रम का भी निर्माण करने का प्रयास कर रही है। इन्होंने लगभग २५ वर्षों से विभिन्न स्कूल महाविद्यालय में अध्यापन का कार्य किया है। ये भारतीय गीत संगीत और कथक नत्य की पारंगत कलाकार होने के बाबजूद स्वयं को प्रचार-प्रसार और चमक दमक से हमेशा दूर रहने वाली एक उत्कृष्ट कवयित्री भी हैं । इन्होंने कई कविताएं,लेख और पुस्तक लिखी है। उन्होंने बताया कि अनंत विनायक’ पुस्तक जो देश विदेश में बहुत ही उपलब्ध है उसमे रोज नया दिन, एक नया साहस, संघर्ष और जिंदगी को जीने की उमंग दोनों ही इन रचनाओं में दिखता है। चाहे संबंधों की प्रगाढ़ता,संबंधों के पीछे छिपी मानसिकता, भावनाओं के द्वंद्वों की ही क्यों ना हो उनके शब्द-बिम्ब हॄदय की परतों को बेध देने के लिए काफी है। मीनाक्षी परंपरागत बिंबों का भी समयानुकूल उपयोग भी करती है जिसके कारण कवयित्री की कविताएं जीवन यात्रा जैसी लगती हैं।दूसरी ओर अपने छोटे एवं सरल शब्दों को जिस प्रकार से एक मारक हथियार के रूप में प्रयोग करती हैं, वह निश्चित रूप से सराहनीय है।