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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा एमपॉक्स को अंतर्राष्ट्रीय चिंता के रूप में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के मद्देनजर एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एमपॉक्स की स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सलाह के अनुसार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने देश में एमपॉक्स को लेकर तैयारियों की स्थिति और सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

ध्यान देने योग्य बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अफ्रीका के कई हिस्सों में इसके व्यापक प्रसार को देखते हुए 14 अगस्त, 2024 को एमपॉक्स को फिर से अंतर्राष्ट्रीय चिंता और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (पीएचईआईसी) घोषित किया है। डब्ल्यूएचओ के एक पूर्व वक्तव्य के अनुसार, 2022 से वैश्विक स्तर पर 116 देशों से एमपॉक्स के कारण 99,176 मामले और 208 मौतें दर्ज की गई थीं। इसके बाद, उन्होंने बताया है कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में एमपॉक्स के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। पिछले साल, रिपोर्ट किए गए मामलों में काफी वृद्धि हुई और इस साल अब तक दर्ज किए गए मामलों की संख्या पिछले साल की कुल संख्या से अधिक हो गई है, जिसमें 15, 600 से अधिक मामले और 537 मौतें शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ द्वारा 2022 में अंतर्राष्ट्रीय चिंता से जुड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किए जाने के बाद से भारत में 30 मामले सामने आए हैं। एमपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में पता चला था।

उच्चस्तरीय बैठक में बताया गया कि अभी तक देश में एमपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। वर्तमान आकलन के अनुसार, निरंतर संक्रमण के साथ बड़े प्रकोप का जोखिम कम है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव को बताया गया कि एमपॉक्स संक्रमण आम तौर पर अपने-आप में 2-4 सप्ताह तक चलने वाला संक्रमण है; एमपॉक्स के मरीज आमतौर पर सहायक चिकित्सा देखभाल और प्रबंधन से ठीक हो जाते हैं। एमपॉक्स से संक्रमित मरीज के साथ लंबे समय तक और निकट संपर्क के माध्यम से इसका संक्रमण होता है। यह मुख्य रूप से यौन मार्ग, मरीज के शरीर/घाव द्रव के साथ सीधे संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों/लिनन के माध्यम से होता है।

स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में निम्नलिखित कदम उठाए जा चुके हैं:

o भारत के लिए जोखिम का आकलन करने के लिए 12 अगस्त, 2024 को राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) द्वारा विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई गई थी।

o एनसीडीसी द्वारा पहले जारी किए गए एमपॉक्स पर एक संक्रामक रोग (सीडी) अलर्ट को नए घटनाक्रमों का पता लगाने के लिए अद्यतन किया जा रहा है।

o अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों (प्रवेश के बंदरगाहों) पर स्वास्थ्य टीमों को संवेदनशील बनाया गया है।

यह भी बताया गया कि आज सुबह महानिदेशक स्वास्थ्य सेवा (डीजीएचएस) द्वारा 200 से अधिक प्रतिभागियों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। इस संबंध में राज्यों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) इकाइयों और प्रवेश के बंदरगाहों आदि सहित राज्य स्तर पर स्वास्थ्य अधिकारियों को संवेदनशील बनाया गया।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने निर्देश दिया कि निगरानी बढ़ाई जाए और मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए प्रभावी उपाय किए जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रारंभिक निदान के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं के नेटवर्क को तैयार किया जाना चाहिए। वर्तमान में 32 प्रयोगशालाएं परीक्षण के लिए सुसज्जित हैं।

डॉ. पी.के. मिश्रा ने निर्देश दिया कि बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए प्रोटोकॉल बड़े पैमाने पर प्रसारित किए जा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के बीच बीमारी के संकेतों और लक्षणों के बारे में जागरूकता अभियान एवं निगरानी प्रणाली को समय पर सूचित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

नीति के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल, सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) श्री अपूर्व चंद्रा, सचिव (स्वास्थ्य अनुसंधान) डॉ. राजीव बहल, सदस्य सचिव (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) श्री कृष्ण एस वत्स, सचिव (सूचना एवं प्रसारण) श्री संजय जाजू और मनोनीत गृह सचिव श्री गोविंद मोहन और अन्य मंत्रालयों के अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेन्नई में कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर स्मारक सिक्का जारी किया

रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने 18 अगस्त, 2024 को चेन्नई में तमिलनाडु के पांच बार के पूर्व मुख्यमंत्री कलैग्नार एम करुणानिधि की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक स्मारक सिक्का जारी किया। रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में, उन्हें देश के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक नेता, भारतीय राजनीति के दिग्गज, एक सक्षम प्रशासक, सामाजिक न्याय के समर्थक और एक सांस्कृतिक दिग्गज बताया।

रक्षा मंत्री ने जनता की भलाई के लिए तमिलनाडु के पूर्व मुख्य मंत्री के योगदान का स्मरण करते हुए कहा, “तमिल पहचान में गहराई से शामिल होने के बावजूद, थिरु करुणानिधि ने कभी भी क्षेत्रवाद को राष्ट्र की एकता को कमजोर करने की अनुमति नहीं दी। उन्होंने समझा कि भारतीय लोकतंत्र की ताकत विविध आवाजों और पहचानों को समायोजित करने की क्षमता में निहित है। राज्य के अधिकारों पर उनका आग्रह संघ के भीतर सत्ता के अधिक संतुलित और न्यायसंगत वितरण का आह्वान था। संघवाद के प्रति यह प्रतिबद्धता भारतीयता का एक प्रमुख पहलू है। भारत की विविधता इसकी ताकत है और संघीय संरचना इस विविधता को एक एकीकृत ढांचे के भीतर पनपने की अनुमति देती है।”

श्री राजनाथ सिंह ने कलैग्नार करुणानिधि को एक ऐसा नेता बताया जिनकी राष्ट्रीय शासन में भूमिका और लोकतांत्रिक सिद्धांतों की वकालत ने भारतीय लोकतंत्र पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि भारतीय पहचान की समावेशी प्रकृति तिरु करुणानिधि की नीतियों में परिलक्षित होती है, जो हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित है कि महिलाओं और बच्चों को आगे बढ़ने के लिए आवश्यक सहायता मिले।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “कलैग्नार करुणानिधि महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले कमज़ोर समुदायों के अधिकारों के लिए एक प्रखर समर्थक थे। उन्होंने ऐसे सुधारों का नेतृत्व किया, जिन्होंने लैंगिक समानता को प्रोत्साहन दिया और महिलाओं को सशक्त बनाया। उनकी सरकार ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला कानून बनाया और उन्होंने महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कृषि मजदूरों और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों सहित असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कल्याण बोर्ड बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका काम एक अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि किसी राष्ट्र की प्रगति का असली माप इस बात में निहित है कि वह अपने सबसे कमजोर नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार करता है।”

तिरु करुणानिधि को एक कुशल प्रशासक बताते हुए श्री राजनाथ सिंह ने उनके कार्यक्रम ‘मनु निधि थित्तम’ का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने जिला अधिकारियों को हर सप्ताह एक दिन केवल लोगों की समस्याओं को सुनने के लिए आरक्षित करने का आदेश दिया था। श्री राजनाथ सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का सबसे महत्वपूर्ण पहलू शिक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित करना था। उनकी दृष्टि केवल तमिलनाडु तक ही सीमित नहीं थी। उन्होंने माना कि किसी एक राज्य की प्रगति समग्र रूप से राष्ट्र की प्रगति में योगदान देती है। उनका कार्य आत्मनिर्भरता और प्रगति की भारतीय भावना का प्रमाण है। उनकी विरासत यह याद दिलाती है कि क्षेत्रीय विकास राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग है। यह सहकारी संघवाद के विचार का सबसे अच्छा उदाहरण है।”

रक्षा मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार लोकतंत्र और सहकारी संघवाद की शक्ति में विश्वास करती है। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपने 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर रहा है, बल्कि यह लोगों को यह आशा भी दे रहा है कि लोकतंत्र विकास प्रदान करता है और लोगों को सशक्त बनाता है।

श्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु दोनों में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने के निर्णय का उदाहरण बताते हुए इस बात पर बल दिया कि विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पक्षपातपूर्ण राजनीति से परे है। उन्होंने कहा, “इन गलियारों का उद्देश्य घरेलू रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इन्हें निवेश आकर्षित करने, नवाचार को प्रोत्साहन देने और भारत में रक्षा उत्पादन के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।” उन्होंने दक्षिण भारत के साथ उत्तर और पश्चिम भारत के सांस्कृतिक एकीकरण का उत्सव मनाने के उद्देश्य से काशी-तमिल संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम पहल पर भी प्रकाश डाला।

रक्षा मंत्री ने कलैग्नार करुणानिधि को एक विपुल लेखक, कवि और नाटककार बताया, जिनके कार्यों ने तमिल साहित्य और सिनेमा को समृद्ध किया। उन्होंने कहा, “तमिल भाषा और संस्कृति को प्रोत्साहन देने के उनके प्रयास उनके इस विश्वास पर आधारित थे कि किसी की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करना और उसका उत्सव मनाना व्यापक भारतीय पहचान के लिए आवश्यक है।“ यह कार्यक्रम तमिलनाडु सरकार द्वारा आयोजित किया गया था और इसमें मुख्यमंत्री श्री एमके स्टालिन और केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और संसदीय कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।

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प्रज्ञा परिवार द्वारा कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि एवं IMA के सहयोग से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, प्रज्ञा परिवार द्वारा कुटुम्ब प्रबोधन गतिविधि, कानपुर पूर्व भाग एवं IMA के सहयोग से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन
आज IMA, कानपुर के सहयोग से प्रज्ञा परिवार (संबद्ध अखिल विश्व गायत्री परिवार) श्याम नगर कानपुर द्वारा लगाए गए रक्तदान शिविर में कुल 56 यूनिट रक्तदान हुआ। सर्वप्रथम भारत माता के चित्र एवं परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा के चित्र पर माल्यार्पण एवम दीपक प्रज्वलन कर गायत्री परिवार के उप जोन समन्वयक आर सी गुप्ता, जिला समन्वयक आर पी लाल ने रक्तदान शिविर का शुभारंभ किया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कुटुंब प्रबोधन के सह प्रांत संयोजक, विनोद शंकर दीक्षित(विशिष्ट अतिथि) ने रक्तदान के फायदे बताकर लोगों का मार्गदर्शन एवं उत्साहवर्धन किया।
प्रज्ञा परिवार ने सभी रक्तदानियों को “रक्तदानी कर्ण” की उपाधि वाला प्रमाण पत्र दिया। कर्ण ने कभी भी अपने दरवाजे से किसी को खाली हाथ नहीं जाने दिया। प्रज्ञा परिवार भी जरूरत पड़ने पर जरूरतमंद के लिए रक्तदान की व्यवस्था करता है।
IMA की ओर से सभी रक्तदानियों को उपहार स्वरूप मिल्टन की बोतल एवं प्रमाण पत्र दिया गया।राष्ट्र सेवा के अंतर्गत प्रज्ञा परिवार प्रत्येक 15 अगस्त एवं 26 जनवरी या पास के रविवार को रक्तदान शिविर का आयोजन करता रहता है। रक्तदान शिविर में सहयोग करने वालों में प्रमुख रूप से चेयरमैन अशोक कुमार पांडे, अध्यक्ष आर जे मिश्रा, अजय अग्रवाल, सुनील विश्वकर्मा, दिवाकर दीक्षित , शिवानंद गुप्ता, अच्छेलाल, सुरेश चंद्र जोशी, प्रमोद मिश्रा, लाल प्रताप सिंह, अनिल त्रिपाठी आदि थे।
लोहिया भवन के ट्रस्टी अमित कुमार जैन को रक्तदान शिविर हेतु निशुल्क स्थान देने पर धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया।

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सम्पादक, मुद्रक, स्वामी ~अतुल दीक्षित 

संपर्क सूत्र ~ 9696469699

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चाटुकारिता करने वाला व्यक्ति ‘पत्रकार’ नहीं होता ~श्याम सिंह पंवार

किसी मीडिया संस्थान से मात्र ‘आईडेंडिटी कार्ड’ बनवा लेने से, हाँथ में माइक ले लेने से और वाहन पर ‘प्रेस’ का स्टीकर चिपका लेने से कोई ‘पत्रकार’ नहीं बन जाता है। ‘पत्रकार’ वह व्यक्ति नहीं होता है जो अपने मुहल्ले के लोगों के बीच धौंस जमाने के लिये रसूखदारों (कथित जनप्रतिनिधि, गैरजिम्मेदार अधिकारी आदि) के साथ बैठकर गप्पें बघारता है, उनके मनमुताबिक पेश किये गये खुलासों व विचारों को जनता के बीच परोसने के साथ-साथ उसके मनमस्तिष्क पर जबरिया थोपने में जुटा रहता है। ऐसा करने से ‘वह’ रसूखदारों के लिये तो चहेता बन जाता है जिनकी चाटुकारिता में वह लीन रहता है। वह व्यक्ति ‘पत्रकार’ नहीं होता है बल्कि एक चाटुकार ही होता है, लोग भले ही उसे पत्रकार कहते हैं और उसके बारे में उसके सामने खुलकर बोलने से कतराते रहते हैं, लेकिन देर-सबेर, उनकी सच्चाई सामने आ ही जाती है।
पत्रकारों से जुड़े ऐसे अनेक मामले प्रकाश में आ चुके हैं जिनसे सवाल पनपता है कि ‘पत्रकार’ ऐसे भी होते हैं क्या? तो मेरे नजरिये से जवाब यह है कि पत्रकार ऐसे नहीं होते हैं बल्कि पत्रकार का चोला ओढ़ कर पत्रकारिता के पेशे को कलंकित करने वाले वो शातिर लोग होते हैं जो निज स्वार्थ सिद्धि के लिये किसी भी सीमा तक गिर सकते हैं, उन्हें पत्रकारिता से कोई लेना-देना नहीं होता है।
मेरे नजरिये से ‘पत्रकार’ देश का वह व्यक्ति है जो किसी रसूखदार की चाटुकारिता ना कर किसी भी मामले की सच्चाई की तह तक जाने में जुटा रहता है। जनता की समस्याओं को सरकारों तक पहुचाने व सरकारों की मंशा को जनता तक पहुंचाने का सशक्त माध्यम बनता है। निष्पक्षता के साथ अपनी कलम चलाना अपना दायित्व समझता है।
लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बाद ‘पत्रकारिता’ को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया है। ऐसे में देश की जनता की पत्रकारों से शुरू से ही यह अपेक्षा रहती है कि वे आमजन के साथ खड़े हों और जनता से जुड़े मसलों पर सरकारों से सवाल करें। हालांकि ऐसा करने से उनके सामने अनेक कठिनाइयाँ सामने आ सकती हैं और इसे नकारा भी नहीं जा सकता है।
विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका, जब अपने पथ से विचलित होता दिखता है, तब पत्रकार ही निष्पक्ष पत्रकारिता के माध्यम से तीनों को उनके ‘दायित्व का बोध’ कराने की जिम्मेदारी निभाता है। अतीत में जाकर इसके अनेक उदाहरण देखे जा सकते है और वर्तमान में भी शायद इसकी (निष्पक्ष पत्रकारिता) जरूरत है, लेकिन मौजूदा दौर में स्थिति बहुत बदल सी गई है और पत्रकारों की भूमिका अब सवालों के घेरे में आ गई है। जिनका उद्देश्य था, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से सवाल करना आज वह खुद सवालों के घेरे में है। जिसका मुख्य उद्देश्य सच्चाई की तलाश करना, जनहित के मुद्दों पर सरकारों से सवाल करना था और आमजन के साथ खड़े रहना होता था, आज वह (पत्रकार) किसी भी सीमा तक गिर रहा है! पथप्रदर्शक की भूमिका निभाने वाला (पत्रकार) ही पथभ्रष्टक की भूमिका में पाया जा रहा है!
आखिरकार, यह स्थिति क्यों और कैसे बन रही है, इस ओर गंभीरता से विचार करना शायद समय की दरकार है जिससे कि पत्रकारिता की छवि धूमिल ना हो सके और पत्रकार को उसकी वास्तविक पहचान व सम्मान मिल सके।।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य हैं)

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एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी वी पी जी कॉलेज में स्वतंत्रता दिवस समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष श्री पीके मिश्रा , संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन, प्राचार्य प्रो सुमन ने क्षण्डारोहन किया। संगीत विभाग की छात्राओं ने देश भक्ति गीत प्रस्तुत किया। एनसीसी, एनएसएस ,रोवर्स रेंजर्स के छात्राओं ने संयुक्त मार्च पास्ट प्रस्तुत किया। श्री शुभ्रो सेन ने ऊर्जा पूर्ण भाषण देते हुए सभी को देश प्रेम के प्रति सचेत किया। कैप्टन ममता अग्रवाल ने उच्च शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राप्त पत्र का वाचन किया। प्राचार्य सुमन जी ने इस क्षण को गौरवपूर्ण बताते हुए सभी की सहभागिता के लिए धन्यवाद दिया। यह समस्त कार्यक्रम राष्ट्रीय पर्व प्रभारी प्रोफेसर रेखा चौबे के निर्देशन में हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर चित्रा सिंह ने किया। जानकारी देते हुए मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया कार्यक्रम में सभी शिक्षक कर्मचारी और छात्र उपस्थिति रहे।

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छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस आयोजित

कानपुर 14 अगस्त,  (सू0वि0)* विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का आयोजन छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के आडिटोरियम में किया गया। इस अवसर पर अतिथिगणों द्वारा ऑडिटोरियम परिसर में विभाजन विभीषिका से सम्बन्धित लगायी गयी अभिलेख प्रदर्शनी का अवलोकन किया गया तथा उपस्थित सभी ने विभाजन विभीषित से प्रभावित हुए लोगों के लिए 02 मिनट का मौन रखा। इसके पश्चात् विभाजन विभीषिका से पीड़ित परिवार के परिवारिकजनों को सम्मानित किया गया, जिसमें महेश मेघानी, लालचन्द्र, रमेश राजपाल, बालचंद लालवानी, शांति प्रकाश पूरास्वानी, राजेन्द्र आडवाणी, दिलीप बालानी, सरदार दलजीत सिंह, मुरलीधर आहूजा, नरेश तकवानी, शामिल रहे, इसी प्रकार सिख वेलफेयर सोसाइटी के गुरविंदर सिंह छाबड़ा (प्रदेश अध्यक्ष), डॉ0 मनप्रीत सिंह भट्टी (प्रदेश महामंत्री), हरमिंदर सिंह बिंद्रा (प्रदेश उपाध्यक्ष), हरमिंदर सिंह पुनी (प्रदेश उपाध्यक्ष), चरणजीत सिंह, गगनदीप सिंह, गगन सोनी, जसबीर जुनेजा, गुरविंदर सिंह छाबडा (विक्की) शामिल रहे।
इस अवसर पर जिलाधिकारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि 14 अगस्त विभाजन विभीषिका दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि देश की आजादी के पश्चात् देश को दो भागों में विभाजित किया गया, जिसमें आबादी को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना था। विभाजन विभीषिका के दौरान काफी परिवार उससे प्रभावित हुये तथा लाखों लोगों की जान गयी, ऐसे प्रभावित हुये लोगों की स्मृति में विभाजन विभीषिका दिवस मानाया जाता है। उन्होंने कहा कि ऐसा विभाजन दोबारा न हो, इसके लिये हमे एक राष्ट्र की अवधारणा के साथ चलना है, हमे अपने अन्दर राष्ट्र प्रेम की भावना को जागाना होगा। उन्होंने कहा कि तुम यह न सोचो की देश तुम्हारे लिये क्या कर रहा है, तुम यह सोचो की देश के लिये तुम क्या कर रहे हो। हम सब को मिलकर देश को आगे बढाने में अपना योगदान देना है और देश में अमन, चैन कायम रखना है।
मा0 महापौर प्रमिला पाण्डेय ने अपने उद्बोधन में कहा कि विभाजन विभीषिका 14 अगस्त वह दिन है, जिसको भुलाया नही जा सकता, देश का किस प्रकार विभाजन हुआ और उसमें कितने परिवार प्रभावित हुये और इसमें सबसे ज्यादा सिख व पंजाबी समाज के लोग प्रभावित हुये उसका स्मरण कर जान गवानें वाले लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित कर उनको नमन करने का दिन है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक देशवासी के मन में देश प्रेम की भावना होनी चाहिये, आज का दिन राष्ट्र में एकता और भाईचारे के बंधन की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने का दिन है। इसलिये हम सब मिलकर वही कार्य करें, जो देश हित में हो।
मा0 विधायक सरोज कुरील ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर हम उन अनगिनत लोगों को याद करते है, जो विभाजन की भयावहता के कारण प्रभावित व पीड़ित हुये यह उनके साहस को नमन् करने का दिन है।
मा0 विधायक नीलिमा कटियार ने कहा कि देश के लिये यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाना पड रहा है। हमे आजादी कैसे मिली, इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ी, किसको चुकानी पडी और विभाजन कैसे हुआ इसकी जानकारी हमारे देश की युवा पीढ़ी को देनी होगी।
उन्होंने कहा कि विद्यालय के बच्चों को यह जानना आवश्यक है कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 1947 की दुखद घटनाओं और प्रभावित हुये लोगों की दृढता का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया जाये। 14 अगस्त विभाजन की मानवीय कीमत की याद दिलाता है जिसके कारण भारत के इतिहास में सबसे बडा सामूहिक पलायन हुआ, जिससे करोडो लोग प्रभावित हुये। इस विभाजन की पुनरावृत्ति देश में दोबारा न हो ऐसा लगातार प्रयास किया जाना चाहिये।
इस अवसर पर सिख समाज के महेश मेघानी व विक्की छाबडा ने अपने परिवार पर बीते हुये दर्द को भी साझा किया।
कार्यक्रम में मा0 मेयर प्रमिला पाण्डेय, मा0 विधायक कल्याणपुर नीलिमा कटियार, मा0 विधायक घाटमपुर सरोज कुरील, मा0 जिला पंचायत अध्यक्ष स्वप्निल वरुण, जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, अपर जिलाधिकारी (नगर) डॉ0 राजेश कुमार, अपर नगर आयुक्त मो0 आवेश सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

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केयर विद लव संस्था ने कराया मेहदी कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 14अगस्त भारतीय स्वरूप संवाद सूत्र सुभाष मिश्र केयर विद लव ने आर्य कन्या विद्यालय जूनियर हाईस्कूल रेल बाजार मे कराया मेहदी कार्यक्रम का आयोजन*..
इस कार्यक्रम मे केयर विद लव आयोजक व प्रबन्धक श्रीमती कल्पना मिश्रा ने विद्यालय के बच्चों संग मिलकर मेहंदी प्रति स्पर्धा के प्रति छात्राओं को उत्साहित किया। जिसमें सादिका प्रथम स्थान पर तशमिया द्वितीय स्थान तथा तसलीमा तृतीय स्थान पर रही साथ ही संस्था की सदस्य विजेता बाजपेई ने बच्चों को पुरस्कार वितरित किये संस्था की कार्यकारिणी सदस्य गुन्जन पान्डे ने कहा केयर विद लव स्थान बच्चों के बौद्धिक विकास व ऊज्वल भविष्य से सम्बन्धित कार्यक्रम समय समय पर करवाती है जिससे बच्चों मे जिम्मेदारी की भावना का विकास होता है।
प्रतियोगिता में विद्यालय की प्रधानाध्यापिका अपर्णा अवस्थी सहायक अध्यापिका शालिनी चौहान, प्रियंका देशपांडे और साक्षी  ने बच्चो का उत्साहवर्धन कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

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सुर सारथी के बैनर तले सजी गायकी के शौकीनों की महफिल

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर के काकादेव स्थित पकवान रेस्टोरेंट में नए पुराने गीतों के साथ संगीत की बेहतरीन महफिल सजी, जिसमे गायकी के शौकीनों ने अपनी कला से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया !
मुख्य अतिथि कानपुर यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर और मुस्कुराए कानपुर के ब्रांड एंबेसडर सुधांशु राय ने कार्यक्रम का शुभारम्भ माता सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर किया, सुर सारथी ने गायकी के शौकीनों को एक शानदार मंच उपलब्ध कराया!

आशीष अवस्थी के सफल संचालन तथा राजेंद्र और सुभाष के क्रमबद्ध और अनुशासनात्मक तरीके से गायक गायिकाओं को आमंत्रित करने की वजह से कार्यक्रम में चार चांद लग गए तथा कार्यक्रम के अंत तक मधुर स्वरों की गंगा बहती रही,
आरती, पूर्णिमा, रंजना, अंजली, सुषमा, अंजना, संगीता, प्रीति, मोनिका, संध्या, स्मिता, नीता, मनीष, रंजन, अतुल, अवधेश, अनिल, गिरीश, जीतू, आलोक, जितेंद्र, नीरज आदि ने अपने सुरों से माहौल खुशनुमा बना दिया।!

 

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दयानंद गर्ल्स कॉलेज द्वारा मेरी माटी मेरा देश – हर घर तिरंगा अभियान 2024 के अंतर्गत तिरंगा यात्रा रैली निकाल झंडों का वितरण किया

भारतीय स्वरूप संवाददाता राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर के द्वारा महाविद्यालय की एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी तथा जिला नोडल अधिकारी, कानपुर नगर डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में मेरी माटी मेरा देश – हर घर तिरंगा अभियान 2024 के अंतर्गत तिरंगा यात्रा रैली निकाली गई। इस रैली के दौरान लगभग 100 छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि नमामि गंगे विभाग, भाजपा, उत्तर प्रदेश के प्रदेश संयोजक श्री कृष्णा दीक्षित बड़े जी रहे। उनके साथ में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के जिला अध्यक्ष श्री अनूप चौधरी व फरहान भी रैली में सम्मिलित हुए। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता दिवस के पावन राष्ट्रीय पर्व पर हम देश के वीर बलिदानी शहीदों को याद करते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इस तिरंगा यात्रा के दौरान 50 झंडो का वितरण छात्राओं तथा जन- सामान्य को किया गया। सभी न एस एस वॉलंटियर्स ने उत्साह के साथ देशभक्ति के गीत गए, नारे लगाए व झंडे के साथ सेल्फी भी ली जिसे मेरी माटी मेरा देश व युवा पोर्टल पर अपलोड किया गया। संपूर्ण कार्यक्रम को सफल बनाने में एनएसएस वॉलिंटियर्स अंतरा कश्यप , श्रद्धा, सान्या,, सिमरन, बुशरा, इन्नमा, अदिति व चंचल का विशेष सहयोग रहा।

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भारत में महिलाएं और पुरुष 2023” नामक पुस्तिका का विमोचन

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने “भारत में महिलाएं और पुरुष 2023” शीर्षक वाली अपनी पुस्तिका का 25वां अंक जारी किया।

यह पुस्तिका एक व्यापक और अंतर्दृष्टिपूर्ण दस्तावेज है जो भारत में महिलाओं और पुरुषों की स्थिति के बारे में समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करने का प्रयास करता है और जनसंख्या, शिक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था में भागीदारी, निर्णय लेने में सहभागिता आदि जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर डेटा प्रदान करता है। यह जेंडर, शहरी-ग्रामीण विभाजन और भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर अलग-अलग डेटा प्रस्तुत करता है, जो महिलाओं और पुरुषों के विभिन्न समूहों के बीच विद्यमान असमानताओं को समझने में मदद करता है। पुस्तिका में विभिन्न मंत्रालयों/विभागों/संगठनों के प्रकाशित आधिकारिक डेटा से प्राप्त महत्वपूर्ण संकेतक शामिल हैं।

“भारत में महिलाएं और पुरुष 2023” न केवल लैंगिक समानता की दिशा में की गई प्रगति को रेखांकित करता है, बल्कि उन क्षेत्रों की भी पहचान करता है जहां महत्वपूर्ण अंतर बने हुए हैं। विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संकेतकों की जांच करके, पुस्तिका समय के साथ रुझानों का कुछ विश्लेषण प्रस्तुत करती है और इस प्रकार नीति निर्माताओं, शोधकर्ताओं और आम जनता को सूचित निर्णय लेने और जेंडर-संवेदनशील नीतियों के विकास में योगदान करने में मदद करती है।

यह रिपोर्ट भारत में महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए जनसांख्यिकीय परिवर्तनों और उनके निहितार्थों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। यह लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और यह सुनिश्चित करने की वकालत और कार्रवाई करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है कि विकास प्रयास समावेशी और टिकाऊ हों।

“भारत में महिलाएं और पुरुष 2023” मंत्रालय की वेबसाइट (https://mospi.gov.in/) पर उपलब्ध है।

पुस्तिका के कुछ मुख्य अंश इस प्रकार हैं:

  • 2036 तक भारत की जनसंख्या के 152.2 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है, महिला प्रतिशत 2011 के 48.5 प्रतिशत की तुलना में मामूली वृद्धि के साथ 48.8 प्रतिशत होगा। संभवतः प्रजनन क्षमता में गिरावट के कारण 15 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों का अनुपात 2011 की तुलना में 2036 में घटने का अनुमान है। इसके विपरीत, इस अवधि के दौरान 60 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी के अनुपात में अधिक वृद्धि होने का अनुमान है।

  • 2036 में भारत की जनसंख्या में 2011 की जनसंख्या की तुलना में स्त्रियों की संख्या अधिक होने की उम्मीद है, जैसा कि जेंडर अनुपात में परिलक्षित होता है, जिसके 2011 में 943 से बढ़कर 2036 तक 952 होने का अनुमान है। यह लैंगिक समानता में सकारात्मक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

 

  • यह स्पष्ट है कि 2016 से 2020 तक, 20-24 और 25-29 आयु वर्ग में आयु विशिष्ट प्रजनन दर क्रमशः 135.4 और 166.0 से घटकर 113.6 और 139.6 हो गई है। उपरोक्त अवधि के लिए 35-39 आयु के लिए एएसएफआर 32.7 से बढ़कर 35.6 हो गया है, जो दर्शाता है कि जीवन में व्यवस्थित होने के बाद, महिलाएं परिवार के विस्तार पर विचार कर रही हैं।
  • 2020 में किशोर प्रजनन दर निरक्षर आबादी के लिए 33.9 थी, जबकि साक्षर लोगों के लिए 11.0 थी। यह दर उन लोगों के लिए भी अत्यधिक कम है जो साक्षर हैं, लेकिन निरक्षर महिलाओं की तुलना में बिना किसी औपचारिक शिक्षा के (20.0) के हैं। यह तथ्य महिलाओं को शिक्षा प्रदान करने के महत्व पर फिर से जोर देता है।

  • मातृत्व मृत्यु दर (एमएमआर) एसडीजी संकेतकों में से एक है और इसे 2030 तक 70 तक लाया जाना एसडीजी ढांचे में स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है। सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण, भारत ने समय रहते अपने एमएमआर (2018-20 में 97/लाख जीवित शिशु) को कम करने का प्रमुख मील का पत्थर सफलतापूर्वक हासिल कर लिया है और एसडीजी लक्ष्य को भी हासिल करना संभव होना चाहिए।

  • शिशु मृत्यु दर में पिछले कुछ वर्षों में पुरुष और महिला दोनों के लिए कमी आ रही है। महिला आईएमआर हमेशा पुरुषों की तुलना में अधिक रही है, लेकिन 2020 में, दोनों 1000 जीवित शिशु पर 28 शिशुओं के स्तर पर बराबर थे। 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर के आंकड़ों से पता चलता है कि यह 2015 में 43 से घटकर 2020 में 32 हो गई है। यही स्थिति लड़के और लड़कियों दोनों के लिए है और लड़के तथा लड़कियों के बीच का अंतर भी कम हुआ है।
  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों की श्रम बल भागीदारी दर 2017-18 से पुरुष और महिला दोनों आबादी के लिए बढ़ रही है। यह देखा गया है कि 2017-18 से 2022-23 के दौरान पुरुष एलएफपीआर 75.8 से बढ़कर 78.5 हो गया है और इसी अवधि के दौरान महिला एलएफपीआर 23.3 से बढ़कर 37 हो गई है।
  • 15वें राष्ट्रीय चुनाव (1999) तक, 60 प्रतिशत से कम महिला मतदाताओं ने भाग लिया, जिसमें पुरुषों का मतदान 8 प्रतिशत अधिक था। हालांकि, 2014 के चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़कर 65.6 प्रतिशत हो गई और 2019 के चुनावों में यह और अधिक बढ़कर 67.2 प्रतिशत हो गई। पहली बार, महिलाओं के लिए मतदान प्रतिशत थोड़ा अधिक रहा, जो महिलाओं में बढ़ती साक्षरता और राजनीतिक जागरूकता के प्रभाव को दर्शाता है।

· उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने जनवरी 2016 में अपनी स्थापना के बाद से दिसंबर 2023 तक कुल 1,17,254 स्टार्ट-अप को मान्यता दी है। इनमें से 55,816 स्टार्ट-अप महिलाओं द्वारा संचालित हैं, जो कुल मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप का 47.6 प्रतिशत है। यह महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व भारत के स्टार्ट-अप इकोसिस्टम में महिला उद्यमियों के बढ़ते प्रभाव और योगदान को रेखांकित करता है।

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