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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के कैरियर काउंसलिंग सेल ने “अच्छे प्लेसमेंट की अनिवार्यताएं” पर एक व्याख्यान का आयोजन किया।

14 अगस्त 2023 को सुबह 10:00 बजे कॉलेज के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन सभागार में “अच्छे प्लेसमेंट की अनिवार्यताएं” पर एक व्याख्यान का आयोजन किया।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों के स्वागत के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुई।
कैरियर काउंसलिंग सेल की समन्वयक प्रो मीत कमल ने व्याख्यान के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. प्रभात द्विवेदी, प्रमुख, यूनिवर्सिटी प्लेसमेंट सेल, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी कानपुर थे। उन्होंने कहा कि छात्रों को कार्यस्थल पर सफल होने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें यह भी सीखना होगा कि टीम माहौल में कैसे काम करना है। कड़ी मेहनत और सीखने की इच्छा का कोई विकल्प नहीं है।
कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सचिव और प्रिंसिपल, प्रोफेसर जोसेफ डैनियल ने छात्रों से आग्रह किया कि वे हमेशा इस बात का स्पष्ट दृष्टिकोण रखें कि वे किस प्रकार का काम करना चाहते हैं। इससे उन्हें अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कार्य करने में मदद मिलेगी।
धन्यवाद ज्ञापन महाविद्यालय की छात्रा अंजलि सचान ने दिया। पूरे कार्यक्रम का सुसंचालन छात्रा अनुराधा शर्मा एवं वीर मूर्ति मल्होत्रा ​​ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात की राजधानी गांधीनगर में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास व लोकार्पण किया

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज गुजरात की राजधानी गांधीनगर में विभिन्न विकास कार्यों का शिलान्यास व लोकार्पण किया। कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी शामिल हुए।

अपने संबोधन में  अमित शाह ने कहा किआज  गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में कुल 1 हजार 52 करोड रुपये के कार्यों का लोकार्पण और शुभारंभ हुआ है। ये कार्य भारत सरकार और गुजरात सरकार के माध्यम से हुए हैं। उन्होने कहा कि गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में इन सभी विकास कार्यों के लिएप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का दिल से आभार व्यक्त करते हैं। श्री शाह ने कहा कि आज 792 परिवारो को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत खुद का घर मिला है,अब इन सभी को घर की चिंता से मुक्ति मिलेगी और वे अपने भविष्य को समृद्ध बनाने में जुटेंगे।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि रेवाबाई जनरल अस्पताल और सेठ  एन.एन.सार्वजनिक अस्पताल ऐसेहॉस्पिटल हैं जिनका उदेश्य लाभ कमाना नहीं है। आज रेवाबाई जनरल अस्पताल को नया बनाने की शुरुआत भी हो गई है। इसीतरह सेठ एन.एन पटेल सार्वजनिक कॉलेज की छह मंज़िला नई इमारत का भूमिपूजन और पूरे अस्पताल को नया बनाने की भी शुरुआतहुई हैा उन्होने कहा कि 25-50 वर्ष किसी संस्था को चलाना बहुत मुश्किल काम है और एक सार्वजनिक हॉस्पिटल चलनासबसे कठिन कार्य है।गृह मंत्री  ने अस्पताल के ट्रस्टियों  को इस भागीरथ कार्य के लिए शुभकामनायें देते हुए उनसे इस हॉस्पिटल को प्रधानमंत्री आयुष्यमान योजना के पैरामीटर में लाने का आग्रह किया जिससे गरीब से गरीब व्यक्ति भी बिना पैसे के अपना इलाज़ करवा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्यमान योजना में हॉस्पिटल को अपग्रेड और रजिस्टर्ड करावा देने से गरीब व्यक्ति के इलाज़ का खर्च प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हॉस्पिटल को भेज देंगे।

अमित शाह ने कहा किGIHED CREDAI द्वारा गांधीनगर के 150 आंगनवाड़ियों में शुरू की गई खिलौने वितरण की पहल अत्यंत सराहनीय है, इससे पूरे क्षेत्र के गरीब बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौटेगी। श्री शाह ने आज GUDA द्वारा नवनिर्मित उद्यान का लोकार्पण कर उसे जनता को समर्पित किया, इस उद्यान में बच्चों के खेलने से लेकर वृद्धजनों के टहलने तक की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि पूरे क्षेत्र में ऐसे अनेक उद्यानों का निर्माण किया जा रहा है।इससे स्थानीय लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। श्री शाह ने कहा कि आज गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र में कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अनेक सड़कों का निर्माण भी हो रहा है। श्री अमित शाह ने अपने लोकसभा क्षेत्र के रंधेजा से बालवा 4 लेन रोड के चौड़ीकरण के कार्य का भी शिलान्यास किया।

 

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केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने “वीमेन इन फोकस” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया:राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित भारतीय कला प्रदर्शनी में महिलाओं के निर्माण की कल्पना को दर्शाया गया है

केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने आज राष्ट्रीय संग्रहालय में आयोजित भारतीय कला प्रदर्शनी में महिलाओं के निर्माण की कल्पना को दर्शाती “वीमेन इन फोकस” प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 12 अगस्त, 2023 से (सोमवार और राष्ट्रीय छुट्टियों को छोड़कर) अजंता हॉल, प्रथम तल, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली में सुबह 10:00 बजे से शाम 6.00 बजे तक जनता के लिए खुली रहेगी।

यह प्रदर्शनी स्त्रियों के नजरिए से शक्ति, संरक्षण और धर्मनिष्ठता की बहुआयामी पारंपरिक धारणाओं के परीक्षण पर केंद्रित है। इन तीन संरचनाओं को पारंपरिक रूप से धार्मिक और ऐतिहासिक विचारों द्वारा जर्जर पुरुषत्‍व व्‍यवस्‍था से जोड़ा गया है। यह प्रदर्शनी ‘महिला की आवाज’ का प्रतिनिधित्व करने वाली भारतीय कला और इतिहास के अंतर-सांस्कृतिक विचारों को प्रस्तुत करती है। विभिन्न धार्मिक और सामाजिक प्रतिनिधित्वों में फैली हुई यह एक अद्वितीय दृश्य और भौतिक संस्कृति के वाहक के रूप में मूर्तियों, पांडुलिपियों, लघुचित्रों, आभूषण टेपेस्ट्री, अनुष्ठान पदार्थ और ताबीजों के माध्यम से में महिलाओं के प्रतिष्ठित प्रतिनिधित्व पर केंद्रित है।

 

प्रदर्शनी के उद्घाटन और वीमेन इन फोकस नामक कैटलॉग के विमोचन के अवसर पर श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने कहा कि इस तरह की प्रदर्शनियां महिलाओं और समाज तथा अर्थव्यवस्था के विकास में उनके महत्वपूर्ण योगदान का गुणगान करती हैं। ये जी-20 की भारत की अध्यक्षता के महत्वपूर्ण जनादेशों में से एक-समानता और महिलाओं के नेतृत्व में विकास के अनुरूप हैं। सुश्री लेखी ने भारत की शास्त्रीय कला और ऐतिहासिक ग्रंथों में प्रलेखित कई संदर्भों का उल्‍लेख किया, जो भारतीय समाज में महिलाओं की एक उत्साही और न्यायसंगत स्थिति का प्रमाण हैं। उन्होंने राष्ट्रीय संग्रहालय की प्रसिद्ध डांसिंग गर्ल और भारतीय कला में कई चित्रों और मूर्तियों का उल्लेख किया, जिसमें महिलाओं को लेखक, महावत, संरक्षक के अतिरिक्‍त देवी, नायिका और पोषणकर्ता के रूप में अधिक पारंपरिक रूप में चित्रित किया गया है। श्रीमती लेखी ने रानी अब्बक्का की वीरता को भी श्रद्धांजलि अर्पित की, जो एक दमनकारी शासन के खिलाफ खड़ी रही और वह आज तक एक प्रेरणा हैं।

स्त्री शक्ति को प्रकृति में द्वैतवादी के रूप में परिकल्पित किया गया है, जो परात्पर बुद्धि और शरीर के रूप में चित्रित किया गया है, जो महिलाओं की अपनी शारीरिक रूप में यात्रा और देवी पंथ के रूप में उनके दिव्य अस्तित्व के द्वारा दर्शाया गया है। इन दो विचारों को आपस में जोड़ा गया है और भारतीय विरासत में एक सर्वोपरि महत्व रखा गया है, जो मौखिक परंपराओं, साहित्य, दृश्य कला और दार्शनिक और अनुष्ठान प्रथाओं में नारीत्व के विविध निरूपण के माध्यम से परिलक्षित होता है। स्त्रीकेंद्रित विचारधारा,ग्रंथों, दृश्य रूपों, लोक कथाओं और अनुष्ठान प्रथाओं में पाई जाती है, जो मातृत्व, सर्वोच्च ज्ञान, करुणा और सुरक्षा, योग्यता, बहुतायत और शुद्धिकरण की अवधारणाओं को दर्शाती है। महिला शरीर के महत्व का आकलन करना, सौंदर्य की अवधारणा और स्त्री शरीर के अलंकरण का अभ्यास, अपने मूल अर्थ में, मातृत्‍व का एक हिस्सा है, जो महिलाओं को शरीर से मानव जीवन की स्त्री उत्पत्ति, मां के साथ संबंध को जोड़ता है। प्रश्रय की खोज का पता रानियों, राजकुमारियों और कहानियों की नायिकाओं द्वारा सौंपे गए साहित्यिक ग्रंथों और कला के माध्यम से लगाया जाता है, जो समाज में उनके सम्मानित श्रेणीबद्ध पद और उनके योगदान को दर्शाता है। प्रदर्शनी का समापन महिलाओं की भक्ति प्रथाओं के माध्यम से धार्मिक संबंधों और धार्मिक प्रवचनों दोनों के प्रति धर्मनिष्ठा की धारणा के साथ हुआहै। यह वस्तुएं सामूहिक रूप से एक ऐतिहासिक कथा को सामने लाती हैं जो सदियों से भारतीय चेतना का हिस्सा रही है। लगभग सौ वस्तुओं के प्रदर्शन के साथ, प्रदर्शनी में पूर्व-इतिहास, पुरातत्व, पांडुलिपि, नृविज्ञान, सजावटी कला, मध्य एशियाई पुरावशेष, पूर्व-कोलंबियाई और पश्चिमी कला, पेंटिंग, मुद्राशास्त्र, एपिग्राफी और आभूषण, और हथियार और कवच के संग्रह से उत्कृष्ट कृतियों पर प्रकाश डाला गया है।

‘वीमेन इन फोकस’ नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन समारोह राष्ट्रीय संग्रहालय द्वारा प्रकाशित दो अतिरिक्त प्रकाशनों की पुस्तक के विमोचन के साथ हुआ। पहली डॉ. बुद्ध रश्मि मणि और श्री सानिब कुमार सिंह की पुस्तक: बुद्ध, बौद्ध धर्म और बौद्ध कला का हिंदी अनुवाद और दूसरी संजीब कुमार सिंह और गुंजन कुमार श्रीवास्तव की सिंधु घाटी सभ्यता का परिचय नामक पुस्तक का तीसरा संस्करण है। राष्ट्रीय संग्रहालय के महानिदेशक डॉ. बीआर मणि ने संग्रहालयों की शैक्षिक भूमिका के महत्व के बारे में बात की और बताया कि कैसे इस तरह की प्रदर्शनियां भारतीय कला में महिलाओं को बढ़ावा देने में मदद करती हैं।

सिंधु-सरस्वती सभ्यता से शुरू होकर प्रसिद्ध डांसिंग गर्ल और मां और बच्चे हिंदू, जैन और बौद्ध परंपराओं में शास्त्रीय और मध्ययुगीन देवी पंथों की ओर बढ़ते हुए, देवी और शक्ति का प्रतिनिधित्व ऐसी विशिष्ट परंपराओं को जोड़ने वाला एक सामान्य मंच है। शाही शक्ति और संरक्षण का प्रतिनिधित्व मध्ययुगीन कला द्वारा किया जाता है, जिसे शाही दरबारों और परिवारों की महिला सदस्यों द्वारा अधिकृत किया जाता है। महिलाओं का प्रतिनिधित्व पूर्व-आधुनिक लोक प्रथाओं में भी पट्टचित्रवारली चित्रकलाऔर मातानिपचेडीव अन्‍य माध्‍यमों के द्वारा भी दिखाई देता है। प्रदर्शनी में प्राचीन से आधुनिक समय तक शक्ति, संरक्षण और धर्मपरायणता के पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है, जो भारत की सहस्राब्दियों में महिलाओं द्वारा निभाई गई मौलिक और प्रमुख भूमिका को प्रस्तुत करता है इस अवसर पर अपर महानिदेशक श्री आशीष गोयल ने धन्यवाद प्रस्ताव को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय संग्रहालय ऐसी कई प्रदर्शनियों को प्रदर्शित करने के लिए प्रतिबद्ध है और संस्कृति मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए ब्लूप्रिंट को पूरी तरह से लागू किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से ‘हर घर तिरंगा’ की भावना के साथ अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की डीपी बदलने को कहा

प्रधानमंत्री  मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की डीपी को तिरंगे में बदल दिया। उन्होंने सभी से #हर घर तिरंगा की भावना के साथ ऐसा करने को कहा।

राष्‍ट्र 13 से 15 अगस्त के बीच हर घर तिरंगा अभियान मना रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने ट्वीट किया:

“#हर घर तिरंगा अभियान की भावना में, आइए हम अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स की डीपी को बदलें और इस अनूठे प्रयास का समर्थन करें जो हमारे प्रिय देश और हमारे बीच के संबंध को और अधिक गहरा करेगा।

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केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा की उपस्थिति में इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023 के पूर्वावलोकन कार्यक्रम को संबोधित किया

भारत 2050 तक चिकित्सा प्रौद्योगिकी और उपकरणों के क्षेत्र में 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने के अनुमान के साथ वैश्विक केंद्र बनने के लिए पूर्ण रूप तैयार है। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने ‘इंडिया मेडटेक एक्सपो 2023’ के पूर्वावलोकन कार्यक्रम को संबंधित करते हुए दी। यह कार्यक्रम 17 से 19 अगस्त, 2023 तक गुजरात के गांधीनगर में जी-20 स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के दौरान आयोजित किया जाएगा। कार्यक्रम में उनके साथ केन्द्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा भी थे।

डॉ. मांडविया ने कहा कि चिकित्सा उपकरण क्षेत्र देश के उभरते क्षेत्रों में प्रमुख है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार देख को चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, ‘1.5 प्रतिशत की बाजार हिस्सेदारी के साथ हमें अगले 25 साल में भारत की बाजार हिस्सेदारी 10-12 प्रतिशत तक पहुंचने की आशा है।’ उन्होंने कहा कि ‘हाल ही में शुरू की गई राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2023 के प्रभावी कार्यान्वयन के साथ हम 2030 तक चिकित्सा उपकरणों के विकास को वर्तमान 11 बिलियन डॉलर से बढ़ाकर 50 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने के प्रति आश्वस्त हैं।’

डॉ. मांडविया ने कहा कि “पहले, हमने फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरणों सहित स्वास्थ्य क्षेत्र के विभिन्न क्षेत्रों को भंडार क्षेत्र में देखा था। मोदी सरकार ने भारत के स्वास्थ्य परिदृश्य को 2047 तक बदलने का समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गई उत्पादन से संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसी कई नई पहलों से देश में 43 महत्वपूर्ण सक्रिय दवा घटक (एपीआई) का उत्पादन किया जा रहा है। पहले इसका विदेशों से आयात किया जाता था। सरकार इस क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए देश में थोक दवा पार्क और चिकित्सा उपकरण पार्क भी बना रही है।

डॉ. मांडविया ने कहा कि मेडटेक एक्सपो 2023 चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं, दवाओं, उपकरणों और सुविधाओं में भारत के नवाचारों और उपलब्धियों को प्रदर्शित करेगा। उन्होंने बताया कि इस आयोजन से भारत के चिकित्सा उपकरणों के पारिस्थितिकी तंत्र के बारे में विश्व के अन्य देशों को भी जानकारी मिलेगी और यह एक ब्रांड पहचान कायम कर सकेगा।

केन्द्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार, स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने उद्योगों और मीडिया कर्मियों सहित सभी हितधारकों से आग्रह किया कि वे एक्सपो का दौरा करें और इस क्षेत्र में आ रहे परिवर्तन के साक्षी बनें।

फार्मास्युटिकल्स विभाग की सचिव श्रीमती एस अपर्णा ने कहा, “चिकित्सा उपकरण क्षेत्र आज सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में से एक है। चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण के लिए उद्योग को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इससे 37 अद्वितीय उत्पाद अब देश में ही निर्मित किये जा रहे हैं, ये पहले आयात किये जाते थे।

श्रीमती एस अपर्णा ने यह भी कहा कि ये नीतिगत हस्तक्षेप चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण और मांग दोनों पक्ष को पूरा करने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के लिए देश भर में चार नए औद्योगिक पार्कों का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण निर्यात संवर्धन परिषद की भी स्थापना की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि एक्सपो में भविष्य मंडप और एक अनुसंधान एवं विकास मंडप होगा और इसमें राज्यों, उद्योगों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों, शिक्षाविदों और अन्वेषकों की भागीदारी होगी।

पृष्ठभूमि:

इस क्षेत्र की पर्याप्त क्षमता का उपयोग करने और भविष्य के मार्ग पर मंथन करने के लिए सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय का फार्मास्यूटिकल्स विभाग ‘भारत: ‘उपकरण, निदान और डिजिटल का अगला मेडटेक वैश्विक हब’ विषय के साथ ‘इंडिया मेडटेक एक्सपो’ की मेजबानी कर रहा है।

एक्सपो में फ्यूचर पवेलियन, अनुसंधान और विकास पवेलियन, स्टार्ट-अप पवेलियन, राज्य पैवेलियन, नियामक पवेलियन और मेक इन इंडिया शोकेस सहित विभिन्न मंडप होंगे। इसमें 150 से अधिक लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग और अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माताओं, स्टार्ट-अप, नियामक एजेंसियां, राज्य सरकारों और केंद्रीय विभागों सहित 400 से अधिक भागीदार हिस्सा ले रहे हैं।

एक्सपो के दौरान 7 राज्य – मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और गुजरात मंडप स्थापित कर रहे हैं। इसमें एक्सपो में नवाचार और अनुसंधान और विकास का परिदृश्य दिखाने के लिए मंडप लगाए जायेंगे, इनमें 30 से अधिक कंपनियां नए अनुसंधान और नवाचारों का प्रदर्शन करेंगी। स्टार्ट-अप के लिए एक अलग मंडप भी होगा और इसमें 75 स्टार्ट-अप भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त फार्मास्यूटिकल्स विभाग, गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), भारतीय फार्माकोपिया आयोग (आईपीसी), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) और राष्ट्रीय मानक संगठन (बीआईएस) सहित चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए 7 नियामक एजेंसियां इसमें भाग ले रही हैं।

तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान विषयगत सम्मेलन सत्र आयोजित किए जाएंगे, इनका उद्देश्य ज्ञान की असीम संभावनाओं का पता लगाना, नवाचारों को प्रेरित करना और विभिन्न देशों की प्रतिभाओं के बीच संबंध ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में संबंध स्थापित करना है। ये सत्र वर्ष 2047 के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के उद्देश्य को देखते हुए बनाए गए हैं, एक ऐसा दृष्टिकोण है, जो मेडटेक क्षेत्र के लिए भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक है, जो न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में भी महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा।

इस कार्यक्रम का उद्देश्य है :

  • चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में नवीनतम प्रगति, चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के व्यवसायियों, विशेषज्ञों और नवप्रवर्तकों को एक मंच पर लाना।
  • प्रसिद्ध उद्योगपति और विशेषज्ञ चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में वर्तमान रुझानों और संभावनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा करेंगे।
  • सफल उत्पाद विकास और बाजार पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम नियामक दिशानिर्देशों और अनुपालन आवश्यकताओं पर उद्योगपतियों और नीति निर्माताओं के बीच चर्चा की जाएगी।
  • चिकित्सा उपकरण विकास, विनियमन और कार्यान्वयन में चुनौतियों और अवसरों के बारे में उद्योग विशेषज्ञों, नियामकों और स्वास्थ्य देखभाल चिकित्सकों के साथ चर्चा।

मुख्य रूप से 5 प्रमुख क्षेत्रों अफ्रीका, आसियान, कॉमनवेल्थ ऑफ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (सीआईएस), मध्य पूर्व और ओशिनिया के 50 देशों के कुल 231 विदेशी खरीदार अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता बैठक में भाग लेंगे। प्रोफ़ाइल के आधार पर, इन खरीदारों को मुख्य रूप से चार मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

1. स्वास्थ्य मंत्रालय के सरकारी अधिकारी – 55

2. चिकित्सा उपकरणों और उपकरणों के प्रमुख खरीदार और आयातक -111

3. खरीद एजेंसियां – 60

इस अवसर रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में संयुक्त सचिव (नीति) श्री रविन्द्र प्रताप सिंह, फिक्की के महासचिव श्री शैलेश के पाठक, उप महासचिव श्री मनाब मजूमदार सहित केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज कॉलेज में पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 131वीं जयंती पर राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस मनाया गया

कानपुर 12 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर ने कॉलेज के वेस्टकॉट सेंट्रल लाइब्रेरी में पद्मश्री डॉ. एसआर रंगनाथन की 131वीं जयंती पर राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस मनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई, इसके बाद पद्मश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए गए। पुस्तकालय समिति की समन्वयक प्रो. सुजाता चतुर्वेदी ने अतिथियों का स्वागत किया और समारोह के मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
लाइब्रेरियन डॉ. पारुल गुप्ता द्वारा पदमश्री डॉ. एस.आर. रंगनाथन के जीवन पर एक प्रस्तुति दी गई। उन्होंने कहा कि एस.आर. रंगनाथन (शियाली रामामृत रंगनाथन) का जन्म 9 अगस्त, 1892 को शियाली, मद्रास, भारत में हुआ था और उन्होंने 27 सितंबर, 1972 को बैंगलोर में अंतिम सांस ली। वह एक पुस्तकालयाध्यक्ष और शिक्षक थे, जिन्हें भारत में पुस्तकालय विज्ञान का जनक माना जाता है और उनके योगदान का दुनिया भर में प्रभाव था। पेशे के प्रति उनके नेक कार्यों को मान्यता देते हुए, उन्हें 1957 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
अध्यक्षीय भाषण कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सचिव और प्रिंसिपल, प्रोफेसर जोसेफ डैनियल द्वारा दिया गया, जिन्होंने छात्रों से पढ़ने और नियमित रूप से पुस्तकालय जाने की आदत विकसित करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि महाविद्यालय की समृद्ध लाइब्रेरी से विद्यार्थियों को लाभ होगा। उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय पुस्तकालय में अपने कार्यकाल के दौरान डॉ. रंगनाथन द्वारा बनाए गए पुस्तकालय विज्ञान के पांच नियमों पर भी प्रकाश डाला। ये कानून लाइब्रेरियनशिप के पेशे के लिए व्याकरण हैं।
इस अवसर पर निबंध प्रतियोगिता एवं कोलाज प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह से कार्यक्रमों में भाग लिया। प्रतियोगिताओं के परिणाम बाद में घोषित किये जायेंगे। धन्यवाद ज्ञापन अर्थशास्त्र विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकिता जैस्मीन लाल ने दिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

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हाथ से मैला ढोने की प्रथा को खत्म करने के लिए रोबोट ‘बैंडिकूट’ तकनीक

बैंडिकूट जैसे उत्पाद जिस आवश्यकता को पूरा करते हैं वह मैनहोल के तल पर जमा तलछट को हटाने तक सीमित है, जिसके कारण सीवर बंद पड़ सकता है तथा ऊपर से बहने लगता है। अतः स्थानीय निकायों को उपयुक्त मैनहोल डी-ग्रिटिंग मशीनें खरीदने की सलाह दी गई है, जिन्हें मैनहोल में प्रवेश किए बिना संचालित किया जा सकता है तथा समय-समय पर सफाई की उचित व्यवस्था भी की जा सकती है। समय-समय पर की जाने वाली डी-बिटिंग के साथ-साथ मैनहोल की आपातकालीन डी-ग्रिटिंग की आवश्यकता को स्थानीय रूप से आसानी से तैयार सरल मशीनों का इस्तेमाल करके भी पूरा किया जा सकता है। ये मशीनें बेहतर न सही परंतु सफाई कर्मचारियों के लिए सुरक्षा का एक समान स्तर सुनिश्चित करेगी।

शहरों को अपने मैनहोल तथा सीवरों के प्रबंधन हेतु सरल लागत प्रभावी यांत्रिक उत्पाद उपयोग करने की सलाह दी गई है।

एमएस अधिनियम, 2013 की धारा 33 के अनुसार, प्रत्येक स्थानीय प्राधिकारी अथवा अन्य एजेंसी द्वारा सीवरों और सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए समुचित तकनीकी उपकरण का उपयोग किया जाना अपेक्षित है। सरकार को वित्तीय सहायता, प्रोत्साहनों और अन्य सुविधाओं के माध्यम से आधुनिक प्रौद्योगिकी के प्रयोग को संवर्धित करना होगा।

हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के रूप में नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास नियमावली, 2013 (एमएस नियमावली, 2013)” के अनुसार नियोक्ता द्वारा सुरक्षा गीयर, उपकरण उपलब्ध कराना और नियमावली में निर्धारित सुरक्षा सावधानियों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य है।

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय वाले ने सीवरों तथा सेप्टिक टैंकों की सफाई के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) जारी की है। इसके अलावा, निम्नलिखित सुनिश्चित करने के लिए नमस्ते स्कीम देश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में कार्यान्वित की जा रही है

  • भारत में स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु दर ।
  • संपूर्ण स्वच्छता कार्य कुशल कर्मचारियों द्वारा किया जाना है।
  • कोई भी सफाई कर्मचारी मानव मल के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं आना चाहिए।
  • पंजीकृत तथा कुशल स्वच्छता कर्मचारियों से सेवाओं की चाह रखने वाले स्वच्छता के इच्छुक (व्यक्तियों एवं संस्थान) लोगों के मध्य जागरूकता का संवर्द्धन करना।
  • पंजीकृत सफाई सेवाओं के सुरक्षित वितरण को सुनिश्चित करने के लिए एमरजैंसी रिस्पांस सेनीटेशन यूनिट (ईआरएसयू) का सुद्धीकरण तथा क्षमता निर्माण ।
  • सफाई उद्यम चलाने तथा मशीनों की उपलब्धता के माध्यम से सफाई कार्यों के मशीनीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए सफाई कर्मचारियों का सशक्तीकरण।

यह स्कीम मशीनी उपस्करों के साथ सुरक्षित सफाई सुनिश्चित करने और सीवरों तथा सेप्टिक टैंक सफाई कर्मचारियों की गरिमा में वृद्धि करने के लिए सीवर तथा सेप्टिक टैंक कर्मचारियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण, सुरक्षा गीयर तथा एबी-पीएमजेएवाई के अंतर्गत स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराकर उनके ज्ञान व कौशल को भी बढ़ाती हैं।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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भारत के 140 करोड़ से अधिक नागरिकों को राहत प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार खुले बाजार में 50 एलएमटी गेहूं और 25 एलएमटी चावल उपलब्ध कराएगी

भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ई-नीलामी के माध्यम से बिक्री के लिए खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) [ओएमएसएस (डी)] के तहत 50 एलएमटी गेहूं और 25 एलएमटी चावल चरणबद्ध तरीके से खुले बाजार में उपलब्ध कराएगा। एफसीआई द्वारा चावल की पिछली 5 ई-नीलामी के अनुभव को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि आरक्षित मूल्य में 200 रुपये/क्विंटल की कमी की जाएगी और प्रभावी मूल्य अब 2900 रुपये/क्विंटल होगा। आरक्षित मूल्य में होने वाली कमी की लागत, उपभोक्ता कार्य विभाग के मूल्य स्थिरीकरण कोष से वहन की जाएगी।

7.8.2023 तक एक साल में गेहूं की कीमतें खुदरा बाजार में 6.77 प्रतिशत और थोक बाजार में 7.37 प्रतिशत बढ़ गई हैं। इसी तरह, चावल की कीमतों में खुदरा बाजार में 10.63 प्रतिशत और थोक बाजार में 11.12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

देश के 140 करोड़ से अधिक नागरिकों के हित को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने उपलब्धता बढ़ाने, बाजार की कीमतों में वृद्धि को कम करने तथा खाद्य महंगाई दर को नियंत्रित करने के लिए ओएमएसएस (डी) के तहत निजी कंपनियों को गेहूं और चावल की पेशकश करने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि केन्द्र सरकार 1 जनवरी, 2023 से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) के तहत अपनी प्रतिबद्धता के अनुरूप एनएफएसए लाभार्थियों को उनकी पात्रता के अनुसार निःशुल्क खाद्यान्न भी उपलब्ध करा रही है।

ओएमएसएस (डी) के तहत स्टॉक को समय-समय पर विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपलब्ध कराया जाता है। इस उद्देश्यों में शामिल हैं – अतिरिक्त स्टॉक का निपटान, खाद्यान्न की ढुलाई लागत को कम करना, गैर-मौसम की अवधि में और आपूर्ति की कमी वाले क्षेत्रों में खाद्यान्न की आपूर्ति बढ़ाना और बाजार की कीमतों में कमी लाना शामिल है। कैलेंडर वर्ष 2023 में एफसीआई के माध्यम से भारत सरकार निर्धारित आरक्षित कीमतों पर चरणबद्ध तरीके से गेहूं और चावल उपलब्ध करा रही है।

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देश में चार और छह लेन के राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा किए गए चार छह लेन कार्यों का राज्य-वार विवरण अनुबंध में दिया गया है। आम तौर पर मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर राज्यों में परियोजनाएं अपनी अन्य निष्पादन एजेंसियों जैसे राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और विभिन्न राज्य लोक निर्माण विभागों (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से निष्पादित की जाती हैं। त्रिपुरा में 2026 करोड़ रु. की कुल पूंजी लागत से लगभग 25 किमी का एक कार्य एनएचआईडीसीएल द्वारा कार्यान्वयन के अधीन है।

मंत्रालय को राज्यीय राजमार्गो (एसएच) सहित अन्य राज्य सड़कों को नए राष्ट्रीय राजमार्गो के रूप में घोषित / उन्नयन करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्रों से प्रस्ताव प्राप्त होते रहते हैं। राज्यीय राजमार्गों सहित राज्य सड़कों को समय-समय पर सुस्थापित सिद्धांतों के आधार पर राष्ट्रीय राजमार्गों के रूप में घोषित किया जाता है। राष्ट्रीय राजमार्गो की घोषणा के लिए महत्वपूर्ण मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं:-

  1. पूरे देश से गुजरने वाली सड़कें।
  2. निकटवर्ती देशों, राष्ट्रीय राजधानी को राज्यों की राजधानियों / पारस्परिक रूप से राज्यों की राजधानियों, प्रमुख बंदरगाहो, गैर-प्रमुख बंदरगाहों, बड़े औद्योगिक केंद्रों या पर्यटन केंद्रों को जोड़ने वाली सड़के।
  3. पहाड़ी और दूरस्थ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता वाली सड़कें।
  4. सड़क मार्ग, जिनसे यात्रा की दूरी काफी कम होती है और पर्याप्त आर्थिक विकास प्राप्त किया जा सकता है।
  5. सड़कें, जो पिछड़े क्षेत्र और पहाड़ी क्षेत्र के अधिकतर इलाकों में संपर्कता उपलब्ध कराने में सहायक होती है।
  6. 100 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग ग्रिड की उपलब्धि में योगदान देने वाली सड़कें।
  7. पीएम गतिशक्ति नेशनल मास्टर प्लान (एनएमपी) के अनुरूप सड़कें।

मंत्रालय एनएच की घोषणा के मानदंडों की पूर्ति, संपर्कता की आवश्यकता, पारस्परिक प्राथमिकता और निधियों की उपलब्धता के आधार पर समय-समय पर राज्यीय राजमार्गों (एसएच) सहित को एनएच घोषित करने पर विचार करता है। कुछ राज्य सड़कों को एनएच घोषित करने पर विचार करता है।

एनएचएआई द्वारा किए गए चार/छह लेन कार्यों का राज्य वार विवरण

क्रम संख्या राज्य/संघ राज्य क्षेत्र का नाम कार्यों की कुल संख्या कुल लंबाई (किलोमीटर में) कुल पूंजीगत लागत (करोड़ रुपये में)
1 आंध्र प्रदेश 23 514 16832
2 असम 10 220 7100
3 बिहार 24 1033 37375
4 छत्तीसगढ़ 6 250 6427
5 गुजरात 20 724 15535
6 हरियाणा 22 656 27363
7 हिमाचल प्रदेश 8 160 8703
8 झारखंड 11 410 12539
9 कर्नाटक 25 1179 36460
10 केरल 19 583 50458
11 मध्य प्रदेश 25 820 17000
12 महाराष्ट्र 45 1967 50488
13 ओडिशा 18 722 15845
14 पंजाब 23 816 31352
15 राजस्थान 19 623 14864
16 तमिलनाडु 34 963 32545
17 तेलंगाना 11 374 10829
18 उत्तर प्रदेश 46 1684 63612
19 उत्तराखंड 14 257 12827
20 पश्चिम बंगाल 7 405 10358
21 दिल्ली 6 70 8664
22 जम्मू और कश्मीर 16 340 24855

 

यह जानकारी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में दी।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ), कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

“प्रधानमंत्री मोदी वैश्विक जलवायु आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में भारत के नेतृत्व में काम करने के लिए तैयार है- जबकि चिंता का विषय यह है कि कोविड जैसी महामारियों की कोई सीमा नहीं है, और नहीं वे किसी प्रकार की सम्पदा या अन्य कृत्रिम मानव विभाजन का सम्मान करती हैंI यह बात डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज तब कही जब पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज यहां नई दिल्ली में  उनसे मुलाकात की।

पीएचडी चैंबर – ऊर्जा संक्रमण नवाचार चुनौती (एनर्जी ट्रांज़िशन इनोवेशन चैलेंज – ईएनटीआईसीई) के लिए एक ऐसा उद्योग भागीदार है, जो लोगों के लिए सकारात्मक ऊर्जा परिवर्तनों में तेजी लाने का एक नवाचार मंच है। चैंबर ने सरकार, शिक्षा और उद्योग के बीच अंतर को पाटने के लिए हरित (ग्रीन) हाइड्रोजन में एक अत्याधुनिक ज्ञान सुविधा केंद्र (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन ग्रीन हाइड्रोजन-सीओई-जीएच) भी स्थापित किया है। इस केंद्र का लक्ष्य क्षमता निर्माण के लिए साझेदारी को सुविधाजनक बनाना है। इस केंद्र का उद्देश्य सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एसएमई) क्षेत्र की सहायता करने का है जो हरित ऊर्जा परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में एक नया व्यवसाय शुरू करने में भी रुचि रखता है। यह केंद्र भारत में इस प्रकार की एकमात्र सुविधा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने पीएचडीसीसीआई से वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद – राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनसीएल) और केंद्रीय विद्युत रसायन अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीईसीआरआई) ने पुणे स्थित एक सॉफ्टवेयर बहुराष्ट्रीय कंपनी केपीआईटी  लिमिटेड  के साथ  सहयोग से विकसित भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का व्यावसायिक उपयोग करने का आह्वान किया। हाइड्रोजन ईंधन सेल बस का पिछले साल अगस्त में डॉ. जितेंद्र सिंह ने वाणिज्यिक उपयोग के लिए उद्घाटन  किया था।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, भारत देश में समग्र नवीकरणीय ऊर्जा आरई क्षमता में 5 गुना वृद्धि की परिकल्पना के साथ विश्व में सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) विस्तार कार्यक्रम लागू कर रहा है।

उन्होंने कहा कि “भारत वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 500 गीगावॉट की  स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त  करने और अब से 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध है।”

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध  भारत  के संघर्ष के सभी  साक्षी हैं । उन्होंने  आगे जोड़ा कि “हमने 2030 पेरिस समझौते के लक्ष्य से बहुत  पहले ही  नवीकरणीय स्रोतों से 40 प्रतिशत ऊर्जा उत्पादन की अपनी प्रतिबद्धता पूरी कर ली है।”

उन्होंने कहा कि सौर एवं जलविद्युत स्रोतों से नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देने के अलावा, प्रधान मंत्री ने 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से हाइड्रोजन ऊर्जा में प्रमुख प्रगति की घोषणा की थी । भारत ने लागत प्रतिस्पर्धी हरित हाइड्रोजन उत्पादन  को सक्षम करने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा मिशन भी शुरू किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत की ऊर्जा-मिश्रण रणनीतियों में स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों की ओर बड़ा बदलाव, विनिर्माण क्षमता में वृद्धि, ऊर्जा उपयोग दक्षता और उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन सहित हाइड्रोजन के लिए नीतिगत प्रोत्साहन शामिल है । उन्होंने जोर देकर कहा कि अब इसके अतिरिक्त 2जी इथेनॉल पायलट, उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के लिए सुविधाजनक  जलवायु बॉक्स, हाइड्रोजन वैलीज़, ऊष्मीकरण एवं प्रशीतन (हीटिंग एंड  कूलिंग) की वर्चुअल रिपॉजिटरी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां अब सुगमता से उपलब्ध हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने जैव-आधारित अर्थव्यवस्था के लिए एक रोडमैप के साथ ही एक ऐसी रणनीति विकसित की है जो वर्ष 2025 तक 150 अरब (बिलियन) अमेरिकी डॉलर की ओर बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे कम कार्बन वाले जैव-आधारित उत्पादों के जैव-विनिर्माण के लिए बुनियादी ढांचे की सुविधा मिलेगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि भारत सरकार सार्वजनिक- निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से मिशन नवाचार (इनोवेशन) 2.0 के अंतर्गत  स्वच्छ ऊर्जा नवाचारों के लिए वित्त पोषण सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप भारत को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा विकास में अपना योगदान प्रदर्शित करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने में सक्षम है I  साथ ही उन्होंने कुछ प्रमुख सीईएम पहलों का उल्लेख किया, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय (सीईएम) सेटअप का वैश्विक प्रकाश व्यवस्था चुनौती (ग्लोबल लाइटिंग चैलेंज -जीएलसी) अभियान, सडकों के किनारे प्रकाश व्यवस्था का राष्ट्रीय कार्यक्रम (स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम) और  सभी के लिए लागत प्रभावी कम मूल्य की एलईडी के माध्यम से उन्नत ज्योति (उजाला) कार्यक्रम के अतिरिक्त एक सूर्य- एक विश्व-एक ग्रिड (वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड)  पहल भी  शामिल है जिसे  पहली बार भारत के प्रधानमंत्री द्वारा सौर ऊर्जा की जबरदस्त क्षमता का दोहन करने के लिए शुरू किया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत, “मिशन इनोवेशन” के माध्यम से, प्रेरक नवाचार लक्ष्यों को उत्प्रेरित करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि   मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, ग्रीन इंडिया और स्मार्ट सिटीज जैसी राष्ट्रीय मिशन पहलों ने पूरे देश में स्वच्छ ऊर्जा नवाचार के केंद्रों को प्रोत्साहित किया है। मंत्री महोदय  ने कहा कि इसके साथ ही, भारत ने एकीकृत तरीके से प्लास्टिक के एकल उपयोग (सिंगल यूज प्लास्टिक)  के लिए कम कार्बन विकल्प विकसित करने के उद्देश्य से  अनुसंधान एवं विकास पहल भी शुरू की है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री  मोदी ने नवंबर, 2021 में ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (यूएनएफसीसीसी) में सम्बन्धित पक्षों के सम्मेलन (सीओपी26) के 26वें सत्र में भारत की जलवायु कार्य योजना के पाँच अमृत तत्वों (पंचामृत) को दुनिया के सामने प्रस्तुत करकेअपनी जलवायु कार्य योजना को तेज करने की बात कही थी। उन्होंने कहा किभारत के लिए पंच -आयामी लक्ष्य और 2070 तक सकल (नेट) -शून्य उत्सर्जन के प्रति प्रतिबद्धता के अतिरिक्त , प्रधानमन्त्री मोदी ने एक स्थायी जीवन शैली का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा बिरादरी द्वारा उठाए गए साहसिक कदमों के माध्यम से वैश्विक मिशन ‘पर्यावरण के लिए जीवन शैली’ (एलआईएफई) बनाने के विचार पर भी जोर दिया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत जलवायु कार्रवाई की दिशा में अपने लक्ष्यों जैसे- 2030 तक 500 गीगावॉट की गैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता तक पहुंचना; 2030 तक 50 प्रतिशत ऊर्जा आवश्यकताओं को नवीकरणीय ऊर्जा के माध्यम से पूरा करने ; 2030 तक काबन डाइऑक्साइड (सीओ2)  उत्सर्जन में 1 अरब (बिलियन टन की कमी) लाने; 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत से कम करने और 2070 तक शुद्ध -शून्य उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने के  मार्ग को प्रशस्त करने इत्यादि को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा कि आज जब भारत अपनी स्वतन्त्रता का 75वां वर्ष मना रहा है, तब ऐसे में इंडिया@100 के लिए अगले 25 वर्षों का रोडमैप जीवन के सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक और तकनीकी नवाचारों द्वारा निर्धारित किया जाएगा ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमन्त्री मोदी की पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया और इस साल को अंतरराष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में मनाया जा रहा हैI आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के साथ, सरकार स्वास्थ्य देखभाल सुरक्षा को एक नए आकांक्षात्मक स्तर पर ले जा रही है। यह दुनिया का ऐसा सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है जो 50 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को लक्षित करता है।

इस सब के अतिरिक्त, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत आज विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और पिछले नौ वर्षों में देश में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई लगभग 59 प्रतिशत बढ़ गई है। इस विस्तार के परिणामस्वरूप भारत के पास अब संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है। साथ ही स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत  सरकार ने केवल पांच वर्षों में ही स्वच्छता कवरेज को 2014 के 39 प्रतिशत से बढ़ाकर 2019 तक 100 प्रतिशत करने का असंभव कार्य भी पूरा कर लिया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत  देश के सभी जिलों में 10.28 करोड़ शौचालय बनाए गए तथा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि के रूप में 2 अक्टूबर, 2019 को देश ने स्वयं को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया। यह दुनिया का सबसे बड़ा व्यवहार परिवर्तन कार्यक्रम है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘जल जीवन मिशन (जेजेएम) – हर घर जल’ विश्व  की सबसे बड़ी पेयजल परियोजना है। जब अगस्त 2019 में यह  कार्यक्रम शुरू किया गया था, तब हम 17 प्रतिशत पर थे और आज जेजेएम ने देश के 12.75 करोड़ (65.75 प्रतिशत) से अधिक ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित करने का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

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