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महिला जगत

शिक्षक दिवस के अवसर पर सेंटर फॉर प्रोफेशनल एडवांसमेंट द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पुरस्कार आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, 5 सितम्बर शिक्षक दिवस के अवसर पर सेंटर फॉर प्रोफेशनल एडवांसमेंट (IMRF Regd with Govt of India NITI Aayog) की एक इकाई, द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक दिवस पुरस्कार का आयोजन किया गयाl इस अवसर पर शिक्षक और अनुसन्धान के क्षेत्र मे शिक्षाविद, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ प्रीति को राजनीति विज्ञान और दलित व वनवासी अधिकारों के क्षेत्र में निरंतर महत्वपूर्ण योगदान व दलित और वनवासी अधिकारों की आवाज़ बुलंद करने के लिए डॉ. राधाकृष्णन बेस्ट फैकल्टी अवार्ड इन सोशल इशूज एंड दलित राइट्स से सम्मानित किया गया l इस सन्दर्भ मे बात करते हुए डॉ. प्रीति ने कहा कि वह खुद को भाग्यशाली मानती है कि उन्हें शिक्षा के साथ साथ दलित और वनवासियों की आवाज़ उठाने के लिए शिक्षक दिवस जैसे अवसर पर डॉ राधाकृष्णन अवार्ड से सम्मानित किया गया, डॉ प्रीति का मानना है की भारत के विकास मे समाज के पिछड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करना और राजनीती मे उनके योगदान को समाज के समक्ष लाना वास्तव मे ना सिर्फ दिलचस्प है अपितु आवश्यक भी है l

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लखनऊ जनपद के 75 शिक्षाविद सम्मानित

लखनऊ 5 सितंबर, शिक्षक दिवस के उपलक्ष पर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लखनऊ जनपद के 75 शिक्षाविदों को सम्मानित किया गया पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय लखनऊ से डॉ0अखिलेश सिंह विभागाध्यक्ष भौतिक विज्ञान, डॉ0 सील धर दुबे विभागाध्यक्ष शारीरिक शिक्षा ,डॉ प्रज्ञा मिश्रा विभागाध्यक्ष,गणित विभाग एवं डॉ नेहा जैन विभागाध्यक्षसमाज शास्त्र विभाग शिक्षक सम्मान 2021 प्रदान किया गया कार्यक्रम में उच्च शिक्षा मंत्री एवं उप मुख्यमंत्री के रूप में माननीय दिनेश शर्मा जी, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति महोदय प्रमुख रूप से उपस्थित रहे

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एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज द्वारा मिशन शक्ति के तहत बालिकाओं के स्वास्थ्यवर्धन एवम पोषण के प्रति जागरूकता पर व्याख्यान आयोजित

 कानपुर 5 सितंबर, एस ऍन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएशन कॉलेज द्वारा मिशन शक्ति – फेज ३ अभियान में प्रथम शनिवार को बालिकाओं के स्वास्थ्यवर्धन एवम पोषण के प्रति जागरूकता पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया साथ ही परामर्श सत्र को भी आयोजन किया गया। महाविद्यालय के गृहविज्ञान विभाग को असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मोनिका शुक्ला ने बालिकाओं को पोषण के सम्बन्ध में जागरूक करते हुए बताया की किस प्रकार वे अपने तथा अपने आस-पास के व्यक्तियों के खान-पान के प्रति जागरूक रह सकती हैं और उन्हें संतुलित भोजन के लाभ भी बता सकती है। साथ ही साथ परामर्श सत्र में छात्रों को उनकी अनेक आशंकाओं के निवारण के लिए भी उत्साहित किया गया। इस कारिक्रम में महाविद्यालय में मिशन शक्ति प्रभारी एवम ऍन एस एस प्रभारी डॉ चित्रा सिंह तोमर ने छात्राओं को खान-पान के प्रति जागरूक रहने के सम्भन्ध में निर्देशित किया।

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दोस्त व्यस्त मतलब दोस्ती अस्त

किसी ने मुझसे पूछा ..दोस्ती कैसी होनी चाहिये ? हर इक इन्सान का हर बात के लिये अपना अलग नज़रिया होता है।
“ मेरा सवाल करना और तेरा जवाब न आना ..तुम्हारे शहर में ये होता होगा ,जहां तक हम जानते हैं दोस्ती का ये रिवाज हमारे शहर में तो नहीं “ सोचने की बात तो है ये दोस्तों! “दोस्त भी हो और व्यस्त भी हो !

सुनिये जनाब !
दोस्ती मे व्यस्त मतलब दोस्ती का अस्त “
अक्सर लोग ऐसा ही सोचते है। मगर सच मे अगर दोस्ती हो तो इन्सान दूसरे की व्यस्तता को समझता है।
मेरे विचार मे दोस्ती मे पवित्रता का होना बेहद लाज़मी है, क्योंकि पवित्रता और मित्रता का संगम ही है दोस्ती ।
हर रिश्ते की तरह दोस्ती की भी इक मर्यादा होती है ।दोस्त वही है जो उस मर्यादा का सम्मान कर सके ।बहुत बार दोस्ती खोने की बडी वजह मर्यादा की उलंघना ही होती है ।
दोस्ती करना आसान होता है
पर निभानी बहुत मुश्किल।
दोस्ती हालातों के बदलते कभी बदलती नही..पहली मुलाक़ात से शुरू हो कर आख़िरी साँस तक चले ,वो है दोस्ती ।
इक अच्छा दोस्त आप की पीठ के पीछे भी आप को किसी की नज़रों में गिरने न देगा और हर आलोचना से आप को बचायेगा भी..।

आज के दौर में लोग एक दूसरे से फ़ेसबुक पर बात करते हैं और कितने दोस्त भी बन जाते जिनसे कई बार हम कुछ सिखते है या वो हमसे।दोस्त अगर अच्छे हो तो यकीनन किसी को डिप्रेशन जैसी कोई चीज नहीं हो सकती।

किसी से अगर दोस्ती हो तो ये मतलब नहीं कि उनमें प्रेम ही होता है दोस्ती भी कई तरह की होती है कुछ दोस्त औपचारिकता वश,कुछ लोभ वश,कुछ जिज्ञासा वश ,कुछ सिर्फ़ वक़्त काटने के लिये ही ,कुछ प्यार वश और कई लोग दोस्ती दिमाग से करते है ..तो कुछ दिल से।
दिल से की गई दोस्ती ही दोस्ती होती है जहां कोई ग़रज़ नहीं ,
गिला शिकवा नहीं ,परख नहीं ,अहंकार नहीं होता।चाहे आप बरसो बाद भी मिलो या कभी फ़ोन पर बात भी न हो मगर फिर भी प्यार व दोस्ती बनी रहे।दूरियों के बाद भी जो क़ायम रहे ..वहीं है असल दोस्ती

कुछ लोग प्रेम और दोस्ती को एक ही नाम दे देते है ।प्रेम सिर्फ़ एक से ही होता है मगर दोस्ती बहुतों से हो सकती है ।दोस्ती और प्रेम मे बस इतना ही फ़र्क़ होता है प्रेमी कहता है अगर तुम नहीं तो मैं ज़िन्दा नही रह पाऊँगा .. और दोस्त कहता है .. “जब तक मैं ज़िन्दा हूँ न “तुम्हें कुछ होने नही दूँगा ।

दोस्त तो बहुत मिलेंगे मगर
सवाल दोस्ती का नहीं इक विश्वास का है
पवित्र मन का मालिक ही असल मे दोस्ती के क़ाबिल होता है।दोस्तों अगर आप के पास एक भी ऐसा अच्छा दोस्त है तो यकीनन आप क़िस्मत के धनी है।

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कल होगा सर्किट हाउस में महिला जन सुनवाई का आयोजन

कानपुर 31 अगस्त, उ0प्र0 राज्य महिला आयोग की मा0 सदस्य श्रीमती पूनम कपूर ने बताया है कि कल दिनांक 01 सितम्बर, 2021 प्रातः 10 बजे सर्किट हाउस में महिला जन सुनवाई का आयोजन मिशन शक्ति फेस-3 के अन्तर्गत किया जायेगा। उन्होंने बताया है कि महिला जन सुनवाई में घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीडन, मारपीट व अन्य महिलाओं से उत्पीडन संबंधी प्रकरणों को सुनते हुये उनका यथाशीघ्र निस्तारण किया जायेगा। उन्होंने कहा है कि महिला जन सुनवाई में कोई भी पीडित महिला अपनी समस्या को प्रस्तुत कर सकती है। इस महिला जन सुनवाई में महिला आयोग की मा0 सदस्य श्रीमती रंजना शुक्ला भी उपस्थित रहकर महिलाओं की समस्याओं को सुनेगी।
उन्होंने बताया है कि महिला जन सुनवाई में प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के हितों में संचालित विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों की जानकारी भी दी जायेगी। महिला जन सुनवाई में पुलिस विभाग से संबंधित अधिकारी, जिला प्रोबेशन अधिकारी, महिला थानाध्यक्ष तथा वन स्टॉप सेन्टर की प्रभारी अधिकारी भी उपस्थित रहेगी। उन्होंने कहा है कि इस महिला जनसुनवाई में पीडित महिलायें आवश्यक रुप से उपस्थित होकर अपनी समस्याओं को रख कर इस अवसर का लाभ प्राप्त कर सकती है।

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रक्षाबंधन के अवसर पर शहर आये लोगों को बांधा रक्षा सूत्र

कानपुर। रोट्रेक्ट क्लब कानपुर स्टार और खुशी फाउंडेशन द्वारा संचालित राधे राधे रसोई में रक्षाबंधन के अवसर पर उन भाइयों, अंकल को रोट्रेक्ट और इंटरैक्ट क्लब कानपुर स्टार की सदस्यों ने हैंडमेड राखी बांधी जो परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए शहर आए। भाई-बहन के इस पवित्र दिन भी घर से दूर है, आज उनको अहसास कराने की हम बहनें है यहाँ पर और हम लोगों के रहते आप लोगों की कलाई, माथा सूना नहीं रहेगा, मन भर आया जब माथे पर टीका और राखी बाँधने के उपराँत क्या छोटे,बड़े भाइयों, अंकल पैर छू कर आशीर्वाद ले रहे थे या जुग जुग जिओ आशीर्वाद दे रहे थे। कुछ भाइयों ने शगुन भी दिया। बिहारी जी से यहीं प्रार्थना की कि कोई भाई का माथा, कलाई सूनी ना रहे। कोई बहन आज के दिन भाई को राखी बाँधने के लिए थाली सजाए इंतजार ना करे, ये राखियाँ रोट्रेक्टर, इंटेरेक्टर साथियों ने कई दिन की मेहनत से बनाई थी जिसमें उनका परिवार भी शामिल था और बहुत से राखियाँ दिव्यांग डेवलपमेंट सोसाइटी के बच्चों ने बेस्ड मैटीरियल से बनाई थी। आज भी 125 राधाकृष्ण भक्तों को भोजन प्रसाद सेवा की। इस अवसर पर रो सुशील चक, राजीव अग्रवाल, गौरव तिवारी, दीपक अग्रवाल, शशिकांत शर्मा, मनप्रीत कालरा, हुनर कालरा, हरसिमरन कौर,संचालि मिश्रा, जुबैर अहमद, अमित सक्सेना, स्नेहा, शिवांगी मिश्रा, सैय्यद मोहम्मद निमान, विनीता अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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वित्‍त वर्ष 2022 में आसियान को भारत का निर्यात 46 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान : अनुप्रिया पटेल

केंद्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍य मंत्री सुश्री अनुप्रिया पटेल ने विदेश मंत्रालय और वाणिज्‍य विभाग के सहयोग से इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) द्वारा आयोजित ‘भारत-आसियान इंजीनियरिंग भागीदारी शिखर सम्‍मेलन’ का उद्घाटन किया। आज का शिखर सम्‍मेलन इंजीनियरिंग क्षेत्र में सहयोग पर केंद्रित रहा। यह शिखर सम्‍मेलन इंजीनियरिंग व्‍यापार और निवेश में भारत-आसियान भागीदारी के संबंध में भारतीय उद्योग की साझेदारी के लिए महत्‍वपूर्ण मंच प्रस्‍तुत करता है। यह मंच इंजीनियरिंग के साथ ही साथ व्‍यापारिक वस्‍तुओं के निर्यात, दोनों के संदर्भ में सरकार द्वारा निर्धारित अभूतपूर्व निर्यात लक्ष्‍य को हासिल करने का माध्‍यम भी बनेगा।

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उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सुश्री अनुप्रिया पटेल ने सबसे बड़े व्यापारिक भागीदारों में से एक आसियान के साथ शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए ईईपीसी इंडिया को बधाई दी। सुश्री पटेल ने कहा कि व्यापार, भारत और आसियान के लिए विकास का महत्वपूर्ण वाहक है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यात व्यापारिक वस्‍तुओं के निर्यात का एक-चौथाई हिस्सा है और यह सभी निर्यात क्षेत्रों में से सबसे ज्‍यादा विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाला है तथा पिछले कुछ वर्षों से इंजीनियरिंग निर्यात का प्रदर्शन शानदार रहा है। भारत के ग्‍लोबल इंजीनियरिंग शिपमेंट में आसियान की 15 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है और वर्ष 2021-22 के दौरान  लगभग 16 बिलियन डॉलर के निर्यात के लक्ष्य के लिए इस क्षेत्र पर मुख्‍य रूप से ध्‍यान केंद्रित किए जाने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि आसियान भारतीय निर्यात के लिए सबसे बड़े गंतव्यों में से एक है, इ‍सलिए वित्तीय वर्ष 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के वैश्विक निर्यात लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में 46 बिलियन डॉलर के निर्यात लक्ष्य के साथ यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा। आसियान, एक क्षेत्र के रूप में यूरोपीय संघ और उत्तरी अमेरिका के बाद भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। आसियान के सदस्य देशों में से सिंगापुर और मलेशिया भारतीय इंजीनियरिंग उत्पादों के लिए प्रमुख निर्यात गंतव्य हैं।

सुश्री पटेल ने अपने संबोधन में कहा कि भारत और आसियान दोनों के पास कुशल लोग, सुदृढ़ सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों का बड़ा हिस्सा है तथा व्‍यापक सहयोग के लिए कई अन्योन्याश्रित क्षेत्र और उत्पाद उपलब्ध हैं। लगभग 5.8 ट्रिलियन डॉलर की मिश्रित अर्थव्यवस्था के साथ भारत और आसियान के बीच व्यापार और निवेश भागीदारी को बढ़ाने की महत्वपूर्ण संभावना मौजूद है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारत को और भी आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए अनेक उपाय किए हैं। सुश्री पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 400 बिलियन डॉलर के व्यापारिक वस्‍तु निर्यात का लक्ष्य रखा है और इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए एक योजना की भी परिकल्पना की है। ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के एक भाग के रूप में निवेश को आकर्षित करने और भारत की विनिर्माण क्षमताओं को संवर्धित करने के लिए सरकार ने हाल ही में इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, सौर मॉड्यूल, विशेषकर इस्‍पात, ऑटोमोबाइल और चिकित्सा उपकरणों सहित 13 क्षेत्रों को शामिल  करते हुए 26 बिलियन डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के सहयोग से आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय भारत-आसियान इंजीनियरिंग भागीदारी शिखर सम्मेलन में भारतीय उद्योग जगत के 300 से अधिक प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है। आसियान देशों के प्रतिनिधि भी बड़ी संख्या में शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। शिखर सम्मेलन में बी 2 बी बैठकें, बातचीत आदि भी शामिल होंगे। विषय संबंधी सत्रों में देश के सत्र और उद्योग 4.0 जैसे सहयोग के उभरते क्षेत्रों, क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखला में एमएसएमई का एकीकरण सहित विविध विषयों को शामिल किया जाएगा। तमिलनाडु सरकार इस आयोजन में “भागीदार राज्‍य” के रूप में जबकि हरियाणा सरकार “फोकस राज्‍य” के रूप में शामिल होगी।

यह वर्ष दोनों भागीदारों के लिए खास है क्योंकि यह भारत-आसियान संवाद साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ और रणनीतिक साझेदारी के 10 वर्ष पूरे होने का प्रतीक है।

उद्घाटन सत्र के दौरान इंजीनियरिंग और एमएसएमई क्षेत्र पर जोर देते हुए भारत-आसियान व्यापार और निवेश पर एक ई-बुक भी लॉन्च की गई। इस पुस्तक में द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ाने के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया है तथा यह भारत और दस आसियान देशों के बारे में विस्तृत जानकारी भी प्रदान करती है।

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अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर योगी की सर्जिकल स्टाइक

उत्तरप्रदेश मे योगी सरकार द्वारा दो ही बच्चे अच्छे नारे के साथ लाये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून ने मानों अराजक तत्वों और धर्म की राजनीति करने वाले सभी आकाओं की नींद उड़ा दी l आये दिन इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक समूह को न सिर्फ विकास से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उन्हें वास्तविकता से भी दूर रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है l परन्तु वास्तव में ये भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना कितना जरूरी है
इसी विषय पर उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री मोहिसन रजा ने कहा कि ‘ जनसंख्या नियत्रंण कानून से समाज कल्याण होगा’। हमें एक देश एक कानून एक बच्चा पर काम करना चाहिए
“हम मुस्लिम समाज को ऊपर बढ़ाना चाहते हैं टोपी से टाई तक ले जाना चाहते है, लेकिन बाकि विरोधी दल ये चाहते हैं कि ये लोग पंक्चर लगाते रह जाए। इनका विकास न हो, जब से हम सरकार में आए है तब से ही शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, अलग-अलग जगह पर स्कूल खोले जा रहे है। शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता तक बेहतर सुविधाए पंहुचाने के लिए जनसख्या कानून जरूरी है”
मोहिसन रज़ा द्वारा कही गई ये बात उस वास्तविकता को बताती है जिसे नज़रअंदाज़ ना तो किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए l लेकिन जब कभी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून बनाती है तो अक्सर देश में इस मुददे पर प्रारंभ होने वाले वैचारिक विमर्श को कुछ लोगों द्वारा एक हक छीनने जैसी प्रतिक्रिया मिलती है। ऐसा लगता है जैसे उनके निजी जीवन पर हमला किया गया हो। कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक रंग चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटते और जरूरी मुददों के प्रति जागरूकता को लेकर समाज को भटकाने का प्रयास करते है।
जनसंख्या की द्ष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, एवं जनघनत्व के मामले में भी भारत काफी उपर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि एवं अन्य संसाधनों पर काफी दबाव महसूस किया जाता रहा है। मसलन जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव किस तरह पड़ता है इसे समझना जरुरी है l किसी भी देश की जनसंख्या को घटाने या बढ़ाने में मुख्यतः दो कारक प्रमुख होते है, जब जन्म दर, मुत्यु दर से अधिक हो तो जनसंख्या में वृद्धि आती है। दूसरा यदि दूसरे देशों से आने वालों की संख्या विदेश जाने वाले लोगों की संख्या से अधिक होगी तो जनसंख्या में वृद्धि होगी एवं विपरीत स्थिति में जनसंख्या में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की द वल्र्ड पापुलेशन प्रोस्पोट्स 2019 हाईलाइट्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आंकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इस अवधि में भारत में युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद होगी l लेकिन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी l बढ़ती आबादी किसी देश के विकास के लिए कितनी घातक होंगी इसका भान शायद गाँधी जी को पहले से ही पता था इसी लिए उन्होंने कहा था कि प्रकृति के पास लोगो की अवश्यक्ताओ को पूरा करने के लिए परिपूर्ण संसाधन है परन्तु बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण संसाधनों की कमी से बचने का एकमात्र तरीका है ताकि भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी ना हो l
किसी भी देश कि स्थिरता उस देश की आर्थिक स्थिति के द्वारा सुनिश्चित होती है, परन्तु एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याए जुड़ी रहती है। इसका उदहारण यह है कि वर्तमान में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह गरीबी और अभाव, अपराध, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। बढ़ती आवश्यकताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहने किया जा रहा है जिसके परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो रहे है। जनसंख्या वृद्धि को जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण के लिये भी दोषी माना जा रहा है l ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का सबसे गंभीर प्रभाव पर्यावरण पर ही देखा गया है l
यूपी की जनसंख्या पर योगी प्लान
विगत कई वर्षो से भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुददा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न सगंठनों तथा प्रभुद्ध लोगों ने इससे संबधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया l
इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इससे संबधित अधिनियम पारित करें। जिसक अंतर्गत हालही में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट पेश किया l इस ड्राफ्ट के अंतर्गत अब यूपी में 2 से ज्यादा बच्चों के होने पर उत्तरप्रदेश के किसी भी निवासी को किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा l सरकारी नौकरियों में मौका भी नहीं मिलेगा, स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक होंगी और राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
यूपी विधि आयोग ने कहा कि पास होने के 1 साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा और हत्सोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम किया जाएगा किसी विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा।
बच्चा एक फायदे अनेक
कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को अनेक फायदे मिल पांएगें l 1 बच्चे के बाद नसबंदी कराने पर स्वास्थ्य सुविध होगी. एकल बच्चा लड़का है तो 80 हजार रूपये की मदद मिलेगी और अगर एकल बच्चा लड़की है तो 1 लाख रूपए दिए जाएंगे, साथ ही बच्चे के 20 साल का होने तक बीमा कवरेज होगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले पर बच्चे को फायदा मिलेगा। सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को प्राथमिकता मिलेगी और एक बच्चा लड़की हो तो ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्ष दी जाएगी। सबसे ज्यादा आबादी का राज्य की जनसंख्या 23 करोड़ है l यूपी में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अभी 2.2 प्रशित अधिक है। आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में पारित हुई थी जिसमें जन्म दर 2.7 प्रशित का 2026 तक 2.1 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी l
विरोधजीवियों के द्वारा इस प्रगतिशील कानून पर हल्ला उठाना वास्तव में उनकी निम्न मानसिकता और त्रुटिपूर्ण राजनीति का उदाहरण है l बाहरहाल हमें यह समझना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक राज्य की समस्या ना होकर संपूर्ण भारत की समस्या है जिसका निवारण भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए  – प्रीती राठौर

लेखिका शिवाजी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप ने एक अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया है जो ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत में विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं प्रदान करेगा

महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप एस्ट्रम ने एक अभिनव वायरलेस उत्पाद विकसित किया है जो टेलीकॉम ऑपरेटरों को उपनगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाली विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं देने में मदद करेगा। यह फाइबर की कीमत के कुछ हिस्से में ही फाइबर की बैंडविड्थ प्रदान करता है।

भारत जैसे देशों में दूरदराज के स्थानों तक इंटरनेट पहुंचना मुश्किल है क्योंकि फाइबर बिछाना बहुत महंगा है। वायरलेस बैकहॉल उत्पादों की आवश्यकता है जो कम लागत, उच्च डेटा क्षमता और व्यापक पहुंच प्रदान कर सकें। वर्तमान में उपलब्ध, वायरलेस बैकहॉल उत्पाद या तो पर्याप्त डेटा गति या आवश्यक सीमा प्रदान नहीं करते हैं या उन्हें लगाना बहुत महंगा है।

गीगा मेश नामक वायरलेस उत्पाद दूरसंचार ऑपरेटरों को 5 गुना कम लागत पर गुणवत्ता, उच्च गति वाले ग्रामीण दूरसंचार बुनियादी ढांचे को तैनात करने में सक्षम बना सकता है। ग्रामीण संपर्क ग्राहक और रक्षा क्षेत्र के ग्राहक जिन्होंने पहले ही इस उत्पाद के लिए साइन अप कर लिया है, जल्द ही एस्ट्रम द्वारा इस उत्पाद के प्रदर्शन का गवाह बनेंगे।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बैंगलोर में इस स्टार्टअप को तैयार किया गया है और इसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप प्रोग्राम द्वारा समर्थन प्राप्त है। इस स्टार्टअप ने अपने मिलीमीटर-वेव मल्टी-बीम टेक्नोलॉजी को 2018 में लैब में प्रमाणित किया था जिसके लिए कंपनी को भारत और अमेरिका में पेटेंट दिया गया है। तब सेप्रौद्योगिकी को गीगा मेश नामक एक शक्तिशाली और स्केलेबल उत्पाद में बदल दिया गया है, जो हमारे देश के आखिरी छोर तक कनेक्टिविटी टेलीकॉम जरूरतों का बहुत कुछ हल कर सकता है। उत्पाद ने खुद को अपने क्षेत्र में साबित किया है और इसके आगामी व्यावसायीकरण के लिए भागीदार उत्पादों के साथ भी एकीकृत किया गया है।

 

एस्ट्रम में सह-संस्थापक और सीईओ डॉ. नेहा साटक ने कहा, “भारतीय विज्ञान संस्थान ने निवेशकों के साथ जुड़ने में मदद करने, व्यावसायिक सलाह प्रदान करने और हमारे उत्पाद क्षेत्र के परीक्षणों को संचालित करने के लिए हमें जगह देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।”  उन्होंने यह बात डीएसटी-एबीआई महिला स्टार्टअप पहल के तहत सप्ताह भर की यात्रा के अनुभव को याद करते हुए की जिसने अमेरिकी बाजार में लॉन्च के लिए तैयार करने के लिए यूएस वीसी इकोसिस्टम से बहुमूल्य जानकारी प्रदान की।

एस्ट्रम को कनेक्टिविटी में मोस्ट प्रॉमिसिंग इनोवेटिव सॉल्यूशन के लिए आईटीयू एसएमई अव़ॉर्ड भी मिला। यह इस उत्पाद के लिए इंटरनेशनल टेलीकम्यूनिकेशन यूनियन से मिली एक प्रमुख पहचान है। उन्हें ईवो नेक्सस नामक एक प्रतिष्ठित 5-जी त्वरक कार्यक्रम (क्वालकॉम द्वारा प्रायोजित) द्वारा भी चुना गया जो उन्हें वैश्विक बाजार में अपने उत्पाद को लॉन्च करने में मदद करेगा।

मल्टी-बीम ई-बैंड उत्पाद गीगा मेश, एक में 6 पॉइंट-टू-पॉइंट ई-बैंड रेडियो पैक करता है जिससे डिवाइस की लागत कई लिंक पर वितरित होती है और इसलिए पूंजीगत व्यय कम हो जाता है। रेडियो प्रत्येक लिंक पर लंबी दूरी और मल्टी-जीबीपीएस डेटा थ्रूपुट प्रदान करता है। स्वचालित लिंक अलाइनमेंट, लिंक के बीच गतिशील बिजली आवंटन, और दूरस्थ लिंक गठन जैसी विशेषताएं ऑपरेटरों को महत्वपूर्ण परिचालन व्यय लागत में कमी लाने में मदद करती हैं।

एस्ट्रम वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्वविद्यालय परिसर) में एक क्षेत्र परीक्षण कर रहा है। इस फील्ड ट्रायल में कंपनी ने पहले ही कैंपस में मल्टी-जीपीएस स्पीड पर डेटा स्ट्रीमिंग हासिल कर ली है।

अधिक जानकारी के लिए डॉ. नेहा साटक (neha@astrome.co) से संपर्क किया जा सकता है।

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एस्ट्रोम सीईओ और इंजीनियरिंग निदेशक आईईईई टेक्नॉलजी स्टार्टअप अव़ॉर्ड 2020 प्राप्त करते हुए।

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के कैंपस में कनेक्टिविटी ट्रायल्स के लिए लगे गीगा मेश की तस्वीर।

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बरसाना में लठमार होली क्यों होती है – मीनाक्षी शर्मा

**जिस समय कंस का अत्याचार बहुत ज्यादा बढ़ गया था बृषभान बाबा गोकुल जाकर नंद बाबा को अपने पास बुला लाए । वहां आकर नंदबाबा ने ब्रज की पहाड़ियों पर नंद गांव बसा लिया और जहां तक भी श्री वृषभानु जी का राज्य था प्रथम तो वहां राक्षस आते नहीं थे और अगर

कोई आ जाता था तो श्री जी की कृपा से गोपी भाव में आ जाता था!

**बरसाने की लट्ठमार होली संपूर्ण जगत में नारी सशक्तिकरण का अनूठा प्रमाण है नंदगांव बरसाने की यह प्रेम पगी परंपरा आज भी चली आ रही है स्वयं श्री कृष्ण ठाकुर जी ने बरसाना व अष्ट सखियों के गांवों की गोपियों को इकट्ठा करके श्री पूर्णमासी प्रोतानि जी की देख रेख में गोपियों का दल बनाया पूर्णमासी प्रोतानी ने स्वयं गोपियों को लाठी चलाना सिखाया!

**स्वयं श्री ठाकुर जी ने गोपियों को उद्दत करते हुए कहा था कि हे गोपियों हम नंद गांव से आएंगे तुम अगर हमारे ऊपर लाठियों की बौछार कर देती हो तो हम यह मान लेंगे कि हमारी अनुपस्थिति में तुम राक्षसों (कंस के सैनिकों ) को मारकर ढेर कर सकती हो बरसाने की लट्ठमार होली का मूल उद्देश्य यही है!

** कैसा देश निगोड़ा जग होरी और बृज में होरा ,बरसाना की होरी वैसे ही होरा नहीं है किसी कवि ने कहा है कि फागुन में रसिया घरवारी ,ब्रज बरसाना में ग्वाल बाल रसिया नहीं होते हैं होरी में ब्रज की गोपी ही सही मायने में रसिया होती है!

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