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महिला जगत

अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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धरती को रखना हरा भरा जीवन धर्म हमारा

कानपुर 5 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में एक ऑनलाइन विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वन संरक्षण हेतु चिपको आंदोलन को प्रणेता अमृता देवी को स्मरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कानपुर विश्वविद्यालय भूगोलवेत्ता संघ के अध्यक्ष डॉ. जी एल श्रीवास्तव पूर्व प्राचार्य अरमापुर पीजी कॉलेज व पूर्व विभागाध्यक्ष डी ए वी कॉलेज कानपुर रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में हरित घर की संकल्पना बताते हुए 5 मुख्य मुद्दों- वृक्षारोपण, जल संरक्षण, कचरे के वर्गीकरण निस्तारण एवं चक्रण, पॉलिथीन मुक्त पर्यावरण लिए इकोब्रिक्स बनाकर विभिन्न उपयोगी सामग्री बनाने के लिए उनका प्रयोग करने व जीव-जंतु संरक्षण तथा ऊर्जा की बचत की ओर छात्राओं को उन्मुख व अभिप्रेरित किया। इस अवसर पर महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. सुनंदा दुबे ने अपने व्याख्यान में बताया कि इस बार के पर्यावरण दिवस का होस्ट स्वीडन देश है तथा इसका थीम *ओन्ली वन प्लेनेट* है। जिसका अर्थ है- केवल एक पृथ्वी ही है जो हमारा घर है। अतः हमें उसे अपने व्यक्तिगत छोटे-छोटे प्रयासों के द्वारा बचाना है ताकि पृथ्वी पर जीवन सुरक्षित रह सके। उन्होंने अपने व्याख्यान में वेदो का भी उल्लेख किया जिनमें संपूर्ण जैव- जगत, जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, पेड़-पौधों आदि को देव स्वरूप मानकर पूजा करना मनुष्य का धर्म बताया गया था। यह सब पर्यावरण संरक्षण के ही उपाय है। इस अवसर पर छात्राओं के द्वारा चित्रकला प्रदर्शनी, स्लोगन राइटिंग व वृक्षारोपण- एक व्यक्ति एक पेड़ आदि भी किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की चीफ प्रॉक्टर डॉ अर्चना वर्मा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष तथा प्राध्यापिकाएं विशेष रूप से डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ पूजा श्रीवास्तव व डॉ अर्चना दीक्षित आदि उपस्थित रही।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष में रैली व साइकिल रेस आयोजित

कानपुर 3 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा विश्व साइकिल दिवस के उपलक्ष में एक रैली व साइकिल रेस का आयोजन कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के नेतृत्व में किया गया। प्राचार्य प्रो. सुनंदा दुबे ने हरी झंडी दिखाकर रैली का शुभारंभ किया तथा छात्राओं को अपने व्याख्यान में बताया कि यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली द्वारा हर साल 3 जून को यह दिवस मनाया जाता है। आज ही के दिन साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय साइकिल दिवस घोषित किया गया था। इसका प्रस्ताव अमेरिका के मोंटगोमरी कॉलेज के प्रोफेसर लेस्जेक सिबिल्सकी ने दिया था। डॉ अर्चना दीक्षित ने बताया कि इसका उद्देश्य लोगों को साइकिल चलाने के फायदों के प्रति जागरुक करना है।साइकिल चलाना सिर्फ पर्यावरण के लिहाज से ही नहीं बल्कि हमारी सेहत के लिहाज से भी बहुत फायदेमंद है। इस अवसर पर एनएसएस की वॉलिंटियर्स की सक्रिय सहभागिता सराहनीय रही।

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राष्ट्रीय महिला आयोग ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर परामर्श का आयोजन किया

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने ‘एनआरआई विवाहों में परित्यक्त महिलाओं को न्याय के लिए अंतरराष्ट्रीय पहुंच: नीति एवं प्रक्रिया संबंधी अंतर’ विषय पर एक परामर्श कार्यक्रम का आयोजन किया ताकि एनआरआई पतियों द्वारा परित्यक्त भारतीय महिलाओं को राहत प्रदान करने के लिए सभी संबंधित हितधारकों को एक प्‍लेटफॉर्म पर साथ लाया जा सके और एनआरआई वैवाहिक मामलों से निपटने में आने वाली चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जा सके।

एनआरआई वैवाहिक मामलों में आने वाली वास्तविक चुनौतियों एवं तकनीकी मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए आयोग ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, गैर सरकारी संगठनों और संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों जैसे पुलिस, भारतीय दूतावासों/ विदेश में मिशनों, क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालयों, राष्ट्रीय/ राज्य / जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण आदि से विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। परामर्श को तीन तकनीकी सत्रों में विभाजित किया गया था: ‘एनआरआई/ पीआईओ से विवाहित भारतीय महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं की पहचान’, ‘न्याय तक पहुंच: भारतीय न्‍याय प्रणाली में चुनौतियों का सामना’ और ‘विदेश में न्याय तक पहुंच: विदेशी न्‍याय प्रणाली में चुनौतियां’। सत्र का संचालन महिला संसाधन एवं वकालत केंद्र, चंडीगढ़ के कार्यकारी निदेशक डॉ. पाम राजपूत,  हरियाणा के डीआईजी (महिला सुरक्षा) आईपीएस सुश्री नाजनीन भसीन और एनआरआई के लिए पंजाब राज्‍य आयोग के पूर्व चेयरमैन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राकेश कुमार गर्ग ने किया। एक खुली परिचर्चा के तहत विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए। परिचर्चा के दौरान विभिन्न राज्यों के शिकायतकर्ताओं ने भी अपने अनुभव साझा किए। पैनलिस्टों द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण सुझावों में एनआरआई मामलों से निपटने वाली एजेंसियों/ पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना, दूतावासों द्वारा संकटग्रस्त महिलाओं के मामले को प्राथमिकता के आधार पर उठाना, पीड़ितों के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन स्थापित करना और उन्हें विदेश कार्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के बारे में सूचित करना शामिल था। विशेषज्ञों ने तलाक, भरण-पोषण, बच्‍चों की परवरिश, उत्तराधिकार आदि के मामलों से संबंधित विदेशी अदालत द्वारा पारित आदेशों के पीड़ित महिलाओं पर प्रभाव के बारे में भी चर्चा की। साथ ही इस बात पर भी गौर किया गया कि भारतीय कानूनी व्‍यवस्‍था के मौजूदा प्रावधानों के तहत किस प्रकार ऐसी महिलाओं को राहत प्रदान की जा सकती है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य इस विचार-विमर्श के जरिये पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाने की दिशा में प्रभावी कानूनी उपाय करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

 

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राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के नई दिल्ली कैंपस की स्नातक प्रदर्शनी का आयोजन

राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के नई दिल्ली कैंपस की स्नातक प्रदर्शनी कल निफ्ट, दिल्ली में आयोजित की गई। ‘पूर्वावलोकन’ शीर्षक वाले इस कार्यक्रम में 2022 की कक्षा के स्नातक कार्यों के शानदार विवरण के साथ अनावरण किया गया। एक प्रभावशाली प्रदर्शनी में स्नातक परियोजनाओं ने रचनात्मकता और नवीनता को प्रदर्शित किया। फैशन प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से आयोजित “क्रिएटिंग टेक्नोप्रीनर्स, टेक्नो समिट- 2022” उद्योग संगोष्ठी के तहत प्रौद्योगिकी में उद्यमिता को रेखांकित किया गया।

वस्त्र मंत्रालय के सचिव श्री उपेन्द्र प्रसाद सिंह इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। युवा स्नातकों के साथ बातचीत में श्री सिंह ने छात्रों से अपने लिए चुनिंदा क्षेत्रों में शानदार करियर बनाने के दौरान निफ्ट में निर्मित उत्कृष्टता की परंपरा को बनाए रखने का आह्वान किया।

वहीं, निफ्ट के महानिदेशक श्री शांतमनु ने छात्रों को आगे बढ़ने को लेकर एक प्रेरक स्थान प्रदान करने के लिए शिक्षकों को बधाई दी। वहीं, दिल्ली कैंपस की निदेशक- निफ्ट, आईआरएस श्रीमती मनीषा किन्नू ने युवा स्नातकों को उनके पाठ्यक्रम के सफल समापन पर बधाई दी। इस प्रदर्शनी में उन्होंने स्नातक करने वाले छात्रों के साथ बातचीत की। उन्होंने आगे युवा मस्तिष्कों से अपने नए करियर में नैतिक व सचेत रहने और “निफ्ट के ध्वज को ऊंचा रखने” का अनुरोध किया।

कोविड-19 महामारी के दौरान संस्थान ने अध्यापन और शिक्षण के नए तरीकों को अपनाया, जिससे इस कठिन समय में भी छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ सुनिश्चित किया जा सके। कैंपस ऑनलाइन शिक्षण मोड को आगे बढ़ाया गया और शिक्षकों ने अपनी ओर से उत्कृष्ट प्रयास किए, जिससे छात्र अपने घर की सीमा से ही अपनी पूरी क्षमता के साथ इन तक पहुंच सकें। इस कार्यक्रम में शिक्षकों और स्नातक छात्रों के प्रयासों को प्रदर्शित किया गया और उद्योग व अकादमिक क्षेत्र की ओर से समान रूप से बहुत प्रशंसा और मान्यता प्राप्त हुई।

इस प्रदर्शनी में विभिन्न क्षेत्रों के उद्योग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। इनमें इको टसर से श्री खितिज पंड्या, डिवाइन डिजाइन की सुश्री अंजलि कालिया, ट्रिबर्ग से श्री संजय शुक्ला, पीएंडजी एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड से श्री मनोज तुली, माइन ऑफ डिजाइन की ओर से श्रीमती प्रतिमा पाण्डेय, श्री गौरव गुप्ता, श्री जॉय मित्रा व श्रीमती अंबर परिधि, दा मिलानो से श्री साहिल मलिक, अल्पाइन अपैरल्स प्राइवेट लिमिटेड से श्री संजय लीखा सहित अन्य लोगों ने हिस्सा लिया। विशिष्टताओं के अलावा इस प्रदर्शनी में उद्योग के लिए तैयार और व्यापक अवधारणाओं से जुड़ी रियल टाइम परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया। कुछ परियोजनाओं ने उद्योग विशिष्ट मुद्दों के लिए तकनीकी-युग समाधान प्रदान करने का प्रयास किया। वहीं, अन्य परियोजनाओं ने नवाचार संचालित प्रक्रियाओं और तकनीकों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।

भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना वर्ष 1986 में की गई थी। अपनी स्थापना के बाद से ही निफ्ट ने फैशन शिक्षा में एक मानक स्थापित किया, जो डिजाइन, प्रबंधन और प्रौद्योगिकी के एक प्रमुख संस्थान के रूप में सामने आ रही है। निफ्ट, पेशेवर रूप से प्रबंधित 17 कैंपस के एक नेटवर्क के जरिए तकनीकी क्षमता के साथ रचनात्मक प्रतिभा के अपने अद्वितीय एकीकरण सहित अकादमिक मानकों को स्थापित करता है और विचार नेतृत्व में उत्कृष्टता प्राप्त करता है। निफ्ट अधिनियम, 2006 ने संस्थान को डिग्री और अन्य शैक्षणिक विशिष्टताओं को प्रदान करने का अधिकार दिया है।

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राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति, श्री राम नाथ कोविंद ने तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया। सम्मेलन का आयोजन केरल विधानसभा ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत किया है। सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब राष्ट्र स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के अंतर्गत हम पिछले एक साल से अधिक समय से स्मारक कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। विभिन्न समारोहों में लोगों की उत्साहपूर्ण भागीदारी, अतीत से जुड़ने और अपने हित में, हमारे गणतंत्र की नींव को फिर से खोजने के उनके उत्साह को दर्शाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे स्वतंत्रता आंदोलन की गाथा में महिलाओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक शोषक औपनिवेशिक शासन की बेड़ियों से आजाद होने के भारत के प्रयास बहुत पहले ही शुरू हो गए थे, और सबसे पहले 1857 में हमें इसकी अभिव्यक्ति देखने को मिलती है। 19वीं सदी के मध्य के समय में भी, जबकि दूसरी ओर केवल पुरुष थे, भारतीय पक्ष में कई महिलाएं शामिल थीं। रानी लक्ष्मीबाई उनमें से सबसे उल्लेखनीय थीं, लेकिन उनके जैसी कई और भी थीं, जो अन्यायपूर्ण शासन के खिलाफ बहादुरी से लड़ रही थीं। गांधी जी के नेतृत्व वाले ‘असहयोग आंदोलन से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन’ तक कई सत्याग्रह अभियान चलाए गए, जिनमें महिलाओं की व्यापक भागीदारी थी। पहली महिला सत्याग्रहियों में कस्तूरबा शामिल थीं। जब गांधीजी को गिरफ्तार किया गया, तो उन्होंने दांडी तक के नमक मार्च का नेतृत्व सरोजिनी नायडू को सौंपने का फैसला किया। कमलादेवी चट्टोपाध्याय चुनाव लड़ने वाली देश की पहली महिला थीं। राष्ट्रपति ने मैडम भीकाजी कामा के साहसपूर्ण बलिदान और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में इंडियन नेशनल आर्मी की कैप्टन लक्ष्मी सहगल और उनकी सहयोगियों के योगदान को भी याद किया। उन्होंने कहा कि जब हम राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी का उदाहरण देते हैं, तो प्रेरणा देने वाले बहुत से नाम दिमाग में आते हैं, लेकिन उनमें से कुछ का ही उल्लेख कर पाते हैं। अपने सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के सार्वभौमिक मताधिकार प्रदान करने की भारत की उपलब्धि के बारे में बताते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे दुनिया के सबसे पुराने आधुनिक लोकतंत्र में भी महिलाओं को देश की स्वतंत्रता की एक सदी के बाद तक वोट का अधिकार प्राप्त करने का इंतजार करना पड़ा। यूनाइटेड किंगडम में रहने वाली उनकी बहनों ने भी लगभग उतना ही लंबा इंतजार किया। इसके बाद भी, यूरोप के कई आर्थिक रूप से उन्नत देशों में महिलाओं को मतदान का अधिकार नहीं दिया गया। लेकिन भारत में ऐसा समय कभी नहीं आया जब पुरुषों को मताधिकार मिला हो, और महिलाओं को नहीं। इससे दो बातें सिद्ध होती हैं। पहली, कि हमारे संविधान निर्माताओं का  लोकतंत्र में और जनता के विवेक में गहरा विश्वास था। वे प्रत्येक नागरिक को एक नागरिक के तौर पर मानते थे, न कि एक महिला या किसी जाति और जनजाति के सदस्य के रूप में, और वह मानते थे कि हमारे समन्वित भविष्य को आकार देने में उनमें से हर एक की आवाज सुनी जानी चाहिए। दूसरा, प्राचीन काल से ही इस धरती ने स्त्री और पुरुष को समान माना है- निस्संदेह एक दूसरे के बिना अधूरे। राष्ट्रपति ने कहा कि महिलाएं एक के बाद एक विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति कर रही हैं। नवीनतम है, सशस्त्र बलों में उनकी बढ़ती भूमिका। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और प्रबंधन के पारंपरिक रूप से पुरुषों के गढ़ माने जाने वाले क्षेत्रों में भी, जिन्हें एसटीईएमएम कहा जाता है, उनकी संख्या बढ़ रही है। कोरोना संकट के समय में जिन लोगों ने आगे बढ़कर राष्ट्र के लोगों की सुरक्षा का जिम्मा उठाया, उन योद्धाओं में भी पुरुषों से ज्यादा महिलाएं ही रही होंगी। उन्होंने कहा कि जब स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवा करने वाले लोगों की बात आती है तो केरल ने हमेशा अपनी ओर से अधिक से अधिक योगदान दिया और इस राज्य की महिलाओं ने संकट की इस अवधि के दौरान व्यक्तिगत जोखिम उठा कर भी निस्वार्थ सेवा का उदाहरण स्थापित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश की लगभग आधी आबादी महिलाओं की है, ऐसे में इस तरह की उपलब्धियां हासिल करना उनके लिए स्वाभाविक होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ। हमें यह स्वीकार करना होगा कि वे हमारे समाज में बहुत गहरी पैंठ बनाए बैठे  सामाजिक पूर्वाग्रहों का शिकार हैं। देश के कार्यबल में उनका अनुपात उनकी क्षमता के मुकाबले कुछ नहीं है। यह दुखद स्थिति, निश्चित रूप से पूरे विश्व में व्याप्त है। उन्होंने कहा कि भारत में तो कम से कम एक महिला प्रधानमंत्री हुई हैं और राष्ट्रपति भवन में भी उनके प्रतिष्ठित पूर्ववर्तियों में से एक महिला थीं, जबकि कई देशों में अभी तक कोई महिला राज्य या सरकार की प्रमुख नहीं रही हैं। उन्होंने कहा कि किसी मुद्दे को वैश्विक परिदृश्य में देखने से हमें यह महसूस करने में मदद मिलती है कि हमारे सामने चुनौती मानसिकता को बदलने की है- यह एक ऐसा कार्य है, जो बिल्कुल भी आसान नहीं है। इसमें अपार धैर्य और समय की जरूरत है। हम निश्चित रूप से इस तथ्य से राहत महसूस कर सकते हैं कि स्वतंत्रता आंदोलन ने भारत में लैंगिक समानता के लिए एक ठोस नींव रखी, कि हमने एक महान शुरुआत की थी और हम एक लंबा सफर तय कर चुके हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि अब यह मानसिकता बदलनी शुरू हो गई है, और लैंगिक संवेदनशीलता- तीसरे लिंग और अन्य लिंग की पहचानों सहित तेजी से आगे बढ़ रही है। सरकार भी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’ जैसी केंद्रित पहलों के साथ इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि दशकों से केरल राज्य महिलाओं की तरक्की की राह में आने वाली बाधाओं को दूर कर एक शानदार उदाहरण पेश करता रहा है। राज्य की आबादी की उच्च स्तरीय संवेदनशीलता के चलते राज्य ने महिलाओं को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में अपनी क्षमता हासिल करने में मदद करने के लिए नए रास्ते तैयार किए हैं। यह वह भूमि है जिसने भारत को सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश, न्यायमूर्ति एम. फातिमा बीवी दीं। यही वजह है कि केरल आज राष्ट्रीय महिला विधायक सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि ‘लोकतंत्र की ताकत’ के अंतर्गत आयोजित यह राष्ट्रीय सम्मेलन एक बड़ी सफलता हासिल करेगा। उन्होंने इस सम्मेलन का आयोजन करने के लिए केरल विधानसभा और उसके सचिवालय को बधाई दी।

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संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री  मीनाक्षी लेखी ने ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की 7वीं बैठक में भाग लिया

संस्कृति और विदेश राज्य मंत्री  मीनाक्षी लेखी ने ब्रिक्स संस्कृति मंत्रियों की 7वीं बैठक में भाग लिया। इस बैठक को चीन गणराज्य द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया था।

ब्रिक्स देशों के बीच सांस्कृतिक गतिविधियों की प्रगति और विस्तार के लिए “ब्रिक्स के बीच समावेश और आपस में ज्ञान का साझा करने वाली सांस्कृतिक साझेदारी स्थापित करने” के थीम पर इस बैठक में चर्चा हुई। चर्चा का मुख्य फोकस क्षेत्र में सांस्कृतिक डिजिटलीकरण पर विकास और सहयोग को बढ़ावा देना, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण पर सहयोग को मजबूत करना और ब्रिक्स देशों के सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्लेटफार्मों के निर्माण को आगे बढ़ाना था। मंत्रियों ने सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करने और 2015 में हस्ताक्षरित ब्रिक्स सांस्कृतिक सहयोग समझौते को लागू करने के लिए ब्रिक्स कार्य योजना 2022-2026 को अपनाया।

श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया और अपने संबोधन में निम्नलिखित बिंदुओं को सामने रखा:

(i)            भारत अपनी विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के साथ संगीत, रंगमंच, कठपुतली का खेल, विभिन्न आदिवासी कला और नृत्य के विशेष रूप से शास्त्रीय और लोक क्षेत्र में आदान-प्रदान कार्यक्रमों/गतिविधियों के माध्यम से ब्रिक्स देशों को सांस्कृतिक मूल्यों से परिचित कराने के लिए एक मंच प्रदान करना सुनिश्चित करता है।

(ii)           कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के कारण पिछले ढाई साल के दौरान फीजिकल मूवमेंट संभव नहीं हो पाया है। इसके बावजूद संस्कृति सहित सभी मोर्चों पर जीवन को आगे बढ़ाने में डिजिटल प्रौद्योगिकियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

(iii)          सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में मूल्यवान संग्रह को डिजिटाइज करना और उन्हें खुले सूचना स्थान में प्रस्तुत करना भारत की प्राथमिकता है क्योंकि यह संग्रहालयों और पुस्तकालयों जैसे सांस्कृतिक संस्थानों में संग्रहीत सांस्कृतिक सामग्री के लिए लंबी अवधि के लिए संग्रहण और व्यापक पहुंच प्रदान करता है। ब्रिक्स देशों की आभासी प्रदर्शनियों के माध्यम से ब्रिक्स देशों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का पता लगाया जा सकता है।

(iv)         भारत सांस्कृतिक विरासत और इन्टर्कल्चरल डायलग की विविधता में विश्वास करता है। यह पर्यावरण संबंधी चिंताओं के लिए नवीन और संस्कृति-आधारित समाधानों में विरासत और पारंपरिक ज्ञान को एकीकृत करने वाले स्थायी और लचीले पर्यावरण की पुरजोर वकालत करता है।

(v)          भारत की कला अपनी समृद्ध विरासत और अपने आधुनिक इतिहास का एक मिश्रण है। इसने निस्संदेह भारत को एक सक्रिय और रचनात्मक इकाई के रूप में स्थापित किया है जो आज कला जगत का एक अभिन्न अंग है।

(vi)         आज की पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के आलोक में, समावेशी और सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील विकास प्रतिमानों की दिशा में काम करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। समय की मांग एक रोडमैप है जो सांस्कृतिक विरासत, सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और लोगों की सहज कल्पना और सामूहिक बुद्धि की समझ को एकीकृत करना चाहिए।

उन्होंने अध्यक्ष को धन्यवाद दिया और सभी क्षेत्रों में प्रगतिशील और व्यापक ब्रिक्स सहयोग की कामना की।

बैठक के अंत में, ब्रिक्स राज्यों की सरकारों के बीच संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग (2022-2026) के बीच समझौते के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना पर सहमति हुई और सभी ब्रिक्स राष्ट्रों के संस्कृति मंत्रियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

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मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

‘मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने अपने अंदाज में मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

सोनी सब के शो ‘मैडम सर’ ने सफलतापूर्वक 500 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। यही वह समय है कि भारत की सबसे चहेती महिला पुलिस अधिकारियों के लिये हम सब जमकर ताली बजाएं। दो साल पहले अपने लॉन्‍च के बाद से ही, इस शो ने महिलाओं के नेतृत्‍व वाले मजबूत किरदारों और सोच-विचार कर बनाई गईं कहानियों एवं प्‍लॉट के साथ दर्शकों को काफी लुभाया है। इस शो में एसएचओ हसीना मलिक (गुल्‍की जोशी), करिश्‍मा सिंह (युक्ति कपूर), संतोष (भाविका शर्मा), पुष्‍पा सिंह (सोनाली नाईक) और चीता चतुर्वेदी (प्रियांशु सिंह) मुख्‍य भूमिकाएं निभा रहे हैं। शो में बड़े आत्‍मविश्‍वास और बेहतरीन तरीके से एक महिला पुलिस थाने को संभालने में रोजाना आने वाली चुनौतियाँ दिखाई गई हैं। इसके किरदारों ने अजीब से अजीब मामलों को पूरे ‘जज्‍बात’ के साथ और सबसे अभिनव तरीकों से सुलझाया है। पिछले 500 एपिसोड्स में ‘मैडम सर’ ने अनगिनत सामयिक विषयों और निजी अनुभवों को छुआ है, जो ऐसी लड़कियों के लिये प्रेरक हैं, जिन्‍हें अपने काम में महारथ पाने और उसे सहजता से करने की आकांक्षा है। महिला सशक्तिकरण से लेकर, दबंगई, सामाजिक रूढि़यों, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, आदि तक इस शो ने प्रासंगिक मुद्दों को ऐसी कहानियों के जरिए दिखाया है जोकि एक सकारात्‍मक एवं महत्‍वपूर्ण असर पैदा करने के लिए समाधान प्रदान करती हैं। आज हासिल हुई उपलब्धि के साथ ‘मैडम सर’ नये रास्‍तों पर बढ़ने के लिये तैयार है, और यह दर्शकों को बांधकर रखने की कोशिश करता रहेगा।  इस उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, हसीना मलिक की भूमिका निभा रहीं गुल्‍की जोशी ने कहा, “मुझे ‘मैडम सर’ का हिस्‍सा बनकर बहुत गर्व और खुशी है, क्‍योंकि यह शो समस्‍याओं को हल करने की नई-नई विधियों से दयालुता और हास्‍य के भाव को फैलाता है। एक एक्‍टर के तौर पर इसमें मैंने न केवल नये लुक्‍स और शख्सियतों को अपनाया, बल्कि परफॉर्मेंस के मामले में भी मेरा दायरा बढ़ा। हमारे शो को दर्शकों से अब तक मिली प्रतिक्रिया काफी संतोषजनक रही है और हम आगे और भी ज्‍यादा एडवेंचर्स लाकर दर्शकों का मनोरंजन जारी रखना चाहते हैं। 500 एपिसोड्स पूरे करने और यह बेजोड़ उपलब्धि हासिल करने के लिये पूरी टीम को शाबाशी मिलनी चाहिये। यह ‘मैडम सर’ की यात्रा में एक नये अध्‍याय की शुरूआत है।‘’ करिश्‍मा सिंह की भूमिका निभा रहीं युक्ति कपूर ने कहा, “मैं 500 शानदार एपिसोड्स पूरे होने पर पूरे दिल से हमारी टीम को बधाई देना चाहती हूँ। यह उपलब्धि हासिल करने का अनुभव सपने जैसा लग रहा है और यह हमारी उस कड़ी मेहनत को दिखाता है, जो इस कहानी को पर्दे पर जीवंत करने में लगी है। इस शो ने हमें एक्‍टर के तौर पर कई बारीकियाँ जानने का मौका दिया और इसके नेरेटिव भी आधुनिक समय के हैं। ऐसे बेहतरीन कलाकारों और क्रू के साथ काम करना मैं अपना सौभाग्‍य मानती हूँ, जिन्‍होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं ऐसी और भी उपलब्धियों की कामना करती हूँ।” संतोष की भूमिका निभा रहीं भाविका शर्मा ने कहा, “इतनी बड़ी उपलब्धि का हिस्‍सा बनकर मैं बहुत खुश और आभारी हूँ। एक शो को इतने लंबे समय तक चलाना और दर्शकों के लिये प्रासंगिक बनाये रखना कठिन है, लेकिन ‘मैडम सर’ ने कौतुहल पैदा करने और मनोरंजन देने वाली कहानियों के साथ एक बदलाव करके दिखाया है। एक टीम के तौर पर हमने इस शो को सफल बनाने के लिये बड़ी कोशिश की है और मैं दर्शकों से आग्रह करती हूँ कि वे हमें अपना प्‍यार और सहयोग लगातार देते रहें।” देखते रहिये ‘मैडम सर’, सोमवार से शनिवार रात 10 बजे, सिर्फ सोनी सब पर!

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हर साल बिजली का संकट

हर साल की तरह इस साल भी गर्मी ने लोगों को बुरी तरह परेशान कर रखा है ऐसे में बिजली कटौती लोगों का जीना दुश्वार कर रही है। इस भीषण गर्मी के बीच देश में गंभीर बिजली संकट पैदा हो गया है। मांग के अनुपात में बिजली नहीं मिल पा रही है। बारह राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे हैं। कोयले की कमी के कारण उत्पन्न हुआ यह संकट कोई पहली बार नहीं है। पिछले साल भी यह संकट गहराया था लेकिन इस बार बिजली की किल्लत कुछ ज्यादा ही महसूस की जा रही है। कई राज्यों में बिजली कटौती की घोषणा कर दी गई है जिसकी वजह से आम जन परेशान हो गए हैं। चालू वित्त वर्ष में कोल इंडिया का बिजली कंपनियों को करीब 21.600 करोड़ रूपया बकाया था अब भी कोल इंडिया का बिजली कंपनियों पर 12,300 करोड़ों का बकाया है और बिजली का यह संकट कर्ज ना चुका पाने के कारण है। सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक 165 थर्मल पावर स्टेशनों में से 56 में से 10 फ़ीसदी या उससे कम कोयला बचा है। कम से कम 26 के पास पांच फीसदी से भी कम स्टॉक है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन के मुताबिक महत्वपूर्ण बिजली संयंत्रों के पास एक दिन से भी कम का कोयला बचा है। बिजली संकट का सबसे ज्यादा असर जलापूर्ति व्यवस्था पर संसाधनों पर पड़ा है बिजली कटौती से आम जनता को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा हैं। इसके अलावा अस्पताल और मेट्रो सेवाओं में बाधा उत्पन्न होगी सो अलग। बिजली संकट से जो स्थिति उत्पन्न हो गई है वो तकलीफ देने के लिए काफी है। वह भविष्य में आने वाले संकटों के लिए आगाह कर रही है और बारह राज्यों में बिजली कटौती का अर्थ यह नहीं है अन्य प्रदेश इस संकट से बचे हुए हैं। इस संकट की आहट उन्हें भी महसूस हो गई है। बिजली प्रबंधन के मामले में देश में बहुत लचर व्यवस्था चल रही है और इसी वजह से यह समस्या विकराल रूप धारण करती जा रही है। लगभग हर साल यही सुनने में आता है कि एक-दो दिन की बिजली के लिए कोयला बचा है। लगभग सभी ताप बिजलीघर आधे से भी कम क्षमता पर चल रहे हैं। यदि कोयला समाप्ति पर है तो आगे की व्यवस्था, रखरखाव और मरम्मत किस प्रकार होगी? और सरकार इस अव्यवस्था को नजरअंदाज कर रही है। सरकार का ध्यान ग्रीन एनर्जी  की तरफ ज्यादा है।
अब वैकल्पिक ऊर्जा को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है और इसी वजह से परंपरागत ऊर्जा और वैकल्पिक ऊर्जा का सामंजस्य ठीक तरीके से नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण बिजली संकट बढ़ते जा रहा है।
वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा जरूर दिया जा रहा है लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में जागरूकता और बहुत कार्य करने की जरूरत है साथ ही प्रबंधन व्यवस्था को सुधारना अति आवश्यक है यदि इनमें सुधार कर लिया गया तो संकट काफी हद तक दूर हो जाएगा। विभिन्न  सरकारें सब्सिडी या मुफ्त बिजली दे रही है लेकिन इस राशि का भुगतान विद्युत वितरण कंपनियों को नियमित रूप से नहीं कर रही है। बिजली संकट दूर करने के लिए प्रबंधन में सुधार अत्यावश्यक है।

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तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के लिये।फिर सोचने लगा!
मेरे बच्चे सब अपनी मर्ज़ी ही करते है।मै उनकी हर ख्वाहिश पूरी करताहूँ,क्या वो भी मेरी कोई इच्छा या ज़रूरत पूरी कर पायेंगे?
ये कैसे कैसे सवाल आज मेरे मन मे आ रहे है ?शेखर ने सोचा।शायद थका हुआ हूँ तभी ऐसे विचार मेरे मन में आ रहे हैं।तभी मीरा आई और शेखर से कहा जल्दी से तैयार हो जाओ।आज पुनीत के यहाँ किटी पर जाना हैं।शेखर थका हुआ था सोचा कि बोल दूँ ,कि तुम ही हो आओ।फिर सोचा इस किटी में उसके दोस्त भी होगें।वो जायेगा तो अच्छा भी लगेगा।बेमन से उठा और तैयार होने के लिये अपने कमरे मे चला गया।दोनों थोड़ी ही देर मे पुनीत के यहाँ पहुँच गये।
सब से मिले ,बाते चली ,गाने बजाने नाचने का माहौल ने शेखर को तरोताज़ा कर दिया।रात को काफ़ी देर तक पार्टी चली।शेखर ने मीरा को चलने का इशारा किया और वो दोनों वहाँ से निकल पड़े।रास्ते में मीरा ने शेखर से पार्टी की बात छेड़ दी ,कहा आज सोनिया ने नये डायमंड के टॉपस पहने हुये थे।बता रही थी कि उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह का तोहफ़ा दिया और ये भी कह रही थी, बारह लाख के बनवाये।तुनक कर बोली!पता नही,क्या समझती है खुद को और ज़िद्द करने के लहजे से शेखर से बोली !मुझे भी वैसे ही कानों के टॉपस चाहिए।शेखर ने कहा ,ले लेना।ये कौन सी बड़ी बात है। फिर मीरा ने इक और तीर चलाया।कहने लगी और देखा था,रश्मि ने इतना सुन्दर डायमंड का सैट पहना हुआ था।बता रही थी तीस लाख का लिया था।उसके पति ने उस को पचासवीं सालगिरह पर तोहफ़ा दिया है।वो भी चहक चहक कर सब को दिखा रही थी।शेखर मुझे भी वैसा ही सैट चाहिए । शेखर जो पीये हुये भी था कहने लगा !ले लेना।हम कौन सा कम है किसी से। जब सुबह दोनों चाय पीने बैठे तो भी मीरा ने फिर वही बातें दोहरा दी।शेखर ने कहा ! हाँ मैं भी देख रहा था पुनीत मित्तल अपनी फरारी गाड़ी की कितनी ढींगे मार रहा था।मैं भी लैमबरगीनी गाड़ी निकलवाता हूँ ताकि लोगों को भी पता लगना चाहिए कि हम भी किसी से कम नहीं।अपनी 4 कनाल की कोठी की बात ,पता नहीं कितनी दफ़ा अपने दोस्तों के सामने की उसने। क्या समझता है खुद को,हम भी अब 8 कनाल की कोठी लेंगे जल्दी ही, अब बडे लोगों के बीच रहना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा ।शेखर चाय पी कर जल्दी से फ़ैक्ट्री चला गया, दोस्तों कोई बड़ी बात नही।पैसा हो तो खर्च भी करना चाहिए।जो इच्छा हो, पूरी भी करनी चाहिए। देखा जाये ,तो औरतो का सपना होता है बड़ा घर ,पैसा ,गाड़ी और भी बहुत कुछ डिमांड करती रहती है पतियों से ।मगर देखने मे ये आता है जितनी बड़ी माँग को पूरा करना होता है ।पति को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ।कई बार तो साम दाम दंड भेद कोई भी तरीक़े से पैसा कमाया जाता है।ज़मीर तक दावँ पर लगा डालते हैं। शराफ़त से कमाई गई दौलत से इक सादा सच्चा जीवन जीया जा सकता है।बड़े बड़े शौक़ पूरे नही किये जा सकते। ये अलग बात है बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों की आमदनी से ये सब संभव भी है दोस्तों !
डायमंड जिसे मै सिर्फ़ इक चमकता हुआ पत्थर ही कह सकती हूँ और सोना जिसे पीले रंग की धातु मात्र ही समझती हूँ और इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती ,ये सब चीज़ें हमारे दुख सुख मे काम भी आते है। ये बैंक बैलेंस ,ये ज़मीनें जायदाद जो हम पता नही ,कैसे कैसे किसी को दुख दे कर या किसी की आह ले कर ,बड़ी ख़ुशी के साथ इकट्ठा करते है जो अंत मे हमारा साथ न देंगी और मरने के बाद हमसे जब बल छल से किये गये करमो का हिसाब माँगा जायेगा तो कोई बच्चा या पत्नी इल्ज़ाम अपने सर नही लेगी कि मेरे कहने पर मेरे पति ने मुझे हीरे का सैट या जुलरी लेने के लिये ही ऐसा कोई करम बना लिया ।हमारी औरतों की बड़ी बड़ी इच्छायें आदमियों से ऐसे ऐसे काम करवा देती है जो उसके शरीर तो भुगतता ही है ,रूह पर भी दाग लग ज़ाया करते है। ये सोशल गैदरिगं मे यही सब हो रहा है आजकल।इक दूसरे से आगे निकलने की रेस। आनन्द लीजिए !इन सोशल नेटवर्किंग का ,मगर कोई ऐसी इच्छा अपने पति के सामने न रखे जिसे पूरा करते वक़्त वो अपना ईमान ही बेच डाले।
अग्नि के इर्द गिर्द फेरे लेने का मतलब ये नहीं ,उसे अपनी इच्छा पूर्ति का ज़रिया बना लिया जायें। उनकी भी अपनी इच्छा होती होगी ,पत्नियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कई पुरुष औरत की हर इच्छा को पूरा करने के लिए कई हदें पार कर देता है और अगर पुरूष की ख़ास इच्छा हो ,जिसमें उसकी ख़ुशी हो ,तो पूरे परिवार को भी उस इच्छा का सम्मान भी करना चाहिए और कहीं न कहीं शायद हम सब ही अपने पिता या पति के प्रयासों के लिये ढंग से आभार भी प्रकट नही कर पाते। अगर आप सच में रानी बनना चाहतीं है तो अपने पति को राजा बनाये न कि अपना या अपनी इच्छायों का गुलाम। कहीं ऐसा न हो कि पति को ये लगने लगे।
“शौक़ तेरे भी थे और मेरे भी,मगर “ईमान”मेरा बिक गया ..तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”।

स्मिता केंथ

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