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महिला जगत

स्मार्ट क्लीनिंग सोल्यूशंस के लिए मशहूर यूफी बाय अंकर ने भारत में रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर के अपने सबसे एडवांस्ड वर्जन रोबोवैक X8 हाइब्रिड को लॉन्च करने की घोषणा की

यूफी बाय अंकर ने आइपाथ लेजर नैविगेशन, ट्विन टर्बाइन टेक्नोलॉजी और वाई फाई के साथ रोबोवैक X8 हाइब्रिड लॉन्च किया, यह प्रोडक्‍ट पेट ओनर्स के लिए बिल्‍कुल परफेक्ट है

मुंबई, 18 नवंबर, 2021 : अपने स्मार्ट क्लीनिंग सोल्यूशंस के लिए मशहूर यूफी बाय अंकर ने भारत में रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर के अपने सबसे एडवांस्ड वर्जन रोबोवैक X8 हाइब्रिड को लॉन्च करने की घोषणा की। यह एक इनोवेटिव लेजर नैविगेशन रोबिटक वैक्यूम क्लीनर है जिसमें पेट्स के हेयर को साफ करने के लिए 2 इन 1 वैक्यूमिंग और मॉपिग क्षमताओं के साथ 2000pa X 2 की सक्शन पावर है। यह प्रॉडक्ट 34,999 रुपये की कीमत में 12 महीने की वॉरंटी के साथ फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।

रोबोवैक X8 हाइब्रिड पावर में और लंबे समय तक क्लीनिंग करने के लिए “डबल डाउन ऑन पावर, डबल डाउन ऑन लाइफ” है। नई यूफी टेक्नोलॉजी ने गहरे स्तर तक साफ-सफाई के लिए सक्शन पवर को डबल कर दिया है। 2000 pa की सक्शन पावर से लैस क्लीनिंग पावर को 80 फीसदी तक बढ़ाने वाले 2 टर्बाइन लगे हैं। इनकी अनोखे पेट हेयर मैग्नेट टिवन टरबाइन बेजोड़ ताकत के साथ पेट के बालों की ज्यादा गहराई से 57.6 फीसदी तक साफ करता है। घर के आसपास ज्यादा हवा आती है और रोलर ब्रश में बाल उलझते नहीं है। इसके अलावा अल्ट्रा पैक डस्ट कम्‍प्रेशन टेक्नोलॉजी डस्टबॉक्स में जगह को बढ़ाती है, जिससे उसमें पहले से ज्यादा गंदगी इकट्ठा होती है। यही नहीं, इसे खाली करने के समय कम भी कम धूल या गंध उड़ती है। अब समय आ गया है कि आप अपने घर के फ्लोर को रोबोवैक X8 हाइब्रिड के हवाले कर दें और ज्यादा महत्वपूर्ण चीजों पर फोकस करें।

2-इन-1 मल्टीटास्कर प्रो-रोबोवैक X8 हाइब्रिड गंदगी को तब ज्यादा बेहतर तरीके से साफ करता है, जब ज्यादा प्रभावी क्लिनिंग शेड्यूल का पालन किया जाए और एकदम परफेक्ट ढंग से फर्श की सफाई करें। एक्सट्रा लार्ज 250 मिलीलीटर के वाटर टैंक से 140 मिनट तक पोंछा लगाया जा सकता है और 180 मिनट तक वैक्‍यूमिंग की जा सकती है।

यूफी रोबोवैक कई इंटेलिजेंट कंट्रोल्स के साथ आता है, जिसे ज्यादा स्मार्ट लाइफ के लिए डिजाइन किया गया है। इसका अनोखा आइपाथ लेजर नैविगेशन घर के माहौल को काफी बारीकी से याद कर रियल टाइम में सफाई कर रहा है। वैक्यूम क्लीनर काफी तेजी से क्लीनिंग रूटीन फॉलो करने के लिए प्रभावी क्लीनिंग करता है। एआई मैप 2.0 टेक्नोलॉजी से लैस रोबोवैकX8 हाइब्रिड ऐप के माध्यम से क्लीनिंग एरिया, नो-गो जोन्स, मल्टी फ्लोर मैपिंग को कस्‍टमाइज करता है । रोबोवैक को ‘यूफी ऐप’ से कंट्रोल कीजिए जोकि एंड्रॉयड और आईओएस पर उपलब्ध है।

आराम से बैठ कर रिलेक्स करें क्‍योंकि रोबोवैक की आईक्यू टेक्नोलॉजी सक्शन पावर को अपने आप उस समय बढ़ा देती है, जब फर्श पर ज्यादा डस्ट होता है। यह वैक्यूम क्लीनर 180 वर्ग मीटर तक फर्श की सफाई करता है। अल्ट्रा लांग रनटाइम रोबोवैक X8 को सपोर्ट करता है। इसका वॉयस ऐक्‍टीवेटेड कंट्रोल गूगल असिटेंट और एलेक्सा के साथ बखूबी काम करता है। अब आप जब चाहें तो वॉयस कंट्रोल असिस्टेंट्स की मदद से घर की साफ-सफाई शुरू कर सकते हैं।

यूफी के पास भारत में रोबोटिक वैक्यूम सीरीज की मजबूत रेंज है। इसमें रोबोवैक G10, G30, 35C शामिल है, जिसमें भारत में पहली बार स्मार्ट क्लीनिंग सोल्यूशंस की सीरीज शामिल की गई है।
यूफी के विषय में
यूफी अंकर इनोवेशंस का एक हिस्सा है। यूफी का मोटो आपके लिए आसान तरीके से स्मार्ट होम (“स्मार्ट होम सिम्प्लीफाइड”) बनाना है। कंपनी का यह आदर्श वाक्य हमें आसानी से इस्तेमाल किए जा सकने वाले स्मार्ट होम डिवाइसेज और अप्लायंसेज बनाने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उपभोक्ताओं की जिंदगी को और बेहतर बनाया जा सके। लेजर से चलने वाले रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर्स से वायरलेस सिक्युरिटी सिस्टम तक, यूफी का हर प्रॉडक्ट आधुनिक तकनीक से बनाया गया है और इसे आपकी सुविधा के हिसाब से डिजाइन किया गया है। यूफी कनेक्टेड डिवाइसेज और अप्लायंसेज की नई रेंज पेश करता है, जो एक साथ मिलकर आपको पूरी तरह स्मार्ट होम का अहसास दिलाते हैं।

अधिक जानकारी के लिए कृपया www.eufylife.com पर जाएं।

विस्‍तृत जानकारी के लिए, कृपया संपर्क करें :
अबिगेल फर्नांडीज। साइनैप्‍स पीआर
7506985825, abigail.f@synapsepr.co.in anker@synapsepr.co.in
ग्रीष्‍मा उछिल। साइनैप्‍स पीआर
8356945067, grishma.uchil@synapsepr.co.in , anker@synapsepr.co.in

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हमें ही सोचना है कि हमें क्या माँगना है।

हमारी हर ख्वाहिश पूरी होती है आज नही तो कल, ये कुदरत का नियम है। इसीलिए विवेकशील लोग कहते है।अपनी ख्वाहिश करते समय ज़रा सावधान रहे।इच्छा तो सब पूरी होगी हमें ही सोचना है कि हमें क्या माँगना है।
इक बार किसी ने मुझ से कहा कि उन्हें इक डर रहता है वो अकसर सोचते है कि इस जन्म मे हमे बहुत कुछ मिला।मान सम्मान ,पैसा ऐश्वर्य ,अच्छी सेहत ,अच्छा घर अच्छे बच्चे ,मगर आगे क्या होगा ?पता नही हम कहा जन्म लेंगे ?कही हम दोबारा किसी ग़रीब के यहाँ पैदा न हो जाये।कही हम किसी रोग से ग्रसित न हो जाये।वग़ैरह वग़ैरह तरह तरह के नाकारातमक विचारों से घिरें रहते है ।
मेरे विचार से हमारा सिर्फ़ अपने करमो पर या हम किस तरह से चीजों को देखते है हमारी वाणी पर और विचारों पर ही इख़्तियार है बाकि सब तो अपने आप ही होता चला जाता है आप इस तरह न सोच कर पाजीटिव ,ऊँचे,सुविचार ही सोचे अच्छा करम ही करे तो सब आगे भी अच्छा ही रहेगा ।
हमारे विचारों से बहुत शक्तिशाली चुम्बकीय तरंगे निकलती है और उन के ज़रिये ही हम अच्छा या बुरा अपनी ओर आकर्षित करते है।जो हम सोचते है वही फलने फूलने लगता है अगर पहले ही कह दिया जाये कि ये नही होगा या हो ही नहीं सकता तो यकीन मान कर चले वो नहीं होगा।
विपरीत इसके,हालात कैसे भी हो मगर बोलना अच्छा ही चाहिए और हमेशा ये ही कहना चाहिए..कि ये होगा ही होगा।मुझे करना ही है।दुनिया की कोई ताक़त मुझे रोक नहीं सकती।दोस्तों!
इक बात शेयर करना चाहूँगी।
ये सच पर आधारित भी है।
इक बार दो दोस्त अपने गुरू जी के पास जा रहे थे रास्ते में गली से गुजरते हुए उन्हें इक घर दिखा।जो बहुत ही सुन्दर था।उनमें से एक लड़का जो साफ़ मन,सुन्दर चित का स्वामी था ,जो सब मे अच्छाई ही देखता था हालाँकि बेहद गरीब था।मुश्किल से रोज़मर्रा की ज़रूरतें ही पूरी कर पाता था। कहने लगा !वाह !
कितना सुन्दर किसी का महल है जैसे किसी राजा का हो ।
मैं कल्पना कर सकता हूँ कि भीतर से भी घर बहुत ही सुन्दर होगा। आज तो मन बहुत ख़ुश हो गया।
वाह वाह ! क्या नजारा होगा ।
ये कह कर वो एक मीठी मुस्कान और असीम श्रद्धा से भर गया। उसके चेहरे से लग रहा था जैसे उसका रोम रोम खिल उठा हो।
दूसरी तरफ़ दूसरा दोस्त वो मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक़ रखता था।काम भी ठीक ठाक था।
कहने लगा !छोड़ो यार !
ऐसे लाले बहुत देखे हैं ।जो बेईमानी से धन कमाते हैं ।
बात करते करते गुरू जी का घर भी आ गया। गुरू जी को प्रणाम किया और दोनों बैठ गए।
गुरू जी ने बड़े प्यार से उन्हें देखा
और पूछा !सब ठीक तो है घर मे?
रास्ते में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई ?दोनों को बड़े प्यार से अपने पास बिठा लिया।वो लड़का जो सच्चे मन का स्वामी था ,बोला !
गुरू जी यहाँ आते आते रास्ते में इक घर देखा।
वाह वाह !! क्या महल था !
मैं तो सोच रहा था जैसे किसी राजा का महल देख लिया हो।उसके खिड़की दरवाज़े देखने लायक़ थे बड़े बड़े गेट ,गमलों की क़तारें और फुववारा तो सच मे देखने लायक़ था गुरूजी ।
उत्तेजित हो कर अपनी धुन मे बोले ही जा रहा था।
कहने लगा !गुरू जी !
यू आभास हो रहा था जैसे उस घर के अंदर इक बड़ी सी खाने की मेज़ होगी।सोने चाँदी के बरतनो से सजी हुई।इक लाला जी वहाँ अपने बेटों के साथ बैठे खाना खा रहे होंगे और बहुयें खाना परोस रही होगीं ।
आ हा हा !
पूरा घर पोते पोतियों की हंसी से गूंज रहा होगा।
गुरू जी !आज तो आनन्द आ गया।वाह वाह !क्या घर था।
गुरू जी उस की मन की स्थिति को देख मुस्कुराये और उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया।
दूसरे लड़के ने भी अपने विचार कह डालें जो उसने महसूस किया।कि ऐसे लोग कैसे लोगों को लूट कर धन इकट्ठा करते हैं फिर किस तरह अस्पतालो में रोगों से मरते है फिर कैसे रो रो कर अकेले ही ज़िन्दगी गुज़ार देते है।अंत में न तो पैसा ही इनके काम आता है न ही परिवार ।सब छोड़ जाते हैं इन्हें।
वग़ैरह वग़ैरह !अपनी ही धुन मे नेगेटिव बातें कहता ही जा रहा था।
ऐसी बातें कह रहा था जिसको सुनने मात्र से भी मन अशांत हो जाये।
गुरूजी शांत मन से मुस्कुराये।दोनों के सिर पर हाथ रख दिया और लम्बी गहरी साँस ले कर उस लड़के को ,जो सब में अच्छाई ही देखता था कहने लगें! बेटा जैसे तुम सोच रहे हो ,जो तुम ने महसूस किया।जिस को देख कर तुम इतने आनंदित हुए हो,तुम्हारे लिए ये
सब कभी न कभी,आज नहीं तो कल,ज़रूर फलीभूत होगा ही होगा
दूसरे लड़के को देख कर कहने लगे बेटा !जो तुमने देखा ,महसूस किया या बता रहे हो।कभी न कभी आज नहीं तो कल ,तुम्हारे साथ भी वैसा ही होगा।तुम भी ऐसे ही पैसा कमाओगे।ऐसी ही दशा में खुद को पाओगे।
कहने का भाव ये है हमारी सोच कितनी साफ़ सुथरी और बड़ी होनी चाहिए इसका अन्दाज़ा आप खुद ही लगा सकते है।हमारी इक सोच हमारी जीवन शैली को बिगाड़ या बना सकती हैं ।हर बात को नाप तोल कर ही बोले अन्यथा नही बोले।तभी तो कहा जाता रहा है कि हम अपनी ही सोच और करमो से अपने भावी जीवन का निर्माण करते है ।
दोस्तों ! हमें कैसे और क्या बोलना
चाहिए ।ये फ़ैसला मैं आप पर ही छोड़ती हूँ ।आप सब बेहद समझदार है 🙏और मुझ से कहीं बेहतर मन के स्वामी भी 🙏🙏 स्मिता

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज और ऋषिकुलशाला के संयुक्त तवाधान में “मिशन शक्ति” “बाल दिवस” के उपलक्ष्य पर गरीब बच्चों को शिक्षण सामग्री एव चॉकलेट वितरित की गई

कानपुर 14 नवंबर, क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने  ऋषिकुलशाला केंद्र नं.12 के सहयोग से  “मिशन शक्ति” तृतीय चरण के तहत “बाल दिवस” के उपलक्ष्य पर गरीब बच्चों को शिक्षण सामग्री एव चॉकलेट वितरित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन सीटीआई नहर गोविंद नगर  स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में हुआ। बच्चे उपहार पाकर आनंदित थे। बच्चों ने भी नृत्य प्रदर्शन एवं भारत माता के गीत गाते  हुए बाल दिवस मनाया गया ऋषिकुलशाला की स्थापना अध्यात्मिक गुरु एवं पावन चिंतन धारा आश्रम के संस्थापक , श्री पवन सिन्हा ने की है जिसका उद्देश्य गरीब बच्चों को शिक्षित करना है। यह संस्थान वृद्धाश्रम,बच्चों में संस्कार जागृत करने जैसे अनेक सामाजिक कार्य करती है। यह कार्यक्रम प्राचार्य डॉक्टर जोसेफ डेनियल एवं उप प्राचार्य सबीना बोथरा के नेतृत्व में आयोजित किया गया कार्यक्रम में ऋषिकुलशाला कानपुर इकाई के मुख्य प्रशिक्षक संतोष विश्वकर्मा, क्राइस्ट चर्च कॉलेज “मिशन  शक्ति” की संयोजिका डॉ. मीत कमल द्विवेदी के कुशल मार्गदर्शन में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ /मिशन शक्ति अभिकर्ता के रूप में उदित ,अंजली, मैत्री ,कल्पना, रिद्धिमा, अभिषेक आदि मौजूद रहे

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दिवाली सफाई बनाम मजदूरी

“हाय – हाय यह मजबूरी, यह दिवाली सफाई और मजदूरी”

त्योहारों का आगमन हम महिलाओं के लिए ढेर सारा काम ले आता है। अब कामचोर औरतों की बात अलग है। वो तो सब बाजार से ले आती हैं पर उन लोगों का क्या किया जाए जिनको सब घर में ही बनाने की आदत है और सबसे बड़ा भ्रष्टाचार तो घर में ही होता है। तारीफ का पुलिंदा बांधकर मस्त चूना लगाते हैं हमें। अरी भाग्यवान! तेरे हाथों में तो अन्नपूर्णा का वास है तुमसे खराब बनता ही कहां है? बच्चे भी चाशनी टपका देते हैं। “यू आर ग्रेट मां! यू कुक वेरी वेल” और फिर गुब्बारे से भरी मैं हवा में उछलते दोगुने जोश से व्यंजनों की कतारें लगाने में व्यस्त हो जाती हूं।
सबसे बड़ी आफत तो सफाई प्रतियोगिता से होती है अरे मतलब ऐसी कोई प्रतियोगिता रखी नहीं जाती लेकिन अगर मिसेज वर्मा के घर की सफाई जरा जल्दी हो गई तो मिसेज शर्मा जो अंदर ही अंदर कुढ़ती रहेंगी लेकिन सामने यही कहेंगी कि, “अरे यार मैंने तो अभी तक सफाई शुरू भी नहीं की। कामवाली मान ही नहीं रही। तुम्हारी नजर में कोई हो तो बताओ। चार दिन तो लग ही जाएंगे सफाई में… ठीक है बताना कोई हो तो और फिर बाय बाय कर के अपने पति पर बरस पड़ती हैं, “देखो जी! मिसेज वर्मा के घर की सफाई तो हो भी गई और एक आप हो जरा सा काम में हाथ नहीं बंटाते हो। दिनभर अकेली मैं ही खटते रहूं” और आपको पता है कि क्या होता है… सरकार सुनते हैं, मुस्कुराते हैं और ऑफिस का थैला लटकाते हैं और बड़ी मासूमियत से कहते हैं कि ऑफिस में बहुत काम है और… और…. है ना…. ये रफूचक्कर जाते हैं।
मेरी परेशानी यहीं पर खत्म नहीं होती। सबसे ज्यादा हैरान परेशान तो ये कामवालियां करती हैं मुझे। इनके तो नखरे पूछो ही मत। मैं तो इन पर पीएचडी करके बैठी हूं। वैसे मेरा भाग्य इन्हीं कामवालियों के आगमन से उदय और अस्त होता है। कमबख्तमारियां दिवाली तो पूरी तरह वसूल लेंगी लेकिन काम के लिए सौ बहाने बनायेंगी। आखिरकार मैं इनको पुचकार कर, बहला कर और चार बीमारियां खुद की गिना कर काम निकलवाती हूं। सफाई से लेकर खानपान की तैयारियों तक इस त्यौहार की दौड़ में मैं सबसे आगे निकल जाना चाहती हूं मगर सोचा हुआ कहां पूरा होता है। वह ऐसे कि कामवाली बीच में  ही छुट्टी मार देती है। क्या करें और क्या ना करें यही सोचते हुए मेरा जी हलक में अटका रहता है। दिमाग में भी यही चलते रहता है कि अगर यह कमीनी दिवाली में छुट्टी नहीं मारती तो कम से कम सफाई का काम तो पूरा हो जाता।
वैसे सबसे अच्छा काम मेरे लिए शॉपिंग का रहता है। सुबह से शाम हो जाए मगर पैर में जरा भी दर्द नहीं उठेगा लेकिन पता नहीं क्यों पतिदेव का मुंह सूखा हुआ दिखता है खरीदी के नाम पर। फिर भी मैं और मेरी पलटन… अरे मेरे बच्चे अपनी मनोकामना पूर्ण करवा ही लेते हैं पतिदेव से। डीजल, पेट्रोल और गैस के बढ़ते दामों का और महंगाई का हवाला देते मेरे पतिदेव भरसक कोशिश करते हैं कि उनका दिवाला ना निकले मगर हमारा दल जीत ही जाता है और विपक्ष की तरह पतिदेव कुछ ना कर पाते हैं। फिर हरी झंडी मिलने पर मैं फिर से दोगना उत्साह से काम करने लग जाती हूं।
पतिदेव अपनी जगह सही थे…मैं और बच्चे अपनी जगह। मैं इसी सोच में डूबी हुई थी कि इस दिवाली पर मैं अपने कपड़े और गहने से किसे जलाऊंगी। स्वच्छता, रोशनी और खुशियों का त्योहार दिवाली क्या वाकई में महंगाई की मार झेलता हुआ खुशियों के दीपक जला पाएगा?🙏🏻 प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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एस ऍन सेन बी वि पी जी कॉलेज की ऍन एस एस यूनिट द्वारा सरदार वल्लभ भाई के जन्मदिन के उपलक्ष्य में त्रिदिवसीय कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 29 अक्टूबर, एस ऍन सेन बी वि पी जी कॉलेज की ऍन एस एस यूनिट द्वारा त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन सरदार वल्लभ भाई के जन्मदिन के उपलक्ष्य में किया गया। प्रथम दिवस २७/१०/२०२१ को एक निबंध प्रतियोगिता को आयोजन किया गया जिसका विषय था सरदार पटेल का व्यक्तित्व एवम कृतित्व एवम सरदार पटेल का सामाजिक जीवन के योगदान महाविद्यालय को करीब १०० छात्राओं ने इस प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। छात्राओं को प्रथम, द्वतीय तथा तृतीया स्थान भी दिया गया। ऍन एस एस को कार्यक्रम अधिकारी डॉ चित्रा सिंह तोमर तथा अन्य शिक्षिकाएं सर संगीता सिंह, डॉ रोली सिंह, डॉ निशा सिंह, डॉ प्रीति सिंह कार्यक्रम में उपलब्ध रहीं।

कार्यक्रम के दूसरे दिन २८/१०/२०२१ को ऍन एस एस द्वारा सदर पटेल के व्यक्तित्व एवम कृतित्व पर एक प्रश्नोत्तरी का आयोजन किया गया तथा इस कार्यक्रम में ५० छात्राओं ने भाग लिया। प्रश्नोत्तरी का आयोजन डॉ चित्र सिंह ने किया साथ ही छात्राओं को सरदार पटेल के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण बिंदुओं को भी विस्तार से बताया । कार्यक्रम में डॉ प्रीति सिंह, डॉ निशा सिंह, डॉ रोली मिश्रा, डॉ मोनिका शुक्ला आदि उपस्थित रहे ।

कार्यक्रम का समापन दिनांक २९/१०/२०२१ को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के व्यक्तित्व एवम कृतित्व पर एक व्याख्यान का आयोजन के साथ किया गया। जिसमे मुख्या वक्त के रूप में डी बी एच कॉलेज के शिक्षक शिक्षा विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुनील कुमार उपाध्याय ने सरदार पटेल के जीवन के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। तत्पश्च्यात प्राचार्य द्वारा सभी छात्राओं को एकता की सपथ दिलाई गयी। छात्राओं ने इस अवसर पर सरदार पटेल के व्यक्तित्व पर एक भाषण श्रंखला की प्रस्तुति भी की। कार्यक्रम के अंत में निबंध प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी एवम भाषण प्रतियोगिता में विजेताओं में पुरुस्कारों का वितरण किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ निशा अग्रवाल, डॉ प्रीति सिंह, डॉ निशि प्रकाश, डॉ निशा सिंह, डॉ मिनाक्षी व्यास, डॉ मोनिका सहाय, डॉ संगीता सिंह, डॉ चित्र सिंह तोमर ऍन एस एस प्रोग्राम अफसर उपस्थित रही।

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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा लोगों को विधिक जानकारी दी गयी

कानपुर 29 अक्टूबर, जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर, श्री आर0पी0 सिंह के दिशा निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, एवं एण्टी क्राइंम ब्यूरो (रजि0) के संयुक्त तत्वाधान में वाहनो द्वारा कानपुर नगर के क्षेत्र झाडी बाबा का पडांव, परमट, गुरुतार घाट, बाबा घाट, सिविल लाइन्स, एवं एक्सप्रेस रोड का हाता पर भ्रमण कर आमजनमानस को पम्फलेट बाट कर विधिक जानकारी दी गयी।प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर श्रद्धा त्रिपाठी द्वारा जिला कारागार, कानपुर नगर एवं राजकीय बाल गृह बालिका, स्वरुप नगर, कानपुर नगर, में मुख्यालय स्तर पर कैम्प लगाकर एवं लीगल एड क्लीनिक सीएसजेएमयू विश्वविद्यालय, कानपुर नगर में दीपोत्सव महोत्सव पर एक्जीवेशन लगाकर, मोतीझील परिसर के एक्जीवेशन में उपस्थित जनमानस को पम्फलेट बाटकर विधिक जानकारी दी गयी।

प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कानपुर नगर श्रद्धा त्रिपाठी द्वारा दिये गये निर्देशो के अनुपालन में पीएलवीगण द्वारा लक्ष्मीपुरवा, खासबाजार, तवाई का हाता, एवं जीआरपी कानपुर नगर सेन्ट्रल स्टेशन में, पम्फलेट बाटकर विधिक जानकारी दी गयी।

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दीपावली दियों का उत्सव ,रोशनी का त्योहार

🪔 दीवाली दीयो का उत्सव ,रोशनी का त्योहार बहुत ही ख़ूबसूरत। सारे परिवार मे इक ख़ुशी की लहर। मीठी मीठी ठण्ड की शुरूवात बाज़ारों की रौनक़,पटाखों, मिठाईयो की दुकानों के बाहर लम्बी क़तारें , हर कही चहल पहल ,बच्चे बड़े बुजुर्ग सभी को बेसब्री से इसका इन्तज़ार भी रहता है नये कपड़े ,नये खिलौने, ख़ूब सारे पकवान। ये सब हमारे भारत मे ही होता है उस रात पूरा देश जगमगा रहा होता है।
दोस्तों !ख़ुशक़िस्मत है वो जो इस दिन अपने सारे अरमान पूरे कर पाते है। कुछ लोग हज़ारों लाखों के पटाखे जला डालते है और किसी के पास कुछ फुलझड़ियाँ एक दो अनार या फिरकी ही होती है और कुछ ऐसे होते जो सिर्फ़ दूसरे के घरों मे जल रहे पटाखों से ,उनकी घरों की रोशनी देख कर ख़ुश हो रहे होते है।
भारत 🇮🇳 को छोड़े हुये मुझे इक ज़माना बीत गया मगर दीवाली की यादें आज भी इक दम ताज़ा है जैसे कल की ही बात हो। याद है मुझे आज भी वो दिवाली का दिन।इंग्लैंड आने के बाद इक बार दीवाली मनाने का सौभाग्य मुझे भी मिला।ख़ूब पटाखे ख़रीदे .कपड़े ख़रीदे ,खाने पीने का सामान।ख़ूब शापिंग की।सोचा ख़ूब मज़े करूँगी परिवार के साथ।
फिर भी मन में इक अजीब सी उदासी सी थी ।हुआ यू ,मैंने सुबह अपनी गली मे इक औरत को देखा था।जो बेहद गरीब।घर से भी दुखी .. और अपने शरीर से भी ।जब वो सब के घरों का कूड़ा
इकट्ठा करती,तो ग़ुस्से मे किसी न किसी को कुछ कह भी देती।सब आस पडोस के लोग उसकी बातें करते कि इसका सुबह मुँह देख लो तो सारा दिन ख़राब निकलता है वग़ैरह वग़ैरह।
मैं सोच रही थी ,उसका क्या क़सूर है जहां जिसको जन्म मिलता है ।उसको वैसे ही रहना पड़ता है ।कोई नही चाहता ,जब तेज गर्मी मे सभी लोग दोपहर को ऐ सी मे बैठे ठण्डी हवा ले रहे हो और उन्हें सड़ती गर्मी मे लोगों के घर का कूड़ा करकट उठाना पड़ता हो।
ज़रा सोचो दोस्तों रब न करे, किसी को ऐसे काम करना पड़े तो क्या बीते।दिल ने कहा इस बार कुछ अलग से किया जाये मैं फिर से मार्केट गई अपने ड्राइवर के साथ ।कुछ कपड़े ,कुछ घर का राशन ,मिठाई और कुछ पटाखे और इक डिब्बी मे सोने के झूमके,जो मैं बहुत बड़े होने की वजह से कभी पहन ही नही पाई थी ,को पैक करवाया और घर आ गई और बेसब्री से उस औरत का इन्तज़ार करने लगी।पता था मुझे कि वो शाम को भी कूड़ा करकट उठाने आती थी ।थोड़ी देर मे ही उसकी बेटी दिखाई दी ।मैंने पूछा आज तुम्हारी अम्मां कहाँ हैं ?वो कहने लगी वो बैठी है पेड के नीचे।थकी है बेचारी।अब उम्र के कारण कुछ बीमारी के कारण थक जाती है अम्मां ।मैं सोचने लगी अम्मां किसी की भी हो ,आराम का हक़ उम्र के साथ सब का होता है मगर ये अम्मां अब भी इतना सख़्त काम कर रही है रोज़ी रोटी के लिये।
मैंने कहा !
मिलना था मुझे उनसे। उनकी बेटी हैरान थी कि मैं कयूं मिलना चाह रही हूँ ।बोली दीदी !आज सुबह ही आप के घर का कूड़ा तो उठा ले गये है,
और भी है क्या ? तो मैं ले जाती
हूँ ।मैंने कहा !
नही नही ऐसा कुछ नही।तुम अपनी अम्मां को बुलवा लाओ।लड़की ने अम्मां को आवाज़ें दी तो
थोड़ी देर के बाद मेरे पास धीरे धीरे चलती अम्मां भी आ गई।
मैंने देखा धूल से लथ पथ शरीर ,बिखरे बाल ,नंगे पैर ,होंठ धूप और प्यास के कारण सूखे पड़े थे ।सिहर उठी मैं।सबसे पहले मैंने अपनी चप्पल निकाल कर उसे पहना दी।पानी पिलाया और उसे बिठा कर कहा !अम्मां पहले थोड़ा साँस ले लो।फिर मैंने सब कुछ उसकी झोली में रख दिया ,जो मैं उसे देने के लिये बाज़ार से लाई
था।वो हैरान कि इतना सामान ।मैने सारा सामान उसके ठेले पर रखवाया।तब मैंने उसे वो डिब्बी धीरे से थमा दी और कहा !अम्मां रख ले इसे ।तुम्हारी बेटी की शादी मे काम आयेंगी ।डिब्बी को खोल कर वो रो पड़ी कहने लगी !
मैं तो साफ़ सफ़ाई करने वाली, कूड़ा उठाने वाली आप इतने क़ीमती झूमके मुझे कयूं दे रही है ।मैंने हंस कर कहा !इसीलिए ही दे रही हूँ ।
हम लोग जो समाज मे बहुत सभ्य कहलाते है हम गंद डालते है।कूड़ा फैकंते है ,और आप है जो हमारा फैंका हुआ कूड़ा उठाती है हमारी सफ़ाई करती हैं ।मैंने कहा अब बताओ अम्मां ।कौन बड़ा,या कौन उंचा।कूड़ा फेंकने वाला या उसे उठा कर सफ़ाई करने वाला।वो निशब्द सी लगातार रो रही थी।मैंने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ा और कहा !अब मुझे अपने मुख का दर्शन भी करा दे जो उसने पूरी तरहा से ढँक रखा था।उसने रोते रोते अपने मुख से कपड़ा हटा दिया।
दोस्तों !
आप यक़ीन नहीं करेंगे
जब मैंने उसे देखा ..मुँह आंसूओ से जैसे धुल चुका था।मैंने उसे उपर से नीचे तक निहारा तो लगा इसमे भी रब का वास है ।ये भी इक सुन्दर आत्मा है जो बाहर सब का कूडा करकट साफ़ करती करती ख़ुद इक साफ़ सुन्दर आत्मा हो चुकी
है।मैंने उसके हाथों में कुछ पैसे थमा दिये।
उस वक़्त उस औरत ने जिसे लोग “जमादारनी “कहते है ,ने मुझ पर आशीर्वादो की झंडी ही लगा दी ।बहुत कुछ कहती रही …कहती गई कहने लगी कि “तेरी आत्मा का नूर तेरे चेहरे को हमेशा रौशन करता रहे “यही अल्फ़ाज़ थे दोस्तों!
जो मेरे कानों मे अकसर गुंजन करते है।
मैने कहा !अम्मां ऐसा भी क्या दे दिया मैंने।सब ही देते है।ये तो कुछ भी नही।कहने लगी !बेटी बात चीजो की नही ।बात सम्मान की है जो तुम मुझे दे रही हो।
उस वक़्त मुझे लगा कि मैंने सच मे ही लक्ष्मी पूजन कर लिया और मां का आशीर्वाद भी ले लिया।
शुक्रगुज़ार हूँ रब की🙏 कि मुझे उसने ये वो इक लम्हा दिया। अगले साल मुझे पता लगा।बेचारी कैंसर से लड़ती लड़ती इस दुनिया से जा चुकी थी।
ये बात जो सच है को शेयर करने का मेरा मकसद ..अपनी तारीफ़ बटोरना बिलकुल भी नहीं है ।सभी देते है और बहुत कुछ करते भी
है ।मेरे लिए ये लम्हा एक ऐसा था।आज भी सोचती हूँ तो रोमांचित हो जाती हूँ ।बात तो आनन्द की है ,कहीं से भी मिल सकता है ।रब सब में है।सिर्फ़ देखने की आँख चाहिए।हर इक चलते फिरते जीव में उसका वास है ।कोई छोटा नहीं और कोई बड़ा नहीं ।
दोस्तों !
इस बार दीवाली को अलग किसी और भी तरीक़े से मनाये .. आसपास मे कोई बच्चे ,जो चीजो के लिये तरस रहे है उनकी ख़ुशी का साधन बटोरें। मेरा यक़ीन है बच्चे गणेश रूप ही होते है ,अगर हम अपने आसपास के बच्चों को ख़ुशी दे पायें ,तो यकीनन ही देव गणेश आप के इस करम से आवश्यक ही प्रसन्न हो जायेगे। हमारे आसपास ही देवी देवता रहते है मगर हम मंद बुद्धि के कारण उन्हें पहचान नही पाते।
दोस्तों !
उस रात लोग पटाखे और जूआ खेलते है ।हम कितना पैसा बर्बाद कर देते है पटाखे का धूआँ तो वैसे भी वातावरण को दूषित ही करता है जो हम सब की सेहत के लिए बहुत हानिकारक होता है।पटाखों को जलाना जैसे पैसों को जलाया जाने के बराबर है।हम हज़ारों लाखों पटाखों पर खर्च न कर अपने आसपास किसी को वो पैसे दे दे। या कोई ऐसा इन्तज़ाम कर दे ।जिससे किसी के घर मे आमदनी का रास्ता बन सके ।आप के किये गये उस उपकार से वो भी आने वाली अगली दीवाली ख़ूब ख़ुशी से मना सके।बड़ी बड़ी दुकानों की जगह जो सड़कों के किनारे सामान बेच रहे होते है ।उनसे सामान ख़रीदे ताकि उनका घर भी चल सके।
दोस्तों !
दीवाली पर हम सब मिठाई के डिब्बे ,पहले तो मिठाई की दुकान पर घंटो घंटो खड़े हो कर ख़रीदते है फिर दोस्तों के घर बाँटने जाते है जिनके घरों मे डिब्बे जाते है उनके घरों मे पहले ही कितने डिब्बे आये हुए होते है।यहाँ का डिब्बा वहां ,और वहाँ का डिब्बा यहाँ।
रजे हुये घरों मे देने की बजाये किसी ज़रूरत मंद को दे और दुआयें बटोरे।
दोस्तों !
मेरी और से आप सब को दीवाली की ढेरों शुभकामनाएँ ।ये दिवाली सब के लिये शुभ व मंगलकारी हो। हमारे मन के अन्धेरों का नाश कर हमे रोशनी की तरफ़ ले जाये इन्हीं शुभकामनाओं के साथ
हैपी दीवाली। 🙏 स्मिता

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज वूमेन सेल मिशन शक्ति के अंतर्गत रीजेंसी हॉस्पिटल के सहयोग से “स्तन कैंसर” विषय पर संगोष्ठी आयोजित

कानपुर 28 अक्टूबर, क्राइस्ट चर्च कॉलेज वूमेन सेल मिशन शक्ति तृतीय चरण के अंतर्गत रीजेंसी हॉस्पिटल कानपुर के सहयोग से “स्तन कैंसर” विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में रीजेंसी हॉस्पिटल के डॉ. श्वेता खन्ना डॉ. नितिन यादव ने स्तन कैंसर जो कि एक गंभीर समस्या है, उस पर अपने विचार व्यक्त किए। चिकित्सकों ने स्तन कैंसर से बचाव एवं इलाज के बारे में लोगों को अवगत कराया। बच्चों ने स्तन कैंसर पर जुड़े सवाल भी पूछे ।कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के विमेन सेल द्वारा हुआ ।कार्यक्रम की शुरुआत उप प्रधानाचार्य डॉ. सबीना बोड्रा ने प्रार्थना के माध्यम से की । विमेन सेल की संयोजिका डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने सबका आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन कोऑर्डिनेटर डॉ विभा दीक्षित द्वारा किया गया अंत में मिशन शक्ति प्रभारी डॉ मीतकमल ने सब को धन्यवाद दिया कार्यक्रम में कम्युनिटी हेल्थ वर्कर के प्रमुख सरफ एवं प्रियंक ने भी अस्पताल की जानकारी दें डॉ आशुतोष, श्वेता चंद शालिनी कपूर, डॉ अंजली, आदि मौजूद रहे।

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अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती के अवसर पर गणेश शंकर विद्यार्थी का राष्ट्रबोध विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन होगा

संगीत नाटक अकादमी, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी की जयंती के अवसर पर गणेश शंकर विद्यार्थी का राष्ट्रबोध विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कर रही है| यह संगोष्ठी दि मारल व भारतीय शिक्षण मंडल के सहयोग से ओंकारेश्वर सरस्वती विद्या निकेतन, जवाहर नगर, कानपुर में आज दिनाँक 26 अक्टूबर 2021 को पूर्वान्ह 11:00 बजे से होगी|

अतः आपसे निवेदन है कि उपरोक्त कार्यक्रम में अपने प्रतिनिधिगण को उक्त स्थान पर समय से भेजकर कवरेज कराने का कष्ट करें। इस अवसर पर आपकी भी अमूल्य व गरिमामयी उपस्थिति सादर प्रार्थनीय है

 

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निःस्वार्थ प्यार के आधार पर किसी को भी वश मे किया जा सकता

मंत्र और तंत्र की शक्ति से बड़ी ताक़त, प्रेम भक्ति ,सहजता भोलापन और श्रद्धा है ..रब को भी वश मे करने के लिये इन्हीं भाव की ज़रूरत पड़ती है , श्रद्धा और प्रेम से उसका नाम पुकारना ही काफ़ी होता है ..जब भगवान निःस्वार्थ प्यार से भक्ति से किसी के वंश मे हो सकता है तो इन्सान क्यूं नही। किसी भी इन्सान को निःस्वार्थ प्यार के आधार पर अपने वश मे किया जा सकता है।बहुत दुख की बात है आज भी कुछ लोग दूसरो पर वशीकरण टूणा टोटका जैसी चीजे करते है।अगर किसी इन्सान का प्यार पाने के लिये आपको इस तरहा के टूणे टोटके करने पड़ते है तो समझ ले !आप ही के प्यार में खोट है जो आप किसी को अपने प्यार के ज़रिए नहीं बल्कि ग़लत तरीक़े से उसे अपना बनाना चाह रहे हैं यहाँ ये समझना बहुत ज़रूरी हो जाता है अगर आप को ऐसा करना पड़ रहा है तो यकीनन ही वह इन्सान आप को प्रेम नहीं करता आप ज़बरदस्ती उसे अपने वश में कर रहे हैं। प्रेम को हमेशा स्वतंत्र रहने दे।आप का होगा तो आप के पास ही आयेगा।ज़बरदस्ती से बांधने की कोशिश न करे।
दोस्तों !
मैं जिस परिवार से हूँ वहाँ कर्मकाण्ड में विश्वास नहीं किया जाता। किसी को वश में करना सिर्फ़ प्रेम से ही सिखाया गया है।अगर किसी को मंत्र तंत्र या कर्मकांड से अपने वश में करते है तो आप खुद को पहले ही कमजोर साबित कर देते है।इसीलिए आप खुद पर भरोसा न कर इन चीजो का सहारा लेते है वो चाहे किसी का प्रेम हो ,किसी का धन हो या व्यापार
हो।जो सहजता से मिले वही आपका है अन्यथा नहीं ।
दोस्तों
आजकल यू ट्यूब भरा हुआ है ऐसी बातों से .. कि कैसे किसी को वश में किया जा सकता है दुख होता है ऐसी सोच पर।कई बार सुनने मे आता कि किसी ने मुझ पर कुछ कर दिया है हमारे ऊपर जादू टूणा कर दिया है और लोग भागते है पंडितों के पास ,कितना पैसा ख़राब करते है ऐसी बातों पर ।
दोस्तों !
अगर कोई गेंद आप की तरफ़ ज़ोर से फेंके और आप उसे न पकड़े तो क्या होगा गेंद इधर उधर या नीचे ही गिरेगी ।जब हम कहने लगते है या हम ये मान लेते है कि किसी ने हम पर कुछ किया है तो ये वहम सच होने लगता है आप इस बात को मान कर इसे और शक्ति प्रदान कर देते है जबकि इसके विपरीत अगर आप कहे और मान ले ,दिल से और आत्मा से कि मुझ पर कोई कुछ नही कर सकता।मुझे कोई छू भी नही सकता और खुद पर विश्वास करे कि आप खुद एक पत्थर की चटान जैसे है जब भी कोई इससे टकरायेगा वो खुद ही चूर चूर हो जायेगा।खुद को ताकतवर समझे।आत्मा मे बहुत बल होता है आप की इजाज़त के बग़ैर आप को कोई कुछ नही कर सकता। कोई प्रेत या बुरी शक्ति आप का कुछ नहीं बिगाड़ सकती जब तक आप खुद न चाहे।
जो भी अच्छा या बुरा हो रहा होता है वो हमारे ही करमो का फल होता है

कमजोर मन के लोगों पर इन चीजो का प्रभाव ज़्यादा होता है वो यक़ीन करते है ऐसी बातों पर ,तो होता भी होगा। जब की हर जीव परमात्मा का ही अशं है तो वो कैसे कमजोर हो सकती है।
दोस्तों खुद पर भरोसा करना है सब को प्यार से जीतना सीखना होगा।अपनी सोच ,अपने प्रेम पर विश्वास करना होगा .. सब को जीता जा सकता है ।
अगर सब कुछ करने के बावजूद कोई आप का नही हुआ तो यकीनन वो चीज या इन्सान आप का था ही नही ।सच्चे प्रेम प्यार से सब को बांधा जा सकता है। अपनी सोच को ताक़त दीजिए ,भावनाओं को कोमल करने की आवश्यकता है मतलब ये कि सहज रहे।
जिसको आप के साथ बंधना होना होता है वो खुद ही बंध जायेगा .. बांधने की कोशिश न करे ..न ही कोई ज़रूरत ही है ।बधंन हो तो सिर्फ़ और सिर्फ़ प्रेम का ही हो 🙏अन्यथा कोई नही। 🌹 स्मिता केंथ

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