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महिला जगत

एस एन सेन बा वि पी जी कालेज में “विश्व दर्शन शास्त्र दिवस” के उपलक्ष्य में भविष्य का मानव /आगामी मानव विषय पर अतिथि व्याख्यान एवं पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 17 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बा वि पी जी कालेज कानपुर के दश॔न शास्त्र विभाग द्वारा “विश्व दश॔न शास्त्र दिवस” के उपलक्ष्य में The Forthcoming Human अथवा भविष्य का मानव /आगामी मानव विषय पर एक अतिथि व्याख्यान एवं पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया ।
काय॔क्रम मे महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो.(डा.)सुमन, अतिथि वक्ता के रूप मे अथ॔शास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा.रोली मिश्रा एवं निणा॔यक मण्डल की सदस्य के रूप मे मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डा.प्रीति यादव उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आरंभ माँ सरस्वती की पुष्पांजलि से हुआ।तदुपरांत प्राचार्या समेत सभी अतिथियों का स्वागत उत्तरीय द्वारा किया गया ।प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ने अपने प्रेरक उद्बोधन से छात्राओं को जीवन के महत्वपूर्ण तत्वों से अवगत कराया तथा निरंतर विकास हेतु प्रेरणा प्रदान की ।अपने व्याख्यान मे डॉ रोली मिश्रा ने आर्टिफिशल इंटेलीजेंस के आधार पर आगामी मानव की अवधारणा को स्पष्ट किया ।धन्यवाद ज्ञापन दश॔न शास्त्र विभाग की अध्यक्षा श्रीमती किरण ने किया एवं संचालन बी ए द्वितीय वर्ष की छात्रा कशिश सिह ने किया ।
पोस्टर प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्यो डा रेली मिश्रा एवं डा प्रीति यादव ने सभी पोस्टर का अवलोकन करने के उपरांत परिणाम घोषित किए जिसमे महिमा वर्मा प्रथम ,बीनू विश्वकर्मा द्वितीय, नैनसी यादव ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। रोनिका निषाद एवं वैष्णवी पाण्डेय को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
काय॔क्रम के अंत मे दश॔न शास्त्र विभाग की ओर से प्राचार्या महोदया को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए एवं अतिथि व्याख्याता तथा निणा॔यक मण्डल के सदस्यों को प्रमाण पत्र दिए गये। काय॔क्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया ।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज द्वारा मायांजली चेरिटेबल ब्लड बैंक, के सहयोग से स्वैच्छिक रक्तदान शिविर अयोजित

कानपुर 14 नवंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, बाल दिवस के उपलक्ष में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर के द्वारा मायांजली चेरिटेबल ब्लड बैंक, सिविल लाइंस कानपुर के सहयोग से कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के नेतृत्व में एक *स्वैच्छिक रक्तदान शिविर* का आयोजन किया गया। जिसमें छात्राओं, प्राध्यापिकाओं समेत समस्त शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की स्वास्थ संबंधी जांच की गई। जिनमें मुख्य रुप से हिमोग्लोबिन, वजन, ब्लड प्रेशर, ब्लड इंफेक्शन आदि हैं। शिविर का शुभारंभ प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने किया। चीफ प्रॉक्टर प्रो अर्चना श्रीवास्तव के द्वारा छात्राओं को रक्तदान से संबंधित व्याख्यान भी दिया गया। शिविर में लगभग 100 से अधिक छात्राओं के स्वास्थ संबंधी जांचें की गई तथा एन एस एस की 35 स्वयंसेविकाओं ने रक्तदान किया। रक्तदान करने वाली सभी छात्राओं को डोनर कार्ड, गिफ्ट, सर्टिफिकेट, फल, जूस, फ्रूटी व बिस्किट आदि का वितरण भी किया गया। शिविर में मुख्य रुप से डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ पारुल , कृष्णेंद्र श्रीवास्तव तथा मायांजली ब्लड बैंक से आई टीम के मेडिकल ऑफिसर डॉ अशोक गुप्ता, इंचार्ज विजय सिंह, नीरज कुमार, तनीशा, सिमरन, पवन कुमार व अभिमन्यु पांडे आदि का सहयोग सराहनीय रहा।

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मोतियों का शहर….. हैदराबाद

सफर की शुरुआत अगर अच्छी हो तो पूरा सफर अच्छा बीतता है और सफर में उत्साह भी बना रहता है। जब हम हैदराबाद घूमने के लिए रवाना हुए तो कुछ ऐसा ही उत्साह और मंजिल पर पहुंचने की बेचैनी हमारे सफर को खुशनुमा बनाए हुए थी। हमारी यात्रा की मंजिल हैदराबाद से ढाई सौ किलोमीटर कुरनूल के पास स्थित श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन मंदिर था। गोल पहाड़ियों वाला रास्ता बहुत रोमांचक था। सधे हुए हाथों से गाड़ी चलाना आसान नहीं था, हर समय एक डर बना रहता था किसी दुर्घटना का। श्रीशैलम पहुंचने का रास्ता पैदल नहीं है, आपको या तो बस, टैक्सी करनी पड़ती है या फिर खुद का वाहन रखना पड़ता है।रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है। रास्ते भर बंदरों का जमघट दिखाई पड़ता है और रात में वापसी की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। जंगली जानवरों का डर, अंधेरा और खतरनाक रास्ते रात में गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं देते।

श्रीशैलम पहुंचने के बाद हम होटल में रूकने के बजाय मंदिर के प्रांगण में ही रुके और वहां प्रकृति और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने लगे। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम को 5:00 से 6:00 बजे तक रहता है। शीघ्र दर्शन के लिए रूपया महत्वपूर्ण तो हो ही गया है। बिचौलियों ने अपनी घुसपैठ हर जगह बना रखी है। बहरहाल हम सादी लाइन में खड़े हो गये और कुछ देर बाद करीब 4:30 बजे के आसपास मंदिर का दरवाजा खुला और हम सब अंदर जाने लगे। अंदर पड़ी हुई बेंच पर बैठकर बाबा के दर्शन का इंतजार करने लगे। कुछ समय बाद बाबा के दर्शन के लिए धीरे-धीरे भीड़ छोड़ी जाने लगी। यह सत्य है कि ईश्वर के सामने अमीर गरीब सब एक समान हो जाते हैं। उस समय भी ऐसा ही था। बाबा के दर्शन के समय शीघ्र दर्शन वालों की लाइन और आम लोगों की लाइन सब मिलकर एक हो गए और सभी दर्शनार्थी एक साथ दर्शन लाभ ले रहे थे। सबसे अच्छी बात यह लगी की भीड़भाड़ होने के बावजूद सब लोग एक जगह पर बैठे हुए थे और थोड़ी-थोड़ी देर से लोग दर्शन के लिए भेजे जा रहे थे। सावन के महीने में यहाँ बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बाबा का फूलों से श्रंगार देखकर मेरी नजर हट ही नहीं रही थी अगर मन में कुछ मांगने की इच्छा हो तो शायद वह भी भूल जाते हैं बाबा को देख कर। सिर्फ सुंदर अलौकिक रूप दर्शन ही दिखाई देता है।
उसके बाद हम लोगों ने मां पार्वती के दर्शन किये। दक्षिण संस्कृति की छाप के कारण मंदिर का एक अलग सौंदर्य देखने को मिल रहा था। मल्लिकार्जुन मंदिर की स्थापत्य कला ने मुझे बहुत आकर्षित किया। पुराने पत्थर, पुराना ढांचा, पुराने खंभे और उन पर बनी आकृति कहीं कोई नवनिर्माण नहीं। मैं कुछ देर तक मंदिर की बनावट और पत्थरों को देखती रही। वहाँ की स्थानीय भाषा तेलुगु होने के कारण लोग क्या बोलते थे वह समझ से बाहर था लेकिन जरूरत पड़ने पर वह लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते थे।
ऐसा माना जाता है कि शैल पर्वत पर स्थित होने के कारण इसे श्रीशैलम पर्वत भी कहते हैं। शिवपुराण के आधार पर मल्लिकार्जुन का अर्थ मल्लिका मां पार्वती और अर्जुन भगवान शिव को माना गया है मल्लिकार्जुन की कहानी शिव पार्वती के पुत्र गणेश और कार्तिकेय की कहानी है जो गणेश जी अपने माता-पिता की परिक्रमा पूरी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी के परिक्रमा पूरी करने पर कार्तिकेय जी नाराज हो गये तो माता पार्वती भगवान शिव के साथ क्रौंच पर्वत पर कार्तिकेय जी को मनाने पहुंची। माता पिता के आगमन को सुन कार्तिकेय जी बारह कोस दूर चले गए, तब भगवान शिव वहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और तभी से वह स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ऐसा कहा जाता है कि वहां पर पुत्र स्नेह में माता पार्वती हर पूर्णिमा और भगवान शिव हर अमावस्या को आते हैं।
इसके बाद हम सब रामोजी सिटी घूमने गए। रामोजी सिटी घूमने में पूरा दिन लग गया। मुझे सबसे ज्यादा अच्छा रामोजी सिटी का प्रबंधन लगा। हर व्यवस्था बहुत कायदे से की गई थी और घूमने आए पर्यटकों का ध्यान भी बहुत अच्छे से रखा जा रह था। कई प्रोग्राम जो मूवी से ही जुड़े हुए थे जिससे यह पता चलता है कि कार्टून कैसे बनते हैं, मूवी कैसे बनती है इसकी जानकारियां दी गई थी। जिसे जानकर आप आश्चर्य करेंगे। नई – पुरानी फिल्मों के सेट देखे बाहुबली, केजीएफ, आरआर, पुष्पा जैसी मूवी के सेट देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। बाहुबली का सेट जब देखा तो महसूस हुआ कि व्यक्ति मूवी देखने में इतना गुम जाता है कि पीछे लगा सेट जिसमें हाथी घोड़े हिल रहे हैं या नहीं वह भी मालूम नहीं पड़ता। वैसे भी तकनीकी दौर है और अब सबकुछ टेक्निकल हो गया है। रामोजी में ही हम लखनऊ, आगरा, मुंबई, दिल्ली, लंदन, रेलवे स्टेशन, ताजमहल वगैरह वगैरह सब घूम लिए। रामोजी सिटी 2,500 एकड़ में डिज़ाइन किया गया है, इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स के रूप में प्रमाणित किया गया है।
बर्ड पार्क, एडवेंचर पार्क, जापानी गार्डन, मुगल गार्डन, सन फाउंटेन गार्डन और एंजल्स फाउंटेन गार्डन मुख्य आकर्षण हैं। वाइल्ड वेस्ट स्टंट शो, रामोजी स्पिरिट और कई तरह के स्ट्रीट इवेंट जैसे आकर्षक और रोमांचकारी लाइव शो हैं।
उसके बाद हम सालार जंग म्यूजियम जो हैदराबाद का इतिहास बयां करता है। म्यूजियम की जैपनीज गैलरी बहुत सुंदर है। पुराने गहने, बर्तन, हाथी को पहनाने वाले गहने, हथियार वगैरह सब कुछ बहुत दिलचस्प था। म्यूजियम में चीन, जापान, ईरान, पर्शिया और भारतीय सभ्यताओं का मिलाजुला इतिहास दिख रहा था।
बात करती हूँ अब चारमीनार की… चारमीनार यूं तो बहुत खूबसूरत दिखता है लेकिन वहां फैला हुआ बाजार उसकी सुंदरता को खत्म कर रहा है। चारमीनार हैदराबाद का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केंद्र है। यह स्मारक 1591 में मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा बनाया गया था और इसका नाम चारमीनार रखा गया था। इसे ‘पूर्व का आर्क डी ट्रायम्फ’ भी कहा जाता है। चारमीनार की ऊपरी मंजिल पर एक छोटी सी मस्जिद है। शाम की रोशनी इसे देखने लायक बनाती है। चारमीनार भीड़-भाड़ वाले इलाके में खड़ा है, जहां बाजार अस्त-व्यस्त हैं, जहां फेरीवाले, चूड़ी बेचने वाले और खाने-पीने की दुकानें हैं। फिर भी, यह हैदराबाद में एक लोकप्रिय यात्रा स्थल बना हुआ है।
इसके बाद हम सब सेवेन टोमब्स देखने गये। सात मकबरे काफी बड़े एरिया में फैला हुआ है और मैं दो ही मकबरे तक घूम सकी क्योंकि मेरे पैरों ने जवाब दे दिया था। मैंने वहां पर लोगों को पिकनिक मनाते हुए देखा। वो जगह हैदराबाद की विरासत को अब भी संभाले हुए हैं। कुतुब शाही मकबरा कुतुब शाही शासकों का शाही कब्रिस्तान है।
फिर निजाम पैलेस दिखा जो अब होटल के रूप में तब्दील हो चुका है। रास्ते से गुजरते हुए धूलपेट नाम की एक जगह थी। जिसके बारे में मालूम हुआ कि वहां पर मौजूद मस्जिद जिसमें एक मंदिर भी है जहां दोनों समय आरती और नमाज होती है और मस्जिद के बाहरी हिस्सों में लगी दुकानों में पूजा की सामग्री मिलती है। कहीं कोई बैरभाव नहीं दिखता। यह भाईचारा देखकर दिल बहुत खुश हो गया और अच्छा भी लगा कि अब भी ऐसी जगह मौजूद है।
हैदराबाद के खास पर्यटन स्थलों में गोलकुंडा किला बहुत मशहूर है। 170 सालों तक यहां के निजाम ने गोलकुंडा पर शासन किया। गोल आकार का किला, हैदराबाद का एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है। किला 300 फीट की ग्रेनाइट पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। 87 बुर्जों के साथ गोलकुंडा किले में मंदिर, मस्जिद, महल, हॉल, अपार्टमेंट और अन्य संरचनाएं हैं। शानदार डिजाइन के साथ-साथ यह किला अपनी ध्वनि से भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। हमलों के दौरान राजा को सचेत करने के लिए किले को एक किलोमीटर की दूरी तक ध्वनि ले जाने के लिए बनाया गया था। गोलकुंडा खदानें अपने हीरे जैसे कोहिनूर, नासक डायमंड और होप डायमंड के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गोलकुंडा का किला शहर के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। किले के ऊपर से सूर्यास्त देखने लायक होता है।
फिर वहां का संघी मंदिर हैदरबाद के बाहरी क्षेत्र संघी नगर में स्थित है। यह मंदिर ऊंचे बने राजा गोपुरम के लिए जाना जाता है, जो कि स्थानीय लोगों के बीच काफी पवित्र है। अपनी ऊंचाई के कारण गोपुरम को काफी दूर से भी देखा जा सकता है। यह मंदिर सुंदर ढंग से परमानंद गिरि नामक एक छोटी सी पहाड़ी पर बना है। मंदिर की बनावट विशिष्ट दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प की याद दिलाती है। यहां हर साल हजारों की तादाद में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। मंदिर में पत्थर से बने एक हाथी से खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। संघी मंदिर में कुल तीन गोपुरम है, जिसे देखकर लगता है कि यह आसमान को छू रहा है।
उसके बाद हम सब चिल्कुर मंदिर गये। वहाँ बालाजी को वीजा देने वाले भगवान भी कहते हैं। इस विश्वास की जड़ें एक घटना की जानकारी के रूप में मिलती हैं जब कुछ छात्र जिनके वीज़ा का आवेदन खारिज कर दिया गया था, वो यहाँ मंदिर में आए और प्रार्थना की कि केवल उनके आवेदन स्वीकार किए जाएं। खास बात यह है कि यह मंदिर किसी भी तरह का धन या दान स्वीकार नहीं करता है और यहाँ भगवान के दर्शन करते समय आंखें बंद नहीं की जाती है। यह बहुत पुराना मंदिर है और अभी भी अपनी वास्तविकता को बरकरार रखे हुए है।
इसके बाद नंबर बिड़ला मंदिर का जो अपने आप में बहुत खूबसूरत है। शांत वातावरण और बालाजी को देखकर शांति महसूस की। प्रभू का चेहरा निहारना अत्यंत सुखद लगा।
कोई भी घुमक्कड़ी हो बिना खरीदारी के पूरी नहीं होती। हैदराबाद को मोती की नगरी भी कहते हैं। तरह तरह के आकर्षक मोती के गहने मन को लुभाते हैं। लाख की चूड़ियाँ, मोजड़ी और हैदराबाद की पोचमपल्ली साड़ी बहुत मशहूर है। हैदराबाद एक ऐसा शहर है जो अपनी पारंपरिक संस्कृति के लिए जाना जाता है और वह संस्कृति निज़ामी विशेष खानपान की चीजों में दिखती है। खानपान में हैदराबादी बिरयानी, ईरानी चाय बहुत मशहूर है।

~प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज की छात्राओं के लिए शैक्षिक भ्रमड़ आयोजित

कानपुर 4 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी जी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने बी एस सी प्रथम द्वितीय तथा तृतीय वर्ष की छात्राओं के लिए शैक्षिक भ्रमड़ का आयोजन किया
दो दिवसीय भ्रमड़ ३-४ नवंबर२०२२ का शुभारम्भ प्रचार्या डॉ सुमन तथा वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति सिंह ने छात्राओं का मनोबल बढ़ाकर तथा विज्ञान की उपयोगिता एवं तकनीकी हेतु प्रेरित करके किया
नयी शिक्षा नीति के अन्तर्गत उच्च शिक्षा को रोज़गारपरक तथा आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में वनस्पति विज्ञान के नए पाठ्यक्रम में शैक्षिक भ्रमण को शिक्षा का अभिन्न अंग बना दिया गया है
बी एस सी की कुल 103 छात्राओं ने चंद्रा शेखर आज़ाद विश्वविद्यालय के सोईल केमिस्ट्री , बाओकोंट्रोल लैब , मशरूम कल्टिवेशन लैब एंटमालजी लैब , हॉर्टिकल्चर गार्डेन, नर्सरी, तितली बाग तथा म्यूज़ीयम का भ्रमड़ किया ।चंद्र शेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय के डीन डॉ डी आर सिंह ने अनुमति के अतिरिक्त स्वयं छात्राओं को सम्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय का इतिहास बताते हुए विज्ञान की उपयोगिता पर प्रकाश डाला और छात्राओं को विज्ञान की पढ़ाई हेतु प्रेरित किया। वेक अतिरिक्त डॉ अनिल सचान,विभागाध्यक्ष मृदा विज्ञान ,डॉ एड के बिस्वास, विभागाध्यक्ष प्लांट पथॉलॉजी,डॉ वी के त्रिपाठी विभागाध्यक्ष हॉर्टिकल्चर तथा डॉ राम सिंह एंटमालजी , ड़ा द्विवेदी ने सक्रिय सहयोग करते हुए अपने अपने विभागों में छात्राओं का मर्गदर्शन करते हुए अनेक विदेशी उपकरण दिखाए उनकी जानकारी दी एवं किस प्रकार उनका उपयोग शोध कार्यों में होता है दिखाया। इस भ्रमण में डॉ प्रीति सिंह, डॉ समीक्षा सिंह, डॉ रायी घोष तथा डॉ स्नेह त्रिवेदी के अतिरिक्त अवधेश, हरिनारायण तथा दिनेश शुक्ला ने भरपूर सहयोग किया।

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एस.एन.सेन बी. वी. पी.जी. कॉलेज में सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया

कानपुर 3 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंतर्गत एस.एन.सेन बी. वी. पी.जी. कॉलेज कानपुर में एल.आई.सी. कानपुर और सेन महाविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्त्वाधान में सतर्कता जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। सतर्कता जागरूकता सप्ताह 31 अक्टूबर से 6 नवंबर तक मनाया जा रहा है जिसे सार्वजनिक जीवन में नैतिकता को बढ़ाने के लिए, लोगों को भ्रष्टाचार से उत्पन्न खतरों के बारे में जागरूक करने के लिए, हित धारकों को एक साथ लाने के लिए मनाया जाता है। केंद्रीय सतर्कता आयोग इसे हर वर्ष बनाता है। वर्ष 2022 में सतर्कता सप्ताह की थीम है- *एक विकसित राष्ट्र के लिए, भ्रष्टाचार मुक्त भारत* ।
प्राचार्या प्रोफेसर (डॉ.) सुमन ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा की यदि अब भी हम सजग नहीं हुए तो भ्रष्टाचार रूपी दीमक हमारे देश को खोखला कर देगा। समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) निशि प्रकाश ने कहा कि समाज का हर नागरिक जागेगा तभी भ्रष्टाचार के दानव को समाप्त किया जा सकता है ।इस कार्यक्रम के अंतर्गत महाविद्यालय की छात्राओं ने निबंध, स्लोगन, पोस्टर और भाषण प्रतियोगिता में भाग लिया। पोस्टर प्रतियोगिता में भव्या शुक्ला ,अनुभवी और संजौली गुप्ता ने क्रमशः प्रथम ,द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त किया । स्लोगन प्रतियोगिता में रानू तिवारी ने प्रथम एवं कोमल शर्मा ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। भाषण प्रतियोगिता में कृष्णा कठेरिया ने प्रथम स्थान एवं यास्मीन बानो और अमरीन ने संयुक्त रूप से द्वितीय स्थान एवं प्रगति द्विवेदी और कीर्ति बाजपेई ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। प्रो. (डॉ.) अलका टंडन , डॉ. प्रीति पांडे, डॉ. ममता अग्रवाल, प्रो. (डॉ.) निशा वर्मा, डॉ. शुभा बाजपेई, डॉ. रचना निगम ने निर्णायक मंडल की भूमिका का निर्वहन कर छात्राओं का उत्साह वर्धन किया। कार्यक्रम का प्रभावपूर्ण संचालन समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर (डॉ.) मीनाक्षी व्यास के द्वारा किया गया। डॉ. सुनीता शुक्ला ने कार्यक्रम में सहयोग किया।धन्यवाद ज्ञापन समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर (डॉ.) रेखा चौबे के द्वारा किया गया।

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अविश्वसनीय परिवर्तन

पुणे 3 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, 40 साल की उम्र में, फिटनेस से वंचित शरीर के साथ दो किशोरों की परवरिश करते हुए, सुश्री प्रीति मस्के ने 2016 में अनिच्छा से 5 किमी दौड़ के लिए पंजीकरण कराया। आज, 2022 में, प्रीति म्हास्के, सुपर फिट, दो गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड रखती हैं – प्रत्येक दौड़ने और साइकिल चलाने के लिए। अविश्वसनीय परिवर्तन, है ना!? साइकिल चलाने का उनका जुनून केवल बढ़ रहा है। यदि आप उसे चेतावनी देते हैं कि एक विशेष मार्ग अप्राप्य है या xyz घंटों में नहीं देखा जा सकता है, तो प्रीति इसे एक आदर्श चुनौती के रूप में देखती है! इसे हासिल करने के लिए उसे केवल अगले तीन महीने लगते हैं। उसकी शारीरिक क्षमता, मानसिक शक्ति और इच्छाशक्ति का इससे बेहतर सारांश क्या हो सकता है! ऐसी ही एक राइड में प्रीति का एक्सीडेंट हो गया। इसने, स्वाभाविक रूप से, नाजुक मानव शरीर और मृत्यु के बारे में विचारों का एक हिमस्खलन जारी किया। उनके समर्पित शोध ने उन्हें मस्तिष्क-मृत्यु और अंग दान के समाधान के रूप में सीखने के लिए प्रेरित किया। उसकी खोज एक एनजीओ, रीबर्थ फाउंडेशन में समाप्त हुई, जो उसके शहर – पुणे में काम कर रही थी। रीबर्थ पिछले 7 वर्षों से पूरे भारत में अंगदान के प्रति जागरूकता और प्रसार पर काम कर रहा है। प्रीति ने अब अंगदान जागरूकता के लिए अपनी भविष्य की सवारी को समर्पित करने का फैसला किया है। इस नेक काम में योगदान के रूप में, प्रीति ने पाकिस्तान सीमा से चीन सीमा तक, 13 दिनों में कुल 3800 किमी की ट्रांस-इंडिया सवारी करने का संकल्प लिया है। सवारी 1 नवंबर, 2022 को नारायण सरोवर, कोटेश्वर, गुजरात से शुरू होगी और 13 नवंबर, 2022 (3810 किमी) पर किबिथू, अरुणाचल प्रदेश में समाप्त होगी। बेहद दृढ़ निश्चयी महिला प्रीति का मानना है कि उम्र किसी के जुनून की खोज में बाधा नहीं होनी चाहिए। उन्होंने अब साइकिल चलाने के अपने प्यार का पालन करते हुए अंगदान के लिए योगदान देने का संकल्प लिया है। प्रीति मस्के ने कहा, “मेरे कट्टरपंथी तरीके के बावजूद, अगर मैं अंगदान के माध्यम से एक भी जीवन बचाने में सक्षम हूं, तो मुझे लगता है कि मैं इस ग्रह पर अपनी भूमिका निभाऊंगी।” हार्दिक बधाई, टीम रीबर्थ अधिक जानकारी के लिए: वेब: www.rebirthtrust.org फेसबुक: https://www.facebook.com/Rebirthorgandonation Instagram: https://www.instagram.com/rebirthtrust/ Youtube: https://www .youtube.com/channel/UC8jM2PJvQJWs14MF-t0AqFg

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वित्त मंत्री ने 141 कोयला खदानों की अब तक की सबसे बड़ी नीलामी शुरू की

केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने कहा है कि भारत जैसी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को कोयला उत्पादन और उसके गैसीकरण की परियोजनाओं में अधिक निवेश की आवश्यकता है और वह भी तब जब विश्व स्तर पर, विशेष रूप से गैस के ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं। कोयला मंत्रालय की कोयला खदान नीलामी के छठे दौर का आज नई दिल्ली में शुभारंभ करते हुए वित्त मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत वर्तमान में दुनिया में सबसे अच्छा निवेश गंतव्य है। मंत्री महोदया ने कहा कि वर्तमान सरकार की नीतिगत स्थिरता और पारदर्शी प्रक्रिया के कारण बिजली क्षेत्र के लिए कोयले के आयात में 41% की कमी आई है। वित्त मंत्री ने कहा कि आज की 141 कोयला खदानों की नीलामी से बारह राज्यों को प्रत्यक्ष लाभ होगाI  कोयला क्षेत्र को खोलने (अनलॉक करने) के लिए हाल में ही की गई पहलों के लिए कोयला मंत्रालय की सराहना करते हुए श्रीमती सीतारमन ने कहा कि खनन क्षेत्र में सुधार हमारी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को सही गति प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि वित्त मंत्रालय कोयले के गैसीकरण और वाणिज्यिक खनन में प्रोत्साहन के लिए हर संभव सहायता करेगा। समारोह को संबोधित करते हुए कोयला, खान एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि कोयला मंत्रालय कोयले के उपयोग को बढ़ाने के लिए वैकल्पिक पद्धति ढूँढ रहा है। श्री जोशी ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने कोयले के गैसीकरण के लिए 6000 करोड़ रुपये अन्वेषण प्रक्रिया के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया है। अब तक की सबसे बड़ी नीलामी के दौरान आज ग्यारह राज्यों की 141 खदानों की नीलामी की गई। श्री जोशी ने कहा कि पूर्व में नीलाम हो चुकी खदानों में उत्पादन शुरू हो गया है और आशा है कि अगले वर्ष तक नई खदानों से एक से 1.5 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होने लगेगाI श्री जोशी ने आगे कहा कि अब तक  की गई समीक्षा के अनुसार कोयला मंत्रालय इस वर्ष 90 करोड़ टन कोयला उत्पादन होने का अनुमान लगा रहा है। समारोह को कोयला, खान एवं रेल राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे, कोयला सचिव श्री अमृत लाल मीणा और अपर सचिव श्री एम. नागराजू ने भी संबोधित किया।

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वाणिज्यिक नीलामी के छठे दौर में 133 कोयला खदानें नीलामी के लिए रखी गई थीं, जिनमें से 71 नई कोयला खदानें हैं और 62 कोयला खदानें वाणिज्यिक नीलामी के पहले चरणों से चल रही हैं। इसके अतिरिक्त, वाणिज्यिक नीलामी के पांचवें दौर के दूसरे प्रयास के तहत 8 कोयला खदानों को शामिल किया गया था, जिसके लिए पहले प्रयास में एकल बोलियां प्राप्त हुई थीं। नीलामी की इस किश्त के शुभारंभ के साथ ही कोयला मंत्रालय तापीय (थर्मल) कोयले के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

संरक्षित क्षेत्रों, वन्यजीव अभयारण्यों, संवेदनशील बसावटों, 40% से अधिक वन क्षेत्रों, भारी निर्मित क्षेत्र आदि के अंतर्गत आने वाली खदानों को नीलामी से बाहर रखा गया है। जिन क्षेत्रों में घनी बस्ती, उच्च हरित आवरण या महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे आदि की उपस्थिति है, के अंतर्गत आने वाली कुछ ऐसी कोयला खदानों की ब्लॉक सीमाओं में बोलीदाताओं की रुचि और इन कोयला ब्लॉकों में भागीदारी बढ़ाने के लिए हितधारकों के परामर्श के दौरान प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर संशोधन किया गया है। नीलाम की जा रही खदानें झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, तमिलनाडु और बिहार के कोयला/लिग्नाइट वाले राज्यों में फैली हुई हैं।

नीलामी प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताओं में अग्रिम राशि और बोली सुरक्षा राशि में कमी, आंशिक रूप से खोजी गई कोयला खदानों के मामले में कोयला खदान के कुछ हिस्से को छोड़ने की अनुमति, राष्ट्रीय कोयला सूचकांक और राष्ट्रीय लिग्नाइट सूचकांक की शुरुआत, बिना प्रवेश बाधाओं के भागीदारी में आसानी, कोयला उपयोग में पूर्ण लचीलापन, अनुकूलित भुगतान संरचनाएं, शीघ्र उत्पादन के लिए प्रोत्साहन, कोयला गैसीकरण और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है।

निविदा दस्तावेज की बिक्री 03 नवंबर, 2022 से शुरू होगी। खदानों, नीलामी की शर्तों, समय सीमा आदि का विवरण मेटल स्क्रैप ट्रेड कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएसटीसी) के नीलामी मंच पर देखा जा सकता है। प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर एक पारदर्शी दो चरण की प्रक्रिया के माध्यम से नीलामी ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के लिए कार्य प्रणाली कोयला मंत्रालय के एकमात्र लेनदेन सलाहकार एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड ने विकसित की थी और वही कोयले की नीलामी प्रक्रिया के संचालन में मंत्रालय की सहायता कर रही है।

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मिजोरम विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं राष्ट्रपति मुर्मू

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज (3 नवंबर, 2022) आइजोल में मिजोरम विश्वविद्यालय के 17वें दीक्षांत समारोह में भाग लिया। उन्होंने शिक्षा से संबंधित विभिन्न परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया जिनमें मिजोरम विश्वविद्यालय में एसटी गर्ल्स हॉस्टल और मौलपुई में सरकारी आइजोल कॉलेज, आइजोल में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) का स्थायी परिसर और पछुंगा यूनिवर्सिटी कॉलेज में पोस्ट ग्रेजुएट अकादमिक ब्लॉक शामिल हैं। इस अवसर पर संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मिजोरम विश्वविद्यालय, जो 2001 से सक्रिय हुआ है, आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाला पूर्वोत्तर क्षेत्र का एक प्रमुख विश्वविद्यालय है।

उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय ने शिक्षाविदों को बढ़ावा देने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं जिसके परिणामस्वरूप विज्ञान, कला, वाणिज्य, इंजीनियरिंग और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। विश्वविद्यालय ने ‘इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस’ का दर्जा प्राप्त किया है और कुछ बेहतरीन पहल की हैं। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय में मिजोरम विश्वविद्यालय का ढांचागत विकास सराहनीय है। राष्ट्रपति ने कहा कि मिजोरम विश्वविद्यालय में छात्रों को इनोवेशन्स और व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए तीन इन्क्यूबेटर हैं। विश्वविद्यालय ने विभिन्न शैक्षणिक और तकनीकी सहयोग के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों और संगठनों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करने के रास्ते तलाशने और अकादमिक और तकनीकी क्षेत्रों में उत्कृष्टता के नए मानक बनाने के लिए एक नया खाका तैयार किया है।

छात्रों को संबोधित करते हुए,राष्ट्रपति ने कहा कि दीक्षांत समारोह उनके परिवार के सदस्यों के प्रयासों को याद करने और पहचानने का एक महत्वपूर्ण अवसर है जिन्होंने उनकी पूरी यात्रा में उनका साथ दिया है। उनकी क्षमताओं की कोई सीमा नहीं है। इसलिए उन्हें बस अपनी क्षमता का एहसास करना चाहिए। वे अपनी प्रतिभा और क्षमता को सबसे अच्छी तरह से पहचानते हैं। राष्ट्रपति ने उन्हें दुनिया का पता लगाने और नए प्रयोग करने की सलाह दी। राष्ट्रपति ने छात्रों से अशिक्षितों को शिक्षित करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने की जिम्मेदारी लेने का भी आग्रह किया। इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि 2021-22 के शैक्षणिक सत्र में स्नातक छात्रों में लड़कियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है, राष्ट्रपति ने कहा कि उच्च शिक्षा में महिलाओं की बढ़ती संख्या प्रशंसनीय है लेकिन इसे उच्च दर से बढ़ाना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी कार्यबल में भी बढ़ी हुई भागीदारी में तब्दील हो। उन्होंने कहा कि जब महिलाएं आगे बढ़ेंगी तो पूरा देश आगे बढ़ेगा। राष्ट्रपति ने कहा कि मिजोरम विश्वविद्यालय और सैरंग में दो अनुसूचित जनजाति बालिका छात्रावासों का उद्घाटन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अन्य सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करके छात्राओं के सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि आईआईएमसी आइजोल के स्थायी परिसर के उद्घाटन से पूरे पूर्वोत्तर में मीडिया और जनसंचार अध्ययन को बढ़ावा मिलेगा।

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एस एन सेन पी जी कॉलेज में व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम “फ्रेश एंड क्रेज़ी” का आयोजन किया गया

कानपुर 3 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बी. वी. पी.जी कॉलेज कानपुर में प्राचार्या प्रोफेसर डॉ. सुमन के निर्देशन एवं सहयोग से छात्राओं के लिए एक व्यक्तित्व विकास कार्यक्रम “फ्रेश एंड क्रेज़ी” का आयोजन किया गया जिसके तहत गायन, नृत्य,मिमिक्री एवं रैंप वॉक जैसी प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का संयोजन अर्थशास्त्र विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रोली मिश्रा,अंग्रेजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पूजा गुप्ता और मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर सुश्री प्रीति यादव ने किया। संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. हरीश झा,शारीरिक शिक्षा विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति पांडेय, हिंदी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शोभा बाजपेई और समाजशास्त्र विभाग की प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी व्यास निर्णायक दल के सदस्य रहे जिन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में छात्राओं की प्रतिभा का अवलोकन करके निर्णय सुनाया। बी. ए. तृतीय वर्ष की छात्रा कु. वैष्णवी मिश्रा ने कार्यक्रम का संचालन करके अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में नृत्य प्रतियोगिता में सलोनी सिंह ने प्रथम, सिमरन ने द्वितीयऔर सृष्टि गौतम एवं अंशिका तिवारी ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। ग्रुप नित्य में एनसीसी टीम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। संगीत में करुणासागर,अलीशा सिंह और खुशी गुप्ता ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त किया। रैंप वॉक में सृष्टि, गौतम, वैशाली शुक्ला ने क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया तथा निकिता सविता एवं पंकजा ने संयुक्त रूप से तृतीय स्थान प्राप्त किया। मिमिक्री में बी. ए. तृतीय वर्ष की हर्षिता साहू ने प्रथम स्थान प्राप्त किया।

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ठगी से कमाए धन से सकून नहीं मिलता

इंग्लैंड की सर्दी और बादलों का घिरे रहना,यहाँ के लोगो को बिलकुल भी पंसद नहीं,मगर हमारे भारत में ऐसे मौसम को आशिक़ाना मौसम कहा जाता है, और शायर लोगों की कलम खुद ब खुद चलने लगती है। मगर यहाँ ,इंग्लैंड की धूप बहुत ही हसीन और लाजवाब होती है।सर्दी और फिर उस पर धूप,कैसे लगता होगा।इसका अंदाज़ा ,हर कोई लगा सकता है।सौंधी सौंधी सी धूप में बैठी, मैं सुबह की चाय का आनंद ले ही रही थी।आज दोपहर को नीरा आ रही थी मेरे घर ,मुझ से मिलने।मैं बहुत ख़ुश थी।यहाँ का लाइफ़ स्टाइल ही कुछ ऐसा है कि लोग अक्सर वीकेंड पर ही मिला करते है।आज तो बुधवार था।जल्दी ही मैंने चाय ख़त्म की, कुछ लचं की तैयारी कर,नीरा का इंतज़ार करने लगी।इतने में ही नीरा की गाड़ी घर के बाहर थी।मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा, नीरा कुछ बदली सी लगी।कुछ उदास ,उतरा सा, चेहरा दिखा मुझे।लंच का वक़्त तो था ही,हम सीधे खाने की मेज़ पर जा बैठे।इधर उधर की बातों के बाद मैंने पूछा नीरा सब कुछ ठीक तो है न ?मेरे पूछने की देर थी और नीरा ने लम्बी साँस ली और अपना दिल खोल कर मेरे सामने रख दिया।कहने लगी !उसके पति ने इतना बड़ा कारोबार शुरू किया था।इतना पैसा कमाया, मगर आज सब उसके पति के भाइयों के अधिकार में है।ये बात शायद हर घर की कहानी होती ही है दोस्तों।
ये सब सुन कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था।जैसे उस की मौजूदगी में मेरा दम घुटने लगा था,मगर मैं सुन रही थी।मुझे लगा,जो वो कहना चाह रही है,मुझे उसे सुनना चाहिये। उसका मन हल्का हो जायेगा,मगर वो तो रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी। बोलती ही जा रही थी ,कभी जेठानी, कभी देवरानी की बात ,वग़ैरह वग़ैरह।
मैंने तब उसका हाथ ,अपने हाथ में लेकर कहा ! नीरा नीरा !! थोड़ा शांत हो जाओ।नीरा तुम जानती हो कि तुम्हारी प्राबल्म क्या है ? नीरा जब तुम किसी के घर जाती हो ,उस वक़्त तुम दूसरो की बातों का कूड़ा करकट,अपने सिर पर लाध कर ,अपने ही घर ले आती हो ,जब कि होना तो ये चाहिए कि उनकी सोच का कूड़ा करकट वही ,उनके ही दरवाज़े पर छोड़ कर आया जाये,और अपने घर में बिलकुल साफ़ मन से, दाखिल किया जाये।कभी तुम चाहोगी कि किसी की बातों का,किसी की सोच का कूड़ा करकट अपने घर में लाया जाये।नीरा इक दम सोच में पड़ गई और बोली “न बाबा न !! “कभी भी मैं ऐसा नहीं चाहूँगी।
मैंने कहा! नीरा बस रब पर विश्वास रखो,सब ठीक हो जायेगा।मेरे देखते देखते ही नीरा रोने लगी।
दोस्तों !जिसने सब अपने हाथों से बनाया हो और वो छिन जाये।उसे कैसे महसूस होता है ,उसका ये दर्द मै बख़ूबी समझ पा रही थी।
दोस्तों।मेरा मानना ये है कि हमारे करमो के हिसाब से हमें घर परिवार मिलता है ,तो हम दोष किसे दे?हमारा सब से ज़्यादा लेना देना ,अपने ही परिवार से शुरू होता है कभी भाई बहन ,कभी माँ बाप ,के रूप में क़र्ज़ उतारते हैं ।जिस के साथ हमारा सबसे भारी क़र्ज़ पिछले जन्म में रहा होता है।वही पति या पत्नी बन कर आते है और पति पत्नी के रूप मे दोनों इक दूजे का सारा क़र्ज़ उतारते है।बच्चों के लिए हम दिन रात मेहनत करके सब कुछ करते हैं और हम हंस हंस कर अपना सारा कमाया धन ,उनके ही नाम करके अपना क़र्ज़ उतारते है ।हर कोई लेना देना कर रहा है कोई हंस कर ,कोई रो कर क़र्ज़ा उतार रहा है ।बहुत बार तो पति पत्नी का रिश्ता,प्यार मोहब्बत का होता भी नही ,बस इक दूसरे का क़र्ज़ ही उतार रहे होते है।
दोस्तों ! इक बात याद आ रही है मुझे।इक बार किसी महात्मा के दो सेवक थे।एक के घर बेटी थी और दूसरे के घर में बेटा था।जब दोनों शादी के लायक़ हुये तो महात्मा ने कहा ,इन दोनों की शादी कर दो।जल्दी ही दोनों की शादी हो गई।अभी तीन साल भी नहीं गुजरे थे कि दोनो का तालाक हो गया।लड़की का पिता बहुत दुखी हुआ।दोनों ही महात्मा के पास पहुँच गये।पूछने लगे कि आप की ही मर्ज़ी से ये शादी हुई थी।आप ने हमे पहले कंयू नही बताया कि ये दोनों ऐसे अलग हो जायेंगें।लड़की का पिता कहने लगा! मैंने करोड़ों की पूँजी बेटी की शादी पर खर्च कर दी।अब बहुत दुख लगता है कि मेरा कितना पैसा बर्बाद हो गया और मेरी बेटी का घर भी न बस पाया।महात्मा ने कहा ! इन दोनों का
हिसाब किताब कुछ ऐसा ही था।दोनों ने पूछा ! वो कैसे ?
महात्मा ने कहा! अब जो तुम इक दूसरे के समधी बने हो ,मगर पिछले जन्म मे तुम दोनों सगे भाई थे।जो अब लड़की का पिता है,उसने पिछले जन्म में अपने भाई को ख़ूब ठगा था और बहुत दुखी किया था।जिस भाई को ठगा था ,वो अब इस जन्म में समधी बन कर आया है और उसके यहाँ बेटा हुआ था।जिसने ठगा था उसके यहाँ बेटी
हुई।अब बेटी की शादी पर उसने हंस हंस कर ,खुले दिल से ,भर भर कर लड़के वालों को दिया और अपने पिछले जन्म का क़र्ज़ उतारा।अब बच्चों के तालाक से ,वो पैसा भी बर्बाद हुआ और मन भी दुखी हुआ।
दोस्तों ! भगवान बहुत बड़ा न्यायाधीश है।ठगी से कमाया पैसा हमें लगता है कि वो फल फूल रहा है मगर वक़्त आने पर,उसका बुरा असर हमारे ही बच्चों को भुगतना पड़ता है।
”बेशक ठगी से धन कमाना आसान हो सकता है मगर उस धन से सकून मिल जाए ये नामुमकिन होता है”।
दोस्तों!” मैंने नीरा को तो ये बात बड़ी आसानी से कह दी और समझा भी दी मगर मैं खुद सोचने पर मजबूर हो गई कि कैसे रह लेता है कोई ?
किसी का कुछ चुरा कर ,चाहे वो किसी का पैसा हो ,किसी का हक़ हो,किसी का विश्वास हो या फिर ..किसी का दिल ही कंयू न हो।भला कैसे कोई चैन से सो सकता है किसी को बेचैन करके ?..ये बात हम तो न समझ पाये दोस्तों ,अगर आप को समझ आये तो हमें भी ज़रूर समझा देना 🙏 स्मिता केंथ

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