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हिंदी का महत्व

एक भाषा के रूप में हिंदी भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्य व संस्कृति एवं संस्कारों की अच्छी संवाहक संप्रेषण और परिचायक भी है। बहुत सरल और सुगम भाषा होने के साथ ही विश्व की संभवत सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में बोलने और चाहने वाले लोग बड़ी संख्या में मौजूद है। देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिंदी देश की राजभाषा होने के बावजूद हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है। हिंदी जानते हुए भी लोग हिंदी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। हिंदी के विकास के लिए खासतौर से राजभाषा विभाग का गठन किया गया। इस विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है। 14 सितंबर 1949 का दिन स्वतंत्र भारत के इतिहास बहुत महत्वपूर्ण है। इसी दिन संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। इस निर्णय को महत्व देने के लिए और हिंदी के उपयोग को प्रचलित करने के लिए 1953 के उपरांत हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। 1918 में हिंदी साहित्य सम्मेलन में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था और काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।
जब राजभाषा हिंदी रूप में चुनी गई और लागू की गई तो गैर हिंदी भाषी राज्य के लोगों के विरोध के स्वर उठने लगे जिसके कारण अंग्रेजी भाषा को भी राजभाषा का दर्जा देना पड़ा। यही वजह है कि हिंदी में अंग्रेजी भाषा का प्रभाव पड़ने लगा। अंग्रेजी भाषा के अलावा किसी दूसरे भाषा की पढ़ाई को समय की बर्बादी समझा जाने लगा। हिंदी भाषी घरों में बच्चे हिंदी बोलने से कतराने लगे या अशुद्ध बोलने लगे। तब कुछ विवेकी अभिभावकों के समुदाय को एहसास होने लगा कि घर परिवार में नई पीढ़ियों के जुबान से मातृभाषा खत्म होने लगी है इसीलिए हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए राजभाषा सप्ताह मनाया जाता है। हिंदी भाषा केबल भाषा नहीं है वरन संस्कृति, परंपरा और मूल्य भी होती है और यह संस्कृति और परंपराओं का मूल्य तब तक सुरक्षित है जब तक भाषा सुरक्षित है। संविधान में भारत को राज्यों का संघ माना गया इसीलिए राजभाषा की जरूरत महसूस हुई।
आज तो यह देखा जा रहा है कि हिंदी पढ़ाने वाले शिक्षक अपने बच्चे को ही हिंदी नहीं पढ़ाते। हिंदी के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अब दिखाई नहीं देती । आज जरूरी है कि आप हिंदी खुद बोले और अपने बच्चों को अधिक से अधिक अपनी भाषा सिखाए। आज स्कूल और कॉलेज में हिंदी को बस प्राथमिक तौर पर महत्व दिया जाता है। अधिकतर स्कूल भी इंग्लिश मीडियम वाले है। शिक्षाओं के विकल्प भाषा के महत्व को कम कर रहे हैं। आज हिंदी को महत्व न देकर अन्य विदेशी भाषाओं को सीखने के लिए ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। आजकल माता पिता भी अपने स्टेटस सिंबल बनाए रखने के लिए हिंदी को नजरअंदाज कर रहे है। उन्हें इंग्लिश बोलते बच्चे ज्यादा गौरवान्वित लगते हैं।
किसी भी भाषा का विकास उसके साहित्य पर निर्भर करता है आज के तकनीकी युग में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी हिंदी में काम को बढ़ावा देना चाहिए ताकि देश की प्रगति में ग्रामीण जनसंख्या की भागीदारी सुनिश्चित हो सके। इसके लिए अनिवार्य है और अन्य भारतीय भाषाओं में तकनीकी ज्ञान से संबंधित साहित्य का अनुवाद किया जाए।
यूं तो पूरे देश की भाषा हिंदी है। हम साधारण बोलचाल की भाषा में हिंदी भाषा का ही इस्तेमाल करते हैं। जनमानस को जोड़ने वाली भाषा का प्रभाव समाज में आजकल कम होते जा रहा है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी है इसके लिए इसको एक दूसरे में प्रचारित करना चाहिए। आज दुनिया भर में बोली जाने वाली सभी भाषाओं में हिंदी तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें संस्करण इथोनोलॉज मैं बताया गया है कि दुनिया भर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है। अपनी मातृभाषा को सम्मान दें पर इसका महत्त्व बनाए रखने में अपना योगदान दें।* प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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हरदीप सिंह पुरी ने हेब्बल, मैसूर में सीएनजी और एलसीएनजी स्टेशनों का उद्घाटन किया

पर्यावरण के अनुकूल संपीडित प्राकृतिक गैस (सीएनजी) की पहुंच बढ़ाने के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवासन एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आज एक ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से हेब्बल, मैसूर (कर्नाटक) में 201वें सीएनजी स्टेशन और चौथे एलसीएनजी स्टेशन का उद्घाटन किया। ये सीएनजी/एलसीएनजी स्टेशन एजी एंड पी, प्रथम की ओर से स्थापित किए गए हैं। स्टेशनों के उद्घाटन के समय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव श्री पंकज जैन, मंत्रालय और तेल व गैस कंपनियों के कई वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।

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हरदीप सिंह पुरी ने देश में सीएनजी स्टेशनों और एलसीएनजी स्टेशनों का विस्तार करने के लिए एजी एंड पी, प्रथम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर जनता के लिए स्वच्छ और टिकाऊ ईंधन उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार विकास की दिशा में लगातार नीतिगत और नियामकीय सुधार करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में देश में सीएनजी स्टेशन 2014 के 938 से बढ़कर 4629 हो गए हैं और यह संख्या 8000 तक पहुंचने की संभावना है। पीएनजी कनेक्शन चार गुना बढ़कर लगभग 1 करोड़ हो गए हैं जबकि 630 जिलों को कवर करते हुए सीजीडी नेटवर्क 9 गुना बढ़ गया है। मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार ने राजनीतिक इच्छाशक्ति, नीतिगत मुद्दों पर स्पष्टता और उन फैसलों को लागू करने की क्षमता दिखाई है जिनसे इन लक्ष्यों को हासिल करने में काफी मदद मिली। उन्होंने कहा कि सरकार का मतलब बिजनस है और देश के एनर्जी बास्केट में गैस का उपयोग 15 फीसदी तक बढ़ेगा और सीजीडी (सिटी गैस वितरण) नेटवर्क करीब 90 फीसदी उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा।

श्री पुरी ने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात में गैस और कच्चे तेल का उत्पादन और उपलब्धता एक चुनौती है लेकिन भारत ऊर्जा मूल्य और उपलब्धता के साथ-साथ ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चित करता रहा है। उन्होंने आगे कहा कि घरेलू गैस की कीमतों में वृद्धि हेनरी हब और अन्य स्थानों पर मूल्य वृद्धि का एक छोटा हिस्सा है। यह सरकार की ओर से घरेलू उपभोक्ताओं पर प्रभाव कम करने के लिए किए गए कई तरह के उपायों के कारण संभव हुआ है।

श्री पुरी ने जोर देकर कहा कि पीएनजी कवरेज को ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचाने की जरूरत है। उन्होंने सभी सीजीडी संस्थाओं से मिनिमम वर्क प्रोग्राम के तहत निर्धारित समय सीमा में पीएनजी कनेक्शन को पूरा करने के लिए हरसंभव प्रयास करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि सीजीडी बोली के 11वें दौर तक की प्रतिबद्धताओं के पूरा होने के बाद, भारत में अगले आठ वर्षों में 6 करोड़ पीएनजी कनेक्शन और करीब 9500 सीएनजी स्टेशन होंगे। इससे सभी को स्वच्छ ईंधन मिल सकेगा और सस्ती दरों पर सुविधा प्रदान की जा सकेगी।

आज का उद्घाटन समारोह देश में परिवहन क्षेत्र के लिए पर्यावरण अनुकूल और सुविधाजनक ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ज्यादातर पारंपरिक ईंधनों की तुलना में प्राकृतिक गैस सुरक्षित और किफायती भी है।

माननीय प्रधानमंत्री ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था के लिए प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी को 15 फीसदी तक बढ़ाने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। 2070 तक भारत के नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करने में गैस आधारित अर्थव्यवस्था का विकास महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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क्राइस्ट चर्च पी जी कालेज में एनएसएस इकाई एवम् आर के देवी आई रिसर्च इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वाधान मे मिशन प्रकाश के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए नेत्र प्रशिक्षण सत्र आयोजित

कानपुर 30 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च पी जी कालेज में एनएसएस इकाई के द्वारा आर के देवी आई रिसर्च इंस्टीट्यूट के सहयोग से मिशन प्रकाश के अंतर्गत विद्यार्थियों के लिए नेत्र प्रशिक्षण सत्र का आयोजन किया गया जिसका प्रारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल तथा एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा के निर्देशन में हुआ ।इसके पश्चात आर के देवी आई रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से आई हुई श्रीमती दीपिका श्रीवास्तव जी ने विद्यार्थियों को नेत्र से संबंधित समस्याओं से अवगत कराया और किस तरह से नेत्र का उपचार करा सकते है उससे संबंधित जानकारी दी आज का कार्यक्रम सभी के लिए बहुत ही लाभकारी रहा।

कार्यक्रम का समापन डॉ सुनीता वर्मा ने अपनी एनएसएस इकाई के प्रमुख हर्षवर्धन दिक्षित तथा सह प्रमुख विलायत फातिमा व मोमिन अली ने अपनी अपनी टीम जिनमें अरबाज,सुप्रिया,सौम्या,इरम,स्तुति,पवन,रिया,आर्फिया,साद,मुस्कान,मानवी,उमर,ज़रीन,रितेश, अक्शा,रिया के साथ मिल के कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन किया।

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एसएन सेन महाविद्यालय में मेजर ध्यानचंद के जन्म शताब्दी पर राष्ट्रीय खेल दिवस आयोजित

कानपुर 30 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एसएन सेन महाविद्यालय में मेजर ध्यानचंद के जन्म शताब्दी पर राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती एवं मेजर ध्यानचंद जी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया गया। छात्राओं द्वारा मेजर ध्यानचंद जी की जीवनी, हॉकी खेल में उनका योगदान एवं प्रचलित घटनाओं पर वक्तव्य दिया गया। शारीरिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विभाग की छात्रा प्रियंका ,अमृता ,पापुल, प्रियांशी अंशिका, ईशा छात्राओं ने अपना उद्बोधन दिया ।महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सुमन ने मेजर ध्यानचंद को याद करते हुए भारत के लिए उनके योगदान एवं परिश्रम की सराहना की एवं जिन युवाओं को उनके जैसे बनने की प्रेरणा दी । वर्तमान युवा को वितरित करें तो वायु बनता है, के ज्ञान से अवगत कराया। दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष डॉ. किरन ने मेजर ध्यानचंद के व्यक्तित्व के चारित्रिक गुणों को आत्मसात करने के लिए छात्राओं को प्रेरित किया। शारीरिक शिक्षा विभाग अध्यक्ष डॉ प्रीति पांडेय ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए छात्राओं को खेलों में अपनी योग्यता को प्रदर्शित करने के लिए प्रोत्साहित किया। पूरे कार्यक्रम का संचालन शारीरिक शिक्षा विभाग b.a. तृतीय की छात्रा अमृता द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ रेखा डॉ.रचना शर्मा , डॉ मीनाक्षी ड.शुभा बाजपेई डॉ रश्मि उपस्थित रहे।

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एसएन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज में 12 शिक्षिकांए प्रोन्नत

कानपुर 22 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एसएन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज का छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेंटर में प्राचार्य डॉ सुमन के नेतृत्व में 9 शिक्षिकाओं डॉ निशी प्रकाश , डॉ रेखा चौबे ,डॉ अलका टंडन ,डॉ गार्गी यादव ,डॉ पूनम अरोड़ा, डॉ निशा वर्मा ,डॉ चित्रा सिंह तोमर, डॉ गीता देवी गुप्ता, डॉ मीनाक्षी व्यास का एसोसिएट प्रोफेसर से प्रोफेसर पद पर पदोन्नति हुई साथ ही डॉ प्रीति पांडे एसोसिएट प्रोफेसर और डॉ मोनिका सहाय असिस्टेंट प्रोफेसर स्टेज 3 पर पदोन्नत हुए। आयोग द्वारा नवनियुक्त प्राचार्य डॉ सुमन ने एसएन सेन महाविद्यालय के कई वर्षों से रुके हुए प्रमोशंस को संज्ञान में लिया और तत्काल कार्यवाही करते हुए सभी प्रवक्ताओं के प्रमोशन पर कार्यवाही की और आज सफलतापूर्वक कुल 12 प्रवक्ताओं का प्रमोशन विश्वविद्यालय में किया गया सभी प्रोन्नत प्राप्त शिक्षकों ने प्राचार्य डॉ सुमन को धन्यवाद दिया। इस बैठक में क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी प्रोफेसर डॉ रिपुदमन उपस्थित रहते हुए अपने निरीक्षण में पूरे बैठक को आयोजित करवाई। इस अवसर पर चयन समिति एवं प्राचार्य जी ने सभी को बधाई दी। सभी शिक्षिकाओं ने प्राचार्य जी को धन्यवाद ज्ञापित किया। एस डी एम सदर अनुराज जैन ने सभी को बधाई दी।

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दिल बड़ा रखिए जनाब कौन बेमतलब आता है किसी के यहां आजकल

कोई है वहाँ ? ज़रा फ़ोन तो उठाओ।फ़ोन की घंटी कब से बजे जा रही है।रिया ने बाथरूम से अपने पति रोहन को आवाज़ देते हुये कहा।रोहन ने झट से फ़ोन उठाया तो उधर रोहन की बहन सलोनी थी जो कह रही थी वो अगले हफ़्ते रोहन के शहर किसी आफ़िस के काम से आ रही है एक हफ़्ते के लिये, और उसी के यहाँ ठहरेगी।रोहन ने बात करके फ़ोन रख दिया, मगर अब सोच रहा था कि कैसे कहे रिया से कि सलोनी आ रही है।वो रिया को जानता था।इतने मे रिया बाथरूम से बाहर आ गई और पूछा किसका फ़ोन था ?रोहन ने कहा ! सलोनी कुछ काम के सिलसिले से यहाँ आ रही है और हमारे साथ दो चार दिन रहेगी ।बस फिर क्या था ,रिया ने कहा अगले हफ़्ते मेरी दो किटी पार्टी है और मै काम पर भी जाऊँगी ,मै नही सँभाल सकती किसी मेहमान को।कह दो सलोनी से कि तुमहारे बड़े भाई के यहाँ ठहर जाये।वहाँ भी तो जा सकती हैं रोहन कहने लगा !सलोनी अपने किसी आफ़िस के काम से आ रही है और उसका आफ़िस हमारे घर के पास है,इसीलिए हमारे यहाँ ठहरेगी।अब रोहन सलोनी को हाँ कर चुका था।रोहन चुपचाप उठा अपने आफ़िस चला गया मगर मन पर बोझ था।सोच रहा था ,अगर रिया की बहन का फ़ोन आया होता तो क्या रिया तब भी यूँ कहती और सोचने लगा जब कोई रिया के मायके से आता है तो वो कितना स्वागत करता है मगर रिया कयूं ऐसा करती है।मेरी माँ बाप ,बहन भाई ,जब भी कोई आता है तो उसका व्यावहार ऐसा कयूं होता है।अगर मैं रिया की हर बात का मान रखता हूँ तो रिया कयूं नही रख पाती।कंयू ऐसा बर्ताव करती है।आज काम पर मन नही लगा ,क्यूँकि रोहन ये पहले भी देख चुका था।शाम को सुनिल के घर जाने का प्रोग्राम था।सुनिल जो रोहन का बचपन का दोस्त था मगर भाई जैसा।सुनिल की दादी की 70 वीं सालगिरह थी।पार्टी सादी सी थी मगर वहाँ अपनापन और प्यार बहुत था।रोहन और रिया दादी के पास बैठे तो रोहन ने दादी को बताया कि उसकी बहन सलोनी आ रही है पूना से।दादी बहुत ख़ुश हुई और कहने लगी।तीन सालों के बाद आ रही है यहाँ, तेरे पापा के गुज़र जाने के बाद तुम दोनों भाई ही तो है उसके।तुमहारे पास नहीं आयेगी तो किस के पास जायेगी,मगर रिया ने तुनक कर कहा !दादी मै काम पर जाती हूँ मेरे घर कोई आये ,मुझे संभालना बहुत मुश्किल लगता है।दादी तो फिर दादी थी,बडे प्यार से रिया का हाथ पकड लिया और सिर पर हाथ फेर कर कहने लगी।
बिटिया,हम कितना परिवार अकेले सँभाल लिया करते थे बिना किसी नौकर के।आजकल तुम लोग इक मेहमान भी आ जाये तो तुम कैसा व्यावहार करने लगते हो ,अभी तो तुमहारे पास काम करने वाले नौकर चाकर भी रोहन ने लगा रखे है।बिटिया ज़रा दिल को बड़ा रखा करो।अगर तुम अपने पति का प्यार या विश्वास पाना चाहती हो तो उसकी भावनाओं का सन्मान करना सीखो ,फिर दादी ने अपने गाँव के इक पति पत्नी की बात बताई।कहने लगी कि हमारे गाँव मे इक जवान पति पत्नी रहते थे ।दोनों ही बहुत ही छोटे दिल के मालिक थे।उनके घर अगर कोई मेहमान आता तो पत्नी के माथे पर बल पड़ जाते और बहाने बहाने से ,साथ वाले पड़ोसी के घर से आटा माँग कर ले आती।कोई भिखारी भी उनके यहाँ आता तब भी वो दोनों ,साथ वाले पड़ोसी के घर भेज दिया करते और कहते कि पड़ोसी के घर चले जाओ यहाँ से कुछ नही मिलेगा।आये दिन अपने पड़ोसी के घर से कुछ न कुछ मागंते रहते।इक रोज बहुत ही गरीब भिखारी उनके दरवाज़े पर आया तो पहले की तरह उन्होंने उसे भी साथ वाले घर में भेज दिया।उस रात दोनों जब सो रहे थे तो पत्नी ने सपना देखा कि जिस गुरू को वो मानते है वो गुरू उनके आटा के डिब्बे मे से आटा निकाल कर पड़ोसी की रसोई में जा कर उनके आटे का डिब्बे में डाल रहे है। सुबह उठ कर पत्नी ने पति को ये बात बताई ।
दोनो घबरा गये ।सोचने लगे ,गुरू हमारे अन्न को बढ़ाने की बजाये अन्न को कम क्यों कर रहे थे।उन दोनों को ये सपना बैचेन कर रहा था।अगले रोज सीधा गुरू के पास पहुँच गये और सारी बात ,जो पत्नी ने सपने मे देखी थी ,गुरु जी से कह डाली ।गुरू जी हंसने लगे !कहने लगे अब तुमहारे यहाँ कोई मेहमान या कोई कुछ माँगने के लिए आता है तो तुम उसे साथ वाले घर मे भेज देती हो जबकि उनका दाना पानी तो तुमहारे घर मे लिखा था।बस मै तो वही अन्न,जो उनके हिस्से का अन्न होता है तुमहारे घर से निकाल कर पड़ोसी के यहाँ पहुँचा के आता हूँ।जब रिया ने बात सुनी तो सोच मे पड़ गई।बात तो सही थी कोई किसी के यहाँ ऐसे ही नहीं जाता ,दाना पानी खींच कर ले आता है ये बात तो उसने भी सुन रखी थी।अपनी सोच पर शर्म सी महसूस करने लगी।दादी कहती जा रही थी रिया जब तुम अपने भाई के यहाँ जाती हो तो वो तुम्हें कितना सन्मान देते है, अगर तुम्हारी भाभी भी ऐसा बर्ताव करे,जैसा तुम सलोनी के आने पर कर रही हो तो कैसा लगेगा तुम्हें।
दोस्तों!आज हम सब भी तो ,यही कर रहे हैं ।दिल को बड़ा रखने की जगह मेहमानों को मुसीबत समझने लगे हैं आज कोई घर आ जाये,तो अपने हाथो से खाना बना कर खिलाना तो बहुत दूर की बात हो गई है बस आसान रास्ता अपना लेते है कि चलो किसी रेस्टोरेन्ट मे खाना खिला देते है।मेहमान कोई भी हो ,पति का या पत्नी की तरफ़ से ,खुले दिल से स्वागत करे।यू तो हम कह रहे हैं समाज में प्यार बढ़ाये तो क्यों न शुरूवात अपने से ही करें।
यूँ भी दोस्तों !
“ कौन किसी के यहाँ आता जाता है आजकल,ये तो परिंदों की मासूमियत भरी मेहरबानी है ,जो हमारे बगीचो मे कभी भी आया ज़ाया करते है “
-लेखिका स्मिता ✍️

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गुजरा वक्त

बचपन कहूं या गुजरा वक्त मगर यह सच है कि वक्त बहुत तेजी के साथ बदल गया है। बीते वक्त की आज से तुलना करती हूं तो लगता है जैसे पता नहीं हमारा वक्त कौन सा वक्त था। आज हम इतना ज्यादा उपभोक्तावाद हो गए हैं कि छोटी छोटी चीजों का महत्व खत्म हो गया है। उनकी उपयोगिता घट गई है। छोटी छोटी सी चीजों में भी खुश हो जाने वाला बचपन आज बड़ी बड़ी चीजों में भी बहुत सहज दिखाई देता है।

हमारे जीवन में छोटी खुशियां और चीजों का मूल्य समझा और समझाया जाता था। एक बात और है कि आज के इस तकनीकी युग में विकल्प बहुत है। मुझे याद आता है कि यदि हमारी हवाई चप्पल अगर कहीं से टूट जाती थी तो सिलवाई जाती थी और उस चप्पल का इस्तेमाल हम तब तक करते थे जब तक वो बिल्कुल फेंकने लायक ना हो जाये। सिर्फ चप्पल ही क्यों स्कूल बैग फट जाते थे तो सिलवा कर इस्तेमाल में लाए जाते थे, आज की तरह नहीं कि फेंको और दूसरा ले लो। कपड़े भी जरा से फट गए तो सिल कर काम चला लिया जाता था, नए कपड़ों से अलमारियां नहीं भर ली जाती थी, पांच सात जोड़ी कपड़े बहुत होते थे। किताबों पर जिल्द ब्राउन पेपर की नहीं बल्कि अखबारों की जिल्द से भी काम चल जाता था।
हमारा बचपन खेल कूद और पढ़ाई में ही बीता। रसोई में क्या बन रहा है कभी ध्यान ही नहीं गया। मां जो भी बना देती थी वही खाना रहता था। हमारे लिए कोई ऑप्शन नहीं थे लेकिन आज अगर घर में तीन लोग हैं तो तीन तरह की रसोई बन जाती है, अनाज बर्बाद होता है सो अलग। पढ़ाई के मामले में भी अगर किताबें भाई बहन के काम आती है तो संभाल कर रख ली जाती थी नहीं तो किसी जरूरतमंद को दे दी जाती थी, रद्दी में नहीं फेंकी जाती थी। ऐसी ही न जाने कितनी बातें हैं दूरदर्शन या डी डी मेट्रो के अलावा हमारे लिए टीवी पर दुनिया भर के चैनल नहीं थे। रविवार का इंतजार रहता था और एक फिल्म देखना, कार्टून देखना या चंद्रकांता सीरियल, रामायण, महाभारत, टॉम एंड जेरी और चित्रहार जैसे कार्यक्रमों का इंतजार रहता था। आज की तरह बटन दबाकर पाज कर दिया और कल देखेंगे वाला सिस्टम नहीं था, उत्सुकता बनी रहती थी। वह इंतजार अब नहीं रह गया है। गाना सुनने के लिए वीडियो या टेप रिकॉर्डर थे। आज की तरह मोबाइल में सब कुछ सहूलियत से उपलब्ध नहीं था। होटल वगैरा भी किसी खास मौके पर ही जाना होता था आज की तरह वीकेंड मनाने या फिर जब मन हुआ होटल चले गए ऐसा नहीं होता था।
महसूस होता है कि वक्त बहुत तेजी से बदल गया है। पता नहीं दुनिया पहले छोटी थी अब छोटी हो गई है। बहुत फर्क आ गया है बच्चे हिंदी नहीं पढ़ना जानते, वास्तविक जीवन में कम तकनीकी जीवन में ज्यादा जीते हैं , मशीनी गति से काम करते न जाने कौन सा  सुख तलाश करते हैं। हमें पैसे की वैल्यू समझाई जाती थी। अब सब समय की वैल्यू देखते हैं। हमें महंगी और सस्ती चीजों का फर्क समझाया जाता था। सिर्फ पसंद आ जाना भर ही आ जाना ही मायने नहीं रखता था समय के साथ बदलता बहुत कुछ है और बदलना भी चाहिए आज के बच्चों में परिपक्वता ज्यादा है मगर जब कभी लगता है कि बच्चे अपना बचपन, अपने संस्कार और अपने मूल्य भूलते जा रहे हैं तब दुख होता है।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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 क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया आजादी की 75 वी वर्षगाठ 

कानपुर 15 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज ने भारतीय राष्ट्रवाद में सराबोर हो आज़ादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत मनाया आजादी की 75 वी वर्षगाठ,
इस वर्ष क्राइस्ट चर्च कॉलेज में सबमे स्वतंत्रता दिवस पर एक विशेष उत्साह और राष्ट्रीय गौरव की भावना भरी है। यह राष्ट्रवादी जोश और असीम उत्साह इसलिए भी है कि भारत ने आज अपनी आज़ादी के 75 वर्ष सफलतापूर्वक पूरे किये और सरकार ने इसे एक हैराष्ट्रीय उत्सव में परिणित कर दिया है.
आजादी के महोत्सव के 75 वर्ष को विद्यालय के छात्रों द्वारा 11-17 अगस्त तक विविध सांकृतिक एवं बौद्धिक विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जैसे तिरंगा के साथ सेल्फी, निबंध लेखन, रंगोली प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी और 15 अगस्त को एक विशष सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम आयोजित कर किया गया. इन सभी कार्यक्रमों का आयोजन कॉलेज की सांस्कृतिक समिति के द्वारा किया गया था जिसकी संयोजिका डॉ विभा दीक्षित की कार्य समिति हिना अजमत, अर्चना, साक्षी के साथ छात्र प्रतिनिधि मानवी, वेदांत, अभिषेक, उदित, नबा आदि शामिल थे.
स्वतन्त्रता दिवस 15 अगस्त के दिन कॉलेज में महोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत हमारी आदरणीय पूर्व छात्र मुख्य अतिथि जयश्री तिवारी माननीय पूर्व न्यायधीश, इलाहाबाद उच्च न्यायालय और प्राचार्य और सचिव प्रो. जोसेफ डेनियल द्वारा ध्वजारोहण के साथ राष्ट्रगान से हुआ। इसके बाद माननीय मुख्य अतिथि और प्राचार्य ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने स्वतन्त्रता के महत्व एवं उसके सभी के जीवन में महत्व एवं योगदान पर प्रकाश डाला. इस कार्यक्रम का संचालन कॉलेज एलुमनाई एसोसिएशन के सचिव श्री महलवाल ने किया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के शिक्षकगण डॉ. सबीना बोदरा (उप प्राचार्य), प्रो. डी. सी श्रीवास्तव, शिप्रा श्रीवास्तव, आशुतोष सक्सेना, सुजाता, सूफिया, मीतकमल, शालिनी, आदि सभी मौजूद थे.
झंडा रोहण के बाद सांस्कृतिक समिति के छात्रों द्वारा एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। छात्रों में स्वीकृति ने वंदे मातरम पर अद्भुत भरतनाट्यम किया, श्रजल और वेदांत ने स्वरचित राष्ट्रप्रेम पर कवितापाठ किया, विवेक पॉल ने पश्चिमी नृत्य से भारतीय सेना को श्रद्धांजलि दी तो हमदा, नबा एवं ग्रुप, कशिश और शेरोन ने जय हो, वतन मेरे अबाद रहे तू, और ऐ मेरे वतन के लोगों जैसे गीतों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कॉलेज बैंड के उत्कर्ष, रूहानिका, हनी और उदित ने “संदेश आते हैं” और “वंदे मातरम” पर अप्रतिम प्रस्तुति दी। ऐसा लग रहा था मानो हर कोई राष्ट्रप्रेम के समुद्र में बह रहा हो। तत्पश्चात कॉलेज नाट्य मंच के छात्रों ने प्रसिद्ध कहानीकार मंटो की कहानी तुबा टेक सिंह पर आधारित “बंटवारे की त्रासदी” नाम से एक लघु नाटक का मंचन किया। यह बहुत ही भावनात्मक और दिल को छू लेने वाली प्रस्तुति थी जिसको सांस्कृतिक समिति की संयोजक डॉ. विभा दीक्षित के निर्देशन में तैयार किया गया था। नाटिका में नागेन्द्र, देव, उदित, अभिषेक हर्षित, प्रीती. रमा, वैशाली, साहिल आदि ने मुख्य भूमिका निभाई. कार्यक्रम का समापन एक बहुत ही उत्साह एवं देशप्रेम से भरे हुए समूह नृत्य “रंग दे बसन्ती” से किया गया जो स्वीकृति, मानवी और विवेक ने तैयार कराया था. इसमें स्वप्निल, देव, साहिल, निकिता कशिश, अंजना स्नेहा शामिल थे.
15 अगस्त “आज़ादी का अमृत महोत्सव” में छात्रों के रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम ने सब को “आज़ादी की बयार” और “स्वतंत्रता के उत्सव” के आनंद में सराबोर कर दिया था. सभी ने इस दिन को भरपूर उत्साह से मना

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज के एन एस एस वॉलिंटियर्स द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत प्रभातफेरी का आयोजन

कानपुर 13 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव – हर घर तिरंगा अभियान के अंतर्गत प्रभातफेरी का आयोजन किया गया। चीफ प्रॉक्टर डॉ अर्चना वर्मा जी ने प्रभात फेरी का शुभारंभ किया। प्रभात फेरी महाविद्यालय से आरंभ होकर अस्पताल घाट, मैगजीन घाट व मजार मलिन बस्तीयों तक गयी। जिसमें देशभक्ति से ओतप्रोत तराने गाए गए तथा नारे बोले गए। छात्राएं विभिन्न स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की वेशभूषा पहन कर आई जिसमें बी०ए०, पार्ट वन, सेमेस्टर-2 की छात्रा अभिव्यंजना रानी लक्ष्मीबाई बनकर आई। छात्राओं के द्वारा बस्ती वासियों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के जीवन वृत्त से भी अवगत कराया गया तथा तिरंगे झंडे का वितरण किया गया। सभी वॉलिंटियर्स ने पूर्ण मनोयोग, उत्साह व उमंग के साथ में हिस्सा लिया साथ ही बस्ती वासियों ने भी पूर्ण जोश के साथ सहयोग किया।

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पिया का साथ है और नैनों में अंजुरी भर सपनों की सौगात है

जिन्दगी कभी कभी नीम के पेड़ जैसी है
जरा सी धूप, जरा सी छांव की तरह है
कभी सावन के झूलों जैसी राहें हैं
कभी ऊपर कभी नीचे…. ऊंची ऊंची पेंगे
और कभी मंझधार में अटकती राह है

मेंहदी के रंग से सजी मोहब्बत
हाथों से आती सोंधी खुशबू
यूं ही इश्क़ बयां कर देती है
चूड़ी बिंदिया काजल और कंगन
ये तो यूं ही जलाती हैं

राह देखता मायका कुछ अपनों का
जहाँ बहू बेटियों की बात ही निराली है
संग सहेलियों के कुछ पल बिताने
सावन की बात ही निराली है

तीजों का त्यौहार,
भाई बहनों का प्यार
मांओं का दुलार
झूले पर खेलता बचपन
सावन की यह हरियाली बड़ी मतवाली है

पिया का साथ है और
नैनों में अंजुरी भर
सपनों की सौगात है
देखो वो आया परदेसी
कि अब मिलन की आस है

~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

 

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