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महिला जगत

अभिशप्त मैं

:- “पूनम यह लो पैसे और दो किलो बाजरे का आटा लेती आ।”

पूनम:- “वो पहले के बकाया पैसे मांग रहा है, परसों कह रहा था कि पहले पैसा लाओ फिर आटा दूंगा।”
माया:- “बोलना उससे कि इसी रूपये में से काट ले और जो हिसाब बचेगा वो अगली बार दे दूंगी।”
पूनम:- “ठीक है” और कराहती हुई उठी दुकान जाने के लिए।
माया भी कमर पकड़कर उठी तो दर्द से कराह उठी। मन ही मन बड़बड़ाते हुए काम पर जाने लगी तो पास ही बैठे हुए छोटे बच्चों की और देखा जो भूखे बैठे खाने की राह देख रहे थे। पति मदन अभी तक सोया पड़ा था। बच्चों के मुंह को देखकर माया रसोई में खाना बनाने चली गई। बड़ी लड़की को उसने आवाज देकर उठाया और काम में जुट गई। सब्जी छौंकते समय उसकी आंखों में आंसू आ गए। कैसा जीवन है हम औरतों का? पति की मार खाओ और पैसा भी कमाने जाओ? उस पर इन बच्चों का भार वो अलग से।
मदन रोज शराब पीकर आता और माया को पीटता था। उससे पैसे मांगता था और न देने पर पीटता था। उसकी बेटियां भी कम दुखी नहीं थी अपने बाप से। रोज मारकर उठाना आम बात थी। कभी लात से, कभी कुछ भी फेंककर मार दिया, इस तरह लड़कियों को उठाना आम बात थी। जिंदगी एक बोझ के सिवा कुछ नहीं लगती थी। “मेरे पास रास्ता भी तो नहीं है कुछ? इन बच्चों को किसके सहारे छोड़ कर जाऊं? और मैं खुद भी कहां जाऊं? मायका भी ऊंच नीच ही समझाएगा और उसका क्या करूं कि हमारे समाज में नहीं चलता यह सब और वैसे भी कितना भी कर लो वह पक्ष पति का ही लेगा। यह सब सुन कर भी दोषी मुझे ही बताया जाएगा। फिर बेचारी बनकर जीना ही एकमात्र पर्याय है।” टीस मारते हुए जख्मों की ओर देखती हुई माया सोचती रही।
चार बच्चों की मां बनाकर मदन ने माया पर घर की जिम्मेदारी का भार भी डाल दिया था। सुबह घर के काम के बाद बाहर घर काम के लिए निकल जाती थी। मुझे इन चुप रहती इन आंखों में कई सवाल दिखते थे। ऐसा लगता कि सवाल वह खुद से कर रही और जवाब भी खुद ही दे रही है। इसी उधेड़बुन में काम करते-करते उसके हाथों की गति तेज और तेज होती जाती।
माया:- “पैसे खत्म हो गए हैं सब्जी, आटा और तेल लाना है।”
मदन:-  “तो मैं क्या करूं? तू् लेकर आ, मेरे पास पैसे नहीं है।”
माया:- “अभी तो मेरे पास भी नहीं है।”
मदन:- “अभी कल ही तो पांच सौ देखे थे तेरे पास वो कहां गए? मुझे काम है दे वो पैसे?”
माया:- “नहीं है, खर्च हो गए।” और दोनों में बहस शुरू हो गई और लड़ते-लड़ते मदन का हाथ माया पर उठ जाता है। उसके हाथ में जो भी चीज आती है चप्पल, बेल्ट,  पाइप, पत्थर उसी से मारते जाता। माया चीखती रही और रोते रही। बड़ी बेटी मां को बचाने आई तो उसे भी मार पड़ गई। मां बेटी दोनों मार खाते रहे और चिल्लाते रहे। यह रोज की दिनचर्या थी।
काम करते-करते माया सोच रही थी कि, “मैं क्यों यह अभिशप्त जीवन जी रही हूं? क्यों नहीं यह सब छोड़ कर चली जाती हूं? यहां ऐसा कौन सा सुख है जिसकी मुझे लालसा है? मार खाने के बाद रात में शरीर पर रेंगते हाथ शरीर से ज्यादा मन की तकलीफ को बढ़ा देते? क्यों मजबूर हूं इस विवशता से भरे जीवन को जीने का जीने के लिए? क्या इसी अवसादपूर्ण जीवन के लिए इस आदमी से रिश्ता जोड़ा था, शादी की थी।” ~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित

कानपुर 7 फ़रवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के अंतर्गत जिला प्रोबेशन अधिकारी के निर्देशानुसार महिला कल्याण विभाग कानपुर नगर द्वारा कन्या जन्म उत्सव कार्यक्रम डफरिन अस्पताल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान आज जन्मी बच्चियों को महिला आयोग के सदस्य पूनम कपूर एवं रंजना शुक्ला जी के द्वारा बेबी किट का वितरण करने के साथ-साथ केक काट कर बच्चों के जन्म पर हर्षोल्लास जताया गया। साथ ही बच्चियों के उज्जवल भविष्य की कामना भी की गई। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान डॉक्टर सीमा श्रीवास्तव सोशल वर्कर मोनिका सविता एवं कविता दीक्षित, वंदना सोलंकी ,हरि शंकर जी के द्वारा सहयोग प्रदान किया गया जिला प्रोबेशन अधिकारी श्री जयदीप सिंह जी द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना एवं कन्या सुमंगला योजना के विषय में विस्तार से जानकारी प्रदान की गई। उन्होंने बताया इस तरह के कार्यक्रम से बच्चों को सशक्त बनाने पर सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जा रहा है। और आगे भी समय-समय पर महिलाओं एवं बच्चों से संबंधित विशेष कार्यक्रमों का आयोजन विभाग द्वारा संचालित किया जाता रहेगा। इस कार्यक्रम का संचालन महिला शक्ति केंद्र कानपुर नगर की टीम के द्वारा किया गया।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में संगोष्ठी के साथ सड़क सुरक्षा अभियान का समापन

कानपुर 3 फरवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में सड़क सुरक्षा अभियान का समापन आज संगोष्ठी के साथ हुआ। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि महाविद्यालय में इन सभी कार्यक्रमों हेतु एक सड़क सुरक्षा क्लब बनाया गया। जिसके तत्वाधान में विगत नवंबर, 2022 से निरंतर अनेक गतिविधियां की गई हैं। जिनमें निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर प्रेजेंटेशन, सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली, मानव श्रृंखला, लोगों को चौराहों पर सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए यातायात के नियमों की जानकारी देना व उनके पालन के महत्व के बारे में अवगत कराना, सड़क सुरक्षा शपथ एवम् संगोष्ठी आदि प्रमुख है। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा जी ने तथा संचालन डॉ संगीता सिरोही ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ एनएसएस लक्ष्य गीत “उठे समाज के लिए उठें, उठें” से हुआ। तदुप्रांत प्राचार्या जी ने अपने उद्बोधन में सड़क सुरक्षा जागरूकता से संबंधित विभिन्न आंकड़ों और संदर्भों जैसे कल ही कानपुर में फतेहपुर से आ रही श्रद्धालुओं की ट्रॉली पलटने से हुई भीषण दुर्घटना आदि के माध्यम से छात्राओं को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने व समाज में इसके बारे में प्रचार-प्रसार करने का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद अवश्य करें ताकि समय से लोगों की जान बचाई जा सके। कार्यक्रम को सफल बनाने में वनस्पति विज्ञान विज्ञान विभाग से असि. प्रो. डॉ पारुल, अर्थशास्त्र विभाग से असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ साधना सिंह, भूगोल विभाग से असि प्रो डॉ श्वेता, गृह विज्ञान विभाग से लैब असिस्टेंट कु. अनुराधा तथा एनएसएस लिपिक आकांक्षा अस्थाना आदि की सक्रिय भूमिका रही। इस अवसर पर सभी छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया

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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में महोत्सव के रूप में मनाया गणतंत्र दिवस एवं बसंत पंचमी

कानपुर 27 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता 74 वें गणतंत्र दिवस तथा बसंत पंचमी के अभूतपूर्व संयोग को एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज में एक महोत्सव के रूप में मनाया गया।महाविद्यालय की सरस्वती पूजा नगर में सुविख्यात है।
सरस्वती जी की सुंदर प्रतिमा को महाविद्यालय प्रेक्षागृह में स्थापित किया गया।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो सुमन सचिव पी के सेन अध्यक्ष पी के सेन शुभ्रो सेन तथा कार्यक्रम प्रभारी प्रो. मीनाक्षी व्यास ने माँ की स्थापना कर पुष्पांजलि दी।डॉ. शुभा वाजपई, डॉ. सुनीता शुक्ला, डॉ. प्रीता अवस्थी, डॉ. सारिका अवस्थी के द्वारा बसंत उत्सव की तैयारियां पूर्ण मनोयोग से की गई। डॉ. रचना निगम के निर्देशन में कला विभाग की छात्राओं द्वारा विगत तीन दिनों में कठिन परिश्रम द्वारा महाविद्यालय सभागार में वृहत रंगोली का निर्माण किया गया। महाविद्यालय में बसंत पर्व पर सरस्वती की मूर्ति स्थापना, पूजा तथा विसर्जन की परंपरा का विधिवत् निर्वहन किया गया। इस अवसर पर संपूर्ण महाविद्यालय परिवार प्रो निशी प्रकाश प्रो गार्गी यादव प्रो निशा अग्रवाल प्रो चित्रा सिंह तोमर डा प्रीति सिंह आदि उपस्थित रहे।

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जोशीमठ: प्रकृति के साथ खिलवाड़ या प्रशासन की लापरवाही ~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी

जोशीमठ (उत्तराखंड) में पड़ती दरारें और बहता हुआ पानी लोगों में दहशत और लोगों का जनजीवन असामान्य बना रहा है। क्या ये मंजर लोगों द्वारा प्रकृति के साथ किये खिलवाड़ का नतीजा है या प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है। 1976 में एक अट्ठारह सदस्यीय कमेटी ने जब इस क्षेत्र को संवेदनशील घोषित कर दिया था और निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध, पेड़ों को काटने पर रोक और बारिश के पानी के निकासी की व्यवस्था की बात रखी थी तब इस बात को सरकार द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया था और आज लोग इस गल्ती का खामियाजा भुगत रहे हैं। इस कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ बालू और पत्थर के ढेर पर बसा हुआ है, इस दृष्टि से यह किसी टाउनशिप के लिए उपयुक्त नहीं है। धमाकों और भारी यातायात से उत्पन्न होने वाले कंपन यहां पर प्राकृतिक असंतुलन पैदा करेंगे। भारी निर्माण कार्य की अनुमति केवल मिट्टी का भार वहन करने की क्षमता के दृष्टिगत ही दी जानी चाहिए। सड़कों की मरम्मत या अन्य किसी प्रकार के निर्माण कार्य किसी भी स्थिति में पहाड़ों को खोदकर अन्यथा विस्फोट करके नहीं किये जाने चाहिए। भूस्खलन प्रभावित इलाकों में पत्थरों और बड़े शिलाखंडों को पहाड़ी की तलहटी से नहीं हटाया जाना चाहिए क्योंकि इससे पहाड़ को मिलने वाली मजबूती खत्म होती है। 47 बरस पहले की इस रिपोर्ट को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया और आज जोशीमठ पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

चमोली जिला प्रशासन के अनुसार यहाँ 3900 आवासीय मकान और 400 व्यावसायिक भवन है। एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का विध्वंस सरकार द्वारा बरती गई लापरवाही के कारण भुगत रहे हैं। फरवरी 2021 में इसी इलाके में भयंकर बाढ़ की आपदा को अभी तक लोग भूले नहीं है। जोशीमठ से मात्र 22 किलोमीटर की दूरी पर बसे गांव रैणी, जोशीमठ, नंदा देवी नेशनल पार्क और यहां बन रही तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना को इस बाढ़ ने तबाह कर दिया था। इस तबाही में 200 लोगों की जानें चली गई थी। पर्यावरणविद काफी समय से सरकार को इस क्षेत्र की भौगोलिक संवेदनशीलता को जताते रहे लेकिन सरकार नजरअंदाज करती रही।
आखिर क्यों रिपोर्ट की जानकारी होने के बावजूद निर्माण कार्य की मंजूरी दी गई? और रिपोर्ट पर प्रशासन ने संज्ञान क्यों नहीं लिया? क्यों लोगों की जीवन के साथ खिलवाड़ किया गया?
2014 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त की गई एक वैज्ञानिक कमेटी ने इस क्षेत्र के बड़े डैम और बड़ी विद्युत परियोजना पर रोक लगाने की सिफारिश की थी लेकिन केंद्र सरकार ने इस समिति की रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया। देहरादून स्थित “पीपल्स साइंस इंस्टीट्यूट” के निदेशक डॉ रवि चोपड़ा जो इस समिति के सदस्य थे इस बाबत लगातार अपना प्रतिरोध दर्ज कराते रहे हैं।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, में धूमधाम से मना गणतंत्र दिवस समारोह तथा बसंत पंचमी का पर्व

कानपुर 26 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर में आज गणतंत्र दिवस समारोह तथा बसंत पंचमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। जिसमें प्राचार्या ने सर्वप्रथम हवन यज्ञ कर मां सरस्वती का पूजन किया तत्पश्चात ध्वज फहरा कर समस्त छात्राओं को गणतंत्र दिवस का शुभकामना संदेश दिया। एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय व दीक्षा तिवारी ने गणतंत्र दिवस पर अपना भाषण प्रस्तुत किया। एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने बताया कि यह हमारा 74 वां गणतंत्र दिवस है जिसमें महाविद्यालय मे आयोजित समारोह में समस्त प्राध्यापिकाओं, शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों समेत समस्त छात्राओं तथा वॉलिंटियर्स ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया। इस अवसर पर सभी को मिष्ठान वितरण भी किया गया।

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छात्राओं ने मानव श्रृंखला बनाकर दिया सड़क सुरक्षा का संदेश

कानपुर 23 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज मे सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम के अंतर्गत ‘मानव श्रंखला’ बनाकर जनमानस को जागरूक करने हेतु प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा जी के निर्देशन में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी तथा सड़क सुरक्षा क्लब को-ऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के द्वारा सड़क सुरक्षा शपथ दिलवाई गई। जिसमें महाविद्यालय की छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। महाविद्यालय की प्राध्यापिकाओ तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सड़क सुरक्षा संबंधी शपथ ली तथा आश्वस्त किया कि वे सभी स्वयं तो सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करेंगे ही अपने घर परिवार व पडोस तथा समाज के लोगों को भी सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए उसकी महत्ता को बताएंगे तथा यातायात के सभी नियमों का पालन करने हेतु आग्रह करेंगे ताकि दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। यह मुहिम भविष्य में सड़क सुरक्षा तथा मानव जीवन को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ी पहल साबित होगी। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ श्वेता गोंड, डॉ अंजना श्रीवास्तव, अर्चना दीक्षित, आकांक्षा अस्थाना व कृष्णेंद्र श्रीवास्तव आदि की विशेष भूमिका रही।

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रूह रोती है तो आंखों से लावा टपकता है

इतनी तेज गर्मी है आज, और ऊपर से गाड़ी बीच सड़क पर रूक गई।कोई मैकेनिक भी नज़र नहीं आ रहा। किसे कहूँ कि मेरी कोई मदद कर दे। कोई आस पास दिखाई भी नहीं दे रहा था।खुद पर ही झुनझुला उठी थी रेवा। रेवा ने टैक्सी ली और घर पहुँच
गई।रेवा पानी का गिलास ले कर निढाल सी सोफ़े पर बैठ गई।मन भर आया था उसका ,किस से कहे ,अपने मन की बात।
जब से होश सँभाला था तब से काम कर रही थी।बच्चे जब छोटे थे।अपनी माँ रेवा को इतना काम करते देखते तो कहते,बस माँ !तुम फ़िक्र न करो जब हम बड़े हो जायेगे।तुम्हें हम रानी बना कर रखेंगे।नौकर होंगे हमारी माँ के आसपास।
आँखे नम हो गई रेवा की ,सोचने लगी।कैसे जब उसके घुटनों में बहुत दर्द था सीढ़ियाँ भी नहीं चढ़ पाती थी तो कैसे उसके बेटे हाथ दे कर उसे ऊपर के फ़्लोर पर ले कर ज़ाया करते थे।अपने बच्चों को याद कर रेवा का धैर्य टूट गया और आँखे दरिया की तरह बह निकली। दोस्तों ! कभी-कभी हम जब रोते है तो सिसकियाँ सुनाई देती है मगर जब कभी रूह रोती है तो आवाज़ नहीं होती सिर्फ़ आँखों से लावा टपकने लगता है। सोचा करती थी कि कुछ सालों में बेटे बड़े हो जायेंगे तो ज़िन्दगी आसान हो जायेगी।थक कर घर आती ,तो भी ख़ुश रहती ,अपने बेटों को देख कर ,अपने पति को देख कर।दोनों बेंटो को पढ़ा लिखा कर रेवा ने उन्हें पैरों पर खड़ा कर दिया था।अब दोनों बेटे अलग रहते थे।एक बेटा तो शादी करके अलग हो गया था जिसके ऊपर रेवा को बहुत नाज़ था।रेवा हर वक़्त उसे छोटे -छोटे कह कर पूरा घर सिर पर उठा लिया करती।रेवा को यकीन था कि उसका वो बेटा उसके साथ कंधे से कंधा मिला कर उसकी ज़िन्दगी को आसान कर देगा मगर विधाता को कुछ और मंज़ूर था। क्या वजह रही होगी ,रेवा आज तक नहीं समझ पाई।उसके बाद दुख हो या सुख,कभी उसके बेटे का फ़ोन तक नहीं आया ।
अब रेवा अकेली रहती हैं अपने किराये के मकान में ,ज़िन्दगी का सफ़र हँस कर गुज़ार रही है बिना किसी शिकायत के।किस से कहे,कि वो अब थक चुकी है काम करते करते मानसिक रूप से और शारीरिक रूप से।रेवा का बड़ा बेटा बहुत ध्यान रखता था उसका।हर रोज़ मिलने भी आ जाया करता।रेवा का हर दुख समझता था,जितनी हिम्मत होती ,उतनी मदद भी कर देता।यूँ तो रेवा अपनी रोटी कमाने में संक्षम थी मगर कभी-कभी उसका भी मन करता उसके बच्चे भी उसे उतना प्यार करें जैसे वो किया करती थीं।
देखते ही देखते एक दम से बाहर बादल घिरने लगे,अन्धेरा छाने लगा था,जैसे बारिश बरसने को बेक़रार थी।बिजली गरजने के साथ तेज बरसात शुरू हो गई।रेवा खिड़की के पास खड़ी ,बाहर बरसात को देख कर ,
यादों के समुद्र में डूब कर सुनहरी यादो के मोती चुनने लगी।ठीक ऐसी ही बरसात थी।जब वो कालेज के बाहर खड़ी बस का इंतज़ार कर रही थी।बसों की स्ट्राइक की वजह से परेशान और ऊपर से बारिश,अभी सोच ही रही थी कि क्या करें।तभी शरद ने मोटर बाईक उसके पास रोक दी।हर रोज़ रेवा को देखा करता मगर बात करने की हिम्मत कभी नहीं हुई थी उसकी। शरद ने कहा ! मैं घर छोड़ देता हूँ आप को। आइये ! इतनी बारिश में कब तक भीगतीं रहेगी।रेवा भी उस दिन न नही कर पाई थीं।उसके बाद मुलाक़ातों का सिलसिला शुरू हो गया था।जल्दी ही दोनों की शादी हो गई।बहुत खुश भी थे दोनो अपने घर संसार में ,उनके बच्चे हुये मगर कुछ सालों बाद शरद बिमार रहने लगे थे और वही बीमारी फिर वजह बन गई उन दोनों के बिछड़ने की।आज रेवा शरद को बहुत याद कर रही थी कि हालात कोई भी रहे शरद ने उसका पूरा साथ दिया।उसे याद आ रहा था कि कैसे जब वो काम से वापस आती ,तो उसका पति उसे ख़ुश करने के लिये गाना गाया करता और रेवा भी उसके सुर में अपना सुर मिला देती और इस तरह रेवा की सारी थकान उतर जाती।
सोच रही थी, कितना सुंदर संसार था उसका ..रौनक़ शोर शराबा , हंसी के ठहाकों से भरा घर,जो आज ख़ाली था,ठीक उसके “दिल की तरह”।
रेवा के पास बहुत पैसा बेशक नहीं था मगर दिल की अमीरीयत बहुत थी। वो सब को प्यार देती।तवज्जो देती। सब का करती मगर अब शरीर काम कर कर के जर्जर हो चुका था उसका।अब सिर्फ़ उसके पास था तो बस “इक इन्तज़ार “कि शायद वो भी कभी सुख की साँस ले सके, वो भी आम लोगों की तरह अपने पोते पोतीयो के साथ वक़्त बिता सके।रेवा बाहर से बहुत स्ट्रोंग बताती थी खुद को मगर अन्दर से बिखर चुकी थी रेवा।इसी उम्मीद पर ही जी रही थी ,कि काश ..कोई उसे भी कह दे कि तुम फ़िक्र न करो ,
हम है न !!तुम्हें समेट लेंगे अपनी आग़ोश में। ये कहानी घर घर की हो सकती है दोस्तों ! ये बात मैं अपने लेखों में लिख बार बार लिखती ही रहूँगी।जिसने माँ बाप को पूज लिया फिर उसे किसी देवता को पूजने की कोई ज़रूरत रह ही नहीं जाती। मगर अफ़सोस हमारा समाज किस और जा रहा है। प्राईवसी के नाम पर ,माडर्नेटी के नाम पर,कहीं न कहीं हम सब ही कितना ग़लत कर रहे हैं।बाहर के देशों का ये चलन हो सकता है मगर हमारे भारत की संस्कृति ये कभी नही हो सकती है। दोस्तों! सोचो !अगर माँ बाप भी लापरवाह हो कर अपने बच्चों को बचपन मे ही छोड़ कर अपना ही स्वार्थ देखते ,तो बच्चों का क्या होता ? अगर माँ बाप ने अपने मुँह से रोटी का निवाला निकाल कर बचपन मे अपने बच्चों का पेट भरा है तो आज बच्चों का भी फ़र्ज़ बनता है कि वो बड़े हो कर अपने माँ बाप को भी सँभाले
यही असली पूजा है भगवान मंदिर में ही नहीं बल्कि सारे देवी देवता हमारे आस पास ही रहते है भिन्न भिन्न रूपों मे। बस देखने का नज़रिया ही चाहिए होता है
लेखिका स्मिता ✍️

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “सड़क सुरक्षा माह” कार्यक्रम के अंतर्गत “सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली” आयोजित

कानपुर 19 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा “सड़क सुरक्षा माह” कार्यक्रम के अंतर्गत “सड़क सुरक्षा जागरूकता रैली” का आयोजन कर विभिन्न नारों व पोस्टर के द्वारा जन-जागरूकता अभियान चला कर जनमानस को अवगत कराया गया कि यदि दो पहिया वाहन से जाए तो हेलमेट का प्रयोग जरूर करें, चार पहिया वाहन में सीट बेल्ट का अवश्य प्रयोग करें। इसके साथ ही सड़क पर दर्शाए गए यातायात सुरक्षा के संकेतों का पालन करें एवं दूसरों को भी जागरूक करें। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही यातायात नियमों के साथ-साथ ड्राइविंग लाइसेंस और इंश्योरेंस की उपयोगिता के बारे में बताया।कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा के द्वारा हरी झंडी दिखाकर किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए घर से निकलने के पूर्व अपने आपको तथा वाहन का निरीक्षण कर लें जिससे कि किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके। कार्यक्रम में एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय, दीक्षा तिवारी व फलक आदि ने सड़क सुरक्षा जागरूकता पर अपने-अपने विचारों को व्यक्त किया। मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा ने अपने व्याख्यान में सरकार के द्वारा चलाए जा रहे ने सड़क सुरक्षा कार्यक्रम की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि यातायात से संबंधित नियमों एवं सावधानियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने व उसका प्रचार प्रसार करने के लिए इस प्रकार के कार्यक्रमों की अत्यधिक आवश्यकता है जिससे कि सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने छात्राओं के द्वारा की गई विभिन्न गतिविधियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें आगे भी इस प्रकार के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया। राष्ट्रीय सेवा योजना के सभी स्वयंसेवक कार्यक्रम में उपस्थित रहे।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई ने *विवेकानंद जयंती* ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रुप में मनाया

कानपुर 12 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज, कानपुर के द्वारा आज 12 जनवरी को *विवेकानंद जयंती* ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रुप में मनाया गया। यह 38वां युवा दिवस तथा स्वामी विवेकानंद जी की 160वीं जयंती थी।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा ने विवेकानंद जी की तस्वीर पर माल्यार्पण करके किया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही ने अपने वक्तव्य में बताया कि स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणा स्रोत है। एनएसएस की छात्रा अदीबा व श्रेया ने स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय व विचारों से समस्त छात्राओं को अवगत कराया कार्यक्रम में महाविद्यालय की समस्त छात्राओं तथा प्राध्यापिकाओ विशेष रुप से डॉ. वीनू टंडन, डॉ. मनीषी पांडे, डॉ मनीषी, डॉ अंजना श्रीवास्तव, डॉ रुचि व डॉ. श्वेता गोंड की उपस्थिति सराहनीय रही।

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