कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, भारत उत्थान न्यास, महिला समिति द्वारा मातृदिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी: *आधुनिक परिप्रेक्ष्य में नारी का स्वरूप* गूगल मीट पर आयोजित की गयी। कानपुर आकाशवाणी की उद्घोषिका रंजना यादव के संचालन में आयोजित संगोष्ठी के संयोजक व न्यास के केन्द्रीय अध्यक्ष सुजीत कुंतल ने अतिथि के रूप में उपस्थित समस्त मातृशक्ति को प्रणाम करते हुए उनका स्वागत किया।
मुख्य वक्ता डॉ. चित्रा तोमर ने कहा कि यही सत्य है कि महिलाएं अनेक रूपों मे सशक्त है यदि वे स्वम पर दया खाना छोड़ दें क्योंकि सदियों की विरासत ने हमें यही सिखाया है अपने स्वाभिमान एवं दृण इच्छा शक्ति को आधार बनाकर बधाओं कों नष्ट करने का सामर्थ्य है नारी मे और एक माँ क़े रूप मे तो वह जीवनदायिनी है अतः सकारात्मक सोच रखना आवश्यकत है। मुख्य अतिथि डॉ. शशि अग्रवाल ने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज महिलाओं का नेतृत्व स्वीकार कर उनका अनुसरण कर रहा है। इसलिए अब दुनिया की आधी आबादी के रूप में हम सभी महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। आबूधाबी से विशिष्ट अतिथि ललिता मिश्रा ने अपनी कविता, भविष्य बाहें पसारे करता उसका इंतजार। युग निर्माता वो जननी, लक्ष्य भेदने को तैयार। इतिहास रचाकर करती है वो अपना सोलह श्रृंगार। आज की नारी है जो, सबल, सचेत, सृजनकार सुनाई। अमेरिका से रेखा भाटिया ने कहा कि मानसिक सोच में बदलाव ज़रूरी समय बीतने के साथ वर्तमान आधुनिक और भौतिकवादी काल में नारी का स्वरुप बदला है। उच्च शिक्षा ग्रहण कर नारी हर क्षेत्र में अग्रणी है। समाज, देश और विश्व के सामाजिक और आर्थिक विकास में अपना विशिष्ठ योगदान दे रही है। घर, बाहर कड़ी मेहनत से, लगन से, निष्ठा से सभी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर नारी ने संतुलन और सांमजस्य बनाने की भरपूर कोशिश की है। स्त्रियों की सामाजिक दशा में बदलाव ज़रूर हुआ है लेकिन उपभोक्तावादी इस आधुनिक काल में नारी के सशक्तिकरण का आकलन केवल आर्थिक और भौतिक दृष्टी से किया जा रहा है, नारी को मात्र प्रदर्शन और भोग की वस्तु की तरह पेश किया जाता है। यह सुधार केवल सतही स्तर पर है जैसे रहन-सहन-पहनावा ,नौकरी इत्यादि तक ही सिमित होकर रह गया है। आधुनिकता के नाम पर थोपी गई संस्कृति- संस्कार और पहनावे में स्वतंत्रता को शक्तिकरण का मापक बनाकर विभिन्न प्रचार माध्यमों से स्त्रियों के शरीर को वस्तु की तरह नुमाइश कर स्त्री की गरिमा पर गंभीर और भयंकर कुठाराघात होने लगा है। इस काल में नर-नारी के एकदूसरे के पूरक भाव की जगह विरोधी भाव को अधिक उभारा गया। आर्थिक आत्मनिर्भरता हासिल कर लेने के बाद भी स्त्रियों के विरुद्ध अपराध, यौन हिंसा, घरेलु हिंसा,अत्याचार,सामाजिक, मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न और शोषण में वृद्धि ही हुई है। बलात्कार की घटनाएँ भारत ही नहीं वरन अमेरिका में भी ज्यादा घटती हैं। नारी स्वरुप का सशक्तिकरण सम्पूर्ण रूप से अभी भी मात्र एक छलावा है, जिसमें नारी स्वयं भी छली जा रही है।
आधुनिक परिप्रेक्ष्य में सही मायनों में नारी को लैंगिक समानता, विचारों की समानता, समान अवसर और अधिकार मिले हैं , एक भ्रम है। लेकिन यह सोचकर संतोष होता है कि पितृसत्तात्मक सोच से नारी मुक्त होना चाहती है और निरंतर अग्रसर है। लेकिन सशक्तिकरण वैचारिक स्तर पर होना चाहिए, लैंगिक समानता, समान अधिकार और समान अवसर मिलने चाहिए जिसके लिए आवश्यक है नारी के प्रति सम्मान, संवेदनशील व्यवहार की भावना बढ़ाने के साथ ही सहिष्णुता उनकी सुरक्षा, जीवनशैली चुनने की उसे स्वतंत्रता होनी चाहिए। जिसके लिए सामाजिक और मानसिक सोच में बदलाव लाना बेहद ज़रूरी है। हिसार, हरियाणा की विशिष्ट वक्ता डॉ. गीतू भुटानी ने कहा कि कितनी बड़ी शक्ति आज हमारे हाथ में है। जिसे हमने पहचाना ही नहीं है। वी आर होम मेकर, हम जेनरेशन मेकर। बाहर से आने वाला आपको नहीं जीत सकता, जो आपके अंदर बैठा है, आपका स्वावलंबन, आत्मविश्वास। वही सब कुछ बदल सकता है। महिलाओं को अपने भीतर जीतना है, उन्हें बाहरी ताकत की ज़रूरत नहीं। हरियाणा से नेहा धवन और दुबई से निशा गिरि द्वारा वक्तव्य और कविता प्रस्तुत की ग्रीन। लखनऊ से डॉ. आनंदेश्वरी अवस्थी ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा किभारतीय नारी को शक्ति का पुंज बताया उन्होंने कहा कि सहनशीलता और सृजनात्मक गुण नारी की अदम्य शक्तियां हैं। बनारस की प्रो. चम्पा कुमारी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। यहां डॉ. के सुवर्णा, डॉ. अनीता निगम, डॉ. रोचना विश्वनोई, शशि सिंह आदि उपस्थित रहे।
महिला जगत
प्रधानमंत्री ने महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र के लिये महिलाओं से नामांकन कराने का आग्रह किया
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी के उस ट्वीट का उल्लेख किया है, जिसमें श्रीमती इरानी ने एमएसएससी के जरिये महिलाओं के वित्तीय समावेश को बढ़ाने और बेहतर लाभ उपलब्ध कराने के बारे में कहा गया है। प्रधानमंत्री ने इस ट्वीट को दोबारा ट्वीट करते हुये कहा :
मैं भी महिलाओं से आग्रह करता हूं कि वे एमएसएससी के लिये नामांकन कराएं। यह हमारी नारी शक्ति के लिये अनेक लाभ प्रदान करता है।”
डी जी कॉलेज में व्याख्यानमाला के अंतर्गत “बिहेवियरल अप्रोच इन सोशल साइंसेज” विषय पर व्याख्यान अयोजित
कानपुर 29 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, डी जी कॉलेज, कानपुर के तथा भूगोल विभाग तथा मनोविज्ञान के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित की जा रही व्याख्यानमाला के अंतर्गत आज दिनांक 29 अप्रैल, 2023 को “बिहेवियरल अप्रोच इन सोशल साइंसेज” विषय पर एक व्याख्यान प्रो. जावेद हसन खान, सीनियर प्रोफेसर, भूगोल विभाग, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के द्वारा दिया गया।
उन्होंने अपने व्याख्यान में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि व्यवहारवाद, सीखने का एक सिद्धांत है जो बताता है कि सभी व्यवहारों को कंडीशनिंग नामक प्रक्रिया के द्वारा मानव-पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों के माध्यम से सीखा जाता है। कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा जी ने दीप प्रज्वलन कर किया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि प्रो जाबिर हसन खान के द्वारा अनुसंधान एवं अकादमिक कार्यों के उन्नयन हेतु किए जा रहे प्रयास एवं उनके बौद्धिक व सामाजिक सोच निश्चित ही भूगोल विषय तथा समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी।
कार्यक्रम का संयोजन भूगोल विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संगीता सिरोही, धन्यवाद प्रस्ताव मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ सुषमा शर्मा व संचालन डॉ अंजना श्रीवास्तव के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समस्त प्रवक्ताये, डॉ शशि बाला सिंह, डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ वंदना द्विवेदी, डॉ श्वेता गोंड़, डी ए वी कॉलेज से प्रो. अस्थाना, कार्यालय अधीक्षक कृष्णेंद्र श्रीवास्तव समेत सभी शोधार्थियों व छात्राओं की उपस्थिति सराहनीय रहा।
नगर निगम महापौर पद हेतु बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती अर्चना निषाद ने नामांकन कराया
नगर निगम महापौर पद हेतु बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती अर्चना निषाद ने नामांकन कराया।
मां से… मायका
मायके से लगाव ताउम्र रहता है। कहीं भी घूम आओ मगर जब तक मायके ना घूम आओ तब तक घूमना अधूरा रहता है। मैं भी मायके जाने के लिए उल्लासित थी। सोचा भाभी को खबर तो कर ही दूं आने की और फोन लगा दिया भाभी को।
मैं:- “भाभी मैं होली के बाद आने वाली हूं लेकिन अभी तारीख तय नहीं है।
भाभी:- “अए बच्ची होली यहीं मना लेती हमरे पास। आ जाओ ईहां।” भाभी बोली
मैं:- “होली में ही नहीं आ सकती, बच्चों के एग्जाम हैं उसके बाद ही आना हो पाएगा। बाद में तारीख बताती हूं आपको।” फोन रख कर मैं कैलेंडर देखने लगी कि कौन सी तारीख निश्चित करना उचित रहेगा।
मैं भी सोच रही थी कि बहुत समय हो गया है पीहर गये हुए। पहले कोविड में नहीं जा पाई फिर लॉकडाउन के चलते कैंसिल हो गया और अब व्यस्तता के कारण टलता जा रहा था मायके जाने का प्रोग्राम और वैसे भी बहुत मन लगा हुआ था कि एक बार घूम कर आ जाऊं वहां से। आखिरकार होली के बाद का प्रोग्राम बना ही लिया।
जाने की खुशी तो थी ही लेकिन सब से मिलने की उत्सुकता ज्यादा थी। कपड़ों की पैकिंग भी शुरू कर दी जबकि जाने में अभी एक हफ्ते का समय था। क्या ले जाना क्या नहीं, खरीदारी की लिस्ट, क्या खाना क्या बनवाना भाभियों से, कहाँ घूमना सब दिमाग में घूमने लगा। पूरे हफ्ते भर का प्लान दिमाग में सेट हो गया था। एक सवाल यह भी दिमाग में कौंध रहा था कि पहली बार घर पर मम्मी पापा नहीं होंगे तो पता नहीं कैसा माहौल होगा, कैसा लगता होगा घर बिना मम्मी पापा के, यह सोच कर ही मन भर आया। हालांकि भाभी से रोज बात करते हुए यह आभास हो गया था कि सब अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं जैसा कि आमतौर पर सभी घरों में होते आया है।
खैर वो दिन भी आ ही गया जब घर की दहलीज पर पैर रखा। घर जरा बदला हुआ सा लगा। भैया जरा प्रौढ़ता ओढ़े हुये से दिखे। भाभी भी घर का दायित्व उठाती कुछ बड़ी सी नजर आईं। लेकिन फिर भी आंखे़ कुछ और ढूंढ रही थी। दरवाजे पर बाट जोहती मां नहीं दिखी, इंतजार करते पापा नहीं दिखे, पानी लाओ चाय बनाओ कहती आवाज नहीं सुनाई दी, बिट्टू थक गई होगी आओ बैठो कहीं सुनाई नहीं दे रहा था। यह भाव किसी पर इल्जाम नहीं बस मां की कमी अखर रही थी। नजर तलाश रही थी उसे जिससे मैं जोर से गले लग जाया करती थी और किसी की कमी तो कमी ही होती है जो उसके नहीं रहने पर ज्यादा महसूस होती है। इन भावों से मुझे भाभी ने उबार लिया जब उन्होंने मुझे गले लगाया और बोली, “रिशी बहुत राह दिखाती हो”। भाभी के गले लगने पर एहसास हुआ कि अभी मेरा मायका है और मेरा इंतजार भी।
घर को निहारते हुए दीवार पर लगी मम्मी पापा की तस्वीर को देखकर मन उदास हो गया। अभी कुछ समय पहले की बात थी कि हम साथ में बैठकर बातें करते थे, खाना खाते थे और आज उन्हें तस्वीर में देख रही हूं। हालांकि जीवन का सत्य है यही है पर स्वीकार मुश्किल से होता है।
मैं:- “भाभी सर में बहुत दर्द है, चाय पीनी है”।
भाभी:- ” हां! बन गई है बस लाई। एक दिन में आना मतलब भागदौड़ तो हो ही जाता है।”
मैं:- “हां! बहुत थक गई हूं”।
भाभी:- “और रिशी कहां कहां जाने का प्रोग्राम है तुम्हारा?”
मैं:- ” बस भाभी अपनी दौड़ तो वहीं तक है बाजार दौड़ेंगे, चाट खाएंगे” और हम दोनों हंस पड़ते हैं।
अगले दिन सुबह भाभी ने पूछा, “अच्छा रिशी क्या बना दूं तुम्हारे लिए?”
मैं:- “भाभी मुझे तो कढ़ी चावल, कटहल की सब्जी फरे और चाट खाना है और गुझिया भी। यहां आने वाली थी इसलिए मैंने गुझिया नहीं बनाई। मुझे आपके हाथ की खानी थी।”
भाभी;- “लो सबसे पहले गुजिया ही खाओ। बहुत अच्छी बनी है।” और भाभी मेरा मनपसंद खाना बनाने में लग गई।
दिनभर दौड़भाग के बाद रात में जब हम बैठे तब भाभी बोली, “तुम्हारा घर है ये, बेटियों को सोचना नहीं पड़ता मायके आने के लिए और मम्मी पापा नहीं हैं तो क्या हुआ हम तो हैं, हम तुम्हारा इंतजार करते हैं।” माहौल जरा सा बोझिल हो गया था।
एकबारगी एहसास हुआ कि मां की तरह दुलराने वाली भाभी है फिर सामान्य होकर हंसते हुए कहने लगी मैं,” कि आप इंतजार करते हो, बुलाते हो, इतना प्यार देते हो तभी तो दौड़ी हुई आ गई मैं।”
परिचितों से मिलते जुलते, बाजार में घूमते, खरीदी करते हुए समय कब निकल गया मालूम नहीं पड़ा और घर वापसी का समय आ गया।
मैं:; “चलो भाई अब फिर से घर की ओर और वही रूटीन।”
भाभी:- “हां! वह तो है ही मगर अब इतना समय नहीं लगाना। घर जल्दी आना।”
मैं:- “कोशिश रहेगी।” और हंस देती हूं।
विदा लेकर मैं घर वापसी के लिए रवाना हो गई।
स्त्रियां अपना मायका कभी नहीं भुला पाती चाहे वो बूढ़ी ही क्यों ना हो जायें। : प्रियंका वर्मा महेश्वरी
एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलज में मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग समारोह आयोजित
कानपुर 19 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर में मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग समारोह (MoU Ceremony) का आयोजन महाविद्यालय सभागार में किया गया। महाविद्यालय ने अपना प्रथम समझौता ज्ञाप (MoU) वरदान इंस्टीट्यूट ऑफ़ अल्टरनेटिव मेडिसिंस एंड एलाइड साइंसेज मेरठ के साथ किया। वरदान इंस्टीट्यूट की चेयरपर्सन डॉ. पल्लवी रस्तौगी, सेन महाविद्यालय के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, प्राचार्य प्रो. सुमन ने MoU पर हस्ताक्षर किए। प्रो. सुमन ने अपने वक्तव्य में कहा कि विद्यार्थी हित हेतु महाविद्यालय आगे भी ऐसी ही कड़ियां जोड़ता रहेगा। श्री पी. के. सेन जी ने इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार को बधाई एवम् शुभकामनाएं दी। डॉ. पल्लवी रस्तौगी ने छात्राओं को अवगत कराया कि वरदान इंस्टीट्यूट के सहयोग से सेन महाविद्यालय में व्यवसायपरक शिक्षा के अंतर्गत एक्यू फिजियो कोर्स, चक्र संतुलन, कलर थैरेपी, एक्यूप्रेशर व नेचुरोपैथी का बेसिक कोर्स, डाइट एंड न्यूट्रीशन कोर्स आदि विभिन्न पाठ्यक्रम तथा कार्यशालाएं संचालित की जाएंगी। साथ ही मेधावी छात्राओं को इन पाठक्रमों हेतु छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। इस MoU सेरेमनी के अवसर पर प्रबंध तंत्र सदस्य श्रीमती दीपाश्री सेन सहित समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा।
एस एन सेन बा वि पी जी कॉलेज मे कार्यशाला: ईथनोबॉटनी तथा आयुर्वेद का आयोजित
कानपुर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बा वि पी जी कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने कार्यशाला: ईथनोबॉटनी तथा आयुर्वेद का आयोजन किया ।
कार्यशाला का शुभारंभ प्रबंध तंत्र के सचिव श्री पी के सेन , संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन , प्राचार्या प्रो सुमन , मुख्य अतिथि डॉ वंदना पाठक, की नोट स्पीकर डॉ संजीव ओझा तथा वनस्पति विज्ञान की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति सिंह ने दीप प्रज्वलित करके किया। पी के सेन ने महान चिकित्सकों तथा वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए छात्राओ को प्रेरित किया कि वे ध्यान से इस प्रकार के वक्तव्यों को सुनें यही व्यावहारिक ज्ञान का माध्यम हैं ।प्राचार्या प्रो सुमन ने कार्यशाला के शुभारम्भ की औपचारिक घोषणा की ।मुख्य अतिथि डॉ वंदना पाठक सुप्रसिद्ध आयुर्वेदाचार्य ने आयुर्वेद , उसकी प्राचीनता और भव्यता को उजागर किया और कहा आयुर्वेद ही प्राचीनतम और दीर्घकालिक प्रभाव देने वाली चिकित्सा पद्धति है।डॉ संजीव ओझा ने नयी शिक्षा नीति द्वारा सम्मिलित नये पाठ्यक्रम पर आधारित अपने साथ लाए औषधीय पौधों एवं जड़ी बूटियों से छात्राओ को परिचित करवाते हुए किया। डॉ ओझा राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं जाने माने आयुर्वेदाचार्य हैं। सी एस आई आर- एन बाई आर आई द्वारा प्रदत्त हर्बल ड्रिंक तथा बी जी आर -34 जैसी औषधियों को प्रदान करने में विशेष योगदान दिया है। आज महाविद्यालय में उपस्थित छात्राओ को उन्होंने पुरानी जनजातियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले पौधों की जानकारी दी और उपयोग के बारे में बताया।अपने वक्तव्य में उन्होंने सिद्धा, आयुर्वेद और यूनानी औषधीय पद्धतिओं की जानकारी दी ।आयुष, एन एम बी पी , सीमैप तथा सी ए आर आई जैसे संस्थानों का परिचय देते हुए उनकी कार्य पद्धति पर प्रकाश डाला। विज्ञान संकाय की कॉर्डिनेटर प्रो गार्गी यादव ने मुख्य अतिथि डॉ पाठक और डॉ ओझा को कोटि कोटि धन्यवाद देते हुए छात्राओं के ज्ञान वर्धन के सार्थक प्रयास के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रीति सिंह ने किया। विभाग की अन्य प्रवक्ता डॉ राइ घोष ने सक्रिय योगदान दिया।प्रो गार्गी यादव , डॉ शैल बाजपेयी, डॉ अमिता सिंह ,कु वर्षा एवं तैयबा कार्यशाला में उपस्थित रहे।
थोड़ी सी फ़िक्र ही काफ़ी है ..मेरे इश्क़ को ज़िन्दा रखने के लिए
कहता है .. बोलो क्या दूँ तुझे ऐसा ..जो तुम्हें मेरे इश्क़ की याद दिलाये। मैंने कहा! बेशक़ीमती है तू.. और ये तेरी बेमिसाल नज़र. और उस पे तेरी थोड़ी सी तवज्जो .. थोड़ी सी फ़िक्र ही काफ़ी है ..मेरे इश्क़ को ज़िन्दा रखने के लिए… हर इक शय इस जमाने की तवज्जो ही माँगती है चाहे वो कोई रिश्ता हो या कुछ और … प्यार हमें अधूरे से पूरा करता है। ये कहानी मेरी ही आप बीती है आप से शेयर करना चाहती हूँ बात उन दिनों की है जब मैं अपने नये घर में शिफ़्ट हुई थी लोग कहते थे कि वहाँ की ऊजा अच्छी नही है मगर मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करती थी इक निडर निर्भय सा स्वभाव है मेरा।
जब मैं अपने नये घर में आई तो मेरे पुराने घर से लाये गये बहुत से पौधे नये घर में आकर हफ़्ते में ही सूख गये। विज्ञान के हिसाब से देखा जाये तो कहा जा सकता है कि जगह बदली तो पौधे मर गए .. उन दिनों मेरे पति के पैर में अचानक से दर्द हो रहा था मेरी इक सहेली के भेजने पर ,मेरे यहाँ इक रोज़ इक गोरा जिस का नाम एडविन था ,रेकी करने आया तो मैंने इस बात का ज़िक्र एडविन से भी कर दिया ,कि पता नहीं कयू ? आज कल मेरे प्लांट बहुत मर रहे हैं और मैं बहुत दुखी हूँ इस बात से, और ये भी बताया कि लोग मेरे नये घर की ऊर्जा को सही नहीं बताते। वो हंसने लगा और कहने लगा!
मैं लोगों को अपनी ऊर्जा से अच्छा करता हूँ और रेकी करते हुए मेरी अपनी एनर्जी कम हो जाती है मगर तुम्हारे घर से और तुम से मुझे,अच्छी हीलिगं वाली ऊर्जा मिल रही है इसने मुझे पूछा? कि क्या है ऐसा इस घर में ? तुम कोई मंत्र जाप कर रही हो ? मै सोचने लगी, कि कर तो रही थी और हैरान भी थी कि इसे कैसे पता चल गया । एडविन कहने लगा तुम्हारे पौधों को तुम्हारी ही ऊर्जा चाहिए।कल से अपने गार्डन में जाना और इनसे बातें करना ,सब ठीक हो जाएँगे। मुझे तब ये बात अटपटी सी ही लगी थी कि मैं कैसे भला इन पौधों को ठीक कर सकूँगी । मगर दोस्तों ! अगले ही दिन मैंने अपने पौधों से बातें करनी शुरू कर दी । उन्हें प्यार से छूती अपना स्पर्श देतीं।अपनी आग़ोश में लेती ।आप यक़ीन नहीं करेंगे। मेरे पौधे हफ़्ते भर में ठीक होने लगे पिछले बीस सालों से वो पौधे आज भी मेरे घर में है .. ऐसे ही दो साल पहले ,मैं फ़रवरी के महीने भारत में थी और वहाँ करोना की वजह से वहाँ मुझे रूकना पड़ा।मई के पहले हफ़्ते में वापस आने पर देखा कि मेरे बहुत ही महँगे प्लांट मर गए थे। मुझे बहुत दुख हुआ था इस बात का।मैंने किसी ख़ास गार्डनर को बुलाया जो पौधों का विशेषज्ञ था।आ कर मुझे कहने लगा ! कि आप के ये पौधे मर गये हैं आप इन्हें फ़ैक दीजिए। अब ये दोबारा नहीं जीवित नहीं होंगे।मेरा मन बहुत उदास हुआ उसकी बात सुन कर ,क्योंकि मुझे पता था कि वो इन्सान पौधों की अच्छी जानकारी रखता है। उस रात मुझे नींद नहीं आई और मैंने ठान लिया कि मैं इन्हें ठीक कर के ही रहूँगी । सुबह सुबह उठ कर मै अपने बैक गार्डन में चली गई। सब पौधों से बाते करने लगी । एक पौधा जो बिलकुल मर चुका था उसको मैंने हाथों में ले कर चूमा और पूछा ! कि तुमने मुझे इतना मिस किया जब मैं भारत में थी और अपने आलिंगन में भर कर कहा ! अब मैं आ गई हूँ और अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। ऐसा मैं रोज़ रोज़ करती । इस बात को तक़रीबन दो महीने हो चुके थे ।इक रोज़ मैंने देखा कि उस पौधे की जड़ से आ रही टहनी का थोड़ा सा हिस्सा हरा होने लगा .. मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था मुझे याद है मैं ख़ुशी से चिल्ला रही थी कि ये मेरा पौधा ,ठीक होने वाला है फिर तीन हफ़्ते बाद इक रोज़ उसपर इक छोटी सी पत्ती आई । उस दिन जो मेरे मन की अवस्था थी उसको समझा पाना मेरे लिए तो बहुत ही मुश्किल है । मैं ख़ुशी से नाच रही थी कि मेरा पौधा जीवित हो गया है ।
दोस्तों !
आज भी जब मैं इस बात का ज़िक्र कर रही हूँ तो मेरे रोंगटे खड़े हो रहे हैं ये सोच कर ,कि कैसे रब ने हम सब में इतनी बड़ी ताक़त रखी हुई है प्यार की। मगर अफ़सोस शायद हम सब ही इस ताक़त का इस्तेमाल करना भूल जाते है।
हम चाहे तो प्यार से सब कुछ ठीक कर सकते हैं ऐसा मेरा मानना है
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लेखिका स्मिता ✍️
एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज में डॉ. भीमराव राव अंबेडकर और ज्योतिबा फुले जयंती के उपलक्ष्य में सिंपोजियम और लघु नाटिका का आयोजन किया गया
कानपुर 17 अप्रैल भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस. एन. सेन बा. वि. पी. जी. कॉलेज कानपुर में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव राम जी अंबेडकर और समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती के उपलक्ष्य में महाविद्यालय के एनसीसी, एनएसएस, रोवर रेंजर, शिक्षा शास्त्र ,समाजशास्त्र, राजनीति विज्ञान तथा अर्थशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वाधान में सिंपोजियम और लघु नाटिका का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. ब्रजेश सिंह (एसोसिएट प्रोफेसर, एच. बी. टी. यू. कानपुर), महाविद्यालय सचिव श्री पी. के. सेन तथा प्राचार्या प्रोफेसर सुमन के द्वारा दीप प्रज्वलन से किया।
अतिथि स्वागत एवम् सरस्वती वंदन की परंपरा का निर्वहन करते हुए अतिथियों को स्मृति चिन्ह तथा पुष्प गुच्छ भेंट किए गए। समाजशास्त्र विभाग से प्रो. निशी प्रकाश, अर्थशास्त्र विभाग से प्रो. निशा वर्मा, शिक्षाशास्त्र विभाग से प्रो. चित्रा सिंह तोमर तथा राजनीति विज्ञान विभाग से कुमारी पूनम ने महात्मा फुले व बाबा साहेब की विचारधारा पर विस्तृत प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन प्रो. प्रीती पांडेय तथा डॉ. प्रीति सिंह ने किया। कार्यक्रम का संयोजन राष्ट्रीय पर्व समिति प्रभारी डॉ रचना निगम और सदस्यों द्वारा किया गया l इस अवसर पर समस्त महाविद्यालय परिवार उपस्थित रहा। राष्ट्रगान के द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।
एस एन सेन महाविद्यालय में “व्यक्तित्व विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य” विषय पर कार्यशाला आयोजित
कानपुर 12 अप्रैल, भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन महाविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के परामर्श केंद्र तथा स्कूल साइकॉलजी द्वारा ” पायस विजन काउंसलिंग सेंटर ” इस 11.04.2023 के साथ मिलकर दिनांक 11.04.2023 को एक द्विदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसका विषय था ,” व्यक्तित्व विकास एवं मानसिक स्वास्थ्य” । कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती पूजन से हुआ दीप प्रज्वलन के पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो॰(डॉ॰) सुमन ने अपने आशीर्वचन से कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि वर्तमान समय को देखते हुए यह विषय छात्राओं के लिए बहुत ही लाभकारी है जिसके द्वारा वे अपने व्यक्तित्व का विकास कर के भविष्य के लिए स्वयं को तैयार कर सकती हैं ।इस तरह के कार्यक्रमों द्वारा हम छात्राओं मैं विभिन्न कौशलों को विकसित करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं । इसके बाद मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मोनिका सहाय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि व्यक्तित्व विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके लिए हम कभी भी व्यवहारिक कौशलों या सॉफ्ट स्किल्स को अर्जित करके स्वयं को बेहतर बना सकते हैं। कार्यक्रम में इसके बाद प्रोफेसर गार्गी यादव वोकेशनल कोर्स इंचार्ज ने वोकेशनल कोर्स को नई शिक्षा प्रणाली में शामिल करने के महत्व को बताया lइसके बाद पायस विजन सेंटर से आई हुई टीम ने छात्राओं को विभिन्न तरीकों से अपने व्यक्तित्व को विकसित करने तथा और बेहतर बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया और उन्हें यह भी बताया और कैसे विभिन्न परिस्थितियों में हम अपने गुणों और कौशलों को प्रदर्शित कर सकते हैं।
कार्यशाला के दूसरे दिन दिनांक, 12.04.2023 को भी पायस विजन टीम के, आशीष पांडे के द्वारा छात्राओं को विभिन्न व्यवहारिक कौशलों को अर्जित करने व अपने व्यक्तित्व में नए गुणों का समावेश करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन परामर्श केंद्र की इंचार्ज डॉ मोनिका सहाय ने दिया। अंत में छात्राओं को सर्टिफिकेट वितरित किया गया। लगभग डेढ़ सौ छात्राओं ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया था। कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोविज्ञान विभाग की सुश्री प्रीति यादव ,डॉ अंजना गुप्ता, सुश्री मयूरिका गुप्ता एवं सुश्री सौम्या श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा l