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रक्षा मंत्रालय ने 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की 75 सीमावर्ती सड़कों के किनारे ‘बीआरओ कैफे’ की सुविधायें स्थापित करने को मंजूरी दी

रक्षा मंत्रालय ने 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की सीमावर्ती सड़कों के विभिन्न इलाकों के 75 स्थानों पर सड़क किनारे सुविधायें स्थापित करने को मंजूरी दे दी है। इसका उद्देश्य है पर्यटकों को बुनियादी सुविधायें प्रदान करना और सीमावर्ती इलाकों में आर्थिक गतिविधियों को गति देना। इस कदम से स्थानीय लोगों के लिये रोजगार भी पैदा होंगे। सड़क किनारे स्थित इन सुविधाओं को ‘बीआरओ कैफे’ के नाम से जाना जायेगा।  बीआरओ की पहुंच दूर-दराज के सीमावर्ती इलाकों तक है और उन इलाकों की सामरिक जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ वह उत्तरी और पूर्वी सीमाओं में सामाजिक-आर्थिक उन्नति की दिशा में भी काम करता है। इस तरह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर स्थानों पर पर्यटकों की तादाद बढ़ी है। इन स्थानों पर आसानी से पहुंचना कठिन होता है। सख्त जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों वाली इन सड़कों पर पर्यटकों की आवाजाही को आरामदेह बनाने के लिये, सड़कों के किनारे बहुपयोगी सुविधायें तैयार करने की जरूरत है। यह कदम इन क्षेत्रों के प्रमुख पर्यटन सर्किटों को चिह्नित करने के बाद उठाया जा रहा है। चूंकि ये सड़कें दूर-दराज स्थित हैं और वहां तक पहुंचना कठिन है, इसलिये वहां व्यापारिक विकास होना मुश्किल हो जाता है। बीआरओ वहां पहले से कार्यरत है, इसलिये इन दूर-दराज के इलाकों में ऐसी सुविधायें उपलब्ध कराने का बीड़ा उसने खुद उठाया है।  इस योजना के तहत एजेंसियों के साथ मिलकर सार्वजनिक-निजी भागीदारी में सड़क किनारे सुविधायें विकसित तथा संचालित की जायेंगी। एजेंसियों को इसके लिये लाइसेंस दिया जायेगा और वे बीआरओ के दिशा-निर्देश में इन सुविधाओं की डिजाइन, निर्माण और संचालन करेंगी। सुविधाओं में दो पहिया और चार पहिया वाहनों की पार्किंग, फूड प्लाजा/रेस्त्रां, महिलाओं, पुरुषों व दिव्यांगों के लिये अलग-अलग प्रसाधन सुविधा, फर्स्ट-एड सुविधा/एमआई कक्ष आदि का प्रस्ताव किया गया है। प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के जरिये लाइसेंस देने का कार्य पूरा किया जायेगा।

समझौते की अवधि 15 वर्ष होगी और उसे पांच वर्ष की अवधि तक बढ़ाया जा सकता है।

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चांद आज कुछ कह रहा था

झरोखे में से झांक रहा था
चांद आज कुछ कह रहा था

एक अरसे से मुलाकात नहीं थी
जाने क्यों चांद में वो बात नहीं थी

खेल लुकाछिपी का खेल रहा था
और संग हवाओं के झूम रहा था

चंचल चितवन लिये डोल रहा था
जाने क्यों मन अपनी ओर खींच रहा था

रात आधी थी बात भी अधूरी थी
वो बस अपनी ही मौज में गुम हो रहा था

प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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एस जयशंकर और अनुराग ठाकुर ने मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में भारतीय खेल प्राधिकरण के पहले स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन किया

केंद्रीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर तथा केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने बुधवार को नई दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन किया। ये देश भर के किसी भी केंद्र में भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा शुरू किये गए पहले स्क्वैश कोर्ट हैं। उद्घाटन समारोह के दौरान खेल सचिव श्रीमती सुजाता चतुर्वेदी, भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के महानिदेशक संदीप प्रधान, और एनबीसीसी निदेशक (परियोजना) नीलेश शाह सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए स्क्वैश खेलने के शौकीन 68 वर्षीय डॉ जयशंकर ने कहा कि आज स्क्वैश कोर्ट का उद्घाटन करते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही है। खेल मंत्रालय इस परियोजना को पूरा करने और सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह से वचनबद्ध है। कई खेलों को अब पहचान मिल रही है और देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा फिटनेस की जीवन शैली विकसित करने तथा प्रतिभाओं को अवसर देने का संदेश हर जगह गूंज रहा है। मोदी जी हमेशा शारीरिक फिटनेस, प्रतिस्पर्धा और मानसिक शक्ति पर जोर देते हैं, जो न्यू इंडिया के लिए बहुत जरूरी है। जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत सरकार देश में इस तरह की और अधिक खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। हम यथासंभव अधिक से अधिक खेल सुविधाएं विकसित करना सुनिश्चित करेंगे। मैंने 24 साल की उम्र में स्क्वैश खेलना शुरू किया था और आज मैं 68 साल का हूं। हमें बस अच्छी सुविधाओं, अच्छे कोच तथा खेलने के इरादे की जरूरत है। खेलो इंडिया और फिट इंडिया सभी के लिए है। इसके लिए कोई उम्र की सीमा नहीं है। पूर्व केंद्रीय युवा कार्यक्रम और खेल राज्य मंत्री श्री किरेन रिजिजू ने दिसंबर 2020 में इस परियोजना की आधारशिला रखी थी। क्रियान्वयन से पहले स्क्वैश रैकेट फेडरेशन के प्रतिनिधियों तथा प्रख्यात खिलाड़ियों के बीच वरिष्ठ स्तर पर विभिन्न बैठकें आयोजित की गईं और यह निर्णय लिया गया कि स्टेडियम में कुल 6 स्क्वैश कोर्ट बनाए जाएं। इन 6 में से कुल 3 सिंगल कोर्ट को कन्वर्टिबल कोर्ट के रूप में रखा जाएगा, जो 2 डबल्स कोर्ट में कन्वर्टिबल होंगे।अनुराग सिंह ठाकुर ने प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए कहा कि नरेन्द्र मोदी जी हमेशा से खेल में ताकत और प्रतिस्पर्धा के साथ-साथ-साथ मानसिक विश्वास को बढ़ाना चाहते हैं। राष्ट्रीय राजधानी में इस तरह की सुविधा का होना उस लक्ष्य को प्राप्त करने का एक और माध्यम है। जब ऐसा मौका मिलता है तो नए सितारों के उभरने की संभावना बढ़ जाती है।इस बात का उल्लेख करते हुए कि युवा चैंपियन भारत सरकार की योजनाओं से कैसे लाभान्वित हो सकते हैं, श्री ठाकुर ने कहा, मुझे पूरा विश्वास है कि इस तरह का विश्व स्तरीय स्क्वैश इंफ्रास्ट्रक्चर आने वाले वर्षों में निश्चित रूप से ऐसे अनेक होनहार चैंपियनों को तैयार करेगा और हम अपनी लक्षित ओलंपिक पोडियम योजना तथा खेलो इंडिया योजना के माध्यम से उनका सहयोग करने के लिए तैयार हैं। भारत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान स्क्वैश के खेल में राष्ट्रमंडल खेलों में कुल 3 पदक और एशियाई खेलों में 13 पदक जीते हैं। यह आंकड़ा बढ़ता रहेगा। मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में स्क्वैश कोर्ट के निर्माण को भारतीय खेल प्राधिकरण की शासी निकाय की बैठक में कुल 5.52 करोड़ रुपये की लागत से मंजूरी दी गई थी। भारत सरकार के स्वामित्व वाले राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने नई दिल्ली में कोविड-19 और प्रदूषण संबंधी प्रतिबंधों के बावजूद इस परियोजना को पूरा किया।इस परिसर में 80 व्यक्तियों के बैठने की जगह है और यहां पर पुरुष, महिला एवं दिव्यांग व्यक्तियों के लिए शौचालय, टूर्नामेंट रूम / कार्यालय कक्ष, फिजियोथेरेपी कक्ष, स्टोर, रिसेप्शन लॉबी, रखरखाव क्षेत्र आदि बनाये गए हैं। इस भवन को विश्व स्क्वैश महासंघ द्वारा अनुमोदित एएसबी सिस्टम में 100 दीवारों के साथ फैक्ट्री फिनिश्ड कस्टम डिजाइन पीईबी सुपर संरचना द्वारा बनाया गया है, जिसमें लेमिनेशन के साथ पीयूएफ की छत है।

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योग से मन और शरीर दोनों का विकास होता है : सर्बानंद सोनोवाल

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं राजमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, 2022 के 12 दिन के काउंटडाउन के तहत अरुणाचल प्रदेश की सुरम्य जीरो वैली में हुए योग उत्सव में भाग लिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002RUK7.jpgकेंद्रीय मंत्री के साथ ही अरुणाचल प्रदेश सरकार में शिक्षा, सांस्कृतिक मामले, स्वदेशी मामलों के मंत्री ताबा तेदिर और अरुणाचल प्रदेश सरकार में कृषि, बागवानी, पशु पालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री तेगे तेकी के अलावा कई अन्य योग के चाहने वाले आज सुबह हुए योग उत्सव में शामिल हुए। इस अवसर पर श्री सोनोवाल ने कहा कि योग मन और शरीर दोनों का विकास करता है। यह हमारी आत्मा को सक्रिय करते हुए हमें शांति और व्यवस्थित रखता है। उन्होंने कहा कि भवगद् गीता ने योग के सार को खूबसूरती से बताया है, जो स्वयं की, स्वयं के माध्यम से, स्वयं की यात्रा है। उन्होंने कहा, मैं आज सुबह खूबसूरत जीरो वैली में योग का अभ्यास करके खुद को भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं।

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अपने पिता के खेत में प्रशिक्षण से लेकर खेलो इंडिया रजत पदक जीतने तक महाराष्ट्र की कल्याणी गाडेकर ने लंबा सफर तय किया है

मिट्टी का एक गड्ढा, जो उसके पिता के छोटे खेत में एक अस्थायी कुश्ती के मैदान के रूप में बदला गया, कल्याणी गडेकर के लिए आदर्श प्रशिक्षण मैदान बन गया है।

इसका अर्थ यह नहीं कि महाराष्ट्र की पहलवान, खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2021 में 53 किलो वर्ग में रजत पदक विजेता कोई बहुत धनी परिवार में पैदा हुई थी। बात यह है कि उसके पिता के पास कोई विकल्प नहीं था। कुश्ती के प्रशंसक पांडुरंग गडेकर चाहते थे कि युवा कल्याणी पहलवान बने। लेकिन विदर्भ के वाशिम जिले के जयपुर नामक उनके छोटे से गांव में एक भी कोचिंग सेंटर नहीं था। वह हंस कर कहती है, ‘‘ मेरे पिता ने किसी तरह जिम्नास्टिक के नरम मैट एकत्र किए तथा उस पर एक बेडशीट डाल दी जिससे कि मुझे कुश्ती के मैट पर खेलने का एहसास हो। ‘‘ हालांकि पिता और पुत्री की जोड़ी अस्थायी कुश्ती अखाड़ा बन जाने के बाद भी नहीं टूटी। पांडुरंग को कोच तथा प्रशिक्षक की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी क्योंकि राज्य द्वारा अनगिनत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विजेताओं को पैदा किए जाने के बाद भी उनके जिले में एक भी कोच नहीं था। उनकी साझीदारी तब टूटी जब कल्याणी ने अपने पहले ही प्रयास में स्कूल नेशनल्स में जगह बना ली। उनके माता पिता ने अपनी जमीन का एक हिस्सा बेच कर उसे आगे के प्रशिक्षण के लिए सोनीपत स्थानांतरित कर दिया। कल्याणी स्मरण करती है, ‘‘ मेरे छोटे भाई और बहन ने मिट्टी के उसी गड्ढे में प्रशिक्षण करना जारी रखा जब मैं शहर चली आई। बच्चों के रूप में हम बहुत मस्ती किया करते थे। ‘‘ संयोग से, अब तीनों भाई बहन मुंबई में भारतीय खेल प्राधिकरण के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं। 18 वर्षीया कल्याणी ने आरंभिक प्रशिक्षण से लेकर बुधवार को यहां 53 किग्रा रजत पदक जीतने तक निश्चित रूप से एक लंबा रास्ता तय किया है। हालांकि यह आसान नहीं था। दो बार, उसने सेमी फाइनल में पंजाब की मनजीत कौर को पराजित किया। लेकिन फाइनल में वह हरियाणा की अंतिम के दांव को रोकने में विफल हो गई कल्याणी, जिसने 46 किलो वर्ग में केआईवाईजी पुणे संस्करण में भी रजत पदक जीता था, बताती है, ‘‘ हालांकि मैं अपने प्रदर्शन से प्रसन्न हूं। मैं आम तौर पर 50 किलो वर्ग में प्रतिस्पर्धा करती हूं। लेकिन चूंकि यहां 49 किलो वर्ग है, इसलिए मुझे 53 किलो के वर्ग में जाना पड़ा। मैं इतने कम समय में अपना वजन कम नहीं कर सकी। ‘‘लगभग एक वर्ष पूर्व, उसे एसएआई स्कीम के तहत मुंबई के कांदिवली में प्रशिक्षण के लिए चुना गया और वह अपने सामरिक वाले खेल पर कोच श्री अमोल यादव के साथ काम कर रही है। श्री यादव ने कहा, ‘‘ वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत है और उचित कोचिंग की कमी के कारण बहुत रक्षात्मक हुआ करती थी। लेकिन हम उस पर काम कर रहे हैं और मुझे भरोसा है कि हम अगले  6-10 महीने में उसके प्रदर्शन में बड़ा सुधार देख सकते हैं।

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मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

‘मैडम सर’ ने 500 शानदार एपिसोड्स पूरे किए, शो के कलाकारों ने अपने अंदाज में मनाया इस उपलब्धि का जश्‍न!

सोनी सब के शो ‘मैडम सर’ ने सफलतापूर्वक 500 एपिसोड पूरे कर लिए हैं। यही वह समय है कि भारत की सबसे चहेती महिला पुलिस अधिकारियों के लिये हम सब जमकर ताली बजाएं। दो साल पहले अपने लॉन्‍च के बाद से ही, इस शो ने महिलाओं के नेतृत्‍व वाले मजबूत किरदारों और सोच-विचार कर बनाई गईं कहानियों एवं प्‍लॉट के साथ दर्शकों को काफी लुभाया है। इस शो में एसएचओ हसीना मलिक (गुल्‍की जोशी), करिश्‍मा सिंह (युक्ति कपूर), संतोष (भाविका शर्मा), पुष्‍पा सिंह (सोनाली नाईक) और चीता चतुर्वेदी (प्रियांशु सिंह) मुख्‍य भूमिकाएं निभा रहे हैं। शो में बड़े आत्‍मविश्‍वास और बेहतरीन तरीके से एक महिला पुलिस थाने को संभालने में रोजाना आने वाली चुनौतियाँ दिखाई गई हैं। इसके किरदारों ने अजीब से अजीब मामलों को पूरे ‘जज्‍बात’ के साथ और सबसे अभिनव तरीकों से सुलझाया है। पिछले 500 एपिसोड्स में ‘मैडम सर’ ने अनगिनत सामयिक विषयों और निजी अनुभवों को छुआ है, जो ऐसी लड़कियों के लिये प्रेरक हैं, जिन्‍हें अपने काम में महारथ पाने और उसे सहजता से करने की आकांक्षा है। महिला सशक्तिकरण से लेकर, दबंगई, सामाजिक रूढि़यों, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, आदि तक इस शो ने प्रासंगिक मुद्दों को ऐसी कहानियों के जरिए दिखाया है जोकि एक सकारात्‍मक एवं महत्‍वपूर्ण असर पैदा करने के लिए समाधान प्रदान करती हैं। आज हासिल हुई उपलब्धि के साथ ‘मैडम सर’ नये रास्‍तों पर बढ़ने के लिये तैयार है, और यह दर्शकों को बांधकर रखने की कोशिश करता रहेगा।  इस उपलब्धि पर अपनी बात रखते हुए, हसीना मलिक की भूमिका निभा रहीं गुल्‍की जोशी ने कहा, “मुझे ‘मैडम सर’ का हिस्‍सा बनकर बहुत गर्व और खुशी है, क्‍योंकि यह शो समस्‍याओं को हल करने की नई-नई विधियों से दयालुता और हास्‍य के भाव को फैलाता है। एक एक्‍टर के तौर पर इसमें मैंने न केवल नये लुक्‍स और शख्सियतों को अपनाया, बल्कि परफॉर्मेंस के मामले में भी मेरा दायरा बढ़ा। हमारे शो को दर्शकों से अब तक मिली प्रतिक्रिया काफी संतोषजनक रही है और हम आगे और भी ज्‍यादा एडवेंचर्स लाकर दर्शकों का मनोरंजन जारी रखना चाहते हैं। 500 एपिसोड्स पूरे करने और यह बेजोड़ उपलब्धि हासिल करने के लिये पूरी टीम को शाबाशी मिलनी चाहिये। यह ‘मैडम सर’ की यात्रा में एक नये अध्‍याय की शुरूआत है।‘’ करिश्‍मा सिंह की भूमिका निभा रहीं युक्ति कपूर ने कहा, “मैं 500 शानदार एपिसोड्स पूरे होने पर पूरे दिल से हमारी टीम को बधाई देना चाहती हूँ। यह उपलब्धि हासिल करने का अनुभव सपने जैसा लग रहा है और यह हमारी उस कड़ी मेहनत को दिखाता है, जो इस कहानी को पर्दे पर जीवंत करने में लगी है। इस शो ने हमें एक्‍टर के तौर पर कई बारीकियाँ जानने का मौका दिया और इसके नेरेटिव भी आधुनिक समय के हैं। ऐसे बेहतरीन कलाकारों और क्रू के साथ काम करना मैं अपना सौभाग्‍य मानती हूँ, जिन्‍होंने हमेशा मेरा साथ दिया। मैं ऐसी और भी उपलब्धियों की कामना करती हूँ।” संतोष की भूमिका निभा रहीं भाविका शर्मा ने कहा, “इतनी बड़ी उपलब्धि का हिस्‍सा बनकर मैं बहुत खुश और आभारी हूँ। एक शो को इतने लंबे समय तक चलाना और दर्शकों के लिये प्रासंगिक बनाये रखना कठिन है, लेकिन ‘मैडम सर’ ने कौतुहल पैदा करने और मनोरंजन देने वाली कहानियों के साथ एक बदलाव करके दिखाया है। एक टीम के तौर पर हमने इस शो को सफल बनाने के लिये बड़ी कोशिश की है और मैं दर्शकों से आग्रह करती हूँ कि वे हमें अपना प्‍यार और सहयोग लगातार देते रहें।” देखते रहिये ‘मैडम सर’, सोमवार से शनिवार रात 10 बजे, सिर्फ सोनी सब पर!

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केन्‍द्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया

केन्‍द्रीय पर्यटन, संस्कृति और उत्‍तर पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री (डोनर) श्री जी. किशन रेड्डी ने आज बोरीवली के नजदीक संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कन्हेरी गुफाओं में पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाओं का उद्घाटन किया। संस्‍कृति मंत्री ने कहा, “कन्हेरी गुफाएं हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे हमारे उद्भव और अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर किए गए कार्यों का उद्घाटन करना सौभाग्य की बात है। बुद्ध का संदेश संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करने के लिए आज भी महत्‍वपूर्ण है।”

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श्री रेड्डी ने कहा कि हमारी समृद्ध ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण में रुचि दिखाना और उसकी जिम्मेदारी लेना प्रत्येक नागरिक की नैतिक जिम्मेदारी है। संस्‍कृति मंत्री ने कहा कि हमारी विरासत की रक्षा, संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सार्वजनिक-निजी भागीदारी, कॉरपोरेट और सिविल सोसाइटी संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां इन खजानों तक पहुंच सकें। इंडियन ऑयल फाउंडेशन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के साथ हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के हिस्से के रूप में कन्हेरी में उन्नत पर्यटक बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के कार्य में शामिल है। वर्तमान इमारत में आगन्‍तुक मंडप, रखवाली करने वालों के आवास, बुकिंग ऑफिस को अपग्रेड करने के साथ उनका नवीनीकरण किया गया है। बुकिंग काउंटर से लेकर कस्टोडियन क्वार्टर तक के क्षेत्र को प्राकृतिक दश्‍यों से सुशोभित किया गया है। चूंकि गुफाएं जंगल के मुख्य क्षेत्र में आती हैं, बिजली और पानी की आपूर्ति नहीं हो पाती है, इसके बावजूद सौर ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से बिजली की व्यवस्था की गई है। आगंतुकों की रुचि बनाए रखने के लिए सरल और सुविधाजनक विवेचना केन्‍द्र की स्‍थापना की गई है जिसमें ग्यारह व्‍याख्‍यात्‍मक पैनलों की मदद से प्रमुख गुफाओं की उत्कृष्ट विशेषताओं और अद्वितीयता को उजागर किया गया है। कन्हेरी का ट्रेल मैप यानी रास्‍ता दिखाने वाला नक्‍शा एक और महत्वपूर्ण विशेषता है जो आगंतुकों का समय बचाने में मदद करता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरे मठ परिसर के 3डी वर्चुअल टूर पर भी काम कर रहा है। कन्हेरी गुफाएं मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों में बड़े पैमाने पर बेसाल्ट आउटक्रॉप में गुफाओं का समूह और कटी हुई चट्टानों से बने स्मारकों का एक समूह है। इनमें बौद्ध मूर्तियां और राहत नक्काशी, पेंटिंग और शिलालेख हैं, जो पहली शताब्दी सीई से 10वीं शताब्दी सीई तक की हैं। पानी के अनेक जलाशयों के साथ खुदाई की सतह और क्षेत्र, शिलालेख, एक सबसे पुराना बांध, एक स्तूप दफन गैलरी और उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली इसकी एक आश्रम और तीर्थ केन्‍द्र के रूप में लोकप्रियता का संकेत देती है। कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण में और क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किए गए दान के माध्यम से फला-फूला।

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प्रधानमंत्री ने लुम्बिनी, नेपाल में मायादेवी मंदिर के दर्शन किये

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों

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तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”

गेट खुलने की आवाज़ सुन कर मीरा ने खिड़की से झांका तो देखा ,शेखर फ़ैक्ट्री से आ गये थे।शेखर मीरा के पति जो शहर के जाने माने बिज़नेसमैन है।मीरा एक घरेलू औरत जो नौकरों की मदद से घर को चला रही है।गर्मी से झुनझुनाइये शेखर ने अपने नौकर से पानी माँगा और सोफ़े पर बैठ गया।बाहर बहुत गर्मी है!ज़रा ऐ-सी तेज करो नौकर से ये कह कर आँखे बंद कर थोड़ा आराम करने के इरादे से लेट गया।सारा दिन काम करके थक जाता हूँ ,शेखर सोच रहा था कितने सालों से वो सारा बिज़नेस अकेले ही देख रहा है ,किस के लिए अपनी पत्नी और बच्चों के लिये।फिर सोचने लगा!
मेरे बच्चे सब अपनी मर्ज़ी ही करते है।मै उनकी हर ख्वाहिश पूरी करताहूँ,क्या वो भी मेरी कोई इच्छा या ज़रूरत पूरी कर पायेंगे?
ये कैसे कैसे सवाल आज मेरे मन मे आ रहे है ?शेखर ने सोचा।शायद थका हुआ हूँ तभी ऐसे विचार मेरे मन में आ रहे हैं।तभी मीरा आई और शेखर से कहा जल्दी से तैयार हो जाओ।आज पुनीत के यहाँ किटी पर जाना हैं।शेखर थका हुआ था सोचा कि बोल दूँ ,कि तुम ही हो आओ।फिर सोचा इस किटी में उसके दोस्त भी होगें।वो जायेगा तो अच्छा भी लगेगा।बेमन से उठा और तैयार होने के लिये अपने कमरे मे चला गया।दोनों थोड़ी ही देर मे पुनीत के यहाँ पहुँच गये।
सब से मिले ,बाते चली ,गाने बजाने नाचने का माहौल ने शेखर को तरोताज़ा कर दिया।रात को काफ़ी देर तक पार्टी चली।शेखर ने मीरा को चलने का इशारा किया और वो दोनों वहाँ से निकल पड़े।रास्ते में मीरा ने शेखर से पार्टी की बात छेड़ दी ,कहा आज सोनिया ने नये डायमंड के टॉपस पहने हुये थे।बता रही थी कि उसके पति ने उसे शादी की सालगिरह का तोहफ़ा दिया और ये भी कह रही थी, बारह लाख के बनवाये।तुनक कर बोली!पता नही,क्या समझती है खुद को और ज़िद्द करने के लहजे से शेखर से बोली !मुझे भी वैसे ही कानों के टॉपस चाहिए।शेखर ने कहा ,ले लेना।ये कौन सी बड़ी बात है। फिर मीरा ने इक और तीर चलाया।कहने लगी और देखा था,रश्मि ने इतना सुन्दर डायमंड का सैट पहना हुआ था।बता रही थी तीस लाख का लिया था।उसके पति ने उस को पचासवीं सालगिरह पर तोहफ़ा दिया है।वो भी चहक चहक कर सब को दिखा रही थी।शेखर मुझे भी वैसा ही सैट चाहिए । शेखर जो पीये हुये भी था कहने लगा !ले लेना।हम कौन सा कम है किसी से। जब सुबह दोनों चाय पीने बैठे तो भी मीरा ने फिर वही बातें दोहरा दी।शेखर ने कहा ! हाँ मैं भी देख रहा था पुनीत मित्तल अपनी फरारी गाड़ी की कितनी ढींगे मार रहा था।मैं भी लैमबरगीनी गाड़ी निकलवाता हूँ ताकि लोगों को भी पता लगना चाहिए कि हम भी किसी से कम नहीं।अपनी 4 कनाल की कोठी की बात ,पता नहीं कितनी दफ़ा अपने दोस्तों के सामने की उसने। क्या समझता है खुद को,हम भी अब 8 कनाल की कोठी लेंगे जल्दी ही, अब बडे लोगों के बीच रहना है तो ये सब तो करना ही पड़ेगा ।शेखर चाय पी कर जल्दी से फ़ैक्ट्री चला गया, दोस्तों कोई बड़ी बात नही।पैसा हो तो खर्च भी करना चाहिए।जो इच्छा हो, पूरी भी करनी चाहिए। देखा जाये ,तो औरतो का सपना होता है बड़ा घर ,पैसा ,गाड़ी और भी बहुत कुछ डिमांड करती रहती है पतियों से ।मगर देखने मे ये आता है जितनी बड़ी माँग को पूरा करना होता है ।पति को उतनी ही कड़ी मेहनत करनी पड़ती है ।कई बार तो साम दाम दंड भेद कोई भी तरीक़े से पैसा कमाया जाता है।ज़मीर तक दावँ पर लगा डालते हैं। शराफ़त से कमाई गई दौलत से इक सादा सच्चा जीवन जीया जा सकता है।बड़े बड़े शौक़ पूरे नही किये जा सकते। ये अलग बात है बड़ी बड़ी फ़ैक्टरियों की आमदनी से ये सब संभव भी है दोस्तों !
डायमंड जिसे मै सिर्फ़ इक चमकता हुआ पत्थर ही कह सकती हूँ और सोना जिसे पीले रंग की धातु मात्र ही समझती हूँ और इस बात से भी इनकार नहीं कर सकती ,ये सब चीज़ें हमारे दुख सुख मे काम भी आते है। ये बैंक बैलेंस ,ये ज़मीनें जायदाद जो हम पता नही ,कैसे कैसे किसी को दुख दे कर या किसी की आह ले कर ,बड़ी ख़ुशी के साथ इकट्ठा करते है जो अंत मे हमारा साथ न देंगी और मरने के बाद हमसे जब बल छल से किये गये करमो का हिसाब माँगा जायेगा तो कोई बच्चा या पत्नी इल्ज़ाम अपने सर नही लेगी कि मेरे कहने पर मेरे पति ने मुझे हीरे का सैट या जुलरी लेने के लिये ही ऐसा कोई करम बना लिया ।हमारी औरतों की बड़ी बड़ी इच्छायें आदमियों से ऐसे ऐसे काम करवा देती है जो उसके शरीर तो भुगतता ही है ,रूह पर भी दाग लग ज़ाया करते है। ये सोशल गैदरिगं मे यही सब हो रहा है आजकल।इक दूसरे से आगे निकलने की रेस। आनन्द लीजिए !इन सोशल नेटवर्किंग का ,मगर कोई ऐसी इच्छा अपने पति के सामने न रखे जिसे पूरा करते वक़्त वो अपना ईमान ही बेच डाले।
अग्नि के इर्द गिर्द फेरे लेने का मतलब ये नहीं ,उसे अपनी इच्छा पूर्ति का ज़रिया बना लिया जायें। उनकी भी अपनी इच्छा होती होगी ,पत्नियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए। कई पुरुष औरत की हर इच्छा को पूरा करने के लिए कई हदें पार कर देता है और अगर पुरूष की ख़ास इच्छा हो ,जिसमें उसकी ख़ुशी हो ,तो पूरे परिवार को भी उस इच्छा का सम्मान भी करना चाहिए और कहीं न कहीं शायद हम सब ही अपने पिता या पति के प्रयासों के लिये ढंग से आभार भी प्रकट नही कर पाते। अगर आप सच में रानी बनना चाहतीं है तो अपने पति को राजा बनाये न कि अपना या अपनी इच्छायों का गुलाम। कहीं ऐसा न हो कि पति को ये लगने लगे।
“शौक़ तेरे भी थे और मेरे भी,मगर “ईमान”मेरा बिक गया ..तुम्हें रानी बनाने की चाह मे ,पता नही कब ..मै राजा से गुलाम हो गया”।

स्मिता केंथ

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हाउस वाइफ

पालक के पत्तों में खो जाती है वो, मेथी बारीक कटी या नहीं इसी उधेड़बुन में घर के बाकी सारे काम कर जाती है वो!!
सबकी फरमाइश पूरी करती है वो, किसी ने घर मे तेज़ आवाज़ दी तो सारे काम छोड़ कर दौड़ पड़ती है वो,बच्चे भी क़भी- क़भी ढंग से बात नहीं करते उससे फिर भी अपनी ममता में कमी नहीं रखती है वो!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो,
याद नहीं उसको कब सँवारी थी आईने के सामने बैठ कर देर तक खुद में झांकी थी,वही जुड़ा जल्दी
वाला बनकर किचन की और बस भागी थी
अकेले बैठी थी सोच रही थी कि मैं भी कुछ कर सकती हूँ क्या,मग़र फिर याद आया सब्जी चढ़ा कर आई हो गैस पर वो ना जला जाये कहीं,इसे छोड़ो अभी सब्जी ज्यादा जरूरी है,खाने का स्वाद ना बिगड़ जाये इसलिए ये ज्यादा जरूरी है!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो,
कितनी ऐसी स्त्रियां है जो गुम हो गई रोज़मर्रा की इन्ही उधड़बुन मैं,खुद को भूल चुकी भरे पूरे परिवार में खो चुकी है,मग़र जब भी वक़्त मिलता है तो सोचती है ऊँचा उड़ाने की,देखे थे कुछ सपने उन्हें पूरा करने की,मग़र उसी दाफा फ़िर से एक और आवाज़ आती है और वो तेज़ी से फ़िर दौड़ लगती है
फ़िर सपनो की दुनिया से निकलकर हकीकत में खो जाती है!!
पालक के पत्तों में खो जाती है वो…..श्रद्धा श्रीवास्तव

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