कानपुर 30 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता, श्री नागरिक रामलीला कमेटी, एच ब्लॉक, किदवई नगर कानपुर की वार्षिक आमसभा दिनांक 28 अगस्त 2022 को संपन्न हुई। आम सभा में निवर्तमान अध्यक्ष बसंत कुमार बाजपाई की मृत्युपरांत नए अध्यक्ष के रूप में डॉ राजीव मिश्रा (सचिव सोशल रिसर्च फाउंडेशन) के नाम का प्रस्ताव किया गया जिसे उपस्थित सभी सदस्यों ने निर्विरोध रूप से हर्षध्वनी के साथ स्वीकार किया। ज्ञातव्य हो कि एक वर्ष रामलीला समिति अपना 48वा दशहरा महोत्सव आयोजित करने जा रही है।
मनोरंजन
दिल बड़ा रखिए जनाब कौन बेमतलब आता है किसी के यहां आजकल
कोई है वहाँ ? ज़रा फ़ोन तो उठाओ।फ़ोन की घंटी कब से बजे जा रही है।रिया ने बाथरूम से अपने पति रोहन को आवाज़ देते हुये कहा।रोहन ने झट से फ़ोन उठाया तो उधर रोहन की बहन सलोनी थी जो कह रही थी वो अगले हफ़्ते रोहन के शहर किसी आफ़िस के काम से आ रही है एक हफ़्ते के लिये, और उसी के यहाँ ठहरेगी।रोहन ने बात करके फ़ोन रख दिया, मगर अब सोच रहा था कि कैसे कहे रिया से कि सलोनी आ रही है।वो रिया को जानता था।इतने मे रिया बाथरूम से बाहर आ गई और पूछा किसका फ़ोन था ?रोहन ने कहा ! सलोनी कुछ काम के सिलसिले से यहाँ आ रही है और हमारे साथ दो चार दिन रहेगी ।बस फिर क्या था ,रिया ने कहा अगले हफ़्ते मेरी दो किटी पार्टी है और मै काम पर भी जाऊँगी ,मै नही सँभाल सकती किसी मेहमान को।कह दो सलोनी से कि तुमहारे बड़े भाई के यहाँ ठहर जाये।वहाँ भी तो जा सकती हैं रोहन कहने लगा !सलोनी अपने किसी आफ़िस के काम से आ रही है और उसका आफ़िस हमारे घर के पास है,इसीलिए हमारे यहाँ ठहरेगी।अब रोहन सलोनी को हाँ कर चुका था।रोहन चुपचाप उठा अपने आफ़िस चला गया मगर मन पर बोझ था।सोच रहा था ,अगर रिया की बहन का फ़ोन आया होता तो क्या रिया तब भी यूँ कहती और सोचने लगा जब कोई रिया के मायके से आता है तो वो कितना स्वागत करता है मगर रिया कयूं ऐसा करती है।मेरी माँ बाप ,बहन भाई ,जब भी कोई आता है तो उसका व्यावहार ऐसा कयूं होता है।अगर मैं रिया की हर बात का मान रखता हूँ तो रिया कयूं नही रख पाती।कंयू ऐसा बर्ताव करती है।आज काम पर मन नही लगा ,क्यूँकि रोहन ये पहले भी देख चुका था।शाम को सुनिल के घर जाने का प्रोग्राम था।सुनिल जो रोहन का बचपन का दोस्त था मगर भाई जैसा।सुनिल की दादी की 70 वीं सालगिरह थी।पार्टी सादी सी थी मगर वहाँ अपनापन और प्यार बहुत था।रोहन और रिया दादी के पास बैठे तो रोहन ने दादी को बताया कि उसकी बहन सलोनी आ रही है पूना से।दादी बहुत ख़ुश हुई और कहने लगी।तीन सालों के बाद आ रही है यहाँ, तेरे पापा के गुज़र जाने के बाद तुम दोनों भाई ही तो है उसके।तुमहारे पास नहीं आयेगी तो किस के पास जायेगी,मगर रिया ने तुनक कर कहा !दादी मै काम पर जाती हूँ मेरे घर कोई आये ,मुझे संभालना बहुत मुश्किल लगता है।दादी तो फिर दादी थी,बडे प्यार से रिया का हाथ पकड लिया और सिर पर हाथ फेर कर कहने लगी।
बिटिया,हम कितना परिवार अकेले सँभाल लिया करते थे बिना किसी नौकर के।आजकल तुम लोग इक मेहमान भी आ जाये तो तुम कैसा व्यावहार करने लगते हो ,अभी तो तुमहारे पास काम करने वाले नौकर चाकर भी रोहन ने लगा रखे है।बिटिया ज़रा दिल को बड़ा रखा करो।अगर तुम अपने पति का प्यार या विश्वास पाना चाहती हो तो उसकी भावनाओं का सन्मान करना सीखो ,फिर दादी ने अपने गाँव के इक पति पत्नी की बात बताई।कहने लगी कि हमारे गाँव मे इक जवान पति पत्नी रहते थे ।दोनों ही बहुत ही छोटे दिल के मालिक थे।उनके घर अगर कोई मेहमान आता तो पत्नी के माथे पर बल पड़ जाते और बहाने बहाने से ,साथ वाले पड़ोसी के घर से आटा माँग कर ले आती।कोई भिखारी भी उनके यहाँ आता तब भी वो दोनों ,साथ वाले पड़ोसी के घर भेज दिया करते और कहते कि पड़ोसी के घर चले जाओ यहाँ से कुछ नही मिलेगा।आये दिन अपने पड़ोसी के घर से कुछ न कुछ मागंते रहते।इक रोज बहुत ही गरीब भिखारी उनके दरवाज़े पर आया तो पहले की तरह उन्होंने उसे भी साथ वाले घर में भेज दिया।उस रात दोनों जब सो रहे थे तो पत्नी ने सपना देखा कि जिस गुरू को वो मानते है वो गुरू उनके आटा के डिब्बे मे से आटा निकाल कर पड़ोसी की रसोई में जा कर उनके आटे का डिब्बे में डाल रहे है। सुबह उठ कर पत्नी ने पति को ये बात बताई ।
दोनो घबरा गये ।सोचने लगे ,गुरू हमारे अन्न को बढ़ाने की बजाये अन्न को कम क्यों कर रहे थे।उन दोनों को ये सपना बैचेन कर रहा था।अगले रोज सीधा गुरू के पास पहुँच गये और सारी बात ,जो पत्नी ने सपने मे देखी थी ,गुरु जी से कह डाली ।गुरू जी हंसने लगे !कहने लगे अब तुमहारे यहाँ कोई मेहमान या कोई कुछ माँगने के लिए आता है तो तुम उसे साथ वाले घर मे भेज देती हो जबकि उनका दाना पानी तो तुमहारे घर मे लिखा था।बस मै तो वही अन्न,जो उनके हिस्से का अन्न होता है तुमहारे घर से निकाल कर पड़ोसी के यहाँ पहुँचा के आता हूँ।जब रिया ने बात सुनी तो सोच मे पड़ गई।बात तो सही थी कोई किसी के यहाँ ऐसे ही नहीं जाता ,दाना पानी खींच कर ले आता है ये बात तो उसने भी सुन रखी थी।अपनी सोच पर शर्म सी महसूस करने लगी।दादी कहती जा रही थी रिया जब तुम अपने भाई के यहाँ जाती हो तो वो तुम्हें कितना सन्मान देते है, अगर तुम्हारी भाभी भी ऐसा बर्ताव करे,जैसा तुम सलोनी के आने पर कर रही हो तो कैसा लगेगा तुम्हें।
दोस्तों!आज हम सब भी तो ,यही कर रहे हैं ।दिल को बड़ा रखने की जगह मेहमानों को मुसीबत समझने लगे हैं आज कोई घर आ जाये,तो अपने हाथो से खाना बना कर खिलाना तो बहुत दूर की बात हो गई है बस आसान रास्ता अपना लेते है कि चलो किसी रेस्टोरेन्ट मे खाना खिला देते है।मेहमान कोई भी हो ,पति का या पत्नी की तरफ़ से ,खुले दिल से स्वागत करे।यू तो हम कह रहे हैं समाज में प्यार बढ़ाये तो क्यों न शुरूवात अपने से ही करें।
यूँ भी दोस्तों !
“ कौन किसी के यहाँ आता जाता है आजकल,ये तो परिंदों की मासूमियत भरी मेहरबानी है ,जो हमारे बगीचो मे कभी भी आया ज़ाया करते है “
-लेखिका स्मिता ✍️
क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में 4 दिवसीय आजादी के अमृत महोत्सव का आज समापन समारोह संपन्न
कानपुर 17 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च पीजी कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतिम दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा संग डॉ मीत कमल डॉ रवि महलवाला डॉ जुनेजा,डॉ नवीन कुमार, डॉ सुधीर गुप्ता उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से दर्शाया गया।इसके पश्चात देश भक्ति का गीत गाकर वातावरण को देशभक्ति की भावना से पूर्ण कर दिया।इसके पश्चात आजादी के अमृत महोत्सव में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को कॉलेज के प्राचार्य द्वारा सर्टिफिकेट वितरित किया गया। कार्यक्रम का समापन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनीता वर्मा ने अपने एनएसएस के प्रमुख हर्षवर्धन दीक्षित तथा सह प्रमुख विलायत फातमा, मोमिन अली ने अपनी टीम जिनमें अरबाज,स्तुति, सौम्या दीक्षित, सौम्या तिवारी ,अर्फिया, फरीना ,साद ,उमर ने मिलकर कार्यक्रम का सफलतापूर्वक समापन किया।
गुजरा वक्त
बचपन कहूं या गुजरा वक्त मगर यह सच है कि वक्त बहुत तेजी के साथ बदल गया है। बीते वक्त की आज से तुलना करती हूं तो लगता है जैसे पता नहीं हमारा वक्त कौन सा वक्त था। आज हम इतना ज्यादा उपभोक्तावाद हो गए हैं कि छोटी छोटी चीजों का महत्व खत्म हो गया है। उनकी उपयोगिता घट गई है। छोटी छोटी सी चीजों में भी खुश हो जाने वाला बचपन आज बड़ी बड़ी चीजों में भी बहुत सहज दिखाई देता है।
हमारे जीवन में छोटी खुशियां और चीजों का मूल्य समझा और समझाया जाता था। एक बात और है कि आज के इस तकनीकी युग में विकल्प बहुत है। मुझे याद आता है कि यदि हमारी हवाई चप्पल अगर कहीं से टूट जाती थी तो सिलवाई जाती थी और उस चप्पल का इस्तेमाल हम तब तक करते थे जब तक वो बिल्कुल फेंकने लायक ना हो जाये। सिर्फ चप्पल ही क्यों स्कूल बैग फट जाते थे तो सिलवा कर इस्तेमाल में लाए जाते थे, आज की तरह नहीं कि फेंको और दूसरा ले लो। कपड़े भी जरा से फट गए तो सिल कर काम चला लिया जाता था, नए कपड़ों से अलमारियां नहीं भर ली जाती थी, पांच सात जोड़ी कपड़े बहुत होते थे। किताबों पर जिल्द ब्राउन पेपर की नहीं बल्कि अखबारों की जिल्द से भी काम चल जाता था।
हमारा बचपन खेल कूद और पढ़ाई में ही बीता। रसोई में क्या बन रहा है कभी ध्यान ही नहीं गया। मां जो भी बना देती थी वही खाना रहता था। हमारे लिए कोई ऑप्शन नहीं थे लेकिन आज अगर घर में तीन लोग हैं तो तीन तरह की रसोई बन जाती है, अनाज बर्बाद होता है सो अलग। पढ़ाई के मामले में भी अगर किताबें भाई बहन के काम आती है तो संभाल कर रख ली जाती थी नहीं तो किसी जरूरतमंद को दे दी जाती थी, रद्दी में नहीं फेंकी जाती थी। ऐसी ही न जाने कितनी बातें हैं दूरदर्शन या डी डी मेट्रो के अलावा हमारे लिए टीवी पर दुनिया भर के चैनल नहीं थे। रविवार का इंतजार रहता था और एक फिल्म देखना, कार्टून देखना या चंद्रकांता सीरियल, रामायण, महाभारत, टॉम एंड जेरी और चित्रहार जैसे कार्यक्रमों का इंतजार रहता था। आज की तरह बटन दबाकर पाज कर दिया और कल देखेंगे वाला सिस्टम नहीं था, उत्सुकता बनी रहती थी। वह इंतजार अब नहीं रह गया है। गाना सुनने के लिए वीडियो या टेप रिकॉर्डर थे। आज की तरह मोबाइल में सब कुछ सहूलियत से उपलब्ध नहीं था। होटल वगैरा भी किसी खास मौके पर ही जाना होता था आज की तरह वीकेंड मनाने या फिर जब मन हुआ होटल चले गए ऐसा नहीं होता था।
महसूस होता है कि वक्त बहुत तेजी से बदल गया है। पता नहीं दुनिया पहले छोटी थी अब छोटी हो गई है। बहुत फर्क आ गया है बच्चे हिंदी नहीं पढ़ना जानते, वास्तविक जीवन में कम तकनीकी जीवन में ज्यादा जीते हैं , मशीनी गति से काम करते न जाने कौन सा सुख तलाश करते हैं। हमें पैसे की वैल्यू समझाई जाती थी। अब सब समय की वैल्यू देखते हैं। हमें महंगी और सस्ती चीजों का फर्क समझाया जाता था। सिर्फ पसंद आ जाना भर ही आ जाना ही मायने नहीं रखता था समय के साथ बदलता बहुत कुछ है और बदलना भी चाहिए आज के बच्चों में परिपक्वता ज्यादा है मगर जब कभी लगता है कि बच्चे अपना बचपन, अपने संस्कार और अपने मूल्य भूलते जा रहे हैं तब दुख होता है।
प्रियंका वर्मा महेश्वरी
Read More »क्राइस्टचर्च डिग्री कॉलेज में अमृत महोत्सव के अन्तर्गत कॉलेज के पूर्व छात्रों के सहयोग से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन
कानपुर 13 अगस्त, भारतीय स्वरूप संवाददाता, आजादी की 75वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में बड़ा चौराहा स्थित क्राइस्टचर्च डिग्री कॉलेज में अमृत महोत्सव के अन्तर्गत कॉलेज के पूर्व छात्रों के सहयोग से भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
सर्वप्रथम ध्वजारोहण किया गया और मुख्य अतिथि प्रीती जैन दास के करकमलों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया, तत्पश्चात उपस्थित जनों द्वारा राष्ट्रगान गाया गया एवं राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गई। इसके बाद मुख्य अतिथि का परिचय सभी के समक्ष दिया गया।
इस मौके पर कॉलेज के वर्तमान एवं पूर्व छात्र-छात्राओं द्वारा आजादी से जुड़ी मनमोहक साँस्कृतिक झलकियाँ प्रस्तुत की गयीं। मनमोहक झलकियों को देखकर उपस्थित समस्त जनों ने जमकर तालियाँ बजायीं और प्रतिभागी छात्र- छात्राओं की सराहना की।प्रिंसिपल डॉ जोसेफ डेनियल ने डॉ0 प्रीति जैन दास का स्वागत किया। उन्होंने सभी पूर्व छात्रों का स्वागत करते हुए कहा कि आप लोग मेरे लिए व कॉलेज के लिए अमूल्य धरोहर हैं आप लोगों के सहयोग से कॉलेज को कई तरह की राहत मिलती है।
वहीं मुख्य अतिथि प्रीती जैन दास ने अपने कॉलेज के दिनों के किस्से सुनाने के साथ साथ उस वक्त के अपने गुरुजनों डॉ आशुतोष सक्सेना, डॉ0 आर. के. वर्मा को सम्मानित किया।
साथ ही डॉ0 आर0 के0 जुनेजा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि.आजादी की धरोहर को सुरक्षित बनाये रखना हम सबका कर्त्तव्य है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के करकमलों द्वारा पौधारोपण कर पर्यावरण को संरक्षित व सुरक्षित बनाये रखने का संदेश दिया गया।
कार्यक्रम में मुख्यरूप से रवि महलवाला रवि महलवाला ने स्वागत भाषण में कई नई पुरानी यादें ताजा करते हुए आजादी प्राप्ति के बारे में विचार व्यक्त किये। इस मौके पर मुख्यरूप से नलिन कुमार श्रीवास्तव, हिमांशु दीक्षित, मनीष मेहरोत्रा, आशुतोष सक्सेना, विभा दीक्षित, मीत कमल द्विवेदी, अतुल दीक्षित सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
थल सेना प्रमुख ने 22वें राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल होने वाले भारतीय सेना के प्रतिभागियों को सम्मानित किया
हाल ही में संपन्न हुए XXII राष्ट्रमंडल खेलों 2022 में भारतीय सेना के एथलीटों ने चार स्वर्ण, एक रजत और तीन कांस्य पदक जीतकर बेहद शानदार प्रदर्शन किया। व्यक्तिगत पदक विजेताओं में भारोत्तोलन में नायब सूबेदार जेरेमी लालरिनुंगा (स्वर्ण) और हवलदार अचिंत शेउली (स्वर्ण), कुश्ती में सूबेदार दीपक पुनिया (स्वर्ण) और भर्ती हवलदार दीपक नेहरा (कांस्य), बॉक्सिंग में सूबेदार अमित पंघाल, वीएसएम (स्वर्ण) एवं सूबेदार मोहम्मद हुसामुद्दीन (कांस्य) तथा एथलेटिक्स में नायब सूबेदार अविनाश साबले (रजत) और सूबेदार संदीप कुमार (कांस्य)शामिल हैं।
यह वास्तव में एक सराहनीय उपलब्धि है कि राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने वाले दल में भारतीय सेना के 18 प्रतिभागियों में से आठ खिलाड़ियों ने भारत के लिए पदक जीते हैं। ये पदक भारतीय सेना द्वारा सावधानीपूर्वक नियोजित और लगातार चल रहे “मिशन ओलंपिक कार्यक्रम” का ही परिणाम हैं, जिसकी परिकल्पना वर्ष 2001 से की गई थी और इसे बेहतर प्रदर्शन प्राप्त करने के लिए लागू किया गया।
दल के भारत लौटने पर थल सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल मनोज पांडेय और सेना मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने 10 अगस्त 2022 को दिल्ली कैंट में आयोजित एक विशेष समारोह में खिलाड़ियों को बधाई दी और उनके साथ चर्चा की।
सेना प्रमुख ने खिलाड़ियों को संबोधित करते हुए उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन की सराहना की और कहा कि खेलों में भाग लेने वाले भारतीय सेना के प्रतिभागी राष्ट्र के लिए वास्तविक रोल मॉडल हैं। सेनाध्यक्ष ने कहा कि उनके व्यक्तिगत प्रदर्शन ने भारतीय सेना के साथ ही पूरे देश को भी गौरवान्वित किया है। जनरल मनोज पांडेय ने उन्हें आगामी सभी खेल प्रतियोगिताओं के लिए शुभकामनाएं भी दीं। सेना प्रमुख ने प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र और नकद प्रोत्साहन देकर सम्मानित किया। पदक विजेताओं को प्रचलित नीति के अनुसार बारी-बारी से पदोन्नति भी मिलेगी।
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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत विभान्शु वैभव की नाट्य कार्यशाला तथा अन्य रंगारंग कार्यक्रमों का आयोजन
क्राइस्ट चर्च कॉलेज में विभाशु वैभव द्वारा रंगमंच कार्यशाला के साथ इंडिया@75 आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की गई। श्री वैभव एक प्रसिद्ध रंगकर्मी, लेखक, अभिनेता, निर्देशक, नाटककार हैं जो टेलीविजन और सिनेमा से बीस वर्षों से भी अधिक समय से जुड़े हैं। उनका कॉलेज में आकर छात्रों से संवाद करने की अनुमति मिलने से छात्रों में एक अलग ही जोश था.
इस नाट्य कार्यशाला का आरम्भ नाबा और समूह द्वारा वंदे मातरम के गायन के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ. प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल ने विशिष्ट अतिथि का स्वागत गुलदस्ते के साथ किया और छात्रों को संबोधित किया। श्री वैभव जी ने रंगमंच के उन्नत पहलुओं की मूल बातों पर बहुत ही ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने अभिनय, लेखन और इसे ओटीटी, सिनेमा और टेलीविजन जैसे विभिन्न माध्यमों पर प्रस्तुत करने की कई उभरती तकनीकों और बारीकियों पर चर्चा की। छात्र उनकी उपस्थिति और विषय पर ज्ञान की गहराई से प्रभावित थे। सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और थिएटर और सिनेमा के कुछ आवश्यक कौशल सीखे।
प्रो. आशुतोष सक्सेना, डीसी श्रीवास्तव, अरविंद सिंह, शिप्रा श्रीवास्तव सहित अन्य सभी शिक्षक समुदाय उपस्थित था । डॉ. विभा दीक्षित और डॉ. मीतकमल ने इस कार्यशाला का आयोजन किया। डॉ विभा दीक्षित सांस्कृतिक समिति समन्वयक और डॉ मीत कमल मिशन शक्ति की संयोजक हैं। आयोजक मंडल में मानवी, अभिषेक, उदित, प्रीति, वैशाली, उज्जवल व अन्य छात्र शामिल थे।
इससे पहले छात्रों की महोत्सव गतिविधियों की शुरुआत India@75 पर निबंध लेखन प्रतियोगिता से हुई। कार्यक्रम में लगभग 56 छात्रों ने भाग लिया। संचालन हिना अजमत और साक्षी अग्रवाल ने किया।
आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मनाने के लिए छात्रों और शिक्षकों में “जोश बहुत ज्यादा है”। इस विशेष अवसर को चिह्नित करने के लिए कॉलेज में 11 से 17 अगस्त तक वृक्षारोपण, समाज सेवा, तिरंगा सेल्फी, नाटक संगीत और नृत्य जैसे विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम छात्रों के लिए छात्रों द्वारा आयोजित किए जायेंगे।
पिया का साथ है और नैनों में अंजुरी भर सपनों की सौगात है
जिन्दगी कभी कभी नीम के पेड़ जैसी है
जरा सी धूप, जरा सी छांव की तरह है
कभी सावन के झूलों जैसी राहें हैं
कभी ऊपर कभी नीचे…. ऊंची ऊंची पेंगे
और कभी मंझधार में अटकती राह है
मेंहदी के रंग से सजी मोहब्बत
हाथों से आती सोंधी खुशबू
यूं ही इश्क़ बयां कर देती है
चूड़ी बिंदिया काजल और कंगन
ये तो यूं ही जलाती हैं
राह देखता मायका कुछ अपनों का
जहाँ बहू बेटियों की बात ही निराली है
संग सहेलियों के कुछ पल बिताने
सावन की बात ही निराली है
तीजों का त्यौहार,
भाई बहनों का प्यार
मांओं का दुलार
झूले पर खेलता बचपन
सावन की यह हरियाली बड़ी मतवाली है
पिया का साथ है और
नैनों में अंजुरी भर
सपनों की सौगात है
देखो वो आया परदेसी
कि अब मिलन की आस है
~ प्रियंका वर्मा महेश्वरी
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नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने लखनऊ और दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता और गोवा के बीच 8 संपर्क उड़ानों का उद्घाटन किया
नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (अवकाश प्राप्त) वी.के. सिंह ने लखनऊ से दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और गोवा के लिए एयर एशिया की सीधी उडानों का आज उद्घाटन किया।
लखनऊ हवाई अड्डे पर आयोजित इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में नागर विमानन मंत्रालय में सचिव श्री राजीव बंसल, संयुक्त सचिव श्रीमती उषा पाधी, उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री एस.पी. गोयल, एयर एशिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक श्री सुनील भास्करन तथा नागर विमानन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार तथा एयर एशिया के अन्य गण्यमान्य प्रतिनिधि उपस्थित थे।
नए उड़ान मार्गों की शुरुआत के अवसर पर श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा, “यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है, जिसमें एक एयरलाइन ने एक शहर को भारत के 5 अन्य शहरों से 8 संपर्क उड़ानों के जरिए जोड़ दिया है। मैं एयर एशिया और उत्तर प्रदेश सरकार को इस उपलब्धि के लिए बधाई और धन्यवाद देना चाहता हूं। लखनऊ अब दिल्ली से तीन उड़ानों के जरिए, बेंगलुरू से दो उडानों के जरिए, मुंबई से एक उडान के जरिए और कोलकाता तथा गोवा से प्रतिदिन एक-एक उडान के जरिए जुड़ गया है।”
लखनऊ से दिल्ली, बेंगलुरू और गोवा की उडानें आज ही प्रभावी तौर से शुरू हो जाएंगी और लखनऊ से मुंबई तथा कोलकाता के लिए उड़ानें 1 सितंबर, 2022 से शुरू होंगी।
उत्तर प्रदेश में नागर विमानन के विकास के लिए उनके मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में श्री सिंधिया ने कहा, “मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि उड़ान योजना के अंतर्गत हमने उत्तर प्रदेश राज्य को 63 नए मार्ग आवंटित किए हैं और भविष्य में इन्हें बढ़ाकर 108 कर दिया जाएगा, ताकि नागर विमानन सुविधा उत्तर प्रदेश के हर कोने तक पहुंच सके। हमने उड़ान योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 18 हवाई अड्डों का निर्माण करना तय किया है, जिसके संरचनागत विकास पर 1,112 करोड़ रुपए का निवेश करने की आवश्यकता होगी। उत्तर प्रदेश में 5 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे होंगे, जो अपने आप में देश में अप्रतिम होगा। माननीय प्रधानमंत्री का उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर भारत का उज्ज्वल उदाहरण बनाने का स्वप्न है और इस स्वप्न को साकार करने के लिए हम जेवर और अयोध्या के अलावा चित्रकूट, मुरादाबाद, अलीगढ़, आजमगढ़ और श्रावस्ती में हवाई अड्डों का निर्माण कर रहे हैं।
नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (अवकाश प्राप्त) डॉ. वी.के. सिंह ने कहा, “मैं एयर एशिया को लखनऊ के लिए नए उडान मार्ग शुरू करने के लिए बधाई देता हूं। इसके साथ ही मैं उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को भी वैट और एटीएफ घटाने के लिए बधाई देता हूं, जिससे राज्य में उड़ान संपर्क कायम करने में वृद्धि होगी।”
एयर एशिया (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड, टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड की सब्सिडरी है जिसने 12 जून, 2014 को अपना कामकाज शुरू किया था। यह कंपनी देशभर के 18 गंतव्यों तक 50 से ज्यादा सीधी उड़ानें और करीब 100 संपर्क उड़ानें संचालित करती है।
इन नई संपर्क उड़ानों से लखनऊ और देश के अन्य मुख्य शहरों के बीच आवागमन मजबूत होगा, जिससे न सिर्फ अधिक संपर्क कायम होगा बल्कि यह क्षेत्र में पर्यटन, व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन करेगा। इसके अलावा यह लखनऊ के निवासियों को वहनीय, निश्चित समय पर सुरक्षित और विश्वसनीय यात्रा अनुभव प्रदान करेगा।
लखनऊ और देश के अन्य मुख्य शहरों के बीच आज 5 अगस्त, 2022 से शुरू होने वाली एयर एशिया की व्यावसायिक उड़ानों का परिचालन निम्नलिखित समय सारणी के अनुसार किया जाएगा।
Read More »44वें शतरंज ओलम्पियाड में हम्पी, वैशाली की सहायता से भारत ने महिला वर्ग में जॉर्जिया पर जीत दर्ज की
कोनेरू हम्पी के मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड में बुधवार को महिलाओं के सर्किट की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक नाना डेजाग्निडेज को मात देने के साथ भारत ए ने महिलाओं के वर्ग के छठे राउंड में तीसरी वरीयता प्राप्त जॉर्जिया पर 3-1 से शानदार जीत दर्ज की है।
44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में अपनी जीत के बाद भारतीय महिला टीम ए की जीएम कोनेरू हम्पी के साथ कप्तान जीएम अभिजीत कुंटे (फोटो : एफआईडीई)
हम्पी के अलावा, आर वैशाली ने भी लीला जावाशिविली को एकतरफा मुकाबले में मात दी, वहीं तानिया सचदेव और हरिका द्रोनावल्ली के ड्रा से भारत को जीत दर्ज करने में सहायता मिली।
भारत की महिला टीम ए की सदस्य आईएम वैशाली 44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में मैच खोलती हुई (फोटो : एफआईडीई)
44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड के दौरान मैच खेलती खिलाड़ी (फोटो : एफआईडीई)
हम्पी ने कहा, “मैं प्रतिस्पर्धा के इस चरण में पदक के बारे में नहीं सोच रही हूं, क्योंकि हमें अभी यूक्रेन के अलावा कई अच्छी टीमों के साथ खेलना है। हमारी टीम भावना ऊंची है, जब भी जीत की जरूरत होती है तो हमेशा टीम का कोई न कोई खिलाड़ी आगे आता है।”
उन्होंने कहा, “मैं ढाई साल के बाद खेल रही हूं और वास्तव में शुरुआती कुछ मैचों में संघर्ष करना पड़ा। आज भी मेरा मैच खासा लंबा चला।”
भारत और जॉर्जिया के साथ संयुक्त रूप से मौजूद रोमानिया ने यूक्रेन के साथ 2-2 से ड्रा खेला, जबकि अजरबेजान ने कजाखस्तान को 3-1 से मात दी। वहीं पोलैंड ने सर्बिया को 4-0 से हरा दिया।
भारत की ओपन टीम बी के सदस्य जीएम गुकेश डी बुधवार को मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड के दौरान मैच खेलते हुए (फोटो :एफआईडीई)
वहीं डी गुकेश ने एक बार फिर से शानदार जीत दर्ज की। उनकी यह लगातार छठी जीत रही, लेकिन उनके प्रयास बेकार चले गए और भारत बी टीम ओपन वर्ग में आर्मेनिया से 1.5-2.5 से हार गई।
निहाल सरीन ने ड्रा खेला, वहीं अधिबान बी और रौनक साधवानी अपने-अपने मैच हार गए।
दूसरी तरफ, भारत सी ने लिथुआनिया पर 3.5-1.5 से जीत दर्ज की, वहीं दूसरी वरीयता प्राप्त भारत ने उज्बेकिस्तान के साथ 2-2 से ड्रा खेला।
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