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44वें शतरंज ओलम्पियाड में हम्पी, वैशाली की सहायता से भारत ने महिला वर्ग में जॉर्जिया पर जीत दर्ज की

कोनेरू हम्पी के मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड में बुधवार को महिलाओं के सर्किट की शीर्ष खिलाड़ियों में से एक नाना डेजाग्निडेज को मात देने के साथ भारत ए ने महिलाओं के वर्ग के छठे राउंड में तीसरी वरीयता प्राप्त जॉर्जिया पर 3-1 से शानदार जीत दर्ज की है।

44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में अपनी जीत के बाद भारतीय महिला टीम ए की जीएम कोनेरू हम्पी के साथ कप्तान जीएम अभिजीत कुंटे (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी के अलावा, आर वैशाली ने भी लीला जावाशिविली को एकतरफा मुकाबले में मात दी, वहीं तानिया सचदेव और हरिका द्रोनावल्ली के ड्रा से भारत को जीत दर्ज करने में सहायता मिली।

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भारत की महिला टीम ए की सदस्य आईएम वैशाली 44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड में मैच खोलती हुई (फोटो : एफआईडीई)

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44वें शतरंज ओलम्पियाड के छठे राउंड के दौरान मैच खेलती खिलाड़ी (फोटो : एफआईडीई)

हम्पी ने कहा, “मैं प्रतिस्पर्धा के इस चरण में पदक के बारे में नहीं सोच रही हूं, क्योंकि हमें अभी यूक्रेन के अलावा कई अच्छी टीमों के साथ खेलना है। हमारी टीम भावना ऊंची है, जब भी जीत की जरूरत होती है तो हमेशा टीम का कोई न कोई खिलाड़ी आगे आता है।”

उन्होंने कहा, “मैं ढाई साल के बाद खेल रही हूं और वास्तव में शुरुआती कुछ मैचों में संघर्ष करना पड़ा। आज भी मेरा मैच खासा लंबा चला।”

भारत और जॉर्जिया के साथ संयुक्त रूप से मौजूद रोमानिया ने यूक्रेन के साथ 2-2 से ड्रा खेला, जबकि अजरबेजान ने कजाखस्तान को 3-1 से मात दी। वहीं पोलैंड ने सर्बिया को 4-0 से हरा दिया।

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भारत की ओपन टीम बी के सदस्य जीएम गुकेश डी बुधवार को मामल्लापुरम, तमिलनाडु में चल रहे 44वें शतरंज ओलम्पियाड के दौरान मैच खेलते हुए (फोटो :एफआईडीई)

वहीं डी गुकेश ने एक बार फिर से शानदार जीत दर्ज की। उनकी यह लगातार छठी जीत रही, लेकिन उनके प्रयास बेकार चले गए और भारत बी टीम ओपन वर्ग में आर्मेनिया से 1.5-2.5 से हार गई।

निहाल सरीन ने ड्रा खेला, वहीं अधिबान बी और रौनक साधवानी अपने-अपने मैच हार गए।

दूसरी तरफ, भारत सी ने लिथुआनिया पर 3.5-1.5 से जीत दर्ज की, वहीं दूसरी वरीयता प्राप्त भारत ने उज्बेकिस्तान के साथ 2-2 से ड्रा खेला।

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भारतीय खेल प्राधिकरण में हाल ही में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की नियुक्ति की गई है: अनुराग ठाकुर

‘खेल’ के राज्य का विषय होने के कारण, प्रशिक्षण और खेलों के बुनियादी ढांचे के निर्माण सहित खेलों के प्रचार/विकास की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश की सरकार की होती है। केन्द्र सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं यानी खेलो इंडिया योजना और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) द्वारा संचालित खेल प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से उनके प्रयासों में पूरक बनती है।

इसके अलावा, खेल के बुनियादी ढांचे सहित अन्य समर्थन प्रणालियों के साथ-साथ अच्छे प्रशिक्षकों की निस्संदेह जरूरत है। तदनुसार ओलंपिक 2024 एवं 2028 सहित महत्वपूर्ण राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी करने वाले एथलीटों को समग्र सहायता प्रदान करने के प्रयासों के तहत, हाल ही में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) में अनुबंध/प्रतिनियुक्ति के आधार पर 420 प्रशिक्षकों की भर्ती/नियुक्ति नीचे दिए गए विवरण के अनुसार की गई है:

1)        101 प्रशिक्षकों का चयन प्रतिनियुक्ति के आधार पर किया गया है;

2)         103 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

3)         सहायक प्रशिक्षक के ग्रेड में 212 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है;

4)         मुख्य प्रशिक्षक के ग्रेड में 04 प्रशिक्षकों का चयन अनुबंध के आधार पर किया गया है।

वर्तमान में साई में 966 प्रशिक्षक कार्यरत हैं, जिनमें से 134 महिला प्रशिक्षक नियमित आधार पर और 80 महिला प्रशिक्षक अनुबंध के आधार पर काम कर रही हैं।

इसके अलावा  खेलो इंडिया योजना के तहत, एक प्रभावी खेल प्रशिक्षण तंत्र तैयार किया गया है जिसमें “पूर्व के चैंपियन एथलीट” खेलो इंडिया केन्द्रों में प्रशिक्षक के रूप में संलग्न हैं। पारिश्रमिक, खेल उपकरण की खरीद, खेल किट, प्रतियोगिता का अनुभव दिलाने आदि के लिए पांच लाख रुपये प्रति स्पर्धा का वार्षिक आवर्ती अनुदान निर्धारित किया गया है, जिसमें से ​​25,000 रुपये प्रति महीने की दर से तीन लाख रुपये अनिवार्य रूप से पूर्व के चैंपियन एथलीट के पारिश्रमिक के लिए निर्धारित किए गए हैं। वर्तमान में, 91 खेलो इंडिया केन्द्रों में 102 पूर्व के चैंपियन एथलीट संलग्न हैं, जिनमें से 10 महिलाएं हैं।

यह जानकारी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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राष्ट्रमंडल खेल 2022 के भारोत्तोलन में अचिंत शिउली ने भारत को तीसरा स्वर्ण पदक दिलाया

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  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अचिंत शिउली को उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए बधाई दी
  • भारत का नाम रौशन करने और पदक जीतने के साथ खेल में कीर्तिमान बनाने के लिए अचिंत को बधाई: श्री अनुराग ठाकुर

भारोत्तोलक अचिंत शिउली ने रविवार रात्रि को राष्ट्रमंडल खेल 2022 में पुरुषों के 73 किग्रा फाइनल में स्वर्ण पदक जीता। अचिंत ने खेलों में कुल 313 किलोग्राम (स्नैच 143 किग्रा + क्लीन एंड जर्क 170 किग्रा) उठाया। यह प्रतियोगिता में भारत का छठा पदक और तीसरा स्वर्ण है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और देश भर के लोगों ने अचिंत को उनके प्रदर्शन के लिए बधाई दी है।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने स्वर्ण पदक जीतने पर अचिंत शिउली को बधाई दी। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “अचिंत शिउली ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतकर और तिरंगा फहराकर भारत को गौरवान्वित किया है। आपने तुरंत एक प्रयास में विफलता पर काबू पा लिया और लाइनअप में शीर्ष पर पहुंच गए। आप ऐसे चैंपियन हैं, जिसने इतिहास रचा है। हार्दिक बधाई!”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वर्ण पदक जीतने पर अचिंत शिउली को बधाई दी है। पीएम ने ट्वीट किया, “खुशी है कि प्रतिभाशाली अचिंत शिउली ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता है। वे अपने शांत स्वभाव और लगन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने इस विशेष उपलब्धि के लिए बहुत कठिन मेहनत की है। भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें मेरी शुभकामनाएं।”

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​​टॉप्स से जुड़ी एथलीट और साई एनसीओई की प्रशिक्षु बिंद्यारानी का अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में शानदार प्रदर्शन

भारोत्तोलक बिंद्यारानी देवी ने राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं के 55 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता। उन्होंने कुल 202 किलोग्राम (86 किलोग्राम + 116 किलोग्राम) वजन उठाए।

एक दशक से भी कम समय पहले मणिपुर की बिंद्यारानी देवी ने अपने गृहनगर इम्फाल में भारोत्तोलन शुरू किया था। इस खेल को अपनाने के तीन साल से भी कम समय में उन्हें इम्फाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई) में प्रशिक्षण के लिए चुन लिया गया और वहां से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।

एनसीओई इंफाल में तीन साल के निरंतर प्रशिक्षण एवं कड़ी मेहनत के बाद, उन्हें वर्ष 2019 में साई के पटियाला क्षेत्रीय केंद्र में भारतीय राष्ट्रीय शिविर के लिए चुना गया।

उन्होंने राष्ट्रमंडल सीनियर चैंपियनशिप 2019 में स्वर्ण पदक, वर्ष 2021 में इसी स्पर्धा में रजत पदक सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जीत हासिल की है। लेकिन उन्हें सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय उपलब्धि 30 जुलाई की रात को हासिल हुई जब उन्होंने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में 55 किलोग्राम भार वर्ग की स्पर्धा में रजत पदक जीता।

यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे राष्ट्रमंडल चैंपियन राष्ट्रमंडल खेलों के लिए अच्छी तरह से तैयार हों, युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय (एमवाईएएस) ने साई के तहत अपने प्रशिक्षण एवं प्रतियोगिता के लिए वार्षिक कैलेंडर (एसीटीसी) योजना के माध्यम से कुल 25,63,336 रुपये का वित्त पोषण प्रदान किया। इस योजना ने अन्य भारोत्तोलकों के साथ बिंद्यारानी को भी राष्ट्रमंडल खेलों से एक महीना पहले बर्मिंघम भेजा ताकि वे इस बड़ी स्पर्धा से पहले वहां के  वातावरण के साथ तालमेल बिठा सकें। बिंद्यारानी टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम के विकास समूह का भी हिस्सा हैं, जो उन्हें 25,000 रुपये के मासिक भत्ते के साथ-साथ अपने प्रशिक्षण के लिए व्यक्तिगत सहायता प्राप्त करने की अनुमति देता है।

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भारोत्तोलक मीराबाई चानू द्वारा कल भारत का पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद जेरेमी ने राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारोत्तोलन में भारत का दूसरा स्वर्ण जीता

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जेरेमी को उनके इस असाधारण प्रदर्शन के लिए बधाई दी
  • खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने जेरेमी को बधाई देते हुए कहाभारत को उन पर गर्व है

मिजोरम से आने वाले 19 साल के जेरेमी लालरिननुंगा ने रविवार को राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन के 67 किलोग्राम वर्ग में भारत का दूसरा स्वर्ण पदक जीता। जेरेमी ने इन खेलों में कुल 300 किग्रा (स्नैच में 140 किग्रा + सी एंड जे में 160 किग्रा) भार उठाया, जो सीडब्ल्यूजी में एक रिकॉर्ड है। इस मुकाबले में भारत का ये पांचवां पदक और दूसरा स्वर्ण पदक है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और देश के कोने-कोने से भारतीयों ने जेरेमी को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है।Image

इससे पहले, मीराबाई चानू ने महिलाओं की 49 किलोग्राम भारोत्तोलन स्पर्धा में कुल 201 किलोग्राम भार उठाकर राष्ट्रमंडल खेल 2022 में भारत का पहला स्वर्ण पदक जीता था। संकेत सरगर ने पुरुषों की 55 किग्रा भारोत्तोलन स्पर्धा में रजत पदक जीता। बिंद्यारानी देवी ने महिलाओं के 55 किग्रा भारोत्तोलन में रजत पदक और पुरुषों के 61 किग्रा भारोत्तोलन वर्ग में गुरुराजा पुजारी ने कांस्य पदक जीता।

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जेरेमी को उनकी इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट किया:

“बधाई हो जेरेमी लालरिननुंगा, राष्ट्रमंडल खेलों में भारोत्तोलन में स्वर्ण पदक जीतने के लिए। इस आयोजन के दौरान चोट लगने के बावजूद आपके आत्मविश्वास ने आपको ये इतिहास रचने और लाखों लोगों को प्रेरित करने में सक्षम बनाया। आपकी पोडियम फिनिश ने भारतीयों को गर्व से भर दिया है। आपको ऐसे और गौरवशाली के पलों की शुभकामनाएं।”

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सकून तेरे पास है और तू भटकाता फिर रहा

बात बात पर भड़क रही थी शैफाली आज।रसोई के बर्तनो की आवाज़ से ही उसकी मन की व्यथा का अंदाज़ा लगाया जा सकता था।समीर की पत्नी शैफाली,जो किटी पार्टीयो में अक्सर आया जाया करती और आ कर अपने पति को परेशान करती और कहती ! समीर देखा !मेरी सहेली रीटा का घर बेस्ट लोकेशन में है हमारा कंयू नही। मोनिका ने अभी बंगला ख़रीदा है हम क्यों नहीं ले पा रहे।रात के खाने के बर्तन समेटते हुए शैफाली ने समीर से पूछा ?समीर तुम्हारी प्रमोशन का क्या बना ?बॉस से बात हुई क्या ? कब से कह रही हूँ बंगला ले लो।साल से ज़्यादा वक़्त हो गया हमें इस शहर में आये हुये।समीर चुपचाप अपनी पत्नी शैफाली की बाते सुन रहा था।शैफाली बोले जा रही थी ,मेरा मन भी करता है कि मै बंगले में रहूँ।अब तो मुझे ईर्ष्या सी होने लगी है सभी सहेलियों से।समीर तुम इतने काबिल हो कर भी कुछ कर नहीं पा रहे और बेधड़क भगवान को कोसे जा रही थी कि भगवान ने उसे ये फ़्लैट कंयू दिया,बंगला कयू नही दीया वग़ैरह वग़ैरह।समीर की ये सब बातें सुनना उसकी दिनचर्या में शामिल था।हर रोज ये बातें सुनता और मन ही मन में झुंझला जाता।चुपचाप अपने सोने के कमरे में चला गया।आँखे मूँद कर सोने का बहाना करने लगा।नींद तो उसे भी नहीं आ रही थी क्योंकि सोच तो वो भी यही रहा था कि कैसे तैसे कर के इक बंगला बन जाये।पता नहीं कब आँख लगी और सुबह हो गई।जल्दी से उठा और नाश्ता करके आफ़िस चला गया तो उसे वहाँ जा कर पता चला कि उसकी कंपनी जिस में वो काम करता था ,बैंकरपसी मतलब बंद होने को है और बॉस ने हाथ जोड़कर कर सभी कर्मचारियों को कहा !अब मेरी कंपनी बंद हो रही है और आप कहीं और काम देखिए।समीर के पैरो तले जैसे ज़मीन निकल गई।समीर अपनी कंपनी में बहुत अच्छी पोस्ट पर था।बड़ा अच्छा घर चल रहा था।ओह !अब क्या करेगा।आफ़िस से सीधा घर आया और शैफाली को भी ये बात बताई।अब दोनो परेशान कि अब कैसे घर चलेगा ,बच्चों की स्कूल की भारी फ़ीस कहाँ से देगा ,फ़्लैट की किश्त कैसे भरेंगा ।रात दिन नौकरी तालाश करने लगा।उसकी तो रातों की नींद ही उड़ गई।परेशान सा सोच रहा था कि अब जल्दी ही फ़्लैट भी ख़ाली करना पड़ेगा ,क्योंकि अगले महीने फ़्लैट की किश्त वो नहीं भर पायेगा।महीने का आख़िरी दिन है और जगह जगह नौकरी के लिये अपलाई कर चुका है मगर कहीं से कोई जवाब हाँ में नहीं आ रहा।कोई जवाब न पा कर बेहद निराश सा ,खोया सा बैठा था।कुछ नही सूझ रहा था उसे ।अचानक से दरवाज़े की घंटी बजी।समीर ने भारी कदमो से दरवाज़ा खोला ।वहाँ कोई उसे लैटर देने आया था।लैटर खोला तो देखा उसे इक कंपनी मे अच्छी नौकरी मिल गई है समीर इतना ख़ुश कि ख़ुशी से रोने ही लगा और कहने लगा कि शुक्र है भगवान ,तू कितना दयालु है मुझे सड़क पर जाने से बचा लिया।वरना मैं कहाँ ले कर जाता बच्चों को,और फ़्लैट को ऐसे देख रहा था जैसे वो फ़्लैट न हो कर उसका महल हो।शैफाली और समीर ख़ुशी से नाच रहे थे और भगवान का शुक्रिया कर रहे थे।
दोस्तों फ़्लैट तो वही था जो दोनों के दुख का कारण था और आज वही फ़्लैट सुख का कारण बना हुआ था।ख़ुशी कहाँ से आई अन्दर से ,स्वीकार करने मे ,शुक्र करने मे।ख़ुशी हमारी प्रतिक्रियाओं मे है कि हम हर हालात मे कैसे रिएक्ट करते है ।कैसे किसी हालात को समझते है।अपनी चीजों की कद्र हमे तब होती है जब वो हमारे हाथों से जा रही होती है या जा चुकी होती है ।सो वक़्त रहते हमे चीजो की,या हालातो की या अपने आसपास के लोगों की कद्र करना सीख लेना चाहिए।अकसर लोग सोचते है कि वो बहुत ख़ुश होते,अगर वो कहीं बाहर के देशों मे सैटल होते। विदेशों मे रहने वाले लोगों से पूछिए।वो भी परेशान है किसी न किसी बात पर।किसी को काम नही मिल रहा ,कोई बीमारी की वजह से परेशान,किसी के घर तालाक की बाते चल रही है कोई डिप्रेशन से घिरा हुआ है। जिसको सुख और सकून मिलना है वो कहीं भी रह कर भी मिल सकता है ।
दोस्तों ! दूसरो की उन्नति से ईषा करके कोई फ़ायदा नहीं ।अपने पास जो है उसी में सकून ढूँढिए।
“सकून की तालाश में अपना वक़्त न ज़ाया कर..सकून तेरे पास है और तू भटकाता फिर रहा है ..ऐ सकूने यार मे”।
✍️ लेखिका स्मिता केंथ (England)

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यदि गलत धारणा बनायी जा रही हो, तो मीडिया को आत्मनिरीक्षण की जरूरत : अनुराग ठाकुर

“ये आकाशवाणी है”, वे अमर शब्द हैं, जिन्हें हर भारतीय पहचान सकता है, इनकी गूंज आज आकाशवाणी भवन के रंग भवन सभागार में सुनायी दे रही थी, क्योंकि श्री अनुराग ठाकुर ने इन शब्दों के साथ “और आज आप सूचना प्रसारण मंत्री को सुन रहे हैं” कहकर अपना वाक्य पूरा किया था। इन शुरुआती शब्दों ने आज राष्ट्रीय प्रसारण दिवस उत्सव को रेखांकित किया, इन्हीं शब्दों के साथ ऑल इंडिया रेडियो की 1927 में शुरुआत हुई थी, जो अब तक एक लंबी और शानदार यात्रा रही है।

उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि कुछ लोगों ने अनुमान लगाया था कि टेलीविजन और बाद में इंटरनेट के आने से रेडियो का अस्तित्व संकट में पड़ जाएगा, लेकिन रेडियो ने अपने दर्शकों की पहचान की है और न केवल अपनी प्रासंगिकता बल्कि विश्वसनीयता को भी बनाए रखा है।

उन्होंने कहा कि आज, जब लोग निष्पक्ष समाचार सुनना चाहते हैं, तो वे स्वाभाविक रूप से आकाशवाणी और दूरदर्शन की खबरें सुनते हैं। उन्होंने कहा कि आकाशवाणी देश के 92 प्रतिशत भू-भाग और 99 प्रतिशत से अधिक लोगों को कवर करती है और यह एक सराहनीय उपलब्धि है।

एक प्लेटफार्म के रूप में रेडियो के महत्व के बारे में श्री ठाकुर ने कहा कि कई प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन किसी ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरह रेडियो के मूल्य को नहीं समझा, जिन्होंने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के जरिये देशवासियों से सीधे जुड़ने के लिए इसे अपने मनपसंद माध्यम के रूप में चुना है।

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केन्द्रीय मंत्री ने मीडिया को सतर्क करते हुए कहा कि अगर कहीं ‘मीडिया ट्रायल’ जैसे कथनों के माध्यम से निजी मीडिया के बारे में गलत धारणा पैदा हो रही है, तो हमें अपने कामकाज के बारे में आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।

आजादी का अमृत महोत्सव के भाव को अभिव्यक्ति प्रदान करने में दो संस्थाओं- आकाशवाणी और दूरदर्शन- की भूमिका को श्रेय देते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जहां स्वतंत्रता के बाद से अब तक की शिक्षा प्रणाली ने कई क्षेत्रीय स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका का उल्लेख नहीं किया, वहीं रेडियो और दूरदर्शन ने देश के दूर-दराज इलाकों के पांच सौ से अधिक गुमनाम नायकों के बारे में जानकारी एकत्रित की और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदानों की सराहना करते हुए इसे राष्ट्र के सामने प्रस्तुत किया।

केन्द्रीय मंत्री ने दोनों एजेंसियों के लिए सामग्री (कंटेंट) के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि यह सामग्री ही थी जिसने लोगों को इन दोनों चैनल की ओर खींचा। उन्होंने कहा कि टावरों के माध्यम से पहुंच चाहे जितनी भी हो जाए, वह सामग्री के महत्व की बराबरी नहीं कर सकती। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस डिजिटल युग में रेडियो लोगों के बीच अपनी उपस्थिति को और मजबूत करेगा।

केन्द्रीय मंत्री ने दूरदर्शन पर नए धारावाहिकों- कॉरपोरेट सरपंच: बेटी देश की, जय भारती, सुरों का एकलव्य और ये दिल मांगे मोर के साथ-साथ स्टार्टअप चैंपियंस 2.0 के प्रोमो को जारी किया।

केन्द्रीय सूचना और प्रसारण राज्यमंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने राष्ट्रीय प्रसारण दिवस के अवसर पर दर्शकों को शुभकामनाएं दीं। डॉ. मुरुगन ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान रेडियो द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला जब कई स्वतंत्रता सेनानियों ने इसका उपयोग ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार के खिलाफ संचार के एक उपकरण के रूप में किया। उन्होंने देश के दूर-दराज के इलाकों को जोड़ने में रेडियो द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित किया और प्रसार भारती के दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रसारक होने पर गर्व व्यक्त किया।

प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री मयंक अग्रवाल ने टेलीविजन और रेडियो जैसे दो माध्यमों के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि इन प्लेटफार्मों पर प्रस्तुत समाचार सामग्री ने विश्वसनीयता की दृष्टि से निजी मीडिया की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है और इस तथ्य को विभिन्न सर्वेक्षणों द्वारा सामने लाया गया है।

इस अवसर पर आकाशवाणी के महानिदेशक श्री एन. वेणुधर रेड्डी तथा प्रसार भारती, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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लोकसभा ने भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 पारित किया, जिसका उद्देश्य भारत द्वारा अंटार्कटिक पर्यावरण और इस पर आश्रित व संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उपाय करना है

लोकसभा ने आज भारतीय अंटार्कटिक विधेयक, 2022 को पारित कर दिया। इस विधेयक को पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह द्वारा पेश किया। विधेयक का उद्देश्य भारत द्वारा अंटार्कटिक पर्यावरण और इस पर आश्रित व संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उपाय करना है। विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य खनन या अवैध गतिविधियों से छुटकारा पाने के साथ-साथ क्षेत्र का विसैन्यीकरण सुनिश्चित करना है। इसका उद्देश्य यह भी है कि क्षेत्र में कोई परमाणु परीक्षण/विस्फोट नहीं होना चाहिए।

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उन्होंने कहा कि यह विधेयक अंटार्कटिक संधि, पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के लिए अंटार्कटिक संधि और अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन के प्रति भारत के दायित्व के अनुरूप है।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि विधेयक सुस्थापित कानूनी तंत्रों के माध्यम से भारत की अंटार्कटिक गतिविधियों के लिए एक सामंजस्यपूर्ण नीति और नियामक ढांचा प्रदान करता है और यह भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के कुशल और वैकल्पिक संचालन में भी सहायता प्रदान करेगा। यह विधेयक बढ़ते अंटार्कटिक पर्यटन और अंटार्कटिक जल में मत्स्य संसाधनों के सतत विकास के प्रबंधन में भारत की रुचि और सक्रिय भागीदारी को भी सुविधाजनक बनाएगा। यह अंतरराष्ट्रीय दृश्यता और ध्रुवीय क्षेत्र में भारत की विश्वसनीयता को बढ़ाने में भी सहायता करेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और वैज्ञानिक एवं रसद क्षेत्रों में सहयोग मिल सकेगा।

डॉ जितेंद्र सिंह ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि अंटार्कटिका में भारतीय वैज्ञानिकों की निरंतर और बढ़ती उपस्थिति अंटार्कटिक अध्ययन के लिए समवर्ती प्रतिबद्धता और संवेदनशील अंटार्कटिक पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के साथ अंटार्कटिका पर घरेलू कानून को अपनाने के लिए अंटार्कटिक संधि प्रणाली के सदस्य के रूप में अपने दायित्वों के अनुरूप है। इस तरह के कानूनों को लागू करने से अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में किए गए किसी भी विवाद या अपराधों से निपटने के लिए भारत की अदालतों को अधिकार क्षेत्र प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह का कानून नागरिकों को अंटार्कटिक संधि प्रणाली में प्रदत्त नीतियों के लिए बाध्य करेगा। यह विश्वसनीयता बनाने और विश्व स्तर पर देश की स्थिति को बढ़ाने में भी उपयोगी होगा।

इस विधेयक में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय अंटार्कटिक प्राधिकरण (आईएए) की स्थापना का भी प्रस्ताव है, जो सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण होगा और विधेयक के तहत अनुमत कार्यक्रमों और गतिविधियों के लिए सुविधा प्रदान करेगा। यह अंटार्कटिक अनुसंधान और अभियानों के प्रायोजन और पर्यवेक्षण के लिए एक स्थिर, पारदर्शी और जवाबदेह प्रक्रिया प्रदान करेगा; अंटार्कटिक पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण; और अंटार्कटिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में लगे भारतीय नागरिकों द्वारा प्रासंगिक नियमों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहमत मानकों के अनुपालन को भी सुनिश्चित करेगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव, आईएए के अध्यक्ष होंगे और आईएए में संबंधित भारतीय मंत्रालयों के आधिकारिक सदस्यों के साथ इसके निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाएगें। वर्तमान में भारत के अंटार्कटिका में मैत्री (1989 में कमीशन) और भारती (2012 में कमीशन) नामक दो परिचालन अनुसंधान केंद्र हैं। भारत ने अब तक अंटार्कटिका में 40 वार्षिक वैज्ञानिक अभियानों का सफलतापूर्वक शुभारंभ किया हैं। आर्कटिक के एनवाई-एलसंड, स्वालबार्ड में हिमाद्री स्टेशन के साथ, भारत अब उन राष्ट्रों के कुलीन समूह से शामिल है जिनके पास ध्रुवीय क्षेत्रों के भीतर कई शोध केंद्र हैं। 1 दिसंबर, 1959 को वाशिंगटन डी.सी. में अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे और प्रारंभिक तौर पर इसमें 12 देशों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। तब से, 42 अन्य देश भी इस संधि में शामिल हो चुके हैं। इस संधि मे कुल चौवन देश हैं, इनमें से उनतीस देशों को अंटार्कटिक सलाहकार बैठकों में मतदान के अधिकार के साथ सलाहकार देशों का दर्जा प्राप्त है और पच्चीस देश गैर-परामर्शदाता दल हैं जिन्हें मतदान देने का अधिकार नहीं है। भारत ने 19 अगस्त, 1983 को अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे और 12 सितंबर, 1983 को सलाहकार का दर्जा भी प्राप्त किया। अंटार्कटिक समुद्री जीवन संसाधनों के संरक्षण पर सम्मेलन पर 20 मई, 1980 को कैनबरा में हस्ताक्षर किए गए थे। इसमें अन्य बातों के साथ, अंटार्कटिक पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए विशेष रूप से, समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण और सुरक्षा करना शामिल है। भारत ने 17 जून, 1985 को सम्मेलन में अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की और वह इस संधि के तहत अंटार्कटिक समुद्री जीव संसाधनों के संरक्षण आयोग का सदस्य है। अंटार्कटिक संधि प्रणाली को मजबूती प्रदान करने, अंटार्कटिक पर्यावरण और आश्रित एवं संबद्ध पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए एक व्यापक शासन को विकसित करने के लिए 4 अक्टूबर, 1991 को पर्यावरण संरक्षण पर मैड्रिड में अंटार्कटिक संधि के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारत ने पर्यावरण संरक्षण पर अंटार्कटिक संधि के लिए 14 जनवरी, 1998 को प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। अंटार्कटिका दक्षिण अक्षांश के 60 डिग्री दक्षिण में स्थित एक प्राकृतिक रिजर्व है, और यह शांति और विज्ञान के लिए एक समर्पित स्थल है जिसे किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद का परिदृश्य या मामला नहीं बनना चाहिए।

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केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, इसरो लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमताओं के प्रदर्शन के माध्यम से अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इसरो लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) में मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता के प्रदर्शन द्वारा अंतरिक्ष पर्यटन की दिशा में स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की प्रक्रिया में है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक सवाल का लिखित उत्तर देते हुए कहा कि भारतीय राष्‍ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्‍पेस) अंतरिक्ष गतिविधियों को पूरा करने में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देना चाहता है, जिसमें अंतरिक्ष पर्यटन भी शामिल है।

अंतरिक्ष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अंतरिक्ष गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में 61 देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और संबंधों को आगे बढ़ाता है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्‍पेस) की स्थापना अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत एक सिंगल विंडो एजेंसी के रूप में की गई है, जिसे अंतरिक्ष डोमेन में निजी क्षेत्र की गतिविधियों को बढ़ावा देने, समर्थन देने और प्राधिकृत करने के लिए बनाया गया है, जिसमें युवा उद्यमी और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में रुचि रखने वाले छात्र शामिल हैं।

इन-स्पेस, इसरो केंद्रों में उपलब्ध तकनीकी सुविधाओं और विशेषज्ञता को निजी संस्थाओं के साथ साझा करने में सक्षम तंत्र को लेकर आएगा।

एक संबंधित प्रश्न के जवाब में, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) एक व्यापक, एकीकृत अंतरिक्ष नीति का मसौदा तैयार कर रहा है, जो निजी भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की गतिविधियों को दिशा प्रदान करेगा।

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पर्यटन और आतिथ्य भारत में रोजगार पैदा करने वाले सबसे बड़े क्षेत्रों में शुमार है: जी किशन रेड्डी

पर्यटन और आतिथ्य का क्षेत्र भारत में सबसे बड़े रोजगार सृजन के क्षेत्रों में शुमार है और विदेशी मुद्रा आय (एफईई) का एक बड़ा  हिस्सा पैदा करने में योगदान दे रहा है। वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के तीसरे टीएसए (पर्यटन उपग्रह खाता) के अनुसार देश के रोजगार में पर्यटन का योगदान इस प्रकार है:

2017-18 2018-19 2019-20
नौकरी में हिस्सेदारी (फीसदी में) 14.78 14.87 15.34
प्रत्यक्ष (फीसदी में) 6.44 6.48 6.69
अप्रत्यक्ष (फीसदी में) 8.34 8.39 8.65
पर्यटन के कारण प्रत्यक्ष/ अप्रत्यक्ष रोजगार (मिलियन में) 72.69 75.85 79.86

18 जुलाई 2022 तक अतुल्य भारत पर्यटन सुविधा (आईआईटीएफ) मूल प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के 3 बैचों के लिए परीक्षाएं सफलतापूर्वक आयोजित की गई है, जिसके तहत कुल 3795 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया है और उनका पुलिस सत्यापन पूरा होने के बाद उन्हें प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। आईआईटीएफ प्रमाणन कार्यक्रम के लिए संशोधित दिशानिर्देश के तहत, मौजूदा क्षेत्रीय स्तर के गाइड (आरएलजी) का नाम बदलकर अतुल्य भारत पर्यटक गाइड (आईआईटीजी) कर दिया गया है। कुल 1795 आईआईटीजी (पूर्व में जिसे आरएलजी के रूप में जाना जाता है) ने रिफ्रेशर कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया है।

देशभर में सुप्रशिक्षित और पेशेवर पर्यटक सुविधाकर्ताओं का एक पूल बनाने के उद्देश्य से आईआईटीएफसी कार्यक्रम एक जनवरी 2020 को शुरू किया गया था। यह एक डिजिटल पहल है जो  उम्मीदवारों के लिए बुनियादी, उन्नत (विरासत और साहसिक), स्पोकन लेंग्वेज और रिफ्रेशर कोर्स के लिए आईआईटीएफसी कार्यक्रम के तहत एक ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफाॅर्म प्रदान करती है। आईआईटीएफसी के लिए दिशानिर्देश बाजार की मांग, पर्यटन हितधारकों के अनुरोध आदि को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं। हाल ही में, हितधारकों से प्राप्त अनुरोध के अनुसार, आईआईटीजी (एडवांस एंड हेरिटेज) पाठ्यक्रम के लिए न्यूनतम शैक्षिक मानदंड स्नातक या समकक्ष डिग्री तक बढ़ा दिया गया है।

यह जानकारी पर्यटन मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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