कानपुर 5 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता क्रिकेट प्रेमियों में किंग कोहली के नाम से मशहूर भारत की शान विराट कोहली का जन्मदिन आज कानपुर में धूमधाम से मनाया गया । भरत स्ट्राइकर क्रिकेट क्लब की ओर से हुए इस आयोजन में 34 किलो मिठाई बांटकर “कोहली” का विराट स्वरूप में 34 वां जन्मदिन मनाया गया । किसी के हाथों में विराट कोहली का पोस्टर तो कोई क्रिकेट का बैट लिए था । कोई मिठाई खिला रहा था तो कोई क्रिकेट पैड और ग्लब्स लिए हुए था । ” हैप्पी बर्थ डे विराट कोहली ” के सुरों के बीच क्रिकेट प्रेमियों ने राहगीरों को मिठाई खिलाकर एक दूसरे को बधाई दी । कार्यक्रम के दौरान विराट कोहली के दीर्घायु की कामना के साथ ही टी 20 वर्ड कप में भारत के विजेता होने की प्रार्थना भी की । कहां गया कि विराट कोहली ने अपने प्रतिभा के दम पर पूरे विश्व में भारत का गौरव बढ़ाया है । कई मैच में तो अकेले विराट के खेल से भारत को जीत मिली है । टी 20 वर्ड कप में इंडिया-पाकिस्तान के मैच हुए कांटे के मैच में विराट ने अकेले दम पर भारत को जीत दिलाई थी । विराट ने अपने खेल से यह साबित कर दिया कि विराट का व्यक्तित्व “विराट” है । इस मौके पर भारतेंदु पुरी , विपिन वर्मा , सुनील गुप्ता प्रशांत पुरी , शारदा प्रसाद साहू , कुशाग्र सक्सेना , गौरव श्रीवास्तव , पवन साहू सहित अन्य क्रिकेट प्रेमी मौजूद थे ।
मनोरंजन
आप को देखा तो इक कमी का अहसास हुआ
साँची तुम वहाँ अकेली कंयू बैठी हो ? जब से आई हो चुप सी हो।रेवा ने सांची को कहा।साँची बोली,नहीं ऐसा कुछ नहीं रेवा ! तुम लोग बैठो।मैं शायद थकी हूँ।मैं रूम में जा रही हूँ।शायद सफ़र की थकान थी या कुछ और।साँची इक माध्यम परिवार में रहने वाली ,संस्कारों से परिपूर्ण और सादगी की बेमिसाल प्रतिमा थी।कोई भी उसे देखें तो उसके व्यक्तित्व का दीवाना हो जाता।हर शाम साँची रेवा के छोटे भाई को पढ़ाने ज़ाया करती थी,मगर इक शख़्स ऐसा भी था वहाँ।रेवा का बड़ा भाई मुकेश सिंघानिया, जो अच्छा बिज़नेसमैन तो था ही ,शहर के जाने माने इंडस्ट्रियलिस्ट में उसका नाम जाना जाता था।पार्टियो में उठने बैठने का शौक़ीन ,अपनी मर्ज़ी का मालिक था वो।आते जाते कभी कभार साँची से आमना सामना होता तो हैलो !हाय हो ज़ाया करती।रेवा अक्सर हंसी में छेड़ भी दिया करती,ये कह कर ,कि उसका भाई उसे पसंद करता है।मगर साँची इस बात को इक मज़ाक़ से ज़्यादा कुछ न समझती।दोनों का व्यक्तित्व इक दूजे से बिलकुल अलग सा था,मगर दोनों ही इक दूजे के लिये इक खिंचाव सा महसूस करते।साँची को खुद नहीं पता था कि मुकेश के सामने आते ही उसके शरीर में कंपन, इक सरसराहट सी कंयू हो ज़ाया करती है। रात गहरी हो रही थी।ठीक साँची की उदासी की तरह। इक गहरी साँस भर साँची बोझिल कदमों से होटल के कमरे की तरफ़ चल पड़ी।ठण्ड बहुत होने की वजह से रूम में आ कर सीधे काफ़ी बनाई और पास पड़ी किताब उठा कर फ़ायर प्लेस के पास बैठ कर पढ़ने लगी।जैसे मन को कहीं और लगाने की कोशिश में थी।बस दो ही पन्ने मुश्किल से पढ़ पाई।किताब हाथ में तो थी मगर साँची कहीं और ही थी।किताब में जैसे मन नहीं लग रहा था। कल रात की अपनी ही चीखें उसे अपने कानों में सुनाई दे रही थी।आँखों के सामने वही नजारा बार बार आ रहा था जिसे वो कब से झुठलाने की कोशिश कर रही थी।उसे याद आ रहा था कि कल रात ,जब वो आदि को पढ़ाने गई तो बारिश बहुत ज़ोरों पर थी।साँची जैसे ही आदि के घर पहुँची।सब को वहाँ न पा कर गेट से वापिस जाने लगी तो इतने में मुकेश की गाड़ी आ गई।मुकेश गाड़ी से निकल कर लड़खड़ाते हुए गिरने ही वाला था कि साँची ने उसे हाथ देकर संभाल लिया।उसने जल्दी से नौकर को मदद के लिये आवाज़ें दी मगर जब कोई नहीं आया तो खुद मुकेश को सहारा दे कर घर के अंदर ले गई।सोफ़े पर मुकेश को बिठाकर जैसे ही मुड़ी।मुकेश ने उसका हाथ ज़ोर से पकड़ लिया और अपनी ओर खिंचने लगा।साँची चिल्लाई !ये क्या कर रहे हैं आप ? मुकेश की लाल आँखे और उसका ये रूप।दो मिनट के लिए कुछ समझ ही नहीं पाई कि ये क्या हो रहा है।साँची ने कोशिश की खुद को छुड़ाने की मगर मुकेश आज जैसे खुद में था ही नहीं।पूरे होश हवास खो बैठा था और बोलता जा रहा था।अभी मत जाओ रीटा।शराब के नशे में साँची को रीटा समझ कर अपने सीने से लगाने के लिये ,उसे कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींच कर ज़बरदस्ती करने लगा।साँची चिल्ला रही थी।साँची खुद को छुड़ाने की कोशिश में थी।इसी कश्मकश में उसकी साड़ी मेज़ के कोने में फँस कर फटती चली गई मगर फिर भी फटी हुई साड़ी को खुद पर लपेटते हुए, किसी तरह खुद को बचा कर वहाँ से बाहर सड़क की ओर भागने लगी थी।सूनी सड़क पर अकेली भागती जा रही थी।जैसे तैसे घर आ कर दरवाज़ा बंद कर खूब रोई।उसे यक़ीन नहीं हो रहा था।मुकेश ने उसके साथ ऐसी हरकत की है।जब से साँची मनाली आई थी बिलकुल गुमसुम सी हो गई थी।नफ़रत और ग़ुस्से के मिले जुले भावों से झूझ रही थी साँची।इतने में उसकी मोबाइल की घन्टी बजी।साँची ने फ़ोन उठाया तो दूसरी तरफ़ मुकेश था।बोला ! साँची जो कल शाम हुआ उसके लिए मुझे माफ़ कर दो।अच्छे से तो,मुझे कुछ याद नहीं,मगर धुँधला सा याद है और आप की फटी हुई साड़ी का टुकड़ा,मुझे रात की सारी बात बयान कर गया।ग़ुस्से और नफ़रत की वजह से साँची ने फ़ोन बीच में ही काट दिया।साँची मनाली से वापस आ कर आदि के यहाँ नहीं गई।दिन पर दिन गुजरते जा रहे थे।एक दिन साँची ने सोचा !आदि की पढ़ाई का नुक़सान न हो तो,अगले दिन आदि को पढ़ाने उसके घर चली गई तो रेवा की दादी ने बताया कि मुकेश को कितने दिनों से बहुत बुख़ार हो रहा है जो उतरने का नाम ही नहीं ले रहा।साँची ने इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया। रेवा भी बता रही थी कि इतना चहकने वाला उसका भाई मुकेश एक दम चुप सा हो गया है।अगले रोज़ कालेज के बाद सीधा ही आदि के यहाँ चली गईं।रेवा अभी कालेज से आई नही थी शायद।दादी नौकर को आवाज़ें दे रही थी मगर नौकर को आसपास न पा कर दादी ने साँची को कहा !चल बेटा ज़रा तू ही जा कर खाना मुकेश के कमरे में दे आ।साँची न चाहते हुए भी दादी को कुछ न कह सकी और सीधा ऊपर मुकेश के कमरे में पहुँच गई।मुकेश सो रहा था,मासूम से बच्चे की तरह।उसका कमरा साफ़ सुधरा ,हर इक चीज़ ,अपनी जगह ठिकाने पर थी।सोचने लगी इतनी सुसज्जित इन्सान, ऐसी मानसिकता का मालिक कैसे हो सकता है ?जैसे ही वो प्लेट रख कर वापस जाने के लिए मुड़ी।मुकेश ने आवाज़ दी।साँची प्लीज़! दो मिनट रूक जाओ।मुझे तुम से कुछ कहना है जब तक नहीं कहूँगा, मेरा मन ऐसे बेचैन ही रहेगा।साँची मुझे माफ़ कर दो।उस रात, मैं होश में नहीं था।साँची बिना कुछ कहे बाहर आ गई।साँची का कुछ न कहना,मुकेश को बहुत तकलीफ़ दे गया।इक रोज़ नौकर के हाथ चिट्ठी लिखकर साँची को भेजी मगर साँची ने वो चिट्ठी नौकर के सामने ही फाड़ दी।साँची को ऐसा करते हुए मुकेश ने ,ऊपर बालकनी से देख लिया था।इक तीर सा चुभा ,मुकेश के दिल पर। वक़्त निकलता गया। इक रोज़ रेवा ने साँची से मुकेश की जन्मदिन की पार्टी के लिए रूकने को कहा।साँची के बहुत मना करने के बाद भी उसे वहाँ रूकना पड़ा।पार्टी मे लोगों की भीड़ ,डांस, म्यूज़िक के बीच साँची का दम घुट रहा था।साँची बाहर कोरीडोर में आ गई।मुकेश भी पार्टी में तो था मगर उसकी नज़र सिर्फ़ साँची के आसपास ही थी। अचानक साँची को पार्टी में न पा कर , वो भी साँची को ढूँढता हुआ बाहर आ गया।साड़ी में लिपटी साँची ,शान्त सी , अकेले खड़ी थी।उसके घने लम्बे बाल,मुख पर आई लटे,मुकेश को दीवाना सा बना रही थी।चाँद की चाँदनी में और भी खूबसूरत लग रही थी।मुकेश हिम्मत करके साँची के पास आया।धीरे से आकर साँची से कहा! मैं जानता हूँ मेरी गलती माफ़ी के काबिल नहीं है मगर आज शहर की तमाम भीड़ मुझे बधाई देने आई है,पर न जाने क्यों उस में आप की बधाई की कमी ने मुझे अन्दर से उदास कर रखा है साँची।कुछ ऐसा है आप में,जो मैंने पहले कभी नहीं देखा ,न ही कभी महसूस किया।दादी अक्सर कहती हैं कि मैं शादी कर लूँ मगर मन कभी माना ही नहीं।हर चीज़ आसानी से मिलती रही, कभी पता ही नहीं चला कि कमी क्या होती है मगर आप को देखा तो इक कमी का अहसास हुआ है मुझे।मुकेश बोलता जा रहा।साँची मैं उम्मीद नहीं करता कि तुम मुझे माफ़ कर दो मगर मैं सारी उम्र तुम्हारा इन्तज़ार ज़रूर करूँगा।साँची बिना कुछ कहे वहाँ से निकल गई।मुकेश बस उसे जाते देखता रहा।अब मुकेश हर वक़्त काम में व्यस्त रखने लगा था खुद को।अब उसका प्यार सिर्फ़ प्यार न रह कर इक इबादत सा हो गया था।जिस में इन्सान का प्यार कम नहीं होता ,बस ख़ामोश सा हो जाता है। वक़्त गुज़रता गया साल तीन बाद
इक रोज़, साँची आदि को पढ़ा कर बाहर आ रही थी तो उसके कानों में रेवा और मुकेश की बातें पड़ गई।रेवा कह रही थी।भाई तुम शादी के लिए हाँ कंयू नहीं कर रहे,कब से दादी कहे जा रही है, मुकेश बोला !रेवा मै किसी को चाहता हूँ उसी का इन्तज़ार ताउम्र करूँगा।रेवा ने कहा !मुझे नाम बताओ ? भाई मैं खुद उसे मनाऊँगी तुम से शादी के लिए।मुकेश कहने लगा। पगली !दिल के रिश्तों पर ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं चलती।तेरा भाई दुनिया की हर चीज़ ख़रीदने की ताक़त रखता है मगर उसे नहीं पता था कि किसी का दिल या किसी का प्यार ख़रीदा नहीं जा सकता।मुकेश की बात सुन कर रेवा की भी आँखे नम हो गईं। जाने अनजाने मुकेश के वो अल्फ़ाज़ साँची के दिल को छू गये थे।सोच रही थी, कितना बदल भी गया है।किस के लिए ? मेरे लिए न किस बात का ग़रूर है मुझे।मैं क्यों उस बात को माफ़ नहीं पा रही।तीन साल से मुकेश मेरा ही तो इन्तज़ार कर रहा है।धीरे धीरे साँची के लिए मुकेश आम से ख़ास होता चला गया।तीन साल गुज़र चुके थे आज भी मुकेश के जन्म दिन पर सब था वहाँ। “नहीं थी तो “ बस मुकेश के चेहरे की मुस्कान ही नहीं थी। पार्टी चल रही थी।मुकेश ने महसूस किया कि साँची उसके कहीं आसपास है।मुकेश ने आँखें बंद कर ली और खुद को समझाया,ये सिर्फ़ उसका ख़याल ही है और कुछ नहीं।इस ख़्याल के आते ही उसका ध्यान दरवाज़े की ओर चला गया, तो देखा साँची वहाँ खड़ी थी।मुकेश तेज कदमों से साँची की ओर बढ़ने लगा।दोनों की धड़कन तेज हो रही थी,अधरों पर हल्की सी मुस्कुराहट लिये साँची धीरे से बोली!मुकेश तुम्हारे प्यार का,तुम्हारे इन्तज़ार का,तुम्हारी शिद्दत से की हुई चाहत का ,अहसास है मुझे।साँची फूलों का गुलदस्ता मुकेश को देते हुए बोली !”जन्मदिन की बधाई हो मुकेश” मेरे पास आप को देने के लिये कोई क़ीमती तोहफ़ा नही है।मुकेश ने कहा ! तुम सोच भी नहीं सकती कि मैं आज कितना ख़ुश हूँ। मेरे जन्मदिन पर तुम्हारा आना ही बेशक़ीमती तोहफ़ा है साँची, और तुम्हारे मुँह से अपना नाम सुनना ,ये भी तोहफ़े से कम नही।साँची की आँखे भर आई और उसने धीरे से अपना हाथ मुकेश के हाथ पर रख दिया।जैसे कह रही थी अब उसकी ख़ुशी भी मुकेश के होने से ही है। दोस्तों ! साँची की सादगी ,न केवल उसके दिल को बल्कि उसकी रूह तक को छू गई 🙏दोस्तों ! सादगी को हलके में मत लिया कीजिए। “बहुतों का ग़रूर टूटते हुए देखा है हमने ,जब कभी उनकी मुलाक़ात सादगी से गई”
फिल्म रायबरेली का ट्रेलर धूमधाम से हुआ लांच
कानपुर 1 अक्टूबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, मैनपुरी के रहने वाले प्रोड्यूसर विनीत यादव की चर्चित फिल्म रायबरेली का ऑफिशियल ट्रेलर धूमधाम से आज नावेल्टी होटल लाटूश रोड में मेयर प्रमिला पांडे व मशहूर कॉमेडियन अन्नू अवस्थी के हाथों लॉन्च हुआ
इस अवसर पर प्रमिला पांडे ने बताया कि प्रदेश सरकार फिल्म उद्योग को बहुत बढ़ावा दे रही है इसलिए अरबों रुपया खर्च करके प्रदेश सरकार नोएडा में फिल्म सिटी ला रही है अनु अवस्थी ने बताया कि कानपुर में टैलेंट की कमी नहीं है और कानपुर के कलाकार मुंबई में छाए हुए हैं फिल्म प्रोड्यूसर विनीत यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि इसके पहले उनकी फिल्म शूटआउट एट इटावा सफारी रिलीज हो चुकी है। कानपुर के चर्चित कलाकार अजय त्रिपाठी ने बताया की अब वह जमाने चले गए जब लोग घरों से भाग भाग कर बॉलीवुड में अपना भाग्य आजमाने जाते थे आप यूपी और खास तौर पर कानपुर में ही बड़े बड़े निर्माता आ रहे हैं और नई नई प्रतिभाओं को चांस मिल रहा है राजू श्रीवास्तव मरने से 2 महीने पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले थे और उनको उन्नाव और कानपुर के बीच फिल्म सिटी विकसित करने की सलाह दी थी। इस अवसर पर मेयर प्रमिला पाण्डेय, विधायक अमिताभ बाजपेयी, मशहूर कॉमेडियन अन्नू अवस्थी, पूर्व विधायक सतीश निगम, फिल्म के मुख्य विलेन गौरव कुमार, फिल्म के निर्माता और हीरो विनीत यादव फिल्म के लेखक इनायत अली और हीरोइन इस्मत आदि उपस्थित थे।
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज नई दिल्ली में 68वें फिल्म समारोह में विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए। इस मौके पर प्रतिष्ठित दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भी प्रदान किया गया। समारोह में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव श्री अपूर्व चंद्रा, जूरी के अध्यक्ष और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने दादा साहेब फाल्के पुरूस्कार की विजेता सुश्री आशा पारेख को सिनेमा की दुनिया में उनके विशेष योगदान के लिए बधाई दी और कहा कि उनका यह पुरस्कार महिला सशक्तिकरण को मान्यता प्रदान करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि सभी कला रूपों में फिल्मों का प्रभाव सबसे व्यापक होता है और फिल्में न केवल एक उद्योग हैं बल्कि हमारी मूल्य प्रणाली की कलात्मक अभिव्यक्ति का माध्यम भी हैं। सिनेमा राष्ट्र निर्माण का भी एक प्रभावी उपकरण है।
श्रीमती मुर्मु ने कहा कि जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तो भारतीय दर्शकों द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों-ज्ञात औए गुमनाम दोनों- की जीवन से जुड़ी कहानियों से संबंधित फीचर और गैर-फीचर फिल्मों का स्वागत किया जाएगा। दर्शक ऐसी फिल्मों के निर्माण की इच्छा रखते हैं, जो समाज में एकता को बढ़ावा दें, राष्ट्र के विकास को गति प्रदान करें और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करें।
विदेशों में भारतीय संगीत को मिली मान्यता पर प्रकाश डालते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि यह भारत की सॉफ्ट-पावर को वैश्विक स्तर पर फैलाने का एक बड़ा माध्यम रहा है। उन्होंने कहा कि इस साल जुलाई में, शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक उज्बेकिस्तान में आयोजित की गई थी। इस बैठक के समापन समारोह में एक विदेशी बैंड द्वारा 1960 के दशक की एक हिन्दी फिल्म का एक लोकप्रिय गीत बजाया गया था।
उन्होंने आगे कहा कि इस सॉफ्ट-पावर का अधिक कारगर इस्तेमाल करने के लिए, हमें अपनी फिल्मों की गुणवत्ता को बेहतर करना होगा। उन्होंने कहा, “अब हमारे देश के किसी एक क्षेत्र में बनी फिल्में अन्य सभी क्षेत्रों में भी बेहद लोकप्रिय हो रही हैं। इस तरह भारतीय सिनेमा सभी देशवासियों को एक सांस्कृतिक सूत्र में बांध रहा है। इस फिल्म समुदाय का भारतीय समाज में बहुत बड़ा योगदान है।”
इस अवसर पर बोलते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मेरा यह दृढ़ विश्वास है कि सिनेमा चित्रों में पिरोई एक कविता है जो उन सभी किस्म के जादू, चमत्कार और जुनून को दर्शाती है जिससे हमें जीवंत और मानवीय होने का एहसास होता है। सिनेमा ने हमारे देश की अंतरात्मा, समुदाय और संस्कृति को सहेजा है और उसे उकेरा है। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय फिल्म उद्योग के उभरते कलाकारों, पेशेवरों और दिग्गजों ने एक सदी से भी अधिक समय से हमारे दिल एवं दिमाग को गुदगुदाया और छुआ है।
कोविड-19 महामारी के दौरान ओटीटी प्लेटफार्मों द्वारा निभाई गई भूमिका के बारे में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि आज सिनेमा थिएटर की सीमाओं से परे निकल गया है और ओटीटी के आगमन के साथ वह हमारे घरों और मोबाइल फोन तक पहुंच गया है। केन्द्रीय मंत्री ने महामारी के दौरान भारत के फिल्मी सितारों को उनके योगदान के लिए श्रेय दिया और कहा कि कोविड की गंभीर हकीकत और नाजुक वैश्विक आर्थिक स्थितियों के बीच, आपके द्वारा प्रदान किया गया मनोरंजन और संदेश ही हमारे लिए उम्मीद की किरण थी।
अनुराग ठाकुर ने पांच साल में दूसरी बार मोस्ट फिल्म फ्रेंडली स्टेट अवार्ड जीतने के लिए मध्य प्रदेश की राज्य सरकार की सराहना की। उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को 75 क्रिएटिव माइंड्स ऑफ टुमारो के माध्यम से चुने जा रहे मूवी मैजिक के भविष्य के रचनाकारों का मार्गदर्शन करने के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि युवाओं को प्रेरित करने और सलाह देने की इस अनूठी पहल के माध्यम से उनका समर्थन मिलने से पुरस्कार विजेताओं की अगली पीढ़ी तैयार होगी।
भारत भाषायी विविधता का देश है और इस विविधता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से बेहतर प्रदर्शन किसी दूसरे रूप में नहीं हो सकता है। देश भर के प्रतिभाशाली विजेताओं के बारे में बात करते हुए, श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि एक बार फिर पुरस्कारों ने देश की क्षेत्रीय ताकत को सामने ला दिया है और हमें याद दिलाया है कि भारतीय सिनेमा किस तरह मेधा और प्रतिभा के साथ खिलकर निखर रहा है। उन्होंने कहा कि कार्बी भाषा में कचिचिनिथु, डांगी में एना की गवाही और दीमासा में सेमखोर जैसी फिल्में हमारी भाषायी संपदा का असाधारण प्रदर्शन हैं। श्री ठाकुर ने आज 4 बाल कलाकारों को सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार मिलने पर अपार प्रसन्नता व्यक्त की और एक दिव्यांग बालक एवं पुरस्कार विजेताओं में शामिल दिव्येश इंदुलकर के बारे में विशेष रूप से चर्चा की। श्री ठाकुर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार से सम्मानित नानजियाम्मा एक लोक गायिका हैं और वह केरल के एक छोटे आदिवासी समुदाय से हैं, जिसकी कोई पेशेवर फिल्म की पृष्ठभूमि से नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यह हमारे कहानी कहने की शक्ति के साथ-साथ हमारी प्रतिभा को दर्शाता है।
समारोह के दौरान एना की गवाही को सर्वश्रेष्ठ गैर-फीचर फिल्म का पुरस्कार दिया गया, जबकि सोरारई पोट्रु को सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म से सम्मानित किया गया। सूर्या और अजय देवगन को संयुक्त रूप से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला, जबकि अपर्णा बालमुरली को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया। सच्चिदानंदन के.आर को मलयालम फिल्म एके अय्यप्पनम कोशियुम के लिए सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया और तन्हाजी: द अनसंग वॉरियर को संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार मिला। पुरस्कार विजेताओं की पूरी सूची यहां देखी जा सकती है।
Read More »भारतीय रेलवे “रेलगाड़ियां एक नजर में(टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1 अक्टूबर, 2022 से लागू होगी
रेल मंत्रालय “रेलगाड़ियां एक नजर में (टीएजी)” के रूप में जानी जाने वाली अपनी नई अखिल भारतीय रेलवे समय सारणी जारी करेगा, जो 1अक्टूबर, 2022 से लागू होगी। नई ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में ‘1 अक्टूबर, 2022 से भारतीय रेलवे की आधिकारिक वेबसाइट अर्थात www.indianrailways.gov.in पर भी उपलब्ध होगी।
नई समय सारिणी की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- भारतीय रेलवे लगभग 3,240 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन करता है, जिनमें वंदे भारत एक्सप्रेस, गतिमान एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, हमसफ़र एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस, गरीब रथ एक्सप्रेस, संपर्क क्रांति एक्सप्रेस, युवा एक्सप्रेस, उदय एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस और अन्य प्रकार की रेलगाडि़यां शामिल हैं। इसके अलावा, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर लगभग 3,000 यात्री रेलगाडि़यों और 5,660 उपनगरीय रेलगाडि़यों का भी परिचालन किया जाता है। इन पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 2.23 करोड़ है।
- II. अतिरिक्त भीड़भाड़ को कम करने और यात्रियों की मांग को पूरा करने के लिए, 2021-22 के दौरान 65,000 से अधिक विशेष ट्रेन यात्राएं संचालित की गईं। रेलगाडि़यों की वहन क्षमता बढ़ाने के लिए लगभग 566 कोचों को स्थायी रूप से संवर्धित किया गया।
III. ट्रेन के इंजन और डिब्बों का अधिकतम उपयोग करना:
- रेकस के लाइ ओवर की समीक्षा के दौरान पाया गया कि मौजूदा सेवाओं के विस्तार या आवृत्ति बढ़ाने के लिए इन रेक का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। यह इंजन और डिब्बों के उपयोग को अधिकतम करेगा और यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
- ii. वर्ष 2021-22 के दौरान, 106 नई सेवाएं शुरू की गईं, 212 सेवाओं का विस्तार किया गया और 24 सेवाओं की आवृत्ति बढ़ाई गई।
- प्रीमियम ट्रेनों का प्रसार:
- वर्तमान में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें नई दिल्ली-वाराणसी और नई दिल्ली-श्री माता वैष्णो देवी कटरा के बीच चलाई जा रही हैं। एक और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन गांधीनगर कैपिटल और मुंबई सेंट्रल के बीच 30.09.2022 से शुरू की गई है। भारतीय रेलवे नेटवर्क पर और वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को शुरू करने का प्रस्ताव किया गया है।
- ii. मनोरंजन, स्थानीय व्यंजन, वाईफाई आदि जैसी ऑनबोर्ड सेवाओं की पेशकश करने वाली तेजस एक्सप्रेस सेवाओं का भी भारतीय रेलवे नेटवर्क पर प्रसार किया जा रहा है। वर्तमान में भारतीय रेलवे में 7 जोड़ी तेजस एक्सप्रेस सेवाएं परिचालित की जा रही हैं।
- मंडलों की कार्यशील समय-सारणी में कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान:
पटरियों की संरचना, सिग्नलिंग गियर, ओवरहेड उपकरण आदि जैसे स्थिर बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए, फिक्स्ड कॉरिडोर ब्लॉक का प्रावधान सुनिश्चित करने की योजना बनाई गई है। इन कॉरिडोर ब्लॉकों की अवधि प्रत्येक खंड में 3 घंटे से होगी। इससे न केवल इन परिसंपत्तियों की विश्वसनीयता में सुधार होगा बल्कि यात्रियों की सुरक्षा में भी वृद्धि होगी।
- आईसीएफ डिजाइन के रेक का एलएचबी में रूपांतरण:
यात्री सुरक्षा में सुधार लाने और बेहतर सवारी की सुविधा के साथ तेज पारगमन प्रदान करने के लिए आईसीएफ डिजाइन के रेक के साथ परिचालित की जाने वाली मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों का रूपांतरण किया जा रहा है। भारतीय रेलवे ने वर्ष 2021-2022 की अवधि के लिए आईसीएफ के 187 रेक एलएचबी में परिवर्तित किये।
- विलंब से चलने वाली रेलगाडि़यों के समयपालन में सुधार लाने के प्रयास:
समय की पाबंदी में सुधार लाने के लिए समय सारिणी में आवश्यक परिवर्तन शामिल किए गए हैं। ठोस प्रयासों की बदौलत मेल/एक्सप्रेस ट्रेनों के समयपालन में कोविड से पूर्व (2019-20) की समय की पाबंदी की तुलना में लगभग 9 प्रतिशत सुधार हुआ है।
- रेकों का मानकीकरण:
विभिन्न रखरखाव डिपो में रेक लिंक के एकीकरण द्वारा रेकों को मानकीकृत किया गया है, ताकि परिचालन में बेहतर लचीलेपन लाया सके और इस प्रकार समयपालन में सुधार लाने में भी मदद मिलती है।
- पारंपरिक यात्री ट्रेनों का एमईएमयू/डीईएमयू से प्रतिस्थापन
वर्ष 2021-22 में, 60 पारंपरिक यात्री सेवाओं को एमईएमयू द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, जिससे प्रणाली की समग्र गतिशीलता में वृद्धि हुई है।
X. ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’ की ‘ई-बुक‘ के रूप में उपलब्धता:
ट्रेन समय सारणी के डिजिटलीकरण के अंग के रूप में, ‘रेलगाडि़यां एक नज़र में’(टीएजी) अब ‘ई-बुक’ के रूप में भी उपलब्ध होगी, जिसे आईआरसीटीसी की वेबसाइट (www.irctc.co.in & www.irctctourism.com) से डाउनलोड किया जा सकता है।
Read More »भारतीय प्रकाशक संघ द्वारा प्रस्तुत पुस्तक रचना 2022 में प्रकाशन विभाग ने उत्कृष्टता के लिए नौ पुरस्कार जीते
भारतीय प्रकाशकों के शीर्ष निकाय, द फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स (एफआईपी) के 42वें वार्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार कार्यक्रम का आज नई दिल्ली में आयोजन किया गया। पुस्तक रचना 2022 में उत्कृष्टता के मामले में प्रकाशन विभाग निदेशालय ने अपने शीर्षकों के लिए विभिन्न श्रेणियों में नौ पुरस्कार जीते हैं।
डीपीडी ने ‘बैलेंसिंग द विजडम ट्री’ के लिए जनरल और ट्रेड बुक्स (अंग्रेजी), ‘भारत विभाजन की कहानी’ के लिए जनरल और ट्रेड बुक्स (हिंदी), ‘कोर्ट्स ऑफ इंडिया (मराठी) के लिए आर्ट एंड कॉफी टेबल बुक्स (क्षेत्रीय भाषा), ‘इंडिया 2022’ के लिए संदर्भ पुस्तकें (अंग्रेजी), ‘कोविड-19: वैश्विक महामारी’ के लिए वैज्ञानिक/तकनीकी/चिकित्सा पुस्तकें (हिंदी) और ‘कुरुक्षेत्र’ के लिए पत्रिकाएं और घरेलु पत्रिकाएं (हिंदी) की श्रेणियों में छह प्रथम पुरस्कार जीते।
‘लोकतंत्र के स्वर’ के लिए जनरल और ट्रेड पुस्तकें (हिंदी) की श्रेणी में एक द्वितीय पुरस्कार और ‘पिनुशी’ के लिए बाल पुस्तकें (सामान्य रुचि) (0-10 वर्ष) (हिंदी) और ‘अजकल (उर्दू)’ के लिए पत्रिकाओं और घरेलू पत्रिकाओं (क्षेत्रीय भाषाओं) की श्रेणियों में प्रभाग को दो तृतीय पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
पिछले वर्ष, प्रकाशन विभाग ने विभिन्न श्रेणियों में अपने विभिन्न प्रकाशनों के लिए दस पुरस्कार जीते थे। डीपीडी राष्ट्रीय महत्व के विषयों और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को पाठकों के समक्ष लाने वाली पुस्तकों और पत्रिकाओं का भंडार है। 1941 में स्थापित, प्रकाशन विभाग भारत सरकार का एक प्रमुख प्रकाशन गृह है जो विभिन्न भाषाओं में पत्रिकाओं और इतिहास, कला, साहित्य, संस्कृति, वित्त, विज्ञान और खेल, गांधीवादी साहित्य, बच्चों के साहित्य के साथ-साथ राष्ट्रीय नेताओं के भाषणों और प्रसिद्ध हस्तियों की आत्मकथाओं सहित विविध विषयों पर किताबें और पत्रिकाएँ प्रदान करता है। यह प्रभाग पाठकों और प्रकाशकों के बीच न सिर्फ विश्वसनीयता को सिद्ध करता है अपितु विषय सामग्री की प्रामाणिकता के साथ-साथ अपने प्रकाशनों के उचित मूल्य के लिए बेहतर रूप से अपनी पहचान भी रखता है।
Read More »खेलों में रिक्त रह गये स्थानों के दृष्टिगत राज्य स्तरीय चयन /ट्रायल्स आयोजित किये जाएंगे
कानपुर 23 सितम्बर, 2022(सू0वि0)*
उप निदेशक खेल, क्षेत्रीय खेल कार्यालय कानपुर ने बताया है कि खेल निदेशालय, उ०प्र०, लखनऊ द्वारा दिये गये आदेशों के क्रम में वर्ष 2022-23 में आवासीय क्रीड़ा छात्रावास में प्रवेश हेतु आयोजित किये गये केन्द्रीय प्रशिक्षण शिविरों के अन्तिम चयन/ट्रायल्स उपरान्त प्राप्त मेरिट सूची के अनुसार खिलाड़ियों का प्रवेश आवसीय क्रीड़ा छात्रावासों में किये जाने के उपरान्त कुछ खेलों में रिक्त रह गये स्थानों के दृष्टिगत निम्न खेलों के राज्य स्तरीय चयन /ट्रायल्स दिनांक 29 व 30 दिसम्बर, 2022 को आयोजित किये जायेंगे, जिसके अन्तर्गत टेबल टेनिस (बालिका वर्ग), बास्केटबाल (बालक/बालिका वर्ग), तीरन्दाजी (बालक/बालिका वर्ग), कबड्डी (बालिका वर्ग), बैडमिन्टन (बालक/बालिका वर्ग), जूडो (बालक वर्ग), तैराकी (बालिका वर्ग 12 वर्ष से कम), कुश्ती (बालक वर्ग) का आयोजन के०डी० सिंह बाबू स्टेडियम, लखनऊ व क्रिकेट (बालक वर्ग) का आयोजन चौक स्टेडियम, लखनऊ में किया जायेगा।
उन्होंने बताया कि उक्त राज्य स्तरीय चयन/ ट्रायल्स से पूर्व जिला एवं मण्डल स्तर पर चयन ट्रायल्स दिनांक 26 व 27 सितम्बर 2022 को प्रातः 10ः00 बजे से ग्रीन पार्क स्टेडियम, कानपुर में आयोजित किया जाना है। चयन ट्रायल्स में प्रतिभाग करने वाले अभ्यर्थी की आयु 15 वर्ष से कम होनी चाहिए तथा तैराकी खेल में 12 वर्ष से कम होगी चाहिए। अभ्यर्थी को अपना जन्मतिथि प्रमाण पत्र मूल रूप में एवं प्रमाणित छायाप्रति लाना अनिवार्य है। चयन/ ट्रायल्स हेतु आवेदन पत्र का प्रारूप खेल विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइड से आवेदन पत्र की प्रति निकाल कर अथवा सम्बन्धित खेल कार्यालय से आवेदन पत्र प्राप्त कर उसे पूर्णरूप से भरकर उक्त ट्रायल्स हेतु निर्धारित तिथि, स्थान व समय पर व्यक्गित रूप से उपस्थित होकर निर्धारित शुल्क एवं आवश्यक अभिलेखों सहित आवेदन पत्र जमा किया जा सकता है, जो मान्य होगा।
केन्द्रीय खेल और युवा कार्यक्रम मंत्री अनुराग ठाकुरअमृतसर में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के खिलाड़ियों को सम्मानित करेंगे
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर के वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह में 20 सितम्बर को विश्वविद्यालय के खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे।
केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा कार्यक्रम मंत्री श्री अनुराग ठाकुर 20 सितंबर, 2022 को 52वें वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह के दौरान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, खेलो इंडिया और अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय स्तरों पर विभिन्न खेल विधाओं में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू), अमृतसर को ख्याति दिलाने वाले खिलाड़ियों का अभिनंदन/सम्मानित करेंगे। उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले एथलीटों को नकद पुरस्कार और विश्वविद्यालय स्तर पर समग्र रूप से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कॉलेजों को ट्राफियां प्रदान की जाएंगी।
इस अवसर पर श्री अनुराग ठाकुर मुख्य अतिथि होंगे और पंजाब के खेल और युवा सेवा विभाग के कैबिनेट मंत्री श्री गुरमीत सिंह मीत हेयर अध्यक्षीय भाषण देंगे। इसके अलावा, कुलपति प्रो. जसपाल सिंह संधू इस अवसर पर खिलाड़ियों और मेहमानों को संबोधित करेंगे।
गुरु नानक देव विश्वविद्यालय ने खेल के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है और भारत की प्रतिष्ठित मौलाना अबुल कलाम आजाद ट्रॉफी 23 बार जीती है। इसने 35 अर्जुन पुरस्कार विजेता, 6 पद्म श्री पुरस्कार विजेता और 2 द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता दिए हैं। प्रत्येक वर्ष शारीरिक शिक्षा विभाग (संबद्ध शिक्षण) 90 से अधिक गुरु नानक देव विश्वविद्यालय इंटर-कॉलेज (पुरुष और महिला) चैंपियनशिप आयोजित करता है और विश्वविद्यालय की 70 से अधिक टीमों (पुरुषों और महिलाओं) को अखिल भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए भेजता है। भारतीय खेल प्राधिकरण ने खेल विषयों हॉकी और हैंडबॉल में खेलो इंडिया केन्द्रों की तथा तलवारबाजी (फेन्सिंग) और तीरंदाजी में खेलो इंडिया अकादमियों की स्थापना की है।
विश्वविद्यालय हर साल वार्षिक खेल पुरस्कार वितरण समारोह आयोजित करता है, जिसमें लगभग 250 खिलाड़ियों (अंतर्राष्ट्रीय/खेलो इंडिया/अंतर-विश्वविद्यालय स्तरों) को लगभग 2.00 करोड़ रुपये के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
Read More »एक ख्वाब से मुलाकात
आज की रात भारी थी शिफ़ा पर।शिफ़ा कभी करवट इधर ले रही थी कभी उधर।नींद का कोई नामों निशान नही था।आज बरसों के बाद मानवी की पार्टी मे उसने कबीर को देखा जो अपनी पत्नी के साथ था।जैसे ही शिफ़ा पार्टी मे पहुँची तो वो पार्टी से जा रहा था सिर्फ़ आँखे मिली और दोनो की धड़कनें जैसे रूक सी गई।बरसों बाद यू आमना सामना हुआ तो भरी आँखों से इक दूजे को देखते रह गए और बात भी नही हुई।आज शिफ़ा इस उदासी का कारण समझ नहीं पा रही थी।सोच रही थी ,आज कंयू बेचैन है वो।क्यों हलचल सी है उसके मन में।मगर कुछ बातों का कोई जवाब नहीं होता।शिफ़ा ने उठ कर खिड़की बंद कर दी।आज बाहर बिजली खूब गरज कर चमक रही थी और तेज बारिश की बौछारें खिड़कियों पर ज़ोर ज़ोर से दस्तक दे रही थी,ठीक उसके दिल की तरह ,जहां पुरानी यादें ज़ोरों से दस्तक देने को आतुर हो रही थी।बहुत कोशिश कर रही थी पुरानी यादो की भीड़ मे न जाये ,मगर हर कोशिश आज जैसे नाकाम हो रही थी।उसे याद आया कि वो कैसे कबीर को और कबीर उसे ,छत से देखा करते थे।कैसे वो दोनों इक दूजे को चाहते थे।कबीर उस के घर के पास ही रहता था।घर मे आना जाना भी था मगर दोनों ही कभी कुछ कह नही पायें।मगर अकसर वो कबीर को कालेज से आते वक़्त अपनी बस मे देखा करती, मगर कभी हिम्मत नही हुई कि दोनों बात करे।अक्सर कोई मंचला लड़का अगर शिफ़ा को तंग करने पीछे पीछे आ रहा होता और फिर कैसे कबीर बस से उतर कर शिफ़ा के पास पास चलना शुरू कर देता कि ताकि वो सही सलामत घर पहुँच जाये,और किस तरह उसे सुरक्षित होने का अहसास करवा दिया करता। इक ऐसा ही रिश्ता था जो बहुत गहरा तो था मगर ख़ामोश सा।जैसे तैसे सोचते सोचते शिफ़ा की आँख लग गई।सुबह रात न सोने की वजह से सिर भारी सा था।खिड़की के पास बैठी शिफ़ा, चाय पीते पीते सामने पहाड़ों को निहार रही थी।रात बारिश की वजह से पेड़ों से भरे पहाड़ और भी सुन्दर दिख रहे थे।इक सौंधी सौंधी सी महक पूरे वातावरण को महका रही थी,मगर सोच फिर कबीर से जा जुड़ी।सोचने लगी !
कैसे कालेज ख़त्म होते ही जल्दी ही उसकी शादी शुभम से हो गई और वो शुभम के साथ इन शिमला की पहाड़ियों में आ कर बस गई ।शुभम उसका पति उसे बहुत प्यार करता था।ख़ुश थी अपनी ज़िंदगी में ,शिफा ने शुभम को उठाया और चाय दे कर कहा! जल्दी उठ जायें,आज आप की मीटिंग भी है।शुभम जल्दी ही तैयार हो कर आफ़िस चला गया।शिफ़ा को पता ही नहीं चला कि कब से उसका मोबाइल फ़ोन बज रहा था।जब देखा तो कबीर का फ़ोन था,जैसे इन्तज़ार ही कर रही थी जब कि वो अच्छे से जानती भी थी कि कबीर के पास उसका फ़ोन नम्बर नही है।शिफ़ा ने धड़कते दिल से फ़ोन उठाया उधर कबीर ही था।कबीर की आवाज़ आज बरसों बाद सुन रही थी।
हैलो !हाय !से आगे बात बढ़ ही नही रही थी।तब शिफ़ा ने पूछा !तुम्हें मेरा नम्बर कहाँ से मिला।कबीर ने बताया कल तुम्हें देखा ,तो रहा नहीं गया और मैंने तुम्हारा नम्बर तुम्हारी सहेली मानवी से ले लिया।कबीर बोलता जा रहा था, सवाल पर सवाल करता जा रहा था और फिर शिफ़ा से पूछा ?तुम्हारे शहर में हूँ ,क्या आज दोपहर को मेरे साथ काफ़ी पी सकती हो।शिफ़ा को खुद भी ये अहसास नहीं हुआ कि कैसे,उसने कितनी सहजता से कबीर को मिलने के लिए हाँ कह दी।शिफ़ा फ़्री भी थी तो सोचा चली जाती
हूँ।झट से तैयार हुई और कैफ़े में पहुँच गई।शिफ़ा को आते देख कबीर की धड़कन बहुत तेज हो रही थी।बरसों बाद रूबरू हो रहे थे दोनों।शिफ़ा को देख कर उसे वही बचपन वाली शिफ़ा दिखाई दी।सुन्दर शान्त और साडी में लिपटी हुई।शिफ़ा की सादगी पर तो हमेशा से मरता था कबीर।आज भी जैसे उसके सादेपन ने कबीर को दिवाना बना दिया।शिफ़ा को बस देखता रह गया ,तो शिफ़ा भी थोड़ा झेंप सी गई।कबीर कहने लगा तुम बिलकुल नहीं बदली ,ठीक वैसी ही हो ,जैसे कालेज के दिनों में थी।शिफ़ा ने बड़ी हिम्मत करके कबीर की आँखों में देखा।कबीर की बड़ी बड़ी आँखें ,ये वही आँखे थी जो शिफ़ा को अक्सर बेचैन कर दिया करती थी कभी।कितनी दफ़ा शिफ़ा ने कबीर की आँखों को काग़ज़ पर पेंसिल से बना डाला था।देख रही थी, कुछ भी तो नहीं बदला।आज भी कबीर की आँखों में वही कशिश महसूस कर रही है।आज भी कबीर को देख कर उसका दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा है।कुछ पल दोनों बेसुध से ,ख़ामोशी से इक दूजे को देखते रहे।समझ नहीं आ रहा था।कहाँ से बात शुरू करें क्योंकि कहने को बहुत कुछ था मगर, न तो पहले से हालात थे ,न ही पहले सा वक़्त।
फिर कबीर ने ही ख़ामोशी को तोड़ते हुए शिफ़ा से पूछा ?शिफ़ा !क्या पियोगी चाय या काफ़ी? शिफ़ा ने कहा ! काफ़ी ही ठीक रहेगी।आज ठण्ड भी बहुत है और शिफ़ा खुद में सिमटती हुई कबीर के पास बैठ गई।कबीर बोला ! शिफ़ा मैं आज इतना ख़ुश हूँ ,शायद पहले कभी नहीं हुआ मगर इक तुम्हारी शिकायत तुमसे ही करनी है ,वो ये ,तुमने शादी करके मुझे कितना पराया कर दिया।न ही कोई वजह बताई बस मुझे कुछ कहे बग़ैर ही शादी कर ली तुमने।तुम्हारा कभी मन नहीं हुआ मिलने को ?कभी याद नहीं आई मेरी ?शिफ़ा हम दोनो ही इक दूजे को चाहते थे।चाहते थे न ?ये बात तुम्हें भी और मुझे भी पता है तो फिर ये क्या हुआ? कंयू तुम न कह सकी ? कंयू मैं न कह सका ? क्यूं हम आज साथ नही ?कबीर दिवानों ने की तरहां कहे जा रहा था जैसे बरसों की सब बातों का जवाब माँग रहा था शिफ़ा से।शिफ़ा ख़ामोश नीची निगाहें किये सब सुन रही थी मगर कबीर की आँखों में झांकने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी।डरती थी ,कि कहीं कबीर की आँखे उसके मन को कमजोर न कर दे।कहीं वो ख़ुद भी सारी मर्यादाएँ तोड़ कर ,कुछ ऐसा कह दे जो उसे अब कहने का अधिकार नहीं है शायद।कबीर बोलता जा रहा था तुम्हें याद है जब मैं तुम्हारे घर होली के दिन आया करता था।तुम्हारे चेहरे पर गुलाल लगाने के वक़्त कैसे मेरे दिल की धड़कन तेज हो ज़ाया करती थी ,तुम इस बात का अंदाज़ा भी नहीं लगा सकती।कबीर को शिफ़ा की ख़ामोशी जैसे खल सी रही थी।कबीर की बोलते बोलते आँखे नम हो गईं और उसका गला भर आया।इक तूफ़ान तो शिफ़ा के अन्दर भी था मगर शिफ़ा ने बहुत संजीदगी से कहा !कबीर बहुत कुछ ऐसा था जो मेरी ख़ामोशी के कारण थे।मैं अपने माँ बाप को कोई दुख नहीं देना चाहती थी।जैसा वो चाहते थे मैंने वही किया।कबीर बोला और मेरे बारे में कंयू नही सोचा ? शिफ़ा थोड़ा गंभीरता से बोली।कबीर मैं पापा का हाथ बटाना चाहती थी उनकी ज़िम्मेदारियाँ को बाँटना चाहती थी।कबीर बोला !मुझे कह कर देखती तो सही।मुझ पर यक़ीन नहीं था क्या ?मुझ से कहती ,हम दोनों मिल कर सारी ज़िम्मेवारी बाँट लेते।फिर गंभीर हो कर कबीर ने शिफ़ा के हाथ पर हाथ रख दिया।कबीर के इस स्पर्श से शिफ़ा के पूरे शरीर में इक कंपन सा हो गया।सीमाओं के बीच, लाज मे सिमटी शिफ़ा का सारा शरीर ,इतनी ठंडी में भी भीग सा गया क्योंकि आज तक उसे कबीर के स्पर्श का कोई अहसास नहीं था।सिहर सी गई थी शिफ़ा, और कबीर भी उसकी मनोदशा को उसके माथे पर आई पसीने की बूँदों से पढ़ पा रहा था।कबीर ने पूछा ! क्या ख़ुश हो उनके फ़ैसले पर।शिफ़ा ने कहा !जब फ़ैसला ही मान लिया तो मेरे ख़ुश या न ख़ुश होने का सवाल ही पैदा न हुआ।पिता के घर ,पिता के घर की इज़्ज़त का ख़्याल रहा।अब पति के घर ,पति की इज़्ज़त का ख़्याल रखना है बस।कबीर ने पूछा और तुम्हारी अपनी ख़ुशी का क्या ?
शिफ़ा कहने लगी अपने बारे में कभी सोचा ही नहीं। ज़िम्मेदारियाँ उठाते उठाते पता ही नहीं चला, कैसे वक़्त गुज़रता गया।हाँ ये सच है कि मैंने अक्सर तुम्हें याद किया है।जब भी कभी पहले प्यार का ज़िक्र हुआ तो तुम याद आये मुझे।कुछ शादियाँ समझौता ही होती है कबीर।दो लोगों के लेने देने का सम्बन्ध मात्र ही होती है।इससे ज़्यादा कुछ नहीं।कबीर ने अचानक से इक सवाल शिफ़ा के सामने रख दिया कि क्या वो अब भी उसे वैसे ही चाहती है?शिफ़ा के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई और बोली बेशक !समाज में रहने के लिए उसके जिस्म को तो आगे बढ़ना पड़ा ,मगर उसकी रूह आगे कभी नहीं बढ पाई,वहीं रह गई तुम्हारे आसपास और हाँ कबीर ,किसी को चाहने के लिये सारी उम्र उस इन्सान के साथ रहना ज़रूरी तो नहीं।तुम्हारी जगह वहीं है जहां थी।शिफ़ा बहुत चाहती थी कि दिल की हर बात उससे कह दे ,मगर न कभी पहले कह सकी, न अब।फिर इकदम से उठ खड़ी हुई और
बोली !अच्छा अब मैं चलती हूँ ।चलने को कह तो रही थी मगर खुद के अल्फ़ाज़ जैसे साथ नहीं दे रहे थे।अभी और वक़्त कबीर के साथ बिताना चाह रही थी।मन ही मन सोच रही थी कि कबीर उसे रोक ले।मगर होंठ ख़ामोश थे।जाने से पहले दोनों ने इक दूजे को देखा।कबीर ने धीरे से कहा ! शिफ़ा कल मैं जा रहा हूँ और तुम्हें बहुत याद करूँगा।भूल तो मैं ,तुम्हें कभी पाया ही नही।अगर तुम कल न दिखती ,न हम मिलते तो अच्छा ही होता शायद ,और फिर इक लम्बी गहरी साँस ली कबीर ने।जो सीधा शिफ़ा की रूह के आरपार हो गई थी जैसे।शिफ़ा ने बड़ी संजीदगी से कबीर से कहा !अगर तुम्हारी और मेरी चाहत में पाकीज़गी है तो यकीनन हम अगले जन्म में ज़रूर मिलेंगे।मैं सब्र से तुम्हारा इन्तज़ार करूँगी तब तक।अच्छा अब मैं जाऊँ कबीर?ऐसा कह कर शायद शिफ़ा चाह रही थी कि कबीर उसे जाने की इजाज़त खुद दे दे तो शायद हल्के मन से वो वहाँ से जा सके। कबीर चाहते हुए भी उसे न रोक सका और सोच रहा कि मैं शिफ़ा को कभी रोक कंयू नहीं पाया।न पहले ,न आज ,और सोच रहा था किस हक़ से रोकूँ शिफ़ा को।इक ठण्डी आह लिए ,ख़ामोश सूनी निगाहों से अपने प्यार को बस जाते हुए देखता रहा। दोस्तों लोग प्यार करते हैं बिछड़ भी जाते है और कभी दोबारा ज़िन्दगी अगर उन्हें मिला भी देती है तो शिफ़ा और कबीर की तरह संयम में नहीं रह पाते।”संयम “जो बहुत ज़रूरी भी है “किसी को प्यार करना और फिर उसे पा लेना तो “आम सी बात है”अगर कुछ ख़ास है तो वो ये ,खुवाईशे को समेट लेना और रिश्ते को मर्यादाओं में रह कर स्वीकार करना।अतीत की भी अपनी जगह और अपना वक़्त होता है कुछ रिश्ते सिर्फ़ ख़्वाब ही रहते है हक़ीक़त नहीं मगर ये भी सच है कि कुछ ख़्वाब ,हक़ीक़त से भी ज़्यादा दिल के क़रीब होते है इसमें कोई शक है भी नहीं।
स्मिता
Read More »प्रधानमंत्री ने भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया
प्रधानमंत्री मोदी ने आज भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। इससे पहले, उन्होंने भुज जिले में स्मृति वन स्मारक का भी उद्घाटन किया।
सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भुज में स्मृति वन स्मारक और अंजार में वीर बाल स्मारक गुजरात के कच्छ जिले और पूरे देश के साझा दर्द के प्रतीक हैं। उन्होंने उस पल को याद किया जब अंजार स्मारक की अवधारणा सामने आई और स्वैच्छिक कार्य ‘कार सेवा’ के माध्यम से स्मारक को पूरा करने संकल्प लिया गया था। उन्होंने कहा कि इन स्मारकों को विनाशकारी भूकंप में मारे गए लोगों की याद में भारी मन से समर्पित किया जा रहा है। उन्होंने आज लोगों के गर्मजोशी से स्वागत के लिए भी उन्हें धन्यवाद दिया।
उन्होंने आज अपने दिल में उतरी अनेक भावनाओं को याद किया और पूरी विनम्रता के साथ कहा कि दिवंगत आत्माओं की स्मृति में, स्मृति वन स्मारक 9/11 स्मारक और हिरोशिमा स्मारक के बराबर है। उन्होंने लोगों और स्कूली बच्चों से स्मारक का दौरा करते रहने को कहा ताकि प्रकृति का संतुलन और व्यवहार सबके लिए साफ रहे।
प्रधानमंत्री ने विनाशकारी भूकंप की पूर्व संध्या को याद किया। उन्होंने कहा “मुझे याद है जब भूकंप आया था तो उसके दूसरे दिन ही मैं यहां पहुंच गया था। तब मैं मुख्यमंत्री नहीं था, साधारण सा कार्यकर्ता था। मुझे नहीं पता था कि मैं कैसे और कितने लोगों की मदद कर पाऊंगा। लेकिन मैंने ये तय किया कि दु:ख की इस घड़ी में, मैं यहां आप सबके बीच में रहूँगा। और जब मैं मुख्यमंत्री बना तो सेवा के अनुभव ने मेरी बहुत मदद की।” उन्होंने क्षेत्र के साथ अपने गहरे और लंबे जुड़ाव को याद किया, और उन लोगों को याद किया और श्रद्धांजलि अर्पित की जिनके साथ उन्होंने संकट के दौरान काम किया।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ” कच्छ की एक विशेषता तो हमेशा से रही है, जिसकी चर्चा मैं अक्सर करता हूं। यहां रास्ते में चलते-चलते भी कोई व्यक्ति एक सपना बो जाए तो पूरा कच्छ उसको वटवृक्ष बनाने में जुट जाता है। कच्छ के इन्हीं संस्कारों ने हर आशंका, हर आकलन को गलत सिद्ध किया। ऐसा कहने वाले बहुत थे कि अब कच्छ कभी अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाएगा। लेकिन आज कच्छ के लोगों ने यहां की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है।” उन्होंने याद किया कि भूकंप के बाद पहली दिवाली, लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए उन्होंने और उनके राज्य मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने क्षेत्र में बिताई। उन्होंने कहा कि चुनौती की उस घड़ी में, हमने घोषणा की कि हम आपदा को अवसर (‘आपदा से अवसर’) में बदल देंगे। “जब मैंने लाल किले की प्राचीर से कहा कि भारत 2047 तक, एक विकसित देश होगा, आप देख सकते हैं कि मृत्यु और आपदा के बीच, हमने कुछ संकल्प किए और उन्हें आज हमने उन्हें हकीकत में बदला। इसी तरह, आज हम जो संकल्प लेंगे, उसे 2047 में निश्चित रूप से हकीकत में बदल देंगे।’
2001 में पूरी तरह से तबाही मचने के बाद किए गए अविश्वसनीय कार्यों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2003 में कच्छ में क्रांतिगुरु श्यामजी कृष्णवर्मा विश्वविद्यालय का गठन किया गया था, जबकि 35 से अधिक नए कॉलेज भी स्थापित किए गए हैं। उन्होंने भूकंपरोधी जिला अस्पतालों और क्षेत्र में कार्य कर रहे 200 से अधिक क्लीनिकों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि हर घर को पवित्र नर्मदा का साफ पानी मिलता है, जो पानी की कमी के दिनों में बहुत दूर की बात थी। उन्होंने क्षेत्र में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के कदमों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कच्छ के लोगों के आशीर्वाद से, सभी प्रमुख क्षेत्रों को नर्मदा के पानी से जोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा, “कच्छ भुज नहर क्षेत्र के लोगों और किसानों को लाभान्वित करेगी”। उन्होंने कच्छ को पूरे गुजरात का नंबर एक फल उत्पादक जिला बनने के लिए बधाई दी। उन्होंने पशु पालन और दूध उत्पादन में अभूतपूर्व प्रगति करने के लिए लोगों की सराहना की। उन्होंने कहा, “कच्छ ने न केवल खुद को उठाया है बल्कि पूरे गुजरात को नई ऊंचाइयों पर ले गया है”।
प्रधानमंत्री ने उस समय को याद किया जब गुजरात एक के बाद एक संकट से जूझ रहा था। उन्होंने कहा, “जब गुजरात प्राकृतिक आपदा से निपट रहा था, तब साजिशों का दौर शुरू हो गया था। देश और दुनिया में गुजरात को बदनाम करने के लिए, यहां निवेश को रोकने के लिए एक के बाद एक साजिशें की गईं। ऐसी स्थिति में भी एक तरफ गुजरात देश में आपदा प्रबंधन कानून बनाने वाला पहला राज्य बना। इस कानून ने महामारी के दौरान देश की हर सरकार की मदद की”। उन्होंने कहा कि गुजरात को बदनाम करने के सभी प्रयासों की अनदेखी करना जारी रखा और षड्यंत्रों को धता बताते हुए गुजरात ने एक नया औद्योगिक मार्ग निकाला, कच्छ को उसका सबसे अधिक लाभ मिला।
उन्होंने कहा कि कच्छ में आज दुनिया का सबसे बड़ा सीमेंट संयंत्र है। वेल्डिंग पाइप निर्माण के मामले में कच्छ दुनिया में दूसरे स्थान पर है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा संयंत्र कच्छ में है। एशिया का पहला एसईजेड कच्छ में बना है। कांडला और मुंद्रा बंदरगाह भारत के कार्गो का 30 प्रतिशत संभालते हैं और यह देश के लिए 30 प्रतिशत नमक का उत्पादन करता है। कच्छ सौर और पवन ऊर्जा से उत्पन्न 2500 मेगावाट बिजली का उत्पादन करता है और कच्छ में सबसे बड़ा सौर हाइब्रिड पार्क बनने वाला है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि देश में आज जो ग्रीन हाउस अभियान चल रहा है, उसमें गुजरात की बहुत बड़ी भूमिका है। इसी तरह जब गुजरात, दुनिया भर में ग्रीन हाउस कैपिटल के रूप में अपनी पहचान बनाएगा, तो उसमें कच्छ का बहुत बड़ा योगदान होगा।
पंच प्रण में से एक-अपनी विरासत पर गर्व को याद करते हुए, जिसे उन्होंने लाल किले की प्राचीर से घोषित किया था, प्रधानमंत्री ने कच्छ की खुशहाली और समृद्धि पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने धौलावीरा की इमारतों के निर्माण की विशेषज्ञता पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “नगर निर्माण को लेकर हमारी विशेषज्ञता धौलावीरा में दिखती है। पिछले वर्ष ही धौलावीरा को वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है। धौलावीरा की एक-एक ईंट हमारे पूर्वजों के कौशल, उनके ज्ञान-विज्ञान को दर्शाती है।” इसी तरह, लंबे समय तक उपेक्षित स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना भी किसी की विरासत पर गर्व करने का हिस्सा है। उन्होंने श्यामजी कृष्ण वर्मा के अवशेषों को वापस लाने की सुविधा की चर्चा की। उन्होंने कहा, मांडवी में स्मारक और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भी इस संबंध में बड़े कदम हैं।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कच्छ का विकास ‘सबका प्रयास’ के साथ एक सार्थक बदलाव का एक आदर्श उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा,“कच्छ सिर्फ एक स्थान नहीं है, बल्कि ये एक स्पिरिट है, एक जीती-जागती भावना है। ये वो भावना है, जो हमें आज़ादी के अमृतकाल के विराट संकल्पों की सिद्धि का रास्ता दिखाती है।”
इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, सांसद श्री सी. आर. पाटिल और श्री विनोद एल. चावड़ा, गुजरात विधानसभा अध्यक्ष डॉ. निमाबेन आचार्य, राज्य मंत्री किरीटसिंह वाघेला और जीतूभाई चौधरी उपस्थित थे।
परियोजनाओं का विवरण
प्रधानमंत्री ने भुज जिले में स्मृति वन स्मारक का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित, स्मृति वन अपनी तरह की एक अनूठी पहल है। इसे 2001 के भूकंप के दौरान अपनी जान गंवाने वाले लगभग 13,000 लोगों की मौत के बाद लोगों द्वारा दिखाई गई लचीलेपन की भावना का जश्न मनाने के लिए लगभग 470 एकड़ के क्षेत्र में बनाया गया है। भूकंप का केन्द्र भुज में था। इस स्मारक में उन लोगों के नाम हैं जिन्होंने भूकंप के दौरान अपनी जान गंवाई थी।
अत्याधुनिक स्मृति वन भूकंप संग्रहालय सात विषयों: पुनर्जन्म, पुन:खोज, पुनर्स्थापना, पुनर्निर्माण, पुनर्विचार, पुन: जीवित और नवीनीकरण पर आधारित सात खंडों में विभाजित है। पहला खंड पृथ्वी के विकास और पृथ्वी की क्षमता को दर्शाने वाले पुनर्जन्म विषय पर आधारित है। दूसरा खंड गुजरात की भौगोलिक स्थिति और राज्य की दृष्टि से अतिसंवेदनशील विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं को प्रदर्शित करता है। तीसरा खंड किसी को भी 2001 के भूकंप के तुरंत बाद के परिणामों की ओर ले जाता है। इस खंड की गैलरियों में व्यक्तियों के साथ संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए राहत प्रयासों को दिखाया गया है। चौथा खंड 2001 के भूकंप के बाद गुजरात की पुनर्निर्माण पहल और सफलता की कहानियों को प्रदर्शित करता है। पांचवां खंड आगंतुक को विभिन्न प्रकार की आपदाओं के बारे में सोचने और उनसे सीखने तथा किसी भी समय किसी भी प्रकार की आपदा के लिए भविष्य में तैयार रहने के लिए प्रेरित करता है। छठा खंड हमें एक सिम्युलेटर की मदद से भूकंप का फिर से अनुभव लेने में मदद करता है। अनुभव को 5डी सिम्युलेटर में डिज़ाइन किया गया है और इसका उद्देश्य आगंतुक को इस स्केल पर एक घटना की जमीनी हकीकत बताना है। सातवां खंड लोगों को एक ऐसी जगह प्रदान करता है जहां वे खोए हुए लोगों को याद करते हुए दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने भुज में लगभग 4400 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। प्रधानमंत्री ने सरदार सरोवर परियोजना की कच्छ शाखा नहर का भी उद्घाटन किया। नहर की कुल लंबाई लगभग 357 किमी है। नहर के एक हिस्से का प्रधानमंत्री ने 2017 में उद्घाटन किया था और शेष भाग का उद्घाटन अभी किया जा रहा है। नहर कच्छ में सिंचाई की सुविधा और कच्छ जिले के सभी 948 गांवों और 10 कस्बों में पेयजल उपलब्ध कराने में मदद करेगी। प्रधानमंत्री कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेंगे जिनमें सरहद डेयरी का नया स्वचालित दूध प्रसंस्करण और पैकिंग प्लांट; क्षेत्रीय विज्ञान केन्द्र, भुज; गांधीधाम में डॉ. बाबा साहेब अम्बेडकर कन्वेंशन सेंटर; अंजार में वीर बाल स्मारक; नखतराना में भुज 2 सबस्टेशन आदि शामिल हैं। प्रधानमंत्री भुज-भीमासर रोड सहित 1500 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं की भी आधारशिला रखेंगे।
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