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शिक्षा

“क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला, का दूसरा दिन

कानपुर 13 मार्च, भौतिक विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।

आज दूसरे दिन के तीसरे तकनीकी सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA ने दो व्याख्यानों में क्वांटम भौतिकी के मूल सिद्धांतों को विस्तार में पढ़ाया जो क्वान्टम अनुप्रयोगों को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

चौथे तकनीकी सत्र के प्रथम व्याख्यान में भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरू के प्रोo सीo एमo चंद्रशेखर ने क्वांटम सिमुलेशन के विषय में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि क्वांटम सिमुलेशन के द्वारा दूसरे व्याख्यान में टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान के प्रोo आरo विजयराघ्वन ने आईबीएम क्वांटम कंप्यूटर के बारे में विस्तार से बताया। आज कार्यशाला का विशिष्ट व्याख्यान प्रोo एसo एo रामाकृष्णा, निदेशक, CSIR-CSIO, चंडीगढ़ के द्वारा दिया गया जिसमे उन्होंने मेटामैटेरियल के अनुप्रयोगों की विस्तार में चर्चा की। कार्यशाला के सभी सत्रों की अध्यक्षता क्रमश डाo राजेश कुमार द्विवेदी, सत्य प्रकाश सिंह, रवि प्रकाश महलवाला तथा मनीष कपूर ने की। तकनीकी संचालन श्री अतहर रशीद द्वारा किया गया।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के भाैतिक विज्ञान विभाग, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन

भौतिक विज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, भारतीय विज्ञान अकादमी बंगलुरू, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी दिल्ली एवं राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में “क्वांटम सूचना के तत्व” विषय पर व्याख्यान कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। इसका उदघाटन आज गूगल मीट प्लेटफार्म पर डाo सबीना बोदरा, विभागाध्यक्ष अर्थशास्त्र विभाग द्वारा ईश वंदना से प्रारंभ हुआ।

कार्यशाला का विषय प्रवर्तन करते हुए भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष एवम समन्वयक डाo राजेश कुमार द्विवेदी ने बताया कि क्वांटम भौतिकी का उद्गम कैसे हुआ तथा विगत 100 वर्षों में आज उसके विभिन्न अनुप्रयोग जैसे Quantum computing, Quantum cryptography आदि कितने महत्वपूर्ण है कि उसके विकास के लिए प्रकाश तरंगों तथा उनकी मूलभूत क्वान्टम विशेषतायो का प्रयोग किया जाता है ।मुख्य अतिथि प्रोo एच० एस० मनि, सेवानिवृत्त IIT, Kanpur + निदेशक, HRI, Allahabad तथा वर्तमान में Adjunct Professor, CMI ने आज के युग को क्वांटम भौतिकी का युग बताया तथा इस प्रकार की कार्यशालाओ के संपादन के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि बदलते परिवेश में हमें भी सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि क्वान्टम कंप्यूटिंग असीमित संभावनाओं वाली टेक्नोलॉजी है। क्वांटम संचार प्रणाली बैंकिंग, रक्षा व सामरिक एजेंसियों के लिए सुरक्षित संचार स्थापित करने में अत्यंत कारगर साबित होगी। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोo अनिर्बान पाठक, FNA, जेपी यूनिवर्सिटी नोएडा और प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA, मुंबई विश्वविद्यालय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि क्वान्टम तकनीकियों में क्वांटम कंप्यूटिंग, क्वांटम संचार, क्वांटम प्रकाशिकी, क्वांटम सूचना प्रसंस्करण, क्वांटम इंटरनेट और क्वांटम कृत्रिम बुद्धिमत्ता शामिल है। कालेज के प्राचार्य डाo जोसेफ डेनियल ने कहा कि क्वान्टम कार्यशाला केवल भौतिक विज्ञान के छात्रों और शिक्षकोंके लिए ही नहीं बल्कि रसायन, जीव विज्ञान तथा इंजीनियरिंग के लिए भी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने इस विशेष विषय पर कार्यशाला के कालेज में आयोजन के लिए तीनों विज्ञान अकादमी का आभार व्यक्त किया। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कालेज प्रबंधन समिति के सचिव रेवo सैमुएल पाल लाल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बयाया कि आज का क्वांटम कंप्यूटर किसी भी ऐसी गणना को कर सकता है जिसमे आधुनिक सुपर कंप्यूटर करने में सक्षम नहीं है। इसीलिए पिछले वित्त वर्ष में हमारी सरकार ने 8000 करोड़ खर्च का एलान क्वान्टम टेक्नालॉजी के लिए किया था। कार्यशाला का धन्यवाद प्रस्ताव एवम कुशल संचालन उप समन्वयक डाo सत्य प्रकाश सिंह ने किया।

पहले तकनीकी सत्र में मुंबई विश्वविद्यालय की भौतिक विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोo अनुराधा मिश्रा FNA ने दो व्याख्यानों में क्वांटम भौतिकी के मूल सिद्धांतों को विस्तार में पढ़ाया।

दूसरे तकनीकी सत्र के प्रथम व्याख्यान में प्रोo अनिर्बान पाठक, FNA, जेपी यूनिवर्सिटी नोएडा ने क्वांटम प्रयोगशाला के मूल अंग क्वान्टम गेट, क्वान्टम परिपथ द्वारा क्वांटम कंप्यूटर की संकल्पना को परिलक्षित किया।

दूसरे व्याख्यान में हरीश चंद्र अनुसंधान संस्थान, प्रयागराज की शांति स्वरुप भटनागर पुरस्कार विजेता प्रोo अदिति सेन डे ने क्वांटम संचार विषय को विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार क्वांटम संचार अधिक सुरक्षित है ।क्वांटम संचार एप्लाइड क्वांटम भौतिकी का एक क्षेत्र है, जो क्वांटम सूचना प्रसंस्करण और क्वांटम टेलीपोर्टेशन से सम्बंधित है। इसका सबसे महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग कर सूचना चैनलों की होने वाली जासूसी को रोकना है। क्वांटम क्रिप्टोग्राफी का सबसे विकसित अनुप्रयोग क्वांटम कुंजी वितरण (QAD) है। इस प्रणाली के संचालन में दो पक्ष एकल फोटॉन (एक क्वांटम कण) का उपयोग करते हैं, विभिन्न QAD इस तरह से डिज़ाइन किये जाते है कि संचार में उपयोग होने वाले फोटॉन में किसी प्रकार की हेराफेरी होने पर सम्पूर्ण संचार प्रणाली को रोका जा सके। इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थानों के 200 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। उदघाटन समारोह में कालेज परिवार के वाणिज्य विभाग के अध्यक्ष प्रोo नलिन कुमार, डाo शिप्रा श्रीवास्तव, राजनीति विभाग के अध्यक्ष डाo आशुतोष सक्सेना, दर्शन शास्त्र विभाग के अध्यक्ष

डाo दिनेश चंद्र श्रीवास्तव, गणित विभाग के अध्यक्ष डाo आरo केo जुनेजा, रसायन विज्ञान की डाo मीतकमल, भौतिक विज्ञान विभाग के प्रोo आरo पीo महलवाल तथा डाo मनीष कपूर आदि उपस्थित रहे। कार्यशाला का तकनीकी संचालन श्री अतहर रशीद द्वारा किया जा रहा है।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर ने महिला सप्ताह का आयोजन किया

कानपुर 8 मार्च क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के महिला प्रकोष्ठ ने   महिला सप्ताह का आयोजन किया – जिसमें मानसिक क्षमता से लेकर आत्मरक्षा के साथ-साथ लैंगिक समानता पर सामान्य जागरूकता कार्यक्रम: 2 – 8 मार्च, 2021 तक “मिशन शक्ति” – महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की एक पहल, के तत्वावधान में विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का प्रदर्शन किया गया।
महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका, डॉo शिप्रा श्रीवास्तव, एसोसिएट प्रोफेसर, वाणिज्य विभाग, एवं समन्वयक डॉo मीतकमल, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने 2 जून 2021 को पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन करके सप्ताह भर चलने वाले उत्सव की शुरुआत की। विषय था – “महिलाएं, समाज का एक मजबूत स्तंभ”। निर्णायक डॉo सबीना बोदरा और डॉo मृदुला सैमसन थीं।

विजेता थे: प्रथम: ख़ुशी मल्होत्रा; द्वितीय: तरुण गर्ग; तृतीय: ज़ेबा
3 मार्च 2021 को, गूगल मीट प्लेटफ़ॉर्म पर “महिलाओं के भावनात्मक स्वास्थ्य” विषय पर एक वार्ता आयोजित की गई थी। यह वक्तव्य एच.एन.बी. गवर्नमेंट पी.जी. कॉलेज, नैनी, उत्तर प्रदेश कि एसोसिएट प्रोफेसर डॉo पूनम शुक्ला द्वारा दी गई थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अच्छा भावनात्मक स्वास्थ्य, चुनौतियों के बावजूद खुद को सर्वश्रेष्ठ देखने में मदद करता है। सकारात्मक दृष्टिकोण रखने से व्यक्ति अधिक ऊर्जावान महसूस करता है और ध्यान केंद्रित करने और अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद करता है, जबकि नकारात्मक भावनात्मक स्वास्थ्य, मानसिक संसाधनों को कम कर देता है और थकावट की ओर ले जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि महिलाओं में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। आठ पुरुषों में से एक – (12%) की तुलना में लगभग पांच महिलाओं में एक – (19%) कॉमन मेंटल डिसऑर्डर (जैसे चिंता या अवसाद) से पीड़ित हैं। इस बात के स्पष्ट प्रमाण हैं कि महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य हिंसा और दुर्व्यवहार के उनके अनुभवों से जुड़ा हुआ है।
4 मार्च 2021 को, महिला सशक्तिकरण से संबंधित विभिन्न विषयों पर एक आशु-भाषण (एक्सटेंपोर) का आयोजन किया गया था। छात्रों ने अपने शब्दों के माध्यम से अपनी धारणा प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम का समन्वयन, डॉo विभा दीक्षित और डॉo अनिंदिता भट्टाचार्य ने किया। इस कार्यक्रम का संचालन डॉo आशुतोष सक्सेना और डॉo सोफिया शहाब ने किया। विजेता थे: प्रथम: ख़ुशी मल्होत्रा; द्वितीय: राकेश; तृतीय: रैना
5 मार्च 2021 को एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। इस कार्यक्रम का समन्वयन डॉo अनिंदिता भट्टाचार्य और डॉo श्वेता चंद ने किया। विजेता थे:
प्रथम: सुधाकर चौधरी; द्वितीय: अभिषेक पाल; तृतीय: अभिषेक गौतम और मानसी मिश्रा
अगला कार्यक्रम जूडो और ताइक्वांडो में राष्ट्रीय प्रशिक्षक श्री प्रयाग सिंह द्वारा आत्म-रक्षा प्रशिक्षण था। यह कार्यक्रम 6 मार्च 2021 को कॉलेज हॉल में आयोजित किया गया था।
सप्ताह भर चलने वाला कार्यक्रम 8 मार्च 2021 को एक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से कॉलेज के छात्रों द्वारा दिए गए ज्ञानवर्धक संदेश के साथ समाप्त हुआ। डॉo मीतकमल के कुशल मार्गदर्शन में इस कार्यक्रम को शानदार ढंग से लिखा गया और प्रदर्शित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज के सेक्रेटरी गवर्निंग बॉडी, रेवo सैमुअल पॉल लाल द्वारा की गई प्रार्थना के बाद हुई, जिसके बाद प्रिंसिपल डॉo जोसेफ डैनियल द्वारा दिया गया संबोधन था। उन्होंने महिला प्रकोष्ठ और साहित्यिक क्लब को उनकी पहल के लिए बधाई दी। उन्होंने छात्रों को महिला दिवस के इतिहास के बारे में भी बताया और छात्राओं को समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, कॉलेज लिटरेरी क्लब ने “बोल के लब अज़ाद है तेरे” नामक एक महिला केंद्रित संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया। इसकी अवधारणा साहित्य क्लब के संयोजक, डॉo अवधेश मिश्रा और सुश्री शेरोन लाल ने की थी।
वनस्पति विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉo जेड. एच. खान ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से  श्री नलिन श्रीवास्तव, डॉ विभा दीक्षित, डॉ अरवििंद सिंह, आर.के. जुनेजा, डॉo सुजाता चतुर्वेदी, डॉo संगीता गुप्ता और बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में “दैनिक जीवन में रसायन” कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 11 दिसम्बर क्राइस्ट चर्च कॉलेज में     एक व्याख्यान श्रृंखला “दैनिक जीवन में रसायन”   कार्यक्रम  आयोजित किया गया । कार्यक्रम में सभी छात्रों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर गुप्ता ने किया । कार्यक्रम की शुरुआत मैं डॉ ए के नेथेनियल द्वारा प्रार्थना की गई । क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने छात्रों को रसायन विज्ञान की श्रृंखला की अहमियत बताई । इस श्रृंखला का आयोजन कार्यक्रम सं योजि का डॉ मीत कमल के संरक्षण में किया गया । इस श्रृंखला में अतिथि वक्ता रहे डॉ सौ रभ कुमार सिंह जो कि आईआईटी हैदराबाद के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं जो क्राइस्टचर्च कॉलेज   कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके हैं । जिन्होंने एक्सप्लोरिंग केमिस्ट्री विद कंपाउंड ऑफ पावरफुल टूल फॉर न्यू एज केमिस्ट नामक विषय पर चर्चा की जिससे छात्र आनंदित हुए । रेवरान सैमुअल पौल कॉलेज के पेट्रेन ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा  बढ़ाई । डॉ श्रद्धा सिन्हा एक्ट वाइस प्रेसिडेंट ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया। इस श्रृंखला में छात्रों ने गीत व नाटक के माध्यम से आम जनता के मध्य रसायन विज्ञान के महत्व को प्रदर्शित किया । छात्रों ने खाने की वस्तुओं में हुई मिलावट के बारे में जानकारी दी । कार्यक्रम में तरुणा , एकता , शिवम , अजमा , भावना को पल मधुरिमा , शबनम, सुधाकर , अर्पित , वैष्णवी , अनि रुद्ध शि वांगी , शिरीन , रिनी , दीपेंद्र आदि छात्र उपस्थित रहे । कार्यक्रम में रसायन विज्ञान की शिक्षिका डॉ ज्योत्स्ना लाल , डॉ श्वेता चंद एवं अन्य शिक्षक उपस्थित रहे । कार्यक्रम में 200 प्रतिभागी मौजूद थे । अंत में डॉ आनंदिता भट्टाचार्य धन्यवाद सभी को दिया । 

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एस एन सेन बा. वि.पी जी कॉलेज तथा आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में किशोरी स्वास्थ्य एवं योग विषय पर कार्यशाला का आयोजन

 

 

कानपुर 7 दिसम्बर एस.एन.सेन बा.वा.पी.जी कॉलेज, कानपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग तथा आरोग्य भारती ने ‘किशोरी स्वास्थ्य एवं योग’ विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय जी आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव मुख्य अतिथि रहे।
कार्यशाला का शुभारंभ सरस्वती पूजा तथा धनवंतरी इस्तवंन से हुआ। महाविद्यालय के सचिव श्री प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव श्री शुभ्रो सेन, प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल, मुख्य अतिथि श्री अशोक कुमार वार्ष्णेय, श्री गोविन्द जी, डॉ . बी.एन आचार्य, डॉ. सीमा द्विवेदी ने दीप प्रज्वलित किया तथा प्राचार्या निशा अग्रवाल ने कार्यशाला की औपचारिक उद्घाटन की घोषणा की। श्री अशोक कुमारवार्ष्णेय जी ने अपने उद्बोधन में स्वस्थ रहने के गुर बताए और बिना औषधि योग और संयम से कैसे स्वस्थ रहें पर बल दिया।
उन्होंने बताया कि आस-पास उपस्थित वनस्पतियों द्वारा संयमित जीवन, तथा एक-तीन-आठ (एक घंटे श्रम, तीन बार भोजन तथा आठ घंटे सोना) ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है। डॉ. सीमा द्विवेदी, एसोसिस्ट प्रोफेसर, मैडिकल कॉलेज, कानपुर ने किशोरी स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्याओं को योग के माध्यम से किस प्रकार समाधान करें ये बताया।
कार्यक्रम का संकलन ,संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रीति सिंह, असिस्टेंट प्रोफेसर वनस्पति विज्ञान विभाग ने किया। कार्यक्रम में छात्राओं के अतिरिक्त सभी शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सक्रिय प्रतिभाग किया। साथ ही छात्राओं को मास्क तथा ‘वैरी श्योर’ सेनेटरी पैड का मुफ्त वितरण किया गया।

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अंतर्विरोध (लघु कथा)

सुबह से ही रसोई में नाना प्रकार के पकवान बनने की तैयारियां हो रही थी. कभी रसोई में न जाने वाली ‘कुसुम’ अपनी ‘मेड’ लक्ष्मी को समझा रही थी- “लक्ष्मी, कचौरियां खूब स्वादिष्ट होनी चाहिए… और दही बड़े रूई जैसे मुलायम मटर पनीर चटपटी, दादी को स्वादिष्ट खाना बहुत पसंद था, वो खुद भी बहुत अच्छा बनाती थीं, मैंने तो २५ साल उनके हाथ का खाना खाया है,और हाँ, भरवां बैगन और खीर ज़रूर बनाना.

(डॉ रानी वर्मा )

‘सोना’ को माँ की बातों में एक अजीब सा उत्साह व दादी के प्रति अपार लगाव, जुड़ाव, सेवा-भाव दिखाई दे रहा था. वह आश्चर्य चकित थी! ऐसा क्या हो गया? कैसे माँ के मन में दादी के प्रति इतना प्रेम उमड़ रहा है? आखिरकार उसने पूछ ही लिया, “ माँ, आज ऐसा क्या है? इतने पकवान बन रहे हैं और विशेष रूप से दादी की पसंद के?” कुसुम बड़े गर्व से सर उठा कर बोल पड़ी, अरे सोना, “आज मातृ-नवमी है, तेरी दादी का श्राद्, आज के दिन ब्राह्मणी को भोजन कराने से पुन्य मिलता है, पितृदोष दूर होता है, इसीलिए आज तेरी दादी की पसंद के पकवान बन रहे हैं, तेरी दादी खुश होकर आशीर्वाद देंगी और हमें पितृदोष नहीं लगेगा.”

सोना हतप्रभ थी. अतीत की धुंधली स्मृतियाँ उसके मानस-पटल पर अंकित होने लगीं. जब असहाय दादी बिस्तर पर पड़े-पड़े खाने के लिए मांगती, तो माँ अक्सर झिड़क दिया करती, “सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े खाओगी तो पचेगा कैसे?” बेस्वाद सब्जी, कड़े-कड़े दही बड़े, मोटी–मोटी रोटी, जो दादी अपने पोपले मुंह से खा भी नहीं पाती थी, माँ उन्हें खाने को देती. दादी ठीक से खा भी नहीं पाती, लेकिन माँ को कोई फर्क नहीं पड़ता, वह मुंह बिचका कर, सिर झटकते हुए, ‘उहं’ कह कर अपने बेड-रूम में चली जाती.

माँ की तीखी आवाज़ से सोना का ध्यान टूटा, “सोना, दादी के पलंग पर नई चादर, जो मैं कल लाई हूँ, पंडिताइन को देने के लिए, वो बिछा दे…, और वह साड़ी का पैकेट भी वहीँ रख दे”, कुसुम बोले जा रही थी और सोना को दादी की मैली-कुचैली, फटी धोती और पलंग पर महीनों से बिछी पुरानी चादर याद आ रही थी. दादी जब चादर बदलने को कहती, माँ फटकार देती –“ क्या करोगी चादर बदलवा कर? दिन भर ऐसे ही तो पड़े रहना है. कौन आ रहा है आपके कमरे में जो चादर देखेगा?” दादी आँखों में आंसू भरे, करवट लिए चुपचाप पड़ी रहती.

पंडिताइन के लिए ऐसी आवभगत, स्वागत-सत्कार की तैयारी देख कर सोना का मन स्वार्थ और आडम्बर के सामाजिक अंतर्विरोध की अतल गहराइयों में डूबने लगा, उसका मन चीख-चीख कर पूछ रहा था ‘माँ, ऐसी सेवा और सत्कार दादी को जीवित रहते क्यों नहीं मिला?’

(डॉ रानी वर्मा: 10 अक्टूबर 2020)

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शिक्षक पर्व पहल के तहत ‘समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर’ विषय पर वेबिनार

शिक्षा मंत्रालय ने शिक्षक पर्व के तहत नई शिक्षा नीति (एनईपी 2020) की प्रमुख विशेषताओं को उभारने के लिए यूजीसी के साथ संयुक्त रूप से “समग्र और बहुविषयी शिक्षा की ओर” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया। अध्यापकों को सम्मानित करने और नई शिक्षा नीति-2020 को आगे ले जाने के लिए 8 सितंबर से 25 सितंबर, 2020 तक शिक्षक पर्व मनाया जा रहा है।

इसमें दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनु सिंह लाथेर, हरियाणा के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. आर. सी. कुहाड़, बीपीएस महिला विश्वविद्यालय की उपकुलपति प्रो. सुषमा यादव, पंजाब के केंद्रीय विश्वविद्यालय के उपकुलपति कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी और अंग्रेजी व विदेशी भाषा विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. सुरेश कुमार ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा समेत विभिन्न उप-विषयों पर अपनी बातें रखीं।

“समग्र और बहु-विषयी शिक्षा” विषय पर प्रो. आरसी कुहाड़ ने कहा कि मूल्यों की व्यवस्था, जीवन के स्थायी दर्शन, बहुलता और बहु-विषयी चीजों के आदर जैसी विशिष्टताएं और समग्र शिक्षा प्रणाली ने ही वास्तव में प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित किया था। उन्होंने एनईपी 2020 के विभिन्न पहलुओं जैसे एसटीईएम विषयों के साथ मानविकी और कला विषयों के एकीकरण, प्रवेश लेने और बाहर निकलने की लचीली व्यवस्था, स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के पुनर्गठन, व्यावसायिक शिक्षा को मुख्यधारा में लाने और एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट आदि पर विस्तार से बातें रखीं। उन्होंने बताया कि कैसे इन सभी सिफारिशों ने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा में नई रुचि जगाई है और भारत को एक बार फिर विश्वगुरु बनने के रास्ते पर ले आई है।

प्रो. सुषमा यादव ने “समग्र और बहुविषयी उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान (आधारित) समाज निर्माण” विषय पर एक गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान की। 2014 के बाद से सरकार की विभिन्न पहलों का उल्लेख करते हुए प्रो. सुषमा यादव ने बताया कि एनईपी-2020 में समग्र और बहु-विषयी सुधार सरकार के नवाचार, लचीलेपन और मुक्त पाठ्यक्रम की संस्कृति को विकसित करने के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं। इसमें समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को विकसित करने का जो तरीका है, वह शिक्षा को ज्यादा प्रयोगात्मक, रोचक, एकीकृत, जिज्ञासा निर्देशित, अन्वेषण उन्मुखी, सीखने पर केंद्रित, विमर्श आधारित, लचीला और आनंददायक बनाता है। प्राचीन काल में बेहतर शिक्षा प्रणाली के गठन में शामिल तत्वों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न कलाओं के ज्ञान और उनके आधुनिक इस्तेमाल की धारणा हमें 21वीं सदी में बढ़त दिलाने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा को एक अलग क्षेत्र में स्थापित करेगी।

प्रो. आर. पी. तिवारी ने अपने भाषण में एनईपी 2020 में परिकल्पित समग्र और बहुविषयी शिक्षा की प्राचीन और मध्यकालीन भारत के गुरुकुलों में मिलने वाली शिक्षा से तुलना करते हुए “समग्र और बहुविषयी शिक्षा के साथ युवाओं के सशक्तिकरण” पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उस दौर में कैसे गुरुकुलों ने मानवों और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाई थी। अपने संबोधन में उन्होंने सभी हितधारकों से एनईपी 2020 को लागू करने में योगदान करने की अपील की, क्योंकि एनईपी 2020 में भारत को ‘आत्मनिर्भर भारत’ बनाने की क्षमता है।

प्रो. सुरेश कुमार की बातें “बहु-विषयी और समग्र दृष्टिकोण के जरिए उच्च शिक्षा में बदलाव” पर केंद्रित रहीं, जो एनईपी 2020 के प्रस्तावित उद्देश्यों में से एक है। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि इस नीति के बारे में एक प्रमुख बात है कि यह एक व्यक्ति के सामने यह सीखने की जरूरत पैदा करती है कि उसे कैसे सीखना है। इसके अलावा उन्होंने 2030 तक सभी जिलों में एक बहु-विषयी संस्थान बनाने की योजना के बारे में विस्तार से बताया, जहां वैश्विक मांगों के अनुरूप मुक्त विषय संयोजनों को चुनने की छूट होगी। उनकी बातों ने अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्यों, शिक्षकों शिक्षा में सुधार और विनियामक सुधारों पर प्रकाश डाला और इन सुधारों को बहु-विषयी व्यवस्था के जरिए जैसे विभिन्न वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए सही दिशा में उठाया गया कदम माना।

प्रो. अनु सिंह लाथेर ने कहा कि यह केवल विषय विशेष के ज्ञान को ही नहीं, जो मायने रखता है, बल्कि यह भी मायने रखता है कि संवाद को कैसे चलाने की जरूरत है। उन्होंने समग्र और बहु-विषयी शिक्षा को अपनाने के अलावा शिक्षा को ज्यादा व्यापक बनाने और बहु-विषयी संस्कृति को प्राप्त करने के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।

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प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति–2020 के तहत ‘21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ विषय पर संगोष्ठी को संबोधित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 21वीं सदी में स्कूली शिक्षा विषय पर एकसंगोष्ठी को संबोधित किया। शिक्षक पर्व 2020 के एक हिस्से के तौर पर शिक्षा मंत्रालय द्वारा ‘21वीं सदी में स्कूली शिक्षा’ विषय पर आयोजित एक दो-दिवसीय संगोष्ठी की आभासी शुरुआत 10 सितंबर 2020 को हुई। इस संगोष्ठी का आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा शिक्षक पर्व के एक हिस्से के तौर पर किया गया। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल; केन्द्रीय शिक्षा राज्यमंत्री श्री संजय धोत्रे; उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री अमित खरे तथा स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव श्रीमती अनीता करवाल ने भी इस कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर नई शिक्षा नीति की मसौदा समिति के अध्यक्ष डॉ. कस्तूरीरंगन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मसौदा समिति के सदस्य प्रोफेसर एम. के. श्रीधर, नई शिक्षा नीति की मसौदा समिति के सदस्य प्रोफेसर मंजुल भार्गव तथा नई शिक्षा नीति की मसौदा समिति की सदस्य डॉ. शकीला शम्सु भी उपस्थित थीं।

इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 21वीं सदी के भारत को एक नई दिशा देने जा रही है और हम एक ऐसे क्षण का हिस्सा बन रहे हैं जो हमारे देश के भविष्य के निर्माण की नींव रख रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में हमारे जीवन का शायद ही कोई पहलू पहले जैसा रहा हो, फिर भी हमारी शिक्षा प्रणाली अभी भी पुरानी व्यवस्था के तहत चल रही है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति नई आकांक्षाओं, एक नए भारत के नए अवसरों को पूरा करने का एक साधन है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पिछले 3 से 4 वर्षों में हर इलाके, हर क्षेत्र एवं हर भाषा के लोगों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस नीति के कार्यान्वयन के साथ वास्तविक कार्य अब शुरू होगा। उन्होंने शिक्षकों से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी नीति की घोषणा के बाद कई सवालों का उठना जायज है और  आगे बढ़ने के लिए इस संगोष्ठी में वैसे मुद्दों पर चर्चा करना आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए प्रधानाध्यापक एवं शिक्षक इस चर्चा में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के बारे में देशभर के शिक्षकों से एक सप्ताह के भीतर 1.5 मिलियन से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जावान युवा किसी देश के विकास के साधन होते हैं, लेकिन उनका विकास उनके बचपन से शुरू हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा, उन्हें मिलने वाला सही माहौल, काफी हद तक यह निर्धारित करता है कि वह व्यक्ति अपने भविष्य में क्या बनेगा और उसका व्यक्तित्व कैसा होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 इस पर बहुत जोर देती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्री–स्कूल वह अवस्था है, जहां बच्चे अपनी इंद्रियों, अपने कौशल को बेहतर ढंग से समझने लगते हैं। इसके लिए, स्कूलों एवं शिक्षकों को बच्चों को मजेदार तरीके से  सीखने, खेल के साथ सीखने, गतिविधि आधारित सीखने तथा खोज आधारित सीखने का माहौल प्रदान करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे बच्चे की उम्र बढ़ती है, उसमें अधिक से अधिक सीखने की भावना, वैज्ञानिक एवं तार्किक सोच, गणितीय सोच तथा वैज्ञानिक चेतना विकसित करना बहुत आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने पुरानी 10 प्लस 2 की प्रणाली को  राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 की प्रणाली से बदलने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अब प्री-स्कूल की खेल के साथ शिक्षा, जो शहरों में निजी स्कूलों तक सीमित है, इस नीति के लागू होने के बाद गांवों में भी पहुंचेगी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करना इस नीति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक साक्षरता के विकास को एक राष्ट्रीय मिशन के तौर पर लिया जाएगा। एक बच्चे को आगे बढ़ना चाहिए और  सीखने के लिए पढ़ना चाहिए, इसके लिए यह आवश्यक है कि वह शुरुआत में पढ़ना सीखे। पढ़ना सीखने से लेकर सीखने के लिए पढ़ने की यह विकास यात्रा बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक साक्षरता के माध्यम से पूरी होगी।

प्रधानमंत्री ने देश के बच्चों के धाराप्रवाह मौखिक पठन के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि तीसरी कक्षा को पार करने वाला प्रत्येक बच्चा एक मिनट में सहजता से 30 से 35 शब्द पढ़ सके। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इससे उन्हें अन्य विषयों की सामग्री को आसानी से समझने में मदद मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि यह सब तभी होगा जब पढ़ाई वास्तविक दुनिया से, हमारे जीवन एवं आसपास के वातावरण से जुड़ी हो।

उन्होंने यह भी कहा कि जब शिक्षा आसपास के वातावरण से जुड़ी होती है, तो इसका प्रभाव छात्र के पूरे जीवन पर पड़ता है और साथ ही पूरे समाज पर भी पड़ता है। उन्होंने अपने गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के समय की एक पहल का भी उल्लेख किया। सभी स्कूलों के छात्रों को अपने गांव के सबसे पुराने पेड़ की पहचान करने का काम दिया गया, और फिर उनसे उस पेड़ एवं अपने गांव पर आधारित एक निबंध लिखने को कहा गया। उन्होंने कहा कि यह प्रयोग बहुत सफल रहा क्योंकि एक तरफ बच्चों को पर्यावरण के बारे में जानकारी मिली और साथ ही उन्हें अपने गांव के बारे में बहुत सारी जानकारी प्राप्त करने का मौका मिला।

प्रधानमंत्री ने ऐसे आसान एवं मौलिक तरीकों को बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया। इन प्रयोगों को हमारे नए युग के सीखने के केंद्र में होना चाहिए- संलग्नता, अन्वेषण, अनुभव, अभिव्यक्ति तथा श्रेष्ठता।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि छात्र अपनी रुचि के अनुसार गतिविधियों, कार्यक्रमों, परियोजनाओं में संलग्न हों। तभी बच्चे रचनात्मक तरीके से अभिव्यक्त करना सीखते हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्टडी टूर पर ऐतिहासिक स्थानों, रुचि वाले स्थानों, खेतों, उद्योगों आदि में ले जाना चाहिए, क्योंकि यह उन्हें व्यावहारिक ज्ञान देगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसा अब सभी स्कूलों में नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस वजह से कई छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान से सामना कराने से उनकी जिज्ञासा बढ़ेगी और उनका ज्ञान भी बढ़ेगा। यदि छात्र कुशल पेशेवरों को देखेंगे तो एक प्रकार का भावनात्मक संबंध जुड़ेगा, वे कौशल को समझेंगे और उनका सम्मान करेंगे। यह संभव है कि इनमें से कई बच्चे बड़े होकर ऐसे उद्योगों में शामिल होंगे या फिर अगर वे कोई अन्य पेशा चुनते हैं तो यह बात  उनके दिमाग में रहेगी कि इस पेशे को बेहतर बनाने के लिए क्या नया किया जाये।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस तरह से तैयार की गई है कि पाठ्यक्रम को घटाया जा सकता है और बुनियादी चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। सीखने को एकीकृत एवं अंतःविषयी, मजेदार और संपूर्ण अनुभव वाला बनाने के लिए एक नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क विकसित किया जाएगा। इसके लिए सुझाव लिए जायेंगे और सभी सिफारिशों एवं आधुनिक शिक्षा प्रणालियों को इसमें शामिल किया जाएगा। भविष्य की दुनिया आज की हमारी दुनिया से काफी अलग होने जा रही है।

उन्होंने 21 वीं सदी के कौशल के साथ हमारे छात्रों को आगे बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने 21 वीं सदी के कौशल– तार्किक सोच, रचनात्मकता, सहकार्यता, जिज्ञासा एवं संचार- को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा कि छात्रों को शुरू से ही कोडिंग सीखनी चाहिए, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को समझना चाहिए और इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा साइंस एवं रोबोटिक्स से जुड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी पहले वाली शिक्षा नीति प्रतिबंधात्मक थी। लेकिन वास्तविक दुनिया में, सभी विषय एक-दूसरे से जुड़े हैं। लेकिन वर्तमान प्रणाली ने क्षेत्र बदलने एवं  नई संभावनाओं से जुड़ने के अवसर प्रदान नहीं किए। यह भी कई बच्चों के स्कूल छोड़ने का एक प्रमुख कारण रहा है। इसलिए, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों को किसी भी विषय को चुनने की स्वतंत्रता दी गयी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक अन्य बड़े मुद्दे को भी संबोधित करती है – हमारे देश में सीखने से संचालित शिक्षा के स्थान पर अंकपत्र (मार्कशीट) संचालित शिक्षा का हावी होना। उन्होंने कहा कि अंकपत्र अब मानसिक दबाव के एक पत्र की तरह हो गये हैं। शिक्षा से इस तनाव को दूर करना राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मुख्य उद्देश्यों में से एक है। परीक्षा ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों पर अनावश्यक दबाव न डाले। और प्रयास यह है कि छात्रों का मूल्यांकन केवल एक परीक्षा से नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उसे आत्म-मूल्यांकन, सहकर्मी से सहकर्मी मूल्यांकन जैसे छात्रों के विकास के विभिन्न पहलुओं पर आधारित होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एक मार्कशीट के बजाय एक समग्र रिपोर्ट कार्ड का प्रस्ताव दिया गया है जो छात्रों की अनूठी क्षमता, योग्यता, दृष्टिकोण, प्रतिभा, कौशल, दक्षता एवं संभावनाओं की एक विस्तृत शीट होगी। उन्होंने कहा कि मूल्यांकन प्रणाली के समग्र सुधार के लिए एक नये राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र “परख” की भी स्थापना की जायेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि यह समझने की जरूरत है कि भाषा शिक्षा का माध्यम है, भाषा ही संपूर्ण शिक्षा नहीं है। कुछ लोग इस अंतर को भूल जाते हैं। इसलिए जो भी भाषा बच्चा आसानी से सीख सकता है, वही भाषा सीखने की भाषा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए यह प्रस्तावित किया गया है कि अधिकांश अन्य देशों की तरह प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। अन्यथा जब बच्चे किसी अन्य भाषा में कुछ सुनेंगे, तो वे पहले इसे अपनी भाषा में अनुवाद करेंगे और  फिर इसे समझेंगे। इससे बच्चों के मन में बहुत भ्रम पैदा होता है, यह बहुत तनावपूर्ण होता है। इसलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, जहां तक संभव हो, कक्षा पांच तक, कम से कम पांचवीं कक्षा तक शिक्षा का माध्यम स्थानीय भाषा, मातृभाषा में रखने को कहा गया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के अलावा कोई एक अन्य भाषा सीखने और सिखाने पर कुछ प्रतिबंध हैं। यद्यपि अंग्रेजी के साथ-साथ विदेशी भाषाएं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सहायक होती हैं, लेकिन बच्चे उन्हें पढ़ने और सीखने में सक्षम होंगे। उन्होंने कहा कि इसके साथ–साथ सभी भारतीय भाषाओं को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि हमारे युवा विभिन्न राज्यों की भाषा और वहां की संस्कृति से परिचित हो सकें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के इस सफ़र के अग्रदूत हैं। इसलिए, सभी शिक्षकों को बहुत सी नई चीजें सीखनी पड़ेगी और कई पुरानी चीजों को भुलाना भी पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि जब 2022 में आजादी के 75 साल पूरे होंगे, तब यह सुनिश्चित करना  हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि भारत का प्रत्येक छात्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार पढ़े।

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति – सशक्त भारत की दिशा में सकारात्मक कदम

सामाजिक, सांस्कृतिक संस्था इंडियन थिन्कर सोसायटी एवं ब्रह्मानंद कॉलेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनांक 27 अगस्त 2020 को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया l डॉ. पी. के. कौल एवं श्री बलराम नरूला जी के संरक्षण में आयोजित गोष्ठी का शुभारंभ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की कार्यकर्ता ममता द्वारा सरस्वती वंदना के गायन से हुआ l कार्यक्रम की संयोजिका क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मीतकमल के कुशल संचालन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय सचिव. एवं प्रखर वक्ता माननीय श्रीहरि बोरकर जी ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार रखे l ब्रह्मानंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विवेक द्विवेदी ने श्रीहरि बोरकर जी का स्वागत करते हुए उनका संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया l ब्रह्मानंद कॉलेज की एसोसिएट प्रोफेसर एवं संगोष्ठी की
कनविनर डॉ. अर्चना पांडेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि भारतीय शिक्षा व्यवस्था अति प्राचीन है l वैदिक शिक्षा, बौद्ध कालीन शिक्षा, मध्यकालीन शिक्षा, आधुनिक शिक्षा एवं स्वतंत्रता के उपरान्त की शिक्षा व्यवस्था में समय समय पर परिवर्तन होते रहे हैं l राष्ट्र के विकास में शिक्षा के महत्व को स्वीकार करते हुए विभिन्न आयोग, समिति, नीति लागू की गयी l 1986 की दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 24 वर्षो के लंबे अंतराल के बाद वर्तमान सरकार ने 2020 में नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की l मुख्य वक्ता श्री बोरकर जी ने बताया कि भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शिक्षा व्यवस्था है जिसमें 1000 से अधिक विश्वविद्यालय, 50000 से अधिक कॉलेज, 14 लाख स्कूल और 33 करोड़ विधार्थी शामिल हैं l इस नयी शिक्षा नीति से सशक्त, समृद्ध, विकसित भारत का निर्माण होगा l इसमें 10+2 के पुराने फोरमेट के स्थान पर 5+3+3+4 की नयी व्यवस्था लागू की जाएगी l विषय को रूचिकर, रोजगारपरक, व्यावसायिक एवं आधुनिक स्वरूप दिया जाएगा l इस एतिहासिक नीति से भारत पुनः विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगा l कोकनविनर डॉ. इन्द्रेश शुक्ला ने प्रतिभागियों के प्रश्न उत्तर के सत्र का संचालन किया l कोआर्डिनेटर डॉ. देवेन्द्र कुमार अवस्थी ने भी अपने विचार रखे। श्री विनोद चंद्र जी एवं शिक्षाविद् डॉ. अरविंद पाण्डेय की उपस्थित ने संगोष्ठी को गरिमा प्रदान की l आभार एवं धन्यवाद ज्ञापन ITS के सचिव श्री यू. सी. दीक्षित ने किया I

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क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर एवं इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय वेबीनार आयोजन में पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs) के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा

सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संस्था इंडियन थिंकर सोसाइटी ITS एवं रसायन विज्ञान विभाग क्राइस्ट चर्च कालेज कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में आज दिनाँक 19 अगस्त 2020 को एक राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन( PAHs)
के पर्यावरण पर प्रभाव विषय पर चर्चा हुयीं l

मुख्य वक्ताओं में डॉ. देवेन्द्र अवस्थी, ज. न. पी. जी. कॉलेज लखनऊ के रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष और भीम राव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय के अप्लाइड साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंजनी तिवारी ने अपने विचारों से अवगत कराया l क्राइस्ट चर्च कॉलेज के संरक्षक रेवनर सैमुअल पाल एवं ITS के संरक्षक श्री बलराम नरुला जी ने अपने विचार रखे l प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल के संबोधन के उपरान्त ITS के अध्यक्ष प्रो. पी. एन. कौल ने सभी का स्वागत किया I डॉ. श्वेता चंद द्वारा प्रार्थना प्रस्तुत की गयी I संगोष्ठी की कनविनर डॉ. मीत कमल द्विवेदी ने विषय प्रवर्तन किया l डॉ. सुधीर गुप्ता विभागाध्यक्ष ने मुख्य वक़्ता डॉ. देवेन्द्र अवस्थी का संक्षिप्त परिचय दिया l ब्रह्मानंद कॉलेज कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर एवं संगोष्ठी की आयोजक सचिव डॉ. अर्चना पांडेय ने डॉ. अंजनी तिवारी जी का परिचय प्रस्तुत किया l डॉ. अवस्थी ने बताया कि PAHs से वायु प्रदूषित हो रही है l शहरी क्षेत्र में PAHs का स्तर ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में दस गुना अधिक है I USA में कुछ पेयजल आपूर्ति में PAHs के निम्न स्तर पाए जाते हैं l डॉ. अंजनी तिवारी जी ने बताया कि पोलीसाईकलिक एरोमेटिक हाइड्रोकार्बन PAHs तम्बाकू के धुएँ, चिमनियों से निकलने वाले धुएँ में पाए बहुतायत मात्रा में होते हैं जो प्रदूषण बढ़ाते हैं I PAHs रसायनों का एक समूह है जो प्राकृतिक रूप से कोयले, कच्चे तेल, गैसोलीन में होते हैं जो हवा, पानी और मिट्टी सभी को प्रभावित एवं प्रदूषित करते हैं जिनके बहुत दिनों तक संपर्क में आने से कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना हो सकती है l धूम्रपान करने वालों को इससे सर्वाधिक खतरा रहता है l संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ. अरविंद पांडेय एवं डॉ. अनन्दिता भट्टाचार्य ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति दर्ज की l अन्त में इंडियन
थिंकर सोसाइटी के सचिव श्री यू. सी. दीक्षित ने सभी को धन्यावाद देते हुए आभार व्यक्त किया l इस वेबीनार में स्थानीय एवं सुदूर क्षेत्र के 675 से अधिक प्रतिभागियों ने सहभागिता की l

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