भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 6 मार्च, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के दो विभागों, राजनीति विज्ञान और समाजशास्त्र, ने ‘शिक्षण, अधिगम और अनुसंधान में कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ पर एक सफल कार्यक्रम आयोजित किया।
उच्च शिक्षा और अनुसंधान में ए.आई. परिवर्तनों के बारे में छात्रों और शिक्षकों के बीच जागरूकता पैदा करने और अंतर्दृष्टि विकसित करने के लिए तीन कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किए गए: एक पोस्टर प्रदर्शनी जहां छात्रों ने ए.आई. की दुनिया की खोज में अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन किया; ए.आई की जटिलताओं को समझने के लिए विशेषज्ञों द्वारा एक विचार-मंथन सत्र; और अंत में, आधुनिक दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग और भूमिका पर छात्रों द्वारा एक वाद-विवाद प्रतियोगिता।
कार्यक्रम का पहला सत्र, पोस्टर प्रस्तुति, प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों, संकाय सदस्यों और छात्रों द्वारा पोस्टर गैलरी का दौरा करने और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर छात्रों की प्रस्तुतियों में रचनात्मक कौशल और अंतर्दृष्टि का आकलन करने के साथ शुरू हुआ।
कार्यक्रम का दूसरा सत्र का आरम्भ, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रिंसिपल, सचिव और कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर जोसेफ डैनियल, मुख्य वक्ता डॉ. अंशू सिंह, प्रोफेसर आशुतोष सक्सेना,सम्मानित अतिथि और स्वेता चंद उप-प्रिंसिपल के दीप प्रज्वलन और विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना से हुआ. तत्पचात राजनीति विभाग प्रभारी एवं कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर विभा दीक्षित ने सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रमों की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत किया। डॉ. अंशू सिंह, एसोसिएट डीन, सीएसजेएम यूनिवर्सिटी ने अपना मुख्य भाषण में बताया कि कैसे ए.आई. ने शिक्षण,अध्यापन और अनुसंधान में कई सकारात्मक बदलाव लाए हैं। उन्होंने सीएसजेएम विश्वविद्यालय में शैक्षणिक प्रशासन में ए.आई. पहल एवं सफल प्रयोग के बारे में जानकारी दी। चेयरपर्सन, प्रो. जोसेफ डेनियल ने कॉलेज के शैक्षणिक और प्रशासन में ए. आई को लागू करने की आवश्यकता और कठिनाइयों के बारे में अपनी राय साझा की। सम्मानित अतिथि प्रोफेसर आशुतोष सक्सेना ने अध्यापन और अनुसंधान में ए.आई. के उपयोग और बढती संभावनाओं पर और इसके दुरुपयोग पर प्रकाश डाला। विचार-मंथन सत्र अत्यधिक ज्ञानवर्धक रहा और इसमें बड़ी संख्या में छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। इसका सफल संचालन डॉ. अर्चना वर्मा एवं ऋचा यादव ने किया।
तीसरे सत्र में, छात्रों ने “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने शिक्षण, सीखने और अनुसंधान के परिदृश्य में क्रांति ला दी है” प्रस्ताव के पक्ष या विपक्ष में जोरदार बहस और तर्क दिए. प्रोफेसर डॉ. एस.पी. सिंह और डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य इस कार्यक्रम के प्रतिष्ठित निर्णायक मंडल में थे. विवेक और संजना वंजानी ने इस कार्यक्रम का प्रभावी ढंग से संचालन किया।
पोस्टर प्रस्तुति और वाद-विवाद प्रतियोगिता कार्यक्रमों में विजेताओं की घोषणा के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। पोस्टर प्रतियोगिता में वरीशा फातिमा प्रथम स्थान, फैरी द्वितीय स्थान और जुनी सिद्दीकी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। वाद-विवाद प्रतियोगिता में तनिष्का बाजपाई को प्रथम उन्नति मेहरोत्रा द्वितीय एवं वैष्णवी गुप्ता तृतीय और कृति शुक्ल को सांत्वना पुरूस्कार मिला । धन्यवाद प्रस्ताव ईशा त्रिपाठी ने दिया. यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर एक बेहद सफल एवं प्रभावी आयोजन था। इसमें सभी संकाय के छात्रों और शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भागीदारी की और इसे सभी के लिए अत्यधिक प्रभावी और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम की श्रेणी में रखा।
शिक्षा
नवाचार व उद्यमिता के माध्यम से विकसित भारत संकल्प के सहयोगी बनें विद्यार्थी
क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हुआ “यंत्र 2025ः उभरते इनोवेशन को उजागर करना” कार्यक्रम का आयोजन*
*स्टार्टअप मेले में प्रतिभागी छात्रों ने प्रस्तुत किए अद्भुत मॉडल, छात्रों को किया गया पुरस्कृत*
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर, 05 मार्च छात्रों में नवाचार, तकनीकी विकास व व्यवसाय को बढ़ावा देने व उसका समर्थन करते हुए प्रेरित करने के उद्देश्य से क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेल ने आज “यंत्र 2025ः उभरते इनोवेशन को उजागर करना” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में आवश्यक संसाधन जैसे फंडिंग, मेंटरशिप, कार्यक्षेत्र और प्रशिक्षण प्रदान करने की जानकारी दी गई, जिससे अंततः उन्हें अपने अभिनव अवधारणाओं को बाजार में व्यवहार्य उत्पादों या सेवाओं में बदलने में मदद मिल सके।
कॉलेज के डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई तथा कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया। इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेल के संयोजक प्रो. मनीष कपूर ने विषयगत विवरण दिया। उन्होंने बताया कि 2022 में सेल की स्थापना के बाद से ही कॉलेज ने इनोवेशन, इनक्यूबेशन और उद्यमिता (आईआईसी) की संस्कृति को बढ़ावा दिया है। 21वीं सदी में नवाचार के बदलते समय और इसकी मांग के साथ, कठिनाइयों से समायोजन करते हुए, नवाचार, ऊष्मायन और उद्यमिता केंद्र के महत्व पर जोर देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
कॉलेज गवर्निंग बॉडी के सचिव और प्रिंसिपल प्रो. जोसेफ डैनियल ने कहा कि कॉलेज का उद्देश्य अपने छात्रों और शिक्षकों के बीच प्रौद्योगिकी, विज्ञान और प्रबंधन आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देना है और इस तरह मांग आधारित विचारों और नवाचारों के विकास के लिए ज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग की सुविधा प्रदान करना है जो समाज को लाभ पहुंचाते हैं। इसे अकादमिक ढांचे में शामिल करके छात्रों और शिक्षकों में उद्यमशीलता की प्रवृत्ति विकसित की जाएगी।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ भक्ति वी शुक्ला सहायक निदेशक, एफएफडीसी, कन्नौज ने कहा कि कॉलेज को पूर्व-बीज वित्तीय सहायता, बुनियादी ढांचे और संसाधन प्रदान करके तकनीकी आविष्कारों और व्यावसायिक उद्यमों के विचारों को पोषित करने के लिए एक प्री-इन्क्यूबेशन प्लेटफॉर्म बनाना चाहिए। यह एक ऐसा वातावरण तैयार करेगा जो कॉलेज के छात्रों को प्रेरणा और एंड-टू-एंड समर्थन प्रदान करके नौकरी निर्माता में परिवर्तित करता है। यह छात्रों को उनके नवाचारों और विचारों के लिए पेटेंट दायर करने के लिए सशक्त करेगा। इस सत्र के बाद “कानपुर और आसपास के स्थानों में इनक्यूबेशनः चुनौतियां और अवसर” विषय पर पैनल चर्चा हुई। पैनलिस्ट प्रोफेसर अमिताभ बंदोपाध्याय, केंट चेयर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड इनोवेशन, बीएसबीई, आईआईटी कानपुर और अमित टंडन, उद्यमी थे। चर्चा में मेंटरशिप तक पहुंच, उद्योग जगत के नेताओं के साथ नेटवर्किंग और शुरुआती चरण के स्टार्टअप के लिए अपने विचारों को विकसित करने के लिए एक सहायक वातावरण जैसे अवसरों पर चर्चा की गई, और चुनौतियों में फंडिंग हासिल करना, जटिल विनियामक परिदृश्यों को नेविगेट करना और इनक्यूबेशन प्रोग्राम की स्थिरता और विकास सुनिश्चित करना शामिल है।
इसके बाद “स्टार्ट-अप मेला” का आयोजन किया गया। छात्रों ने मॉडल और प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी नवीनता का प्रदर्शन किया।
क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के वाणिज्य विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. श्वेता मिश्रा ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
डी जी कॉलेज द्वारा बस्ती में चलाया गया साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 5 मार्च दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आजाद नगर स्थित लल्लनपुरवा बस्ती में सात दिवसीय विशेष शिविर के चौथे दिन *साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान* चलाया गया। शिविर स्थल की साफ-सफाई करने के उपरांत दैनिक गतिविधियों में सरस्वती वंदना एवं एन एस एस लक्ष्य गीत गाया गया। आज के शिविर के प्रथम सत्र में महाविद्यालय की नॉलेज इंस्टीट्यूशन प्रभारी डॉ ज्योत्सना पांडे के द्वारा माय भारत आउटरीच कार्यक्रम के अंतर्गत छात्राओं को विकसित भारत यूथ पार्लियामेंट तथा एग्रीकल्चर ELP के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारियां देते हुए उसके महत्व को समझाया तथा रजिस्ट्रेशन करना सिखाया। मध्यान भोजन के पश्चात द्वितीय सत्र में मुख्य अतिथि सबइंस्पेक्टर श्री अनुज चौधरी, चौकी इंचार्ज, नवाबगंज के द्वारा छात्राओं को साइबर सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई। उन्होंने छात्राओं को संबोधित करते हुए बताया कि कंप्यूटर, नेटवर्क, और डेटा को डिजिटल खतरों से बचाने को साइबर सुरक्षा कहते हैं। इसमें साइबर हमलों से बचाव और सूचना की गोपनीयता, अखंडता, और उपलब्धता सुनिश्चित करना शामिल है।
छात्राओं ने साइबर सुरक्षा से संबंधित पोस्टर भी बनाए। जिनके माध्यम से बस्ती में जाकर कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान रैली निकाली तथा पोस्टर एवं स्लोगन “अपना डेटा सुरक्षित रखें, अपना दिमाग सुरक्षित रखें।” “साइबर सुरक्षा एक यात्रा है, मंजिल नहीं।” “आज सतर्क – कल जीवित।” “सुरक्षित साइबरस्पेस एक साझा जिम्मेदारी है।” का संदेश जन-जन तक पहुंचाया। छात्राओं ने बस्तीवासियों को साइबर बैंक फ्रॉड, साइबर डिजिटल अरेस्ट सोशल मीडिया अकाउंट हैक आदि के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारियां देते हुए उनसे बचाव के तरीके तथा साइबर सुरक्षा हेल्पलाइन 1930 एवं 155260 के बारे में विस्तृत जानकारियां दी। बस्तीवासियों ने भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना के अंतर्गत साइबर सुरक्षा जागरूकता अभियान की सराहना करते हुए विकसित भारत@2047 के निर्माण में इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
छात्राओं के द्वारा देशज खेलों में “घोड़ा है सलाम शाही” खेल खेलने के उपरांत एन एस एस गीत तथा राष्ट्रगान गाकर चतुर्थ दिवस का समापन हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में आकांक्षा अस्थाना, अनुपम शुक्लाएवं बसंत कुमार का विशेष योगदान रहा।
Read More »सात दिवसीय विशेष शिविर में डी जी कॉलेज द्वारा *बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान* चलाया गया
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 4 मार्च दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा आजाद नगर स्थित लल्लनपुरवा बस्ती में सात दिवसीय विशेष शिविर के तीसरे दिन *बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान* चलाया गया। सर्वप्रथम स्वयंसेविकाओं के द्वारा शिविर स्थल की साफ-सफाई की गई। तत्पश्चात दैनिक गतिविधियों में सरस्वती वंदना एवं एन एस एस लक्ष्य गीत करने के पश्चात स्वयंसेविकाओं ने योगाभ्यास किया। स्वयंसेविकाओं के द्वारा बस्ती में जाकर कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में महिला सुरक्षा, महिला स्वावलंबन एवं महिला सशक्तिकरण हेतु जागरूकता अभियान चलाते हुए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों की। जिनमें उन्होंने सर्वप्रथम रैली निकाली तथा पोस्टर एवं स्लोगन जैसे बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ ; बेटी को ना समझो भार, बेटी है जीवन का आधार ; बेटा बेटी एक समान, बेटी है ईश्वर का वरदान आदि नारे लगाए। इसी क्रम में नुक्कड़ नाटक के द्वारा बस्ती वासियों को जागरूक किया गया कि बेटा – बेटी को हमें अलग-अलग प्रकार से नहीं आंकना चाहिए बल्कि वह दोनों समान है। उनके लालन पालन मैं कोई भेद नहीं करना चाहिए तथा बेटियों को भी बेटों के समान पढ़ने एवं जॉब करने के अवसर देने चाहिए। ताकि वह विकसित भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके। बस्तीवासियों ने महिला सशक्तिकरण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम मिशन शक्ति तथा भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं महिला सशक्तिकरण अभियान में छात्राओं के द्वारा किए गए प्रयासों को खूब सराहा। उन्होंने अपनी बेटियों को भी बेटों के समान अवसर देने का संकल्प भी लिया।
द्वितीय सत्र के दौरान भोजन अवकाश के पश्चात छात्राओं ने बौद्धिक सत्र में *विकसित भारत@2047 में महिलाओं की अग्रणी भूमिका* के विषय पर एक सामूहिक परिचर्चा की गई। महाविद्यालय की नॉलेज इंस्टीट्यूशन प्रभारी डॉ ज्योत्सना पांडे ने इस विषय पर छात्राओं को एक व्याख्यान भी दिया। छात्राओं के द्वारा खो-खो खेल खेलने के उपरांत एन एस एस गीत तथा राष्ट्रगान गाकर तृतीय दिवस का समापन हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ शशिबाला सिंह, आकांक्षा अस्थाना, बसंत कुमार का विशेष योगदान रहा। समस्त गतिविधियों को छात्राओं के द्वारा उमंग एवं उत्साह के साथ संपन्न किया गया।
Read More »डी जी कॉलेज द्वारा चलाया गया सड़क सुरक्षा अभियान
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 3 मार्च दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के लल्लनपुरवा बस्ती में सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन *सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान* चलाया गया।
सर्वप्रथम स्वयंसेविकाओं के द्वारा आजाद पार्क स्थित शहीद स्थल जहां पर अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा लगी है, की साफ-सफाई की गई। तत्पश्चात दैनिक गतिविधियों में सरस्वती वंदना करने के पश्चात स्वयंसेविकाओं ने योगाभ्यास किया। स्वयंसेविकाओं के द्वारा बस्ती में जाकर कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के कुशल निर्देशन में सड़क दुर्घटनाओं को कम करने हेतु चलाए जा रहे सड़क सुरक्षा अभियान के अंतर्गत सड़क सुरक्षा जागरूकता संबंधी गतिविधियों की गई। जिनमें छात्राओं ने रैली निकालकर स्लोगन के माध्यम से, नुक्कड़ नाटक कर एवं आपसी संवाद के माध्यम से यातायात के नियमों एवं सड़क सुरक्षा के नियमों से संबंधित जानकारियां बस्तीवासियों को दी। इस अवसर पर सड़क सुरक्षा की शपथ भी ली गई। भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के इस अभियान तथा छात्राओं के द्वारा किए गए प्रयासों को बस्तीवासियों ने खूब सराहा तथा सड़क पर चलते समय स्वयं तथा दूसरों की सुरक्षा हेतु यातायात के नियमों का पालन करने का संकल्प भी लिया।
द्वितीय सत्र के दौरान भोजन ग्रहण करने के पश्चात छात्राओं ने बौद्धिक सत्र में *सड़क हादसे से मनुष्य के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव व उससे बचाव एवं इसमें महिलाओं की भूमिका* विषय पर एक सामूहिक परिचर्चा की गई। एन एस एस गीत तथा राष्ट्रगान के साथ द्वितीय दिवस का समापन हुआ।
कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ शशिबाला सिंह, श्रीमती आकांक्षा अस्थाना, श्री बसंत कुमार का विशेष योगदान रहा। समस्त गतिविधियों को छात्राओं के द्वारा उमंग एवं उत्साह के साथ संपन्न किया गया
विज्ञान दिवस के अवसर छात्राओं को सी पी आर के बारे में जानकारी दी
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 28 फरवरी एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. महाविद्यालय में सर सी. वी. रमन की रमन प्रभाव की खोज की स्मृति में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर डॉ. सुनीत गुप्ता द्वारा छात्राओं को सी पी आर के बारे में जानकारी दी गई। डॉ. सुनीत गुप्ता आईएमए द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित हैं एवं प्राणोदय संस्थान से जुड़ कर पिछले २२ वर्षों से निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण डॉ. सुनीत गुप्ता, प्रो. गार्गी यादव, कैप्टेन ममता अग्रवाल, प्रो. रेखा चौबे एवं प्रो. अलका टंडन द्वारा किया गया। डॉ सुनीत गुप्ता ने सी.पी.आर की ट्रेनिंग को डमी पर प्रदर्शित किया । इसके पश्चात छात्राओं ने भी डमी पर अभ्यास किया । अचानक हृदयाघात के शिकार व्यक्ति, दुर्घटना में घायल, करंट की चपेट में आए व्यक्ति का जीवन बचाने में सी.पी.आर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) का महत्व समझाते हुए उन्होंने छात्राओं को हृदय का संकेत समझने और जान बचाने का हुनर सिखाया। उन्होंने बताया कि तीन मिनट के अंदर सीपीआर शुरू कर देने से मस्तिष्क में ऑक्सीजन के संचरण को पहुंचाया जा सकता है जिससे व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। डमी पर महाविद्यालय की शिक्षिकाओं ने भी प्रशिक्षण हासिल किया।
कार्यक्रम का संयोजन प्रोफेसर गार्गी यादव ने किया एवं मंच संचालन डॉक्टर अमिता सिंह ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
Read More »क्राइस्ट चर्च कॉलेज में भौतिकी एवं रसायन विज्ञान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर ” HAM रेडियो कार्यशाला ” का आयोजन
भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के भौतिकी एवं रसायन विज्ञान विभाग द्वारा संयुक्त रूप से राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर एक विशिष्ट आयोजन ” HAM रेडियो कार्यशाला ” का आयोजन किया गया । कार्यशाला का उद्देश्य HAM रेडियो संचालन में अनुभव प्रदान कराते हुए छात्रों के बीच वैज्ञानिक जागरूकता व शिक्षा को बढ़ाना था।
समारोह की शुरुआत 27 फरवरी को “प्रज्ञान” (फिजिक्स सोसायटी) द्वारा आयोजित एक पोस्टर प्रस्तुति और मॉडल प्रदर्शनी के साथ हुई। सभी छात्रों के लिए खुली इस प्रदर्शनी में नवीन और रचनात्मक परियोजनाओं का प्रदर्शन किया गया, जिसने मुख्य कार्यक्रम के लिए मंच तैयार किया।
28 फरवरी को उद्घाटन समारोह में प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल की गरिमामयी उपस्थिति रही, जिन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने के लिए विज्ञान को प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए दोनों विभागों के प्रयासों की सराहना की।
मुख्य अतिथि वी.के. आर्या ने आपदा प्रबंधन में HAM रेडियो संचार की महत्वपूर्ण भूमिका पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पारंपरिक नेटवर्क विफल होने पर HAM रेडियो ऑपरेटर किस प्रकार से आपातकाल के दौरान आवश्यक संचार सेवाएं प्रदान करते हैं। छात्रों को HAM रेडियो को एक शौक के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने जिंदगी बचाने और आपदा राहत प्रयासों का समर्थन करने में इसकी क्षमता को रेखांकित किया।
इस कार्यक्रम में डॉ. राघवेंद्र कुमार चौधरी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर के एक प्रतिष्ठित फैकल्टी सदस्य, सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने आधुनिक संचार प्रणालियों में एंटीना प्रौद्योगिकी के महत्व पर एक व्यावहारिक व्याख्यान दिया और प्रतिभागियों को अपनी विशेषज्ञता से समृद्ध किया।
आर्या जी और उनकी टीम द्वारा HAM रेडियो संचार का एक लाइव प्रदर्शन आयोजित किया गया, जिन्होंने छात्रों को वीएचएफ यागी एंटीना के डिजाइन और निर्माण में मार्गदर्शन किया, जो एक मूल्यवान व्यावहारिक शिक्षा का अनुभव प्रदान करता है।
कार्यक्रम का सफल संचालन बी.एस.सी. की छात्रा सदफ़ ने किया। कार्यक्रम संयोजक प्रो. सत्य प्रकाश सिंह तथा आयोजन सचिव प्रो. मीत कमल ने समस्त कार्यक्रम का व्यवस्थित क्रियान्वयन किया। प्रो. श्वेता चंद, डॉ. मनीष कपूर, प्रो. अनिंदिता भट्टाचार्य और डॉ. आशुतोष कुमार सहित प्रतिष्ठित फैकल्टी सदस्यों ने भी अपनी उपस्थिति से इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कार्यशाला में छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया जिनकी कार्यशाला को खूब सराहना मिली । इसने प्रतिभागियों को HAM रेडियो के अनुप्रयोगों का पता लगाने और क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान किया, जिससे वैज्ञानिक शिक्षा और संचार प्रौद्योगिकी के प्रति उत्साह बढ़ा।
Read More »सरकार मुंबई विश्वविद्यालय में ‘अंबेडकर पीठ’ और छात्र सुविधाएं स्थापित करेगी: केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने ‘संविधान अमृत महोत्सव’ में कहा
डॉ. कुमार ने वंचितों के उत्थान तथा डॉ. अंबेडकर के समावेशी विकास और समानता के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए निरुपित की गई अनेक पहलों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ” डॉ. अंबेडकर के योगदान और राष्ट्र के लिए उनके दृष्टिकोण पर शोध को बढ़ावा देने के लिए सरकार अन्य विश्वविद्यालयों की तरह ही मुंबई विश्वविद्यालय में ‘अंबेडकर पीठ’ स्थापित करेगी।” उन्होंने छात्रों की सहायता के लिए विश्वविद्यालय में दो नए छात्रावास स्थापित करने की योजना की भी घोषणा की। इसके अतिरिक्त, प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए वंचित समुदायों के छात्रों की तैयारी में सहायता करने की सरकार की पहल के तहत मुंबई विश्वविद्यालय में एक समर्पित कोचिंग सेंटर स्थापित किया जाएगा। यह कदम अन्य संस्थानों में इसी तरह के केंद्रों के सफल कार्यान्वयन को देखते हुए उठाया जा रहा है।
डॉ. कुमार ने अपने संबोधन में नशा मुक्त भारत अभियान के तहत भारत के युवाओं से अपील की कि वे मादक पदार्थों के सेवन से निपटने में अग्रणी भूमिका निभाएं और न केवल खुद की बल्कि अपने समुदायों की भी रक्षा करें।
मुंबई विश्वविद्यालय से डॉ. भीमराव अंबेडकर के गहरे जुड़ाव, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की पर विचार करते हुए डॉ. कुमार ने कहा, “इसी संस्थान में एक छात्र से लेकर हमारे संविधान के निर्माता बनने तक की डॉ. अंबेडकर की यात्रा भारत के लिए उनके दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता का प्रमाण है। उनके कार्य ने केवल कानूनी ढांचा ही प्रदान नहीं किया, बल्कि सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की भी परिकल्पना की जो आज भी सरकार की नीतियों की मार्गदर्शक शक्ति है।”
डॉ. कुमार ने कहा कि संविधान केवल मौलिक अधिकारों की ही गारंटी नहीं देता, बल्कि कर्तव्यों पर भी जोर देता है। उन्होंने कहा, “हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जब हम अपने अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को भी समान रूप से अपनाना चाहिए। डॉ. अंबेडकर के सपनों के लोकतंत्र को सही मायने में साकार करने के लिए यह संतुलन आवश्यक है।” केंद्रीय मंत्री ने डॉ. अंबेडकर के इस विश्वास को दोहराते हुए अपनी बात समाप्त की कि “सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र के बिना राजनीतिक लोकतंत्र अधूरा है” और इन आदर्शों को पूरा करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहरायी ।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता सचिव श्री अमित यादव ने अपने संबोधन में कहा, “यह आयोजन भारत के कानूनी और सामाजिक विकास में मुंबई विश्वविद्यालय की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर इस विश्वविद्यालय से निकले सबसे बेहतरीन नेताओं में से थे, जिन्होंने न केवल यहां डिग्री हासिल की, बल्कि अध्यापन भी किया और अपने पीछे बदलाव की विरासत छोड़ गए।.”
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री श्री चंद्रकांत पाटिल, मुंबई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक श्री अनिल कुमार पाटिल भी मौजूद थे। इस कार्यक्रम में मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक शामिल हुए।
प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना (पीएमआईएस) के लिए पायलट चरण के दूसरे राउंड के शुभारंभ के साथ आवेदन एक बार फिर आमंत्रित किये जा रहे हैं
तेल, गैस और ऊर्जा; बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं, यात्रा और आतिथ्य, ऑटोमोटिव, धातु और खनन विनिर्माण और औद्योगिक, तेजी से बिकने वाले उपभोक्ता सामान (एफएमसीजी) और कई अन्य क्षेत्रों की 300 से अधिक शीर्ष कंपनियों ने भारतीय युवाओं को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने, पेशेवरों के साथ नेटवर्क बनाने और अपनी रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए इंटर्नशिप के अवसर प्रदान किए हैं।
पात्र युवा अपने पसंदीदा जिले, राज्य, क्षेत्र, इलाके के आधार पर इंटर्नशिप की तलाश कर सकते हैं और उन्हें चुन सकते हैं तथा अपने निर्दिष्ट वर्तमान पते से अनुकूलन योग्य दायरे में इंटर्नशिप फ़िल्टर कर सकते हैं। दूसरे राउंड में, प्रत्येक आवेदक आवेदन की अंतिम तिथि तक अधिकतम तीन इंटर्नशिप के लिए आवेदन कर सकता है।
दूसरे राउंड के लिए, देश भर में 70 से अधिक आईईसी कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें अधिकतम इंटर्नशिप के अवसर वाले जिलों में कॉलेज, विश्वविद्यालय, आईटीआई, रोजगार मेले आदि शामिल हैं, जो इन इंटर्नशिप के लिए आवश्यक योग्यता के आधार पर हैं। इसके अलावा, अवसरों के एकत्रीकरण और युवाओं के लिए प्रासंगिकता के आधार पर कई प्लेटफार्मों और प्रभावशाली लोगों के जरिये राष्ट्रीय स्तर के डिजिटल अभियान चल रहे हैं।
पात्र युवा यहां आवेदन कर सकते हैः: https://pminternship.mca.gov.in/
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की अगुवाई में प्रधानमंत्री इंटर्नशिप योजना भारत की युवा आबादी की क्षमता का दोहन करने के लिए उन्हें भारत की शीर्ष कंपनियों में 12 महीने की सशुल्क इंटर्नशिप प्रदान करके तैयार की गई है।
यह योजना 21 से 24 वर्ष की आयु के ऐसे व्यक्तियों को लक्षित करती है, जो वर्तमान में किसी भी पूर्णकालिक शैक्षणिक कार्यक्रम या रोजगार से जुड़े हुए नहीं हैं। यह योजना उन्हें अपने करियर को शुरू करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करती है।
प्रत्येक इंटर्न को 5,000 रुपये की मासिक वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसके अतिरिक्त 6,000 रुपये की एकमुश्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी। प्रत्येक इंटर्नशिप प्रासंगिक प्रशिक्षण और पेशेवर अनुभव (कम से कम छह महीने) का संयोजन होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उम्मीदवार सीखें और अपने कौशल को व्यावहारिक स्थितियों में भी लागू कर सकें।
आपसी प्रेम] सद्भाव और भाईचारे का पर्व है ‘होली’!-डा0 जगदीश गांधी]
होलिका का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है होली भारत के सबसे पुराने पर्वों में से एक है। होली की हर कथा में एक समानता है कि उसमें ‘असत्य पर
सत्य की विजय’ और ‘दुराचार पर सदाचार की विजय’ का उत्सव मनाने की बात कही गई है। इस प्रकार होली लोक
पर्व होने के साथ ही अच्छाई की बुराई पर जीत, सदाचार की दुराचार पर जीत व समाज में व्याप्त समस्त बुराइयों के
अंत का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता व दुश्मनी को भूलकर एक-दूसरे के गले
मिलते हैं और फिर ये दोस्त बन जाते हैं। किसी कवि ने होली के सम्बन्ध में कहा है कि – नफरतों के जल जाएं सब
अंबार होली में। गिर जाये मतभेद की हर दीवार होली में।। बिछुड़ गये जो बरसों से प्राण से अधिक प्यारे , गले मिलने
आ जाऐं वे इस बार होली में।।
भारतीय संस्कृति का परिचायक है होली
होली को लेकर देश के विभिन्न अंचलों में तमाम मान्यतायें हैं और शायद यही विविधता में एकता, भारतीय
संस्कृति का परिचायक भी है। उत्तर पूर्व भारत में होलिकादहन को भगवान कृष्ण द्वारा राक्षसी पूतना के वध दिवस के
रूप में मनाया जाता है तो दक्षिण भारत में मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने कामदेव को तीसरा नेत्र खोल
भस्म कर दिया था। तत्पश्चात् कामदेव की पत्नी रति के दुख से द्रवित होकर भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित
कर दिया , जिससे प्रसन्न होकर देवताओं ने रंगों की वर्षा की। इसी कारण होली की पूर्व संध्या पर दक्षिण भारत में
अग्नि प्रज्ज्वलित कर उसमें गन्ना , आम की बौर और चन्दन डाला जाता है। यहाँ गन्ना कामदेव के धनुष , आम की
बौर कामदेव के बाण, प्रज्ज्वलित अग्नि शिव द्वारा कामदेव का दहन एवं चन्दन की आहुति कामदेव को आग से हुई
जलन हेतु शांत करने का प्रतीक है।
प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा के प्रसंग की याद दिलाता है यह महान पर्व
होली पर्व को मनाये जाने के कारण के रूप में एक मान्यता यह भी है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यपु नाम
का एक अत्यन्त बलशाली एवं घमण्डी राजा अपने को ही ईश्वर मानने लगा था। हिरण्यकश्यपु ने अपने राज्य में
ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकश्यपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर का परम भक्त था। प्रह्लाद की
ईश्वर भक्ति से कुद्ध होकर हिरण्यकश्यपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए , परंतु भक्त प्रह्लाद ने ईश्वर की भक्ति का
मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती।
हिरण्यकश्यपु के आदेश पर होलिका प्रह्लाद को मारने के उद्देश्य से उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई।
किन्तु आग में बैठने पर होलिका तो जल गई परंतु ईश्वर भक्त प्रह्लाद बच गये। इस प्रकार होलिका के विनाश तथा
भक्त प्रह्लाद की प्रभु के प्रति अटूट भक्ति एवं निष्ठा के प्रसंग की याद दिलाता है यह महान पर्व।
प्रहलाद ने बचपन में ही प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया था
यह परमपिता परमात्मा की इच्छा ही थी कि असुर प्रवृत्ति तथा ईश्वर के घोर विरोधी दुष्ट राजा हिरण्यकश्यप
के घर में ईश्वर भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ। प्रहलाद ने बचपन में ही प्रभु की इच्छा तथा आज्ञा को पहचान लिया था।
निर्दयी हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रहलाद से कहा कि यदि तू भगवान का नाम लेना बंद नहीं करेंगा तो मैं तुझे आग
में जला दूँगा। उसके दुष्ट पिता ने प्रहलाद को पहाड़ से गिराकर , जहर देकर तथा आग में जलाकर तरह-तरह से घोर
यातनायें दी। प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकष्यप से कहा कि पिताश्री यह शरीर आपका है इसका आप जो चाहे सो
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करें , किन्तु आत्मा तो परमात्मा की है। इसे आपको देना भी चाहूँ तो कैसे दे सकता हूँ। प्रहलाद के चिन्तन में भगवान
आ गये तो हिरण्यकश्यप जैसे ताकतवर राजा का अंत नृसिंह अवतार के द्वारा हो गया। इसलिए हमें भी प्रहलाद की
तरह अपनी इच्छा नहीं वरन् प्रभु की इच्छा और प्रभु की आज्ञा का पालन करते हुए प्रभु का कार्य करना चाहिए।
सभी धर्मों के लोग मिलकर मनाते हैं होलिकोत्सव
होली जैसे पवित्र त्योहार के सम्बन्ध में सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने अपने ऐतिहासिक यात्रा
संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का
उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं अपितु मुसलमान लोग भी मनाते हैं। इसका सबसे प्रामाणिक
इतिहास की तस्वीरे मुगलकाल की हैं और इस काल में होली के किस्से उत्सुकता जगाने वाले हैं। इन तस्वीरों में
अकबर को जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर को नूरजहाँ के साथ होली खेलते हुए दिखाया गया है। शाहजहाँ के समय
तक होली खेलने का मुगलिया अंदाज ही बदल गया था। इतिहास में वर्णन है कि शाहजहाँ के जमाने में होली को ‘ईद-
ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी’, रंगों की बौछार, कहा जाता था। अंतिम मुगल बादशाह शाह जफर के बारे में प्रसिद्ध है कि
होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाते थे।
प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परम्परा को बनाये रखने की आवश्यकता
होली रंगों का त्योहार है, हँसी-खुशी का त्योहार है। लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं।
प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, नशेबाजी की बढ़ती प्रवृत्ति और लोक-संगीत की जगह फिल्मी
गानों का प्रचलन इसके कुछ आधुनिक रूप है। पहले जमाने में लोग टेसू और प्राकृतिक रंगों से होली खेलते थे।
वर्तमान में अधिक से अधिक पैसा कमाने की होड़ में लोगों ने बाजार को रासायनिक रंगों से भर दिया है। वास्तव में
रासायनिक रंग हमारी त्वचा के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। इन रासायनिक रंगों में मिले हुए सफेदा, वार्निश,
पेंट, ग्रीस, तारकोल आदि की वजह से हमको खुजली और एलर्जी होने की आशंका भी बढ़ जाती है। इसलिए होली
खेलने से पूर्व हमें बहुत सावधानियाँ बरतनी चाहिए। हमें चंदन , गुलाबजल , टेसू के फूलों से बना हुआ रंग तथा
प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परंपरा को बनाये रखते हुए प्राकृतिक रंगों की ओर लौटना चाहिए।
होली पर्व का मुख्य उद्देश्य मानव कल्याण ही है-
होली पर्व के पीछे तमाम धार्मिक मान्यताएं, मिथक, परम्पराएं और ऐतिहासिक घटनाएं छुपी हुई हैं पर
अंततः इस पर्व का मुख्य उद्देश्य मानव-कल्याण ही है। लोकसंगीत, नृत्य, नाट्य, लोककथाओं, किस्से – कहानियों
और यहाँ तक कि मुहावरों में भी होली के पीछे छिपे संस्कारों , मान्यताओं व दिलचस्प पहलुओं की झलक मिलती है।
होली को आपसी प्रेम एवं एकता का प्रतीक माना जाता है। होली हमें सभी मतभेदों को भुलाकर एक-दूसरे को गले
लगाने की प्रेरणा प्रदान करती है। इसके साथ ही रंग का त्योहार होने के कारण भी होली हमें प्रसन्न रहने की प्रेरणा
देती है। इसलिए इस पवित्र पर्व के अवसर पर हमें ईर्ष्या , द्वेष , कलह आदि बुराइयों को दूर करके आपसी प्रेम ,
सद्भाव और भाईचारे को बढ़ाना चाहिए। वास्तव में हमारे द्वारा होली का त्योहार मनाना तभी सार्थक होगा जबकि
हम इसके वास्तविक महत्व को समझकर उसके अनुसार आचरण करें। इसलिए वर्तमान परिवेश में जरूरत है कि इस
पवित्र त्योहार पर आडम्बरता की बजाय इसके पीछे छुपे हुए संस्कारों और जीवन-मूल्यों को अहमियत दी जाए तभी
व्यक्ति , परिवार , समाज और राष्ट्र सभी का कल्याण होगा।
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