कानपुर 2 अगस्त भारतीय स्वरूप संवाददाता एस .एन. सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज ,कानपुर में अर्थशास्त्र विभाग द्वारा संघीय बजट 2024- 25 पर एक वाद- विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि एवं महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर सुमन,विशिष्ट अतिथि डॉ रामकृपाल,निर्णायक सदस्य डॉक्टर किरण, प्रोफेसर मीनाक्षी व्यास तथा विभाग के सदस्यों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया । छात्राओं ने संघीय बजट 2024- 25 पर पक्ष- विपक्ष में अपने-अपने विचार प्रस्तुत किया। प्राचार्य जी, निर्णायक सदस्यों के द्वारा भी बजट के विभिन्न पहलुओं पर अपना विचार प्रस्तुत किया गया।विशिष्ट अतिथि ने बजट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से बताया।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रोली मिश्रा तथा धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर निशा वर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर प्रोफेसर गार्गी यादव ,डॉक्टर प्रीति सिंह , डॉ प्रीति पांडे, डॉ रचना निगम,प्रीति यादव, डॉ श्वेता डॉक्टर , प्रीता अवस्थी एवं डॉक्टर कीर्ति अवस्थी आदि उपस्थित रहे।
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महिलाओं के लिए हैं विशेष रूप से 33 में से 19 राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान
सीआईटीएस के तहत स्वीकृत सीटों में से 50.45% महिला प्रशिक्षु थीं जबकि एनएसटीआई में सीटीएस प्रशिक्षण के तहत 84% प्रशिक्षु महिलाएं थीं।
महिला पाठ्यक्रमों में भागीदारी को और बढ़ाने के लिए, सभी लड़की उम्मीदवारों के लिए ट्यूशन और परीक्षा शुल्क माफ कर दिया गया है और सामान्य एनएसटीआई में प्रवेश के लिए सामान्य ट्रेडों में महिलाओं के लिए 30% सीटें आरक्षित हैं।
यह जानकारी कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर
यूनियन बजट – 2024 में युवा एवं महिलाओं के कौशल विकास एवं रोजगार हेतु किए गए विशेष प्रावधान
कानपुर 29 जुलाई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के निर्देशन में एनएसएस वालंटियर्स एवं अन्य छात्र छात्राओं को बजट 2024 में युवाओं के कौशल विकास , रोजगार एवं महिला सशक्तिकरण हेतु विशेष रूप से किए गए प्रावधानों पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें सभी वॉलिंटियर्स ने सक्रिय सहभागिता की तथा अपने-अपने विचार रखें। कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि आत्मनिर्भर भारत , मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया , एवम् स्किल इंडिया आदि योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए छात्राओं को बताया गया कि किस प्रकार से युवा खासकर महिलाएं एवं युवतियां किस प्रकार से , कहां से वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकती हैं तथा अपना रोजगार (स्टार्टअप) प्रारंभ कर स्वयं आत्मनिर्भर बन सकती हैं तथा अन्य लोगों को भी रोजगार प्रदान कर देश के आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।
दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज ने जागरूकता अभियान चलाकर नशा मुक्त भारत बनाने का संदेश दिया
कानपुर 26 जुलाई, भारतीय स्वरूप संवाददाता, राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज, द्वारा नशा मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत आज दिनांक 26 जुलाई 2024 को एन एस एस वॉलिंटियर्स के द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं तथा जागरूकता अभियान चलाकर नशा मुक्त भारत बनाने का संदेश आम जन जन तक पहुंचाया गया। इस अवसर पर छात्राओं ने स्लोगन राइटिंग, डिबेट पोस्टर मेकिंग आदि प्रतियोगिताएं की। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो वंदना निगम तथा सेल्फ फाइनेंस डायरेक्टर प्रो अर्चना वर्मा ने हरी झंडी दिखाकर रैली को रवाना किया। वॉलिंटियर्स के द्वारा लोगों को नशे से होने वाली हानि जैसे रोड एक्सीडेंट्स तथा गंभीर रोगों कैंसर , टीवी, फेफड़ों के अन्य रोग, त्वचा संबंधी रोग तथा विभिन्न प्रकार की एलर्जी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारियां दी गई ।
दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में एक पेड़ मां के नाम तथा पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ अभियान के अंतर्गत किया गया पौधारोपण
दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के स्वयंसेवकों द्वारा एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत वृहद पौधारोपण किया गया । इस वर्ष की थीम “पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ” के आधार पर समस्त वॉलिंटियर्स एवं प्राध्यापिकाओं ने पौधारोपण करते हुए निरंतर प्रयास से पेड़ो को बचाए रखने हेतु संकल्प लिया । इस अवसर पर उच्च शिक्षा निदेशालय, उत्तर प्रदेश शासन के निर्देशानुसार मातृ वाटिका का निर्माण भी किया गया। लगाए गए पौधों में मुख्यतः सागौन , आम , जामुन इमली, नीम , पीपल , पाखड़ , नींबू इत्यादि रहे। इस अवसर पर कुछ पौधे मातृ वाटिका में लगाए गए तथा कुछ पौधे छात्राओं को वितरित किए गए ताकि वह अपने घर, आंगन या प्रांगण में वह पौधा लगाकर उसकी रक्षा करें तथा उसे पाल पोसकर बड़ा करें।
इस अभियान के अंतर्गत आज यह दूसरा चरण था जिसमें कुल 50 पौधे लगाए गए प्रथम चरण में भी 50 पौधे स्वयं सेविकाओं को लगाने हेतु वितरित किए गए थे। महाविद्यालय प्राचार्य प्रो वंदना निगम में छात्राओं को वृक्ष लगाने तथा उनकी सुरक्षा करने के महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। इस अवसर पर महाविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग, रसायन शास्त्र विभाग, भूगोल विभाग की समस्त प्राध्यापिकाओं समेत आइक्यूएसी इंचार्ज प्रो सुगंधा तिवारी एवं अलका श्रीवास्तव उपस्थिति रही। राष्ट्रीय सेवा योजना की 56 छात्राओं के द्वारा मातृ वाटिका के निर्माण में सक्रिय योगदान किया गया।
राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए स्व-नामांकन हेतु पंजीकरण की अंतिम तिथि 18 जुलाई 2024 तक बढ़ी
पात्रता की शर्तें:
राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन, स्थानीय निकायों और राज्य/संघ राज्य क्षेत्र बोर्ड से संबद्ध निजी स्कूलों द्वारा संचालित मान्यता प्राप्त प्राथमिक/मध्य/उच्च/उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत स्कूल शिक्षक और स्कूल प्रमुख इस पुरस्कार के लिए पात्र हैं।
- केन्द्र सरकार के स्कूल, यानी केन्द्रीय विद्यालय (केवी), जवाहर नवोदय विद्यालय (जेएनवी), रक्षा मंत्रालय (एमओडी) द्वारा संचालित सैनिक स्कूल, परमाणु ऊर्जा शिक्षा सोसाइटी (एईईएस) द्वारा संचालित स्कूल, और जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा संचालित एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस); और
- केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय विद्यालय प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से संबद्ध स्कूल।
फाइलेरिया उन्मूलन कार्यशाला आयोजित
भारत सरकार के युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय के एनएसएस क्षेत्रीय निदेशालय लखनऊ और एनएसएस प्रकोष्ठ उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश शासन लखनऊ द्वारा पी सी आई तथा ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन के लिए युवाओं की प्रतिभागिता के उद्देश से एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई । कार्यक्रम का शुभारंभ राज्य सम्पर्क अधिकारी प्रो. मंजू सिंह और युवा अधिकारी समरदीप सक्सेना एवं राजेश तिवारी के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय, पी सी आई एवम् जी एच एस के अधिकारियो द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम में प्रदेश के 10 विश्वविद्यालयों के 27 जनपदों से 70 से अधिक कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । इस कार्यक्रम में कानपुर विश्वविद्यालय के कार्यक्रम समन्वयक डॉ श्याम मिश्रा जी के नेतृत्व में सर्वाधिक 13 कार्यक्रम अधिकारियों ने प्रतिभाग किया । जनपद कानपुर नगर से जिला नोडल अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के साथ डी ए वी कॉलेज से डॉ चंद्र सौरभ एवम् बी एन डी कॉलेज से डॉ प्रमोद ने प्रतिभाग किया।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज इंदौर से मध्य प्रदेश के सभी 55 जिलों के 486 करोड़ रुपए की लागत से बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज मध्य प्रदेश के इंदौर से राज्य के सभी 55 जिलों में बनाए गए प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी। मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है। गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। श्री अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। श्री अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की। गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।
उद्घाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी देशवासियों के सामने आज़ादी के 100 साल पूरे होने पर 2047 तक भारत को विश्व में हर क्षेत्र में प्रथम बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि ऐसे भारत का निर्माण शिक्षा की नींव मजबूत किए बिना नहीं हो सकता। इसलिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दूरदर्शिता के साथ, आने वाले 25 सालों की सभी आवश्यकताओं का ध्यान रखकर नई शिक्षा नीति लाने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि नई शिक्षा नीति आगामी 25 वर्षों की सभी आवश्यकताओं को विजुलाइज करके लाई गई है। नई शिक्षा नीति आने वाले 25 साल तक भारत के विद्यार्थियों को विश्व भर के विद्यार्थियों के साथ स्पर्धा करने के योग्य बनाएगी, वहीँ दूसरी ओर विद्यार्थियों को हमारी हजारों साल पुरानी संस्कृति और भाषाओं के साथ जोड़ने का काम भी करेगी।
मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए श्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में अगर सबसे पहले नई शिक्षा नीति कहीं जमीन पर उतारने का काम हुआ है तो वह मध्य प्रदेश है। उन्होंने कहा कि पूरे देश में सिर्फ मध्य प्रदेश ही वह राज्य है जिसने इंजीनियरिंग और मेडिकल साइंस के पाठ्यक्रम का मातृभाषा में अनुवाद करने की पहल की। इससे बहुत सारे गरीब बच्चों को अपनी मातृभाषा में मेडिकल साइंस और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने का फायदा मिला है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज 486 करोड़ रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का शुभारंभ हो रहा है और यह सिर्फ नाम बदलने का कार्यक्रम नहीं है। इसके सारे ‘पैरामीटर्स’ और ‘क्राइटेरिया’ पूरा करने के बाद ही सभी 55 कॉलेज प्रधानमंत्री कॉलेज आफ एक्सीलेंस का दर्जा प्राप्त करने के योग्य बने हैं। उन्होंने कहा कि इन कॉलेजों में कंपार्टमेंटल शिक्षा नहीं होगी बल्कि छात्रों को मूल विषय के साथ ही अपनी रुचि के अन्य विषय पढ़ने की भी छूट होगी। अगर कोई छात्र बी.ए करना चाहता है और विज्ञान के किसी विषय में भी उसकी रुचि है तो वह साथ में उस विषय में डिप्लोमा भी कर सकता है। गृह मंत्री ने उदाहरण देकर बताया कि अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और कला या भाषा में उसकी रुचि है, तो वह कला और भाषा के विषयों की पढ़ाई कर सकता है। अगर कोई कॉमर्स का विद्यार्थी है और टेक्नोलॉजी में रुचि है, तो भी वह अपनी रुचि के अनुसार टेक्नोलॉजी में भी डिप्लोमा कोर्स कर सकता है।
गृह मंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति के एक महत्त्वपूर्ण अध्याय को मध्य प्रदेश ने आज बडी खूबसूरती से जमीन पर उतारा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थी के भीतर की सभी शक्तियों को बाहर लाना, उन्हें एक प्लेटफार्म देना और उन्हें विकसित होने का मौका देना है। श्री शाह ने कहा कि रटा रटाया ज्ञान और सिलेबस से परीक्षा में नंबर लाना तो सरल है परंतु अपने भीतर के गुणों और ईश्वरदत्त शक्तियों का विकास करना बहुत कठिन है। अमित शाह ने कहा कि आज जिन 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस का उद्घाटन हुआ है, वे विद्यार्थियों को बायोटेक्नोलॉजी, कंप्यूटर साइंस, संस्कृति, कला जैसे अनेक विषयों में अपनी रुचि के अनुसार अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि इन सभी कॉलेजों में बी.एड और बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। बी.एस.सी एग्रीकल्चर जैसे पाठ्यक्रम के कारण युवा कृषि के साथ जुड़ेंगे और इससे स्वरोजगार के बहुत सारे नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि अनेक डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्सेज को आईआईटी दिल्ली और कई अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों से जोड़ने का काम किया गया है। मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकों का केंद्र भी सभी इन 55 कॉलेजों में शुरू किया गया है।केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इंदौर अब तक कॉटन हब और स्वच्छता का हब माना जाता था, लेकिन अब इंदौर एजुकेशन हब बनने की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इंदौर फार्मा, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, इन सब क्षत्रों में आगे बढ़ रहा है। अमित शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश में नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा के लिए ढेर सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं। कई नए कोर्सेज शुरू किए गए हैं, कई विश्वविद्यालय भी बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को एक बार नई शिक्षा नीति ज़रूर पढ़ना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने युवाओं के भविष्य को संवारने के लिए नई शिक्षा नीति बनाई है। नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों को ‘सिलेबस ऑफ़ एकेडमिक्स’ के साथ-साथ ‘सिलेबस ऑफ लाइफ’ भी सिखाया जाएगा। नई शिक्षा नीति के जरिये विद्यार्थियों में ‘ऑर्थोडॉक्स थिंकिंग’ की जगह ‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने की आदत विकसित करने पर जोर है। नई शिक्षा नीति में युवाओं को वोकेशनल और स्किल ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री और एकेडमिक्स के बीच गैप भरने का भी प्रयास किया गया है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में ग्लोबल लैंडस्केप से भारतीय शिक्षा पद्धति को जोड़ने का काम हमारी नई शिक्षा पद्धति करेगी और इससे भारतीय युवा सिलेबस को रटने की जगह आइडिया की रचना पर बल देगा। उन्होंने कहा कि हमारी नई शिक्षा नीति में डिग्री देने की जगह युवाओं के 360 डिग्री डेवलपमेंट पर जोर दिया गया है। श्री शाह ने युवाओं से अपील करते हुए कहा कि जीवन में सिद्धि पाने के लिए लक्ष्य का होना आवश्यक है, लक्ष्यहीन जीवन को समय बहा ले जाता है और लक्ष्य के साथ तय किए गए रास्ते पर अगर आप जीवन जिएँगे, तो आप समय को बहा ले जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारब्ध का आशीर्वाद भी तभी मिलता है जब हम पुरुषार्थ से इसकी पीठिका तैयार करते हैं। श्री शाह ने विद्यार्थियों से जीवन का लक्ष्य तय कर आज से ही कठोर परिश्रम करने की अपील की।
गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स की पीढ़ी है और इसीलिए नई शिक्षा नीति में प्रैक्टिकल, स्किल डेवलपमेंट, वोकेशनल ट्रेनिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में भारत निश्चित तौर पर विश्व में सर्वप्रथम बनेगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने हमारे सामने आजादी की शताब्दी का लक्ष्य रखा है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि यह लक्ष्य आपके लिए है और आप वह दिन देखोगे जब पूरी दुनिया में भारत हर क्षेत्र में महान होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसकी नींव डालने का काम हमारी नई शिक्षा नीति और आज के प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ़ एक्सीलेंस करेंगे।
भारतीय कॉरपोरेट कार्य संस्थान (आईआईसीए) ने अपने प्रमुख पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम (पीजीआईपी) के छठे बैच का उद्घाटन किया

मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्घाटन भाषण में माननीय न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट ने पिछले आठ वर्षों में आईबीसी की विकास यात्रा पर प्रकाश डाला और आईबीसी, 2016 के उद्देश्यों की तुलना आरडीबी अधिनियम 1993 और एसएआरएफईएएसआई अधिनियम 2002 से की और यह भी बताया कि पहले के कानून किस तरह से विखंडित थे। उन्होंने एनसीएलटी, एनसीएलएटी, सीआईआरपी की भूमिका, आईबीसी के तहत आईपी की भूमिका और इसकी एकीकृत तथा समयबद्ध प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। माननीय न्यायमूर्ति भट ने कुशल समाधान प्रक्रिया, प्राथमिकता और ऋणशोधन पर सीआईआरपी के महत्व के बारे में भी बात की। उन्होंने आईबीसी, 2016 के समक्ष समय पर समाधान, बुनियादी ढांचे के मुद्दे, समाधान और वसूली आदि चुनौतियों को भी चिह्नित किया। उन्होंने आईपी की भूमिका पर भी बात की, जिसमें उनके लिए आवश्यक कौशल सेट जैसे समाधान और बातचीत कौशल, प्रबंधन कौशल तथा दावों, परिसंपत्तियों, वित्त के संग्रहण, सीओसी के गठन, सीओसी में मतदान प्रक्रिया को विनियमित करने और भारत में आईबीसी 2016 की शुरुआत के बाद क्रेडिट संस्कृति में बदलाव शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय सचिव, विधि एवं न्याय तथा एनसीएलएटी के पूर्व सदस्य (तकनीकी) डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने आईबीसी मामलों के बारे में अपने अनुभव साझा किए तथा संपूर्ण समाधान प्रक्रिया में आईपी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने व्यापार करने में आसानी, सीमा कानून तथा संबंधित पक्ष लेन-देन के बारे में बात की, जिन्हें आईबीसी प्रक्रिया में शामिल किया गया। इसके साथ ही उन्होंने यूके कॉमन लॉ सिस्टम से उधार लिए गए आईबीसी मॉडल पर भी अपनी बात रखी। इस अवसर पर अपने संबोधन में, आईबीबीआई के पूर्णकालिक सदस्य श्री सुधाकर शुक्ला ने आरबीआई की 90वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर प्रकाश डाला, जिसमें प्रधानमंत्री ने ‘मान्यता, समाधान तथा पुनर्पूंजीकरण की रणनीति’ पर बात की। उन्होंने कहा कि दोहरी बैलेंस शीट की समस्या अतीत की समस्या है। श्री शुक्ला ने यह भी उल्लेख किया कि आईबीसी की सफलता को चालू वर्ष के दौरान समाधानों की संख्या (लगभग 1000), आईबीसी के तहत आवेदनों की वापसी की संख्या तथा पिछले 8 वर्षों से ऋणशोधन पर 131 प्रतिशत समाधानों से देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दिवालियापन के लिए एक विनियामक के रूप में आईबीबीआई का निर्माण और युवा पेशेवरों के लिए पीजीआईपी अपनी तरह का पहला नवाचार है।
इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्ट्सी केंद्र के प्रमुख डॉ. के. एल. ढींगरा ने पीजीआईपी के पूर्व छात्रों की सफलता की कहानियों और इन्सॉल्वेंसी तथा बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में इस पाठ्यक्रम की भूमिका और समाधान प्रक्रिया में नैतिकता की भूमिका के बारे में बताया। इससे पहले, अपने स्वागत भाषण में आईआईसीए के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय भूषण प्रसाद पांडे ने मजबूत इन्सॉल्वेंसी फ्रेमवर्क और लेनदारों को प्रदान की जाने वाली स्वस्थ ऋण संस्कृति के आधार के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि दिवालियापन समाधान उत्पादक संपत्तियों को अनलॉक करने और मूल्य ह्रास को रोकने की कुंजी है। उन्होंने वित्तीय प्रणाली में जनता के विश्वास को बनाए रखने में इन्सॉल्वेंसी पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी कहा कि आईबीसी का उद्देश्य एनपीए के समाधान के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग किए जाने की तुलना में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देना है। आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम के छठे बैच का उद्घाटन भारत में इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी के क्षेत्र में उत्कृष्टता एवं नेतृत्व के लिए युवा और कुशल पेशेवरों को तैयार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। वर्ष 2019 में इसकी शुरुआत के बाद से भारत में विभिन्न हितधारकों द्वारा इस कार्यक्रम को बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
आईआईसीए में पोस्ट ग्रेजुएट इन्सॉल्वेंसी प्रोग्राम की शुरुआत कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी में ज्ञान व विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए आईबीबीआई और आईआईसीए के ठोस प्रयास का नतीजा है। इसका उद्देश्य छात्रों को कॉर्पोरेट पुनर्गठन और इन्सॉल्वेंसी कार्रवाई की जटिलताओं से निपटने के लिए महत्वपूर्ण उन्नत कौशल और अंतर्दृष्टि से लैस करना है। आईआईसीए के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पायला नारायण राव ने कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन किया।
नव प्रवेशित छात्राओं का अभिविन्यास कार्यक्रम संपन्न
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 10 जुलाई एस एन सेन बालिका विद्यालय पीजी कॉलेज माल रोड, में आज नए छात्रों का अभिविन्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें नव प्रवेशित छात्राओं को महाविद्यालय के गौरवपूर्ण इतिहास के साथ ही साथ समस्त संचालित विभागों, उसमें कार्यरत शिक्षक ,उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य तथा भविष्य में बच्चे यहा क्या प्रगति कर सकते हैं ?इस पर मुख्य रूप से प्रकाश डाला गया ।कार्यक्रम का आयोजन महाविद्यालय की अनुशासन समिति के तत्वाधान में किया गया ।कार्यक्रम का संचालन शिक्षा शास्त्र विभाग की अध्यक्ष प्रो चित्रा सिंह तोमर द्वारा किया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सुमन ने बच्चों के अधिक संख्या में आगमन से प्रसन्न होकर बहुत ही प्रेरणादायक उद्बोधन दिया। महाविद्यालय में एनएसएस, एनसीसी , रोबर रेंजर के प्रभारी ने भी बच्चों को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही ,राष्ट्रगान के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया।