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राजनीति

दिल्ली में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस का समापन हुआ

“अगले दशक के लिए भूविज्ञान: चुनौतियां और समाज” विषय पर तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय भूविज्ञान कार्यक्रम-36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस कल यहां संपन्न हुई।

कांग्रेस के तीसरे दिन, सत्र की वार्ता में भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं और सबडक्शन इनिशीएशन का समय, ओपियोलाइट अबडक्शन और हिमालय में क्रस्टल थिकनिंग और मेटामोरफिज्म होना, भूवैज्ञानिक कार्बन भंडारण: CO2 भंडारण के प्राकृतिक एनालॉग पर अवलोकन से द्वितीयक ट्रैपिंग तंत्र का महत्व पता करना, एक एलियन वर्ल्ड पर माइक्रोबियल लाइफ: अर्ली अर्थ में जीवन का निवास स्थान” जैसे विषय शामिल थे, जो माइक सियरल, माइकल बिकल, मार्टिन वैन क्रैनेंडोंक, कैथी कैंपबेल द्वारा पेश किए गए।

22 मार्च 2022 को “विश्व जल दिवस” मनाते हुए, मशहूर भू-वैज्ञानिक प्रोफेसर मिहिर शाह, शिव नादर विश्वविद्यालय और एसीडब्ल्यूएडीएएम की उमा असलेकर द्वारा “ब्रिंगिग द साइंस बैक इंटो वाटर: भारत में स्थायी भूजल प्रबंधन की चुनौतियां” पर एक व्याख्यान दिया गया। वार्ता में भूजल संसाधनों के प्रबंधन पर जोर दिया गया। उन्होंने जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए प्राकृतिक खेती की पुरजोर वकालत करने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया।

समापन टिप्पणी प्रो. डी.एम. बनर्जी, एफएनए ने 36वीं आईजीसी आयोजन समिति समेत भारत के सभी भागीदारों को धन्यवाद देते हुए किया।

पैनल चर्चा में एक सुरक्षित और स्वस्थ ग्रह बनाने के लिए पृथ्वी की गतिशीलता को समझने, लगातार विकास को बढ़ावा देने, पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में लैंगिक असमानताओं को कम करने, भू-विज्ञान की बेहतर समझ, जलवायु परिवर्तन और भू-खतरों की भविष्यवाणी और शमन के बारे में थी।

दुनिया के प्रसिद्ध भूवैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों जैसे डेटा संचालन के जरिये पृथ्वी विज्ञान को सीखना और खोज करना, हेडियन अर्थ से एक रहने योग्य ग्रह तक, एंथ्रोपोसीन भूवैज्ञानिक समय पैमाने की एक संभावित इकाई के रूप में: क्रेटेशियस लवणता संकट की प्रगति और उच्च दबाव रिकॉर्ड पर एक अद्यतन आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।

चर्चा का अंत प्रोफेसर रोलैंड ओबेरहेन्सली, पूर्व अध्‍यक्ष आईयूजीएस, प्रोफेसर, पोस्टडैम विश्वविद्यालय, जर्मनी के व्याख्यान “हाई प्रेसर रिकॉर्ड ऑफ ए क्रेटेशियस सलिनिटी क्राइसिस” के साथ हुआ।

तीन दिवसीय कार्यक्रम में दुनिया भर से लगभग 7000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के उद्घाटन दिवस पर 20 मार्च को केंद्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी, कोयला, खान और रेल राज्य मंत्री श्री रावसाहेब पाटिल दानवे, संचार राज्य मंत्री श्री देवूसिंह चौहान और राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान एवं एमओएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कांग्रेस को संबोधित किया। उन्होंने भूविज्ञान के ओलंपिक के रूप में इसे वर्णित किया।

भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के तकनीकी और वैज्ञानिक समर्थन के साथ, खान मंत्रालय, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 20-22 मार्च 2022 तक 36वीं अंतर्राष्ट्रीय भूवैज्ञानिक कांग्रेस (आईजीसी) को आयोजित किया गया था। भारत ने 58 वर्षों के बाद बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के समर्थन से कांग्रेस की मेजबानी की है। इस आयोजन ने दुनिया भर के भू-वैज्ञानिकों को लगातार विकास के क्षेत्र में अधिक प्रभावी उपकरण तैयार करने के लिए सही मंच प्रदान किया।

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गुजरात के नर्मदा जिले में केवडिया, स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में आदि बाजार- आदिवासी संस्कृति और व्यंजन की भावना का एक उत्सव, का शुभारम्भ हुआ

आदि बाजारों- आदिवासी संस्कृति और व्यंजन की भावना के एक उत्सव की श्रृंखलाओं के क्रम में 26 मार्च, 2022 को गुजरात के नर्मदा जिले में एकता नगर, केवडिया, स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में एक अन्य बाजार का उद्घाटन किया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय के ट्राइफेड द्वारा आयोजित 11 दिवसीय प्रदर्शनी की शुरुआत 26 मार्च को हुई और यह 5 अप्रैल तक चलेगी। इसका उद्घाटन गुजरात सरकार में जनजातीय विकास, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्रीमती निमिषाबेन सुथार ने की। इस अवसर पर गुजरात सरकार में उच्च और प्रौद्योगिकी शिक्षा, विधायी एवं संसदीय कार्य मंत्री डॉ. कुबेरभाई मनसुखभाई दिंडोर, ट्राइफेड के चेयरमैन श्री रामसिंह रथवा और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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प्रतिष्ठित स्मारक स्टैच्यु ऑफ यूनिटी में हो रही 11 दिवसीय जीवंत प्रदर्शनी में 100 से ज्यादा स्टॉलों के माध्यम से जैविक आदिवासी उत्पाद और दस्तकारी के सामानों का प्रदर्शन किया जाएगा और ये देश के 10 से ज्यादा राज्यों का प्रतिनिधित्व करेंगे। इस अवसर पर बोलते हुए, श्रीमती निमिषाबेन सुधार ने कहा, “यह मुख्य रूप से भारत के पहले उप प्रधानमंत्री भारत रत्न सरदार वल्लभभाई पटेल के प्रयास ही थी, जो भारत एक रूप में अस्तित्व में है। देश को समावेशी और एकजुट बनाना उनकी मुख्य महत्वाकांक्षाओं में से एक थी। दुनिया में सबसे ज्यादा ऊंचा यह महान स्मारक उनके मूल्यों- राष्ट्रीयता, आध्यात्मिकता और संस्कृति का एक प्रमाण है, जिनका सरदार पटेल ने समर्थन किया और जिनके लिए वे हमेशा खड़े रहे। साथ ही यह जिला मुख्य रूप से एक आदिवासी क्षेत्र है। मुझे यह देखकर खासी खुशी है कि एक आदि बाजार- आदिवासी जीवन, संस्कृति और परम्पराओं का उत्सव- इस आदिवासी बहुल बाजार में होगा और चहुंमुखी विकास को बढ़ावा देगा। मैं आप सभी को शुभकामनाएं देती हूं। ”ट्राइफेड के चेयरमैन श्री रामसिंह रथवा ने उद्घाटन के दौरान कहा, “मैं खुश हूं कि ट्राइफेड भारत के आदिवासियों की आजीविका बढ़ाने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है। आदि बाजार से देश भर में बड़ी संख्या में लोगों तक आदिवासी संस्कृति के प्रसार में सहायता मिलेगी। यह खासी भीड़भाड़ वाला और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के कारण इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सहायता मिलेगी।

 

”11 दिन चलने वाले इस महोत्सव में देश के 10 राज्यों के जनजातीय हस्तशिल्प, कला, चित्रकलाओं, कपड़े, आभूषणों का प्रदर्शन किया जाएगा।30 मार्च और 8 अप्रैल, 2022 के बीच एक अन्य आदि बाजार ओडिशा के राउरकेला में सेल प्रदर्शनी मैदान में आयोजित किया जाएगा। आदिवासी जीवन के मूलभूत स्वभाव का प्रतिनिधित्व करने वाले ये आदि बाजार ट्राइफेड द्वारा वंचित आदिवासियों की आजीविका में सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा हैं, जो पिछले दो साल में खासी प्रभावित हुई है। आदि बाजार एक ऐसी पहल है, जिससे इन समुदायों के आर्थिक कल्याण और उन्हें मुख्यधारा के विकास के नजदीक लाने में सहायता मिलती है।

 

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केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने लाल किले में भव्‍य दस दिवसीय ‘लाल किला महोत्सव-भारत भाग्य विधाता’ का उद्घाटन किया

दस दिवसीय लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता, 17वीं शताब्दी के प्रतिष्ठित स्मारक, लाल किला, नई दिल्ली में कल से शुरू होगा। 25 मार्च से 3 अप्रैल 2022 तक आयोजित होने वाला यह उत्सव रोजाना सुबह 11 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहेगा। इस महोत्सव में “मातृभूमि” -प्रोजेक्शन मैपिंग शो, यात्रा – 360° तल्लीन कर देने वाला अनुभव होगा। इसके अलावा एक सांस्कृतिक परेड, खाओ गल्ली, रंग मंच में लाइव प्रदर्शन, भारत के नृत्य, अनोखे वस्त्र, खेल मंच और खेल गांव तथा योग सहित मशगूल कर देने लायक कई तरह के अनुभव होंगे। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी कल सुबह 10 बजे लाल किले में महोत्सव का उद्घाटन करेंगी। यह घोषणा संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्रीमती उमा नंदूरी ने आज नई दिल्ली में एक मीडिया ब्रीफिंग में की। इस अवसर पर डालमिया ग्रुप के सीईओ श्री आनंद भारद्वाज के साथ पर्यटन मंत्रालय में अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़; भारतीय पुरातत्‍‍व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय में निदेशक श्री अजय यादव भी उपस्थित थे। श्रीमती नंदूरी ने यह भी कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव के तहत संस्कृति मंत्रालय द्वारा भारत भाग्य विधाता का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लाल किला उत्सव देश की विरासत का उत्सव मनाने के लिए है और भारत भाग्य विधाता के तहत भारत के हर हिस्से की संस्कृति को दिखाया जाएगा। पर्यटन मंत्रालय की अपर महानिदेशक सुश्री रूपिंदर बराड़ ने कहा कि सरकार की एक विरासत अपनाओ पहल के माध्यम से लाल किले को उसके पुराने गौरव में पुनर्जीवित किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत भाग्य विधाता सभी की भारत की विविधता की सराहना करने में मदद करेगा। उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि दुनिया भर में पर्यटन के पुनर्जीवित होने के साथ, यह एक महत्वपूर्ण घटना होने जा रही है और पर्यटकों को भारत में आकर्षित सकारात्मक संकेत भेजती है। लाल किले के “स्मारक मित्र”, डालमिया भारत लिमिटेड के साथ संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में इस भव्‍य कार्यक्रम की परिकल्पना की है। लाल किला महोत्सव – भारत भाग्य विधाता आगंतुकों के लिए एक समृद्ध सांस्कृतिक दावत का वादा करता है और इसका उद्देश्य विरासत संरक्षण और पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती हैः राष्ट्रपति कोविन्द

राष्ट्रपति  कोविन्द ने कहा है कि लोकतंत्र में जन प्रतिनिधियों की भूमिका अत्यंत महत्‍वपूर्ण होती है। वे आज (24 मार्च, 2022) गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों को सम्बोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि विधान सभा के सदस्य अपने क्षेत्रों के और राज्य के प्रतिनिधि होते हैं; लेकिन इस बात का महत्‍व अधिक है कि लोग उन्हें अपना भाग्य विधाता मानते हैं। लोगों की आशायें और आकांक्षायें उनसे जुड़ी होती हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की इन आकांक्षाओं को पूरा करना सभी जन प्रतिनिधियों के लिये सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि वे उस समय गुजरात विधान सभा सदस्यों को सम्बोधित कर रहे हैं, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी और उसका अमृत महोत्सव मनाने के लिये गुजरात से बेहतर स्थान और क्या हो सकता है। गुजरात क्षेत्र के लोग स्वतंत्र भारत की अलख जगाने में अग्रणी रहे हैं। उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक में, दादाभाई नौरोजी और फिरोज शाह मेहता जैसी हस्तियों ने भारतीयों के अधिकारों के लिये आवाज उठाई थी। उस संघर्ष को गुजरात के लोग लगातार मजबूत करते रहे, जो फलस्वरूप महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत की स्वतंत्रता की पराकाष्ठा को पहुंचा।राष्ट्रपति ने कहा कि महात्मा गांधी ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम को नेतृत्व प्रदान किया, बल्कि उन्होंने पूरी दुनिया को नई राह भी दिखाई, नये विचार और नया दर्शन दिया। आज विश्व में जहां भी किसी प्रकार की हिंसा होती है, तो बापू के मंत्र ‘अहिंसा’ का महत्‍व समझ में आने लगता है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात का इतिहास अनोखा है। यह महात्मा गांधी और सरदार पटेल की भूमि है तथा इसे सत्याग्रह की भूमि कहा जा सकता है। सत्याग्रह का मंत्र पूरी दुनिया में उपनिवेश के विरुद्ध अचूक अस्त्र के रूप में स्थापित हो गया है। बारडोली सत्याग्रह, नमक आंदोलन और दांडी मार्च ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को न केवल नया आकार दिया, बल्कि प्रतिरोध की अभिव्यक्ति तथा जन आंदोलन की पद्धति को नये आयाम भी दिये।राष्ट्रपति ने कहा कि सरदार पटेल ने स्वतंत्र भारत को एकता के सूत्र में बांधा और प्रशासन की आधारशिला रखी। नर्मदा के किनारे स्थित उनकी प्रतिमा ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है तथा उनकी स्मृति के प्रति यह कृतज्ञ राष्ट्र का अकिंचन उपहार है। भारतवासियों के मन में उनका कद तो इससे भी बड़ा है।राष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति से इतर, गुजरात ने सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। आध्यात्मिक रूप से देखा जाये तो नरसिंह मेहता की इस भूमि का बहुत प्रभाव है। उनका भजन “वैष्णव जन तो तेने कहिये जे पीर पराई जाने रे” तो हमारे स्वतंत्रता संघर्ष का गान बन गया था। इस भजन ने भारतीय संस्कृति के मानवीय पक्ष का भी प्रसार किया। राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात के लोगों की उदारता, भारतीय संस्कृति की प्रमुख विशेषता है। सभी वर्गों और समुदायों के लोग प्राचीन काल से ही यहां भाईचारे की भावना के साथ रह रहे हैं।राष्ट्रपति ने इस बात का भी उल्लेख किया कि गुजरात ने आधुनिक काल में विज्ञान के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय योगदान किया है। जहां डॉ. होमी जहांगीर भाभा को भारतीय परमाणु कार्यक्रम का पितामह कहा जाता है, वहीं भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई को भारतीय विज्ञान, विशेषकर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का युगद्रष्टा माना जाता है।राष्ट्रपति ने कहा कि 1960 में जब गुजरात अस्तित्व में आया था, तब से वह अपने उद्यम और नई सोच के आधार पर विकासपथ पर बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्वेत क्रांति गुजरात की भूमि पर ही शुरू हुई थी और उसने पोषण के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव कर दिया है। आज भारत दूध के कुल उत्पादन और खपत में विश्व में पहले स्थान पर है। गुजरात की दूध सहकारितायें इस सफलता की जनक हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है, जिसका उद्देश्य गुजरात की सफलता तथा सहकारी संस्कृति के लाभों का देशभर में विस्तार करना है।राष्ट्रपति ने कहा कि गुजरात विधान सभा ने राज्य के आमूल विकास के लिये कई क्रांतिकारी कदम उठाये हैं। गुजरात पंचायत विधेयक, 1961 और गुजरात अनिवार्य बुनियादी शिक्षा अधिनियम, 1961 के जरिये स्थानीय स्व-शासन तथा शिक्षा में प्रगतिशील प्रणाली स्थापित की गई थी। गुजरात अकेला ऐसा राज्य है, जहां गुजरात अधोसंरचना विकास अधिनियम, 1999 को विधान सभा ने पारित किया था, ताकि अवसंरचना में निवेश तथा विकास को प्रोत्साहित किया जा सके। गुजरात जैविक कृषि विश्वविद्यालय अधिनियम, 2017 को विधान सभा ने पारित किया, जो भविष्य को देखते हुये कानून को दिशा देने के संदर्भ में महत्‍वपूर्ण है। उन्होंने गुजरात की वर्तमान और पूर्व की सरकारों तथा गुजरात विधान सभा के वर्तमान और पूर्व सदस्यों की प्रशंसा की कि उन सभी ने गुजरात की बहुपक्षीय प्रगति में योगदान किया है।राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से विकास के गुजरात मॉडल को अनुकरणीय माना जा रहा है, जिसे देश के किसी भी राज्य और क्षेत्र में लागू किया जा सकता है। साबरमती रिवर-फ्रंट शहरी रूपांतरण का प्रभावशाली उदाहरण है। साबरमती और उसके रहने वालों के बीच के रिश्ते को एक नया आयाम मिला है, वहीं पर्यावरण भी सुरक्षित हो गया है। यह देश के उन शहरों के लिये भी अच्छा उदाहरण बन सकता है, जो नदी किनारे आबाद हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हुये देश के उज्ज्वल भविष्य के लिये सार्थक कदम उठायें। इसलिये 2047 में जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शती मना रहा होगा, तो उस समय की पीढ़ी अपने देश पर गर्व करेगी। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत सरकार, राज्य सरकारें तथा समस्त देशवासी भारत के शताब्दी वर्ष को स्वर्ण युग बनाने के लिये एक साथ विकास पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे।

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सरकार और मीडिया के बीच सेतु स्थापित करने का माध्यम है वार्तालापः पीआईबी डीजी भूपेंद्र कैंथोला

पत्र सूचना कार्यालय(पीआईबी) पूर्वी क्षेत्र के महानिदेशक श्री भूपेंद्र कैंथोला ने पुरी में बुधवार को पत्र सूचना कार्यालय,पीआईबी, भुवनेश्वर द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला ‘‘वार्तालाप’’ में भाग लेने के दौरान कहा कि वार्तालाप जमीनी स्तर पर लोगों तक पहुंचने के लिए सरकार और मीडिया के बीच सेतु स्थापित करने का एक माध्यम है। सभा को संबोधित करते हुए श्री कैंथोला ने कहा कि महामारी के कारण अब चीजें बदल गई हैं। उन्होंने न्यू मीडिया में पत्रकारों के लिए कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘‘स्मार्टफोन के माध्यम से ऑनलाइन या डिजिटल मीडिया के रूप में एक नई पत्रकारिता की प्रवृत्ति विकसित हो रही है, जिसका प्रत्येक पत्रकार को सामना करना होगा। पुरी के वरिष्ठ पत्रकार श्री जगन्नाथ बस्तिया ने कार्यशाला में भाग लिया और पत्रकारों के सामने आने वाली कई चुनौतियों और मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने सुझाव दिया, ‘‘सामान्य जनता की तरह पत्रकार भी चक्रवात, महामारी से प्रभावित होते हैं। यह उनके और उनके कल्याण के बारे में सोचने का सही समय है। क्षेत्रीय आउटरीच ब्यूरो भुवनेश्वर के अतिरिक्त महानिदेशक श्री अखिल कुमार मिश्रा ने कहा कि पत्रकारिता न केवल एक पेशा है, बल्कि एक कौशल भी है। आरओबी के एडीजी ने कहा, ‘‘वार्तालाप जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार और मीडिया के बीच वार्ता के लिए एक मंच बनाया जा रहा है और जब हम इसके बारे में विचार.विमर्श और चर्चा करते हैं तो चीजें बेहतर होती हैं। तकनीकी सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार श्री राजाराम सतपथी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे आधुनिक पत्रकारिता चुनौतियों से भरी हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘एक पत्रकार को यह पक्का करना चाहिए कि वह किसी व्यक्ति या संगठन के लिए नहीं बल्कि लोगों के लिए काम कर रहा है। एक पत्रकार की भूमिका हमेशा सूचित करने, शिक्षित करने और मनोरंजन करने की होनी चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार श्री संदीप साहू ने पत्रकारिता नैतिकता और सोशल मीडिया के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की नैतिकता परंपरागत रूप से व्यवसायीकरण, व्यक्तियों, संगठनों और पहले होने की दौड़ की अवधारणा से प्रभावित होती है। उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एक सच्चे पत्रकार को हमेशा सही रास्ते पर चलना चाहिए, तथ्यों को दर्शकों के सामने पेश करने से पहले सत्यापित करना चाहिए। पीआईबी के उप निदेशक डॉ जी सी दास ने अपने स्वागत भाषण में कल्याणकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला, जबकि पीआईबी के मीडिया और संचार अधिकारी श्री पी के चौधरी ने सत्र का संचालन किया। बाद में, कार्यक्रम में भाग लेने के लिए एकत्रित पत्रकारों के साथ एक व्यापक संवाद सत्र आयोजित किया गया। वार्तालाप पर इनपुट और सुझाव लेते हुए उनसे एक व्यापक प्रतिक्रिया भी एकत्र की गई। मीडिया कार्यशाला में पुरी के लगभग 80 पत्रकारों की सक्रिय भागीदारी रही।

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भारत ने लक्ष्य तिथि से बहुत पहले ही 400 बिलियन डॉलर का वस्तु व्यापार निर्यात प्राप्त किया -पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने आज कहा कि 400 बिलियन डॉलर का निर्यात हासिल करना देश के प्रत्येक सेक्टर, प्रत्येक हितधारक के ठोस, सामूहिक प्रयास का परिणाम है भारत से वस्तु निर्यात चालू वित्त वर्ष के दौरान निर्धारित तिथि से 9 दिन पहले ही 400 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। यह वित्त वर्ष 2028-19 में अर्जित 330 बिलियन डॉलर के पिछले रिकॉर्ड से बहुत अधिक है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट  किया :

भारत ने 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया तथा सर्वप्रथम बार इस लक्ष्य को अर्जित किया है। मैं अपने किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, निर्यातकों को इस सफलता के लिए बधाई देता हूं यह हमारी आत्मनिर्भर भारत की यात्रा में एक प्रमुख मील का पत्थर है। श्री गोयल आज नई दिल्ली में इस अवसर पर आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे श्री गोयल ने कहा कि इस आकर्षक निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति ने विश्व को दिखा दिया कि अनगिनत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, दृढ़ संकल्प, लगन, क्षमता और प्रतिभा के साथ भारत सभी प्रकार की बाधाओं को पार करेगा श्री गोयल ने सभी निर्यातकों, किसानों, बुनकरों, एमएसएमई, विनिर्माताओं, विदेश स्थित भारतीय मिशनों तथा अन्य हितधारकों, जिन्हें उन्होंने इस उपलब्धि को अर्जित करने के पीछे का वास्तविक नायक बताया, के प्रति कृतज्ञता जताई।उन्होंने प्रधानमंत्री  मोदी को आगे बढ़ कर लगातार अगुवाई करने तथा निर्यात पर निरंतर ध्यान केंद्रित करते रहने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा की गई स्पष्ट अपील ने ही उद्योग को निर्यात में भारी उछाल लाने के लिए प्रेरित किया।गोयल ने कहा कि निर्यात लक्ष्य की प्राप्ति के पीछे देश-वार, उत्पाद -वार तथा ईपीसी -वार विशिष्ट लक्ष्य, निगरानी तथा कार्य सुधार सहित एक विस्तृत रणनीति कार्य कर रही थी।उन्होंने कहा कि इस उल्लेखनीय उपलब्धि को हासिल करने के लिए ‘ संपूर्ण सरकार दृष्टिकोण ‘ को ‘ संपूर्ण देश दृष्टिकोण ‘ के अगले स्तर ले जाया गया था उन्होंने यह भी कहा कि उपलब्धि केवल लक्ष्य को हासिल करने से संबधित नहीं थी  बल्कि आत्मविश्वास का निर्माण करने तथा नए बाजारों की खोज करने के बारे में भी थी मंत्री ने सकारात्मक रिपोर्टिंग, उत्साहवर्धक संपादकीयों के जरिये निरंतर व्यवसाय को प्रोत्साहित करने के लिए मीडिया की सराहना की जिसने इसे एक राष्ट्रीय मिशन बनाने के जरिये सहायता की।निर्यात का रोजगार सृजन, विशेष रूप से श्रम केंद्रित सेक्टरों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क को रेखांकित करते हुए श्री गोयल ने कहा कि जब मुरादाबाद के पीतल व्यापारी और वाराणसी के किसानों के उत्पादों को वैश्विक व्यापार में सराहा जाता है तो, यह इस बात का प्रमाण है कि निर्यात से रोजगार और समृद्धि बढ़ रही है।श्री गोयल ने कोविड-19 की लगातार आने वाली लहरों से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद पूरे वर्ष निर्यात की गति बनाये रखने के लिए भी भारतीय निर्यातकों की सराहना की।उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि पर वास्तव में एक उत्सव मनाया जाना चाहिए।  उन्होंने यह भी कहा कि इसने राष्ट्र के लिए एक आश्वस्त भविष्य का संदेश दिया। श्री गोयल ने कहा कि भारत गुणवत्ता तथा विश्वसनीयता की एक नई पहचान के साथ विश्व के लिए तैयार है।कोविड-19 महामारी द्वारा प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने में निर्यात की महत्वपूर्ण भूमिका को ध्यान में रखते हुए, वाणिज्य विभाग ने 6 अगस्त,  2021 को ‘‘ लोकल गोज वोकल – मेक इन इंडिया फॉर द वल्र्ड ‘‘ थीम पर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उनके संबोधन तथा निर्यातक समुदाय, राजदूतों/एचसी/वाणिज्यिक मिशनों/लाइन मंत्रालयों/विभागों, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, ईपीसी, कमोडिटी बोर्डों/प्राधिकरणों, उद्योगों/व्यापार संघों, आदि  के साथ उनकी परस्पर बातचीत के दौरान प्रदान की गई प्रेरणा को और आगे बढ़ाया।संबोधन के दौरान, प्रधानमंत्री ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान राष्ट्र द्वारा अर्जित करने के लिए 400 बिलियन डॉलर का वस्तु निर्यात का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया। उन्होंने निर्यातक समुदाय को निर्यात बास्केट में नए उत्पादों की खोज करने, नए गंतव्यों की तलाश करने तथा वर्तमान उत्पादों एवं बाजारों में गहरी पैठ सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित किया।इस प्रकार, माननीय प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित लक्ष्य एवं दृष्टिकोण को अर्जित करने के लिए वाणिज्य विभाग ने क्षेत्रों तथा देशों एवं उत्पाद/मकोडिटी समूहों के हिसाब से 400 बिलियन डॉलर के लक्ष्य को अलग अलग कर दिया। सरकार ने लक्ष्य को अर्जित करने के लिए तथा एक विस्तृत निगरानी प्रणाली के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की।अलग अलग किए गए लक्ष्यों ने देश/क्षेत्र/मिशन/निर्यात संवर्धन परिषदों द्वारा कड़ी निगरानी किए जाने को सक्षम बनाया है। वाणिज्य विभाग के कमोडिटी प्रभागों ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत संबंधित ईपीसी के साथ नियमित समीक्षा बैठकें आयोजित की हैं।इस प्रकार, कोविड की लगातार आने वाली लहरों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, भारत के वस्तु व्यापार प्रदर्शन ने प्रभावशाली बढोतरी प्रदर्शित की है तथा निर्यात अप्रैल से फरवरी के दौरान 11 लगातार महीनों ( मार्च के अंत में लगातार 12 महीनों तक संभव ) तक 30 बिलियन डॉलर से अधिक रहा है जिसमें विशेष रूप से दिसंबर 2021 के दौरान 39.3 बिलियन डॉलर का अब तक का सर्वोच्च मासिक वस्तु व्यापार रिकॉर्ड किया गया। इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात 2021-22 के दौरान पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत बढ़ा है। उच्चतर इंजीनियरिंग निर्यात, अपैरल तथा गारमेंट निर्यात आदि से संकेत मिलता है कि भारत की प्राथमिक वस्तुओं का प्रमुख निर्यातक होने की गलत धारणा अब धीरे धीरे बदल रही है। अब हम अधिक से अधिक मूल्य वर्धित वस्तुओं तथा हाई एंड वस्तुओं का निर्यात कर रहे हैं तथा हमारे प्रौद्योगिकी संचालित उद्योगों द्वारा यह प्रयास जारी रहना चाहिए। सूती धागे/फैब्रिक्स/मेडअप्स/हथकरघा उत्पाद आदि, रत्न एवं आभूषण, अन्य अनाज तथा मानव निर्मित्त यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स आदि के निर्यात ने 50 प्रतिशत से 60 प्रतिशत के बीच की वृद्धि दर दर्ज कराई है।कृषि क्षेत्र ने भी, विशेष रूप से महामारी के दौरान उल्लेखनीय प्रगति दर्ज कराई है जिसमें भारत खाद्य अनिवार्य कृषि उत्पादों के एक प्रमुख वैश्विक आपूर्तिकर्ता देश के रूप में उभरा है। कृषि निर्यात में उछाल अन्य वस्तुओं के अतिरिक्त चावल ( बासमती तथा गैर बासमती दोनों ), समुद्री उत्पादों, गेहूं, मसालों तथा चीनी जैसी वस्तुओं से प्रेरित है जिन्होंने 2021-22 के दौरान अब तक का सर्वाधिक कृषि उत्पाद निर्यात दर्ज कराया।21 मार्च 2022 तक, ऑस्टेलिया, ताईवान, कोरिया गणराज्य, बांग्ला देश, पोलैंड, ब्राजील, इंडोनेशिया, बेल्जियम, सऊदी अरब, टर्की, इटली, जापान, कनाडा, अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, नीदरलैंड, नाइजीरिया, मिस्र तथा मैक्सिको वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है। थाईलैंड, इजरायल, नेपाल, वियतनाम एसओसी गणराज्य, चीन, फ्रांस तथा श्रीलंका वे प्रमुख देश रहे हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।21 मार्च 2022 तक, जैविक तथा अजैविक रसायन, अन्य अनाज, पेट्रोलियम उत्पाद, कॉटन यार्न/फैब्रिक्स/मेड अप्स, हथकरघा उत्पाद आदि, अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रोसेस सहित खनिज अवयव, इंजीनियरिंग वस्तुएं तथा प्लास्टिक एवं लिनोलियम वे प्रमुख वस्तुएं हैं जिन्होंने अपने निर्यात लक्ष्य से अधिक अर्जित किया है।चावल, समुद्री उत्पाद, फ्लोर कवरिंग सहित जूट विनिर्माण, दरी, अनाज तैयारी एवं विविध प्रसंस्कृत मदें, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं, कॉफी, रत्न एवं आभूषण तथा हस्त निर्मित्त को छोड़कर हथकरघा उन प्रमुख वस्तुओं में शामिल हैं जिन्होंने अपने कुल निर्यात लक्ष्य का 90 प्रतिशत से 100 प्रतिशत अर्जित किया है।सरकार हमारे उद्योग तथा निर्यातकों को उनके निर्यात निष्पादन को बढ़ाने के लिए एक अनुकूल वातावरण तथा बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे काम कर रही है। लक्ष्य के अनुरूप नीतियों तथा योजनाओं को उनके लाभ के लिए लागू तथा कार्यान्वित किया जा रहा है।महामारी के बीच भी, रोडटेप तथा आरओएससीटीएल को सुगमता से लागू कर दिया जाना निर्यातकों के कल्याण के प्रति सरकार के दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है। ब्याज समकरण स्कीम को निर्यातकों तक विस्तारित कर दिया गया है और इससे बड़ी संख्या में एमएसएमई निर्यातकों को लाभ मिलने की संभावना है। उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए जहां भारत तुलनात्मक रूप से लाभ की स्थिति में हैं, उद्योग के साथ घनिष्ठ साझीदारी में काम करने के द्वारा वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकरण को गहरा करने के लिए घरेलू क्षमता संवर्धन के लिए पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं। इसलिए हम मेक इन इंडिया की तर्ज पर अपनी क्षमताओं को मजबूत करने तथा विश्व के लिए निर्माण करने पर कार्य करेंगे। विनिर्माण के 13 प्रमुख क्षेत्रों के लिए वित्त वर्ष 2021-22 से आरंभ होने वाली पीएलआई स्कीमों की घोषणा कर दी गई है।निर्यात हब के रूप में जिले ( डीईएच ) पहल में परिकल्पित दृष्टिकोण में एक नीति बदलाव स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने तथा स्थानीय उत्पादो/सेवाओं की निर्यात वृद्धि को प्रेरित करने में जिलों को सक्रिय हितधारक बनाने के लिए अपनाया गया है। उचित वित्त पोषण, बीमा, ऋण प्रावधान उपलब्ध कराने के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने वाले बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।इस प्रकार, विविध हितधारकों की सहायता से, जिला स्तर से लेकर विदेशी बाजारों तक एक मजबूत बैकवर्ड फारवर्ड लिंकेज की स्थापना करने के लिए प्रयास किया गया है।इस बीच, सभी हितधारकों अर्थात जिला इकाई, राज्य एवं केंद्रीय सरकार, लाइन मंत्रालयों, ईपीसी, एमएसएमई निर्यातक समुदायों तथा विदेश स्थित हमारे मिशनों के बीच प्रभावी तथा कुशल समन्वय पर जोर दिया गया है जिससे कि निर्यात लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक सुसंगत तथा समन्वित कार्रवाई अर्जित करने के लिए संबंधित विभागों के बीच सूचनाओं का निर्बाधित प्रवाह सुनिश्चित किया जा सके।

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राष्ट्रपति आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह-I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे

(PIB) राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविन्द आज राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह- I में वर्ष 2022 के लिये पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करेंगे। आज के अलंकरण समारोह में जिन प्रमुख लोगों को पद्म विभूषण पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे, उनमें श्री राधे श्याम और जनरल बिपिन रावत (मरणोपरान्त) शामिल हैं। इनके अलावा श्री गुलाम नबी आजाद, श्रीमती गुरमीत बावा (मरणोपरान्त), श्री एन. चंद्रशेखरन, श्री देवेन्द्र झाझरिया, श्री राशिद खान, श्री राजीव महर्षि, डॉ. सायरस पूनावाला और श्री सच्चिदानन्द स्वामी को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। नागरिक अलंकरण समारोह- II का आयोजन 28 मार्च को किया जायेगा।

ये पुरस्कार तीन श्रेणियों में प्रदान किये जाते हैं – पद्म विभूषण, पद्म भूषण और पद्मश्री। विभिन्न विषयों/क्षेत्रों, जैसे कला, सामाजिक कार्य, जन कार्य, विज्ञान एवं अभियांत्रिकी, व्यापार एवं उद्योग, औषधि, साहित्य एवं शिक्षा, खेल, नागरिक सेवा आदि के लिये पुरस्कारों को प्रदान किया जाता है। ‘पद्म विभूषण’ उत्कृष्ट और विशिष्ट सेवा के लिये; ‘पद्म भूषण’ उच्चस्तरीय विशिष्ट सेवा के लिये और ‘पद्मश्री’ किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिये दिये जाते हैं। पुरस्कारों की घोषणा प्रत्येक वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर की जाती है।

एक रस्मी समारोह में राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान करते हैं। समारोह का आयोजन राष्ट्रपति भवन में किया जाता है। इस वर्ष कुल 128 पद्म पुरस्कार दिये जा रहे हैं, जिनमें दो युग्म पुरस्कार (युग्म पुरस्कारों को एकल पुरस्कार गिना जाता है) शामिल हैं। पुरस्कृतों की सूची में चार पद्म विभूषण, 17 पद्म भूषण और 107 पद्मश्री पुरस्कार हैं। पुरस्कृतों में 34 महिलायें हैं। सूची में विदेशी/एनआरआई/पीआईओ/ओसीआई वर्ग के 10 लोग शामिल हैं। इनके अलावा 13 लोगों को मरणोपरान्त पुरस्कार दिये जायेंगे।

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1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय यूक्रेन से भारत लौटे हैं

(PIB) 1 फरवरी से 11 मार्च, 2022 तक लगभग 22,500 भारतीय नागरिक यूक्रेन से भारत आए हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत 90 निकासी उड़ानों का संचालन किया गया, जिनमें भारतीय वायु सेना की 14 उड़ानें भी शामिल हैं।

सरकार ने निकासी उड़ानों के संचालन के लिए भारतीय एयरलाइनों के साथ तालमेल किया था। छह निजी एयरलाइनों अर्थात् एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट ने ऑपरेशन गंगा के तहत चार्टर्ड सेवाओं का संचालन किया।

सरकार ने यूक्रेन से सटे देशों- रोमानिया, हंगरी, पोलैंड और स्लोवाकिया से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए ऑपरेशन गंगा के तहत छह निजी एयरलाइनों- एयर एशिया, एयर इंडिया, एयर इंडिया एक्सप्रेस, गो फर्स्ट, इंडिगो और स्पाइसजेट के साथ तालमेल किया है।

एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस दोनों ने मिलकर ऑपरेशन गंगा के तहत 23 निकासी उड़ानें संचालित की हैं। ऑपरेशन गंगा के तहत संचालित की गई सभी हवाई उड़ानों का किराया पूरी तरह से भारत सरकार ने वहन किया है।

यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया

प्रधानमंत्री  मोदी ने आज अहमदाबाद में गुजरात पंचायत महासम्मेलन को संबोधित किया। इस कार्यक्रम में राज्य भर से पंचायती राज प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात बापू और सरदार वल्लभ भाई पटेल की भूमि है। उन्होंने कहा कि, “बापू हमेशा ग्रामीण विकास और आत्म-निर्भर गांवों की बात करते थे। आज जब हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं, हमें बापू के ‘ग्रामीण विकास’ के सपने को पूरा करना चाहिए।”

प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान अनुशासित और बेहतर प्रबंधन के लिए गुजरात की पंचायतों और गांवों की भूमिका की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि गुजरात में महिला पंचायत प्रतिनिधियों की संख्या पुरुष प्रतिनिधियों की तुलना में अधिक है। उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों के एक साथ विचार-विमर्श करने की इस सच्चाई से ज्यादा भारतीय लोकतंत्र की ताकत का प्रतीक कुछ भी नहीं हो सकता है।

प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि कैसे छोटी लेकिन बहुत ही बुनियादी पहल के साथ गांव का विकास सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने अपने स्कूल का जन्मदिन या स्थापना दिवस मनाने की सलाह दी। इसके माध्यम से उन्होंने स्कूल के परिसर और कक्षाओं को साफ करने और स्कूल के लिए अच्छी गतिविधियों को शुरू करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि देश अगस्त’ 23 तक आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने इस अवधि के दौरान गांव में 75 प्रभात फेरी (सुबह का जुलूस) निकालने का सुझाव दिया।

उन्होंने इस दौरान 75 कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी, जिसमें पूरे गांव की जनता को एक साथ बैठे और मिलकर गांव के समग्र विकास के बारे में सोचे। एक और सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में गांवों में 75 पेड़ लगाकर एक छोटा जंगल बनाना चाहिए। प्रत्येक गांव में कम से कम 75 किसान ऐसे होने चाहिए जो प्राकृतिक तरीके से खेती करें। उन्होंने कहा कि धरती माता को खाद और रसायनों के जहर से मुक्ति दिलानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए 75 कृषि तालाब बनाए जाने चाहिए ताकि भूमिगत जल स्तर बढ़े और गर्मी के दिनों में लोगों को इससे मदद मिले।

उन्होंने यह सुनिश्चित करने की भी सलाह दी कि एक भी मवेशी को बिना टीकाकरण के नहीं छोड़ा जाए ताकि उन्हें संक्रामक बीमारी फुट एंड माउथ डिजीज (एफएमडी) से बचाया जा सके। प्रधानमंत्री ने बिजली बचाने के लिए पंचायत सदस्यों से पंचायत घरों और गलियों में भी एलईडी बल्ब लगाने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों को गांव में जाना चाहिए और गांव का जन्मदिन मनाया जाना चाहिए जिसमें गांव के सभी लोग इकट्ठा हों और लोगों के भले के बारे में चर्चा करें। उन्होंने पंचायत सदस्यों को सलाह दी कि एक सदस्य दिन में 15 मिनट के लिए कम से कम एक बार स्थानीय स्कूल में जरूर जाए ताकि गांव के स्कूल पर कड़ी नजर रखी जा सके और शिक्षा और साफ-सफाई का स्तर अच्छा बना रहे। उन्होंने पंचायत सदस्यों से आम सेवा केंद्रों (सीएससी) का अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की अपील की, जो वास्तव में सरकार के लिए एक राजमार्ग की तरह हैं। इससे लोगों को रेलवे बुकिंग आदि के लिए बड़े शहरों में जाने के झंझट से बचने में मदद मिलेगी। अंत में प्रधानमंत्री ने पंचायत सदस्यों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी कि कोई भी बच्चा पूरी स्कूली शिक्षा तक बीच में स्कूल न छोड़े और कोई भी बच्चा पात्रता के अनुसार स्कूल या आंगनवाड़ी में प्रवेश लेने से न छुटे। प्रधानमंत्री ने उपस्थित पंचायत सदस्यों से ऐसा करने का वादा लिया और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उपस्थित पंचायत सदस्यों ने अपनी सहमति दी।

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कृषि में निरंतर प्रगति कर रहा भारत सर्वोत्तम पद्धतियां अन्य देशों से साझा करने को तैयार- तोमर

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत कृषि क्षेत्र में प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है और दुनिया की सबसे बड़ी अनुसंधान व विकास प्रणालियों में से एक है, जो सर्वोत्तम पद्धतियों को अन्य देशों के साथ साझा करने के लिए तैयार है एवं अन्य विकासशील देशों की क्षमताओं का निर्माण करने के साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करता रहेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात 36वें एशिया-प्रशांत एफएओ (खाद्य एवं कृषि संगठन) क्षेत्रीय सम्मेलन में वर्चुअल कही। सम्मेलन में श्री तोमर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण, आपूर्ति श्रृंखलाओं में विभिन्न व्यवधानों के बावजूद, भारत में कृषि क्षेत्र ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर विभिन्न फसलों की खरीद के बेहतर तंत्र के माध्यम से, किसानों को प्रत्यक्ष बाजार सहायता प्रदान करते हुए हमारे सक्रिय नीतिगत हस्तक्षेपों के द्वारा कृषि क्षेत्र का सकारात्मक प्रदर्शन संभव हो पाया है। भारत सरकार द्वारा खरीदा खाद्यान्न करीब अस्सी करोड़ लोगों को मुफ्त में प्रदान किया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी के दौर में भी कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहे।

श्री तोमर ने कहा कि भारत कृषि क्षेत्र को सतत व लचीला बनाकर किसानों के जीवन और आजीविका में सुधार लाने का प्रयास कर रहा हैं, जिसके लिए राष्ट्रीय स्तर के अनेक कार्यक्रम शुरू किए गए हैं। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को प्रत्यक्ष आय सहायता दी जा रही है, अब तक साढ़े ग्यारह करोड़ से ज्यादा किसानों के बैंक खातों में 1.82 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं। भारत परंपरागत कृषि विकास योजना व पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रहा हैं। पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तेईस करोड़ से ज्यादा मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए गए हैं, जिनसे खेतों से मृदा नमूनों के परीक्षण के आधार पर प्रयोग किए जाने वाले पोषक तत्वों के प्रकार व मात्रा के बारे में सलाह दी जाती है।

उन्होंने बताया कि छोटे व सीमांत किसानों को समूहों में एकत्रित करके उनकी आर्थिक शक्ति में वृद्धि करने के लिए 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों के गठन व संवर्धन संबंधी स्कीम भी शुरू की गई है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को संस्थागत ऋण के साथ-साथ बीमा कवर प्रदान किया जा रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड स्थापित किया गया है। खाद्य व पोषण सुरक्षा तथा जलवायु की दृष्टि से, पोषक-अनाज के महत्व को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के प्रस्ताव पर वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष घोषित किया है। श्री तोमर ने सभी सदस्य देशों से पोषक-अनाज के लिए समर्पित इस वर्ष को उत्साह के साथ मनाने का अनुरोध किया।

श्री तोमर ने कहा कि एशिया प्रशांत क्षेत्र टिड्डियों-फॉल आर्मी वर्म जैसे सीमापार कीटों से प्रभावित हुआ, तब उचित समय पर भारत ने वृहद नियंत्रण अभियान चलाया व अन्य प्रभावित देशों की सहायता भी की। टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया। श्री तोमर ने, भूखमरी समाप्त करने वाला एसडीजी लक्ष्य पूरा करने के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग, मजबूत कृषि मूल्य श्रृंखला विकास के माध्यम से उत्पादन-उत्पादकता बढ़ाने के लिए, कृषि क्षेत्र में सर्वोत्तम पद्धतियों के आदान-प्रदान व  एक साथ काम करने के भारत के संकल्प की पुष्टि की, जिससे किसानों को अत्यधिक लाभ होगा। सम्मेलन में बांग्लादेश के कृषि मंत्री एवं 36वें एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन मंत्रिस्तरीय सत्र के अध्यक्ष डॉ. मुहम्मद अब्दुर रज्जाक, एफएओ के महानिदेशक व एफएओ परिषद के अध्यक्ष श्री क्यू डोंग्यू, अन्य एशियाई व प्रशांत देशों के मंत्रीगण तथा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख शामिल हुए।

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