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भारत का अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक प्रकाशनों पर व्यय बढ़ा

अनुसंधान और विकास में भारत का सकल व्यय 2008 से 2018 के बीच बढ़कर तीन गुना हो गया है जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित है और वैज्ञानिक प्रकाशनों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थानों में ला दिया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत आने वाले राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना (एनएसटीएमआईएस) द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2018 पर आधारित अनुसंधान और विकास सांख्यिकी तथा संकेतक 2019-20 के अनुसार है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और  समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है। कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।”

एनएसएफ डेटाबेस (आधारभूत आंकड़े) के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तथा साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे नंबर पर आ गया है। 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।

यह रिपोर्ट तालिका और ग्राफ़ के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतकों के विभिन्न इनपुट-आउटपुट के आधार पर देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य को दिखाता है। ये सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास में निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है।

इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के 6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था।

रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से 2018 के दौरान बढ़कर तीन गुना हो गया है

  • देश में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) (जीईआरडी) पर सकल व्यय पिछले कुछ वर्षों से  लगातार बढ़ रहा है और यह वित्तीय वर्ष 2007-08 के 39,437.77 करोड़ रूपए से करीब तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,13,825.03 करोड़ रूपए हो गया है।
  • भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं द्वारा बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी)का समर्थन काफी बढ़ गया है

  • वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान डीएसटी और डीबीटी जैसे दो प्रमुख विभागों ने देश में कुल बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के समर्थन में क्रमश: 63 प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया।
  • 1 अप्रैल 2018 तक देश में फैले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठानों में लगभग 5.52 लाख कर्मचारी कार्यरत थे।

वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है

  • भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गया जबकि यही वर्ष 2015 में 218 और 2000 में 110 था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति शोधकर्ता भारत का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय 185 (‘000 पीपीपी डॉलर) $) था और यह रूसी संघ, इज़राइल, हंगरी, स्पेन और यूके (ब्रिटेन) से कहीं ज्यादा था।
  • भारत विज्ञान और अभियांत्रिकी (एस एंड ई) में पीएचडी प्राप्त करने वाले देशों में अमेरिका (2016 में 39,710) और चीन (2015 में 34,440) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।

एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार भारत वैज्ञानिक प्रकाशन वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया है

  • वर्ष 2018 के दौरान, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में एनएसएफ, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार क्रमश: तीसरा, पांचवें और नौवें स्थान पर रखा गया था।
  • वर्ष 2011-2016 के दौरान, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार भारत में वैज्ञानिक प्रकाशन की वृद्धि दर क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत थी, जबकि विश्व का औसत क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत था।
  • वैश्विक शोध प्रकाशन आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी प्रकाशन डेटाबेस में भी दिखाई हे रही है।

विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत 9 वें स्थान पर है

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किए गए थे। जिसमें से, 15,550 (32 प्रतिशत) पेटेंट भारतीय द्वारा दायर किए गए थे।
  • भारत में दायर किए गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रसायनिक), कंप्यूटर / इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों का वर्चस्व रहा।
  • डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7 वें स्थान पर है

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संपादक की कलम से:- कोरोना वारियर्स पे हमले कहीँ साजिश तो नहीँ

साजिश तो नहीं प्राण बचाने वालों पर ही प्राणघातक हमले। पूरे भारत में जिस तरह कोरोना फाइटर्स के ऊपर कुछ लोग गोलियों, तेजाब की बोतलों,ईंट- पत्थरों, लाठी-डंडों से जानलेवा हमला कर रहे हैं, बिना वस्त्र के सामने आ रहे हैं, अन्नपूर्णा का अपमान कर रहे हैं, कहीं यह कोई बड़ी साजिश का हिस्सा तो नहीं। यह लोग ऐसी स्थितियां पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोरोना फाइटर्स अपना आपा खो कर इनके प्रश्न का उत्तर उस भाषा में दें जिसमें यह चाहते हैं। या फिर यह चंद लोग यह चाहते हो कि यह लोग धैर्य खोकर इनकी मदद करना बंद कर दें, जिससे यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जाकर यह कह सकें देखो हम लोगों के साथ अत्याचार हो रहा है। हमारे साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है। कोरोना जैसी महामारी के दौरान भारतीय हमारा इलाज भी ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। इलाज की बात करने पर हमारे साथ यहां अत्याचार होता है। टेलीविजन चैनलों पर डिबेट में जिस तरह की भाषा का यह उपयोग कर रहे हैं उससे इनके दो मकसद पूरे होते हैं जो हमें पूरे नहीं होने देने हैं।पहली इनके विचारों को सुनकर कोरोना फाइटर्स ही नहीं आम जनता नाराज होकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया व्यक्त करें जिससे देश में स्थितियां बिगड़े दूसरी इनकी ना सुनने वाली बातें को सुनकर भी लोग शांत रहें, जिससे यह अपने लोगों से यह कह सकें इनसे और भी ज्यादा अभद्रता आक्रामकता के साथ पेश आओ। इनमें हिम्मत नहीं कि यह हमारा कुछ बिगाड़ सकें। कहीं ऐसा तो नहीं ऐसा करने के लिए हमारे देश के अंदर ही कुछ लोग अपने राजनैतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इन्हें ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हों। यदि ऐसा हो रहा है तो यह अगर भी दुर्भाग्यपूर्ण है। इन विषम परिस्थितियों में हमारे कोरोना फाइटर्स के साथ-साथ शासन प्रशासन को भी बड़े धैर्य के साथ निर्णय लेते हुए मानसिक, शारीरिक रूप से बीमार लोगों के लिए काम करना है। इनके पर्दे के पीछे के आकाओ के जो मंसूबे हैं उन्हें कतई नहीं पूरे होने देना है। यह जो कर रहे हैं यह इनकी संस्कृति संस्कार हैं हमें अपने संस्कृति, संस्कारों के अनुसार कार्य करना है। मैं मानता हूं जो यह हरकतें कर रहे हैं कतई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है, लोगों का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।लेकिन फिर भी यह मानते हुए कि यह नादान है, नासमझ है इनके जीवन रक्षा के लिए जो भी संभव है वह हमें कार्य करने हैं। ऐसा करके इनके पर्दे के पीछे जो आका बैठे हैं जो अपने राजनीतिक फायदे के लिए भारत में अस्थिरता फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं उनके विचारों, मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हां यह जो कोरोना फाइटर्स के साथ लगातार घटनाएं हो रही हैं उसकी गहन जांच होनी चाहिए, कहीं यह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय साजिश तो नहीं।

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सीएए के नाम पर भाई को भाई से लड़ा रहा है विपक्ष – सुरेश पासी

उत्तर प्रदेश के मंत्री ने कहा- सीएए के नाम पर भाई को भाई से लड़ा रहा है विपक्ष

अमेठी (उप्र)। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश पासी ने रविवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के नाम पर कुछ राजनैतिक दल देश को गुमराह करके भाई से भाई को लड़ाने में लगे हैं। पासी ने अमेठी पुलिस लाइन में 71 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के नाम पर सताए गए लोगों को भारत की नागरिकता देने के लिए सीएए बनाया लेकिन कुछ राजनीतिक दल देश की जनता को गुमराह करके भाई को भाई से लड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह नागरिकता लेने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का कानून है लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। पासी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में देश तेजी से विकास के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है और दुनिया की तीसरी महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है। इससे पूर्व, सुरेश पासी ने पुलिस लाइन में ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली।

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कमलनाथ के गणतंत्र दिवस समारोह में पहुंचने से पहले कांग्रेस नेताओं में हाथापाई

इंदौर (मध्यप्रदेश)। शहर कांग्रेस कार्यालय में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में रविवार को उस वक्त अजीब स्थिति पैदा हो गई जब वहां मुख्यमंत्री कमलनाथ के आगमन से ठीक पहले पार्टी के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच हाथापाई हुई।  मौके पर तैनात पुलिस कर्मियों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बीच-बचाव कर दोनों नेताओं को अलग किया। चश्मदीदों के मुताबिक गांधी भवन स्थित शहर कांग्रेस कार्यालय में आयोजित समारोह में पार्टी के प्रदेश महासचिव चंद्रक्रांत कुंजीर और वरिष्ठ नेता देवेंद्र सिंह यादव तीखी बहस के बाद हाथापाई करने लगे।

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