रेपो रेट बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत किया गया
रेपो दर, जिस दर पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है, उसमें आधे प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। मौजूदा प्रतिकूल वैश्विक वातावरण, घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सहनीयता, असुविधाजनक उच्च मुद्रास्फीति स्तर आदि को ध्यान में रखते हुए, आरबीआई ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक बढ़ाकर 5.40 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति इस फैसले पर पहुँची, क्योंकि उसने मुद्रास्फीति और महंगाई दर को नियंत्रण में रखने की आवश्यकता महसूस की। आरबीआई गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने ऑनलाइन मौद्रिक नीति वक्तव्य देते हुए कहा, “निरंतर उच्च मुद्रास्फीति दर; मुद्रास्फीति की उम्मीदों को अस्थिर कर सकती है और मध्यम अवधि के लिए विकास को नुकसान पहुंचा सकती है।”
अतिरिक्त उपाय
गवर्नर ने निम्न पांच अतिरिक्त उपायों की घोषणा की।
1. वित्तीय बाजारों को और विकसित करने के लिए स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलरों को प्रोत्साहित करना
विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के अधीन, स्टैंडअलोन प्राइमरी डीलर (एसपीडी) अब, सभी विदेशी मुद्रा बाजार-निर्माण सुविधाओं की पेशकश करने में सक्षम होंगे, जिनकी अनुमति वर्त्तमान में श्रेणी-I अधिकृत डीलरों के पास होती है। यह ग्राहकों को अपने विदेशी मुद्रा जोखिम का प्रबंधन करने के लिए बाजार निर्माताओं का एक व्यापक समूह प्रदान करेगा। इससे भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में भी विस्तार होगा।
एसपीडी को विदेश में रूपी ओवरनाइट इंडेक्सेड स्वैप बाजार में अनिवासियों और अन्य बाजार निर्माताओं के साथ लेनदेन करने की भी अनुमति होगी। यह उपाय बैंकों के लिए इस वर्ष फरवरी में घोषित समान उपाय का पूरक सिद्ध होगा। इन उपायों से देश में और विदेशी ओआईएस बाजारों के बीच विभाजन को दूर करने तथा मूल्य निर्धारण में सुधार की उम्मीद है।
वित्तीय बाजारों के विकास में एसपीडी की भूमिका को देखते हुए ये उपाय किए जा रहे हैं।
2. वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम और आचार संहिता का प्रबंधन
विनियमित संस्थाओं द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग के प्रति रुझान बढ़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए, आरबीआई लोगों से सुझाव प्राप्त करने के लिए वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता पर मास्टर निर्देश का मसौदा जल्द ही जारी करेगा। यह जोखिम प्रबंधन फ्रेमवर्क को मजबूत करने और मौजूदा दिशानिर्देशों को सुसंगत और समेकित करने के लिए किया जा रहा है।
3. भारत बिल भुगतान प्रणाली एनआरआई के लिए भी खोली जाएगी
भारत बिल भुगतान प्रणाली (बीबीपीएस), मानकीकृत बिल भुगतान के लिए एक-दूसरे के द्वारा संचालित प्लेटफॉर्म है, जो अब सीमा पार से आवक बिल भुगतान स्वीकार करने में सक्षम होगी। इससे एनआरआई, भारत में अपने परिवारों की ओर से सेवा प्रदाताओं, शिक्षा और ऐसी अन्य सेवाओं के बिलों का भुगतान करने के लिए इस प्रणाली का उपयोग करने में सक्षम होंगे। इससे वरिष्ठ नागरिकों को काफी फायदा होगा।
4. क्रेडिट सूचना कंपनियों को रिजर्व बैंक एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी–आईओएस) 2021 के तहत लाया जाएगा
आरबी-आईओएस को अधिक व्यापक बनाने के लिए, क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) को आरबी-आईओएस फ्रेमवर्क के तहत लाया जा रहा है। इसके साथ, हमें क्रेडिट सूचना कंपनियों के खिलाफ शिकायतों के निवारण के लिए एक लागत-मुक्त वैकल्पिक व्यवस्था मिलेगी।
इसके अलावा, इन कंपनियों को अब अपने स्वयं के आंतरिक लोकपाल (आईओ) फ्रेमवर्क की आवश्यकता होगी। गवर्नर ने बताया कि सीआईसी स्वयं आंतरिक शिकायत निवारण तंत्र को मजबूत करेंगे।
5. एमआईबीओआर बेंचमार्क समिति का गठन किया जाएगा
आरबीआई ने मुंबई इंटरबैंक एकमुश्त दर के लिए एक वैकल्पिक बेंचमार्क को अपनाने की आवश्यकता सहित ब्याज दर डेरिवेटिव के विकास और उपयोग से संबंधित मुद्दों की गहन जांच करने और आगे का रास्ता सुझाने के लिए एक समिति गठित करने का निर्णय लिया है। यह अध्ययन वैकल्पिक बेंचमार्क दरों को विकसित करने के लिए हाल में किये गए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों को ध्यान में रखते हुए किया जा रहा है।
विकास अनुमान में कोई बदलाव नहीं – 2022-23 के लिए 7.2 प्रतिशत
गवर्नर ने बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए केंद्रीय बैंक का विकास अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रहा है, पहली तिमाही के लिए 16.2 प्रतिशत; दूसरी तिमाही के लिए 6.2 प्रतिशत; तीसरी तिमाही के लिए 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 4.0 प्रतिशत। पहली तिमाही : 2023-24 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत अनुमानित है।
मुद्रास्फीति पर, गवर्नर ने कहा कि मौद्रिक नीति को आगे मज़बूत रखने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मुद्रास्फीति मध्यम अवधि में विकास का समर्थन करते हुए 4.0 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब पहुँचती है। गवर्नर ने बताया कि आरबीआई अर्थव्यवस्था को विकास के एक सतत पथ पर आगे बढ़ाते हुए, मूल्य और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराता है।