Breaking News

राजनीति

उपभोक्ता मामलों का  विभाग “जागो ग्राहक जागो” शीर्षक से देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है

उपभोक्ता मामलों का विभाग “जागो ग्राहक जागो” नामक देशव्यापी मल्टीमीडिया जागरूकता अभियान चला रहा है। सरल संदेशों के माध्यम से, उपभोक्ताओं को धोखाधड़ी या समस्याओं और निवारण के तंत्र से अवगत कराया जाता है। ये अभियान प्रिंट मीडिया, टीवी, रेडियो, सिनेमा थिएटरों, वेबसाइटों, होर्डिंग/ डिस्प्ले बोर्ड आदि के माध्यम से चलाए जाते हैं।

ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में जागरूकता उत्न्न करने के लिए, विभाग इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए विभिन्न राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेश के महत्वपूर्ण मेलों/उत्सवों/कार्यक्रमों में हिस्सा लेता है कि ऐसे मेलों/उत्सवों/आयोजनों में ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता क्रियाकलाप चलाने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी जारी करता है। विभाग स्थानीय विषय-वस्तु के साथ उपभोक्ता जागरूकता कार्य करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता अनुदान भी प्रदान करता है।

इसके अलावा, विभाग उपभोक्ता अधिकारों और निवारण तंत्रों पर रचनात्मक/ कैप्शन के माध्यम से उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता उत्पन्न करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करता है। डिजिटल सोशल मीडिया चैनलों को व्यावसायिक रूप से प्रबंधित किया जाता है और उपभोक्ता जागरूकता और उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रासंगिक रचनात्मक सामग्री विभाग के सोशल मीडिया चैनलों में पोस्ट डाली जाती है।

विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने और उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए एक शुभंकर “जागृति” भी शुरू किया गया है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के अंतर्गत, उपभोक्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा और उपभोक्ता विवादों का निवारण सुविधाजनक और त्वरित करने के लिए जिला स्तर (जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग), राज्य स्तर (राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) और राष्ट्रीय स्तर (राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) पर तीन स्तरीय अर्ध-न्यायिक तंत्र, जिसे आमतौर पर ‘उपभोक्ता आयोग’ भी कहा जाता है, स्थापित किया गया है। उपभोक्ता आयोगों को विशिष्ट तरह का राहत प्रदान करने और उपभोक्ताओं को जहां भी उचित हो, मुआवजा देने का अधिकार है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और जनता और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने वाले झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए की गई है।

उपभोक्ता मामलों के विभाग ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) भी स्थापित की है। उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा जागरूकता उत्पन्न करने, सलाह देने और उपभोक्ता शिकायतों का निवारण करने और उपभोक्ता शिकायतों को दर्ज करने के लिए एक केंद्रीय रजिस्ट्री के रूप में कार्य करने के लिए वेबसाइट – www.consumerhelpline.gov.in शुरू की गई है। अभिसरण मॉडल के अंतर्गत, जो अदालत के बाहर विवाद निवारण तंत्र है, एनसीएच उन कंपनियों के साथ साझेदारी करता है जिनके पास कुशल उपभोक्ता शिकायत समाधान के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण है। एनसीएच में प्राप्त शिकायतों और उनसे संबंधित शिकायतों को प्रस्तुत करते ही एनसीएच अभिसरण कंपनी के साथ तुरंत अनुवर्ती कार्रवाई करता है।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 38 (7) में कहा गया है कि प्रत्येक शिकायत का यथासंभव शीघ्रता से निपटारा किया जाएगा और शिकायत पर निर्णय विरोधी पक्ष द्वारा नोटिस प्राप्त होने की तारीख से तीन महीने की अवधि के अंदर किया जाएगा, जहां शिकायत को वस्तुओं के विश्लेषण या परीक्षण की आवश्यकता नहीं है और वस्तुओं का विश्लेषण या परीक्षण करने की आवश्यकता होने पर इसका निपटारा पांच महीने के अंदर किया जाएगा।

2022 के दौरान, निपटाए गए उपभोक्ता मामलों की संख्या दर्ज किए गए मामलों की संख्या से अधिक रही है।

केंद्र सरकार उपभोक्ता आयोगों की अवसंरचना को सुदृढ़ करने के लिए ‘उपभोक्ता आयोगों का सुदृढ़ीकरण’ नामक योजना के अंतर्गत राज्य सरकारों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है जिससे प्रत्येक उपभोक्ता आयोग में न्यूनतम स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

वित्तीय सहायता, जिला आयोग भवन के लिए 5000 वर्ग फुट तक और राज्य आयोग भवन के लिए 11000 वर्ग फुट तक निर्माण क्षेत्र प्रदान की जाती है, जिसमें दोनों मामलों में मध्यस्थता सेल के निर्माण के लिए 1000 वर्ग फुट शामिल है।

राज्य आयोग के संबंध में 25 लाख रुपये और जिला आयोग के संबंध में 10 लाख रुपये की समग्र लागत सीमा के अंतर्गत फर्नीचर, कंप्यूटर, कार्यालय उपकरण, पुस्तकालय के लिए पुस्तकें आदि की खरीद के लिए गैर-भवन परिसंपत्तियों के लिए भी सहायता प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता मामले विभाग देश में सभी उपभोक्ता आयोगों को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करने के लिए देश में उपभोक्ता आयोगों का कम्प्यूटरीकरण और कम्प्यूटर नेटवर्किंग (कॉनफोनेट) नामक एक योजना भी चला रहा है जिससे सूचना तक पहुंच और मामलों का त्वरित निपटारा किया जा सके। इस योजना के अंतर्गत उपभोक्ता आयोगों को हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और तकनीकी जनशक्ति प्रदान की जाती है।

उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ताओं/अधिवक्ताओं को ई-दाखिल पोर्टल के माध्यम से घर से या कहीं से भी ऑनलाइन उपभोक्ता शिकायतें दर्ज करने की सुविधा प्रदान करने के लिए “edaakhil.nic.in” नामक एक ऑनलाइन आवेदन पोर्टल विकसित किया है। ई-दाखिल देश के 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में परिचालित हो रहा है।

यह जानकारी केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री, श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

Read More »

लघु एवं मझोले वर्ग के समाचारपत्रों का बंद हो उत्पीड़न ~केशव दत्त चंदोला

👉 लघु एवं मझोले वर्ग के समाचारपत्रों का उत्पीड़न रोकने की उठी मांग
👉 विज्ञापन नीति की खामियों को दूर करने की उठी मांग
👉 आर. एन. आई. व सी. बी. सी. की कार्यशैली की हुई निन्दा
वेरावल (सोमनाथ), गुजरात। एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया की राष्ट्रीय परिषद की बैठक माहेश्वरी भवन के निकट स्थित टी. एफ. सी. सभागार में आयोजित की गई। बैठक का शुभारम्भ दीप प्रज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात गुजरात इकाई अध्यक्ष मयूर बोरीचा व अन्य पदाधिकारियों ने बैठक में शामिल होने वाले सदस्यों व मंचासीन पदाधिकारी गणों का सम्मान किया। इसी दौरान सोमनाथ ट्रस्ट के प्रबंधक ने मंचासीन पदाधिकारियों का सम्मान किया।
बैठक में गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों की इकाइयों के अध्यक्ष व पदाधिकारी शामिल हुए और अपने अपने राज्यों से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र / पत्रिकाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं से अवगत कराया और उनका निराकरण करवाने की मांग रखी।
बैठक में सी. बी. सी. , आर. एन. आई. की कार्यशैली की आलोचना करते हुए कहा गया कि इनके द्वारा आये दिन ऐसे नियम थोपे जा रहे हैं जिसके कारण लघु एवं मझोले वर्ग का विकास दर प्रभावित हो रहा है और प्रकाशक परेशान हो रहे हैं। कुछ राज्यों में सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग की कार्यशैली की आलोचना की गई और बताया गया कि स्थानीय स्तर पर परेशान किया जा रहा जा है।
अनेक राज्यों से शामिल हुए सदस्यों द्वारा दी गई जानकारी के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव दत्त चंदोला ने कहा कि एसोसिएशन की इकाइयां अपने अपने राज्यों की समस्याओं को लिखित रूप से भेजें जिससे कि उन्हें सम्बन्धित विभाग अथवा मंत्रालय को भेज कर उनका निराकरण करवाने का प्रयास किया जा सके। इस दौरान श्री चंदोला ने कहा कि सरकारी मशीनरी जिस तरह से छोटे व मझोले वर्ग के अखबारों को परेशान कर रही है वह बहुत ही निंदनीय है और उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। यह भी कहा कि सभी राज्य नियमित बैठक करें और अखबारों की समस्याओं को भेजें।
बैठक को राष्ट्रीय महासचिव शंकर कतीरा, राष्ट्रीय सचिव ड्रॉ0 अनन्त शर्मा व प्रवीण पाटिल, उप्र राज्य इकाई के अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार, गुलाब सिंह भाटी, दीपक भाई ठक्कर ने सम्बोधित कर अखबारों की समस्याओं को उठाया। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र भाई पटेल व्यस्तता के चलते बैठक में शामिल नहीं हो पाये, अतएव उन्होंने पत्र भेजकर बैठक के सफल आयोजन की शुभकामनाएं पत्र के माध्यम से प्रेषित की।
बैठक में गुजरात, उप्र, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान से प्रकाशित होने वाले अनेक समाचारपत्रों के प्रकाशक गण मौजूद रहे।

Read More »

भारत की जैवअर्थव्यवस्था में पिछले 10 वर्ष में 12 गुणा वृद्धि हुई: डॉ. जितेंद्र सिंह

केन्द्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु उर्जा एवं अंतरिक्ष, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था ने पिछले 10 साल के दौरान 12 गुणा वृद्धि दर्ज की है।

राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर) में संस्थान की रजत जयंती के अवसर पर ‘राष्ट्रीय पादप कंप्यूटेशनल जीवविज्ञान और जैव सूचना विज्ञान सुविधा’ का उद्घाटन करने के बाद डॉ.जितेन्द्र सिंह ने कहा कि भारत की जैव अर्थव्यवस्था मात्र 10 अरब डालर थी, आज यह 120 अरब डालर है। उन्होंने कहा, केवल दस साल में यह 12 गुणा बढ़ गई और हम इसके 2030 तक 300 अरब डालर से अधिक तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं।

मंत्री ने कहा कि यह सब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में नीति नियोजन के स्तर पर उपलब्ध कराये गये अनुकूल वातावरण के कारण संभव हो सका है।

डॉ. जितेंद्र ने इस अवसर पर ‘अदविका’ को जारी करने की भी घोषणा की। यह सूखा सहने वाली, जलवायु के लिहाज से स्मार्ट एक नई बेहतर काबुली चना की किस्म है, जो कि गजेट में अधिसूचित है और व्यापक रूप से उत्पादन के लिये उपलब्ध है। मंत्री ने इस बात को लेकर प्रसन्नता जताई कि दुनिया में होने वाले काबुली चने के कुल उत्पादन का 74 प्रतिशत उत्पादन भारत में होता है, ऐसे में यह विदेशी मुद्रा कमाने का एक अच्छा स्रोत हो सकता है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस अवसर पर नई प्रौद्योगिकियों के ईष्टतम इस्तेमाल के लिये विज्ञान संस्थानों का बड़े पैमाने पर एकीकरण का भी आह्वान किया। उन्होंने अनुसंधान एवं विकास, स्टार्ट अप और आजीविका अवसरों को बनाये रखने के लिये शुरू से ही उद्योगों के साथ संपर्क रखने पर जोर दिया।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image002GK2M.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि एनआईपीजीआर जैसे संस्थान उत्कृष्टता के प्रतीक हैं और वह भारत को एक स्वस्थ, पोषक और परिपुष्ट राष्ट्र बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि क्षेत्र में बढ़ती गतिविधियों के चलते भारत 2025 तक दुनिया के 5 शीर्ष जैव-विनिर्माता केन्द्रों में से एक होने की दिशा में बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले दस साल में जैव-प्रौद्योगिकी क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्ट अप की संख्या जो कि 2014 में 50 थी वह 2023 में बढ़कर 6,000 तक पहुंच गई। बेहतर प्रौद्योगिकीय समाधान उपलब्ध कराने की आकांक्षा में भारत में हर दिन तीन बायोटेक स्टार्ट अप बन रहे हैं।

उन्होंने कहा 2014 में जहां भारत की जैव अर्थव्यवस्था मात्र करीब 10 अरब डालर थी आज यह 120 अरब डालर है। करीब दस साल की अवधि में ही यह 12 गुणा बढ़ गई और हम 2030 तक इसके 300 अरब डालर से अधिक होने की उम्मीद कर रहे हैं।

डॉ.सिंह ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी एक ऐसा परिवेश, एक वातावरण उपलब्ध कराती है जो कि स्वच्छ, हरित और बेहतर जीवन के लिहाज से अधिक अनुकूल होता है। समय बीतने के साथ यह जीविका के लिये आकर्षक स्रोत का भी सृजन करती है। यह पेट्रो-रसायन आधारित विनिर्माण का भी विकल्प उपलब्ध कराती है, जैसे कि जैव-आधारित उत्पाद जिनमें खाद्य योगिक, जैव अभियांत्रिकी संबंध, पशु चारा उत्पाद शामिल हैं।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/image004ET2Q.jpg

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आधुनिक जैव ईंधन और ‘अपशिष्ट से उर्जा’ प्रौद्योगिकियों के लिये अनुसंधान और विकास नवाचार को भी समर्थन देता रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले 25 साल में एनआईपीजीआर ने भारत को विभिन्न खाद्य किस्में उपलब्ध कराने के लिये नई खोजों, पेटेंट और पादप किस्मों के मामले में कई उल्लेखनीय सफलतायें हासिल की हैं, और अगले 25 वर्ष में भी, जिसे अमृतकाल कहा गया है, यह न केवल भारत बल्कि समूचे विश्व की खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा।

Read More »

81.35 करोड़ लाभार्थियों को पांच साल तक नि:शुल्क अनाज : कैबिनेट निर्णय

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया है कि केंद्र सरकार 1 जनवरी, 2024 से पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत लगभग 81.35 करोड़ लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराएगी।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो पीएमजीकेएवाई को विश्व की सबसे बड़ी सामाजिक कल्याण योजनाओं में शामिल करता है, जिसका उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में 11.80 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत पर 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

यह निर्णय जनसंख्या की बुनियादी भोजन और पोषण आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम से कुशल और लक्षित कल्याण की दिशा में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अमृत ​​काल के दौरान इस व्यापक स्तर पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना एक आकांक्षी और विकसित भारत के निर्माण की दिशा में समर्पित प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

1 जनवरी, 2024 से 5 वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न (चावल, गेहूं और मोटा अनाज/पोषक अनाज) खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाएगा और जनसंख्या के निर्धन और निर्बल वर्गों की किसी भी वित्तीय कठिनाई में कमी लाएगा। यह एक समान लोगो के तहत 5 लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों के नेटवर्क के माध्यम से सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण में राष्ट्रव्यापी एकरूपता प्रदान करेगा।

यह ओएनओआरसी-वन नेशन वन राशन कार्ड पहल के तहत लाभार्थियों को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से नि:शुल्क खाद्यान्न उठाने की अनुमति देने के जरिए जीवन को सुगम बनाने में भी सक्षम बनाएगा। यह पहल प्रवासियों के लिए बहुत लाभप्रद है, जो डिजिटल इंडिया के तहत प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के हिस्से के रूप में अधिकारों की इंट्रा और इंटर स्टेट पोर्टेबिलिटी दोनों की सुविधा प्रदान करती है। नि:शुल्क खाद्यान्न एक साथ पूरे देश में वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) के तहत पोर्टेबिलिटी के समान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा और इस पसंद-आधारित प्लेटफॉर्म को और सुदृढ़ करेगा।

पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्यान्न वितरण के लिए पांच वर्षों के लिए अनुमानित खाद्य सब्सिडी 11.80 लाख करोड़ रूपए की होगी। इस प्रकार, केंद्र लक्षित आबादी को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत खाद्य सब्सिडी के रूप में अगले पांच वर्षों की अवधि के दौरान लगभग 11.80 लाख करोड़ रूपए व्यय करेगा।

1 जनवरी 2024 से पांच वर्षों के लिए पीएमजीकेएवाई के तहत नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा पर ध्यान देने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि को दर्शाता है। नि:शुल्क खाद्यान्न का प्रावधान समाज के प्रभावित वर्ग की किसी भी वित्तीय कठिनाई को स्थायी तरीके से कम करेगा और लाभार्थियों के लिए शून्य लागत के साथ दीर्घकालिक मूल्य निर्धारण कार्यनीति सुनिश्चित करेगा जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली की प्रभावी पैठ के लिए महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए, एक अंत्योदय परिवार के लिए 35 किलो चावल की आर्थिक लागत 1371 रुपए है, जबकि 35 किलो गेहूं की कीमत 946 रूपए है, जो पीएमजीकेएवाई के तहत भारत सरकार द्वारा वहन की जाती है  और परिवारों को खाद्यान्न पूरी तरह से नि:शुल्क प्रदान किया जाता है। इस प्रकार, नि:शुल्क खाद्यान्न के कारण राशन कार्ड धारकों को होने वाली मासिक बचत महत्वपूर्ण है।

भारत सरकार की राष्ट्र के नागरिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में गुणवत्ता वाले खाद्यान्न की उपलब्धता के माध्यम से उन्हें भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके एक सम्मानजनक जीवन उपलब्ध कराने की प्रतिबद्धता है। यह योजना पीएमजीकेएवाई के तहत कवर किए गए 81.35 करोड़ व्यक्तियों के लिए भारत सरकार की प्रतिबद्धता को पूरा करने में योगदान देगी।

लाभार्थियों के कल्याण को ध्यान में रखते हुए और लक्षित आबादी के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने और राज्यों में एकरूपता बनाए रखने के लिए, पीएमजीकेएवाई के तहत पांच वर्ष तक निःशुल्क खाद्यान्न की उपलब्धता जारी रखने का निर्णय लिया गया है। ।

यह एक ऐतिहासिक निर्णय है जो प्रधानमंत्री मोदी की देश में खाद्य और पोषण संबंधी सुरक्षा सुदृढ़ बनाने की दिशा में समर्पण और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

Read More »

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाभियान को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सेदारी: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सेदारी: 8,768 करोड़ रुपये) के कुल परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) को मंजूरी दे दी है। इसके अंतर्गत नौसंबंधित मंत्रालयों के माध्यम से 11 अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर खूंटी से इस अभियान की घोषणा की थी।

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार के लिए प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन शुरू किया जाएगा। इसके बारे में बजट भाषण 2023-24 में घोषणा की गई थी। यह पीवीटीजी परिवारों और बस्तियों को सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण तक बेहतर पहुंच, सड़क और दूरसंचार कनेक्टिविटी और स्थायी आजीविका के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगा। अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत अगले तीन वर्षों में मिशन को लागू करने के लिए 15,000 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की आबादी 10.45 करोड़ थी, जिसमें से 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित 75 समुदायों को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इन पीवीटीजी को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक क्षेत्रों में असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।

पीएम-जनमन योजना (केंद्रीय क्षेत्र और केंद्र प्रायोजित योजनाओं को मिलाकर) जनजातीय मामलों के मंत्रालय सहित 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो इस प्रकार हैं:

क्र.सं. गतिविधि लाभार्थियों/लक्ष्यों की संख्या लागत मानदंड
1 पक्के मकानों का प्रावधान 4.90 लाख 2.39 लाख रुपये/मकान
2 संपर्क मार्ग 8000 कि.मी रु. 1.00 करोड़/कि.मी.
3 ए नल जलआपूर्ति/ मिशन के तहत 4.90 लाख एचएच सहित सभी पीवीटीजी बस्तियों का निर्माण किया जाना है योजनाबद्ध मानदंडों के अनुसार
3 बी सामुदायिक जल आपूर्ति 20 एचएच से कम आबादी वाले 2500 गांव/बस्तियां वास्तविक लागत के अनुसार
4 दवा लागत के साथ मोबाइल चिकित्सा इकाइयां 1000 (10/जिला) 33.88.00 लाख रुपए/एमएमयू
5ए छात्रावासों का निर्माण 500 2.75 करोड़ रुपये/छात्रावास
5 बी व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल 60 आकांक्षी पीवीटीजी प्रखंड 50 लाख रुपये/प्रखंड
6 आंगनबाडी केन्द्रों का निर्माण 2500 12 लाख रुपये/एडब्ल्यूसी
7 बहुउद्देशीय केंद्रों का निर्माण (एमपीसी) 1000 60 लाख रुपये/एमपीसी प्रत्येक एमपीसी में एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का प्रावधान
8ए एचएच का ऊर्जाकरण (अंतिम मील कनेक्टिविटी) 57000 एचएच 22,500 रुपए/एचएच
8बी 0.3 किलोवाट सोलर ऑफ-ग्रिड प्रणाली का प्रावधान 100000 एचएच 50,000/एचएच या वास्तविक लागत के अनुसार
9 सड़कों और एमपीसी में सौर प्रकाश व्यवस्था 1500 इकाइयां 1,00,000 रुपए/इकाई
10 वीडीवीके की स्थापना 500 15 लाख रुपये/वीडीवीके
11 मोबाइल टावरों की स्थापना 3000 गांव योजनाबद्ध मानदंडों के अनुसार लागत

 

ऊपर उल्लिखित कार्यों के अलावा, निम्नलिखित कार्य अन्य मंत्रालयों के लिए मिशन का हिस्सा होंगे:

  1. आयुष मंत्रालय मौजूदा मानदंडों के अनुसार आयुष कल्याण केंद्र स्थापित करेगा और मोबाइल चिकित्सा इकाइयों के माध्यम से पीवीटीजी बस्तियों तक आयुष सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा।
  2. कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय इन समुदायों के उपयुक्त कौशल के अनुसार पीवीटीजी बस्तियों, बहुउद्देशीय केंद्रों और छात्रावासों में कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान करेगा।

Read More »

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दे दी है। सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को उचित समय पर अधिसूचित किया जाएगा। सरकार द्वारा 16वें वित्त आयोग की सिफारिशें स्वीकार किए जाने के क्रम में 1  अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच (5) वर्षों की अवधि के लिए होंगी। संविधान के अनुच्छेद 280(1) में कहा गया है कि संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय के वितरण, अनुदान-सहायता और राज्यों के राजस्व और नियत अवधि के दौरान पंचायतों के संसाधनों की पूरकता के लिए आवश्यक उपाय करने तथा आय से संबंधित हिस्सेदारी को राज्यों के बीच आवंटन पर सिफारिश करने के मद्देनज़र एक वित्त आयोग की स्थापना की जाएगी। पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं। पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।

सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:

वित्त आयोग निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करेगा, अर्थात:

  1. संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन;
  2. वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। उस अनुच्छेद के खंड (1) के प्रावधानों में निर्दिष्ट उद्देश्यों के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए; और
  3. राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।

आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का 53) के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।

आयोग 1 अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए अपनी रिपोर्ट 31 अक्टूबर, 2025 तक उपलब्ध कराएगा।

पृष्ठभूमि:

पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27.11.2017 को 2020-21 से 2024-25 की पांच साल की अवधि के लिए सिफारिशें करने के लिए किया गया था। 29.11.2019 को, 15वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में संशोधन किया गया था। इस संबंध में आयोग को दो रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी, यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पहली रिपोर्ट और 2021-22 से 2025-26 की विस्तारित अवधि के लिए एक अंतिम रिपोर्ट। परिणाम स्वरूप, 15वें वित्त आयोग ने 2020-21 से 2025-26 तक छह साल की अवधि के लिए अपनी सिफारिशें दीं।

वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो साल लगते हैं। संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है। चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है। इससे वित्त आयोग अपनी सिफारिशों की अवधि से तुरंत पहले की अवधि के लिए संघ और राज्यों के वित्त पर विचार और मूल्यांकन करने में सक्षम हो जाएगा। इस संदर्भ में उल्लेखनीय है कि ऐसे उदाहरण हैं जहां ग्यारहवें वित्त आयोग का गठन दसवें वित्त आयोग के छह साल बाद किया गया था। इसी प्रकार, चौदहवें वित्त आयोग का गठन तेरहवें वित्त आयोग के पांच साल दो महीने बाद किया गया था।

16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21.11.2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।

इसके बाद, संदर्भ-शर्तों के निर्माण में सहायता करने के लिए वित्त सचिव और सचिव (व्यय) की अध्यक्षता में एक कार्य समूह का गठन किया गया, जिसमें सचिव (आर्थिक मामले), सचिव (राजस्व), सचिव (वित्तीय सेवाएं), मुख्य आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के सलाहकार और अतिरिक्त सचिव (बजट) शामिल थे। परामर्श प्रक्रिया के अंग के रूप में, संदर्भ-शर्तों पर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानमंडल के साथ) से विचार और सुझाव मांगे गए थे, और समूह द्वारा विधिवत विचार-विमर्श किया गया था।

Read More »

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रोजेक्ट 15बी स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयड) के तीसरे युद्पोत 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 28 नवंबर, 2023 को नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री  एन बीरेन सिंह की उपस्थिति में भारतीय समुद्री सीमा की रक्षा की चार 15 बी स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक परियोजनाओं में से तीसरे यार्ड 12706 (इम्फाल) का अनावरण किया। इस जहाज को शिखर पर ‘कंगला पैलेस’ और ‘कंगला-सा’ से सुसज्जित किया गया है। यह भारत की स्वाधीनता, संप्रभुता और सुरक्षा के प्रति मणिपुर वासियों के बलिदान के प्रति श्रद्धांजलि है।

जहाज के शिखर पर बनाए डिजाइन में बाईं ओर ‘कंगला पैलेस’ और दाईं ओर ‘कांगला-सा’ को दर्शाया गया है। कांगला पैलेस मणिपुर का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थल है। यह महल प्राचीनकाल में मणिपुर के मेइतेइ राजाओं का निवास हुआ करता था। ड्रैगन के सिर और शेर के शरीर की आकृति के साथ सुसज्जित ‘कंगाला-सा’ मणिपुर के इतिहास का एक पौराणिक प्राणी है, और अपने लोगों के संरक्षक के रूप में जाना जाता है। ‘कांगला-सा’ मणिपुर का राज्य प्रतीक भी है।

इस युद्धपोत का डिजाइन भारतीय नौसेना युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने किया है और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल), मुंबई ने किया है। यह जहाज स्वदेशी जहाज निर्माण की पहचान है और दुनिया के सर्वाधिक तकनीकी रूप से उन्नत युद्धपोतों में से एक है। इस जहाज को एमडीएल ने 20 अक्टूबर, 2023 को भारतीय नौसेना को सौंपा था।

इस जहाज का आधार 7,400 टन है और लंबाई 164 मीटर है। यह विध्वंसक जहाज अत्याधुनिक हथियारों और प्रणाली से लैस है, जिसमें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी-शिप मिसाइल और टॉरपीडो शामिल हैं। इसकी गति 30 समुद्री मील अर्थात (56 किमी प्रतिघंटा) से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम है।

निम्नलिखित विशेषताओं से पूर्ण इस जहाज में लगभग 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी साजो-सामान इस्तेमाल किया गया है:

  • मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें (बीईएल, बैंगलोर)
  • सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें (ब्रह्मोस एयरोस्पेस, नई दिल्ली)
  • स्वदेशी टॉरपीडो ट्यूब लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • पनडुब्बी-रोधी स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर (लार्सन एंड टुब्रो, मुंबई)
  • 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट (भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड, हरिद्वार)

इंफाल का 19 मई, 2017 को रखी गई थी और जहाज को 20 अप्रैल, 2019 को पानी में उतारा गया। जहाज 28 अप्रैल, 2023 को अपने पहले समुद्री परीक्षणों के लिए रवाना हुआ था और बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों के एक व्यापक कार्यक्रम से गुजरा है, जिससे छह महीने की रिकॉर्ड समय-सीमा के भीतर 20 अक्टूबर, 2023 को इसे सेना को सौंपा गया।

परीक्षणों के हिस्से के रूप में, जहाज ने हाल ही में एक विस्तारित रेंज ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण किया। स्वदेशी विध्वंसक इंफाल का निर्माण और परीक्षण बहुत ही कम समय में किया गया है। जहाज की सुपुर्दगी ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में प्रोत्साहन को दर्शाती है। यह एक समुद्री परंपरा और एक नौसैना की रीति है जिसके अनुसार कई भारतीय नौसेना जहाजों का नाम प्रमुख शहरों, पर्वत श्रृंखलाओं, नदियों, तालाबों और द्वीपों के नाम पर रखा गया है। भारतीय नौसेना को अपने नवीनतम और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धपोत का नाम ऐतिहासिक शहर इम्फाल के नाम पर रखने पर अत्यंत गर्व है। यह पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा जाने वाला पहला युद्धपोत है। इसके लिए राष्ट्रपति ने 16 अप्रैल, 2019 को स्वीकृति दी थी।

इस अवसर पर सीडीएस जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और रक्षा मंत्रालय तथा मणिपुर सरकार के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

Read More »

जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी

जलवायु परिवर्तन पर युनाइटेड नेशन्‍स फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्‍लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) (सीओपी-28) की बैठक 30 नवंबर से 12 दिसंबर 2023 तक दुबई में होगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस बैठक में भारतीय शिष्टमंडल की भागीदारी के लिए चल रही तैयारियों के साथ ही कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट की क्षमता की समीक्षा की। श्री तोमर ने बताया कि मंत्रालय द्वारा बैठक में अंतरराष्ट्रीय मंच पर जलवायु अनुकूल श्रीअन्न, प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन, जलवायु अनुकूल गांवों के वैश्विक महत्व सहित देश की उपलब्धियां साइड इवेंट्स में प्रदर्शित होगी।

केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि कृषि को जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन किया जाना चाहिए ताकि कृषक समुदाय इससे लाभान्‍वित हो सके। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत जैसा अत्यधिक आबादी वाला देश शमन व लक्षित मीथेन कटौती की आड़ में खाद्य सुरक्षा पर समझौता नहीं कर सकता है।

समीक्षा बैठक में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण सचिवमनोज अहूजा ने मंत्री तोमर को सीओपी बैठक के महत्व, जलवायु परिवर्तन व भारतीय कृषि पर लिए गए निर्णयों के प्रभाव के बारे में जानकारी दी।

मंत्रालय के एनआरएम डिवीजन के संयुक्त सचिव श्री फ्रैंकलिन एल. खोबुंग ने खाद्य सुरक्षा पहलुओं तथा भारतीय कृषि की स्थिरता के संबंध में जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर ऐतिहासिक निर्णयों और भारत के रूख पर विवरण प्रस्तुत किया। बैठक में डेयर के सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने भी अधिकारियों के साथ भाग लिया।

संयुक्त सचिव (एनआरएम) ने कार्बन क्रेडिट के महत्व को भी प्रस्तुत किया, जो जलवायु अनुकूल टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के माध्यम से कृषि में उत्पन्न किया जा सकता है। राष्ट्रीय सतत् कृषि मिशन (एनएमएसए) के अंतर्गत कृषि वानिकी, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, राष्ट्रीय बांस मिशन, प्राकृतिक/जैविक खेती, एकीकृत कृषि प्रणाली आदि जैसे अनेक उपायों का आयोजन किया गया है। मिट्टी में कार्बन को अनुक्रमित करने की क्षमता है जिससे जीएचजी व ग्लोबल वार्मिंग में योगदान कम हो जाता है।

श्री तोमर ने सुझाव दिया कि कार्बन क्रेडिट का लाभ कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय बीज निगम के बीज फार्मों और आईसीएआर संस्थानों में मॉडल फार्मों की स्थापना के माध्यम से किसानों तक पहुंचना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवीके को कृषक समुदाय के बीच जागरूकता पैदा करने में भी शामिल होना चाहिए, ताकि किसानों की आय बढ़ाई जा सकें। कार्बन क्रेडिट, किसानों को सतत् कृषि का अभ्यास करने में प्रोत्‍साहन के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हो सकती है। श्री तोमर ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए कार्बन क्रेडिट के ज्ञान वाले किसानों को साथ लिया जा सकता है।

Read More »

चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की रकम व सामान पकड़े जाने की सूचना

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के लगातार प्रयासों की बदौलत पांच चुनावी राज्यों मिजोरम, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में बरामदगी में महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व तेजी देखी गई है। चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की सूचना मिली है, जो 2018 में इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों में की गई बरामदगी से सात गुना (239.15 करोड़ रुपये) अधिक है। पांच राज्यों में चल रहे चुनावों और पिछले कुछ राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़े प्रलोभनों की निगरानी करने और समान अवसर के लिए चुनावी बेईमानी को रोकने के हवाले से मजबूत उपायों को लागू करके स्वतंत्र, निष्पक्ष और प्रलोभन मुक्त चुनाव सुनिश्चित करने के लिए ईसीआई की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। याद रहे कि गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक में पिछले छह राज्य विधानसभा चुनावों में 1400 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी, जो इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों की तुलना में 11 गुना अधिक है।

इस बार आयोग ने इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनिटरिंग सिस्टम (ईएसएमएस) के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी को भी शामिल किया है, जो बहुत सहायक साबित हो रहा है, क्योंकि यह बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केंद्र और राज्य प्रवर्तन एजेंसियों की एक विस्तृत श्रृंखला को एक साथ जोड़ता है।

चुनाव वाले राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, चुनावों की घोषणा के बाद और 20.11.2023* की स्थिति के अनुसार निम्नलिखित जब्ती की गई है-

 

राज्य नकद (करोड़ रुपये) शराब (करोड़ रुपये) मादक पदार्थ (करोड़ रुपये) कीमती धातुएं (करोड़ रुपये) मुफ्त और अन्य वस्तुएं (करोड़ रुपये) योग (करोड़ रुपये)
छत्तीसगढ़ 20.77 2.16 4.55 22.76 26.68 76.9
मध्य प्रदेश 33.72 69.85 15.53 84.1 120.53 323.7
मिजोरम 0 4.67 29.82 0 15.16 49.6
राजस्थान 93.17 51.29 91.71 73.36 341.24 650.7
तेलंगाना 225.23 86.82 103.74 191.02 52.41 659.2
कुल (करोड़ रुपये) 372.9 214.8 245.3 371.2 556.02 ~ 1760
इन 5 राज्यों में 2018 विधानसभा चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़ों की तुलना में 636% की वृद्धि

* आंकड़े राउंड फिगर में हैं

पिछले राज्य विधानसभा चुनावों में की गई बरामदगी:

राज्य का नाम वर्ष 2017-18 में चुनाव के दौरान की गई कुल जब्ती (करोड़) वर्ष 2022-23 में चुनाव के दौरान की गई कुल जब्ती (करोड़) जब्ती में प्रतिशत की वृद्धि
हिमाचल प्रदेश 9.03 57.24 533.89
गुजरात 27.21 801.851 2846.90
त्रिपुरा 1.79 45.44 2438.55
नगालैंड 4.3 50.02 1063.26
मेघालय 1.16 74.18 6294.8
कर्नाटक 83.93 384.46 358.07
कुल 127.416 1413.191 1009.12

ईएसएमएस एक ऐसा प्रयास है, जिसका उद्देश्य प्रवर्तन एजेंसियों के माध्यम से अन्य संबंधित एजेंसियों को सूचना का त्वरित आदान-प्रदान करना है। ईएसएमएस चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया में शामिल कई प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सीईओ और डीईओ स्तर पर आसान समन्वय प्रदान करता है। मंच वास्तविक समय की रिपोर्टिंग की सुविधा प्रदान करता है, विभिन्न एजेंसियों से रिपोर्ट एकत्र करने और संकलित करने और बेहतर समन्वय में समय बचाता है। चुनाव वाले राज्यों से प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, यह आंतरिक ऐप अच्छी तरह से काम कर रहा है और चुनाव व्यय निगरानी प्रक्रिया में मदद कर रहा है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में निर्मित जब्त शराब

राजस्थान निर्मित जब्त शराब

निगरानी प्रक्रिया जून और अगस्त के बीच चुनाव वाले राज्यों में वरिष्ठ डीईसी/डीईसी की अध्यक्षता में टीमों के दौरे के साथ शुरू हुई, जिसमें भाग लेने वाले मैदानी स्तर पर सक्रिय बलों को व्यय निगरानी के महत्व के बारे में संवेदनशील बनाने तथा चुनावों की तैयारी के लिए उनके इनपुट की समीक्षा करने के उद्देश्य से प्रवर्तन एजेंसियों और जिलों के साथ चर्चा  की गई। इसके बाद, आयोग ने इन राज्यों में समीक्षा के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रलोभनों के प्रवाह को रोकने और प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा बहु-स्तरीय कार्रवाई पर जीरो-टॉलरेंस दृष्टिकोण पर जोर दिया, जो इन राज्यों में जब्ती में वृद्धि में परिलक्षित होता है। इन दौरों के दिन से, प्रवर्तन एजेंसियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में सतर्कता बढ़ा दी और जब तक चुनावों की घोषणा की गई, तब तक वे पहले ही 576.20 करोड़ रुपये की जब्ती की सूचना दे चुके थे।

आयोग ने चुनाव वाले राज्यों और उनके संबंधित पड़ोसी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों, आबकारी आयुक्तों, महानिदेशक (आयकर) और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा भी की।

आईआरएस, आईसी एंड सीईएस, आईआरएएस, आईडीएएस और अन्य केंद्र सरकार की सेवाओं के 228 अनुभवी अधिकारियों को व्यय पर्यवेक्षकों के रूप में तैनात किया गया है। कड़ी निगरानी के लिए, 194 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को व्यय संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया गया है। यह भी सुनिश्चित किया गया है कि निगरानी प्रक्रिया में फील्ड स्तर की टीमों की पर्याप्त उपलब्धता हो और धन-बल के खतरे से निपटने के लिए डीईओ/एसपी और प्रवर्तन एजेंसियों के साथ नियमित फॉलो-अप किया जाए। चुनाव वाले राज्यों में चल रहे चुनावों के पूरा होने तक कड़ी निगरानी के प्रयास जारी रहेंगे और जब्ती के आंकड़ों में और वृद्धि होने की उम्मीद है।

Read More »

सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” के तहत 199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 फर्जी फर्मों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया, 3 गिरफ्तार

केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) दिल्ली पूर्वी आयुक्तालय (कमिश्नरेट) ने “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” के तहत 199 करोड़ रुपये से अधिक की फर्जी आईटीसी का लाभ उठाने वाली 48 एक-दूसरे से जुड़े फर्जी फर्मों के एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है। सीजीएसटी दिल्ली पूर्वी ने एकत्रित मानव आधारित खुफिया जानकारी के आधार पर फर्जी बिलर्स के खिलाफ समन्वित रूप से “ऑपरेशन क्लीन स्वीप” शुरू किया, जिसे जमीनी खुफिया जानकारी की सहायता के साथ डेटा माइनिंग और डेटा एनालिसिस के माध्यम से आगे बढ़ाया गया।

इस अभियान के पहले चरण में, कुल 48 नकली/फर्जी फर्मों की पहचान की गई है, जो या तो अस्तित्व में नहीं हैं या फिर कागजी फर्में हैं। ये फर्में फर्जी चालान का काम कर रही थीं। ऐसे चालान वस्तुओं या सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना बनाए गए थे, जो जीएसटी कानून के तहत एक अपराध है। तीन लोगों को पकड़ लिया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट, पटियाला हाउस द्वारा दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस सिंडिकेट के अन्य सदस्यों और सरगनाओं की पहचान कर ली गई है और आगे की जांच की जा रही है।

पकड़े गए व्यक्तियों में से एक, जोकि मेसर्स एम.के. ट्रेडर्स का मालिक था, पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी वाली आईटीसी का लाभ उठाने के कार्य में लिप्त पाया गया, जिसका बड़ा हिस्सा अन्य जुड़े लिंकों को दे दिया गया था। पकड़े गए अन्य दो व्यक्ति इस सिंडिकेट को सहायता व बढ़ावा दे रहे थे और सिंडिकेट के कामकाज में सहायक थे। इस अभियान के दौरान 55 अलग-अलग फर्मों से संबंधित टिकट, कई सिम कार्ड एवं आधार कार्ड जैसे दस्तावेज और तीसरे पक्ष से संबंधित बिजली बिल सहित आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।

यह पूरा अभियान दुर्गम इलाके में चलाया गया, जिसमें दिल्ली की संकरी गलियां और संवेदनशील इलाके शामिल थे। यह अभियान केवल दिल्ली पुलिस के सौहार्दपूर्ण सहयोग के कारण संभव हुआ, जिसने जीएसटी अधिकारियों की सहायता के लिए पर्याप्त संख्या में पुलिस कर्मियों को तैनात किया था। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

Read More »