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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) के उपचार संबंधी संशोधित परिचालन और प्रशिक्षण दिशानिर्देश जारी किए

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज यहां गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) के उपचार संबंधी संशोधित परिचालन दिशानिर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी किए। ये दस्तावेज जानकारी, प्रमाण आधारित विधियों से एनएएफएलडी रोगियों की देखभाल और नतीजों को बेहतर बनाने के लिए तैयार किए गए हैं।

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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्री अपूर्व चंद्रा ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “भारत ने एनएएफएलडी को एक प्रमुख गैर संचारी रोग (एनसीडी) के रूप में मान्यता देने में अग्रणी भूमिका निभाई है।” उन्होंने कहा कि यह देश की आबादी में बहुत तेजी से एक प्रमुख स्वास्थ्य चिंता के रूप में उभर रहा है, जो चयापचय (मेटाबोलिक) विकारों जैसे मोटापे, मधुमेह और दिल की बीमारियों से निकटता से जुड़ा है। इस रोग की गंभीरता का पता इस बात से चलता है कि प्रत्येक 10 में से एक से तीन लोगों को एनएएफएलडी हो सकता है।

श्री चंद्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि संशोधित परिचालन दिशा-निर्देश और प्रशिक्षण मॉड्यूल जारी करना इस रोग पर अंकुश लगाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा रोग से निपटने  के महत्व को दर्शाता है।” उन्होंने कहा कि ये दस्तावेज सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं से लेकर चिकित्सा अधिकारियों तक सभी स्तरों पर एक रूपरेखा प्रदान करेंगे। उन्होंने उन लोगों की निरंतर देखभाल पर भी जोर दिया, जिनमें इस रोग का पता चला था और इसके प्रसार को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की बात भी कही।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की विशेष कार्य अधिकारी श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने इस मौके पर कहा, “इन दिशा-निर्देशों को जमीनी स्तर कार्य कर रहे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने की आवश्यकता है ताकि बीमारी का जल्द पता लगाकर इसके बोझ को कम किया जा सके।” उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण मॉड्यूल को जारी किया जाना देश में एनसीडी के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए चिकित्सकों की क्षमता निर्माण के देश के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त कड़ी है।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के निदेशक डॉ. एस.के. सरीन ने कहा कि दोनों दस्तावेजों का जारी किया जाना लिवर संबंधी बीमारियों की रोकथाम में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके परिणाम अगले कुछ वर्षों में दिखाई देंगे। उन्होंने लीवर को स्वस्थ बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी कई गैर-संचारी बीमारियां (एनसीडी) लीवर के स्वास्थ्य से जुड़ी हैं।

देश में 66 प्रतिशत से ज़्यादा मौतें गैर-संचारी रोगों (एनसीडी) के कारण होती हैं। इन रोगों का तम्बाकू सेवन (धूम्रपान और धूम्रपान रहित), शराब पीना, खराब आहार संबंधी आदतें, अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि और वायु प्रदूषण के साथ गहरा संबंध है।

एनएएफएलडी भारत में लिवर रोग का एक महत्वपूर्ण कारण बनकर उभर रहा है। यह एक छिपी महामारी हो सकती है, जिसका सामुदायिक प्रसार 9 प्रतिशत से 32 प्रतिशत तक हो सकता है और आयु, लिंग, रहन-सहन संबंधी स्थितियां तथा सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि 10 में से 1 से 3 व्यक्ति फैटी लिवर या इससे संबंधित बीमारी से पीड़ित होंगे।

भारत में वैश्विक स्तर पर एनसीडी रोगियों की संख्या सबसे ज़्यादा है और मेटाबॉलिक बीमारियों का एक मुख्य कारण लिवर की कार्य प्रणाली से जुड़ा है। इस पर आने वाले खर्च के बढ़ते बोझ और इससे निपटने की आवश्यकता को देखते हुए, भारत 2021 में एनसीडी की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम में एनएएफएलडी को शामिल करने वाला पहला देश बन गया है।

एनएएफएलडी के क्षेत्र में हाल ही में प्रमाण-आधारित समाधानों को देखते हुए, देश में एनएएफएलडी के नियंत्रण और इसकी रोकथाम में चिकित्सा पेशेवरों की मदद करने और उनका बेहतर तरीके से प्रबंधन करने के लिए अद्यतन दिशानिर्देशों की सख्त आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

ये दिशानिर्देश बेहतर स्वास्थ्य स्थितियों और इस रोग की शुरू में ही पहचान पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो एनएएफएलडी मरीजों की समय पर उचित देखभाल को सुनिश्चित करने की दिशा में अहम हैं। ये दिशानिर्देश बहु-विषयक दृष्टिकोण पर जोर देते हैं, जो एनएएफएलडी से प्रभावित व्यक्ति को पूर्ण उपचार प्रदान करने, बेहतर देखभाल करने संबंधी विभिन्न मुद्दों पर स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के प्रयासों को एकीकृत करता है।

एनएएफएलडी के प्रभावी प्रबंधन के लिए न केवल रोग की स्थिति की अच्छी समझ जरूरी है बल्कि स्वास्थ्य सेवा के सभी स्तरों पर साक्ष्य-आधारित कार्यक्रमों को लागू करने की क्षमता भी होनी चाहिए। एनएएफएलडी के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल परिचालन दिशानिर्देशों को पूरक के रूप में विकसित किया गया है और विशेष रूप से प्राथमिक स्तर पर एनएएफएलडी की पहचान, प्रबंधन, रोकथाम के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल के साथ स्वास्थ्य पेशेवरों की क्षमता निर्माण में मदद करता है। मॉड्यूल में महामारी विज्ञान, जोखिम कारक, स्क्रीनिंग, नैदानिक ​​प्रोटोकॉल और मानकीकृत उपचार दिशानिर्देशों सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है। यह स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने के लिए प्रारंभिक पहचान, रोगी शिक्षा, जीवन शैली में बदलाव और एकीकृत देखभाल नीतियों पर भी जोर देता है।

इस बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव और वित्तीय सलाहकार श्री जयदीप कुमार मिश्रा, अपर सचिव श्रीमती एल एस चांगसन, संयुक्त सचिव श्रीमती लता गणपति और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में सभी 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि, विकास साझेदार और विश्व स्वास्थ्य संगठन, आईएलबीएस, एम्स, सीएमसी वेल्लोर, जेआईपीएमईआर, एसजीपीजीआईएमएस, पीजीआईएमईआर और आरएमएल अस्पताल के विशेषज्ञ भी वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने बेंगलुरु में “उत्तरी पूर्व व्यापार और निवेश रोड शो” का नेतृत्व किया, उत्तरी पूर्वी भारत में निवेश के लिए निवेशकों को आमंत्रित किया

उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय (एमडीओएनईआर) ने आज बेंगलुरु में उत्तरी पूर्व व्यापार और निवेश रोड शो का सफलतापूर्वक आयोजन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ एक सकारात्मक स्वर से हुआ,इसने अहम ध्यान आकर्षित किया और बड़ी संख्या में भागीदारों ने इसमें रुचि दिखाई। केंद्रीय संचार एवं उत्तरी पूर्व क्षेत्र विकास मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया ने मंत्रालय और आठ उत्तरी पूर्वी राज्यों के अधिकारियों के साथ कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। 

 

केंद्रीय मंत्री श्री ज्योदिरादित्य एम. सिंधिया ने उत्तरी पूर्व क्षेत्र की विशाल संभावनाओं के बारे में बताते हुए कहा कि क्षेत्र की विकसित भारत में एक बड़े भविष्य की भूमिका है। उन्होंने ध्यान आकर्षित किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरगामी नेतृत्व के अंतर्गत उत्तरी पूर्वी क्षेत्र, केंद्र सरकार के केंद्रीय बिंदु में है। इसके परिणामस्वरुप क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के लिए कई पहल जैसे एक्ट ईस्ट नीति और उन्नति आदि प्रारंभ की गई है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने रेल, सड़क,वायु, जलमार्ग और दूरसंचार क्षेत्र में संपर्कता बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए है। उन्होंने बताया कि बीते दस सालो में क्षेत्र में निवेश में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई है। क्षेत्र में कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, आईटी एवं आईटीईएस, शिक्षा, पर्यटन तथा आतिथ्य,ऊर्जा, मनोरंजन और खेल क्षेत्र में बड़ी संभावनाएं है। उत्तर पूर्व अतुलनीय खेल प्रतिभाओं का घर है । इसमें विशेष तौर पर मुक्केबाजी, निशानेबाजी और फुटबाल सम्मिलित हैं। इसके साथ ही क्षेत्र के एथलीटो ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंचो पर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। केंद्र सरकार क्षेत्र की इस संभावना का लाभ उठाने के लिए क्षेत्रीय खेल लीग को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य बना रही है। पर्यटन क्षेत्र में उत्तरी पूर्व क्षेत्र का हर एक राज्य एक आभूषण के समान है। उत्तरी पूर्वी क्षेत्रीय विकास मंत्रालय, क्षेत्र में विश्व स्तरीय बुनियादी ढ़ांचा विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बेंगलुरू के भारत के सिलिकॉन वैली होने का संदर्भ देते हुए इसे उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में आईटीऔर आईटीईएस क्षेत्र जैसे आईटी केंद्र, उभरती हुई प्रौद्योगिकियों के सर्वश्रेष्ठ केंद्र और डाटा एनेलेटेटिक्स आदि में अवसरों का पता लगाने और इसे दोहराने के लिए कहा। उत्तरी पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव श्री चंचल कुमार ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की एक्ट ईस्ट नीति के तहत सभी आठ राज्यों में अनूठे अवसर हैं। बीते दस सालो में उत्तरी पूर्वी क्षेत्र में संपर्कता में कई गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्र में निवेश संबंधी इकोसिस्टम कार्यरत है जो निवेशकों को सुविधा प्रदान करेगा। इसके साथ ही मंत्रालय तथा उत्तरी पूर्वी क्षेत्र की राज्य सरकार क्षेत्र में निवेश को आवश्यक समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय की संयुक्त सचिव मोनालीसा दाश ने अपने संबोधन में उत्तरी पूर्वी क्षेत्र के लाभ और निवेश तथा व्यापार में अवसरो पर जोर देते हुए कहा कि क्षेत्र में अभी विकास की अनेक संभावनाएं है। बीते दशक में सरकार ने विभिन्न योजनाओं तथा पहलों के द्वारा कई रूकी हुई परियोजनाओं को पूरा किया है, जिसका लाभ स्थानीय समुदायों और लाखों लोगो को मिला है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य लाभ, पर्यटन, आईटी और आईटीईएस, ऊर्जा खेल आदि में अवसरों के संबंध में विशेष रूप से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय निवेश अवसरों को सुविधा तथा क्षेत्रीय निवेश अवसरो को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्तरी पूर्व क्षेत्र अपने विकास के लिए आशावान है और रणनीतिक निवेश के साथ विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका में आ सकता है। इसका लाभ स्थानीय जनसंख्या और भारत को सम्रग रूप से मिलेगा।

 

उत्तरीपूर्वी राज्य के सरकारी अधिकारियों ने फिक्की (औद्योगिक भागीदार) और इन्वेस्ट इंडिया (निवेश सुविधा भागीदार) के प्रतिनिधियों के साथ विभिन्न केंद्रित क्षेत्रो में अवसरों पर अहम जानकारी साझा की। प्रत्येक राज्य ने अपने क्षेत्र मे निवेश से संबंधित विस्तृत जानकारी भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में कई व्यवसायों से सक्रिय भागीदारी देखी गई जो क्षेत्र में निवेश परिदृश्य में बड़ी रूचि प्रदर्शित करता है।

उत्तरी पूर्वी क्षेत्र को रणनीतिक रूप से अहम स्थान का लाभ मिला है और इसकी आसियान अर्थव्यवस्था तक सुविधाजनक पहुंच है, जिसके कारण व्यापार करने के लिए आकर्षक अवसर मिलते हैं। क्षेत्र में त्वरित गति से बुनियादी ढ़ांचे का विकास जारी है, जिसके अंतर्गत नए प्रौद्योगिकी केंद्र और औद्योगिक पार्क स्थापित किए गए है जिससे क्षेत्र में व्यापार की संभावनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है।

शिखर सम्मेलन के भाग के रूप में विभिन्न राज्यों असम, त्रिपुरा, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड के साथ सफल राउंड टेबल कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मुंबई, हैदराबाद और कोलकाता में पूर्व में आयोजित रोड शो में उत्साहवर्धक भागीदारी देखी गई थी, जबकि वाईब्रैंट गुजरात के दौरान राज्य सम्मेलनों में प्रभावी निवेशकों की रूचि को प्रभावित किया।

बैंगलुरू रोड शो ने निवेशको में अहम रूचि जाग्रत की है। एक परिवर्तनकारी कार्यक्रम के रूप में पूर्वानुमानित बैंगलुरू रोड शो के दौरान कई बी2जी का सफलतापूर्वक आयोजन हुआ जिसमें उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे असम, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मिज़ोरम, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम और नागालैंड में निवेशकों द्वारा रूचि प्रदर्शित की गई।

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केंद्र सरकार ने श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन दरें बढ़ाईं

केंद्र सरकार ने श्रमिकों, विशेषकर असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सहायता देने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए परिवर्तनशील महंगाई भत्ते (वीडीए) को संशोधित करके न्यूनतम मजदूरी दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है। इस निर्णय का उद्देश्य श्रमिकों को जीवनयापन के लिए बढ़ती लागत का सामना करने में मदद करना है।

केंद्रीय क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के भीतर भवन निर्माण, माल लादने और उतारने, चौकीदार या प्रहरी, सफाई, शोधन, घर की देख-भाल करने, खनन तथा कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगे श्रमिकों को संशोधित मजदूरी दरों से लाभ होगा। नई वेतन दरें 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होंगी। इससे पहले श्रमिक दरों का अंतिम संशोधन अप्रैल, 2024 में किया गया था।

न्यूनतम मजदूरी दरों को कौशल स्तरों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है – अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल एवं अत्यधिक कुशल और साथ ही इन्हें भौगोलिक क्षेत्र – ए, बी तथा सी के आधार पर बांटा जाता है।

इस संशोधन के बाद, अकुशल कार्य क्षेत्र जैसे निर्माण, सफाई, शोधन, माल लादने और उतारने में श्रमिकों के लिए क्षेत्र “ए” में न्यूनतम मजदूरी दर 783 रुपये प्रति दिन (20,358 रुपये प्रति माह) होगी, अर्ध-कुशल के लिए 868 रुपये प्रति दिन (22,568 रुपये प्रति माह) होगी। इसके अलावा, कुशल कर्मी, लिपिक और बिना हथियार वाले चौकीदार या प्रहरी के लिए प्रतिदिन 954 रुपये (24,804 रुपये प्रति माह) तथा अत्यधिक कुशल और हथियार के साथ चौकीदार या प्रहरी के लिए 1,035 रुपये प्रति दिन (26,910 रुपये प्रति माह) दिए जाएंगे।

केंद्र सरकार औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में छह महीने की औसत वृद्धि के आधार पर साल में दो बार परिवर्तनशील महंगाई भत्ते को संशोधित करती है, जो 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर से प्रभावी होती है।

विभिन्न तरह के कार्य, श्रेणियों और क्षेत्र के अनुसार न्यूनतम मजदूरी दरों के संबंध में विस्तृत जानकारी भारत सरकार के मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) की वेबसाइट (clc.gov.in) पर उपलब्ध कराई गयी हैं।

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केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने केंद्रीय रेशम बोर्ड की प्लेटिनम जयंती मनाने के लिए स्मारक सिक्के का अनावरण किया

केंद्रीय कपड़ा मंत्री, श्री गिरिराज सिंह ने 20 सितंबर 2024 को मैसूर में केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) की प्लेटिनम जयंती के अवसर पर स्मारक सिक्के का अनावरण किया। केंद्रीय रेशम बोर्ड ने भारत के रेशम उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए 75 वर्षों की समर्पित सेवा को गर्व के साथ चिह्नित किया।

इस समारोह में कई गणमान्य लोगों की भागीदारी देखी गई जिनमें केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी; विदेश राज्य मंत्री और कपड़ा राज्य मंत्री, श्री पाबित्रा मार्गेरिटा; श्रीमती रचना शाह, सचिव, कपड़ा मंत्रालय; श्री के. वेंकटेश, पशुपालन और रेशम उत्पादन मंत्री, कर्नाटक सरकार,; श्री इरन्ना बी कल्लाडी संसद सदस्य, राज्य सभा और बोर्ड सदस्य, केंद्रीय रेशम बोर्ड; श्री नारायण कोरगप्पा संसद सदस्य, राज्य सभा और बोर्ड सदस्य, केंद्रीय रेशम बोर्ड; डॉ. के. सुधाकर, संसद सदस्य, लोकसभा, चिक्कबल्लापुरा एवं बोर्ड सदस्य, केंद्रीय रेशम बोर्ड; श्री ए.जी. लक्ष्मीनारायण वाल्मिकी, संसद सदस्य, लोकसभा और बोर्ड सदस्य, केंद्रीय रेशम बोर्ड; श्री यदुवीर कृष्णदत्त चमराज वाडियार, संसद सदस्य, लोकसभा; श्री जी.टी. देवगौड़ा, विधायक, कर्नाटक सरकार; और मंत्रालय और केंद्रीय रेशम बोर्ड के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं।

केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) की 75 वर्षों की यात्रा के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों के दौरान, कई महत्वपूर्ण अवावरण और लोकार्पण किए गए। सीएसबी के इतिहास को प्रदर्शित करने वाले एक वृत्तचित्र वीडियो का अनावरण किया गया, साथ ही प्लेटिनम जुबली का उत्सव मनाने वाला एक स्मारक सिक्का और 1949 से राष्ट्र की सेवा में सीएसबी शीर्षक वाली एक कॉफी टेबल बुक भी जारी की गई। ‘सीएसबी 75 वर्ष’ लोगो वाला एक डाक कवर भी जारी किया गया। इसके अलावा, रेशम के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई शहतूत किस्मों और रेशमकीट हाइब्रिड को लॉन्च किया गया, जिनमें पूर्वी और उत्तर-पूर्व भारत के लिए सीबीसी-01 (सी-2038), साथ ही सीएमबी-01 (एस8 x सीएसआर16) और सीएमबी-02 (टीटी21 x टीटी56) शामिल हैं। रेशम उत्पादन को समर्पित 13 पुस्तकों, 3 मैनुअल और 1 हिंदी पत्रिका का विमोचन किया गया, साथ ही चार नई प्रौद्योगिकियां- निर्मूल, सेरी-विन, मिस्टर प्रो और एक ट्रैपिंग मशीन प्रस्तुत की गईं। सिल्क मार्क इंडिया (एसएमओआई) वेबसाइट आधिकारिक रूप से शुरू की गई और रेशम उत्पादन में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण में सहकारी प्रयासों को मजबूती प्रदान करने के लिए सीएसबी और आईसीएआर-सीआईएफआरआई बैरकपुर, जैन विश्वविद्यालय बेंगलुरु और असम कृषि विश्वविद्यालय (एएयू), जोरहाट जैसे प्रमुख संस्थानों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) का उल्लेखनीय आदान-प्रदान किया गया।

रेशम उत्पादन को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से पूर्वी और उत्तर-पूर्व भारत में शहतूत की नई किस्मों और रेशमकीट हाईब्रिड का अनावरण करना बहुत महत्वपूर्ण है, जिससे उत्पादन क्षेत्रों में विविधता आएगी और क्षेत्रीय निर्भरता कम होगी। इसके अलावा,  निर्मूल और सेरी-विन जैसी नवीन तकनीकों का अनावरण कीट प्रबंधन, स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने और उत्पादकता बढ़ाने जैसी महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करता है।

आयोजन के दौरान जारी किए गए शैक्षिक संसाधन किसानों को आवश्यक जानकारी प्रदान कर सशक्त बनाएंगे, जबकि आईसीएआर-सीआईएफआरआई और जैन विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के साथ हस्ताक्षरित एमओयू सहयोगात्मक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण पहल की सुविधा प्रदान करेंगे। रेशम उत्पादन में अवसंरचना, बाजार पहुंच और संसाधन उपलब्धता को बढ़ाने का यह रणनीतिक दृष्टिकोण किसानों के विकास के लिए एक सहायक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है, जिसका लक्ष्य अंततः आजीविका को बढ़ावा देना और वैश्विक रेशम बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत करना है।

दो दिवसीय समारोह के दौरान, रेशम पालन हितधारकों का अनुभव-साझाकरण सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें रेशम क्षेत्र के सभी हितधारकों और उप-उत्पाद उत्पादकों को एक साथ लाया गया। सत्र में प्रतिभागियों को रेशम उद्योग की वर्तमान स्थिति के बारे में बातचीत करने और अपने अनुभव साझा करने के लिए एक मंच प्रदान किया गया। इन बातचीत में कई प्रमुख सुझाव उभर कर सामने आए, जिनमें पशु आहार, औषध और चिकित्सा अनुप्रयोगों में रेशम उत्पादन अपशिष्ट का उपयोग करने के लिए एक मंच की स्थापना करना भी शामिल है।

प्रतिभागियों ने किसानों के लाभ को बढ़ाने के लिए बिचौलियों के प्रभाव को कम करते हुए रेशम उत्पादक राज्यों में बाजार सुविधाओं को मजबूत करने और कोकून की कीमतों को स्थिर करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बाजार की मुद्रास्फीति के अनुरूप इकाई लागत में समायोजन के साथ-साथ रेशम उत्पादन घटकों पर सब्सिडी देने का भी आह्वान किया।

केंद्रीय सिल्क बोर्ड की स्थापना इंपीरियल सरकार द्वारा 8 मार्च 1945 को रेशम उद्योग के विकास की जांच करने के लिए गठित सिल्क पैनल की सिफारिशों के आधार पर की गई थी। स्वतंत्र भारत की सरकार ने 20 सितंबर 1948 को सीएसबी अधिनियम 1948 को लागू किया। तदनुसार, 9 अप्रैल 1949 को रेशम उत्पादन उद्योग को आकार देने के लिए 1948 में संसद के एक अधिनियम (एलएक्सआई) के अंतर्गत केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी), एक वैधानिक निकाय की स्थापना की गई।

केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) व्यापक रेशम उत्पादन अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) के लिए एकमात्र संगठन है और 26 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में विकास कार्यक्रमों का समन्वय करता है। सीएसबी की अनिवार्य गतिविधियों में अनुसंधान एवं विकास, चार स्तरीय रेशमकीट बीज उत्पादन नेटवर्क का रखरखाव, वाणिज्यिक रेशमकीट बीज उत्पादन में नेतृत्व वाली भूमिका, विभिन्न उत्पादन प्रक्रियाओं में गुणवत्ता मापदंडों का मानकीकरण और स्थापना, रेशम उत्पादन और रेशम उद्योग से संबंधित सभी मामलों पर सरकार को सलाह देना आदि शामिल हैं। केंद्रीय रेशम बोर्ड की ये अनिवार्य गतिविधियां विभिन्न राज्यों में स्थित सीएसबी की 159 इकाइयों द्वारा निष्पादित की जाती हैं।

सीएसबी के अनुसंधान एवं विकास संस्थानों ने विभिन्न क्षेत्रों और मौसमों के अनुरूप 51 से अधिक रेशमकीट हाइब्रिड, मेजबान पौधों की 20 उच्च उपज देने वाली किस्मों और 68 से अधिक पेटेंट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सीएसबी के अनुसंधान एवं विकास कोशिशों का ही परिणाम है कि देश में स्वदेशी स्वचालित रीलिंग मशीनों का निर्माण शुरू हुआ है, जिन्हें पहले चीन से आयात किया जाता था। ये प्रगति रेशम उत्पादन में सुधार लाने, किसानों और हितधारकों को गुणवत्ता एवं उपज दोनों को बढ़ावा देने के लिए मूल्यवान उपकरण और तकनीक प्रदान करने में सहायक रही है।

केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) की परिवर्तनकारी पहलों के माध्यम से, भारत ने रेशम उद्योग में प्रभावशाली प्रगति की है। भारत अब पूरे विश्व में दूसरा सबसे बड़ा रेशम उत्पादक देश है, वैश्विक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 1949 में 6% से बढ़कर 2023 में 42% हो चुकी है। कच्चे रेशम का उत्पादन 1949 में 1,242 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 38,913 मीट्रिक टन हो चुका है। दक्षता में सुधार बहुत स्पष्ट है, क्योंकि रेंडिटा 1949 में 17 से घटकर 2023-24 में 6.47 हो गया है और शहतूत के बागानों की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 15 किलोग्राम से बढ़कर 110 किलोग्राम हो गई है। इसके अलावा, रेशम निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और कमाई 1949-50 में 0.41 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 2,028 करोड़ रुपये हो चुकी है और यह 80 से अधिक देशों तक पहुंच चुकी है।

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जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण में शांतिपूर्ण और उत्सवी माहौल के बीच मतदान

जम्मू  -कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में, सुरम्य परिदृश्य वाले मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगी रहीं और पहले चरण के दौरान देखी गई गति को आगे बढ़ाया गया। 26 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान आज सुबह 7 बजे शुरू हुआ और हिंसा की किसी घटना के बिना शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। शाम 7 बजे तक मतदान केंद्रों पर 54.11% मतदान दर्ज किया गया। दूसरे चरण में इन छह जिलों में दर्ज कुल मतदान ने लोकसभा चुनाव 2024 में दर्ज किए गए मतदान को भी पीछे छोड़ दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के पहले चरण में भी मतदाताओं की उत्साहजनक प्रतिक्रिया देखी गई थी और 24 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान केंद्रों पर 61.38% मतदान हुआ था।

जम्मूकश्मीर चुनाव के दूसरे चरण में मतदान केंद्रों पर कतार में लगे मतदाता

सीईसी श्री राजीव कुमार ने ईसी श्री ज्ञानेश कुमार और डॉ. सुखबीर सिंह संधू के साथ मतदान प्रक्रिया की निरंतर निगरानी बनाए रखी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मतदान बिना किसी अप्रिय घटना के सम्पन्न हो। इससे पहले दिन में, निर्वाचन सदन में मीडिया से बातचीत में सीईसी राजीव कुमार ने कहा कि ये चुनाव “इतिहास बनाने वाला ” है, जिसकी गूँज आने वाली पीढ़ी तक पहुँचेगी। उन्होंने कहा कि जो घाटियाँ और पहाड़ कभी भय और बहिष्कार के गवाह थे, वे अब लोकतांत्रिक उत्सव या “जश्न-ए-जम्हूरियत” में भाग ले रहे हैं। मतदाता बिना किसी डर या भय के वोट डाल सकें, इसके लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए मजबूत सुरक्षा उपाय किए गए थे। मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की व्यवस्था की गई थी। जम्मू-कश्मीर में मतदान केंद्रों से सामने आ रहे दृश्यों का लाइव प्रदर्शन करते हुए, सीईसी कुमार ने मतदान केंद्रों पर वोट डालने के लिए धैर्यपूर्वक अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए मतदाताओं की सराहना की और कहा कि यह लोकतंत्र में उनके विश्वास का शानदार प्रमाण है।

जम्मूकश्मीर के पुंछ जिले में मतदाता

दूसरे चरण में 6 जिलों में फैले 26 विधानसभा क्षेत्रों में 3502 मतदान केंद्रों पर वोट डाले गए। इस चरण में 233 पुरुष और 6 महिलाओं सहित 239 उम्मीदवार मैदान में थे। दूसरे चरण में जिन छह जिलों में मतदान हुआ, वे हैं – बडगाम, गांदरबल, पुंछ, राजौरी, रियासी और श्रीनगर।

युवा मतदाताओं ने शांति, लोकतंत्र और प्रगति की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया क्योंकि पहली बार वोट डालने वाले मतदाताओं ने मतदान के बाद गर्व से अपनी स्याही लगी उंगलियों का प्रदर्शन किया। दूसरे चरण  के लिए कुल 1.2 लाख से अधिक मतदाता 18-19 वर्ष की आयु के हैं।

अपनी स्याही लगी उंगलियां प्रदर्शित करते सभी आयु वर्ग के मतदाता

सुगमता मतदान अनुभव के प्रमुख स्तंभों में से एक है जिसके लिए ईसीआई प्रतिबद्ध है। हाल ही में संपन्न पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक विजेता और ईसीआई के राष्ट्रीय पीडब्ल्यूडी आइकन श्री राकेश कुमार भी अपनी नागरिक जिम्मेदारी को निभाने के लिए आए और आज सुबह श्री माता वैष्णो विधानसभा क्षेत्र में वोट डाला। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र  में एक मतदान केंद्र दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा संचालित किया गया था। 26 मतदान केन्द्रों का प्रबंधन महिलाओं ने किया।

जम्मूकश्मीर चुनाव के दूसरे चरण में मतदान करते ईसीआई के राष्ट्रीय दिव्यांग आइकन श्री राकेश कुमार और दिव्यांग मतदाता

बॉर्डर पीएस 1 नूरकोट89 पुंछ हवेली एसी और डल झील पर शिकारा से जाते मतदाता

दिव्यांगजनों द्वारा संचालित पीएस नंबर 80 धनौरीएसी-58 श्री माता वैष्णो देवी और महिलाओं द्वारा प्रबंधित पीएस

डल झील ने मतदान उत्सव के लिए सुंदर पृष्ठभूमि प्रदान की। मतदाता वोट डालने के लिए प्रतिष्ठित शिकारों पर सवार होकर मतदान केंद्रों पर पहुंचे। भय मुक्त शांतिपूर्ण माहौल में मतदान हुआ। सीमा के पास के इलाकों में रहने वाले मतदाताओं को भी पुंछ जिले के 89 पुंछ हवेली और 90- मेंढर एसी में नियंत्रण रेखा के पास स्थापित सीमावर्ती 55 मतदान केंद्रों और राजौरी जिले के 51 ऐसे मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया। देश के सुदूरवर्ती इलाकों को भी लोकतांत्रिक दायरे में लाने के आयोग के संकल्प के अनुरूप इन सीमावर्ती मतदान केंद्रों पर आज मतदान हुआ।

राजौरी जिले में 84 नौशेरा एसी में सीमावर्ती मतदान केंद्र

सीमावर्ती मतदान केंद्र 84-नौशेरासीमा से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित है

कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं को जम्मू (19), उधमपुर (1) और दिल्ली (4) में स्थापित 24 विशेष मतदान केंद्रों के माध्यम से मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार दिया गया। इससे पहले, आयोग ने बोझिल फॉर्म-एम को समाप्त करके और स्व-प्रमाणन को सक्षम करके कश्मीरी प्रवासी मतदाताओं के लिए प्रक्रिया को आसान बना दिया था।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों में पहली बार शुरू की गई होम-वोटिंग सुविधा ने लोकतंत्र को उन लोगों के दरवाजे तक ले जाया, जो शारीरिक सीमाओं से बंधे हैं। 85 वर्ष से अधिक आयु के कई मतदाताओं और 40% बेंचमार्क दिव्यांगता वाले दिव्यांगजनों ने अपने घरों से आराम से मतदान करने का विकल्प चुना। मतपत्र की गोपनीयता बरकरार रखते हुए पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई।

मतदान के अनुभव को सुखद और यादगार बनाने के लिए ईसीआई की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, सभी मतदान केंद्रों पर पीने का पानी, बिजली, शौचालय, रैंप, फर्नीचर, पर्याप्त आश्रय, हेल्पडेस्क, व्हील चेयर और स्वयंसेवकों जैसी सुनिश्चित न्यूनतम सुविधाएं (एएमएफ) प्रदान की गईं। आरामदायक मतदान अनुभव देने के लिए प्रत्येक एसी में एक-एक मतदान केंद्र का प्रबंधन विशेष रूप से महिलाओं और दिव्यांगजनों द्वारा किया गया।

जब भी मतदान दल औपचारिक रूप से मतदान बंद करेंगे और भौगोलिक/तार्किक स्थितियों के आधार पर मतदान केंद्रों से लौटेंगे और वैधानिक कागजात की जांच और पुनर्मतदान पर विचार, यदि कोई हो के बाद शाम 7 बजे तक 54.11% के अनंतिम मतदान के आंकड़े आरओ द्वारा वोटर टर्नआउट ऐप पर एसी वार अपडेट किए जाते हैं। हितधारकों की सुविधा के लिए आयोग ~2345 बजे अनंतिम मतदान आंकड़ों के साथ एक और प्रेस नोट भी जारी करेगा।

दूसरे चरण में जिलेवार अनुमानित मतदान प्रतिशत (शाम 7 बजे)

क्र.सं. जिला विधानसभा सं. लगभग मतदान %
1 बडगाम 5 58.97
2 गांदरबल 2 58.81
3 पुंछ 3 71.59
4 राजौरी 5 68.22
5 रियासी 3 71.81
6 श्रीनगर 8 27.37
उपर्युक्त 6 जिले 26 54.11

तीसरे चरण का मतदान 1 अक्टूबर, 2024 को होगा। वोटों की गिनती 8 अक्टूबर, 2024 को होनी है।

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डीआरडीओ और आईएनएई ने हैदराबाद में 11वें अभियंता सम्मेलन का आयोजन कर उभरती हुए प्रौद्योगिकियों और स्वदेशीकरण में उन्नतीकरण पर विचार विमर्श किया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन( डीआरडीओ) और भारतीय राष्ट्रीय अभियांत्रिकी अकादमी( आईएनएई) द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित 11वां अभियंता सम्मेलन, हैदराबाद में 26 सितंबर,2024 से प्रारंभ हुआ। दो दिन के इस वार्षिक सम्मेलन का उद्देश्य दो रणनीतिक प्राथमिकताओं ‘रक्षा अनुप्रयोग के लिए अतिरिक्त विनिर्माण’ और ‘रक्षा विनिर्माण प्रौद्योगिकियों’ पर विचार विमर्श करना था। डीआरडीओ की रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला( डीआरडीएल) में आयोजित यह कार्यक्रम अभियंता, वैज्ञानिक,शैक्षणिक जगत के विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रमुख व्यक्तियों को स्वदेशीकरण में उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और उन्नतिकरण पर विचार विमर्श के लिए एक मंच पर लेकर आया।

सम्मेलन का उद्घघाटन मुख्य अतिथि, डॉ अनिल काकोडकर,पूर्व अध्यक्ष परमाणु ऊर्जा आयोग ने किया। रक्षा अनुसंधान और विकास विकास विभाग के सचिव तथा डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ.समीर वी कामत कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि थे। कार्यक्रम को श्री जी ए श्रीनिवास मूर्ति, महानिदेशक मिसाइल और रणनीतिक प्रणाली, श्री यू राजा बाबू और आईएएनई अध्यक्ष प्रोफेसर इंद्रनिल मन्ना ने भी संबोधित किया।

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केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया ने भारत 6-जी गठबंधन के साथ बैठक की

भारत 6-जी गठबंधन (बी6जीए) ने आज बेंगलुरु में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया और दूरसंचार सचिव डॉ. नीरज मित्तल के साथ एक उच्च स्तरीय बातचीत के दौरान 6-जी प्रौद्योगिकी विकास के लिए गहन कार्य योजनाओं की एक श्रृंखला प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में गठबंधन के प्रत्येक प्रमुख कार्य समूह के अध्यक्षों की प्रस्तुतियाँ शामिल थीं, जिसमें वर्ष 2030 तक 6-जी प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने के लिए भारत की रूपरेखा को रेखांकित किया गया था।

श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए भारत में संचार प्रौद्योगिकी की अगली पीढ़ी को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की अटूट प्रतिबद्धता पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा, “भारत 6-जी प्रौद्योगिकी के साथ दूरसंचार क्षेत्र में क्रांति लाने की दहलीज़ पर है।  हम नीति ढांचे, अनुसंधान निधि और परीक्षण तथा नवाचार के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन के माध्यम से आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्द्र मोदी जी के नेतृत्व में, भारत एक धीमी गति से प्रौद्योगिकी अपनाने वाले देश से नेतृत्वकर्ता देश में बदल गया है। मुझे विश्वास है कि भारत 6-जी गठबंधन के सभी सदस्य भारत को विकसित करने में 140 करोड़ भारतीयों के लिए सर्वव्यापी, सस्ती और सुलभ तकनीक सक्षम बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।”

इस आयोजन ने भारत 6-जी गठबंधन के सात कार्य समूहों को 6-जी प्रौद्योगिकियों में भारत का नेतृत्व स्थापित करने के उद्देश्य से अपनी प्रगति, नवाचार और सहयोगात्मक प्रयासों को प्रस्तुत करने के लिए एक मंच प्रदान किया। ये कार्य समूह स्पेक्ट्रम, डिवाइस प्रौद्योगिकियों, उपयोग के मामलों, मानकों, हरित और स्थिरता, रेडियो एक्सेस नेटवर्क (आरएएन) और कोर नेटवर्क, आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई) और सेंसिंग तथा सुरक्षा सहित क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करते हैं।

प्रत्येक कार्य समूह के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों ने प्रमुख परियोजनाओं, रणनीतिक पहलों और कार्य योजनाओं पर प्रकाश डालते हुए अपने अपडेट प्रस्तुत किए। प्रस्तुतिकरण में स्वदेशी रेडियो एक्सेस नेटवर्क (आरएएन) प्रौद्योगिकी, ग्रामीण कनेक्टिविटी के लिए इंटैलिजेंट नेटवर्क और कृषि, स्वास्थ्य तथा स्मार्ट शहरों जैसे क्षेत्रों में नवीन अनुप्रयोगों जैसे क्षेत्रों में भारत की प्रगति को प्रदर्शित किया गया। इन प्रस्तुतियों ने सामूहिक रूप से वैश्विक 6-जी क्रांति का नेतृत्व करने के लिए भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को प्रदर्शित किया, जिसमें प्रत्येक कार्य समूह ने एक सर्वांगीण और कार्रवाई योग्य रणनीति में योगदान दिया।

केंद्रीय संचार मंत्री महोदय ने भारत 6-जी गठबंधन के प्रयासों की प्रशंसा की और अनुसंधान को सुविधाजनक बनाने, परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित करने और 6-जी क्षेत्र में स्टार्टअप और उद्यमों के लिए अनुकूल माहौल बनाने में सरकार के समर्थन को दोहराया।  उन्होंने इस बात पर बल दिया कि “सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए उत्सुक है कि भारत विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकियों, परीक्षण मंचों और साझेदारियों को विकसित करके वैश्विक 6-जी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। हमें विश्वास है कि इस सहयोगात्मक दृष्टिकोण के साथ, भारत 6-जी क्षेत्र में एक अग्रणी देश के रूप में उभर सकता है। उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किया गया भारत 6-जी दृष्टिकोण, वर्ष 2030 तक भारत को दूरसंचार क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने के लिए एक साहसिक पहल है। श्री सिंधिया ने यह सुनिश्चित करते हुए कि भारत का विकास समावेशी हो, 6-जी को सामाजिक और आर्थिक विकास, विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों के लिए एक परिवर्तनकारी शक्ति बनाने के महत्व पर बल दिया।

बातचीत एक आकर्षक चर्चा के साथ संपन्न हुई जहां केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य एम.सिंधिया और संचार मंत्रालय में सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने दूरसंचार क्षेत्र के 100 से अधिक प्रतिनिधियों और हितधारकों के साथ बातचीत की और उन्होंने देश के महत्वाकांक्षी 6-जी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नवाचारों को बढ़ाने, सुगम आपूर्ति श्रृंखला बनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहन देने पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

भारत 6-जी गठबंधन, सरकार और उद्योग के समर्थन से, उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों के लिए एक आत्मनिर्भर, विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी इकोसिस्टम बनाने की दृष्टि को शामिल करते हुए, स्वदेशी 6-जी अनुसंधान और विकास को सक्षम करने के प्रयास कर रहा है। अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं की स्थापना और मल्टी-चिप मॉड्यूल, एसओसीएस और उन्नत आईओटी अनुप्रयोगों में नवाचार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ, भारत वैश्विक 6-जी आंदोलन में सबसे आगे होने के लिए तैयार है।

6-जी अनुसंधान में तेजी लाने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने हाल ही में 111 अनुसंधान प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की है। ये प्रस्ताव, 6-जी इकोसिस्टम पहल के लिए त्वरित अनुसंधान का हिस्सा हैं, जो अकादमिक जगत और स्टार्टअप को सहयोगात्मक प्रयासों में एक साथ लाते हैं। परियोजनाओं का लक्ष्य 6-जी विकास के लिए एक मजबूत नींव रखना है, जो ऐसे नवीन समाधानों पर ध्यान केंद्रित करता है जो वैश्विक दूरसंचार इकोसिस्टम में योगदान देने के साथ-साथ भारत-विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करते हैं।

भारत 6-जी गठबंधन के बारे में:

भारत 6-जी गठबंधन, भारत में एक व्यापक 6-जी इकोसिस्टम बनाने के लिए शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार को एक साथ लाने वाला एक सहयोगी मंच है। गठबंधन 6-जी प्रौद्योगिकी के अनुसंधान, विकास और मानकीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसका लक्ष्य भारत को उभरते 6-जी परिदृश्य में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करना है।

भारत 6-जी दृष्टिकोण

23 मार्च, 2023 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के “भारत 6-जी दृष्टिकोण” का अनावरण किया, जिसका लक्ष्य देश को वर्ष 2030 तक 6-जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और कार्यान्वयन में अग्रणी भूमिका निभाना है।

भारत 6-जी दृष्टिकोण तीन मुख्य सिद्धांतों: सामर्थ्य, स्थिरता और सर्वव्यापकता के आधार पर बनाया गया है। इसका उद्देश्य समाज को लाभ पहुंचाने वाले नवीन और लागत प्रभावी दूरसंचार समाधान प्रदान करने में भारत को एक वैश्विक नेतृत्व के रूप में स्थापित करना है।

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एस एन सेन बालिका महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना स्थापना दिवस के अवसर पर स्वच्छता कार्यक्रम आयोजित

भारतीय स्वरूप संवाददाता एस एन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा दिनाँक 17/09/2024 से 02/10/2024 तक मनाये जा रहे “स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम 2024” तथा राष्ट्रीय सेवा योजना स्थापना दिवस के अवसर स्वयंसेवीकाओ द्वारा *गोलाघाट* पर जाकर स्वच्छता कार्यक्रम किया गया। “ *स्वच्छता ही सेवा”* थीम पर आधारित इस स्वच्छता पखवाड़े के दौरान सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता कार्यक्रमों के साथ-साथ सिंगल यूज़ प्लास्टिक की रोकथाम, एकत्रीकरण एवं निस्तारण हेतु विशेष रूप से प्रयास किए जा रहे हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ S. S.Singh (RHEO Kanpur )द्वारा किया गया l राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. श्वेता रानी ने स्वयंसेविकाओं से लोगों को जल सरोवरों को स्वच्छ रखने तथा दूषित न करने के लिए प्रेरित करने का सन्देश दिया l प्राचार्या डॉ सुमन ने सभी स्वयंसेविकाओं अपने-अपने घरों के आसपास के जल सरोवर को साफ रखने का संदेश दिया एकत्रित किए गए सिंगल यूज़ प्लास्टिक का एकत्रीकरण किया। मीडिया प्रसार प्रभारी डॉ प्रीति सिंह ने बताया कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की पूर्व प्रभारी डॉ. चित्रा सिंह तोमर, डॉ. प्रीति यादव प्रभारी एन सी सी ,तथा एन सी सी कैडेटो ने भी प्रतिभाग किया स्वच्छता पखवाड़ा कार्यक्रम के अंर्तगत 24 सितंबर (मंगलवार)को कैंट क्षेत्र में स्थित गोला घाट की साफ सफाई की गई और आम जनमानस को स्वच्छता की भागीदारी थीम के अंर्तगत स्वच्छता की महत्ता के प्रति जागरुक किया गया।साथ-ही स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत महाविद्यालय में निर्मित स्मार्टक्लास में छात्राओं को स्वच्छता संबंधी योजना “AMRUT Mission” के बारे में व्याख्यान एवं वीडियो क्लिप के माध्यम से भी जानकारी दी गई। छात्राओं को स्वच्छता के संदर्भ में स्वयं भी जागरूक होने एवं अन्य लोगों को भी जागरूक करने का संदेश दिया गया।तथा अन्य शिक्षिकाओं सहित कोमल दिवाकर, मुस्कान राठौर, साक्षी, छवी, श्रद्धा वर्मा, नंदिका श्रीवास्तव, इस्मा नाज , अंशिका सिंह सहित 50 स्वयंसेविकाएं एवं ५० कैडेट उपस्थित रहीं।

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भारत के लिए नया पुन: उपयोग योग्य कम लागत वाला प्रक्षेपण यान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अगली पीढ़ी का प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) विकसित करने की मंजूरी दे दी है, जो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना और संचालन तथा 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय चालक दल के उतरने की क्षमता विकसित करने की सरकार की कल्पना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। एनजीएलवी की एलवीएम3 की तुलना में 1.5 गुना लागत के साथ वर्तमान पेलोड क्षमता का 3 गुना होगी और इसकी पुन: उपयोगिता भी होगी जिसके परिणामस्वरूप अंतरिक्ष और मॉड्यूलर ग्रीन प्रोपल्शन सिस्टम तक कम लागत में पहुंच होगी।

अमृत काल के दौरान भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के लक्ष्यों के लिए उच्च पेलोड क्षमता और पुन: उपयोगिता वाले मानव रेटेड प्रक्षेपण वाहनों की एक नई पीढ़ी की आवश्यकता है। इसलिए, अगली पीढ़ी के प्रक्षेपण यान (एनजीएलवी) का विकास किया गया है, जिसे निम्न पृथ्वी कक्षा में अधिकतम 30 टन पेलोड क्षमता के लिए डिज़ाइन किया गया है वर्तमान में, भारत ने वर्तमान में प्रचालनरत पीएसएलवी, जीएसएलवी, एलवीएम3 और एसएसएलवी प्रक्षेपण वाहनों के माध्यम से 10 टन तक के उपग्रहों को निम्न पृथ्वी कक्षा (एलईओ) और 4 टन तक के उपग्रहों को जियो-सिन्क्रोनस ट्रांसफर ऑरबिट (जीटीओ) में प्रक्षेपित करने के लिए अंतरिक्ष परिवहन प्रणालियों में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है।

एनजीएलवी विकास परियोजना को भारतीय उद्योग की अधिकतम भागीदारी के साथ क्रियान्वित किया जाएगा, जिनसे अपेक्षा है कि वे शुरू में ही विनिर्माण क्षमता में निवेश करेंगे, जिससे विकास के बाद परिचालन चरण में निर्बाध परिवर्तन हो सके। एनजीएलवी का प्रदर्शन तीन विकास उड़ानों (डी1, डी2 और डी3) के साथ किया जाएगा, जिसका लक्ष्य विकास चरण को पूरा करने के लिए 96 महीने (8 वर्ष) का है।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और लॉन्च अभियान शामिल हैं।

स्वीकृत कुल निधि 8240.00 करोड़ रुपये है और इसमें विकास लागत, तीन विकासात्मक उड़ानें, आवश्यक सुविधा स्थापना, कार्यक्रम प्रबंधन और प्रक्षेपण अभियान शामिल हैं।

भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की ओर कदम

एनजीएलवी के विकास से भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन पर मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों के प्रक्षेपण, चंद्र/अंतर-ग्रहीय अन्वेषण मिशनों के साथ-साथ संचार और पृथ्वी अवलोकन उपग्रह समूहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने सहित राष्ट्रीय और वाणिज्यिक मिशनों को सक्षम बनाया जा सकेगा, जिससे देश में संपूर्ण अंतरिक्ष इकोसिस्टम को लाभ होगा। यह परियोजना क्षमता और सामर्थ्य के मामले में भारतीय अंतरिक्ष इकोसिस्टम को बढ़ावा देगी।

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चंद्रमा और मंगल के बाद, भारत ने शुक्र ग्रह के संबंध में विज्ञान के लक्ष्य निर्धारित किए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएमके विकास को मंजूरी प्रदान की हैजो चंद्रमा और मंगल से परे शुक्र ग्रह के अन्वेषण और अध्ययन के सरकार के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। शुक्रपृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है और माना जाता है कि इसका निर्माण पृथ्वी जैसी ही परिस्थितियों में हुआ हैयह इस बात को समझने का अनूठा अवसर प्रदान करता है कि ग्रहों का वातावरण किस प्रकार बहुत अलग तरीके से विकसित हो सकता है।

अंतरिक्ष विभाग द्वारा पूरा किया जाने वाला वीनस ऑर्बिटर मिशन’ शुक्र ग्रह की कक्षा में एक वैज्ञानिक अंतरिक्ष यान की परिक्रमा करने के लिए परिकल्पित हैताकि शुक्र की सतह और उपसतहवायुमंडलीय प्रक्रियाओं और शुक्र के वायुमंडल पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझा जा सके। शुक्रजिसके बारे में माना जाता है कि यह कभी रहने योग्य हुआ करता था और काफी हद तक  पृथ्वी के समान थाऐसे में शुक्र के परिवर्तन के अंतर्निहित कारणों का अध्ययन शुक्र और पृथ्वी दोनों बहन ग्रहों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण रूप से सहायक होगा।

इसरो इस अंतरिक्ष यान के विकास और प्रक्षेपण के लिए उत्तरदायी होगा। इस परियोजना का प्रबंधन और निगरानी इसरो में स्थापित प्रचलित प्रथाओं के माध्यम से प्रभावी ढंग से की जाएगी। इस मिशन से उत्पन्न डेटा को मौजूदा तंत्रों के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय तक पहुंचाया जाएगा।

इस मिशन के मार्च 2028 के दौरान उपलब्ध अवसर पर पूरा होने की संभावना है। भारतीय शुक्र मिशन से कुछ अनसुलझे वैज्ञानिक प्रश्नों के उत्तर मिलने की संभावना हैजिनकी परिणति विभिन्न वैज्ञानिक परिणामों में होगी। अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान का निर्माण विभिन्न उद्योगों के माध्यम से किया जा रहा है और इस बात की परिकल्पना की गई है कि इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा और अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी का प्रसार होगा।

वीनस ऑर्बिटर मिशन” (वीओएमके लिए स्वीकृत कुल निधि 1236 करोड़ रुपये हैजिसमें से 824.00 करोड़ रुपये अंतरिक्ष यान पर खर्च किए जाएंगे। इस लागत में अंतरिक्ष यान का विकास और प्राप्तिइसके विशिष्ट पेलोड और प्रौद्योगिकी तत्वनेविगेशन और नेटवर्क के लिए ग्लोबल ग्राउंड स्टेशन सपोर्ट की लागत और प्रक्षेपण यान की लागत शामिल है।

शुक्र की ओर यात्रा

यह मिशन भारत को विशालतम पेलोडइष्टतम ऑर्बिट इन्सर्शन अप्रोच सहित भविष्य के ग्रह संबंधी मिशनों में सक्षम बनाएगा। अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान के विकास के दौरान भारतीय उद्योग की महत्वपूर्ण भागीदारी होगी। प्रक्षेपण से पहले के चरणजिसमें डिजाइनविकासपरीक्षणटेस्ट डेटा रिडक्शनकैलीब्रेशन आदि शामिल हैंमें विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों की भागीदारी और छात्रों के प्रशिक्षण की भी परिकल्पना की गई है। अपने अनूठे उपकरणों के माध्यम से यह मिशन भारतीय विज्ञान समुदाय को नए और महत्वपूर्ण  विज्ञान डेटा प्रदान करता है और इस प्रकार उभरते हुए और नवीन अवसर प्रदान करता है।

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