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प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के कवरत्ती में 1150 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज लक्षद्वीप के कवरत्ती में 1150 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण और शिलान्यास किया। आज की विकास परियोजनाएं प्रौद्योगिकी, ऊर्जा, जल संसाधन, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सहित कई क्षेत्रों को कवर करती हैं। प्रधानमंत्री ने लैपटॉप योजना के तहत छात्रों को लैपटॉप दिए और ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के तहत स्कूली छात्राओं को साइकिलें दीं। उन्होंने किसान और मछुआरें लाभार्थियों को पीएम किसान क्रेडिट कार्ड भी सौंपे।

एकत्रजनों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लक्षद्वीप का सौंदर्य शब्दों से परे है और नागरिकों से मिलने के लिए अगत्ती, बंगारम और कवरत्ती के अपने दौरे का उल्लेख किया। अभिभूत प्रधानमंत्री ने उनकी उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा, “भले ही लक्षद्वीप का भौगोलिक क्षेत्र छोटा है, लेकिन लोगों का दिल, समंदर जितना विशाल है।”

प्रधानमंत्री ने दूरदराज, सीमावर्ती या तटीय और द्वीप क्षेत्रों की लंबे समय से उपेक्षा का संकेत दिया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने ऐसे क्षेत्रों को हमारी प्राथमिकता बनाया है।” उन्होंने बुनियादी ढांचे, कनेक्टिविटी, पानी, स्वास्थ्य और बाल देखभाल से संबंधित परियोजनाओं के लिए क्षेत्र के लोगों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के विकास की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डाला और प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) को अंतिम छोर तक पहुंचाने, प्रत्येक लाभार्थी को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने, पीएम किसान क्रेडिट कार्ड और आयुष्मान कार्ड के वितरण व विकास तथा आयुष्मान आरोग्य मंदिर स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र के बारे में जानकारी दी। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, ”केंद्र सरकार सभी सरकारी योजनाओं को हर लाभार्थी तक पहुंचाने का प्रयास कर रही है।” प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से लाभार्थियों को धन वितरित करते समय बरती जाने वाली पारदर्शिता का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे भ्रष्टाचार पर काफी हद तक अंकुश लगा है। उन्होंने लक्षद्वीप के लोगों को आश्वासन दिया कि उनके अधिकार छीनने की कोशिश करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।

प्रधानमंत्री ने 2020 में 1000 दिनों के भीतर तेज इंटरनेट सुनिश्चित करने के बारे में उनके द्वारा दी गई गारंटी को याद किया। कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप समूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन (केएलआई – एसओएफसी) परियोजना आज लोगों को समर्पित कर दी गई है और यह लक्षद्वीप के लोगों के लिए 100 गुना तेज इंटरनेट सुनिश्चित करेगी। इससे सरकारी सेवाओं, चिकित्सा उपचार, शिक्षा और डिजिटल बैंकिंग जैसी सुविधाओं में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप को लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने की क्षमता को इससे ताकत मिलेगी। कदमत में लो टेम्परेचर थर्मल डिसेलिनेशन (एलटीटीडी) संयंत्र का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि लक्षद्वीप में हर घर तक नल से जल पहुंचाने का काम तेज गति से चल रहा है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लक्षद्वीप आगमन पर प्रसिद्ध पारिस्थितिकी विज्ञानी श्री अली मानिकफान के साथ अपनी बातचीत के बारे में बताया और लक्षद्वीप द्वीपसमूह के संरक्षण की दिशा में उनके शोध व नवाचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने वर्ष 2021 में श्री अली मानिकफान को पद्मश्री से सम्मानित करने पर वर्तमान सरकार के प्रति अत्यधिक संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप के युवाओं के नवाचार और शिक्षा का मार्ग प्रशस्त कर रही है। इस क्रम में उन्होंने आज छात्रों को साइकिलें व लैपटॉप सौंपने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने पिछले वर्षों में लक्षद्वीप में किसी भी शीर्ष शिक्षा संस्थान की अभाव की ओर इशारा किया, जिसके कारण द्वीपों से युवाओं का पलायन हुआ। उच्च शिक्षा संस्थान खोलने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए, श्री मोदी ने एंड्रोट और कदमत द्वीपों में कला और विज्ञान के लिए शैक्षणिक संस्थानों और मिनिकॉय में पॉलिटेक्निक संस्थान की शुरुआत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ”इससे ​​लक्षद्वीप के युवाओं को काफी फायदा हो रहा है।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हज यात्रियों के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र किया, जिससे लक्षद्वीप के लोगों को भी फायदा हुआ है। उन्होंने हज वीज़ा के लिए आसानी और महिलाओं के लिए ‘मेहरम’ के बिना हज पर जाने की वीज़ा और अनुमति की प्रक्रिया के डिजिटलीकरण का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, इन प्रयासों से ‘उमरा’ के लिए जाने वाले भारतीयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रधानमंत्री ने ग्लोबल सी-फूड बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के भारत के प्रयास पर प्रकाश डाला, जिससे लक्षद्वीप को लाभ हुआ क्योंकि स्थानीय टूना मछली जापान को निर्यात की जा रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने निर्यात गुणवत्ता वाली स्थानीय मछली की संभावनाओं को रेखांकित किया, जो मछुआरों के जीवन को बदल सकती है। उन्होंने समुद्री शैवाल खेती की संभावनाओं की खोज के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने क्षेत्र की नाजुक पारिस्थितिकी की रक्षा पर जोर दिया और कहा कि कवरत्ती में सौर ऊर्जा संयंत्र, जो लक्षद्वीप की पहली बैटरी समर्थित सौर ऊर्जा परियोजना है, ऐसी पहल का हिस्सा है।

आजादी के अमृत काल में भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में लक्षद्वीप की भूमिका को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने केंद्र शासित प्रदेश को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर लाने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने यहां हाल ही में संपन्न हुई जी-20 बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि लक्षद्वीप को अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत, प्रधानमंत्री ने बताया कि लक्षद्वीप के लिए एक गंतव्य-विशिष्ट मास्टर प्लान का मसौदा तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लक्षद्वीप दो ब्लू-फ्लैग समुद्र तटों का घर है और कदमत व सुहेली द्वीपों पर वॉटर-विला परियोजनाओं के विकास का उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा, “लक्षद्वीप क्रूज पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य बनता जा रहा है।” उन्होंने बताया कि पांच साल पहले की तुलना में पर्यटकों की आमद पांच गुना बढ़ गई है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत के नागरिकों से विदेश यात्रा का निर्णय लेने से पहले देश में कम से कम पंद्रह स्थानों की यात्रा करने का अपना आह्वान भी दोहराया। उन्होंने विदेशी भूमि पर द्वीप राष्ट्रों की यात्रा के इच्छुक लोगों से लक्षद्वीप की यात्रा करने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा, “एक बार जब आप लक्षद्वीप की सुंदरता देखेंगे, तो दुनिया के अन्य गंतव्य फीके नजर आएंगे।”

प्रधानमंत्री ने लक्षद्वीप के लोगों को आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार उनके जीवन में आसानी, यात्रा में आसानी और व्यापार करने में आसानी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाती रहेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “लक्षद्वीप विकसित भारत के निर्माण में एक मजबूत भूमिका निभाएगा”।

इस अवसर पर अन्य लोगों के अलावा लक्षद्वीप के उपराज्यपाल श्री प्रफुल्ल पटेल भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

एक परिवर्तनगामी कदम के तहत प्रधानमंत्री ने कोच्चि-लक्षद्वीप द्वीप समूह सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर कनेक्शन (केएलआई – एसओएफसी) परियोजना की शुरुआत करके लक्षद्वीप में धीमी इंटरनेट गति वाली कमी को दूर करने का संकल्प लिया था, जिसकी घोषणा 2020 में लाल किले में स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान की गई थी। यह परियोजना अब पूरी हो चुकी है और इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री ने किया था। इससे इंटरनेट स्पीड 100 गुना से ज्यादा (1.7 जीबीपीएस से 200 जीबीपीएस तक) बढ़ जाएगी। आजादी के बाद पहली बार लक्षद्वीप को सबमरीन ऑप्टिक फाइबर केबल से जोड़ा जाएगा। समर्पित पनडुब्बी ओएफसी लक्षद्वीप द्वीपों में संचार बुनियादी ढांचे में एक आदर्श बदलाव सुनिश्चित करेगी, जिससे तेज और अधिक विश्वसनीय इंटरनेट सेवाएं, टेलीमेडिसिन, ई-गवर्नेंस, शैक्षिक पहल, डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल मुद्रा उपयोग, डिजिटल साक्षरता आदि सक्षम होंगी।

प्रधानमंत्री ने कदमत में लो टेम्परेचर थर्मल डिसेलिनेशन (एलटीटीडी) संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया। इससे प्रतिदिन 1.5 लाख लीटर स्वच्छ पेयजल का उत्पादन होगा। प्रधानमंत्री ने अगत्ती और मिनिकॉय द्वीपों के सभी घरों में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) भी राष्ट्र को समर्पित किया। लक्षद्वीप के द्वीपों में पीने योग्य पानी की उपलब्धता हमेशा एक चुनौती रही है क्योंकि मूंगा द्वीप होने के कारण यहां भूजल की उपलब्धता न्यूनतम है। ये पेयजल परियोजनाएं द्वीपों की पर्यटन क्षमता को मजबूत करने में भी मदद करेंगी, जिससे स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

राष्ट्र को समर्पित अन्य परियोजनाओं में कावारत्ती में सौर ऊर्जा संयंत्र शामिल है, जो लक्षद्वीप की पहली बैटरी समर्थित सौर ऊर्जा परियोजना है। इससे कवरत्ती में इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबीएन) कॉम्प्लेक्स में डीजल आधारित बिजली उत्पादन संयंत्र, नए प्रशासनिक ब्लॉक और 80 पुरुष बैरक पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कल्पेनी में प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सुविधा के नवीनीकरण और आंड्रोट, चेटलाट, कदमत, अगत्ती और मिनिकॉय के पांच द्वीपों में पांच मॉडल आंगनवाड़ी केंद्रों (नंद घरों) के निर्माण की आधारशिला रखी।

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आरईसी लिमिटेड ने अगले 5 वर्षों में 35,000 करोड़ रुपये तक की मल्टी-मॉडल अवसंरचना परियोजनाओं को निधि उपलब्ध कराने के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड के साथ समझौता किया

आरईसी लिमिटेड ने 35,000 करोड़ रुपये तक की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है। इन परियोजनाओं को अगले 5 वर्षों में आरवीएनएल पूरा करेगा। इन परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स हब परियोजनाएं, रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, सड़क, बंदरगाह और मेट्रो परियोजनाएं शामिल हैं।

आरईसी के निदेशक (वित्त) श्री अजॉय चौधरी और आरवीएनएल के निदेशक (संचालन) श्री राजेश प्रसाद ने आरईसी के सीएमडी श्री वीके देवांगन, आरवीएनएल के निदेशक (वित्त) श्री संजीब कुमार, आरवीएनएल की डीपीई श्रीमती अनुपम बान, और आरईसी तथा आरवीएनएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

ऊर्जा मंत्रालय के तहत 1969 में स्थापित महारत्न सीपीएसई- आरईसी लिमिटेड ऊर्जा-बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक ऋण और अन्य वित्त उत्पाद प्रदान करता है जिसमें उत्पादन, ट्रांसमिशन, वितरण, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहन, बैटरी स्टोरेज और ग्रीन हाइड्रोजन जैसी नई प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। आरईसी ने हाल ही में गैर-विद्युत अवसंरचना क्षेत्र में भी विविधता ला दी है, जिसमें सड़क और एक्सप्रेसवे, मेट्रो रेल, हवाई अड्डे, आईटी संचार, सामाजिक और वाणिज्यिक अवसंरचना (शैक्षिक संस्थान, अस्पताल), बंदरगाह तथा स्टील और रिफाइनरी जैसे विभिन्न अन्य क्षेत्र के लिए इलेक्ट्रो-मैकेनिकल (ई एंड एम) कार्य शामिल हैं। आरईसी की ऋण पुस्तिका के अनुसार, आरईसी ने 4,74,275 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण दिए हैं।

आरवीएनएल, रेल मंत्रालय के अधीन “अनुसूची ‘ए’ नवरत्न” केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारतीय रेलवे की लगभग 30 प्रतिशत बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को पूरा करता है और पीपीपी मॉडल के तहत बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में भी अग्रणी रहा है। आरवीएनएल मुख्य रूप से रेलवे परियोजनाओं पर काम करता है और इसने सड़क, बंदरगाह, सिंचाई तथा मेट्रो परियोजनाओं में भी काम करना शुरू किया है, जिनमें से कई का रेलवे के बुनियादी ढांचे के साथ किसी न किसी तरह का जुड़ाव है

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उपराष्ट्रपति मेगा नॉर्थ इंडिया स्टार्टअप एक्सपो का उद्घाटन करेंगे

उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ कल जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के सीमावर्ती शहर कठुआ में “उत्तर भारत में उभरते स्टार्टअप रुझान” विषय के तहत एक मेगा स्टार्टअप एक्सपो का उद्घाटन, डॉ. जितेंद्र सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; एमोएस पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष और सीएसआईआर के उपाध्यक्ष, की मानद उपस्थिति में करेंगे। दिल्ली में नेशनल मीडिया सेंटर में एक संवाददाता सम्मेलन में इसका खुलासा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सब कुछ कर रही है कि देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी टिकाऊ हो।

मंत्री ने कहा आज जबकि भारत अपने स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया में तीसरे नंबर पर है, 2014 में 350 से लेकर आज भारत में स्टार्टअप की संख्या 1.30 लाख से अधिक और यूनिकॉर्न की संख्या 100 से अधिक है, उन्होंने कहा कि टिकाऊ स्टार्टअप सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की समान भागीदारी और शुरुआती उद्योग जुड़ाव आवश्यक है। उन्होंने मीडिया समुदाय से देश में सक्षम स्टार्टअप पारिस्थितिकी के बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कल होने वाला कठुआ मेगा एक्सपो न केवल उत्तर भारत में स्टार्टअप को बढ़ावा देगा, बल्कि जहां तक ​​स्टार्टअप संस्कृति का सवाल है, बी शहरों तक इसकी पहुंच को भी बढ़ावा देगा।

चंद्रयान 3, आदित्य मिशन और हाल ही में लॉन्च किए गए एक्सपो सैट सहित इसरो की एक के बाद एक सफलता का उल्लेख करते हुए, मंत्री ने कहा कि देश में प्रतिभा की कभी कमी नहीं थी, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में एक सक्षम वातावरण का निर्माण किया गया है।

मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए, मंत्री ने कहा कि डिजिटलीकरण और निगरानी प्रणालियों ने प्रक्रियात्मक देरी को कम करके स्टार्टअप के लिए एक सक्षम वातावरण तैयार किया है। मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए कई स्तरों पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि ऐसी योजनाओं का उपयोग करके स्टार्टअप बड़े पैमाने पर उद्यमिता बन सकते हैं।

“उत्तर भारत में उभरते स्टार्टअप रुझान” थीम के तहत स्टार्टअप एक्सपो का आयोजन जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), डीबीटी, भारत सरकार और सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (सीएसआईआर-आईआईआईएम), जम्मू द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है, जिसमें उत्तर भारत यानी जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और दिल्ली से कुल 25 स्टार्टअप अपने नवाचारों और उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे।

यह कार्यक्रम नवप्रवर्तन, सहयोग और विकास को बढ़ावा देने के लिए उभरते उद्यमियों और अनुभवी सलाहकारों के लिए एक सम्मिलन  बिंदु बनाने के विशिष्ट उद्देश्य से आयोजित किया गया है। यह आयोजन सीमाओं का विस्तार करने, परिवर्तन को अपनाने, समाधान बनाने और नए अवसरों की शुरुआत करने की भावना को समाहित करता है जो वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करता है और विभिन्न क्षेत्रों में 25 चयनित स्टार्टअप द्वारा विभिन्न नवाचारों का गवाह बनेगा, जिसमें कृषि, औद्योगिक जैव प्रौद्योगिकी, चिकित्सा खाद्य प्रौद्योगिकी, न्यूट्रास्यूटिकल्स, सुगंध और स्थान, आदि और नैदानिक ​​​​उपकरण शामिल हैं। । एक्सपो के दौरान, स्टार्टअप अपने उत्पादों, प्रोटोटाइप और सेवाओं का प्रदर्शन करेंगे, जिससे उपस्थित लोगों को अत्याधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक अनुभव मिलेगा। यह आयोजन पर्याप्त नेटवर्किंग समय भी प्रदान करेगा, जिससे प्रतिभागियों को संभावित सह-संस्थापकों, निवेशकों, सलाहकारों, सहयोगियों और उद्योग के लोगों से जुड़ने का मौका मिलेगा।

यह आयोजन स्थानीय युवाओं, कॉलेज और स्कूल के छात्रों, उभरते उद्यमियों, युवा किसानों और जम्मू क्षेत्र की महिलाओं के लिए सरकारी स्टार्टअप योजनाओं, फंडिंग के अवसरों और युवाओं को मजबूत करने के लिए बनाई गई अन्य योजनाओं से परिचित होने के लिए भी मूल्यवान होगा। यह युवाओं को स्टार्टअप के रूप में करियर शुरू करने के लिए प्रोत्साहित कर देश को आत्मनिर्भर बनने में मदद करेगा।

उद्घाटन के बाद, उपराष्ट्रपति क्षेत्र के पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के प्रतिनिधियों सहित व्यापारियों, शिक्षाविदों, टेक्नोक्रेट और नागरिक समाज के सदस्यों की प्रतिष्ठित सभा के साथ भी बातचीत करेंगे।

सचिव, डीएसआईआर और महानिदेशक, सीएसआईआर, डॉ. एन कलाईसेल्वी, संयुक्त सचिव, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, श्री चैतन्य मूर्ति, और बीआईआरएसी के एमडी, डॉ. जितेंद्र कुमार, ने भी प्रेस वार्ता में बात की।

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वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार ग्रहण किया

वाइस एडमिरल संजय जे सिंह, एवीएसएम, एनएम ने 03 जनवरी 2023 को वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, एवीएसएम, एनएम के स्थान पर फ्लैग ऑफिसर पश्चिमी नौसेना कमान (डब्ल्यूएनसी) के कमांडिंग-इन-चीफ (एफओसी-इन-सी) का पदभार संभाला। इस दौरान आईएनएस शिकरा में एक औपचारिक परेड का आयोजन किया गया। संजय जे सिंह ने मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में गौरव स्तंभ – विक्ट्री एट सी मेमोरियल पर पुष्पांजलि अर्पित करके राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी कर्मियों को श्रद्धांजलि दी। वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ के रूप में कार्यभार संभालने से पहले नई दिल्ली स्थित नौसेना मुख्यालय में नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख के रूप में कार्य किया है।

वाइस एडमिरल संजय जे सिंह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, पुणे से स्नातक हैं और उन्हें 1986 में भारतीय नौसेना की प्रबंधन कार्यकारिणी शाखा में नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने 37 साल के सेवाकाल में भारतीय नौसेना के अधिकांश युद्धपोतों पर कार्य किया है। वाइस एडमिरल ने कई अलग-अलग कमान, प्रशिक्षण और कार्मिक नियुक्तियों पर अपनी सेवाएं दी हैं। जिसमें नौसेना स्टाफ के सहायक प्रमुख (संचार, अंतरिक्ष एवं नेटवर्क-केंद्रित संचालन (सीएसएनसीओ), फ्लैग ऑफिसर समुद्री प्रशिक्षण, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग वेस्टर्न फ्लीट, कमांडेंट नेवल वॉर कॉलेज और नियंत्रक कार्मिक सेवा एवं एकीकृत रक्षा स्टाफ (संचालन) के उप प्रमुख की जिम्मेदारी शामिल है।

वाइस एडमिरल संजय जे सिंह भारतीय नौसेना के समुद्री सिद्धांत, 2009, रूपांतरण के लिए रणनीतिक मार्गदर्शन, 2015 और भारतीय समुद्री सुरक्षा रणनीति, 2015 के प्रमुख प्रारूपकार थे।

वाइस एडमिरल ने वर्ष 1992 में नौवहन परिवहन तथा प्रशासनिक निर्देशन में विशेषज्ञता हासिल की थी और साल 2000 में ब्रिटेन में एडवांस्ड कमांड एंड स्टाफ कोर्स को पूरा किया था। उन्होंने वर्ष 2009 में मुंबई के नेवल वॉर कॉलेज से नेवल हायर कमांड कोर्स और साल 2012 में दिल्ली के डिफेंस कॉलेज में नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी कोर्स में भाग लिया था।

वाइस एडमिरल संजय जे सिंह ने मद्रास विश्वविद्यालय से रक्षा एवं सामरिक अध्ययन में एमएससी तथा एमफिल, लंदन के किंग्स कॉलेज से रक्षा अध्ययन में एमए और मुंबई विश्वविद्यालय से एमए (इतिहास), एमफिल व पीएचडी (कला) की उपाधि प्राप्त की है। उनकी विशिष्ट सेवा के सम्मान में उनको 2009 में नौसेना पदक और 2020 में अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

वाइस एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी अब नई दिल्ली में नौसेना मुख्यालय में नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख का पदभार संभालेंगे।

 

 

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आकलन वर्ष 2023-2024 के लिए 31.12.2023 तक 8.18 करोड़ से भी अधिक आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए गए; सालाना आधार पर 9% की वृद्धि दर्ज

आयकर विभाग ने आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में जोरदार वृद्धि दर्ज की है, जिसके परिणामस्वरूप आकलन वर्ष 2023-2024 के लिए 31.12.2023 तक दाखिल किए गए 8.18 करोड़ आईटीआर का एक नया रिकॉर्ड बन गया है, जबकि 31.12.2022 तक 7.51 करोड़ आईटीआर ही दाखिल किए गए थे। यह आकलन वर्ष 2022-23 के लिए दाखिल किए गए कुल आईटीआर से 9% अधिक है। इस अवधि के दौरान दाखिल की गई ऑडिट रिपोर्टों और अन्य फॉर्मों की कुल संख्या 1.60 करोड़ है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में 1.43 करोड़ ऑडिट रिपोर्ट और फॉर्म दाखिल किए गए थे।

यह भी देखा गया है कि बड़ी संख्या में करदाताओं ने अपने वार्षिक सूचना विवरण (एआईएस) और करदाता सूचना सारांश (टीआईएस) को देखकर बड़ी बारीकी से अपने समस्‍त वित्तीय लेन-देन के डेटा की तुलना की। करदाताओं द्वारा अनुपालन को और आसान बनाने के लिए सभी आईटीआर के डेटा का एक बड़ा हिस्सा वेतन, ब्याज, लाभांश, व्यक्तिगत जानकारी, टीडीएस संबंधी जानकारी सहित कर भुगतान, अगले कर वर्ष में डाले गए नुकसान, मैट के क्रेडिट,  इत्‍यादि से संबंधित डेटा से पहले ही भरा हुआ था। इस सुविधा का व्यापक रूप से उपयोग किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आईटीआर को आसानी से और काफी तेजी से दाखिल किया जा सका।

इसके अलावा चालू वित्त वर्ष 2023-2024 के दौरान ओएलटीएएस भुगतान प्रणाली के स्‍थान पर एक डिजिटल ई-पे टैक्स भुगतान प्लेटफॉर्म ‘टिन 2.0’ को ई-फाइलिंग पोर्टल पर पूरी तरह से कार्यात्मक बना दिया गया था। इससे करों के ई-भुगतान के लिए इंटरनेट बैंकिंग, एनईएफटी/आरटीजीएस, ओटीसी, डेबिट कार्ड, पेमेंट गेटवे और यूपीआई जैसे उपयोगकर्ता-अनुकूल विकल्प संभव हो गए। टिन 2.0 प्लेटफॉर्म ने करदाताओं को वास्तविक समय पर कर जमा करने में सक्षम बनाया है जिससे आईटीआर दाखिल करना आसान और काफी तेज हो गया है।

करदाताओं को अपने आईटीआर और फॉर्म जल्दी दाखिल करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लक्षित ई-मेल, एसएमएस और अन्य रचनात्मक अभियानों के माध्यम से 103.5 करोड़ से भी अधिक संचार सुनिश्चित किया गया। इस तरह के ठोस प्रयासों के सार्थक परिणाम सामने आए और आकलन वर्ष 2023-24 के लिए 31.12.2023 तक 9% अधिक आईटीआर दाखिल किए गए। ई-फाइलिंग हेल्पडेस्क टीम ने वर्ष के दौरान 31.12.2023 तक करदाताओं के लगभग 27.37 लाख प्रश्नों का निपटारा किया, और पीक या व्यस्ततम फाइलिंग अवधि के दौरान करदाताओं की सक्रिय रूप से सहायता की। हेल्पडेस्क टीम की ओर से करदाताओं को आने वाली (इनबाउंड) कॉल, बाहर जाने वाली (आउटबाउंड) कॉल, लाइव चैट, वेबएक्स और सह-ब्राउजिंग सत्रों के माध्यम से सहायता प्रदान की गई। हेल्पडेस्क टीम ने ऑनलाइन रिस्पांस मैनेजमेंट (ओआरएम) के माध्यम से विभाग के ‘एक्स (ट्विटर)’ हैंडल पर प्राप्त प्रश्नों का निपटारा करके भी सहायता प्रदान की जिसके तहत संबंधित करदाताओं/हितधारकों से सक्रिय रूप से संपर्क किया गया और लगभग वास्तविक समय पर विभिन्न मुद्दों को सुलझाने में उनकी सहायता की गई।

आईटी विभाग करदाताओं से अनुरोध करता है कि वे किसी भी प्रतिकूल कार्रवाई से बचने के लिए आईटीआर दाखिल करने के 30 दिनों के भीतर अपने असत्यापित आईटीआर, यदि कोई हो, को सत्यापित करें।

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अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के नेहरू के अधूरा कार्य को पूर्ण करने के लिए राष्ट्र को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभारी होना चाहिए : डॉ. जितेंद्र सिंहृ

केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि राष्ट्र को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के जवाहर लाल नेहरू के अधूरा कार्य को पूर्ण करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभारी होना चाहिए।

नेहरू और तत्कालीन सत्तारुढ विधान ने संविधान की अनुच्छेद 370 को अस्थायी रुप में स्वीकार किया, लेकिन पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में सत्तारुढ़ पार्टियों द्वारा लंबे समय तक इस बनाए रहने में निहित स्वार्थ होने के बाद इसे जारी रखा।

नई दिल्ली में आयोजित भारत लीडरशिप समिट में दिए एक खास साक्षात्कार में डॉ. जितेंद्र सिंह ने स्मरण दिलाया कि संविधान सभा में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की आपत्ति के बावजूद अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में सम्मिलित किया गया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन सत्तारुढ़ दल, सत्ता में बने रहने और अपने राजनीतिक हित साधने के लिए इस संवैधानिक प्रावधान के सबसे बड़े दुरुपयोगी थे।

“जम्मू कश्मीर ने इस निहित स्वार्थ के कारण लूट,ब्लैकमेल और छल का लंबा दु:स्वप्न झेला है।“

इसके बाद आंतक और आतंकवाद का जारी रहना भी तत्कालीन जम्मू और कश्मीर के सत्तारुढ़ लोगों के निहित हित में था,जिसके कारण वो सिर्फ 10 प्रतिशत या उससे भी कम मतदान के पश्चात चुनाव में विजयी होते रहते थे और सरकार गठित कर वंशवाद शासन को पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रखते थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि तमाम सरकारें निरंतर विगत कई वर्षों तक वर्ष 1994 में संसद द्वारा पारित जम्मू और कश्मीर पर ऐतिहासिक प्रस्ताव को नकारते रहे।

सरकार का निरंतर और सैद्धांतिक दृष्टिकोण, संसद के दोनो सदनों द्वारा 22 फरवरी,1994 को सभी दलों द्वारा सर्वसम्मति से स्वीकृत प्रस्ताव जिसमें जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के भारत के हमेशा से अभिन्न भाग होने और बने रहने से भी स्थापित होता है। इससे साथ ही प्रस्ताव में पाकिस्तान को पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर से हटाने की बात भी कही गई थी।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अगर अपने गृहमंत्री को जम्मू कश्मीर को भी राजसी राज्यों के अनुरुप संचालित करने की जिम्मेदारी दी होती तो आज भारतीय उपमहाद्वीप की स्थिति अलग होती और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर,भारत का भाग होता।

उन्होंने कहा कि भारत के एकीकरण के दौरान किसी भी तत्कालीन राजसी राज्य में जनमत संग्रह या जनमत की स्वीकृति नहीं दी गई थी तो जम्मू कश्मीर को इसका अपवाद क्यों रखा गया,जब नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के संबंध में जनमत संग्रह की बात की और वर्षों तक एक विवाद को जीवित रखा।

मंत्री महोदय ने कहा कि जब भारतीय सेना पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के हिस्सों पर फिर से विजय प्राप्त करने वाली थी, उसी समय प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा एकपक्षीय युद्ध विराम की घोषणा करना एक बड़ी भूल थी और अब ये हिस्से पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर में हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा एकपक्षीय युद्धविराम घोषित करने से जम्मू और कश्मीर को भागों का नुकसान भी उठाना पड़ा। इस निर्णयों के कारण आज भी भारत को अपनी भूमि और संसाधनों का नुकसान उठाना पड़ रहा है।

केंद्रशासित जम्मू और कश्मीर के निर्वाचन क्षेत्र उधमपुर से निर्वाचित सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से इससे मुक्ति प्रदान हुई। जम्मू और कश्मीर के लोग स्वतंत्र हुए और केंद्रशासित जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख राष्ट्र की मुख्य धारा में सम्मिलित हो गए।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा बीते नौ सालों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश में उद्यमिता और उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए परिवेश सृजित किया है।

हमारे पास सब था,लेकिन हम लोग एक उचित परिवेश के इतंजार में थे और ये उचित परिवेश तब बना जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कार्यभार संभाला।

डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 और आदित्य एल 1 अभियानों की सफलता से भारत, वैश्विक रुप से एक अंतरिक्ष शक्ति बन कर उभरा है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के सपनों को साकार करने के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलकर और उचित परिवेश सृजित कर दुनिया भर के सामने भारत की क्षमताओं का लोहा मनवाया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री “नरेन्द्र मोदी द्वारा जून 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को खोलने के बाद देश में इस क्षेत्र से जुड़े स्टॉर्टअप की संख्या सिर्फ 4 से बढ़कर आज तेजी से बढ़कर 150 हो गई है।“

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश के वृन्दावन में बालिकाओं के लिए पहले पूर्ण सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 01 जनवरी, 2024 को उत्तर प्रदेश में मथुरा के वृन्दावन में बालिकाओं के लिए पहले पूर्ण सैनिक स्कूल संविद गुरुकुलम सैनिक स्कूल का उद्घाटन किया। इस विद्यालय में 870 बालिका विद्यार्थियों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। इस स्कूल का उद्घाटन सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में गैर सरकारी संगठनों/निजी/राज्य सरकारी विद्यालयों के साथ साझेदारी के अंतर्गत 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना की पहल के तहत किया गया है, जिनमें से 42 विद्यालय स्थापित किए जा चुके हैं। ये मौजूदा 33 सैनिक स्कूलों के अतिरिक्त बनने वाले विद्यालय हैं, जो पहले से ही पूर्ववर्ती पैटर्न के तहत कार्यक्रम संचालित कर रहे हैं।

रक्षा मंत्री ने इस अवसर पर अपने संबोधन में संविद गुरुकुलम बालिका सैनिक स्कूल को उन लड़कियों के लिए आशा की किरण बताया, जो सशस्त्र बलों में शामिल होने तथा मातृभूमि की रक्षा करने की इच्छा रखती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में महिलाओं को सशस्त्र बलों में उनका उचित स्थान दिया है, जो वर्षों से उपेक्षित रही थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों की तरह ही राष्ट्र की रक्षा करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के इतिहास में वह स्वर्णिम क्षण था, जब हमने सैनिक स्कूलों में लड़कियों के प्रवेश लेने को स्वीकृति प्रदान की थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज देश की महिलाएं न केवल लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, बल्कि वे सीमाओं की सुरक्षा भी कर रही हैं।

यह स्मरण योग्य तथ्य है कि श्री राजनाथ सिंह ने 2019 में सैनिक विद्यालयों में लड़कियों के प्रवेश को शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दे दी थी। मिजोरम के सैनिक स्कूल छिंगछिप में रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई प्रायोगिक परियोजना की सफलता के बाद यह निर्णय लिया गया था।

देश में 100 नए सैनिक स्कूलों की स्थापना के दृष्टिकोण के पीछे का उद्देश्य विद्यार्थियों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने सहित उज्ज्वल भविष्य के अवसर प्रदान करना है। यह पहल निजी क्षेत्र को आज के युवाओं को आने वाले कल का जिम्मेदार नागरिक बनाकर राष्ट्र निर्माण की दिशा में सरकार के साथ मिलकर कार्य करने का अवसर भी देती है।

मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी वृन्दावन में संविद गुरुकुलम बालिका सैनिक स्कूल के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित थे।

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केंद्र सरकार ने सर्दियो में विद्युत की मांग पूरी करने के लिए जम्मू और कश्मीर को 1972 मेगावॉट अतिरिक्त विद्युत आवंटित की

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/WhatsAppImage2023-12-08at6.53.09PM96AD.jpegजम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने वर्तमान में जारी शीत सत्र के दौरान आर्थिक विकास और बढ़ते विद्युतीकरण के चलते विद्युत की बढ़ती हुई मांग के मुद्दे पर कल शाम केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह से नई दिल्ली में मुलाकात की। उपराज्यपाल ने सूचित किया कि केंद्रशासित जम्मू और कश्मीर की विद्युत की मांग वर्तमान में 2800 मेगावॉट तक पहुंच गई है और इसमें जारी शीतकाल में लगभग 1400 मेगावॉट की कमी है। श्री सिन्हा ने केंद्रीय विद्युत मंत्री से केंद्रशासित प्रदेश को अधिक विद्युत आवंटन का अनुरोध किया। केंद्रीय विद्युत मंत्री ने उपराज्यपाल को अवगत कराया कि जम्मू और कश्मीर की शीतकालीन आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए केंद्रीय पूल से पहले ही 1500 मेगावॉट विद्युत आवंटित कर चुका है। इसके अतिरिक्त शक्ति नीति के अंतर्गत 472 मेगावॉट भी आवंटित किया गया है। इस संबंध में जम्मू और कश्मीर के विद्युत विभाग के साथ दिसंबर,23 के अंत तक विद्युत खरीद समझौते(पीपीए) पर हस्ताक्षर प्रस्तावित हैं। केंद्र सरकार ने केंद्रशासित प्रदेश की अत्यावश्यक विद्युत मांग का ध्यान रखने के लिए कुल 1972 मेगावॉट अतिरिक्त आवंटन किया है। श्री आर के सिंह ने विद्युत मंत्रालय के अधिकारियों को बढ़ती हुई मांग पूरा करने के लिए केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर को पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए।https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/WhatsAppImage2023-12-08at6.53.10PM(1)QV47.jpeg आर के सिंह ने केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत विद्युत मंत्रालय द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में कार्यान्वयन हो रहे विभिन्न कार्यक्रमों की समीक्षा की। विद्युत मंत्री ने वितरण लाइन,स्मॉर्ट मीटर और अन्य वितरण संबंधी बुनियादी ढांचे से जुड़ी जारी परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के लिए संबंधित एंजेसियों को निर्देश दिया। उन्होंने दिसंबर 2023 के अंत तक सभी शेष परियोजनाओं को सौंपने और सभी जारी परियोजनाओं को तय कार्यक्रम के अनुसार पूर्ण करना सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए। विद्युत मंत्रालय ने विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पीएमडीपी,पीएमआरपी और आरडीएसएस के अंतर्गत केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विद्युत प्रणाली को मजबूत करने के लिए पहले ही 10691 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। पीएमडीपी और आरडीएसएस योजनाओं के अतंर्गत 4.25 लाख से अधिक स्मॉर्ट प्रीपेड मीटर पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं और इस क्षेत्र में बिलिंग और संग्रहण कार्यक्षमता में उल्लेखनीय सुधार दर्ज किया गया है। वर्ष 2025-26 तक 100 प्रतिशत स्मॉर्ट प्रीपेड मीटर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

विद्युत मंत्री ने विद्युत मंत्रालय के विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के लिए केंद्रशासित प्रदेश के प्रयासों की सराहना की। इसके परिणामस्वरुप वर्ष 2019 से केंद्रशासित प्रदेश में एटीएंडसी नुकसान में अहम गिरावट दर्ज की गई है। श्री सिंह ने सूचित किया कि जम्मू और कश्मीर की विद्युत उत्पादन क्षमता आगामी 3-4 वर्षों में दोगुनी हो जाएगी। लंबित या बीते कई वर्षों से अटकी हुई 3,014 मेगॉवाट की कुल क्षमता वाली चार मेगा जलविद्युत परियोजनाओं का काम फास्टट्रैक रुप से चल रहा है और इनका कार्य वर्ष 2026 से पूर्व संपन्न होने की आशा है। इसमे 1 हजार मेगॉवाट की पकुलडुल,624 मेगॉवाट की कीरू,540 मेगॉवाट की क्वार और 830 मेगॉवाट की रतले परियोजना सम्मिलित है। इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार और जम्मू और कश्मीर सरकार के मध्य 29,600 करोड़ रुपए की 3,284 मेगॉवाट की कुल क्षमता वाली 4 अधिक विशालकाय जलविद्युत परियोजनाओं के विकास हेतु सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

उपराज्यपाल ने विद्युत मंत्री से केंद्रशासित प्रदेश में पुराने कंडक्टर्स,ट्रांसफार्मर और विद्युत के खंबे सहित वितरण संबंधी बुनियादी ढ़ांचे के अधिक उच्चीकरण और आधुनिकीकरण के लिए आरडीएसएस के अंतर्गत अतिरिक्त निधि आवंटित करने का अनुरोध किया। श्री आर के सिंह ने इस संबंध में उपराज्यपाल को प्रस्ताव भेजने का सुझाव दिया और कहा कि जम्मू और कश्मीर के विकास के लिए विद्युत मंत्रालय इन प्रस्तावों पर सकारात्मक रुप से विचार करेगा।

 

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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकी हमले के मद्देनज़र वहां की सुरक्षा स्थिति पर आज नई दिल्ली में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हाल ही में जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकी हमले के मद्देनज़र वहां की सुरक्षा स्थिति पर आज नई दिल्ली में समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, श्री अजीत डोवल, जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव, चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ, निदेशक (आईबी), केन्द्रीय अर्ध सैनिक बलों के प्रमुख, संघ राज्य क्षेत्र जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव और डीजीपी ने बैठक में भाग लिया।

 

बैठक के दौरान श्री अमित शाह ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए सुरक्षा एजेंसियों के एरिया डॉमिनेशन प्लान की समीक्षा की। सिक्योरिटी ग्रिड और जम्मू और कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा करते हुए श्री शाह ने आतंकवादरोधी अभियानों को मजबूत करने और आतंकियों के पारिस्थितिकी तंत्र को पूर्ण रूप से समाप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया।  उन्होंने सुरक्षा एजेंसियों को संवेदनशील क्षेत्रों में उचित तैनाती की सलाह दी।  उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखने की बात दोहराई।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आतंकरोधी अभियानों से निपटने के दौरान सभी उचित प्रक्रियाओं को अपनाया जाना चाहिए। श्री शाह ने क्षेत्र में स्थानीय खुफिया नेटवर्क को मज़बूत करने की ज़रूरत पर बल दिया।

श्री अमित शाह ने आतंक संबंधी घटनाओं और घुसपैठ की घटनाओं में महत्वपूर्ण गिरावट और कानून और व्यवस्था की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार के लिए सुरक्षा एजेंसियों और संघराज्य क्षेत्र प्रशासन के प्रयासों की सराहना की।

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प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की अनेक विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास और राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, राष्ट्र को समर्पित और शिलान्यास किया। विकास परियोजनाओं में तमिलनाडु में रेल, सड़क, तेल और गैस तथा पोत परिवहन जैसे क्षेत्र शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए सभी के लिए एक सार्थक और समृद्ध नए वर्ष की शुभकामनाएं व्यक्त की और इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि 2024 में उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम तमिलनाडु में हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज की 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं तमिलनाडु की प्रगति को सुदृढ़ बनाएंगी। उन्होंने सड़क, रेल, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, ऊर्जा और पेट्रोलियम पाइपलाइनों के क्षेत्रों में फैली परियोजनाओं के लिए राज्य के लोगों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इनमें से अनेक परियोजनाएं आवाजाही को प्रोत्साहित करेंगी और राज्य में रोजगार के हजारों अवसर भी पैदा करेंगी।

प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के लिए गुजरे पिछले तीन कठिन सप्ताहों की चर्चा की जब भारी वर्षा से अनेक लोगों की जान गई और संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ था। प्रधानमंत्री ने अपनी संवेदना व्यक्त की और यह भी कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के लोगों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा- “हम राज्य सरकार को हर संभव सहायता दे रहे हैं।”

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हाल में दिवंगत हुए थिरु विजयकांत को श्रद्धांजलि देते हुए कहा- “वह न केवल सिनेमा के क्षेत्र में बल्कि राजनीति में भी एक ‘कैप्टन’ थे। उन्होंने अपने काम और फिल्मों के माध्यम से लोगों का दिल जीता और राष्ट्रीय हित को सभी बातों से ऊपर रखा।” उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डॉ एम एस स्वामीनाथन के योगदान को भी याद किया और दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि अगले 25 वर्षों के लिए आजादी का अमृत काल भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने विकसित भारत के आर्थिक और सांस्कृतिक दोनों पहलुओं का उल्लेख किया और रेखांकित किया कि तमिलनाडु भारत की समृद्धि और संस्कृति का प्रतिबिंब है। प्रधानमंत्री ने संत तिरुवल्लुवर और सुब्रमण्य भारती सहित अन्य विशिष्ट साहित्य रचनाकारों की चर्चा करते हुए कहा-“तमिलनाडु प्राचीन तमिल भाषा का निवास है और यह सांस्कृतिक विरासत का खजाना है।”  उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सी वी रमन और अन्य वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक और तकनीकी मस्तिष्क का निवास है, जो राज्य के उनके हर दौरे में नई ऊर्जा भरता है।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने तिरुचिरापल्ली की समृद्ध विरासत का जिक्र करते हुए कहा कि यहां हमें पल्लव, चोल, पांड्य और नायक जैसे राजवंशों के सुशासन मॉडल के अवशेष मिलते हैं। उन्होंने कहा कि वह अपनी विदेश यात्रा के दौरान किसी भी अवसर पर तमिल संस्कृति का उल्लेख करते हैं। उन्होंने कहा- “मैं देश के विकास और विरासत में तमिल सांस्कृतिक प्रेरणा के योगदान के निरंतर विस्तार में विश्वास करता हूं।” उन्होंने नए संसद भवन में पवित्र सेंगोल की स्थापना, काशी तमिल और काशी सौराष्ट्र संगमम को पूरे देश में तमिल संस्कृति के प्रति उत्साह बढ़ाने का प्रयास बताया।

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में सड़क मार्ग, रेल, बंदरगाहों, हवाई अड्डों, गरीबों के लिए घर और अस्पताल जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा किए गए भारी निवेश की जानकारी दी और भौतिक अवसंरचना पर सरकार के बल को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारत विश्व की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है, जहां यह विश्व के लिए आशा की किरण बन गया है। भारत में विश्व भर से आने वाले भारी निवेश की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका सीधा लाभ तमिलनाडु और उसके लोगों द्वारा उठाया जा रहा है क्योंकि राज्य मेक इन इंडिया के लिए एक प्रमुख ब्रांड एंबेसडर बन गया है।

प्रधानमंत्री ने सरकार के दृष्टिकोण को दोहराया जिसमें राज्य का विकास राष्ट्र के विकास में परिलक्षित होता है। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार के 40 से अधिक मंत्रियों ने पिछले एक वर्ष में 400 से अधिक बार तमिलनाडु का दौरा किया है। “भारत तमिलनाडु की प्रगति के साथ प्रगति करेगा”, श्री मोदी ने कहा कि कनेक्टिविटी विकास का माध्यम है जो व्यवसायों को बढ़ावा देता है और लोगों के जीवन को भी सहज बनाता है। प्रधानमंत्री ने आज की परियोजनाओं की चर्चा करते हुए तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नए टर्मिनल भवन का उल्लेख किया जो क्षमता को तीन गुना बढ़ा देगा और पूर्वी एशिया, मध्य पूर्व और विश्व के अन्य भागों के लिए कनेक्टिविटी को मजबूत बनाएगा। उन्होंने कहा कि नए टर्मिनल भवन के उद्घाटन से निवेश, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन के लिए नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने एलिवेटेड रोड के माध्यम से हवाई अड्डे की राष्ट्रीय राजमार्गों से बढ़ती कनेक्टिविटी का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने संतोष व्यक्त किया कि त्रिची हवाई अड्डा अपनी अवसंरचना के साथ विश्व को तमिल संस्कृति और विरासत से परिचित कराएगा।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने पांच नई रेल परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं उद्योग और बिजली उत्पादन को प्रोत्साहित करेंगी। नई सड़क परियोजनाएं श्रीरंगम, चिदंबरम, रामेश्वरम और वेल्लोर जैसे आस्था और पर्यटन के महत्वपूर्ण केंद्रों को जोड़ेंगी।

प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्षों में बंदरगाह आधारित विकास पर केंद्र सरकार के फोकस की चर्चा करते हुए परियोजनाओं को तटीय क्षेत्रों और मछुआरों के जीवन को बदलने वाला बताया। उन्होंने मत्स्य पालन के लिए एक अलग मंत्रालय और बजट, मछुआरों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड, गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए नाव को आधुनिक बनाने के लिए सहायता तथा पीएम मत्स्य संपदा योजना की जानकारी दी।

प्रधानमंत्री ने सागरमाला योजना का जिक्र करते हुए बताया कि देश के बंदरगाहों को बेहतर सड़कों से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने बताया कि बंदरगाहों की क्षमता और जहाजों के टर्न-अराउंड टाइम में काफी सुधार हुआ है, उन्होंने कामराजार बंदरगाह का उल्लेख किया जिसकी क्षमता दोगुनी कर दी गई है। उन्होंने कामराजार बंदरगाह के जनरल कार्गो बर्थ -2 के उद्घाटन का भी उल्लेख किया, जो तमिलनाडु के आयात और निर्यात, विशेष रूप से ऑटोमोबाइल क्षेत्र को मजबूत बनाएगा। उन्होंने परमाणु रिएक्टर और गैस पाइपलाइनों का भी जिक्र किया जो रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देंगे।

प्रधानमंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा तमिलनाडु पर रिकॉर्ड खर्च किए जाने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले के दशक में राज्यों को 30 लाख करोड़ रुपये दिए गए थे, जबकि पिछले 10 वर्ष में राज्यों को 120 लाख करोड़ रुपये दिए गए। तमिलनाडु को भी 2014 से पहले के 10 वर्षों की तुलना में इस अवधि में 2.5 गुना अधिक धन मिला है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण के लिए राज्य में तीन गुना से अधिक और रेल क्षेत्र में 2.5 गुना अधिक धन खर्च किया गया। राज्य में लाखों परिवारों को मुफ्त राशन, चिकित्सा उपचार और पक्के घर, शौचालय और पाइप से पानी जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में विकसित भारत के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ‘सबका प्रयास’ की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने तमिलनाडु के युवाओं और लोगों की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा “मैं तमिलनाडु के युवाओं में एक नई आशा का उदय देख सकता हूं। यह आशा विकसित भारत की ऊर्जा बनेगी।”

इस अवसर पर तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर एन रवि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री श्री एम के स्टालिन, केन्द्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया तथा केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री श्री एल मुरूगन भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने तिरुचिरापल्ली में सार्वजनिक कार्यक्रम में तिरुचिरापल्ली अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। इसे 1100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया गया है। दो-स्तरीय नया अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल भवन वार्षिक रूप से 44 लाख से अधिक यात्रियों और व्यस्त समय में लगभग 3500 यात्रियों को सेवा प्रदान कर सकता है। नए टर्मिनल में यात्री सुविधा के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं हैं।

प्रधानमंत्री ने अनेक रेल परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 41.4 किलोमीटर लंबे सलेम-मैग्नेसाइट जंक्शन-ओमालूर-मेट्टूर बांध खंड दोहरीकरण परियोजना, मदुरै-तूतीकोरिन तक 160 किलोमीटर के रेल लाइन खंड के दोहरीकरण की परियोजना और रेल लाइन विद्युतीकरण के लिए तीन परियोजनाएं अर्थात् तिरुचिरापल्ली-मनमदुरै-विरुधुनगर; विरुधुनगर – तेनकाशी जंक्शन; सेनगोट्टाई – तेनकाशी जंक्शन – तिरुनेलवेली- तिरुचेंदुर शामिल हैं। रेल परियोजनाएं माल और यात्रियों को ले जाने के लिए रेल क्षमता में सुधार करने में मदद करेंगी तथा तमिलनाडु में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में योगदान देंगी।

प्रधानमंत्री ने सड़क क्षेत्र की पांच परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया। इन परियोजनाओं में राष्ट्रीय राजमार्ग-81 के त्रिची-कल्लागम खंड के लिए 39 किलोमीटर चार लेन की सड़क, राष्ट्रीय राजमार्ग-81 के कल्लागाम-मीनसुरुट्टी खंड को 60 किमी लम्बी 4/2 लेन का बनाना, राष्ट्रीय राजमार्ग-785 के चेट्टीकुलम-नाथम खंड की 29 किमी चार लेन की सड़क, राष्ट्रीय राजमार्ग-536 के कराईकुडी-रामनाथपुरम खंड के पेव्ड शोल्डर के साथ 80 किमी लंबी दो लेन; राष्ट्रीय राजमार्ग-179ए के सलेम-तिरुपति-वनियामबड़ी रोड के 44 किमी लंबे खंड को चार लेन का बनाना शामिल है। सड़क परियोजनाओं से क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित और तेज यात्रा की सुविधा मिलेगी तथा त्रिची, श्रीरंगम, चिदंबरम, रामेश्वरम, धनुषकोडी, उथिराकोसामंगई, देवीपट्टिनम, एरवाड़ी, मदुरै जैसे औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान महत्वपूर्ण सड़क विकास परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इनमें एनएच 332ए के मुगैयूर से मरक्कानम तक 31 किलोमीटर लंबी फोर लेन सड़क का निर्माण शामिल है। यह सड़क तमिलनाडु के पूर्वी तट पर बंदरगाहों को जोड़ेगी, विश्व धरोहर स्थल – मामल्लापुरम से सड़क संपर्क बढ़ाएगी तथा कलपक्कम परमाणु ऊर्जा संयंत्र को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

प्रधानमंत्री ने कामराजार बंदरगाह के जनरल कार्गो बर्थ-2 (ऑटोमोबाइल निर्यात/आयात टर्मिनल-2 और कैपिटल ड्रेजिंग फेज-5) राष्ट्र को समर्पित किया। जनरल कार्गो बर्थ -2 का उद्घाटन देश के व्यापार को मजबूत करने की दिशा में एक कदम होगा जो आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने में सहायता करेगा।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान 9000 करोड़ रुपये से अधिक की महत्वपूर्ण पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस परियोजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया और आधारशिला रखी। राष्ट्र को समर्पित दो परियोजनाओं में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) की एन्नोर – तिरुवल्लूर – बेंगलुरु – पुडुचेरी – नागपट्टिनम – मदुरै – तूतीकोरिन पाइपलाइन खंड की 101 (चेंगलपेट) से आईपी 105 (सयालकुडी) तक 488 किलोमीटर लंबी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) की 697 किलोमीटर लंबी विजयवाड़ा-धर्मपुरी मल्टीप्रोडक्ट (पीओएल) पेट्रोलियम पाइपलाइन (वीडीपीएल) है।

इसके अतिरिक्त जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई उनमें भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड (गेल) द्वारा कोच्चि-कोट्टानाड-बैंगलोर-मंगलौर गैस पाइपलाइन II (केकेबीएमपीएल II) के कृष्णागिरी से कोयम्बटूर खंड तक 323 किमी प्राकृतिक गैस पाइपलाइन का विकास और वल्लूर, चेन्नई में प्रस्तावित ग्रास रूट टर्मिनल के लिए कॉमन कॉरिडोर में पीओएल पाइपलाइन बिछाना शामिल है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस क्षेत्र की यह परियोजनाएं क्षेत्र में ऊर्जा की औद्योगिक, घरेलू और वाणिज्यिक आवश्यकताओं को पूरा करने की दिशा में कदम होंगी। इनसे क्षेत्र में रोजगार सृजन भी होगा और रोजगार सृजन में योगदान मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कलपक्कम स्थित इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) में डिमोस्ट्रेशन फास्ट रिएक्टर फ्यूल रिप्रोसेशिंग प्लांट (डीएफआरपी) भी राष्ट्र को समर्पित किया। 400 करोड़ रुपये की लागत से विकसित डीएफआरपी अद्वितीय डिजाइन से लैस है, जो विश्व में अपनी तरह का अकेला है और फास्ट रिएक्टरों से छोड़े गए कार्बाइड और ऑक्साइड ईंधन दोनों को फिर से संसाधित करने में सक्षम है। यह पूरी तरह से भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा डिजाइन किया गया है तथा बड़े वाणिज्यिक पैमाने पर फास्ट रिएक्टर ईंधन रिप्रोसेशिंग संयंत्रों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री ने अन्य परियोजनाओं में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) तिरुचिरापल्ली के 500 बिस्तर वाले लड़कों के छात्रावास ‘एमेथिस्ट’ का उद्घाटन किया।

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