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हिंदी भाषा का महत्व

हमारा देश विविध भाषाओं वाला देश है। हर प्रांत की अपनी एक बोली है, महत्व है फिर भी हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी जगह आपसी संवाद के लिए सुगम्य है और अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है और समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक संपर्क के माध्यम के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। सुमित्रानंदन पंत ने कहा था कि “हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिसके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। “हर साल में विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन भारत में 14 सितंबर को होता है।अलग-अलग तारीखों पर हिंदी दिवस मनाने का क्या औचित्य? विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में क्या अंतर है? हालांकि दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रसार करना ही है फिर भी दोनों में यह अंतर क्यों? यह अंतर भौगोलिक स्तर पर है और राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत में हिंदी को आधिकारिक दर्जा प्राप्त होने की खुशी में मनाया जाता है तो वहीं विश्व हिंदी दिवस दुनिया में हिंदी को वही दर्जा दिलाने के प्रयास में मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस नागपुर में 10 जनवरी 1974 में मनाया गया था। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर का था, जिसमें 30 देश के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए कई बहसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राजभाषा मानने के पक्ष में नहीं थे। दक्षिणी राज्य के लोग इसे अपने साथ अन्याय मान रहे थे इसलिए हिंदी भाषा राज्यों का विरोध देखते हुए संविधान निर्माता ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया और इस तरह 1953 को राजभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया।

हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल नहीं है। राजभाषा और राष्ट्रभाषा का अंतर लोग जल्दी से समझ नहीं पाते हैं। पहला अंतर इन्हें बोलने वाली संख्या से और दूसरा अंतर इनके प्रयोग करने का है। राष्ट्रभाषा जनसाधारण की भाषा होती है और राजभाषा सरकारी कार्यालय और सरकारी कर्मियों के द्वारा उपयोग में लाई जाती है। कुछ देशों में राजभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही है लेकिन बहुभाषी देश में राजभाषा राष्ट्रभाषा अलग-अलग होती है। राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी- “भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।”
पूरे विश्व में 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा हिंदी बोली जाती है इसके अलावा 40 देशों में 600 से अधिक विश्वविद्यालय और स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी का आता है। यूनेस्को की मान्यता वाली सात भाषाओं में एक भाषा हिंदी है। आज हिंदी भाषा इस समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अब तक यह रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियां के दैनिक कामकाज का प्रबंधन, संचालन का माध्यम अंग्रेजी है और अपनी निजी हितों को साधने के लिए सामाजिक और राजनीतिक संगठन भी हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम भी अंग्रेजी ही है। आज भी हिंदी की जागरूकता के लिए सम्मेलनों का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल रहा है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहां विषय वस्तु निर्माण रफ्तार 19% है तो हिंदी के लिए यह आंकड़ा 94% है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये।
चूंकि बहुसंख्यक भारतीय उपभोक्ता हिंदी भाषी हैं और बाजार में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है, जिसके कारण इंटरनेट पर ज्यादातर सामग्री हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है। यह भी हिंदी के विस्तार में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग 5 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। स्मार्टफोन में औसतन एप्लीकेशंस 25 प्रतिशत हिंदी में हैं। कम्प्यूटर में लिखने के लिए हिंदी के विभिन्न फॉन्ट्स तथा टूल्स विकसित किए गए हैं। स्मार्टफोन में हिंदी के कुंजीपटल उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल इंटरनेट पर सोशल मीडिया तथा अन्य ऑनलाइन सेवाओं में हिंदी लिखने के लिए किया जा सकता है।
बावजूद इसके आज सोशल मीडिया पर हिंदी का उपयोग जिस टूटे-फूटे अंदाज में किया जा रहा है, वह  चिंतनीय विषय है। इससे भाषा का स्वरूप व सुंदरता ही समाप्त हो जाती है। एक  समय वह था, जब स्कूली शिक्षा की शुरुआत हिंदी माध्यम से होती थी और दूसरी ओर वर्तमान की स्थिति है जहां इसकी शुरुआत अंग्रेजी से होती है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करनी चाहिए ताकि हिंदी को सेमिनार और सम्मेलनों का सहारा ना लेना पड़े।
~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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 एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज कानपुर के हिंदी विभाग ने वर्तमान में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर एक व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता करवाई कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह हिंदी विभाग दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर, प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार मिश्रा ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ,समाजशास्त्र विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर निशि प्रकाश, प्रमुख अनुशासक कप्तान ममता अग्रवाल तथा हिंदी विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा बाजपेई ने दीप प्रज्वलन कर किया। वर्तमान में भारत के अमृतकाल प्रयोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान विश्व श्रृंखल भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य भी हिंदी नहीं किया था ।विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक छोटे से कालखंड में हिंदी को जो अहर्ता और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई वह अकल्पनीय है ।महाविद्यालय की प्राचार्य जी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज हिंदी जीवकोपार्जन से जुड़े सभी कार्य -व्यापारो के मध्य की भाषा बन गई है और यही उसकी प्रयोजनपरकता है ।वह प्रशासन, शिक्षा, उद्योग ,व्यापार विज्ञान की भाषा बन गई है। तब एक राष्ट्र ,एक भाषा की बात हो वहां हिंदी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है ।प्रबंध तंत्र समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा जी ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन ,संयुक्त सचिव सुब्रोसेन तथा प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह को विघ्न विनाशक गणेश की प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र स्मृति स्वरूप प्रदान किया ।प्रबंध तंत्र ने संयुक्त सचिव सुब्रोसेन से अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमारे देश की समन्वय की भाषा है और हमारी राजभाषा के सम्मान के लिए युवाओं को सक्रिय प्रयास करते रहने चाहिए। हमें अपनी हिंदी भाषा बोलने लिखने में गर्व करना चाहिए ।भाषण प्रतियोगिता के प्रतिभागी छात्राओं के नाम रेशमा ने प्रस्तुत किया जिसमें छात्राओं ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ता गण कर्मचारी गण एवं छात्रों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक एवं प्रमाण पत्र प्रबंध समिति एवं प्राचार्या द्वारा प्रदान किए गए कार्यक्रम का संचालन विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा वाजपेई ने तथा आभार ज्ञापन समाजशास्त्र विभाग की विभागा अध्यक्ष प्रोफेसर निशी प्रकाश ने किया ।प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार हैं प्रथम स्थान अंशिका दीप बी ए प्रथम वर्ष।द्वितीय स्थान हिना बानो एम ए प्रथम वर्ष। तृतीय स्थान अमृता शुक्ला एम ए प्रथम वर्ष।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम अयोजित

कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, हिंदी अपने चरित्र में लोकतांत्रिक है. इसका लचीलापन ही इसे अन्य भाषाओं से जुड़ने में मदद करता है और वही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह विचार युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे ने क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस के अवसर पर बोलते हुए व्यक्त किया. क्राइस्ट चर्च कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन विभागीय पुस्तकालय “बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुस्तकालय में उत्साह से किया गया.
इस अवसर पर एक वैचारिक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. उक्त गोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जोसेफ डेनियल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय महाविद्यालय खैर अलीगढ़ में हिंदी के सहायक अध्यापक और चर्चित युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे उपस्थित रहे. इस अवसर पर हिंदी के प्रखर आलोचक और हिंदी विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर अवधेश मिश्र ने अपने आधार वक्तव्य में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी प्रतिरोध की भाषा तो है ही साथ ही स्वतंत्रता की चेतना की वाहक भी है.
हिंदी विभाग की प्रभारी प्रोफेसर सुजाता चतुर्वेदी ने औपचारिक स्वागत भाषण देते हुए विभाग की गतिविधियों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी की उन्नति के बिना न राष्ट्र की उन्नति हो सकती है न व्यक्ति की.
प्रोफेसर डेनियल ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी विभाग को बढ़िया आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि प्रति वर्ष हिंदी दिवस के आयोजन द्वारा छात्रों में निश्चय ही हिंदी भाषा के प्रति चेतना और जागरूकता का प्रसार हो रहा है. अतः ऐसे आयोजन बहुधा होने चाहिए.
इस अवसर पर हिंदी काव्य पाठ प्रतियोगिता व स्केच प्रतियोगिता में पुरस्कृत छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए.
कार्यक्रम का सफल संचालन एम.ए. हिंदी प्रथम सेमेस्टर के छात्र सहस्रांशु मिश्र द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन बी.ए. प्रथम सेमेस्टर के छात्र विख्यात दुबे द्वारा किया गया. कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों के छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे.

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नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता पर कैबिनेट में प्रस्ताव पारित

केंद्रीय कैबिनेट ने 9-10 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में आयोजित हुए जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता की सराहना करते हुए एक प्रस्ताव आज अपनी बैठक में पारित किया।

कैबिनेट ने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम के विभिन्न पहलुओं को तय करने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन की सराहना की। प्रधानमंत्री के जन भागीदारी वाले दृष्टिकोण ने जी20 के कार्यक्रमों और गतिविधियों में हमारे समाज के व्यापक वर्गों को शामिल किया। 60 शहरों में हुई 200 से अधिक बैठकें, जी20 के कार्यक्रमों को लेकर लोगों की एक अभूतपूर्व भागीदारी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके फलस्वरूप, जी20 की भारतीय अध्यक्षता सच्चे अर्थों में जन-केंद्रित रही और एक राष्ट्रीय प्रयास के रूप में उभरी।

कैबिनेट ने महसूस किया कि इस शिखर सम्मेलन के नतीजे परिवर्तनकारी थे और ये आने वाले दशकों में विश्व व्यवस्था को नए सिरे से आकार देने में अपना योगदान देंगे। इनमें भी सतत विकास लक्ष्यों को साकार करने, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार करने, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थापना करने, हरित विकास समझौते को बढ़ावा देने और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को प्रोत्साहित करने पर ख़ास तौर पर ध्यान केंद्रित किया गया।

कैबिनेट ने यह भी कहा कि ऐसे समय में जब विश्व में पूर्व और पश्चिम का ध्रुवीकरण मजबूत है और उत्तर तथा दक्षिण के बीच विभाजन गहरा है, तब प्रधानमंत्री के प्रयासों ने मौजूदा वक्त के सबसे ज़रूरी मुद्दों पर एक महत्वपूर्ण सहमति बनाने का काम किया।

‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत की अध्यक्षता का एक अनूठा पहलू था। इन सबके बीच एक विशेष संतुष्टि की बात यह है कि भारत की पहल के चलते अफ्रीकी संघ को जी20 के स्थायी सदस्य के रूप में स्वीकार किया गया।

नई दिल्ली शिखर सम्मेलन ने समकालीन प्रौद्योगिकी के मामले में भारत की प्रगति और साथ-साथ हमारी विरासत, संस्कृति और परंपराओं के प्रदर्शन का अवसर प्रदान किया। जी20 के सदस्य देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने इसकी व्यापक तौर पर सराहना की।

अगर जी20 शिखर सम्मेलन के प्रमुख परिणामों की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को ऊर्जायमान करना, विकास करने के लिए संसाधनों की ज़्यादा उपलब्धता, पर्यटन का विस्तार, वैश्विक कार्यस्थल में अवसर, मोटे अनाज के उत्पादन और खपत के जरिए मजबूत खाद्य सुरक्षा और जैव-ईंधन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता आदि महत्वपूर्ण रहे, जो पूरे देश को लाभ प्रदान करेंगे।

शिखर सम्मेलन के दौरान ‘भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा समझौते’ और ‘वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन’ का संपन्न होना भी बेहद महत्वपूर्ण घटनाक्रम रहे।

केंद्रीय कैबिनेट ने जी20 शिखर सम्मेलन की सफलता में शामिल सभी संगठनों और व्यक्तियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने उस उत्साह को मान्यता दी जिसके साथ भारत के लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी ने शिखर सम्मेलन की गतिविधियों में ज़ोर-शोर से हिस्सा लिया। कैबिनेट ने दुनिया में प्रगति और विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जी20 की भारतीय अध्यक्षता को एक मजबूत दिशा देने में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के अनूठे नेतृत्व की भी प्रशंसा की।

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वैज्ञानिक समुदाय ने भारत की तकनीकी श्रेष्ठता के सफल जी20 प्रदर्शन के लिए प्रधानमंत्री मोदी की सराहना की है।

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी; प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में विभिन्न विज्ञान मंत्रालयों एवं विभागों के सचिवों की संयुक्त बैठक में ध्वनि मत से एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में “उच्च रूप से प्रौद्योगिकी संचालित” जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली घोषणा और ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (जीबीए) की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी गई। विज्ञान सचिवों की आवधिक बैठक में सरकार के सभी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी निकायों के प्रमुख शामिल थे। बैठक में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद, पृथ्वी विज्ञान, अंतरिक्ष विभाग और परमाणु ऊर्जा विभाग सहित अन्य विभागों का प्रतिनिधित्व रहा। बैठक में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय सूद भी उपस्थित थे।

विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रचार और सहयोग के लिए नई दिल्ली घोषणा की सराहना की गई। जी20 शिखर सम्मेलन में अपनाई गई घोषणा में भारत की ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट मिशन’ (लाइफ) की पहल को लागू करने और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई गई। ‘हरित विकास संधि’ को अपनाकर जी20 ने सतत और हरित विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं की भी पुष्टि की है।

विज्ञान सचिवों की बैठक में चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिंग और आदित्य-एल1 सौर मिशन के प्रक्षेपण के लिए भी इसरो की सराहना की गई।

जी20 शिखर सम्मेलन ने ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपॉजिटरी (जीडीपीआईआर) बनाने जाने और बरकरार रखने की भारत की योजना का समर्थन किया और डब्ल्यूएचओ-प्रबंधित ढांचे के भीतर डिजिटल हेल्थ (जीआईडीएच) पर वैश्विक पहल की स्थापना का स्वागत किया।

जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर सिंगापुर, बांग्लादेश, इटली, अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना, मॉरीशस और यूएई के नेताओं द्वारा वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (जीबीए) का शुभारंभ एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। जीबीए का लक्ष्य एक उत्प्रेरक मंच के रूप में काम करना है, जो जैव ईंधन की उन्नति और व्यापक रूप से अपनाने के लिए वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है।

बैठक को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के साथ प्रधानमंत्री मोदी की बेहद सफल अमेरिका यात्रा जी20 घोषणा के लिए एक उपयुक्त अग्रदूत थी।

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान, भारत “आर्टेमिस समझौते” का हस्ताक्षरकर्ता बना और भारत और अमेरिका ने 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए संयुक्त भारत-अमेरिका मिशन की घोषणा की। इसके अलावा, माइक्रोन ने 800 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की।

अपने संबोधन में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय कुमार सूद ने रेखांकित किया कि जी20 नई दिल्ली घोषणापत्र में 12 से अधिक बार “डेटा” शब्द का उल्लेख किया गया है।

बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन को सफलता से पारित किए जाने पर भी बधाई दी गई।

संसद के पिछले मानसून सत्र के दौरान पारित एक अधिनियम द्वारा स्थापित ‘अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन’ (एनआरएफ) का उद्देश्य अनुसंधान और शिक्षाविदों में संसाधनों का समान वित्तपोषण और लोकतंत्रीकरण करना है। पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये के आवंटन का 70 प्रतिशत तक, यानी 36,000 करोड़ रुपये, गैर-सरकारी क्षेत्र से आएगा।

 

मंत्री को अनुसंधान कार्यान्वयन समिति की प्रगति के बारे में बताया गया और नियम और विनियम तैयार करने का कार्य चलने के संबंध में सूचित किया गया।  विज्ञान गति मंच को भी एनआरएफ के तहत लागू किया जाएगा।

बैठक में भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान मेला, आईआईएसएफ 2023 की समय-सारिणी पर भी विचार-विमर्श किया गया।

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डॉ. जितेंद्र सिंह का कहना है कि नौ वर्षों में स्टार्टअप की संख्या 350 से बढ़कर 1 लाख तक पहुंच चुकी है; आज भारत की यह छलांग अविश्वसनीय है

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार); प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा है कि नौ वर्षों में स्टार्टअप की संख्या 350 से बढ़कर 1 लाख तक पहुंच गई है; आज भारत की यह छलांग अविश्वसनीय है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तेजी से यह वृद्धि टेक्नोलॉजिकल इंटरफेरेंस के माध्यम से समावेशी विकास और सतत विकास का भी प्रमाण है।

डॉ. जितेंद्र सिंह आईआईटी जम्मू में नॉर्थ टेक सिम्पोजियम 2023 को संबोधित कर रहे थे, जहां उन्होंने यह बात कही।

अपने संबोधन में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) आदि जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके अपने रक्षा ढांचे को बदलने के लिए प्रौद्योगिकियों की क्षमता को पहचाना है। यह न केवल देश की क्षमता को बढ़ाता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भारत को रक्षा क्षेत्र में एक वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में भी स्थापित करता है।

डीएसटी द्वारा कार्यान्वित इंटर डिस्सीप्लीनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स  पर राष्ट्रीय मिशन के हिस्से के रूप में विकसित या विकसित की जा रही कुछ प्रमुख प्रौद्योगिकियों का उदाहरण देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने आईआईटी मद्रास में टीआईएच, अर्थात् आईआईटीएम प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन का उल्लेख किया, जो इस पर काम कर रहा है। रक्षा कर्मियों के लिए एक सुरक्षित मोबाइल फोन विकसित करना, आईआईएसईआर, पुणे में स्थापित आई-हब क्वांटम, क्वांटम टेक्नोलॉजीज के क्षेत्र में काम कर रहा है, जो परमाणु इंटरफेरोमेट्री-आधारित सेंसिंग और नेविगेशन डिवाइस विकसित कर रहा है, आईआईटी रूड़की में टीआईएच यानी आईडीआर डूट का समर्थन करने वाला आईहब दिव्य संपर्क एमके-1, आतंकवाद निरोधी और रूम इंटरवेंशन ऑपरेशन के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों की मदद के लिए भारत का पहला स्वदेशी नैनो ड्रोन, आईआईटी मंडी में टीआईएच, यानी ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन (एचसीआई) फाउंडेशन नेवल कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम (एनसीएमएस) विकसित कर रहा है, टीआईएच आईआईएससी बेंगलुरु में ऑटोमेशन सिस्टम आदि के कंट्रोल के लिए एकीकृत रोबोटिक जॉइन्ट एक्चुएटर्स का विकास किया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकियां लगातार विकसित हो रही हैं और सैन्य अभियानों पर उनका प्रभाव बढ़ता रहेगा। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आधुनिक युग में सैन्य श्रेष्ठता और राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को अपनाना और उनका उपयोग करना आवश्यक होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि 2014 से पहले देश में लगभग 350 स्टार्ट-अप थे, लेकिन पीएम मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से आह्वान करने और 2016 में स्पेशल स्टार्ट-अप स्कीम शुरू करने के ऐलान बाद इसमें भारी उछाल आया है। अब देश में 1.25 लाख से अधिक स्टार्ट-अप और 110 से अधिक यूनिकॉर्न एक्टिव हैं। मंत्री ने कहा कि बायोटेक क्षेत्र में 2014 में 50 स्टार्ट-अप थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 6,000 बायोटेक स्टार्ट-अप हो चुकी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की लंबी छलांग प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस क्षेत्र को अतीत की बेड़ियों से मुक्त करने का साहसी निर्णय लेने के बाद ही संभव हो पाई है। कुल मिलाकर, भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज लगभग 8 बिलियन डॉलर की है, जो 2040 तक बढ़कर 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, लेकिन अगर हम एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट के अनुसार चलें, तो हम 2040 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकते हैं, जो होने जा रहा है। यह एक बड़ी छलांग होगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के खुलने के साथ ही देश की आम जनता चंद्रयान-3 या आदित्य जैसे मेगा अंतरिक्ष कार्यक्रमों के प्रक्षेपण को देखने में सक्षम हुई है। बता दें कि लगभग 10,000 लोग आदित्य के प्रक्षेपण को देखने आए हैं और कुछ 1000 मीडियाकर्मी चंद्रयान-3 के दौरान वहां मौजूद थे।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया आज हर क्षेत्र में भारत को एक समान भागीदार के रूप में देखती है और हाल ही में दिल्ली घोषणा को अपनाने के साथ संपन्न जी20 शिखर सम्मेलन इसका प्रमाण है, जिसने भारत की तकनीकी क्षमताओं के साथ-साथ आर्थिक ताकत को भी प्रदर्शित किया है।

डॉ. जितेंद्र ने आगे कहा, भारत की जी20 की अध्यक्षता भी चंद्रयान-3 की सफलता के साथ अंतरिक्ष में देश के गौरव के साथ मेल खाती है, जिसमें भारत का झंडा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऊंचा फहरा रहा है, और पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में अपनी उपलब्धियों का प्रदर्शन कर रहा है।

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54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के लिए पंजीकरण के साथ ही सिनेप्रेमियों के लिए जश्न का समय आरंभ

54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के लिए प्रतिनिधि पंजीकरण शुरू होने के साथ ही देश में सबसे बड़े फिल्म और मनोरंजन समारोह की उलटी गिनती शुरू हो गई है। यह महोत्सव 20 से 28 नवंबर, 2023 तक गोवा में होगा। वार्षिक फिल्म महोत्सव में भारत और दुनिया भर से सिनेमा के सबसे बड़े दिग्गज एक छत के नीचे जमा होते हैं, साथ ही युवा प्रतिभाओं को अपनी कला दिखाने के लिए मंच भी उपलब्ध होता है। इस तरह अंतरराष्ट्रीय दर्शकों के लिए कला, फिल्मों और संस्कृति की संयुक्त ऊर्जा और जोश का जश्न मनाया जाता है।

भारतीय राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम लिमिटेड (एनएफडीसी), सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारतीय फिल्म उद्योग के माध्यम से एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी) तथा गोवा राज्य सरकार के सहयोग से आयोजित कर रहा है। इस कार्यक्रम में भारतीय और विश्व सिनेमा का सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन किया जाएगा।

आईएफएफआई विभिन्न वर्गों में भारतीय और विश्व सिनेमा के विविध चयन की व्यवस्था करता है। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता (15 प्रशंसित फीचर फिल्मों का चयन), आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी मेडल पुरस्कार के लिए प्रतियोगिता, एक निर्देशक की सर्वश्रेष्ठ पहली फीचर फिल्म के लिए प्रतियोगिता, सिनेमा ऑफ द वर्ल्ड (आईएफएफआई का दुनिया भर से अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्मों का आधिकारिक चयन), भारतीय पैनोरमा (विभिन्न भारतीय भाषाओं में सिनेमाई, विषयगत और सौंदर्य उत्कृष्टता की फीचर और गैर-फीचर फिल्मों का संग्रह), फेस्टिवल कैलिडोस्कोप (दिग्गजों की असाधारण फिल्मों का वर्गीकरण, उभरती प्रतिभाओं के काम, अन्य फिल्मोत्सवों की समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्में), कुछ ऐसे अनुभाग हैं जो भारतीय और विश्व सिनेमा को प्रदर्शित करते हैं। कंट्री फोकस, एनिमेशन, वृत्तचित्र और गोवा फिल्म्स जैसी भारतीय और विदेशी फिल्मों के विशेष क्यूरेटेड पैकेज भी प्रदर्शित किए गए हैं। गाला प्रीमियर, दैनिक रेड कार्पेट कार्यक्रम और समारोह उत्सव का आकर्षण बढ़ाते हैं।

स्क्रीनिंग के अलावा, आईएफएफआई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समुदाय की 200 से अधिक प्रतिष्ठित हस्तियों द्वारा आयोजित कार्यशालाओं, मास्टरक्लास, आपसी संवाद सत्र और पैनल चर्चा की प्रस्तुति करता है।

54वें आईएफएफआई के लिए प्रतिनिधि पंजीकरण निम्नलिखित श्रेणियों के लिए iffigoa.org के माध्यम से किया जा सकता है:

प्रतिनिधि सिनेप्रेमी: 1000/- रुपये + जीएसटी

प्रतिनिधि प्रोफेशनल: 1000/- रुपये + जीएसटी

प्रतिनिधि छात्र: कोई पंजीकरण शुल्क नहीं

54वें आईएफएफआई के साथ-साथ एनएफडीसी द्वारा आयोजित ‘फिल्म बाजार’ के 17वें संस्करण का भी पंजीकरण शुरू हो गया है। यह ‘फिल्म बाजार’ दक्षिण एशिया के सबसे बड़े वैश्विक सिनेबाजार के रूप में कार्य करता है, जो दक्षिण एशियाई और अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्मकारों, निर्माताओं, बिक्री एजेंटों और उत्सव प्रोग्रामरों के बीच रचनात्मक और वित्तीय सहयोग की सुविधा प्रदान करता है। फिल्म बाज़ार के लिए प्रतिनिधि पंजीकरण filmbazaarindia.com पर उपलब्ध है।

54वें आईएफएफआई के लिए मीडिया पंजीकरण शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा, जिससे पत्रकारों और मीडिया प्रोफेशनलो को इस सिनेमाई कार्यक्रम तक पहुंच मिलेगी।

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वित्तीय समावेशन पर चौथी जी-20 वैश्विक साझेदारी बैठक 14-16 सितंबर 2023 के दौरान मुंबई में होगी

वित्तीय समावेशन पर चौथी जी-20 वैश्विक साझेदारी (जीपीएफआई) बैठक 14-16 सितंबर, 2023 तक मुंबई में आयोजित होने वाली है। इस बैठक में जी-20 सदस्य देशों, विशेष आमंत्रित देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के 50 से अधिक प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक में डिजिटल वित्तीय समावेशन और एसएमई वित्त के क्षेत्रों में जी-20 भारत अध्‍यक्षता के तहत वित्तीय समावेशन एजेंडा के चल रहे काम पर चर्चा होगी।

इस बैठक से पहले, एमएसएमई को सक्रिय करने के लिए डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे पर एक परिचर्चा 14 सितंबर, 2023 को आयोजित की जाएगी। परिचर्चा में दो प्रमुख विषयों “डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से उच्च आर्थिक विकास के लिए एमएसएमई को सक्रिय करना” और “क्रेडिट गारंटी और एसएमई परितंत्र” पर वैश्विक विशेषज्ञों के बीच पैनल चर्चा होगी। इस परिचर्चा में एमएसएमई के तेजी से बढ़ते वित्तीय समावेशन में डीपीआई की भूमिका पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

अगले दो दिनों के दौरान, जीपीएफआई सदस्य डिजिटल वित्तीय समावेशन के लिए जी20 जीपीएफआई उच्च स्तरीय सिद्धांतों के कार्यान्वयन, राष्ट्रीय प्रेषण योजनाओं के अद्यतन और एसएमई वित्तपोषण में आम बाधाओं को दूर करने के लिए एसएमई सर्वोत्तम प्रथाओं और नए उपकरणों के संबंध में जीपीएफआई कार्य पर चर्चा करेंगे।

जीपीएफआई बैठक के हिस्से के रूप में 16 सितंबर, 2023 को “डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के माध्यम से वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाना: डिजिटल और वित्तीय साक्षरता एवं उपभोक्ता संरक्षण के माध्यम से उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना” विषय पर एक परिचर्चा भी आयोजित की जाएगी।

चौथी जीपीएफआई डब्ल्यूजी बैठक में भाग लेने वाले प्रतिनिधि मुंबई में कन्हेरी गुफाओं का भी दौरा करेंगे।

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केंद्र सरकार ने 17 सितंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई

संसद सत्र से पहले, संसदीय कार्य मंत्रालय ने रविवार 17 सितंबर, 2023 को संसद, नई दिल्ली में राजनीतिक दलों के सदन के नेताओं की एक बैठक बुलाई है।

उल्लेखनीय है कि संसद का सत्र 18 सितंबर से 22 सितंबर, 2023 तक आयोजित होने वाला है।

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अल्जाइमर रोग के संभावित इलाज का रास्ता प्राकृतिक पॉलिफेनॉल में पाया गया

वैज्ञानिकों ने पाया है कि चेस्टनट और ओक जैसे पेड़ों की टहनियों में पाया जाने वाले टेनिक एसिड जैसे प्राकृतिक रूप से प्रचुर मात्रा में उपलब्ध पौधा- आधारित पॉलिफेनॉल (पीपी) से फेरोप्टोसिस-एडी एक्सिस को नियंत्रित किया जा सकता है और इसके परिणामस्वरूप अल्जाइमर रोग (एडी) का मुकाबला करने के लिये एक सुरक्षित, लागत प्रभावी रणनीति उपलब्ध हो सकती है। इसके परिणामस्वरूप दिमागी विकृति जैसे सामाजिक बोझ को कम करने में मदद मिल सकती है।

एडी एक तेजी से फैलती दिमाग में विकृति लाने वाली बीमारी है जो चीजों को याद रखने और ज्ञानात्मक क्षमता को कमजोर करती है। दशकों के शोध के बाद भी इस बीमारी को पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है। यही वजह है कि इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक करने का इलाज उपलब्ध नहीं हो पाया है। फेरोप्टोसिस, पूर्वनिर्धारित कोशिका-मृत्यु की लौह-निभर्रता वाला स्वरूप है, जो एडी विकास में एक उल्लेखनीय योगदानकर्ता के तौर पर सामने आया है। एडी के कई तरह के लक्षण जैसे कि असामान्य लौह-निर्माण, लिपिड पैरोक्सीडेशन, प्रतिक्रियाशील आक्सीजन वर्ग (आरओएस) और एंटीआक्सीडेंट एंजाइम ग्लूटाथियोन पेरोक्सिीडेस4 (जीपीएक्स4) की कमजोर गतिविधि यह सब फेरोप्टोसिस के लक्षणों से मेल खाती हैं। फरोप्टोसिस का मास्टर नियामक जीपीएक्स4 पॉलिअनसेचुरेटिड फैट्टी एसिड (पीयूएफएएस) का आरओएस के साथ आयरन- उत्प्रेरित प्रतिक्रिया से लिपिड एल्कोहल, जहरीले लिपिड पेरोक्साइड को कम करता है जो कि फेरोप्टोसिस की रोकथाम के लिये पहली सुरक्षा दीवार के तौर पर काम करता है। इसे जीपीएक्स4 मार्ग कहा जाता है। जहां फेरोप्टोसिस का मुकाबला करने के परंपरागत तरीकों में प्राथमिक तौर पर चिलेटिंग आयरन और आरओएस के असर को समाप्त करने पर ध्यान दिया जाता था उसमें भी एडी में फेरोप्टोसिस को कम करने के लिये जीपीएक्स4 मार्ग को लक्षित करने की संभावित चिकित्सीय रणनीतियों पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। जीपीएक्स4 प्रोटीन संशलेषण अपने आप में एक उर्जावान, कम दक्षता वाली प्रक्रिया है और इसलिये जीपीएक्स4 स्तर को बढ़ाने और सक्रिय करने वाले मालिक्यूल्स लंबे समय से चले आ रहे विकारों में आक्सीडेटिव तनाव से बचाव की कुंजी हो सकते हैं।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायतशासी निकाय जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये एक अध्ययन में प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले पॉलीफेनोल्स (पीपीएस) को फेरोप्टोसिस और एडी में सुधार लाने की दोहरी क्षमताओं के साथ नवीन और बहुरूपीय चिकित्सीय एजेंट के तौर पर प्रस्तुत किया गया है। इसमें जो अंतरनिहित तंत्र है उसमें अमालॉयड (अंगों और उत्तकों में पाया जाने वाला असामान्य रेशेदार, प्रोटीनयुक्त कोष) और टाउ प्रोटीन (मध्य तंत्रिका प्रणाली की तंत्रिका कोशिका में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला) को एकत्रित होने से रोकने, आक्सीडेटिव तनाव को कम करने, माइटोकोन्ड्रियल क्रिया को बचाना और फेरोप्टोसिस को रोकना शामिल है। उनके अध्ययन में यह सामने आया है कि प्राकृतिक पालिफोनॉल, टैनिक एसिड (टीए) जीपीएक्स4 को चालू करने और बढ़ाने वाला दोनों के तौर पर काम कर सकता है। इस नवीन विचार से जीपीएक्स4 – फेरोप्टोसिस- एडी एक्सिस में नरमी लाकर एडी का मुकाबला करने की वैचारिक तौर पर उन्नत और वृहद रणनीति उपलब्ध कराता है। फेरोप्टोसिस और एडी के बीच आंतरिक तौर पर होने वाली गतिविधियों से निपटने के वादे को कायम रखते हुये एडी की हैतुकी में नवीन मार्ग को लक्षित करते हुये एडी पैथोलॉजिकल परिस्थितियों की मौजूदगी में भी जीपीएक्स4 स्तर को उठाने की टीए की क्षमता नये उत्साहवर्धक रास्तों की पेशकश करती है।

यह अध्ययन केमिकल साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। यह फेरोप्टोसिस अवरोधकों के मामले में शोध को आगे बढ़ाते हुये दवाओं के विकास की दिशा में एक नया आयाम प्रस्तुत करता है। इस खोज से दवा रासायनज्ञों को एडी जैसी बीमारी के खिलाफ चिकित्सकीय प्रभाविता बढ़ाने के लिये प्राकृतिक योगिकों के नये और व्युत्पन्न खोज की प्रेरणा मिलेगी।

एडी और फेरोप्टोसिस दोनों को एक साथ लक्षित करने के तर्क के साथ इस टीम ने फे-चेलशन और अंटीआक्सीडेंट क्षमताओं के लिये प्राकृतिक पाॅलिफेनाॅल्स की एक लाइब्रेरी को खंगाला जिसमें उन्होंने टैनिक एसिड को एक बहुपरिचालन वाले अणु के तौर पर अलग किया जो कि सभी पहलुओं में उत्साहवर्धक क्षमता प्रदर्शित करता है। इससे यह एडी और फरोप्टोसिस के मार्ग को संकरा करने के एक प्रभावकारी उम्मीदवार के तौर पर स्थापित हो जाता है। जीपीएक्स4 को सक्रिय करने और बढ़ाने दोनों तरह से फेरोप्टोसिस के अवरोधक के तौर पर टीए यानी टेनिक एसिड की खोज एडी के खिलाफ एक नवीन और समग्र रणनीति प्रस्तुत करती है। इससे एडी और फेरोप्टोसिस के बीच एक यांत्रिक जुड़ाव भी स्थापित होता है जो कि अब तक पता नहीं था।

जीपीएक्स4 सक्रियकर्ता के तौर पर प्राकृतिक पोलिफोनॉल के रूप में टीए की खोज, जो कि एडी प्रसारित फेरोप्टोसिस में सुधार लाता है, अपने आप में अति महत्वपूर्ण है और इस अध्ययन से एडी में फेरोप्टोसिस के तौर पर सहक्रियाशील अवरोध के मामले में नये अवसर प्रस्तुत होते हैं। अल्जाइमर डिजीज (एडी) और फेरोप्टोसिस की जटिलताओं को सामने लाकर इस शोध कार्य ने न केवल विशिष्ट तंत्रिका संबंधी चुनौतियों का समाधान किया है बल्कि वैज्ञानिक ज्ञान बढ़ाने, नई रोग प्रणाली के वैद्यीकरण, वैश्विक स्वास्थ्य में भी योगदान किया है। इसके साथ ही यह पागलपन के रोगियों की बेहतरी और शोधकर्ताओं को तंत्रिका प्रणाली विकृत होने संबंधी रोगों के मामले में इस वैकल्पिक उपचारात्मक आधार को अपनाने के लिये भी प्रेरित करता है।

 

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