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उत्तर प्रदेश में एक दिन में सर्वाधिक दुर्घटना बीमा कर वाराणसी डाक परिक्षेत्र ने बनाया नया कीर्तिमान

मात्र एक दिन में 2679 लोगों का दुर्घटना बीमा करके वाराणसी परिक्षेत्र ने उत्तर प्रदेश में बनाया रिकॉर्ड

डाक विभाग के उपक्रम रूप में स्थापित इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ने पाँच वर्षों के अपने सफर में ‘आपका बैंक, आपके द्वार’ को प्रोत्साहित करते हुए तमाम नए आयाम स्थापित किये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन और डिजिटल इण्डिया के क्षेत्र में आज इसकी अहम् भूमिका है। समाज के अंतिम वर्ग के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने हेतु विभिन्न कंपनियों से एग्रीमेंट के तहत सस्ती दरों पर बीमा का लाभ भी आईपीपीबी द्वारा प्रदान किया जा रहा है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय, वाराणसी में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।

गौरतलब है कि वाराणसी परिक्षेत्र ने 13 जून को मात्र एक दिन में 2679 लोगों का दुर्घटना सुरक्षा बीमा करके उत्तर प्रदेश परिमंडल में एक दिन में सर्वाधिक बीमा करने का नया कीर्तिमान स्थापित किया, जिसके सापेक्ष साढ़े ग्यारह लाख रूपये का प्रीमियम जमा किया गया। यही नहीं, जीआई सर्वसुरक्षा अभियान के तहत पहले ही दिन प्रदत्त लक्ष्य के सापेक्ष 329 फीसदी सफलतापूर्वक प्राप्तकर वाराणसी परिक्षेत्र ने पूरे भारत में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके उपलक्ष्य में इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने आईपीपीबी के चीफ मैनेजर श्री बृज किशोर और प्रवर डाक अधीक्षक श्री राजीव कुमार के संग केक काटकर लोगों से खुशियाँ बाँटी एवं डाक विभाग के ग्रामीण डाक सेवक, पोस्टमास्टर्स, निरीक्षक, सहायक अधीक्षक, मण्डलाधीक्षक और आईपीपीबी मैनेजर्स सहित समस्त स्टाफ को शुभकामनाएँ देते हुए भविष्य में नए कीर्तिमान स्थापित करने हेतु हौसलाआफ़जाई की।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आईपीपीबी की परिवर्तनकारी उपस्थिति ने बैंकिंग परिदृश्य को नया आकार दिया है, जो डोर-स्टेप बैंकिंग की पेशकश करता है एवं सुलभ सेवाओं का प्रतीक है जो परिवर्तन को प्रज्ज्वलित करता है। आईपीपीबी के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। सीईएलसी के तहत घर बैठे बच्चों का आधार बनाने, मोबाइल अपडेट करने, डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट, डीबीटी, बिल पेमेंट, एईपीएस द्वारा बैंक खाते से भुगतान, वाहनों का बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी तमाम सेवाएं आईपीपीबी द्वारा डाकिया के माध्यम से घर बैठे मुहैया कराई जा रही हैं। आईपीपीबी में खाता होने पर डाकघर की सुकन्या, आरडी, पीपीएफ, डाक जीवन बीमा में भी ऑनलाइन जमा किया जा सकता है। आईपीपीबी उन तमाम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिनके पास बीमा और अन्य वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुंच नहीं है।

इस अवसर पर सहायक निदेशक बृजेश शर्मा, लेखाधिकारी प्लाबन नस्कर, सहायक अधीक्षक पल्ल्वी मिश्रा, निरीक्षक अनिकेत रंजन, दिलीप पांडेय, सहायक लेखाधिकारी संतोषी राय, मनीष मिश्रा, श्रीप्रकाश गुप्ता, आनंद प्रधान, राकेश कुमार सहित तमाम कर्मी उपस्थित रहे।

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आयुष पर किए गए सर्वेक्षण के परिणाम (जुलाई 2022 से जून 2023) जारी किए गए

मुख्य निष्कर्ष
  • लगभग 95% ग्रामीण और 96% शहरी उत्तरदाताओं को आयुष के बारे में जानकारी है।
  • लगभग 85% ग्रामीण और 86% शहरी परिवारों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों/घरेलू उपचार/स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा/लोक चिकित्सा के बारे में जानकारी रखता है।
  • पिछले 365 दिनों में लगभग 46% ग्रामीण और 53% शहरी लोगों ने बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग किया।
  • आयुर्वेद ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उपचार के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली प्रणाली है।
  • आयुष का उपयोग मुख्य रूप से कायाकल्प और निवारक उपायों के लिए किया जाता है।

परिचय

राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) के 79वें दौर के हिस्से के रूप में जुलाई 2022 से जून 2023 तक राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा ‘आयुष’ पर पहला विशेष अखिल भारतीय सर्वेक्षण किया गया। इस सर्वेक्षण में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ दुर्गम गांवों को छोड़कर पूरे देश को शामिल किया गया। 1,81,298 परिवारों से जानकारी एकत्र की गई, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में 1,04,195 और शहरी क्षेत्रों में 77,103 परिवार शामिल रहे।

सर्वेक्षण के व्यापक उद्देश्य निम्नलिखित के बारे में जानकारी एकत्र करना था:

  • स्वास्थ्य सेवा की पारंपरिक प्रणाली (चिकित्सा की आयुष प्रणाली) के बारे में लोगों की जागरूकता,
  • बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग,
  • घरेलू उपचार, औषधीय पौधों, स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा/लोक चिकित्सा के बारे में परिवारों की जागरूकता।

इसके अतिरिक्त, सर्वेक्षण में आयुष चिकित्सा प्रणालियों का उपयोग करके उपचार के लिए घरेलू व्यय के बारे में जानकारी एकत्र की गई। परिणाम (यूनिट स्तर के डेटा के साथ तथ्य पत्रक) मंत्रालय की वेबसाइट ([www.mospi.gov.in](http://www.mospi.gov.in)) पर उपलब्ध हैं।

बी. नमूना डिजाइन

आयुष पर किया गया सर्वेक्षण एक स्तरीकृत बहु-चरणीय नमूना डिजाइन का उपयोग के जरिए किया गया जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में गांवों और शहरी क्षेत्रों में शहरी फ्रेम सर्वेक्षण (यूएफएस) ब्लॉक या गांवों या यूएफएस ब्लॉकों की उप-इकाइयों (एसयू) को पहले चरण की इकाइयों (एफएसयू) के रूप में माना गया था। दोनों क्षेत्रों में अंतिम चरण की इकाइयाँ (यूएसयू) परिवारों में रहने वाले लोग थे. एफएसयू के साथ-साथ चुने गए एफएसयू से घर परिवारों के चयन के लिए प्रतिस्थापन के बिना सरल यादृच्छिक नमूनाकरण (एसआरएसडब्ल्यूओआर) का उपयोग किया गया।

सी. संकल्पनात्मक रूपरेखा

सर्वेक्षण के उद्देश्य से, आयुष के बारे में ‘जागरूकता’ और ‘उपयोग’ को नीचे वर्णित तरीके से परिभाषित किया गया है:

एक परिवार के 15 वर्ष या उससे अधिक आयु के उस सदस्य को “आयुष के बारे में जागरूक” माना गया है, यदि निम्नलिखित में से एक या अधिक शर्तें पूरी होती हैं:

  1. यदि उसने कभी भी आयुष चिकित्सा पद्धति का उपयोग करके उपचार लिया हो, चाहे वह डॉक्टर के पर्चे के साथ हो या बिना डॉक्टर के पर्चे के।
  2. यदि उसने किसी भी आयुष पद्धति के बारे में सुना हो, जैसे आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा/आमची, होम्योपैथी – परिवार, मित्रों, चिकित्सक, मीडिया (टीवी, रेडियो, होर्डिंग्स, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ, इंटरनेट- फेसबुक/व्हाट्सएप/ट्विटर/आउटरीच कैंप, संगठनों के सर्वेक्षण आदि के माध्यम से आईईसी सामग्री), शोध लेख/चिकित्सा समाचार-पत्र/पाठ्य पुस्तकें आदि।
  3. यदि वह औषधीय पौधों या औषधीय महत्व वाले पौधों, घरेलू उपचारों या उपचार या रोकथाम के लिए पारंपरिक प्रथाओं/लोक प्रथाओं के बारे में जानता है/जानती है/ या जानती थी।
  4. यदि वह पेशे से निम्न में से किसी भी श्रेणी में आयुष स्वास्थ्य सेवा केंद्रों/सेवा प्रदाताओं से जुड़ा हुआ है/था: पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी, अपंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी, दाई, मालिश करने वाले, फार्मासिस्ट, योग प्रशिक्षक, पंचकर्म चिकित्सक, कपिंग चिकित्सक आदि या आयुष दवाओं के उत्पादन/निर्माण में शामिल है।

‘आयुष चिकित्सा पद्धति के उपयोग’ से तात्पर्य किसी चिकित्सक/प्रशिक्षक की सलाह पर बीमारियों/बीमारियों के उपचार/उपचार या बीमारियों/बीमारियों की रोकथाम के लिए आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी की एक या अधिक प्रणालियों के उपयोग/अपनाने से है। इसमें उपचार/दवा के निवारक या लाभकारी प्रभावों को जानने वाले घर के किसी सदस्य द्वारा उपयोग किए जाने वाले घरेलू उपचार/स्व-चिकित्सा/स्व-उपचार भी शामिल रहते हैं।

D. सर्वेक्षण के प्रमुख निष्कर्ष:

1. आयुष के बारे में जागरूकता:

ग्रामीण भारत में, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लगभग 95% पुरुष और महिलाएँ आयुष के बारे में जागरूक पाए गए हैं, जबकि शहरी भारत में यह लगभग 96% है। अखिल भारतीय स्तर पर लिंग (जेंडर) के आधार पर आयुष प्रणाली के बारे में जागरूक लोगों(15 वर्ष या उससे अधिक आयु के) के प्रतिशत का अनुमान चित्र 1 में दिखाया गया है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/11111edewwewe7TFE.png

ग्रामीण भारत में लगभग 79% घरों और शहरी भारत में लगभग 80% घरों में कम से कम एक सदस्य औषधीय पौधों और घरेलू दवाओं के बारे में जानता है, जबकि ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में लगभग 24% घरों में कम से कम एक सदस्य लोक चिकित्सा या स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा के बारे में जानता है।

2. आयुष का उपयोग:

बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग, पिछले 365 दिनों के दौरान, ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक देखा गया है। नीचे दिया गया चित्र 2 पिछले 365 दिनों के दौरान बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के प्रतिशत का अनुमान दर्शाता है।

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/22222fsdfddf412R.png

ग्रामीण और शहरी भारत दोनों में, बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुर्वेद को आयुष की अन्य प्रणालियों की तुलना में प्राथमिकता दी गई है।.

तालिका 1: चिकित्सा पद्धति के अनुसार बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए आयुष का उपयोग करने वाले लोगों का प्रतिशत
चिकित्सा प्रणाली ग्रमीण शहरी
आयुर्वेद 40.5 45.5
अन्य* 9.4 12.8
कोई भी 46.3 52.9
* इसमें योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी शामिल हैं

यह भी देखा गया है कि आयुष का उपयोग ज्यादातर कायाकल्प या निवारक उद्देश्य के लिए किया जाता है, उसके बाद चिकित्सीय या उपचारात्मक उपचार किया जाता है।

3. आयुष के उपचार का लाभ उठाने के लिए किया गया व्यय::

ग्रामीण और शहरी भारत के लिए पिछले 365 दिनों के दौरान आयुष का उपयोग करके बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए प्रति व्यक्ति औसत व्यय का अनुमान तालिका 2 में दिया गया है।

तालिका 2: आयुष का उपयोग करके बीमारियों की रोकथाम या उपचार के लिए प्रति व्यक्ति औसत व्यय (रु.)
चिकित्सा प्रणाली ग्रामीण शहरी
आयुर्वेद 394 499
अन्य* 622 592
कोई भी 472 574
* इसमें योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी शामिल हैं।

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मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव का जोश पूरे देश में जोरों पर: दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे में मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव की बेहतरीन फिल्में देखें!

18वां मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव (एमआईएफएफ) का जादू मुंबई के साथ-साथ अन्य शहरों में भी सर चढ़कर बोल रहा है। पहली बार, एमआईएफएफ का यह आयोजन न केवल मुंबई में होगा, बल्कि दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और पुणे जैसे शहरों में भी समानांतर स्क्रीनिंग के साथ दुनिया भर की बेहतरीन गैर-फीचर फिल्में – डॉक्यूमेंट्री, लघु कथा और एनीमेशन फिल्में दिखाई जाएंगी।

मुख्य कार्यक्रम 15 जून को शुरू होगा और 21 जून, 2024 तक मुंबई के पेडर रोड पर राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम-फिल्म प्रभाग परिसर में चलेगा। दिल्ली में फिल्म प्रेमियों के लिए, 16 जून से 20 जून तक सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम 1, 2 और 3 में फिल्मों का एक समानांतर चयन दिखाया जाएगा। कोलकाता में फिल्म प्रेमी प्रतिष्ठित सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) में स्क्रीनिंग देख सकते हैं। वहीं, चेन्नई एनएफडीसी के टैगोर फिल्म सेंटर में स्क्रीनिंग दिखाई जाएगी। इसके अतिरिक्त, पुणे में स्क्रीनिंग नेशनल आर्काइव ऑफ इंडिया के परिसर में होगी। आयोजन स्थलों पर पंजीकरण डेस्क स्क्रीनिंग के लिए आगंतुक उपस्थित लोगों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करेंगे। बैठने की व्यवस्था पहले आओ पहले पाओ के आधार पर होगी। शुरुआती फिल्म बिली एंड मौली: एन ओटर लव स्टोरी 15 जून को दोपहर 2.30 बजे सभी स्थानों पर एक साथ दिखाई जाएगी।

 

कृपया चार शहरों में 18वें एमआईएफएफ के लिए स्क्रीनिंग शेड्यूल यहां देखें:

दिल्ली

कोलकाता

चेन्नई

पुणे

यह अभिनव कदम राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) की उच्च गुणवत्ता वाली डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माण को व्यापक भारतीय दर्शकों के लिए अधिक सुलभ बनाने की प्रतिबद्धता से प्रेरित है। इस महोत्सव का उद्देश्य इन जीवंत सांस्कृतिक केंद्रों में एमआईएफएफ को लाकर, देश भर के सिनेमा प्रेमियों के बीच डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के लिए गहरी रुचि को बढ़ावा देना है।

डॉक्यूमेंट्री फिल्में हमारे आस-पास की दुनिया के बारे में शक्तिशाली और विचारोत्तेजक अंतर्दृष्टि प्रदान करती हैं। महोत्सव की पहुंच का विस्तार करके, राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम सार्थक बातचीत को बढ़ावा देने और भारत के सभी कोनों में इस महत्वपूर्ण कला के लिए जुनून जगाने की उम्मीद करता है। मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव लंबे समय से भारत में डॉक्यूमेंट्री फिल्मों के निर्माण का चैंपियन रहा है। यह विस्तार न केवल फिल्म उत्सव के मंच को मजबूत करता है, बल्कि दिल्ली, कोलकाता, पुणे और चेन्नई के दर्शकों को बड़े पर्दे पर वृत्तचित्रों के विविध चयन का अनुभव करने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है।

विश्व सिनेमा की सिनेमाई उत्कृष्टता का उत्सव, मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव, दक्षिण एशिया में सबसे बड़े और सबसे पुराने गैर-फीचर फिल्म समारोहों में से एक के रूप में पहचाना जाता है। 1990 से हर दो साल में आयोजित होने वाले मुंबई अंतरराष्ट्रीय फिल्म उत्सव ने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म, लघु फिल्म और एनीमेशन श्रेणियों में असाधारण कार्यों को प्रदर्शित करने के लिए लगातार एक मंच प्रदान किया है।

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प्रधानमंत्री ने कुवैत में अग्नि त्रासदी की समीक्षा की

प्रधानमंत्री मोदी ने आज नई दिल्ली में 7, लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर कुवैत में हुई अग्नि त्रासदी पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस अग्नि त्रासदी में कई भारतीय नागरिकों की मृत्यु हो गई हैं और कई घायल हो गए हैं।

प्रधानमंत्री ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना जताई। उन्होंने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की भी कामना की।

प्रधानमंत्री ने सरकार को हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है। विदेश राज्य मंत्री को राहत कार्यों की निगरानी और पार्थिव शरीरों को शीघ्र स्वदेश लाने के लिए जल्दी ही कुवैत जाएंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री राहत कोष से मृतक भारतीय नागरिकों के परिवारों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की।

बैठक में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, विदेश राज्य मंत्री श्री कीर्तिवर्धन सिंह, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव श्री प्रमोद कुमार मिश्र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजीत डोभाल, विदेश सचिव श्री विनय क्वात्रा और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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भारत और जापान का संयुक्त समुद्री अभ्यास – 2024 (जिमेक्स – 24) जापान के योकोसुका में प्रारंभ हुआ

भारतीय नौसेना का स्वदेशी त्वरित, चपल एवं रडार से बच निकलने में सक्षम युद्धपोत आईएनएस शिवालिक द्विपक्षीय भारत-जापान संयुक्त समुद्री अभ्यास 2024 (जिमेक्स 24) में भाग लेने के लिए जापान के योकोसुका पहुंचा। साल 2012 में इस संयुक्त समुद्री अभ्यास की शुरुआत के बाद से यह जिमेक्स का आठवां संस्करण है।

वाइस एडमिरल आईटीओ हिरोशी, कमांडर जेएमएसडीएफ योकोसुका डिस्ट्रिक्ट और जापान में भारत के राजदूत सिबी जॉर्ज द्वारा इस जहाज का बड़ी ही गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया।

संयुक्त अभ्यास में बंदरगाह और समुद्री दोनों तरह के चरण शामिल किये गए हैं। बंदरगाह चरण में नौसैन्य गतिविधियों से सबंधित, खेल व सामाजिक जुड़ाव के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इसके बाद दोनों देशों की नौसेनाएं समुद्र में संयुक्त रूप से अपने युद्ध कौशल को निखारने के प्रयास करेंगी और सतह, उप-सतह एवं वायु क्षेत्रों में जटिल बहु-आयामी संचालन कुशलता के माध्यम से अपनी सहभागिता के साथ क्षमताओं को बढ़ाएंगी।

भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व आईएनएस शिवालिक और जापान की नौसेना का प्रतिनिधित्व गाइडेड मिसाइल विध्वंसक जेएस युगिरी द्वारा किया जा रहा है। दोनों नौसेनाओं के एकीकृत हेलीकॉप्टर भी संयुक्त अभ्यास में शामिल हो रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों में अपने बढ़ते दायरे व मैत्रीपूर्ण अभ्यास गतिविधियों में बढ़ोतरी के साथ जिमेक्स 24 दोनों देशों को एक-दूसरे की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियों से सीखने का अवसर प्रदान करता है और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करने के लिए भारतीय नौसेना व जापान की नौसेना के मध्य परिचालन संबंधी कार्रवाई को सुविधाजनक बनाता है।

 

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एलएसएएम13 (यार्ड 81) 08 x मिसाइल लेस एम्युनिशन (एमसीए) बार्ज नौका परियोजना के पांचवें बार्ज का जलावतरण

08 x मिसाइल लेस एम्युनिशन परियोजना का पांचवा पोत भारतीय नौसेना के लिए विशाखापत्तनम के एमएसएमई शिपयार्ड, मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीपीएल) द्वारा तैयार किया गया है। इस मिसाइल सह गोला बारूद पोत एलएसएएम 13 (यार्ड 81)’ को 10 जून, 2024 को मेसर्स विनायगा मरीन पेट्रो लिमिटेड, मीरा भयंदर, महाराष्ट्र (मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का जलावतरण स्थल) में स्थित डॉकयार्ड से जलावतरित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता एनडी (एमबीआई) के महाप्रबंधक (क्यूए) कमोडोर मनीष विग ने की थी।

08 x मिसाइल लेस एम्युनिशन बार्ज नौकाओं के निर्माण के लिए अनुबंध पर 19 फरवरी, 2021 को भारतीय रक्षा मंत्रालय और विशाखापत्तनम के एमएसएमई शिपयार्ड, मेसर्स सेकॉन इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। भार उठाने में सक्षम इन पोतों के नौसेना में शामिल होने से छोटे बांधों एवं बंदरगाहों पर अन्य जहाजों के लिए सामान/गोला-बारूद का परिवहन, रसद की लदान और पोतारोहण तथा अवरोहण की सुविधा के द्वारा भारतीय नौसेना की सैन्य गतिविधियों के संचालन को गति मिलेगी।

इन नौकाओं को भारतीय नौसेना के प्रासंगिक नियमों एवं भारतीय नौवहन रजिस्टर (आईआरएस) के विनियमन के तहत स्वदेशी रूप से तैयार और निर्मित किया गया है। डिजाइन चरण के दौरान बार्ज नौका का मॉडल परीक्षण विशाखापत्तनम स्थित नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (एनएसटीएल) में किया गया था। ये विशेष छोटे जहाज भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के गौरवशाली ध्वजवाहक हैं।

 

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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया पुरस्कार-2024 के तीसरे संस्करण की घोषणा की

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान-2024 के तीसरे संस्करण की घोषणा की है। भारत और विदेशों में योग के संदेश को फैलाने में मीडिया की सकारात्मक भूमिका और जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए मंत्रालय ने जून 2019 में पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान (एवाईडीएमएस) शुरू किया था।

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मीडिया सम्मान-2024 के तहत, बाईस भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में तीन श्रेणियों अर्थात प्रिंट, टेलीविजन और रेडियो के तहत तैंतीस सम्मान प्रदान किए जाएंगे:

  1. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “अखबारों में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के तहत प्रदान किए जाएंगे
  2. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (टीवी) में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किए जाएंगे
  3. 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में 11 सम्मान – “इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (रेडियो) में योग पर सर्वश्रेष्ठ मीडिया कवरेज” श्रेणी के अंतर्गत प्रदान किए जाएंगे

 

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, दुनिया भर में स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक जन आंदोलन का अलग जगाया है। शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए इसके समग्र दृष्टिकोण ने महत्वपूर्ण रुचि पैदा की है, जिससे यह एक वैश्विक आयोजन बन गया है। भारत और विदेश दोनों में योग के संदेश को बढ़ाने में मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, इस प्राचीन परंपरा और इसके कई लाभों को बढ़ावा देने में मीडिया की अपार शक्ति और जिम्मेदारी को मान्यता प्रदान करना महत्वपूर्ण है।

 

एवाईडीएमएस अनुशंसा और दिशानिर्देश

इस सम्मान में एक विशेष पदक/पट्टिका/ट्रॉफी और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है। इसे एक स्वतंत्र जूरी द्वारा अनुशंसित किया जाता है। यह पुरस्कार प्रिंट मीडिया, रेडियो और टेलीविजन से जुड़े सभी मीडिया घरानों/कंपनियों के लिए खुले हैं, जिनके पास सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से पंजीकरण/अनुमति है।

दिशानिर्देशों के अनुसार, मीडिया हाउस 12 जून, 2024 से 25 जून, 2024 की अवधि के दौरान बनाए गए और प्रकाशित लेखों या प्रसारित/ऑडियो/विजुअल सामग्री की संबंधित क्लिपिंग के साथ एक निर्धारित प्रारूप में नामांकन का विवरण प्रस्तुत कर सकते हैं। प्रविष्टियों की अंतिम तिथि 8 जुलाई, 2024 है। विस्तृत दिशानिर्देश पत्र सूचना कार्यालय (https://pib.gov.in/indexd.aspx) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (https://mib.gov.in/sites/default/files/AYDMS%20Guidelines%202024_0.pdf) की वेबसाइटों पर देखे जा सकते हैं।

 

एवाईडीएमएस दूसरा आयोजन – 2023

पहली बार 7 जनवरी, 2020 को पुरस्कार प्रदान प्रदान किए गए थे। एवाईडीएमएस का दूसरा आयोजन – 2023 के लिए सम्मान अभी तक प्रदान नहीं किए गए हैं। पिछले वर्ष के एवाईडीएमएस (द्वितीय आयोजन) के विजेताओं को भी इस वर्ष के एवाईडीएमएस (तृतीय आयोजन) के विजेताओं के साथ-साथ सम्मान प्रदान किया जाएगा।

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केंद्र ने राज्यों को कर हस्तांतरण के रूप में 1,39,750 करोड़ रुपये की किस्त जारी की

यह निर्णय लिया गया है कि जून 2024 के महीने के लिए नियमित जारी की जाने वाली हस्तांतरण धनराशि के अलावा, एक अतिरिक्त किस्त भी जारी की जाएगी। यह धनराशि चालू महीने में संचयी रूप से 1,39,750 करोड़ रुपये की है। यह राज्य सरकारों को विकास और पूंजीगत खर्च में तेजी लाने में सक्षम करेगी।

अंतरिम बजट 2024-25 में राज्यों को करों के हस्तांतरण के लिए 12,19,783 करोड़ रुपये का प्रावधान है।

जारी की गयी इस धनराशि के साथ, 10 जून, 2024 तक राज्यों को हस्तांतरित कुल राशि (वित्त वर्ष 2024-25 के लिए) 2,79,500 करोड़ रुपये है।

जारी की गयी धनराशि का राज्यवार विवरण निम्नलिखित है:

क्रम. सं. राज्य 10 जून, 2024 को हस्तांतरित की गयी टैक्स धनराशि
1 आंध्र प्रदेश 5655.72
2 अरुणाचल प्रदेश 2455.44
3 असम 4371.38
4 बिहार 14056.12
5 छत्तीसगढ़ 4761.30
6 गोवा 539.42
7 गुजरात 4860.56
8 हरियाणा 1527.48
9 हिमाचल 1159.92
10 झारखंड 4621.58
11 कर्नाटक 5096.72
12 केरल 2690.20
13 मध्य प्रदेश 10970.44
14 महाराष्ट्र 8828.08
15 मणिपुर 1000.60
16 मेघालय 1071.90
17 मिजोरम 698.78
18 नगालैंड 795.20
19 ओडिशा 6327.92
20 पंजाब 2525.32
21 राजस्थान 8421.38
22 सिक्किम 542.22
23 तमिलनाडु 5700.44
24 तेलंगाना 2937.58
25 त्रिपुरा 989.44
26 उत्तर प्रदेश 25069.88
27 उत्तराखंड 1562.44
28 पश्चिम बंगाल 10513.46
  कुल 139750.92

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राजनीतिक महाभारत…. जीत किसकी?

देश में चल रहे 2024 लोकसभा चुनाव का सियासी घमासान खत्म हो गया है और अब सबकी नजरें प्रधानमंत्री के शपथ समारोह पर है। सियासी युद्ध के परिणाम लोगों की सोच से परे रहा हालांकि साम दाम दंड भेद वाली नीति भाजपा की हमेशा से रही है मगर इस बार भाजपा की पकड़ कमजोर साबित हुई। इस चुनाव के नतीजों ने जहां बीजेपी की हार ने लोगों को चौकाया वहीं कांग्रेस का मजबूती से खड़ा होना और सत्तारूढ़ दल को टक्कर देना लोगों को आश्चर्य में डाल गया।

ये दीगर बात है कि कांग्रेस बहुमत नहीं ला पाई लेकिन एक मजबूत विपक्ष के रूप में खड़ी हुई है हालांकि सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए उसे अभी कड़ी मेहनत की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा ने जिन प्रदेशों पर आंख मूंद कर भरोसा किया था इस बार वहीं से इन्हें मुंह की खानी पड़ी। अयोध्या जैसे शहर से हार जाना जरा अविश्वसनीय लगता है। जो शहर राम मंदिर के प्रचार और जय श्री राम के नारों से गूंजता था वहां भाजपा की हार अप्रत्याशित है हालांकि कई कारण बताए जा रहे हैं।
फैजाबाद लोकसभा सीट के नतीजे से हर कोई हैरान है जहां सरकार द्वारा राम मंदिर का निर्माण कराया गया था और मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा भी ऐसे समय  की गई जब इसी साल देश में लोकसभा चुनाव होने वाले थे। यह दीगर बात है कि यह कार्य भी चुनावी रणनीति के तहत ही किया गया था मगर इन सब के बावजूद भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा। ध्यान दें कि यहां साल 2022 की विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की जमीन दरक चुकी थी और 2024 के लोकसभा चुनाव आते-आते पूरी तरह खिसक गई। 2022 के चुनाव में भाजपा ने जिले में पांच विधानसभा सीटों में से 2 सीटें गंवा दी थी फिर भी भाजपा सजग नहीं हुई और 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने है।
हिंदुत्व के रथ पर सवार भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और मसलों को दरकिनार किया। 2020 में जब विकास कार्य शुरू हुआ तो सड़कों के चौड़ीकरण के दौरान बड़ी संख्या में मकान और दुकान टूटे। बड़ी संख्या में लोगों के घर उजड़े लोगों के रोजगार छिनें। व्यापारी वर्ग का आरोप है कि उन्हें मकान और दुकानों के अधिग्रहण का उचित मुआवजा नहीं मिला। जो लोग अपनी जमीन से संबंधित कागज पेश नहीं कर सके बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को मुआवजा नहीं मिला। अयोध्या के हाई प्रोफाइल बनने की वजह से यहां आम लोगों की सुनवाई ना तो भाजपा के नेताओं ने की और ना ही यहां के अधिकारियों ने की यही वजह है कि भाजपा से लोगों का मोह भंग होने लगा।
अयोध्या में करीब 84% हिंदू और 13% मुसलमान है। इसके बावजूद यहां पर भाजपा का हिंदुत्व का कार्ड फेल हो गया। स्थानीय हिंदू मुसलमानों ने खुलकर कहा कि बाबरी की घटना के बाद यहां पर लगातार भाईचारे को बिगड़ने का काम किया गया है एक समय था कि जब मुसलमानों के बनाये खड़ाऊं वहां के साधू संतों के पैर में सजते थे।
अयोध्या के आसपास के इलाकों में ज्यादातर किसान है और जो खेती किसानी से अपना जीवन यापन करते हैं। ऐसे में आवारा पशुओं की समस्या को भाजपा ने नजरअंदाज किया। खेतीबाड़ी से हुए नुकसान के चलते किसानों ने अपने खेत कई सालों तक खाली छोड़ रखे थे। किसानी से लागत नहीं निकलती थी और आवारा पशुओं द्वारा नुकसान अलग होता था। समाजवादी पार्टी ने इन मुद्दों पर  मोर्चा संभाला और जन समर्थन हासिल किया।
दूसरी बात महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त जनता ना तो कांग्रेस को वोट देना चाह रही थी और ना ही भाजपा को देना चाह रही थी ऐसे में लोगों ने नोटा को अपनाया और बड़ी संख्या में ऐसे लोग वोट देने नहीं गए। यह चुनाव इस बात का प्रमाण है कि धर्म से देश नहीं चलता बल्कि बुनियादी मुद्दे ज्यादा जरूरी होते है।

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आईएनएस रजाली में नौसेना पायलटों की पासिंग आउट परेड

102वें हेलिकॉप्टर कन्वर्जन कोर्स (एचसीसी) के स्नातक होने और चौथे बेसिक हेलिकॉप्टर कन्वर्जन कोर्स (बीएचसीसी) के चरण (I) प्रशिक्षण के पूरा होने के उपलक्ष्य में  नौसेना वायु अड्डा – आईएनएस रजाली, अरक्कोणम, तमिलनाडु में पासिंग आउट परेड आयोजित की गई।

वाइस एडमिरल राजेश पेंढारकर, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पूर्वी नौसेना कमान ने 03 बीएचसीसी के तीन अधिकारियों सहित 21 अधिकारियों को प्रतिष्ठित “गोल्डन विंग्स” से सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त, 04 बेसिक कन्वर्जन कोर्स (बीसीसी) के तीन अधिकारियों ने सफलतापूर्वक अपना चरण – (I) प्रशिक्षण पूरा किया।

इस पासिंग आउट परेड ने भारतीय नौसेना के सभी हेलीकॉप्टर पायलटों के मातृ संस्थान, भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन 561 में कठोर उड़ान और जमीनी प्रशिक्षण को शामिल करते हुए 22 सप्ताह के गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम के सफल समापन को चिह्नित किया।

लैंगिक समावेशिता और महिलाओं के लिए करियर के अवसरों के विस्तार के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिबद्धता को उजागर करते हुए, सब लेफ्टिनेंट अनामिका बी. राजीव ने ‘पहली महिला नौसेना हेलीकॉप्टर पायलट’ के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त करके इतिहास रच दिया। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से पहली कमीशन प्राप्त नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट जामयांग त्सावांग ने भी योग्य हेलीकॉप्टर पायलट के रूप में सफलतापूर्वक स्नातक की उपाधि प्राप्त की।

उड़ान में योग्यता क्रम में प्रथम स्थान पर रहने वाले प्रशिक्षु पायलट के लिए एफओसीइनसी, पूर्वी नौसेना कमान रोलिंग ट्रॉफी लेफ्टिनेंट गुरकीरत राजपूत को प्रदान की गई। ग्राउंड विषयों में योग्यता क्रम में प्रथम स्थान पर रहने के लिए सब लेफ्टिनेंट कुंटे मेमोरियल बुक पुरस्कार लेफ्टिनेंट नितिन शरण चतुर्वेदी को प्रदान किया गया। समग्र योग्यता क्रम में प्रथम स्थान के लिए केरल राज्यपाल रोलिंग ट्रॉफी लेफ्टिनेंट दीपक गुप्ता को प्रदान की गई।

पांच दशकों से अधिक की अपनी समृद्ध विरासत में, इस हेलीकॉप्टर प्रशिक्षण स्कूल ने भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल के साथ-साथ मित्र विदेशी देशों के 849 पायलटों को प्रशिक्षित किया है। यह हेलीकॉप्टर प्रशिक्षण स्कूल आईएनएस रजाली, अरक्कोणम में स्थित है। इसकी कमान वर्तमान में कमोडोर कपिल मेहता के पास है और हेलीकॉप्टर प्रशिक्षण स्कूल की कमान कमांडर आर्चेश के पास है।

भारतीय नौसेना वायु स्क्वाड्रन का सुरक्षित और अनुकूल प्रशिक्षण वातावरण, सावधानीपूर्वक योजना और निष्पादन के साथ मिलकर ‘हर बार समय पर’ पाठ्यक्रम पूरा करना सुनिश्चित करता है। 102 एचसीसी के नए योग्य पायलटों को भारतीय नौसेना की विभिन्न फ्रंट-लाइन परिचालन इकाइयों में नियुक्त किया जाएगा, जहां वे टोही, निगरानी, ​​खोज एवं बचाव और एंटी-पायरेसी जैसे विविध मिशनों को अंजाम देंगे। 04 बीएचसीसी के अधिकारियों ने सफलतापूर्वक चरण – (I) प्रशिक्षण पूरा कर लिया है, उन्हें हेलीकॉप्टर प्रशिक्षण स्कूल में चरण – (II) प्रशिक्षण के लिए रखा जाएगा।

 

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