कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री श्री मोदी की प्राथमिकता को साकार करने और वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण को लेकर दोनों विभागों को इन संयुक्त प्रयासों के लिए बधाई दी। पेंशन विभाग पिछले कुछ वर्षों में कई ऐतिहासिक सुधार लागू करने में अग्रणी रहा है। इनमें डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, पेंशन अदालतें, अनुभव पुरस्कार और सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श कार्यशालाएं शामिल हैं। ये पहल पूरे देश में पेंशनभोगियों के लिए पारदर्शिता, दक्षता और सुगम अनुभव सुनिश्चित करने में सहायक रही हैं। मंत्री ने पारिवारिक पेंशन शिकायतों के लिए विशेष अभियान का उल्लेख किया। उन्होंने आगे बताया कि इसने 96 प्रतिशत निवारण दर का आंकड़ा पार कर लिया है, जिसमें आश्रित नाबालिग बच्चों, दिव्यांग बेटियों, विधवा/तलाकशुदा बेटियों, आश्रित माताओं और योद्धाओं की विधवाओं के लंबे समय से लंबित कई मामलों का समाधान शामिल है।
मंत्री ने विवरणों की व्याख्या की। उन्होंने कहा, “सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी, जो ई-एचआरएमएस पर हैं, वे ई-एचआरएमएस के माध्यम से प्रपत्र 6-ए भरेंगे (केवल पेंशन मामले) और सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी, जो ई-एचआरएमएस पर नहीं हैं, वे भविष्य पर प्रपत्र 6-ए भरेंगे। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि पेंशनभोगी की ओर से एकल ई-साइन (आधार आधारित ओटीपी) के साथ प्रपत्र जमा करना पर्याप्त होगा।
डॉ. सिंह के अनुसार इस नए एकीकृत फॉर्म को पेंशनभोगियों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, जिससे विभिन्न फॉर्मों को संभालने की जटिलता कम होगी और जरूरी समय और प्रयास में भी काफी कमी आएगी। इस उपयोगकर्ता-अनुकूल दृष्टिकोण से लाखों वरिष्ठ नागरिकों को लाभ प्राप्त होने की आशा है, जिससे वे अपने पेंशन संबंधी मामलों को अधिक आसानी और सुविधा के साथ प्रबंधित कर सकेंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “सरकार वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बनाने और राष्ट्र के विकास के लिए उनके ज्ञान व अनुभव का उपयोग करने के अपने दृष्टिकोण को लेकर प्रतिबद्ध है। यह नई पहल हमारी बुजुर्ग आबादी के जीवन को सीधे प्रभावित करने वाली प्रणालियों को सुगम और बेहतर बनाने के निरंतर प्रयासों का प्रमाण है।” चूंकि, सरकार इस तरह के सुधारों को निरंतर लागू कर रही है, डॉ. सिंह ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि बुजुर्ग लोग सम्मान व मानसिक शांति के साथ अपने स्वर्णिम वर्षों का आनंद ले सकें और “विकसित भारत” के विकास में भी अपना योगदान कर सकें।