भारतीय स्वरूप संवाददाता त्यौहार की शुरुआत होते ही एच ब्लॉक किदवई नगर में बढी चोरियो की संख्या, कहीं यह किसी बड़ी घटना का आगाज तो नहीं… जी हां पिछले कई दिनों से किदवई नगर बाईपास किनारे स्थित एच ब्लॉक में ग्रीन बेल्ट से लगे हुए घरों के बाहर प्रायः चोरियो की घटनाएं हो रही है। चूंकि सभी वारदाते बड़े स्तर की न होकर छोटी छोटी चोरिया जैसे जाली, ग्रिल, लोहे की रॉड आदि है इसलिए लोग इन्हें लेकर पुलिस के पास नही जाते जिससे चोरों के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। ऐसा ही वाकया आज सबेरे तकरीबन 3 बजकर चालीस मिनट पर देखने में आया जब स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र के ऑफिस के सामने लगे हुए स्टील के रॉड को तोड़ते हुए दो चोर दिखाई दिए। दिन में उस रॉड के टुकड़े आगे फुटपाथ पर नमकीन की दुकान पर दिखाई दिए। सीसीटीवी फुटेज किदवई नगर थाना प्रभारी बहादुर सिंह को भेज दी गई और उन्हें पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। उन्होंने संजय वन चौकी इंचार्ज को कार्यवाही के लिए आदेशित भी किया है। बताते चलें कि पिछले वर्ष इसी समय एच ब्लॉक दो बड़ी चोरियां हुई थी। अब देखना है कि पुलिस किस चुस्ती फुर्ती से चोरों का हौसला पस्त करने हेतु कदम उठाती है वर्ना गणेश पूजन और राम लीला आदि त्योहारों में चोरी एक बड़ी समस्या हो सकती है।
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सरकार ने टेक्निकल टेक्सटाइल के क्षेत्र में 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी
वस्त्र मंत्रालय के सचिव ने आज नई दिल्ली स्थित उद्योग भवन में राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन के तहत आठवीं अधिकार प्राप्त कार्यक्रम समिति (ईपीसी) की बैठक की अध्यक्षता की। समिति ने ‘तकनीकी वस्त्र के क्षेत्र में उभरते अन्वेषकों के लिए अनुसंधान एवं उद्यमिता हेतु अनुदान (ग्रेट)’ योजना के तहत 4 स्टार्ट-अप को मंजूरी दी है और प्रत्येक स्टार्ट-अप को लगभग 50 लाख रुपये के अनुदान प्रदान किया है।
समिति ने ‘तकनीकी वस्त्रों से संबद्ध शैक्षणिक संस्थानों को सक्षम बनाने हेतु सामान्य दिशानिर्देश’ के तहत 5 शिक्षा संस्थानों को तकनीकी वस्त्रों से संबंधित पाठ्यक्रम शुरू करने हेतु लगभग 20 करोड़ रूपये के अनुदान को भी मंजूरी दे दी है।
अनुमोदित स्टार्ट-अप परियोजनाएं कंपोजिट्स, सस्टेनेबल टेक्सटाइल्स और स्मार्ट टेक्सटाइल्स के प्रमुख रणनीतिक क्षेत्रों पर केन्द्रित हैं। अनुमोदित शिक्षा संस्थानों ने जियोटेक्सटाइल्स, जियोसिंथेटिक्स, कंपोजिट्स, सिविल स्ट्रक्चर्स आदि सहित तकनीकी वस्त्रों के विभिन्न क्षेत्रों और अनुप्रयोगों में नए बी.टेक पाठ्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव दिया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह कल नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अनुभव पुरस्कार 2024 प्रदान करेंगे
28 अगस्त, 2024 को डीओपीपीडब्ल्यू 2016 में अपनी स्थापना के बाद से 7वें अनुभव पुरस्कार समारोह का आयोजन करेगा। उल्लेखनीय है कि अब तक 6 समारोहों में 54 अनुभव पुरस्कार और 09 जूरी प्रमाण पत्र प्रदान किए जा चुके हैं।
इस वर्ष 22 मंत्रालयों/विभागों के लेख प्रकाशित किए गए हैं, जिनमें से 5 अनुभव पुरस्कार और 10 जूरी प्रमाण पत्र कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा उत्कृष्ट लेखों के लिए प्रदान किए जाएंगे। यह पुरस्कार समारोह अभूतपूर्व है, क्योंकि कुल 15 पुरस्कार विजेताओं में से 33 प्रतिशत महिला कर्मचारी हैं, जो ‘अनुभव’ के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक संख्या है। यह शासन में उनकी बढ़ती भूमिका और योगदान को दर्शाता है। डीओपीपीडब्ल्यू 15 पुरस्कार विजेताओं की व्यावसायिक उपलब्धियों का समारोह मनाने और उन्हें रेखांकित करने के लिए एक लघु फिल्म और प्रशस्ति पुस्तिका भी जारी करेगा।
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की उपस्थिति में 55वीं सेवानिवृत्ति पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला का आयोजन करेगा ।
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग, सुशासन के एक हिस्से के रूप में, सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को सेवानिवृत्ति प्रक्रिया में सुविधा प्रदान करने के लिए, पूरे देश में सेवानिवृत्ति-पूर्व परामर्श (पीआरसी) कार्यशालाएं आयोजित कर रहा है। भारत सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लाभ के लिए आयोजित की जा रही यह कार्यशाला, पेंशनभोगियों के ‘जीवन को सुगम बनाने’ की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इस कार्यशाला में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति लाभों और पेंशन स्वीकृति प्रक्रिया से संबंधित सुसंगत जानकारी प्रदान की जाएगी।
सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए सुचारू बदलाव की सुविधा के लिए, भविष्य पोर्टल, एकीकृत पेंशनर्स पोर्टल, सेवानिवृत्ति लाभ, पारिवारिक पेंशन, सीजीएचएस नियम, आयकर नियम, अनुभव, डिजिटल जीवन प्रमाण पत्र, निवेश के अवसर आदि पर विभिन्न सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन सभी सत्रों को सेवानिवृत्त लोगों को अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और सेवानिवृत्ति से पहले भरे जाने वाले फॉर्म के बारे में जागरूक करने और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें मिलने वाले लाभों के बारे में जानकारी देने के लिए तैयार किया गया है।
विभिन्न निवेश मोड, उनके लाभ और योजना पर एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा ताकि सेवानिवृत्त लोग समय रहते अपने रिटायरमेंट फंड के निवेश की योजना बना सकें। सीजीएचएस प्रणाली, सीजीएचएस पोर्टल, प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के साथ-साथ सीजीएचएस लाभ प्राप्त करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं पर भी एक विस्तृत सत्र आयोजित किया जाएगा।
पीआरसी कार्यशाला के दौरान “बैंकों की प्रदर्शनी” आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया है, जिसमें सभी 18 पेंशन वितरण बैंक भाग लेंगे। प्रतिभागियों को पेंशनभोगियों से संबंधित सभी बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। बैंक सेवानिवृत्त लोगों को पेंशन खाता खोलने और उनके लिए उपयुक्त विभिन्न योजनाओं में पेंशन कोष का निवेश करने के बारे में भी मार्गदर्शन करेंगे।
उम्मीद है कि 31.03.2025 तक सेवानिवृत्त होने वाले लगभग 1,200 अधिकारियों को इस पूर्व-सेवानिवृत्ति परामर्श (पीआरसी) कार्यशाला से अत्यधिक लाभ होगा। विभाग सुशासन के हिस्से के रूप में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन करना जारी रखेगा, ताकि केंद्र सरकार के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए एक सहज और आरामदायक बदलाव सुनिश्चित किया जा सके। विभाग उन्हें सरकार द्वारा की जा रही पहलों के बारे में अद्यतन रखने के लिए सभी प्रयास कर रहा है ताकि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी सभी लाभों का लाभ उठा सकें।
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग 28 अगस्त, 2024 को नई दिल्ली में कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 11वीं राष्ट्रव्यापी पेंशन अदालत का आयोजन करेगा।
पेंशनभोगियों की शिकायतों का निवारण सरकार के लिए उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है। पेंशनभोगियों की शिकायतों के त्वरित समाधान के लिए पेंशन अदालतों का आयोजन डीओपीपीडब्ल्यू द्वारा किया जा रहा है, जिसमें कई हितधारकों को मौके पर ही निवारण के लिए एक ही प्लेटफार्म पर लाया जाता है। देश भर में आयोजित सभी पेंशन अदालतों में 17,760 (74 प्रतिशत निवारण दर) मामलों का समाधान किया गया।
11वीं पेंशन अदालत में लंबे समय से लंबित वरिष्ठ नागरिकों के पेंशन मामलों के समाधान पर ध्यान दिया जाएगा। पेंशन अदालत में गृह मंत्रालय, रक्षा वित्त विभाग, वाणिज्य मंत्रालय, भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, रेल मंत्रालय आदि सहित 22 मंत्रालय/विभाग भाग लेंगे। मंत्रालयों से संबंधित 298 मामलों पर चर्चा की जाएगी।
पेंशन एवं पेंशनभोगी कल्याण विभाग ने पेंशनभोगियों और बुजुर्ग नागरिकों के लिए एक साझा एकल खिड़की पोर्टल प्रदान करने के लिए भविष्य मंच को आधार के रूप में उपयोग करते हुए एक “एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल” विकसित किया है। भारतीय स्टेट बैंक, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया पहले से ही अपने पेंशन पोर्टल को एकीकृत पेंशनभोगी पोर्टल के साथ एकीकृत कर रहे हैं। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया कल इस वर्ग में शामिल हो जाएगा। वर्तमान में, इन बैंकों द्वारा 4 सुविधाएं अर्थात् मासिक पेंशन पर्ची, जीवन प्रमाण पत्र की स्थिति, पेंशनभोगी का फॉर्म 16 जमा करना और भुगतान किए गए पेंशन बकाया का देय और आहरित विवरण प्रदान की जा रही हैं। इसका लक्ष्य एकीकृत उपयोगकर्ता अनुभव के लिए सभी पेंशन संवितरण बैंकों को इस पोर्टल के साथ एकीकृत करना है।
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में गुरु पद्मसंभव के जीवन और विरासत पर दो दिवसीय सम्मेलन आयोजित करेगा
अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ बिहार के नालंदा में नव नालंदा महाविहार के सहयोग से गुरु पद्मसंभव के जीवन और उनके जीवंत विरासत पर 28 और 29 अगस्त, 2024 को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। गुरु रिनपोछे नाम से भी प्रसिद्ध गुरु पद्मसंभव आठवीं शताब्दी में प्राचीन भारत में रहते थे। बुद्ध धम्म में आज सबसे सम्मानित लोगों में से एक गुरु पद्मसंभव को हिमालय क्षेत्र में बुद्ध धम्म के प्रसार का श्रेय दिया जाता है।
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर मुख्य अतिथि के रूप में इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएंगे। लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट, नेपाल के उपाध्यक्ष परम श्रद्धेय खेनपो चिमेद और रॉयल भूटान मंदिर, सेंट्रल मोनास्टिक बॉडी, भूटान के सचिव/मुख्य भिक्षु खेनपो उगयेन नामग्याल सम्मेलन में सम्मानित अतिथि होंगे। दूसरे बुद्ध के रूप में माने जाने वाले गुरु पद्मसंभव को गुरु रिनपोछे भी कहा जाता है, वे हिमालय के प्रसिद्ध ऋषि रहे जो प्राचीन भारत में आठवीं शताब्दी में रहते थे।
इस सम्मेलन के प्रमुख विषयों में उनका जीवन और शिक्षाएं, हिमालय भर में उनकी यात्राएं और, सबसे खास, वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता शामिल होगी। गुरु पदमसंभव योगिक और तांत्रिक प्रथाओं से लेकर ध्यान, कला, संगीत, नृत्य, जादू, लोककथाओं और धार्मिक शिक्षाओं तक संस्कृति के कई पहलुओं के एकीकरण का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। सम्मेलन में पांडुलिपियों, अवशेषों, चित्रों और स्मारकों के माध्यम से उनकी धम्म विरासत का जश्न मनाने का एक ठोस प्रयास किया जाएगा।
सम्मेलन के प्रमुख विषयों में शामिल हैं:
1. जीवनी संबंधी अंतर्दृष्टि और पौराणिक कथाएं
2. वज्रयान बुद्ध धम्म और तंत्र की शिक्षाएं
3. सांस्कृतिक एवं कलात्मक योगदान
4. यात्राएं और क्षेत्रीय प्रभाव
5. विरासत और समसामयिक प्रासंगिकता
बुद्ध धम्म के मूल सिद्धांतों को फैलाने का प्रयास करते हुए गुरु पदमसंभव ने एक स्थान की विशिष्टताओं और लोगों की संवेदनाओं को समझा। इस प्रकार, उन्होंने अपनी शिक्षाओं को स्थानीय मुहावरे और संस्कृति में ढाला, जिससे आस्था को आत्मसात करना बहुत आसान हो गया। उनके जीवन और समय को याद करते हुए, सम्मेलन में भगवान बुद्ध के उत्कृष्ट संदेश को प्रसारित करने के लिए स्थानीय प्रतीकों और यहां तक कि अनुष्ठानों को माध्यम के रूप में उपयोग कर विभिन्न संस्कृतियों और धार्मिक परंपराओं के साथ उनके तालमेल बिठाने का जो दृष्टिकोण था, उसकी अंतर्दृष्टि मिलने की उम्मीद है।
पार्किंसंस रोग के प्रबंधन के लिए दवा की खुराक के समायोजन के लिए नया स्मार्ट सेंसर विकसित
पार्किंसंस रोग को न्यूरॉन कोशिकाओं में लगातार गिरावट से पहचाना जाता है जिससे हमारे शरीर में डोपामाइन (न्यूरोट्रांसमीटर) के स्तर में काफी कमी आ जाती है। एल-डोपा एक रसायन है जो हमारे शरीर में डोपामाइन में परिवर्तित हो जाता है, इसलिए यह एंटी-पार्किंसंस दवाओं के रूप में कार्य करता है।
यह डोपामाइन की कमी को पूरा करने में मदद करता है। जब तक शरीर को एल-डोपा की सही मात्रा दी जाती है, तब तक यह रोग नियंत्रण में रहता है। हालांकि, पार्किंसंस की प्रगामी प्रकृति के कारण, जैसे-जैसे रोगी की उम्र बढ़ती है, न्यूरॉन्स की निरंतर हानि को पूरा करने के लिए अधिक एल-डोपा की आवश्यकता होती है।
हालांकि, एल-डोपा की अधिक मात्रा से रोगी में डिस्केनेसिया, गैस्ट्राइटिस, साइकोसिस, पैरानोया ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन जैसे गंभीर दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जबकि एल-डोपा की बहुत कम मात्रा से पार्किंसंस के लक्षण वापस आ सकते हैं।
इस रोग की चिकित्सा में एल-डोपा के अधिकतम स्तर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, जैविक तरल पदार्थों में एल-डोपा की निगरानी के लिए एक सरल, किफायती, संवेदनशील और त्वरित विधि विकसित करने की आवश्यकता है।
अभी हाल में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) ने जैविक नमूनों में एल-डोपा के निम्न स्तर का तुरंत पता लगाने के लिए फ्लोरोसेंस टर्न-ऑन मैकेनिज्म का उपयोग करते हुए एक किफायती, उपयोगकर्ता के अनुकूल, पोर्टेबल स्मार्टफोन-आधारित ऑप्टिकल सेंसर प्रणाली विकसित की है।
सेंसर को कम ग्रेफीन ऑक्साइड नैनोकणों की सतह पर बॉम्बेक्स मोरी सिल्क कोकून से प्राप्त किए गए सिल्क-फाइब्रोइन प्रोटीन नैनो-लेयर की कोटिंग करके बनाया गया है। यह प्रणाली उत्कृष्ट फोटोलुमिनेसेंस गुणों के साथ कोर-शेल ग्रेफीन-आधारित क्वांटम डॉट्स का निर्माण करती है, जो इसे 5 μM से 35 μM की रैखिक सीमा के अंदर रक्त प्लाज्मा, पसीने और मूत्र जैसे वास्तविक नमूनों में एल-डोपा का पता लगाने के लिए एक प्रभावी फ्लोरोसेंट टर्न-ऑन सेंसर जांच बनाती है। समतुल्य पहचान सीमा का निर्धारण क्रमशः 95.14 एनएम, 93.81 एनएम और 104.04 एनएम किया गया है।
शोधकर्ताओं ने एक स्मार्टफोन-आधारित इलेक्ट्रॉनिक उपकरण तैयार किया है जिसमें एक इलेक्ट्रिक सर्किट 5 वी स्मार्टफोन चार्जर द्वारा संचालित 365 एनएम एलईडी से जुड़ा है। पूरे सेटअप को बाहरी प्रकाश से अलग करने के लिए एक अंधेरे कक्ष में रखा जाता है। यह सरल, किफायती और त्वरित स्क्रीनिंग उपकरण उन्नत उपकरणों की कमी वाले दूरदराज के क्षेत्रों में मौके पर ही विश्लेषक का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है।
रोगी के जैविक नमूनों में यह पता चलने पर कि क्या एल-डोपा का स्तर कम है, यह सेंसर रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए आवश्यक खुराक को समायोजित करने में मदद कर सकता है।
देश में कोयला उत्पादन सालाना आधार पर 7.12 प्रतिशत बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 370 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा
कोयला मंत्रालय ने 25 अगस्त 2024 तक कोयले के समग्र उत्पादन में वृद्धि हासिल की है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25.08.24 तक संचयी कोयला उत्पादन में महत्वपूर्ण वृद्धि होने से यह 370.67 मिलियन टन हो गया है जो वित्त वर्ष 2023-24 की इसी अवधि में हुए 346.02 मिलियन टन उत्पादन की तुलना में 7.12 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
इसके अलावा कोयले की कुल आवाजाही में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त, 2024 तक 397.06 मिलियन टन तक पहुंच गई है। यह पिछले वर्ष के 376.44 मिलियटन टन आवाजाही की तुलना में 5.48 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर को दर्शाती है।
बिजली क्षेत्र को कोयले के प्रेषण के संदर्भ में, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 25 अगस्त 2024 तक संचयी उपलब्धि 325.97 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान यह 313.44 मिलियन टन थी। यह वृद्धि 01.04.2024 के अनुसार टीपीपी में 47 मिलियन टन के विशाल शुरुआती भंडारण के बावजूद हासिल की गई है। यह बिजली क्षेत्र की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कोयले की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
खानों, टीपीपी और पारगमन में पिटहेड्स सहित कोयले के कुल स्टॉक की स्थिति 25 अगस्त 2024 तक 121.57 मिलियन टन तक पहुंच गई। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के 89.28 मिलियन टन के स्टॉक की तुलना में 36.2 प्रतिशत की पर्याप्त वृद्धि को दर्शाती है। इसके अतिरिक्त, 25 अगस्त, 2024 तक ताप विद्युत संयंत्रों (डीसीबी) में कोयले का स्टॉक 37.55 मिलियन टन है, जबकि पिछले वर्ष यह 29.47 मिलियन टन था, जो लगभग 27.41 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है।
कोयला स्टॉक की यह उच्च स्थिति कोयला मंत्रालय की कोयले की पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उत्पादन, प्रेषण और स्टॉक स्तरों में निरंतर वृद्धि, देश के ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों का समर्थन करते हुए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के बारे में मंत्रालय के प्रयासों को दर्शाती है।
केन्द्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से मिला भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 24 अगस्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन संबंधित एवम लंबित पड़े कई प्रमुख विषयो को लेकर केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के कार्यालय पर भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महामंत्री मुकेश सिंह ने डा. जितेंद्र सिंह के समक्ष विस्तार से विषयो को रखा जिसने उन्होंने पुरानी पेंशन को लागू करना, 8वां वेतन आयोग का गठन,, सभी शहरों में सीजीएचएस की सुविधा उपलब्ध कराना, विभागो में रिक्त पदों को भरना, मृतक आश्रितों को नौकरी प्रदान करना , आयकर की सीमा को बढ़ाना , कम्युटेशन पेंशन को कटौती अवधि को कम करना इत्यादि प्रमुख विषय थे । इस बैठक में माननीय जितेंद्र सिंह ने भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रतिनिधी मण्डल को आश्वासन भी दिया कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा तथा उचित फोरम पर इसका समाधान भी कराया जायेगा । तथा उन्होंने यह भी कहा की रक्षा संस्थानों से संबंधित विषयो को रक्षामंत्री महोदय के समक्ष भी रखा जाएगा, जिससे की मजदूरों को मांगो का शीघ्र समाधान हो सकें । वार्ता में विस्तार से चर्चा हुए विषय निम्नवत है –
1. नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त करना तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करना क्योंकि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तुलना में एनपीएस कम सुरक्षित तथा अधिक अनिश्चित साबित हुई है । ओपीएस की बहाली से सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा तथा स्थिरता सुनिश्चित होगी।
2. आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए क्योंकि वेतन आयोग न केवल वेतन तथा भत्तों की समीक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा शर्तों का मूल्यांकन भी करता है l
3. बड़े पैमाने पर सेवानिवृत्ति और पदों को न भरने के कारण विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में कई पद रिक्त पड़े हैं। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता बुरी तरह प्रभावित होती है। इसलिए केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए।
4. आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 800,000 रुपये किया जाना चाहिए और मानक कटौती को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी और 80डी के अंतर्गत मौद्रिक सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
5. केंद्रीय कर्मचारी समूह बीमा योजना 1980 का संशोधन: 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सीजीईजीआईएस को संशोधित किया जाना चाहिए। तथा15 हजार,30 हजार,60 हजार एवम 1 लाख 20 हजार रुपए बीमा राशि के स्थान पर न्यूनतम 15 लाख रुपये लागू करने की मांग करते हैं।
6. माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों और कैट के अनुकूल निर्णयों के बावजूद, केवल उन कर्मचारियों को यह लाभ मिला है जिन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इन तिथियों पर सेवानिवृत्त होने वाले सभी कर्मचारियों को पेंशन लाभ के लिए नोटेशनल इंक्रीमेंट प्रदान करने के लिए एक समान कार्यकारी आदेश जारी करने की मांग करते हैं।
7. पेंशन के कम्यूटेशन के लिए रिकवरी अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिए। क्योंकि यह रिकवरी 12 वर्ष में पूर्ण हो जाती है।
8. रक्षा मंत्रालय में समान रूप से स्थित गैर-याचिकाकर्ताओं के लिए न्यायालय के निर्णयों का काल्पनिक विस्तार करना ,एमईएस, डीजीओएस, आयुध कारखानों आदि के औद्योगिक कर्मचारियों को ड्रेस भत्ते का भुगतान, आयुध कारखानों में ओवरटाइम भत्ते का भुगतान (01.01.2006 से बकाया सहित), जिसमें एचआरए, परिवहन भत्ता और लघु परिवार भत्ता,रेलवे कर्मचारियों के बराबर रात्रि ड्यूटी भत्ते का भुगतान और 01.01.1996 से बकाया भुगतान किया जाना चाहिए।
9. आयुध कारखानों के कर्मचारियों के लिए प्रसार भारती मॉडल का क्रियान्वयन करना क्योंकि इस मॉडल को अपनाने से आयुध कारखानों की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करके रक्षा क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
10. रक्षा प्रतिष्ठानों के विघटन, जनशक्ति में कमी, ठेकाकरण,निजीकरण को रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के उपायों से रक्षा नागरिकों की नौकरी की सुरक्षा और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसके स्थान पर स्थाई रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए।
11. रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए 5% की अधिकतम सीमा पर एक बार छूट देकर सामाजिक सुरक्षा और कल्याण का विस्तार होना चाहिए जिससे रक्षा नागरिकों की असामयिक मृत्यु से प्रभावित परिवारों को राहत और सहायता मिलेगी तथा ऐसे कठिन समय में उनका वित्तीय बोझ कम होगा।
12. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जिनमे सेवारत कर्मचारियों के लिए कैशलेस उपचार सुविधा का विस्तार ,निजी नर्सिंग होम को CGHS से मान्यता, सीएस (एमए) लाभार्थियों को पहचान पत्र जारी करना, मेडिकल इम्प्लांट के मापदंडों को तय करना, पुरानी बीमारियों के लिए रेफरल वैधता को न्यूनतम 6 माह करना इत्यादि मांग प्रमुख रूप से है ।
इस बैठक में प्रमुख रूप से बी. सुरेंद्रन,अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ, देवेन्द्र पाण्डेय, मुकेश सिंह, अखिल भारतीय महामंत्री, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ उपस्थित थे।
Read More »पीवीटीजी बहुल जनजातीय क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाने और सरकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ सुनिश्चित करने के लिए 23 अगस्त से 10 सितंबर, 2024 तक पीएम-जनमन मिशन पर आईईसी अभियान का आयोजन
अभियान गतिविधियाँ और पहुंच
पिछले वर्ष 100 जिलों में एक व्यापक आईईसी अभियान चलाया गया था, जिसके तहत 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लगभग 500 ब्लॉक और 15,000 पीवीटीजी बस्तियों को शामिल किया गया था। इस वर्ष, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 194 जिलों की 28,700 पीवीटीजी बस्तियों में 10.7 लाख पीवीटीजी परिवारों के 44.6 लाख पीवीटीजी व्यक्तियों तक पहुंचने के लिए और व्यापक अभियान की परिकल्पना की जा रही है। राज्यों से लेकर जिलों तक, ब्लॉक से गांव तक और पीवीटीजी बस्ती स्तर तक जागरूकता जगाने के कार्य को सभी स्तरों पर अंजाम दिया जाएगा।
इस अभियान का उद्देश्य पीवीटीजी परिवारों को प्रमुख व्यक्तिगत अधिकारों का लाभ प्रदान करना और पीवीटीजी बस्तियों को बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए पीएम-जनमन हस्तक्षेपों के बारे में जानकारी प्रदान करना है, ताकि इन जनजातीय समुदायों को केंद्र और राज्य की योजनाओं और उनके तहत मिलने वाले लाभों के बारे में जागरूक किया जा सके। इस पहल में हर उस पीवीटीजी परिवार को शामिल किया जाएगा जिनसे दूरी, सड़क और डिजिटल कनेक्टिविटी की कमी के कारण संपर्क नहीं हो सका है। ऐसे परिवारों को उनके घर पर ही सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए हाट बाजार, सामुदायिक सेवा केंद्र, ग्राम पंचायत, आंगनवाड़ी, बहुउद्देशीय केंद्र, वनधन विकास केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र जैसे स्थानों का उपयोग किया जाएगा। इसके अलावा, अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए माईभारत स्वयंसेवकों, नेहरू युवक केंद्रों, कृषि विज्ञान केंद्रों, एनएसएस, एनसीसी, एसएचजी/एफपीओ और अन्य ऐसे निकायों से सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा की जा रही है।
- पूरी अभियान अवधि के दौरान, आधार कार्ड, सामुदायिक प्रमाण पत्र, जन धन खाते और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के लाभार्थियों को पट्टे प्रदान किए जाएंगे क्योंकि ये अन्य योजनाओं के लिए बुनियादी आवश्यकताएं हैं।
- पीएम जनमन हस्तक्षेप कार्ड पीवीटीजी की भाषा में वितरित किए जाएंगे।
- अभियान के एक हिस्से में लाभार्थी संतृप्ति शिविर और स्वास्थ्य शिविर भी शामिल होगा। ये शिविर व्यक्तियों/परिवारों के लिए योजनाओं के तहत तत्काल लाभ प्रदान करने और पीवीटीजी समूहों के लिए विशेष रूप से स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों जैसे सिकल सेल रोग के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- स्थानीय और जनजातीय भाषाओं में पैम्फलेट, वीडियो, क्रिएटिव, इन्फोग्राफिक्स आदि जैसी जागरूकता सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
- पीएम-जनमन के प्रमुख संदेशों से युक्त विषयों को दीवारों पर पेंटिंग के रूप में पीवीटीजी बस्तियों में सजाया जाएगा।
- यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाएंगे कि छात्रवृत्ति, मातृत्व लाभ योजना, किसान क्रेडिट कार्ड, किसान सम्मान निधि, एससीडी के रोगियों के लिए विकलांगता प्रमाण पत्र आदि जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ पात्र पीवीटीजी लाभार्थियों तक पहुंचे।
- योजना के लाभार्थी और उपलब्धि प्राप्त करने वाले लोग विशेष सत्रों में अपनी सफलता की कहानियां सुनाएंगे ताकि समुदाय के अन्य सदस्यों को आगे आने के लिए प्रेरित किया जा सके।
अभियान की निगरानी के लिए प्रत्येक जिले में जिला स्तर पर अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, जबकि राज्य स्तर के अधिकारी अभियान और मिशन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के साथ समन्वय करेंगे। सभी संबंधित विभागों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए नियमित अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ-साथ सलाहकारों और निचले स्तर तक के अन्य संविदा कर्मियों के लिए अभिविन्यास कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी। इसके अलावा, विभिन्न राज्यों में जनजातीय अनुसंधान संस्थान जिला, ब्लॉक और जनजातीय आवास स्तरों पर इन गतिविधियों की योजना बनाने और उन्हें क्रियान्वित करने में सहायता करेंगे।
मिशन का उद्देश्य
पीएम-जनमन मिशन अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक 24,104 करोड़ रुपये (केंद्रीय हिस्सा: 15,336 करोड़ रुपये और राज्य हिस्सा: 8,768 करोड़ रुपये) के बजटीय परिव्यय के साथ 9 प्रमुख संबद्ध मंत्रालयों/विभागों से संबंधित 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों पर केंद्रित है।
अन्य योजनाओं और मंत्रालयों/विभागों से जुड़े 10 अन्य हस्तक्षेपों की भी पहचान की गई है जो पीवीटीजी के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं जैसे आधार में नामांकन, सामुदायिक प्रमाण पत्र जारी करना, पीएम-जनधन योजना, पीएम गरीब कल्याण योजना, आयुष्मान कार्ड, पीएम किसान सम्मान निधि, किसान क्रेडिट कार्ड, व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकारों के लंबित मामलों का समाधान आदि।
15 दिसंबर, 2023 को आयोजित राष्ट्रीय मंथन शिविर के दौरान मिशन की कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा की गई, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों के 700 से अधिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से विचार-विमर्श किया। इसके बाद, इस वर्ष 18-19 जुलाई, 2024 को पीएम-जनमन के तहत की गई गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा के लिए दो दिवसीय मंथन शिविर आयोजित किया गया, जिसमें राज्य आदिवासी कल्याण विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव, निदेशक और अधिकारी शामिल हुए। पीएम-जनमन के दूसरे चरण के लिए नई पहलों पर भी चर्चा की गई।
मंत्रिमंडल ने बागडोगरा और बिहटा हवाई अड्डों पर प्रमुख नागरिक उड्डयन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को मंजूरी दी
बागडोगरा में नए सिविल एन्क्लेव, 1549.00 करोड़ रुपये के निवेश के साथ, 3,000 पीक ऑवर पैसेंजर्स (पीएचपी) के लिए डिज़ाइन किया गया 70,390 वर्ग मीटर का टर्मिनल और 10 मिलियन यात्रियों की वार्षिक क्षमता प्रदान करेगा। इस परियोजना में ए-321 प्रकार के विमानों के लिए 10 पार्किंग बे, दो लिंक टैक्सीवे और एक बहु-स्तरीय कार पार्किंग सुविधा के साथ एक एप्रन का निर्माण शामिल है। टर्मिनल एक ग्रीन बिल्डिंग होगी, जिसमें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को शामिल किया जाएगा और स्थिरता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता के अनुरूप प्राकृतिक प्रकाश को अधिकतम किया जाएगा।
पटना हवाई अड्डे पर बढ़ते यातायात को ध्यान में रखते हुए, बिहटा हवाई अड्डे पर एक नई नागरिक उड्डयन सुविधा का रणनीतिक निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना के तहत बनने वाला नया टर्मिनल 1413 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा और यह 66,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनेगा। इसे एक समय में 3,000 (पीक ऑवर) यात्रियों की क्षमता और 5 मिलियन की वार्षिक यात्री प्रबंधन क्षमता के साथ लॉन्च किया जाएगा। वार्षिक क्षमता को 10 मिलियन तक विस्तारित किया जाएगा। इस परियोजना में A-321/B-737-800/A-320 प्रकार के विमानों के लिए 10 पार्किंग बे और दो टैक्सीवे शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि “ये परियोजनाएं सिर्फ बुनियादी ढांचे के विस्तार के बारे में नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये लोगों की भविष्य की जरूरतों को पूरा करने और आसपास के क्षेत्रों के आर्थिक विकास में योगदान देने की दूरदर्शिता का प्रतिनिधित्व करते हैं। हम इन परियोजनाओं को समय पर और उच्चतम मानकों के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम इन्हें वर्तमान और भविष्य की मांगों को पूरा करने के लिए डिजाइन कर रहे हैं।”
भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने कानपुर कैंट में रोजगार मेले का आयोजन किया
इस आयोजन के माध्यम से चयनित हुए पूर्व सैनिकों के साक्षात्कार/स्क्रीनिंग की जाएगी और उसके बाद उन्हें वरिष्ठ पर्यवेक्षकों तथा मध्य/वरिष्ठ स्तर के प्रबंधकों से लेकर रणनीतिक योजनाकारों व परियोजना निदेशकों तक के पदों पर नियुक्त किया जाएगा। यह आयोजन कॉरपोरेट जगत और भूतपूर्व सैनिकों दोनों के लिए लाभदायक रहा है। इस कार्यक्रम से भूतपूर्व सैनिकों को अपनी तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता दिखाने के लिए एक मंच मिला है, वहीं दूसरी तरफ कॉरपोरेट जगत को अनुभवी, अनुशासित एवं प्रशिक्षित भूतपूर्व सैनिकों के समूह का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हुआ। इस मेले के दौरान विभिन्न कंपनियों द्वारा उद्यमिता मॉडल भी प्रस्तुत किए गए।
रोजगार मेले का उद्घाटन सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितिन चंद्रा ने किया और इसमें मध्य कमान मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा तथा पुनर्वास महानिदेशक मेजर जनरल एसबीके सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।