भारतीय स्वरूप संवाददाता त्यौहार की शुरुआत होते ही एच ब्लॉक किदवई नगर में बढी चोरियो की संख्या, कहीं यह किसी बड़ी घटना का आगाज तो नहीं… जी हां पिछले कई दिनों से किदवई नगर बाईपास किनारे स्थित एच ब्लॉक में ग्रीन बेल्ट से लगे हुए घरों के बाहर प्रायः चोरियो की घटनाएं हो रही है। चूंकि सभी वारदाते बड़े स्तर की न होकर छोटी छोटी चोरिया जैसे जाली, ग्रिल, लोहे की रॉड आदि है इसलिए लोग इन्हें लेकर पुलिस के पास नही जाते जिससे चोरों के हौसले दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे है। ऐसा ही वाकया आज सबेरे तकरीबन 3 बजकर चालीस मिनट पर देखने में आया जब स्वैच्छिक दुनिया समाचार पत्र के ऑफिस के सामने लगे हुए स्टील के रॉड को तोड़ते हुए दो चोर दिखाई दिए। दिन में उस रॉड के टुकड़े आगे फुटपाथ पर नमकीन की दुकान पर दिखाई दिए। सीसीटीवी फुटेज किदवई नगर थाना प्रभारी बहादुर सिंह को भेज दी गई और उन्हें पूरे मामले से अवगत करा दिया गया है। उन्होंने संजय वन चौकी इंचार्ज को कार्यवाही के लिए आदेशित भी किया है। बताते चलें कि पिछले वर्ष इसी समय एच ब्लॉक दो बड़ी चोरियां हुई थी। अब देखना है कि पुलिस किस चुस्ती फुर्ती से चोरों का हौसला पस्त करने हेतु कदम उठाती है वर्ना गणेश पूजन और राम लीला आदि त्योहारों में चोरी एक बड़ी समस्या हो सकती है।
कानपुर
केन्द्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह से मिला भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ का प्रतिनिधिमंडल
भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर 24 अगस्त सरकारी कर्मचारियों के वेतन संबंधित एवम लंबित पड़े कई प्रमुख विषयो को लेकर केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह के कार्यालय पर भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महामंत्री मुकेश सिंह ने डा. जितेंद्र सिंह के समक्ष विस्तार से विषयो को रखा जिसने उन्होंने पुरानी पेंशन को लागू करना, 8वां वेतन आयोग का गठन,, सभी शहरों में सीजीएचएस की सुविधा उपलब्ध कराना, विभागो में रिक्त पदों को भरना, मृतक आश्रितों को नौकरी प्रदान करना , आयकर की सीमा को बढ़ाना , कम्युटेशन पेंशन को कटौती अवधि को कम करना इत्यादि प्रमुख विषय थे । इस बैठक में माननीय जितेंद्र सिंह ने भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के प्रतिनिधी मण्डल को आश्वासन भी दिया कि कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखा जाएगा तथा उचित फोरम पर इसका समाधान भी कराया जायेगा । तथा उन्होंने यह भी कहा की रक्षा संस्थानों से संबंधित विषयो को रक्षामंत्री महोदय के समक्ष भी रखा जाएगा, जिससे की मजदूरों को मांगो का शीघ्र समाधान हो सकें । वार्ता में विस्तार से चर्चा हुए विषय निम्नवत है –
1. नई पेंशन योजना (एनपीएस) को समाप्त करना तथा पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को बहाल करना क्योंकि पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की तुलना में एनपीएस कम सुरक्षित तथा अधिक अनिश्चित साबित हुई है । ओपीएस की बहाली से सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा तथा स्थिरता सुनिश्चित होगी।
2. आठवें केंद्रीय वेतन आयोग का गठन किया जाना चाहिए क्योंकि वेतन आयोग न केवल वेतन तथा भत्तों की समीक्षा करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए सेवा शर्तों का मूल्यांकन भी करता है l
3. बड़े पैमाने पर सेवानिवृत्ति और पदों को न भरने के कारण विभिन्न केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में कई पद रिक्त पड़े हैं। इससे सरकारी विभागों की कार्यकुशलता बुरी तरह प्रभावित होती है। इसलिए केंद्र सरकार के विभागों/संस्थाओं में रिक्त पदों को भरा जाना चाहिए।
4. आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 800,000 रुपये किया जाना चाहिए और मानक कटौती को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80सी और 80डी के अंतर्गत मौद्रिक सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए।
5. केंद्रीय कर्मचारी समूह बीमा योजना 1980 का संशोधन: 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सीजीईजीआईएस को संशोधित किया जाना चाहिए। तथा15 हजार,30 हजार,60 हजार एवम 1 लाख 20 हजार रुपए बीमा राशि के स्थान पर न्यूनतम 15 लाख रुपये लागू करने की मांग करते हैं।
6. माननीय सर्वोच्च न्यायालय और विभिन्न उच्च न्यायालयों और कैट के अनुकूल निर्णयों के बावजूद, केवल उन कर्मचारियों को यह लाभ मिला है जिन्होंने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। हम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इन तिथियों पर सेवानिवृत्त होने वाले सभी कर्मचारियों को पेंशन लाभ के लिए नोटेशनल इंक्रीमेंट प्रदान करने के लिए एक समान कार्यकारी आदेश जारी करने की मांग करते हैं।
7. पेंशन के कम्यूटेशन के लिए रिकवरी अवधि को 15 वर्ष से घटाकर 12 वर्ष किया जाना चाहिए। क्योंकि यह रिकवरी 12 वर्ष में पूर्ण हो जाती है।
8. रक्षा मंत्रालय में समान रूप से स्थित गैर-याचिकाकर्ताओं के लिए न्यायालय के निर्णयों का काल्पनिक विस्तार करना ,एमईएस, डीजीओएस, आयुध कारखानों आदि के औद्योगिक कर्मचारियों को ड्रेस भत्ते का भुगतान, आयुध कारखानों में ओवरटाइम भत्ते का भुगतान (01.01.2006 से बकाया सहित), जिसमें एचआरए, परिवहन भत्ता और लघु परिवार भत्ता,रेलवे कर्मचारियों के बराबर रात्रि ड्यूटी भत्ते का भुगतान और 01.01.1996 से बकाया भुगतान किया जाना चाहिए।
9. आयुध कारखानों के कर्मचारियों के लिए प्रसार भारती मॉडल का क्रियान्वयन करना क्योंकि इस मॉडल को अपनाने से आयुध कारखानों की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करके रक्षा क्षेत्र के समग्र विकास में योगदान मिलेगा।
10. रक्षा प्रतिष्ठानों के विघटन, जनशक्ति में कमी, ठेकाकरण,निजीकरण को रोका जाना चाहिए क्योंकि इस तरह के उपायों से रक्षा नागरिकों की नौकरी की सुरक्षा और कल्याण पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसके स्थान पर स्थाई रोजगार प्रदान किया जाना चाहिए।
11. रक्षा प्रतिष्ठानों में अनुकंपा नियुक्तियों के लिए 5% की अधिकतम सीमा पर एक बार छूट देकर सामाजिक सुरक्षा और कल्याण का विस्तार होना चाहिए जिससे रक्षा नागरिकों की असामयिक मृत्यु से प्रभावित परिवारों को राहत और सहायता मिलेगी तथा ऐसे कठिन समय में उनका वित्तीय बोझ कम होगा।
12. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे जिनमे सेवारत कर्मचारियों के लिए कैशलेस उपचार सुविधा का विस्तार ,निजी नर्सिंग होम को CGHS से मान्यता, सीएस (एमए) लाभार्थियों को पहचान पत्र जारी करना, मेडिकल इम्प्लांट के मापदंडों को तय करना, पुरानी बीमारियों के लिए रेफरल वैधता को न्यूनतम 6 माह करना इत्यादि मांग प्रमुख रूप से है ।
इस बैठक में प्रमुख रूप से बी. सुरेंद्रन,अखिल भारतीय संगठन मंत्री भारतीय मजदूर संघ, देवेन्द्र पाण्डेय, मुकेश सिंह, अखिल भारतीय महामंत्री, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ उपस्थित थे।
Read More »भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग ने कानपुर कैंट में रोजगार मेले का आयोजन किया
इस आयोजन के माध्यम से चयनित हुए पूर्व सैनिकों के साक्षात्कार/स्क्रीनिंग की जाएगी और उसके बाद उन्हें वरिष्ठ पर्यवेक्षकों तथा मध्य/वरिष्ठ स्तर के प्रबंधकों से लेकर रणनीतिक योजनाकारों व परियोजना निदेशकों तक के पदों पर नियुक्त किया जाएगा। यह आयोजन कॉरपोरेट जगत और भूतपूर्व सैनिकों दोनों के लिए लाभदायक रहा है। इस कार्यक्रम से भूतपूर्व सैनिकों को अपनी तकनीकी और प्रशासनिक क्षमता दिखाने के लिए एक मंच मिला है, वहीं दूसरी तरफ कॉरपोरेट जगत को अनुभवी, अनुशासित एवं प्रशिक्षित भूतपूर्व सैनिकों के समूह का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त हुआ। इस मेले के दौरान विभिन्न कंपनियों द्वारा उद्यमिता मॉडल भी प्रस्तुत किए गए।
रोजगार मेले का उद्घाटन सचिव (भूतपूर्व सैनिक कल्याण) डॉ नितिन चंद्रा ने किया और इसमें मध्य कमान मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल मुकेश चड्ढा तथा पुनर्वास महानिदेशक मेजर जनरल एसबीके सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए।
सघन मत्स्य पालन हेतु एयरेशन सिस्टम की स्थापना नामक नवीन योजना शुभारम्भ
भारतीय स्वरूप कानपुर 24 अगस्त, (सू0वि0) सहायक निदेशक मत्स्य ने बताया कि उ0प्र0 के तालाबों में सघन मत्स्य पालन करते हुये अधिकाधिक मत्स्य उत्पादन प्राप्त करते हुये जल गुणवत्ता, रोग और रोगजनकों, जलीय वनस्पतियों तालाब में घुलित आक्सीजन के स्तर प्रबन्धन करने, जल कृषि में सभी एरोबिक जलीय जीवों को जीवित रहने एवं विकास के लिये निर्धारित मानक के अनुसार घुलित आक्सीजन का स्तर तालाब में बनाये रखने की आवश्यकता के दृष्टिगत इस नवीन योजना को संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। जिसकी पात्रता की शर्तों के बारे में बताया कि शासन के द्वारा दिये गये निर्देशों के अनुसार एक नवीन योजना सघन मत्स्य पालन हेतु एयरेशन सिस्टम की स्थापना प्रारम्भ की गई है। योजना के अर्न्तगत मत्स्य बीज हैचरी संचालित करने वाले हैचरी स्वामी, निजी क्षेत्र एवं पट्टे पर आवंटित तालाब की महिला मत्स्य पालक जिनके तालाब की पट्टा अवधि कम से कम 5 वर्ष अवशेष हो एवं विद्युत कनेक्शन/जनरेटर की उपलब्धता हो, पात्र होंगें। परियोजनार्न्तगत 0.50 हें0 के तालाब में 2 हार्सपावर के एक काड पैडिल व्हील एरियेटर एवं 1.00 हे0 या उससे बडे तालाब हेतु अधिकतम दो एरियेटर पर महिला मत्स्य पालक जिनके तालाब की वर्तमान उत्पादकता कम से कम 4-5 टन प्रति हे0 की हो, के उत्पादन में वृद्धि हेतु अनुदान दिया जायेगा। परियोजना पूर्णतः महिला मत्स्य पालकों के लिये संचालित की गयी है।
आवश्यक अभिलेख के बारे में बताया कि आवेदनकर्ता की पासपोर्ट साइज की फोटो, आवेदनकर्ता का पहचान पत्र (आधार कार्ड), आवेदनकर्ता के बैंक खाते का विवरण (पासबुक की छायाप्रति अथवा बैंक स्टेटमेंट), आवेदनकर्ता के तालाब पट्टा/निजी तालाब/हैचरी/भूमि के अभिलेख की कॉपी, विद्युत कनेक्शन का साक्ष्य।
आवेदन करने के बारे में बताया कि उक्त योजना में विभागीय वेबसाइट http://fisheries.up.gov.in पर आनलाइन आवेदन किया जाना होगा। योजनार्न्तगत अन्य विवरण, इकाई लागत आवेदन करने की प्रक्रिया, आवेदन के साथ संलग्न किये जाने वाले अभिलेख व विस्तृत विवरण विभागीय वेबसाइट पर देखा जा सकता है। योजना में आनलाइन आवेदन दिनांक 20 अगस्त, 2024 से दिनांक 03 सितम्बर, 2024 तक और किये जाने हेतु आवेदन तिथि बढायी जाती है ।
उन्होंने बताया कि योजना हेतु आवेदक को इकाई लागत रू0 0.75 लाख प्रति यूनिट पर सामान्य, अन्य पिछडा वर्ग की महिलाओं हेतु 50 प्रतिशत अनुदान तथा अनुसूचित जाति की महिलाओं हेतु 60 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा। योजना के सम्बन्ध में मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक मत्स्य, मण्डलीय एवं मत्स्य निदेशालय के कार्यालय से किसी भी कार्य दिवस में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न
भारतीय स्वरूप कानपुर 23 अगस्त उद्यमियों की विभिन्न विभागों से सम्बन्धित समस्याओं के निराकरण के लिए मण्डलायुक्त की अध्यक्षता में मण्डलीय उद्योग बंधु की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में मुख्य रूप से उपाध्यक्ष, कानपुर विकास प्राधिकरण, नगर आयुक्त, मुख्य अभियंता दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम, अधीक्षण अभियंता लोक निर्माण विभाग, अधीक्षण अभियंता उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय), अधिशाषी अभियंता उ0प्र0 जल निगम (नगरीय), महाप्रबंधक जलकल विभाग, सचिव जलकल विभाग, अधीक्षण अभियंता केस्को अधिशाषी अभियंता केस्को, उपायुक्त जी0एस0टी0, क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा, मुख्य अग्निशमन अधिकारी, उपायुक्त उद्योग कानपुर नगर, कानपुर देहात, फर्रूखाबाद, कन्नौज, इटावा, औरैया तथा उद्यमी श्री मनोज बंका, श्री उमंग अग्रवाल, श्री बृजेश अवस्थी, श्री लाडली प्रसाद, श्री सुशील शर्मा, श्री सुशील टकरू, श्री अमन घई सहित एसोसिएशन के अनेक प्रतिनिधि, उद्यमी एवं अन्य अधिकारीगण उपस्थित रहे।
श्री उमंग अग्रवाल महासचिव फीटा द्वारा विगत बैठक में पनकी अग्निशमन केन्द्र, पनकी से कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन कराये जाने की मांग की गयी थी। मुख्य अग्निशमन अधिकारी, कानपुर नगर द्वारा अवगत कराया गया कि मण्डलीय उद्योग बंधु समिति की बैठक में उद्यमियों की मांग के अनुसार कन्ट्रोल रूम और जी0 डी0 का संचालन करा दिया गया है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया।
श्री बृजेश अवस्थी नगर अध्यक्ष पी0आई0ए0 द्वारा पनकी साइट-2 में पानी संचय हेतु टैंक बनाये जाने का अनुरोध किया गया है, जिससे अग्निकाल में पानी की आपूर्ति हो सके। इस सम्बन्ध में सचिव, जलकल विभाग नगर निगम, कानपुर द्वारा अवगत कराया गया कि क्षेत्र में 2 टैंकर प्रतिदिन नियमित रूप से पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रश्नगत क्षेत्र में 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत डीप बोर नलकूप के अधिष्ठान का कार्य किया जा रहा है तथा 15वें वित्त आयोग के अन्तर्गत 1500 मी0 पाइप लाइन बिछाये जाने के कार्य की स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। उपस्थित उद्यमीगण द्वारा त्वरित कार्यवाही करने के लिए मण्डलायुक्त महोदय का करतल ध्वनि से धन्यवाद दिया गया। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा सचिव, जलकल को निर्देशित किया गया कि अपने प्लान में पानी संचय हेतु टैंक को भी सम्मिलित करें।
कानपुर में औद्योगिक क्षेत्रों में सीवर लाइन डाले जाने के सम्बन्ध में अब तक की स्थिति की समीक्षा की गयी। अधीक्षण अभियंता, उत्तर प्रदेश जल निगम (नगरीय) द्वारा अवगत कराया गया कि एस0टी0पी0 एवं आई0एस0टी0 की स्थापना कराये जाने हेतु भूमि की चिन्हित कराये जाने हेतु प्रयास किया जा रहा है। मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को निर्देशित किया गया कि तत्काल भूमि का चिन्हांकन करायें।
दादानगर विद्युत सब स्टेशन की भूमि हेतु अधीक्षण अभियंता, केस्को को निर्देशित किया गया कि क्षेत्रीय प्रबंधक यूपीसीडा से समन्वय करते हुए तीन दिन के अन्दर स्थलीय निरीक्षण कर भूमि का चिन्हांकन कर अवगत करायें।
एल0एम0एल0 चैराहे से भौंती बाईपास तक सड़क के किनारे ग्रीन बेल्ट बनाये जाने के सम्बन्ध में पी0आई0ए0 द्वारा किये गये अनुरोध के क्रम में नगर निगम तथा वन विभाग के सहयोग से 1.4 कि0 मी0 की बाउण्ड्रीवाल बन गयी है तथा उसमें वृक्षारोपण का कार्य कराया जा रहा है। औद्योगिक संगठनों द्वारा मांग की गयी कि इस क्षेत्र का अतिक्रमण हटवाये जाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाये। इस सम्बन्ध में मण्डलायुक्त महोदय द्वारा नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
अन्त में उद्यमी संगठनों द्वारा उनकी समस्याओं को संयमित रूप से सुनने एवं उनके समयबद्ध रूप से निस्तारण करने हेतु मण्डलायुक्त महोदय का धन्यवाद अर्पित किया गया।
आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर सीधी भर्ती-2023 की लिखित परीक्षा को नकल विहीन सम्पन्न कराने के लिए जिलाधिकारी द्वारा मुख्य कोषागार का निरीक्षण
भारतीय स्वरूप 23 अगस्त,2024 कानपुर नगर आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर सीधी भर्ती-2023 की लिखित परीक्षा को नकल विहीन सम्पन्न कराने के लिए जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह द्वारा आज प्रातः काल मुख्य कोषागार का निरीक्षण किया गया। जनपद के 69 पुलिस परीक्षा केन्द्रो पर कड़ी सुरक्षा के बीच स्टेटिक मजिस्ट्रेट के द्वारा प्रश्नपत्र पहुंचाया गया। तदोपरांत जिलाधिकारी द्वारा जनपद के विभिन्न परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण किया गया। उ०प्र० पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड, लखनऊ द्वारा दिनांक 23, अगस्त 2024 को आयोजित आरक्षी नागरिक पुलिस के पदों पर सीधी भर्ती-2023 की लिखित परीक्षा केंद्रों का निरीक्षण किया गया।
नकल विहीन परीक्षा सम्पन्न कराने के लिए जनपद के 69 परीक्षा केन्द्रो पर सेक्टर ,स्टेटिक मजिस्ट्रेट/केन्द्र व्यवस्थापक/सहायक केन्द्र व्यवस्थापक/परीक्षा सहायक की ड्यूटी लगाई गई हैं।जनपद के 69 परीक्षा केन्द्रो में ,69 स्टेटिक मजिस्ट्रेट(प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर एक स्टेटिक मजिस्ट्रेट),69सेक्टर मजिस्ट्रेट(प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर एकसेक्टर मजिस्ट्रेट), सहायक केंद्र व्यवस्थापक 69(प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर एक सहायक केंद्र व्यवस्थापक), परीक्षा सहायक 69(प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर एक परीक्षा सहायक),की ड्यूटी लगाई गई हैं। सेक्टर मजिस्ट्रेट के साथ आरक्षी की तैनाती की गई है एवं परीक्षा केन्द्रों, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे व अन्य महत्वपूर्ण स्थानो पर पुलिस की तैनाती की गई हैं।
उक्त परीक्षा के संबंध में आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था हेतु मुख्य चिकित्साधिकारी, को एकर्ट मोड़ में रहने के निर्देश दिए गए हैं। परीक्षार्थियों व उनके परिजनो हेतु रेलवे विभाग तथा परिवहन विभाग को अतिरिक्त ट्रेनों/बसों के सचालन हेतु निर्देशित किया गया है। जनपद कानपुर नगर में दो पालियों में पूर्वान्ह10-00 बजे से12-00 बजे तक अपरान्ह 3-00 बजे से 5-00 बजे तक परीक्षा सम्पन्न होगी। जनपद में 25800 परीक्षार्थी द्वारा प्रति पाली (प्रतिदिन) में परीक्षा दी जाएगी ।
जिलाधिकारी द्वारा आज जनपद के विभिन्न परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण किया गया। जिलाधिकारी द्वारा कैलाश नाथ बालिका इंटर कॉलेज ,जी0एन0के0 इंटर कॉलेज,डी0ए0वी0 इंटर कॉलेज,डी0ए0वी0 डिग्री कॉलेज, दयानंद गर्ल्स डिग्री कॉलेज सिविल लाइन, दयानंद कॉलेज ऑफ़ लॉ सिविल.लाइन, पी0पी0एन0 पी0जी0 कॉलेज का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया ।
Read More »राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 प्रदान किए

राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के पहले संस्करण में, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को चार श्रेणियों – विज्ञान रत्न, विज्ञान श्री, विज्ञान युवा और विज्ञान टीम में 33 पुरस्कार प्रदान किए गए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में आजीवन योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिया जाने वाला विज्ञान रत्न पुरस्कार, भारत में आणविक जीव विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान के अग्रणी वैज्ञानिक प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभन को प्रदान किया गया। विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विशिष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को दिए जाने वाले विज्ञान श्री पुरस्कार, 13 वैज्ञानिकों को उनके संबंधित क्षेत्रों में अग्रणी अनुसंधान के लिए प्रदान किए गए। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को मान्यता देने के लिए दिया जाने वाला विज्ञान युवा-एसएसबी पुरस्कार, हिंद महासागर के गर्म होने और इसके परिणामों पर अध्ययन के साथ साथ स्वदेशी 5-जी बेस स्टेशन के विकास और क्वांटम यांत्रिकी के संचार और सटीक परीक्षणों के क्षेत्रों में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए 18 वैज्ञानिकों को दिया गया। विज्ञान टीम पुरस्कार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अभूतपूर्व अनुसंधान योगदान देने के लिए 3 या अधिक वैज्ञानिकों की एक टीम को दिया जाता है, चंद्रयान -3 की टीम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान -3 लैंडर की सफल लैंडिंग के लिए दिया गया था।विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ.जितेंद्र सिंह ने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को इस वर्ष से शुरू होने वाले राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार-2024 के पहले संस्करण को प्रस्तुत करने के लिए अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इन पुरस्कारों का उद्देश्य भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में भारतीय वैज्ञानिकों की असाधारण उपलब्धियों को मान्यता प्रदान करना है।
पुरस्कारों के कुछ महत्वपूर्ण प्राप्तकर्ताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
प्रोफेसर गोविंदराजन पद्मनाभ, एनएएसआई मानद वैज्ञानिक और प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर: प्रोफेसर पद्मनाभन ने नई दिल्ली में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग सहायता परिषद के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो 1800 इनक्यूबेटर्स का समर्थन करती है और जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 800 से अधिक उत्पादों का निर्माण करती है। प्रो. पद्मनाभन ने मलेरिया का कारण बनने वाले प्लास्मोडियम के हीम-बायो सिंथेटिक मार्ग को स्पष्ट किया और देश में कई आणविक जीव विज्ञान/बायोटेक अनुसंधान प्रयासों का नेतृत्व किया।
डॉ. आनंद रामकृष्णन, निदेशक, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर) – नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: डॉ आनंदरामकृष्णन ने खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और नवीन खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकियों, पोषक तत्व वितरण प्रणालियों, 3-डी खाद्य मुद्रण, भोजन की समझ संरचना और पाचन, और स्थायी खाद्य प्रणालियों को प्राप्त करने की दिशा में अनुप्रयोग में सुधार किया है।
डॉ. अवेश कुमार त्यागी, प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और निदेशक, रसायन विज्ञान समूह, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई: डॉ. त्यागी विश्व स्तर पर प्रशंसित वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद् हैं। उन्होंने भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिए महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं और सामग्रियों की उन्नति में अभूतपूर्व योगदान दिया है।
प्रो. उमेश वार्ष्णेय, मानद प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी और सेल बायोलॉजी विभाग, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. वार्ष्णेय एक उत्कृष्ट जीवविज्ञानी हैं और उनका मौलिक कार्य ट्यूबरकुलर बैक्टीरिया, ई. कोलाई में प्रोटीन संश्लेषण और डीएनए मरम्मत की आवश्यक प्रक्रियाओं और टीबी के टीकों के विकास की दिशा में वादा करता है।
प्रो. जयंत भालचंद्र उदगांवकर, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, पुणे: प्रो. उदगांवकर ने संरचनात्मक जीव विज्ञान के क्षेत्र में प्रोटीन फोल्डिंग और मिसफोल्डिंग सहित प्रोटीन संरचना और कार्य की समझ में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
प्रोफेसर सैयद वजीह अहमद नकवी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंस्थान परिषद (सीएसआईआर)-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ: प्रोफेसर नकवी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता वाले एक उत्कृष्ट जैव-रासायनिक समुद्र विज्ञानी हैं। उनके अग्रणी शोध कार्य का समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में स्थायी विघटनकारी प्रभाव पड़ा।
प्रोफेसर भीम सिंह, एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष और एमेरिटस प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली: प्रोफेसर सिंह पावर इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में अच्छे व्यावहारिक और अनुवादात्मक अनुसंधान के साथ एक विपुल शोधकर्ता और प्रौद्योगिकी सलाहकार हैं, जिसमें बिजली की गुणवत्ता और मल्टीपल्स कन्वर्टर्स, सौर पीवी विद्युत उत्पादन शामिल हैं।
प्रोफेसर डॉ. संजय बिहारी, निदेशक, श्री चित्रा तिरुनल इंस्टीट्यूट फॉर मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी, तिरुवनंतपुरम: प्रोफेसर बिहारी न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में प्रख्यात हैं, जो अनुकरणीय सेवा, उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और चिकित्सा प्रौद्योगिकी और बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण प्रगति के प्रतीक हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विज्ञान को बायोमेडिकल तकनीक के साथ एकीकृत करने वाले वातावरण को प्रोत्साहन दिया है जो पेटेंट और चिकित्सा उपकरणों को उत्पाद के रूप में परिवर्तित करता है।
प्रो. आदिमूर्ति आदि, प्रतिष्ठित विजिटिंग प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर: प्रो. आदिमूर्ति ने आंशिक अंतर समीकरणों के विश्लेषण और क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण प्रश्नों के समाधान में मौलिक योगदान दिया है। उनके शोध योगदान को सेमीलिनियर इलिप्टिकल पीडीई, कार्यात्मक असमानताएं और हाइपरबोलिक संरक्षण कानूनों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
प्रोफेसर राहुल मुखर्जी, राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, भारतीय प्रबंधन संस्थान, कोलकाता: प्रोफेसर मुखर्जी ने उत्कृष्ट योगदान दिया है और गणितीय सांख्यिकी में उनके योगदान को अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। सांख्यिकी में उनका शैक्षणिक कार्य एक विस्तृत क्षेत्र को शामिल करता है, जिसमें प्रयोगों का डिज़ाइन, बायेसियन सिद्धांत, एसिम्प्टोटिक विश्लेषण और सर्वेक्षण नमूनाकरण शामिल हैं।
प्रोफेसर लक्ष्मणन मुथुसामी, प्रख्यात प्रोफेसर और डीएसटी-एसईआरबी राष्ट्रीय विज्ञान अध्यक्ष, भारतीदासन विश्वविद्यालय, तिरुचिरापल्ली: प्रोफेसर मुथुसामी भौतिकी के क्षेत्र में गैर-रेखीय गतिशीलता में एक प्रख्यात व्यक्ति हैं, जिसमें अंतर-अनुशासनात्मक अनुप्रयोगों के साथ गणित में खगोलीय गतिशीलता, जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र का क्षेत्र शामिल है।
प्रोफेसर नबा कुमार मंडल, आईएनएसए के वरिष्ठ वैज्ञानिक, साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता: प्रोफेसर मंडल न्यूट्रिनो भौतिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त एक अग्रणी प्रायोगिक कण भौतिक विज्ञानी हैं। उन्होंने भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला, आईएनओ के लिए डिटेक्टर की अवधारणा और डिजाइन का नेतृत्व किया, जो न्यूट्रिनो भौतिकी पर काम करने वाले युवा प्रयोगवादियों के लिए उपयोगी है।
डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम, निदेशक, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलुरु: डॉ. (सुश्री) सुब्रमण्यम ने एकल और द्विआधारी सितारों, नीले स्ट्रैगलर्स, स्टार क्लस्टर, स्टार गठन, गैलेक्टिक संरचना, मैगेलैनिक बादलों आदि के भौतिकी में अग्रणी योगदान दिया है। उनके नेतृत्व में कक्षा में अंशांकन और यूवी इमेजिंग टेलीस्कोप के साथ और एस्ट्रोसैट मिशन में भी प्रभावशाली वैज्ञानिक परिणाम उत्पन्न हुए।
प्रो. रोहित श्रीवास्तव हिमांशु पटेल, चेयर प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई: प्रो. श्रीवास्तव ने पॉइंट ऑफ केयर चिकित्सा उपकरणों, बायो-मेडिकल माइक्रोसिस्टम्स और नैनोइंजीनियर्ड बायोसेंसर में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसके परिणामस्वरूप प्रौद्योगिकी विकास हुआ है जिसमें मोबाइल आधारित मूत्र विश्लेषण, मधुमेह प्रबंधन, गैर-इनवेसिव हीमोग्लोबिन माप और लिपिड विश्लेषण प्रणाली शामिल है।
डॉ. कृष्ण मूर्ति एसएल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद: डॉ. कृष्ण मूर्ति ने चावल की छह नमक सहिष्णु किस्में और लवणता और क्षारीयता सहनशीलता के लिए चार आनुवंशिक स्टॉक विकसित किए हैं। विस्तार संबंधी कार्य से इन किस्मों के साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्र को शामिल करने में सहायता मिली।
डॉ. स्वरूप कुमार परिदा, वैज्ञानिक, राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली: डॉ. परिदा ने एकीकृत अगली पीढ़ी के आणविक प्रजनन पर विभिन्न अवधारणाओं को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसे जटिल तनाव सहिष्णुता, उपज और पौधे के कुशल आनुवंशिक विच्छेदन, चावल और चने की फसल सुधार में तेजी लाने के लिए वास्तु संबंधी विशेषताओं के लिए तैनात किया।
प्रोफेसर राधाकृष्णन महालक्ष्मी, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल: प्रोफेसर (सुश्री) महालक्ष्मी देश में स्वास्थ्य और बीमारियों में माइटोकॉन्ड्रियल झिल्ली प्रोटीन बायोफिज़िक्स में मौलिक अंतर्दृष्टि लाती हैं। इस कार्य में रोग निवारण के लिए पेप्टाइड-आधारित चिकित्सा विज्ञान के निहितार्थ हैं
प्रो. अरविंद पेनमात्सा, सहायक प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. पेनमात्सा ने औषध विज्ञान के क्षेत्र में न्यूरोट्रांसमीटर ग्रहण के लिए नवीन संरचनात्मक अंतर्दृष्टि प्रदान की है। उनके काम ने एंटीबायोटिक परिवहन में इफ्लक्स पंप फ़ंक्शन के तंत्र का खुलासा किया है, जो कि बहु-औषध प्रतिरोध की व्यवस्था को उजागर करता है जो जैव चिकित्सा अनुसंधान के लिए सहायक है।
प्रोफेसर विवेक पोलशेट्टीवार, प्रोफेसर, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, मुंबई: प्रोफेसर पोलशेट्टीवार पहले सिद्धांतों से दवाओं की खोज, डिजाइन और विकास के लिए अद्वितीय हस्ताक्षर वाले शोधकर्ताओं के समूह से संबंधित हैं। “ब्लैक गोल्ड” और “डिफेक्ट्स” के नैनोकैटलिसिस क्षेत्रों में उनका काम मौलिक विज्ञान और नवाचार का एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रोफेसर विशाल राय प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान, भोपाल: प्रोफेसर राय ने प्रोटीन की सटीक इंजीनियरिंग में मौलिक योगदान दिया है और निर्देशित ट्यूमर सर्जरी और कैंसर कीमोथेरेपी के लिए एंटीबॉडी-संयुग्मों को सशक्त बनाने के लिए सटीक प्रोटीन इंजीनियरिंग के लिए भारतीय बायोफार्मा क्षेत्र का समर्थन किया है।
डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल, वैज्ञानिक एफ, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे: डॉ. कोल ने हिंद महासागर के गर्म होने और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के साथ-साथ समुद्री उत्पादकता और समुद्री गर्मी चरम घटनाओं पर इसके प्रभाव में उत्कृष्ट और पथप्रदर्शक योगदान दिया है।
डॉ. अभिलाष वरिष्ठ प्राचार्य, सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला, जमशेदपुर: डॉ. अभिलाष ने खदान और प्रक्रिया अपशिष्ट आदि जैसे माध्यमिक संसाधनों से महत्वपूर्ण/रणनीतिक धातुओं के निष्कर्षण के लिए अंतःविषय स्वदेशी प्रक्रियाओं के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, साथ ही खनन, धातुकर्म और अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योगों के लिए प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने में अनुकरणीय योगदान दिया है।
डॉ. राधा कृष्ण गंती, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास, चेन्नई: डॉ. गंती एक उत्कृष्ट शोधकर्ता हैं, जिन्होंने स्वदेशी रूप से 5-जी बेस स्टेशन विकसित किया है जिसमें मल्टी-इनपुट मल्टी-आउटपुट (एमआईएमओ) एसजी बेस स्टेशन, स्वदेशीकरण प्रयासों की दिशा में 64/32/16 एंटीना एमआईएमओ आरआरएच और सॉफ्टवेयर शामिल हैं।
डॉ. पूरबी सैकिया, सहायक प्रोफेसर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय, रांची: डॉ. (सुश्री) सैकिया इकोलॉजिकल आला मॉडलिंग, मात्रात्मक इकोलॉजिकल विश्लेषण और आरईटी पौधों की प्रजातियों के संरक्षण में कुशल एक भावुक शोधकर्ता हैं। उनके शोध प्रकाशनों में क्षेत्रीय अनुप्रयोगों की संभावनाएं हैं और नीति नियोजन के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य के रूप में भी महत्वपूर्ण हैं।
डॉ. बप्पी पॉल सहायक प्रोफेसर, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर: डॉ. पॉल ने भविष्य के ईंधन के रूप में इथेनॉल में कार्बन डाइऑक्साइड के सीधे हाइड्रोजनीकरण के लिए एक प्रक्रिया और उत्प्रेरक विकसित किया है और वैश्विक वायु प्रदूषण के लिए उत्तरदाई उद्योगों और परिवहन से उत्सर्जित वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों को हटाने में भी योगदान दिया है।
प्रो. महेश रमेश काकड़े, प्रोफेसर, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु: प्रो. काकड़े ने पथ-प्रदर्शक विचारों का उपयोग करके गैर-कम्यूटेटिव इवासावा सिद्धांत के मुख्य अनुमान और ग्रॉस-स्टार्क अनुमान पर निर्णायक प्रगति की है, जो संख्या सिद्धांत में केंद्रीय समस्याएं हैं।
प्रो. जितेंद्र कुमार साहू प्रोफेसर, स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, चंडीगढ़: प्रो. साहू एक कुशल बाल रोग विशेषज्ञ हैं और शिशु मिर्गी ऐंठन सिंड्रोम और शिशु-शुरुआत मिर्गी के उपचार पर काम कर रहे हैं।
डॉ. प्रज्ञा ध्रुव यादव, वैज्ञानिक ‘एफ’ और प्रमुख, भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर)-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे: डॉ. (सुश्री) यादव कई संक्रामक रोगों से संबंधित उच्च जोखिम वाले रोगजनकों और रोकथाम के मुद्दों में विशेषज्ञ हैं और उन्होंने विकास और देश में कोविड-19 के लिए कई टीकों का मूल्यांकन में योगदान दिया है।
प्रोफेसर उर्बासी सिन्हा प्रोफेसर, रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु: प्रोफेसर (सुश्री) सिन्हा का क्वांटम सूचना, संचार और क्वांटम यांत्रिकी के सटीक परीक्षणों में मुख्य योगदान वैज्ञानिक समुदाय में अच्छी तरह से मान्यता प्राप्त है। लेगेट-गर्ग असमानता के निर्णायक उल्लंघन को प्रदर्शित करने वाले उनके बचाव-मुक्त प्रयोग और हांग-ओ-मंडेल इंटरफेरोमेट्री पर उनका हालिया काम महत्वपूर्ण वैज्ञानिक उपलब्धियां हैं।
डॉ. दिगेंद्रनाथ स्वैन, ईएक्सएमडी/एसटीआर, विक्रम साराभाई स्पेस, इसरो, तिरुवनंतपुरम: डॉ. स्वैन लॉन्च वाहन संरचनाओं के प्रयोगात्मक ठोस यांत्रिकी में विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने डीआईसी और अन्य प्रयोगात्मक तकनीकों का उपयोग करके संरचनात्मक योग्यता परीक्षणों का समर्थन करने में उत्कृष्ट योगदान दिया है।
डॉ. प्रशांत कुमार, वैज्ञानिक-एसएफ, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), अहमदाबाद: डॉ. कुमार ने वायुमंडलीय विज्ञान और मौसम पूर्वानुमान के क्षेत्र में मूल्यवान अनुसंधान योगदान दिया है और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा उपयोग की जाने वाली उच्च-रिज़ॉल्यूशन रैपिड रिफ्रेश प्रणाली के विकास में योगदान दिया है।
प्रोफेसर प्रभु राजगोपाल, प्रोफेसर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास, चेन्नई: फीचर-निर्देशित अल्ट्रासाउंड, वेवगाइड सेंसिंग, रोबोटिक संपत्ति निरीक्षण और अल्ट्रासोनिक मेटामटेरियल्स पर डॉ. राजगोपाल के अग्रणी शोध को व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है।
टीम चंद्रयान-3, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो मुख्यालय, बेंगलुरु: टीम चंद्रयान-3 को विज्ञान टीम श्रेणी के अंतर्गत सम्मानित किया गया है। चंद्रयान-3 निश्चित रूप से देश के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक दिखाई देने वाली और स्वीकृत वैज्ञानिक उपलब्धि है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में वैज्ञानिकों की एक टीम के काम के रूप में प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्धियों का प्रतिनिधित्व करता है।
आसरा आवास योजनान्तर्गत निर्मित भवनों का निरीक्षणः-*
भारतीय स्वरूप कानपुर 22 अगस्त मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन के द्वारा सजारी, कानपुर नगर में डूडा विभाग द्वारा संचालित आसरा आवास योजनान्तर्गत निर्मित भवनों का निरीक्षण किया, निरीक्षण के समय तेज कुमार, परियोजना अधिकारी, डूडा, कानपुर नगर, कार्यदायी विभाग, सर्वेश कुमार वर्मा परियोजना प्रबन्धक, सी०एण्ड डी०एस० यूनिट 05, कानपुर नगर, राहुल सिंह, सहायक अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग, (नि०ख०भवन), कानपुर नगर, पीयूष, विद्युत सुरक्षा, एस० पी० दोहरे, सहायक अभियन्ता, केस्को, कानपुर नगर उपस्थित थे।
परियोजना प्रबन्धक, सी० एण्ड डी०एस० यूनिट 05, कानपुर नगर, द्वारा अवगत कराया गया कि डूडा विभाग द्वारा संचालित आसरा आवास योजनान्तर्गत कुल 1104 नग आवासों के सापेक्ष 720 नग आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण कराया जा चुका है. जिसमें ओवर हेड टैंक, बोरिंग, पम्प हाउस, वाटर लाइन, सीवर लाइन आदि का कार्य पूर्ण कराया जा चुका है, जिसको दिनांक 11-07-2024 को डूडा को हस्तगत किया जा चुका है। स्थलीय निरीक्षण करने पर भवन के जो आवास खाली थे, उनके किचेन के प्लेटफार्म की फिनसिंग समुचित नहीं थी, जिसे सही कराने के निर्देश दिये गये, इसके अतिरिक्त सीढियों में कतिपय स्थानों पर प्लास्टर टूटा था, इण्टरलांकिंग रोड से भवन तक जाने के लिए रास्ता न होने की पृक्षा करने पर परियोजना प्रबन्धक द्वारा अवगत कराया गया कि इसका स्टीमेट में प्राविधान नहीं था। भवन के चारों ओर अप्रोच रोड व नाली का निर्माण नगर निगम द्वारा कराया जाना है, जिसमें नाली व इण्टरलांकिंग रोड का निर्माण कराया गया है, किन्तु कतिपय स्थानों पर इण्टरलांकिंग धंसी हुई पायी गयी, इसके अतिरिक्त नाली बनायी गयी है, किन्तु इसमें मिट्टी भरी हुई है, जिसके कारण जल निकासी में अवरोध हो रहा है जिसके कारण भूतल के कुछ आवासों में सीलन की समस्या परिलक्षित हो रही है। नगर निगम के द्वारा बाउण्ड्रीवाल का निर्माण नहीं कराया गया है और मौके पर नगर निगम से सम्बन्धित अधिशाषी अभियन्ता उपस्थित नहीं थे, उनके स्थान पर सुपरवाइजर उपस्थित थे, जिनको परियोजना के सम्बन्ध में कोई जानकारी नही थी। इस पर गहरा रोष प्रकट करते हुए श्री दिवाकर भाष्कर, अधिशाषी अभियन्ता, नगर निगम जोन-2, कानपुर को कारण बताओ नोटिस निर्गत करने के निर्देश दिये गये तथा नगर निगम के अवस्थापना सम्बन्धी अवशेष कार्य शीघ्र पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिये गये।
विद्युत आपूर्ति हेतु विद्युत लाइन एवं ट्रांसफार्मर कार्य कराया गया है, उपस्थित विद्युत सुरक्षा के सहायक अभियन्ता के द्वारा बताया गया कि ट्रांसफार्मर की बेरीकेटिंग, विद्युत पोलों में अर्थिग का कार्य कराये जाने के उपरान्त ही विद्युत सुरक्षा का अनापत्ति प्रमाण-पत्र निर्गत किया जायेगा। मौके पर देखा गया कि कार्य प्रगति पर है, परियोजना प्रबन्धक, सी० एण्ड डी०एस० को निर्देश दिये गये कि विद्युत सम्बन्धी अवशेष कार्य शीघ्र पूर्ण कराकर विद्युत सुरक्षा का अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त कर विद्युत संयोजन का कार्य शीघ्र पूर्ण कराना सुनिश्चित करें। दो पोल के बीच स्पैन की गार्डिंग का कार्य शेष है, जिसे भी पूर्ण कराने के निर्देश दिये गये। जिन आवासों का आवंटन किया जा चुका है विद्युत आपूर्ति न होने के कारण वहां आवंटी निवास नहीं कर रहे है।
अवशेष 384 नग आवासों के निर्माण कार्य की जी०एस०टी० धनराशि रू0 398.37 लाख सूडा से प्राप्त होनी है, जिसे शीघ्र प्राप्त कर कार्य को पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिये गये।
यह भी निर्देशित किया गया कि सजारी आवास का कार्यदायी संस्था व परियोजना अधिकारी, डूडा द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण करते हुए जो छोटे-मोटी कमियां आवासों में है, उनकी सूची तैयार करके उनका निराकरण कराए।
*लखनऊ-कानपुर रेलमार्ग के सम्पार संख्या 43 जयपुरिया स्कूल के निकट रेल उपरिगामी सेतुः-*
इस उपरिगामी सेतु के निरीक्षण के समय परियोजना प्रबन्धक, सेतु निगम उपस्थित नहीं थे, जिसके कारण इस सेतु का निरीक्षण नहीं किया जा सका।
Read More »मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन के द्वारा 37वीं वाहिनी पी०ए०सी० में 200 क्षमता के बैरक का निरीक्षण
कानपुर 22 अगस्त (सू0वि0) 37वीं वाहिनी पी०ए०सी० में 200 क्षमता के बैरक का निरीक्षण मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन के द्वारा 37वीं वाहिनी पी०ए०सी० में 200 क्षमता के बैरक का निरीक्षण किया गया, बैरक को हैण्डओवर किये जाने हेतु जिलाधिकारी द्वारा नामित जांच कमेटी (अधिशाषी अभियन्ता, प्रा०ख० लो०नि०वि०, अधिशाषी अभियन्ता, निचली गंगा नहर, अधिशाषी अभियन्ता, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि0, गोविन्द नगर सेनानायक, 37वीं वाहिनी पी०ए०सी०, कानपुर) की गयी है। निरीक्षण के समय राहुल सिंह सहायक अभियन्ता, लोक निर्माण विभाग, (नि०ख०भवन), कानपुर नगर/कार्यदायी संस्था। निरीक्षण के समय पी०ए०सी० सेनानायक के अतिरिक्त कार्यदायी संस्था एवं जांच समिति के सभी नामित अधिशाषी अभियन्ता स्वयं उपस्थित न होकर अपने सहायक अभियन्ताओं को भेजा गया इस पर घोर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए जांच समिति के अधिशाषी अभियन्ताओं एवं कार्यदायी संस्था के अधिशाषी अभियन्ता को कारण बताओ नोटिस निर्गत किये जाने के निर्देश दिये गये।
यह बैरक जी+11 (12 खण्ड) जिसकी क्षमता 200 जवनों को ठहरने की है। इस भवन में दो लिफ्ट भी लगायी गयी है। स्थलीय निरीक्षण करने पर भूतल के पंखें जो लगे थे उनकी गुणवत्ता बहुत प्रभावी प्रतीत नहीं हो रही थी और वे अत्यधिक कम्पित (Vibrate) हो रहे थे, जिन्हें तत्काल बदलवाने के निर्देश दिये गये। भवन की कतिपय दीवारों में प्लास्टर में दरार (केक) है। सीलन की भी समस्या उद्घाटित हुई है। शौचालयों में जो यूरनल का फ्लश लगा है उसकी गुणवत्ता असंतोषजनक है, जिसे बदलवाने के निर्देश दिये गये। भूतल में स्थित कमरे में फर्श की ढाल सही नहीं है, जिससे पानी दीवारों की ओर जा रहा है। सीवरेज एवं पेयजल की जो पाइप लाइन डाली गयी है उसकी गुणवत्ता भी संतोषजनक नहीं है, कतिपय स्थानों पर लीकेज पाया गया जिसे सही कराने के निर्देश दिये गये। तृतीय तल की सीढी का पत्थर टूटा है प्रथम, द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ एवं 11वें तल का निरीक्षण करने पर सभी में रंग-रोगन के उपरान्त हाल ही में सीलन आने के कारण पुट्टी किया जाना परिलक्षित हुआ है, यह एक गंभीर विषय है, खिड़कियों की जाली की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं पायी गयी है। स्विच बोर्ड पुराने शैली का लगाया गया है। भवन के कतिपय बालकनियों का एलाइमेण्ट सही नहीं है कोई बालकनी आगे निकली है तो कोई पीछे है, जिसमें समानता का अभाव है, इसी प्रकार जो पिलर है उनमें भी ऊपर जाकर असमानता परिलक्षित हो रही है इसके अतिरिक्त भवन की दीवारों के कोनों की कार्निस एवं बालकनियों की कार्निस में लगाये गये प्लास्टर एक समान नहीं है, जिससे फिनिशिंग का अभाव है।
उपरोक्त कमियों को एक पक्ष में दूर करके अवगत कराने के निर्देश दिये गये। यदि एक पक्ष के अन्दर सम्बन्धित फर्म के द्वारा कार्य पूर्ण न कराया जाए तो पायी गयी कमियों का आंकलन करके इनको भुगतान की जाने वाली धनराशि से कटौती कर ली जाए और कार्यदायी संस्था के अधिशाषी अभियन्ता के विरूद्ध पर्यवेक्षणीय दायित्व में शिथिलता बरतने के सम्बन्ध में कारण बताओ नोटिस निर्गत किया जाए।
मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन की अध्यक्षता में पीएम सूर्यघर योजना के सम्बन्ध में बैठक सम्पन्न
भारतीय स्वरूप कानपुर 21 अगस्त (सू0वि0) मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन की अध्यक्षता में विकास भवन के सभागार में पीएम सूर्यघर योजना के सम्बन्ध में एक बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक में बसुधा फाण्डेशन के सहयोग से पीएम सूर्यघर सम्बन्धी एक दिवसीय कार्यशाला भी सम्पन्न हुई, जिसमें केस्को एवं डिस्काम के अभियन्तागण, बैंकर्स प्रतिनिधि तथा यूपीनेडा में पंजीकृत कानपुर नगर के समस्त वेंण्डर द्वारा प्रतिभाग किया गया। पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना में वेण्डर्स के क्षमता सम्वर्धन हेतु कार्यशाला का शुभारम्भ मुख्य विकास अधिकारी द्वारा दीपप्रज्जवलन के साथ किया गया।
उक्त योजना के सम्बन्ध में परियोजना अधिकारी यूपीनेडा ने विस्तृत जानकारी देते हये बताया कि विद्युत कनेक्शन धारक उपभोगता जिनका विद्युत बिल अद्यावदिक जमा है, इस योजना के पात्र हैं। उपभोगता विद्युत विभाग से स्वीकृत विद्युतभार के समतुल्य अथवा कम क्षमता का सोलर रूफटॉप संयंत्र अपने निज आवास पर लगवा सकते हैं। इसके लिये उपभोक्ता को PM suryagharyojna Portal पर अथवा http://www.pmsuryagharyojna website पर सर्फिंग कर अपना पंजीकरण करते हुये संयंत्र लगा कर लाभ ले सकते हैं यदि उपभोक्ता ऋण ले कर लगाना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में उक्त पोर्टल से लिंक जनसमर्थ प्रोर्टल पर आवेदन कर बैंक 07 प्रतिशत के न्यूनतम ब्याजदर पर ऋण के माध्यम से भी लगवा सकते हैं। संयंत्र लगने के बाद नेटमीटरिंग का कार्य संबंधित डिस्काम/विद्युत वितरण कंपनी द्वारा किया जाता है। नेटमीटरिंग कार्य पूर्ण होने पर उपभोक्ता स्वयं अथवा सोलर रूफटॉप वेण्डर के सहयोग से समस्त प्रपत्रों को अंतिम रूप से पोर्टल पर अनुदान प्राप्त किये जाने हेतु अपलोड कर दिया जाता है। अनुदान मांग पत्र प्रेषण के दो माह के अन्दर राज्य एवं भारत सरकार से अनुमोदित अनुदान की राशि Direct To Benefit (DBT) द्वारा उपभेक्ता के बैंक खाते में अवमुक्त कर दी जाती है।
कार्यशाला में मुख्य विकास अधिकारी द्वारा कार्यशाला में उपस्थित वेण्डर्स को सम्बोधित करते हुये योजना के व्यापक प्रचार-प्रसार में सहयोग करने तथा उपभोगताओं के पंजीकरण बढाने के प्रति प्रेरित किया, साथ ही जनपद के 1.70 लाख विद्युत उपभोगताओं के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सप्ताह में 02 कैम्पों के आयोजन की रूपरेखा तैयार कराते हुये समस्त स्टेक होल्डर्स यथा वेण्डर्स, बैंकर्स, केस्को/डिस्काम को निर्देशित किया कि लक्षित संख्या के 05 गुना के बारबर अर्थात 6.50 लाख उपभोगताओं के पंजीकरण कराये जायें एवं माईको लेवल पर डोर-टू-डोर सम्पर्क अभिसयान चलायें। बसुधा फाउण्डेशन से पधारे प्रतिनिधियों ने सोलर रूफटाप पोर्टल के सम्बन्ध में विरूतृत प्रस्तुति की गयी एवं वेण्डर्स की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
कार्यक्रम के अन्त में परियोजना अधिकारी यूपीनेडा द्वारा समस्त उपस्थित अधिकारी, बसुधा फाउण्डेशन के पधारे प्रतिनिधियों एवं वेण्डर्स का धन्यबाद ज्ञापित करते हुये कार्यक्रम का समापन किया गया।