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पूर्वोत्तर क्षेत्र में 11,703 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली बिजली परियोजनाएं शुरू की गई हैं: केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने सूचित किया है कि हमारे देश के उत्तर पूर्वी हिस्से में राज्य बड़ी जलविद्युत क्षमता से संपन्न हैं और सरकार ने क्षेत्र में जलविद्युत विकास में निवेश बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पहल की है।

• बड़े हाइड्रो पावर (एलएचपी) (> 25 मेगावाट परियोजनाओं) को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत घोषित करना।

• हाइड्रो खरीद दायित्व (एचपीओ) लागू करना।

• पनबिजली टैरिफ को कम करने के लिए टैरिफ युक्तिकरण उपाय।

• जल विद्युत परियोजनाओं (एचईपी) में बाढ़ नियंत्रण/भंडारण के लिए बजटीय सहायता।

• सक्षम बुनियादी ढांचे, यानी सड़कों/पुलों की लागत के लिए बजटीय सहायता।

• नई पनबिजली परियोजनाओं के लिए अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) शुल्क की पूर्ण 100% छूट, जिसमें निर्माण कार्य सौंपा गया है और पावर खरीद समझौते (पीपीए) पर 30.06.2025 को या उससे पहले हस्ताक्षर किए गए हैं।

जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और 30.06.2025 के बाद पीपीए पर हस्ताक्षर किए गए हैं, वहां आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट का विवरण नीचे दिया गया है।

छूट आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेप पथ का विवरण जहां निर्माण कार्य सौंपा गया है और पीपीए पर 30.06.2025 के बाद हस्ताक्षर किए गए हैं

 

 

क्रम संख्या निर्माण कार्य का आवंटन+ पीपीए पर हस्ताक्षर आईएसटीएस शुल्क प्रक्षेपवक्र की छूट
1 01.07.2025 to 30.06.2026 75%
2 01.07.2026 to 30.06.2027 50%
3 01.07.2027 to 30.06.2028 25%

छूट कमीशनिंग के 18 साल बाद तक लागू रहेगी

 

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 11,703 मेगावाट (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से 6,760 मेगावाट और ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों से 4,943 मेगावाट) की कुल स्थापित क्षमता वाली परियोजनाएं शुरू की गई हैं। विवरण नीचे दिया गया है।

 

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में स्थित चालू बिजली परियोजनाओं (ऊर्जा के पारंपरिक स्रोतों से) का विवरण (31.10.2023 तक)

 

राज्य परियोजना का नाम ईंधन क्षमता (मेगावाट)
अरुणाचल प्रदेश कामेंग एचपीएस हाइड्रो 600
पारे हाइड्रो 110
रंगनाडी एचपीएस हाइड्रो 405
असम कार्बी लांपी एचपीएस हाइड्रो 100
लकवा जीटी गैस 97
लकवा रिप्लेसमेंट पावर प्रोजेक्ट गैस 70
नामरूप सीसीपीपी गैस 139
कथलगुड़ी सीसीपीपी गैस 291
खोंडोंग एचपीएस हाइड्रो 50
कोपिली एचपीएस हाइड्रो 200
बोंगाईगांव टीपीपी कोयला 750
मणिपुर लीमाखोंग डीजी डीजल 36
लोकतक एचपीएस हाइड्रो 105
मेघालय किर्डेमकुलई एचपीएस हाइड्रो 60
मायटंडू (लेशक)एसट-1 एचपीएस हाइड्रो 126
न्यू उम्त्रू एचपीएस हाइड्रो 40
उमियाम एचपीएस एसटी-I हाइड्रो 36
उमियाम एचपीएस एसटी- IV हाइड्रो 60
मिजोरम तुइरियल एचपीएस हाइड्रो 60
नगालैंड डोयांग एचपीएस हाइड्रो 75
त्रिपुरा अगरतला जीटी गैस 135
मोनारचक सीसीपीपी गैस 101
त्रिपुरा सीसीपीपी गैस 727
बरमुरा जीटी गैस 42
रोखिया जीटी गैस 63
सिक्किम रंगीत एचपीएस हाइड्रो 60
तीस्ता वी एचपीएस हाइड्रो 510
तीस्ता -III एचपीएस हाइड्रो 1,200
ताशीडिंग एचपीएस हाइड्रो 97
रोंगनीचू एचपीएस हाइड्रो 113
चुज़ाचेन एचपीएस हाइड्रो 110
जोरेथांग लूप हाइड्रो 96
डिक्चु एचपीएस हाइड्रो 96

एचपीएस – हाइड्रो पावर स्टेशनजीटी – गैस टर्बाइनसीसीपीपी – कंबाइन साइकल पावर प्लांटएसटी – स्टीम टर्बाइन

 

पूर्वोत्तर क्षेत्र में 30.11.2023 तक ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों की राज्य-वार स्थापित क्षमता

(मेगावाट में)

  राज्य लघु जल विद्युत जैव शक्ति सौर ऊर्जा बड़ी जल विद्युत कुल क्षमता
1 अरुणाचल प्रदेश 133 12 1,115 1,260
2 असम 34 2 156 350 542
3 मणिपुर 5 13 105 123
4 मेघालय 55 14 4 322 395
5 मिजोरम 45 30 60 136
6 नगालैंड 33 3 75 111
7 सिक्किम 55 5 2,282 2,342
8 त्रिपुरा 16 18 34

 

वर्तमान में, देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 6,037 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली आठ जलविद्युत परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। विवरण नीचे दिया गया है।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं (25 मेगावाट से अधिक) की सूची

क्रम संख्या परियोजना का नाम क्षेत्र क्षमता निष्पादन के तहत (मेगावाट) समापन का अनुमानित वर्ष
अरुणालच प्रदेश      
1 सुबनसिरी लोअर केंद्रीय 2,000 2023-26 (मई 25)
2 दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना केंद्रीय 2,880 2031-32
(फरवरी 32)
असम      
3 लोअर कोपली राज्य 120 2024-25
(मई 25)
सिक्किम      
4 तीस्ता एसटी VI केंद्रीय 500 2026-27
(अगस्त 26)
5 रंगीत-IV केंद्रीय 120 2024-25 (अगस्त 24)
6 भस्मेय निजी 51
7 रंगीत-II निजी 66
8 पैनन निजी 300

 

इसके अलावा, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) ने उत्तर पूर्वी क्षेत्र में सत्रह जलविद्युत योजनाओं (कुल 14,589 मेगावाट) को सहमति दे दी है। विवरण नीचे दिया गया है।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र में जलविद्युत योजनाओं के विवरण को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) द्वारा सहमति प्रदान की गई

 

क्रम संख्या परियोजना का नाम राज्य स्थापित क्षमता (मेगावाट) समापन का अनुमानित वर्ष
तीस्ता एसटी-IV सिक्किम 520 2031-32
तवांग एसटी -I अरुणाचल प्रदेश 600 2031-32 से आगे
वाह-उमियम चरण-III मेघालय 85 2029-30
तवांग एसटी-II अरुणाचल प्रदेश 800 2031-32 से आगे
हेओ अरुणाचल प्रदेश 240 2028-29
ताटो-I अरुणाचल प्रदेश 186 2028-29
ताटो-II अरुणाचल प्रदेश 700 2031-32 से आगे
डेमवे लोअर अरुणाचल प्रदेश 1750 2031-32
कलाई-II अरुणाचल प्रदेश 1200 2031-32 से आगे
तालोंग लोंडा अरुणाचल प्रदेश 225 2031-32
एटालिन अरुणाचल प्रदेश 3,097 2030-31
नफरा अरुणाचल प्रदेश 120 2027-28
हीरोंग अरुणाचल प्रदेश 500 2031-32 से आगे
नायिंग अरुणाचल प्रदेश 1,000 2031-32 से आगे
अटुनली अरुणाचल प्रदेश 680 2030-31
लोअर सियांग अरुणाचल प्रदेश 2,700 2031-32 से आगे
दिखू नगालैंड 186 2030-31

 

यह जानकारी केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

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पीएम-कुसुम के तहत 140 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र और 2.73 लाख स्टैंड-अलोन सौर पंप स्थापित किए गए: केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) के मुख्य उद्देश्यों में कृषि क्षेत्र का डी-डीजलाइजेशन (डीजल के इस्तेमाल को खत्म करना), किसानों को पानी और ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना, किसानों की आय बढ़ाना और पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाना शामिल है। इस योजना के तीन घटक हैं जिनका लक्ष्य कुल 34,422 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ 31.3.2026 तक सौर ऊर्जा क्षमता में 34.8 गीगावॉट की वृद्धि हासिल करना है। योजना की अन्य मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं।

पीएम- कुसुम योजना की अन्य मुख्य विशेषताएं

घटक, लक्ष्य और मानदंड उपलब्ध वित्तीय सहायता
यह योजना मांग आधारित है और योजना के लिए जारी दिशानिर्देशों के अनुसार कार्यान्वयन के उद्देश्य से देश के सभी किसानों के लिए खुली हुई है

 

घटक ए: किसानों की बंजर/ परती/ चारागाह/ दलदली/ खेती योग्य भूमि पर 10,000 मेगावाट के विकेन्द्रीकृत ग्राउंड/ स्टिल्ट माउंटेड सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना। ऐसे संयंत्र व्यक्तिगत किसान, सौर ऊर्जा डेवलपर, सहकारी समितियों, पंचायतों और किसान उत्पादक संगठनों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं।

 

घटक बी: ऑफ-ग्रिड क्षेत्रों में 14 लाख स्टैंडअलोन सौर पंपों की स्थापना।

 

घटक सी: (i) व्यक्तिगत पंप सौरीकरण और (ii) फीडर लेवल सौरीकरण के माध्यम से 35 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों का सौरीकरण।

 

घटक-बी और घटक-सी के तहत व्यक्तिगत किसान, जल उपयोगकर्ता संघ, प्राथमिक कृषि ऋण समितियां और समुदाय/ क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणालियां लाभार्थी हो सकते हैं।

 

 

 

इस योजना के तहत सौर/ अन्य नवीकरणीय ऊर्जा खरीदने के लिए डिस्कॉम को 40 पैसे/ किलोवाट या 6.60 लाख रुपये/ मेगावाट/ वर्ष, जो भी कम हो, की दर से खरीद आधारित प्रोत्साहन (पीबीआई)। डिस्कॉम को संयंत्र के वाणिज्यिक संचालन की तारीख से पांच साल की अवधि के लिए पीबीआई दिया जाता है। इसलिए, डिस्कॉम के लिए देय कुल पीबीआई 33 लाख रुपये प्रति मेगावाट है।

 

 

 

घटक-बी और घटक-सी के तहत व्यक्तिगत पंप सौरीकरण के लिए:

एमएनआरई द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 30% सीएफए या निविदा में सामने आईं प्रणालियों की कीमतें, जो भी कम हों, उपलब्ध हैं। हालांकि, सिक्किम, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, लक्षद्वीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह सहित उत्तर पूर्वी राज्यों में, एमएनआरई द्वारा जारी बेंचमार्क लागत का 50% सीएफए या निविदा में सामने आई प्रणालियों की कीमतें, जो भी कम हो, उपलब्ध हैं।

इसके अलावा, संबंधित राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश को कम से कम 30% वित्तीय सहायता प्रदान करनी होगी। शेष लागत का योगदान लाभार्थी द्वारा किया जाना है। पीएम कुसुम योजना के घटक बी और घटक सी (आईपीएस) को राज्य की 30% हिस्सेदारी के बिना भी लागू किया जा सकता है। केंद्रीय वित्तीय सहायता 30% बनी रहेगी और शेष 70% किसान द्वारा वहन किया जाएगा।

कृषि फीडर सौरीकरण के लिए 1.05 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट का सीएफए प्रदान किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश से वित्तीय सहायता की कोई आवश्यकता अनिवार्य नहीं है। फीडर सौरीकरण को कैपेक्स या रेस्को (आरईएससीओ) मोड में लागू किया जा सकता है।

 

पीएम-कुसुम के तहत राज्य-वार लक्ष्य या निधि का आवंटन नहीं किया जाता है क्योंकि यह एक मांग आधारित योजना है। क्षमताओं का आवंटन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से मिली मांग के आधार पर किया जाता है। इसके अलावा, कुछ लक्ष्य हासिल करने पर राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को धनराशि जारी की जाती है।

तमिल नाडु से प्राप्त मांग के आधार पर, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने इस योजना के तहत अब तक 31.51 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।

राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशवार आवंटित सौर पंप और अब तक इनके लगाए जाने का विवरण नीचे दिया गया है।

पीएम-कुसुम के तहत प्रगति (31.10.2023 तक)

क्र. सं. राज्य घटक-ए (मेगावाट) घटक-बी (संख्या) घटक-सी (संख्या)
स्वीकृत स्थापित स्वीकृत स्थापित स्वीकृत (आईपीएस) स्वीकृत (एफएलएस) स्थापित
1 अरुणाचल प्रदेश 2 0 400 199 0 0 0
2 असम 10 0 4000 0 1000 0 0
3 छत्तीसगढ 30 0 0 0 0 330500 0
4 बिहार 0 0 0 0 0 160000 0
5 गुजरात 500 0 8082 2459 2000 425500 0
6 गोवा 150 0 200 0 0 11000 700
7 हरियाणा 85 2.25 252655 64919 0 65079 0
8 हिमाचल प्रदेश 100 22.45 1580 501 0 0 0
9 जम्मू एवं कश्मीर 20 0 5000 838 4000 0 0
10 झारखंड 20 0 36717 12985 1000 0 0
11 कर्नाटक 0 0 10314 314 0 337000 0
12 केरल 40 0 100 8 45100 25387 2417
13 लद्दाख 0 0 2000 0 0 0 0
14 मध्य प्रदेश 600 11 17000 7134 0 595000 0
15 महाराष्ट्र 700 2 225000 71958 0 275000 0
16 मणिपुर 0 0 150 78 0 0 0
17 मेघालय 0 0 2535 54 0 0 0
18 मिजोरम 0 0 1700 0 0 0 0
19 नगालैंड 5 0 265 0 0 0 0
20 ओडिशा 500 0 5741 1411 40000 10000 0
21 पुदुचेरी 0 0 0 0 0 0 0
22 पंजाब 220 0 78000 12952 186 100000 0
23 राजस्थान 1200 102.5 198884 59732 1144 200000 1375
24 तमिल नाडु 424 0 7200 3187 0 0 0
25 तेलंगाना 0 0 400 0 0 8000 0
26 त्रिपुरा 5 0 8021 2117 2600 0 50
27 उत्तर प्रदेश 155 0 66842 31752 2000 370000 0
28 उत्तराखंड 0 0 3685 318 200 0 0
29 पश्चिम बंगाल 0 0 10000 0 23700 0 20
  कुल 4766 140.2 946471 272916 122930 2912466 4562

 

पीएम कुसुम के लक्ष्यों को समय पर हासिल करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए नए कदमों सहित प्रमुख पहलों में शामिल हैं:

  • पीएम-कुसुम योजना को 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है।
  • केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) उत्तर-पूर्वी राज्यों, पहाड़ी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों और द्वीप केंद्र शासित प्रदेशों के व्यक्तिगत किसानों और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में उच्च जल स्तर वाले क्षेत्रों में क्लस्टर/ सामुदायिक सिंचाई परियोजनाओं से जुड़े प्रत्येक किसान के लिए 15 एचपी (7.5 एचपी से बढ़ाकर) तक की पंप क्षमता के लिए उपलब्ध है।
  • किसानों को कम लागत पर वित्तपोषण की उपलब्धता के लिए बैंकों/ वित्तीय संस्थानों के साथ बैठकें।
  • स्टैंडअलोन सौर पंपों की खरीद के लिए राज्य स्तरीय निविदा की अनुमति।
  • कार्यान्वयन के लिए समयसीमा प्रारंभिक मंजूरी की तारीख से 24 महीने तक के लिए बढ़ा दी गई है।
  • घटक-ए और घटक-सी (फीडर लेवल सौरीकरण) के तहत प्रदर्शन आधारित बैंक गारंटी की आवश्यकता में छूट दी गई।
  • योजना के तहत लाभ में बढ़ोतरी में तेजी लाने के लिए इंस्टॉलर आधार को बढ़ाने के लिए निविदा की शर्तों को संशोधित किया गया है।
  • किसानों को सब्सिडी वाले ऋण प्रदान करने के लिए कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) के तहत शामिल योजना के तहत पंपों का सौरीकरण।
  • वित्त तक पहुंच को आसान बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) दिशानिर्देशों के तहत इस योजना को शामिल किया गया है।
  • स्थापना में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए सौर पंपों की विशिष्टताओं और परीक्षण प्रक्रिया को समय-समय पर संशोधित किया गया है।
  • योजना की निगरानी के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर वेब-पोर्टल विकसित किए गए हैं।
  • सीपीएसयू के माध्यम के साथ-साथ अन्य तरीकों से प्रचार और जागरूकता पैदा करना।
  • योजना के बारे में जानकारी प्राप्त करने में आसानी के लिए टोल फ्री नंबर उपलब्ध कराया गया है।
  • कार्यान्वयन के दौरान सीखे गए सबकों के आधार पर योजना की प्रगति और स्पष्टीकरण और संशोधन जारी किए जाने की नियमित निगरानी करना।
  • योजना के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के लिए प्रगति और प्राप्त लक्ष्यों के आधार पर विस्तार दिया गया।
  • घटक ‘सी’ में भूमि एकत्रीकरण (समूहन) प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए योजना के दिशानिर्देशों को 12.07.2023 को संशोधित किया गया है।
  • मंत्रालय ने सितंबर, 2023 के दौरान घटक ‘बी’ के तहत बेंचमार्क लागत जारी की है।
  • दिनांक 20.11.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से अनिवार्य राज्य हिस्सेदारी प्रावधान को हटाने के साथ योजना में संशोधन किया गया है।
  • घटक ‘सी’ के तहत डीसीआर सामग्री की छूट दिनांक 11.09.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से 31.03.2024 तक बढ़ा दी गई है।
  • डीओई ने दिनांक 06.09.2023 के कार्यालय ज्ञापन के माध्यम से कम्पोजिट ‘बी’ और ‘सी’ के तहत लक्ष्य को 35 लाख से बढ़ाकर 49 लाख करने की मंजूरी दी।

यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री श्री आर के सिंह ने आज 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी है।

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छत्रपति साहू जी महाराज यूनिवर्सिटी में आयोजित अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 में क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के आयुष बर्धंन ने जीता स्वर्ण एवं रजत पदक

भारतीय स्वरूप संवाददाता, सी. एस. जे. एम यूनिवर्सिटी में अंतरमहाविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता 2023 का आयोजन किया गया जिसमे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के छात्र एवं छात्राओं ने भाग लिया. जिसमे शॉट पुट एवं जेवेलीन थ्रो( पुरुष) वर्ग में आयुष बर्धंन ने स्वर्ण एवं रजत पदक प्राप्त किया , 100 मीटर महिला स्पर्धा मे क्राइस्ट चर्च कॉलेज की शैली ने रजत पदक, एवं ज़ोया ने कांस्य पदक प्राप्त किया, 200 मीटर स्पर्धा में ज़ोया ने रजत पदक एवं अलीशा ने कांस्य पदक प्राप्त किया। 100×4 रिले रेस मे क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज ने कांस्य पदक प्राप्त किया।
क्राइस्ट चर्च डिग्री कॉलेज के प्राचार्य एवं मुख्य संरक्षक प्रो. जोज़ेफ डेनियल ने सभी विजेताओं को कॉलेज में बुलाकर विजेताओं का स्वागत किया। उक्त अवसर पर कॉलेज के शारीरिक शिक्षा शिक्षक डॉ आशीष कुमार दुबे, प्रो. सत्य प्रकाश सिंह, डॉ हिमांशु , एवं एथलेटिक्स कोच डोंडियाल जी उपस्थित रहे। सभी ने विजेताओं को बधाई देकर उनका स्वागत किया।

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मरीजों और डॉक्टरों नर्सों के अनुपात पर ताज़ा जानकारी

सरकार ने मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई है और उसके बाद एमबीबीएस सीटें भी बढ़ाई हैं। मेडिकल कॉलेजों में 82% की बढ़ोतरी हुई है। 2014 से पहले ये 387 थीं जो बढ़कर अब 706 हो गई हैं। इसके अलावा, 112% की बढ़ोतरी के साथ एमबीबीएस सीटें 51,348 (2014) से 1,08,940 (2023) हो गईं और 127% की बढ़ोतरी के साथ पीजी सीटें 31,185 (2014) से 70,674 (2023) हो गई हैं।

सरकार ने देश में डॉक्टरों की उपलब्धता को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें ये कदम शामिल हैं:

  1. जिला / रेफरल अस्पताल को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना, जिसके अंतर्गत अनुमोदित 157 नए मेडिकल कॉलेजों में से 108 कॉलेज शुरू हो चुके हैं।
  2. एमबीबीएस और पीजी सीटें बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार / केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण / उन्नयन के लिए केंद्र प्रायोजित योजना।
  3. प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (पीएमएसएसवाई) की “सुपर स्पेशलिटी ब्लॉकों के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन” की योजना के अंतर्गत कुल 75 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 64 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।
  4. नए एम्स की स्थापना के लिए केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत 22 एम्स को मंजूरी दी गई है। इनमें से 19 में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं।
  5. मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए संकाय, कर्मचारियों, बिस्तरों की संख्या और अन्य बुनियादी ढांचे की ज़रूरत के संदर्भ में मानकों में छूट।
  6. संकाय की कमी को पूरा करने के लिए संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए डीएनबी योग्यता को मान्यता दी गई है।
  7. मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों / डीन / प्रिंसिपल / निदेशक के पदों पर नियुक्ति / विस्तार / पुनर्रोजगार के लिए आयु सीमा को 70 वर्ष तक बढ़ाया गया।

 

सरकार ने देश में नर्सों की संख्या बढ़ाने के लिए भी निम्नांकित कदम उठाए हैं:

  1. “मौजूदा जिला / रेफरल अस्पताल से जुड़े नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना” के लिए केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) के अंतर्गत 2014 से 157 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गई है। 2023-24 के बजट भाषण में इन मेडिकल कॉलेजों में 157 नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना की घोषणा की गई है।
  2. नर्सिंग शैक्षिक कार्यक्रमों के लिए छात्र रोगी अनुपात को 1:5 से घटाकर 1:3 कर दिया गया है।
  3. नर्सिंग शिक्षण संस्थानों के लिए छात्रावास सहित नर्सिंग स्कूल / कॉलेज के लिए 54,000 वर्ग फुट की इमारत बनाने के लिए 3 एकड़ भूमि की आवश्यकता में छूट दी गई है।
  4. जीएनएम और बीएससी (नर्सिंग) कार्यक्रम शुरू करने के लिए 2013-2014 से 100 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल आवश्यक है। हालांकि, पहाड़ी और आदिवासी क्षेत्रों के लिए इसमें छूट दी गई है।
  5. बीएससी (एन) कार्यक्रम शुरू करने के लिए शिक्षण संकाय को मानदंडों में ढील दी गई।
  6. बीएससी (एन) / जीएनएम कार्यक्रमों के लिए उन संस्थानों को अधिकतम 100 सीटें दी जाएंगी, जिनके पास 300 बिस्तरों वाला मूल अस्पताल है और मेडिकल कॉलेज का आग्रह नहीं रखा जाएगा।
  7. स्कूल से अस्पताल की दूरी में छूट दी गई है।
  8. नर्सिंग कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए पात्रता मानदंड में ढील दी गई।

जैसा कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) द्वारा सूचित किया गया है – जून, 2022 तक राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं। पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टरों की 80% और आयुष डॉक्टरों की 5.65 लाख की उपलब्धता मानते हुए देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:834 का है। इसके अलावा, दिसंबर, 2022 तक देश में 36.14 लाख नर्सिंग कर्मी थे। नर्सिंग कर्मियों की 80% उपलब्धता मानते हुए नर्स-जनसंख्या अनुपात 1:476 का है।

 

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

अनुलग्नक- I

जून, 2022 तक मान्यता प्राप्त चिकित्सा योग्यता रखने वाले और राज्य चिकित्सा परिषदों / पूर्ववर्ती भारतीय चिकित्सा परिषद / राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के यहां पंजीकृत डॉक्टरों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार सूची

क्र. सं. राज्य चिकित्सा परिषद का नाम एलोपैथिक डॉक्टरों की कुल संख्या
आंध्र प्रदेश मेडिकल काउंसिल 105799
अरुणाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल 1461
असम मेडिकल काउंसिल 25561
बिहार मेडिकल काउंसिल 48192
छत्तीसगढ़ मेडिकल काउंसिल 10020
दिल्ली मेडिकल काउंसिल 30817
गोवा मेडिकल काउंसिल 4035
गुजरात मेडिकल काउंसिल 72406
हरियाणा मेडिकल काउंसिल 15687
हिमाचल प्रदेश मेडिकल काउंसिल 5038
जम्मू और कश्मीर मेडिकल काउंसिल 17574
झारखंड मेडिकल काउंसिल 7374
कर्नाटक मेडिकल काउंसिल 134426
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल 42596
महाराष्ट्र मेडिकल काउंसिल 188545
भारतीय पूर्व चिकित्सा परिषद 52669
मिजोरम मेडिकल काउंसिल 156
नागालैंड मेडिकल काउंसिल 141
उड़ीसा काउंसिल ऑफ मेडिकल रजिस्ट्रेशन 26924
पंजाब मेडिकल काउंसिल 51689
राजस्थान मेडिकल काउंसिल 48232
सिक्किम मेडिकल काउंसिल 1501
तमिलनाडु मेडिकल काउंसिल 148217
त्रावणकोर मेडिकल काउंसिल 72999
उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल 89287
उत्तरांचल मेडिकल काउंसिल 10243
पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल 78740
त्रिपुरा मेडिकल काउंसिल 2681
तेलंगाना मेडिकल काउंसिल 14999
  कुल योग 1308009

स्रोत: राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग

टिप्पणी:- तत्कालीन एमसीआई ने 2015 से रजिस्ट्रेशन बंद कर दिया था।

 

अनुलग्नक-I

31.12.2022 तक प्रशिक्षित नर्सों की राज्य / केंद्र शासित प्रदेश वार संख्या

क्र.सं. राज्य एएनएम आरएन और आरएम
आंध्र प्रदेश 140072 273430
अरुणाचल प्रदेश 8147 9070
असम 30174 28599
बिहार 19499 26421
छत्तीसगढ़ 15213 35052
दिल्ली 5404 85001
गोवा 424 1546
गुजरात 57731 151108
हरियाणा 31989 41518
हिमाचल प्रदेश 12007 26611
झारखंड 10900 6773
कर्नाटक 54039 231643
केरल 31646 329492
मध्य प्रदेश 39563 118793
महाराष्ट्र 86426 162205
मेघालय 2339 10626
मणिपुर 4361 12136
मिजोरम 2570 5282
ओडिशा 75137 91157
पंजाब 23029 76680
राजस्थान 110443 209554
तमिलनाडु 64012 348538
त्रिपुरा 2954 8699
उत्तर प्रदेश 75671 111860
उत्तराखंड 9779 16947
पश्चिम बंगाल 69709 76318
तेलंगाना 10219 53314
सिक्किम 236 2508
नागालैंड 1477 1536
जम्मू और कश्मीर 5264 3999

स्रोत: संबंधित राज्य नर्स पंजीकरण परिषद

एएनएम: सहायक नर्स मिडवाइफ

आरएन और आरएम: पंजीकृत नर्स और पंजीकृत मिडवाइफ

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भारत और सऊदी अरब के बीच रणनीतिक सहयोग दोनों देशों को हरित हाइड्रोजन इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठाने में मदद कर सकता है: केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री

केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत मंत्री ने बताया कि भारत और सऊदी अरब ने 10 सितंबर2023 को ऊर्जा के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। समझौता ज्ञापन, अन्य बातों के अलावा, हाइड्रोजन, बिजली और ग्रिड इंटरकनेक्शन दोनों देशों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, सामरिक पेट्रोलियम भंडार और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग की परिकल्पना करता है। इसके अलावा, भारत और सऊदी अरब ने 8 अक्टूबर 2023 को इलेक्ट्रिकल इंटरकनेक्शन, ग्रीन/क्लीन हाइड्रोजन और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्र में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के लिए फायदेमंद होने की उम्मीद है, क्योंकि वे अपने-अपने देशों के भीतर ग्रीन हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक-दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं।

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 4 जनवरी 2023 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को वित्तीय वर्ष 2023-24 से वित्तीय वर्ष 2029-30 तक 19,744 करोड़ के परिव्यय के साथ कार्यान्वित कर रहा है। 2022-23 के लिए संशोधित अनुमान. 1,00,000 रुपये था। वित्त वर्ष 2022-23 में कोई खर्च नहीं हुआ। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मिशन का व्यय अनुमान 100 करोड़ रुपए था जिसमें से अब तक 11 लाख रुपये का व्यय किया गया।

मिशन का व्यापक उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है।

2030 तक मिशन के अपेक्षित परिणाम इस प्रकार हैं:

• भारत की हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता प्रति वर्ष 5 एमएमटी तक पहुंचने की संभावना है, जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आएगी। मिशन लक्ष्यों की प्राप्ति से 2030 तक संचयी रूप से 1 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन आयात में कमी आने की उम्मीद है।

• इससे कुल निवेश में 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लाभ होने और 6 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की संभावना है।

• ग्रीन हाइड्रोजन की लक्षित मात्रा के उत्पादन और उपयोग के कारण प्रति वर्ष लगभग 50 एमएमटी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद है।

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन में निम्न-कार्बन स्टील, आवागमन, शिपिंग और बंदरगाहों के लिए पायलट परियोजनाओं का समर्थन करने का प्रावधान है।

मिशन विशिष्ट चयनित परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए मिशन के विभिन्न उप-घटकों जैसे साइट, पायलट प्रोजेक्ट, आर एंड डी आदि के लिए आवंटन प्रदान करता है। मिशन के तहत कोई राज्य-वार आवंटन नहीं किया गया है।

मिशन के तहत विभिन्न वित्तीय और गैर-वित्तीय उपायों की घोषणा की गई है, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित भी शामिल हैं:

1. निर्यात और घरेलू उपयोग के माध्यम से मांग को बढ़ाना;

2. हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र के निर्माण और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन शामिल है;

3. हरित इस्पात, आवागमन, शिपिंग, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा अनुप्रयोगों, बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण, आदि के लिए पायलट परियोजनाएं;

4. हरित हाइड्रोजन हब का विकास;

5. बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सहयोग;

6. विनियमों और मानकों का एक मजबूत ढांचा स्थापित करना;

7. अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम;

8. कौशल विकास कार्यक्रम; और

9. जन जागरूकता एवं आउटरीच कार्यक्रम।

इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन और इसके यौगिकों के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित प्रावधानों की घोषणा की गई है:

• 31 दिसंबर 2030 से पहले शुरू की गई परियोजनाओं के लिए हरित हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादकों को 25 साल की अवधि के लिए अंतर-राज्य ट्रांसमिशन शुल्क की छूट दी गई है।

• जून 2022 में अधिसूचित विद्युत (हरित ऊर्जा ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देना) नियम, 2022 में हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए ओपन एक्सेस के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति की सुविधा के प्रावधान शामिल हैं।

• पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिनांक 28 जुलाई 2023 की अधिसूचना के माध्यम से ग्रीन अमोनिया संयंत्रों को पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना 2006 के तहत पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दे दी है।

ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांज़िशन (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक उपाय, 17,490 करोड़ के परिव्यय के साथ एक प्रमुख वित्तीय उपाय है। इस कार्यक्रम में इलेक्ट्रोलाइज़र के घरेलू विनिर्माण और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का समर्थन करने के लिए दो अलग-अलग वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र शामिल हैं।

ग्रीन हाइड्रोजन ट्रांजिशन (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के लिए 450,000 टन की उत्पादन सुविधाएं स्थापित करने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादकों के चयन के लिए, रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी किया गया है।

हरित हाइड्रोजन अंतरण (एसआईजीएचटी) योजना (मोड-1-ट्रेंच-I) के लिए रणनीतिक उपाय के तहत भारत में 1.5 जीडब्ल्यू वार्षिक इलेक्ट्रोलाइजर उत्पादन क्षमता के लिए इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माताओं  (ईएम) के चयन के लिए रिक्वेस्ट फॉर सेलेक्शन (आरएफएस) जारी कर दिया गया है

प्रमुख चुनौतियों में ग्रे हाइड्रोजन की तुलना में हरित हाइड्रोजन की लागत में अंतर, भंडारण और परिवहन की उच्च लागत, स्थापित आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमी, परीक्षण बुनियादी ढांचे की कमी आदि शामिल हैं।

हालाँकि, भारत के पास निम्नलिखित फायदे हैं जिनसे भारतीय उत्पादकों द्वारा प्रतिस्पर्धी दरों पर हरित हाइड्रोजन का उत्पादन संभव होने की उम्मीद है:

I. प्रतिस्पर्धी आरई टैरिफ, दुनिया में सबसे कम में से एक;

II. एकल एकीकृत ग्रिड जो आरई समृद्ध क्षेत्रों से उत्पादन स्थल तक आरई बिजली के हस्तांतरण को सक्षम बनाता है, जिससे ग्रीन हाइड्रोजन की परिवहन और भंडारण लागत कम हो जाती है।

यूरोपीय संघ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, जापान जैसे दुनिया भर के कई देशों/क्षेत्रों ने ग्रीन/क्लीन हाइड्रोजन और इसके यौगिकों का आयात करने के लिए अपनी नई रणनीतियों की घोषणा की है, जिससे भारतीय उत्पादकों के लिए एक अवसर प्रदान किया गया है।

यह जानकारी केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा तथा ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह ने आज, 12 दिसंबर, 2023 को राज्यसभा में तीन अलग-अलग प्रश्नों के लिखित उत्तर में दी।

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उड़ान योजना के अंतर्गत 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम सहित 76 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 517 हवाई मार्ग शुरू किए गए

क्षेत्रीय संपर्क योजना (आरसीएस)-उड़ान के माध्यम से देश के दूरदराज इलाकों में अब तक अप्रयुक्त/अपेक्षाकृत कम प्रयुक्त हवाई अड्डों को जोड़कर क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाया गया है। उड़ान योजना के अंतर्गत पांच दौर की बोली के आधार पर, अब तक 517 मार्गों के लिए 76 हवाई अड्डों को जोड़ कर परिचालन शुरू किया गया है, जिसमें 9 हेलीपोर्ट और 2 वाटर एयरोड्रम शामिल हैं। उड़ान योजना के अंतर्गत उड़ान शुरू होने से 130 से ज्यादा शहरों की जोड़ी बन गई है। उड़ान योजना के अंतर्गत अब तक 2.47 लाख उड़ानें संचालित की गई है, जिसमें 1.3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने यात्रा की है।

इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जा रही रियायतें निम्नानुसार हैं:

हवाईअड्डा ऑपरेटर:

  1. हवाईअड्डा ऑपरेटर आरसीएस उड़ानों पर लैंडिंग और पार्किंग कर न लगाएं।
  2.  भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण आरसीएस उड़ानों पर कोई टर्मिनल नेविगेशन लैंडिंग शुल्क (टीएनएलसी) नहीं लगाएं।
  3. भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा रूट नेविगेशन और सुविधा शुल्क (आरएनएफसी) आरसीएस उड़ानों पर सामान्य दरों के  42.50% पर रियायती आधार पर लगाया जाए।
  4. चयनित एयरलाइन प्रचालकों (एसएओ) ने सभी हवाईअड्डों पर इस योजना के अंतर्गत ऑपरेटरों को स्व-ग्राउंड हैंडलिंग की अनुमति दी है।

केंद्र सरकार:

  1. इस योजना की अधिसूचना जारी होने की तारीख से तीन वर्ष की प्रारंभिक अवधि के लिए आरसीएस हवाईअड्डों से एसएओ द्वारा खरीदे गए हवाई र्इंधन (एटीएफ) पर 2% की दर से उत्पाद शुल्क लगाया जाएगा।
  2. एसएओ को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय एयरलाइंस दोनों के साथ कोड साझाकरण व्यवस्था में प्रवेश करने की स्वतंत्रता है।

राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों के आरसीएस हवाई अड्डों पर:

  1. राज्यों में स्थित आरसीएस हवाईअड्डों पर एटीएफ पर वैट को 10 वर्षों की अवधि के लिए घटाकर 1 प्रतिशत या उससे कम करना।
  2. आरसीएस हवाई अड्डों के विकास के लिए अगर आवश्यक हो, तो न्यूनतम भूमि को निशुल्क और बाधाओं से मुक्त करना एवं आवश्यकतानुसार मल्टी-मॉडल भीतरी इलाकों को संपर्क प्रदान करना।
  3. आरसीएस हवाई अड्डों पर सुरक्षा और अग्निशमन सेवाएं मुफ्त प्रदान करना।
  4. आरसीएस हवाई अड्डों पर रियायती दरों पर बिजली, पानी और अन्य उपयोगिता सेवाएं प्रदान करना या उपलब्ध कराना।

इस योजना से अब तक 1.3 करोड़ से ज्यादा यात्री लाभान्वित हुए हैं।

यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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संस्कृति मंत्रालय ने मेरा गांव मेरी धरोहर परियोजना लांच की

भारत सरकार ने मेरा गांव, मेरी धरोहर (एमजीएमडी) कार्यक्रम के अंतर्गत सभी गांवों की मैपिंग और प्रलेखन तैयार करने का निर्णय लिया है। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के समन्वय से सांस्कृतिक मैपिंग पर राष्ट्रीय मिशन चलाया जाता है। 27 जुलाई, 2023 को एमजीएमडी पर एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया है। एमजीएमडी कार्यक्रम भारतीय गांवों के जीवन, इतिहास और लोकाचार का विवरण देने वाली व्यापक जानकारी संकलित करना चाहता है तथा इसे वर्चुअल और वास्तविक समय के आगंतुकों के लिए उपलब्ध कराना चाहता है। एमजीएमडी के अंतर्गत नीचे दी गई सात व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत जानकारी एकत्र की जाती है-
  • कला और शिल्प गांव
  • पर्यावरणीय दृष्टि से उन्मुख गांव
  • भारत की पाठ्य और शास्त्र सम्मत परंपराओं से जुड़ा शैक्षिक गांव
  • रामायण, महाभारत और/या पौराणिक किंवदंतियों और मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गांव
  • स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गांव
  • वास्तुकला विरासत गांव

कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो सकती है जैसे मछली पकड़ने का गांव, बागवानी गांव, चरवाहा गांव आदि।

यह जानकारी आज राज्यसभा मेंकेन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी किशन रेड्डी ने दी।

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राष्ट्रपति ने लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु  नई दिल्ली में लक्ष्मीपत सिंघानिया-आईआईएम लखनऊ राष्ट्रीय लीडरशीप पुरस्कार प्रदान किए।

राष्ट्रपति ने इस अवसर पर कहा कि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की आपाधापी ने मानवता को नुकसान पहुंचाया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गड़बड़ी उसी का परिणाम है। आज पूरा विश्व इस चुनौती से जूझ रहा है। लाभ अधिक से अधिक बढ़ाने की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति का एक हिस्सा हो सकती है लेकिन भारतीय संस्कृति में इसे प्राथमिकता नहीं दी गई है। लेकिन भारतीय संस्कृति में उद्यमिता का स्‍थान प्रमुख है।

राष्ट्रपति ने प्रसन्नता व्‍यक्‍त की कि हमारे युवा स्वरोजगार की संस्कृति को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्‍टम है। भारत विश्‍व के सर्वश्रेष्ठ यूनिकॉर्न हब में शामिल है। यह हमारे देश के युवाओं के तकनीकी ज्ञान के अतिरिक्‍त उनके प्रबंधन कौशल और व्यावसायिक नेतृत्व का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विश्‍व की अग्रणी तकनीकी कंपनियों का नेतृत्व भी कर रहे हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें प्रबंधन शिक्षण संस्थानों की शिक्षा प्रणाली में कुछ परिवर्तन लाने होंगे ताकि देश का अधिक प्रभावी और समावेशी विकास हो सके। उन्होंने प्रबंधकों, शिक्षाविदों और संगठनात्मक प्रमुखों से भारतीय प्रबंधन अध्ययन को भारतीय कंपनियों, उपभोक्ताओं और समाज से जोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि विदेश स्थित व्यवसायों पर केस स्टडी और लेखों के बजाय भारत स्थित भारतीय और बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर केस स्टडी लिखी और सिखाई जानी चाहिए। हमारे प्रबंधन संस्थानों को अपने शोध का फोकस भी भारत की पत्रिकाओं पर करना चाहिए। उन भारतीय पत्रिकाओं पर विशेष फोकस किया जाना चाहिए जो ओपन एक्सेस डोमेन में हैं और जो देश के विभिन्न हिस्सों में पढ़ने वाले सभी श्रेणी के विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए सुलभ हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल में उत्तराखंड में सिल्कयारा सुरंग से जिस तरह 41 श्रमिकों को निकाला गया है, उसकी न केवल सराहना हो रही है, बल्कि इस पर नेतृत्व अध्ययन की भी बात की जा रही है। यह एक बहुत अच्छा और जीवंत विषय है, विशेषकर संकट में नेतृत्व और टीमवर्क के लिए।

राष्ट्रपति ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में कहा कि अनेक लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने के बारे में भी चिंतित हैं। उन्होंने आग्रह किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सभी पक्षों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जानता है और इसका सही इस्तेमाल करता है उसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कारण नौकरी खोने का भय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईआईएम लखनऊ जैसे संस्थानों को भी अमृत काल में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम बनाना चाहिए।

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प्रधानमंत्री मोदी ने यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गरबा नृत्‍य को शामिल किए जाने की सराहना की

प्रधानमंत्री मोदी ने आज यूनेस्को की अमूर्त विरासत सूची में गुजरात के गरबा नृत्‍य का नाम शमिल किए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“गरबा जीवन, एकता और हमारी गहन परंपराओं का उत्सव है। यूनेस्‍को की अमूर्त विरासत सूची में इसका शिलालेख विश्‍व के समक्ष भारतीय संस्कृति के सौंदर्य को दर्शाता है। यह सम्मान हमें भावी पीढ़ियों के लिए अपनी विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए बधाई वैश्विक स्वीकृति।”

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30 सितंबर 2023 तक पिछले पांच वर्षों में 2,94,115 रिक्तियां भरी गईं

भारतीय रेलवे के आकार, स्थानिक वितरण और परिचालन की गंभीरता को देखते हुए रिक्तियों की उपलब्धता होना और उन्हें भरा जाना एक निरंतर प्रक्रिया है। नई सेवाओं, नई प्रौद्योगिकियों, मशीनीकरण और नई प्रणालियों के मद्देनज़र रिक्तियों और जमीनी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर भर्तियां की जाती हैं। प्राथमिकताओं में तब्दीली और प्रौद्योगिकियों के अपग्रेड होने के कारण विभिन्न श्रेणियों में श्रमबल की ज़रूरतें भी अलग होती है। इसलिए भारतीय रेल में भरी जाने वाली रिक्तियों की पहचान करना और उन्हें निरंतर तरीके से भरना एक गतिशील प्रक्रिया है। परिचालन आवश्यकताओं के अनुसार भर्ती एजेंसियों के यहां रेलवे मांगपत्र जारी करता है और इस तरह से ये रिक्तियां मुख्यतः भरी जाती हैं। पिछले पांच वर्षों में 30 सितंबर 2023 तक 2,94,115 रिक्तियां भरी जा चुकी हैं।

यह जानकारी केंद्रीय रेलवे, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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