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डीआरडीओ ने आकाश-एनजी का सफल परीक्षण किया

  • तीन दिन में दूसरा सफल उड़ान परीक्षण
  • उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम
  • भारतीय वायु सेना की रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व इज़ाफ़ा करेगा
  • रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ को बधाई दी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दिनांक 23 जुलाई, 2021 को सुबह 11:45 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से नई पीढ़ी की आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया गया। यह परीक्षण एक उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के विरुद्ध किया गया था जिसे मिसाइल द्वारा सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया गया। उड़ान परीक्षण से स्वदेशी मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ मिसाइल से युक्त संपूर्ण हथियार प्रणाली के कामकाज को मान्यता मिली है। इस हथियार प्रणाली का खराब मौसमी हालात में परीक्षण किया गया था जिसने इस हथियार प्रणाली की हर मौसम में काम करने की क्षमता को सिद्ध कर दिया।

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आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात अनेक राडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा हासिल किए गए डेटा के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के प्रदर्शन को मान्य किया गया। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की एक टीम ने यह परीक्षण देखा।

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दिनांक 21 जुलाई, 2021 को सीकर बग़ैर मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया और मिशन की सभी आवश्यकताएं पूरी हुईं।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने तीन दिनों के अंतराल में आकाश-एनजी के दूसरे सफल उड़ान परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली का विकास भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि करने वाला साबित होगा।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने आकाश एनजी के सफल परीक्षण के लिए टीमों को बधाई दी जो उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम है।

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मई-जून 2021 के दौरान 73.46 लाख मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न का वितरण किया गया

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि, कोरोना महामारी की वजह से आये आर्थिक व्यवधान के कारण समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को 30 नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच)] के अंतर्गत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को अनाज का मुफ्त वितरण करने के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्यान्न आवंटित किया गया है। इनमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सहायता प्राप्त करने वाले परिवार भी शामिल हैं। योजना के तहत चिंहित किये गए लाभार्थियों की संख्या लगभग 80 करोड़ है, हालांकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा समय-समय पर की गई लाभार्थियों की पहचान के आधार पर इसमें परिवर्तन होता है।

एनएफएसए को केंद्र और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की संयुक्त जिम्मेदारी के तहत लागू किया गया है। यद्यपि केंद्र राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक खाद्यान्नों के आवंटन में, प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में निर्दिष्ट डिपो तक खाद्यान्न के परिवहन और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से खाद्यान्नों की डिलीवरी उचित मूल्य की दुकान तक कराने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। वहीं राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह हैं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ पात्र लाभार्थियों की पहचान, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के माध्यम से पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्न का वितरण, प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का आवश्यक सुदृढ़ीकरण करना भी शामिल है।

वर्ष 2020 (पीएमजीकेएवाई-I और II) के दौरान पीएमजीकेएवाई-2020 (अप्रैल-नवंबर 2020) के तहत 322 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से लगभग 298.8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (यानी करीब 93%) का वितरण राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया गया है।

अब तक 2021 (पीएमजीकेएवाई III) के दौरान (मई-जून 2021 में) लगभग 75.51 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से करीब 73.46 लाख मीट्रिक टन (यानी लगभग 97%) खाद्यान्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा वितरित किया गया है

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भारत दुनिया के सभी लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए जी-20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है : भूपेंद्र यादव

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि भारत एक ऐसे बेहतर विश्व, जिसमें कोई भी पीछे न छूटे, के लिए जी20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही इस ग्रह व यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ मजबूती से खड़ा है।

जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पर्यावरण मंत्री ने मौजूदा कोविड-19 संकट से निपटने के लिए एक सामूहिक वैश्विक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा कि इस दिशा में विकासशील देशों को पहले से कहीं ज्यादा हर संभावित मदद की जरूरत है। आज नेपल्स, इटली में हुई जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने श्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भाग लिया।

‘प्रकृति आधारित समाधानों’ (एनबीएस) और टिकाऊ वित्त पर भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि संदर्भ और योजनाएं आर्थिक विकास के चरण, राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होनी चाहिए और विकासशील देशों की प्रतिस्पर्धा, समानता व विकास की कीमत पर इनका निर्धारण नहीं होना चाहिए।

समुद्री कूड़े की समस्या से पार पाने के मुद्दे पर, श्री यादव ने जोर देकर कहा कि भारत ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर स्वैच्छिक नियामकीय कदम उठाए हैं और उन्होंने याद दिलाया कि 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा (यूएनईए) में भारत ने “एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के उत्पादों के प्रदूषण के समाधान” पर रिजॉल्युशन संख्या 4/9 अलग से पेश किया था।

केंद्रीय मंत्री ने संसाधन दक्षता (आरई) और सर्कुलर इकोनॉमी (सीई) पर भारत द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जी20 संसाधन दक्षता संवाद से आरई और सीई पर विचारों, जानकारियों के आदान-प्रदान को मजबूती और बेहतर भविष्य के लिए टिकाऊ व समानता के साथ संसाधनों के उपयोग को समर्थन देना चाहिए।

दिन भर चली बैठक के दौरान, भारत ने यूनेस्को की इंटरनेशनल एन्वायरमेंट एक्सपर्ट्स नेटवर्क; 2030 तक वैश्विक भू क्षेत्र और समुद्रों की कम से कम 30 प्रतिशत रक्षा; 2030 तक लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी; समुद्री प्लास्टिक कचरे पर जी20 कार्यान्वयन रूपरेखा पर तीसरी रिपोर्ट आदि वैश्विक पहलों का स्वागत किया।

भारत ने पानी पर जी20 संवाद का भी स्वागत किया, लेकिन राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखने की बात दोहराई। साथ ही 2020 के बाद के जैव विविधता फ्रेमवर्क को प्रभावी और कार्यान्वयन योग्य बनाने पर जोर दिया।

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दिल से निभाई गई ज़िम्मेदारी का अहसास ही प्यार है

आज का विषय थोड़ा गहरा है दोस्तों ।हम अपनी हर बात को बहुत हल्के से ले लेते है ।अच्छी बात है लेना भी चाहिये ,ज़िन्दगी को बहुत संजीदगी से लेना कभी-कभी- मन को उदासीन कर देता है मगर कुछ विषय को गहराई से सोचना ज़रूरी भी हो जाता है ।

हर प्रेम की नींव विश्वास होती है।सब को तालाश है सच्चे प्रेम की,इक विश्वास की।
जो सच मे प्यार करेगा ;वो दूसरे को समझेंगा भी ,कुछ भी त्यागने ,कोई भी क़ुर्बानी देने की चाह भी रखेगा।सिर्फ़ वो देना ही चाहेगा ,अपना वक़्त, अपनी तवज्जो।तब फ़िक्र
भी तेरा ही होगा और ज़िक्र भी ।
इक दिल से निभाई गई ज़िम्मेदारी का अहसास ही तो प्यार है।

आज के दौर में तो प्रेम की परिभाषा ही बदली हुई है जैसे प्रेम प्रेम न हो कर इक दिल बहलाने की चीज़ हो गई हो।आज कोई किसी की भी ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है ।शायद ये ब्रेकअप होना ,मूवओन होना कहने को तो हो सकता है मगर सोचें
दोस्तों ;
ज़िन्दगी में हम जिन लोगों से भी एक बार भी मिलते हैं कहां भूल पाते है उन्हें ,ख़ासकर वो लोग जो हमारी ज़िन्दगी का इक ख़ास हिस्सा रह चुके होते है कैसे कोई भूल सकता है या मूवओन हो सकता है मेरे हिसाब से ब्रेकअप करना बहुत आसान है बस किसी रिश्ते को जोड़े रखना ही मुश्किल होता है
कोई भी हो ,माँ बाप ,भाई बहन ,चाहे कोई दोस्त,या कोई प्रेमी जो हमें बेइंतहा मोहब्बत करता हो तो दोस्तों 🙏इस बात का ख़्याल ज़रूर रखें कि हम उनका विश्वास बनाये रखे ;
हमारी वजह से उनके दिल को ठेस
न लगे ।

जाने अनजाने हम किसी की तड़प बेचैनियाँ ,दुख और किसी की आँखों से निकले आँसूओ की वजह हम न बन बैठे। हमारी किसी ग़लत हरकत से किसी की नींदे उड़ जाये ,तो ये कोई छोटी सी बात न होगी ,दोस्तों !

इस बात का ख़्याल और डर हमेशा हमें रहना चाहिए ,दोस्तो कि जब कोई अपना दुख या शिकायत भीगीं आँखों से रब को सुना रहा हो उसमे तुम्हारे नाम का ज़िक्र न शामिल हो कहीं ।अगर ऐसा हुआ तो दोस्तों🙏
हमारी रूह पर इक बोझ या इसका क़र्ज़ ज़रूर रहता है और इस क़र्ज़
से दबी रूह चाहे जो भी कर
ले उसे मोक्ष नहीं मिलता

इस दुनिया में डरने लायक़ कुछ भी नहीं है दोस्तों ! सिवाय किसी की आह के ..”सुना है किसी के दुखी दिल से निकली आह ..तो पहाड़ों को भी चीर के रख देती है “
दोस्तों 🙏मेरी सब के लिये यही शुभकामनाएँ है कि आप का ज़िक्र लोगो की दुयाओ मे शामिल हो
न की उनकी बद दुआओ मे 🙏

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आवश्यक रक्षा सेवाएं अध्यादेश 2021 के विरोध में OFB कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस

भारतीय स्वरूप संवाददाता, वर्तमान सरकार द्वारा 41 आयुध कारखानों को 7 निगमों में परिवर्तित करने का फैसले पर 16 जून 2021 को कैबिनेट की मोहर लगी, इसके विरोध में रक्षा कारखानों के समस्त कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया| इसी बीच सरकार द्वारा 30. 06. 2021 से अलोकतांत्रिक तथा मनमाने ढंग से समस्त रक्षा सामग्री उत्पादन करने वाले कारखानों तथा संस्थानों को आवश्यक रक्षा सेवाएं आध्यादेश-2021 “एसेंशियल डिफेंस सर्विसेज ऑर्डिनेंस-2021” के अधीन लाकर हड़ताल तथा अन्य आंदोलनात्मक प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है| इस अध्यादेश से रक्षा क्षेत्र के उपक्रमों में कार्य करने वालों को अपने अधिकार हेतु लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है|

रक्षा क्षेत्र के तीनों मान्यताप्राप्त महासंघों ने संयुक्त रूप से इस अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक आध्यादेश के विरोध में कड़े शब्दों में निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर रक्षा मंत्री और सचिव रक्षा-उत्पादन को भेजा और 8 जुलाई 2021 को देश के सभी रक्षा प्रतिष्ठानों में एक दिवसीय काला दिवस मनाया जाना तय किया |

सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ के महासचिव श्री साधू सिंह के आवाहन पर रेल, डाक तार विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने भी इस अध्यादेश रूपी काले कानून के खिलाफ रक्षा कर्मचारियों के द्वारा मनाए जा रहे “ब्लैक डे” को समर्थन दिया है।

तीनों महासंघों के आवाहन पर आज पूरे देश के सभी रक्षा प्रतिष्ठानों में ” काला दिवस ” मनाया गया। इसी क्रम में आज संयुक्त संघर्ष समिति, ओ.पी.एफ. कानपुर ने निर्माणी द्वार पर दिनांक 8 जुलाई 2021 को काला दिवस मनाया, जिसमे समस्त कर्मचारियों ने भागीदारी सुनिश्चित करते हुए काला बिल्ला बांध कर निर्माणी में प्रवेश किया, साथ ही सरकार के इस अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की तथा आवश्यक रक्षा सेवाएं आध्यादेश-2021 (EDSO-2021) रुपी काले कानून की भर्त्सना भी की।

इस एक दिवसीय आंदोलन में आज पैराशूट निर्माणी कानपुर की समस्त यूनियनों के पदाधिकारियों के रूप में श्री आर के पराशर, श्री एस के साहू, श्री सुधीर त्रिपाठी, श्री प्रेम कुमार, श्री देवेन्द्र गौतम, श्री सर्वेश भदौरिया, श्री जितेन्द्र कुमार चोपड़ा, श्री अजय जायसवाल, श्री महेंद्र प्रताप, श्री मनीष शुक्ला, श्री अमर बाबू तिवारी, श्री निखिल रतन ,श्री प्रवीण यादव, श्री राज कुमार विश्वकर्मा, श्री रवि शंकर के साथ समस्त यूनियनों के अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्त्ता भी उपस्थित थे।

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भारत में ऑटोमोबाइल के लिए एशिया के सबसे लंबे और दुनिया के पांचवां सबसे लंबे हाई स्पीड ट्रैक का उद्घाटन

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज इंदौर में एनएटीआरएएक्स- हाई स्पीड ट्रैक (एचएसटी)का उद्घाटन किया,जो एशिया का सबसे लंबा ट्रैक है। एनएटीआरएएक्स को1000 एकड़ भूमि के क्षेत्र में विकसित किया गया है। जहां पर 2 पहिया वाहनों से लेकर भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक के सभी प्रमुख श्रेणी वाले वाहनों के हाई स्पीड परीक्षण हो सकेंगे। जो कि वाहनों के लिए सभी प्रकार के हाई स्पीड परीक्षण का एक प्रमुख केंद्र होगा।

विश्व स्तरीय 11.3 किमी लंबे हाई स्पीड ट्रैक के ई-उद्घाटन पर बोलते हुए,श्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत का ऑटोमोबाइल और स्पेयर पार्ट्स का मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनना तय है। मंत्री ने कहा, हम तेजी से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर बढ़ रहे हैं और इस दिशा में चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए के लिए प्रतिबद्ध है जिसकेतहत भारत ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों के विस्तार से नए रोजगार पैदा करने में भी सहयोग मिलेगा।

मंत्री ने कहा कि रेलवे, राजमार्ग और जलमार्ग क्षेत्र की कई परियोजनाएं वर्षों से लटकी हुई थीं जो आज मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पूरी हो रही हैं।

इस अवसर पर भारी उद्योग एवंलोक उद्यम राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इससे देश को बड़े पैमाने पर सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

एनएटीआरएएक्स केंद्र में कई परीक्षण क्षमताएं हैं जैसे अधिकतम गति को आंकना, एक्सीलरेशन,तय गति परईंधन की खपत क्षमता, रियलरोड ड्राइविंग सिमुलेशन के माध्यम से उत्सर्जन परीक्षण, लेन बदलने के दौरान के दौरान वाहन की स्थिरता, उच्च गति की निरंतरता परखने की सुविधा है।इसके अलावा यह वाहनों के डायनेमिक्स काएक उत्कृष्टता केंद्र है।

एचएसटी का इस्तेमाल बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑडी, फेरारी, लेम्बोर्गिनी, टेस्ला आदि जैसी हाई-एंड कारों की अधिकतम हाई स्पीड क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। जिसे किसी अन्य भारतीय परीक्षण ट्रैक पर नहीं मापा जा सकता है। मध्य प्रदेश में स्थित होने के कारण, यह अधिकांश ओईएम के लिए सुलभ है। विदेशी ओईएम भी भारतीय परिस्थितियों के लिए प्रोटोटाइप कारों के विकास के लिए एनएटीआरएएक्स एचएसटी के इस्तेमाल पर विचार करेंगे। वर्तमान में, विदेशी ओईएम हाई स्पीड परीक्षण जरूरतों के लिए विदेश में उच्च गति वाले ट्रैक पर परीक्षण करते हैं।

यह सभी प्रकार के हाई स्पीड परीक्षणों के लिए एक प्रमुख स्थान है, जो दुनिया में सबसे बड़े ट्रैकों में से एक है। यह सभी तरह की श्रेणी वाले वाहनों की जरूरत को पूरा कर सकता है।दो पहिया वाहनों से लेकर सबसे भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक के वाहनों का इस ट्रैक पर परीक्षण किया जा सकता है। ट्रैक के घुमावों पर वाहनोंकी स्टेयरिंग का नियंत्रण 375 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर भीकिया जा सकता है। इसके लिएट्रैक को कम अंडाकार बनाया गया है। जो इसे से वैश्विक स्तर पर सबसे सुरक्षित परीक्षण ट्रैक में से एक बनाता है।

 

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सेंट्रल सेक्टर के अग्रिम क्षेत्रों और भारतीय सेना के पश्चिमी कमान के मुख्यालय का दौरा किया

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने आज उत्तर भारत एरिया के जीओसी के साथ हिमाचल प्रदेश में सेंट्रल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सटे अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया। सुमदोह सब सेक्टर में फॉरवर्ड पोस्ट पर सीडीएस को देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में तैनात सैन्य बलों की अभियानगत तैयारियों की जानकारी दी गई। सीडीएस ने दूरदराज के इलाकों में तैनात भारतीय सेना, आईटीबीपी और जीआरईएफ कर्मियों के साथ व्यापक बातचीत की और उनके उच्च मनोबल की सराहना की। उन्होंने सभी रैंकों को उनके द्वारा प्रदर्शित सतर्कता और व्यावसायिकता के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

इसके बाद जनरल बिपिन रावत ने चंडीमंदिर में भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के मुख्यालय का दौरा किया जहां उन्होंने पश्चिमी सीमा की स्थिति की समीक्षा की। सीडीएस ने सैन्य बलों का बुद्धिमतापूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए इस कार्य के साथ साथ उन्हें चंडीगढ़, पटियाला, फरीदाबाद में कोविड अस्पतालों की स्थापना, सिविल अस्पतालों की सहायता में पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध कराने, आम नागरिकों के टीकाकरण में सहायता करने और महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई में विभिन्न स्थानों पर ऑक्सीजन संयंत्रों के संदर्भ में सहायता प्रदान करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने विरोधियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए कड़ी ट्रेनिंग पर ध्यान देने और सतर्क रहने पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी रैंकों को सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम रुझानों, उभरते साइबर खतरों और जवाबी उपायों के साथ स्वयं को तैयार रखना चाहिए।

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वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के लिए 6,28,993 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को राहत प्रदान करने के लिए कई उपायों की आज घोषणा की। घोषित उपायों का उद्देश्य स्वास्थ्य प्रणालियों को आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए तैयार करना और विकास एवं रोज़गार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करना है। केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट मामले राज्य मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, वित्त सचिव डॉ. टी. वी. सोमनाथन, डीएफएस सचिव, श्री देबाशीष पांडा और राजस्व सचिव श्री तरुण बजाज भी राहत पैकेज की घोषणा के दौरान उपस्थित थे।

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केंद्रीय वित्त औरकॉर्पोरेट मामले मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज नई दिल्ली में वित्तीय राहत पैकेज की घोषणा की

6,28,993 करोड़ रुपयों की राशि के कुल 17 उपायों की घोषणा की गई। इनमें पहले घोषित किए गए दो उपाय, डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी और मई से नवंबर, 2021 तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) का विस्तार भी शामिल हैं।

आज घोषित उपायों को निम्नलिखित 3 श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:-

1. महामारी से आर्थिक राहत

2. सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

3. विकास और रोजगार के लिए प्रोत्साहन

I. महामारी से आर्थिक राहत

आज घोषित 17 योजनाओं में से आठ का उद्देश्य कोविड-19 महामारी से प्रभावित लोगों और व्यवसायों को आर्थिक राहत प्रदान करना है। स्वास्थ्य और यात्रा एवं पर्यटन क्षेत्रों केपुनरोद्धार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

i. कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.10 लाख करोड़ की ऋण गारंटी योजना

इस नई योजना के तहत व्यवसायों को 1.1 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण मिलेगा। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 50,000 करोड़ रुपये और पर्यटन सहित अन्य क्षेत्रों के लिए 60,000 करोड़ रुपये शामिल हैं।

स्वास्थ्य क्षेत्र के घटक का उद्देश्य कम सेवा वाले क्षेत्रों में लक्षित चिकित्सा बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है। 8 महानगरों के अलावा अन्य शहरों में स्वास्थ्य/चिकित्सा बुनियादी ढांचे से संबंधित विस्तार और नई परियोजनाओं दोनों के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा, जबकि विस्तार के लिए गारंटी कवर 50 प्रतिशत और नई परियोजनाओं के लिए 75 प्रतिशत रहेगा। आकांक्षी जिलों के मामले में, नई परियोजनाओं और विस्तार दोनों के लिए 75 प्रतिशत का गारंटी कवर उपलब्ध होगा। योजना के तहत स्वीकार्य अधिकतम ऋण 100 करोड़ रुपये है और गारंटी अवधि 3 वर्ष तक है। बैंक इन ऋणों पर अधिकतम 7.95 प्रतिशत का ब्याज वसूल सकते हैं। अन्य क्षेत्रों के लिए ऋण 8.25 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज सीमा के साथ उपलब्ध होंगे। इस प्रकार इस योजना के तहत उपलब्ध ऋण बिना गारंटी के 10-11 प्रतिशतकी सामान्य ब्याज दरों की तुलना में काफी सस्ते होंगे।

ii. आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस)

सरकार ने मई, 2020 में आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में प्रारंभ की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) को 1.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का फैसला किया है। इस योजना के तहत ईसीएलजीएस पर विशेष ध्यान देते हुए 2.73 लाख करोड़ रुपयों की मंजूरी दीगई हैं जबकि 2.10 लाख करोड़ रुपये पहले ही वितरित किए जा चुके हैं। विस्तारित योजना के तहत, स्वीकार्य गारंटी और ऋण राशि की सीमा प्रत्येक ऋण पर बकाया के मौजूदा 20% के स्तर से ऊपर बढ़ाने का प्रस्ताव है। उभरती जरूरतों के अनुसार क्षेत्रवार विवरण को अंतिम रूप दिया जाएगा। इस प्रकार स्वीकार्य गारंटी की कुल सीमा 3 लाख करोड़ रुपये से 4.5 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है।

iii. लघु वित्त संस्थानों के लिए ऋण गारंटी योजना

यह आज घोषित एक पूरी तरह से नई योजना है जिसका उद्देश्य लघु वित्त संस्थानों के नेटवर्क द्वारा सेवा प्रदान करने वाले छोटे से छोटे उधारकर्ताओं को लाभ पहुंचाना है। नए या मौजूदा एनबीएफसी-एमएफआई या एमएफआई को लगभग 25 लाख छोटे कर्जदारों को 1.25 लाख रुपये तक के ऋण के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को गारंटी प्रदान की जाएगी। बैंकों से ऋण की अधिकतम सीमा एमसीएलआर प्लस 2% होगी। अधिकतम ऋण अवधि 3 वर्ष होगी, और वृद्धिशील उधार की 80% सहायता को एमएफआई द्वारा उपयोग किया जाएगा। ब्याज दरें आरबीआई द्वारा निर्धारित अधिकतम दर से कम से कम 2% कम होंगी। यह योजना नए ऋण देने पर केंद्रित है, न कि पुराने ऋणों के पुनर्भुगतान पर। एमएफआई कर्जदारों को आरबीआई के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार जैसे कि कर्जदाताओं की संख्या, जेएलजी का सदस्य बनने के लिए कर्जदार, घरेलू आय और कर्ज की अधिकतम सीमा के अनुरूप कर्ज देंगे। योजना की एक अन्य विशेषता यह है कि इसमें सभी उधारकर्ता (89 दिनों तक के डिफॉल्टरों सहित) पात्र होंगे। एमएफआई/एनबीएफसी-एमएफआई को एमएलआई द्वारा वित्त पोषण के लिए प्रदान की गई राशि पर 31 मार्च, 2022 तक अथवा जारी किए गए 7,500 करोड़ रुपये की राशि के लिए गारंटी जो भी पहले हो, के लिए गारंटी कवर उपलब्ध होगा। नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (एनसीजीटीसी) के माध्यम से 3 साल तक डिफ़ॉल्ट राशि का 75% तक गारंटी प्रदान की जाएगी।

योजना के तहत एनसीजीटीसी द्वारा कोई गारंटी शुल्क नहीं लिया जाएगा।

iv. पर्यटक गाइडों/ हितधारकों के लिए योजनाआज घोषित एक और नई योजना का उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत लोगों को राहत प्रदान करना है। कोविड-19 महामारी के कारण प्रभावित क्षेत्रों के लिए नई ऋण गारंटी योजना के तहत, पर्यटन क्षेत्र के लोगों को देनदारियों का निर्वहन करने और व्यवसायों को फिर से शुरू करने के लिए कार्यशील पूंजी/ व्यक्तिगत ऋण प्रदान किया जाएगा। इस योजना में कुल 10,700 पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय स्तर के पर्यटक गाइड और राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त पर्यटक गाइड और पर्यटन मंत्रालय द्वारा मान्यता प्राप्त लगभग 1,000 यात्रा और पर्यटन हितधारक (टीटीएस) शामिल होंगे। प्रत्येक टीटीएस 10 लाख रुपये तक का ऋण पाने के लिए पात्र होंगे जबकि प्रत्येक पर्यटक गाइड 1 लाख रुपये तक का ऋण ले सकते हैं। इसके लिए किसी प्रकार का प्रसंस्करण शुल्क नहीं होगा साथ ही फोरक्लोज़र/पूर्व भुगतान शुल्क में छूट और अतिरिक्त आनुशांगिक की कोई आवश्यकता नहीं होगी। इस योजना को पर्यटन मंत्रालय द्वारा एनसीजीटीसी के माध्यम से संचालित किया जाएगा।

v. 5 लाख पर्यटकों को एक महीने का निःशुल्क पर्यटक वीजा

पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह एक और योजना है। इसमें अवधारणा की गई है कि एक बार वीजा जारी होने के फिर से प्रारंभ होने के बाद, भारत की यात्रा करने वाले पहले 5 लाख पर्यटक वीजा निःशुल्क जारी किए जाएंगे। हालांकि, प्रति पर्यटक एक बार ही लाभ मिलेगा। यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक या 5 लाख वीजा जारी होने तक, जो भी पहले हो, तक लागू रहेगी। सरकार को इस योजना से कुल 100 करोड़ रुपये का वित्तीय प्रभाव का सामना करना होगा।

vi. आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एएनबीवाई) का विस्तार

आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना का शुभारंभ 1 अक्टूबर, 2020 को किया गया था। यह नियोक्ताओं को ईपीएफओ के माध्यम से नए रोजगार के सृजन, रोजगार में नुकसान की भरपाई के लिए प्रोत्साहित करती है। योजना के तहत 1000 कर्मचारियों तक की क्षमता के प्रतिष्ठान के लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अंशदान (मजदूरी का कुल 24%) के लिए 15,000 रुपये से कम मासिक वेतन पाने वाले नए कर्मचारियों को पंजीकरण से लेकर दो साल तक सब्सिडी प्रदान की जाती है जबकि 1,000 से अधिक कर्मचारियों की क्षमता के मामले में कर्मचारी का हिस्सा केवल (मजदूरी का 12%) होता है। योजना के अंतर्गत, 18.06.2021 तक 79,577 प्रतिष्ठानों के 21.42 लाख हितग्राहियों को 902 करोड़ रुपये का लाभ दिया जा चुका है। सरकार ने योजना के तहत पंजीकरण की तिथि को 30.6.2021 से बढ़ाकर 31.03.2022 करने का निर्णय लिया है।

vii. डीएपी और पीएण्डके उर्वरकों के लिए अतिरिक्त सब्सिडी

डीएपी और पीएंडके उर्वरकों के लिए किसानों को हाल ही में की गई अतिरिक्त सब्सिडी की घोषणा का विवरण प्रस्तुत किया गया। वित्त वर्ष 2020-21 में मौजूदा एनबीएस सब्सिडी 27,500 करोड़ रूपए थी जिसे वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ाकर 42,275 करोड़ रूपए कर दिया गया है। इस प्रकार, किसानों को 14,775 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का लाभ मिलेगा। इसमें डीएपी के लिए 9,125 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी और एनपीके आधारित जटिल उर्वरक के लिए 5,650 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी शामिल हैं।

viii. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के तहत मई से नवंबर2021 तक निःशुल्क खाद्यान

पिछले वित्तीय वर्ष में, कोविड-19 महामारी के कारण हुए आर्थिक व्यवधान के कारण गरीबों को हुई कठिनाइयों को दूर करने के लिए सरकार ने पीएमजीकेवाईके तहत 133,972 करोड़ रुपये व्यय किए थे। इस योजना का शुभारंभ पहले अप्रैल से जून 2020 की अवधि के लिए किया गया लेकिन बाद में गरीबों और जरूरतमंदों को निरंतर सहायता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुएइस योजना को नवंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था। था। कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर, गरीबों/ कमजोरों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मई 2021 में इस योजना को फिर से प्रारंभ किया गया। इसके तहत, एनएफएसए लाभार्थियों को मई से नवंबर 2021 तक पांच किलो अनाज निःशुल्क दिया जाएगा। योजना का अनुमानित वित्तीय प्रभाव 93,869 करोड़ रुपये होंगा, जिससे पीएमजीकेवाई की कुल लागत 2,27,841 करोड़ रुपये हो जाएगी।

II. सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाना

बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/ बाल चिकित्सा बिस्तरों की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अतिरिक्त 23,220 करोड़ रुपये प्रदान किए गए

क्रेडिट गारंटी योजना के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र को समर्थन देने के अलावा, 23,220 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन को मजबूत करने के लिए एक नई योजना की भी घोषणा की गई। इस नई योजना से बच्चों और बाल चिकित्सा देखभाल/बाल चिकित्सा बिस्तरों पर विशेष ध्यान देने के साथ अल्पकालिक आपातकालीन तैयारियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। चालू वित्त वर्ष में ही खर्च की जाने वाली योजना के लिए 23,220 करोड़ रुपये का परिव्ययरखा गया है। योजना के तहत मेडिकल छात्रों (इंटर्न, रेजीडेन्ट, अंतिम वर्ष) और नर्सिंग छात्रों के माध्यम से अल्पकालिक मानव संसाधन वृद्धि; आईसीयू बेड की उपलब्धता बढ़ाने, केंद्रीय, जिला और उप-जिला स्तर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति करने; उपकरण एवंदवाओं की उपलब्धता; टेली-परामर्श तक पहुंच; एम्बुलेंस सेवाओं को मजबूत करने; और जाँच क्षमता एवं सहायक निदान में वृद्धि, निगरानी एवं जीनोम अनुक्रमण के लिए क्षमता को मजबूत करने के लिए धन उपलब्ध कराया जाएगा।

iii. सरकार द्वारा विकास और रोजगार के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके लिए निम्नलिखित आठ योजनाओं की घोषणा की गई:-

i. जलवायु अनुकूल विशिष्ट किस्म जारी

पहले उच्च उपज वाली फसल की किस्मों को विकसित करने के लिए पोषण, जलवायु अनुकूलता और अन्य विशेषताओं की ओर ध्यान नहीं दिया गया था। इन किस्मों में, महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की सांद्रता आवश्यक स्तर से काफी कम थी, और ये जैविक और अजैविक दबावोंके प्रति अतिसंवेदनशील थी। आईसीएआर ने प्रोटीन, आयरन, जिंक, विटामिन-ए जैसे उच्च पोषक तत्वों वाली जैव-दृढ़िकृत फसल किस्मों को विकसित किया है। ये किस्में रोगों, कीटों, सूखे, लवणता और बाढ़ जैसी समस्याओं का सामना करने में सक्षम हैं, और जल्दी परिपक्व होती हैं और इन्हें यांत्रिक कटाई के तौर पर भी विकसित किया जाता हैं। चावल, मटर, बाजरा, मक्का, सोयाबीन, क्विनोआ, कुट्टू, विंग्ड बीन, अरहर और ज्वार की 21 ऐसी किस्में राष्ट्र को समर्पित की जाएंगी।

ii. पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) का पुनरुद्धार

पूर्वोत्तर क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम (एनईआरएएमएसी) की स्थापना 1982 में पूर्वोत्तर के किसानों को कृषि-बागवानी उत्पादों का लाभकारी मूल्य प्राप्त करने में सहायता करने के लिए की गई थी। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर में कृषि, खरीद, प्रसंस्करण और विपणन बुनियादी ढांचे को बढ़ाना है। इसमें 75 किसान उत्पादक संगठन/किसान उत्पादक कंपनियां एनईआरएएमएसी के साथ पंजीकृत हैं। इसने पूर्वोत्तर के 13 भौगोलिक संकेतक (जीआई) फसलों के पंजीकरण की सुविधा प्रदान की है। कंपनी ने बिचौलियों/एजेंटों को दरकिनार कर किसानों को 10-15 फीसदी अधिक मूल्य प्रदान करने के लिए व्यापारिक योजना तैयार की है। इसमें उद्यमियों को इक्विटी वित्त की सुविधा के लिए जैविक खेती के लिए पूर्वोत्तर केंद्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। एनईआरएएमएसी को77.45 करोड़ रुपये का पुनरुद्धार पैकेज प्रदान किया जाएगा।

iii. राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाते (एनईआईएमाध्यम से निर्यात परियोजना के लिए 33,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (एनईआईए) ट्रस्ट जोखिम कवर का विस्तार करके मध्यम और दीर्घकालिक (एमएलटी) परियोजना निर्यात को बढ़ावा देता है। यह एक्ज़िम बैंक द्वारा दिए गए कम क्रेडिट-योग्य उधारकर्ताओं और सहायक परियोजना निर्यातकों को खरीदार के लिए क्रेडिट को कवर प्रदान करता है। एनईआईए ट्रस्ट ने 31 मार्च, 2021 तक 63 विभिन्न भारतीय परियोजना निर्यातकों द्वारा 52 देशों में 52,860 करोड़ रुपये की 211 परियोजनाओं का समर्थन किया है। एनईआईए को 5 वर्षों में अतिरिक्त कोष प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। यह इसे अतिरिक्त रुपये को हामीदारी करने में सक्षम करेगा। परियोजना निर्यात का 33,000 करोड़।

iv. निर्यात बीमा कवर को 88,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन

निर्यात ऋण गारंटी निगम (ईसीजीसी) ऋण बीमा सेवाएं प्रदान करके निर्यात को बढ़ावा देता है। इसके उत्पाद भारत के व्यापारिक निर्यात के लगभग 30 प्रतिशत का समर्थन करते हैं। निर्यात बीमा कवर को 88,000 तक बढ़ाने के लिए ईसीजीसी में 5 वर्षों तक इक्विटी रखने का निर्णय लिया गया है।

v. डिजिटल इंडियाः भारतनेट पीपीपी मॉडल के माध्यम से प्रत्येक गांव में ब्रॉडबैंड के लिए 19,041 करोड़ रूपए

2,50,000 ग्राम पंचायतों में से 56,223 ग्राम पंचायतों को 31 मई, 2021 तक सेवा के लिए तैयार कर दिया गया है। भारतनेट को व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के आधार पपीपीपी मॉडल में 16 राज्यों में (9 पैकेजों में समायोजित) करके लागू करने का प्रस्ताव है। इसके लिए अतिरिक्त रु. 19,041 करोड़ प्रदान किए जाएंगे। इस प्रकार, भारतनेट के तहत कुल परिव्यय को बढ़ाकर 61,109 करोड़ रुपए तक बढ़ाया जाएगा। यह सभी ग्राम पंचायतों और बसे हुए गांवों को कवर करने के लिए भारतनेट के विस्तार और उन्नयन को सक्षम करेगा।

vi. बड़े स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के कार्यकाल का विस्तार

पीएलआई योजना पांच वर्ष की अवधि के लिए भारत में निर्मित लक्षित खंडों के तहत माल की वृद्धिशील बिक्री पर 6 प्रतिशत से 4 प्रतिशत का प्रोत्साहन प्रदान करती है। प्रोत्साहन आधार वर्ष 2019-20 के साथ 01 अगस्त 2020 से लागू हैं। हालांकि, महामारी संबंधी लॉकडाउन, कर्मियों की आवाजाही पर प्रतिबंध, स्थानांतरित संयंत्र और मशीनरी की स्थापना में देरी और घटकों की आपूर्ती श्रृंखला में व्यवधान के कारण उत्पादन गतिविधियों में व्यवधान के कारण कंपनियां वृद्धिशील बिक्री की स्थिति हासिल करने में असमर्थ रही हैं। इसलिए 2020-21 में शुरू की गई योजना के कार्यकाल को एक वर्ष यानी 2025-26 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है। भाग लेने वाले उद्योगों को योजना के तहत अपने उत्पादन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कोई भी पांच वर्ष चुनने का विकल्प मिलेगा। 2020-21 में किए गए निवेश को स्वीकार्य निवेश के रूप में गिना जाता रहेगा।

vii. सुधार-आधारितपरिणाम- से जुड़ी ऊर्जा वितरण योजना के लिए 3.03 लाख करोड़ रुपये दिये गए

बुनियादी ढांचे के निर्माण, प्रणाली के उन्नयन, क्षमता निर्माण और प्रक्रिया में सुधार के लिए डिस्कॉम्स को वित्तीय सहायता की संशोधित सुधार-आधारित, परिणाम से जुड़ी बिजली वितरण योजना की घोषणा 2021-22 के केंद्रीय बजट में की गई थी। इसका उद्देश्य “एक आकार सभी के लिए उपयुक्त” के स्थान पर राज्य का भी विशिष्ट हस्तक्षेप कराना है। योजना में भागीदारी पूर्व-योग्यता मानदंड जैसे लेखा-परीक्षित वित्तीय रिपोर्ट का प्रकाशन, राज्य सरकार की बकाया राशि/डिस्कॉम को सब्सिडी का अग्रिम परिसमापन और अतिरिक्त नियामक परिसंपत्तियों का निर्माण करने के आधार पर होगी। योजना के तहत 25 करोड़ स्मार्ट मीटर, 10,000 फीडर, 4 लाख किमी एलटी ओवरहेड लाइन लगाने के लिए सहायता प्रदान करने का लक्ष्य है। आईपीडीएस, डीडीयूजीजेवाई और सौभाग्य के वर्तमान में जारी कार्यों को भी योजना में शामिल किया जाएगा। योजना के लिए कुल परिव्यय 3,03,058 करोड़ रुपए है, जिसमें से केंद्र सरकार का हिस्सा 97,631 करोड़ रुपए है। इस योजना के तहत उपलब्ध राशि सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 0.5% की अतिरिक्त उधारी के अतिरिक्त है जो राज्यों को अगले चार वर्षों के लिए वार्षिक रूप से उपलब्ध होगी बशर्ते कि बिजली क्षेत्र में विशिष्ट सुधार किए जाएं। इस उद्देश्य के लिए इस वर्ष उपलब्ध उधार धनराशि 1,05,864 करोड़ रुपये है।

viii. पीपीपी परियोजनाओं और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के लिए नई सुव्यवस्थित प्रक्रिया

सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं के अनुमोदन की वर्तमान प्रक्रिया लंबी है और इसमें अनुमोदन के कई स्तर शामिल हैं। पीपीपी प्रस्तावों के मूल्यांकन और अनुमोदन के लिए एक नई नीति तैयार की जाएगी और सूचना प्रौद्योगिकी को आमंत्रण के माध्यम से मुख्य बुनियादी ढाँचे की संपत्ति का मुद्रीकरण किया जाएगा। नीति का उद्देश्य बुनियादी ढांचे के निर्माण और प्रबंधन के वित्तपोषण में निजी क्षेत्र की क्षमता को सुविधाजनक बनाने के लिए परियोजनाओं की शीघ्र मंजूरी सुनिश्चित करना रहेगा।

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भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिशन मोड में भारतीय रेलवे 11,5000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं सौंपने के लिए तैयार

भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मिशन मोड में भारतीय रेलवे अगले कुछ वर्षों में 11,5000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 58 अति महत्वपूर्ण और 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं को सौंपने के लिए तैयार है।

कोविड की चुनौतियों के बावजूद भारतीय रेलवे पटरियों की क्षमता बढ़ाने के लिए अत्यावश्यक परियोजनाओं को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है।

पिछले एक वर्ष में 11,588 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 1,044 किलोमीटर लंबाई की 29 अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं चालू हो गई हैं।

भारतीय रेल ने 39,663 करोड़ रुपये की लागत वाली कुल 3,750 किलोमीटर लंबाई की कुल 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं को चिन्हित किया है। इन 58 अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से 27 परियोजनाएं दिसंबर, 2021 तक पूरी हो जाएंगी जबकि शेष 02 परियोजनाएं मार्च 2022 तक सौंपी जाएंगी।

उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल नेटवर्क का अधिकांश यातायात गोल्डन चतुर्भुज, उच्च घनत्व नेटवर्क मार्गों और अत्यधिक उपयोग किए गए  भारतीय रेलवे नेटवर्क मार्गों पर चलता है। उच्च घनत्व और अत्यधिक उपयोग किए जाने वाले नेटवर्क मार्ग में भारतीय रेलनेटवर्क कीमार्ग लंबाई 51 प्रतिशत है लेकिन इसमें 96 प्रतिशत यातायात है।

यातायात घनत्व, ले जाई जाने वाली सामग्री के प्रकार, रणनीतिक दृष्टि से मार्ग के महत्व के आधार पर तेजी से प्रगति कर रही परियोजनाओं (व्यय पहले ही 60 प्रतिशत से अधिक) सहित तत्काल विस्तार के लिए आवश्यक परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण श्रेणी (58 परियोजनाएं) में रखा गया है। जो परियोजनाएं अगले चरण में पूरी होनी हैं उन्हें महत्वपूर्ण परियोजनाएं(68 परियोजनाएं) माना गया है। ये सभी सिविल परियोजनाएं (विद्युतीकरण तथा सिग्नलिंग कार्य से संबंधित) हैं।

केंद्रित रूप में वित्त पोषण तथा निरंतर निगरानी से इन परियोजनाओं को जल्द पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है ताकि निवेश का लाभ उठाया जा सके। पूरी होने पर यह परियोजनाएं मोबिलिटी, सुरक्षा में सुधार लाएंगी और इन संतृप्त तथा व्यस्त मार्गों पर सवारी और मालगाड़ी चलाने की अतिरिक्त क्षमता का निर्माण होगा। शीघ्र पूरी की जाने वाली चिन्हित परियोजनाओं के लिए बजट आवंटन को उच्च प्राथमिकता दी गई है।

अति महत्वपूर्ण परियोजनाएः

39,663 करोड़ रुपए लागत की 3,750 किलोमीटर कुल लंबाई वाली 58 परियोजनाओं को अति महत्वपूर्ण चिन्हित किया गया है। यह अति महत्वपूर्ण परियोजनाएं मल्टी-ट्रैकिंग यानी दोहरीकरण/तीसरी लाइन/चौथी लाइन की व्यस्त मार्गों पर हैं। इन परियोजनाओं के पूरी होने पर रेलवे इन घने/ संतृप्त/व्यस्त मार्गों पर सुरक्षा के साथ तेज गति से अधिक यातायात संचालन में सक्षम होगा। अब तक 11,588 करोड़ रुपए लागत की 1,044 किलोमीटर कुल लंबाई की 29 परियोजनाएं चालू कर दी गई हैं। 27 परियोजनाएं दिसंबर, 2021 तक पूरी हो जाएंगी जबकि शेष 02 परियोजनाएं मार्च 2022 तक पूरी होंगी।

महत्वपूर्ण परियोजनाएं:

75,736 करोड़ रुपये की लागत वाली 6,913 किलोमीटर कुल लंबाई की 68 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान की गई है और 1,408 करोड़ रुपये की लागत वाली 108 किलोमीटर लंबी 04 परियोजनाएं अब तक पूरी कर ली गई हैं और शेष परियोजनाओं को मार्च 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

68 महत्वपूर्ण परियोजनाएं – अनुमानित लागत 75,736 करोड़ रुपये (लगभग 76,000 करोड़) की थीं जिनमें से 21 मार्च तक 37,734 (लगभग 38,000 करोड़ रुपये) खर्च किए गए हैं। इस वर्ष के लिए परिव्यय 14,466 करोड़ रुपये (लगभग 15,000 करोड़) है। अब-तक 4 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं।

भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी के बावजूद वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,614 किलो मीटर दोहरीकरण/तीसरी/चौथी लाइन चालू की है। महामारी की स्थिति के बावजूद भारतीय रेलवे ने वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान अब तक 133 किलोमीटर दोहरीकरण/तीसरी लाइन चालू की है।

भारतीय रेलवे ने असम, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे राज्यों में कुछ प्रमुख क्षमता निर्माण परियोजनाएं दी हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

  1. असम –

न्यू बोंगईगांव-गुवाहाटी सेक्शन के ब्रह्मपुत्र नदी पर नारायण सेतु पर दूसरी लाइन ट्रैक चालू होने से इस सेक्शन पर काफी राहत मिलेगी।

 

  1. पश्चिम बंगाल-
  2. ए)  मई 2021 में भारतीय रेलवे ने कोविड-19 महामारी और राज्य चुनाव के बावजूद पश्चिम बंगाल में दो दोहरीकरण परियोजनाओं यानी कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ का हिस्सा चालू किया है।

बी) कटवा-बाजार साऊ और अजीमगंज-बाजार साऊ: एनटीपीसी टीपीएस यानी फरक्का क थर्मल पावर स्टेशन (निर्माणाधीन) के लिए कोयले की आवाजाही के लिए बर्धमान साहिबगंज की ओर आने- जाने वाले यातायात को देखते हुए इस लाइन का दोहरीकरण बहुत महत्वपूर्ण है

3.) महाराष्ट्र –

जून 21 में भारतीय रेलवे ने महाराष्ट्र में अति महत्वपूर्ण परियोजना भुसावल-जलगांव तीसरी लाइन शुरू की है, जिससे इस सेक्शन की अड़चन दूर हो जाएगी और मामद-खंडवा और भुसावल-उधना सेक्शन में ट्रेन सेवा संचालन के लिए काफी राहत मिलेगी।

4.) उत्तराखंड-

हरिद्वार-लक्सर दोहरीकरण:. राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से मेरठ, मुजफ्फरनगर और रुड़की होते हुए हरिद्वार तक इस खंड का पूरा मार्ग चालू होने के बाद डबल लाइन (जनवरी, 2021 में) बन गया है। इससे इस व्यस्त मार्ग पर समयबद्धता में सुधार होगा।

उपरोक्त अति महत्वपूर्ण और महत्वपूर्ण परियोजनाओं के पूरा होने के बाद भीड़भाड़ वाले मार्गों पर यात्री और माल ढुलाई की सुचारू आवाजाही, ट्रेनों की गति बढ़ाने, नई रेल सेवा शुरू करने, सुरक्षा में वृद्धि के लिए अधिक लाइन क्षमता उपलब्ध होगी क्योंकि इन व्यस्त मार्गों पर रखरखाव मार्जिन उपलब्ध होगा।

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स्मृति इरानी ने संरक्षण अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो

घरेलू हिंसा की पीड़ितों की मदद को लेकर सुरक्षा अधिकारियों की विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने आज लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट सीरीज शुरू की। यह घरेलू हिंसा के मामलों से निपटने के लिए संरक्षण अधिकारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम है। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ज़ूबिन इरानी, एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा, लोक रंजन, निदेशक एलबीएसएनएए और चेयरपर्सन, नेशनल जेंडर एंड चाइल्ड सेंटर तथा श्रीमती दिशा पन्नू ने वर्चुअल रूप से हिस्सा लिया। प्रशिक्षण का उद्देश्य पुलिस, कानूनी सहायता सेवाओं, स्वास्थ्य प्रणाली, सेवा प्रदाताओं, आश्रय सेवाओं, वन स्टॉप सेंटर आदि सहित अधिनियम के तहत विभिन्न हितधारकों/सेवा प्रदाताओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित करना है।

श्रीमती स्मृति इरानी ने अपने उद्घाटन भाषण में राष्ट्रीय महिला आयोग की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिलाओं के लिए प्रशासन और न्याय के बीच की खाई को पाटते हैं और यह उनकी प्राथमिकता होनी चाहिए कि पीड़ितों की पहुंच उनके लिए उपलब्ध सभी कानूनी अधिकारों तक हो। केंद्रीय मंत्री ने महामारी के दौरान महिलाओं की मदद करने के लिए 24/7 काम करने के लिए एनसीडब्ल्यू नेतृत्व को बधाई दी। उन्होंने आयोग द्वारा शुरू किए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे गर्भवती महिलाओं के लिए हेल्पलाइन और सुरक्षा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की वर्तमान पहल की सराहना की।

अपने संबोधन में एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष श्रीमती रेखा शर्मा ने संरक्षण अधिकारियों की भूमिका के महत्व पर प्रकाश डाला, जो पीड़ित महिला और अदालत के बीच सुविधा प्रदान करने वाले की भूमिका में होते हैं। उन्होंने कहा कि संरक्षण अधिकारी पीड़ित महिला को राहत प्राप्त करने के लिए शिकायत दर्ज कराने और मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन करने के अलावा चिकित्सकीय सहायता, कानूनी सहायता, परामर्श, सुरक्षित आश्रय और अन्य जरूरी सहायता प्राप्त करने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि इन प्रशिक्षण सत्रों में प्रतिभागियों में अधिनियम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए कानूनी प्रणाली, सुरक्षा अधिकारियों की भूमिका और अन्य हितधारकों के साथ परस्पर संबंध को लेकर समझ विकसित होगी। यह प्रशिक्षण रूढ़िवादी मानसिकता को भी बदलने पर ध्यान केंद्रित करेगा और घरेलू हिंसा का पीड़ितों और उनके बच्चों पर प्रभाव को समझेगा।

28 जून से 2 जुलाई तक चलने वाला पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम उन कार्यशालाओं की श्रृंखला में पहला है, जो आगे उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पश्चिम बंगाल इन तीन राज्यों के संरक्षण अधिकारियों के लिए आयोजित किए जाएंगे। महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए प्रशिक्षण ऑनलाइन रखा गया है।

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