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तीन दिवसीय मेगा पर्यटन कार्यक्रम “लद्दाख : नई शुरुआत, नए लक्ष्य” कल से लेह में शुरू हो रहा है

मुख्य विशेषताएं :

  1. इस कार्यक्रम का उद्देश्य साहसिक, सांस्कृतिक और जिम्मेदार पर्यटन के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लद्दाख को एक पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देना है।

 

  1. इस कार्यक्रम का उद्देश्य उद्योग के हितधारकों को स्वदेशी उत्पादों के बारे में जानकारी उपलब्ध करना तथा देश के बाकी हिस्सों के टूर ऑपरेटरों और खरीदारों के साथ बातचीत करने के लिए स्थानीय हितधारकों को एक मंच उपलब्ध कराना भी है।

 

  1. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में लद्दाख की पर्यटन सुविधाओं और पर्यटन उत्पादों के प्रदर्शन के लिए प्रदर्शनी, पैनल चर्चा, बी2बी बैठकें, तकनीकी पर्यटन और सांस्कृतिक संध्या जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाएगा।

केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उप-राज्यपाल श्री राधा कृष्ण माथुर और केंद्रीय पर्यटन, संस्कृति और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी 26 से 28 अगस्त 2021 तक लेह में आयोजित किए जाने वाले मेगा-पर्यटन कार्यक्रम “लद्दाख: नई शुरुआत, नए लक्ष्य” को संबोधित करेंगे। श्री जी. किशन रेड्डी इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से शामिल होंगे। इस कार्यक्रम के दौरान लद्दाख क्षेत्र के समग्र विकास पर केंद्रित दस्तावेज “लद्दाख के लिए एक पर्यटन विजन” का विमोचन किया जाएगा। यह दस्तावेज़ सतत पारिस्थितिक प्रथाओं की पृष्ठभूमि में स्थानीय सामग्री और मानव संसाधनों के निर्माण की परिकल्पना करता है। लद्दाख के सांसद श्री जम्यांग त्सेरिंग नामग्याल, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पर्यटन और संस्कृति सचिव श्री के. महबूब अली खान, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव, श्री अरविंद सिंह और अन्य गणमान्य व्यक्ति इस कार्यक्रम में शामिल होंगे।

पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख प्रशासन के पर्यटन विभाग और एडवेंचर टूर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एटीओएआई) के सहयोग से 25 से 28 अगस्त, 2021 तक “लद्दाख: नई शुरुआत, नए लक्ष्य” नामक इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं। इसका उद्देश्य साहसिक, संस्कृति और जिम्मेदार पर्यटन के पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए लद्दाख को एक पर्यटक स्थल के रूप में बढ़ावा देना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उद्योग के हितधारकों को स्वदेशी उत्पाद प्रदान करना और देश के बाकी हिस्सों के टूर ऑपरेटरों/खरीदारों के साथ बातचीत करने के लिए स्थानीय हितधारकों को एक मंच प्रदान करना है।

घरेलू पर्यटन देश के पर्यटन क्षेत्र के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पर्यटन मंत्रालय घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रचार गतिविधियों का आयोजन करता है। इन गतिविधियों का मुख्य उद्देश्य पर्यटन स्थलों और उत्पादों के बारे में जागरूकता को बढ़ाना, पूर्वोत्तर, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और जम्मू-कश्मीर जैसे प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देना है।

हालांकि कोविड-19 महामारी ने दुनिया को एक अप्रत्याशित रूप से प्रभावित किया है और इसने एक ठहराव पैदा किया है, लेकिन अब रिकवरी के संकेत देखे जा रहे हैं और देश में लोगों की आवाजाही शुरू हो गई है। यात्रा के साधन यानि एयरलाइंस,  ट्रेन और राजमार्गों पर घरेलू पर्यटन खंड में पर्यटन यातायात में नियमित बढ़ोतरी की जानकारी मिल रही है। मंत्रालय ने भी उद्योग हितधारकों की भागीदारी के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना शुरू कर दिया है। पर्यटन मंत्रालय विभिन्न अभियानों और पहलों जैसे ‘देखो अपना देश’ के माध्यम से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लद्दाख को बढ़ावा दे रहा है।  लद्दाख के बारे में एक समर्पित वेबिनार का भी आयोजन किया गया था। अतुल्य भारत वेबसाइट और  मंत्रालय के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, प्रिंटिंग ऑफ फ्लायर्स आदि के माध्यम से भी लद्दाख का प्रचार किया जाता है।

इस कार्यक्रम में लगभग 150 प्रतिभागियों के शामिल होने का अनुमान है, जिनमें ओपिनियन मेकर,  टूर ऑपरेटर, होटल व्यवसायी, राजनयिक,  होमस्टे मालिक, भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के वरिष्ठ अधिकारी  और मीडियाकर्मी शामिल हैं। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में लद्दाख की पर्यटन सुविधाओं और पर्यटन उत्पादों को दर्शाने के लिए प्रदर्शनी, पैनल चर्चा, बी2बी बैठकें, तकनीकी पर्यटन, सांस्कृतिक संध्या जैसी गतिविधियों को शामिल किया जाएगा।

इस तीन दिवसीय आयोजन में 25 अगस्त को बी2बी मीटिंग आयोजित की जाएंगी। 26 अगस्त को पर्यटन से संबंधित विभिन्न विषयों को शामिल करते हुए पैनल चर्चाओं का आयोजन किया जाएगा। 27 अगस्त को प्रतिनिधि दो अलग-अलग समूहों में चिलिंग और लिकिर का तकनीकी दौरा करेंगे।

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भारत स्वच्छ ऊर्जा पर अमेरिका के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज ‘भारत-अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी’ के तहत जलवायु कार्रवाई एवं वित्तीय संग्रहण संवाद यानी क्लाइमेट एक्शन एंड फाइनेंस मोबिलाइजेशन डॉयलॉग  (सीएएफएमडी) ट्रैक और अन्य संबंधित मुद्दों पर अमेरिका के राष्ट्रपति के विशेष दूत (एसपीईसी) श्री जॉन केरी के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।

भारत और अमेरिका इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्ष, ‘भारत-अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझेदारी’ के तहत एक रचनात्मक जुड़ाव के लिए काम करेंगे।पर्यावरण मंत्री ने कहा कि ये मंच जलवायु कार्रवाइयों के लिए एक साथ काम करने के अधिक अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत स्वच्छ ऊर्जा पर अमेरिका के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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अफीमकोठी से झकरकटी तक लगा जाम, डीसीपी साउथ ने जाम हटवाया

अफीमकोठी से झकरकटी जाने वाले रास्ते पर जाम लगने की सूचना पर डीसीपी साउथ रवीना त्यागी व बाबूपुरवा थाने की फोर्स पहुंच गईं और बस अड्डे के बाहर सड़क घेरे खड़े ऑटो-टेंपो और ई-रिक्शा को हटवाया। रक्षाबंधन पर अपने घर और रिश्तेदारों के यहां जाने वालों की भीड़ से शहर ही नहीं दक्षिण के भी कई प्रमुख चौराहों पर रविवार को जाम की स्थिति रही। दादानगर क्रॉसिंग से सीटीआई आने वाली रोड पर भी दिनभर जाम की स्थिति रही। इस दौरान वाहन रेंगते हुए निकले। इसी तरह बर्रा पटेल चौक चौराहा, नंदलाल चौराहा से चावला चौराहा, बर्रा बाईपास से कर्रही रोड पर भी रुक-रुककर जाम लगा। ट्रैफिक पुलिस ने भी चौराहों पर सड़क घेर खड़े सवारी वाहनों को हटवाया।

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भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल आंकड़ा 58 करोड़ के पार पहुंचा

भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल आंकड़ा कल 58 करोड़ के पार पहुंच गया है। आज सुबह सात बजे तक प्राप्त अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार बीते 24 घंटों में टीके की 52,23,612 डोज देने के साथ ही भारत में कोविड-19 टीकाकरण का कुल कवरेज 58.14 (58,14,89,377) करोड़ के पार पहुंच गया है। टीकाकरण का यह लक्ष्य 64,39,411 सत्रों के माध्यम से प्राप्त किया गया है।

 

आज सुबह 7 बजे तक की अस्थायी रिपोर्ट के अनुसार कुल टीकाकरण का विवरण इस प्रकार से है:

स्वास्थ्य कर्मी पहली खुराक 1,03,53,366
दूसरी खुराक 82,10,206
अग्रिम पंक्ति के कर्मी पहली खुराक 1,83,03,885
दूसरी खुराक 1,25,60,909
18-44 वर्ष आयु वर्ग पहली खुराक 21,63,66,206
दूसरी खुराक 1,93,27,127
45-59 वर्ष आयु वर्ग पहली खुराक 12,24,63,403
दूसरी खुराक 4,87,01,565
60 वर्ष से अधिक पहली खुराक 8,32,68,790
दूसरी खुराक 4,19,33,920
कुल   58,14,89,377

 

केन्द्र सरकार देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की गति में तेजी लाने तथा इसके दायरे को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

पिछले 24 घंटों में 38,487 कोरोना संक्रमित रोगियों के स्वस्थ होने के साथ ही कुल ठीक होने वाले मरीजों (महामारी की शुरुआत के बाद से) की संख्या बढ़कर 3,16,36,469 हो गई है।

 

स्वस्थ होने की दर 97.57 प्रतिशत पर पहुंची गई है, जो मार्च 2020 के बाद से अपने उच्च्तम स्तर पर है।

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डीआरडीओ ने भारतीय वायु सेना के लिए उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विकसित की

प्रमुख बातें:

• यह तकनीक दुश्मन के रडार से पैदा खतरों से लड़ाकू विमानों की रक्षा करेगी

• बड़ी मात्रा में उत्पादन के लिए उद्योग को प्रदान की गई

• भारतीय वायु सेना ने सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के पूरा होने के बाद शामिल करने की प्रक्रिया शुरू की

• रक्षा मंत्री ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दुश्मन के रडार खतरों से निपटने के लिए भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की सुरक्षा के लिए एक उन्नत चैफ प्रौद्योगिकी विकसित की है। जोधपुर स्थित डीआरडीओ की रक्षा प्रयोगशाला ने वायुसेना की गुणात्मक आवश्यकताओं को पूरा करते हुए, डीआरडीओ की पुणे स्थित उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला (एचईएमआरएल) के सहयोग से उन्नत चैफ सामग्री और चैफ कार्ट्रिज-118/I से इसको विकसित किया है। भारतीय वायु सेना ने सफल उपयोगकर्ता परीक्षणों के पूरा होने के बाद इस तकनीक को शामिल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है ।

आज के इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में आधुनिक रडार खतरों में प्रगति के कारण लड़ाकू विमानों की उत्तरजीविता प्रमुख चिंता का विषय है। विमान की उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के लिए, काउंटर मेजर डिस्पेंसिंग सिस्टम (सीएमडीएस) का उपयोग किया जाता है जो इंफ्रा-रेड और रडार खतरों के खिलाफ निष्क्रिय जैमिंग प्रदान करता है। चैफ एक महत्वपूर्ण रक्षा तकनीक है जिसका उपयोग लड़ाकू विमानों को शत्रुतापूर्ण रडार खतरों से बचाने के लिए किया जाता है।  इस तकनीक का महत्व इस तथ्य में निहित है कि हवा में तैनात बहुत कम मात्रा में चैफ सामग्री लड़ाकू विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दुश्मन की मिसाइलों को अपने मार्ग से भटकाने के लिए प्रलोभन का काम करती है। भारतीय वायुसेना की वार्षिक रोलिंग आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में उत्पादन करने हेतु उद्योग को प्रौद्योगिकी प्रदान की गई है।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इस महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और उद्योग की सराहना की है, इसे रणनीतिक रक्षा प्रौद्योगिकियों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में डीआरडीओ का एक और कदम बताया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी ने इस उन्नत तकनीक के सफल विकास से जुड़ी टीमों को बधाई दी जो भारतीय वायु सेना को और मजबूत करेगी।

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अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज का प्रायोगिक स्तर पर शुभारम्भ हुआ –सोना-चांदी के आयात के लिए प्रवेश द्वार बनेगा

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) के अध्यक्ष श्री इंजेती श्रीनिवास ने आज यहां पायलट रन/सॉफ्ट लॉन्च का शुभारंभ किया। आईएफएससीए के स्थापना दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज 1 अक्टूबर, 2021 से ‘लाइव’ हो जाएगा।

केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा केंद्रीय बजट 2020-21 में घोषणा के बाद11 दिसंबर, 2020 को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (बुलियन एक्सचेंज) विनियम, 2020 अधिसूचित किया गया था, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ बुलियन एक्सचेंज,क्लियरिंग कॉर्पोरेशन, भण्डार और वॉल्ट शामिल हैं। सरकार ने बुलियन स्पॉट ट्रेडिंग और बुलियन भण्डार रसीदों को वित्तीय उत्पादों के रूप में तथा बुलियन से संबंधित सेवाओं को वित्तीय सेवाओं के रूप में अधिसूचित करने के लिए भी कदम उठाए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज “भारत में बुलियन आयात का प्रवेश द्वार” होगा, जिसके तहत घरेलू खपत के लिए सभी बुलियन आयात की प्रक्रिया एक्सचेंज के माध्यम से पूरी की जायेगी। उम्मीद है कि एक्सचेंज इकोसिस्टम से बुलियन कारोबार के लिए सभी बाजार सहभागियों को एक मंच पर लाया जाएगा, जो कुशल मूल्य निर्धारण, सोने की गुणवत्ता के आश्वासन, वित्तीय बाजारों के अन्य क्षेत्रों के साथ अधिक एकीकरण आदि को सक्षम करेगा और दुनिया में कारोबार के प्रमुख केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत करने में मदद करेगा।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनएसई), मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (एमसीएक्स), इंडिया आईएनएक्स इंटरनेशनल एक्सचेंज (आईएफएससी) लिमिटेड (इंडिया आईएनएक्स), नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल), सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (सीडीएसएल)के बीच समझौता ज्ञापन के अनुसार एक होल्डिंग कंपनी,‘इंडिया इंटरनेशनल बुलियन होल्डिंग आईएफएससीलिमिटेड’(आईआईबीएच) को आईएफएससी, जीआईएफटी (गिफ्ट) सिटी में अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज, बुलियन क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और बुलियन डिपॉजिटरी की स्थापना और संचालन के उद्देश्य से गठित किया गया है।

आईएफएससीए ने होल्डिंग कंपनी के आवेदन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत होल्डिंग कंपनी की सहायक कंपनी,”इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज आईएफएससी लिमिटेड” के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज की स्थापना की जायेगी और इसमें बुलियन एक्सचेंज और बुलियन क्लियरिंग कॉरपोरेशन भी शामिल किया जायेगा।

एक विदेशी डिपॉजिटरी,सीडीएसएल-आईएफएससीको बुलियन एक्सचेंज के लिए बुलियन डिपॉजिटरी के रूप में नामित किया गया है, जो वॉल्ट मैनेजर के प्रबंधन के लिए भी जिम्मेदार होगा।

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प्रधानमंत्री 20 अगस्त को सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 20 अगस्त को प्रात: 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से गुजरात के सोमनाथ में कई परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे। जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाना है उनमें सोमनाथ सैरगाह, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और पुराने (जूना) सोमनाथ का पुनर्निर्मित मंदिर परिसर शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखेंगे।

सोमनाथ सैरगाह को ‘प्रसाद  (तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक, धरोहर संवर्धन अभियान) योजना’ के तहत 47 करोड़ रुपये से भी अधिक की कुल लागत से विकसित किया गया है। ‘पर्यटक सुविधा केंद्र’ के परिसर में विकसित सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के खंडित हिस्सों और पुराने सोमनाथ की नागर शैली की मंदिर वास्तुकला वाली मूर्तियों को दर्शाया जाता है।

पुराने (जूना) सोमनाथ के पुनर्निर्मित मंदिर परिसर को श्री सोमनाथ ट्रस्ट द्वारा 3.5 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पूरा किया गया है। इस मंदिर को ‘अहिल्याबाई मंदिर’ के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसे इंदौर की रानी अहिल्याबाई द्वारा तब बनाया गया था, जब उन्होंने पाया कि पुराना मंदिर खंडहर में तब्‍दील हो गया है। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के साथ-साथ इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए संपूर्ण पुराने मंदिर परिसर का समग्र रूप से पुनर्विकास किया गया है। श्री पार्वती मंदिर का निर्माण 30 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से किया जाना प्रस्तावित है। इसमें सोमपुरा सलात शैली में मंदिर का निर्माण, गर्भ गृह और नृत्य मंडप का विकास करना शामिल होगा।

केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय पर्यटन मंत्री, गुजरात के मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।

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स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में महिला महाविद्यालय में पौधा रोपण

संवाद सूत्र डा. दिनेश चंद्र शुक्ल। स्वतंत्रता दिवस के 75 वी वर्षगांठ के उपलक्ष्य मे
भारत की आजादी का अमृत महोत्सव
के तत्वावधान महिला महाविद्यालय (पी.जी.)कालेज, किदवई नगर, कानपुर मे
पर्यावरण व हेल्थ- हाइजीन कमेटी
व्दारा वृक्षारोपण कार्यक्रम
स्वस्थ पर्यावरण, स्वस्थ जन
आयोजित किया गया, जिसमे प्राचार्या डाॅ. प्रतिभा श्रीवास्तव, डाॅ मनीषा शुक्ला, डाॅ मीरा त्रिपाठी, डाॅ ममता दीक्षित, डाॅ अनामिका वर्मा के द्वारा वृक्षारोपण किया गया।

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कुछ ख्याल अलग से

कुछ अलग से ख्याल…

कैद किया था आंखों के रास्ते से
मगर मसला रिहाई का था,
रिहा कर दिया आंखों के ही रास्ते से
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बड़े बेमुरव्वत से होते हैं ये दिल के रिश्ते
एहसासों की जमीं पर “नील की खेती” से रिश्ते
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चांद हौले से झांक गया मेरे झरोखे को
मैं मुद्दतों इंतजार करती रही उसकी रौशनी को
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इंतजार अब भी रहता है मेरी शिकायतों का
ये जुदा बात है कि अंदाज-ए-सलीका नहीं आता शिकायतों का

:: प्रियंका वर्मा

 

 

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अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर योगी की सर्जिकल स्टाइक

उत्तरप्रदेश मे योगी सरकार द्वारा दो ही बच्चे अच्छे नारे के साथ लाये गए जनसंख्या नियंत्रण कानून ने मानों अराजक तत्वों और धर्म की राजनीति करने वाले सभी आकाओं की नींद उड़ा दी l आये दिन इस कानून को मुस्लिम विरोधी बता कर एक समूह को न सिर्फ विकास से दूर रखने का प्रयास किया जा रहा है बल्कि उन्हें वास्तविकता से भी दूर रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है l परन्तु वास्तव में ये भारत में रहने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाना कितना जरूरी है
इसी विषय पर उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री मोहिसन रजा ने कहा कि ‘ जनसंख्या नियत्रंण कानून से समाज कल्याण होगा’। हमें एक देश एक कानून एक बच्चा पर काम करना चाहिए
“हम मुस्लिम समाज को ऊपर बढ़ाना चाहते हैं टोपी से टाई तक ले जाना चाहते है, लेकिन बाकि विरोधी दल ये चाहते हैं कि ये लोग पंक्चर लगाते रह जाए। इनका विकास न हो, जब से हम सरकार में आए है तब से ही शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जा रहा है, अलग-अलग जगह पर स्कूल खोले जा रहे है। शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जनता तक बेहतर सुविधाए पंहुचाने के लिए जनसख्या कानून जरूरी है”
मोहिसन रज़ा द्वारा कही गई ये बात उस वास्तविकता को बताती है जिसे नज़रअंदाज़ ना तो किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए l लेकिन जब कभी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कोई कानून बनाती है तो अक्सर देश में इस मुददे पर प्रारंभ होने वाले वैचारिक विमर्श को कुछ लोगों द्वारा एक हक छीनने जैसी प्रतिक्रिया मिलती है। ऐसा लगता है जैसे उनके निजी जीवन पर हमला किया गया हो। कुछ बुद्धिजीवी वर्ग इसे धार्मिक रंग चढ़ाने से भी पीछे नहीं हटते और जरूरी मुददों के प्रति जागरूकता को लेकर समाज को भटकाने का प्रयास करते है।
जनसंख्या की द्ष्टि से भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है, एवं जनघनत्व के मामले में भी भारत काफी उपर है। भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण भूमि एवं अन्य संसाधनों पर काफी दबाव महसूस किया जाता रहा है। मसलन जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव किस तरह पड़ता है इसे समझना जरुरी है l किसी भी देश की जनसंख्या को घटाने या बढ़ाने में मुख्यतः दो कारक प्रमुख होते है, जब जन्म दर, मुत्यु दर से अधिक हो तो जनसंख्या में वृद्धि आती है। दूसरा यदि दूसरे देशों से आने वालों की संख्या विदेश जाने वाले लोगों की संख्या से अधिक होगी तो जनसंख्या में वृद्धि होगी एवं विपरीत स्थिति में जनसंख्या में कमी आएगी।
संयुक्त राष्ट्र की द वल्र्ड पापुलेशन प्रोस्पोट्स 2019 हाईलाइट्स नामक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2027 तक चीन को पीछे छोड़ते हुए भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2050 तक भारत की कुल आबादी 1.64 बिलियन के आंकड़े को पार कर जाएगी एवं वैश्विक जनसंख्या में 2 बिलियन हो जाएगी। रिपोर्ट में यह भी रेखांकित किया गया है कि इस अवधि में भारत में युवाओं की बड़ी संख्या मौजूद होगी l लेकिन आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों के अभाव में इतनी बड़ी आबादी की आधारभूत आवश्यकताओं जैसे- भोजन, आश्रय, चिकित्सा और शिक्षा को पूरा करना भारत के लिये सबसे बड़ी चुनौती होगी l बढ़ती आबादी किसी देश के विकास के लिए कितनी घातक होंगी इसका भान शायद गाँधी जी को पहले से ही पता था इसी लिए उन्होंने कहा था कि प्रकृति के पास लोगो की अवश्यक्ताओ को पूरा करने के लिए परिपूर्ण संसाधन है परन्तु बढ़ती जनसंख्या पर नियंत्रण संसाधनों की कमी से बचने का एकमात्र तरीका है ताकि भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी ना हो l
किसी भी देश कि स्थिरता उस देश की आर्थिक स्थिति के द्वारा सुनिश्चित होती है, परन्तु एक अन्य वास्तविकता यह भी है कि जनसंख्या वृद्धि के कारण अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जिससे बेरोजगारी, पर्यावरण का अवनयन, आवासों की कमी, निम्न जीवन स्तर जैसी समस्याए जुड़ी रहती है। इसका उदहारण यह है कि वर्तमान में भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले लोगों की संख्या काफी अधिक है। यह गरीबी और अभाव, अपराध, चोरी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व तस्करी जैसी समस्याओं को जन्म देती है। पर्यावरण की दृष्टि से भी जनसंख्या वृद्धि हानिकारक है। बढ़ती आवश्यकताओं के कारण प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहने किया जा रहा है जिसके परिणाम विनाशकारी सिद्ध हो रहे है। जनसंख्या वृद्धि को जल-प्रदूषण, वायु प्रदूषण एवं मृदा प्रदूषण के लिये भी दोषी माना जा रहा है l ऐसा इसलिए क्योंकि जनसंख्या वृद्धि का सबसे गंभीर प्रभाव पर्यावरण पर ही देखा गया है l
यूपी की जनसंख्या पर योगी प्लान
विगत कई वर्षो से भारत में जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुददा रहा है। देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा है। पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था। उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न सगंठनों तथा प्रभुद्ध लोगों ने इससे संबधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की। वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वे संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया l
इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है कि वे इससे संबधित अधिनियम पारित करें। जिसक अंतर्गत हालही में 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर यूपी की योगी सरकार ने नई जनसंख्या नीति का ड्राफ्ट पेश किया l इस ड्राफ्ट के अंतर्गत अब यूपी में 2 से ज्यादा बच्चों के होने पर उत्तरप्रदेश के किसी भी निवासी को किसी भी सरकारी योजना का फायदा नहीं मिलेगा l सरकारी नौकरियों में मौका भी नहीं मिलेगा, स्थानीय निकाय, पंचायत चुनाव लड़ने पर रोक होंगी और राशन कार्ड में चार से अधिक सदस्य नहीं होंगे।
यूपी विधि आयोग ने कहा कि पास होने के 1 साल बाद कानून लागू होगा। कानून से प्रोत्साहन ज्यादा और हत्सोत्साहन नहीं होगा। सभी जाति धर्म को देखते हुए मसौदे पर काम किया जाएगा किसी विशेष जाति को टारगेट नहीं किया जाएगा।
बच्चा एक फायदे अनेक
कानून में यह सुनिश्चित किया गया है कि गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों को अनेक फायदे मिल पांएगें l 1 बच्चे के बाद नसबंदी कराने पर स्वास्थ्य सुविध होगी. एकल बच्चा लड़का है तो 80 हजार रूपये की मदद मिलेगी और अगर एकल बच्चा लड़की है तो 1 लाख रूपए दिए जाएंगे, साथ ही बच्चे के 20 साल का होने तक बीमा कवरेज होगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले पर बच्चे को फायदा मिलेगा। सरकारी नौकरियों में एकल बच्चे को प्राथमिकता मिलेगी और एक बच्चा लड़की हो तो ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्ष दी जाएगी। सबसे ज्यादा आबादी का राज्य की जनसंख्या 23 करोड़ है l यूपी में जन्म दर राष्ट्रीय औसत से अभी 2.2 प्रशित अधिक है। आखिरी बार जनसंख्या नीति साल 2000 में पारित हुई थी जिसमें जन्म दर 2.7 प्रशित का 2026 तक 2.1 प्रतिशत लाने का लक्ष्य था। 2021-2030 के लिए प्रस्तावित नीति के माध्यम से परिवार नियोजन कार्यक्रम के अंतर्गत जारी गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढाया जाना और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने की कोशिश होगी l
विरोधजीवियों के द्वारा इस प्रगतिशील कानून पर हल्ला उठाना वास्तव में उनकी निम्न मानसिकता और त्रुटिपूर्ण राजनीति का उदाहरण है l बाहरहाल हमें यह समझना होगा कि जनसंख्या वृद्धि किसी एक राज्य की समस्या ना होकर संपूर्ण भारत की समस्या है जिसका निवारण भी राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए  – प्रीती राठौर

लेखिका शिवाजी कॉलेज दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं

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