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सुप्रीम कोर्ट ने विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों द्वारा विज्ञापन जारी करने से पहले स्व-घोषणा अनिवार्य की

दैनिक भारतीय स्वरुप,  माननीय उच्‍चतम न्यायालय ने रिट याचिका सिविल संख्या 645/2022-आईएमए एवं एएनआर बनाम यूओआई एवं ओआरएस मामले में अपने दिनांक 07.05.2024 के आदेश में निर्देश दिया कि सभी विज्ञापनदाताओं/विज्ञापन एजेंसियों को किसी भी विज्ञापन को प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एक ‘स्व-घोषणा प्रमाणपत्र’ प्रस्तुत करना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के बाद, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने टीवी और रेडियो विज्ञापनों के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के प्रसारण सेवा पोर्टल और प्रिंट एवं डिजिटल/इंटरनेट विज्ञापनों के लिए भारतीय प्रेस परिषद के पोर्टल पर एक नई सुविधा शुरू की है। विज्ञापनदाता/विज्ञापन एजेंसी के अधिकृत प्रतिनिधि द्वारा हस्ताक्षरित प्रमाणपत्र को इन पोर्टलों के माध्यम से प्रस्तुत करना होगा।

पोर्टल 4 जून, 2024 से काम करने लगेगा। सभी विज्ञापनदाताओं और विज्ञापन एजेंसियों को 18 जून, 2024 या उसके बाद जारी/टेलीविजन प्रसारण/रेडियो पर प्रसारित/प्रकाशित होने वाले सभी नए विज्ञापनों के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र प्राप्त करना आवश्यक है। सभी हितधारकों को स्व-प्रमाणन की प्रक्रिया से परिचित होने के लिए पर्याप्त समय प्रदान करने के लिए दो सप्ताह का अतिरिक्‍त समय रखा गया है। वर्तमान में चल रहे विज्ञापनों को स्व-प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है।

स्व-घोषणा प्रमाणपत्र यह प्रमाणित करता है कि विज्ञापन (i) भ्रामक दावे नहीं करता है, और (ii) केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम, 1994 के नियम 7 और भारतीय प्रेस परिषद के पत्रकारिता आचरण के मानदंडों में निर्धारित सभी उचित नियामक दिशा निर्देशों का अनुपालन करता है। विज्ञापनदाता को संबद्ध प्रसारक, प्रिंटर, प्रकाशक या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को उनके रिकॉर्ड के लिए स्व-घोषणा प्रमाणपत्र अपलोड करने का प्रमाण देना होगा। माननीय उच्‍चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार, वैध स्व-घोषणा प्रमाणपत्र के बिना किसी भी विज्ञापन को टेलीविज़न, प्रिंट मीडिया या इंटरनेट पर चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

माननीय उच्‍चतम न्यायालय का निर्देश पारदर्शिता, उपभोक्ता संरक्षण और जिम्मेदार विज्ञापन कार्य प्रणालियां सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय सभी विज्ञापनदाताओं, प्रसारकों और प्रकाशकों से इस निर्देश का पूरी लगन से पालन करने का आग्रह करता है। –(PIB)

स्‍व-घोषणा प्रमाणपत्र के बारे में विस्‍तृत दिशा-निर्देशों के लिए यहां क्लिक करें

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स्कूली शिक्षा विभाग ने राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के लिए संस्थागत ढांचा विकसित करने हेतु उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग ने आज नई दिल्ली में डिजिटल लाइब्रेरी प्लेटफॉर्म, राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के लिए एक संस्थागत ढांचा बनाने को लेकर उच्च शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के सचिव श्री के. संजय मूर्ति, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार, संयुक्त सचिव श्रीमती अर्चना शर्मा अवस्थी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

अपने संबोधन में श्री के. संजय मूर्ति ने बच्चों के जीवन में गैर-शैक्षणिक पुस्तकों के महत्व को रेखांकित किया क्योंकि इससे उन्हें भविष्य में अपनी पढ़ाई का विषय चुनने में मदद मिलती है। उन्होंने राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से आग्रह किया कि वह शैक्षणिक संस्थानों के अध्यापकों को अच्छी पुस्तकें लिखने के लिए आमंत्रित करें जिन्हें राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय में शामिल किया जा सके।

श्री संजय कुमार ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पुस्तकें पढ़ने की आदत विकसित करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय पाठकों की भौगोलिक स्थिति की परवाह किए बिना चौबीसों घंटे उपलब्ध रहेगा, जिससे उन्हें पुस्तकें आसानी से मिल सकेंगी।

उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय से कई राज्यों में पुस्तकालय की कमी की समस्या का समाधान हो जाएगा। उन्होंने कंटेंट एनरिचमेंट कमेटी की भूमिका पर भी जोर दिया जो राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के प्लेटफॉर्म में शामिल की जाने वाली पुस्तकों पर निर्णय लेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले 2-3 वर्षों में 100 से अधिक भाषाओं में 10000 से अधिक पुस्तकें होंगी।

श्रीमती अवस्थी ने राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय में गैर-शैक्षणिक शीर्षकों को शामिल करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी बताया कि अंग्रेजी सहित 23 भाषाओं में 1000 से अधिक पुस्तकें पहले ही ई-पुस्तकालय में जोड़ी जा चुकी हैं।

अपनी तरह की पहली डिजिटल लाइब्रेरी, राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय, अंग्रेजी के अलावा 22 से अधिक भाषाओं में 40 से अधिक प्रतिष्ठित प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित 1,000 से अधिक गैर-शैक्षणिक पुस्तकों से लैस भारतीय बच्चों और युवाओं में पढ़ने के प्रति आजीवन प्रेम पैदा करने का प्रयास करेगी। इसका उद्देश्य देश भर के बच्चों और किशोरों के लिए विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, भाषाओं, शैलियों और स्तरों में गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाना और डिवाइस-ऐग्नास्टिक पहुंच प्रदान करना होगा। पुस्तकों को एनईपी 2020 के अनुसार चार आयु समूहों 3-8, 8-11, 11-14 और 14-18 वर्ष की आयु के पाठकों में वर्गीकृत किया जाएगा।

राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय ऐप एंड्रॉयड और आईओएस दोनों डिवाइस पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध होगा। राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय की अन्य प्रमुख विशेषताओं में कई विधाओं में पुस्तकों की उपलब्धता शामिल होगी, जैसे कि एडवेंचर और मिस्ट्री, हास्य, साहित्य और कथा, क्लासिक्स, गैर-काल्पनिक और स्व-सहायता, इतिहास, आत्मकथाएं, कॉमिक्स, चित्र पुस्तकें, विज्ञान, कविता, आदि। इसके अलावा, पुस्तकें वसुधैव कुटुम्बकम को साकार करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक जागरूकता, देशभक्ति और सहानुभूति को बढ़ावा देंगी।

राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय प्रोजेक्ट डिजिटल खाई को पाटने और सभी के लिए समावेशी माहौल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस प्रकार पुस्तकें कभी भी और कहीं भी पढ़ने के लिए उपलब्ध होंगी। इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके, स्कूली शिक्षा विभाग और राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत, शैक्षिक वातावरण को बेहतर बनाने हेतु सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से एक सहकारी प्रयास की शुरुआत होगी, जो देश भर में गुणवत्तापूर्ण गैर-शैक्षणिक पठन सामग्री की उपलब्धता को बदलने की क्षमता रखेगा ताकि देश के युवाओं में पढ़ने की बेहतर आदतों का प्रचार किया जा सके।

“भारतीय युवाओं में पढ़ने की आदतों की फिर से खोज” विषय पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई, जिसमें भारतीय प्रकाशन जगत के विशेषज्ञों ने शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, स्कूल के प्रधानाचार्यों, प्रकाशकों, विद्वानों, मीडिया के सदस्यों और अन्य लोगों के साथ अपने व्यावहारिक विचार साझा किए।

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रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन में 80वां स्टाफ कोर्स शुरू

रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी), वेलिंगटन (तमिलनाडु) में आज 80वां स्टाफ कोर्स शुरू हुआ। इस कोर्स को भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के मिड-करियर अधिकारियों को प्रशिक्षित करने और उन्‍हें कुशल स्टाफ अधिकारी और भावी सैन्य नेता बनाने के साथ-साथ एकीकृत त्रि-सेवा सेवा में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल से युक्‍त करने के लिए तैयार किया गया है। इस पाठ्यक्रम के दौरान 26 मित्र देशों के 38 अधिकारियों सहित 480 छात्र अधिकारी 45 सप्ताह से अधिक की अवधि के दौरान प्रत्येक सेवा के कामकाज के साथ-साथ सामरिक और परिचालन स्तर पर युद्ध दर्शन की गहरी समझ भी प्राप्‍त करेंगे।

छात्र अधिकारियों को संबोधित करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल वीरेंद्र वत्स, कमांडेंट डीएसएससी ने युद्ध की गतिशील प्रकृति और चरित्र, वीयूसीए विश्व की विशेषताओं के साथ-साथ इस बारे में भी प्रकाश डाला है कि डीएसएससी द्वारा छात्र अधिकारियों को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए कैसे सशक्त बनाया जाएगा। उन्होंने सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच समन्‍वय और एकीकरण की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए आधुनिक युद्ध में सहज सहयोग को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक सेवा की विशिष्‍ट क्षमताओं को समझने के महत्व पर जोर दिया।

कमांडेंट ने छात्र अधिकारियों के लिए उभरती हुई प्रौद्योगिकियों और भारत के सैन्य और सुरक्षा परिदृश्य पर प्रभाव डालने वाले भू-राजनीतिक मुद्दों की मजबूत समझ विकसित करने की जरूरत पर भी प्रकाश डाला। यह जागरूकता अधिकारियों को उचित निर्णय लेने और सैन्य रणनीतियों में प्रभावी रूप से योगदान देने में सक्षम बनाएगी।

अपनी तरह की इस प्रथम पहल में 80वें स्टाफ कोर्स ने भारतीय सेना, नौसेना, वायु सेना और मित्र देशों के चुनिंदा छात्र अधिकारियों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया पाठ्यक्रम भी शुरू किया है। यह पाठ्यक्रम युद्ध में संयुक्तता और एकीकरण के लिए एक सहयोगी और अंतर-सेवा दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के साथ-साथ उनके करियर के शुरुआती चरण में अंतर-सेवा समझ और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस प्रकार यह पाठयक्रम इन अधिकारियों को थिएटर कमांड के आगामी युग में नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाएगा।

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साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन संपन्न

कानपुर 1 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता,bकानपुर शहर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘श्यामार्चना फाउंडेशन’ का सातवां स्मृति सम्मान समारोह व काव्य संगमन आज दिनांक 1 जून 2024 को संस्था के प्रधान कार्यालय जवाहर नगर में संपन्न हुआ। कार्यक्रम में लखनऊ, कानपुर, उन्नाव आदि शहरों के साहित्यकार उपस्थित रहे। इस वर्ष का स्मृति सम्मान प्रख्यात साहित्यकार व अंतरराष्ट्रीय कवि डॉक्टर सुरेश अवस्थी जी(कानपुर) प्रसिद्ध कथा वाचक डॉक्टर संत शरण त्रिपाठी जी ( लखनऊ) ख्यातिप्राप्त कवयित्री डॉ कमल मुसद्दी जी( कानपुर) व इं श्रवण कुमार मिश्रा ( लखनऊ)जी को दिया गया ।यह कार्यक्रम दो सत्रों में हुआ । प्रथम सत्र में श्यामार्चना फाउंडेशन के संस्थापक डॉ प्रदीप अवस्थी, अध्यक्ष निरंजन अवस्थी व कोषाध्यक्ष रेखा अवस्थी जी ने सभी साहित्यकारों को अंग वस्त्र,स्मृति चिन्ह, मोती माल, व श्रीफल भेंट कर उनका सम्मान किया व सभी का काव्यपाठ हुआ।द्वितीय सत्र में सभी साहित्यकारों के भोजन उपरांत काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमे श्री अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी), अंशुमन दीक्षित,  मनीष रंजन त्रिपाठी ,डॉ कमलेश शुक्ला जी,  दिलीप दुबे,  अमित ओमर,डॉ नारायणी शुक्ला ,डॉ प्रमिला पांडे, अमित पांडे, डॉ दीप्ति मिश्रा, पी के शर्मा आदि सभी ने बेहतरीन काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में डॉ अजीत सिंह राठौर (लुल्ल कानपुरी) की 14 वीं बाल गीत पुस्तक ‘कंचे’ का लोकार्पण भी हुआ। कार्यक्रम का शानदार संचालन स्वैच्छिक दुनिया के संस्थापक व प्रतिष्ठित कवि डॉ राजीव मिश्रा जी ने किया।

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बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर में कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 30 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय स्वरूप नगर में लायंस इंटरनेशनल के डिस्ट्रिक्ट 321 B-2 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा प्रधानमंत्री की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के उद्देश्य के समर्थन हेतु कानपुर विद्या मंदिर की बुक बैंक इकाई को और समृद्ध बनाने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर (MJF) लायन ज्ञान प्रकाश गुप्ता द्वारा महाविद्यालय की बुक बैंक में कुल 184 पुस्तकों का दान किया गया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में लायन चित्र दयाल (पी जी डी), लायन विवेक श्रीवास्तव( कैबिनेट सेक्रेटरी), लायन दिनेश्वर दयाल( कैबिनेट ट्रेजरार) लायन पवन तिवारी (डिस्ट्रिक्ट पी आर ओ) लायन गोपाल तुलसियान उपस्थित रहें। कार्यक्रम की अध्यक्षता डिस्ट्रिक्ट चेयर पर्सन वीना ऐरन ने की, जिन्होंने बताया कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय को लायंस क्लब द्वारा आज तृतीय चरण में पुस्तकों का दान किया जा रहा है। इससे पूर्व प्रथम चरण में 64 एवम द्वितीय चरण में 152 पुस्तकों प्रदान की गई थीं । आगे भी आवशयक्तानुसार लायंस इंटरनेशनल क्लब , छात्राओं के लिए शिक्षा की जरूरी सामग्री उपलब्ध कराता रहेगा, जिससे बेटियों को सक्षम और सशक्त बनाने में सहायता प्राप्त होगी। महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर पूनम विज जी ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र साधन है जिससे बेटियां सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकतीं हैं। लायंस क्लब कानपुर एकता विशाल ने हमारी बुक बैंक की पहल के कार्यक्रम के विशेष सहयोग दिया है। इससे हमें बुक बैंक इकाई स्थापित करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। आपके सहयोग के लिए हम आभारी हैं।
कार्यक्रम का समापन लायन विनोद बाजपेई द्वारा धन्यवाद देकर किया गया। इस कार्यक्रम में लायन इंटरनेशनल के अन्य सदस्य लायन सुधा यादव ,लायन रेनू गुप्ता, लायन मोनिका अग्रवाल एवम कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय की कला संकाय की सभी शिक्षिकाएं एवम पुस्तकालय प्रभारी उपस्थित रही।

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कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी: भारत में रीजनल पीआर के लिए सफलता के पिलर्स

भारतीय स्वरूप संवाददाता, आज की परस्पर जुड़ी दुनिया में, प्रभावी पब्लिक रिलेशन्स की महत्ता पहले से कहीं अधिक है, खासकर तब, जब बात भारत के विविध और जीवंत बाजार को नेविगेट करने की आती है। सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत में किसी भी पीआर कैंपेन की

सफलता कल्चर (संस्कृति), कनेक्शन (संपर्क) और क्रेडिबिलिटी (विश्वसनीयता) की तिकड़ी में महारत हासिल करने पर निर्भर
करती है। रीजनल ऑडियंस के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने के लिए कल्चर संबंधी उनकी बारीकियों को गहराई से
समझने की आवश्यकता होती है। साथ ही, प्रमुख स्टेकहोल्डर्स के साथ वास्तविक संबंध स्थापित करना और विश्वसनीय
कम्युनिकेशन स्ट्रेटेजीस के माध्यम से उनका विश्वास अर्जित करना भी होता है।
कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी ऐसे पिलर्स हैं, जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। ये भारत में सफल पीआर प्रयासों को रेखांकित
करने वाली आवश्यकता को उजागर करते हैं। इन तीन पिलर्स को अपनाकर, बिज़नसेस भारत की अपार संभावनाओं पर
प्रकाश डाल सकते हैं और साथ ही अपने पीआर प्रयासों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
पहला सी कल्चरल नेविगेशन का
आज के मॉडर्न युग में, पब्लिक रिलेशन्स (पीआर) की भूमिका क्षेत्रों और कल्चर से परे है, जो कम्युनिकेशन के लिए एक सूक्ष्म
दृष्टिकोण की माँग करती है। विभिन्न क्षेत्रों की पहचान के रूप में व्याप्त (कल्चरल डाइवर्सिटी) सांस्कृतिक विविधता, पीआर
प्रोफेशनल्स के लिए चुनौतियाँ और अवसर दोनों प्रस्तुत करती है। किसी विशिष्ट क्षेत्र के भीतर संस्कृतियों, भाषाओं और
मूल्यों की जटिल टेपेस्ट्री को समझना पहला कदम है। यह समझ नींव के रूप में संदेशों को तैयार करती है, जो विविध दर्शकों
के साथ प्रामाणिक रूप से संबंधित है।
फिर भी, सांस्कृतिक विविधता की माँग परंपराओं की सतही समझ से कहीं अधिक होती है। कम्युनिकेशन में संवेदनशीलता
सर्वोपरि है। गैर-मौखिक संकेतों को स्वीकार करना, रूढ़ियों से बचना और सांस्कृतिक बारीकियों का सम्मान करने वाली
भाषा का उपयोग करना, ये सभी प्रभावी क्रॉस-कल्चरल संदेश भेजने में योगदान करते हैं। लोकलाइजेशन और स्टैंडर्डाइजेशन
के बीच के नाजुक संतुलन में अधिकता देखने को मिलती है। पीआर स्ट्रेटेजीस को सुसंगत ब्रैंड पहचान बनाए रखते हुए
स्थानीय संवेदनाओं को प्रतिबिंबित करने के लिए पर्याप्त रूप से तैयार किया जाना चाहिए।
इस नेविगेशनल यात्रा का केंद्र क्रॉस-कल्चरल संबंध बनाने में निहित है। विभिन्न संस्कृतियों में संबंध-निर्माण प्रथाओं की
विभिन्नता को ध्यान में रखते हुए, पीआर प्रोफेशनल्स को चाहिए कि वे मीडिया, इन्फ्लुएंसर्स और स्टेकहोल्डर्स के साथ कुशल
संबंध विकसित करें। सफल कैम्पेन्स मार्गदर्शक का कार्य करते हैं। वे विभिन्न दृष्टिकोणों का सम्मान करते हुए और व्यापक
दर्शकों तक अपनी पहुँच स्थापित करते हुए रचनात्मकता और सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि के सुदृढ़ विलय का उदाहरण पेश करते हैं।

दूसरा
भारत के विशाल परिदृश्य में, महत्वपूर्ण कनेक्शन (संपर्क) स्थापित करना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। यहाँ आकर
ही रीजनल पब्लिक रिलेशन्स (पीआर) की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, जो इंटरप्राइजेस और उनकी वांछित जनसांख्यिकी

के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। हलचल भरे शहरी केंद्रों और शांत भीतरी इलाकों में, कुशल रीजनल
पीआर संचार माध्यमों की एक जटिल पहुँच स्थापित करता है, जो न सिर्फ कम्युनिकेशन को बढ़ावा देता है, बल्कि व्यापक
डोमेन में ब्रैंड विशेष के संदेश को बढ़ावा देने की ग्यारंटी भी देता है। स्वदेशी मीडिया आउटलेट्स, इन्फ्लुएंसर्स और
सामुदायिक प्रमुखों के कुशल उपयोग के माध्यम से, कम्पनियाँ ऐसे संबंध स्थापित करती हैं, जो परिचित और प्रभावशाली
दोनों होते हैं।
रीजनल पीआर एक कल्चरल ट्रांसलेटर के रूप में कार्य करता है, जो विविध समुदायों और व्यवसायों के बीच के अंतर को खत्म
करता है। स्थानीय भावनाओं, रीति-रिवाजों और भाषाओं की गहनता को बरकरार रखते हुए, यह संदेश को प्रामाणिक रूप से
प्रतिध्वनित करने के लिए तैयार करता है। लोकल मीडिया का उपयोग उचित कॉन्टेंट डिलीवरी सुनिश्चित करता है, जो
विशिष्ट क्षेत्रों की प्राथमिकताओं के अनुरूप होता है। इससे सापेक्षता की भावना को बढ़ावा मिलता है, जिसकी ग्लोबल
कैम्पेन्स में अक्सर कमी देखने को मिलती है।
भारत भर में अपनी पहचान बनाने में और गहन पहुँच स्थापित करने में, रीजनल पीआर एक गतिशील शक्ति के रूप में कार्य
करता है, जो विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के साथ इंटरप्राइजेस को जोड़ता है। प्रत्येक क्षेत्र की अनूठी आकांक्षाओं और चुनौतियों को
संबोधित करके यह ब्रैंड्स को जीवंत बनाने का कार्य करता है, और इस प्रकार मात्र लेनदेन को वास्तविक संपर्कों में तब्दील कर
देता है।
तीसरा 'सी' क्रेडिबिलिटी का
स्थानीय रीति-रिवाजों, भाषाओं और भावनाओं का पालन करके, व्यवसाय कमर्शियल एंटीटीज़ की स्थिति से आगे निकल
जाते हैं और साथ ही सामुदायिक परिदृश्य के अभिन्न अंग में तब्दील हो जाते हैं। कुशल रीजनल पीआर के माध्यम से यह
कल्चरल कनेक्शन बिज़नेस के प्रति विश्वास उत्पन्न करने का काम करता है जो कंज्यूमर्स के निर्णयों को प्रभावित करता है और
स्थायी एसोसिएशन्स को सुदृढ़ करता है। चूँकि, बिज़नसेस उन क्षेत्रों के मूल्यों और आकांक्षाओं को दर्शाते हैं, जिनमें वे काम
करते हैं, वे अंततः प्रामाणिकता की पेशकश करते हुए पारस्परिक रूप से लाभप्रद बातचीत का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
भारत के विविध परिदृश्यों की जटिल टेपेस्ट्री में, रीजनल पीआर आपसी समझ के लिए एक आदर्श माध्यम के रूप में कार्य
करता है। इसकी क्षमता व्यवसायों और स्थानीय आबादी के बीच की दूरी को पाटने की क्षमता में निहित है, जो विश्वास के
माहौल, ब्रैंड के प्रति भरोसे और निरंतर विकास को बढ़ावा देती है, और सहयोगी व्यापार संदेश को रेखांकित करता है।
भारत के बहुमुखी परिदृश्य को नेविगेट करने में, तीनों सी- कल्चर, कनेक्शन और क्रेडिबिलिटी एक सुदृढ़ मिश्रण बनाते हैं।
विविध संस्कृतियों को अपनाकर, वास्तविक संबंध विकसित करके और अटूट विश्वसनीयता बनाकर, बिज़नसेस भारत के
जीवंत और आकर्षक बाजार के द्वार खोल सकते हैं। जैसे-जैसे दुनिया इस आर्थिक महाशक्ति की ओर ध्यान केंद्रित कर रही है,
वैसे-वैसे यह स्पष्ट हो रहा है कि भारत में रीजनल पीआर के साथ सफलता के तीनों पिलर्स सिर्फ एक स्ट्रेटेजी नहीं है, बल्कि यह
एक आवश्यकता है।

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नेट वॉल प्रतियोगिता के लिए कानपुर टीम का चयन

कानपुर 22 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, 24 राज्य स्तरीय सीनियर नेटवर्क प्रतियोगिता में भाग लेने वाली कानपुर टीम का चयन मंगलवार डॉ वीरेंद्र स्वरुप एजुकेशन सेंटर में किया गया इसमें करीब 30 खिलाड़ियों ने भाग लिया पुरुष वर्ग टीम में
ऋषभ सिंह,सार्थक ,सक्षम ,शिविर, नैमिष त्रिपाठी,कार्तिक, वैभव ,शिवम ,अस्तित्व, देवांश, अर्नब वाजपेई, प्रखर हैं यह जानकारी जिला नेटवर्क खेल संघ के सचिव अखिलेश त्रिपाठी ने मनीषा शुक्ला को दी, चयनित खिलाड़ी 30 मई को बागपत के लिए रवाना होंगे इस मौके पर जिला सचिव एवं अन्य पदाधिकारी शामिल रहे|

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दोस्तो संग गंगा नहाने गए युवक की 23 घण्टे बाद मिली डेड बॉडी

भारतीय स्वरूप संवाददाता कौशाम्बी।* दोस्तों के साथ गंगा नहाने गए युवक की गहरे पानी में जाने से डूब कर मौत हो गई है। साथ आए दोस्तो ने युवक को गंगा में डूबते देखा तो शोर मचाया,शोर सुनकर ग्रामीण दौड़ आए और खोजने में जुट गये। ग्रामीणों की सूचना पर पहुंची पुलिस भी स्थानीय गोताखोर के माध्यम से गंगा में डूबे युवक को खोजने में जुट गई है। संदीपन घाट थाना क्षेत्र के बदनपुर गंगा घाट की है जहां चरवा थाना क्षेत्र के काजू गांव निवासी चौबेलाल रैदास का 20 वर्षीय पुत्र अजय कुमार रविवार की सुबह 8:30 बजे गांव के ही कई दोस्तो के साथ बदनपुर गंगा घाट पर गंगा स्नान करने गया था। वह दोस्तों के साथ गंगा पार करते समय गहरे पानी में जाने के कारण समा गया। साथियों के शोर मचाने पर पड़ोस के गांव के लोग इकट्ठा हो गए। सूचना पर पहुंची हर्रायपुर चौकी पुलिस ने स्थानीय गोताखोरों के माध्यम से युवक को खोजने में जुट गई है। युवक के डूबने की सूचना जैसे ही उनके परिजनो को मिली वह भी रोते बिलखते गंगा घाट पर पहुंच गए। ग्यारह घण्टे बीत जाने के बाद भी अजय की डेड बॉडी को गोताखोर पुलिस बल खोजने में नाकाम रही। युवक की डेड बॉडी खोजते – खोजते अंधेरा हो जाने के कारण गोताखोर पुलिस बल अपने स्थान को रवाना हो गए। मृतक चार भाइयों में सबसे छोटा था। मृतक के परिजनों ने सारी रात्रि श्रृंगवेरपुर ओवर ब्रिज पर बैठ कर मृतक की डेड बॉडी का इन्तजार करते रहे फिर भी डेड बॉडी नहीं दिखाई दी है। मृतक के गांव का कोटेदार मनोज कुमार पुत्र अदालती प्रसाद ने अपने साथियों के साथ सुबह 6 बजे बदनपुर घाट पहुंच कर एक निषाद के माध्यम से एक हजार रूपए में भाड़े पर एक नाव करके मृतक की खोज बीन करने के लिए निकल पड़े। जैसे ही सुबह 7:20 बजे जहानाबाद घाट के सामने पहुंचे ही थे उसी समय घाट के किनारे डेड बॉडी तैरती हुई दिखाई दी तो परिजनों ने डेड बॉडी को पहचाना 23 घण्टे बीत जाने के बाद मृतक की डेड बॉडी मृतक के परिजनों को मिली तो परिजनों ने संदीपन घाट पुलिस को सूचना दिया। संदीपन घाट पुलिस मौके पर पहुंच कर डेड बॉडी को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के भेजा है। डेड बॉडी को देखकर परिजनों का रो – रोकर बुरा हाल है।

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करोड़ों खर्च के बाद लंच पैकेट की गुणवत्ता से हुआ समझौता

भारतीय स्वरूप संवाददाता, कौशांबी। लोकसभा चुनाव में कर्मचारियों को भोजन देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है जिसमें निर्वाचन कार्यालय के लोगों द्वारा भोजन सप्लाई की जिम्मेदारी अपने खास लोगों को सौंप दी जाती है लंच पैकेट की सप्लाई में उनसे मोटा कमीशन वसूला जाता है इतना ही नहीं लंच पैकेट की गिनती में भी बड़ा खेल होता है जितना लंच पैकेट सप्लाई होता है उससे डेढ़ से दो गुना का बिल लगाकर ठेकेदार को भुगतान कर दिया जाता है निर्वाचन कार्यालय में हेराफेरी की यह व्यवस्था पहली बार नहीं है इसके पहले के भी चुनाव में लंच पैकेट की गुणवत्ता से समझौता करते हुए घटिया क्वालिटी का भोजन सप्लाई कर ठेकेदार से कमीशन वसूला गया है पुरानी परंपरा इस लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिली है लंच पैकेट की गिनती में भी बड़ी हेरा फेरी हुई है लंच पैकेट की सप्लाई कुछ अलग होती है और बिल कुछ अलग लगाए जाते हैं लंच पैकेट के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिए जाते हैं लंच पैकेट की हेरा फेरी की निर्वाचन आयोग ने जांच कराई तो बड़े चौंकाने वाले खुलासे होंगे।

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कानपुर के एक और होनहार आकाश वर्मा ने शहर का नाम रोशन किया

कानपुर 20 मई भारतीय स्वरूप संवाददाता, अपने शहर कानपुर के एक और होनहार ने शहर का नाम रोशन किया,

रेखा वर्मा और ओ.पी. वर्मा की खुशी सातवें आसमान पे थी जब उन्हें सूचना मिली की उनके पुत्र आकाश वर्मा को चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान मिला है। उनके निवास पे बधाई देने वालों का ताता लग गया आकाश की दृढ़ता और सहनशीलता ने उन्हें प्रतिष्ठित चौथी एशियाई पुरुष भारतीय हैंडबॉल टीम में स्थान दिलाया है। उन्होंने इतनी कम उम्र में ही कई पुरस्कार और सम्मान अपने नाम किए हैं। भारत का प्रतिनिधित्व करना अपने आप में आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है। वर्मा परिवार ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए कहा कि उनके द्वारा किए गए सभी प्रयासों में वो निरंतर सफलता प्राप्त करें ऐसी कामना करते हैं।

वो कल यानी 21 मई को 8.30 की शाम की शताब्दी से अपने शहर पधार रहे है

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