यह केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा मोदी सरकार 3.0 में मंत्री के रूप में पुनः कार्यभार संभालने के बाद आयोजित पहली परमाणु ऊर्जा से संबंधित बैठक है।
ऊर्जा परिदृश्य में परमाणु ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा में भारत की प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “7.48 गीगावॉट की स्थापित क्षमता 2029 तक 13.08 गीगावॉट हो जाएगी, जो 7 नए रिएक्टरों के जुड़ने से 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। उन्होंने पहले से चल रही परियोजनाओं का भी जायजा लिया और आगामी योजनाओं के लिए दिशा-निर्देश दिए।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने विभाग को क्षमता निर्माण और ज्ञान, संसाधनों और विशेषज्ञता को साझा करके पूर्ण क्षमता का दोहन करने के लिए एकीकृत सहयोग करने का निर्देश दिया। मंत्री ने प्रौद्योगिकी के स्वदेशी विकास पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।” उन्होंने याद दिलाया कि इस सरकार ने, सहयोग के माध्यम से बजट में वृद्धि करके, अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों का उपयोग और सहयोग में वृद्धि करके सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ संयुक्त उपक्रमों की अनुमति दी है। अनुसंधान में आसानी और गतिविधियों को बढ़ाने पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हम आसान विज्ञान को बढ़ावा देने और परमाणु प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग द्वारा नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए एकल बिंदु अनुमोदन दे रहे हैं।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि विभाग कैप्टिव परमाणु ऊर्जा उत्पादन में भारत लघु रिएक्टर (बीएसआर) का उपयोग करने के लिए 220 मेगावाट दबावयुक्त भारी जल रिएक्टर (पीएचडब्ल्यूआर) को डिजाइन कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि डीएई कैलेंड्रिया को प्रेशर वेसल द्वारा प्रतिस्थापित करके हल्के जल-आधारित रिएक्टरों का उपयोग करने के लिए भारत लघु मॉड्यूलर रिएक्टर (बीएसएमआर) 220 मेगावाट पर भी काम कर रहा है।
डॉ. जीतेंद्र सिंह के अनुसार, भाविनी सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर की प्रारंभिक ईंधन लोडिंग को पूरा करने का काम प्रगति पर है और आने वाले महीनों में इसकी पहली क्रिटिकैलिटी की ओर बढ़ने की उम्मीद है। यह पहला फास्ट ब्रीडर रिएक्टर है जो अपनी खपत से ज़्यादा ईंधन का उत्पादन करता है।
मंत्री ने जोर देकर कहा कि ऊर्जा सुरक्षा, स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ रेडियोफार्मास्युटिकल्स और परमाणु चिकित्सा, कृषि और खाद्य संरक्षण पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि विकिरण प्रौद्योगिकी के विकास से आम नागरिकों को आर्थिक और सामाजिक लाभ होगा और जीवन को आसान बनाने में मदद मिलेगी तथा उप-परमाणु कणों का उपयोग करके बुनियादी, अनुप्रयुक्त और ट्रांसलेशनल विज्ञान में अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
समीक्षा बैठक में परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एवं परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव डॉ. अजीत कुमार मोहंती तथा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।