प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने देश भर में 50,655 करोड़ रुपये की लागत से 936 किलोमीटर लंबी 8 महत्वपूर्ण नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन 8 परियोजनाओं के कार्यान्वयन से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 4.42 करोड़ मानव दिवस के रोजगार सृजित होने का अनुमान है।
इन परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:
- 6 लेन वाला आगरा-ग्वालियर नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर:
इस हाई-स्पीड कॉरिडोर की लंबाई 88 किलोमीटर है और इसे निर्माण-परिचालन-हस्तांतरण (बीओटी) मोड में 4,613 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से 6 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। यह परियोजना उत्तर दक्षिण कॉरिडोर (श्रीनगर-कन्याकुमारी) के आगरा-ग्वालियर खंड पर यातायात क्षमता को 2 गुना से अधिक बढ़ाने के लिए मौजूदा 4 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगी। यह कॉरिडोर उत्तर प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, ताजमहल, आगरा किला आदि) और मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, ग्वालियर किला आदि) से कनेक्टिविटी को बेहतर करेगा। यह आगरा और ग्वालियर के बीच की दूरी को 7 प्रतिशत और यात्रा समय को 50 प्रतिशत तक कम कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में काफी कमी आएगी।
नियंत्रित पहुंच के साथ 6 लेन वाला यह नया आगरा-ग्वालियर राजमार्ग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में डिजाइन किलोमीटर 0.000 (आगरा जिले में देवरी गांव के पास) से शुरू होकर डिजाइन किलोमीटर 88-400 (ग्वालियर जिले में सुसेरा गांव के पास) तक बनाया जाएगा। इसमें एनएच-44 के मौजूदा आगरा-ग्वालियर खंड पर ओवरले/ सुदृढ़ीकरण के अलावा अन्य सड़क सुरक्षा एवं सुधार कार्य शामिल होंगे।
- 4 लेन वाला खड़गपुर-मोरग्राम नेशनल हाई स्पीड कॉरिडोर:
खड़गपुर और मोरग्राम के बीच 231 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर को 10,247 करोड़ रुपये की पूंजीगत लागत से हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। नया कॉरिडोर मौजूदा 2 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग का पूरक होगा। इससे खड़गपुर और मोरग्राम के बीच यातायात क्षमता में करीब 5 गुना वृद्धि होगी। यह एक तरफ पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश आदि राज्य और दूसरी तरफ देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के बीच यातायात के लिए कुशल कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर खड़गपुर और मोरग्राम के बीच मालवाहक वाहनों के लिए यात्रा समय को मौजूदा 9-10 घंटे से घटाकर 3-5 घंटे कर देगा, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी।
3. 6 लेन वाला थराड-दीसा-मेहसाणा-अहमदाबाद नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर:
करीब 214 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण कुल 10,534 करोड़ रुपये की पूंजी लागत से निर्माण-परिचालन-हस्तांतरण (बीओटी) मोड में किया जाएगा। थराड-अहमदाबाद कॉरिडोर गुजरात राज्य में दो प्रमुख नेशनल कॉरिडोर यानी अमृतसर-जामनगर कॉरिडोर और दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। इससे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के औद्योगिक क्षेत्रों से आने वाले मालवाहक वाहनों को महाराष्ट्र के प्रमुख बंदरगाहों (जेएनपीटी, मुंबई और हाल में मंजूर वधावन बंदरगाह) तक निर्बाध कनेक्टिविटी मिलेगी। यह कॉरिडोर राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, मेहरानगढ़ किला, दिलवाड़ा मंदिर आदि) और गुजरात के प्रमुख पर्यटन स्थलों (जैसे, रानी का वाव, अंबाजी मंदिर आदि) के लिए भी कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इससे थराड और अहमदाबाद के बीच की दूरी 20 प्रतिशत कम हो जाएगी जबकि यात्रा समय में 60 प्रतिशत की कमी आएगी। इससे लॉजिस्टिक्स दक्षता में काफी सुधार होगा।
4. 4 लेन वाला अयोध्या रिंग रोड:
करीब 68 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड अयोध्या रिंग रोड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजी लागत 3,935 करोड़ रुपये होगी। यह रिंग रोड शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर), एनएच 227 ए, एनएच 227 बी, एनएच 330, एनएच 330 ए और एनएच 135 ए पर भीड़भाड़ को कम करेगा। ससे राम मंदिर जाने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही तेज होगी। यह रिंग रोड लखनऊ अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अयोध्या हवाई अड्डा और शहर के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से आने वाले राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को निर्बाध कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।
5. रायपुर-रांची नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर के पत्थलगांव और गुमला के बीच 4 लेन वाला खंड:
रायपुर-रांची कॉरिडोर पर 137 किलोमीटर लंबे 4 लेन वाले एक्सेस-कंट्रोल्ड पत्थलगांव-गुमला खंड को हाइब्रिड एन्युटी मोड (एचएएम) में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की कुल पूंजीगत लागत 4,473 करोड़ रुपये होगी। इससे गुमला, लोहरदगा, रायगढ़, कोरबा व धनबाद के खनन क्षेत्रों और रायपुर, दुर्ग, कोरबा, बिलासपुर, बोकारो व धनबाद के औद्योगिक एवं विनिर्माण क्षेत्रों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
रायपुर-धनबाद आर्थिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में राष्ट्रीय राजमार्ग 43 पर 4 लेन वाला पत्थलगांव-कुंकुन-छत्तीसगढ़/झारखंड सीमा-गुमला-भरदा खंड तुरुआ आमा गांव के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग 130 ए के अंतिम बिंदु से शुरू होकर भरदा गांव के समीप पलमा-गुमला रोड के चेनेज 82+150 पर खत्म होगा।
6. 6 लेन वाला कानपुर रिंग रोड:
कानपुर रिंग रोड के 47 किलोमीटर लंबे 6 लेन वाले इस एक्सेस-कंट्रोल्ड खंड को इंजीनियरिंग, खरीद एवं निर्माण (ईपीसी) मोड में विकसित किया जाएगा। इसकी कुल पूंजीगत लागत 3,298 करोड़ रुपये होगी। यह खंड कानपुर के चारों ओर 6 लेन वाले राष्ट्रीय राजमार्ग रिंग को पूरा करेगा। यह रिंग रोड प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों, जैसे एनएच 19- स्वर्णिम चतुर्भुज, एनएच 27- ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर, एरएच 34 और आगामी लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे एवं गंगा एक्सप्रेसवे पर लंबी दूरी के यातायात को शहर की ओर जाने वाले यातायात से अलग करने में समर्थ बनाएगा। इससे उत्तर प्रदेश, दिल्ली, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच माल ढुलाई के लिए लॉजिस्टिक्स दक्षता में सुधार होगा।
यह छह लेन वाला नया कानपुर रिंग रोड एयरपोर्ट लिंक रोड (लंबाई 1.45 किलोमीटर) के साथ डिजाइन चेनेज 23+325 से शुरू होकर डिजाइन चेनेज 68+650 (लंबाई 46.775 किलोमीटर) पर खत्म होगा।
7. 4 लेन वाले उत्तरी गुवाहाटी बाईपास और मौजूदा गुवाहाटी बाईपास का चौड़ीकरण/सुधार:
करीब 121 किलोमीटर लंबे गुवाहाटी रिंग रोड को 5,729 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ निर्माण, परिचाल एवं टोल (बीओटी) मोड में तीन खंडों में विकसित किया जाएगा। इन तीन खंडों में 4 लेन वाला एक्सेस-कंट्रोल्ड उत्तरी गुवाहाटी बाईपास (56 किलोमीटर), एनएच 27 पर मौजूदा 4 लेन वाले बाईपास को 6 लेन (8 किलोमीटर) में चौड़ा करना और एनएच 27 (58 किलोमीटर) पर मौजूदा बाईपास में सुधाार शामिल हैं। इस परियोजना के तहत ब्रह्मपुत्र नदी पर एक प्रमुख पुल का भी निर्माण किया जाएगा। गुवाहाटी रिंग रोड राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर) पर चलने वाले लंबी दूरी के यातायात के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा जिसे देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहा जाता है। इस रिंग रोड से गुवाहाटी के आसपास के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों पर भीड़भाड़ कम होगी। साथ ही यह इस क्षेत्र के प्रमुख शहरों/ कस्बों, जैसे सिलीगुड़ी, सिलचर, शिलांग, जोरहाट, तेजपुर, जोगीगोफा और बारपेटा को जोड़ेगा।
8. 8 लेन वाला नासिक फाटा-खेड़ पुणे एलिवेटेड कॉरिडोर:
नासिक फाटा से पुणे के समीप खेड़ तक 30 किलोमीटर लंबा 8 लेन वाला एलिवेटेड नेशनल हाई-स्पीड कॉरिडोर का निर्माण 7,827 करोड़ रुपये की कुल पूंजीगत लागत के साथ बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) मोड में किया जाएगा। यह एलिवेटेड कॉरिडोर पुणे और नासिक के बीच एनएच 60 पर चाकन, भोसरी आदि औद्योगिक केंद्रों से आने-जाने वाले यातायात के लिए निर्बाध हाई-स्पीड कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। यह कॉरिडोर पिंपरी-चिंचवाड़ के आसपास जबरदस्त भीड़भाड़ को भी कम करेगा।
नासिक फाटा से खेड़ के दोनों ओर 2 लेन सर्विस रोड के साथ मौजूदा सड़क को 4/6 लेन में अपग्रेड किया जाएगा। इसके साथ ही सिंगल पियर के टियर-1 पर 8 लेन वाला एलिवेटेड फ्लाईओवर का निर्माण महाराष्ट्र राज्य में एनएच 60 के (पैकेज-1: 12.190 किलोमीटर से 28.925 किलोमीटर तक और पैकेज-2: 28.925 किलोमीटर से 42.113 किलोमीटर तक) खंड पर किया जाएगा।
पृष्ठभूमि:
बुनियादी ढांचे का विकास किसी भी देश की आर्थिक समृद्धि की बुनियाद है और यह नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है। बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च किए गए हरेक रुपये से देश के सकल घरेलू उत्पाद पर 2.5 से 3 गुना प्रभाव पड़ता है।
देश के समग्र आर्थिक विकास में बुनियादी ढांचे के महत्व को महसूस करते हुए भारत सरकार पिछले दस वर्षों से देश में विश्वस्तरीय सड़क बुनियादी ढांचे के निर्माण में भारी निवेश कर रही है। राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) की लंबाई 2013-14 में 0.91 लाख किलोमीटर से करीब 6 गुना बढ़कर अब 1.46 लाख किलोमीटर हो चुकी है। पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के आवंटन एवं निर्माण की रफ्तार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के लिए ठेकों के आवंटन की औसत वार्षिक गति 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर थी जो करीब 2.75 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 11,000 किलोमीटर हो चुकी है। इसी प्रकार, राष्ट्रीय राजमार्गों का औसत वार्षिक निर्माण भी 2004-14 में करीब 4,000 किलोमीटर से लगभग 2.4 गुना बढ़कर 2014-24 में करीब 9,600 किलोमीटर हो चुका है। निजी निवेश सहित राष्ट्रीय राजमार्गों में कुल पूंजी निवेश 2013-14 में 50,000 करोड़ रुपये से 6 गुना बढ़कर 2023-24 में लगभग 3.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है।
इसके अलावा, सरकार ने स्थानीय भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों पर केंद्रित पहले के परियोजना-आधारित विकास दृष्टिकोण के मुकाबले उपयुक्त मानकों, उपयोगकर्ताओं की सुविधा और लॉजिस्टिक्स दक्षता को ध्यान में रखते हुए कॉरिडोर आधारित राजमार्ग बुनियादी ढांचे के विकास का दृष्टिकोण अपनाया है। कॉरिडोर वाले इस दृष्टिकोण के तहत जीएसटीएन और टोल आंकड़ों पर आधारित वैज्ञानिक परिवहन अध्ययन के जरिये 50,000 किलोमीटर के हाई-स्पीड हाईवे कॉरिडोर नेटवर्क की पहचान की गई है, जो 2047 तक भारत को 30 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद करेगा।