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केन्द्रीय गृह मंत्रीअमित शाह ने आज नई दिल्ली में एक बैठक में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में एक बैठक में जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बैठक में जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार श्री अजित डोभाल तथा जम्मू और कश्मीर प्रशासन और सेना सहित भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

अमित शाह ने सुरक्षा एजेंसियों के प्रयासों की सराहना की जिससे पिछले कुछ वर्षों में जम्मू और कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है। आतंकी घटनाएँ 2018 में 417 से घटकर 2021 में 229 हो गई हैं, जबकि सुरक्षा बलों के शहीद हुए कर्मियों की संख्या 2018 में 91 से कम होकर 2021 में 42 हो गई है।

गृह मंत्री ने सुरक्षा ग्रिड को और अधिक मज़बूत करने के निर्देश दिये ताकि सीमा-पार घुसपैठ शून्य हो और आतंकवाद का उन्मूलन हो सके।

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प्रधानमंत्री ने अफगानिस्‍तान के सिख-हिंदू प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज सुबह 7 लोक कल्‍याण मार्ग पर अफगानिस्‍तान के सिख-हिंदू प्रतिनिधिमंडल के सदस्‍यों से मुलाकात की। उन्होंने प्रधानमंत्री को सम्मानित किया और अफगानिस्तान से सिखों और हिंदुओं को सुरक्षित रूप से भारत लाने के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया।

प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल का स्‍वागत किया और कहा कि वे अतिथि नहीं है बल्कि अपने ही घर में हैं, उन्‍होंने यह भी कहा कि भारत उनका घर है। उन्‍होंने अफगानिस्‍तान में उनके सामने आने वाली अत्‍यधिक कठिनाइयों तथा उन्‍हें सुरक्षित भारत लाने के लिए सरकार द्वारा उपलब्‍ध कराई गई सहायता के बारे में चर्चा की। इस आलोक में, उन्‍होंने नागरिकता संशोधन अधिनियम के महत्‍व तथा समुदाय के लिए इसके लाभ के बारे में भी बात की। उन्‍होंने उन्‍हें भविष्‍य में भी निरंतर सहायता करने के साथ-साथ उनके सामने आने वाली सभी समस्‍याओं और कठिनाइयों को हल करने का भरोसा दिलाया।

प्रधानमंत्री ने गुरु ग्रंथ साहिब के सम्‍मान की परम्‍परा के महत्‍व के बारे में भी चर्चा की। जिसके आलोक में गुरु ग्रंथ साहिब के स्‍वरूप को अफगानिस्‍तान से वापस लाने के लिए विशेष व्‍यवस्‍था की गई थी। उन्‍होंने पिछले कुछ वर्षों में अफगानिस्‍तान के नागरिकों से प्राप्‍त अपार प्रेम की भी चर्चा की तथा काबुल की अपनी यात्रा का स्‍मरण किया।

श्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने समुदाय को सुरक्षित वापस लाने के लिए भारत से सहायता भेजने के लिए प्रधानमंत्री को धन्‍यवाद दिया और कहा कि जब कोई भी उनके साथ नहीं खड़ा था तो प्रधानमंत्री ने निरंतर समर्थन तथा समय पर सहायता सुनिश्चित की। प्रतिनिधि मंडल के अन्‍य सदस्‍यों ने भी संकट के समय उनके लिए खड़े होने के लिए प्रधानमंत्री को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने कहा कि उनकी आंखों में आंसू आ गए थे जब उन्होंने उन्हें समुचित सम्मान के साथ गुरुग्रंथ साहिब के स्वरूप को अफगानिस्तान से भारत वापस लाने के लिए विशेष व्यवस्था के बारे में सुना। उन्‍होंने सीएए लाने के लिए भी उन्‍हें धन्‍यवाद दिया, जो उनके समुदाय के सदस्‍यों के लिए अत्‍यधिक मददगार होगा। उन्‍होंने कहा कि वह केवल भारत के प्रधानमंत्री नहीं है बल्कि दुनिया के प्रधानमंत्री हैं, क्‍योंकि वह दुनियाभर में विशेष रूप से हिंदुओं और सिखों के सामने आने वाली कठिनाइयों को समझते हैं तथा ऐसे सभी मामलों में तत्‍काल सहायता उपलब्‍ध कराने के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। इस अवसर पर केन्‍द्रीय मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी तथा केन्‍द्रीय राज्‍य मंत्री सुश्री मीनाक्षी लेखी भी उपस्थित थीं।

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भारत-यूएई आर्थिक साझेदारी समझौता भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए नए बाजार खोलेगा

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केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को हस्ताक्षर किए गए भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते को एक ऐतिहासिक समझौता बताया है, जो भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए नए बाजार खोलेगा।

समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के एक दिन बाद मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा, “भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) एमएसएमई, स्टार्ट-अप, किसानों, व्यापारियों और व्यवसायों के सभी वर्गों के लिए अत्यधिक लाभप्रद होगा।”

क्षेत्रवार लाभों की चर्चा करते हुए, उन्होंने कहा कि कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान तथा जूते और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे श्रम प्रधान उद्योग सबसे अधिक लाभान्वित होने वालों में शामिल होंगे।

श्री गोयल ने जोर देकर कहा कि सीईपीए एक संतुलित, निष्पक्ष, व्यापक और न्यायसंगत साझेदारी समझौता है, जो वस्तुओं तथा सेवाओं दोनों में भारत के लिए बढ़ा हुआ बाजार उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा, “यह हमारे युवाओं के लिए रोजगार सृजित करेगा, हमारे स्टार्टअप के लिए नए बाजार खोलेगा, हमारे व्यवसायों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा और हमारी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देगा।”

मंत्री ने बताया कि क्षेत्रवार परामर्शों ने दर्शाया है कि यह समझौता भारतीय नागरिकों के लिए कम से कम 10 लाख रोजगार सृजित करेगा।

श्री गोयल ने यह भी बताया कि सीईपीए जिसे केवल 88 दिनों के रिकॉर्ड समय में अंतिम रूप दिया गया था तथा हस्ताक्षर किया गया था, मई की शुरुआत तक, 90 दिनों से भी कम समय में प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने मीडिया को बताया कि “भारत से यूएई को निर्यात किए जाने वाले लगभग 90 प्रतिशत उत्पादों पर समझौते के कार्यान्वयन के साथ शून्य शुल्क लगेगा। व्यापार की 80 प्रतिशत लाइनों पर शून्य शुल्क लगेगा, शेष 20 प्रतिशत हमारे निर्यात को ज्यादा प्रभावित नहीं करते हैं, इसलिए यह सभी के लिए लाभप्रद समझौता है।”

किसी व्यापार समझौते में पहली बार सीईपीए में किसी भी विकसित देश में स्वीकृत होने के बाद, 90 दिनों में भारतीय जेनेरिक दवाओं के स्वचालित पंजीकरण और विपणन प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है। इससे भारतीय औषधियों को बड़े बाजार में पहुंच प्राप्त हो सकेगी।

भारतीय आभूषण निर्यातकों को यूएई में शुल्क-मुक्त सुविधा प्राप्त हो सकेगी, जबकि वर्तमान में ऐसे उत्पादों पर 5 प्रतिशत सीमा शुल्क लगता है। इससे आभूषण निर्यात में भारी वृद्धि होगी, क्योंकि भारत में डिजाइन किए गए आभूषणों की बाजार में बहुत अच्छी प्रतिष्ठा है। रत्न एवं आभूषण क्षेत्र को 2023 तक अपने निर्यात के 10 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।

सीईपीए न केवल भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करेगा, बल्कि भारत को कार्यनीतिक लाभ भी प्रदान करेगा। श्री गोयल ने कहा, “चूंकि संयुक्त अरब अमीरात एक व्यापारिक केंद्र के रूप में कार्य करता है, इसलिए यह समझौता हमें अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बाजार में प्रवेश बिंदु प्रदान करने में मदद करेगा।”

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सीईपीए के संपन्न होने के साथ भारत और यूएई का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक ले जाना है। उन्होंने कहा, “यद्यपि, मेरा विश्वास ​​है कि दोनों देशों के बीच व्यापार की संभावनाएं और भी बड़ी हैं, हम अपने लिए निर्धारित लक्ष्य को पार कर लेंगे।” संयुक्त अरब अमीरात भारत का तीसरा सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार है।

2022 में ही जीसीसी के साथ समझौता

श्री पीयूष गोयल ने यह भी जानकारी दी कि सरकार को इस वर्ष के दौरान ही खाड़ी सहयोग परिषद के देशों के साथ एक समान आर्थिक साझेदारी समझौते किए जाने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि जीसीसी के महासचिव ने बातचीत में तेजी लाने की इच्छा व्यक्त की है और कहा, “हमें अपनी बातचीत करने की क्षमता पर भी भरोसा है, हमने यूएई के साथ त्वरित रूप से बातचीत की है, और हमें विश्वास है कि जीसीसी के साथ इसी वर्ष व्यापार पर इसी प्रकार का समझौता कर लिया जाएगा।”

जीसीसी 1.6 ट्रिलियन डॉलर के संयुक्त सांकेतिक जीडीपी के साथ खाड़ी क्षेत्र में छह देशों अर्थात् सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का एक संघ है।

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डीआरडीओ ने विज्ञान सर्वत्र पूज्यते में लिया हिस्सा, देश भर के 16 शहरों में प्रदर्शनियों का आयोजन

‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत भारत की आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) देश भर में आयोजित होने वाले ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ कार्यक्रम में भाग ले रहा है। 22 से 28 फरवरी, 2022 के दौरान देश के हर हिस्से से विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रदर्शित करने के लिए विज्ञान सर्वत्र पूज्यते अखिल भारतीय कार्यक्रम है।

डीआरडीओ पूरे देश के 16 शहरों में ‘अमृत महोत्सव साइंस शोकेस : रोडमैप टू 2047’ विषय पर प्रदर्शनियों का आयोजन भी कर रहा है। डीआरडीओ की ओर से आगरा, अल्मोड़ा, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, देहरादून, दिल्ली, हैदराबाद, जोधपुर, लेह, मुंबई, मैसूर, पुणे, तेजपुर, एरानाकुलम, विजयवाड़ा और विशाखापत्तनम में विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बहुत बड़ी प्रदर्शनी आयोजित की जा रही हैं। ‘महोत्सव’ में डीआरडीओ की भागीदारी अनुसंधान एवं विकास संगठनों द्वारा किए जा रहे कार्यों और 2047 की राह में विचारों और प्रौद्योगिकी के प्रयासों को प्रदर्शित करने का एक अवसर है।

विभिन्न तकनीकों से संबंधित कई डीआरडीओ उत्पादों का प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें नाग, मैन पोर्टेबल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल (एमपीएटीजीएम), आकाश, ब्रह्मोस, अस्त्र, प्रलय, मिशन शक्ति, बख्तरबंद इंजीनियर टोही वाहन (एईआरवी), मारीच, 3डी सेंट्रल एक्विजिशन रडार (3डी सीएआर), इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, ब्रिज लेयर टैंक (बीएलटी) आदि के मॉडल शामिल हैं। इसमें रेट्रोमोटर, बूस्टर मोटर, समग्र रॉकेट मोटर आवरण, ड्रॉप टैंक, ब्रेक डिस्क आदि तकनीकी का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

इस सप्ताह के दौरान देश भर के अलग-अलग केंद्रों पर विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी विकास पर प्रख्यात वैज्ञानिकों के व्याख्यान भी होंगे। डीआरडीओ के वैज्ञानिक देश भर के 33 केंद्रों पर 11 अलग-अलग भारतीय भाषाओं में विभिन्न मुद्दों और विषयों पर व्याख्यान भी दे रहे हैं।

स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने और स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में विभिन्न क्षेत्रों में देश की उपलब्धियों को प्रदर्शित करने के लिए भारत सरकार एक साल का कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव आयोजित कर रही है। सरकार के विभिन्न विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन राज्यों के स्तर पर एजेंसियों के साथ करीबी साझेदारी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का जश्न मना रहे हैं।

‘अमृत महोत्सव विज्ञान’ जिसका नाम ‘विज्ञान सर्वत्र पूज्यते’ भी है, हमारी वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी कौशल को प्रदर्शित करेगा, जिसने रक्षा, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य, कृषि, खगोल विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में समस्याओं के समाधान खोजने में मदद की है। यह कार्यक्रम डीआरडीओ, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस), परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई), अंतरिक्ष विभाग, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के कार्यालय और संस्कृति मंत्रालय के तत्वावधान में आयोजित किया जाता है।

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गडकरी ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में 21,559 करोड़ रुपये के निवेश से 51 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आज 21,559 करोड़ रुपए के निवेश से कुल 1380 किलोमीटर लंबी 51 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

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इस अवसर पर श्री गडकरी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम आंध्र प्रदेश में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर सड़क संपर्क तटीय क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देगा, शहरी और ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा और आंध्र प्रदेश के लोगों को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

 

श्री नितिन गडकरी ने कहा कि सेतु भारतम के तहत आरओबी के निर्माण से निर्बाध यातायात की सुविधा होगी, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, समय के साथ-साथ ईंधन की बचत होगी और प्रदूषण भी कम होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास की धमनियां हैं।

 

श्री गडकरी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम और काकीनाडा बंदरगाहों के बीच 4 लेन की सड़क आवाजाही की सुविधाओं में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि बेंज सर्कल फ्लाईओवर के निर्माण से विजयवाड़ा शहर में भीड़भाड़ कम करने में मदद मिलेगी।

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विकसित देशों की गैर टिकाऊ जीवनशैली आज भी पूरी दुनिया को खतरे में डाल रही है: भूपेन्दर यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री  भूपेन्दर यादव ने 16 फरवरी 2022 को विश्व टिकाऊ विकास सम्मेलन 2022 के 21वें संस्करण के उद्घाटन सत्र में विशेष भाषण दिया। डब्ल्यूएसडीएस ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान (टेरी) का वार्षिक प्रमुख कार्यक्रम है।

श्री यादव ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन सहित वैश्विक पर्यावरण चुनौतियों का समाधान करने के लिए, हमें अब अनिवार्य रूप से समानता तथा समान लेकिन विभिन्न जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सहमति प्राप्त वैश्विक नियमों पर कार्य करना चाहिए। पेरिस समझौता के लक्ष्यों को तब तक अर्जित नहीं किया जा सकता है जब तक कि सभी देशों द्वारा वैश्विक कार्बन बजट के उचित हिस्से के भीतर रहते हुए इक्विटी को कार्यान्वित न किया जाए। हमारा लक्ष्य न्यायसंगत सतत विकास तथा जलवायु कार्रवाईयों में निष्पक्षता होनी चाहिए। केवल तभी ‘‘जलवायु न्याय‘ प्राप्त किया जा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि संसाधनों के उपयोग के प्रति दृष्टिकोण अनिवार्य रूप से ‘सचेत और सुविचारित उपयोग’  न कि ‘विचारहीन तथा विनाशकारी’ होना चाहिए।  एल. आई. एफ. आई. (लाइफस्टाइल फॉर द इनविरोनमेंट) जिसका भारत के प्रधानमंत्री ने ग्लासगो में सीओपी 26 में अनावरण किया था, के लक्ष्य को विश्व द्वारा अपनाया जाना चाहिए जिससे कि मानवता तथा ग्रह की रक्षा हो सके। श्री यादव ने कहा, ‘‘ जिन्होंने विश्व को गलत दिशा में ले जाने में सबसे अधिक योगदान दिया है, उन्हें ही अनिवार्य रूप से स्थिरता के मार्ग पर वापस लाने के लिए सर्वाधिक प्रयास करना चाहिए।”

पर्यावरण को बचाने की गहन आवश्यकता पर विचार करते हुए श्री यादव ने रेखांकित किया कि हालांकि औद्योगिक क्रांति से देशों में समृद्ध आई है, पर इसके कारण पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा ‘‘अर्थव्यवस्था पर महामारी के प्रतिकूल प्रभावों के बावजूद, भारत ने वास्तव में अपनी जलवायु महत्वाकांक्षा में वृद्धि की है। भारत विश्व में सबसे महत्वाकांक्षी स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तनों की अगुवाई कर रहा है।”

श्री यादव ने यह भी कहा कि भारत के समावेशी तथा टिकाऊ वृहद-आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है कि देश के अनुकूलन तथा शमन दोनों ही उद्देश्‍यों को, हमारे लोगों की आकांक्षाओं तथा आवश्यकताओं के बड़े लक्ष्य के भीतर समान तथा न्यायोचित तरीके से पूरा किया जाए। उन्होंने कहा कि हमारे नवीनतम आम बजट ने इस मार्ग का अनुसरण करने के हमारे दृढ़ संकल्प की पुष्टि की है।

अपने संबोधन का समापन समानता की आवश्यकता के साथ करते हुए, उन्होंने कहा कि ‘‘विकसित देशों को अनिवार्य रूप से अपनी ओर से समुचित महत्वाकांक्षा के साथ प्रत्युत्तर देना चाहिए तथा निश्चित रूप से अपने दोनों वादों- अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाने के जरिये उत्सर्जन में भारी कमी लाने तथा विकासशील देशों को अधिक वित्त तथा प्रौद्योगिकीय सहायता उपलब्ध कराने- को पूरा करना चाहिए।

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आयुध पैराशूट फैक्ट्री के कर्मचारियों द्वारा स्थानीय समस्याओं के निवारण हेतु आज से एक सप्ताह का आंदोलन

कानपुर 21 फरवरी, भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के अखिल भारतीय आवाहन पर दिनांक 21/02/2022 से 26/02/2022 तक देश की 41 आयुध निर्माणियों और इनके कर्मचारियों के हित लाभ की रक्षा से जुड़े स्थानीय मुद्दों के शीघ्र निस्तारण हेतु आंदोलन प्रारंभ किया गया। आंदोलन के क्रम में आयुध पैराशूट फैक्ट्री के अंतर्गत पैराशूट राष्ट्रीय मजदूर संघ ने आज दोपहर भोजनवाकश के समय निर्माणी द्वार पर कार्यकर्ताओं की भारी संख्या के साथ आंदोलन प्रारंभ किया। निर्माणी प्रबंधन से मांग की आयुध निर्माणियों का निगमीकरण हुए लगभग 5 माह बीत रहे है परंतु निर्माणी प्रशासन की सुस्ती के कारण कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण निश्चित समय में नही हो रहा हैऔर कर्मचारियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

जैसे:- जीपीएफ आहरण समय से नही किया जाना, कच्चे माल की कमी को दूर न किया जाना, IR MECHANISH का गठन न किया जाना, मृतक आश्रितों को गत 3 वर्षों से नौकरी न देना, कोर्ट के आदेश होने के उपरांत एरियर का भुगतान न होना, पदोन्नति तथा पदोन्नति उपरांत वेतन निर्धारण समय से न किया जाना, लंबित मेडिकल बिलों तथा एरियर का भुगतान समय से न करना, वेतन विकल्प का लाभ शीघ्र लागू न करना इत्यादि।

आंदोलन का संचालन सुधीर त्रिपाठी ने किया तथा अध्यक्षता जितेंद्र चोपड़ा ने की, जिसमे मुख्य रूप से यूनियन के महामंत्री प्रेम कुमार तथा यूनियन के मंत्री संजीव कश्यप ने संबोधन दिया। कार्यक्रम में यूनियन के अन्य पदाधिकारियों के रूप में अमर बाबू,  अखिलेश प्रताप सिंह, रवी शंकर, प्रदीप सिंह , जय कुमार, सचिन वर्मा, अजय जायसवाल, वेद प्रकाश शर्मा, प्रवीण यादव के साथ अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता और निर्माणी के कर्मचारी उपस्थित थे।

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असमर्थ होने के बावजूद अपनी जिम्मेदारी समझी और वोट किया

राष्ट्र निर्माण में मेरा भी योगदान, उत्तर प्रदेश की अगली सरकार बनवाने में मैने भी अपने मताधिकार का प्रयोग किया, माननीय सुरेंद्र सिंह तलवार जी ने चलने में असमर्थ होने के बावजूद अपने पुत्र प्रतिपाल सिंह तलवार के साथ लोकतंत्र के जश्न में भागीदारी सुनिश्चित की और अपनी जिम्मेदारी का उत्साह पूर्वक निर्वहन किया।

 

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क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय द्वारा ऑनलाइन संगोष्ठी वूमेन एन इन बोर्न साइंटिस्ट बाय नेचर कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 16 फरवरी, क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय द्वारा एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था वूमेन एन इन बोर्न साइंटिस्ट बाय नेचर यह कार्यक्रम आयु पैक इंटरनेशनल यूनियन आफ प्योर एंड अप्लाइड केमेस्ट्री यूएसए में ग्लोबल वूमेन ब्रेकफास्ट एवं एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट्री टीचर मुंबई के संयुक्त तत्वावधान मैं किया गया संगोष्ठी के मुख्य अतिथि  माननीय कुलपति   प्रोफ़ेसर  विनय कुमार पाठक जी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बताया, महिलाओ का विज्ञान के क्षेत्र में डिजिटल सशक्तिकरण होना अत्यंत आवश्यक है तभी वह आगे आने वाली पीढ़ी को भी सशक्त कर पाएंगी, प्रोफेसर मैरी गारसन कोचेयर  ऑस्ट्रेलिया से ने सभी प्रतिभागियों को   विज्ञान की महत्व के बारे संबोधित किया /मुख्य वक्ता डॉ सुनीता भगत ,दिल्ली यूनिवर्सिटी ने संबोधन में बताया कि विज्ञान और समाज के पोषण में महिलाओं की उभरती भूमिका रहती है महिलाओं की बौद्धिक क्षमता को साकार करना लैंगिक असमानता और विकास, अनुकूलन,अभिव्यक्ति के माध्यम से जमीनी स्तर पर महिलाओं का सशक्तिकरण अत्यंत आवश्यक है।दूसरे मुख्य वक्ता डॉ अजय विशेश्वर ,फैकेल्टी और रिसर्च साउथ अफ्रीका के टॉक का शीर्षक था” महिलाओं में विज्ञान बनाम विज्ञान में महिलाएं” उन्होंने बताया कि कैसे एक महिला का प्रहारवाला चरित्र, जो वैज्ञानिक दिशा की ओर अग्रसर है, तथा महिला की विज्ञान के सभी क्षेत्रों और पहलुओं को अपनाने की क्षमता , अत्यंत सराहनीय पूजनीय है, कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ श्वेता चंद ने प्रार्थना द्वारा किया। सभी प्रतिभागियों का स्वागत प्रोफेसर जोसेफ डेनियल,प्राचार्य , क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर, ने किया कार्यक्रम की संयोजक डॉ मीत कमल ने संगोष्ठी के शीर्षक की जानकारी दी उन्होंने बताया कि कैसे विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी द्वारा सशक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है तथा छात्र-छात्राओं को इस विषय की प्रेरणा देनी बहुत ही जरूरी है कार्यक्रम का संचालन डॉ आनंदिता भट्टाचार्य ने कुशल पूर्वक किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ श्रद्धा सिन्हा ए.सी.टी वाइस प्रेसिडेंट ने दिया, इस कार्यक्रम में डॉ डी वी प्रभु विल्सन कॉलेज मुंबई , श्री बृजेश पारे ए.सी.टी प्रेसिडेंट, डॉ सुधा जैन जोशना, असीम एवं अन्य कॉलेज के अध्यापक एवं छात्र छात्र छात्राएं भी मौजूद रहे।

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हर मर्ज का इलाज है कपालभाती

कपालभाति के लाभ

वैसे तो कापलभाति के बहुत सारे लाभ है लेकिन यहां पर इसके कुछ महत्वपूर्ण फायदे के बारे में बताया गया है।

कपालभाति लगभग हर बिमारियों को किसी न किसी तरह से रोकता है।
कपालभाति को नियमित रूप से करने पर वजन घटता है और मोटापा में बहुत हद तक फर्क देखा जा सकता है।
इसके अभ्यास से त्वचा में ग्लोइंग और निखार देखा जा सकता है।
यह आपके बालों के लिए बहुत अच्छा है।
यह क्रिया अस्थमा के रोगियों के लिए एक तरह रामबाण है। इसके नियमित अभ्यास से अस्थमा को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
कपालभाति से श्वसन मार्ग के अवरोध दूर होते हैं तथा इसकी अशुद्धियां एवं बलगम की अधिकता दूर होती है।
यह शीत, राइनिटिस (नाक की श्लेष्मा झिल्ली का सूजना), साइनसाइटिस तथा श्वास नली के संक्रमण के उपचार में उपयोगी है।
यह उदर में तंत्रिकाओं को सक्रिय करती है, उदरांगों की मालिश करती है तथा पाचन क्रिया को सुधारती है।
यह फेफड़ों की क्षमता में वृद्धि करती है।
यह साइनस को शुद्ध करती है तथा मस्तिष्क को सक्रिय करती है।
यह पाचन क्रिया को स्वस्थ बनाता है।
माथे के क्षेत्र में यह विशेष प्रकार की जागरुकता उत्पन्न करती है तथा भ्रूमध्य दृष्टि के प्रभावों को बढ़ाती है।
यह कुंडलिनीशक्ति को जागृत करने में सहायक होती है।
यह कब्ज की शिकायत को दूर करने के लिए बहुत लाभप्रद योगाभ्यास है।

कपालभाति की सावधानियां

से ध्यान लगाने से पूर्व एवं आसन तथा नेति क्रिया के उपरांत करना चाहिए। सांस भीतर स्वतः ही अर्थात् बल प्रयोग के बगैर ली जानी चाहिए तथा उसे बल के साथ छोड़ा जाना चाहिए किंतु व्यक्ति को इससे दम घुटने जैसी अनुभूति नहीं होनी चाहिए।

हृदय रोग, चक्कर की समस्या, उच्च रक्तचाप, मिर्गी, दौरे, हर्निया तथा आमाशाय के अल्सर से पीड़ित व्यक्तियों को यह क्रिया नहीं करनी चाहिए।
डा श्रुति कौशिक🙏लखनऊ

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