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प्रधानमंत्री मोदी ने राजकोट में नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का शुभारम्भ किया

प्रधानमंत्री  मोदी आज राजकोट में नए अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र रजनीकांत पटेल, केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

यह ऐतिहासिक पहल देश के विमानन बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गुजरात के राजकोट में 236 एकड़ में बने मौजूदा हवाई अड्डे की क्षमताएं इसके चारों ओर घने आवासीय और वाणिज्यिक विकास के कारण बाधित हैं और इसमें आगे विस्तार एवं नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं को पूरा करने की कोई गुंजाइश नहीं है।

इसलिए, हीरासर, राजकोट में एक नया ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा प्रस्तावित किया गया और इसे भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण को सौंप दिया गया। प्रस्तावित नए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के चालू होने के बाद मौजूदा राजकोट हवाई अड्डा काम करना बंद कर देगा। पूर्ण और उपलब्ध बुनियादी ढांचे के साथ हवाई अड्डे को संचालित करने के लिए एक अंतरिम टर्मिनल भवन का निर्माण किया गया है। नया टर्मिनल भवन फिलहाल निर्माणाधीन है। एक बार इसके पूरा हो जाने पर अंतरिम टर्मिनल का उपयोग कार्गो टर्मिनल के रूप में किया जाएगा।

अपने संबोधन में श्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया ने कहा कि इस हवाई अड्डे की कल्पना हमारे प्रधानमंत्री ने लगभग सात साल पहले की थी। आज वह राजकोट की जनता को यह ऐतिहासिक उपहार समर्पित करने के लिए यहां उपस्थित हैं। नया हवाई अड्डा राजकोट के मौजूदा हवाई अड्डे से दस गुना बड़ा है। वहां एक नया टर्मिनल भवन भी बनाया जा रहा है, जिसकी क्षमता प्रति घंटे 1800 यात्रियों को सेवाएं देने की होगी। इस नए टर्मिनल भवन में राजकोट की कला और संस्कृति को दर्शाया जाएगा।

श्री सिंधिया ने कहा कि वर्ष 2014 में राजकोट से हर हफ्ते सिर्फ 56 उड़ानों का परिचालन होता था, जो संख्या आज दोगुनी से भी ज्यादा होकर प्रति सप्ताह 130 हो गई है। वर्तमान में, राजकोट का मुंबई, दिल्ली, पुणे, गोवा और बेंगलुरु से हवाई संपर्क है। आने वाले हफ्तों में हम राजकोट को उदयपुर और इंदौर से भी जोड़ने जा रहे हैं। 2014 में, गुजरात का संपर्क केवल 19 शहरों से था; आज यह 50 शहरों से जुड़ा है।

नया टर्मिनल भवन और हवाई क्षेत्र का बुनियादी ढांचा कुल 2,534 एकड़ भूमि क्षेत्र में और 1405 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। इस विकास में रनवे, एप्रन, समानांतर टैक्सी ट्रैक आदि का निर्माण शामिल है।

हवाई अड्डे की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • नया टर्मिनल भवन 23,000 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।
  • यह इमारत बेहद व्यस्त घंटों के दौरान 2800 यात्रियों को सेवा प्रदान कर सकती है।
  • टर्मिनल में 20 चेक-इन काउंटर और 5 कन्वेयर बेल्ट हैं।
  • रनवे की लंबाई 3,040 मीटर और चौड़ाई 45 मीटर है।
  • हवाई अड्डे के एप्रन की माप 334 मीटर x 152 मीटर है।
  • एप्रन एक साथ दस (10) कोड-सी टाइप और चार (4) कोड-बी टाइप के विमानों के बेड़े को समायोजित कर सकता है।
  • 2 लिंक टैक्सी ट्रैक हैं, प्रत्येक की माप 428 मीटर x 23 मीटर है।
  • हवाई अड्डे के साथ 300 कारों और 75 दोपहिया वाहनों को समायोजित करने की क्षमता वाला एक पार्किंग क्षेत्र विकसित किया गया है।

हीरासर हवाई अड्डे की टर्मिनल बिल्डिंग डबल इंसुलेटेड रूफिंग सिस्टम, ऊर्जा बचत के लिए कैनोपी, एलईडी लाइटिंग, लो हीट गेन डबल ग्लेज़िंग यूनिट, फव्वारों का निर्माण, एचवीएसी, वाटर ट्रीटमेंट संयंत्र, सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र और पुनर्नवीनीकृत पानी के उपयोग, गृह-IV रेटिंग को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र जैसी कई स्थायी विशेषताओं से युक्त है।

विमानन उद्योग की बढ़ती मांगों को पूरा करने के उद्देश्य से हीरासर ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे की सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई और विकास किया गया है। यात्रियों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए, हवाई अड्डे में व्यावसायिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त जगह है। इसके अलावा, डिज़ाइन सुगम्य भारत अभियान मानदंडों के अनुरूप है, जो सभी यात्रियों के लिए पहुंच सुनिश्चित करती है, साथ ही अलग-अलग दिव्यांग व्यक्तियों के अनुभव को बढ़ाने के लिए स्पर्श पथों को शामिल करती है।

उद्घाटन समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपस्थिति भारत के विमानन क्षेत्र को बढ़ाने और वैश्विक विमानन मानचित्र पर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

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लोकसभा ने संसद में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 पारित किया

जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 आज लोकसभा में पारित हो गया।

विधेयक पहली बार 22 दिसंबर 2022 को लोकसभा में प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद, इसे संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था। जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2022 पर संयुक्त समिति ने विधायी विभाग और कानूनी मामलों के विभाग के साथ सभी 19 मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत चर्चा की। समिति ने 09.01.2023 और 17.02.2023 के बीच 9 बैठकों की श्रृंखला के माध्यम से विधेयक की खंड-दर-खंड जांच की। समिति ने अंततः 13.03.2023 को आयोजित बैठक में अपनी रिपोर्ट को स्वीकृत किया।

समिति की रिपोर्ट क्रमशः 17 मार्च 2023 और 20 मार्च 2023 को राज्यसभा और लोकसभा के समक्ष रखी गई है। समिति ने विधेयक में कुछ और संशोधनों की अनुशंसा की। समिति ने 7 सामान्य अनुशंसा भी कीं, जिनमें से 6 अनुशंसा को सभी संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा स्वीकार कर लिया गया है।

जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 के माध्यम से, 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में कुल 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव किया जा रहा है। निम्नलिखित तरीके से गैर-अपराधीकरण हासिल करने का प्रस्ताव है: –

(i) कुछ प्रावधानों में कारावास और/या जुर्माना दोनों को हटाने का प्रस्ताव है।

(ii) कारावास को हटाने और कुछ प्रावधानों में जुर्माना बरकरार रखने का प्रस्ताव है।

(iii) कारावास को हटाने और कुछ प्रावधानों में जुर्माना बढ़ाने का प्रस्ताव है।

(iv) कुछ प्रावधानों में कारावास और जुर्माने को दंड में बदलने का प्रस्ताव है।

(v) अपराधों के शमन को कुछ प्रावधानों में शामिल करने का प्रस्ताव है।

उपरोक्त के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए, विधेयक ऐसे उपायों का प्रस्ताव करता है जैसे (ए) किए गए अपराध के अनुरूप जुर्माने और जुर्माने का व्यावहारिक संशोधन; (बी) निर्णायक अधिकारियों की स्थापना; (सी) अपीलीय प्राधिकारियों की स्थापना; और (डी) जुर्माने और दंड की मात्रा में आवधिक वृद्धि

यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि सजा की डिग्री और प्रकृति अपराध की गंभीरता के अनुरूप हो।

संशोधन विधेयक के लाभ इस प्रकार बताए गए हैं:

1. संशोधन विधेयक आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने और यह सुनिश्चित करने में योगदान देगा कि नागरिक, व्यवसाय और सरकारी विभाग मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक कमी के लिए कारावास के डर के बिना काम करें।

2. किसी अपराध के दंडात्मक परिणाम की प्रकृति अपराध की गंभीरता के अनुरूप होनी चाहिए। यह विधेयक किये गये अपराध/उल्लंघन की गंभीरता और निर्धारित सजा की गंभीरता के बीच संतुलन स्थापित करता है। कानून की कठोरता को खोए बिना, प्रस्तावित संशोधन व्यवसायों और नागरिकों द्वारा कानून का पालन सुनिश्चित करते हैं।

3. तकनीकी/प्रक्रियात्मक गलती और गौण दोष के लिए निर्धारित आपराधिक परिणाम, न्याय वितरण प्रणाली को अवरुद्ध करते हैं और गंभीर अपराधों पर निर्णय को ठंडे बस्ते में डाल देते हैं। विधेयक में प्रस्तावित कुछ संशोधन, जहां भी लागू और व्यवहार्य हो, उपयुक्त प्रशासनिक न्यायनिर्णयन प्रणाली प्रस्तुत करने के लिए हैं। इससे न्याय प्रणाली पर भारी दबाव को कम करने, लंबित मामलों को कम करने और अधिक कुशल और प्रभावी न्याय वितरण में मदद मिलेगी।

4. नागरिकों और कुछ श्रेणियों के सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करने वाले प्रावधानों को अपराधमुक्त करने से उन्हें मामूली उल्लंघनों के लिए कारावास से डरे बिना जीवन जीने में मदद मिलेगी।

5. इस कानून का अधिनियमन कानूनों को तर्कसंगत बनाने, बाधाओं को दूर करने और व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगा। यह कानून विभिन्न कानूनों में भविष्य के संशोधनों के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में काम करेगा। एक समान उद्देश्य के साथ विभिन्न कानूनों में समेकित संशोधन से सरकार और व्यवसायों दोनों के लिए समय और लागत की बचत होगी।

42 अधिनियमों की मंत्रालय/विभागवार सूची

(जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 के अंतर्गत कवर)

क्रम संख्या अधिनियमों का नाम मंत्रालयों/विभागों के नाम
कृषि उपज (ग्रेडिंग और मार्किंग) अधिनियम, 1937 कृषि एवं किसान कल्याण विभाग
समुद्री उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1972 वाणिज्य विभाग
रबर अधिनियम, 1947
चाय अधिनियम, 1953
मसाला बोर्ड अधिनियम, 1986
कानूनी माप विज्ञान अधिनियम, 2009 उपभोक्ता मामले विभाग
छावनी अधिनियम 2006 रक्षा विभाग
सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006 आर्थिक कार्य विभाग
उच्च मूल्यवर्ग के बैंकनोट (विमुद्रीकरण) अधिनियम, 1978
सार्वजनिक ऋण अधिनियम, 1944
आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
भारतीय वन अधिनियम, 1927
सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम, 1994
जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम अधिनियम, 1961 वित्तीय सेवाएँ विभाग
फैक्टरिंग विनियमन अधिनियम, 2011
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981
राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987
भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007
खाद्य निगम अधिनियम, 1964 खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग
भण्डारण निगम अधिनियम, 1962
औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006
फार्मेसी अधिनियम, 1948
मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव) अधिनियम, 2002 आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
सिनेमैटोग्राफी अधिनियम, 1952
केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995
मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 डाक विभाग
बॉयलर अधिनियम, 1923 उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग
कॉपीराइट अधिनियम, 1957
वस्तु भौगोलिक संकेत अधिनियम, 1999
उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951
पेटेंट अधिनियम, 1970
ट्रेड मार्क्स अधिनियम, 1999
रेलवे अधिनियम, 1989 रेलवे मंत्रालय
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 राजस्व विभाग
सांख्यिकी संग्रहण अधिनियम, 2008 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय

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भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग विदेशी मुद्रा का प्रमुख अर्जक है, यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं: पीयूष गोयल

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण तथा कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर व चमड़ा उद्योग न केवल विदेशी मुद्रा का एक प्रमुख अर्जक है, बल्कि श्रम प्रधान क्षेत्र होने के कारण यह लगभग यह 4.5 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जिनमें 40 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फुटवियर मेला 2023 (आईआईएफएफ) को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भारत में विश्व का सबसे बड़ा और सर्वोत्तम गुणवत्ता वाला फुटवियर निर्माता बनने की क्षमता निहित है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत विश्व में चमड़े से बने परिधानों का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक, जीन बनाने के सामान और घोड़ो के साजो सामान का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातकर्ता तथा चमड़े उत्पादों का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक है। श्री गोयल ने इस तथ्य का उल्लेख किया कि इस क्षेत्र की उत्पादन वाली 95 प्रतिशत से अधिक इकाइयां वर्तमान में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) इकाइयां हैं। पीयूष गोयल ने कहा कि भारतीय फुटवियर को दुनिया भर में अलग पहचान दिलाने और विदेशी आकार-माप के प्रचलन पर निर्भरता कम करने के लिए देसी आकार व माप के फुटवियर बाजार में उतारे जाएंगे। उन्होंने इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए उद्योगपतियों को तकनीकी सहयोग तथा गैर-चमड़े के फुटवियर के संयुक्त उद्यमों के लिए मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का पता लगाने का सुझाव दिया, जिससे देश के निर्यात में वृद्धि हो और भारतीय उत्पादों के साथ घरेलू बाजार में बढ़ोतरी भी हो। गोयल ने महाराष्ट्र की कोल्हापुरी चप्पल और राजस्थान के मोजरी फुटवियर की सुंदरता पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय खरीदारों के लिए आकर्षण का क्षेत्र होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि फुटवियर क्षेत्र में भारत को सामर्थ्य स्थानीय कच्चे माल और इसके समृद्ध एवं विविध इतिहास से प्राप्त होती है। पीयूष गोयल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का भी जिक्र किया, जो ‘भारत मंडपम्’ – अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन केंद्र परिसर जैसे भव्य बुनियादी ढांचे का निर्माण जैसी पहल करने में अग्रणी है। उन्होंने बताया कि सितंबर 2023 में जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी ‘भारत मंडपम’ में होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारतीय फुटवियर और चमड़ा उद्योग के विकास कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सरकार द्वारा जांच एवं परीक्षण सुविधाएं शुरू की जाएंगी। उन्होंने चमड़े उत्पाद व्यवसाय करने में आसानी के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर भी प्रकाश डाला, जिनमें कॉर्पोरेट अपराधों को अपराध मुक्त करना, अनुपालन बोझ को कम करना, सभी अनुमोदनों के लिए एक राष्ट्रीय सिंगल विंडो बनाना और विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करना आदि शामिल हैं। गोयल ने सभी हितधारकों से गुणवत्ता एवं स्थिरता, पर्यावरण-अनुकूल कार्य प्रणालियों, अपशिष्ट प्रबंधन और विद्युत ऊर्जा के लिए नवीकरणीय स्रोतों की खोज पर ध्यान केंद्रित करते हुए व्यवसाय का विस्तार करने का आग्रह किया। उन्होंने विस्तृत और बेहतर विकास के लिए नवीन डिजाइनों के रूप में प्रतिस्पर्धात्मकता को अपनाने पर बल दिया। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि वैश्विक बाजार बहुत प्रतिस्पर्धी है। उन्होंने देश के निर्यातकों से नवीन व टिकाऊ उत्पादों को विकसित करने का आग्रह किया, जिनकी दुनिया में अत्यधिक तथा लगातार बढ़ती हुई मांग है। गोयल ने कहा कि हमें मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ने के लिए न केवल अपनी डिजाइन क्षमताओं को और बेहतर करने की जरूरत है, बल्कि उत्पादन को विस्तार देने तथा नवीन उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए अधिक निवेश एवं नई प्रौद्योगिकी लाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि सीएलआरआई, एफडीडीआई और निफ्ट जैसे संस्थान बाजार के बदलते रुझानों व आवश्यकताओं के अनुरूप नए उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में उद्योग जगत के साथ मिलकर कार्य करेंगे।

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2 वॉटर एयरोड्रोम और 9 हेलीपोर्ट सहित 74 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 479 आरसीएस-उड़ान मार्ग परिचालन में हैं

• आरसीएस-उड़ान से 123 लाख से अधिक यात्री लाभान्वित हुए हैं

 

क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस)- उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना के संचालन के लिए क्षेत्रीय एयर कनेक्टिविटी फंड ट्रस्ट (आरएसीएफटी) की ओर से 30 जून 2023 तक चयनित एयरलाइन ऑपरेटरों को व्यवहार्यता गैप फंडिंग (वीजीएफ) की 2729.11 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है।

उड़ान के तहत चार चरण की बोलियों के आधार पर, 2 वॉटर एयरोड्रोम और 9 हेलीपोर्ट सहित 74 हवाई अड्डों को जोड़ने वाले 479 आरसीएस-उड़ान मार्ग परिचालन में हैं। इस योजना से 123 लाख से अधिक यात्री लाभान्वित हुए हैं।

नागरिक उड्डयन क्षेत्र में अगले पांच वर्षों में काफी वृद्धि होने की संभावना है। वृद्धि वाले कुछ क्षेत्र इस प्रकार हैं:

I. सरकार ने देश में 21 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों को चालू करने का निर्णय लिया है। इनमें से 11 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे पहले ही चालू हो चुके हैं। छह हवाई अड्डों पर निर्माण कार्य प्रगति पर है।

II. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, अगले पांच वर्षों में भारत में प्रति वर्ष 1000 पायलटों की आवश्यकता हो सकती है। देश में पायलटों की उपलब्धता बढ़ाने के लिए भारतीय विमानपत्‍तन प्राधिकरण (एएआई) ने उड़ान प्रशिक्षण संगठन नीति को उदार बनाया है।

III. उद्योग के अनुमानों के अनुसार, प्रमुख घरेलू एयरलाइनों द्वारा अपने बेड़े में 900 से अधिक का इजाफा किए जाने की संभावना है।

IV. सरकार ने योजना के दौरान 1000 उड़ान मार्गों को चालू करने और उड़ान की उड़ानों के परिचालन के लिए 2024 तक देश में 100 असेवित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों/हेलीपोर्टों/ वॉटर एयरोड्रोम को पुन आरंभ करने/विकसित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। उड़ान वर्तमान में जारी बाजार संचालित योजना है, जिसके अंतर्गत अधिक गंतव्यों/स्टेशनों और मार्गों को कवर करने के लिए समय-समय पर बोलियों के चरण आयोजित किए जाते हैं। कुछ विशेष मार्गों पर मांग के आकलन के आधार पर, उड़ान के अंतर्गत बोली के समय इच्छुक एयरलाइंस अपने प्रस्ताव प्रस्तुत करती हैं। ऐसा हवाई अड्डा जिसे उड़ान को प्रदान किए गए मार्गों में शामिल किया गया है और जिसे उड़ान का परिचालन शुरू करने के लिए उन्नयन/विकास की आवश्यकता है, उसे ‘असेवित और कम सेवा वाले हवाई अड्डों का पुनरुद्धार’ योजना के तहत विकसित किया जाता है।

यह जानकारी नागर विमानन राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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स्ट्रीट वेंडरों के लिए विशेष रूप से मोबाइल ऐप डिजाइन किया गया

आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने 1 जून, 2023 को स्ट्रीट वेंडरों के लिए पीएम स्वनिधि का मोबाइल ऐप लॉन्च किया है। मोबाइल ऐप की मदद से, स्ट्रीट वेंडर पीएम स्वनिधि योजना के तहत ऋण और अनुशंसा पत्र (एलओआर) के लिए आवेदन कर सकते हैं। स्ट्रीट वेंडर उनके ऋण आवेदन की स्थिति और कैशबैक के विवरण की भी जांच कर सकता है।

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति के दिनांक 26 अप्रैल, 2022 के निर्णय के अनुसार, दिसंबर 2024 तक पीएम स्वनिधि योजना के तहत पहले, दूसरे और तीसरे ऋण के लिए निर्धारित लक्ष्य क्रमशः 42 लाख, 12 लाख और 3 लाख है।

प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) योजना स्ट्रीट वेंडरों को अपना व्यवसाय फिर से शुरू करने के लिए कोलेटरल फ्री कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। 20 जुलाई, 2023 तक इस योजना ने 38.53 लाख स्ट्रीट वेंडरों को 50.63 लाख ऋण सफलतापूर्वक वितरित किए हैं, जिनकी राशि 6,492.02 करोड़ रुपये है।

पीएम स्वनिधि योजना शहरी क्षेत्रों में वेंडिंग करने वाले सभी स्ट्रीट वेंडरों के लिए उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा, योजना के तहत ऋण देने की अवधि को मार्च 2022 से दिसंबर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। इससे अधिक से अधिक स्ट्रीट वेंडरों को योजना के दायरे में लाने में मदद मिलेगी।

पीएम स्वनिधि योजना के तहत ‘स्वनिधि से समृद्धि’ घटक, लाभार्थियों के परिवारों के रहन-सहन की स्थितियों में सुधार के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए 04 जनवरी, 2021 को शुरू किया गया।

यह लाभार्थियों के परिवारों को उनके समग्र विकास और सामाजिक-आर्थिक उत्थान को लक्षित करते हुए भारत सरकार की मौजूदा आठ कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ता है। इन योजनाओं में पीएम जीवन ज्योति बीमा योजना, पीएम सुरक्षा बीमा योजना, पीएम जन धन योजना, वन नेशन वन राशन कार्ड, पीएम श्रम योगी मानधन योजना, भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों (बीओसीडब्ल्यू) के तहत पंजीकरण, जननी सुरक्षा योजना और पीएम मातृ वंदना योजना शामिल हैं।

यह जानकारी आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवा शुल्क से संबंधित अपने निर्देशों का पालन न करने पर रेस्तरां और होटल एसोसिएशनों पर 1,00,000 रुपये का जुर्माना लगाया

माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई, 2023 को आदेश पारित कर नेशनल रेस्‍टोरेंट  एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एनआरएआई) और फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्‍टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफएचआरएआई) को 12 अप्रैल , 2023 के अपने आदेश के अनुसार निर्देशों का पूर्ण गैर-अनुपालन करने पर जुर्माने के रूप में प्रत्येक को 1,00,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। माननीय न्यायालय के निर्देश के अनुसार जुर्माने का भुगतान भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग को किया जाएगा ।

उल्लेखनीय है कि 12 अप्रैल, 2023 के आदेश के अनुसार न्यायालय ने निर्देश दिया था कि:-

(i) दोनों एसोसिएशन 30 अप्रैल 2023 तक अपने सभी सदस्यों की पूरी सूची दाखिल करेंगे जो वर्तमान रिट याचिकाओं का समर्थन कर रहे हैं।

(ii) दोनों एसोसिएशन निम्नलिखित पहलुओं पर अपना पक्ष रखेंगे और एक विशिष्ट हलफनामा दायर करेंगे: –

(ए) उन सदस्यों का प्रतिशत जो अपने बिलों में अनिवार्य शर्त के रूप में सेवा शुल्क लगाते हैं

(बी) क्या एसोसिएशन को सेवा शुल्क शब्द को वैकल्पिक शब्दावली से बदलने पर आपत्ति होगी ताकि उपभोक्ता के मन में यह भ्रम पैदा न हो कि यह ‘कर्मचारी कल्याण निधि’, ‘कर्मचारी कल्याण अंशदान’, ‘कर्मचारी शुल्क’, ‘कर्मचारी कल्याण शुल्क’ आदि जैसी सरकारी लेवी नहीं है।

(सी) उन सदस्यों का प्रतिशत जो सेवा शुल्क को स्वैच्छिक और अनिवार्य नहीं बनाने के इच्छुक हैं, उपभोक्ताओं को उस सीमा तक अपना अंशदान देने का विकल्प दिया जाता है, जिस सीमा तक वे स्वेच्छा से अधिकतम प्रतिशत के अधीन जो शुल्क चाहते हैं, उसकी वसूली की जा सकती है।

रेस्तरां संघों को उपर्युक्त निर्देशों के अनुसार आवश्यक अनुपालन करना आवश्यक था। हालांकि, किसी भी एसोसिएशन ने उक्त आदेश के संदर्भ में हलफनामा दाखिल नहीं किया।

न्यायालय ने कहा कि यह स्पष्ट धारणा है कि रेस्तरां संघ 12 अप्रैल, 2023 के आदेशों का पूरी तरह से पालन नहीं कर रहे हैं और उन्होंने उत्तरदाताओं को उचित रूप से सेवा दिए बिना हलफनामा दायर किया है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुनवाई अदालत के समक्ष आगे न बढ़े।

न्यायालय ने प्रत्येक याचिका में लागत के रूप में 1,00,000/- रुपये के भुगतान की शर्त पर 4 दिनों के भीतर इन हलफनामों को ठीक से दाखिल करने का एक आखिरी मौका दिया, जिसका भुगतान वेतन और लेखा कार्यालय, उपभोक्ता मामले विभाग, नई दिल्ली को डिमांड ड्राफ्ट के रूप में किया जाना है। इस निर्देश का अनुपालन न करने पर हलफनामे को रिकॉर्ड पर नहीं लिया जाएगा। मामले की सुनवाई अब 5 सितंबर, 2023 को होनी है ।

विदित है कि कई उपभोक्ताओं ने राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर सेवा शुल्‍क जबरन वसूलने की शिकायत की है। जुलाई, 2022 में सीसीपीए द्वारा जारी दिशानिर्देशों के बाद से, 4,000 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-

ए) रेस्तरां/होटल द्वारा प्रदान की गई सेवा से असंतुष्ट होने पर भी उपभोक्ताओं को सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर करना।

बी) सेवा शुल्क का भुगतान अनिवार्य बनाना।

सी) सेवा शुल्क को ऐसे शुल्क के रूप में चित्रित करना, जो सरकार द्वारा लगाया जाता है या जिसे सरकार की मंजूरी प्राप्त है।

डी) सेवा शुल्क देने का विरोध करने पर बाउंसरों सहित उपभोक्ताओं को शर्मिंदा करना और परेशान करना।

ई) ऐसे शुल्‍क के नाम पर 15 प्रतिशत, 14 प्रतिशत तक अत्यधिक पैसे वसूलना।

एफ) ‘एस/सी.’, ‘एससी’, ‘एससीआर’ या ‘एस’ चार्ज’ आदि जैसे अन्य कपटपूर्ण नामों से सेवा शुल्क भी वसूला गया है।

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उत्तर प्रदेश

लखनऊ

अगले 3 दिन के लिए मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लिए येलो वा ऑरेंज अलर्ट जारी

आज गाजियाबाद, हापुर, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, औरैया, संभल, बदायूं, जालौन, झांसी एव आसपास इलाकों में मेघ गर्जन वा वज्रपात होने की संभावना

मथुरा, हाथरस, एटा, आगरा, फिरोजाबाद एवं आसपास इलाकों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना

सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, अलीगढ़, कासगंज, मैनपुरी, इटावा, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत एवं आसपास इलाकों में भारी वर्षा होने की संभावना

कल कासगंज, एटा, आगरा, मैनपुरी, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत शाहजहांपुर, संभल, बदायूं, एवं आसपास इलाकों में मेघ गर्जन वा वज्रपात होने की संभावना।

जालौन एवं आसपास इलाकों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना।

अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, बागरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर एवं आसपास इलाकों में भारी वर्षा होने की संभावना ।

तो वही 28 जुलाई को प्रयागराज, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, बाराणसी, संत रविदास नगर, जौनपुर, गाजीपुर, आजमगढ़, हरदोई, लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर, अयोध्या, अंबेडकरनगर, बागरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर एवं बासपास इलाकों में मेघ गर्जन एवं वज्रपात होने की संभावना।

बांदा, चित्रकूट, कौशाम्बी, फतेहपुर, प्रतापगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, रायबरेली, अमेठी, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, हापुर, कासगंज, एटा, मैनपुरी, बिजनौर, अमरोहा, संभल, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, महोबा एवं बासपास इलाकों में भारी वर्षा होने की संभावना।

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कानपुर

*उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश बृजेश पाठक का आज 3 बजे मर्चेंट चेंबर हाल सिविल लाइंस कानपुर नगर में कार्यक्रम*
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*पनकी थाना क्षेत्र के अंतर्गत रतनपुर के गोविंद चौराहा के पास डूडा कॉलोनी में करंट की चपेट में आने से संदिग्ध अवस्था में युवक की मौत, मौके पर मोहल्ले वालों को लगा जमावड़ा*
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: माता-पिता की लापरवाही से 6 साल की मासूम बच्ची की गई जान.

करंट लगने से मासूम बच्ची की गई।

पनकी की रहने वाली है मासूम बच्ची।

कल्याणपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों ने बच्ची को किया मृत्यु घोषित।

बच्चे की मौत की जानकारी मिलते परिवार में मचा कोहराम।

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पीएम किसान सम्मान निधि की 14वीं किस्त में 17 हजार करोड़ रु. किसानों के खातों में जमा

प्रधानमंत्री मोदी ने आज देश के किसानों की आय सहायता के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) की 14वीं किस्त के रूप में 17 हजार करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में जमा किए। सीकर में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा आयोजित वृहद कार्यक्रम में श्री मोदी ने 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएम-केएसके) राष्ट्र को समर्पित किए और सल्फर कोटेड यूरिया (यूरिया गोल्ड) लांच की। साथ ही, ओपन नेटवर्क फार डिजिटल कामर्स (ओएनडीसी) पर 1600 से अधिक कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के ऑनबार्डिंग का शुभारंभ किया। राजस्थान को एक साथ अनेक सौगातें प्रदान करते हुए प्रधानमंत्री ने 5 मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन व 7 मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया तथा 6 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों व एक केंद्रीय विद्यालय का शुभारंभ भी किया। समारोह में राज्यपाल श्री कलराज मिश्र, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर, रसायन एवं उर्वरक तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी मौजूद थे। समारोह में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज शुरू किए 1.25 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इन्हें किसानों की जरूरतों के लिए वन-स्टॉप शॉप में विकसित किया जा रहा है। गांव व ब्लॉक लेवल पर इन केंद्रों से करोड़ों किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। यहां किसानों को बीज, खाद, खेती के औजार व अन्य मशीनें भी मिलेगी। ये केंद्र खेती से जुड़ी हर आधुनिक जानकारी किसानों को देंगे। वर्षांत से पहले ऐसे और 1.75 लाख केंद्र खोले जाएंगे। ओएनडीसी पर एफपीओ की भागीदारी का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इससे किसानों के लिए देश के किसी भी हिस्से से उपज को बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की मौजूदा सरकार किसानों के दर्द और जरूरतों को समझती है व किसानों के खर्चें कम करने और जरूरत के समय उनका समर्थन करने के लिए पूरी गंभीरता से काम कर रही है। पिछले 9 वर्षों में बीज से बाज़ार तक नई व्यवस्था का निर्माण किया गया हैं। मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना के माध्यम से करोड़ों किसान मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान के आधार पर इष्टतम निर्णय ले रहे हैं। मोदी ने पीएम किसान सम्मान निधि का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है जिसमें सीधे किसानों के बैंक खाते में धनराशि ट्रांसफर की जाती है। आज की 14वीं किस्त को मिला लें तो अब तक 2.60 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सीधे किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जा चुके हैं जिससे किसानों को विभिन्न खर्चों को कवर करने में फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों का सामर्थ्य, किसानों का परिश्रम, मिट्टी से भी सोना निकाल देता है इसलिए सरकार किसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। हमारी सरकार कैसे अपने किसान भाइयों के पैसे बचा रही है, इसका एक उदाहरण यूरिया की कीमतें भी हैं। हमारी सरकार ने कोरोना और रूस-यूक्रेन युद्ध का असर किसानों पर नहीं पड़ने दिया। आज देश में यूरिया की जो बोरी 266 रु. में देते हैं, यहीं बोरी पाकिस्तान में करीब 800 रु. में मिलती है, बांग्लादेश में 720 रु. और चीन में 2100 रु. की मिलती है। अमेरिका में यूरिया की यही बोरी 3000 रु. से ज्यादा की मिल रही है। श्री मोदी ने कहा कि सरकार किसानों को यूरिया की कीमतों से परेशान नहीं होने देगी, जब कोई किसान यूरिया खरीदने जाता है तो उसे विश्वास होता है कि यह मोदी की गारंटी है। प्रधानमंत्री ने श्री अन्न को बढ़ावा देने हेतु उठाए कदमों का जिक्र करते हुए कहा कि इससे श्री अन्न के उत्पादन, प्रसंस्करण, निर्यात में वृद्धि हो रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का विकास तभी संभव है, जब गांवों का विकास होगा इसीलिए सरकार गांवों में वो सारी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है जो सिर्फ शहरों में ही मिलती थी।” उन्होंने कहा कि दशकों तक गांवों में अच्छे स्कूलों, शिक्षा की कमी के कारण गांव-गरीब पीछे रह गए, अफसोसजनक रहा कि पिछड़े-आदिवासी समाज के बच्चों के पास सपनों को पूरा करने का कोई साधन नहीं था। श्री मोदी ने उल्लेख किया कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा के लिए बजट और संसाधन बढ़ाएं और एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले जिससे आदिवासी युवाओं को काफी लाभ हुआ है। उन्होंने कहा, ”सफलता तभी बड़ी होती है, जब सपने बड़े हों।” कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा कि आज एक बार फिर कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक अवसर है जब प्रधानमंत्री के कर-कमलों से इतनी सौगातें मिल रही है। उन्होंने इसके लिए करोड़ों किसानों की ओर से प्रधानमंत्री श्री मोदी का अभिनंदन करते हुए कहा कि देश इस बात का साक्षी है कि जबसे प्रधानमंत्री ने कार्यभार संभाला, उनकी प्राथमिकता रही है कि गांव-गरीब-किसानों की प्रगति हों, उनके घरों में खुशहाली आएं, कृषि क्षेत्र में उत्पादन-उत्पादकता बढ़ें, नवाचार बढ़ें, तकनीक का समर्थन हों, छोटे किसानों की ताकत व आमदनी बढ़ें, कृषि की अर्थव्यवस्था मजबूत हों और देश में योगदान दे सकें। इसके लिए मोदी जी के नेतृत्व में अनेक योजनाएं इन 9 वर्षों में शुरू हुई हैं। 2014-15 में कृषि मंत्रालय का बजट 23 हजार करोड़ रु. होता था जो अब करीब पांच गुना अधिक 1.25 लाख करोड़ रु. हो गया है, यह प्रधानमंत्री की प्राथमिकता का परिचय देता है। श्री तोमर ने कहा कि किसान कितना भी परिश्रम कर लें, सरकार की नीतियां अनुकूल हों, फिर भी उन्हें प्रकृति पर निर्भर रहना पड़ता है और जब प्रकृति का प्रकोप आता है तो फसलों को नुकसान होता ही है। इसके लिए श्री मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का बड़ा सुरक्षा कवच किसानों को दिया है। इस योजना अंतर्गत किसानों के अब तक 29 हजार करोड़ रु. प्रीमियम रूप में जमा हुए, जबकि 1.41 लाख करोड़ रु. मुआवजे के रूप में दिए गए हैं।

उन्होंने कहा कि पीएम किसान की किसी ने कल्पना नहीं की थी। श्री मोदी ने जब कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ना चाहिए तो इसके लिए किसानों, वैज्ञानिकों, बैंकों का आह्वान किया, तब अपना फर्ज भी निभाया व किसानों की आय में सालाना छह हजार रु. जोड़ने के लिए पीएम किसान योजना का सृजन किया। अब तक इस योजना से देशभर के 11 करोड़ किसानों के खातों में 2.42 लाख करोड़ रु. से अधिक की राशि बिना किसी बिचौलियों के जमा कराई जा चुकी है। एक कालखंड था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री कहा करते थे कि हम दिल्ली से 100 रु. भेजते हैं और गांव पहुंचते-पहुंचते 15 रु. बचते हैं। आज प्रधानमंत्री छह हजार रु. भेजते हैं, तो पूरी की पूरी राशि किसानों के खाते में जाती है, कहीं कोई बिचौलिया नहीं। आज पीएम किसान सम्मान निधि योजना की 14वीं किस्त से सीकर के 2 लाख व राजस्थान के 57 लाख किसानों के खाते में 1278 करोड़ रुपये मिल जाएंगे। राजस्थान के किसानों को इस योजना के अंतर्गत अब तक 17 हजार करोड़ रु. से अधिक की राशि मिल चुकी है। इसी तरह, मध्य प्रदेश के 76 लाख व छत्तीसगढ़ के 20 लाख किसानों को स्कीम का लाभ मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री श्री मांडविया ने स्वागत भाषण में कहा कि देश में सभी वादों से ऊपर उठकर विकासवाद की एक नई राजनीतिक विचारधारा को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बढ़ावा दिया है। प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण देश को तीन दशकों के अंतराल के बाद नई शिक्षा नीति मिली है, जिसकी सकारात्मक चर्चा न केवल देश बल्कि अन्य देशों में भी है। किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रधानमंत्री ने हमेशा प्रयास किया है। पिछले 9 वर्षों में ऐसा कोई माह नहीं गया होगा, जब उन्होंने किसानों के कल्याण के लिए कोई कदम न उठाया हों।

इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसान भाई-बहन व राजस्थान के मंत्री, सांसद-विधायकगण उपस्थित थे, वहीं 732 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के 100 से ज्यादा संस्थानों, 75 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, पीएम किसान समृद्धि केंद्रों, 50 हजार प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों व 4 लाख सामान्य सेवा केंद्रों पर उपस्थित लाखों सदस्यों और करोड़ों किसानों के साथ ही केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डा. भारती प्रवीण व डा. एस.पी. सिंह बघेल सहित मंत्री, सांसद, विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि वर्चुअल जुड़े थे।

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दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज में सड़क सुरक्षा पखवाड़े के अंतर्गत रैली एवं विचार गोष्ठी आयोजित

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, सड़क सुरक्षा जीवन के लिए मोती है – आर टी ओ राजेश सिंह दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में सड़क सुरक्षा पखवाड़े के अंतर्गत रैली एवं विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि आरटीओ कानपुर नगर, श्री राजेश सिंह रहे। उन्होंने अपने वक्तव्य में छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि सड़क सुरक्षा के नियम का पालन कर हम स्वयं की तथा राह पर चलने वाले अन्य व्यक्तियों की भी जान बचा सकते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथि यातायात निरीक्षक, कानपुर नगर,श्री राजवीर सिंह ने छात्राओं को यातायात के नियमों तथा सड़क सुरक्षा से संबंधित आंकड़ों व नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए उन्हें रोड सेफ्टी की शपथ दिलवाई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नमामि गंगे विभाग भाजपा उत्तर प्रदेश के प्रदेश संयोजक श्री कृष्णा दीक्षित बड़े जी ने शासन प्रशासन तथा महाविद्यालय द्वारा रोड सेफ्टी क्लब का गठन कर रैली विभिन्न प्रतियोगिताओं विचार गोष्ठियों आदि गतिविधियों के द्वारा इस दिशा में फैलाई जा रही जनजागरूकता की भूरी–भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि यह योजना भविष्य में सड़क दुर्घटनाओं में तेजी से कमी लाने के लिए अत्यंत कारगर साबित होगी। इस अवसर पर महाविद्यालय से ग्रीन पार्क स्टेडियम तक एक जागरूकता रैली भी निकाली गई।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रो अर्चना वर्मा ने, अतिथियों का स्वागत आइ क्यू ए सी इंचार्ज प्रो वंदना निगम ने तुलसी के पौधे भेंट कर किया। कार्यक्रम का संचालन रोड सेफ्टी क्लब की इंचार्ज तथा महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता सिरोही के द्वारा, दीप प्रज्वलन एनसीसी इंचार्ज डॉ मनीष पांडे के द्वारा तथा हॉल व्यवस्था रोवर्स रेंजर्स की प्रभारी प्रो सुमन सिंह के द्वारा की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यालय अधीक्षक श्री कृष्णेंद्र कुमार श्रीवास्तव, प्रो स्वाति सक्सेना, डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ अंजना श्रीवास्तव, श्रीमती श्वेता गोंड , इलेक्ट्रीशियन रामचंद्र, नरेश कुशवाहा, कु पवित्रा व श्रीमती लक्ष्मी समेत समस्त शोधार्थियों तथा छात्राओं की विशेष भूमिका रहीं।

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प्रधानमंत्री ने राजस्थान के सीकर में विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रख राष्ट्र को समर्पित

प्रधानमंत्री मोदी ने आज राजस्थान के सीकर में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया और राष्ट्र को समर्पित की। इन परियोजनाओं में 1.25 लाख से अधिक पीएम किसान समृद्धि केंद्रों (पीएमकेएसके) को राष्ट्र को समर्पित करना, सल्फर के साथ लेपित यूरिया की एक नई किस्म यूरिया गोल्ड लॉन्च करना, डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) पर 1600 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को शामिल करना, 8.5 करोड़ लाभार्थियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के तहत लगभग 17,000 करोड़ रुपये की 14वीं किस्त राशि जारी करना, चित्तौड़गढ़, धौलपुर, सिरोही, सीकर और श्रीगंगानगर में 5 नए मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन, बारां, बूंदी, करौली, झुंझुनू, सवाई माधोपुर, जैसलमेर और टोंक में 7 मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास और उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ व डूंगरपुर जिलों में स्थित 6 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालय तिंवरी, जोधपुर का उद्घाटन शामिल है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने पर पीएम किसान समृद्धि केंद्र के मॉडल को देखा।  प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए देश के विभिन्न स्थानों से आज के कार्यक्रम में शामिल होने वाले करोड़ों किसानों के प्रति सम्मान व्यक्त किया और कहा कि खाटू श्याम जी की भूमि भारत के कोने-कोने से आने वाले तीर्थयात्रियों को आश्वस्त करती है। उन्होंने शेखावाटी की वीर भूमि से विभिन्न विकास कार्यक्रमों की शुरुआत करने का अवसर मिलने पर आभार व्यक्त किया और करोड़ों किसान-लाभार्थियों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के अंतर्गत किस्त सीधे हस्तांतरित करने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने देश में 1.25 लाख से अधिक पीएम किसान समृद्धि केंद्रों को राष्ट्र को समर्पित करने बारे में कहा कि इससे गांव और ब्लॉक स्तर पर करोड़ों किसानों को सीधा लाभ होगा। उन्होंने ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) पर किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के जुड़ने का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे किसानों के लिए देश के किसी भी हिस्से से अपनी उपज को बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा। उन्होंने यूरिया गोल्ड, नए मेडिकल कॉलेजों और एकलव्य मॉडल स्कूलों के शुभारंभ का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने आज की विकास परियोजनाओं के लिए भारत के लोगों के साथ-साथ करोड़ों किसानों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने सीकर और शेखावाटी क्षेत्रों के किसानों के महत्व को रेखांकित करते हुए क्षेत्र की कठिनाइयों के बावजूद उनकी कड़ी मेहनत के प्रति सम्मान व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार किसानों की पीड़ा और जरूरतों को समझती है। प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे पिछले 9 वर्षों में बीज से बाजार (बीज से बाजार तक) तक नई प्रणालियां बनाई गई हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 2015 में सूरतगढ़ में मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना शुरू की गई थी। इस योजना के माध्यम से करोड़ों किसान मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में ज्ञान के आधार पर अधिकतम निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1.25 लाख किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) किसानों की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेंगे। इन केंद्रों को किसानों की आवश्कताओं के लिए वन-स्टॉप शॉप के रूप में विकसित किया जा रहा है। ये केंद्र किसानों को कृषि से संबंधित मुद्दों पर उन्नत आधुनिक जानकारी भी प्रदान करेंगे और सरकार की कृषि योजनाओं के बारे में भी समय पर जानकारी प्रदान करेंगे। प्रधानमंत्री ने किसानों को सलाह दी कि वे केंद्रों का दौरा करते रहें और वहां उपलब्ध ज्ञान का लाभ उठाएं। प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्षांत से पहले अतिरिक्त 1.75 लाख पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) स्थापित किए जाएंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों के खर्चों को कम करने और जरूरत के समय उनकी सहायता करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने पीएम किसान सम्मान निधि का जिक्र करते हुए कहा कि यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है जहां किसानों के बैंक खातों में सीधे धन हस्तांतरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि आज की 14वीं किस्त को शामिल किया जाए तो अब तक 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जा चुकी है, जो विभिन्न खर्चों को कवर करने में किसानों के लिए लाभकारी रही है। उन्होंने कहा कि देश में यूरिया की कीमत सरकार द्वारा किसानों का खर्च बचाने का उदाहरण है। कोरोना वायरस महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण उर्वरकों में आई बाधा का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि वर्तमान  सरकार ने इसे देश के किसानों पर इसका असर नहीं पड़ने दिया। प्रधानमंत्री ने उर्वरकों की कीमतों के बारे में बताया कि यूरिया की जिस बोरी की कीमत भारत में 266 रुपये है, उसका मूल्य पाकिस्तान में लगभग 800 रुपये, बांग्लादेश में लगभग 720 रुपये, चीन में लगभग 2100 रुपये और अमेरिका में लगभग 3000 रुपये है। “सरकार हमारे किसानों को यूरिया की कीमतों से परेशान नहीं होने देगी”, श्री मोदी ने कहा, “जब कोई किसान यूरिया खरीदने जाता है, तो उसे विश्वास होता है कि यह मोदी की गारंटी है।

प्रधानमंत्री ने मोटे अनाजों को बढ़ावा देने और उनकी ब्रांडिंग श्री अन्न के रूप में करने जैसे उपायों के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि श्री अन्न के प्रचार-प्रसार के माध्यम से इसके उत्पादन, प्रसंस्करण और निर्यात में वृद्धि हो रही है। उन्होंने अपनी हील की यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस के आधिकारिक रात्रिभोज में मोटे अनाज की उपस्थिति को याद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का विकास तभी संभव है जब उसके गांवों का विकास हो। विकसित गांवों के साथ ही भारत विकसित हो सकता है। यही कारण है कि सरकार गांवों में वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है, जो अब तक केवल शहरों में उपलब्ध थीं। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य अवसंरचना के विस्तार का उल्लेख करते हुए कहा कि राजस्थान में 9 वर्ष  पहले तक केवल दस मेडिकल कॉलेज थे। आज यह संख्या 35 तक पहुंच गई है। इससे आस-पास के क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं में सुधार हो रहा है और मेडिकल छात्रों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज जिन मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया जा रहा है और जिनका शिलान्यास किया जा रहा है, उनसे राज्य के कई क्षेत्रों में चिकित्सा अवसंरचना में सुधार होगा। जैसा कि चिकित्सा शिक्षा को सुलभ बनाया जा रहा है, प्रधानमंत्री ने मातृभाषा में मेडिकल शिक्षा प्रदान करने, इसे और लोकतांत्रिक बनाने और वंचित वर्गों के लिए रास्ते खोलने के कदम का भी उल्लेख किया। अब किसी गरीब का बेटा या बेटी अंग्रेजी न जानने के कारण डॉक्टर बनने के अवसर से वंचित नहीं रहेगा। यह भी मोदी की गारंटी है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों तक गांवों में अच्छे स्कूलों और शिक्षा की कमी के कारण गांव और गरीब भी पीछे छूट गए थे और अफसोस जताया कि पिछड़े और जनजातीय समाज के बच्चों के पास अपने सपनों को पूरा करने का कोई साधन नहीं था। श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान सरकार ने शिक्षा के लिए बजट और संसाधनों में वृद्धि की है और एकलव्य आवासीय विद्यालय खोले हैं, जिससे जनजातीय युवाओं को काफी लाभ हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सफलता तभी बड़ी होती है जब सपने बड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि  राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसके वैभव ने सदियों से दुनिया को आकर्षित किया है। प्रधानमंत्री ने राजस्थान को आधुनिक विकास की ऊंचाई पर ले जाते हुए भूमि की विरासत को संरक्षित करने पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यही कारण है कि राजस्थान में आधुनिक अवसंरचना का निर्माण करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने पिछले कुछ महीनों में दो हाईटेक एक्सप्रेसवे के उद्घाटन का उल्लेख किया और कहा कि राजस्थान दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे और अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे के एक प्रमुख खंड के माध्यम से विकास की एक नई गाथा लिख रहा है। उन्होंने राज्य से चलाई जा रही वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का भी जिक्र किया। श्री मोदी ने कहा कि सरकार अवसंरचना में निवेश कर रही है और पर्यटन से संबंधित सुविधाओं का विकास कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्थान के लिए भी नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा, “जब राजस्थान ‘पधारो म्हारे देश’ का आह्वान करेगा तो एक्सप्रेसवे और बेहतर रेल सुविधाएं पर्यटकों का स्वागत करेंगी। प्रधानमंत्री ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत खाटू श्याम जी मंदिर में सुविधाओं के विस्तार का भी उल्लेख किया और विश्वास व्यक्त किया कि श्री खाटू श्याम के आशीर्वाद से राजस्थान के विकास को और गति मिलेगी। हम सब मिलकर राजस्थान के गौरव और विरासत को पूरे विश्व में एक नई पहचान देंगे।

प्रधानमंत्री ने राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। श्री अशोक गहलोत पिछले कुछ समय से बीमार हैं और इस कार्यक्रम में नहीं आ सके।

इस अवसर पर राजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया, केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल और केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने किसानों को लाभान्वित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में 1.25 लाख से अधिक पीएम किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) राष्ट्र को समर्पित किए। सभी किसानों की जरूरतों के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान करने के लिए पीएमकेएसके विकसित किए जा रहे हैं। कृषि इनपुट (उर्वरकों, बीजों, उपकरणों) की जानकारी से लेकर मिट्टी, बीज और उर्वरकों के लिए परीक्षण सुविधाओं तक, विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी तक, पीएमकेएसके को देश में किसानों के लिए एक विश्वसनीय समर्थन प्रणाली बनाने की परिकल्पना की गई है। वे ब्लॉक/जिला स्तर के विक्रय केंद्रों पर उर्वरक खुदरा विक्रेताओं का नियमित क्षमता निर्माण भी सुनिश्चित करेंगे।

प्रधानमंत्री ने यूरिया गोल्ड की एक नई किस्म का शुभारंभ किया, जो सल्फर के साथ लेपित है। सल्फर लेपित यूरिया की शुरुआत मिट्टी में सल्फर की कमी को दूर करेगी। यह अभिनव उर्वरक नीम-लेपित यूरिया की तुलना में अधिक किफायती और कुशल है, पौधों में नाइट्रोजन उपयोग दक्षता में सुधार करता है, उर्वरक की खपत को कम करता है, और फसल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) से 1600 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को जोड़ने की शुरुआत की। ओएनडीसी एफपीओ को डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन भुगतान, बिजनेस-टू-बिजनेस (बी2बी) और बिजनेस-टू-कंज्यूमर लेनदेन तक सीधी पहुंच के साथ सशक्त बनाता है, और स्थानीय मूल्य वर्धन को प्रोत्साहित करता है, ग्रामीण क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स के विकास को उत्प्रेरित करता है।

किसानों के कल्याण के प्रति प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता का एक और उदाहरण पेश करने वाले एक कदम में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) के अंतर्गत लगभग 17,000 करोड़ रुपये की 14वीं किस्त की राशि 8.5 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण  के माध्यम से जारी की गई।

प्रधानमंत्री ने चित्तौड़गढ़, धौलपुर, सिरोही, सीकर और श्रीगंगानगर में पांच नए मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया और बारां, बूंदी, करौली, झुंझुनू, सवाई माधोपुर, जैसलमेर और टोंक में सात मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखी। मेडिकल कॉलेजों की स्थापना वर्तमान जिला/रेफरल अस्पतालों से संबद्ध नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना के तहत की जा रही है। प्रधानमंत्री ने जिन पांच मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया है, उन्हें 1400 करोड़ रुपये से अधिक की संचयी लागत से विकसित किया गया है, जबकि जिन सात मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला रखी वे 2275 करोड़ रुपये की संचयी लागत से बनाए जाएंगे। 2014 तक राजस्थान में केवल 10 मेडिकल कॉलेज थे। केंद्र सरकार के समर्पित प्रयासों के माध्यम से राज्य में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 35 हो गई है। यह 250 प्रतिशत की वृद्धि है। इन 12 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से राज्य में एमबीबीएस सीटों की संख्या 2013-14 में 1750 सीटों से बढ़कर 6275 हो जाएगी, जो 258 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

प्रधानमंत्री ने इसके अतिरिक्त उदयपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ और डूंगरपुर जिलों में छह एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का उद्घाटन किया, जिससे इन जिलों में रहने वाली जनजातीय आबादी लाभान्वित होगी। वह कार्यक्रम के दौरान जोधपुर में केंद्रीय विद्यालय, तिंवरी का भी उद्घाटन किया।

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