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विधवा

आईने के सामने खड़ी थी मैं। क्रीम कलर की बॉर्डर वाली साड़ी मुझ पर बहुत फब रही थी लेकिन मैं आईने में दूसरे रंग की साड़ी में खड़ी नजर आ रही थी सुर्ख लाल रंग की साड़ी…. माथे पर बड़ी सी बिंदी, आंखों में काजल, होठों पर लिपस्टिक और मैं खुद पर ही इतरा रही थी। मैंने अपने प्रतिरूप को छूना चाहा मगर यह क्या अचानक मैं खो गई और जो सामने थी वह एक विधवा थी। कबीर के जाने के बाद मेरे जीवन से सभी रंग उड़ चुके थे। खुशियों ने मुस्कुराना बंद कर दिया था और जिम्मेदारियों का बोझ मुझे परिपक्व बना रहा था। धीरे धीरे मेरा जीवन सामान्य होने लगा था लेकिन शायद मैं अंदर ही अंदर कुछ टूट सी रही थी… कोई कुछ महसूस नहीं कर रहा था लेकिन अंदर से कुछ दरक रहा था मगर फिर भी मैं मुस्कुरा रही थी, जी रही थी। उदासी मुझ पर हावी ना होने पाए इसलिए मैंने खुद को काम में गुथा लिया था। मयंक की जिम्मेदारी थी और उसके लिए मुझे जीना था, हंसना था।

मैं:- “मयंक! मैं कॉलेज के लिए निकल रही हूं, तुम ट्यूशन से आते वक्त लॉन्ड्री से होते हुए आना कुछ कपड़े ड्राइक्लीन को दिए हुए हैं वह लेते आना।”
मयंक:- “ठीक है मां।”
विचारों में सृजनात्मकता और नवीनता मेरा स्वभाव स्वभाव है और मेरा यह स्वभाव जल्दी से किसी को रास नहीं आता। वैसे भी एक सामाजिक धारणा है कि एक विधवा स्त्री सपने कैसे देख सकती है? गाड़ी चलाते हुए यह विचार मेरे जेहन में घूम रहे थे। कॉलेज में फाइलों और क्लास में उलझे रहकर मैं यह सब भूल जाती और जब मन शांत होकर अकेला होता तब मुझे कबीर बहुत याद आते। कबीर तुम हमेशा कहते थे ना कि तुम्हारे ऊपर चटक रंग ज्यादा अच्छे लगते हैं मरून रंग तुम पर कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है। तुम हमेशा ऐसे ही चटक रंग पहनना, ज्यादा सुंदर लगती हो। कबीर के यह शब्द आज भी मेरे मन को छू जाते हैं। मुझे याद है एक बार मंदिर जाते समय मैंने हल्के जामुनी रंग की साड़ी पहनी थी। तब कबीर ने कहा, “अरे यह क्या पहन लिया? तुम्हारे ऊपर बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। गहरे रंग का कुछ पहनना चाहिए” और उन्होंने गहरे हरे रंग की साड़ी निकाल कर दी मुझे। आश्चर्य होता था मुझे कि कोई व्यक्ति इतना ध्यान कैसे रख सकता है वो भी कपड़ों का, कपड़ों के रंगों का मगर कबीर ध्यान देते थे। कभी अच्छा भी लगता था तो कभी झल्लाहट भी होती थी मुझे लेकिन मैं आज इन सब चीजों की कमी महसूस करती हूं।
कॉलेज के लिए तैयार होते समय अचानक मेरा हाथ मरून रंग की साड़ी पर गया फिर पता नहीं क्यों मरुन साड़ी पहनकर ही ऑफिस चली गई। उस दिन मैं सबकी आंखों का केंद्र थी मगर मैंने किसी की आंख की परवाह नहीं की। मुझे जीना था,  खुश रहना था मयंक के लिए, कबीर के लिए और अपने लिए। मैंने धीरे-धीरे सफेद रंग को अलविदा कहा और सभी रंगों को आत्मसात कर लिया सिवाय एक रंग के सुर्ख लाल रंग।
अब मैं सजने संवरने लगी थी तो लोगों की आंखों में चुभने भी लगी थी। लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आती, “देखो तो कैसी है! विधवा है लेकिन तैयार कैसे हो रही?” कुछ तो इतने रूढ़ होते कि चरित्र पर ही उंगली उठा देते थे। फिर भी मैं हारी नहीं। मेरा आत्मविश्वास मजबूत होता गया और धीरे-धीरे लोगों को मैं उत्तर भी देने लगी।
निम्मी मासी:- “अरे बेटा! अब शुभ कामों में बुलाया तो है मगर जरा दूर बैठा करो और इतनी चटक रंग की साड़ी क्यों पहनी? हल्के रंग की पहनी चाहिए। अब शोभा नहीं देता इस तरह से। समाज के सभी लोग देखते हैं।”
मैं:- “मासी! जमाना बदल गया है और लोगों की सोच भी बदल गई है। आजकल के बच्चे नहीं मानते हैं यह सब। अब देखो मिलोनी बुला रही है और बोल रही है कि “फेरों के वक्त पास में ही रहना बुआजी। भैया भाभी भी बुला रहे हैं, सम्मान दे रहे तो बिना वजह का बखेड़ा क्यों खड़ा करूं?” मासी बुरा सा मुंह बना कर रह गई। भाभी भी पास आकर बोली, “हां बुआ जी क्या पति के जाने से औरत सिंगार करना छोड़ दे, जीना छोड़ दे, सपने देखना छोड़ दे, अपनी इच्छाओं को मार दे, जिंदा लाश बन कर रहे और आगे का जीवन निराशा और अकेलेपन में गुजारे।”
बुआ:- “हमने भी तो ऐसे ही गुजारा है जीवन। पति के जाने के बाद कैसा उत्सव? विधवा होने के बाद स्त्री के लिए यह सब अशोभनीय है, पाप है।”
भाभी:- “कुछ नहीं होता बुआ जी! नंददोई जी को जीजी हमेशा तैयार और खुश ही अच्छी लगती थी और अब जब अकेली रह गई हैं तो उन्हें निराशा में धकेलना क्या ठीक है? उन्हें हमारे साथ, हम सब के बीच में रहकर खुशियां मनानी चाहिए”।
मुझे गहने, कपड़े, मेंहदी, काजल, लिपस्टिक, बिंदी लगाये देखकर लोगों में खुसफुस होते रहती लेकिन मैं परवाह नहीं करती क्योंकि मुझे पता है समय परिवर्तनशील है और कुछ समय बाद यह लोग चुप हो जाएंगे और समर्थन भी देंगे क्योंकि जब इन्हीं में से ही किसी की बेटी पर ऐसा दुख आएगा तब। पास ही के मंदिर में शाम की आरती की आवाज आनी शुरू हो गई थी और मेरा मन धीरे-धीरे शांत हो गया होता जा रहा था।

प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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एसएन सेन बा वि पीजी में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की पूजा अर्चना की

भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर 27 जनवरी, एसएन सेन बा वि पीजी कॉलेज कानपुर में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर मां सरस्वती की प्रतिमा को प्रतिष्ठित कर पूजन अर्चन किया गया बसंतोत्सव की शुभ बेला पर मुख्य अतिथि विधायक श्री अमिताभ बाजपेई ने मां सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्पित कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया, महाविद्यालय प्रबंध तंत्र के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्र, सचिव श्री प्रवीण कुमार सेन ,संयुक्त सचिव श्री शुभरो सेन ,सदस्या श्रीमती दीपा श्री सेन, एवं प्रबंध समिति के अन्य गणमान्य सदस्य प्राचार्या डॉ निशा अग्रवाल ने ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा कर पुष्पांजलि अर्पित की  ऋतुराज बसंत के आगमन की छटा सभागार में देखते ही बनती थी, पीत पुष्पों से सुसज्जित महाविद्यालय सभागार में रंगों का सुंदर संयोजन लिए अल्पना देखकर सभी मोहित हो उठे, कोविड के नियमों का पालन करते हुए महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ता गण एवं कर्मचारी गण ने पुष्पांजलि अर्पित कर मां से आशीर्वाद लिया, भारतीय संस्कृति में समस्त पर्व त्यौहार प्रकृति से जुड़े हुए हैं माघ मास की पंचमी को बसंत पंचमी के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन महाविद्यालय में भी मां को अन्य भोगो के साथ पीली खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और बाद में सभी को वितरित किया जाता है, छात्राएं अपनी पुस्तक कलम एवं विद्या से संबंधित सामग्री मां के चरणों में रख उनसे आशीर्वाद लेती है, इस पूजा में भाग लेने सेवानिवृत्त प्रवक्तागण कर्मचारी गण और तथा पूर्व छात्राएं भी आती हैं, दिनांक 07.02.2022 को मां सरस्वती की प्रतिमा का विसर्जन दोपहर 1:00 बजे किया जाएगा, इस शुभ अवसर पर डॉ निशी प्रकाश, डॉ अलका टंडन ,डॉ पूनम अरोड़ा ,डॉ संध्या सिंह, डॉ गार्गी यादव, डॉ रचना शर्मा ,डॉ चित्रा सिंह तोमर ,डॉ मोनिका सहाय, डॉ प्रीति सिंह, डॉ रचना निगम, डॉ शुभा वाजपेई ,डॉ प्रीता अवस्थी , डॉ सुनीता शुक्ला आदि उपस्थित रहे

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एंग्जायटी डिसॉर्डर के लक्षण

#एंग्जायटी #डिसऑर्डर ❤️❤️❤️

हमेशा अपने साथ कुछ गलत होने की आशंका, छोटी-छोटी बातों को लेकर बेवजह घबराहट और चिंता में घिरे रहना एंग्जायटी डिसॉर्डर का लक्षण हो सकता है।
जब ऐसी नकारात्मक भावनाओं पर व्यक्ति का कोई नियंत्रण न हो और तमाम कोशिशों के बावजूद छह महीने से ज्यादा लंबे समय तक इसके लक्षण दिखाई दें तो यह समस्या एंग्जायटी डिसॉर्डर का रूप धारण कर सकती है।

#क्या है #मर्ज

हमेशा चिंता, बेचैनी, वास्तविक या काल्पनिक घटनाओं पर आधारित भविष्य का डर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। हालांकि, हर व्यक्ति में इसके अलग-अलग लक्षण नजर आते हैं, लेकिन स्थायी डर और चिंता लगभग सभी में देखे जाते हैं। अगर ये लक्षण ज्यादा तीव्र न हों तो समय बीतने के साथ समाप्त हो जाते हैं, अन्यथा एंग्जाइटी डिसार्डर की समस्या हो सकती है। इससे व्यक्ति की रोजमर्रा की दिनचर्या प्रभावित होने लगती है।

#क्यों होती है #समस्या

आजकल युवा आबादी का एक बडा हिस्सा इस मनोवैज्ञानिक समस्या से जूझ रहा है। दरअसल आधुनिक जीवनशैली में लोगों की व्यस्तता इतनी बढ गई है कि वे हमेशा जल्दबाजी में रहते हैं और उन पर काम का दबाव भी बहुत ज्यादा है। इसी वजह से उनमें चिडचिडापन और आक्रोश बढता जा रहा है। इसके अलावा आधुनिक समाज में हर व्यक्ति अकेला है। किसी के भी पास दूसरे की बातें सुनने की फुर्सत नहीं है। इसलिए अब लोगों में शेयरिंग की भावना ख्ात्म हो रही है। शहरी समाज इतना व्यक्तिवादी और आत्मकेंद्रित हो चुका है कि अब पहले की तरह रिश्तेदारों या पास-पडोस का कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं रह गया है। लगातार तनाव, अकेलेपन और उदासी में जीने की वजह से ही लोग एंग्जायटी डिसॉर्डर के शिकार हो रहे हैं।

अध्ययनों के अनुसार गंभीर या लंबे समय तक चलने वाले तनाव की वजह से अनिद्रा की समस्या होती है। इससे मस्तिष्क से निकलने वाले हॉर्मोस के बीच असंतुलन पैदा हो जाता है, जो एंग्जायटी डिसॉर्डर का कारण बन सकता है। आनुवंशिकता भी इसकी प्रमुख वजह है।

#एंग्जायटी #डिसॉर्डर के #प्रकार

प्रमुख लक्षणों के आधार पर इस मनोवैज्ञानिक समस्या के कई अलग-अलग प्रकार निर्धारित किए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं :

#जनरलाइज्ड एंग्जायटी डसॉर्डर : इस समस्या से पीडित लोग बेवजह बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। इनकी चिंता का कोई तार्किक आधार नहीं होता। हमेशा चिंता में रहना इनकी आदत होती है। सकारात्मक परिस्थितियों में भी ऐसे लोग चिंतित होने की कोई न कोई वजह ढूंढ लेते हैं।

#ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसॉर्डर : इससे पीडित लोग लगातार चिंतित या भयभीत रहते हैं। ऐसे में वे कुछ अजीब आदतें विकसित कर लेते हैं। मिसाल के तौर पर कुछ लोगों को सफाई की सनक हो जाती है और वे साफ-सुथरी चीजों को भी बार-बार धोते-पोछते रहते हैं।

#पैनिक डिसॉर्डर : इस समस्या से जूझ रहे लोगों को अकसर ऐसा महसूस होता है कि जैसे उनकी सांस रुक रही है या उन्हें हार्ट अटैक आ रहा है। ऐसे लोगों को बेवजह मौत का भय सताता रहता है।

#सोशल एंग्जाइटी डिसॉर्डर : ऐसी समस्या से पीडित व्यक्ति अपने सामाजिक जीवन में अत्यंत सतर्क रहता है। उसे हरदम ऐसा लगता है कि लोग उसे ही घूर रहे हैं। वह भीड वाली जगहों और सामाजिक समारोहों में जाने से बचने की कोशिश करता है क्योंकि ऐसे माहौल में उसे बहुत घबराहट महसूस होती है।

#क्या है नुकसान

एंग्जायटी डिसॉर्डर से पीडित व्यक्ति की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ पर बहुत बुरा असर पडता है। इससे उसकी रोजमर्रा की दिनचर्या अस्त-व्यस्त हो जाती है। वह किसी भी काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। ऐसे लोगों की स्मरण-शक्ति कमजोर पड जाती है और इनका दांपत्य जीवन भी तनावग्रस्त रहता है। अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि अगर स्त्रियों में एंग्जायटी डिसॉर्डर हो तो वे जल्द ही इससे बाहर निकल आती हैं, लेकिन पुरुषों में यह समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है, क्योंकि उनका अहं समस्या को आसानी से स्वीकार नहीं पाता। इसलिए वे उसका हल ढूंढने की कोशिश भी नहीं करते। अगर लंबे समय तक समस्या हो तो वह डिप्रेशन का रूप ले सकती है। ज्यादा गंभीर स्थिति होने पर व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ जाती है। प्रमुख लक्षण

-शारीरिक दुर्बलता

-याद्दाश्त में कमी

-लगातार चिंतित रहना

-एकाग्रता में कमी आना, आंख के आगे तैरते हुए बिंदु दिखाई देना

-घबराहट, डर और बेचैनी

-नकारात्मक विचारों पर काबू न होना व डरावने सपने दिखना

-अनिद्रा

-शरीर के तापमान में असंतुलन, कभी हाथ-पैरों का ठंडा पड जाना तो कभी बुखार जैसा महसूस होना

-दिल की धडकन तेज होना

-मांसपेशियों में तनाव होना

-पेट में दर्द

#कैसे करें #बचाव

-नियमित दिनचर्या अपनाएं क्योंकि नींद की कमी से मस्तिष्क पूरी क्षमता के साथ काम नहीं कर पाता। अनिद्रा से एंग्जायटी और डिप्रेशन का खतरा बढ जाता है।

-शरीर की तरह मस्तिष्क को भी पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। इसलिए अपने भोजन में फलों और हरी सब्जियों को प्रमुखता से शामिल करना चाहिए।

-नियमित एक्सरसाइज और योगाभ्यास करें। इस समस्या से बचने के लिए ध्यान भी फायदेमंद होता है। इससे सेरिब्रल कोरटेक्स को मजबूती मिलती है, मस्तिष्क का यही हिस्सा स्मरण-शक्ति, एकाग्रता और तर्क शक्ति के लिए जिम्मेदार होता है।

-अगर जीवन में कभी कोई मुश्किल आए तब भी आत्मविश्वास बनाए रखें।

-लोगों के साथ दोस्ती बढाएं और खुलकर अपनी भावनाएं शेयर करें।

-अपनी क्षमताओं का आकलन करके व्यावहारिक लक्ष्य बनाएं। कार्यो की प्राथमिकता तय करें। एक साथ कई काम करने से बचें।

-अगर कभी किसी बात को लेकर एंग्जायटी हो तो उसका सामना करने की आदत डालें। उससे बचने की कोशिश कभी न करें, क्योंकि व्यक्ति ऐसी मनोदशा से जितना अधिक बचने की कोशिश करता है, समस्या उतनी ही तेजी से बढती जाती है।

-ऐसी समस्याओं को छोटे-छोटे टुकडों में बांट कर हल करने की कोशिश करें। एक ही दिन में इनका समाधान संभव नहीं है। इसलिए धैर्य के साथ प्रयास करें।

-नियमित रूप से एंग्जायटी डायरी मेंटेन करना भी फायदेमंद साबित होगा। रोजाना रात को सोने से पहले अपनी डायरी में विस्तृत रूप से लिखें कि आज दिन भर में आपको किस चिंता या भय ने सबसे ज्यादा परेशान किया और उसे दूर करने के लिए आपकी ओर से क्या कोशिश की गई। -मन को तार्किक ढंग से समझाने की कोशिश करें कि यह आशंका निराधार है।

-एंग्जायटी दूर करने के लिए अपने मन से कोई दवा न लें।
-कैफीन और एल्कोहॉल से दूर रहें, क्योंकि ऐसी चीजों के सेवन से एंग्जायटी बढती है! सलाह, ” प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाये जहाँ तक सम्भव हो क्योंकि ये हमारे शरीर से जुड़ी हुई चिकित्सा है, जिस प्रकति ने हमें बनाने में सहयोग किया है वही हमारे अस्वस्थ हुए शरीर को स्वस्थ करने में पूर्ण सहयोग करेगी”………
Dr. Shruti kaushik  

लेख में प्रकाशित सामग्री लेखिका की अपनी राय है

 

 

 

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पिछले वर्ष दर्ज अब तक के सर्वाधिक वार्षिक निर्यात की संख्या इस वित्त वर्ष के 10 महीनों में ही पूरी हो गई और निर्यात आंकड़े 336 बिलियन डॉलर के करीब पहुंचे

जनवरी 2022 में भारत का वस्तु निर्यात जनवरी 2021 के 27.54 बिलियन डॉलर की तुलना में 23.69 प्रतिशत बढ़कर 34.06 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। जनवरी 2020 की तुलना में इसमें 31.75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई और यह बढ़कर 25.85 बिलियन डॉलर पहुंच गया।

भारत का वस्तु निर्यात 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में 46.53 प्रतिशत बढ़कर 335.44 बिलियन डॉलर जा पहुंचा। 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 264.13 बिलियन डॉलर की तुलना में इसमें 27 प्रतिशत की बढोतरी दर्ज की गई।

जनवरी 2022 में गैर पेट्रोलियम निर्यात का मूल्य 30.33 बिलियन डॉलर था, जिसने जनवरी 2021 के 25.4 बिलियन डॉलर की तुलना में गैर पेट्रोलियम निर्यात में 19.4 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई और जनवरी 2020 के 22.67 बिलियन डॉलर की तुलना में गैर पेट्रोलियम निर्यात में 33.81 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई।

वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) गैर पेट्रोलियम निर्यात का संचयी मूल्य 287.84 बिलियन डॉलर था जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 209.19 बिलियन डॉलर की तुलना में 37.59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई तथा वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 228.8 बिलियन डॉलर की तुलना में यह 25.8 प्रतिशत अधिक था।

जनवरी 2022 में गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्‍न एवं आभूषण निर्यातों का मूल्य 27.09 बिलियन डॉलर था जिसने जनवरी 2021 में 22.56 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्‍न एवं आभूषण निर्यातों की तुलना में 20.1 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई तथा जनवरी 2020 के 19.79 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्‍न एवं आभूषण निर्यातों की तुलना में 36.92 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि दर्ज कराई।

वित्त वर्ष 2021-22 (अप्रैल-जनवरी) में गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात का संचयी मूल्य 255.69 बिलियन डॉलर था जिसमें वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-जनवरी) के 189.47 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात के संचयी मूल्य की तुलना में 34.95 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई तथा वित्त वर्ष 2019-20 (अप्रैल-जनवरी) के 197.94 बिलियन डॉलर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर-रत्न एवं आभूषण निर्यात के संचयी मूल्य की तुलना में यह 29.18 प्रतिशत अधिक था।

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प्रधानमंत्री ने मणिपुर के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की

प्रधानमंत्री मोदी ने मणिपुर के तामेंगलोंग जिले के रानी गाइदिन्ल्यू रेलवे स्टेशन पर पहली बार मालगाड़ी पहुंचने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा।

उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास (डोनर) मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी के एक ट्वीट के जवाब में, प्रधानमंत्री ने कहा:

“उत्तर पूर्वी क्षेत्र में बदलाव जारी है।

मणिपुर की कनेक्टिविटी को और बेहतर किया जाएगा तथा वाणिज्य को बढ़ावा दिया जाएगा। इस राज्य के उत्कृष्ट उत्पाद देशभर में भेजे जा सकते हैं।”

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डीजीजीआई गुरुग्राम के अधिकारियों ने 491 करोड़ रुपये के जाली इनपुट टैक्स क्रेडिट चालान जारी करने वाली 93 फर्जी फर्मों के सांठगांठ का भंडाफोड़ किया, एक गिरफ्तार

जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) की गुरुग्राम जोनल यूनिट (जीजेडयू) ने 18 जनवरी, 2022 को जीएसटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक व्यक्ति को जाली दस्तावेजों के आधार पर कई फर्जी फर्म चलाने और धोखाधड़ी करते हुए 491 करोड़ रुपये की आईटीसी जारी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

डीजीजीआई की जयपुर जोनल यूनिट द्वारा एक व्यक्ति द्वारा देश भर में विभिन्न व्यक्तियों को दूरस्थ स्थानों से अपना काम करने और डेटा संग्रहीत करने के लिए क्लाउड स्टोरेज सुविधा प्रदान किए जाने के बारे में दी गई ठोस सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए क्लाउड सेवा प्रदाता से बरामद हार्ड डिस्क की जांच की गई। क्लाउड स्टोरेज सुविधा द्वारा प्रदान की जा रही इस हार्ड डिस्क में मौजूद डेटा की जांच से 93 नकली फर्मों की सांठगांठ करने वाले मुख्य संचालक की पहचान सामने आई।

18 जनवरी, 2022 को ली गई तलाशी के दौरान, विभिन्न फर्मों का दिए गए पते पर कोई अस्तित्व नहीं मिला। मुख्य संचालक, जोकि सक्रिय रूप से क्लाउड स्टोरेज सेवा का उपयोग कर रहा था और उक्त फर्मों को चला रहा था,  को 18 जनवरी, 2022 को हरियाणा के हांसी से गिरफ्तार कर लिया गया। जांच के दौरान मुख्य संचालक ने अन्य साथियों के साथ मिलकर  धोखाधड़ी करने की बात स्वीकार की। जांच – पड़ताल, सबूतों और दर्ज किए गए बयानों के आधार पर, वह नकली फर्म बनाने के रैकेट का संचालन करने,  93 जाली फर्मों के संदर्भ में माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना 491 करोड़ रुपये की फर्जी एवं अस्वीकार्य आईटीसी चालान जारी करने और इस तरह, सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के विभिन्न प्रावधानों का उल्लंघन करने वाला मुख्य व्यक्ति निकला। इसलिए, उसे 18 जनवरी, 2022 को गिरफ्तार कर लिया गया और ड्यूटी मजिस्ट्रेट द्वारा 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

इस मामले में आगे की जांच की जा रही है।

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डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन की मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्ति

 

सरकार ने डॉ. वी. अनंत नागेश्वरन को मुख्य आर्थिक सलाहकार नियुक्त किया है और उन्होंने आज कार्यभार ग्रहण कर लिया है।

इस नियुक्ति से पहले, डॉ. नागेश्वरन एक रचनाकार, लेखक, शिक्षक और सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने भारत और सिंगापुर के कई बिजनेस स्कूलों तथा प्रबंधन संस्थानों में पढ़ाया है और आर्थिक विषयों पर उनके विचार बड़े पैमाने पर प्रकाशित हुए हैं।

डॉ. नागेश्वरन आईएफएमआर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस के डीन और करा विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के एक सम्मानित विजिटिंग प्रोफेसर रहे हैं। वह 2019 से लेकर 2021 तक भारत के प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अंशकालिक सदस्य भी रहे हैं। उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, अहमदाबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और एमहर्स्ट स्थित मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की है।

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भारत का स्टार्टअप ’बोटलैब’ कल शाम ’बीटिंग रिट्रीट’ समारोह के दौरान 1,000 ड्रोन उड़ाएगा

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पृथ्वी विज्ञान, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (टीडीबी) द्वारा वित्त पोषित और आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्रों की अगुवाई में भारत का स्टार्टअप ’बोटलैब’ गणतंत्र दिवस से संबंधित लगभग एक सप्ताह तक चलने वाले कार्यक्रमों के समापन पर कल शाम ’बीटिंग रिट्रीट’ समारोह में लाइट शो के तहत 1,000 ड्रोन उड़ाएगा। उन्होंने बताया कि इससे भारत 1,000 ड्रोन के साथ इतने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने वाला चीन, रूस और ब्रिटेन के बाद चौथा देश बन जाएगा।

ड्रोन की प्रस्तुति के एक निदर्शन के दौरान आज मंत्री ने अपने आवास पर ’बोटलैब’ स्टार्टअप टीम के सदस्यों के साथ बातचीत की जिसमें तन्मय बुनकर, सरिता अहलावत, सुजीत राणा, मोहित शर्मा, हर्षित बत्रा, कुणाल मीणा व अन्य शामिल थे। बोटलैब डायनेमिक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और इंजीनियर्स इस बात से उत्साहित थे कि भारत में पहली बार 1,000 ड्रोन से एकसाथ आकाश को रोशन करने वालों में वे शुमार होंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्टार्ट-अप, बोटलैब डायनेमिक्स को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा अनुसंधान एवं विकास के लिए एक करोड़ रुपये का सीड फंड दिया गया था और बाद में भारत में अपनी तरह की पहली तकनीकी परियोजना विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड की ओर से व्यापक पैमाने और व्यावसायीकरण के लिए 2.5 करोड़ रुपये दिए गए थे। मंत्री ने भारत को स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का वैश्विक केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को पूरा करने के लिए इस तरह के और नवोन्मेषी टिकाऊ स्टार्ट-अप को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। बोटलैब डायनेमिक्स की एमडी डॉ सरिता अहलावत ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा प्रदान की गई पूरी वित्तीय सहायता के कारण ही ड्रोन परियोजना सफल हो पाई, क्योंकि निजी क्षेत्र हार्डवेयर स्टार्ट-अप को मदद करने के खिलाफ थे। उन्होंने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रस्तावों को छोड़ देने और इस विचार को अपनाने के लिए परियोजना से जुड़े इंजीनियरों का भी आभार जताया।डॉ अहलावत ने 3डी कोरियोग्राफ किए गए ड्रोन लाइट शो के लिए 500-1000 ड्रोन से निर्मित रूप बदलने वाली झुंड प्रणाली यानी रिकन्फिगरेबल स्वार्मिंग सिस्टम डिजाइन व विकसित करने की परियोजना को पूरा समर्थन और प्रोत्साहन देने के लिए केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह को धन्यवाद दिया।डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान में विकसित बोटलैब डायनेमिक्स टीडीबी से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बाद 6 महीने में एक फ्लीट 1000 झुंड ड्रोन विकसित करने में सक्षम हुआ। उन्होंने इस बात पर भी गर्व महसूस किया कि इस परियोजना को देश के भीतर स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है, जिसमें सभी आवश्यक घटकों का विकास शामिल था, जिसमें हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों जैसे फ्लाइट कंट्रोलर (ड्रोन का मस्तिष्क), सटीक जीपीएस, मोटर नियंत्रक, ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन (जीसीएस) एल्गोरिदम आदि शामिल हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के सहयोग से बोटलैब ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में अनोखा ’ड्रोन शो’ की परिकल्पना की है। उन्होंने कहा कि ड्रोन शो 10 मिनट की अवधि का होगा और अंधकारमय आकाश में कई रचनात्मक संरचनाओं के माध्यम से आजादी के 75 साल में सरकार की उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस परियोजना की सफलता अंतर-मंत्रालयी समन्वय का एक आदर्श उदाहरण है जिसमें रक्षा मंत्रालय, डीएसटी, टीडीबी और आईआईटी दिल्ली के वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर अंतिम कार्यकारी अधिकारी तक सभी ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने और आत्मनिर्भर भारत मिशन की उपलब्धि को प्रदर्शित करने में कंपनी को प्रोत्साहन देने के लिए मिलकर काम किया। मंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का सांविधिक निकाय प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड भारत में विभिन्न पारिस्थितिक तंत्रों के लिए नए अवसरों और क्षेत्र मुहैया करके अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में सहायक रहा है। टीडीबी का मानना है कि देश के आर्थिक, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी विकास में योगदान करते हुए, नई प्रौद्योगिकियों को भविष्य के दशक में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।अपने अद्वितीय अधिदेश के साथ, टीडीबी स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और वाणिज्यिक अनुप्रयोग का प्रयास करने वाले या आयातित प्रौद्योगिकियों को व्यापक घरेलू अनुप्रयोगों के अनुकूल बनाने वाले भारतीय औद्योगिक संस्थाओं और अन्य एजेंसियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है। टीडीबी के वित्तपोषण को अन्य वित्तीय निकायों से विशिष्ट बनाने वाला दूसरा पहलू यह है कि यह उन कंपनियों को भी धन मुहैया करता है जिनमें उच्च जोखिम वाली प्रौद्योगिकी शामिल होती है। “टीडीबी के सचिव, आईपी एंड टीएएफएस, श्री राजेश कुमार पाठक ने कहा, “समय की कमी के कारण, यह परियोजना टीडीबी के लिए एक चुनौती के रूप में आई थी, लेकिन इसमें शामिल नवाचार और राष्ट्र निर्माण में योगदान को देखते हुए, टीडीबी ने इसे स्वीकार किया और हमें खुशी है कि हम समय पर सहायता प्रदान कर सके। साथ ही, परियोजना के लिए समय पर समर्थन देने के लिए प्रो. आशुतोष शर्मा (पूर्व अध्यक्ष, टीडीबी और पूर्व सचिव, डीएसटी) और परियोजना के राष्ट्रीय महत्व को समझने के लिए मेरे पूर्ववर्ती डॉ. नीरज शर्मा (पूर्व सचिव, टीडीबी) को मेरा आभार है।

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ब्रह्मोस ने तट आधारित एंटी-शिप (जहाज रोधी) मिसाइल प्रणाली के निर्यात को लेकर फिलीपींस के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए

ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (बीएपीएल) ने फिलीपींस को तट आधारित एंटी-शिप मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति को लेकर 28 जनवरी, 2022 को फिलीपींस गणराज्य के राष्ट्रीय रक्षा विभाग के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। बीएपीएल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की संयुक्त उद्यम कंपनी है। भारत सरकार की जिम्मेदारी पूर्ण रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने की नीति को लेकर यह अनुबंध एक महत्वपूर्ण कदम है।

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डीजीजीआई गाजियाबाद के अधिकारियों ने 3,100 करोड़ रुपये से अधिक के जाली बिलों का फर्जीवाड़ा करने वाली 275 फर्जी फर्मों का भंडाफोड़ किया

वस्तु एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई), गाजियाबाद क्षेत्रीय इकाई ने एक ऐसे सिंडीकेट का भंडाफोड़ किया है, जो फर्जी फर्में बनाकर जाली बिल जारी करता था। इस फर्जीवाड़े में यह सिंडीकेट बिना कोई माल भेजे या सेवा दिये ही जीएसटी रिफंड को भुना लेता था। सटीक गोपनीय सूचना मिलने के बाद, दो परिसरों की छानबीन की गई, जहां से विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज/वस्तुयें मिलीं, जो 200 से ज्यादा फर्जी फर्मों से सम्बंधित थीं, यानी मोबाइल फोन, डिजिटल हस्ताक्षर, डेबिट कार्ड, पैन कार्ड, आधार कार्ड, लोगों की फोटो, किरायेदारी समझौता, लैपटॉप, पेन ड्राइव, मुहरें, दफ्तर की चाबियां, सिम कार्ड, चेक-बुक और कुछ कच्चे दस्तावेज।

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गहराई से पड़ताल करने पर पता चला कि इस फर्जीवाड़े में क्लाउड प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता था। इन सबको जमा किया गया। आंकड़ों और सबूतों का विश्लेषण करने पर यह बात सामने आई कि इस गोरखधंधे में 275 फर्जी फर्में हैं, जो सिर्फ कागज पर मौजूद हैं। ये फर्जी फर्में जाली बिल जारी करती थीं। इस तरह कुल 3,189 करोड़ रुपये के जाली बिल मिले हैं, जिनके जरिये 362 करोड़ रुपये की जीएसटी की चोरी की गई।

 

फर्जी फर्में बनाने की नीयत से लोगों के पहचान-पत्र जमा करने का काम करने वाले सरगना का नाम टिंकू यादव है, जिसे पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। टिंकू यादव ने जो सूचना दी और कई आईपी ऐड्रेसों की जांच करने पर वास्तविक मास्टर-माइंड लोगों का पता चल गया, जिनके नाम विपिन कुमार उर्फ निक्कू और योगेश मित्तल हैं। इन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। पता चला है कि विपिन कुमार गुप्ता और योगेश मित्तल आदतन अपराधी हैं। दोनों अपराधियों को पहले भी राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया है।

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