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मेडिकल माफियाओं का फैलता संजाल कानून व्यवस्था के लिए एक नयी चुनौती -डॉ.दीपकुमार शुक्ल (स्वतन्त्र टिप्पणीकार)

शिक्षा और भूमि के बाद अब मेडिकल माफियाओं का फैलता संजाल कानून व्यवस्था के लिए एक नयी चुनौती बनकर उभरा है| इसके लिए देश की लचर एवं अदूरदर्शी स्वास्थ्य नीतियाँ ही सर्वाधिक जिम्मेदार हैं| वहीँ सरकारी तन्त्र में व्याप्त भ्रष्टाचार कडुवे करेले को नीम का सम्बल प्रदान कर रहा है| हाल ही में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर तथा उड़ीसा के बरहामपुर में मेडिकल माफियाओं के विरुद्ध हुई पुलिसिया कार्रवाई से इस बात को भलीभांति समझा जा सकता है| गोरखपुर के मेडिकल माफिया पर फर्जी दस्तावेज के सहारे मेडिकल कालेज चलाने का आरोप है तो उड़ीसा में एक ऐसा गैंग पुलिस द्वारा पकड़ा गया है जो सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के परिजनों को बहला-फुसला कर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के लिए प्रेरित करता था| जिसके बदले प्राइवेट अस्पतालों से उन्हें दलाली के रूप में मोटी रकम मिलती थी| ऐसे मेडिकल माफिया मात्र गोरखपुर और बरहामपुर में ही नहीं बल्कि देश के कोने-कोने में फैले हुए हैं| जो अपनी तिजोरी भरने के लिए सदैव आम जन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करते हैं| मानक को ताक पर रखकर गली-गली चल रहे नर्सिंग होम स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से चिकित्सा सेवा के नाम पर जो कुछ कर रहे हैं वह भी अब धीरे-धीरे उजागर होने लगा है| अनगिनत झोलाछाप डॉक्टर और फार्मासिस्ट स्वयं का नर्सिंग होम खोलकर बैठे हैं और सुबह-शाम डॉक्टर बनकर ओपीडी करते हैं| जिससे इनके झांसे में आने वाले आम जन का जीवन संकट में पड़ना स्वाभाविक है| यह सर्वविदित है कि लगभग सभी सरकारी डॉक्टर अपना छोटा-बड़ा नर्सिंग होम चलाते हैं| लेकिन अब तो सरकारी अस्पतालों के फार्मासिस्ट एवं कर्मचारी तक भी अपना-अपना निजी अस्पताल खोले हुए हैं| जहाँ मानक की धज्जियाँ उड़ती हुई कभी भी देखी जा सकती हैं| ज्यादातर ने अपने यहाँ मानक विहीन ट्रामा सेंटर, आई.सी.यू. (इंटेंसिव केयर यूनिट) तथा एन.आई.सी.यू.(नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) तक खोल रखा है| जिसके नाम पर गम्भीर मरीजों से पहले तो जमकर वसूली होती है और जब मरीज की हालत ज्यादा अधिक गम्भीर हो जाती है तब उनके परिजनों से कहीं और ले जाने के लिए कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है| इस परिस्थिति में दो-चार प्रतिशत सौभाग्यशाली मरीजों को छोड़कर शेष की मृत्यु हो जाना सुनिश्चित है| मरीज की मृत्यु से आहत परिजन यदि हंगामा करते हैं तो कानून के रक्षक अस्पतालों की सुरक्षा में तटस्थ नजर आते हैं| परिणामस्वरूप परिजनों को अपने मरीज की मृत्यु को विधि का लेख मानकर सन्तोष करना पड़ता है और मेडिकल माफिया फिर नये शिकार की प्रतीक्षा में लग जाते हैं| कुछ जागरूक परिजन यदि इलाज में हुई लापरवाही की शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से करते हैं तो जाँच के नाम पर उन्हें परेशान करते हुए शासनादेश संख्या 13-1/97-का-1/97 का हवाला देकर शिकायत से सम्बन्धित शपथ-पत्र एवं साक्ष्य के साथ बयान देने हेतु उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है| जो एक सामान्य व्यक्ति के लिए दुरूह कार्य जैसा है| इसलिए कई शिकायतकर्ता जाते ही नहीं हैं| तो कई पर अस्पताल से जुड़े लोग साम, दाम एवं दण्ड की नीति अपनाकर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाते हैं और प्रायः सफल भी होते हैं| दोनों ही मामलों में अपस्ताल सञ्चालकों पर लगाये गये आरोप फर्जी सिद्ध करते हुए उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया जाता है| जो शिकायतकर्ता शपथ-पत्र, साक्ष्य और बयान देने हेतु पहुँच भी जाते हैं| उन्हें तरह-तरह के पश्नों और दलीलें देकर हतोत्साहित करने का प्रयास होता है| मसलन ‘आप उस अपस्ताल में गये ही क्यों?’, ‘आपने उस अपस्ताल के डाक्टरों की डिग्री देखे बिना उनसे इलाज क्यों शुरू करवाया?’, ‘आपके मरीज की रिपोर्ट देखकर लगता है कि उनकी हालत बहुत ख़राब थी लेकिन उनका इलाज जितना हुआ है वह सही हुआ है|’ या ‘उनकी उम्र बहुत ज्यादा थी’ आदि बेतुके सवालों और कुतर्कों के माध्यम से अस्पताल संचालकों को बचाने का पूरा प्रयास किया जाता है| ऐसे में मेडिकल माफियाओं के हौंसले बुलन्द होना स्वाभाविक है|
जहाँ तक निजी अस्पतालों के मानक की बात है तो जानकारों के मुताबिक प्रति 20 बेड वाले अस्पताल में कम से कम एक एमबीबीएस डॉक्टर चौबीस घण्टे उपलब्ध रहना चाहिए| नर्सें भी जीएनएम (जनरल नर्सिग एण्ड मिडवाईफरी) की उपाधि प्राप्त होनी चाहिए| आपरेशन थियेटर में कम से कम एक ओटी टेक्नीशियन चौबीस घण्टे होना अनिवार्य है| इसी प्रकार आई.सी.यू. और एन.आई.सी.यू. में पूर्ण प्रशिक्षित डाक्टरों की टीम चौबीस घण्टे उपलब्ध रहना चाहिए| जिसमें एक बेहोशी का डॉक्टर अर्थात एनेस्थेटिस्ट होना आवश्यक है| लेकिन महज कुछ निजी अस्पतालों को छोड़ दें तो शायद ही कोई ऐसा नर्सिंग होम हो जो उपरोक्त कसौटी पर खरा उतरे| लेकिन चिकित्साधिकारियों की दृष्टि में शत-प्रतिशत अस्पताल पूर्ण मानक के साथ चल रहे हैं| स्वास्थ्य विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि जब भी कोई हमारे पास सम्पूर्ण कागजी औपचारिकताओं के साथ नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन करवाने आता है तो हमारी मजबूरी है कि हमें उसका रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा| इससे सिद्ध होता है कि स्वास्थ्य विभाग की दृष्टि में प्रत्येक अस्पताल कागजी रूप से सभी मानकों से युक्त है| लेकिन यह सुनिश्चित कौन करेगा कि व्यावहारिक धरातल पर भी सम्पूर्ण मानकों के अनुसार सभी नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं? आम आदमी चिकित्साधिकारियों के उस भरोसे पर ही अपना इलाज करवाने किसी निजी अस्पताल में जाता है कि न केवल उसका रजिस्ट्रेशन सभी आवश्यक मानकों को पूरा करने के बाद ही किया गया है बल्कि चिकित्साधिकारियों की सतत निगरानी में उसका सञ्चालन भी मानक के अनुरूप हो रहा है| क्या यह व्यावहारिक रूप से सम्भव है कि मरीज इलाज करवाने से पहले डाक्टरों की डिग्री चेक करे? कदाचित कोई ऐसा प्रयास करे भी तो वह यह कैसे सुनिश्चित करेगा कि उसे जो डिग्री दिखाई जा रही है वह फर्जी है या असली है| गोरखपुर का मेडिकल माफिया फर्जी दस्तावेज दिखाकर ही तो मेडिकल छात्रों के एडमीशन ले रहा था और छात्र उन दस्तावेजों को असली समझकर अपना एडमीशन करवा रहे थे| इससे सिद्ध होता है कि दस्तावेज की जाँच एक एक्सपर्ट ही कर सकता है न कि कोई सामान्य व्यक्ति| शायद इसीलिए विशेषज्ञों की पूरी टीम चिकित्साधिकारियों के रूप में तैनात की जाती है| लेकिन दुर्भाग्य से वह टीम मौका पड़ने पर अपने नकारेपन और लापरवाही का ठीकरा आम आदमी के सर फोड़कर मेडिकल माफियाओं को बचाने का पूरा प्रयास करती है| सरकारी अस्पताल के डाक्टरों, फार्मासिस्टों या अन्य कर्मचारियों द्वारा सञ्चालित निजी अस्पतालों के किसी भी दस्तावेज में उक्त डॉक्टर, फार्मासिस्ट या कर्मचारी का नाम नहीं होता है| जबकि व्यावहारिक रूप से वही उसके वास्तविक सञ्चालक एवं मुख्य चिकित्सक होते हैं| आम आदमी उन्हीं को डॉक्टर मानकर इलाज करवाने जाता है| ऐसे अस्पतालों में हुई लापरवाही की शिकायत प्रायः उसी तथाकथित सञ्चालक के नाम पर होती है और होनी भी चाहिए| तब जाँच दल यह कहते हुए पल्ला झाड़ने का प्रयास करते हैं कि क्या करें हमें कोई डाक्यूमेंट्री प्रूफ नहीं मिला| जबकि यदि वह गंभीरतापूर्वक जाँच करते हुए वहाँ भर्ती मरीजों से पूंछतांछ करें, वहाँ के पुराने मरीजों तथा अस्पताल के आसपास रहने वालों से जानकारी करें तो उन्हें इस बात का व्यावहारिक प्रूफ सहजता से मिल जायेगा कि अस्पताल का वास्तविक डॉक्टर एवं सञ्चालक कौन है| निजी अस्पतालों की एक और विशेषता है कि उनका मेडिकल स्टोर भी उसी परिसर में होता है| वहाँ की दवा बाहर के किसी मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलती है| एक्सरे, एम्.आर,आई, से लेकर ब्लड जाँच तक यदि बाहर से करवानी है तो वह भी उन्हीं की बताई पैथालाजी या जाँच सेंटर में होगी| अन्य कहीं की जांच रिपोर्ट स्वीकार्य नहीं होती| कुल मिलाकर चिकित्सा सेवा के नाम पर चारो तरफ लूट मची हुई है| लचर एवं अदूरदर्शी स्वास्थ्य नीतियों तथा चिकित्साधिकारियों की कृपा से मेडिकल माफियाओं का साम्राज्य सतत रूप से देश भर में अपनी जड़े जमा रहा है| लेकिन इस पर नियन्त्रण लगाने का कहीं कोई प्रयास होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है| सिर्फ एक उम्मीद की किरण स्थाई लोक अदालतों से आती हुई अवश्य दिखाई देती है| यदि आपके साथ इलाज में कहीं कोई लापरवाही या अनावश्यक धन उगाही हुई है तो आप अपने जिला न्यायालय परिसर में स्थित स्थाई लोक अदालत जा सकते हैं| जहाँ कम से कम औपचारिकताओं में निःशुल्क एवं त्वरित न्याय आपको प्राप्त होगा|

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पूर्वोत्तर और सिक्किम में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के 3 दिवसीय समीक्षा कार्यक्रम के दौरान, नितिन गडकरी ने परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों और उनकी प्रगति पर विचार-विमर्श किया

पूर्वोत्तर क्षेत्र और सिक्किम में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के अपने 3-दिवसीय समीक्षा कार्यक्रम के पहले दिन; केंद्रीय मंत्री  नितिन गडकरी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह तथा मंत्रालय और राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों तथा ठेके लेने वाली कंपनियों के साथ असम, मेघालय, सिक्किम और नगालैंड में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की।

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भूमि अधिग्रहण के मुद्दों, चल रही परियोजनाओं की प्रगति, प्रस्तावित परियोजनाएँ, नई प्रौद्योगिकियों के उपयोग, विवाद और मध्यस्थता तथा संभावित वित्तीय हस्तक्षेप आदि से संबंधित मामलों पर विस्तार से चर्चा की गई।

श्री गडकरी ने विलम्ब के कारणों को समझने के लिए 4 राज्यों में विलंबित परियोजनाओं की भी समीक्षा की और उनके समाधान के लिए विशेष निर्देश जारी किए।

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श्री गडकरी ने सभी अधिकारियों को परियोजनाओं को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने पूर्वोत्तर राज्यों में शीर्ष श्रेणी की परिवहन अवसंरचना विकसित करने के लिए केंद्र और राज्य एजेंसियों के बीच समन्वय तथा साझेदारी के महत्व पर जोर दिया।

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प्रधानमंत्री ने जम्मू-कश्मीर में चिकित्सा शिक्षा के नए युग की सराहना की

प्रधानमंत्री मोदी ने जम्‍मू-कश्‍मीर में चिकित्‍सा शिक्षा के नए युग की सराहना की है। प्रधानमंत्री ने 20 जिला सरकारी अस्पतालों में 265 डीएनबी स्नातकोत्तर मेडिकल सीटें मंजूर करने के सरकारी फैसले की सराहना की और कहा कि यह जम्मू व कश्मीर में युवाओं को सशक्त बनाने एवं चिकित्सा अवसंरचना को और ज्‍यादा मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री मनसुख मांडविया के एक ट्वीट को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

‘यह जम्मू व कश्मीर में युवाओं को सशक्त बनाने एवं चिकित्सा अवसंरचना को और ज्‍यादा मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है !’

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कोयला मंत्रालय ने कोयला क्षेत्र में अवसरों के लिए निवेशक सम्मेलन आयोजित किया

कोयला मंत्रालय ने आज इंदौर में पहली बार निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया। केन्द्रीय कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस अवसर पर सांसद श्री शंकर लालवानी उपस्थित थे।

प्रल्हाद जोशी ने इस बात को दोहराया कि कोयले की मांग कम से कम अगले 25-30 वर्षों तक बनी रहेगी और वर्तमान में भारत में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत दुनिया के कुछ अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रति व्यक्ति खपत का दसवां हिस्सा भी नहीं है। अनुमान है कि वर्ष 2040 तक प्रति व्यक्ति यह खपत दोगुनी हो जाएगी जिसके लिए कोयले की आवश्यकता होगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में वर्तमान सरकार का ध्यान बेहतर तकनीकी प्रक्रियाओं को अपनाकर शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन वाला देश बनने पर है। कोयला मंत्रालय में सचिव श्री अमृत लाल मीणा ने कोयला उद्योग को समर्थन देने के प्रति मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराया और यह बताया कि संभावित बोलीदाताओं द्वारा अपेक्षित किसी भी प्रकार की सहायता देने के लिए कोयला मंत्रालय तत्पर है। कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष श्री प्रमोद अग्रवाल ने कोयला क्षेत्र के कंपनियों को समर्थन देने हेतु विभिन्न पहल करने और इस तरह भारत को कोयले के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिकोण में योगदान देने के मंत्रालय के प्रयासों की सराहना की। अपर सचिव एवं मनोनीत प्राधिकारी, श्री एम. नागराजू ने मंच को कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला नीलामी की प्रक्रिया में सुधार लाकर इसे आकर्षक और अपेक्षाकृत अधिक निवेशक अनुकूल बनाने के लिए किए गए सुधारों के बारे में बताया। सीएमपीडीआईएल के सीएमडी श्री मनोज कुमार ने अब तक की सबसे बड़ी नीलामी प्रक्रिया में पेश किए जा रहे कोयला ब्लॉकों के तकनीकी विवरण से संबंधित एक प्रस्तुति दी और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स के उपाध्यक्ष श्री शुभम गोयल ने नीलामी प्रक्रिया के नियमों एवं शर्तों के संबंध में एक प्रस्तुति दी। कोयला मंत्रालय ने पहले पांच चरणों में 64 कोयला खदानों की सफल नीलामी पूरी कर ली है। मंत्रालय ने व्यावसायिक नीलामी के छठे दौर के तहत 133 कोयला खदानों और व्यावसायिक नीलामी के पांचवें चरण के दूसरे प्रयास के तहत उन 8 कोयला खदानों की नीलामी की प्रक्रिया भी शुरू की, जहां पहले प्रयास में एकल बोलियां प्राप्त हुई थीं।

नीलामी प्रक्रिया की प्रमुख विशेषताओं में अग्रिम राशि एवं बोली की जमानत राशि में कमी, आंशिक रूप से खोजे गए कोयला खदानों के मामले में कोयला खदान के हिस्से को छोड़ने की अनुमति, राष्ट्रीय कोयला सूचकांक एवं राष्ट्रीय लिग्नाइट सूचकांक की शुरुआत, बिना किसी प्रवेश संबंधी बाधाओं के भागीदारी में आसानी, कोयले के उपयोग में पूर्ण लचीलापन, अनुकूलित भुगतान संरचना, शीघ्र उत्पादन के लिए प्रोत्साहन के माध्यम से दक्षता संवर्धन और स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी का उपयोग शामिल हैं।

निविदा दस्तावेज की बिक्री 03 नवंबर, 2022 को शुरू हुई। खदानों का विवरण, नीलामी की शर्तें, समय-सीमा आदि की जानकारी एमएसटीसी की नीलामी से संबंधित प्लेटफॉर्म पर देखी जा सकती है। प्रतिशत राजस्व हिस्सेदारी के आधार पर एक पारदर्शी दो-स्तरीय प्रक्रिया के माध्यम से नीलामी ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड, जोकि कोयला खदान की व्यावसायिक नीलामी के लिए कोयला मंत्रालय का एकमात्र लेनदेन सलाहकार है, नीलामी के संचालन में कोयला मंत्रालय की सहायता कर रहा है।

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गृह मंत्री अमित शाह नई दिल्ली में देशभर के इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और देश की आंतरिक सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की

बैठक में काउंटर टेररिज़्मकट्टरवाद से खतरेसाइबर सुरक्षा संबंधित मुद्दों, सीमा से जुड़े पहलुओं और राष्ट्र की अखंडता और स्थिरता को सीमा पार से विरोधी तत्वों के खतरों सहित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन व्यापक विचार विमर्श हुआ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार सुरक्षा के सभी पहलुओं को मजबूत कर राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी से अब तक देश में शांति बनाए रखने में बिना किसी यश के गुमनाम तरीके से आईबी ने बेहद अहम योगदान दिया है

हमारी लड़ाई आतंकवाद के साथ-साथ इसके सपोर्ट सिस्टम के साथ भी है, जब तक हम इन दोनों के खिलाफ सख्ती से नहीं लड़ते तब तक आतंकवाद पर जीत हासिल नहीं हो सकती

राज्यों की आतंकवाद-रोधी और ड्रग्स-रोधी ऐजेंसियों के बीच संपर्क बढ़ाने और सूचना साझा करने की प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाने की ज़रूरत

वामपंथी उग्रवाद पर काबू पाने के लिए उसके फायनेंशियल और लॉजिस्टिकल सपोर्ट सिस्टम को खत्म करने की ज़रूरत है

हमें देश की कोस्टल सिक्योरिटी को भी अभेद्य बनाना होगा, इसके लिए सबसे छोटे और सबसे आइसोलेटेड पोर्ट पर भी हमारी पैनी नजर होनी चाहिए

नारकोटिक्स न सिर्फ देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करता है बल्कि इससे कमाया गया पैसा देश की आतंरिक सुरक्षा को भी प्रभावित करता है, इसलिए इसके समूल नाश के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा

केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में देशभर के इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारियों की एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और देश की आंतरिक सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की। बैठक में काउंटर टेररिज़्म, कट्टरवाद से खतरे, साइबर सुरक्षा संबंधित मुद्दों, सीमा से जुड़े पहलुओं और राष्ट्र की अखंडता और स्थिरता को सीमा पार से विरोधी तत्वों के खतरों सहित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन व्यापक विचार विमर्श हुआ।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार सुरक्षा के सभी पहलुओं को मजबूत कर राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है और पिछले 8 वर्षों में देश की आंतरिक सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी से अब तक देश में शांति बनाए रखने में बिना किसी यश के गुमनाम तरीके से आईबी ने बेहद अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई आतंकवाद के साथ-साथ इसके सपोर्ट सिस्टम के साथ भी है, जब तक हम इन दोनों के खिलाफ सख्ती से नहीं लड़ते तब तक आतंकवाद पर जीत हासिल नहीं हो सकती।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने राज्यों की आतंकवाद-रोधी और ड्रग्स-रोधी ऐजेंसियों के बीच संपर्क बढ़ाने और सूचना साझा करने की प्रक्रिया को और सुदृढ़ बनाने की ज़रूरत पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद पर काबू पाने के लिए उसके फायनेंशियल और लॉजिस्टिकल सपोर्ट सिस्टम को खत्म करने की ज़रूरत है।

गृह मंत्री ने कहा कि हमें देश की तटीय सुरक्षा को भी अभेद्य बनाना होगा और इसके लिए सबसे छोटे और सबसे आइसोलेटेड पोर्ट पर भी हमारी पैनी नजर होनी चाहिए। श्री शाह ने कहा कि नारकोटिक्स न सिर्फ देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद करता है बल्कि इससे कमाया गया पैसा, देश की आतंरिक सुरक्षा को भी प्रभावित करता है, इसीलिए इसके समूल नाश के लिए हमें साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि सीमापार से ड्रोन के माध्यम से हो रही मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए हमें ड्रोन-विरोधी तकनीक का अधिकतम उपयोग करना होगा।

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रक्षा मंत्री ने सेना कमांडरों के सम्मेलन के दौरान भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बातचीत की

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/image/VJK_0036TC3K.JPGएक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम के अंतर्गत सेना कमांडरों के सम्मेलन का आयोजन 7 से 11 नवंबर 2022 तक नई दिल्ली में किया जा रहा है। इस आयोजन के दौरान, भारतीय सेना का शीर्ष नेतृत्व मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य और वर्तमान सुरक्षा तंत्र के लिए चुनौतियों के सभी पहलुओं पर व्यापक विचार-विमर्श कर रहा है। इसके अलावा, सम्मेलन संगठनात्मक पुनर्गठन, रसद, प्रशासन, मानव संसाधन प्रबंधन, स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को शामिल करने से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है। सम्मेलन के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह का भारतीय सेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ बातचीत रहा, जिसका उद्देश्य भारतीय सेना की “भविष्य के लिए एक तैयार बल के रूप में परिवर्तन की आवश्यकता योजनाओं की जानकारी प्रदान करना था।

रक्षा मंत्री ने देश के सबसे भरोसेमंद और प्रेरक संगठनों में से एक भारतीय सेना के प्रति अरबों नागरिकों के विश्वास को दोहराया। श्री राजनाथ सिंह ने अपनी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने के अलावा नागरिक प्रशासन की आवश्यकतानुसार सहायता प्रदान करने में सेना द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। रक्षा मंत्री ने उच्च स्तर की परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के लिए रक्षा बलों की सराहना की, जिसका अनुभव उन्होंने हमेशा सीमावर्ती क्षेत्रों की अपनी यात्राओं के दौरान किया है। उन्होंने प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों सहित नागरिक उद्योगों के सहयोग से विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए सेना के प्रयासों और ‘स्वदेशीकरण के माध्यम से आधुनिकीकरण’ या ‘आत्म-निर्भरता’ के उद्देश्य की दिशा में प्रगति की भी सराहना की। रक्षा मंत्री ने सुरक्षा और राष्ट्रीय संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च परिचालन तत्परता बनाए रखने के लिए भारतीय सेना की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें भारतीय सेना और उसके नेतृत्व और पूर्ण विश्वास और भरोसा है। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी परिचालन आकस्मिकताओं के लिए तैयार रहना चाहिए और इसलिए परिचालन की तैयारी हमेशा अपने उच्च स्तर पर होनी चाहिए।

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गंगा वाटर रैली,कानपुर से प्रयागराज तैयारी हेतु नदी मार्ग के रेकी दल अटल घाट से रवाना

गंगा वाटर रैली की तैयारी तथा नदी मार्ग के सर्वे के लिए , आयुक्त कानपुर मंडल डाक्टर राजशेखर ने हरी झंडी दिखाकर रेकी दल को रवाना किया।इस अवसर पर
पुलिस उपायुक्त विजय ढुल, मुख्य वन संरक्षक, आयुक्त शिव शर्राप्पा मुख्य विकास अधिकारी सुधीर कुमार, समन्वयक तथा सचिव नीरज श्रीवास्तव , अपर जिलाधिकारी वित्त ज्वाइंट मजिस्ट्रेट,तथा सिंचाई विभाग के अधिकार मौजूद रहे।
इस अवसर पर आयुक्त डाक्टर राजशेखर ने बताया कि।कानपुर से प्रयागराज तक कि प्रस्तावित रैली का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक गंगा नदी हैबिटेट का संरक्षण,गंगा नदी तट पर रोमांचक नदी पर्यटन का विकास को बढ़ावा देना है।

कानपुर बोट क्लब के प्रस्तावित उद्घाटन कार्यक्रम के साथ , नवंबर के चतुर्थ सप्ताह मे प्रस्तावित गंगा वाटर रैली कानपुर से प्रयागराज के आयोजन से पूर्व कानपुर से प्रयागराज तक नदी मार्ग के सर्वे तथा समस्त मध्य मार्गिय जनपदों के गंगा तटों पर रैली के आगमन स्थलों में आयोजनों के लिए आवश्यक व्यवस्थाओं का निरीक्षण हेतु एक रेकी दल गंगा नदी के रास्ते ,जिसमे सैतीसवी वाहिनी पी ए सी कानपुर के प्लाटून कमांडर वीरेंद्र कुमार ,,शिव कुमार,सत्य प्रकाश, संतोष कुमार तथा
बीसवीं वाहिनी पी ए सी आजमगढ़ के प्लाटून कमांडर राम निरंजन तथा उत्तर प्रदेश कयाकिंग कनोइंग एसोसिएशन के धवन कुशवाहा साथ चल है,।
दूसरा रेकी दल सड़क मार्ग से रवाना हुआ जिसका नेतृत्व , देव पाल सिंह, सचिव उत्तर प्रदेश कयाकिंग कनोइंग एसोसिएशन तथा बोट क्लब अधिकारी प्रयागराज कर रहे हैं।
कानपुर के विकास कार्यों के समन्वयक और कानपुर बोट क्लब के सचिव नीरज श्रीवास्तव ने बताया गंगा वाटर रैली जिसमे लगभग 50 खिलाड़ी प्रतिभागी तथा लगभग 30 अन्य टीम मैनेजर इत्यादि होंगे ।
गंगा वाटर रैली, पहला पड़ाव बक्सर जिला उन्नाव, दूसरा पड़ाव, डलमऊ जिला रायबरेली, तीसरा पड़ाव कालाकांकर जिला प्रतापगढ़, चौथा पड़ाव श्रृंगवेरपुर जनपद प्रयागराज पांचवां अंतिम पड़ाव प्रयागराज बोट क्लब प्रयागराज होगा।
पांच दिवसीय गंगा रैली के आयोजन से पूर्व नदी मार्ग का
सर्वे आवश्यक होता है इसमें नदी के रास्ते गंगा धारा का रूट,पानी का बहाव , पानी की गहराई,और प्रत्येक सेक्शन के बीच में अल्प विश्राम के स्थल देखे जायेंगे।
सड़क मार्ग से जाने बाला रेकी दल, प्रत्येक जनपद के पड़ाव मे
रैली दल तथा अधिकारियों, तकनीकी दल के रुकने का,स्थल सांस्कृतिक कार्यक्रमआयोजन स्थल तथा व्यवस्थाएं, नदी तट की सफाई, सड़क से घाट के मार्ग की स्थिति इत्यादि देखेगे। डाक्टर राजशेखर ने बताया कि,मध्य मार्गिया जनपद उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़, तथा प्रयागराज जनपदों के जिलाधिकारियों ने अपने अपने जनपद के संबंधित उपजिलाधिकारी,तथा पुलिस क्षेत्राधिकारी को निर्देश दे दिए हैं, उन्होंने बताया की, जिलाधिकारियों से समन्वय नीरज श्रीवास्तव कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि सभी जनपदीय अधिकारियों से समन्वय हो गया है संबंधित अधिकारी रेकी दल के आगमन पर घाट पर उपस्थित रहेंगे और सभी अपेक्षित व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करेंगे।

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मोतियों का शहर….. हैदराबाद

सफर की शुरुआत अगर अच्छी हो तो पूरा सफर अच्छा बीतता है और सफर में उत्साह भी बना रहता है। जब हम हैदराबाद घूमने के लिए रवाना हुए तो कुछ ऐसा ही उत्साह और मंजिल पर पहुंचने की बेचैनी हमारे सफर को खुशनुमा बनाए हुए थी। हमारी यात्रा की मंजिल हैदराबाद से ढाई सौ किलोमीटर कुरनूल के पास स्थित श्रीशैलम में स्थित मल्लिकार्जुन मंदिर था। गोल पहाड़ियों वाला रास्ता बहुत रोमांचक था। सधे हुए हाथों से गाड़ी चलाना आसान नहीं था, हर समय एक डर बना रहता था किसी दुर्घटना का। श्रीशैलम पहुंचने का रास्ता पैदल नहीं है, आपको या तो बस, टैक्सी करनी पड़ती है या फिर खुद का वाहन रखना पड़ता है।रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है। रास्ते भर बंदरों का जमघट दिखाई पड़ता है और रात में वापसी की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। जंगली जानवरों का डर, अंधेरा और खतरनाक रास्ते रात में गाड़ी चलाने की इजाजत नहीं देते।

श्रीशैलम पहुंचने के बाद हम होटल में रूकने के बजाय मंदिर के प्रांगण में ही रुके और वहां प्रकृति और मंदिर की सुंदरता का आनंद लेने लगे। मंदिर में दर्शन का समय सुबह 6:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम को 5:00 से 6:00 बजे तक रहता है। शीघ्र दर्शन के लिए रूपया महत्वपूर्ण तो हो ही गया है। बिचौलियों ने अपनी घुसपैठ हर जगह बना रखी है। बहरहाल हम सादी लाइन में खड़े हो गये और कुछ देर बाद करीब 4:30 बजे के आसपास मंदिर का दरवाजा खुला और हम सब अंदर जाने लगे। अंदर पड़ी हुई बेंच पर बैठकर बाबा के दर्शन का इंतजार करने लगे। कुछ समय बाद बाबा के दर्शन के लिए धीरे-धीरे भीड़ छोड़ी जाने लगी। यह सत्य है कि ईश्वर के सामने अमीर गरीब सब एक समान हो जाते हैं। उस समय भी ऐसा ही था। बाबा के दर्शन के समय शीघ्र दर्शन वालों की लाइन और आम लोगों की लाइन सब मिलकर एक हो गए और सभी दर्शनार्थी एक साथ दर्शन लाभ ले रहे थे। सबसे अच्छी बात यह लगी की भीड़भाड़ होने के बावजूद सब लोग एक जगह पर बैठे हुए थे और थोड़ी-थोड़ी देर से लोग दर्शन के लिए भेजे जा रहे थे। सावन के महीने में यहाँ बहुत ज्यादा भीड़ रहती है। बाबा का फूलों से श्रंगार देखकर मेरी नजर हट ही नहीं रही थी अगर मन में कुछ मांगने की इच्छा हो तो शायद वह भी भूल जाते हैं बाबा को देख कर। सिर्फ सुंदर अलौकिक रूप दर्शन ही दिखाई देता है।
उसके बाद हम लोगों ने मां पार्वती के दर्शन किये। दक्षिण संस्कृति की छाप के कारण मंदिर का एक अलग सौंदर्य देखने को मिल रहा था। मल्लिकार्जुन मंदिर की स्थापत्य कला ने मुझे बहुत आकर्षित किया। पुराने पत्थर, पुराना ढांचा, पुराने खंभे और उन पर बनी आकृति कहीं कोई नवनिर्माण नहीं। मैं कुछ देर तक मंदिर की बनावट और पत्थरों को देखती रही। वहाँ की स्थानीय भाषा तेलुगु होने के कारण लोग क्या बोलते थे वह समझ से बाहर था लेकिन जरूरत पड़ने पर वह लोग हिंदी भाषा का इस्तेमाल करते थे।
ऐसा माना जाता है कि शैल पर्वत पर स्थित होने के कारण इसे श्रीशैलम पर्वत भी कहते हैं। शिवपुराण के आधार पर मल्लिकार्जुन का अर्थ मल्लिका मां पार्वती और अर्जुन भगवान शिव को माना गया है मल्लिकार्जुन की कहानी शिव पार्वती के पुत्र गणेश और कार्तिकेय की कहानी है जो गणेश जी अपने माता-पिता की परिक्रमा पूरी करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी के परिक्रमा पूरी करने पर कार्तिकेय जी नाराज हो गये तो माता पार्वती भगवान शिव के साथ क्रौंच पर्वत पर कार्तिकेय जी को मनाने पहुंची। माता पिता के आगमन को सुन कार्तिकेय जी बारह कोस दूर चले गए, तब भगवान शिव वहां पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और तभी से वह स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हो गया। ऐसा कहा जाता है कि वहां पर पुत्र स्नेह में माता पार्वती हर पूर्णिमा और भगवान शिव हर अमावस्या को आते हैं।
इसके बाद हम सब रामोजी सिटी घूमने गए। रामोजी सिटी घूमने में पूरा दिन लग गया। मुझे सबसे ज्यादा अच्छा रामोजी सिटी का प्रबंधन लगा। हर व्यवस्था बहुत कायदे से की गई थी और घूमने आए पर्यटकों का ध्यान भी बहुत अच्छे से रखा जा रह था। कई प्रोग्राम जो मूवी से ही जुड़े हुए थे जिससे यह पता चलता है कि कार्टून कैसे बनते हैं, मूवी कैसे बनती है इसकी जानकारियां दी गई थी। जिसे जानकर आप आश्चर्य करेंगे। नई – पुरानी फिल्मों के सेट देखे बाहुबली, केजीएफ, आरआर, पुष्पा जैसी मूवी के सेट देखकर बहुत आश्चर्य हुआ। बाहुबली का सेट जब देखा तो महसूस हुआ कि व्यक्ति मूवी देखने में इतना गुम जाता है कि पीछे लगा सेट जिसमें हाथी घोड़े हिल रहे हैं या नहीं वह भी मालूम नहीं पड़ता। वैसे भी तकनीकी दौर है और अब सबकुछ टेक्निकल हो गया है। रामोजी में ही हम लखनऊ, आगरा, मुंबई, दिल्ली, लंदन, रेलवे स्टेशन, ताजमहल वगैरह वगैरह सब घूम लिए। रामोजी सिटी 2,500 एकड़ में डिज़ाइन किया गया है, इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स के रूप में प्रमाणित किया गया है।
बर्ड पार्क, एडवेंचर पार्क, जापानी गार्डन, मुगल गार्डन, सन फाउंटेन गार्डन और एंजल्स फाउंटेन गार्डन मुख्य आकर्षण हैं। वाइल्ड वेस्ट स्टंट शो, रामोजी स्पिरिट और कई तरह के स्ट्रीट इवेंट जैसे आकर्षक और रोमांचकारी लाइव शो हैं।
उसके बाद हम सालार जंग म्यूजियम जो हैदराबाद का इतिहास बयां करता है। म्यूजियम की जैपनीज गैलरी बहुत सुंदर है। पुराने गहने, बर्तन, हाथी को पहनाने वाले गहने, हथियार वगैरह सब कुछ बहुत दिलचस्प था। म्यूजियम में चीन, जापान, ईरान, पर्शिया और भारतीय सभ्यताओं का मिलाजुला इतिहास दिख रहा था।
बात करती हूँ अब चारमीनार की… चारमीनार यूं तो बहुत खूबसूरत दिखता है लेकिन वहां फैला हुआ बाजार उसकी सुंदरता को खत्म कर रहा है। चारमीनार हैदराबाद का सबसे प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षण का केंद्र है। यह स्मारक 1591 में मोहम्मद कुली कुतुब शाह द्वारा बनाया गया था और इसका नाम चारमीनार रखा गया था। इसे ‘पूर्व का आर्क डी ट्रायम्फ’ भी कहा जाता है। चारमीनार की ऊपरी मंजिल पर एक छोटी सी मस्जिद है। शाम की रोशनी इसे देखने लायक बनाती है। चारमीनार भीड़-भाड़ वाले इलाके में खड़ा है, जहां बाजार अस्त-व्यस्त हैं, जहां फेरीवाले, चूड़ी बेचने वाले और खाने-पीने की दुकानें हैं। फिर भी, यह हैदराबाद में एक लोकप्रिय यात्रा स्थल बना हुआ है।
इसके बाद हम सब सेवेन टोमब्स देखने गये। सात मकबरे काफी बड़े एरिया में फैला हुआ है और मैं दो ही मकबरे तक घूम सकी क्योंकि मेरे पैरों ने जवाब दे दिया था। मैंने वहां पर लोगों को पिकनिक मनाते हुए देखा। वो जगह हैदराबाद की विरासत को अब भी संभाले हुए हैं। कुतुब शाही मकबरा कुतुब शाही शासकों का शाही कब्रिस्तान है।
फिर निजाम पैलेस दिखा जो अब होटल के रूप में तब्दील हो चुका है। रास्ते से गुजरते हुए धूलपेट नाम की एक जगह थी। जिसके बारे में मालूम हुआ कि वहां पर मौजूद मस्जिद जिसमें एक मंदिर भी है जहां दोनों समय आरती और नमाज होती है और मस्जिद के बाहरी हिस्सों में लगी दुकानों में पूजा की सामग्री मिलती है। कहीं कोई बैरभाव नहीं दिखता। यह भाईचारा देखकर दिल बहुत खुश हो गया और अच्छा भी लगा कि अब भी ऐसी जगह मौजूद है।
हैदराबाद के खास पर्यटन स्थलों में गोलकुंडा किला बहुत मशहूर है। 170 सालों तक यहां के निजाम ने गोलकुंडा पर शासन किया। गोल आकार का किला, हैदराबाद का एक दर्शनीय पर्यटन स्थल है। किला 300 फीट की ग्रेनाइट पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। 87 बुर्जों के साथ गोलकुंडा किले में मंदिर, मस्जिद, महल, हॉल, अपार्टमेंट और अन्य संरचनाएं हैं। शानदार डिजाइन के साथ-साथ यह किला अपनी ध्वनि से भी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। हमलों के दौरान राजा को सचेत करने के लिए किले को एक किलोमीटर की दूरी तक ध्वनि ले जाने के लिए बनाया गया था। गोलकुंडा खदानें अपने हीरे जैसे कोहिनूर, नासक डायमंड और होप डायमंड के लिए भी प्रसिद्ध हैं। गोलकुंडा का किला शहर के बाकी हिस्सों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। किले के ऊपर से सूर्यास्त देखने लायक होता है।
फिर वहां का संघी मंदिर हैदरबाद के बाहरी क्षेत्र संघी नगर में स्थित है। यह मंदिर ऊंचे बने राजा गोपुरम के लिए जाना जाता है, जो कि स्थानीय लोगों के बीच काफी पवित्र है। अपनी ऊंचाई के कारण गोपुरम को काफी दूर से भी देखा जा सकता है। यह मंदिर सुंदर ढंग से परमानंद गिरि नामक एक छोटी सी पहाड़ी पर बना है। मंदिर की बनावट विशिष्ट दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प की याद दिलाती है। यहां हर साल हजारों की तादाद में लोग अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। मंदिर में पत्थर से बने एक हाथी से खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। संघी मंदिर में कुल तीन गोपुरम है, जिसे देखकर लगता है कि यह आसमान को छू रहा है।
उसके बाद हम सब चिल्कुर मंदिर गये। वहाँ बालाजी को वीजा देने वाले भगवान भी कहते हैं। इस विश्वास की जड़ें एक घटना की जानकारी के रूप में मिलती हैं जब कुछ छात्र जिनके वीज़ा का आवेदन खारिज कर दिया गया था, वो यहाँ मंदिर में आए और प्रार्थना की कि केवल उनके आवेदन स्वीकार किए जाएं। खास बात यह है कि यह मंदिर किसी भी तरह का धन या दान स्वीकार नहीं करता है और यहाँ भगवान के दर्शन करते समय आंखें बंद नहीं की जाती है। यह बहुत पुराना मंदिर है और अभी भी अपनी वास्तविकता को बरकरार रखे हुए है।
इसके बाद नंबर बिड़ला मंदिर का जो अपने आप में बहुत खूबसूरत है। शांत वातावरण और बालाजी को देखकर शांति महसूस की। प्रभू का चेहरा निहारना अत्यंत सुखद लगा।
कोई भी घुमक्कड़ी हो बिना खरीदारी के पूरी नहीं होती। हैदराबाद को मोती की नगरी भी कहते हैं। तरह तरह के आकर्षक मोती के गहने मन को लुभाते हैं। लाख की चूड़ियाँ, मोजड़ी और हैदराबाद की पोचमपल्ली साड़ी बहुत मशहूर है। हैदराबाद एक ऐसा शहर है जो अपनी पारंपरिक संस्कृति के लिए जाना जाता है और वह संस्कृति निज़ामी विशेष खानपान की चीजों में दिखती है। खानपान में हैदराबादी बिरयानी, ईरानी चाय बहुत मशहूर है।

~प्रियंका वर्मा महेश्वरी 

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मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने आई आई टी संस्थान दौरे के साथ इंडियन गवर्नेंस समिट’22 का उद्घाटन किया

कानपुर, 5 नवंबर, 2022: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने पब्लिक पॉलिसी एण्ड ओपीनियन सेल, आईआईटी कानपुर द्वारा आयोजित इंडियन गवर्नेंस समिट’22 के उद्घाटन के लिए मुख्य अतिथि रूप में आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर का दौरा किया। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहते हुए, उन्होंने संस्थान की कुछ महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं से परिचित होने के लिए दौरा भी किया।उत्तर प्रदेश कैडर के 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी और आई आई टी (IIT) कानपुर (B.Tech – EE) से स्नातक । उन्होंने बहुत ही विनम्र शुरुआत की थी, लेकिन पूरी लगन और समर्पण के साथ, उपलब्धियों की सीढ़ी चढ़ते चले गए। इंडियन गवर्नेंस समिट’22 में श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने नीति निर्माण पर बात की है l दशकों के एक शानदार करियर में, उन्होंने राज्य और संघीय सरकारों में कई शीर्ष पदों पर कार्य किया है, जिनमें राज्य और संघीय कराधान, राजस्व प्रशासन, आंतरिक सुरक्षा, सतर्कता, नागरिक उड्डयन, पर्यटन, खेल, कृषि अनुसंधान के क्षेत्र, चिकित्सा और स्वास्थ्य, खनन और शहरी विकास शामिल हैं। चार साल से अधिक समय तक, उन्होंने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय में भारत सरकार के सचिव के रूप में कार्य किया, जहां उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (एसबीएम-यू), प्रधान मंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू), कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिए अटल मिशन (अमृत), दीन दयाल अंत्योदय योजना सहित कई प्रमुख शहरी मिशनों की योजना और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के हिस्से के रूप में, श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने आईआईटी कानपुर में सी3आई हब, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रोन और नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स का दौरा किया। C3i हब में, उन्हें ई-गवर्नेंस के लिए आई आई टी (IIT) कानपुर में विकसित ब्लॉकचेन तकनीक दिखाई गई। राष्ट्रीय ब्लॉकचैन परियोजना के हिस्से के रूप में, आईआईटी कानपुर ने ई-गवर्नेंस सेवाओं के लिए यूपी और कर्नाटक राज्य सरकारों के साथ गठजोड़ किया है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर ड्रोन में, आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अभिषेक ने मुख्य अतिथि को ड्रोन के लिए ईंधन सेल विकास के साथ-साथ ड्रोन की सहनशक्ति, ऊंचाई और भार क्षमता का प्रदर्शन किया। उन्हें COVID के दौरान वैक्सीन और आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रोन भी दिखाए गए।

श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने आईआईटी कानपुर के नेशनल सेंटर फॉर फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रॉनिक्स में विकसित प्रिंट करने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स और लिखने योग्य इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट का जायजा लिया। उन्हें 3डी प्रिंट करने योग्य एंटी-जालसाजी लेबल, लिखोट्रोनिक्स (राइटेबल इलेक्ट्रॉनिक्स), क्लीन रूम, रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग, नेत्रहीनों के लिए नॉवेल हैप्टिक स्मार्ट वॉच, थर्मल जैकेट, IV बॉटल लेवल डिटेक्शन लेबल जैसे विभिन्न उपकरण दिखाए गए जो स्वचालित रूप से द्रव प्रवाह, मेटा सतह एंटीना, स्मार्ट शेल्फ के लिए दबाव सेंसर, दूसरों के बीच का पता लगाता है।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहते हुए उत्तर प्रदेश के *मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा*, “आज की लोक नीति केवल योजना बनाने के बारे में नहीं है, बल्कि कार्यान्वयन के बारे में है। आज के भारत में, सार्वजनिक नीतियों को प्रभावी ढंग से जनता तक पहुँचाना महत्वपूर्ण है। ”
“आज आईआईटी कानपुर में विभिन्न अनुसंधान एवं विकास सुविधाओं का दौरा करने के बाद मैं वास्तव में प्रसन्न हूं। मुझे लगता है कि पहले की तुलना में बहुत कुछ बदल गया है। आईआईटी कानपुर विभिन्न मोर्चों पर आगे बढ़ रहा है।”
श्री दुर्गा शंकर मिश्रा ने उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार के तहत योजना की स्वीकृति की गति में काफी वृद्धि हुई है और अब तक 11 लाख से अधिक लाभार्थियों को मकान मिल चुके हैं और लाभार्थियों को 13 लाख से अधिक आवास स्वीकृत किये जा चुके हैं. उन्होंने अंग्रेजी को एक संचार भाषा के रूप में सीखते हुए, एनईपी के अनुरूप स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता देने के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें भाषा को बाधा नहीं बल्कि अपनी ताकत बनने देना चाहिए।

*आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा*, “हमें इंडियन गवर्नेंस समिट’22 के मुख्य अतिथि के रूप में श्री दुर्गा शंकर मिश्रा को पाकर खुशी हो रही है। नीति निर्माता के रूप में उनका विशाल अनुभव और राज्य के मुख्य सचिव के रूप में उनकी वर्तमान भूमिका यूपी के लिए विकास की नई संभावनाएं लेकर आई है। आईआईटी कानपुर विभिन्न महत्वपूर्ण अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं पर राज्य सरकार के साथ जुड़ा हुआ है। हम प्रभावी नीति बनाने के लिए अपना योगदान देना जारी रखेंगे जिससे न केवल राज्य बल्कि राष्ट्र को भी लाभ हो। ”

श्री दुर्गा शंकर मिश्रा को आईआईटी कानपुर में एक महत्वाकांक्षी मेगा प्रोजेक्ट के रूप में आने वाले गंगवाल स्कूल ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई। स्कूल की आधारशिला केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस साल जुलाई में रखी थी। इसमें 500 बिस्तरों वाला यदुपति सिंघानिया सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल भी होगा। उन्होंने महत्वाकांक्षी हृदययंत्र परियोजना का भी दौरा किया, जिसे एलवीएडी (लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस) सुविधा के रूप में भी जाना जाता है, जो एक किफायती और उन्नत कृत्रिम हृदय विकसित करने पर काम कर रहा है जो चिकित्सा विज्ञान में गेम-चेंजर हो सकता है। उन्हें एक सिम्युलेटर के अलावा विकास के तहत प्रोटोटाइप और सतह के उपचार पर चल रहे शोध को दिखाया गया था जो एलवीएडी के परीक्षण के लिए हृदय में परिवर्तनशील रक्त प्रवाह की नकल करता है।

पब्लिक पॉलिसी एंड ओपिनियन सेल, आई आई टी (IIT) कानपुर द्वारा वार्षिक भारतीय शासन शिखर सम्मेलन में भारत-विशिष्ट दृष्टिकोण के साथ नीति निर्माण के प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया और आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों और उपस्थित लोगों द्वारा समाधान और व्यापक चर्चा की गई।

*आईआईटी कानपुर के बारे में:*

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, भारत सरकार द्वारा स्थापित प्रमुख संस्थानों में से एक है। 1959 में पंजीकृत, संस्थान को 1962-72 की अवधि के दौरान अपने शैक्षणिक कार्यक्रमों और प्रयोगशालाओं की स्थापना में यू.एस.ए. के नौ प्रमुख संस्थानों द्वारा सहायता प्रदान की गई थी। अग्रणी नवाचारों और अत्याधुनिक अनुसंधान के अपने रिकॉर्ड के साथ, संस्थान को इंजीनियरिंग, विज्ञान और कई अंतःविषय क्षेत्रों में ख्याति के एक शिक्षण केंद्र के रूप में दुनिया भर में जाना जाता है। संस्थान को एनआईआरएफ द्वारा लगातार शीर्ष इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्थान दिया गया है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए मूल्य के क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय रहा है। औपचारिक स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अलावा, संस्थान उद्योग और सरकार दोनों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अनुसंधान और विकास में सक्रिय योगदान देता है।

अधिक जानकारी के लिए www.iitk.ac.in पर विजिट करें।

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सेना के अभ्यार्थियों से जाति प्रमाण पत्र के नाम पर मांगी जा रही रिश्वत*

कानपुर:-

*सेना के अभ्यार्थियों से जाति प्रमाण पत्र के नाम पर मांगी जा रही रिश्वत*

*घाटमपुर तहसील के लेखपाल संतोष कुमार द्वारा मांगी जा रही रिश्वत*

*सेना के अभ्यार्थियों की मजबूरी का फायदा उठाने हुए मांगी जा रही रिश्वत*

*सुविधा शुल्क के रूप में 300 रुपए प्रति अभ्यार्थी मांगने का आरोप*

*सेना के अभ्यार्थियों ने घाटमपुर तहसीलदार से की लिखित शिकायत।*

*अब तक आरोपी लेखपाल के विरुद्ध नहीं हुई कार्रवाई*

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