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सर्बानंद सोनोवाल ने गुजरात के दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 270 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने गुजरात के दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 270 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया। श्री सर्बानंद सोनोवाल ने पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री श्री शांतनु ठाकुर, पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग राज्यमंत्री श्री श्रीपद नाइक और अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में दीनदयाल पोर्ट, कांडला में 73.92 करोड़ रुपये लागत वाली ऑयल जेट्टी संख्या 7 का उद्घाटन किया।

जेट्टी मुख्य रूप से खाद्य तेल की लिक्विड हैंडलिंग क्षमता को 2.00 एमएमटीपीए तक बढ़ाएगी और भविष्य की आवश्यकताओं को पूरा करेगी और जहाजों के टर्न-अराउंड समय को कम करेगी। यह टी-आकार की जेट्टी 110 मीटर लंबी और 12.40 मीटर चौड़ी है और 65000 डीडब्ल्यूटी और 14 मीटर गहराई तक के बड़े आकार के पोत को संभाल सकती है। इस परियोजना ने निर्माण के चरण के दौरान लगभग 1000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार और लगभग 250 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार का मार्ग प्रशस्त किया है।

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श्री सोनोवाल ने तीन परियोजनाओं- 98.41 करोड़ रुपये की लागत से ऑयल जेट्टी संख्या 8 से 11, 67 करोड़ रुपये की लागत से एलसी236बी से सीजे-16 तक 4 लेन सड़क का विकास, 39.66 करोड़ रुपये की लागत से कार्गो जेट्टी में गुंबदाकार भंडारण शेड का निर्माण कार्य का शिलान्यास भी किया।

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इस अवसर पर श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “ये परियोजनाएं पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के साथ-साथ इसके लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसके पूरे भीतरी इलाकों के समग्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देंगी।” इनसे जहाजों के टर्नअराउंड समय में और सुधार के साथ-साथ कार्गो की तेजी से निकासी के साथ-साथ बंदरगाह की कार्गो हैंडलिंग क्षमता में भी सुधार होना संभव होगा। उन्होंने कहा, “दीनदयाल पोर्ट कार्गो हैंडलिंग के मामले में देश भर में पहले स्थान पर है और इन परियोजनाओं के माध्यम से इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी जो पूरे क्षेत्र के लिए फायदेमंद होगी।”

अन्य परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं

1. ऑयल जेट्टी 8 से 11 तक बैक-अप एरिया का विकास

• तरल कार्गो की भंडारण क्षमता में वृद्धि

• लिक्विड कार्गो की तेजी से निकासी, क्योंकि लिक्विड टर्मिनल के लिए प्रस्तावित बैक-अप क्षेत्र ऑयल जेट्टी के पीछे है, इसलिए, टर्न-आउट समय कम करना

2. एलसी236बी से सी.जे-16 तक 4 लेन सड़क का विकास

• बेहतर कनेक्टिविटी

• बंदरगाह पर यातायात में कमी

3. कार्गो जेट्टी में गुंबदाकार भंडारण शेड का निर्माण

• शेड 30 मीटर और ऊंचाई 9 से 12 मीटर की अबाधित स्पष्ट जगह प्रदान कर सकते हैं।

• रूफिंग पैनल यांत्रिक रूप से सीमेड (इंटरलॉक्ड) हैं और छेद, नट, बोल्ट ओवरलैप और सीलेंट से मुक्त हैं, लगभग शून्य रखरखाव सुनिश्चित करते हैं।

• पारंपरिक छत प्रणाली की तुलना में यह संरचना 50 प्रतिशत तक किफायती है।

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उल्लेखनीय है कि भारत में बंदरगाह क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रतिबद्धता के तहत पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय ने गुजरात राज्य में सागरमाला कार्यक्रम के तहत 57,000 करोड़ रुपये की 74 परियोजनाओं की पहचान की है। जिनमें से 9,000 करोड़ रुपये की लागत से 15 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं; 25,000 करोड़ रुपये से अधिक की 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन के अधीन हैं और 22,700 करोड़ रुपये की 26 परियोजनाएं प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं। ये परियोजनाएं केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों, प्रमुख बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्ड और अन्य राज्य एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित की जा रही हैं।

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फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए कृषि क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने के लिए कृषि अवसंरचना कोष की राशि 30,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गई है

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) के कार्यान्वयन के ढाई वर्ष के भीतर, इस योजना ने कृषि अवसंरचना कोष के अंतर्गत 15,000 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के साथ कृषि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में परियोजनाओं के लिए 30,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटाए हैं। 3 प्रतिशत ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता के समर्थन के साथ, 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट के माध्यम से क्रेडिट गारंटी समर्थन और अन्य केंद्रीय और राज्य सरकार के साथ अभिसरण की सुविधा के साथ कृषि अवसंरचना कोष योजना से किसानों, कृषि-उद्यमियों, किसान समूहों जैसे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), संयुक्त देयता समूहों (जेएलजी) आदि और कई अन्य लोगों को फसल कटाई के बाद के प्रबंधन के बुनियादी ढांचे और पूरे देश में सामुदायिक कृषि संपत्ति के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।

कर्नाटक के मांड्या जिले के योगेश सीबी ने उपभोक्ताओं की आवश्यकता और किसानों से प्राथमिक प्रसंस्कृत सब्जियों की आपूर्ति के बीच मांग आपूर्ति के अंतर को समझते हुए, सब्जियों के लिए एक प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना की तलाश कर रहे थे। उन्हें सरकार से उपलब्ध सहायता की तलाश करते हुए वर्ष 2020 में कृषि अवसंरचना कोष योजना के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने 1.9 करोड़ रुपये के ऋण के लिए कृषि अवसंरचना कोष पोर्टल पर आवेदन किया, जिसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा सत्यापित किया गया और दिसंबर 2020 में बैंक ऑफ इंडिया द्वारा बहुत जल्दी स्वीकृत किया गया। वह कृषि अवसंरचना कोष की मदद से अपनी परिकल्पना को फलीभून करने में सफल रहे और इस प्रकार से अरियांत वेज प्राइवेट लिमिटेड अस्तित्व में आया। कृषि अवसंरचना कोष योजना के अंतर्गत प्रदान की गई ब्याज सहायता के माध्यम से वह केवल 5.45 प्रतिशत की प्रभावी ब्याज दर (आरओआई) पर ऋण प्राप्त करने में सक्षम था जो कि खुले बाजार दर से बहुत कम है। वर्तमान में, अरियांत वेज 250 से अधिक स्थानीय किसानों को बीज और गुणवत्ता वाली सब्जियां उगाने की तकनीक प्रदान करके उनका समर्थन करता है, फिर वे किसानों से उचित मूल्य पर उपज एकत्र करते हैं, जिसे बाद में दैनिक आधार पर अंतिम उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले प्रसंस्करण केंद्र में साफ, क्रमबद्ध, वर्गीकृत और पैक किया जाता है।

इसी तरह से मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के एक किसान आनंद पटेल ने विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों के लिए, जिनके लिए कृषि मशीनरी सस्ती नहीं है, कृषि में मशीनीकरण के महत्व और आवश्यकता को महसूस किया। इसके बाद उन्होंने एक हाई-टेक केंद्र की स्थापना की जहां स्थानीय किसानों को किराये के आधार पर कृषि मशीनरी प्रदान की जाती है। इस हाई-टेक केंद्र में 12 कृषि मशीनरी हैं जिनमें कंबाइन हारवेस्टर, थ्रेशर, लेजर लैंड लेवलर, ट्रैक्टर, जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, मल्चर आदि शामिल हैं, जिनकी कीमत लगभग 60.82 लाख रुपये है जो श्री पटेल जैसे किसान के लिए बहुत अधिक लग रही थी। लेकिन कृषि अवसंरचना कोष और अन्य केंद्रीय सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं के साथ सम्मिलन की इसकी अनूठी विशेषता के माध्यम से श्री पटेल न केवल 5.4 प्रतिशत की काफी कम ब्याज दर पर 45.62 लाख रुपये का ऋण प्राप्त करने में सक्षम थे बल्कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की कृषि मशीनीकरण (एसएमएएम) योजना पर उप-मिशन के अंतर्गत कुल परियोजना लागत के 40 प्रतिशत की पूंजीगत सब्सिडी का लाभ भी प्राप्त करने में सफल हुए। अब वह 100 से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को इन मशीनों की सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे उन्हें काफी मेहनत, समय और पैसा बचाने में मदद मिली है।

योगेश और आनंद कृषि अवसंरचना कोष के 20,000 से अधिक लाभार्थियों में से दो हैं, जिनका अपनी प्रोफ़ाइल में विविधता लाने और कृषि विकास में आगे बढ़ने का सपना कृषि अवसंरचना कोष की सहायता के माध्यम से सच हो गया है। कृषि अवसंरचना कोष अत्यंत आवश्यक कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण और आधुनिकीकरण के माध्यम से शांतिपूर्वक भारतीय कृषि के परिदृश्य को बदल रहा है। ये बुनियादी ढांचा परियोजनाएं फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने, कृषि पैकेज और प्रथाओं के आधुनिकीकरण में मदद कर रही हैं और इसके अलावा किसानों को उनकी उपज के बेहतर मूल्य की प्राप्ति में मदद कर रही हैं।

कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) 8 जुलाई 2020 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी मार्गदर्शन में फसल कटाई के बाद के बुनियादी ढांचे और सामुदायिक कृषि संपत्तियों के निर्माण के लिए शुरू की गई एक वित्तपोषण सुविधा है। इस योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2025-26 तक 1 लाख करोड़ रुपये वितरित किए जाने हैं और वर्ष 2032-33 तक ब्याज के रूप में आर्थिक सहायता और क्रेडिट गारंटी सहायता दी जाएगी।

     

    

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प्रधानमंत्री ने पुलिस महानिदेशकों/महानिरीक्षकों के अखिल भारतीय सम्मेलन में भाग लिया

प्रधानमंत्री ने पुलिस बलों को अधिक संवेदनशील बनाने और उन्हें उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने एजेंसियों के बीच डेटा के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि जहां हमें बायोमेट्रिक्स आदि जैसे तकनीकी समाधानों का और अधिक लाभ उठाना चाहिए, वहीं पारंपरिक पुलिस प्रणाली जैसे पैदल गश्त आदि को और मजबूत करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने अप्रचलित आपराधिक कानूनों को निरस्त करने और राज्यों में पुलिस संगठनों के लिए मानदंड तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने जेल प्रबंधन में सुधार के लिए जेल सुधारों पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों के बार-बार दौरे आयोजित करके सीमा के साथ-साथ तटीय सुरक्षा को मजबूत करने पर भी चर्चा की।

प्रधानमंत्री ने क्षमताओं का लाभ उठाने और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने उभरती चुनौतियों पर चर्चा करने और अपनी टीमों के बीच सर्वोत्तम तौर-तरीके विकसित करने के लिए राज्य/जिला स्तरों पर पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक सम्मेलन के मॉडल को दोहराने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री द्वारा विशिष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक वितरित करने के बाद सम्मेलन का समापन हुआ।

सम्मेलन में पुलिस प्रणाली और राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिसमें आतंकवाद से मुकाबला, विद्रोह से मुकाबला और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय गृह सचिव, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक और केंद्रीय पुलिस संगठनों/केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुख भी उपस्थित थे। विभिन्न स्तरों के लगभग 600 से अधिक अधिकारियों ने सम्मेलन में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों से वर्चुअल तौर पर भाग लिया।

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मिलेट्स व जैविक उत्पादों पर बेंगलुरू में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर में शामिल हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के छोटे किसानों के प्रति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अत्यधिक संवेदनशील है। श्री मोदी ने दूरदष्टि के साथ मिलेट्स के विषय को संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाया, जहां भारत सरकार के प्रस्ताव का 72 देशों ने समर्थन किया और संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुरूप अब वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स ईयर के रूप में भारत की अगुवाई में मनाया जा रहा है। इसके पीछे मिलेट्स का उत्पादन व उत्पादकता, प्रोसेसिंग और निर्यात बढ़ाना सरकार का मुख्य उद्देश्य है, जिससे अंततः देश के किसानों को ही फायदा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात आज बेंगलुरू में मिलेट्स एवं जैविक उत्पादों पर आधारित इंटरनेशनल ट्रेड फेयर के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कही। श्री तोमर ने कहा कि मिलेट्स की फसलें कम पानी में उगाई जा सकती है। किसानों की आय बढ़ाने में मिलेट्स का भी योगदान होगा। देश में मिलेट्स का उत्पादन व खपत बढ़ने के साथ इसका निर्यात भी बढ़ेगा, जिसका लाभ बड़ी संख्या में किसानों को मिलेगा। उन्होंने मिलेट्स का उत्पादन व उपभोग बढ़ाने के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और इस कार्यक्रम के माध्यम से 201 करोड़ रु. के एमओयू साइन होने को भी महत्वपूर्ण बताया। साथ ही, राज्य के किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान किए जाने की भी तारीफ की।

श्री तोमर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने सहित उनके कल्याण के लिए केंद्र व राज्य सरकार अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं चला रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) स्कीम द्वारा किसानों को 6 – 6 हजार रु. की वार्षिक आय सहायता दी जा रही है, कर्नाटक में इसके साथ किसानों को चार-चार हजार रु. की अतिरिक्त आय सहायता भी दी जा रही है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने बहुसंख्यक छोटे किसानों की क्षमता वृद्धि के उद्देश्य से देश में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की शुरूआत की है, जिस पर 6,865 करोड़ रु. भारत सरकार खर्च कर रही हैं। उन्होंने देशभर के साथ ही कर्नाटक में नए एफपीओ गठित किए जाने में उत्साहपूर्ण योगदान की प्रशंसा की। श्री तोमर ने कहा कि कृषि को उन्नत व कृषक को समृद्ध बनाने के लिए ऐसे अनेक कार्यक्रम केंद्र द्वारा प्रारंभ किए गए हैं।

समारोह में श्री तोमर ने विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड प्रदान किए। इस अवसर पर केंद्रीय रसायन और उर्वरक एवं नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्री भगवंत खूबा, उ.प्र. के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप सिंह शाही व उद्यानिकी मंत्री श्री दिनेश प्रताप सिंह, कर्नाटक के कृषि मंत्री श्री बी.सी. पाटिल उपस्थित थे।

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‘पराक्रम दिवस’ पर 500 केन्‍द्रीय विद्यालयों में राष्ट्रव्यापी चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी

मुख्य विशेषताएं

– नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर 23 जनवरी, 2023 को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है जिससे छात्रों को महान नेता के जीवन पर प्रेरित किया जा सके और उनमें देशभक्ति की भावना जगाई जा सके।

– प्रतियोगिता की विषय वस्‍तु ‘एग्जाम वॉरियर’ बनने के बारे में है, जो प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित है।

– इसमें कुल 50,000 छात्रों के हिस्‍सा लेने की उम्मीद है।

छात्रों के बीच परीक्षा के तनाव से निपटने के लिए एक अनूठी पहल परीक्षा पे चर्चा 2023 के लिए 23 जनवरी, 2023 को देश भर के 500 विभिन्न केन्‍द्रीय विद्यालयों (केवी) में एक राष्ट्रव्यापी चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है। महान नेता के जीवन पर छात्रों को प्रेरित करने और उनमें देशभक्ति की भावना जगाने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

छात्रों की रचनाशील अभिव्यक्तियों को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा कल चित्रकला प्रतियोगिता सहित पूरे देश के विद्यालयों में विभिन्न प्रकार के कार्यकलापों का आयोजन किया जा रहा है।

चित्रकला प्रतियोगिता में विभिन्न सीबीएसई विद्यालयों के छात्रों, राज्य बोर्डों, नवोदय विद्यालयों और केन्‍द्रीय विद्यालयों के छात्रों द्वारा विचारों की इस अनूठी रचनाशील अभिव्यक्ति में विविध प्रकार की सहभागिता किए जाने की उम्मीद है। प्रतियोगिता की विषय वस्‍तु ‘एग्जाम वॉरियर’ बनने के बारे में है, जो प्रधानमंत्री द्वारा लिखित पुस्तक पर आधारित है।

इस चित्रकला प्रतियोगिता में पूरे देश के कुल 50 हजार छात्रों के भाग लेने की उम्मीद है। नोडल केन्द्रीय विद्यालय, जहां कार्यक्रम आयोजित किया जाना है, इस प्रतियोगिता में भाग लेने वाले विभिन्न विद्यालयों के 100 छात्र होंगे। मुख्‍य रूप से राज्य बोर्ड के समीपवर्ती विद्यालयों और जिले के सीबीएसई विद्यालयों से 70 छात्रों को आमंत्रित किया गया है, 10 प्रतिभागी नवोदय विद्यालय से और 20 छात्र नोडल केवी तथा आसपास के केवी के होंगे, यदि जिले में कोई और केवी हो।

पांच सर्वश्रेष्ठ प्रविष्टियों को स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर पुस्तकों के एक सेट और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा। इस चित्रकला प्रतियोगिता की छात्रों और शिक्षकों को उत्‍साहपूर्वक प्रतीक्षा रहती है।

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प्रधानमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के मुख्य न्यायाधीश के विचार का स्वागत किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के बारे में भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी. वाई.चंद्रचूड़ के विचार की सराहना की है।

प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया;

‘हाल ही में आयोजित एक समारोह में भारत के मुख्य न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की आवश्यकता के बारे में चर्चा की। उन्होंने इसके लिए प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया। यह एक प्रशंसनीय विचार है, जिससे अनगिनत लोगों, विशेषकर युवाओं को काफी मदद मिलेगी।’

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा,

‘भारत में अनगिनत भाषाएं हैं, जो हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को काफी हद तक बढ़ा देती हैं। केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए अथक प्रयास कर रही है, जिसमें इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को संबंधित विद्यार्थि‍यों की मातृ भाषा में पढ़ने का विकल्प देना भी शामिल है।’

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गणतंत्र दिवस परेड 2023 के दौरान 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और 6 विभिन्न मंत्रालयों/विभागों की कुल तेईस झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी

26 जनवरी,2023 को कर्तव्‍य पथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस परेड के दौरान 17 राज्‍यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 23 झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। इनके अलावा परेड में केन्‍द्रीय मंत्रालयों तथा विभागों की छह झांकियां भी शामिल होंगी। इन झांकियों में देश की समृद्ध सांस्‍कृतिक धरोहर, आर्थिक और सामाजिक प्रगति तथा आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा को दर्शाया जाएगा।

इस वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के दौरान देश की भौगोलिक और समृद्ध सांस्कृतिक विविधता को दर्शाते हुए को विभिन्न सफलताओं को प्रदर्शित किया जाएगा। 17 झांकियां असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, दादर नगर हवेली तथा दमन व दीव, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल जैसे राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों की ऐतिहासिक विरासत वाली झलक प्रस्तुत करेंगी।

संस्कृति मंत्रालय, गृह मंत्रालय (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल), गृह मंत्रालय (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो), आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (केंद्रीय लोक निर्माण विभाग), जनजातीय कार्य मंत्रालय तथा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से आने वाली छह झांकियां पिछले कुछ वर्षों में किए गए कार्यों व उपलब्धियों को दर्शाएंगी।

गणतंत्र दिवस परेड के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों का चयन आंचलिक आधार पर किया गया है, जिसमें राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को छह मंडलों उत्तरी क्षेत्र, मध्य क्षेत्र, पूर्वी क्षेत्र, पश्चिमी क्षेत्र, दक्षिणी क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र में वर्गीकृत किया गया है। आम तौर पर, गणतंत्र दिवस परेड के लिए प्रत्येक क्षेत्र के आनुपातिक परिमाण के आधार पर राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से लगभग 15 झांकियों का चयन किया जाता है।

चयन प्रक्रिया में एक विशेषज्ञ समिति द्वारा विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियों के प्रस्तावों की जांच की गई। इसके अलावा समिति के सदस्यों द्वारा झांकी की विषय-वस्तु, प्रस्तुति, कलात्मक प्रदर्शन और तकनीकी अंशों पर राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ कई दौर की बातचीत भी हुई थी।

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राष्ट्रपति छह श्रेणियों में असाधारण उपलब्धि हासिल करने वाले 11 बच्चों को कल प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2023 प्रदान करेंगी

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू कल यानी  23 जनवरी, 2023 को विज्ञान भवन में पुरस्कार वितरण समारोह में 11 असाधारण बच्चों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, 2023 प्रदान करेंगी।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 जनवरी, 2023 को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत करेंगे।

महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी 24 जनवरी, 2023 को राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई की उपस्थिति में बच्चों के साथ बातचीत करेंगी और उन्हें उनकी संबंधित श्रेणियों में उनके अनुकरणीय प्रदर्शन के लिए बधाई देंगी।

भारत सरकार बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार (पीएमआरबीपी) पुरस्कार प्रदान करती है। यह पुरस्कार 5 से 18 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों को छह श्रेणियों – कला और संस्कृति, बहादुरी, नवाचार, शैक्षिक, सामाजिक सेवा और खेल में उनकी उत्कृष्टता के लिए प्रदान किया जाता है, जो राष्ट्रीय मान्यता के पात्र हैं। पीएमआरबीपी के प्रत्येक पुरस्कार विजेता को एक पदक, एक लाख रुपये का नकद पुरस्कार और एक प्रमाणपत्र दिया जाता है।

इस वर्ष प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार देश के सभी क्षेत्रों से चुने गए 11 बच्चों को कला और संस्कृति (4), वीरता (1), नवाचार (2), समाज सेवा (1), और खेल (3) के क्षेत्र में उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए प्रदान किया जा रहा है।

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नेता जी सुभाष चंद्र बोस जयंती के अवसर पर सड़क सुरक्षा शपथ ग्रहण समारोह संपन्न

कानपुर 23 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर ‌‌की एनएसएस इकाई ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर सड़क सुरक्षा माह के अंतर्गत महाविद्यालय में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया जिसमें कॉलेज के प्राचार्या डॉ जोसेफ डेनियल तथा कार्यक्रम अधिकारी डॉ सुनिता वर्मा शामिल हुए इस अवसर पर एनएसएस के स्वयंसेवी तथा महाविद्यालय के कर्मचारी भी उपस्थित रहे। साथ ही महाविद्यालय के प्राचार्या डॉ जोसेफ डेनियल ने सभी को सड़क सुरक्षा के विषय में शपत ग्रहण कराई तथा सड़क सुरक्षा के विषय में जागृत किया और साथ ही कुछ स्वयंसेवकों ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस के विषय में उपदेश दिया इसके पश्चात स्वयंसेवको की मानव श्रृंखला का निर्माण कराया गया और महाविद्यालय में स्लोगन जैसे सड़क सुरक्षा नियमो को अगर अपनाओगे खुद के साथ-साथ दूसरों को भी बचाओगे आदि स्लोगन बोले सभी स्वयंसेवकों ने इस कार्यक्रम से सड़क सुरक्षा के विषय में जानकारी प्राप्त की ओर साथ ही शपथ ग्रहण की,

कार्यक्रम का समापन डॉ सुनिता वर्मा ने एनएसएस स्वयंसेवी विलायत फातिमा तथा मोमिन अली ने अपनी टीम जिसमे रितेश, ज़रीन,सौम्या,सैयद,फरीना,आयुषी, वैशनवी,मुस्कान,यशी,सिमरन ने मिल कर कार्यक्रम का सफलता पूर्वक समापन किया।

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छात्राओं ने मानव श्रृंखला बनाकर दिया सड़क सुरक्षा का संदेश

कानपुर 23 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज मे सड़क सुरक्षा माह कार्यक्रम के अंतर्गत ‘मानव श्रंखला’ बनाकर जनमानस को जागरूक करने हेतु प्राचार्या प्रो. अर्चना वर्मा जी के निर्देशन में एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी तथा सड़क सुरक्षा क्लब को-ऑर्डिनेटर डॉ संगीता सिरोही के द्वारा सड़क सुरक्षा शपथ दिलवाई गई। जिसमें महाविद्यालय की छात्राओं ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। महाविद्यालय की प्राध्यापिकाओ तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने भी सड़क सुरक्षा संबंधी शपथ ली तथा आश्वस्त किया कि वे सभी स्वयं तो सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करेंगे ही अपने घर परिवार व पडोस तथा समाज के लोगों को भी सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए उसकी महत्ता को बताएंगे तथा यातायात के सभी नियमों का पालन करने हेतु आग्रह करेंगे ताकि दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। यह मुहिम भविष्य में सड़क सुरक्षा तथा मानव जीवन को सुरक्षित करने के लिए एक बड़ी पहल साबित होगी। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ श्वेता गोंड, डॉ अंजना श्रीवास्तव, अर्चना दीक्षित, आकांक्षा अस्थाना व कृष्णेंद्र श्रीवास्तव आदि की विशेष भूमिका रही।

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