प्रधानमंत्री ने पुलिस बलों को अधिक संवेदनशील बनाने और उन्हें उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने का सुझाव दिया। उन्होंने एजेंसियों के बीच डेटा के आदान-प्रदान को सुगम बनाने के लिए नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क के महत्व पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि जहां हमें बायोमेट्रिक्स आदि जैसे तकनीकी समाधानों का और अधिक लाभ उठाना चाहिए, वहीं पारंपरिक पुलिस प्रणाली जैसे पैदल गश्त आदि को और मजबूत करने की भी आवश्यकता है। उन्होंने अप्रचलित आपराधिक कानूनों को निरस्त करने और राज्यों में पुलिस संगठनों के लिए मानदंड तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने जेल प्रबंधन में सुधार के लिए जेल सुधारों पर भी जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों के बार-बार दौरे आयोजित करके सीमा के साथ-साथ तटीय सुरक्षा को मजबूत करने पर भी चर्चा की।
प्रधानमंत्री ने क्षमताओं का लाभ उठाने और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को साझा करने के लिए राज्य पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने उभरती चुनौतियों पर चर्चा करने और अपनी टीमों के बीच सर्वोत्तम तौर-तरीके विकसित करने के लिए राज्य/जिला स्तरों पर पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक सम्मेलन के मॉडल को दोहराने का सुझाव दिया।
प्रधानमंत्री द्वारा विशिष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक वितरित करने के बाद सम्मेलन का समापन हुआ।
सम्मेलन में पुलिस प्रणाली और राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया, जिसमें आतंकवाद से मुकाबला, विद्रोह से मुकाबला और साइबर सुरक्षा शामिल हैं। सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री, गृह राज्य मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, केंद्रीय गृह सचिव, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक और केंद्रीय पुलिस संगठनों/केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुख भी उपस्थित थे। विभिन्न स्तरों के लगभग 600 से अधिक अधिकारियों ने सम्मेलन में राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों से वर्चुअल तौर पर भाग लिया।