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इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए सरकार के कदम

वर्ष 2022 में संशोधित राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति-2018 में अन्य बातों के साथ-साथ पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से बदल कर इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2025-26 कर दिया गया है। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) ने जून 2022 में पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया है, जो ईएसवाई 2021-22 के दौरान लक्ष्य से पांच महीने पहले है। 28 फरवरी 2025 तक इथेनॉल का मिश्रण ईएसवाई 2022-23 में 12.06 प्रतिशत, ईएसवाई 2023-24 में 14.60 प्रतिशत और ईएसवाई 2024-25 में 17.98 प्रतिशत हो गया है। अभी तक सरकार द्वारा इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के लिए कोई निर्णय नहीं लिया गया है।

अंतर-मंत्रालयी समिति द्वारा तैयार भारत में इथेनॉल मिश्रण के लिए 2020-25 के रोडमैप के अनुसार, 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (ई20) का उपयोग करने से ई10 के लिए डिज़ाइन किए गए और ई20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों की ईंधन दक्षता में मामूली कमी आती है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (एसआईएएम) ने समिति को सूचित किया था कि इंजन हार्डवेयर और ट्यूनिंग में संशोधन के साथ, मिश्रित ईंधन के कारण दक्षता में होने वाली हानि को कम किया जा सकता है। समिति की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ई20 ईंधन के साथ वाहन के प्रदर्शन, इंजन के पुर्जों के खराब होने या इंजन ऑयल के खराब होने में कोई बड़ी समस्या नहीं देखी गई।

जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति द्वारा घोषित अधिशेष चरण के दौरान खाद्यान्नों के उपयोग की अनुमति देती है। यह नीति मकई, कसावा, सड़े हुए आलू, टूटे हुए चावल जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्न, मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त खाद्यान्न, मक्का, गन्ने का रस और गुड़, कृषि अवशेष (चावल का भूसा, कपास का डंठल, मकई के दाने, चूरा, खोई आदि) जैसे फीडस्टॉक के उपयोग को भी बढ़ावा देती है और प्रोत्साहित करती है। इथेनॉल उत्पादन के लिए अलग-अलग फीडस्टॉक के उपयोग की सीमा हर साल बदलती रहती है, जो उपलब्धता, लागत, आर्थिक व्यवहार्यता, बाजार की मांग और नीतिगत प्रोत्साहन जैसे कारकों से प्रभावित होती है। इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस, उसके उप-उत्पादों, मक्का आदि का कोई भी डायवर्जन संबंधित हितधारकों के परामर्श से सावधानीपूर्वक कैलिब्रेट किया जाता है।

इसके अलावा, सरकार ने 2014 से, ईबीपी कार्यक्रम के तहत किसानों और इथेनॉल उत्पादकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई उपाय किए हैं। इसमें इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का विस्तार करना, ईबीपी कार्यक्रम के तहत इथेनॉल की खरीद के लिए एक प्रशासित मूल्य तंत्र को लागू करना, ईबीपी कार्यक्रम के लिए इथेनॉल पर जीएसटी दर को घटाकर 5 प्रतिशत करना, इथेनॉल के अंतरराज्यीय और अंतरराज्यीय आंदोलन को सुविधाजनक बनाने के लिए उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम में संशोधन करना, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को सरल बनाना और पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 2030 से बदलकर इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ईएसवाई) 2025-26 कर दिया।

यह जानकारी पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री श्री सुरेश गोपी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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जे एन यू प्रोफ़ेसर विवेक कुमार को मिली विश्व रैंकिंग

> एडी साइंटिफिक इंडेक्स की वैश्विक सूची में प्रोफ़ेसर विवेक कुमार का नाम, देश विदेश के छात्रों ने ज़ाहिर की ख़ुशी  

> जेएनयू में नंबर 1, भारत में 11 और एशिया में 134 वीं रेंक हांसिल की है प्रोफ़ेसर विवेक कुमार ने  

> कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका सहित , जर्मनी, कनाडा, श्रीलंका, ब्रिटिश विश्वविद्यालय के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं विवेक कुमार 

भारतीय स्वरूप संवाददाता लखनऊ/नई दिल्ली। देश के शीर्ष जवाहर लाला नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली (जेएनयू) के विश्वविख्यात समाज शास्त्री व वैज्ञानिक प्रोफ़ेसर विवेक कुमार को वैश्विक स्तर की एडी साइंटिफिक इंडेक्स-2025 की रैंकिंग में शामिल किया गया है।  प्रोफ़ेसर विवेक कुमार ने अपने शोधपरक अध्यन और उत्कृष्ट अध्यापन के  बलबूते जेएनयू में नंबर 1 की रेंक हांसिल की है, इसी के साथ भारत के इंडेक्स में शामिल 247 विज्ञानियों में उन्हें 11 वीं  और एशिया में 1,792 समाज विज्ञानियों के बीच उन्हें 134 वीं रेंक प्राप्त हुई है। इसी कड़ी में दुनिया में समाज विज्ञानियों के बीच 3,081 वीं रैंक प्राप्त हुई है।  रैंकिंग के लिए पिछले 6 वर्षों के गूगल स्कॉलर के  समाज शास्त्र विज्ञानियों की तकनीकी डाटा के आधार पर यह रैंक तय की गई है। जिसमे प्रोफ़ेसर विवेक कुमार को रिकॉर्ड  820 साइटेशन प्राप्त हुए है। वैश्विक स्तर पर मिली रैंकिंग के लिए देश विदेश से उन्हें बधाई मिल रही है। 

कौन हैं जेएनयू प्रोफ़ेसर विवेक कुमार

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लालबाग लखनऊ निवासी प्रोफ़ेसर डॉक्टर विवेक कुमार दिल्ली की जेनयू में समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष हैं।  वर्ष 2001 में उन्होंने जेएनयू ज्वाइन किया था।  इससे पहले वर्ष 1996 में टाटा इंस्टीट्यूट और सोशल साइंसेज़ में बतौर सहक प्रोफ़ेसर अध्यापन सेवन दीं थीं।  प्रोफ़ेसर विवेक कुमार अमेरिका की शीर्ष यूनिवर्सिटी कोलंबिया विश्वविद्यालय के विज़िटिंग प्रोफ़ेसर हैं।  इसी के साथ कैलगिरी विश्वविद्यालय कनाडा, टोरेंटो विश्व विद्यालय, इम्वोल्ट विश्वविद्यालय जर्मनी, ब्रिटिश विश्वविद्यालय सहित श्रीलंका के विश्व विद्यालय में बतौर विजिटिंग प्रोफ़ेसर सैकड़ों छात्रों को अपने ज्ञान से लाभान्वित किया है।  

जहाँ पढ़े, वहीँ पर हेड और डिपार्टमेंट

प्रोफ़ेसर डॉक्टर विवेक कुमार ने ने जेएनयू से ही समाज शास्त्र की पढ़ाई की है और यहीं पर बतौर सहायक प्रोफ़ेसर पद से अध्यापन कर शुरूकर यहीं समाज शास्त्र विभाग के अध्यक्ष पद पर तैनात हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय की ख्याति को अपने शोधपरक ज्ञान से लगातार दृढ़ता से मजबूती दी है। प्रोफ़ेसर विवेक कुमार के मार्गदर्शन में 106 विद्यार्थियों ने शोध अध्यन किया है वहीँ 58 ने शोध में डॉक्टरेट के उपाधि प्राप्त की है।  प्रोफ़ेसर विवेक कुमार कहते हैं कि मुझे साझा करते हुए गर्व महसूस हो रहा है। मैं अपने छात्रों, सहकर्मियों, और समाज को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूँ। मैं अपने शोधकर्ताओं जिन्होंने ने मुझे अपने कार्यों में उद्धृत किया उनका भी आभारी हूँ।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का कार्यान्वयन

सरकार ने 2021-22 से 2025-26 तक की अवधि के लिए 69,515.71 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ 2025-26 तक प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस) को जारी रखने की अनुमति दे दी है।

देश में खरीफ 2016 सीजन से शुरू की गई पीएमएफबीवाई सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए उपलब्ध है। यह राज्यों के साथ-साथ किसानों के लिए भी स्वैच्छिक है। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी जोखिम धारणा और वित्तीय विचारों आदि को ध्यान में रखते हुए इस योजना के तहत सदस्यता लेने के लिए स्वतंत्र हैं। इस योजना की शुरुआत से अब तक 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने एक या अधिक मौसमों में इस योजना को लागू किया है। वर्तमान में 23 राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश इस योजना का कार्यान्वयन कर रहे हैं।

बीमा मॉडल का चयन, पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से बीमा कंपनियों का चयन, किसानों का नामांकन, स्वीकार्य दावों की गणना के लिए फसल उपज/फसल हानि का आकलन जैसे सभी प्रमुख कार्य संबंधित राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधिकारियों और संबंधित बीमा कंपनी की संयुक्त समिति द्वारा किए जा रहे हैं। इस योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक हितधारक की भूमिका और जिम्मेदारियां योजना के परिचालन दिशानिर्देशों में परिभाषित की गई हैं।

बीमा कंपनियों द्वारा योजना के परिचालन दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित समयसीमा के भीतर अधिकांश दावों का निपटारा किया जाता है। हालांकि, पीएमएफबीवाई के कार्यान्वयन के दौरान, बीमा कंपनियों के खिलाफ दावों का भुगतान न करने और/या देरी से भुगतान करने, बैंकों द्वारा बीमा प्रस्तावों को गलत/देरी से प्रस्तुत करने के कारण दावों का कम भुगतान करने, उपज के आंकड़ों में विसंगति और इसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच विवाद, राज्य सरकार के हिस्से की धनराशि प्रदान करने में देरी, बीमा कंपनियों द्वारा पर्याप्त कर्मियों की तैनाती न करने आदि के बारे में कुछ शिकायतें पहले प्राप्त हुई थीं, जिन्हें योजना के प्रावधानों के अनुसार उचित रूप से दूर किया गया।

चूंकि यह योजना राज्य सरकार द्वारा कार्यान्वित की जाती है, इसलिए बीमित किसानों के दावों से संबंधित शिकायतों सहित शिकायतों के समाधान के लिए, योजना के संशोधित परिचालन दिशा-निर्देशों में स्तरीकृत शिकायत निवारण तंत्र अर्थात जिला स्तरीय शिकायत निवारण समिति (डीजीआरसी), राज्य स्तरीय शिकायत निवारण समिति (एसजीआरसी) का प्रावधान किया गया है। इन समितियों को परिचालन दिशा-निर्देशों में उल्लिखित विस्तृत अधिदेश दिए गए हैं, ताकि शिकायतों की सुनवाई की जा सके और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उनका निपटान किया जा सके।

शिकायत निवारण तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए, कृषि रक्षक पोर्टल और हेल्पलाइन (केआरपीएच) विकसित की गई है। अखिल भारतीय टोल फ्री नंबर 14447 शुरु किया गया है और इसे बीमा कंपनियों के डेटाबेस से जोड़ा गया है, जहाँ किसान अपनी शिकायतें/मुद्दे उठा सकते हैं। इन शिकायतों/मुद्दों के समाधान के लिए समयसीमा भी तय की गई है।

विभाग सभी हितधारकों के साथ साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस, व्यक्तिगत बैठक तथा राष्ट्रीय समीक्षा सम्मेलनों के माध्यम से दावों के समय पर निपटान सहित बीमा कंपनियों के कामकाज की नियमित निगरानी कर रहा है।

प्राप्त अनुभव, विभिन्न हितधारकों के विचारों के आधार पर तथा बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही, किसानों के दावों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और योजना को अधिक किसान हितैषी बनाने के उद्देश्य से, सरकार ने समय-समय पर पीएमएफबीवाई के परिचालन दिशा-निर्देशों को व्यापक रूप से संशोधित किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना के तहत पात्र लाभ समय पर और पारदर्शी तरीके से किसानों तक पहुंचे।

यह जानकारी आज लोकसभा में लिखित उत्तर में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने दी।

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अमरीकी टैरिफ का प्रभाव

अमरीकी ने 12 मार्च 2025 से सर्वाधिक पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के आधार पर इस्‍पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। भारत सरकार पारस्परिक रूप से लाभकारी और निष्पक्ष तरीके से द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने और व्यापक बनाने के लिए अमरीकी सरकार के साथ बातचीत जारी रखे हुए है।

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और सरकार देश में इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुगमताप्रदानकर्ता के रूप में कार्य करती है। व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) घरेलू उद्योग द्वारा दायर विधिवत प्रमाणित आवेदन के आधार पर कस्‍टमज़ टैरिफ अधिनियम, 1975 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत डंपिंग रोधी जांच करता है, जिसमें देश में माल की डंपिंग के कारण घरेलू उद्योग को नुकसान होने का आरोप लगाया जाता है। डंपिंग रोधी उपायों का मूल उद्देश्य डंपिंग के अनुचित व्यापार व्यवहार से घरेलू उद्योग को होने वाली क्षति को खत्म करना और घरेलू उद्योग के लिए समान अवसर उपलब्ध कराना है।

भारत में अन्य देशों से इस्पात की बढ़ती डंपिंग से संबंधित चिंताओं को संबोधित करने के लिए, कुछ इस्पात उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और आयरन लोहे के हॉलो प्रोफाइलज़, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु इस्पात (कच्चा लोहा और स्टेनलेस स्टील के अलावा) (चीन से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड इस्‍पात (कोरिया आरपी, जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित डंपिंग रोधी ड्यूटी संबंधी उपाय (एडीडी) वर्तमान में लागू हैं।

सरकार ने घरेलू इस्पात निर्माताओं की सुरक्षा और भारत के इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

i. चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के लिए प्रतिसंतुलक शुल्‍क (सीवीडी) लागू है।

ii. केंद्रीय बजट 2024-25 में, घरेलू विनिर्माताओं को समर्थन देने और घरेलू इस्पात विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए निम्नलिखित उपाय किए गए:-

a. फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रों पर मूल कस्‍टमज़ ड्यूटी (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।

b. फेरस स्क्रैप पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।

c. कोल्ड रोल्ड ग्रेन ओरिएंटेड (सीआरजीओ) इस्‍पात के निर्माण के लिए निर्दिष्ट कच्चे माल पर छूट 31.3.2026 तक जारी रखी गई है। इसके अतिरिक्‍त, टैरिफ मद 7226 11.00 के अंतर्गत आने वाले सीआरजीओ इस्‍पात के निर्माण के लिए ऐसे निर्दिष्ट कच्चे माल पर भी छूट बढ़ा दी गई है।

iii. सरकारी खरीद के लिए ‘मेड इन इंडिया’ इस्‍पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआई एंड एसपी) नीति।

iv. देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 24 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण शामिल है।

v. इस्‍पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरूआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्‍पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि संबंधित उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्‍पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इस आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप केवल गुणवत्ता वाले इस्‍पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तारीख तक, कार्बन इस्‍पात, मिश्र धातु इस्‍पात और स्टेनलेस स्टील को शामिल करते हुए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत 151 भारतीय मानक अधिसूचित हैं।

सरकार एमएसएमई के संवर्धन और विकास के लिए विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम कार्यान्वित कर रही है, जिनमें सूक्ष्म और लघु उद्यम – परिवर्तन के लिए हरित निवेश और वित्तपोषण योजना (एमएसई-जीआईएफटी योजना), परिपत्र अर्थव्यवस्था में संवर्धन और निवेश के लिए सूक्ष्म और लघु उद्यम योजना (एमएसई-एसपीआईसीई योजना), एमएसएमई चैंपियंस योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी), एमएसएमई समाधान, सूक्ष्म और लघु उद्यम – क्लस्टर विकास कार्यक्रम (एमएसई-सीडीपी) आदि शामिल हैं।

इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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सरकार ने इस्पात आयात आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू इस्पात निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए कदम उठाए

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। और इस्पात की कीमतें बाजार की शक्तियों की मांग-आपूर्ति गतिशीलता द्वारा निर्धारित होती हैं। सरकार देश में छोटे और मध्यम उत्पादकों सहित इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर एक सुविधाकर्ता के रूप में कार्य करती है। सरकार ने इस्पात आयात में कमी लाने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए घरेलू इस्पात निर्माताओं की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:-

(i) देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का शुभारंभ।

(ii) इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों की शुरुआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता को गुणवत्तापूर्ण इस्पात मिल सके।

(iii) कुछ स्टील उत्पादों जैसे कि सीमलेस ट्यूब, पाइप और लोहे, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातु स्टील (कास्ट आयरन और स्टेनलेस स्टील के अलावा) (चीन पीआर से), इलेक्ट्रो-गैल्वेनाइज्ड स्टील (कोरिया आरपी, जापान, सिंगापुर से), स्टेनलेस-स्टील सीमलेस ट्यूब और पाइप (चीन पीआर से), वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब (वियतनाम और थाईलैंड से) से संबंधित एंटी डंपिंग ड्यूटी (एडीडी) उपाय वर्तमान में लागू हैं।

(iv) चीन और वियतनाम से वेल्डेड स्टेनलेस स्टील पाइप और ट्यूब के लिए काउंटरवेलिंग ड्यूटी (सीवीडी) लागू है।

(v) फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रता पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं।

इस्पात और भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने मंगलवार को लोकसभा में यह जानकारी दी।

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कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के अंतर्गत लाभ

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) आकस्मिकताओं की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करते हुए व्यापक लाभ प्रदान करती है, जो सदस्यों और उनके परिवारों की वृद्धावस्था के दौरान सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करती है। ईपीएस के तहत उपलब्ध पेंशन और निकासी लाभों की विभिन्न श्रेणियां इस प्रकार हैं:
  • 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति पर सदस्य पेंशन।
  • 50 वर्ष की आयु से प्रारंभिक सदस्य पेंशन।
  • सेवा के दौरान स्थायी एवं पूर्ण विकलांगता पर विकलांगता पेंशन।
  • सदस्य या पेंशनभोगी की मृत्यु पर विधवा/विधुर पेंशन।
  • सदस्य की मृत्यु पर 25 वर्ष की आयु तक एक समय में 2 बच्चों के लिए बाल पेंशन।
  • यदि परिवार में कोई जीवनसाथी न हो या जीवनसाथी की मृत्यु हो जाए तो सदस्य की मृत्यु पर 25 वर्ष की आयु तक एक बार में 2 अनाथ बच्चों को अनाथ पेंशन दी जाएगी।
  • विकलांग बच्चे/अनाथ के सम्पूर्ण जीवन के लिए विकलांग बच्चा/अनाथ पेंशन।
  • सदस्य की मृत्यु पर नामित व्यक्ति को पेंशन दी जाएगी तथा ईपीएस, 1995 के तहत यदि कोई परिवार नहीं है तो सदस्य द्वारा विधिवत् नामित व्यक्ति को आजीवन भुगतान किया जाएगा।
  • सदस्य की मृत्यु पर आश्रित पिता/माता को पेंशन, बशर्ते सदस्य का कोई परिवार या नामित व्यक्ति न हो।
  • सेवा से बाहर निकलने या सेवानिवृत्ति पर निकासी लाभ, बशर्ते सदस्य ने पेंशन के लिए पात्र सेवा प्रदान न की हो।

कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस-95) के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने वाले कुल पेंशनभोगियों की वर्षवार संख्या का विवरण नीचे दिया गया है:

वर्ष ईपीएस-95 के अंतर्गत कुल पेंशनभोगी
2019-20 6682717
2020-21 6919823
2021-22 7273898
2022-23 7558913
2023-24 7849338

 

यह जानकारी केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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होली पर खुशियों का उपहार, डबल इंजन की सरकार

*होली पर खुशियों का उपहार, डबल इंजन की सरकार*

*होली और दीपावली पर निःशुल्क सिलेण्डर रिफिल की सुविधा।*

*जनपद कानपुर नगर में उज्ज्वला योजना के लाभार्थी 1,90,356*

*जनपद में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को कुल 15,57,11,208 करोड़ की सिलेंडर रिफिल सब्सिडी दी गई है*

मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश द्वारा आज दिनांक 12.03.2025 को प्रातः 10:00 बजे से लोकभवन, लखनऊ में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क गैस सिलेण्डर रिफिल सब्सिडी के वितरण कार्यक्रम का सजीव प्रसारण सरसैया घाट नवीन सभागार में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में जनपद के उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
उक्त कार्यक्रम में मा० मंत्री, उच्च शिक्षा, विभाग, उत्तर प्रदेश/प्रभारी मंत्री कानपुर नगर ( योगेन्द्र उपाध्याय जी) द्वारा प्रतिभाग किया गया। मंत्री द्वारा जनपद के 10 प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को निःशुल्क गैस सिलेण्डर रिफिल की सब्सिडी का प्रतीकात्मक चेक वितरण किया गया।

कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य स्वप्निल वरुण, बिल्हौर विधायक राहुल बच्चा,
पूर्व विधायक रघुनंदन भदौरिया,जिला अध्यक्ष,उत्तर दीपू पांडे,जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह, मुख्य विकास अधिकारी दीक्षा जैन, अपर जिलाधिकारी आपूर्ति, जिला आपूर्ति अधिकारी आदि उपस्थित रहे।

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सीतापुर में पत्रकार की हत्या निन्दनीय: श्याम सिंह ‘पंवार’

सीतापुर में पत्रकार की हत्या निन्दनीय: श्याम सिंह ‘पंवार’
-सीतापुर में पत्रकार की हत्या करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा मिलेः श्याम सिंह ‘पंवार’
भारतीय स्वरूप  कानपुर। एसोसियेशन ऑफ स्माल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इण्डिया के उप्र राज्य इकाई के अध्यक्ष, भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य रहे श्याम सिंह पंवार ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में दैनिक जागरण समाचारपत्र के महोली तहसील के संवाददाता राघवेन्द्र बाजपेई की 08 मार्च 2025 को लखनऊ-बरेली हाई-वे पर हेमपुर ओवरब्रिज के पास अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या किए जाने के मामले में भारतीय प्रेस परिषद के माननीय अध्यक्ष को शिकायती पत्र भेजा है।
पत्र के माध्यम से पंवार ने बताया कि यह घटना न केवल एक पत्रकार की जान का नुकसान है, बल्कि यह प्रेस की स्वतंत्रता के लिए भी गंभीर खतरे की ओर इशारा करती है।
उन्होंने कहा कि जब पत्रकार सत्य को उजागर करने और समाज में जागरूकता फैलाने के अपने कर्तव्य को निभाते हैं, तो अगर उन्हें धमकियां मिलती हैं और उनकी जान तक चली जाती है, तो यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत ही है।
पत्रकारिता का उद्देश्य समाज में सत्य की खोज और जागरूकता फैलाना है, और यदि भ्रष्टाचार के मामलों को उजागर करने पर पत्रकारों को अपनी जान गंवानी पड़े, तो यह लोकतंत्र के लिए गम्भीर चिन्ता का विषय बन जाता है। ऐसे कृत्य की जितनी निन्दा की जाये कम ही है। पंवार ने भारतीय प्रेस परिषद् के माननीय अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वे इस मामले को गम्भीरता से लें और उचित जाँच की प्रक्रिया शुरू करें और पूरे मामले की जमीनी हकीकत पता करवायें। इसके साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार की योगी सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने का आग्रह किया है।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय प्रेस परिषद को इस अपराध के आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हेतु उप्र सरकार को निर्देश जारी चाहिए और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए प्रभावी उपायों की सिफारिश करनी चाहिए।

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केमिकल सोसाइटी ने विशिष्ट कार्यक्रम “जैव उर्वरक” का आयोजन किया

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर की केमिकल सोसाइटी ने 12 मार्च को एक विशिष्ट कार्यक्रम “जैव उर्वरक” का आयोजन किया। कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों के बीच जैव उर्वरक की जानकारी प्रदान करते हुए कृषि संबंधी समस्याओं व उनके उन्मूलन की जानकारी प्रदान करना था।

कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन व प्रार्थना के साथ हुई । प्रार्थना अंग्रेजी विभाग के संकाय सदस्य जोशुआ लॉरेंस द्वारा की गई ।

मुख्य अतिथि का स्वागत मोमेंटो प्रदान कर तथा शॉल पहना कर किया गया।

समारोह मे केमिकल सोसाइटी द्वारा आयोजित एक पोस्टर प्रतियोगिता के विजेताओं सम्मानित किया गया। प्रतियोगिता बी एससी एवं एम एससी के सभी छात्रों के लिए खुली थी जिसमें उन्होंने बढ़ चढ़ के प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम के विषय की जानकारी रासायनिक विभाग की ज्योत्सना लाल ने दी। जिसके पश्चात जैव उर्वरक की जानकारी पर एक शॉर्ट फिल्म दिखाई गई।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए अंजलि सचान ने जैव उर्वरक पर पावरप्वाइंट प्रस्तुति दी। जिसमें विभिन्न प्रकार के जैव उर्वरक की जानकारी निहित थी। कार्यक्रम का संयोजन रसायन विभाग की प्रमुख अनिंदिता भट्टाचार्य द्वारा किया गया ।

मुख्य वक्ता राज कुमार श्रीवास्तव , शिव शक्ति एग्रो लि. के महाप्रबंधक ने छात्रों को कृषि उद्योग सम्बन्धी जानकारी प्रदान की तथा बताया कि छात्र छात्राएं कृषि उद्योग में भी अपना भविष्य बना सकते है । कार्यक्रम का संचालन ऐश्वर्या सिंह ने किया। अवनीश, सुभाष, शिव, महमूद , अरीबा, प्राची आदि छात्रों का विशेष योगदान रहा।

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“महिला एकता ही महिला सशक्तिकरण”

भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर एस.एन.सेन बी.वी.पी.जी.कॉलेज कानपुर में शिक्षाशास्त्र विभाग के द्वारा दिनाँक 08-03-2025 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘महिला सशक्तिकरण’ विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या प्रोफेसर सुमन, मुख्य वक्ता डॉ. नूतन वोहरा, तथा शिक्षाशास्त्र की विभागाध्यक्षा प्रो. चित्रा सिंह तोमर ने सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा माल्यार्पण के साथ किया। उपस्थित सभी शिक्षिकाओं ने सरस्वती माँ के चरणों में पुष्प अर्पित किए। अतिथि स्वागत परंपरा के उपरान्त, प्रो. चित्रा सिंह तोमर ने विषय प्रवर्तन करते हुए वैदिक काल से आधुनिक काल तक महिला सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा छात्राओं को प्रोत्साहित किया। प्राचार्या प्रो. सुमन ने महिलाओं को शक्ति स्त्रोत तथा सृष्टि का आधार कहा। उन्होंने सभी छात्राओं तथा शिक्षिकाओं को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दीं।

मुख्य वक्ता डॉ. नूतन वोहरा जी ने भारत में महिला सशक्तिकरण के नये आयामों पर बात की। उन्होंने बताया कि, महिला को एक लिंग विशेष की पहचान से अलग मानवमात्र माने जाने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकार और कर्तव्यों में सामंजस्य बढ़ाने की बात की। इस सन्दर्भ में उन्होंने भगवदगीता का उदाहरण दिया। उन्होंने महिलाओं में आत्मविश्वास, आत्मशक्ति एवं आत्मगौरव के विकास के लिए छात्राओं के साथ चर्चा भी की।

डाॅ. ऋचा सिंह ने मंच संचालन की महती भूमिका को सफलतापूर्वक वहन किया। डाॅ. अनामिका ने कार्यक्रम के आयोजन में सक्रिय योगदान दिया। प्राचार्या, शिक्षिकाओं तथा छात्राओं ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को पूर्ण उत्साह के साथ एक साथ मिलकर मनाया यही एकता महिला सशक्तिकरण की ओर उनके बढ़ते हुए कदम हैं। अंत मे प्राचार्या जी ने शिक्षा शास्त्र विभाग को सफल एवं सुन्दर आयोजन के लिए बधाई दी।

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