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भारत ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं ऐतिहासिक बैठक की मेजबानी की

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने धरोहर के संरक्षण के प्रति भारत की संकल्‍पबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत लंबे समय से विश्व धरोहर सम्मेलन के मूल्यों की वकालत करता रहा है। विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के सफल समापन पर आज यहां आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में उन्होंने कहा, “हमारी प्रतिबद्धता सीमाओं से परे है, जो पड़ोसी देशों के साथ हमारे विभिन्न संरक्षण और क्षमता निर्माण संबंधी कदमों के माध्यम से परिलक्षित होती है।”

भारत ने 21 से 31 जुलाई, 2024 तक पहली बार विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र की मेजबानी की। नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित यह महत्वपूर्ण कार्यक्रम 1977 में आरंभ हुए विश्व धरोहर सम्मेलन के साथ भारत की दीर्घकालिक सहभागिता की दिशा में एक उपलब्धि साबित हुआ है। चार कार्यकालों तक विश्व धरोहर समिति में भारत की सक्रिय भागीदारी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और क्षमता निर्माण के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित करती है।

विश्व धरोहर समिति की बैठक के 46वें सत्र का उद्घाटन प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 21 जुलाई 2024 को विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में किया। “विकास भी, विरासत भी” के अपने विजन के अनुरूप प्रधानमंत्री श्री मोदी ने उद्घाटन सत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर केंद्र को 1 मिलियन डॉलर के अनुदान की घोषणा की। यह योगदान क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और संरक्षण के प्रयासों में सहायता देगा, जिससे विशेष रूप से ग्‍लोबल साउथ के देशों को लाभ होगा।

केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने अपनी ब्रीफिंग में कहा, “बीते 10 वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छूए हैं, साथ ही ‘विरासत पर गर्व’ का संकल्प भी लिया है।” उन्होंने देश भर में चल रही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के आधुनिक परिसर के निर्माण जैसी कई धरोहर संरक्षण परियोजनाओं का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के प्रयासों से पिछले दशक में 13 विश्व धरोहर संपत्तियों को सफलतापूर्वक सूचीबद्ध किया गया है, जिससे भारत सबसे अधिक विश्व धरोहर स्थलों के संबंध में दुनिया में छठे स्थान पर आ गया है।

श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सत्र के परिणामों के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि विश्व धरोहर सम्मेलन के 46वें सत्र में 24 नए विश्व धरोहर स्थलों को सूचीबद्ध किया गया, जिनमें 19 सांस्कृतिक, 4 प्राकृतिक और 1 मिश्रित संपत्ति शामिल हैं। असम का मोईदाम्स भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल बन गयाजो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है क्योंकि यह असम का पहला ऐसा सांस्कृतिक स्थल है जिसे यह मान्यता मिली है। चराईदेव जिले में स्थितमोईदाम्स अहोम राजवंश के दफनाने वाले पवित्र टीले हैंजो छह शताब्दियों के सांस्कृतिक और स्थापत्य विकास को दर्शाते हैं।

मोईदाम्स के बारे में अधिक जानकारी:

1. चराईदेव मोईदाम: भारत का 43वां यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

2. मोईदाम्स – अहोम राजवंश की माउंड-दफन प्रणाली यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में भारत की 43 वीं प्रविष्टि के रूप में शामिल

केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने द्विपक्षीय बैठकों की चर्चा करते हुए बताया कि भारत और अमेरिका के बीच सांस्कृतिक संपत्ति समझौते पर हस्ताक्षर किए गएजिससे सांस्कृतिक संपत्ति में अवैध व्यापार से निपटने की प्रतिबद्धता को बल मिला। इसके अतिरिक्तभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने क्षमता निर्माण और मूर्त धरोहर पर शोध के लिए आईसीसीआरओएम के साथ समझौता किया। डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में युवा धरोहर पेशेवर मंच और साइट प्रबंधक मंच भी शामिल हुएजिससे धरोहर संरक्षण में वैश्विक विशेषज्ञता में वृद्धि हुई। इस बैठक के दौरान अन्य 33 कार्यक्रम आयोजित किए गए।

केंद्रीय मंत्री ने विश्व धरोहर समिति की 46वीं बैठक के दौरान लगाई गई महत्‍वपूर्ण प्रदर्शनी का विशेष उल्लेख किया, जिसमें 25 प्रत्यावर्तित ऐतिहासिक वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया, जो सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के प्रति भारत के समर्पण को दर्शाता है।

वैश्विक धरोहर के संरक्षण में भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए श्री शेखावत ने कंबोडिया के अंगकोर वात, वियतनाम के चाम मंदिरों और म्यांमार के बागान के स्तूपों में भारत के धरोहर संरक्षण प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नए शामिल किए गए मोईदाम सहित 43 विश्व धरोहर स्थलों की उल्लेखनीय सूची के साथ, धरोहर संरक्षण के संबंध में भारत वैश्विक स्‍तर पर अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि 56 संपत्तियों की विशाल संभावित सूची भारत के सांस्कृतिक स्पेक्ट्रम का व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है।

संस्कृति के वैश्विक महत्व को बढ़ाने में भारत के विशिष्ट योगदान पर बल देते हुए केंद्रीय मंत्री ने इस बात को रेखांकित किया कि जी-20 की भारत की अध्यक्षता के तहत, नेताओं के नई दिल्ली घोषणापत्र 2023 (एनडीएलडी) ने 2030 के बाद के विकास के प्रारूप में संस्कृति को एक स्वतंत्र लक्ष्य के रूप में समर्थन दिया, जो वैश्विक विकास रणनीति में व्‍यापक बदलाव को दर्शाता है। यह ऐतिहासिक निर्णय संस्कृति की परिवर्तनकारी क्षमता को दर्शाता है, आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है, हाशिए पर पड़े समुदायों को सशक्त बनाता है और असु‍रक्षित धरोहर की रक्षा करता है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि काशी संस्कृति पथ और एनडीएलडी 2023, संस्कृति लक्ष्य की अपनी आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ दुनिया का पहला और एकमात्र दस्तावेज है, जो वैश्विक संस्कृति क्षेत्र के विमर्श को दिशा देता है।

विश्व धरोहर समिति की बैठक का 46वां सत्र संरक्षण, अंतर्राष्ट्रीय सहायता तथा विभिन्न देशों और संगठनों के साथ द्विपक्षीय बैठकों पर व्यापक चर्चा के साथ संपन्न हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन ने भारत की समृद्ध धरोहर को प्रदर्शित किया और भविष्य में वैश्विक धरोहर के संरक्षण के प्रयासों के लिए मंच तैयार किया।

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री ने मीडिया को जानकारी दे रहे हैं:

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जून, 2024 के लिए आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (आधार: 2011-12=100)

जून, 2023 के सूचकांक की तुलना में जून, 2024 में आठ कोर उद्योगों (आईसीआई) का संयुक्त सूचकांक में 4.0 प्रतिशत (अनंतिम) की बढ़ोतरी दर्ज की गई.कोयला, बिजली, प्राकृतिक गैस, इस्पात, उर्वरक और सीमेंट के उत्पादन में जून 2024 में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। वार्षिक सूचकांक, मासिक सूचकांक और वृद्धि दर का I और II में उपलब्ध कराए गए हैं।

आईसीआई आठ प्रमुख उद्योगों जैसे सीमेंट, कोयला, कच्चा तेल, बिजली, उर्वरक, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद और इस्पात के उत्पादन के संयुक्त और विशिष्ट निष्पादन को मापता है। आठ प्रमुख उद्योगों में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में शामिल वस्तुओं का 40.27 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।

मार्च 2024 के लिए आठ कोर उद्योगों के सूचकांक की अंतिम वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत है। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान आईसीआई की संचयी वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 5.7 प्रतिशत (अनंतिम) रही थी।

आठ कोर उद्योगों के सूचकांक का सारांश नीचे दिया गया है:

सीमेंट – सीमेंट उत्पादन (भार: 5.37 प्रतिशत) जून, 2023 की तुलना में जून, 2024 में 1.9 प्रतिशत बढ़ा। इसके संचयी सूचकांक में अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कोयला – कोयला उत्पादन (भार: 10.33 प्रतिशत) जून, 2023 की तुलना में जून, 2024 में 14.8 प्रतिशत बढ़ा। इसके संचयी सूचकांक में अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कच्चा तेल – कच्चे तेल का उत्पादन (भार: 8.98 प्रतिशत) जून, 2024 में जून, 2023 की तुलना में 2.6 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल-जून, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.7 प्रतिशत कम हुआ।

बिजली – बिजली उत्पादन (भार: 19.85 प्रतिशत) जून, 2024 में जून, 2023 की तुलना में 7.7 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान इसके संचयी सूचकांक में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 10.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

उर्वरक – उर्वरक उत्पादन (भार: 2.63 प्रतिशत) जून, 2023 की तुलना में जून, 2024 में 2.4 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान इसका संचयी सूचकांक में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में स्थिर रहा।

प्राकृतिक गैस – जून, 2024 में प्राकृतिक गैस उत्पादन (भार: 6.88 प्रतिशत) जून, 2023 की तुलना में 3.3 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान इसके संचयी सूचकांक में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पाद – पेट्रोलियम रिफाइनरी उत्पादन (भार: 28.04 प्रतिशत) जून, 2023 की तुलना में जून, 2024 में 1.5 प्रतिशत कम हुआ। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान इसके संचयी सूचकांक में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

इस्पात – जून, 2023 की तुलना में जून, 2024 में इस्पात उत्पादन (भार: 17.92 प्रतिशत) 2.7 प्रतिशत बढ़ा। अप्रैल से जून, 2024-25 के दौरान इसके संचयी सूचकांक में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

नोट 1: अप्रैल2024मई2024 और जून2024 के लिए डेटा अनंतिम हैं। कोर इंडस्ट्रीज के सूचकांक संख्या स्रोत एजेंसियों से प्राप्त अद्यतन डेटा के अनुसार संशोधित/अंतिम रूप दिए गए हैं।

नोट 2: अप्रैल 2014 सेनवीकरणीय स्रोतों से बिजली उत्पादन के डेटा को भी शामिल किया गया है।

नोट 3: ऊपर दर्शाए गए उद्योग-वार भार आईआईपी से प्राप्त व्यक्तिगत उद्योग भार हैं और आईसीआई के संयुक्त भार के बराबर 100 के अनुपात में बढ़ाए गए हैं।

नोट 4: मार्च 2019 सेतैयार स्टील के उत्पादन में कोल्ड रोल्ड (सीआर) कॉइल्स‘ आइटम के तहत हॉट रोल्ड पिकल्ड एंड ऑयल्ड (एचआरपीओ) नामक एक नया स्टील उत्पाद भी शामिल किया गया है।

नोट 5: जुलाई2024 का सूचकांक शुक्रवार 30 अगस्त2024 को जारी किया जाएगा।

Annex I

आठ प्रमुख उद्योगों का निष्पादन

वार्षिक सूचकांक एवं वृद्धि दर

आधार वर्ष 2011-12=100

सूचकांक

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट विद्युत समग्र सूचकांक
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 103.2 99.4 85.6 107.2 96.7 107.9 107.5 104.0 103.8
2013-14 104.2 99.2 74.5 108.6 98.1 115.8 111.5 110.3 106.5
2014-15 112.6 98.4 70.5 108.8 99.4 121.7 118.1 126.6 111.7
2015-16 118.0 97.0 67.2 114.1 106.4 120.2 123.5 133.8 115.1
2016-17 121.8 94.5 66.5 119.7 106.6 133.1 122.0 141.6 120.5
2017-18 124.9 93.7 68.4 125.2 106.6 140.5 129.7 149.2 125.7
2018-19 134.1 89.8 69.0 129.1 107.0 147.7 147.0 156.9 131.2
2019-20 133.6 84.5 65.1 129.4 109.8 152.6 145.7 158.4 131.6
2020-21 131.1 80.1 59.8 114.9 111.6 139.4 130.0 157.6 123.2
2021-22 142.3 77.9 71.3 125.1 112.4 163.0 156.9 170.1 136.1
2022-23 163.5 76.6 72.4 131.2 125.1 178.1 170.6 185.2 146.7
2023-24 182.7 77.1 76.8 135.9 129.8 200.4 185.7 198.3 157.8
अप्रैल-जून 2023-24 163.7 76.7 71.8 136.7 129.2 191.9 192.9 199.7 154.8
अप्रैल-जून 2024-25* 181.5 76.2 76.4 137.9 129.2 203.5 193.5 220.8 163.6

*अनंतिम

 

वृद्धि दर (प्रतिशत में वर्ष दर वर्ष आधार पर)

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट विद्युत समग्र Growth
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
2012-13 3.2 -0.6 -14.4 7.2 -3.3 7.9 7.5 4.0 3.8
2013-14 1.0 -0.2 -12.9 1.4 1.5 7.3 3.7 6.1 2.6
2014-15 8.0 -0.9 -5.3 0.2 1.3 5.1 5.9 14.8 4.9
2015-16 4.8 -1.4 -4.7 4.9 7.0 -1.3 4.6 5.7 3.0
2016-17 3.2 -2.5 -1.0 4.9 0.2 10.7 -1.2 5.8 4.8
2017-18 2.6 -0.9 2.9 4.6 0.03 5.6 6.3 5.3 4.3
2018-19 7.4 -4.1 0.8 3.1 0.3 5.1 13.3 5.2 4.4
2019-20 -0.4 -5.9 -5.6 0.2 2.7 3.4 -0.9 0.9 0.4
2020-21 -1.9 -5.2 -8.2 -11.2 1.7 -8.7 -10.8 -0.5 -6.4
2021-22 8.5 -2.6 19.2 8.9 0.7 16.9 20.8 8.0 10.4
2022-23 14.8 -1.7 1.6 4.8 11.3 9.3 8.7 8.9 7.8
2023-24 11.8 0.6 6.1 3.6 3.7 12.5 8.9 7.1 7.6
अप्रैल-जून 2023-24 8.7 -2.0 0.1 1.9 11.2 16.5 12.7 1.3 6.0
अप्रैल-जून 2024-25* 10.8 -0.7 6.4 0.9 0.0 6.1 0.3 10.5 5.7

*अनंतिम.

*अनंतिम, वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में की जाती है।

आठ प्रमुख उद्योगों का निष्पादन

मासिक सूचकांक और वृद्धि दर

आधार वर्ष 2011-12=100

सूचकांक

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट विद्युत समग्र सूचकांक
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
जून-23 162.4 76.4 73.4 136.2 130.8 191.9 195.0 205.2 155.9
जुलाई-23 152.6 78.9 79.0 134.4 131.8 191.7 166.1 204.0 153.2
अगस्त-23 150.3 78.4 80.3 135.4 133.3 198.4 182.0 220.5 158.6
सितबंर-23 147.9 74.9 76.8 126.8 132.3 198.4 166.2 205.9 151.7
अक्टूबर-23 172.6 78.4 80.3 128.8 136.4 201.4 181.5 203.8 156.4
नवंबर-23 185.7 75.5 77.2 134.5 133.5 192.6 156.5 176.3 150.4
दिसंबर-23 204.3 77.4 79.5 145.0 137.5 206.7 191.9 181.6 161.2
जनवरी-24 219.6 78.8 79.3 135.9 135.0 217.8 192.2 197.2 165.4
फरवरी-24 212.1 73.5 74.5 132.5 113.3 202.9 194.3 187.2 157.7
मार्च-24 256.0 78.9 79.3 147.0 116.6 219.8 219.4 204.2 175.0
अप्रैल-24* 173.3 76.3 74.8 137.9 117.8 208.0 191.1 212.0 161.3
मई-24* 184.7 77.9 78.7 141.8 135.9 205.5 190.6 229.3 167.4
जून-24* 186.4 74.4 75.8 134.1 134.0 197.1 198.7 221.0 162.1

*अनंतिम

वृद्धि दर (प्रतिशत में वर्ष दर वर्ष आधार पर)

क्षेत्र कोयला कच्चा तेल प्राकृतिक गैस रिफाइनरी उत्पाद उर्वरक इस्पात सीमेंट विद्युत समग्र Growth
भारांक 10.33 8.98 6.88 28.04 2.63 17.92 5.37 19.85 100.00
जून-23 9.8 -0.6 3.5 4.6 3.4 21.3 9.9 4.2 8.4
जुलाई-23 14.9 2.1 8.9 3.6 3.3 14.9 6.9 8.0 8.5
अगस्त-23 17.9 2.1 9.9 9.5 1.8 16.3 19.7 15.3 13.4
सितबंर-23 16.0 -0.4 6.6 5.5 4.2 14.8 4.7 9.9 9.4
अक्टूबर-23 18.4 1.3 9.9 4.2 5.3 13.6 17.0 20.3 12.7
नवंबर-23 10.9 -0.4 7.6 12.4 3.4 9.8 -4.8 5.7 7.9
दिसंबर-23 10.8 -1.0 6.6 4.0 5.8 8.3 3.8 1.2 5.0
जनवरी-24 10.6 0.7 5.5 -4.3 -0.6 9.2 4.0 5.7 4.1
फरवरी-24 11.6 7.9 11.3 2.6 -9.5 9.4 7.8 7.6 7.1
मार्च-24 8.7 2.1 6.3 1.6 -1.3 7.5 10.6 8.6 6.3
अप्रैल-24* 7.5 1.7 8.6 3.9 -0.8 8.8 -0.5 10.2 6.7
मई-24* 10.2 -1.1 7.5 0.5 -1.7 6.8 -0.6 13.7 6.4
जून-24* 14.8 -2.6 3.3 -1.5 2.4 2.7 1.9 7.7 4.0

*अनंतिम.

*अनंतिम, वर्ष दर वर्ष की गणना पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में की जाती है

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सरकार प्रधानमंत्री पैकेज के हिस्से के रूप में ‘रोजगार से संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए तीन योजनाएं लागू करेगी

प्रधानमंत्री पैकेज के तहत सरकार ‘रोजगार से संबद्ध प्रोत्साहन’ के लिए तीन योजनाएं लागू करेगी। ये ईपीएफओ में नामांकन पर आधारित होंगी और पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों की पहचान तथा कर्मचारियों एवं नियोक्ताओं को सहायता देने पर ध्यान केंद्रित करेंगी। इसकी घोषणा केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में केंद्रीय बजट 2024-25 पेश करते हुए की। लागू की जाने वाली तीन योजनाएं निम्नानुसार हैं:

योजना कार्यबल में पहली बार शामिल होने वाले

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत सभी औपचारिक क्षेत्रों में नए कर्मचारियों को एक महीने का वेतन दिया जाएगा। ईपीएफओ में पंजीकृत पहली बार नौकरी करने वाले कर्मचारियों को 3 किस्तों में एक महीने का वेतन यानी 15,000 रुपये तक का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण किया जाएगा। पात्रता सीमा 1 लाख रुपये प्रति माह का वेतन होगी। उन्होंने कहा, “इस योजना से 210 लाख युवाओं को लाभ मिलने की उम्मीद है।”

योजना बी: विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना से विनिर्माण क्षेत्र में अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहन मिलेगा, जो पहली बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के रोजगार से जुड़ा होगा। रोजगार के पहले 4 वर्षों में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को उनके ईपीएफओ अंशदान के संबंध में सीधे निर्दिष्ट पैमाने पर प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा। श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस योजना से रोजगार में प्रवेश करने वाले 30 लाख युवाओं और उनके नियोक्ताओं को लाभ मिलने की उम्मीद है।

योजना सी: नियोक्ताओं को सहायता

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि नियोक्ता-केंद्रित इस योजना में सभी क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार शामिल होंगे। एक लाख रुपये प्रति माह वेतन के भीतर सभी अतिरिक्त रोजगार की गणना की जाएगी। सरकार प्रत्येक अतिरिक्त कर्मचारी के लिए ईपीएफओ अंशदान के लिए नियोक्ताओं को 2 साल तक 3,000 रुपये प्रति माह तक की प्रतिपूर्ति करेगी। उन्होंने कहा, “इस योजना से 50 लाख लोगों को अतिरिक्त रोजगार मिलने की उम्मीद है।

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संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द की और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित किया गया

संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा 18 जुलाई, 2024 को सिविल सेवा परीक्षा-2022 (सीएसई-2022) की अनंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवार सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया गया था। इस नोटिस में अपनी पहचान को गलत तरीके से पेश करके परीक्षा नियमों में निर्धारित प्रदत्त सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए उन्हें 25 जुलाई, 2024 तक एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत करना था। हालांकि, उन्होंने 04 अगस्त, 2024 तक का अतिरिक्त समय मांगा था, ताकि वह अपने जवाब के लिए आवश्यक दस्तावेज एकत्र कर सकें।

2. यूपीएससी ने सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए, उन्हें 30 जुलाई, 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया, ताकि वे एस.सी.एन. में अपना जवाब प्रस्तुत कर सकें। सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर को यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया गया कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और इससे आगे उन्हें कोई अतिरिक्त समय नहीं दिया जाएगा। उन्हें स्पष्ट शब्दों में यह भी बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा। उन्हें दिए गए अतिरिक्त समय के बावजूद, वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में विफल रहीं।

3. यूपीएससी ने उपलब्ध अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की है और उसे सीएसई-2022 नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी पाया। सीएसई-2022 के लिए उसकी अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है और उन्हें यूपीएससी की सभी आगामी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया गया है।

4. सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को देखते हुए, यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 यानि 15 वर्षों के सीएसई के 15,000 से अधिक अंतिम रूप से अनुशंसित उम्मीदवारों के उपलब्ध अभिलेखों की उनके द्वारा प्राप्त प्रयासों की संख्या के संबंध में गहन जांच की। इस विस्तृत जांच के बाद, सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के मामले को छोड़कर, किसी अन्य उम्मीदवार को सीएसई नियमों के तहत प्रदत्त संख्या से अधिक प्रयासों का लाभ उठाते हुए नहीं पाया गया है। सुश्री पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर के एकमात्र मामले में, यूपीएससी की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण उसके प्रयासों की संख्या का पता नहीं लगा सकी क्योंकि उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था। यूपीएससी एसओपी को और सशक्त करने की प्रक्रिया में है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसा मामला दोबारा ना आ सके।

5. जहां तक ​​झूठे प्रमाणपत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने की शिकायतों का सवाल है, यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह प्रमाण पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है, जैसे कि प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है या नहीं, प्रमाण पत्र किस वर्ष से संबंधित है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है या नहीं, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि। आम तौर पर, यदि प्रमाणपत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, तो उसे असली माना जाता है। यूपीएससी के पास हर साल उम्मीदवारों द्वारा जमा किए गए हजारों प्रमाणपत्रों की सत्यता की जांच करने का न तो अधिदेश है और न ही साधन। हालांकि, यह समझा जाता है कि प्रमाण पत्रों की सत्यता की जांच और सत्यापन का कार्य कार्य सौंपे गए अधिकारियों द्वारा किया गया है।

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भारत को आपूर्ति श्रृंखला परिषद का उपाध्यक्ष नियुक्‍त किया गया

भारत और 13 अन्य हिंद-प्रशांत आर्थिक ढांचा (आईपीईएफ) भागीदारों ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, आपूर्ति श्रृंखला लचीलेपन से संबंधित महत्वपूर्ण इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क फॉर प्रॉस्पेरिटी (आईपीईएफ) समझौते के तहत तीन आपूर्ति श्रृंखला निकायों की स्थापना की है। आपूर्ति श्रृंखला परिषद (एससीसी), संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क (सीआरएन) और श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड (एलआरएबी) की उद्घाटन वर्चुअल बैठकों के आयोजन से आपूर्ति श्रृंखला में लचीलेपन को सुदृढ़ करने के लिए भागीदार देशों के बीच सहयोग के क्षेत्र में एक महत्‍वपूर्ण कदम के साथ आगे बढ़े हैं।

इन आयोजित उद्घाटन बैठकों के माध्यम से, 14 आईपीईएफ भागीदारों ने महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं का लचीलापन, प्रतिस्पर्धा और श्रम अधिकारों को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि के लिए जोखिम पैदा करने वाले आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों से निपटने के लिए बेहतर तैयारी और प्रतिक्रियात्‍मक रूप से सहयोग की सुविधा के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं और सामूहिक संकल्प की पुष्टि की।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सर्वप्रथम आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन समझौते पर अन्य आईपीईएफ भागीदार देशों के मंत्रियों के साथ नवंबर 2023 में वाशिंगटन डीसी में हस्ताक्षर किए थे। इसका उद्देश्य आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला, मजबूत और अच्छी तरह से एकीकृत बनाना तथा समग्र रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास और प्रगति में योगदान देना है। इस समझौते की पुष्टि फरवरी 2024 में की गई थी और यह तभी से लागू है। इससे पूर्व भी श्री गोयल ने कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की वैश्विक उत्पादन क्षमताओं के बारे में बताया है, जो आईपीईएफ भागीदारों के लिए आपूर्ति विविधीकरण के अवसर प्रदान करते हैं।

इससे पूर्व, जून 2024 में सिंगापुर में आयोजित आईपीईएफ मंत्रिस्तरीय बैठक में वाणिज्य विभाग के सचिव सुनील बर्थवाल ने इस पर प्रकाश डाला कि भारत अपनी कौशलयुक्‍त जनशक्ति, प्राकृतिक संसाधनों और नीतिगत समर्थन के साथ वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक प्रमुख भागीदार बनने का लक्ष्य रखता है। सरकार की पहल समाधान और विविध एवं पूर्वानुमानित आपूर्ति श्रृंखलाओं में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करना है

आपूर्ति श्रृंखला समझौते के अनुसार, आईपीईएफ भागीदारों ने तीन आपूर्ति श्रृंखला निकायों की स्थापना की – एक आपूर्ति श्रृंखला परिषद, जो राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के लिए सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों और वस्तुओं के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए लक्ष्‍य प्राप्ति हेतु कार्रवाई-उन्मुख कार्य करेगी; एक संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क, जो सामूहिक आपातकालीन व्यवधानों के लिए प्रतिक्रिया स्वरूप एक मंच प्रदान करेगा; और एक श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड, जो क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों और कार्यबल विकास को बल प्रदान करने के लिए श्रमिकों, नियोक्ताओं और सरकारों को एक दिशा में लेकर आता है।

भारत ने एक लचीले आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क के महत्व और राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और आर्थिक कल्याण के दृष्टिकोण से इसके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर हितधारकों के साथ चल रहे परामर्श पर अपने विचार साझा किए। भारत ने कौशल विकास क्षेत्र में सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस बात पर जोर दिया गया कि हमारी अर्थव्यवस्थाओं में अंतराल की पहचान करना और सही कौशल सुनिश्चित करना प्राथमिकता होगी, जिसमें एक लचीले आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कार्यबल विकास और डिजिटलीकरण के लिए तकनीकी सहायता शामिल है।

बैठकों के दौरान, तीनों आपूर्ति श्रृंखला निकायों में से प्रत्येक ने एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया, जो दो वर्ष की अवधि के लिए कार्य करेंगे। निर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष हैं:

  • आपूर्ति श्रृंखला परिषद: अमेरिका (अध्यक्ष) और भारत (उपाध्यक्ष)
  • संकट प्रतिक्रिया नेटवर्क: कोरिया गणराज्य (अध्यक्ष) और जापान (उपाध्यक्ष)
  • श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड: संयुक्त राज्य अमेरिका (अध्यक्ष) और फिजी (उपाध्यक्ष)

सप्लाई चेन काउंसिल ने संदर्भ की शर्तें अपनाईं और आरंभिक कार्य प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिन पर सप्लाई चेन समिट के दौरान सितंबर 2024 में वाशिंगटन, डीसी में होने वाली अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक में आगे चर्चा की जाएगी। क्राइसिस रिस्पॉन्स नेटवर्क ने निकट और दीर्घकालिक प्राथमिकताओं पर चर्चा की, जिसमें टेबल टॉप अभ्यास आयोजित करना शामिल है, और सप्लाई चेन समिट के साथ-साथ अपनी पहली व्यक्तिगत बैठक की योजना बनाई। श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड ने आईपीईएफ आपूर्ति श्रृंखलाओं में श्रम अधिकारों को मजबूत करने की प्राथमिकताओं पर चर्चा की। यह आयोजन न केवल श्रम अधिकार सलाहकार बोर्ड के कार्य को आगे बढ़ाएगा, बल्कि आईपीईएफ स्वच्छ अर्थव्यवस्था समझौते और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था समझौते में श्रम प्रावधानों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

आईपीईएफ साझेदारों ने आपूर्ति श्रृंखला शिखर सम्मेलन के अवसर पर सितंबर 2024 में वाशिंगटन डीसी में होने वाली आगामी व्यक्तिगत बैठक के महत्व को भी रेखांकित किया।

आईपीईएफ के बारे में: आईपीईएफ की शुरुआत 23 मई 2022 को टोक्यो, जापान में की गई थी, जिसमें यह 14 देश, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, भारत, इंडोनेशिया, जापान, कोरिया गणराज्य, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और अमेरिका शामिल हैं। आईपीईएफ का उद्देश्य क्षेत्र में विकास, आर्थिक स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने के लक्ष्य के साथ भागीदार देशों के बीच आर्थिक जुड़ाव और सहयोग को मजबूत करना है। यह ढांचा व्यापार (स्तंभ I); आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन (स्तंभ II); स्वच्छ अर्थव्यवस्था (स्तंभ III); और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था (स्तंभ IV) से संबंधित चार स्तंभों के आसपास संरचित है। भारत आईपीईएफ के स्तंभ II से IV में शामिल हो गया है, जबकि इसने स्तंभ- I में पर्यवेक्षक की भूमिका का निर्वाहन किया है।

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उद्यमिता एवं कौशल विकास कार्यक्रम के लिए बजट का आवंटन

भारत सरकार के स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) के तहत कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) देश भर में समाज के सभी वर्गों को औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केंद्रों/संस्थानों आदि के व्यापक नेटवर्क से  स्किल, री-स्किलिंग और अप-स्किलिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है।

पिछले पांच वर्षों के दौरान 2023-24 तक कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) की विभिन्न योजनाओं के तहत किए गए व्यय का विवरण इस प्रकार है :

 

राशि करोड़ रुपये में

योजना का नाम 2019-20 2020-21 2021-22 2022-23 2023-24
पीएमकेवीवाई 1613.26 1514.76 1043.21 233.26 502.00
जेएसएस 111.98 107.68 137.64 154.66 154.38
एनएपीएस 47.60 107.64 241.60 335.42 632.82

 

आईटीआई के संबंध में रोजाना के कामकाज के साथ-साथ वित्तीय नियंत्रण संबंधित राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन के पास है।

 

समय-समय पर कौशल अंतर अध्ययन आयोजित किए जाते हैं, जो आवश्यक कौशल और विभिन्न क्षेत्रों में कौशल अंतर के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। उद्योग की जरूरतों के अनुसार कार्यबल को तैयार करने के उद्देश्य इस तरह के अध्ययन किए जाते हैं। इसके अलावा जमीनी स्तर पर विकेंद्रीकृत योजना और कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए जिला कौशल समितियों (डीएससी) को जिला कौशल विकास योजनाएं (डीएसडीपी) तैयार करने का अधिकार दिया गया है। डीएसडीपी जिले में रोजगार के अवसरों के साथ-साथ कौशल की संबंधित मांग वाले क्षेत्रों की पहचान करते हैं और कौशल प्रशिक्षण के लिए उपलब्ध सुविधाओं का खाका या ढांचा तैयार करते हैं। सरकार के कौशल विकास कार्यक्रमों को विभिन्न क्षेत्रों में पहचाने गए कौशल अंतर को पाटने के लिए तैयार और कार्यान्वित किया जाता है।

भविष्य के कार्यबल के लिए कौशल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए योग्यता की गुणवत्ता में सुधार और उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए अर्थव्यवस्था व प्रौद्योगिकी में बदलाव के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रमों को संरेखित करने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं :

प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बाजार की जरूरतों के अनुरूप बनाने और प्रशिक्षुओं की रोजगार क्षमता में सुधार के लिए निम्नलिखित विशिष्ट कदम उठाए गए हैं:

  1. एमएसडीई की योजनाओं के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए उद्योगों के सहयोग से विकसित किया जाता है। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा संबंधित क्षेत्रों में उद्योग के दिग्गजों के नेतृत्व में 36 क्षेत्र कौशल परिषदों (एसएससी) की स्थापना की गई है, जो संबंधित क्षेत्रों की कौशल विकास आवश्यकताओं की पहचान करने के साथ-साथ कौशल योग्यता मानकों को निर्धारित करने के लिए अनिवार्य हैं।
  2. पीएमकेवीवाई 4.0 के तहत उद्योग 4.0 की आवश्यकता को पूरा करने वाले भविष्य के लिए तैयार रोजगार की भूमिका, ड्रोन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) रोबोटिक्स, मेकाट्रॉनिक्स आदि जैसे उभरते क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है। सीटीएस के तहत भी उभरती प्रौद्योगिकियों में नौकरी की भूमिकाओं की मांग को पूरा करने के लिए नए युग के पाठ्यक्रम विकसित किए गए हैं।
  3. राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) को तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमों और मानकों की स्थापना करने वाले एक व्यापक नियामक के रूप में स्थापित किया गया है।
  4. एनसीवीईटी द्वारा मान्यता प्राप्त पुरस्कार देने वाले निकायों से उम्मीद की जाती है कि वे उद्योग की मांग के अनुसार योग्यता विकसित करेंगे और श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के व्यवसाय के राष्ट्रीय वर्गीकरण 2015 के अनुसार पहचाने गए व्यवसायों के साथ उनका खाका तैयार करेंगे और उद्योग मान्यता प्राप्त करेंगे।
  5. प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) फ्लेक्सी एमओयू योजना और प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली (डीएसटी) लागू कर रहा है। इन पहल का उद्देश्य आईटीआई छात्रों को औद्योगिक वातावरण में प्रशिक्षण प्रदान करना है।
  6. राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) से जुड़े पाठ्यक्रमों में ऑन जॉब ट्रेनिंग (ओजेटी) और रोजगार योग्यता कौशल के घटक भी हैं।
  7. डीजीटी ने कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के तहत राज्य और क्षेत्रीय स्तरों पर संस्थानों के लिए उद्योग संबंध सुनिश्चित करने के लिए आईबीएम, सिस्को, फ्यूचर स्किल राइट्स नेटवर्क (पूर्ववर्ती क्वेस्ट एलायंस), अमेजॉन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) और माइक्रोसॉफ्ट जैसी आईटी टेक कंपनियों के साथ भी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
  8. एनएसडीसी, बाजार आधारित कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्रदाताओं को सहायता प्रदान करता है जो उद्योग की मांग के साथ कौशल पाठ्यक्रमों को सहयोग और संरेखित करते हैं।
  9. एनएपीएस के तहत प्रशिक्षुता प्रशिक्षण और प्रशिक्षुता कार्यक्रम शुरू करने के लिए औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ जुड़ाव बढ़ाने को बढ़ावा दिया जाता है।
  10. भारत सरकार ने दस देशों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इजराइल, ताइवान, ऑस्ट्रिया, मॉरीशस, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल और फिनलैंड के साथ प्रवासन और गतिशीलता समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इन देशों में मांग के साथ कौशल को संरेखित करने के लक्ष्य से यह किया गया है।
  11. भारत सरकार ने विदेशों में कुशल श्रमिकों की मांग को पूरा करने के लिए 30 कौशल भारत अंतर्राष्ट्रीय केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।

 

यह जानकारी कौशल विकास एवं उद्यमिता (एमएसडीई) मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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कोयले का उत्पादन

देश में कोयले की अधिकांश मांग स्वदेशी उत्पादन/आपूर्ति के माध्यम से पूरी की जाती है। कोयले की वास्तविक मांग 2022-23 में 1115.04 एमटी थी जो 2023-24 में बढ़कर 1233.86 मिलियन टन (एमटी) हो गई। कोयले की बढ़ती मांग के मुकाबले घरेलू कोयले का उत्पादन भी बढ़ा है। 2023-24 में घरेलू कोयला उत्पादन 11.65 प्रतिशत बढ़कर 997.26 एमटी हो गया, जो 2022-23 में 893.19 एमटी था।

स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से कोयले की भविष्य की मांग को पूरा करने और कोयले के गैर-आवश्यक आयात को कम करने के लिए घरेलू कोयला उत्पादन अगले कुछ वर्षों में सालाना 6-7% बढ़कर 2029-30 तक लगभग 1.5 बिलियन टन तक पहुंचने की संभावना है।

कोल इंडिया लिमिटेड की वॉशरी के प्रदर्शन में गिरावट और इस्पात क्षेत्र में धोए गए कोकिंग कोयले की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने धोए गए कोकिंग कोयले की क्षमता बढ़ाने के लिए पुरानी वॉशरी के मुद्रीकरण का मार्ग अपनाया है। इसके अनुरूप सरकार ने ‘डब्ल्यूडीओ मार्ग के माध्यम से कोकिंग कोयले का उपयोग करने वाले इस्पात’ के नाम के साथ गैर-विनियमित क्षेत्र लिंकेज नीलामी के तहत एक नए उप-क्षेत्र के निर्माण को मंजूरी दी है। अनुबंध की पूरी अवधि के लिए चिह्नित खदानों से दीर्घकालिक कोयला लिंकेज के आश्वासन के साथ नए उप-क्षेत्र के निर्माण से कोकिंग कोयला वॉशरी का मुद्रीकरण होगा। इससे देश में धोए गए कोकिंग कोयले की उपलब्धता में वृद्धि होगी। यह भी उम्मीद की जाती है कि नए उप-क्षेत्र से देश में इस्पात उद्योग में घरेलू कोकिंग कोयले की खपत बढ़ेगी।

कोकिंग कोयले के आयात के स्थान पर इस्पात क्षेत्र द्वारा कोकिंग कोयले के वर्तमान घरेलू सम्मिश्रण को वर्तमान 10-12% से बढ़ाकर 30-35% किया जाएगा। कोयला मंत्रालय ने राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 में अनुमानित घरेलू कोकिंग कोयले की मांग को पूरा करने के लिए वित्त वर्ष 2022 में मिशन कोकिंग कोल की शुरुआत की। प्रधानमंत्री की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत कोयला मंत्रालय द्वारा किए गए परिवर्तनकारी उपायों के बाद घरेलू कच्चे कोकिंग कोयले का उत्पादन 2030 तक 140 एमटी तक पहुंचने की संभावना है।

भारत सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों और निजी क्षेत्र के लिए कोयला/लिग्नाइट गैसीकरण परियोजनाओं की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्त पोषण के रूप में 8500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ एक वित्तीय सहायता योजना को मंजूरी दी है। स्वीकृत योजना में 8500 करोड़ रुपये के कुल प्रोत्साहन भुगतान के साथ तीन श्रेणियों के तहत परियोजनाएं शामिल हैं।

  • श्रेणी I, 4050 करोड़ के प्रावधान के साथ सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों के लिए है। वे वित्त पोषण सहायता के लिए प्रस्ताव पेश कर सकते हैं और तीन चयनित परियोजनाओं को अधिकतम 1350 करोड़ रुपये या परियोजना लागत का 15%, जो भी वीजीएफ के रूप में कम हो, प्राप्त होगा।
  • श्रेणी II, ₹3850 करोड़ के साथ, निजी क्षेत्र और सरकारी सार्वजनिक उपक्रमों दोनों के लिए उपलब्ध है, जिसमें अधिकतम अनुदान 1000 करोड़ रुपये या परियोजना लागत का 15%, जो भी वीजीएफ के रूप में कम है।
  • श्रेणी III, प्रदर्शन या लघु-स्तरीय परियोजनाओं के लिए ₹600 करोड़ आवंटित करती है, जिसमें प्रति परियोजना अधिकतम परिव्यय 100 करोड़ रुपये या परियोजना लागत का 15%, जो भी कम हो।

केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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उपभोक्ता आयोगों ने वर्ष 2022 और 2023 के दौरान 100 प्रतिशत से अधिक मामलों का निपटारा किया

उपभोक्ता कार्य विभाग प्रगतिशील कानून बनाकर उपभोक्ता संरक्षण और उपभोक्ताओं के सशक्तिकरण के लिए लगातार काम कर रहा है। वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकियों, ई-कॉमर्स बाजारों आदि के नए युग में उपभोक्ता संरक्षण को नियंत्रित करने वाले ढांचे को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को निरस्त कर दिया गया और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 को अधिनियमित किया गया।

उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 90 और 91 में बिक्री के लिए विनिर्माण या भंडारण अथवा बिक्री या वितरण या आयात करने के लिए सजा का प्रावधान है, जिसमें उपभोक्ता को होने वाली क्षति की सीमा के आधार पर कारावास या जुर्माना शामिल है।

अधिनियम में विशेष तीन स्तरीय अर्ध-न्यायिक एजेंसियों के माध्यम से उपभोक्ताओं की शिकायतों के निवारण का प्रावधान है, जिन्हें अब आमतौर पर राष्ट्रीय स्तर पर ‘राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी)’, राज्य स्तर पर ‘राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एससीडीआरसी)’ और जिला स्तर पर ‘जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (डीसीडीआरसी)’ के रूप में जाना जाता है।

अधिनियम में अन्य बातों के साथ-साथ उपभोक्ता आयोगों में न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रावधान; उपभोक्ता द्वारा उस उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज करने का प्रावधान, जिसका अधिकार क्षेत्र शिकायतकर्ता के निवास/कार्य के स्थान या जहां कार्रवाई का कारण उत्पन्न होता है, या विपरीत पक्षों के व्यवसाय या निवास के स्थान पर हो, ई-फाइलिंग, वर्चुअल सुनवाई, शिकायतों की स्वीकार्यता मानी जाए, यदि दाखिल करने के 21 दिनों के भीतर स्वीकार्यता तय नहीं की जाती है; उत्पाद दायित्व आदि का प्रावधान शामिल है।

मामलों के त्वरित और परेशानी मुक्त समाधान के लिए जिला और राज्य स्तर पर एनसीडीआरसी और 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के उपभोक्ता आयोगों में ई-दाखिल के माध्यम से ऑनलाइन मामले दर्ज करने का प्रावधान शुरू किया गया है।

उपभोक्ता आयोगों के भौगोलिक विस्तार और दूरी, समय और लागत के कारण सुनवाई में शामिल होने में उपभोक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर उपभोक्ता आयोगों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा प्रदान की गई है। यह पहल भारतीय कानूनी प्रणाली के डिजिटल परिवर्तन के अनुरूप है, जो न्याय को उपभोक्ता के दरवाजे तक पहुंचा रही है।

उपभोक्ता कार्य विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) को नया रूप दिया है, जो मुकदमे-पूर्व चरण में शिकायत निवारण के लिए देश भर के उपभोक्ताओं के लिए एकल पहुंच बिंदु के रूप में उभरी है। यह देश के सभी उपभोक्ताओं के लिए उपलब्ध है, जिसमें उपभोक्ता देश भर से 17 भाषाओं (अर्थात हिंदी, अंग्रेजी, कश्मीरी, पंजाबी, नेपाली, गुजराती, मराठी, कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम, मैथली, संथाली, बंगाली, ओडिया, असमिया, मणिपुरी) में एक टोल-फ्री नंबर 1915 के माध्यम से अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। इन शिकायतों को एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (आईएनजीआरएएम), एक ओमनी-चैनल आईटी सक्षम केंद्रीय पोर्टल, जैसे व्हाट्सएप, एसएमएस, ई-मेल, एनसीएच ऐप, वेब पोर्टल, उमंग ऐप पर अपनी सुविधा के अनुसार दर्ज कराया जा सकता है।

विभाग इलेक्ट्रॉनिक, आउटडोर और सोशल मीडिया सहित विभिन्न मीडिया के माध्यम से “जागो ग्राहक जागो” अभियान के तत्वावधान में उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने और उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने के लिए “उपभोक्ता जागरूकता” नामक एक विशेष योजना को लागू कर रहा है। विभाग प्रमुख मेलों/त्योहारों/कार्यक्रमों में भाग लेता है जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो सकते हैं। विभाग स्थानीय स्तर पर जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को अनुदान सहायता भी प्रदान करता है।

उपरोक्त अधिनियम, 2019 के प्रावधानों के अंतर्गत, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) की स्थापना 24.07.2020 से उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने के लिए की गई है, जो जनता और उपभोक्ताओं के हितों के लिए हानिकारक हैं। अधिनियम की धारा 18(2)(1) के अंतर्गत, सीसीपीए को अनुचित व्यापार प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार है।

सीसीपीए ने 9 जून, 2022 को भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के समर्थन के लिए दिशानिर्देश, 2022 को अधिसूचित किया है। ये दिशानिर्देश अन्य बातों के साथ-साथ; (ए) किसी विज्ञापन के गैर-भ्रामक और वैध होने की शर्तें; (बी) चारा विज्ञापनों और मुफ्त दावा विज्ञापनों के संबंध में कुछ शर्तें; और (सी) निर्माता, सेवा प्रदाता, विज्ञापनदाता और विज्ञापन एजेंसी के कर्तव्य प्रदान करते हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान दायर और निपटाए गए मामलों का विवरण इस प्रकार है:

वर्ष वर्ष के दौरान दर्ज किये गये मामले वर्ष के दौरान निपटाए गए मामले (पिछले वर्षों में दायर किए गए निपटाए गए मामले भी शामिल हैं) निपटान प्रतिशत
2019 178153 140860 79.06
2020 120018 60884 50.73
2021 148422 99095 66.77
2022 174280 183779 105.45
2023 171468 186902 109.00

 

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री बी एल वर्मा ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सूर्य प्रताप को खेल मंत्री ने किया सम्मानित।

अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही एवं मानव अधिकार कार्यकर्ता सूर्य प्रताप को माननीय खेल मंत्री उत्तर प्रदेश ने किया सम्मानित

भारतीय स्वरूप संवाददाता, बाल और महिला अधिकारी अधिकारों के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले सूर्य प्रताप मिश्र पुत्र महेंद्र प्रताप मिश्र को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ” उत्तर प्रदेश के सर्वोच्च युवा पुरूस्कार 2023 से नवाजा था।

18 मार्च 2024 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आर्थिक सहयोग से दुनिया की चौथी ऊँची चोटी एवं अफ्रीका महाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो (लगभग 20 हजार फ़ीट ) पर सूर्य ने बतौर युवा पर्वतारोही ने भारतीय ध्वज ‘तिरंगा’ फहराकर प्रदेश व देश का मान बढ़ाने के लिये उत्तर प्रदेश के खेल मंत्री श्री गिरीश चंद्र यादव ने सम्मानित किया।
इनकी प्रारंभिक शिक्षा सैनिक स्कूल लखनऊ से हुई और सैनिक स्कूल मे पढ़ाई के दौरान भारत स्काउट गाईड के नेशनल एडवेंचर संस्थान पंचमढ़ी (मध्य प्रदेश ) से नेशनल एडवेंचर प्रोग्राम मे A ग्रेड हासिल किया ,एवं झारखण्ड एडवेंचर ट्रेवल अकेडमी एवं नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तराखंड से पर्वतारोहण, ट्रेकिंग, पैराशेलिंग एवं अन्य एडवेंचर प्रोग्राम को A ग्रेड से उत्तीर्ण किया!
लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक करने के दौरान NCC मे C सर्टिफिकेट हासिल किये! भविष्य मे अन्य 6 महाद्वीपो के सर्वोच्च पर्वत शिखरो पर भारतीय तिरंगा फहरा अपने जनपद व देश का मान बढ़ाने के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण व बाल संरक्षण हेतू पुरे विश्व को सन्देश देना चाहते है!

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पत्रकार लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, बेवजह बदसलूकी न हो इसका रखें ध्यान : पुलिस कमिश्नर

कानपुर प्रेस क्लब ने सौंपा ज्ञापन, पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी, एसीपी व समस्त थाना प्रभारियों को दिए निर्देश*

भारतीय स्वरूप संवाददाता, कानपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पर दर्ज हुए मुकदमों व गिरफ्तारी के बाद निष्पक्ष जांच व बेवजह पत्रकारों का उत्पीड़न न हो इस मुद्दे को लेकर बुधवार को कानपुर प्रेस क्लब के प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार से मुलाकात की। इस दौरान प्रेस क्लब अध्यक्ष सरस बाजपेई व महामंत्री शैलेश अवस्थी की तरफ से पुलिस कमिश्नर को ज्ञापन भी सौंपा गया। प्रतिनिधि मंडल ने कमिश्नर से मांग की कि प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष अवनीश दीक्षित पर दर्ज मुकदमों की निष्पक्ष जांच हो। पत्रकारों के घरों पर बेवजह छापे न मारे जाएं। जरूरी हो तो पूछताछ के लिए अवगत करा दिया जाए ताकि किसी पत्रकार की बेवजह छवि न खराब हो। इसके साथ ही फील्ड पर काम कर रहे पत्रकारों का उत्पीड़न और बेवजह बदसलूकी न की जाए। मंगलवार रात कल्याणपुर थाना क्षेत्र में कवरेज के दौरान एक पत्रकार से की गई बदसलूकी से भी पुलिस कमिश्नर को अवगत कराया गया। इसपर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने तत्काल समस्त जोन के डीसीपी, एसीपी और सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिया कि बेवजह किसी पत्रकार से बदसलूकी न की जाए। अगर पत्रकारों से अभद्रता की शिकायतें मिलीं तो यह ठीक नहीं होगा। पत्रकार लोकतंत्र के स्तम्भ हैं, उन्हें अपना काम करने दिया जाए। ज्ञापन देने वालों में पूर्व महामंत्री कुशाग्र पांडेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष गौरव सारस्वत, कोषाध्यक्ष सुनील साहू, वरिष्ठ मंत्री मोहित दुबे, मंत्री शिवराज साहू, कार्यकारिणी सदस्य कौस्तुभ शंकर मिश्रा, गगन पाठक, दीपक सिंह, मयंक मिश्रा, उत्सव शुक्ला, नौशाद खान, अंकित शुक्ला आदि मौजूद रहे।

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