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भारत की प्रत्यायन प्रणाली दुनिया में 5वें पायदान पर; समग्र गुणवत्ता बुनियादी ढांचा प्रणाली शीर्ष 10 में रही

भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) के तहत आने वाली भारत की राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली को हाल के ग्लोबल क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स (जीक्यूआईआई) 2021 में दुनिया में 5वां स्थान हासिल हुआ है। जीक्यूआईआई में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे (क्यूआई) के आधार पर दुनिया में 184 देशों की सूची तैयार की गई है। मानकीकरण प्रणाली में नौवीं और माप संबंधी यानी मेट्रोलॉजी प्रणाली (एनपीएल-सीएसआईआर के तहत) में दुनिया में 21वें पायदान के साथ भारत की समग्र क्यूआई प्रणाली रैंकिंग शीर्ष 10 में 10वें पायदान पर बनी हुई है।

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स्रोत: जीक्यूआईआई https://gqii.org/

इस अवसर पर क्यूसीआई के अध्यक्ष जक्षय शाह ने कहा, “यह गुणवत्ता प्रथम के दृष्टिकोण वाले अमृत काल में एक नए भारत का संकेत है। भारत में तीन क्यूआई स्तंभों में भारत की प्रत्यायन प्रणाली सबसे नई है और हम इन रैंकिंग में एक साल के भीतर दुनिया में पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और माननीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में क्यूसीआई ‘मेक इन इंडिया’ को गुणवत्ता और विश्वसनीयता के लिहाज से दुनिया में एक भरोसेमंद ब्रांड बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। मिशन मोड में अपनी गुणवत्ता की यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए हमारे व्यवसायों को और अधिक सहायता प्रदान करने का समय आ गया है।”

क्यूआई अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए तकनीकी रीढ़ है, जिसमें मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, मान्यता और एक समान मूल्यांकन सेवाएं व्यापारिक भागीदारों के बीच विश्वसनीयता और विश्वास को बढ़ाती हैं। भारत में, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के तहत आने वाली राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल-सीएसआईआर) राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी संस्थान है, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) राष्ट्रीय मानक संस्थान है और भारतीय गुणवत्ता परिषद के तहत आने वाले राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड उसके समर्थन से राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के संरक्षक हैं।

जीक्यूआईआई देशों के क्यूआई की तुलना के आधार पर विकास को मापता है। एक सूत्र से मेट्रोलॉजी, मानकों और मान्यता के लिए उप-रैंकिंग में अपनी स्थिति के आधार पर प्रत्येक देश के लिए अंकों की गणना की जाती है। भौगोलिक रूप से, शीर्ष 25 क्यूआई प्रणालियां मुख्य रूप से यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया-प्रशांत में स्थित हैं, हालांकि, भारत (10वां), ब्राजील (13वां), ऑस्ट्रेलिया (14वां), तुर्की (16वां), मेक्सिको (18वां) और दक्षिण अफ्रीका (20वां) इस सूची में अपवाद हैं।

प्रत्यायन अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की क्षमता और विश्वसनीयता स्थापित करने में मदद करता है, जो परीक्षण, प्रमाणन, निरीक्षण आदि कार्य करते हैं। भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार भारत में राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली की स्थापना की थी। वहीं, क्यूसीआई भारतीय उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से 1997 में स्थापित निकाय है। क्यूसीआई के घटक बोर्डों के माध्यम से इसका परिचालन किया जाता है। इनमें मुख्य रूप से नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर सर्टिफिकेशन बॉडीज (एनएबीसीबी) जो प्रमाणन, निरीक्षण और सत्यापन/ सत्यापन निकायों को मान्यता देता है और नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज (एनएबीएल) जो परीक्षण, मापांकन और मेडिकल प्रयोगशालाओं को मान्यता देता है, शामिल हैं। दोनों, एनएबीसीबी और एनएबीएल अंतरराष्ट्रीय निकायों की बहुपक्षीय मान्यता व्यवस्था, इंटरनेशनल एक्रीडिटेशन फोरम (आईएएफ) और इंटरनेशनल लैबोरेट्री एक्रिडिटेशन कोऑपरेशन (आईएलएसी) के हस्ताक्षरकर्ता हैं, जो उनकी मान्यता के तहत जारी किए गए रिपोर्ट और प्रमाणपत्रों को अंतर्राष्ट्रीय समकक्षता और स्वीकृति प्रदान करता है। भारत में अनुरूपता मूल्यांकन के लिए सरकार, नियामक, उद्योग और अनुरूपता मूल्यांकन निकाय एनएबीसीबी और एनएबीएल की मान्यता पर भरोसा करते हैं।

भारत की प्रत्यायन रैंकिंग में बढ़ोतरी के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के तहत अनुरूपता मूल्यांकन निकायों (सीएबी) की स्थिर वृद्धि को श्रेय जाता है। ये परीक्षण और चिकित्सा प्रयोगशालाएं, उत्पाद प्रमाणन निकाय और प्रबंधन प्रणाली प्रमाणन निकाय हैं। गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के महत्व और क्यूसीआई की भूमिका पर जोर देते हुए क्यूसीआई के महासचिव डॉ. रवि पी. सिंह ने कहा, “भारत आत्मनिर्भरता की राह पर है और हम अब अन्य देशों के नवाचार और सुधार के आधार पर काम नहीं करते हैं। हमारी प्रणालियों का अब अन्य देशों द्वारा अनुकरण किया जा रहा है। उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए हमारी राष्ट्रीय प्रत्यायन प्रणाली के महत्व की अनदेखी नहीं की जा सकती है और इस मान्यता से हमें नियामकों और सरकार के लिए एक ज्यादा स्वतंत्र इकोसिस्टम तैयार करने में सहायता मिलेगी। इससे किसी भी मानक का एक समान रूप से उपयोग किया जा सकता है। हमारे दोनों बोर्डों एनएबीएल और एनएबीसीबी ने अच्छा काम किया है और उन्हें ज्यादा समर्थन दिए जाने की आवश्यकता है।” जीक्यूआईआई रैंकिंग उस वर्ष के अंत तक एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर प्रकाशित की जाती है और प्रत्येक वर्ष के लिए कार्योत्तर प्रस्तुत की जाती है। 2021 की रैंकिंग दिसंबर 2021 के अंत तक के आंकड़ों पर आधारित है, जिन्हें 2022 तक एकत्रित और विश्लेषण किया गया है। यह मेट्रोलॉजी, मानकीकरण, प्रत्यायन और संबंधित सेवाओं से जुड़ी फिजिकालिश-टेक्निस्क बुंदेसन्सटाल्ट (पीटीबी) और फेडरल मिनिस्ट्री फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (बीएमजेड), जर्मनी द्वारा समर्थित एक पहल है।

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रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन एयरो इंडिया 2023 कार्यक्रम के दौरान विभिन्न प्रकार की स्वदेशी रूप से विकसित तकनीकों और प्रणालियों का प्रदर्शन करेगा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने देश में रक्षा अनुसंधान और विकास इकोसिस्टम के विभिन्न हितधारकों को एकीकृत करने के प्रयास के साथ ही 14वें एयरो इंडिया एयर शो के दौरान स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों तथा प्रणालियों के समृद्ध अनुभव को प्रदर्शित करने की योजना बनाई है। यह कार्यक्रम 13 से 17 फरवरी, 2023 तक बेंगलुरु में आयोजित किया जाएगा। इस दौरान, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन स्वदेशी रूप से विकसित उत्पादों तथा प्रौद्योगिकियों की एक विस्तृत श्रृंखला दर्शाएगा। डीआरडीओ भारतीय पवेलियन में अपने प्रमुख उत्पादों को दिखाने के अलावा कई प्रदर्शनियां, हवाई करतब और सेमिनार आयोजित करेगा। इसमें एयरोनॉटिकल सिस्टम्स, मिसाइल्स, आर्मामेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और कम्प्यूटेशनल सिस्टम्स, सोल्जर सपोर्ट टेक्नोलॉजीज, लाइफ-साइंसेज तथा नवल एंड मैटेरियल साइंस सहित अन्य उत्पादों का प्रदर्शन शामिल होगा। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में डीआरडीओ द्वारा की गई हालिया प्रगति को प्रदर्शित करेगा।

डीआरडीओ का पवेलियन 12 क्षेत्रों में वर्गीकृत 330 से अधिक उत्पादों का प्रदर्शन करेगा, जिनमें लड़ाकू विमान और यूएवी, मिसाइल तथा सामरिक प्रणाली, इंजन एवं प्रपल्शन सिस्टम, हवाई निगरानी प्रणाली, सेंसर इलेक्ट्रॉनिक युद्धक व संचार प्रणाली, पैराशूट और ड्रॉप सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग व साइबर प्रणालियां, सामग्री, लैंड सिस्टम तथा युद्ध सामग्री, जीवन सहयोगी सेवाएं और उद्योग एवं शैक्षणिक आउटरीच शामिल हैं।

12 क्षेत्रों में से प्रत्येक में ये प्रमुख उत्पाद हैं: एएमसीए, एलसीए तेजस एमके2, टीईडीबीएफ, आर्चर, तपस अनमैन्ड एरियल व्हीकल, अभ्यास, लड़ाकू विमान और यूएवी क्षेत्र से स्वायत्त स्टील्थ विंग फ्लाइंग टेस्ट बेड; मिसाइल तथा सामरिक प्रणाली क्षेत्र से आकाश, अस्त्र, क्यूआरएसएएम, हेलिना, नाग, प्रलय; एफएसीईसीयू, गियरबॉक्स मॉड्यूल, कावेरी ड्राई इंजन प्रोटोटाइप, इंजन और प्रोपल्शन ज़ोन से छोटा टर्बो फैन इंजन; एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र, एईडब्ल्यूएंडसी-एमके II, एमएमएमए विमान, आईएफएफ, हवाई निगरानी प्रणाली क्षेत्र से एएएयू मॉडल; टीडब्ल्यूआईआर, बीएफएसआर-एसआर, भरणी, अश्लेषा, आत्रु, एएसपीजे पॉड, सेंसर्स इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एंड कम्युनिकेशंस सिस्टम्स ज़ोन से एलईओपी; मिलिट्री कॉम्बैट पैराशूट सिस्टम, ब्रेक पैराशूट, पैराशूट और ड्रॉप सिस्टम्स ज़ोन से पी-16 हैवी ड्रॉप सिस्टम; हेलीकॉप्टर मॉडल के साथ एयरबोर्न सोनार, नवल सिस्टम्स ज़ोन से एयर लॉन्चड डायरेक्शनल सोनोबॉय; डीडीसीए, इंडिजिस, एयर वारफेयर सिमुलेशन सिस्टम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मशीन लर्निंग एंड साइबर सिस्टम ज़ोन से क्यूआरएनजी; सामग्री क्षेत्र से एफएसएपीडीएस, टाइटेनियम मिश्रित धातु; एएसआरईएम, निगरानी आरओवी, भूमि प्रणाली और युद्ध सामग्री क्षेत्र से सुमित्रा; इंटीग्रेटेड लाइफ सपोर्ट सिस्टम, लाइफ सपोर्ट सर्विसेज ज़ोन से हेलीकॉप्टर ऑक्सीजन सिस्टम और उद्योग एवं शैक्षणिक आउटरीच जोन से वान्केल रोटरी इंजन, जेट फ्यूल स्टार्टर, रेडियो अल्टीमीटर। भारतीय पवेलियन में डीआरडीओ के पांच उत्पाद प्रदर्शित होंगे। इनमें एईडब्ल्यूसीएंडसी-एमके II, एएमसीए, एलसीए तेजस एमके2, टीईडीबीएफ और आर्चर (इमेज इंटेलिजेंस विद वेपन पेलोड्स) शामिल हैं।

इस मेगा शो में डीआरडीओ की भागीदारी एलसीए तेजस, एलसीए तेजस पीवी6, एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र और तपस यूएवी के उड़ान प्रदर्शन द्वारा की जाएगी। स्टैटिक डिस्प्ले में एलसीए तेजस एनपी1/एनपी5 और एईडब्ल्यूएंडसी-नेत्र भी शामिल हैं। इस भागीदारी को स्वदेशी मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस क्लास यूएवी तापस-बीएच (उन्नत निगरानी के लिए टैक्टिकल एरियल प्लेटफॉर्म – बियॉन्ड होराइजन) के उड़ान की शुरुआत से भी प्रदर्शित किया जाएगा। तपस-बीएच अपनी क्षमताओं को दर्शायेगा और व्यावसायिक दिनों में स्टैटिक के साथ-साथ हवाई प्रदर्शनों को भी कवर करेगा और इस दौरान हवाई वीडियो को पूरे आयोजन स्थल पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। तपस डीआरडीओ की तीनों सेवाओं आईस्टार आवश्यकताओं का समाधान है। यूएवी 18 से अधिक घंटे की समय की स्थायित्व क्षमता के साथ 28000 फीट की ऊंचाई पर कार्य करने में सक्षम है।

डीआरडीओ इस आयोजन के दौरान दो सेमिनार भी आयोजित कर रहा है। एयरो इंडिया इंटरनेशनल सेमिनार का 14वां द्विवार्षिक संस्करण ‘एयरोस्पेस एंड डिफेंस टेक्नोलॉजीज – वे फॉरवर्ड’ विषय पर 12 फरवरी को एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के सहयोग से सीएबीएस, डीआरडीओ द्वारा आयोजित किया जा रहा है। यह सेमिनार एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे एयरो इंडिया के प्रीक्वल के रूप में आयोजित किया जाता है। डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के कई प्रतिष्ठित मुख्य वक्ता एयरोस्पेस और रक्षा में अत्याधुनिक तकनीकों तथा उन्नति के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए भाग लेंगे। डीआरडीओ संगोष्ठी के दौरान विमानन और एयरोस्पेस (आईडब्ल्यूपीए) में भारतीय महिला पेशेवरों को भी सम्मानित करेगा।

दूसरा सेमिनार 14 फरवरी को डीआरडीओ के एरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड (एआरएंडडीबी) द्वारा आयोजित किया जा रहा है। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह इसका उद्घाटन रकरेंगे और इस दौरान रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट विशिष्ट अतिथि होंगे। कार्यक्रम का विषय ‘स्वदेशी एयरो इंजनों के विकास के लिए आगे की राह सहित फ्यूचरिस्टिक एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों का स्वदेशी विकास’ है। इस बैठक में प्रतिष्ठित प्रतिभागियों में अकादमिक, भारतीय निजी उद्योग, स्टार्ट-अप, पीएसयू और डीआरडीओ के सदस्य शामिल हैं।

14 फरवरी को संगोष्ठी के दौरान कई गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। मिग-29के के लिए स्वास्थ्य उपयोग एवं निगरानी प्रणाली, नौसेना स्टाफ के उप प्रमुख को सौंपी जाएगी, इसे प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) के माध्यम से विकसित किया गया है। इसके अलावा कई अन्य गतिविधियां आयोजित होंगी अर्थात् तेजस के एएमएजीबी में सीवीआरडीई द्वारा विकसित एयरक्राफ्ट बियरिंग्स के लिए सीईएमआईएलएसी प्रमाणपत्र सौंपना; सिस्टम फॉर एडवांस मैन्युफैक्चरिंग असेसमेंट एंड रेटिंग हेतु एक वेब पोर्टल (www.samar.gov.in) का शुभारंभ; डीआरडीओ एक्सपोर्ट कम्पेंडियम, डीआरडीओ मोनोग्राफ ‘नॉन डिस्ट्रक्टिव इवैल्यूएशन ऑफ सॉलिड रॉकेट्स एंड मिसाइल सिस्टम्स, एरोनॉटिक्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट बोर्ड की मैगजीन ‘पुष्पक 2022’ तथा डीआरडीओ एक्सपोर्ट कॉम्पेंडियम का विमोचन। डीआरडीओ सेमिनार के दौरान 15 उद्योगों को डीआरडीओ द्वारा विकसित 11 प्रौद्योगिकियों के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के उद्देश्य से 16 लाइसेंसिंग समझौते (एलएटीओटी) भी सौंपेगा।

एयरो इंडिया 2023 में डीआरडीओ की भागीदारी भारतीय एयरोस्पेस समुदाय के लिए आत्मनिर्भरता एवं राष्ट्रीय गौरव की भावना के साथ सैन्य प्रणालियों तथा प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास को बढ़ावा देने का एक उत्कृष्ट अवसर है। यह सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करेगा और स्वदेशी रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नए अवसर भी विकसित करेगा। प्रणालियों और प्रदर्शनीय वस्तु को समझाने तथा दर्शाने के लिए वैज्ञानिकों के साथ विभिन्न सत्रों में बातचीत की उम्मीद की जाती है।

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कोलकाता में जी-20 अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी की स्थापना बैठक में विज्ञान प्रशासकों ने समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई

जी-20 की अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी ) की दीक्षा बैठक, जो कि भारत के विज्ञान संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, आज कोलकाता में प्रारम्भ हुई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के वैज्ञानिकों और प्रशासकों को एक साथ लाकर समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार पर चर्चा की गई ।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव डॉ. एस. चंद्रशेखर ने इस अवसर पर परिवर्तन को आगे बढाने और इसे चलाने के लिए समूह के उत्तरदायित्व पर पर बल देते हुए कहा कि जी-20 का अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से विकास, अर्थव्यवस्था और स्थिरता पर अत्यधिक प्रभाव परिलक्षित हो रहा है।

“भारत ने अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) के लिए जिस विषयवस्तु का चयन किया “समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार” है । नवाचार उद्योग और व्यवसाय से लेकर सरकार, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक हमेशा जीवन के सभी पहलुओं में प्रगति की आधारशिला रहा है। हम आज यहां इसलिए हैं क्योंकि नवोन्मेषी अनुसंधान को सबके लिए उपलब्ध कराने में हम सभी का साझा हित है जिससे हमारे देशों, हमारे समुदायों और हमारे नागरिकों को लाभ होगा और हम सामूहिक प्रगति के लिए वैश्विक साझेदारी बनाना चाहते हैं ।

बीस देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों अर्थात् अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), इटली, नीदरलैंड, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब , दक्षिण अफ्रीका, स्पेन, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात, इंग्लैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रतिनिधित्व करने वाले कुल 36 विदेशी प्रतिनिधियों ने इस प्रारम्भिक बैठक में भाग लिया। लगभग 40 भारतीय प्रतिनिधियों और भारत सरकार के विभिन्न वैज्ञानिक विभागों/संगठनों के विशेष आमंत्रित सदस्यों भी इस बैठक में सम्मिलित हुए।

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अंतरिक्ष विभाग के पूर्व सचिव और सदस्य अंतरिक्ष आयोग डॉ. किरण कुमार ने बैठक में अध्यक्षीय भाषण दिया और टिप्पणी करते हुए कहा कि “मानव विकास एक सतत प्रक्रिया है, और प्रत्येक बीतते दिन के साथ बौद्धिक क्षमताएं भी बढ़ रही हैं। अनुसंधान और नवाचार नए अवसर लाते हैं और अब हमें यह देखने की आवश्यकता है कि नई प्रौद्योगिकियां समाज के लिए किस प्रकार सहायक हो सकती हैं।

वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) की सचिव और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ. (श्रीमती) एन. कलैसेल्वी ने जोर देकर कहा कि “एक वैश्विक समुदाय के रूप में जी-20 को नवीकरणीय ऊर्जा उपकरणों के निर्माण के बड़े विस्तार के साथ ही विनिर्माण को 10 से 15 गुना बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है। ” डॉ कलैसेल्वी ने ऊर्जा उत्पादन, रूपांतरण और भंडारण के क्षेत्रों में विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन और हरित अमोनिया के उत्पादन, ऊर्जा भंडारण उपकरणों के एंड-टू-एंड उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के क्षेत्रों में जी-20 देशों के बीच साझेदारी की आवश्यकता व्यक्त की।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सचिव डॉ. राजेश गोखले ने चक्रीय जैव- अर्थव्यवस्था के दूसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र पर चर्चा की शुरुआत की । डॉ. गोखले ने माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए भारत के “मिशन लाइफ” पर बल दिया जो प्रचलित ‘उपयोग और निपटान’ अर्थव्यवस्था को सावधानीपूर्वक और जानबूझकर उपयोग द्वारा परिभाषित एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के साथ बदलने की कल्पना करता है। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भारत उच्च-प्रदर्शन जैव-विनिर्माण के लिए एक नीतिगत ढांचा विकसित कर रहा है जो हरित भारत के लिए संश्लेषित जीव विज्ञान-आधारित टिकाऊ विनिर्माण प्रथाओं में विश्व स्तरीय विशेषज्ञता, सुविधाओं और कुशल कार्यबल को बढ़ावा देगा ।

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम रविचंद्रन ने सतत नीली अर्थव्‍यवस्‍था की प्राप्ति करने की दिशा में वैज्ञानिक चुनौतियों एवं अवसरों और समुद्री जीवन संसाधनों के सतत तथा समान उपयोग को सुनिश्चित करने और जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने के लिए नीली कार्बन क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता पर विस्तार से बताया ।

विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के सचिव डॉ. अखिलेश गुप्ता ने तीसरे प्राथमिकता वाले क्षेत्र, ऊर्जा संचरण के लिए पारिस्थितिक–नवाचारों पर विचार विमर्श की शुरुआत की। डॉ. गुप्ता ने वैश्विक ऊर्जा परिदृश्य और सतत ऊर्जा परिवर्तन के माध्यम से जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। कार्बन कैप्चर, उपयोग, और भंडारण, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, और इलेक्ट्रिक वाहनों में अनुसंधान एवं विकास जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार की पहल को ऊर्जा संक्रमण के प्रमुख चालकों के रूप में रेखांकित किया गया।

डॉ गुप्ता ने कहा कि “सदस्य देशों की वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिक क्षमता प्राथमिकता के मुद्दों की पहचान करने में मदद कर सकती है, और इन्हें संयुक्त द्विपक्षीय या बहुपक्षीय साझेदारी के साथ-साथ संयुक्त शोध कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया जा सकता है । ”

स्थापना बैठक 8-9 फरवरी 2023 के दौरान आयोजित की जा रही है। इस वर्ष भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान इंडोनेशिया और ब्राजील इस तिकड़ी के सदस्य हैं ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी लगातार इस बात का उल्लेख करते आ रहे हैं कि “नवाचार केवल हमारे विज्ञान का लक्ष्य नहीं होना चाहिए बल्कि नवाचार को वैज्ञानिक प्रक्रिया को भी आगे चलाना चाहिए।” इसी नवाचार-संचालित वैज्ञानिक प्रगति के लिए अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी (आरआईआईजी) एक स्थायी समाज और स्थायी भविष्य बनाने की दिशा में प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहता है ।

अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी 2023 के लिए व्यापक विषय “समतामूलक समाज के लिए अनुसंधान और नवाचार” के अंतर्गत विचार-विमर्श चार प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर केंद्रित है – सतत ऊर्जा के लिए सामग्री ; चक्रीय -जैव-अर्थव्यवस्था ; ऊर्जा संक्रमण के लिए पर्यावरण-नवाचार; वैज्ञानिक चुनौतियां और एक लक्ष्य प्राप्त करने के अवसर सतत नीली अर्थव्यवस्था।

अगले चार विषयगत सम्मेलन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के नेतृत्व में रांची, जैव प्रौद्योगिकी विभाग के नेतृत्व में डिब्रूगढ़, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग बोर्ड के नेतृत्व में धर्मशाला एवं पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के नेतृत्व में दीव में आयोजित किए जाएंगे। अनुसंधान एवं नवाचार पहल संगोष्ठी शिखर सम्मेलन और जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक जुलाई 2023 में मुंबई में होने वाली है जिसमें जी-20 अनुसंधान मंत्रियों द्वारा अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में परस्पर सहयोग के रोडमैप पर एक संयुक्त घोषणा की जाएगी ।

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जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन” विषय पर 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स (पुनश्चर्या पाठ्यक्रम) का समापन

कानपुर भारतीय स्वरूप संवाददाता, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग-मानव संसाधन विकास केंद्र, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर (UGC-HRDC,JNVU) एवं क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर के संयुक्त तत्वावधान में “जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन” विषय पर आयोजित 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स का आज विधिवत् समापन हुआ एचआरडीसी जेएनवीयू (HRDC JNVU) के डायरेक्टर प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे के कुशल,प्रभावी एवं प्रेरक निर्देशन तथा प्रोफेसर मीतकमल(क्राइस्टचर्च कॉलेज,कानपुर) के सहभागी संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में संपूर्ण भारतवर्ष के 12 से अधिक राज्यों से 91 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर मीतकमल ने बताया की कार्यक्रम का शुभारंभ 27 जनवरी 2023 को प्रोफेसर के.एल.श्रीवास्तव (कुलपति जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर), प्रोफेसर आलोक कुमार चक्रवाल (कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर), प्रोफेसर संजीव जैन (कुलपति केंद्रीय विश्वविद्यालय ,जम्मू), डॉ. सबीना बोदरा (उप प्राचार्या क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर), प्रो.संजय कुमार (कुलपति अमिटी विश्वविद्यालय,कोलकाता),शिवसिंह राठौड़ (पूर्व अध्यक्ष आरपीएससी) के गरिमामयी आतिथ्य में हुआ तत्पश्चात विभिन्न सत्रों में देश-विदेश के प्रख्यात विद्वानों एवं विषय विशेषज्ञों द्वारा अपने प्रभावी,प्रेरक,ज्ञानवर्धक एवं सरस व्याख्यानों द्वारा प्रतिभागियों को नवीन तकनीकों,नवाचारों एवं अवधारणाओं से अवगत करवाया गया ।
कार्यक्रम में डॉ अशोक कुमार शर्मा (जम्मू विश्वविद्यालय) द्वारा लर्निंग मशीन सिस्टम के प्रयोग द्वारा नवीन शिक्षा नीति-2020 की भावना के अनुरूप ऑनलाइन शिक्षण को प्रभावी एवं प्रेरक बनाने के बारे में सारवान जानकारी प्रदान की गई,डॉ बी. एस. बालाजी (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,नई दिल्ली) द्वारा ई-कंटेन्ट निर्माण की सहज,सरस तकनीक से प्रतिभागियों को अवगत करवाकर उन्हें ई-कंटेन्ट निर्माण में दक्ष बनाया गया, डॉ.के.किशोर द्वारा द्वारा अनुसंधान क्रियाविधि एवं साहित्यिक चोरी से बचाव के बारे में उपयोगी जानकारी प्रदान की गई ,प्रोफेसर अनिल दत्त मिश्रा (आईआईपीए,नई दिल्ली) द्वारा सतत् विकास हेतु भारतीय लोक परंपराएं विषय पर भारतीय संस्कृति के पर्यावरण संरक्षी अनछुए पहलुओं को उजागर कर प्रतिभागियों का ज्ञानवर्धन किया गया, श्री वी.के.आर्य द्वारा HAM(ऐमेच्योर) रेडियो के बारे मे रोचक जानकारी प्रदत कर इसके आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया गया और इसके प्रचार-प्रसार के लिए सभी प्रतिभागियों को प्रेरित किया गया ।
कर्नल गौरव भाटिया द्वारा आपदा प्रबंधन में सेना के योगदान के बारे में अत्यंत प्रभावोत्पादक जानकारी प्रदान की गई, प्रोफेसर चंदन घोष (HOD-NIDM) द्वारा जलवायु परिवर्तन हेतु तकनीकी नवाचारों के उपयोग के प्रति जागरूकता प्रदान की गई,डॉ मणिमाला शर्मा (सहायक आचार्य राजकीय महाविद्यालय,रोहट) द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं आपदा प्रबंधन में हमारी जिम्मेदारियों पर व्याख्यान द्वारा प्रतिभागियों को जागरुक किया गया ।
कार्यक्रम की सहसंयोजिका डॉ अनिन्दिता भट्टाचार्य ने बताया कि कार्यक्रम में वर्तमान समय की दो महत्वपूर्ण चुनौतियों जलवायु परिवर्तन एवम् आपदा प्रबंधन पर अत्यंत सारगर्भित एवं प्रासंगिक व्याख्यानों में सभी प्रतिभागियों ने अग्रसक्रिय सहभागिता निभाई तथा अपने विभिन्न लेखों,शोध प्रबंधनों तथा संगोष्ठी प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इन विषयों पर नवीन ज्ञान व शोध का मार्ग प्रशस्त किया ।
कार्यक्रम के समापन सत्र में सभापति प्रोफेसर के.एल.श्रीवास्तव (कुलपति जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय,जोधपुर),मुख्य अतिथि डॉ.निलॉय खरे (सलाहकार पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय,भारत सरकार) विशिष्ट अतिथि प्रो. आनंद प्रकाश (कुलपति महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय,मोतीहारी),प्रो.जोसेफ डेनियल (प्राचार्य क्राइस्टचर्च कॉलेज, कानपुर), प्रो.सुधीर गुप्ता (विभागाध्यक्ष रसायन विज्ञान क्राइस्टचर्च कॉलेज कानपुर),प्रो.आर.के.द्विवेदी (सी.एस.जे.एम,विश्वविद्यालय,कानपुर), एवं डॉ.निधि संदल (सहायक निदेशक,यूजीसी-एचआरडीसी) ने अपने विद्वतापूर्ण उद्बोधन से सभी प्रतिभागियों को लाभान्वित किया ।
विश्वविद्यालय, अनुदान आयोग-मानव संसाधन विकास केंद्र, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर के निदेशक प्रोफेसर राजेश कुमार दुबे ने आशा जताई कि सभी प्रतिभागी इस कार्यक्रम से अर्जित ज्ञान,तकनीकी एवं नवाचारों का अपने आगामी अध्ययन,अध्यापन व शोध कार्यों में उपयोग कर न केवल अपने विद्यार्थियों एवं संस्थानों बल्कि संपूर्ण राष्ट्र को लाभान्वित करेंगे ।

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कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद में चल रहे निर्माण कार्यों की प्रगति के संबंध में मासिक समीक्षा बैठक संपन्न

कानपुर 9 जनवरी जि. सू. कार्य. जिलाधिकारी विशाख जी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जनपद में चल रहे निर्माण कार्यों की प्रगति के संबंध में मासिक समीक्षा बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान निर्माणाधीन सड़क, भवन एवं अन्य निर्माण कार्य तथा निर्माणाधीन ग्रामीण एवं शहरी पेयजल योजनाओं से संबंधित विभागों के कार्यों की समीक्षा की गई ।

समीक्षा बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निम्नलिखित निर्देश दिए:-

 राजकीय निर्माण निगम लि० के प्रोजेक्ट मैनेजर के अनुस्थित रहने के कारण संस्था द्वारा कराए जा रहे कार्यों की समीक्षा नहीं की जा सकी। इस संबंध में जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी को निर्देशित किया गया कि संबंधित प्रोजेक्ट मैनेजर के वेतन अवरुद्ध करने हेतु प्रबंध निदेशक, राजकीय निर्माण निगम लि0 को जिलाधिकारी के माध्यम से पत्र प्रेषित कराया जाए।
 विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं द्वारा निर्माण कार्य पूर्ण कराए जाने हेतु निर्धारित समय एवं धनावंटन पूर्ण हो जाने के बावजूद कार्य पूर्ण नहीं किया गया है। जिला अर्थ एवं संख्या अधिकारी को निर्देशित किया गया कि ऐसी लंबित परियोजनाओं की सूची बनाकर शासन को अवगत करा दिया जाए।

यू.पी.पी.सी.एल.-10 कानपुर द्वारा कराये जा रहे कार्यो के अंतर्गत मण्डलीय प्रशिक्षण केन्द्र(होमगार्ड) मकसूदाबाद में कराये गये कार्यों की गुणवत्ता खराब पाए जाने पर जिम्मेदार अधिकारियों एवं कार्यदायी संस्था का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उनके विरूद्ध कार्यवाही किये जाने के साथ-साथ कार्यदायी संस्था के विरूद्ध आर्थिक कटौती प्रस्तावित किए जाने के निर्देश दिए गए ।
सी.एन.डी.एस. कानपुर द्वारा ह्द्य रोग संस्थान में सीनियर रेजीडेन्स के आवास हेतु बहुखण्डीय भवन के निर्माण कार्य में की जा रही शिथिलता हेतु निर्देशित किया गया कि आ रही समस्याओं का निराकरण तत्काल कराते हुए कार्य पूर्ण कराया जाना सुनिश्चित करें। अन्यथा की स्थिति में प्रोजेक्ट मैनेजर के विरूद्ध कार्यवाही सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए गए ।

 सी0एण्डडी0एस0 कानपुर द्वारा आसरा आवास योजना सजारी के अपूर्ण कार्यो को अविलम्ब पूर्ण कराए जाने हेतु परियोजना अधिकारी डूडा एवं प्रोजेक्ट मैनेजर द्वारा संयुक्त भ्रमण कर अवशेष कार्य समयबद्ध रूप से पूर्ण किया जाए ।

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वेटर नहीं पारिवारिक है पत्रकार मुनि कुशवाहा के हत्यारोपी

कानपुर 9 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, दूल्हा दुल्हन के खाने के दौरान बैठने को लेकर हुआ था चचेरे भाई प्रीतम से विवाद पुलिस जांच में बात आई सामने*

बिल्हौर में सोमवार को चचेरे भाई की शादी में शामिल होने गए मुनि कुशवाहा की हत्या में नया मोड़ आ गया है परिवार ने भले ही केटर्स व वेटरो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया हो लेकिन पुलिस की जांच में हत्यारोपी परिवार ही संदेह के घेरे में है पुलिस को मृतक मुनि के चचेरे भाई प्रीतम पर शक है क्योंकि वह फरार है वहीं दूसरी ओर पुलिस ने इस प्रकरण में केटर्स व वेटर पक्ष के 10 लोगों को हिरासत में ले रखा है जिनसे पूछताछ जारी है पर अब तक की जांच में मुनि के चचेरे भाई प्रीतम का नाम सामने आया है वह पोस्टमार्टम हाउस पर कुछ देर के लिए देखा गया और तब से गायब है जांच में सामने आया है कि रात कार्यक्रम समाप्त होने के बाद जब दूल्हा-दुल्हन खाने को बैठे तो उस स्थान पर मुनि जाकर पहले ही बैठ गया इसी बात को लेकर मुनि और चचेरे भाई प्रीतम में झगड़ा हुआ पुलिस को दोनों के झगड़ते हुए फुटेज मिली है

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कमिश्नरेट कानपुर पुलिस और एसटीएफ को मिली बड़ी सफलता

कमिश्नरेट कानपुर पुलिस और एसटीएफ को मिली बड़ी सफलता_

_ग्रीनपार्क के पास से पकड़ी गई एक करोड़ की चरस_

_कमिश्नरेट कानपुर पुलिस और एसटीएफ को मिली सफलता_

_ग्रीनपार्क स्टेडियम के पास थाना कोतवाली क्षेत्र में हुई कार्यवाही_

_कोतवाली पुलिस और एसटीएफ की टीम ने की संयुक्त कार्यवाही_

_नेपाल के रास्ते स्पीकर में छिपाकर लाई गई थी 17 किलो चरस_

_पुलिस ने तीन चरस तस्करों को भी गिरफ्तार किया है_

_अभियुक्तों से पूछताछ कर तस्करी के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही हैं टीमें_

_चरस को कानपुर देहात व अन्य शहरों में खपाने की तैयारी थी_

_पकड़े गए अभियुक्तों के खिलाफ पुलिस विधिक कार्यवाही कर रही है_

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज एलुमनी एसोसिएशन द्वारा सीएमजेएम विश्विद्यालय के 58वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन

कानपुर 9 जनवरी भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च काॅलेज कानपुर ने अपने पूर्व छात्र संघ के सहयोग से जीएसजेएम विश्वविधालय कानपुर के 58वें स्थापना दिवस के अवसर पर एक लघु कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें सचिव काॅलेज गवर्निंग बाॅडी और प्राचार्य प्रो. जोसेफ डेनियल ने अतिथियों का स्वागत किया तथा छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविधालय के पिछले इतिहास पर प्रकाश डाला।

समन्वयक, एलुमनी एसो. डा. रवि प्रकाश महलवाला, एससो. प्रो. भौतिकी विभाग ने कुछ प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों पर प्रकाश डाला, जिन्होने वर्षो से जीवन के विभिनन क्षेत्रों में अपना नाम बनाया। कहा कि मुख्य अतिथि नीलेश द्विवेदी, उप महाप्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक कानपुर भी हमारे प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों में एक है। उन्होने काॅलेज व विश्वविधालय से जुडे अपने छात्र जीवन के अनुभवों का साझा किया। धन्यवाद ज्ञापन रसायन विज्ञान विभाग की प्रो0 अनिंदिता भटटाचार्या ने किया तथा संचालन वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रो. सुनीता वर्मा ने किया। इस दौरान काॅलेज के सभी फैकल्टी मेंबर्स व छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे।

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प्रधानमंत्री ने तुमकुरु में एचएएल हेलीकाप्टर संयंत्र राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री मोदी ने आज तुमकुरु में एचएएल हेलीकॉप्‍टर संयंत्र को राष्‍ट्र को समर्पित किया। उन्होंने तुमकुरु औद्योगिक टाउनशिप और तुमकुरु में तिप्टूर और चिक्कानायकनहल्ली में दो जल जीवन मिशन परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। प्रधानमंत्री ने हेलीकॉप्टर संयंत्र और संरचना हैंगर का दौरा किया और लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर का अनावरण किया।

सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटका संतों, ऋषियों-मनीषियों की भूमि है, जिसने अध्यात्म, ज्ञान विज्ञान की महान भारतीय परंपरा को सशक्त किया है। उन्होंने कहा कि इसमें भी तुमकुरु का विशेष स्थान है और सिद्धगंगा मठ की इसमें बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने बताया कि पूज्य शिवकुमार स्वामी द्वारा छोड़ी गई अन्ना, अक्षरा और आश्रय की विरासत को श्री सिद्धलिंग स्वामी आज आगे बढ़ा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि संतों के आशीर्वाद से आज कर्नाटका के युवाओं को रोजगार देने वाले, ग्रामीणों और महिलाओं को सुविधा देने वाले, देश की सेना और मेड इन इंडिया को ताकत देने वाले, सैकड़ों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक के युवाओं की प्रतिभा और नवाचार की सराहना की और कहा कि कर्नाटका युवा टैलेंट, युवा इनोवेशन की धरती है और ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से लेकर तेजस फाइटर प्लेन बनाने तक, कर्नाटक की मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ताकत को दुनिया देख रही है। प्रधानमंत्री ने कहा, “डबल-इंजन सरकार ने कर्नाटक को निवेशकों की पहली पसंद बना दिया है।” प्रधानमंत्री ने आज समर्पित एचएएल परियोजना के माध्यम से उस बिंदु पर जोर देते हुए इसका उदाहरण दिया, जिसके लिए प्रधानमंत्री ने रक्षा जरूरतों के लिए विदेशी निर्भरता को कम करने के संकल्प के साथ 2016 में आधारशिला रखी थी।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि आज सैकड़ों ऐसे हथियार और रक्षा उपकरण हैं, जो भारत में ही बन रहे हैं, जो हमारी सेनाएं उपयोग कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “उन्नत असॉल्ट राइफल से लेकर टैंक, विमान वाहक, हेलीकॉप्टर, लड़ाकू जेट, परिवहन विमान तक, भारत इन सभी का निर्माण कर रहा है।” एयरोस्पेस क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 8-9 वर्षों में इस क्षेत्र में किया गया निवेश 2014 से 15 साल पहले किए गए निवेश की तुलना में पांच गुना अधिक है। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि मेड इन इंडिया हथियारों की न केवल हमारे सशस्त्र बलों को आपूर्ति की जाती है, बल्कि 2014 से पहले के वर्षों की तुलना में रक्षा निर्यात भी कई गुना बढ़ गया है। निकट भविष्य में जो 4 लाख करोड़ के व्यवसायों को जन्म देगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब ऐसी निर्माण इकाइयां स्थापित की जाती हैं, तो यह न केवल सशस्त्र बलों को मजबूत करती है, बल्कि रोजगार और स्व-रोजगार के अवसर भी पैदा करती है।” श्री मोदी ने कहा कि उन्होंने तुमकुरु में हेलीकॉप्टर निर्माण संयंत्र के पास छोटे व्यवसायों को सशक्त बनाया है।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि जब नेशन फर्स्ट, राष्ट्र प्रथम की भावना से काम होता है, तो सफलता जरूर मिलती है। उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कामकाज में प्रगति और सुधार के साथ-साथ निजी क्षेत्र के लिए अवसर खोलने की बात की।

प्रधानमंत्री ने हाल ही में एचएएल के नाम पर सरकार को निशाना बनाने के प्रचार का जिक्र किया और कहा कि हमारी सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाए गए। उन्होंने कहा, “यही एचएएल है जिसका नाम लेकर लोगों को भड़काने की साजिश रची गई लोगों को उकसाया गया। लेकिन झूठ कितना ही बड़ा क्यों ना हो, सच के आगे हारता है और एक दिन जरूर हारता है। आज एचएएल कि यह हेलीकॉप्टर फैक्ट्री, एचएएल की बढ़ती ताकत, बहुत से पुराने झूठे और झूठे आरोप लगाने वालों का पर्दाफाश कर रही है।” उन्होंने कहा कि आज वही एचएएल भारत की सेना के लिए आधुनिक तेजस बना रहा है, विश्व के आकर्षण का केंद्र है और रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को मजबूत कर रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि फूड पार्क और एचएएल के बाद औद्योगिक टाउनशिप तुमकुरु के लिए एक बड़ा उपहार है जो तुमकुरु को देश के एक बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में विकसित करने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पीएम गतिशक्ति मास्टरप्लान के तहत टाउनशिप का विकास किया जा रहा है, जो मुंबई-चेन्नई राजमार्ग, बेंगलुरु हवाई अड्डे, तुमकुरु रेलवे स्टेशन, मंगलुरु बंदरगाह के माध्यम से मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी से जुड़ा होगा।

श्री मोदी ने कहा, “डबल इंजन सरकार सामाजिक बुनियादी ढांचे पर उतना ही ध्यान दे रही है जितना भौतिक बुनियादी ढांचे पर दे रही है।” इस वर्ष के बजट पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने बताया कि जल जीवन मिशन के लिए बजट आवंटन में पिछले वर्ष की तुलना में 20,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है और कहा कि इस योजना के सबसे बड़े लाभार्थी माताएं और बहनें हैं, जिन्हें अपने घरों के लिए पानी लाने के लिए दूर तक नहीं जाना पड़ता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले तीन वर्षों में परियोजना का दायरा 3 करोड़ ग्रामीण परिवारों से बढ़कर 11 करोड़ ग्रामीण परिवारों तक पहुंच गया है। डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊपरी भद्रा परियोजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे तुमकुरु, चिकमंगलुरु, चित्रदुर्ग, दावणगेरे और मध्य कर्नाटक के सूखा प्रभावित क्षेत्रों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री ने उन किसानों को होने वाले लाभों पर भी प्रकाश डाला जो वर्षा जल पर निर्भर हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वर्ष का मध्यवर्ग हितैषी बजट ‘विकसित भारत’ के लिए सभी के प्रयासों को बल देगा। प्रधानमंत्री ने कहा, “यह बजट समर्थ भारत, संपन्न भारत, स्वयंपूर्ण भारत, शक्तिमान भारत, गतिवान भारत की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। आजादी के इस अमृतकाल में, कर्तव्यों पर चलते हुए विकसित भारत के संकल्पों को सिद्ध करने में इस बजट का बड़ा योगदान है। यह सर्वप्रिय बजट है। सर्वहितकारी बजट है। सर्वसमावेशी बजट है। सर्व-स्पर्शी बजट है।” प्रधानमंत्री ने कहा, “जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा, उस सशक्त भारत की नींव, इस बार के बजट में और मजबूत की है। इस साल के गरीब हितैषी मध्यम वर्ग हितैषी बजट की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। विकसित भारत के निर्माण के लिए सब जुड़ें, सब जुटें, सब का प्रयास कैसे हो, इसके लिए यह बजट बहुत ताकत देने वाला है।” उन्होंने कृषि में वंचितों, युवाओं और महिलाओं के लिए बजट के लाभों के बारे में विस्तार से बताया, “यह भारत के युवा को रोजगार के नए अवसर देने वाला बजट है। यह भारत की नारी शक्ति की भागीदारी बढ़ाने वाला बजट है। यह भारत की कृषि को गांव को आधुनिक बनाने वाला बजट है। यह श्रीअन्न से छोटे किसानों को वैश्विक ताकत देने वाला बजट है। यह भारत में रोजगार बढ़ाने वाला और स्वरोजगार को बल देने वाला बजट है।” उन्होंने कहा, “हमने तीनों पहलुओं – आपकी जरूरतें, आपको दी जाने वाली सहायता और आपकी आय को ध्यान में रखा।”

प्रधानमंत्री ने समाज के उस वर्ग को सशक्त बनाने के लिए 2014 से सरकार के प्रयासों पर जोर दिया, जिनके लिए सरकारी सहायता प्राप्त करना एक कठिन कार्य था। प्रधानमंत्री ने कहा, “या तो सरकारी योजनाएं उन तक नहीं पहुंचीं, या इसे बिचौलियों द्वारा लूटा गया।” प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपनी सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ग को दी गई सहायता पर प्रकाश डाला, जो पहले इससे वंचित था। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहली बार ‘कर्मचारी-मजदूर’ वर्ग को पेंशन और बीमा की सुविधा मिली है। उन्होंने छोटे किसानों की मदद के लिए पीएम-किसान सम्मान निधि का जिक्र किया और स्ट्रीट वेंडर्स द्वारा लिए गए कर्ज का जिक्र किया। यह बताते हुए कि इस वर्ष का बजट उसी भावना को आगे ले जाता है, प्रधानमंत्री ने पीएम विकास योजना पर प्रकाश डाला, जो कुम्बरा, काम्मारा, अक्कासलिगा, शिल्पी, गारेकेलासदावा, बग्गी और अन्य जैसे शिल्पकारों या विश्वकर्माओं को बढ़ावा देगा, जो अपनी हस्तकला और हाथ के औजारों के बल पर कुछ बनाते हैं और अपनी कला और कौशल को और समृद्ध करते हैं।

प्रधानमंत्री ने वंचितों और गरीबों की मदद के लिए किए गए कई उपाय गिनाए। सरकार ने महामारी के दौरान गरीबों के लिए मुफ्त राशन पर 4 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं। गरीबों के आवास के लिए अभूतपूर्व 70 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

मध्यम वर्ग को लाभ पहुंचाने वाले बजट के प्रावधानों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने आयकर में कर लाभों के बारे में बताया। उन्होंने कहा, “7 लाख रुपये तक की आय पर आयकर शून्य होने से मध्यम वर्ग में बहुत उत्साह है। खासकर 30 साल से कम उम्र के युवा, जिनके पास नई नौकरी है, नया कारोबार है, उनके खाते में हर महीने ज्यादा पैसा आएगा।” इसी तरह, जमा सीमा को 15 लाख से बढ़ाकर 30 लाख करने से सेवानिवृत्त कर्मचारियों और वरिष्ठ नागरिकों को मदद मिलेगी। लीव इनकैशमेंट पर टैक्स छूट अब 25 लाख तक है जो पहले 3 लाख थी।

महिलाओं के वित्तीय समावेशन की केंद्रीयता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा, “महिलाओं का वित्तीय समावेशन घरों में उनकी आवाज को मजबूत करता है और घरेलू फैसलों में उनकी भागीदारी को बढ़ाता है। इस बजट में हमने अपनी माताओं, बहनों और बेटियों को अधिक से अधिक बैंकों से जोड़ने के लिए बड़ा कदम उठाया है। हम महिला सम्मान बचत प्रमाणपत्र लेकर आए हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा, सुकन्या समृद्धि, मुद्रा, जन-धन योजना और पीएम आवास के बाद महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए यह एक बड़ी पहल है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि डिजिटल तकनीक या सहकारी समितियों के विस्तार के माध्यम से हर कदम पर किसानों की सहायता करते हुए इस बजट का अधिकतम फोकस ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों, पशुपालकों और मछुआरों को लाभ होगा, जबकि कर्नाटक के गन्ना किसानों को गन्ना सहकारी समितियों की स्थापना से मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में खाद्यान्न भंडारण के लिए देश भर में कई नई सहकारी समितियां भी बनेंगी और बड़ी संख्या में स्टोर बनाए जाएंगे। इससे छोटे किसान भी अपना अनाज स्टोर कर सकेंगे और बेहतर कीमत पर बेच सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के जरिए छोटे किसानों की लागत कम करने के लिए हजारों सहायता केंद्र भी बनाए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कर्नाटक में मोटे अनाज के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि देश उसी विश्वास को आगे बढ़ा रहा है जहां मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ के रूप में पहचान दी गई है। उन्होंने इस साल के बजट में मोटे अनाज के उत्पादन पर दिए गए जोर पर भी प्रकाश डाला और कहा कि इससे कर्नाटक के छोटे किसानों को बहुत फायदा होगा।

इस अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री ए. नारायणस्वामी और कर्नाटक सरकार के मंत्री और अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री ने तुमकुरु में एचएएल हेलीकॉप्टर फैक्ट्री राष्ट्र को समर्पित की। इसकी आधारशिला भी 2016 में प्रधानमंत्री द्वारा रखी गई थी। यह एक समर्पित नई ग्रीनफील्ड हेलीकॉप्टर फैक्ट्री है, जो हेलीकॉप्टर बनाने की क्षमता और इकोसिस्टम को आगे बढ़ाएगी। यह एशिया की सबसे बड़ी हेलीकॉप्टर निर्माण सुविधा है और शुरुआत में लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच) का उत्पादन करेगी। एलयूएच एक स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित 3-टन वर्ग, एकल इंजन बहुउद्देश्यीय उपयोगिता हेलीकाप्टर है, जिसमें उच्च गतिशीलता की अनूठी विशेषता है। कारखाने का विस्तार अन्य हेलीकॉप्टरों जैसे लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और इंडियन मल्टीरोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच) के निर्माण के साथ-साथ भविष्य में एलसीएच, एलयूएच, सिविल एएलएच और आईएमआरएच की मरम्मत और ओवरहाल के लिए किया जाएगा। कारखाने में भविष्य में सिविल एलयूएच के निर्यात की भी संभावना है। यह सुविधा भारत को हेलीकॉप्टरों की अपनी संपूर्ण आवश्यकता को स्वदेशी रूप से पूरा करने में सक्षम बनाएगी और भारत में हेलीकॉप्टर डिजाइन, विकास और निर्माण में आत्मनिर्भरता का गौरव प्राप्त करेगी। कारखाने में उद्योग 4.0 मानकों का विनिर्माण सेट-अप होगा। अगले 20 वर्षों में, एचएएल तुमकुरु से 3-15 टन के वर्ग में 1000 से अधिक हेलीकाप्टरों का उत्पादन करने की योजना बना रहा है। इससे प्रदेश में करीब छह हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने तुमकुरु औद्योगिक टाउनशिप की आधारशिला भी रखी। राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम के तहत, तुमकुरु में तीन चरणों में 8484 एकड़ में फैले औद्योगिक टाउनशिप का विकास चेन्नई बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर के हिस्से के रूप में किया गया है।

कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने तुमकुरु में तिपतुर और चिक्कनायकनहल्ली में दो जल जीवन मिशन परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। तिप्तूर बहु-ग्राम पेयजल आपूर्ति परियोजना 430 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाई जाएगी। लगभग 115 करोड़ रुपये की लागत से चिक्कानायकनहल्ली तालुक की 147 बस्तियों के लिए बहु-ग्राम जलापूर्ति योजना का निर्माण किया जाएगा। इन परियोजनाओं से क्षेत्र के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।

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प्रधानमंत्री ने आज बेंगलुरू में ई20 ईंधन की शुरुआत की और हरित गतिशीलता रैली को हरी झंडी दिखाई

प्रधानमंत्री ने 6 फरवरी 2023 को कर्नाटक के बेंगलुरु में भारत ऊर्जा सप्ताह (आईईडब्ल्यू)- 2023 का उद्घाटन किया। 6 से 8 फरवरी तक आयोजित होने वाले इस आईईडब्ल्यू का उद्देश्य एक ऊर्जा रूपांतरण पावरहाउस के रूप में भारत की बढ़ती शक्ति को प्रदर्शित करना है। इस समारोह के एक हिस्से के तहत प्रधानमंत्री ने ई20 ईंधन को शुरू किया और तेल व गैस पीएसयू और पीएलएल की ओर से हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड द्वारा आयोजित हरित गतिशीलता (मोबिलिटी) रैली को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल, मुख्यमंत्री, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व आवास और शहरी कार्य मंत्री, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व श्रम और रोजगार राज्य मंत्री ने समारोह की गरिमा बढ़ाई।

ई20 ईंधन:

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बेंगलुरू में भारत ऊर्जा सप्ताह के दौरान ई20 ईंधन की शुरुआत की

इथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) रोडमैप के अनुरूप प्रधानमंत्री ने 11 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में तेल विपणन कंपनियों के 84 रिटेल आउटलेट्स पर ई20 ईंधन को शुरू किया। ई20 पेट्रोल के साथ 20 फीसदी इथेनॉल का एक मिश्रण है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक इथेनॉल के पूर्ण 20 फीसदी सम्मिश्रण को प्राप्त करना है। एचपीसीएल और अन्य तेल विपणन कंपनियां 2जी-3जी इथेनॉल संयंत्र स्थापित कर रही हैं, जो इसकी प्रगति को सुगम बनाएगी।

ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम सरकार का एक प्राथमिकता वाला क्षेत्र रहा है। इस संबंध में सरकार के निरंतर प्रयासों के कारण 2013-14 से अब तक इथेनॉल उत्पादन क्षमता में छह गुना की बढ़ोतरी देखी गई है। इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम और जैव ईंधन कार्यक्रम के तहत पिछले आठ वर्षों की उपलब्धियों ने न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को संवर्द्धित किया है, बल्कि इसके परिणामस्वरूप कई अन्य लाभ भी हुए हैं। इनमें कार्बनडायऑक्साइड उत्सर्जन में 318 लाख मीट्रिक टन की कमी और लगभग 54,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत शामिल है। इसके परिणामस्वरूप 2014 से 2022 के दौरान इथेनॉल आपूर्ति के लिए लगभग 81,800 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और किसानों को 49,000 करोड़ रुपये से अधिक का हस्तांतरण किया गया है।

हरित गतिशीलता रैली:

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज बेंगलुरु में हरित गतिशीलता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने एचपीसीएल द्वारा आयोजित हरित गतिशीलता रैली को भी हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस रैली में स्थायी हरित ऊर्जा स्रोतों जैसे कि ई20, ई85, फ्लेक्स फ्यूल, हाइड्रोजन, इलेक्ट्रिक आदि पर चलने वाली 57 गाड़ियों की भागीदारी देखी गई। इस रैली ने हरित ईंधन के लिए लोगों के बीच जागरूकता उत्पन्न करने में सहायता की। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व श्रम और रोजगार राज्य मंत्री श्री रामेश्वर तेली ने इस रैली के समापन कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह हरित गतिशीलता रैली राष्ट्र में हरित और टिकाऊ ईंधन को लेकर जागरूकता बढ़ाने में सहायता करेगी। उन्होंने आगे कहा कि इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम व राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी भारत सरकार की नीति भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के अपने लक्ष्य की ओर ले जाएगी और 2070 तक नेट जीरो को साकार करेगी।

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