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जन संख्या वृद्धि कानून

1975 में लगाया गया आपातकाल आज भी लोग याद करते हैं और याद करने के साथ-साथ उस वक्त की दबंगई को भी याद करते हैं। –प्रियंका वर्मा आज भी बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है और इसे रोकने के लिए कारगर उपाय किए जाने चाहिए। अब तक जो भी नियम कानून इस मुद्दे को लेकर बने हैं वह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुए हैं। आज देश में हर मिनट पर 42 बच्चों का जन्म हो रहा है हर दिन 61,000 बच्चों का जन्म होता है। ये बढ़ती हुई आबादी रोजगार के अवसरों को खत्म कर रही है साथ ही गरीबी, भुखमरी और बेरोजगारी को बढ़ावा दे रही है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या की सबसे बड़ी समस्या स्थान की है, साथ ही बिजली और पानी की भी है। लगातार कट रहे जंगल प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और उसका खामियाजा भी हम भुगत रहें हैं। गरीबी और खाद्यान्न की समस्या का कारण जनसंख्या वृद्धि ही है और इसका दुष्प्रभाव चिकित्सा की बद इंतजामी के रूप में भी दिखाई देता है।

योगी सरकार द्वारा प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण कानून शायद राज्य की बढ़ती हुई आबादी को रोकने में सफल हो। ऐसी कई बातें हैं जिन पर अमल किए बिना जनसंख्या वृद्धि को रोक पाना संभव नहीं है। बढ़ती आबादी पर नियंत्रण का लक्ष्य वाकई काबिले तारीफ है। ये नियम कि दो बच्चों से ज्यादा वाले व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी सराहनीय है और एक बच्चा पैदा करने पर कई प्रोत्साहन पुरस्कार की बात भी सराहनीय है। असम सरकार का फैसला भी इस मुद्दे पर काबिले तारीफ है।
आज जरूरत है कि सबसे पहले लोगों में जागरूकता पैदा की जाए। लोगों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की सबसे ज्यादा जरूरत है, ताकि लोगों का मानसिक विकास हो सके। आज कोरना के दौर में लोग सुरक्षा के लिए मास्क तक नहीं लगाते, सोशल डिस्टेंसिंग भी मेंटेन नहीं करते। ये शिक्षा का ही अभाव है कि वे इसके दुष्परिणामों से अनजान रहते हैं। शिक्षा द्वारा इनका मानसिक विकास के साथ यह सही गलत का फर्क करना समझेंगे साथ ही समाज में फैली रुढ़िवादिता से भी बाहर आ सकेंगे। शिक्षा एक अहम मसला है लोगों को जागरूक करने के लिए साथ ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी से लेकर बढ़ती हुई जनसंख्या के दुष्प्रभाव से भी अवगत करवा कर सकेगी। जागरूकता के अभाव में व्यक्ति कई – कई बच्चों को जन्म देता है और गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी को बढ़ावा देता है। जनसंख्या वृद्धि के प्रति वही लापरवाह हैं जो शैक्षिक व सामाजिक रूप से पिछड़े हैं।
आज यह भी जरूरी है कि धर्म और आस्था के नाम पर जनसंख्या बढ़ाने जैसी बातों का बहिष्कार किया जाए। जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून धर्म और जाति से दूर रहे और नेताओं के बेतुके बयानों को भी प्रतिबंधित किया जाये साथ ही सभी के लिए एक ही नियम कानून मान्य होना चाहिये। हम कट्टरता से बाहर आकर ही इस योजना को साकार कर सकते हैं। बहुसंख्यक अल्पसंख्यक को मुद्दा ना बनाकर बल्कि जनता के हितों का मुद्दा बनाकर योजनाएं सफल की जा सकती है। परिवार नियोजन की नीति को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और इसके नुकसान – फायदे के बारे में बता कर लोगों को जागरूक किया जाए ताकि सीमित परिवार के साथ साथ स्त्री के स्वास्थ्य की सुरक्षा भी सुनिश्चित हो। गौरतलब है कि योगी सरकार ने जो नियम कानून प्रस्तावित किया है वो प्रोत्साहन के लिए तो ठीक है लेकिन दंडात्मक प्रावधान से असमानता बढ़ेगी। एक बच्चे की नीति से जनसंख्‍या पर निगेटिव इम्पैक्ट पड़ेगा। यह तात्कालिक उपाय तो हो सकता है लेकिन स्थाई नहीं।
कहीं ऐसा ना हो कि योजनाएं तो बना दी गई लेकिन कार्यान्वित नहीं हो पाईं और कुछ समय बाद ठंडे बस्ते में चली गई। बेहतर होता कि 2021 की (जो कोविड के कारण नहीं हो सकी) जनगणना कराने के बाद नियम कानून बनाने की बात की जाती। कोविड में हमने कितनों को खो दिया व इसका जनसंख्‍या पर क्या असर पड़ा। इसका सही आंकलन अभी तक नहीं हो सका है। 2011-21 के दशक में जनसंख्या वृद्धि दर क्या रही इसका भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।

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रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल करने का समारोह 28 जुलाई 2021 को संपन्न हुआ

भारतीय वायु सेना ने 28 जुलाई, 2021 को औपचारिक रूप से पूर्वी वायु कमान (ईएसी) के हासीमारा वायु सेना स्टेशन में रफाल लड़ाकू विमान को 101 स्क्वाड्रन में शामिल किया। चीफ ऑफ द एयर स्टाफ एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी ने इस समारोह की अध्यक्षता की। पूर्वी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, एयर मार्शल अमित देव एवीएसएम वीएसएम द्वारा वायु सेना प्रमुख का स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम में एक फ्लाई-पास्ट भी हुआ था, जिसके दौरान हासीमारा वायु सेना स्टेशन के लिए रफाल विमान के आगमन की घोषणा की गई और उसके बाद और पारंपरिक वाटर कैनन सलामी हुई ।

स्वागत समारोह के दौरान वायु सेना कर्मियों को संबोधित करते हुए वायु सेना प्रमुख ने कहा कि, पूर्वी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना की क्षमता को और मजबूती प्रदान करने के महत्व को ध्यान में रखते हुए हासीमारा में रफाल को शामिल करने की योजना सावधानीपूर्वक बनाई गई थी। 101 स्क्वाड्रन के उस गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए, जिसने उन्हें ‘फाल्कन्स ऑफ चंब एंड अखनूर’ की उपाधि दी, चीफ ऑफ द एयर स्टाफ ने वायु सेना कर्मियों से उनके उत्साह और प्रतिबद्धता को नए रफाल विमानों की बेजोड़ क्षमता के साथ जोड़ने का आग्रह किया। सीएएस ने कहा कि, उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब भी और जहां भी आवश्यकता होगी, स्क्वाड्रन का वर्चस्व बना रहेगा और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि, विरोधी हमेशा उनकी उपस्थिति से भयभीत रहे।

101 स्क्वाड्रन रफाल लड़ाकू विमान से लैस होने वाली भारतीय वायु सेना की दूसरी स्क्वाड्रन है। इस स्क्वाड्रन का गठन 01 मई, 1949 को पालम में किया गया था और गुजरे वक्त में यह हार्वर्ड, स्पिटफायर, वैम्पायर, सु-7 और मिग-21एम विमानों का संचालन कर चुका है। इस स्क्वाड्रन के गौरवशाली इतिहास में 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों में सक्रिय भागीदारी शामिल है।

 

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भारतीय नौसेना ने महाराष्ट्र में बाढ़ राहत और निकासी के लिए बचाव दल तैनात किए

चिपलून में पांच और महाड में दो बाढ़ बचाव दल तैनात

रायगढ़ जिले में बचाव के लिए सीकिंग 42 सी हेलिकॉप्टर भी तैनात

नौसेना के बाढ़ बचाव दल जेमिनी रबर बोटप्राथमिक चिकित्सा किट और बचाव गियर से लैस

शॉर्ट नोटिस पर और बचाव दल तैनाती के लिए स्टैंडबाय पर

महाराष्ट्र सरकार से प्राप्त अनुरोध के आधार पर, मुंबई स्थित पश्चिमी नौसेना कमान ने राज्य प्रशासन को सहायता प्रदान करने के लिए बाढ़ बचाव दल और हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं।

प्रतिकूल मौसमी हालात और प्रभावित क्षेत्रों में आई व्यापक बाढ़ के बावजूद, कुल सात नौसैनिक बचाव दल 22 जुलाई 2021 को मुंबई से रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों में तैनाती के लिए सड़क मार्ग से रवाना हुए। रायगढ़ जिले से भी फंसे हुए कर्मियों को एयरलिफ्ट किया जा रहा है। आईएनएस शिकारा, मुंबई से एक सीकिंग 42सी हेलीकॉप्टर 23 जुलाई 2021 को सुबह के समय पोलादपुर/ रायगढ़ में बचाव के लिए रवाना हुआ।

नौसेना के बाढ़ बचाव दल पूरी तरह से आत्मनिर्भर हैं और जेमिनी रबर बोट, लाउड हैलर, प्राथमिक चिकित्सा किट और लाइफ जैकेट से लैस हैं। इन बचाव दलों में विशेषज्ञ नौसेना गोताखोर और गोताखोरी उपकरण भी शामिल हैं।

जरूरत पड़ने पर तत्काल तैनाती के लिए मुंबई में अतिरिक्त बाढ़ बचाव दल को उच्च स्तरीय तैयारी पर तैयार रखा जा रहा है।

 

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डीआरडीओ ने आकाश-एनजी का सफल परीक्षण किया

  • तीन दिन में दूसरा सफल उड़ान परीक्षण
  • उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम
  • भारतीय वायु सेना की रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व इज़ाफ़ा करेगा
  • रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ को बधाई दी

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने दिनांक 23 जुलाई, 2021 को सुबह 11:45 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज, चांदीपुर से नई पीढ़ी की आकाश (आकाश-एनजी) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण किया गया। यह परीक्षण एक उच्च गति वाले मानवरहित हवाई लक्ष्य के विरुद्ध किया गया था जिसे मिसाइल द्वारा सफलतापूर्वक इंटरसेप्ट कर लिया गया। उड़ान परीक्षण से स्वदेशी मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड, कंट्रोल एंड कम्युनिकेशन सिस्टम के साथ मिसाइल से युक्त संपूर्ण हथियार प्रणाली के कामकाज को मान्यता मिली है। इस हथियार प्रणाली का खराब मौसमी हालात में परीक्षण किया गया था जिसने इस हथियार प्रणाली की हर मौसम में काम करने की क्षमता को सिद्ध कर दिया।

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आईटीआर, चांदीपुर द्वारा तैनात अनेक राडार, टेलीमेट्री और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम द्वारा हासिल किए गए डेटा के माध्यम से इस हथियार प्रणाली के प्रदर्शन को मान्य किया गया। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की एक टीम ने यह परीक्षण देखा।

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दिनांक 21 जुलाई, 2021 को सीकर बग़ैर मिसाइल का सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया और मिशन की सभी आवश्यकताएं पूरी हुईं।

रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने तीन दिनों के अंतराल में आकाश-एनजी के दूसरे सफल उड़ान परीक्षण पर डीआरडीओ, भारतीय वायु सेना और उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि इस अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली का विकास भारतीय वायु सेना की वायु रक्षा क्षमताओं में अभूतपूर्व वृद्धि करने वाला साबित होगा।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ जी सतीश रेड्डी ने आकाश एनजी के सफल परीक्षण के लिए टीमों को बधाई दी जो उच्च स्तरीय गति से आने वाले एवं फुर्तीले हवाई खतरों को रोकने में सक्षम है।

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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मई-जून 2021 के दौरान 73.46 लाख मीट्रिक टन मुफ्त खाद्यान्न का वितरण किया गया

केंद्रीय उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि, कोरोना महामारी की वजह से आये आर्थिक व्यवधान के कारण समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को 30 नवंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।

इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) [अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) और प्राथमिकता वाले परिवारों (पीएचएच)] के अंतर्गत कवर किए गए सभी लाभार्थियों को अनाज का मुफ्त वितरण करने के लिए सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को खाद्यान्न आवंटित किया गया है। इनमें प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिये सहायता प्राप्त करने वाले परिवार भी शामिल हैं। योजना के तहत चिंहित किये गए लाभार्थियों की संख्या लगभग 80 करोड़ है, हालांकि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा समय-समय पर की गई लाभार्थियों की पहचान के आधार पर इसमें परिवर्तन होता है।

एनएफएसए को केंद्र और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की संयुक्त जिम्मेदारी के तहत लागू किया गया है। यद्यपि केंद्र राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक खाद्यान्नों के आवंटन में, प्रत्येक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में निर्दिष्ट डिपो तक खाद्यान्न के परिवहन और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से खाद्यान्नों की डिलीवरी उचित मूल्य की दुकान तक कराने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्रीय सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है। वहीं राज्य और केंद्र शासित प्रदेश इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए जवाबदेह हैं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ पात्र लाभार्थियों की पहचान, उन्हें राशन कार्ड जारी करना, उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस) के माध्यम से पात्र लाभार्थियों को खाद्यान्न का वितरण, प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) का आवश्यक सुदृढ़ीकरण करना भी शामिल है।

वर्ष 2020 (पीएमजीकेएवाई-I और II) के दौरान पीएमजीकेएवाई-2020 (अप्रैल-नवंबर 2020) के तहत 322 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से लगभग 298.8 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न (यानी करीब 93%) का वितरण राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा किया गया है।

अब तक 2021 (पीएमजीकेएवाई III) के दौरान (मई-जून 2021 में) लगभग 75.51 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न के कुल आवंटन में से करीब 73.46 लाख मीट्रिक टन (यानी लगभग 97%) खाद्यान्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा वितरित किया गया है

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भारत दुनिया के सभी लोगों की सुरक्षा के लिए प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए जी-20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है : भूपेंद्र यादव

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने आज कहा कि भारत एक ऐसे बेहतर विश्व, जिसमें कोई भी पीछे न छूटे, के लिए जी20 देशों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, साथ ही इस ग्रह व यहां के लोगों की सुरक्षा के लिए ठोस और प्रभावी प्रतिक्रिया देने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ मजबूती से खड़ा है।

जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए पर्यावरण मंत्री ने मौजूदा कोविड-19 संकट से निपटने के लिए एक सामूहिक वैश्विक कदम उठाने की जरूरत पर जोर दिया है और कहा कि इस दिशा में विकासशील देशों को पहले से कहीं ज्यादा हर संभावित मदद की जरूरत है। आज नेपल्स, इटली में हुई जी20 पर्यावरण मंत्रिस्तरीय बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने श्री भूपेंद्र यादव के नेतृत्व में भाग लिया।

‘प्रकृति आधारित समाधानों’ (एनबीएस) और टिकाऊ वित्त पर भारतीय पर्यावरण मंत्री ने कहा कि संदर्भ और योजनाएं आर्थिक विकास के चरण, राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होनी चाहिए और विकासशील देशों की प्रतिस्पर्धा, समानता व विकास की कीमत पर इनका निर्धारण नहीं होना चाहिए।

समुद्री कूड़े की समस्या से पार पाने के मुद्दे पर, श्री यादव ने जोर देकर कहा कि भारत ने प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर स्वैच्छिक नियामकीय कदम उठाए हैं और उन्होंने याद दिलाया कि 2019 में चौथी संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण महासभा (यूएनईए) में भारत ने “एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक के उत्पादों के प्रदूषण के समाधान” पर रिजॉल्युशन संख्या 4/9 अलग से पेश किया था।

केंद्रीय मंत्री ने संसाधन दक्षता (आरई) और सर्कुलर इकोनॉमी (सीई) पर भारत द्वारा उठाए गए कदमों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जी20 संसाधन दक्षता संवाद से आरई और सीई पर विचारों, जानकारियों के आदान-प्रदान को मजबूती और बेहतर भविष्य के लिए टिकाऊ व समानता के साथ संसाधनों के उपयोग को समर्थन देना चाहिए।

दिन भर चली बैठक के दौरान, भारत ने यूनेस्को की इंटरनेशनल एन्वायरमेंट एक्सपर्ट्स नेटवर्क; 2030 तक वैश्विक भू क्षेत्र और समुद्रों की कम से कम 30 प्रतिशत रक्षा; 2030 तक लैंड डिग्रेडेशन न्यूट्रैलिटी; समुद्री प्लास्टिक कचरे पर जी20 कार्यान्वयन रूपरेखा पर तीसरी रिपोर्ट आदि वैश्विक पहलों का स्वागत किया।

भारत ने पानी पर जी20 संवाद का भी स्वागत किया, लेकिन राष्ट्रीय परिस्थितियों और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखने की बात दोहराई। साथ ही 2020 के बाद के जैव विविधता फ्रेमवर्क को प्रभावी और कार्यान्वयन योग्य बनाने पर जोर दिया।

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दिल से निभाई गई ज़िम्मेदारी का अहसास ही प्यार है

आज का विषय थोड़ा गहरा है दोस्तों ।हम अपनी हर बात को बहुत हल्के से ले लेते है ।अच्छी बात है लेना भी चाहिये ,ज़िन्दगी को बहुत संजीदगी से लेना कभी-कभी- मन को उदासीन कर देता है मगर कुछ विषय को गहराई से सोचना ज़रूरी भी हो जाता है ।

हर प्रेम की नींव विश्वास होती है।सब को तालाश है सच्चे प्रेम की,इक विश्वास की।
जो सच मे प्यार करेगा ;वो दूसरे को समझेंगा भी ,कुछ भी त्यागने ,कोई भी क़ुर्बानी देने की चाह भी रखेगा।सिर्फ़ वो देना ही चाहेगा ,अपना वक़्त, अपनी तवज्जो।तब फ़िक्र
भी तेरा ही होगा और ज़िक्र भी ।
इक दिल से निभाई गई ज़िम्मेदारी का अहसास ही तो प्यार है।

आज के दौर में तो प्रेम की परिभाषा ही बदली हुई है जैसे प्रेम प्रेम न हो कर इक दिल बहलाने की चीज़ हो गई हो।आज कोई किसी की भी ज़िम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं है ।शायद ये ब्रेकअप होना ,मूवओन होना कहने को तो हो सकता है मगर सोचें
दोस्तों ;
ज़िन्दगी में हम जिन लोगों से भी एक बार भी मिलते हैं कहां भूल पाते है उन्हें ,ख़ासकर वो लोग जो हमारी ज़िन्दगी का इक ख़ास हिस्सा रह चुके होते है कैसे कोई भूल सकता है या मूवओन हो सकता है मेरे हिसाब से ब्रेकअप करना बहुत आसान है बस किसी रिश्ते को जोड़े रखना ही मुश्किल होता है
कोई भी हो ,माँ बाप ,भाई बहन ,चाहे कोई दोस्त,या कोई प्रेमी जो हमें बेइंतहा मोहब्बत करता हो तो दोस्तों 🙏इस बात का ख़्याल ज़रूर रखें कि हम उनका विश्वास बनाये रखे ;
हमारी वजह से उनके दिल को ठेस
न लगे ।

जाने अनजाने हम किसी की तड़प बेचैनियाँ ,दुख और किसी की आँखों से निकले आँसूओ की वजह हम न बन बैठे। हमारी किसी ग़लत हरकत से किसी की नींदे उड़ जाये ,तो ये कोई छोटी सी बात न होगी ,दोस्तों !

इस बात का ख़्याल और डर हमेशा हमें रहना चाहिए ,दोस्तो कि जब कोई अपना दुख या शिकायत भीगीं आँखों से रब को सुना रहा हो उसमे तुम्हारे नाम का ज़िक्र न शामिल हो कहीं ।अगर ऐसा हुआ तो दोस्तों🙏
हमारी रूह पर इक बोझ या इसका क़र्ज़ ज़रूर रहता है और इस क़र्ज़
से दबी रूह चाहे जो भी कर
ले उसे मोक्ष नहीं मिलता

इस दुनिया में डरने लायक़ कुछ भी नहीं है दोस्तों ! सिवाय किसी की आह के ..”सुना है किसी के दुखी दिल से निकली आह ..तो पहाड़ों को भी चीर के रख देती है “
दोस्तों 🙏मेरी सब के लिये यही शुभकामनाएँ है कि आप का ज़िक्र लोगो की दुयाओ मे शामिल हो
न की उनकी बद दुआओ मे 🙏

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आवश्यक रक्षा सेवाएं अध्यादेश 2021 के विरोध में OFB कर्मचारियों ने मनाया काला दिवस

भारतीय स्वरूप संवाददाता, वर्तमान सरकार द्वारा 41 आयुध कारखानों को 7 निगमों में परिवर्तित करने का फैसले पर 16 जून 2021 को कैबिनेट की मोहर लगी, इसके विरोध में रक्षा कारखानों के समस्त कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया| इसी बीच सरकार द्वारा 30. 06. 2021 से अलोकतांत्रिक तथा मनमाने ढंग से समस्त रक्षा सामग्री उत्पादन करने वाले कारखानों तथा संस्थानों को आवश्यक रक्षा सेवाएं आध्यादेश-2021 “एसेंशियल डिफेंस सर्विसेज ऑर्डिनेंस-2021” के अधीन लाकर हड़ताल तथा अन्य आंदोलनात्मक प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है| इस अध्यादेश से रक्षा क्षेत्र के उपक्रमों में कार्य करने वालों को अपने अधिकार हेतु लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया गया है|

रक्षा क्षेत्र के तीनों मान्यताप्राप्त महासंघों ने संयुक्त रूप से इस अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक आध्यादेश के विरोध में कड़े शब्दों में निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित कर रक्षा मंत्री और सचिव रक्षा-उत्पादन को भेजा और 8 जुलाई 2021 को देश के सभी रक्षा प्रतिष्ठानों में एक दिवसीय काला दिवस मनाया जाना तय किया |

सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ के महासचिव श्री साधू सिंह के आवाहन पर रेल, डाक तार विभाग सहित अन्य सरकारी विभागों के कर्मचारियों ने भी इस अध्यादेश रूपी काले कानून के खिलाफ रक्षा कर्मचारियों के द्वारा मनाए जा रहे “ब्लैक डे” को समर्थन दिया है।

तीनों महासंघों के आवाहन पर आज पूरे देश के सभी रक्षा प्रतिष्ठानों में ” काला दिवस ” मनाया गया। इसी क्रम में आज संयुक्त संघर्ष समिति, ओ.पी.एफ. कानपुर ने निर्माणी द्वार पर दिनांक 8 जुलाई 2021 को काला दिवस मनाया, जिसमे समस्त कर्मचारियों ने भागीदारी सुनिश्चित करते हुए काला बिल्ला बांध कर निर्माणी में प्रवेश किया, साथ ही सरकार के इस अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक फैसले की कड़े शब्दों में निंदा की तथा आवश्यक रक्षा सेवाएं आध्यादेश-2021 (EDSO-2021) रुपी काले कानून की भर्त्सना भी की।

इस एक दिवसीय आंदोलन में आज पैराशूट निर्माणी कानपुर की समस्त यूनियनों के पदाधिकारियों के रूप में श्री आर के पराशर, श्री एस के साहू, श्री सुधीर त्रिपाठी, श्री प्रेम कुमार, श्री देवेन्द्र गौतम, श्री सर्वेश भदौरिया, श्री जितेन्द्र कुमार चोपड़ा, श्री अजय जायसवाल, श्री महेंद्र प्रताप, श्री मनीष शुक्ला, श्री अमर बाबू तिवारी, श्री निखिल रतन ,श्री प्रवीण यादव, श्री राज कुमार विश्वकर्मा, श्री रवि शंकर के साथ समस्त यूनियनों के अन्य पदाधिकारी और कार्यकर्त्ता भी उपस्थित थे।

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भारत में ऑटोमोबाइल के लिए एशिया के सबसे लंबे और दुनिया के पांचवां सबसे लंबे हाई स्पीड ट्रैक का उद्घाटन

भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज इंदौर में एनएटीआरएएक्स- हाई स्पीड ट्रैक (एचएसटी)का उद्घाटन किया,जो एशिया का सबसे लंबा ट्रैक है। एनएटीआरएएक्स को1000 एकड़ भूमि के क्षेत्र में विकसित किया गया है। जहां पर 2 पहिया वाहनों से लेकर भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक के सभी प्रमुख श्रेणी वाले वाहनों के हाई स्पीड परीक्षण हो सकेंगे। जो कि वाहनों के लिए सभी प्रकार के हाई स्पीड परीक्षण का एक प्रमुख केंद्र होगा।

विश्व स्तरीय 11.3 किमी लंबे हाई स्पीड ट्रैक के ई-उद्घाटन पर बोलते हुए,श्री जावड़ेकर ने कहा कि भारत का ऑटोमोबाइल और स्पेयर पार्ट्स का मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनना तय है। मंत्री ने कहा, हम तेजी से ‘आत्मनिर्भर भारत’ की ओर बढ़ रहे हैं और इस दिशा में चौतरफा प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, उनका मंत्रालय प्रधानमंत्री के सपने को पूरा करने के लिए के लिए प्रतिबद्ध है जिसकेतहत भारत ऑटो मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा, ऑटोमोबाइल और मैन्युफैक्चरिंग उद्योगों के विस्तार से नए रोजगार पैदा करने में भी सहयोग मिलेगा।

मंत्री ने कहा कि रेलवे, राजमार्ग और जलमार्ग क्षेत्र की कई परियोजनाएं वर्षों से लटकी हुई थीं जो आज मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण पूरी हो रही हैं।

इस अवसर पर भारी उद्योग एवंलोक उद्यम राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार मैन्युफैक्चरिंग और ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा दे रही है क्योंकि इससे देश को बड़े पैमाने पर सशक्त बनाने में मदद मिलेगी।

एनएटीआरएएक्स केंद्र में कई परीक्षण क्षमताएं हैं जैसे अधिकतम गति को आंकना, एक्सीलरेशन,तय गति परईंधन की खपत क्षमता, रियलरोड ड्राइविंग सिमुलेशन के माध्यम से उत्सर्जन परीक्षण, लेन बदलने के दौरान के दौरान वाहन की स्थिरता, उच्च गति की निरंतरता परखने की सुविधा है।इसके अलावा यह वाहनों के डायनेमिक्स काएक उत्कृष्टता केंद्र है।

एचएसटी का इस्तेमाल बीएमडब्ल्यू, मर्सिडीज, ऑडी, फेरारी, लेम्बोर्गिनी, टेस्ला आदि जैसी हाई-एंड कारों की अधिकतम हाई स्पीड क्षमता को मापने के लिए किया जाता है। जिसे किसी अन्य भारतीय परीक्षण ट्रैक पर नहीं मापा जा सकता है। मध्य प्रदेश में स्थित होने के कारण, यह अधिकांश ओईएम के लिए सुलभ है। विदेशी ओईएम भी भारतीय परिस्थितियों के लिए प्रोटोटाइप कारों के विकास के लिए एनएटीआरएएक्स एचएसटी के इस्तेमाल पर विचार करेंगे। वर्तमान में, विदेशी ओईएम हाई स्पीड परीक्षण जरूरतों के लिए विदेश में उच्च गति वाले ट्रैक पर परीक्षण करते हैं।

यह सभी प्रकार के हाई स्पीड परीक्षणों के लिए एक प्रमुख स्थान है, जो दुनिया में सबसे बड़े ट्रैकों में से एक है। यह सभी तरह की श्रेणी वाले वाहनों की जरूरत को पूरा कर सकता है।दो पहिया वाहनों से लेकर सबसे भारी ट्रैक्टर ट्रेलरों तक के वाहनों का इस ट्रैक पर परीक्षण किया जा सकता है। ट्रैक के घुमावों पर वाहनोंकी स्टेयरिंग का नियंत्रण 375 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति पर भीकिया जा सकता है। इसके लिएट्रैक को कम अंडाकार बनाया गया है। जो इसे से वैश्विक स्तर पर सबसे सुरक्षित परीक्षण ट्रैक में से एक बनाता है।

 

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सेंट्रल सेक्टर के अग्रिम क्षेत्रों और भारतीय सेना के पश्चिमी कमान के मुख्यालय का दौरा किया

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने आज उत्तर भारत एरिया के जीओसी के साथ हिमाचल प्रदेश में सेंट्रल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सटे अग्रिम क्षेत्रों का दौरा किया। सुमदोह सब सेक्टर में फॉरवर्ड पोस्ट पर सीडीएस को देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा में तैनात सैन्य बलों की अभियानगत तैयारियों की जानकारी दी गई। सीडीएस ने दूरदराज के इलाकों में तैनात भारतीय सेना, आईटीबीपी और जीआरईएफ कर्मियों के साथ व्यापक बातचीत की और उनके उच्च मनोबल की सराहना की। उन्होंने सभी रैंकों को उनके द्वारा प्रदर्शित सतर्कता और व्यावसायिकता के उच्च मानकों को बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

इसके बाद जनरल बिपिन रावत ने चंडीमंदिर में भारतीय सेना की पश्चिमी कमान के मुख्यालय का दौरा किया जहां उन्होंने पश्चिमी सीमा की स्थिति की समीक्षा की। सीडीएस ने सैन्य बलों का बुद्धिमतापूर्ण इस्तेमाल सुनिश्चित करते हुए इस कार्य के साथ साथ उन्हें चंडीगढ़, पटियाला, फरीदाबाद में कोविड अस्पतालों की स्थापना, सिविल अस्पतालों की सहायता में पैरामेडिकल स्टाफ उपलब्ध कराने, आम नागरिकों के टीकाकरण में सहायता करने और महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई में विभिन्न स्थानों पर ऑक्सीजन संयंत्रों के संदर्भ में सहायता प्रदान करने के लिए उनकी सराहना की। उन्होंने विरोधियों के नापाक मंसूबों को नाकाम करने के लिए कड़ी ट्रेनिंग पर ध्यान देने और सतर्क रहने पर जोर दिया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी रैंकों को सूचना प्रौद्योगिकी के नवीनतम रुझानों, उभरते साइबर खतरों और जवाबी उपायों के साथ स्वयं को तैयार रखना चाहिए।

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