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इश्क़ चाहे रब का हो या जग का .. दोनों की माँग केवल निष्ठा

हमने यू ही पूछ लिया …क्या प्यार बार बार होता है भला ? उसने भी बहुत लापरवाह हो कर कहा . हाँ बहुत बार हो सकता है .. अब वो क्या जाने …जो बार बार हो …वो दिल्लगी होती है और जो ज़िन्दगी मे सिर्फ़ इक ही बार हो ..वो दिल की लगी होती है … बहुत फ़र्क़ होता है दोनों मे दोस्तों …जो बार बार हो .. वो महज़ इक आकर्षण या मोह भी हो सकता है सच्चा इश्क़ तो जिस्मों से परे .. किसी की रूह को छू लेने का नाम है और जिस की नामौजूदगी से रूह जल उठती है ..वही है इश्क़.. इश्क़ चाहे रब से हो ..या जग से हो ..दोनों में कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं होता ..
दोनों ही निष्ठा और
निःस्वार्थ प्रेम मागंते है ..
इश्क़ में हम देने लगते हैं चाहे वो हमारा वक़्त हो ..हमारी हर बात ..हर सोच .. हर ख़ुशी..हर अल्फ़ाज़.. तिनका तिनका हमारी रूह का इश्क़ को समर्पित होने लगता है ..

जब इन्सान खुद इश्क़ हो जाता है.. तो वो पूरी कायनात से प्यार करता है ..और तब .. रब की इबादत खुद ब खुद होने लगती है
“इश्क़ इश्क़ कहती है जिसे दुनिया ..कहां होता है वो इश्क़”.. .. इश्क़ इक पाक जज़्बा है जब कोई इन्सान इश्क़ से ..सच मे रूबरू होता है .. फिर उसकी नज़र किसी और को देखना भी नही चाहती .. इश्क़ की भी अपनी मर्यादाएँ होती है
अल्फ़ाज़ो से ज़्यादा .. सुन्दर मन और सादगी किसी की भी रूह को छू लेने की ताक़त रखती है वहाँ लफ़्ज़ों का जादू नही चलता …आँखें सब कह देती है …

इश्क़ जब तक ज़रूरत है वो कभी भी ख़ुशी नही देगा ..मगर जब इश्क़ ज़रूरत न हो कर इबादत हो जाये .. तो उस वक़्त रूह पाकीजा हो कर बेमिसाल ख़ुशी को अनुभव करती है ..
दोस्तों अगर हम सभी सोचें ..और अपने अन्दर झांक कर देखें क्या वाक़ई मे हम मर्यादाओं मे रह कर किसी एक की भी रूह को छू पाये है कभी ..अगर हाँ .. तो यक़ीन मानिये दोस्तों ..आप को सच मे रब का साक्षात्कार हुआ है क्योंकि रब ही इश्क़ है और इश्क़ ही रब हैं 🙏

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रसायन विभाग क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन के संयुक्त तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस, “पारिस्थितिकी बहाली” पर एक वेबिनार आयोजित

 

कानपुर 6 जून भारतीय स्वरूप संवाददाता रसायनविज्ञान विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर ने फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन के सहयोग से, विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून, 2021 को अपराह्न 3:00 बजे (आईएसटी) जूम प्लेटफॉर्म पर “पारिस्थितिकी बहाली” पर एक वेबिनार का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य छात्रों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और उद्योगपतियों को एक ई-प्लेटफॉर्म पर लाना है, जहाँ समाज के लाभ के लिए पर्यावरण की बहाली और स्थिरता पर प्रभावी विचार-विमर्श हो सके।
वेबिनार की शुरुआत डॉo श्वेता चंद, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग, द्वारा लोगों की भलाई और वेबिनार की कार्यवाही के निर्बाध प्रवाह के लिए की गई प्रार्थना के साथ हुई।
कॉलेज के सचिव, रेव. सैमुअल पॉल लाल ने सभा को संबोधित किया और उन्हें इस बात से अवगत कराया कि प्रत्येक क्षेत्र किस कठिन समय का सामना कर रहा है और कैसे सर्वशक्तिमान ईश्वर हमारी भलाई के लिए हम पर अपना हाथ रख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस 2021 में पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक की ओर से सभी के लिए एक वैश्विक रैली की शुरुआत होगी: सरकारों से लेकर निगमों और नागरिकों तक – हमारे बीमार ग्रह को ठीक करने में अपनी भूमिका को पूरा करने के लिए।
प्राचार्य डॉ. जोसेफ डेनियल ने कहा कि पारिस्थितिक तंत्र, जंगल जैसे बड़े भी हो सकते हैं, और तालाब की तरह छोटे भी। इनमे से कई मानव समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो लोगों को पानी, भोजन, निर्माण सामग्री और कई अन्य आवश्यक चीजें प्रदान करते हैं। वे जलवायु-संरक्षण और जैव विविधता संरक्षण जैसे ग्रह-व्यापी लाभ भी प्रदान करते हैं। लेकिन हाल के दशकों में, संसाधनों के लिए मानवता की भूख ने कई पारिस्थितिक तंत्रों को टूटने की ओर धकेल दिया है। इसलिए इस वर्ष, 5 जून, विश्व पर्यावरण दिवस, पारिस्थितिक तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक का आधिकारिक शुभारंभ, प्राकृतिक दुनिया की गिरावट को रोकने और सुधारने के लिए 10 साल आगे ले जाने का प्रतीक है।
सम्मेलन की संयोजिका, डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य, प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने सभा को बताया कि पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली बड़े पैमाने पर एक वैश्विक उपक्रम है। जंगलों से लेकर पीटलैंड (दलदलिय) -तटों तक, हम सभी अपने अस्तित्व के लिए स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र पर निर्भर हैं। पारिस्थितिक तंत्र को जीवित जीवों – पौधों, जानवरों, लोगों – के बीच उनके परिवेश के साथ बातचीत के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें प्रकृति एवं मानव निर्मित प्रणालियाँ जैसे शहर और खेत भी शामिल हैं। हम अपने अस्तित्व की नींव को खतरनाक दर से खो रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं। पारिस्थितिक तंत्र का नुकसान दुनिया को जंगलों और पीटलैंड जैसे कार्बन सिंक से वंचित कर रहा है, जबकि मानवता इसे बिलकुल वहन नहीं कर सकती है। वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन लगातार तीन वर्षों से बढ़ा है और ग्रह संभावित विनाशकारी जलवायु परिवर्तन की ओर बढ़ रहा है। COVID-19 के उद्भव ने यह भी दिखाया है कि पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान के परिणाम कितने विनाशकारी हो सकते हैं। जानवरों के लिए प्राकृतिक रहन-सहन को कम करके, हमने – कोरोनावायरस सहित – अन्य रोगजनकों के फैलने के लिए आदर्श परिस्थितियों का निर्माण किया है। लेकिन साथ में हम बेहतर तरीके से वापस निर्माण भी कर सकते हैं।
एफ.आई.इ.ओ. कानपुर के मुख्य सलाहकार, लायन वाई. एस. गर्ग ने इस तरह के एक खतरनाक मुद्दे को संबोधित करने के लिए कॉलेज को बधाई दी। पारिस्थितिक तंत्र और उसकी जैव विविधता आर्थिक विकास, सतत विकास और मानव कल्याण को रेखांकित करती है। फिर भी जैव विविधता का नुकसान जारी है, जिसके परिणामस्वरूप पारिस्थितिक तंत्र की वस्तुओं और सेवाओं में गंभीर कमी आई है, जो आर्थिक समृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रही है।
मुख्य वक्ता डॉ. दीपांकर साहा, पूर्व अतिरिक्त निदेशक, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली; वर्तमान में वे पर्यावरण मूल्यांकन समिति, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के विशेषज्ञ सदस्य हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सतत विकास का मुख्य सिद्धांत निर्णय लेने के सभी पहलुओं में पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक चिंताओं का एकीकरण है। पर्यावरणीय स्थिरता प्राकृतिक पर्यावरण से संबंधित है – यह कैसे टिकती है और विविध और उत्पादक बनी रहती है, यह उस पर ही निर्भर करता है। चूंकि प्राकृतिक संसाधन पर्यावरण से प्राप्त होते हैं, इसलिए वायु, जल और जलवायु की स्थिति विशेष चिंता का विषय है। पर्यावरणीय स्थिरता के लिए समाज को ग्रह की जीवन-समर्थन प्रणालियों को संरक्षित करते हुए मानवीय जरूरतों को पूरा करने के लिए गतिविधियों को नियोजित करने की आवश्यकता होती है।
वेबिनार श्रृंखला की दूसरी वक्ता डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य लीड ऑडिटर – फॉरेस्ट सर्टिफिकेशन, डीआईएन सर्टको गेसेलशाफ्ट फर कोनफॉर्मिटैट्सबेवर्टुंग एमबीएच (TUVRheinland Group), जर्मनी थीं। उन्होंने कहा कि वन प्रमाणन को बेहतर वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए पिछले दशक की सबसे महत्वपूर्ण पहल के रूप में व्यापक रूप से देखा जाता है। जिम्मेदार वन प्रबंधन एक महत्वपूर्ण समाधान है और प्रमाणन की एक विश्वसनीय प्रणाली इन महत्वपूर्ण संसाधनों के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित कर सकती है।
तीसरे वक्ता डॉ. सुदीप्तो घोष, सलाहकार, क्षेत्रीय-सह-सुविधा केंद्र, पूर्वी क्षेत्र, राष्ट्रीय औषधीय पौध बोर्ड, आयुष मंत्रालय थे। उन्होंने कहा कि सदियों से प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन ने पारिस्थितिक तंत्र के भीतर संतुलन को बुरी तरह से बाधित कर दिया है, जिससे दुनिया भर में पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव आया है। क्षति, सतत विकास और उनकी उत्पादकता, स्वास्थ्य और स्थिरता में निवेश और पुनर्निवेश करने में विफलता के परिणामस्वरूप पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र खराब हो रहे हैं। आने वाले दशकों में विश्व की आबादी की भलाई बड़े हिस्से में जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण और बहाली पर निर्भर करेगी, जिससे पर्यावरण से संबंधित जोखिमों को कम करते हुए सतत विकास में योगदान मिलेगा।
आयोजन सचिव प्रो. रवि प्रकाश महलवाला, एसोसिएट प्रोफेसर, भौतिक विज्ञान विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
सुश्री शेरोन लाल, व्याख्याता, अंग्रेजी विभाग ने पूरे सत्र का संचालन किया एवं डॉo मीतकमल, एसोसिएट प्रोफेसर, रसायन विज्ञान विभाग ने भी पूरा सहयोग किया|
वेबिनार में लगभग 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सत्र बहुत ज्ञानवर्धक था और मंच पर मूल्यवान विचारों का आदान-प्रदान किया गया।

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अवेयरनेस ऑफ म्यूकार्माइकोसिस ब्लैक फंगस इन कोविड-19 विषय पर संगोष्ठी आयोजित

डॉ शालिनी मोहन, एसोसिएट प्रोफेसर ,आप्थाल्मालॉजी, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज,

आज  दिनांक 27 मई को वैल्यू एजुकेशन सेल  क्राइस्ट चर्च कॉलेज  द्वारा  एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसका शीर्षक था अवेयरनेस ऑफ म्यूकार्माइकोसिस ब्लैक फंगस इन कोविड-19  इसमें मुख्य  वक्ता के रूप में डॉ शालिनी मोहन,  एसोसिएट प्रोफेसर , आप्थाल्मालॉजी  ,जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज,  कानपुर के रूप में आमंत्रित की गई/  डॉ मोहन ने सभी प्रतिभागियों को बताया कि फंगस से डरने की जरूरत नहीं है  बलिक की जागरूक रहने की जरूरत है  /  यह फंगस बहुत ही दुर्लभ हालात में होती है उन्हीं पेशंस में डेवलप हो रही है जिनमें डायबिटीज कंट्रोल  नहीं है या फिर जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही कमजोर है डायलिसिस के पेशेंट में , पेशेंट्स जो कि अत्यधिक मात्रा में स्टेरॉइड्स का सेवन करते हैं या इम्यूनोसपरेसिव  ड्रग्स का सेवन करते हो / डॉ मोहन ने बताया कि स्वस्थ आहार ही आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है इसलिए उसका सेवन करें /साफ सफाई से रहे /धूप का सेवन अवश्य करें क्योंकि धूप एक नेचुरल सेंट्रलाइजर है/ कपड़ों को भी धोने के बाद धूप अच्छी तरह दिखाइए /कमरों में प्रॉपर वेंटिलेशन रखें अगर ऐसा करते हैं तो इस फंगस का कोई भी दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा /   कार्यक्रम का आरंभ डॉक्टर सबीना बोदरा ने प्रार्थना करके किया उसके बाद कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया / मुख्य वक्ता का परिचय डॉ  मीत कमल द्वारा किया गया तथा कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ श्वेता चंद ने किया/  इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ थी राय ने अंत में सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन दिया / कार्यक्रम में 100 से अधिक प्रतिभागी मौजूद रहे और यह कार्यक्रम जन समाज के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध हुआ / डॉ मोहन ने कॉलेज प्रशासन को धन्यवाद दिया तथा कहा कि इस तरह के जागरूकता कैंप अगर सभी लोग आयोजित करें तो आम आदमी को इस फंगस के बारे पूर्ण जानकारी दी जा सकती है/

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मीडिया को दिखाना चाहिए सकारात्मक खबरें

दोस्तों ..🙏मैं समिता जो इंग्लैंड मे रह रही हूँ अपने भारतीये परिवारों की हालात …इस महामारी मे देख कर बहुत दुख महसूस कर रही हूँ .. मैं ही नही ..हम सारे ही मानसिक तौर पर इस पीड़ा को महसूस कर रहे है
आज जो बात करने जा रही हूँ मुझे विश्वास है कि आप लोग सभी इससे सहमत होंगे

सब को पता है कि हमे महामारी
ने घेर रखा है चारों तरफ़ से ..
और हमारा न्यूज़ चैनल हमे सारा दिन सफ़ेद कपड़ों ने लिपटी लाशें ..जलते शव ..डरे हुये और
परेशान लोग .. मरीज़ों से भरे अस्पताल .. आर्थिक परेशानी दिखा कर जनता का मनोबल तोड़ रहे है जब कि वक़्त की माँग ये है .. सब इक दूसरे का साथ दे .. मीडिया न्यूज़ चैनलज को ये जानकारी उपलब्ध करने की कोशिश करनी चाहिये

कौन से अस्पताल मे जगह ख़ाली है ..ताकि लोग इधर उधर न भटके अपने मरीज़ को सीधा वही ले जाये .. और उनका वक़्त भी ख़राब न हो ..

लोगों को ऐंबुलेंस की जानकारी दी जाये ..जगह जगह लोगों को सेवा करने के लिये उकसाया जाये ..

जहाँ तक हो सके आकसीजन सिलेंडर के दाम कम से कम करने के लिये गोवरमैंट से सख़्त क़ानून बनाने के लिये मागं की जाये ..ताकि आम इन्सान इससे फ़ायदा उठा सके ..
कहाँ से मरीज़ों को आकसीजन सिलेंडर मिल सकता है .. इसकी भी जानकारी दी जाये

ऐसे लोगों की बात जनता तक पहुँचाये जो लोग इससे ठीक हो कर अपनो घरों मे सुरक्षित लौटे है ..

बहुत सी संस्थाये ..बहुत से धार्मिक सत्संग घर जो सेवा मे जुटे है सबसे ज़्यादा नाम बयास वाले राधासवामी का सुनने मे आया है .. जिन्होंने पहली बार भी देश को इस महामारी मे बहुत योगदान दिया है और अब भी उन्होंने अपने सत्संग घरों को मरीज़ों के लिये तैयार किया हुआ है और भी संस्थाय् है उनकी जानकारी लोगों तक न्यूज़ चैनल के दुआरा बार बार पहुँचाई जाये ..

ये वक़्त हिम्मत बँधाने का है न कि हिम्मत तोड़ने का ..

लोगों को २५ घण्टे ..डर ..या मौतों के आँकड़े बताने से कोई फ़ायदा नही होगा….

भारत इतना सक्षम देश है .. दूर के देशों मे इसने धाक जमा रखी है .. आज हमारा भारत धनवंता के लिये मशहूर है .. ऐसे मे कोई इलाज न हो सकने की वजह से अपनी जान गवाँ बैठे तो हम सब के लिये बेहद अफ़सोस की बात है ..

मेरी पूरे भारत के सक्षम लोगों से दरखास्त है .. जो कोई कुछ भी योगदान दे सकता है दे ..🙏 इस वक़्त के समय मे मीडिया बहुत लोगों को मदद कर सकती है दोस्तों ..🙏बहुत धन्यवाद जो लोग इस मुश्किल घड़ी में डट कर इक दूसरे का सहारा बने हुए हैं

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क्राईस्ट चर्च कॉलेज में व्याख्यान श्रृंखला “केमिस्ट्री इन एवरी डे लाइफ -4 “ कार्यक्रम आयोजित

क्राईस्ट चर्च कॉलेज में आज एक व्याख्यान श्रृंखला “केमिस्ट्री इन एवरी डे लाइफ -4 “ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में सभी छात्रों का स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ सुधीर गुप्ता ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रार्थना द्वारा डॉ ए के नैथेनियल ने की। क्राईस्ट चर्च कॉलेज के प्राचार्य डॉ जोसेफ डेनियल ने छात्रों को आज की श्रृंखला की अहमियत से अवगत कराया। इस श्रृंखला के अतिथि वक्ता रहे, एसोसिएट प्रो० डिपार्टमेंट ऑफ एंटोमोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ अग्रीकल्चर & टेक्नोलॉजी, पंत नगर डॉ जय प्रकाश पंवार। प्रो० पंवार ने कीटनाशको की कार्य प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी, मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण के लिए कीटनाशक के प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। परिचय का कार्यभार संभालते ही डॉ आनंदिता ने प्रश्नोत्तर में 30-40 मिनट का दौर तय कराया। तत्पश्चात छात्रों ने 5 मिनट का नाटक प्रस्तुत किया। इस श्रृंखला में डॉ श्रद्धा सिन्हा, ए सी टी वाइस प्रेसिडेंट नॉर्थ ज़ोन, श्रृंखला को महत्वपूर्ण बताया तथा क्राईस्ट चर्च कालेज के महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की। इस कार्यक्रम की समन्वयक रहीं डॉ ज्योत्सना लाल पॉल। इस श्रृंखला का संचालन डॉ श्वेता चंद्रा द्वारा किया गया। अंत में रिपोर्ट
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम की सयोजिका डॉ मीत कमल द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में दीपेंद्र सोनी, वेदांत मिश्रा, अनुष्का पॉल, देवांश त्रिपाठी स्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों ने नाटक के माध्यम से प्रतिभाग लिया, इस श्रृंखला में 100 छात्रों ने प्रतिभाग लिया।

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इस माहौल मे अपनी मैंटल हैल्थ को कैसे रखें पॉजिटिव

नमस्कार दोस्तों 🙏मैं समिता ..जो बहुत सालों से इंग्लैंड मे रह रही हूँ .. क्यूँकि भारत हमारा देश है हमारे परिवार वहाँ इस बिमारी से जूझ रहे है तो ये हम सब के लिये ही चिंता का कारण है ..दोस्तों ..
इस महामारी की वजह से हमारे अन्दर इक डर का होना बड़ा स्वाभाविक है सब डर रहे है चिंता कर रहे है इक असहाये सी स्थिति बनी हुई है बहुत ही गंभीर विषय है आज का ..

आज मैं बात करूँगी कि इस वक़्त के माहौल मे हम अपनी मैंटल हैल्थ को कैसे सही रख सकते है कैसे अपने को पाजीटिव रखा जा सकता है

बहुत से ऐसे लोग होंगे
जो बुजुर्ग है अकेले रह रहे है
जिनके बच्चे उन से दूर है
ऐसे वक़्त मे इन लोगों को ज़्यादा
डिप्रेशन होने की संभावना है .. अपने परिवारों को जो आप से दूर है आपके दोस्त सब से बात करे ..हो सके तो हर रोज किसी न किसी से संपर्क करे .. फ़ोन के ज़रिये आपस मे बातचीत करते रहे ..उनको भी अच्छा लगेगा और आप को भी …

अपने दिन को इस तरह से प्लान करे जिस मे आप को बोरियत के लिये कोई वक़्त न मिल सके ..
जैसे इक ख़ास वक़्त रखे हर इक चीज़ करने के लिये ..
अच्छी किताबो को पड़ने के लिये .आनलाइन भी बहुत कुछ पढ़ा जा सकता है ..कोई मूवी देख सकते है ..कोई खेल बच्चों के साथ खेल सकते है ये मैंटल हैल्थ के लिये बहुत अच्छा होता है .. कुछ पेंटिंग कर सकते है .. कुछ लिखना शुरू कर सकते है .. गाने सुनना सुनाना .. कुछ रीकोडिंग ..घरों के पौधों पर धयान दे सकते है ..कुछ नया सीख सकते है घर की साफ़ सफ़ाई मे हाथ बटा सकते है ..हलके व्यायाम कर सकते है रसोई मे कुछ नया बना कर सब को खिलाये ..
इस तरह कुछ गोल निर्धारित
किये जाये .. और जब आप ये करेंगे इससे इक तो आप को अच्छा लगेगा .. और आप बोर भी नही होंगे .. जब हम शारीरिक काम करते है तो दिमाग भी व्यस्त रहता और आप अच्छा महसूस करते है ..

अच्छा खाना पीने का पूरा धयान रखे आप के आसपास कोई ऐसा न हो जो भूखा सो जाये ..कुछ लोग ऐसे भी है जो हर रोज कमाते है तो उनका परिवार चलता है इस वक़्त मे बहुत मुश्किल होती होगी उनहे भी ..अगर कोई मुश्किल से जूझ रहा है तो उसकी मदद ज़रूर करे

सिगरेट तम्बाकू का प्रयोग न करे .. नशीली चीज़ों से दूर रहे ..इनसे सेहत तो ख़राब होगी ही .. पैसा भी ख़राब होगा ये सब मैंटल डिप्रेशन का कारण भी बनते है

नींद न आना .. ये सेहत के लिये बेहद नुक़सानदायक होता है .. जब हम नींद पूरी नही लेते ..तो हमारे हार्मोनस मे गड़बड़ी हो जाती है .. पेट ख़राब .. और बहुत कुछ और भी ..अच्छी नींद हमारे दिमाग और शरीर दोनों के लिये बहुत फ़ायदेमंद होती है ..

हर वक़्त न्यूज़ चैनल न देख कर ..दो या तीन बार ही.. समाचार सुने जाये .. बार बार न्यूज़ मे डर मौत और निगेटिव बातें सुनने से मन मे डर बैठ जाता है .. जो डिप्रेशन बढ़ा सकता है ..

डर को बढ़ावा न दे कर सब को सावधान करे .. शोशल डीसटैंस को बढ़ावा दे ..हर बात मे
पॉज़िटिव् सोच रखे ..सकारात्मक सोच ही हमे मानसिक तनाव से दूर रख सकती है अगर अच्छा सोचोगे तो अच्छा ही आकर्षित करोगे .. डर के बारे मे सोचते रहेंगे …तो डर ही आकर्षित करोअपना पूरा धयान अच्छी बातों पर ही दे जिनसे आप को ख़ुशी मिलती है ..दिन मे कुछ वक़्त मेडीटेशन को भी दे .. मेडीटेशन डिप्रेशन को दूर करने के लिये कही हद तक सहायक होती है ..जो होना है वो तो पहले से ही निशचित है दोस्तों ..हमे बस सावधानी बरतनी है

इस वक़्त हम लोग बाहर तो नही जा सकते मगर कुछ देर अपने घरों के बाहर चहलक़दमी करे या घरों की खिड़कियाँ खोले शुद्ध हवा के लिये ..एक ही कमरे मे न बैठे रहे दिन भर ..

सबसे बडी डिप्रेशन का कारण आर्थिक व्यवस्था भी हो सकेगी .. इस लिये जो कोई किसी की सहायता करने की क्षमता रखता है ज़रूर करे ..अपने को भी डिप्रेशन से बचाना है और सब को भी…

तुझ मे और मुझ मे सब मे ही तो
ईश्वर का वास है एक इन्सान दूसरे इन्सान के जब काम आये ..तो मुझे लगता है कि “रब इसमें पूरी तरह से राज़ी होता है .”… इक दूसरे का हाथ पकड़ कर किसी भी मुश्किल मे आसानी से निकला जा सकता है …

दोस्तों मुझे पता है आप लोग सब ही बहुत समझदार हो .. कुछ भी बताने की ज़रूरत नही .. और मैंने जो कुछ कहा भी है ..वो सिर्फ़ हम सब को बार बार याद दिलाने की चेष्टा ही है और कुछ नही .. नमस्कार 🙏

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नागालैंड की राज्य सरकार की मांग पर रेलवे ने आज दीमापुर में 10 आइसोलेशन कोच तैनात किया

कोविड के खिलाफ एकजुट लड़ाई में राष्ट्र की क्षमताओं को मजबूत करते हुए रेल मंत्रालय ने अपनी बहु-आयामी पहलों के बीच करीब 64,000 बेड साथ लगभग 4,000 आइसोलेशन कोचों को तैनात किया है।

राज्यों के साथ साझा रूप से काम करने और यथासंभव सामंजस्यपूर्ण जल्द कार्यवाही के लिए एक आदेश को लेकर अपने समझौता ज्ञापन को पूरा करने के लिए रेलवे ने जोनों और डिवीजनों को सशक्त बनाने की एक विकेंद्रीकृत कार्य योजना तैयार की है। इन आइसोलेशन कोचों को आसानी से स्थानांतरित और भारतीय रेल नेटवर्क पर मांग के स्थानों पर इन्हें तैनात किया जा सकता है।

वहीं राज्यों की मांग के अनुसार वर्तमान में कोविड मरीजों की देखभाल के लिए विभिन्न राज्यों कोलगभग 3400 बेड की क्षमता के साथ 213कोच सौंपे गए हैं। मौजूदा समय में आइसोलेशन कोचों का इस्तेमाल दिल्ली, महाराष्ट्र (अजनी आईसीडी, नंदुरबार), मध्य प्रदेश (इंदौर के करीब तीही) में किया जा रहा है। नवीनतम मांग नागालैंड की राज्य सरकार की ओर से आइसोलेशन कोचों के लिए आया है।इसके अनुरूप रेलवे ने दीमापुर में 10 आइसोलेशन कोचों को तैनात किया है।

इसके अलावा रेलवे ने उत्तर प्रदेश के बड़े शहरों जैसे; फैजाबाद, भदोही, वाराणसी, बरेली और नजीबाबाद में भी 50 कोच लगाए हैं। वहीं जिला प्राधिकारियों की मांग पर आइसोलेशन कोचों को नंदुरबार से पालघर स्थानांतरित किया गया है। जबलपुर के लिए भी आइसोलेशन कोच तैनात किए जा रहे हैं।

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में तैनात इन कोचों की उपयोगिता की अद्यतन स्थिति निम्नलिखित है –

आज की तिथि में महाराष्ट्र के नंदुरूबार में पिछले कुछ दिनों में 6 नए मरीजों को भर्ती किया किया है, जबकि 3 मरीज को आइसोलेशन अवधि के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया।अभी इस सुविधा में 35 कोविडमरीज आइसोलेशन में हैं। अब तक राज्य स्वास्थ्य प्राधिकारियों द्वारा 95 भर्ती पंजीकृत किए गए हैं, जबकि 60 मरीजों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। अभी भी 330 बेड उपलब्ध हैं। इसके अलावा रेलवे ने अजनी इनलैंड कंटेनर डिपो (आईसीडी) में 11 कोविड केयर कोचों (चिकित्सा कर्मियों एवं आपूर्ति के लिए विशेष रूप से सेवा देने वाले एक कोच के साथ) को लगाया है।

मध्य प्रदेश राज्य सरकार द्वारा 2 कोचों की मांग के संबंध में पश्चिमी रेलवे के रतलाम डिवीजन ने इंदौर के पास तीही स्टेशन पर 320 बेड की क्षमता वाले 22 कोच तैनात किए हैं। अब तक यहां 12 मरीज भर्ती हो चुके हैं। इस सुविधा में अभी 308 बेड उपलब्ध हैं। वहीं भोपाल में 20 कोच तैनात किए गए हैं। नवीनतम आंकड़ों के अनुसारइनमें4 डिस्चार्ज के साथ 21मरीजों को भर्ती किया गया। यहां अभी 275बेड उपलब्ध हैं।

रेलवे ने दिल्ली में 1200 बिस्तरों की क्षमता के साथ 75 कोविड केयर कोचों की राज्य सरकार की मांग को पूरा किया है। इनमें से 50 कोच शकूरबस्ती और 25 कोच आनंद विहार स्टेशन पर तैनात हैं। अब तक इनमें 1 मरीज को डिस्चार्ज किए जाने के साथ 4भर्ती पंजीकृत किए गए हैं। 1196 बेड अभी भी उपलब्ध हैं।

नवीनतम रिकॉर्ड के अनुसार, उपरोक्त राज्यों में कुल मिलाकर 123 मरीजों को भर्ती किया गया। इनमें से 62को डिस्चार्ज किया जा चुका है। वर्तमान में 61कोविड मरीज इन आइसोलेशन कोचों का उपयोग कर रहे हैं। इन सुविधाओं में अभी भी 3200 बेड उपलब्ध हैं। इनमें दीमापुर में नए कोचों की तैनाती भी शामिल है।

हालांकि उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा अब तक कोचों की मांग नहीं की गई है, फैजाबाद, भदोही, वाराणसी, बरेली और नजीबाबाद में कुल 800 बिस्तरों (50 कोच) की क्षमता के साथ प्रत्येक स्थान में 10 कोच रखे गए हैं।

वहीं असम की सरकार ने भी विभिन्न स्टेशनों पर 150 कोविड कोचों को तैयार रखने के लिए अनुरोध किया है। हालांकि इन कोचों को छह स्टेशनों कामख्या/गुवाहाटी, लामडिंग, न्यू बंगाईगांव, सिलचर, बदरपुर और डिब्रुगढ़ के लिए अनुरोध नहीं किया है। इसकी जगह यह सुझाव दिया गया है कि जरूरत पड़ने पर इन कोचों को लगाया जाए।

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राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण आरंभ, भारत का कुल टीकाकरण कवरेज 15.68 करोड़ से अधिक

भारत सरकार ने ‘समग्र सरकार’दृष्टिकोण के साथ राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिल कर देश में कोविड-19 महामारी की रोकथाम, नियंत्रण तथा प्रबंधन के लिए एक पांच सूत्री रणनीति आरंभ की है। टेस्ट, ट्रैक, ट्रीट तथा कोविड समुचित बर्ताव के साथ टीकाकरण पांच सूत्री रणनीति का एक अंतरंग घटक है।

कोविड-19 टीकाकरण की उदार और त्वरित चरण-3 रणनीति कल (1 मई, 2021) से प्रभावी हुई है। नए पात्र जनसंख्या समूहों के लिए पंजीकरण 28 अप्रैल से आरंभ हुआ।

राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान का तीसरा चरण आरंभ होने के साथ देश में लगाये गए कोविड 19 के कुल टीकों की संख्या आज 15.68 करोड़ से पार हो गई।

11 राज्यों में 18-44 आयु समूह के 86,023 लाभार्थियों ने कोविड-19 टीके की अपनी पहली खुराक प्राप्त की। ये राज्य हैं-छत्तीसगढ़ (987), दिल्ली (1,472), गुजरात (51,622), जम्मू एवं कश्मीर (201), कर्नाटक (649), महाराष्ट्र (12,525), ओडिशा (97), पंजाब (298), राजस्थान(1853), तमिलनाडु (527) तथा उत्तर प्रदेश (15,792)।

आज सुबह 7बजे की अनंतिम रिपोर्ट के अनुसार,22,93,911 सत्रों के जरिये कुल मिलाकर 15,68,16,031 टीके लगाये जा चुके हैं। इनमें 94,28,490 एचसीडब्ल्यू शामिल हैं जिन्होंने पहली खुराक ली है जबकि 62,65,397 एचसीडब्ल्यू ने दूसरी खुराक प्राप्त की है,1,27,57,529 एफएल्डब्ल्यू (पहली खुराक)69,22,093 एफएल्डब्ल्यू (दूसरी खुराक)18-45 आयु समूह के नीचे के 86,023 लाभार्थियों ने पहली खुराक, 60 वर्ष से अधिक आयु के 5,26,18,135 लाभार्थियों ने पहली खुराक तथा 1,14,49,310 लाभार्थियों ने दूसरी खुराक और 45 से 60 वर्ष की आयु के बीच के 5,32,80,976 लाभार्थियों ने पहली खुराक तथा 40,08,078 लाभार्थियों ने दूसरी खुराक प्राप्त की है।

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भारत का व्यापारिक निर्यात अप्रैल 2021 में 30.21 बिलियन डॉलर था, जो अप्रैल 2020 के 10.17 बिलियन डॉलर की तुलना में 197.03 प्रतिशत अधिक तथा अप्रैल 2019 के 26.04 बिलियन डॉलर की तुलना में 16.03 प्रतिशत अधिक है

भारत का व्यापारिक निर्यात अप्रैल 2021 में 30.21 बिलियन डॉलर था, जो अप्रैल 2020 के 10.17 बिलियन डॉलर की तुलना में 197.03 प्रतिशत अधिक तथा अप्रैल 2019 के 26.04 बिलियन डॉलर की तुलना में 16.03 प्रतिशत अधिक है।

भारत का व्यापारिक आयात अप्रैल 2021 में 45.45 बिलियन डॉलर था, जो अप्रैल 2020 के 17.09 बिलियन डॉलर की तुलना में 165.99 प्रतिशत अधिक तथा अप्रैल 2019 के 42.38 बिलियन डॉलर की तुलना में 7.22 प्रतिशत अधिक है।

इस प्रकार भारत 15.24 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे के साथ अप्रैल 2021 में शुद्ध आयातक है जिसमें अप्रैल 2020 के 6.92 बिलियन डॉलर के व्यापार घाटे की तुलना में 120.34 प्रतिशत वृद्धि हुई तथा अप्रैल 2019 के 16.35 बिलियन डॉलर से अधिक के व्यापार घाटे की तुलना में 6.81 प्रतिशत की गिरावट आई।

अप्रैल 2021 में गैर-पेट्रोलियम निर्यात का मूल्य 26.85 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल 2020 के 8.93 बिलियन डॉलर की तुलना में 200.62 प्रतिशत तथा अप्रैल 2019 के 22.48 बिलियन डॉलर की तुलना में 19.44 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।

अप्रैल 2021 में गैर-तेल, गैर-जीजे (गैर-सोना, चांदी तथा बेशकीमती धातु) का मूल्य 26.05 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल 2020 के 12.33 बिलियन डॉलर की तुलना में 111.3 प्रतिशत तथा अप्रैल 2019 के 24.46 बिलियन डॉलर की तुलना में 6.48 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है। अप्रैल 2021 में गैर-पेट्रोलियम एवं गैर-रत्न तथा आभूषण निर्यात का मूल्य 23.51 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल 2020 के 8.90 बिलियन डॉलरकी तुलना में 164.28 प्रतिशत तथा अप्रैल 2019 के 19.61 बिलियन डॉलर की तुलना में 19.89 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।

अप्रैल 2021 में, तेल आयात का मूल्य 10.8 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल 2020 के 4.65 बिलियन डॉलर की तुलना में 132.26 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि तथा अप्रैल 2019 के 11.56 बिलियन डॉलर की तुलना में 6.62 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।

अप्रैल 2021 में, गैर-तेल आयात का मूल्य 34.65 बिलियन डॉलर आंका गया जो अप्रैल 2020 के 12.44 बिलियन डॉलर की तुलना में 178.6 प्रतिशत की वृद्धि तथा अप्रैल 2019 के 30.82 बिलियन डॉलर की तुलना में 12.42 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित करता है।

अप्रैल 2021 में गैर-तेल, गैर-जीजे (गैर-सोना, चांदी तथा बेशकीमती धातु) आयातों का मूल्य 26.05 बिलियन डॉलर था जो अप्रैल 2020 के 12.33 बिलियन डॉलर की तुलना में 111.3 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि तथा अप्रैल 2019 के 24.46 बिलियन डॉलर की तुलना में 6.48 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।

अप्रैल 2020 की तुलना में अप्रैल 2021 के दौरान सभी प्रमुख कमोडिटी ने सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित की है अर्थात रत्न एवं आभूषण (9158.63 प्रतिशत), फ्लोर कवरिंग सहित जूट मैन्यूफैक्चरिंग (1556.39 प्रतिशत), कालीन (1351.48 प्रतिशत), हैंडमेड कालीन छोड़कर हस्तशिल्प (1207.98 प्रतिशत), चमड़ा तथा चमड़ा विनिर्माता (1168.96 प्रतिशत), सभी कपड़ों का आरएमजी (920.52 प्रतिशत), कॉटन यार्न/फैब्रिक्स/मेडअप्स, हस्तकरघा उत्पाद आदि (583.53 प्रतिशत), सेरामिक उत्पाद तथा ग्लासवेयर (441.57 प्रतिशत), अन्य मोटे अनाज (441.46 प्रतिशत), इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं (362.86 प्रतिशत), ऑयल मील (275.91 प्रतिशत), काजू (252.46 प्रतिशत), अभ्रक, कोयला और अन्य अयस्क, प्रोसेस सहित खनिज अवयव (234.63 प्रतिशत), तंबाकू (183.86 प्रतिशत), लौह अयस्क (175.15 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (171.11 प्रतिशत), अनाज तैयारियां एवं विविध प्रसंस्कृत मदें (170.86 प्रतिशत), तिलहन (166.24 प्रतिशत), मांस, डेयरी तथा पोल्ट्री उत्पाद (148.6 प्रतिशत), चाय (143.04 प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (107.59 प्रतिशत), मसाले (102.32 प्रतिशत), कॉफी (73.83 प्रतिशत), कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन (69.39 प्रतिशत), चावल (60.29 प्रतिशत), प्लास्टिक एवं लिनोलियम (47.49 प्रतिशत), फल एवं सब्जी (21.82 प्रतिशत) तथा ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स (20.68 प्रतिशत)।

अप्रैल 2019 की तुलना में निर्यात में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे प्रमुख कमोडिटी समूह हैं- लौह अयस्क (219.55 प्रतिशत), अन्य मोटे अनाज (206.43 प्रतिशत), ऑयल मील (86.59 प्रतिशत), फ्लोर कवरिंग सहित जूट मैन्यूफैक्चरिंग (66.19 प्रतिशत), चावल (49.45 प्रतिशत), अनाज तैयारी तथा विविध प्रसंस्कृत मदें (40.34 प्रतिशत),इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं (35.81 प्रतिशत), अभ्रक, कोयला तथा अन्य अयस्क, प्रोसेस सहित खनिज अवयव (33.17 प्रतिशत), मसाले (32.72 प्रतिशत), कॉटन यार्न/फैब्रिक्स/मेडअप्स, हस्तकरघा उत्पाद आदि (25.27 प्रतिशत),सेरामिक उत्पाद एवं ग्लासवेयर (22.57 प्रतिशत), ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स (22.55 प्रतिशत), कालीन (22.38 प्रतिशत), इंजीनियरिंग वस्तुएं (18.61 प्रतिशत), काजू (16.57 प्रतिशत), रत्न एवं आभूषण (16.38 प्रतिशत), समुद्री उत्पाद (16.34 प्रतिशत), हैंड-मेड कालीन छोड़कर हस्तशिल्प (14.33 प्रतिशत), प्लास्टिक एवं लिनोलियम (13.31 प्रतिशत), फल एवं सब्जियां (11.66 प्रतिशत), मैन-मेड यार्न/ फैब्रिक्स/मेडअप्स आदि (8.35 प्रतिशत) तथा ऑयल सीड्स (1.30 प्रतिशत)।

अप्रैल 2019 की तुलना में नकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे प्रमुख कमोडिटी समूह हैं- चाय (-23.66 प्रतिशत), चमड़ा एवं चमड़ा विनिर्माता (-13.27 प्रतिशत), तंबाकू (-9.86 प्रतिशत), सभी कपड़ों का आरएमजी (-8.01 प्रतिशत), पेट्रोलियम उत्पाद (-5.5 प्रतिशत), कॉफी (-2.56 प्रतिशत), कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन (-2.21 प्रतिशत) तथा  मांस, डेयरी तथा पोल्ट्री उत्पाद (-1.38 प्रतिशत)।

पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में अप्रैल 2021 के दौरान सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे आयात के प्रमुख कमोडिटी समूहों में शामिल हैं- सोना (215906.91 प्रतिशत), मोती, बहुमूल्य एवं अर्ध-बहुमूल्य पत्थर (119500.48 प्रतिशत), सल्फर तथा अनरोस्टेड आयरन पाइराइट्स (1525.05 प्रतिशत), इलेक्ट्रोनिक्स वस्तुएं (213.59 प्रतिशत), गैर-फेरस धातु (193.89 प्रतिशत), परिवहन उपकरण (170.95 प्रतिशत), प्रोफेशनल इंस्ट्रूमेंट, ऑप्टिकल वस्तुएं आदि (163.13 प्रतिशत), आर्टिफिसियल रेसिन, प्लास्टिक्स मैटेरियल्स आदि (138.18 प्रतिशत), मेटालीफेरस अयस्क तथा अन्य खनिज अवयव (133.17 प्रतिशत), पेट्रोलियम, क्रूड तथा उत्पाद (132.26 प्रतिशत), मशीनरी, इलेक्ट्रिकल तथा गैर इलेक्ट्रिकल (113.73 प्रतिशत), टेक्सटाइल यार्न फैब्रिक, मेड-अप आर्टिकल्स (111.7 प्रतिशत), वुड एवं वुड उत्पाद (101.01 प्रतिशत), मशीन टूल्स (100.93 प्रतिशत), वनस्पति तेल (97.57 प्रतिशत), प्रोजेक्ट गुड्स (91.79 प्रतिशत), चमड़ा तथा चमड़ा उत्पाद (91.59 प्रतिशत), डाइंग/टैनिंग/कलरिंग मैटेरियल्स (88.10 प्रतिशत), कैमिकल मैटेरियल एवं उत्पाद (84.57 प्रतिशत), लोहा एवं इस्पात (73.19 प्रतिशत), कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन (72.73 प्रतिशत), फल एवं सब्जियां (70.0 प्रतिशत), कोयला, कोक तथा ब्रिकेट आदि (65.98 प्रतिशत), मेडिसिनल तथा फार्मास्यूटिकल उत्पाद (56.92 प्रतिशत), पल्प तथा वेस्ट पेपर (46.35 प्रतिशत), कॉटन रॉ तथा वेस्ट (11.68 प्रतिशत) तथा फर्टिलाइजर्स, क्रूड एवं मैन्यूफैक्चर्ड (7.75 प्रतिशत) शामिल हैं।

पिछले वर्ष के समान महीने की तुलना में अप्रैल 2021 के दौरान नकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे आयात के प्रमुख कमोडिटी समूहों में शामिल हैं- चांदी (-88.55 प्रतिशत), न्यूजप्रिंट(-46.07 प्रतिशत) तथा दलहन (-42.46 प्रतिशत)।

अप्रैल 2019 की तुलना में अप्रैल 2021 में आयात में सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे प्रमुख कमोडिटी समूह हैं- वनस्पति तेल (75.85 प्रतिशत), सोना (54.17 प्रतिशत), कैमिकल मैटेरियल एवं उत्पाद (41.68 प्रतिशत), आर्टिफिसियल रेसिन, प्लास्टिक्स मैटेरियल्स आदि (36.69 प्रतिशत), मेटालीफेरस अयस्क तथा अन्य खनिज अवयव (29.60 प्रतिशत), सल्फर तथा अनरोस्टेड आयरन पाइराइट्स (25.23 प्रतिशत), मेडिसिनल तथा फार्मास्यूटिकल उत्पाद (22.23 प्रतिशत), फल एवं सब्जियां (18.95 प्रतिशत), इलेक्ट्रोनिक्स वस्तुएं (17.01 प्रतिशत), मोती, बहुमूल्य एवं अर्ध-बहुमूल्य पत्थर (15.39 प्रतिशत), गैर-फेरस धातु (13.51 प्रतिशत), कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन (12.46 प्रतिशत), प्रोफेशनल इंस्ट्रूमेंट, ऑप्टिकल वस्तुएं आदि (6.78 प्रतिशत), डाइंग/टैनिंग/कलरिंग मैटेरियल्स (5.54 प्रतिशत) एवं वुड एवं वुड उत्पाद (2.63 प्रतिशत)।

अप्रैल 2019 की तुलना में अप्रैल 2021 में आयात में नकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित कर रहे प्रमुख कमोडिटी समूह हैं- चांदी (-95.25 प्रतिशत), न्यूजप्रिंट (-59.63 प्रतिशत), कॉटन रॉ तथा वेस्ट (-50.42 प्रतिशत), दलहन (-46.98 प्रतिशत), प्रोजेक्ट वस्तुएं (-37.47 प्रतिशत), चमड़ा तथा चमड़ा उत्पाद (-33.10 प्रतिशत), परिवहन उपकरण (-24.49 प्रतिशत), मशीन टूल्स (-23.40 प्रतिशत), पल्प एवं वेस्ट पेपर (-18.09 प्रतिशत), लोहा एवं इस्पात (-17.93 प्रतिशत), कोक तथा ब्रिकेट आदि (-14.84 प्रतिशत), फर्टिलाइजर्स, क्रूड एवं मैन्यूफैक्चर्ड (-11.44 प्रतिशत), पेट्रोलियम, क्रूड तथा उत्पाद (-6.62 प्रतिशत), मशीनरी, इलेक्ट्रिकल तथा गैर इलेक्ट्रिकल (-1.55 प्रतिशत) तथा टेक्स्टाइल यार्न फैब्रिक, मेड-अप आर्टिकल्स (-0.37 प्रतिशत)।

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सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में 2 मई, 2021 को 10वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया

सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान में रविवार, 2 मई, 2021 को वर्चुअल दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया। यह दिन इसलिए भी खास रहा क्‍योंकि महान फिल्म शख्सियत श्री सत्यजीत रे के साल भर चलने वाले जन्म शताब्‍दी समारोह का शुभारंभ भी आज ही के दिन हुआ है। संस्थान के प्रभारी निदेशक प्रोफेसर अमरेश चक्रबर्ती ने कहा, ‘यह दिन हमारे लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्‍योंकि सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान ने सर्वथा नए फिल्म निर्माताओं के एक प्रतिभाशाली समूह से राष्ट्र को रू-ब-रू कराया है।’

फिल्म प्रकोष्‍ठ के तेरहवें बैच, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया प्रकोष्‍ठ के पहले बैच और एनीमेशन सिनेमा के पहले बैच के स्नातकों ने अलग-अलग अहम विशेषज्ञता हासिल करने और अपनी-अपनी पहली फिल्मों को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद अपना ‘पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा सर्टिफिकेट’ प्राप्त किया।

श्री सत्यजीत रे की फिल्म निर्माण शैली में अत्‍यंत उत्‍कृष्‍ट ढंग से जो सादगी एवं सरलता रही है उससे भी इन युवा फिल्म निर्माताओं को एकदम शुरुआत में ही रू-ब-रू करा दिया जाता है। इस संस्थान द्वारा तैयार एवं प्रस्‍तुत की गई विशिष्‍ट थीम वाली कुल 21 फिल्मों और उनके छात्र दलों को सम्मानित किया गया जिनमें एनिमेशन सिनेमा की छह फिल्में, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया प्रकोष्‍ठ की पांच फिल्में और फिल्म प्रकोष्‍ठ की दस फिल्में शामिल हैं। अभिनव गाथाओं को बयां करने वाली इन फिल्मों में शरण वेणुगोपाल की एक विशिष्‍ट थीम वाली फिल्म ‘लाइक ए मिडनाइट ड्रीम (ओरु पाथिरा स्वप्नम पोल)’  भी शामिल है जिसे हाल ही में भारत सरकार के फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा आयोजित 67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान ‘पारिवारिक मूल्यों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म’ का पुरस्कार दिया गया है।

इस समारोह की मुख्य अतिथि सुश्री अपर्णा सेन, जो एक प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं फिल्म निर्माता हैं और जिन्‍हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है, ने स्नातकों को सिनेमा और संबद्ध दृश्य-श्रव्य माध्यम के विभिन्न विषयों में अपनी औपचारिक शिक्षा पूरी कर लेने के लिए बधाई दी।

समापन भाषण में उन्होंने श्री सत्यजीत रे से जुड़ी अपनी यादों को भी साझा किया। उन्‍होंने कहा, ‘यह दोगुना शुभ दिन है क्‍योंकि आज ही इस महान शख्सियत के जन्‍म शताब्‍दी समारोह का शुभारंभ भी हुआ है।’ सुश्री अपर्णा सेन ने कहा कि श्री सत्यजीत रे मेरे गुरु थे और उनकी फिल्मों में काम करना मेरे लिए सौभाग्य की बात थी। उन्‍होंने कहा, ‘मेरी पहली स्क्रिप्ट, जो मैंने लिखी थी, को पढ़ने के बाद श्री सत्यजीत रे ने मुझे शशि कपूर को पत्र लिखने और एक निर्माता के रूप में उनसे संपर्क करने के लिए प्रेरित किया।’ सुश्री सेन ने एक अभिनेत्री के रूप में सिनेमा जगत में अपने कैरियर की शुरुआत श्री सत्यजीत रे की फि‍ल्‍म ‘तीन बेटियां (किशोर कन्या, 1961)’ में अहम किरदार निभा कर की।

प्रतिष्ठित प्रोफेसरों और उद्योग विशेषज्ञों, जिन्होंने कार्यशालाओं एवं अंतर-विषयक सत्रों का संचालन किया, ने स्नातक की डिग्री हासिल करने वाले 83 विद्यार्थियों को बधाई दी। प्रसेनजीत गांगुली (एनिमेशन फिल्म निर्माता), हितेंद्र घोष (साउंड मिक्सिंग इंजीनियर), केदारनाथ अवाती (भूतपूर्व प्रोफेसर, एफटीआईआई), उमेश विनायक कुलकर्णी (फिल्म निर्माता), जवाहर सिरकार (भूतपूर्व सीईओ, प्रसार भारती) और अनिल मेहता (सिनेमेटोग्राफर) ने इन सभी विद्यार्थियों के पहले उद्यम के लिए उनकी काफी सराहना की और उनके भावी उद्यमों एवं सिने जगत में उनकी सफल यात्रा के लिए शुभकामनाएं दीं।

यह संस्‍थान, जिसका नाम प्रख्‍यात फिल्म शख्सियत श्री सत्यजीत रे के नाम पर रखा गया है, एक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उभर कर सामने आया है जहां सिनेमैटिक और टेलीविज़न अध्ययन में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रस्‍तुत किए जाते हैं। सही मायनों में एक कलाकार श्री सत्यजीत रे ने ही भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहली बार उसकी ओर दुनिया भर के लोगों का ध्‍यान गंभीरता से खींचा। चूंकि सिनेमा दरअसल एक ऐसी भाषा है जो जीवन की गाथाओं को अत्‍यंत नव-यथार्थवादी तरीके से प्रस्तुत करती है, इसलिए सत्यजीत रे फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान के स्नातकों को अपनी विश्वदृष्टि विकसित करने और उसी को स्क्रीन पर चित्रित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

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