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जीवन के सिद्धांतों के बारे में बात करने का समय, बहुत कम लोग ऐसा जीवन जीते हैं: इफ्फी 53 में फिल्म ‘महानंदा’ के निर्देशक अरिंदम सिल

“हम जिस चीज के लिए संघर्ष करते हैं वह भारत के वास्तविक लोगों के लिए है। वे शायद नहीं जानते हैं कि देश का राष्ट्रपति कौन है या कोलकाता या मुंबई कहां है, लेकिन ये भारत के असली लोग हैं।” लेखिका-सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के जीवन पर आधारित बायोपिक फिल्म ‘महानंदा’ इन शब्दों के पीछे की भावना को जीवंत करती है, जिसके निर्देशक अरिंदम सिल का मानना ​​है कि हर किसी को जीवंत रहना और उत्साह जारी रखना चाहिए।भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) के 53वें संस्करण के भारतीय पैनोरमा – फीचर फिल्म खंड में शामिल बंगाली फिल्म ‘महानंदा’ को महोत्सव के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

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गोवा में आज इफ्फी टेबल वार्ता/प्रेस कॉन्फ्रेंस में फिल्म महोत्सव के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए, निर्देशक अरिंदम सिल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस जटिल समय में इस पर काम करना कितना महत्वपूर्ण है। “यह जीवन के सिद्धांतों के बारे में बात करने का समय है, क्योंकि आजकल बहुत कम लोग वास्तव में सैद्धांतिक जीवन जीते हैं। महाश्वेता देवी उन गिने-चुने लोगों में से एक थीं, जो सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीती थीं। मुझे लगता है कि अब समय आ गया है कि हम अपने बच्चों को सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीना सिखाएं।
तो, ऐसा क्या है जिसने उन्हें फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया? अरिंदम सिल ने कहा, नैतिक जिम्मेदारी की भावना से कम कुछ नहीं। “मैंने महसूस किया कि महाश्वेता देवी जैसी शख्सियत के बारे में बात करना और इसे आगे बढ़ाना हम जैसे फिल्म निर्माताओं की नैतिक जिम्मेदारी है, जिन्होंने सिद्धांतों के आधार पर जीवन जीया। वह कोई है जिसे हम सब भूलने की कोशिश कर रहे हैं। महाश्वेता देवी को अमेरिकी विश्वविद्यालयों में एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। हालाँकि, भारत के विश्वविद्यालयों में, हम उनके बारे में बात तक नहीं करते!”

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”तो वह महान कार्यकर्ता जिन सिद्धांतों के लिए जीती थीं, जिसने अब उनकी कहानी को बताना एक नैतिक अनिवार्यता बना दिया है? महाश्वेता देवी की जीवन गाथा का वर्णन करते हुए अरिंदम सिल बताते हैं कि उनकी यह कहानी अमीर से फकीर बनने की कहानी है। “एक पूंजीवादी परिवार से आने और एक कम्युनिस्ट परिवार से शादी करने के बाद, सिद्धांतवादी महिला ने अपने पति और कम्युनिस्ट नाटककार बिजन भट्टाचार्य को छोड़ दिया क्योंकि उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता किया और जीवन में अच्छा करने के लिए तुच्छ फिल्म पटकथा लिखीं। उन दिनों महाश्वेता देवी ने अपने पति और बच्चे को छोड़ने का साहस दिखाया था। मानसिक पीड़ा के चलते उसने आत्महत्या करने की कोशिश की थी। लेकिन वह बच गई और इस देश की अब तक की सबसे बड़ी सामाजिक कार्यकर्ताओं में से एक बन गई!

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निर्देशक ने जोर देकर कहा कि महाश्वेता देवी का पूरा जीवन उन लोगों के लिए लड़ने के लिए समर्पित रहा, जिन्हें वह भारत के वास्तविक लोगों के रूप में संदर्भित करती थीं। “इस देश में किसी ने भी आदिवासियों – साबर और मुंडाओं के लिए काम नहीं किया है – जैसा उन्होंने किया। मेधा पाटेकर और महाश्वेता देवी एक साथ कामरेड की तरह थीं। महाश्वेता देवी ने कहा था: ‘हम जिस चीज के लिए संघर्ष करते हैं, वह भारत के असली लोगों के लिए है। वे नहीं जानते कि देश का राष्ट्रपति कौन है या कोलकाता या मुंबई कहां है, लेकिन ये भारत के असली लोग हैं। ‘ अपने आखिरी दिन तक, वह संघर्ष करती रही और काम करती रही और उन लोगों के बारे में बात करती रही जिन्हें हम पिछड़ा वर्ग कहते हैं। लेकिन ये वे लोग थे जो वास्तव में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने वाले भारतीयों में सबसे आगे थे।” निर्देशक ने कहा, “महाश्वेता देवी को बड़े पैमाने पर लोगों ने फॉलो किया; उन्हें आदिवासी क्षेत्रों में भगवान के रूप में माना जाता है।” उन्होंने कहा कि हमने फिल्म में इन सभी तथ्यों को सामने लाने की कोशिश की है। निर्देशक ने जोर देकर कहा कि फिल्म का फोकस महाश्वेता देवी की बात करना था। वह नहीं चाहते थे कि बायोपिक सिर्फ साहित्य अकादमी विजेता व रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता महाश्वेता देवी के बारे में बताए, बल्कि भारत के वास्तविक लोगों के लिए उनके वास्तविक संघर्षों के बारे में बताए। अरिंदम सिल ने बताया, तो, जैसा कि फिल्म के शीर्षक से पता चलता है? “महानंदा नदी की तरह, उनके सिद्धांतों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रवाहित होना चाहिए।” संयोग से, फिल्म के संगीत निर्देशक पंडित बिक्रम घोष हैं, जिन्हें कल संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इफ्फी टेबल वार्ता के लिए अरिंदम सिल के साथ शामिल होने वाले कलाकार ने बताया कि संगीत की दृष्टि से यह परियोजना एक चुनौतीपूर्ण काम था। चुनौतियों में प्रमुख थी उस निरंतर भयावहता को सामने लाना, जिससे फिल्म ओतप्रोत थी। “फिल्म में त्रासदी, मृत्यु, दुःख और जीवन के अप्रत्याशित झटके को दिखाया गया है, जिससे उनका जीवन काफी प्रभावित था।
संगीत निर्देशक ने कहा कि इसको बाहर लाने के लिए पूरी तरह से आदिवासी संगीत बैकग्राउंड स्कोर का इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा “उस भयावहता को फिल्म में पूरी तरह से आदिवासी स्कोर के साथ जोड़ा गया है। गाने सभी आदिवासी हैं। सुबीर दासमुंशी द्वारा लिखे गए गीत मुंडा जनजाति की भाषा में हैं। हमने ढोद्रो बनम और हड्डी की बांसुरी जैसे उनके वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया है।” हालाँकि, आदिवासी संगीत के बजाय शास्त्रीय संगीत और राग का उपयोग उस हिस्से को चित्रित करने के लिए किया गया है जहाँ उनके पैतृक परिवार को दिखाया गया है, जो उस समय समाज में बहुत ऊँचे थे। बिक्रम घोष ने बताया कि कैसे फिल्म की गैर-रैखिक संरचना को ध्यान में रखते हुए संगीत के दो रूपों को आपस में जोड़ा गया है। “वहां एक दृश्य है जहां महाश्वेता देवी 25 साल की हैं, और उसके ठीक बाद, कैमरा 75 वर्षीय महाश्वेता देवी को दिखाने के लिए पैन करता है। इसलिए, दृश्य के साथ जाने के लिए संगीत को एक साथ जोड़ना पड़ा। बिक्रम घोष ने फिल्म की संगीत यात्रा के बारे में बताते हुए कहा: “यह एक कठोर यथार्थ व वास्तविकता है। इसलिए संगीत को यथार्थपरक होना था, जिसके लिए मुझे संथाल और मुंडा जनजातियों के संगीतकार मिले, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संगीत असली लगे।”

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अरिंदम सिल ने इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए इफ्फी की सराहना की कि क्षेत्रीय फिल्म निर्माता वास्तव में भारतीय सिनेमा को विभिन्न भारतीय भाषाओं में बना रहे हैं। “हम वास्तव में छोटे बजट के साथ बड़ा सिनेमा बना रहे हैं।” 30 साल से 75 साल की उम्र की महाश्वेता देवी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री गार्गी रॉयचौधरी ने कहा कि उन्होंने महाश्वेता देवी की यात्रा को महसूस किया और उनके किरदार को निभाने का आनंद लिया।

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इफ्फी-53 में सदाबहार क्लासिक फिल्म ‘कटी पतंग’ का प्रदर्शन आशा पारेख को अतीत की स्मृतियों में वापस ले गया

प्यार दीवाना होता हैमस्ताना होता है

हर खुशी से हर ग़म सेबेगाना होता है”

किशोर कुमार की दिव्य आवाज और राजेश खन्ना का दमदार चरित्र एक बार फिर इस सदाबहार गीत के साथ पणजी के मैकिनेज पैलेस ऑडिटोरियम के पर्दे पर जीवंत हो उठा, और ये दर्शकों के लिए एक सुनहरा क्षण था। गुजरे जमाने की अभिनेत्री और दर्शकों के दिल की धड़कन आशा पारेख, जिन्होंने इस फिल्म में मुख्य किरदार निभाया और इस गाने में भी नजर आई थीं, उनके लिए फिल्म कटी पतंग की स्क्रीनिंग में उपस्थित होना दिल को छू लेने वाले पलों से भरे अतीत की स्मृतियों की लौट जाने जैसा था। 53वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड रेट्रो सेक्शन में कटी पतंग को प्रदर्शित किया गया था। इफ्फी का ये खंड इस वर्ष आशा पारेख को समर्पित है जो साल 2020 के दादा साहेब फाल्के पुरस्कार की विजेता हैं।

इस स्क्रीनिंग में भाग लेते हुए और इस महोत्सव के प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए आशा पारेख ने कहा कि बीते वर्षों में इफ्फी बहुत बड़ा हो गया है और ये निर्माताओं को अपनी फिल्मों को प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर देता है। उन्होंने कहा, “मुझे अपनी फिल्म इंडस्ट्री से प्यार है। फिल्म प्रेमियों के लिए इफ्फी सबसे अच्छी जगह है, क्योंकि यहां देश भर के लोग एक साथ आते हैं। आशा पारेख ने सम्मानित किए जाने के लिए इफ्फी, एनएफडीसी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को धन्यवाद दिया।

कई सुपरहिट फिल्मों में काम कर चुकीं आशा पारेख को प्यार से 1960 और 70 के दशक में हिंदी सिनेमा की ‘हिट गर्ल’ कहा जाता था। एक बाल कलाकार के रूप में शुरुआत करने वाली आशा पारेख की डेब्यू फिल्म दिल देके देखो (1959) थी, जो एक बड़ी हिट बन गई जिसने उन्हें स्टारडम की ऊंचाइयों तक पहुंचा दिया। उन्होंने 95 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया, जिसमें कुछ तब के शीर्ष फिल्मकारों और उस समय के प्रमुख कलाकारों के साथ थीं, जैसे कि – शक्ति सामंत, राज खोसला, नासिर हुसैन, राजेश खन्ना, धर्मेंद्र, शम्मी कपूर, मनोज कुमार, देव आनंद और कई अन्य। उन्होंने कटी पतंग (1971) के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता और कई अन्य प्रतिष्ठित सम्मानों के साथ फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (2002) भी पाया। आशा पारेख एक फिल्म निर्देशक, निर्माता और कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं।

पद्म श्री (1992) से सम्मानित आशा पारेख ने 1998-2001 के दौरान केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के प्रमुख के रूप में भी काम किया।

शक्ति सामंत द्वारा निर्देशित कटी पतंग, गुलशन नंदा के इसी शीर्षक वाले सबसे अधिक बिकने वाले उपन्यास पर आधारित थी। इस फिल्म में केंद्रीय पात्र माधवी (आशा पारेख) कमल (राजेश खन्ना) के साथ अपनी शादी के दिन घर से दूर पतंग की तरह कट कर उड़ जाती है, लेकिन आगे उसे अपने ‘प्रेमी’ कैलाश (प्रेम चोपड़ा) के नापाक इरादे पता चलते हैं। परिस्थितियां माधवी को मजबूर कर देती हैं और उसे एक घर में शरण लेनी पड़ती है और उस घर की बहू होने का नाटक करना पड़ता है। असली बहू पूनम (नाज़) की रेल दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, लेकिन मरने से पहले वो अपने बच्चे को माधवी के हाथों सौंप जाती है। आगे फिल्म की कहानी माधवी की जिदंगी दिखाती है, कैसे वो एक झूठी पहचान के साथ जीने लगती है। संगीतकार आरडी बर्मन और सुपरस्टार राजेश खन्ना को एक साथ लाने के लिए भी इस फिल्म को सबसे ज्यादा याद किया जाता है। इस फिल्म में ‘ये शाम मस्तानी’, ‘प्यार दीवाना होता है’ और ‘ये जो मोहब्बत है’ जैसे सदाबहार मधुर हिट गानों का संग्रह सुनने को मिलता है।

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संयुक्त सैन्य अभ्यास ”ऑस्‍ट्रा हिन्‍द–22” में भाग लेने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ी भारत पहुंची

”ऑस्‍ट्रा हिन्द–22” द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास भारतीय सेना और ऑस्ट्रेलियाई सेना की टुकड़ियों के बीच 28 नवंबर से 11 दिसंबर 2022 तक महाजन फील्ड फायरिंग रेंज (राजस्थान) में आयोजित होने वाला है। ऑस्‍ट्रा हिन्‍द श्रृंखला का यह पहला अभ्यास है, जिसमें दोनों देशों की सेनाओं के सभी अंगों एवं सेवाओं की टुकड़ियां हिस्सा लेंगी। ऑस्ट्रेलिया की सेना में सेकेंड डिवीजन की 13वीं ब्रिगेड के सैनिक अभ्‍यास स्थल पर पहुंच चुके हैं, जबकि भारतीय सेना का नेतृत्व डोगरा रेजिमेंट के सैनिक कर रहे हैं। ऑस्‍ट्रा हिन्द सैन्य अभ्यास प्रत्येक वर्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया में बारी-बारी से आयोजित किया जाएगा।

इस द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास का उद्देश्‍य सकारात्‍मक सैन्‍य संबंध बढ़ाना और एक-दूसरे की बेहतरीन सैन्य कार्य-प्रणालियों को अपनाना है। साथ ही इसका लक्ष्‍य संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति स्‍थापना प्रतिबद्धता के तहत अर्ध-मरूस्‍थलीय देशों में शांति अभियानों को चलाने के लिए एक साथ कार्य करने की क्षमता को बढ़ावा देना है। यह संयुक्त अभ्यास दोनों सेनाओं को शत्रुओं के खतरों को बेअसर करने के उद्देश्य से कंपनी और प्लाटून स्तर पर सामरिक संचालन करने के लिए रणनीति, तकनीक एवं प्रक्रियाओं हेतु सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को साझा करने में सक्षम बनाएगा। बटालियन/कंपनी स्तर पर आकस्मिक दुर्घटना प्रबंधन, दुर्घटना से उबरना एवं रसद नियोजन के अलावा स्थितिजन्य जागरूकता के उच्च स्तर को प्राप्त करने के लिए स्निपर, निगरानी व संचार उपकरण सहित नई पीढ़ी के उपकरण तथा विशेषज्ञ हथियार संचालन के प्रशिक्षण की भी योजना है।

द्विपक्षीय सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास के दौरान दोनों देशों के सैनिक संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास, विशेष हथियारों के कौशल की मूल बातें साझा करने और शत्रुओं के लक्ष्य पर हमला करने जैसी विभिन्न गतिविधियों में शामिल होंगे। संयुक्त अभ्यास, दोनों देशों की सेनाओं के बीच आपसी समझ एवं पारस्परिकता को बढ़ावा देने के अलावा, भारत तथा ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों को मजबूत करने में और मदद करेगा।

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पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय के साथ साझेदारी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के द्वारा महासागरों के अध्ययन के लिए तीसरी पीढ़ी के भारतीय उपग्रह, जिसे औपचारिक रूप से भू प्रेक्षण उपग्रह-6 (ईओएस-6) नाम दिया गया है, को लॉन्च किया गया

पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के साथ साझेदारी में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) के अपने फर्स्ट लॉन्च पैड से अन्य उपग्रहों के साथ महासागरों पर नजर रखने के लिए तीसरी पीढ़ी के भारतीय उपग्रह जिसे औपचारिक रूप से भू प्रेक्षण उपग्रह-6  (ईओएस-6) का नाम दिया गया है, को लॉन्च किया।

महासागरों के अध्ययन का ये मिशन क्रमशः 1999 और 2009 में लॉन्च किए गए ओशनसैट-1 या आईआरएस-पी4 ​​और ओशनसैट-2 का अगला कदम है। भरोसेमंद प्रक्षेपण यान पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन) की 56वीं उड़ान (पीएसएलवी-एक्सएल संस्करण की 24वीं उड़ान) के जरिए उपग्रह को प्रक्षेपित किया गया था। पीएसएलवी-सी54 के रूप में डिजाइन किए गए आज के प्रक्षेपण में ओशनसैट-3 के साथ अन्य छोटे उपग्रहों को भी भेजा गया।

ओशनसैट-3 को समुद्र तल से करीब 740 किलोमीटर की ऊंचाई पर ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया गया। करीब 1100 किलोग्राम के वजन के साथ जबकि यह ओशनसैट -1 की तुलना में सिर्फ थोड़ा सा ही भारी है, इस श्रृंखला में पहली बार इसमें 3 निगरानी सेंसर यानि ओशन कलर मॉनिटर (ओसीएम-3), सी सर्फेस टेंपरेचर मॉनिटर (एसएसटीएम) और केयू बैंड स्कैट्रोमीटर (एससीएटी-3) लगाए गए हैं। इसमें एक एआरजीओएस पेलोड भी है। भारत की ब्लू इकोनॉमी से जुड़ी आकांक्षाओं के लिए इन सभी सेंसर का अपना खास महत्व है।

360 मीटर स्थानिक रेज़लूशन और 1400 किमी चौड़ी पट्टी पर नजर रखने की क्षमता के साथ उन्नत 13 चैनल ओसीएम रोजाना पृथ्वी के दिन पक्ष का निरीक्षण करेगा और समुद्री शैवाल के वितरण पर महत्वपूर्ण आंकड़े प्रदान करेगा जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर खाद्य श्रृंखला का आधार है। उम्मीद है कि उच्च सिग्नल-टू-नॉइज अनुपात के साथ ओसीएम-3 फाइटोप्लांकटन की दैनिक निगरानी, मत्स्य संसाधन के प्रबंधन, महासागरों के द्वारा कार्बन अवशोषण, हानिकारक शैवाल में तेज बढ़त की चेतावनी और जलवायु अध्ययन सहित परिचालन और अनुसंधान संबधी अनुप्रयोगों की विस्तृत श्रृंखला में पहले से बेहतर सटीकता प्रदान करेगा।

एसएसटीएम समुद्र की सतह के तापमान की जानकारी देगा जो मछलियों के समूह से लेकर चक्रवात उत्पत्ति और उनकी चाल सहित विभिन्न पूर्वानुमान प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण महासागरीय मानदंड है। प्रवाल भित्तियों के स्वास्थ्य की निगरानी और यदि आवश्यक हो, प्रवाल विरंजन की चेतावनी प्रदान करने के लिए तापमान एक प्रमुख मानदंड है। ईओएस-6 पर स्थापित केयू-बैंड पेंसिल बीम स्कैट्रोमीटर समुद्र की सतह पर उच्च रिजॉल्यूशन विंड वेक्टर (गति और दिशा) प्रदान करेगा, एक ऐसी जानकरी जिसके बारे में कोई भी नाविक जानना चाहेगा, चाहे वह मछुआरा हो या शिपिंग कंपनी। पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार के लिए समुद्र और मौसम के मॉडल में तापमान और हवा के आंकड़े जोड़ने बेहद महत्वपूर्ण हैं। एआरजीओएस एक संचार पेलोड है जिसे फ्रांस के साथ संयुक्त रूप से विकसित किया गया है और इसका उपयोग लो-पावर (ऊर्जा-कुशल) संचार के लिए किया जाता है, जिसमें समुद्र में मौजूद रोबोटिक फ़्लोट्स (ऑर्ग फ़्लोट्स), मछलियों पर लगने वाले टैग, ड्रिफ्टर्स और खोज और बचाव कार्यों के प्रभावी संचालन में उपयोगी संकट चेतावनी उपकरण शामिल हैं।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री, डॉ जितेंद्र सिंह ने जम्मू से एक संदेश में सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो और एमओईएस टीमों को बधाई और धन्यवाद दिया।

माननीय मंत्री ने कहा, जबकि इसरो उपग्रह की कक्षा और आंकड़े पाने और उन्हे सुरक्षित रखने आदि से जुड़ी मानक प्रक्रियाओं को जारी रखेगा, इस उपग्रह के प्रमुख परिचालन उपयोगकर्ता एमओईएस के संस्थान जैसे भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस), हैदराबाद और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र नोएडा होंगे जो कि देश भर में लाखों हितधारकों को हर दिन कई तरह की सेवाएं प्रदान करते हैं।

डॉ जितेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि इस उद्देश्य के लिए, आईएनसीओआईएस ने राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केन्द्र (इसरो-एनआरएससी), हैदराबाद के तकनीकी सहयोग से अपने परिसर के भीतर एक अत्याधुनिक उपग्रह डेटा रिसेप्शन ग्राउंड स्टेशन भी स्थापित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह समुद्र का निरीक्षण भारत की ब्लू इकोनॉमी और ध्रुवीय क्षेत्र की नीतियों के लिए मजबूत आधार के रूप में काम करेगा।

एमओईएस के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने इसरो को बधाई देते हुए कहा कि ओशनसैट-3 का आज का प्रक्षेपण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यूएन सतत विकास के लिए महासागर विज्ञान का दशक (यूएनडीओएसएसडी, 2021-2030) की शुरुआत के बाद से यह भारत की ओर से किया जाने वाला पहला प्रमुख महासागरीय उपग्रह प्रक्षेपण है। उन्होंने कहा, इस उपग्रह में महासागर के रंग, एसएसटी और समुद्री सतह की हवाओं का समवर्ती मापन करने की क्षमता होगी, और उम्मीद है कि ये महासागर दशक के उद्देश्यों को पूरा करने में दुनिया भर के वैज्ञानिक और परिचालन समुदायों की सागर को समझने की क्षमताओं को एक महत्वपूर्ण बढ़त प्रदान करेगा।

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एस एन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कालेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा संविधान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित

कानपुर 26 नवंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पोस्ट ग्रेजुएट कालेज कानपुर की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा संविधान दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफ (डा ) सुमन अधिवक्ता उरूज हबीब प्रो निशी प्रकाश प्रो रेखा चौबे प्रो गार्गी यादव प्रो. चित्रा सिंह तोमर डा प्रीति सिंह ने सरस्वती जी तथा संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर के चित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पण करके किया!
समस्त छात्राओं को राष्ट्रीय एकता तथा संविधान की रक्षा की शपथ दिलाई गयी तत्पश्चात् समस्त वॉलंटियर्स ने स्पीच कम्पटीशन में भागीदारी की
तथा छात्राओ ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर एवं संविधान एवं राष्ट्रीय एकता एवं संविधान विषय पर पोस्टर बनाये। प्राचार्या प्रो सुमन ने छात्राओ ने संविधान की जानकारी देते हुए अपने अधिकारों को जानकार उनके उपयोग करने के लिये जाग्रत किया।
राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की कार्यक्रम अधिकारी प्रोफ चित्रा सिंह तोमर ने बताया,”यह कार्यक्रम छात्राओ के सर्वांगीण विकास एवं अपने देश के संविधान की जानकारी देकर जागरूक करेगा
अधिवक्ता एवं जेल विजिटर उरूज हबीब ने छात्राओ को संविधान में दिए उनके अधिकारों से अवगत कराया तथा आवश्यकता पड़ने पर मदद के लिए आवाहन किया
कार्यक्रम के सफल आयोजन में NSS टीम सह प्रभारी डॉ प्रीती सिंह अपना महत्व पूर्ण योगदान दिया और वालंटियर्स का उत्साहवर्धन भी किया ।
कार्यक्रम के अंत में विजयी छात्राओ को मेडल तथा प्रशस्ति पत्र से पुरुस्कृत किया गया।
लीडर कु. हर्षिता व कु. अदिति की मुख्य भूमिका रही!
कार्यक्रम में महाविद्यालय क़ी समस्त टीचर्स एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहें

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज की एनएसएस इकाई ने नेहरू युवा केंद्र संगठन के सहयोग से “राष्ट्रीय संविधान दिवस” अवसर पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की

कानपुर 26 नवंबर, भारतीय स्वरूप संवाददाता, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर की एनएसएस इकाई ने नेहरू युवा केंद्र संगठन के सहयोग से राष्ट्रीय संविधान दिवस पर प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की,
कार्यक्रम कॉलेज के सभागार में आयोजित किया गया। डॉ. जोसेफ डेनियल, प्रिंसिपल सीसीसीके, मुख्य अतिथि अजय कुमार अहिरवार सिविल कोर्ट,  अजय कुमार गुप्ता, उप निदेशक एनवाईकेएस और डॉ. सुनीता वर्मा, कार्यक्रम अधिकारी एनएसएस की शुभ उपस्थिति से इस शानदार कार्यक्रम की शोभा बढ़ी। पहले दिन तीन प्रतियोगिताएं हुईं 1. प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता 2. वाद-विवाद प्रतियोगिता 3. वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता
क्विज के विजेताओं को मोमेंटो और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया, जिसमें प्रियंका खन्ना प्रथम, आर्यन जायसवाल द्वितीय और खुशी गुप्ता तृतीय रहीं।
वाद-विवाद प्रतियोगिता में हर्षवर्धन दीक्षित व खुशी मल्होत्रा ​​ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वीडियो मेकिंग प्रतियोगिता में सुप्रिया प्रथम और स्तुति द्वितीय स्थान पर रही।
एनएसएस के छात्र प्रमुख हर्षवर्धन दीक्षित और खुशी मल्होत्रा ​​ने अपने सहायक स्वयंसेवकों सुप्रिया, स्तुति, पवन, मानवी और रितेश के साथ पूरे कार्यक्रम का प्रबंधन किया।

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एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज के ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल द्वारा कैरियर वार्ता का आयोजन

कानपुर 25 नवंबर एस. एन. सेन बालिका विद्यालय पी. जी. कॉलेज कानपुर के ट्रेंनिंग एंड प्लेसमेंट सेल के द्वारा एक कैरियर वार्ता का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता सुजीत सिंह कैरियर मोटीवेटर,  अजय जैन सदस्य विश्वविद्यालय एंप्लॉयमेंट ब्यूरो, प्रबंध समिति के सचिव पी के सेन एवं प्राचार्य डॉ सुमन ने दीप प्रज्वलित कर किया।मुख्य वक्ता ने छात्राओं से अपने सामर्थ्य अनुसार लक्ष्य निर्धारित करने तथा कैरियर के प्रति जागरूक रहने की सलाह दी l उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं हैंl आज के प्रतियोगी युग में छात्राओं को अपने व्यक्तित्व का विकास, आत्मविश्वास और भाषा शैली को विकसित करके आगे बढ़ना चाहिए। उनको पढ़ाई के साथ-साथ नवीनतम जानकारियों को भी जानने और करने की उत्सुकता होनी चाहिए।

विश्वविद्यालय के एंप्लॉयमेंट ब्यूरो के सदस्य अजय जैन ने छात्राओं को व्याख्यानो और परामर्श के माध्यम से कैरियर के प्रति रुचि जागृत करने की बात कही।
प्राचार्य डॉ सुमन ने अतिथियों का स्वागत करते हुए छात्राओं को कैरियर एंड प्लेसमेंट सेल का महत्व बताया और कहा कि यह सेल छात्राओं के विकास हेतु आगे भी विभिन्न कार्यक्रम करवाता रहेगा,
प्राचार्या डॉ सुमन ने पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ गार्गी यादव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ निशा वर्मा ने किया। इस कार्यक्रम में कालेज की शिक्षिकाओं तथा छात्राओं ने उत्साह पूर्वक भाग लिया।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने युवाओं से मजबूत और आत्मनिर्भर ‘न्यू इंडिया’ के लिए नवाचार करने: नई प्रौद्योगिकियों का विकास करने तथा कंपनियों की स्थापना करने का आह्वान किया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री  मोदी के मजबूत एवं आत्मनिर्भर ‘न्‍यू इंडिया’ के सपने को साकार करने के लिए युवाओं से नवाचार करने, नई तकनीकों को विकसित करने और कंपनियों, अनुसंधान प्रतिष्ठानों तथा स्टार्ट-अप की स्थापना करने का आह्वान किया है। 18 नवंबर, 2022 को कर्नाटक के उडुपी में मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन (एमएएचई) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया देश के उज्ज्वल युवा दिमाग की ताक़त को स्वीकार कर रही है एवं गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एडोब व आईबीएम जैसी प्रमुख कंपनियां भारतीयों को सम्मानजनक पदों पर नियुक्त कर रही हैं।

रक्षा मंत्री ने यहां उपस्थित लगभग 5,000 छात्रों से पूछते हुए उनसे आत्मनिरीक्षण कर देश में एक सुधारवादी परिवर्तन लाने का आग्रह किया कि, “यदि भारतीय दुनिया भर में प्रमुख फर्मों को आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं, तो हम यहां शीर्ष कंपनियों की स्थापना क्यों नहीं कर सकते?” उन्होंने भारतीय स्टार्ट-अप पारितंत्र की बढ़ती ताकत का श्रेय युवाओं की क्षमताओं, प्रतिभा एवं उज्ज्वल मस्तिष्क को दिया। उन्होंने कहा, “पहले देश में कोई स्टार्ट-अप इकोसिस्टम नहीं था। वर्ष 2014 से पहले लगभग 400-500 स्टार्टअप थे। आज यह संख्या 70,000 को पार कर गई है। इनमें से 100 से अधिक यूनिकॉर्न बन गए हैं।”

श्री राजनाथ सिंह ने छात्रों से केवल किताबों से जानकारी प्राप्त करने से अधिक ज्ञान प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “किताबों से ज्ञान प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है। बुद्धिमत्ता उस ज्ञान का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करती है, जो कि देश को अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है। यह अक्षमता, गरीबी, बेरोजगारी और पिछड़ेपन जैसी सीमाओं से मुक्त करती है। यह हमारी सोच और संवेदनाओं के दायरे को विस्तृत करती है। यह व्यक्ति को स्वार्थ से ऊपर उठकर सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक कल्याण के लिए काम करने में मदद करती है।”

रक्षा मंत्री ने छात्रों से देश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं से परिचित होने और इसके गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करने का आग्रह भी किया। उन्होंने कहा, “भारत विज्ञान, अर्थशास्त्र, इतिहास, राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन जैसे अनेक क्षेत्रों में अग्रणी था। विदेशी आक्रमणों के कारण इसने धीरे-धीरे अपना गौरव खो दिया। हमें अपने अतीत के गौरव को बहाल करना चाहिए, जिसके लिए आर्थिक प्रगति केंद्रीय है।” राजनाथ सिंह ने वर्तमान युग को ज्ञान-प्रधान और निरंतर विकसित होने वाला युग बताते हुए देश के विकास के लिए  महत्वपूर्ण मानव पूंजी की गुणवत्ता और मात्रा को उन्नत करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश को आगे ले जाने में तकनीकी क्षमताएं तथा नागरिकों की नवोन्मेषी प्रवृत्ति सबसे निर्णायक कारक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार युवाओं को उचित शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान कर रही है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इसका उद्देश्य पारंपरिक और आधुनिक ज्ञान के माध्यम से युवा पीढ़ी को वैश्विक नागरिक के रूप में अवसर प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि, “युवा हमारी सबसे मूल्यवान संपत्ति और विकास का इंजन है। हमारी युवा सेना 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। अमेरिकी बैंकिंग समूह मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अगले 5-6 वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाला है। भारत की इस उभरती शक्ति को ‘वंस इन ए जेनरेशन शिफ्ट’ की संज्ञा दी गई है। यह सिर्फ शुरुआत है। मुझे विश्वास है कि भारत 2047 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।” प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत की बदली हुई वैश्विक छवि पर अधिक प्रकाश डालते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नई दिल्ली को अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ध्यान और गंभीरता से सुना जाता है। उन्होंने कहा, “भारत ने आतंकवाद जैसे मुद्दों पर दुनिया का नेतृत्व किया है और इस खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए समर्थन हासिल करने में सफल रहा है। आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने वाले देश अब भारत की क्षमताओं से भली-भांति परिचित हैं। भारत न तो किसी देश को भड़काता है और जो इसकी एकता एवं अखंडता को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है उसको बख्शता भी नहीं है। “क्षा मंत्री ने शिक्षा एवं अनुसंधान में योगदान के लिए मणिपाल ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस की सराहना की। उन्होंने स्नातक करने वाले छात्रों को बधाई दी,  उन्हें बेहतर भविष्य बनाने के लिए बाधाओं के बावजूद आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने विश्वास जताते हुए छात्राओं को विशेष बधाई दी कि वे एक मजबूत और समृद्ध ‘न्यू इंडिया’ के स्तंभ होंगी।

इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य लोगों में एमएएचई के प्रो-चांसलर डॉ. हेब्री सुभाषकृष्ण बल्लाल, वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ.) एमडी वेंकटेश (सेवानिवृत्त) और महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, नासिक के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ) माधुरी कानिटकर (सेवानिवृत्त) शामिल थे।

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प्रधानमंत्री मोदी 19 नवंबर को वाराणसी में महीने भर चलने वाले ‘काशी तमिल संगमम’ का उद्घाटन करेंगे

प्रधानमंत्री  मोदी 19 नवंबर को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में महीने भर चलने वाले काशी तमिल संगमम नामक विशिष्‍ट आयोजन का उद्घाटन करेंगे। ‘काशी तमिल संगमम’ का आयोजन 17 नवंबर से 16 दिसंबर, 2022 तक वाराणसी (काशी) में किया जाएगा, जिसका उद्देश्य देश के दो सबसे महत्वपूर्ण और प्राचीन ज्ञान केंद्रों तमिलनाडु एवं काशी के बीच सदियों पुरानी कड़ियों को फिर से तलाशना, उनकी पुन: पुष्टि करना और उनका उत्सव मनाना है।

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केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास व उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान प्रधानमंत्री के काशी दौरे से पहले की गई समस्‍त व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए वाराणसी में इस आयोजन की तैयारियों की सक्रियता से निगरानी कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने ‘काशी तमिल संगमम’ का सफल आयोजन सुनिश्चित करने के लिए रेल मंत्री, भारत सरकार, तमिलनाडु के राज्यपाल, उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ बैठकें कीं।

‘काशी तमिल संगमम’ का आयोजन शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अन्य मंत्रालयों जैसे कि संस्कृति, वस्‍त्र, रेल, पर्यटन, खाद्य प्रसंस्करण, सूचना व प्रसारण मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। इस आयोजन का उद्देश्य इन दोनों ही क्षेत्रों के विद्वानों, छात्रों, दार्शनिकों, व्यापारियों, कारीगरों, कलाकारों और जीवन के अन्य क्षेत्रों के लोगों को एकजुट होने, अपने ज्ञान, संस्कृति व सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर प्रदान करना है। यह आयोजन दरअसल एनईपी 2020 के तहत भारतीय ज्ञान प्रणालियों की मूल्‍यवान सामग्री को ज्ञान की आधुनिक प्रणालियों के साथ एकीकृत करने पर विशेष जोर देने के अनुरूप है। इस विशिष्‍ट आयोजन के लिए आईआईटी मद्रास और बीएचयू दो कार्यान्वयन एजेंसियां हैं।

छात्र, शिक्षक, साहित्य, संस्कृति, शिल्प, अध्यात्म, विरासत, व्यवसाय, उद्यमी, पेशेवर आदि  सहित 12 श्रेणियों के तहत तमिलनाडु के 2500 से अधिक प्रतिनिधि वाराणसी के आठ दिवसीय दौरे पर जाएंगे। वे 12 श्रेणियों में से प्रत्येक के लिए क्यूरेट किए गए विशेष कार्यक्रमों में सेमिनारों, व्‍याख्‍यानों में हिस्‍सा लेंगे और विभिन्‍न स्‍थानों की यात्रा करेंगे ताकि उसी व्यापार, पेशे से जुड़े और उनके जैसी रुचि रखने वाले स्थानीय लोगों के साथ बातचीत कर सकें। प्रतिनिधि प्रयागराज व अयोध्या सहित वाराणसी और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों का भी दौरा करेंगे। बीएचयू और अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों के छात्र शैक्षणिक कार्यक्रमों में भाग लेंगे। वे दो क्षेत्रों में विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित तुलनात्मक कार्य प्रणालियों का अध्ययन करेंगे और अध्‍ययनों का दस्तावेजीकरण करेंगे। 200 छात्रों के प्रतिनिधियों के पहले समूह ने 17 नवम्‍बर को चेन्नई से अपना दौरा शुरू किया। उनकी ट्रेन को तमिलनाडु के राज्यपाल श्री आर एन रवि ने चेन्नई रेलवे स्टेशन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लाभ के लिए वाराणसी में दो क्षेत्रों के हथकरघा, हस्तशिल्प, ओडीओपी उत्पादों, पुस्तकों, वृत्तचित्रों, व्यंजनों, कला रूपों, इतिहास, पर्यटन स्थलों आदि की एक महीने लंबी प्रदर्शनी लगाई जाएगी।

उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री तमिलनाडु से आने वाले प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेंगे। उद्घाटन समारोह में श्री इलैयाराजा द्वारा गायन और पुस्तक विमोचन जैसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने को मिलेंगे।

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गडकरी ने पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर में 5351 करोड़ रुपये की 4 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, गडकरी ने आज पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर में 5351 करोड़ रुपये की 4 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

जिस परियोजना को आज राष्ट्र को समर्पित किया गया है उसमें 55 किमी खड़गपुर से चिचरा तक 4-लेन सड़क का निर्माण शामिल है, जिसकी कुल लागत 613 करोड़ रूपये है। इस खंड के विकास से आसपास के जनजातीय क्षेत्रों की प्रगति और समृद्धि सुनिश्चित होगी।

पानागढ़ से दनकुनी राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-2) तक 162 किलोमीटर 6 लेन सड़क के निर्माण के लिए आधारशिला रखी गई, जिसकी कुल लागत 4215 करोड़ रूपये है। इस मार्ग के निर्माण से सिक्किम, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश, असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा और बंगाल की खाड़ी से संपर्क बढ़ेगा।

साथ ही 175 करोड़ रुपये की कुल लागत से 10 किमी 4-लेन पुरुलिया बाईपास के लिए भी आधारशिला रखी गई जो दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा। इस बाइपास मार्ग के बनने से शहर के अंदर ट्रैफिक की समस्या का भी निराकरण होगा और दुर्गापुर, आसनसोल, बोकारो धनबाद, जमशेदपुर और रांची जाने वाले वाहनों के आने-जाने का समय, दूरी में कमी और होने वाला व्यय भी बचेगा।

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