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कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय में राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) इकाई (सीनियर विंग) का समारोह आयोजित

कानपुर 16 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता कानपुर विद्या मंदिर महिला महाविद्यालय, स्वरूप नगर कानपुर में राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) इकाई (सीनियर विंग) का समारोह आयोजित किया गया l जिसमे स्नातक कला, विज्ञान एवं वाणिज्य की प्रथम सेमेस्टर की छात्राओं ने प्रतिभाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्राचार्या डॉ. पूनम विज़ ,कमांडिंग ऑफिसर कर्नल वेंकटेशन, मेज़र भावना, सचिव डॉ. डी.सी. गुप्ता जी के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया गया। प्राचार्या ने मुख्य अतिथि का पुष्पगुक्छ एवम शब्द सुमनो द्वारा स्वागत किया तथा महाविद्यालय में राष्ट्रीय कैडेट कोर इकाई के शुभारंभ पर कर्नल वेंकटेशन आर एवं उनकी टीम के सहयोग की सराहना की तथा बताया कि कैसे यह कोर्स महाविद्यालय की छात्राओं के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए छात्राओं को बधाई भी दी। कर्नल वेंकेटशन आर एवम मेज़र भावना लोहनी ने छात्राओं को बताया कि जीवन में अनुशासन की महत्ता क्या है तथा नेशनल कैडेट कोर के कारण कैसे व्यक्तित्व में प्रभावशाली बनता है। प्रिया मालवीय के कुशल निर्देशन में छात्राओं ने गीत एवं नृत्य कला का बेहतरीन प्रदर्शन किया। कार्यक्रम के दूसरे चरण में छात्राओं की शारीरिक एवं मानसिक दक्षता परीक्षण के आधार पर उनका चयन किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ आंचल तिवारी ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय कैडेट कोर की प्रभारी डॉ. सोनम सिंह, सह-प्रभारी नेहा सिंह, डॉ स्निग्धा मिश्र, डॉ शालिनी गुप्ता, नम्रता भट्टाचार्या, ऋतु नारंग एवम अन्य शिक्षिकाएं तथा छात्राएं उपस्थित उपस्थित रहीं।

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भारतीय नौसेना और उबर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर

भारतीय नौसेना ने मैसर्स उबर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस मौके पर नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार, एनडब्ल्यूडब्ल्यूए अध्यक्ष कला हरि कुमार और भारत, दक्षिण एशिया और मिस्र में उबर बिजनेस के वरिष्ठ कंट्री मैनेजर  अभिनव मित्तू भी उपस्थित रहे। इस एमओयू का उद्देश्य देश भर में नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों की व्यक्तिगत यात्रा और आवागमन के लिए विश्वसनीय, सुविधाजनक, सुरक्षित और किफायती वाहन सुविधा प्रदान करना है।

मैसर्स उबर भारतीय नौसेना कर्मियों और उनके परिवारों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करेगा: –

(ए) उबर ऐप पर एक वैयक्तिकृत प्रोफ़ाइल बनाएगा।

(बी) प्रीमियर एक्जीक्यूटिव कैब श्रेणी के जरिए कार्यालय आने-जाने के व्यस्त समय के दौरान बढ़ती कीमतों से सुरक्षा प्रदान करेगा।

(सी) टॉप-रेटेड ड्राइवरों की उपलब्धता।

(डी) सभी उबर वाहनों के लिए शून्य रद्दीकरण शुल्क।

(ई) 24×7 प्रीमियम व्यवसाय सहायता।

यह समझौता ज्ञापन सीएनएस के ‘शिप फर्स्ट’ के तहत ‘हैप्पी पर्सनेल’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है और सशस्त्र बलों में यह पहली कोशिश है। यह परिवर्तनकारी बदलाव के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने की भारत सरकार की ‘डिजिटल इंडिया’ विज़न को आगे बढ़ाने का काम करेगा।

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हिंदी भारतीय परंपरा, संस्कृति व संस्कारों की सच्ची संवाहक – कृष्ण कुमार यादव

डाक विभाग द्वारा हिंदी दिवस व हिंदी पखवाड़ा का आयोजनपोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया शुभारम्भ

हिंदी की सबसे बड़ी ताक़त इसकी मौलिकता व सरलता – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

हिंदी भारतीय परंपरा, जीवन मूल्यों, संस्कृति व संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक है। इसके प्रचार-प्रसार से देश में एकता की भावना और सुदृढ़ होगी। सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। ऐसे में हिंदी में गर्व से कार्य करने और अपनी भाषा को समृद्ध करने में सभी को योगदान देना होगा। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित हिंदी दिवस और तदनुसार आरम्भ हिंदी पखवाड़ा का शुभारंभ करते हुए किया। इससे पूर्व उन्होंने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर और दीप प्रज्वलित कर हिंदी पखवाड़ा का शुभारम्भ किया।

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि अनेकता में एकता को स्थापित करने की सूत्रधार ‘हिन्दी भाषा’ भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है,इसकी सबसे बड़ी ताक़त इसकी मौलिकता और सरलता है। भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान करने में हिंदी के प्रयोग को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है। आज संयुक्त राष्ट्र संघ जैसी संस्थाओं में भी हिंदी की गूंज सुनाई देने लगी है। सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा  ने बताया कि डाक विभाग की ओर से 14 से 29 सितंबर तक आयोजित हिंदी पखवाडे़ में तमाम प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। कार्यक्रम में सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा, आरके चौहान, लेखाधिकारी प्लाबन नस्कर, सहायक लेखाधिकारी संतोषी राय,  डाक निरीक्षक श्रीकान्त पाल, रमेश यादव, श्रीप्रकाश गुप्ता, राकेश कुमार, विवेक कुमार, मनीष कुमार, रामचंद्र, सहित तमाम तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन  शंभु  प्रसाद गुप्ता ने किया।

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प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में लगभग 6,350 करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं

प्रधानमंत्री मोदी ने आज छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में लगभग 6,350 करोड़ रुपये की रेलवे परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित कीं। उन्होंने छत्तीसगढ़ के 9 जिलों में 50 बिस्तरों वाले ‘क्रिटिकल केयर ब्लॉक’ की आधारशिला रखी और जांच की गई आबादी को 1 लाख सिकल सेल परामर्श कार्ड वितरित किए। इन रेल परियोजनाओं में छत्तीसगढ़ पूर्व रेल परियोजना चरण-I, चंपा से जमगा के बीच तीसरी रेल लाइन, पेंद्रा रोड से अनूपपुर के बीच तीसरी रेल लाइन और तलाईपल्ली कोयला खदान को एनटीपीसी लारा सुपर थर्मल पावर स्टेशन से जोड़ने वाली एमजीआर (मेरी-गो-राउंड) प्रणाली शामिल है।

सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा की कि छत्तीसगढ़ में 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की रेलवे परियोजनाओं का अनावरण किया जा रहा है और इसी के साथ यह राज्य विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य की ऊर्जा उत्पादन क्षमता का विस्तार करने और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए आज विभिन्न नई परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं। उन्होंने इस अवसर पर सिकल सेल काउंसलिंग कार्ड के वितरण का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि पूरी दुनिया आधुनिक विकास और सामाजिक कल्याण की तेज़ रफ्तार के भारतीय मॉडल को न केवल देख रही है बल्कि सराहना भी कर रही है। प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व नेताओं की मेजबानी को याद करते हुए ज़िक्र किया कि वे भारत के विकास और सामाजिक कल्याण मॉडल से बेहद प्रभावित थे। उन्होंने कहा कि दुनिया की बड़ी बड़ी संस्थाएं भारत की सफलता से सीखने की बात कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि का श्रेय देश के हर राज्य और हर क्षेत्र के विकास के प्रति सरकार की बराबर प्राथमिकता को दिया। प्रधानमंत्री ने आज की परियोजनाओं के लिए नागरिकों को बधाई देते हुए कहा, “छत्तीसगढ़ और रायगढ़ का यह क्षेत्र भी इसका साक्षी है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि “छत्तीसगढ़ देश के विकास का एक पावर हाउस है” और कोई भी देश तभी आगे बढ़ता है जब उसके पावर हाउस पूरी ताकत से काम करते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते 9 वर्षों में केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ के बहुमुखी विकास के लिए लगातार काम किया है और उनके विज़न तथा नीतियों का परिणाम आज यहां देखा जा सकता है। उन्होंने उल्लेख किया कि केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी योजनाएं संचालित की जा रही हैं और नई-नई परियोजनाओं का शिलान्यास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने विशाखापत्तनम से रायपुर आर्थिक गलियारे और रायपुर से धनबाद आर्थिक गलियारे की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने के लिए जुलाई में की गई अपनी रायपुर की यात्रा को याद किया। उन्होंने राज्य को प्रदान किए गए विभिन्न महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्गों का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि “आज छत्तीसगढ़ के रेलवे नेटवर्क के विकास में एक नया अध्याय लिखा जा रहा है” और यह सुधरा हुआ रेल नेटवर्क बिलासपुर-मुंबई रेल लाइन के झारसुगुड़ा बिलासपुर खंड में भीड़ को कम करेगा। उन्होंने कहा, इसी तरह जो अन्य रेल लाइनें शुरू हो रही हैं और जो रेल कॉरिडोर बन रहे हैं, वे छत्तीसगढ़ के औद्योगिक विकास को नई ऊंचाई देंगे। उन्होंने कहा कि इन मार्गों के पूरा होने पर न केवल छत्तीसगढ़ के लोगों को सुविधा मिलेगी बल्कि इस इलाके में रोजगार और आय के नए अवसर भी निर्मित होंगे। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कोयला खदानों से बिजली संयंत्रों तक कोयले के परिवहन की लागत और समय अब कम हो जाएंगे। प्रधानमंत्री ने बताया कि कम लागत पर ज्यादा से ज्यादा बिजली पैदा करने के लिए सरकार पिट हेड थर्मल पावर प्लांट भी बना रही है। उन्होंने तलाईपल्ली खदान को जोड़ने के लिए 65 किलोमीटर लंबी मैरी-गो-राउंड परियोजना के उद्घाटन का भी जिक्र किया और कहा कि देश में ऐसी परियोजनाओं की संख्या बढ़ेगी और आने वाले समय में छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों को इसका सबसे ज्यादा फायदा होने वाला है।

अमृत काल के अगले 25 वर्षों में भारत को एक विकसित राष्ट्र में परिवर्तित करने के अपने संकल्प पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने विकास के लिए प्रत्येक नागरिक की समान भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की बात की और सूरजपुर जिले में बंद पड़ी कोयला खदान का जिक्र किया, जिसे इको-टूरिज्म के हिस्से के रूप में विकसित किया गया है। उन्होंने कहा कि कोरवा में भी ऐसा ही इको पार्क विकसित करने का काम चल रहा है। इस क्षेत्र के जनजातीय वर्ग को मिलने वाले लाभों पर बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने खदानों से निकलने वाले पानी से हजारों लोगों को दी जा रही सिंचाई और पेयजल सुविधाओं पर प्रकाश डाला। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि वन संपदा के जरिए समृद्धि के नए रास्ते खोलने के साथ-साथ, वनों और भूमि की रक्षा करना भी सरकार का संकल्प है। वनधन विकास योजना का जिक्र करते हुए श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि इस योजना से लाखों आदिवासी युवा लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने दुनिया द्वारा बाजरा वर्ष मनाए जाने का भी ज़िक्र किया और आने वाले वर्षों में श्रीअन्न या बाजरा बाजार की बढ़ती संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां देश की आदिवासी परंपरा को नई पहचान मिल रही है, वहीं दूसरी ओर प्रगति के नये रास्ते सृजित हो रहे हैं।

जनजातीय आबादी पर सिकल सेल एनीमिया के प्रभाव के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि सिकल सेल परामर्श कार्डों का वितरण आदिवासी समाज के लिए एक बड़ा कदम है क्योंकि जानकारी का प्रसार करने से इस रोग को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। अपने संबोधन का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने ‘सबका साथ, सबका विकास’ के संकल्प के साथ आगे बढ़ने की जरूरत पर बल दिया और विश्वास जताया कि छत्तीसगढ़ विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

इस अवसर पर अन्य लोगों के साथ-साथ केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री श्रीमती रेणुका सिंह सरुता और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

रायगढ़ में इस सार्वजनिक कार्यक्रम में लगभग 6,350 करोड़ रुपये की महत्वपूर्ण रेल परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित करने से, देश भर में कनेक्टिविटी में सुधार पर प्रधानमंत्री के आग्रह को बढ़ावा मिलेगा। इन परियोजनाओं में छत्तीसगढ़ पूर्व रेल परियोजना चरण-I, चंपा से जमगा के बीच तीसरी रेल लाइन, पेंद्रा रोड से अनूपपुर के बीच तीसरी रेल लाइन और तलाईपल्ली कोयला खदान को एनटीपीसी लारा सुपर थर्मल पावर स्टेशन से जोड़ने वाली एमजीआर (मेरी-गो-राउंड) प्रणाली शामिल है। यह रेल परियोजनाएं इस इलाके में यात्रियों की आवाजाही के साथ-साथ माल ढुलाई को सुगम बनाकर सामाजिक आर्थिक विकास को गति प्रदान करेंगी।

छत्तीसगढ़ पूर्व रेल परियोजना के चरण-I को महत्वाकांक्षी पीएम गतिशक्ति-मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अंतर्गत विकसित किया जा रहा है और इसमें खरसिया से धरमजयगढ़ तक 124.8 किलोमीटर की रेल लाइन शामिल है। इसमें गेर-पेलमा के लिए एक स्पर लाइन और छल, बरौद, दुर्गापुर और अन्य कोयला खदानों को जोड़ने वाली तीन फीडर लाइनें शामिल हैं। लगभग 3,055 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह रेल लाइन विद्युतीकृत ब्रॉड गेज लेवल क्रॉसिंग और यात्री सुविधाओं के साथ फ्री पार्ट डबल लाइन से सुसज्जित है। यह छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में स्थित मांड-रायगढ़ कोयला क्षेत्रों से कोयला परिवहन के लिए रेल कनेक्टिविटी प्रदान करेगी।

पेंद्रा रोड से अनूपपुर के बीच तीसरी रेल लाइन 50 किमी लंबी है और लगभग 516 करोड़ रुपये की लागत से बनाई गई है। चांपा और जामगा रेल खंड के बीच 98 किलोमीटर लंबी तीसरी लाइन लगभग 796 करोड़ रुपये की लागत से बनी है। नई रेल लाइनों से इस इलाके में कनेक्टिविटी बेहतर होगी और पर्यटन तथा रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होगी।

65 किलोमीटर लंबी विद्युतीकृत एमजीआर (मैरी-गो-राउंड) प्रणाली एनटीपीसी की तलाईपल्ली कोयला खदान से छत्तीसगढ़ में 1600 मेगावाट के एनटीपीसी लारा सुपर थर्मल पावर स्टेशन तक कम लागत में उच्च श्रेणी का कोयला लाने का काम करेगी। इससे एनटीपीसी लारा से कम लागत के और विश्वसनीय बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगी। 2070 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित एमजीआर प्रणाली, कोयला खदानों से बिजली स्टेशनों तक कोयला परिवहन में सुधार के लिए एक तकनीकी चमत्कार से कम नहीं है।

कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने छत्तीसगढ़ के 9 जिलों में 50 बिस्तरों वाले ‘क्रिटिकल केयर ब्लॉक’ का शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के अंतर्गत दुर्ग, कोंडागांव, राजनांदगांव, गरियाबंद, जशपुर, सूरजपुर, सरगुजा, बस्तर और रायगढ़ जिलों में नौ क्रिटिकल केयर ब्लॉक बनाए जाएंगे, जिनकी कुल लागत 210 करोड़ रुपये होगी। जनजातीय आबादी के बीच विशेष रूप से होने वाले सिकल सेल रोग से उपजी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री ने जांची गई आबादी को एक लाख सिकल सेल परामर्श कार्ड वितरित किए। सिकल सेल परामर्श कार्ड का वितरण राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन (एनएसएईएम) के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसका शुभारंभ प्रधानमंत्री द्वारा जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश के शहडोल में किया गया था।

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विशेष अभियान 2.0 से 25.63 करोड़ रुपये की आय

विशेष अभियान 2.0 के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ-साथ उसके संबद्ध और अधीनस्थ कार्यालयों को बड़ी सफलता मिली है। इस अभियान से 4.73 लाख किलोग्राम स्क्रैप/डिस्पोजेबल वस्तुओं का निस्तारण कर 25.63 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। इससे नवंबर 2022 से अगस्त 2023 की अवधि के दौरान 11.43 वर्ग फुट जगह भी खाली हुई है। केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर और राज्य मंत्री डॉ. एल मुरुगन के मार्गदर्शन में सचिव श्री अपूर्व चंद्रा द्वारा अभियान की निरंतर समीक्षा की गई।

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प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के बीना में 50,700 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी

प्रधानमंत्री मोदी ने आज मध्य प्रदेश के बीना में 50,700 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखी। परियोजनाओं में 49,000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किये जाने वाले भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स, नर्मदापुरम जिले में एक बिजली और नवीकरणीय ऊर्जा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र; इंदौर में दो आईटी पार्क; रतलाम में एक मेगा औद्योगिक पार्क तथा मध्य प्रदेश में छह नए औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं।

प्रधानमंत्री ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बुंदेलखंड योद्धाओं की भूमि है। उन्होंने एक महीने के भीतर मध्य प्रदेश के सागर का दौरा करने का उल्लेख किया और इस अवसर के लिए मध्य प्रदेश सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने संत रविदास जी के स्मारक के शिलान्यास समारोह में भाग लेने को भी याद किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की परियोजनाएं क्षेत्र के विकास को नई ऊर्जा प्रदान करेंगी। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इन परियोजनाओं पर 50 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है जो देश के कई राज्यों के बजट से भी अधिक है। उन्होंने कहा, “यह मध्य प्रदेश के लिए हमारे संकल्पों की विशालता को दिखाता है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत काल में देश के प्रत्येक नागरिक ने भारत को विकसित देश में बदलने का संकल्प लिया है। प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए आयात को कम करने पर बल दिया और बताया कि भारत पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल उत्पादों के लिए विदेशों पर निर्भर है। श्री मोदी ने बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स का उल्लेख करते हुए कहा कि यह पेट्रोकेमिकल उद्योग में आत्मनिर्भर की दिशा में एक कदम आगे होगा। प्रधानमंत्री ने पाइप, नल, फर्नीचर, पेंट, कार के पुर्जों, चिकित्सा उपकरण, पैकेजिंग सामग्री और कृषि उपकरणों जैसे प्लास्टिक उत्पादों का उदाहरण दिया और कहा कि इनके उत्पादन में पेट्रोकेमिकल्स की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैं आपको गारंटी देता हूं कि बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स पूरे क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देगा और विकास को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।” उन्होंने कहा कि इससे न केवल नए उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छोटे किसानों और उद्यमियों को लाभ होगा और युवाओं के लिए हजारों अवसर भी पैदा होंगे। प्रधानमंत्री ने विनिर्माण क्षेत्र के महत्व के बारे में बात करते हुए प्रधानमंत्री ने आज 10 नई औद्योगिक परियोजनाओं पर काम शुरू होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि नर्मदापुरम, इंदौर और रतलाम की परियोजनाओं से मध्यप्रदेश के औद्योगिक विकास में वृद्धि होगी, जिससे सभी को लाभ मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने किसी भी राज्य या देश के विकास के लिए शासन में पारदर्शिता और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, उस समय को याद किया जब मध्य प्रदेश को देश के सबसे दुर्बल और कमजोर राज्यों में से एक माना जाता था। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दशकों तक मध्य प्रदेश में शासन किया, उनके पास अपराध और भ्रष्टाचार के अलावा देने के लिए कुछ भी नहीं था। श्री मोदी ने राज्य में अपराधियों को खुली छूट और कानून व्यवस्था में जनता के विश्वास की कमी को याद करते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों ने उद्योगों को राज्य से दूर कर दिया। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने मध्य प्रदेश में पहली बार चुने जाने के बाद से स्थिति को बदलने के लिए भरसक प्रयास किए हैं। उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कानून-व्यवस्था बहाल करने और नागरिकों के मन में व्याप्त भय से छुटकारा पाने, सड़कों के निर्माण और बिजली आपूर्ति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि बेहतर कनेक्टिविटी ने राज्य में एक सकारात्मक माहौल बनाया है जहां बड़े उद्योग कारखाने स्थापित करने के लिए तैयार हैं। श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि मध्य प्रदेश अगले कुछ वर्षों में औद्योगिक विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।

प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसिकता से छुटकारा पाने और ‘सबका प्रयास’ के साथ आगे बढ़ने के अपने आह्वान का जिक्र करते हुए कहा कि आज का नया भारत तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत ने गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़ दिया है और अब स्वतंत्र होने के विश्वास के साथ आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह हाल में आयोजित जी-20 में परिलक्षित हुआ जो सभी के लिए एक आंदोलन बन गया और सभी ने देश की उपलब्धियों पर गर्व महसूस किया। प्रधानमंत्री ने जी-20 की शानदार सफलता का श्रेय लोगों को दिया। उन्होंने कहा, ”यह 140 करोड़ भारतीयों की सफलता है।” उन्होंने कहा कि विभिन्न शहरों में हुए कार्यक्रमों ने भारत की विविधता और क्षमताओं को दिखाया और आगंतुकों को बहुत प्रभावित किया। उन्होंने खजुराहो, इंदौर और भोपाल में हुए जी-20 आयोजनों के प्रभाव का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे विश्व की नजरों में मध्य प्रदेश की छवि बेहतर हुई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि एक और नया भारत दुनिया को एक साथ लाने और विश्वामित्र के रूप में उभरने में अपनी विशेषज्ञता दिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ ऐसे संगठन हैं जो राष्ट्र और समाज को विभाजित करने पर तुले हुए हैं। प्रधानमंत्री ने हाल ही में बने गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी नीतियां भारतीय मूल्यों पर हमला करने और हजार वर्ष पुरानी विचारधारा, सिद्धांतों और परंपराओं को नष्ट करने तक सीमित हैं जो सभी को एकजुट करने का काम करती हैं। यह इंगित करते हुए कि नवगठित गठबंधन सनातन को समाप्त करना चाहता है, प्रधानमंत्री ने देवी अहिल्याबाई होल्कर का उल्लेख किया जिन्होंने अपने सामाजिक कार्यों से देश की आस्था की रक्षा की, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जिन्होंने अंग्रेजों को चुनौती दी, महात्मा गांधी जिनका अस्पृश्यता आंदोलन भगवान श्री राम से प्रेरित था, स्वामी विवेकानंद जिन्होंने समाज की विभिन्न कुरीतियों के बारे में लोगों को जागरूक किया और लोकमान्य तिलक जिन्होंने भारत माता की रक्षा का बीड़ा उठाया और गणेश पूजा को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा।

प्रधानमंत्री ने सनातन की शक्ति का उल्लेख किया, जिसने स्वतंत्रता संग्राम के योद्धाओं को प्रेरित किया, जिसमें संत रविदास, माता शबरी और महर्षि वाल्मीकि परिलक्षित हुए। उन्होंने उन लोगों के खिलाफ चेतावनी दी जो सनातन को तोड़ना चाहते हैं जिसने भारत को एकजुट रखा है और लोगों को ऐसी प्रवृत्तियों के खिलाफ सतर्क रहने का आग्रह किया।

प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि सरकार देश के प्रति समर्पण और जनसेवा के लिए समर्पित है। उन्होंने कहा कि वंचितों को प्राथमिकता देना सरकार का मूल मंत्र है जो एक संवेदनशील सरकार है। प्रधानमंत्री ने महामारी के दौरान मदद के जन-समर्थक कदमों, 80 करोड़ लोगों को निशुल्क राशन के बारे में भी बात की।                                       

प्रधानमंत्री ने कहा, ”हमारा निरंतर प्रयत्न है कि मध्य प्रदेश विकास की नई ऊंचाइयों को छुए, मध्य प्रदेश के हर परिवार का जीवन सरल हो, हर घर में समृद्धि आए। मोदी की गारंटी का ट्रैक रिकॉर्ड आपके सामने है।” उन्होंने राज्य में निर्धनों के लिए 40 लाख पक्के मकान और शौचालय, निशुल्क इलाज, बैंक खाते और धुआं रहित रसोई की गारंटी पूरी करने की जानकारी दी। उन्होंने रक्षाबंधन के अवसर पर गैस सिलेंडर की कीमतों में कटौती का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “इसके कारण उज्ज्वला की लाभार्थी बहनों को अब सिलेंडर 400 रुपये सस्ता मिल रहा है।” इसलिए कल केंद्र सरकार ने एक और बड़ा निर्णय लिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अब देश की 75 लाख और बहनों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा। हमारा लक्ष्य है कि कोई भी बहन गैस कनेक्शन से वंचित न रह जाए।”

प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि सरकार अपनी हर गारंटी पूरी करने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है। उन्होंने बिचौलिए को खत्म करने का उल्लेख किया, जिससे प्रत्येक लाभार्थी को पूर्ण लाभ सुनिश्चित हुआ और पीएम किसान सम्मान निधि का उदाहरण दिया, जहां प्रत्येक लाभार्थी किसान को सीधे उसके बैंक खाते में 28,000 रुपये मिले हैं। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस योजना पर 2,60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय किये हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले 9 साल में किसानों की लागत घटाने और कम दाम पर खाद उपलब्ध कराने के प्रयास किए हैं और 9 साल में 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा व्यय होने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अमेरिका के किसानों के लिए जिस यूरिया की बोरी की कीमत 3000 रुपये तक है, वह भारतीय किसानों को 300 रुपये से भी कम में उपलब्ध करा दी जाती है। उन्होंने पूर्व में हुए हजारों करोड़ रुपये के यूरिया घोटालों की ओर इंगित किया और कहा कि वही यूरिया अब हर जगह आसानी से उपलब्ध है।

प्रधानमंत्री ने डबल इंजन सरकार द्वारा बुन्देलखण्ड में सिंचाई परियोजनाओं पर किए गए कार्यों को रेखांकित करते हुए कहा, “बुंदेलखंड से बेहतर सिंचाई के महत्व को कौन जानता है।” प्रधानमंत्री ने केन-बेतवा लिंक नहर का उल्लेख किया और कहा कि इससे बुंदेलखंड समेत इस क्षेत्र के कई जिलों के किसानों को बहुत लाभ होगा। हर घर में नल से जल पहुंचाने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि केवल 4 वर्षों में, देश भर में लगभग 10 करोड़ नए परिवारों को नल से जल की आपूर्ति की गई है, जबकि मध्य प्रदेश में 65 लाख परिवारों को नल से जल मिला है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बुंदेलखंड में अटल भूजल योजना के तहत जल स्रोत बनाने पर भी व्यापक स्तर पर काम किया जा रहा है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने उल्लेख किया कि 5 अक्टूबर, 2023 को रानी दुर्गावती की 500वीं जयंती बहुत धूमधाम से मनायी जाएगी।

संबोधन के अंत में प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि हमारी सरकार के प्रयासों से गरीबों, दलितों, पिछड़े वर्गों और आदिवासियों को सबसे अधिक लाभ हुआ है। श्री मोदी ने कहा, “वंचितों को प्राथमिकता देने का मॉडल ‘सबका साथ सबका विकास’ आज विश्व को रास्ता दिखा रहा है।”  उन्होंने रेखांकित किया कि भारत शीर्ष 3 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने के लक्ष्य की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा, ”भारत को शीर्ष-3 बनाने में मध्य प्रदेश बड़ी भूमिका निभाएगा” और रेखांकित किया कि किसानों, उद्योगों और युवाओं के लिए नए अवसर सृजित किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि आज की परियोजनाएं राज्य के त्वरित विकास को और गति देंगी। श्री मोदी ने कहा, “अगले 5 वर्ष मध्य प्रदेश के विकास को नई ऊंचाई तक ले जाएंगे।”

इस अवसर पर मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगूभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

राज्य में औद्योगिक विकास को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन प्रदान करने वाले कदम में, प्रधानमंत्री ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएलकी बीना रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल परिसर की आधारशिला रखी। लगभग 49,000 करोड़ रुपये की लागत से विकसित होने वाली यह अत्याधुनिक रिफाइनरी लगभग 1200 केटीपीए (किलोटन प्रति वर्षएथिलीन और प्रोपलीन का उत्पादन करेगी, जो वस्त्र, पैकेजिंग और फार्मा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटक हैं। इससे देश की आयात निर्भरता कम होगी और यह प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को पूरा करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम होगा। यह मेगा परियोजना रोजगार के अवसर पैदा करेगी और इससे पेट्रोलियम क्षेत्र में डाउनस्ट्रीम उद्योगों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस कार्यक्रम के दौरान, प्रधानमंत्री ने दस परियोजनाओं की भी आधारशिला रखी जिनमें नर्मदापुरम जिले में ‘विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र’, इंदौर में दो आईटी पार्क, रतलाम में एक मेगा औद्योगिक पार्क और पूरे मध्य प्रदेश में छह नए औद्योगिक क्षेत्र शामिल हैं।

‘विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा विनिर्माण क्षेत्र, नर्मदापुरम’ 460 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाएगा और यह इस क्षेत्र में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम होगा। इंदौर में लगभग 550 करोड़ की लागत से बनने वाला ‘आईटी पार्क और 4‘ आईटी और आईटीईएस क्षेत्र को बढ़ावा देगा तथा यह युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन करेगा।

रतलाम में मेगा औद्योगिक पार्क 460 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा और इसकी वस्त्र, ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए एक प्रमुख केंद्र बनने की परिकल्पना की गई है। यह पार्क दिल्लीमुंबई एक्सप्रेसवे से जुड़ा होगा। इससे पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को काफी बढ़ावा मिलेगा, जिससे युवाओं के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

राज्य में संतुलित क्षेत्रीय विकास और समान रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छह नए औद्योगिक क्षेत्र लगभग 310 करोड़ रुपये की संचयी लागत से शाजापुर, गुना, मऊगंज, आगर मालवा, नर्मदापुरम और मक्सी में भी विकसित किए जाएंगे।

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भारत और रूस समुद्री सहयोग को विस्तृत एवं व्यापक बनाने के उद्देश्य से उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) तथा पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) में संभावनाएं तलाश रहे हैं

केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग और आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने रूसी गणराज्य में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री  ए ओ चेकुनकोव से आज रूस के व्लादिवोस्तोक में “फार ईस्ट स्ट्रीट” स्थित कामचटका क्षेत्र के पवेलियन में मुलाकात की। बैठक में दोनों देशों के नेताओं ने समुद्री सहयोग को वृहद् एवं व्यापक बनाने के उद्देश्य से भारत और रूस के बीच समुद्री आवागमन की विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की, जिसमें उत्तरी समुद्री मार्ग (एनएसआर) के साथ-साथ व्लादिवोस्तोक तथा चेन्नई के बीच पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) जैसे नए समुद्री परिवहन गलियारों के उपयोग की संभावना भी शामिल की गई है। इसके साथ भारत और रूस, रूस के व्लादिवोस्तोक में जीआई एडमिरल नेवेल्स्की रूसी समुद्री प्रशिक्षण संस्थान में ध्रुवीय एवं आर्कटिक समुद्र के जल में भारतीय नाविकों को प्रशिक्षित करने का निर्णय भी लिया गया। यह संस्थान सिम्युलेटर प्रशिक्षण सुविधाओं से सुसज्जित है।

इस अवसर पर सोनोवाल ने अपने संबोधन में कहा है कि रूस तथा भारत के बीच संबंधों की जड़ें गहरी व ऐतिहासिक  हैं और यह आपसी सम्मान एवं साझा हितों पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि हम सशक्त संबंध बनाए रखने और विभिन्न क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए वचनबद्ध हैं। श्री सोनोवाल ने बताया कि रूस की सरकार के सहयोग से हमारी टीम ने मई 2023 में व्लादिवोस्तोक, वोस्तोचन, नखोदका और कोजमिनो बंदरगाहों का दौरा किया था, जिससे हमें इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के उद्देश्य से अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि इन पत्तनों की यात्राओं के दौरान प्राप्त हुए सहयोग ने पूर्वी समुद्री गलियारे (ईएमसी) के पूर्ण पैमाने पर संचालन के लिए आवश्यकताओं की हमारी समझ में विशेष योगदान दिया है।  सोनोवाल ने कहा कि चेन्नई में हमारी प्रस्तावित कार्यशाला ईएमसी के संचालन पर चर्चा करेगी और हम इस गलियारे के साथ कोकिंग कोयला, तेल तथा तरलीकृत प्राकृतिक गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं के व्यापार एवं परिवहन के लिए प्रासंगिक हितधारकों को शामिल करने की कल्पना करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि हमने आगामी ग्लोबल मैरीटाइम इंडिया समिट (जीएमआईएस), 2023 में भाग लेने के लिए रूस को आमंत्रित किया है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रूसी गणराज्य में सुदूर पूर्व और आर्कटिक के विकास मंत्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि हमने अपने सहयोगी देशों के बीच समुद्री संचार के विकास के साथ-साथ उत्तरी समुद्री मार्ग के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की है। उन्होंने कहा है कि संपर्कों की यह गतिशीलता हमारी साझेदारी को और बेहतर करने की नींव रखने जैसा है। श्री ए ओ चेकुनकोव ने कहा है कि भारत के साथ सहयोग करना हमारे मंत्रालय की अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों की प्राथमिकताओं में से एक है और हम आपसी हित के सभी क्षेत्रों के लिए सुदूर पूर्व में भारतीय भागीदारों के साथ लाभप्रद संबंध विकसित करने का इरादा रखते हैं। सोनोवाल ने भारत और रूस के बीच व्यापार एवं वाणिज्य के अवसरों की तलाश के लिए अन्य वैकल्पिक मार्गों की भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि भारत बढ़ी हुई संपर्क सुविधा और व्यापार की क्षमता को पहचानते हुए उत्तरी समुद्री मार्ग के विकास के संबंध में साझेदारी करने की इच्छा रखता है। ए ओ चेकुनकोव ने व्यापार के लिए वैकल्पिक मार्गों के बारे में अपने विचार भी साझा किये। उन्होंने कहा कि हम आपके निष्कर्ष से सहमत हैं कि इस क्षेत्र का संभावित कार्गो आधार कोकिंग कोयला, तेल, एलएनजी और उर्वरक ही होगा। सुदूर पूर्व में, यह उत्पाद श्रृंखला पर्याप्त मात्रा में मौजूद है और भारत के पूर्व में इसे प्राप्त करने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा रहा है।  ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि सुदूर पूर्वी बंदरगाहों की विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए इस परियोजना को विस्तारित भौगोलिक दायरे में लागू किया जाना चाहिए, जिसमें प्राथमिक के अलावा अन्य क्षेत्र तथा मुख्य रूप से खाबरोवस्क का समुद्री इलाका शामिल हैं। उन्होंने बताया कि हम इस वर्ष अक्टूबर में एक व्यावसायिक मिशन पर चेन्नई का दौरा करेंगे और प्रमुख रूसी निर्यातकों की भागीदारी के साथ उपरोक्त परियोजनाओं के शुभारंभ के लिए भारतीय पक्ष के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद समाधान विकसित करने के उद्देश्य के साथ तैयार हैं। ए ओ चेकुनकोव ने कहा कि एनएसआर एक वैश्विक परिवहन परियोजना है और इसका विकास रूस तथा गैर-क्षेत्रीय देशों दोनों को आर्थिक लाभ प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह पोत निर्माण उत्पादों की बिक्री बढ़ाने और उत्तरी गोलार्ध वाले देशों में सामान्य रसद व्यवसाय में भागीदारी से आय प्राप्त करने का एक अवसर भी है।

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हिंदी भाषा का महत्व

हमारा देश विविध भाषाओं वाला देश है। हर प्रांत की अपनी एक बोली है, महत्व है फिर भी हिंदी एक ऐसी भाषा है जो सभी जगह आपसी संवाद के लिए सुगम्य है और अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है और समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक संपर्क के माध्यम के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। सुमित्रानंदन पंत ने कहा था कि “हिंदी उन सभी गुणों से अलंकृत है जिसके बल पर वह विश्व की साहित्यिक भाषाओं की अगली श्रेणी में सभासीन हो सकती है। “हर साल में विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन भारत में 14 सितंबर को होता है।अलग-अलग तारीखों पर हिंदी दिवस मनाने का क्या औचित्य? विश्व हिंदी दिवस और राष्ट्रीय हिंदी दिवस में क्या अंतर है? हालांकि दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रसार करना ही है फिर भी दोनों में यह अंतर क्यों? यह अंतर भौगोलिक स्तर पर है और राष्ट्रीय हिंदी दिवस भारत में हिंदी को आधिकारिक दर्जा प्राप्त होने की खुशी में मनाया जाता है तो वहीं विश्व हिंदी दिवस दुनिया में हिंदी को वही दर्जा दिलाने के प्रयास में मनाया जाता है। पहला हिंदी दिवस नागपुर में 10 जनवरी 1974 में मनाया गया था। यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय स्तर का था, जिसमें 30 देश के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए कई बहसें हुईं। अहिंदी भाषी राज्य हिंदी को राजभाषा मानने के पक्ष में नहीं थे। दक्षिणी राज्य के लोग इसे अपने साथ अन्याय मान रहे थे इसलिए हिंदी भाषा राज्यों का विरोध देखते हुए संविधान निर्माता ने हिंदी के साथ-साथ अंग्रेजी को भी राजभाषा का दर्जा दे दिया और इस तरह 1953 को राजभाषा प्रचार समिति वर्धा ने 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया।

हालांकि हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल नहीं है। राजभाषा और राष्ट्रभाषा का अंतर लोग जल्दी से समझ नहीं पाते हैं। पहला अंतर इन्हें बोलने वाली संख्या से और दूसरा अंतर इनके प्रयोग करने का है। राष्ट्रभाषा जनसाधारण की भाषा होती है और राजभाषा सरकारी कार्यालय और सरकारी कर्मियों के द्वारा उपयोग में लाई जाती है। कुछ देशों में राजभाषा और राष्ट्रभाषा एक ही है लेकिन बहुभाषी देश में राजभाषा राष्ट्रभाषा अलग-अलग होती है। राष्ट्रभाषा किसी देश को एक करने के लिहाज से बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी ने वर्ष 1917 में गुजरात के भरूच में हुए गुजरात शैक्षिक सम्मेलन में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाए जाने की वकालत की थी- “भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी ही एक ऐसी भाषा है जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है क्योंकि यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है; यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक सम्पर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है तथा इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है।”
पूरे विश्व में 150 से अधिक देशों में फैले 2 करोड़ भारतीयों द्वारा हिंदी बोली जाती है इसके अलावा 40 देशों में 600 से अधिक विश्वविद्यालय और स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाती है। एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा मंदारिन है तो दूसरा स्थान हिंदी का आता है। यूनेस्को की मान्यता वाली सात भाषाओं में एक भाषा हिंदी है। आज हिंदी भाषा इस समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यही है कि अब तक यह रोजगार की भाषा नहीं बन पाई है। आज तमाम मल्टीनेशनल कंपनियां के दैनिक कामकाज का प्रबंधन, संचालन का माध्यम अंग्रेजी है और अपनी निजी हितों को साधने के लिए सामाजिक और राजनीतिक संगठन भी हिंदी का विरोध करते हैं। अभी भी भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम भी अंग्रेजी ही है। आज भी हिंदी की जागरूकता के लिए सम्मेलनों का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल से हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल रहा है। गूगल के अनुसार भारत में अंग्रेजी भाषा में जहां विषय वस्तु निर्माण रफ्तार 19% है तो हिंदी के लिए यह आंकड़ा 94% है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करना चाहिये।
चूंकि बहुसंख्यक भारतीय उपभोक्ता हिंदी भाषी हैं और बाजार में विभिन्न प्रकार की गतिविधियां चलाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है, जिसके कारण इंटरनेट पर ज्यादातर सामग्री हिंदी में उपलब्ध करवाई जा रही है। यह भी हिंदी के विस्तार में मुख्य भूमिका निभा रहा है। इंटरनेट पर हिंदी सामग्री की मांग 5 गुना ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। स्मार्टफोन में औसतन एप्लीकेशंस 25 प्रतिशत हिंदी में हैं। कम्प्यूटर में लिखने के लिए हिंदी के विभिन्न फॉन्ट्स तथा टूल्स विकसित किए गए हैं। स्मार्टफोन में हिंदी के कुंजीपटल उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल इंटरनेट पर सोशल मीडिया तथा अन्य ऑनलाइन सेवाओं में हिंदी लिखने के लिए किया जा सकता है।
बावजूद इसके आज सोशल मीडिया पर हिंदी का उपयोग जिस टूटे-फूटे अंदाज में किया जा रहा है, वह  चिंतनीय विषय है। इससे भाषा का स्वरूप व सुंदरता ही समाप्त हो जाती है। एक  समय वह था, जब स्कूली शिक्षा की शुरुआत हिंदी माध्यम से होती थी और दूसरी ओर वर्तमान की स्थिति है जहां इसकी शुरुआत अंग्रेजी से होती है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी है। इसलिए इसको एक-दूसरे में प्रचारित करनी चाहिए ताकि हिंदी को सेमिनार और सम्मेलनों का सहारा ना लेना पड़े।
~प्रियंका वर्मा महेश्वरी

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 एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता आयोजित

कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, एस एन सेन बालिका विद्यालय पी .जी .कॉलेज कानपुर के हिंदी विभाग ने वर्तमान में प्रायोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर एक व्याख्यान एवं भाषण प्रतियोगिता करवाई कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह हिंदी विभाग दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर, प्रबंध समिति के अध्यक्ष प्रवीण कुमार मिश्रा ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन, संयुक्त सचिव शुभ्रो सेन, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर सुमन ,समाजशास्त्र विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर निशि प्रकाश, प्रमुख अनुशासक कप्तान ममता अग्रवाल तथा हिंदी विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा बाजपेई ने दीप प्रज्वलन कर किया। वर्तमान में भारत के अमृतकाल प्रयोजनमूलक हिंदी का वैश्विक महत्व विषय पर मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान विश्व श्रृंखल भारत को एक सूत्र में बांधने का कार्य भी हिंदी नहीं किया था ।विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक छोटे से कालखंड में हिंदी को जो अहर्ता और प्रतिष्ठा प्राप्त हुई वह अकल्पनीय है ।महाविद्यालय की प्राचार्य जी ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज हिंदी जीवकोपार्जन से जुड़े सभी कार्य -व्यापारो के मध्य की भाषा बन गई है और यही उसकी प्रयोजनपरकता है ।वह प्रशासन, शिक्षा, उद्योग ,व्यापार विज्ञान की भाषा बन गई है। तब एक राष्ट्र ,एक भाषा की बात हो वहां हिंदी की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है ।प्रबंध तंत्र समिति के अध्यक्ष श्री प्रवीण कुमार मिश्रा जी ,सचिव प्रोबीर कुमार सेन ,संयुक्त सचिव सुब्रोसेन तथा प्राचार्य प्रोफेसर सुमन ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर सुमन सिंह को विघ्न विनाशक गणेश की प्रतिमा व प्रशस्ति पत्र स्मृति स्वरूप प्रदान किया ।प्रबंध तंत्र ने संयुक्त सचिव सुब्रोसेन से अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी हमारे देश की समन्वय की भाषा है और हमारी राजभाषा के सम्मान के लिए युवाओं को सक्रिय प्रयास करते रहने चाहिए। हमें अपनी हिंदी भाषा बोलने लिखने में गर्व करना चाहिए ।भाषण प्रतियोगिता के प्रतिभागी छात्राओं के नाम रेशमा ने प्रस्तुत किया जिसमें छात्राओं ने उत्साह के साथ प्रतिभाग किया इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त प्रवक्ता गण कर्मचारी गण एवं छात्रों को पुरस्कार स्वरूप पुस्तक एवं प्रमाण पत्र प्रबंध समिति एवं प्राचार्या द्वारा प्रदान किए गए कार्यक्रम का संचालन विभाग की प्रभारी डॉक्टर शुबा वाजपेई ने तथा आभार ज्ञापन समाजशास्त्र विभाग की विभागा अध्यक्ष प्रोफेसर निशी प्रकाश ने किया ।प्रतियोगिता के परिणाम इस प्रकार हैं प्रथम स्थान अंशिका दीप बी ए प्रथम वर्ष।द्वितीय स्थान हिना बानो एम ए प्रथम वर्ष। तृतीय स्थान अमृता शुक्ला एम ए प्रथम वर्ष।

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क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस पर कार्यक्रम अयोजित

कानपुर 14 सितंबर भारतीय स्वरूप संवाददाता, हिंदी अपने चरित्र में लोकतांत्रिक है. इसका लचीलापन ही इसे अन्य भाषाओं से जुड़ने में मदद करता है और वही इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह विचार युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे ने क्राइस्ट चर्च कॉलेज में हिंदी दिवस के अवसर पर बोलते हुए व्यक्त किया. क्राइस्ट चर्च कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन विभागीय पुस्तकालय “बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ पुस्तकालय में उत्साह से किया गया.
इस अवसर पर एक वैचारिक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया. उक्त गोष्ठी की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर जोसेफ डेनियल ने की. मुख्य अतिथि के रूप में राजकीय महाविद्यालय खैर अलीगढ़ में हिंदी के सहायक अध्यापक और चर्चित युवा आलोचक जगन्नाथ दुबे उपस्थित रहे. इस अवसर पर हिंदी के प्रखर आलोचक और हिंदी विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज के एसोसिएट प्रोफ़ेसर अवधेश मिश्र ने अपने आधार वक्तव्य में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी प्रतिरोध की भाषा तो है ही साथ ही स्वतंत्रता की चेतना की वाहक भी है.
हिंदी विभाग की प्रभारी प्रोफेसर सुजाता चतुर्वेदी ने औपचारिक स्वागत भाषण देते हुए विभाग की गतिविधियों के बारे में भी बताया. उन्होंने कहा कि हिंदी की उन्नति के बिना न राष्ट्र की उन्नति हो सकती है न व्यक्ति की.
प्रोफेसर डेनियल ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में हिंदी विभाग को बढ़िया आयोजन की बधाई देते हुए कहा कि प्रति वर्ष हिंदी दिवस के आयोजन द्वारा छात्रों में निश्चय ही हिंदी भाषा के प्रति चेतना और जागरूकता का प्रसार हो रहा है. अतः ऐसे आयोजन बहुधा होने चाहिए.
इस अवसर पर हिंदी काव्य पाठ प्रतियोगिता व स्केच प्रतियोगिता में पुरस्कृत छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए.
कार्यक्रम का सफल संचालन एम.ए. हिंदी प्रथम सेमेस्टर के छात्र सहस्रांशु मिश्र द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन बी.ए. प्रथम सेमेस्टर के छात्र विख्यात दुबे द्वारा किया गया. कार्यक्रम में कॉलेज के विभिन्न विभागों के छात्र एवं शिक्षक उपस्थित रहे.

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