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उत्तर प्रदेश में कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

UP में इस कड़क कानून को मिली मंजूरी, उपद्रव के आरोपियों की मौत के बाद घर वालों से होगी वसूली

राज्य सरकार ने क्षति वसूली अध्यादेश के तहत ऐसी व्यवस्था कर दी है कि सरकारी-निजी संपत्ति को नुकसान वाले की मुकदमे के दौरान अगर मौत भी हो जाती है तो वसूली उसके घर वालों से की जाएगी। नियमावली के मुताबिक कार्यवाही के दौरान किसी भी पक्षकार की अगर मौत हो जाती है तो वसूली का मुकदमा खत्म नहीं होगा। नागरिकता संशोधन कानून की आड़ में बीते दिनों पूरे उत्तर प्रदेश को उपद्रव की आग में झोंकने वालों और दंगा-आगजनी की साजिश को पर्दे के पीछे से अंजाम देने वाली देश विरोधी ताकतों के खिलाफ प्रदेश के कप्तान योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा खोल दिया है। उत्तर प्रदेश में दंगाइयों द्वारा सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से क्षतिपूर्ति वसूली के लिए नियमावली को मंजूरी दे दी है। कोरोना काल में यहां एक तरफ सीएम योगी स्वास्थकर्मी और अन्य कोरोना योद्धाओं के साथ सलीके से पेश आने की हिदायत देते नजर आ रहे हैं वहीं शांति भंग करने वालों के खिलाफ एक्शन मोड में भी नजर आ रही हैं। उत्तर प्रदेश में अब प्रदर्शन और बंद के दौरान उपद्रव कर सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल साबित होगा।

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औरंगाबाद में माल गाड़ी की चपेट में आये 16 मजदूर

औरंगाबाद जालना रूट पे दर्दनाक हादसा, माल गाड़ी की चपेट में आने से 16 मजदूरों की मौत हो गयी और 5 मजदूर घायल हुए, हादसा सुबह 4.30 बजे हुआ जब मजदूर भुसावल अपने घर जा रहे थे, मजदूर जालना की एक फैक्ट्री में काम करते थे, घर जाने के लिए निकले मजदूर पैदल चलते चलते थकने पर पटरी पे ही सो गए और माल गाड़ी की चपेट पे आये, अधिकारी मौके पे पहुचे, मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज पाटिल ने मृतको के परिवार वालो को 5, 5 लाख रुपये का मुआवजा देने का एलान किया, प्रधान मंत्री श्री मोदी ने घटना पे गहरा दुख जताया और परिवार वालों को हर संभव मदद का भरोसा दिया।

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कानपुर के 7 हॉट स्पॉट कल से ग्रीन जोन में

कानपुर के 7 हॉट स्पॉट कल से हो जाएंगे ग्रीन जोन में तब्दील।

इलाके में रहने वालों को मिल जाएगी घरो से निकलने की आजादी।

हॉट स्पॉट इलाको में तैनात पुलिस और पीएसी के अलावा स्वास्थ्य विभाग की टीम को वहाँ से हटा कर कही और किया जाएगा तैनात।

डीएम डॉ ब्रह्मदेव तिवारी ने दिए संबंधित अधिकारोयो को निर्देश ।

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बाबा आनंदेश्वर अब स्वर्ण स्वरुप में

||🕉️श्री आनन्देश्वराय नमः🕉️||


कानपुर के राजाधिराज #बाबाआनन्देश्वर महाराज जी नये स्वर्ण_रूप में विराजे आज ।

बाबा के शिवलिंग पर स्वर्ण स्वरूप के दर्शन

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खबरें कानपुर से

खबरें कानपुर से

कानपुर में कोरोना के दो और मरीज बढ़े

बगाही निवासी व्यक्ति ने पैथकाइंड से कराई थी जांच।

दूसरे की केजीएमयू से आई पॉजिटिव रिपोर्ट।

दोनों को कोविड-19 अस्पताल में किया जा रहा है शिफ्ट ।

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कानपुर में करोना का कहर लगातार बढ़ाता जा रहा है ।

स्वास्थ विभाग ने हॉटस्पॉट एरियो में युद्ध स्तर पर जारी की टेस्टिंग ।

करोना पाजिटिव मरीजों की संपर्क इतिहास के आधार पर लोगों का कर रहे हैं चेकअप

कोरोना हॉटस्पॉट क्षेत्र में संक्रमित मरीजों को ढूंढ कर और लोगों को सुरक्षित करने का है प्रयास ।

कानपुर के बादशाही नाका थाना क्षेत्र अंतर्गत धनकुट्टी के मसाला वाली गली में कोरोना पोसिटिव मिलने के वाद पुलिस की मौजूदगी में चल रही सैंपलिंग
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वेब कांफ्रेंस के जरिए फसलों के उत्पादन, प्रबंधन और बाजारों में सप्लाई को लेकर हुआ मंथन।
देशभर के कृषि वैज्ञानिकों और मंत्रियों ने लिया कांफ्रेंस में हिस्सा।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने की वेब कांफ्रेंस की शुरुआत।
लाक डाउन के चलते सीएसए में वेब कांफ्रेंस के जरिए हुई मीटिंग।
सीएसए के कुलपति समेत कई वैज्ञानिकों ने रखे अपने विचार।
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योग करके समय बिता रही है c + बच्ची ।

कॅरोना मरीज़ों में प्रेरणा का स्त्रोत बनी 3 वर्षीय बच्ची ।

4 दिन पहले एडमिट हुई है कांशीराम हॉस्पिटल में।

सिपाही पिता भी भर्ती है बगल में।

दो दिन पहले इसी बच्ची का हॉस्पिटल में डांस करते हुए वीडियो हुआ था वायरल।

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खबरें कानपुर से

पुलिस चौकी से सौ मीटर दूरी पर नशेबाजों ने किया पथराव।

घण्टों पथराव के बाद भी नहीं पहुंची चौकी पुलिस।

दबंगों की गुंडई सीसीटीवी में हुई कैद।

काकादेव के शास्त्री नगर इलाके की घटना।

काकादेव पुलिस ने अभी तक नहीं दर्ज की रिपोर्ट।
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पालतू कुत्ते का भौंकना नागवार गुजरा रिटायर्ड दरोगा के बेटे को ।

कुत्ते के मालिक के घर किया पथराव , भद्दी गालियाँ बककर दी जान से मारने की धमकी ।

महिला का हाँथ पकड़कर खींचा दी भद्दी गालियाँ ।

आरोपी का भाई भी पुलिस में कांस्टेबल , क्षेत्र में दिखाता है दबंगई ।

महिला ने दी अभद्रता , छेड़छाड़ और जान से मारने की तहरीर ।

थाना कल्यानपुर के अशोक नगर की घटना ।
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कानपुर के लिए आज का दिन राहत और आफत दोनों लेकर आया

आज नए 15 पॉजिटीव केस आये सामने।

सभी केस 5 पुराने हॉट स्पॉट क्षेत्र के है ।

कानपुर में संक्रमित 15 मरीज सही होकर आज हुए डिस्चार्ज ।

कानपुर में कुल केस की संख्या पहुँची — 284

ठीक होकर कुल डिस्चार्ज हुए मरीज — 49

कुल एक्टिव केस 229

अब तक 6 लोगो की हो चुकी है मौत।

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भारत का अनुसंधान और विकास तथा वैज्ञानिक प्रकाशनों पर व्यय बढ़ा

अनुसंधान और विकास में भारत का सकल व्यय 2008 से 2018 के बीच बढ़कर तीन गुना हो गया है जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा संचालित है और वैज्ञानिक प्रकाशनों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शीर्ष स्थानों में ला दिया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत आने वाले राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रबंधन सूचना (एनएसटीएमआईएस) द्वारा राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी सर्वेक्षण 2018 पर आधारित अनुसंधान और विकास सांख्यिकी तथा संकेतक 2019-20 के अनुसार है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा, “राष्ट्र के लिए अनुसंधान और विकास संकेतकों पर रिपोर्ट उच्च शिक्षा, अनुसंधान और विकास गतिविधियों और  समर्थन, बौद्धिक संपदा और औद्योगिक प्रतिस्पर्धा में प्रमाण-आधारित नीति निर्धारण और नियोजन के लिए असाधारण रूप से महत्वपूर्ण दस्तावेज है। जबकि अनुसंधान और विकास के बुनियादी संकेतकों में पर्याप्त प्रगति देखना खुशी की बात है, जिसके तहत वैज्ञानिक प्रकाशनों में वैश्विक स्तर पर नेतृत्व शामिल है। कुछ ऐसे भी और क्षेत्र हैं जिन्हें मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।”

एनएसएफ डेटाबेस (आधारभूत आंकड़े) के अनुसार, रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकाशन में वृद्धि के साथ, देश विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर पहुंच गया है तथा साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी के पी.एचडी. में भी तीसरे नंबर पर आ गया है। 2000 के बाद प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या दोगुनी हो गई है।

यह रिपोर्ट तालिका और ग्राफ़ के माध्यम से विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकेतकों के विभिन्न इनपुट-आउटपुट के आधार पर देश के अनुसंधान और विकास परिदृश्य को दिखाता है। ये सरकारी और निजी क्षेत्र द्वारा राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास में निवेश, अनुसंधान और विकास के निवेशों से संबंधित है; अर्थव्यवस्था के साथ अनुसंधान और विकास का संबंध (जीडीपी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नामांकन, अनुसंधान और विकास में लगा मानव श्रम, विज्ञान और प्रौद्योगिकी कर्मियों की संख्या, कागजात प्रकाशित, पेटेंट और उनकी अंतरराष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी तुलनाओं से जुड़ा हुआ है।

इस सर्वेक्षण में देशभर में फैले केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, उच्च शिक्षा, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योग और निजी क्षेत्र के उद्योग से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के 6800 से अधिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं को शामिल किया गया और 90 प्रतिशत से अधिक प्रतिक्रिया दर प्राप्त कर लिया गया था।

रिपोर्ट के कुछ मुख्य निष्कर्ष निम्नलिखित हैं:

अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) में भारत का सकल व्यय वर्ष 2008 से 2018 के दौरान बढ़कर तीन गुना हो गया है

  • देश में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) (जीईआरडी) पर सकल व्यय पिछले कुछ वर्षों से  लगातार बढ़ रहा है और यह वित्तीय वर्ष 2007-08 के 39,437.77 करोड़ रूपए से करीब तीन गुना बढ़कर वित्तीय वर्ष 2017-18 में 1,13,825.03 करोड़ रूपए हो गया है।
  • भारत का प्रति व्यक्ति अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय वित्तीय वर्ष 2017-18 में बढ़कर 47.2 डॉलर हो गया है जबकि यह वित्तीय वर्ष 2007-08 में 29.2 डॉलर पीपीपी ही था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 में भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.7 प्रतिशत ही अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) पर व्यय किया, जबकि अन्य विकासशील ब्रिक्स देशों में शामिल ब्राजील ने 1.3 प्रतिशत, रूसी संघ ने 1.1 प्रतिशत, चीन ने 2.1 प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका ने 0.8 प्रतिशत किया।

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थाओं द्वारा बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी)का समर्थन काफी बढ़ गया है

  • वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान डीएसटी और डीबीटी जैसे दो प्रमुख विभागों ने देश में कुल बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के समर्थन में क्रमश: 63 प्रतिशत और 14 प्रतिशत का योगदान दिया।
  • सरकार द्वारा विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में लिए गए कई पहल के कारण बाहरी अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) परियोजनाओं में महिलाओं की भागीदारी वित्तीय वर्ष 2000-01 के 13 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2016-17 में 24 प्रतिशत हो गया।
  • 1 अप्रैल 2018 तक देश में फैले अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) प्रतिष्ठानों में लगभग 5.52 लाख कर्मचारी कार्यरत थे।

वर्ष 2000 से प्रति मिलियन आबादी में शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है

  • भारत में प्रति मिलियन आबादी पर शोधकर्ताओं की संख्या बढ़कर वर्ष 2017 में 255 हो गया जबकि यही वर्ष 2015 में 218 और 2000 में 110 था।
  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान प्रति शोधकर्ता भारत का अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) व्यय 185 (‘000 पीपीपी डॉलर) $) था और यह रूसी संघ, इज़राइल, हंगरी, स्पेन और यूके (ब्रिटेन) से कहीं ज्यादा था।
  • भारत विज्ञान और अभियांत्रिकी (एस एंड ई) में पीएचडी प्राप्त करने वाले देशों में अमेरिका (2016 में 39,710) और चीन (2015 में 34,440) के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है।

एनएसएफ डेटाबेस के अनुसार भारत वैज्ञानिक प्रकाशन वाले देशों की सूची में तीसरे स्थान पर आ गया है

  • वर्ष 2018 के दौरान, भारत को वैज्ञानिक प्रकाशन के क्षेत्र में एनएसएफ, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार क्रमश: तीसरा, पांचवें और नौवें स्थान पर रखा गया था।
  • वर्ष 2011-2016 के दौरान, एससीओपीयूस और एससीआई डेटाबेस के अनुसार भारत में वैज्ञानिक प्रकाशन की वृद्धि दर क्रमशः 8.4 प्रतिशत और 6.4 प्रतिशत थी, जबकि विश्व का औसत क्रमशः 1.9 प्रतिशत और 3.7 प्रतिशत था।
  • वैश्विक शोध प्रकाशन आउटपुट में भारत की हिस्सेदारी प्रकाशन डेटाबेस में भी दिखाई हे रही है।

विश्व में रेजिडेंट पेटेंट फाइलिंग गतिविधि के मामले में भारत 9 वें स्थान पर है

  • वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान भारत में कुल 47,854 पेटेंट दर्ज किए गए थे। जिसमें से, 15,550 (32 प्रतिशत) पेटेंट भारतीय द्वारा दायर किए गए थे।
  • भारत में दायर किए गए पेटेंट आवेदनों में मैकेनिकल (यांत्रिकी), केमिकल (रसायनिक), कंप्यूटर / इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन (संचार) जैसे विषयों का वर्चस्व रहा।
  • डब्ल्यूआईपीओ के अनुसार, भारत का पेटेंट कार्यालय विश्व के शीर्ष 10 पेटेंट दाखिल करने वाले कार्यालयों में 7 वें स्थान पर है

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लाला लाजपतराय कोविड 19 लैब में हो सकता है कोरोना विस्फोट

-कोरेन्टीन नही हुए तो 29 टेक्नीशियन के संक्रमित होने का खतरा

कोरोना संक्रमण की रोकथाम, बचाव के लिए केन्द्र व उत्तरप्रदेश सरकार,स्वास्थ्य विभाग ज़िला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहे है कि इस महामारी को फैलने से रोका जाए।लेकिन कुछ लापरवाह ओहदेदार के तानाशाही रवैये के चलते कोविड19 लैब में भी कोरोना संक्रमण का ख़तरा है क्योंकि जो लैब टेक्नीशियन अभी तक कानपुर व आस पास के ज़िलों के संक्रमितों की कोरोना जाँच कर रहे हैं उन टेक्नीशियन को भी हो सकता है कोरोना।
अब अगर नियम की बात की जाए तो जो टेक्नीशियन टीम जाँच करती है उनको 15 दिन बाद कोरेन्टीन किया जाता है और दूसरी टीम को जाँच में लगना होता है।
कानपुर मेडिकल कॉलेज में बनी कोविड 19 लैब में 13 अप्रैल से जो टीम जाँच के लिए लगी है आज 5 मई तक वही टीम कर रही है कार्य।नियमानुसार उस टीम को अभी तक कोरेन्टीन नही किया गया,जबकि दूसरी टीम लैब मौजूद होते हुए भी क्या अस्पताल प्रसाशन इन टेक्नीशियन को कोरोना संक्रमित होने का इंतज़ार कर रहा है लापरवाही के चलते पूरे मेडिकल कॉलेज की होगी छवि धूमिल।जहाँ एक ओर प्रचार्या डॉ आरती लाल चंदानी कोरोना के विरूद्ध जंग में रात-दिन एक करे हुए है,वही दूसरी ओर कोविड19 लैब HOD अस्पताल प्रसाशन व प्रदेश सरकार की बदनामी करवाने में कोई कसर नही छोड़ रही।
अगर लैब में संक्रमण फैला तो कौन होगा ज़िम्मेदार यह प्रश्न विचारणीय है।

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डॉ. हर्षवर्धन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बिहार में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) से निपटने की तैयारियों की समीक्षा की

केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के मामलों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए बिहार सरकार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने बिहार के स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पांडे के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एईएस के लिए हुई समीक्षा बैठक के दौरान यह विचार व्यक्त किए और पदाधिकारियों से जमीनी स्तर पर स्थिति का जायजा भी लिया। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे भी इस बैठक के दौरान उपस्थित थे।

बैठक के दौरान, एईएस से बच्चों की मृत्यु पर चिंता व्यक्त करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि यह जानना कष्टकर है कि गर्मियों के दौरान 15 मई से जून के महीने के बीच एक खास समय में बिहार में एईएस के कारण छोटे बच्चों की मृत्यु दर में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि कई स्तरों पर उचित हस्तक्षेप के साथ समय पर देखभाल के माध्यम से  इस मृत्यु दर को रोका जा सकता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि एईएस के खिलाफ लड़ाई पुरानी है और वह इससे परिचित हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या के निवारण के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण के माध्यम से समय से पूर्व रक्षात्मक, निवारक और व्यापक उपाय करने की आवश्यकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एईएस के प्रकोप के दौरान 2014 और 2019 की अपनी बिहार यात्रा स्मरण करते हुए कहा कि उस वक्त भी उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लेते हुए बाल-रोगियों और उनके माता-पिता से मुलाकात करके उसके मूल कारणों की जानकारी ली थी।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि इस बार भी हम स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं और एईएस स्थिति के प्रबंधन हेतु राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं। उन्होंने राज्य के अधिकारियों से प्रभावित क्षेत्रों में चौबीस घंटे निगरानी रखने और समय से निवारक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस तरह के दृष्टिकोण से हम आने वाले समय में एईएस मामलों में वृद्धि को रोकने में सक्षम हो पाएंगे।

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लॉकडाउन की शुरुआत के बाद से काम में आने लायक कृषि बाजार लगभग दोगुना

भारत सरकार का कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग लॉकडाउन अवधि के दौरान किसानों और खेती के कार्यों में सुविधा के लिए अनेक उपाय कर रहा है। कार्यों की अद्यतन जानकारी  नीचे दी गई है:  

  1. देश के 2587 प्रधान / मुख्य कृषि बाजारों में से, 1091 बाजार लॉकडाउन अवधि की शुरुआत 26.03.2020 को कार्य कर रहे थे जो 21.04.2020 को बढ़कर 2069 बाजार हो गए।
  2.  मंडियों में प्याज, आलू और टमाटर जैसी सब्जियों की आवक 16.03.2020 की तुलना में 21.04.2020 को क्रमशः 622%, 187% और 210% बढ़ गई।
  3. रबी मौसम 2020 के दौरान, न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर दलहन और तिलहन की खरीद वर्तमान में बीस (20) राज्यों में चल रही है। नैफेड और एफसीआई ने 1,73,064.76 मीट्रिक टन दलहन और 1,35,993.31 मीट्रिक टन तिलहन खरीदा जिसका मूल्‍य 1447.55 करोड़ है। इसके जरिये 1,83,989 किसान लाभान्वित हुए हैं।
  4. राज्यों ने आगामी मानसून का लाभ उठाने के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत कार्य शुरु कर दिया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में श्रमिकों को मास्क, भोजन आदि देने के साथ बांस की नर्सरी की तैयारी शुरू हो गई है। गुजरात के साबरकांठा और वांसदा शहरों में नर्सरियां बनाई गई हैं। असम में कामरूप जिले के दिमोरिया ब्लॉक में 520 किसानों को शामिल कर 585 हेक्टेयर लक्षित क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों ने पौधारोपण शुरू किया है।
  5.  लॉकडाउन अवधि के दौरान 24.03.2020 से अब तक प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (पीएम-किसान) योजना के अंतर्गत लगभग 8.938 करोड़ किसान परिवारों को लाभान्वित किया गया है और अब तक 17,876.7 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

कटाई की स्थिति 22.04.2020 को

गेहूँ: गेहूँ उगाने वाले प्रमुख राज्यों में, कटाई की स्थिति उत्साहवर्धक है। जैसी कि राज्यों द्वारा जानकारी दी गई है, मध्य प्रदेश में लगभग 98-99% गेहूं की फसल काटी जा चुकी है, राजस्थान में 88-90%, उत्तर प्रदेश में 75-78%, हरियाणा में 40-45%, पंजाब में 35-40% और अन्‍य राज्‍यों में 82 -84% गेहूं की फसल की कटाई हो चुकी है।

दलहन: राज्यों से प्राप्‍त जानकारी के अनुसार लगभग सभी राज्यों में दालों की कटाई पूरी हो चुकी है।

गन्ना: राज्यों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और पंजाब में गन्ने की 100% कटाई पूरी हो चुकी है। तमिलनाडु, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड में लगभग 92-98% कटाई पूरी हो चुकी है जबकि उत्‍तर प्रदेश में 80-85% कटाई पूरी हो चुकी है।

आलू: आलू की कटाई पूरी हो गई है और भंडारण की प्रक्रिया चल रही है।

प्याज: छोटी किसान इकाइयों के खेत में रबी प्याज की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है। बड़े किसान भूखंडों में कटाई जारी है और मई के दूसरे सप्ताह तक चल सकती है।

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