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ओडिशा में धामरा नदी पर बनेगी 110 करोड़ रुपये की रोपेक्स जेटी परियोजना

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने सागरमाला पहल के तहत ओडिशा के भद्रक जिले के कनिनली और केंद्रपाड़ा जिले के तलचुआ को जोड़ने की के लिये हर मौसम में काम करने वाले रोपेक्स (रोल-ऑन/रोल-ऑफ पैसेंजर) जेटी और उससे जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 50.30 करोड़ रुपये की मंजूरी को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। ओडिशा सरकार परियोजना की लागत का बाकी 50 प्रतिशत हिस्सा वहन करेगी।

परियोजना की कुल पूंजी लागत 110.60 करोड़ रुपये है जिसमें कनिनली और तलचुआ में रोपेक्स जेट्टी का निर्माण, पार्किंग क्षेत्र का विकास, नौवहन संबंधी सहायता और ड्रेजिंग जैसे उपयोगी बुनियादी ढांचे शामिल हैं।

यह परियोजना, सड़क मार्ग के छह घंटे के सफर को जलमार्ग से कम कर एक घंटा कर देगी। हर मौसम में काम करने वाले रोपेक्स जेटी के साथ मौजूदा घाट का विकास नौकाओं, लांच (बड़ी नौकाओं पर चढ़ने-उतरने के लिए बने पट्टे) और अन्य जहाजों के साथ-साथ, 10 हल्के मोटर वाहनों,  20 मोटरसाइकिलों के साथ-साथ एक समय में 60 यात्रियों को ले जाने की क्षमता वाले जहाज के लिए मददगार ढांचा तैयार के साथ किया जा रहा है। इसका उद्देश्य सभी यात्रियों और वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह परियोजना धामरा नदी के आसपास रहने वाले लोगों को रोजगार के अप्रत्यक्ष अवसरों की सुविधा प्रदान करेगी और तलचुआ से धामरा तक सड़क की दूरी को 200 किलोमीटर कम कर देगी।

भद्रक जिले में कनिनली और केंद्रपाड़ा जिले में तलचुआ, क्रमशः धामरा नदी के उत्तरी और दक्षिणी तट पर स्थित हैं। तलचुआ और आसपास के गांवों के लोग अपनी आजीविका के लिए ज्यादातर धामरा बंदरगाह पर निर्भर हैं, जो कि कनिनली घाट से लगभग चार किलोमीटर दूर है। चूंकि सड़कों के माध्यम से कोई संपर्क नहीं है, स्थानीय आबादी नदी (सात किलोमीटर की दूरी) पार करने के लिए कनिनली और तलचुआ के घाटों पर यात्री नौकाओं पर निर्भर करती है। इस समय बहुत सारे यात्री वाहन बिना सुरक्षा के निजी नौकाओं के माध्यम से चलते हैं और यात्रियों को हर दिन एक छोर से दूसरे छोर पर नौका से उतरने-चढ़ने में दिक्कतें आती हैं। यह परियोजना अत्याधुनिक उपयोगिता बुनियादी ढांचे के साथ यात्रियों और वाहनों की सुरक्षा को बढ़ाएगी। इस संपर्क से वाणिज्यिक और व्यावसायिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और आसपास के क्षेत्र की सामाजिक-आर्थिक स्थिति बेहतर होगी।

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वायुसेना कमांडरों का सम्मेलन 2021

माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना मुख्यालय में दिनांक 15 अप्रैल 21 को द्विवार्षिक भारतीय वायु सेना कमांडरों सम्मेलन (एएफसीसी-21) को संबोधित किया। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, पीवीएसएम एवीएसएम वीएम एडीसी चीफ ऑफ एयर स्टाफ (सीएएस) ने सम्माननीय रक्षा मंत्री, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का स्वागत किया।

अपने संबोधन के दौरान रक्षा मंत्री ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह सम्मेलन मार्शल ऑफ द एयर फोर्स अर्जन सिंह की जयंती के मौके पर आयोजित किया गया है । रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में अचानक हुए घटनाक्रम का समय पर एवं समुचित जवाब सुनिश्चित करने के लिए भारतीय वायुसेना को बधाई दी। उन्होंने कमांडरों को भविष्य के खतरों का मुकाबला करने के लिए क्षमता बढ़ाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं और रणनीतियां तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने भविष्य के लिए वायुसेना को तैयार करने की दिशा में भारतीय वायु सेना के फोकस की सराहना की ।

इन दिनों जारी कोविड-19 महामारी के बारे में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने भारतीय वायुसेना द्वारा अपने कार्य में अन्य सरकारी एजेंसियों की सहायता करने में निभाई गई भूमिका की सराहना की। बदलती अंतरराष्ट्रीय भूराजनीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में ट्रांस अटलांटिक से ट्रांस पैसिफिक तक फोकस का प्रत्यक्ष बदलाव और अधिक स्पष्ट हो गया है । युद्ध के बदलते आयामों में अब उन्नत प्रौद्योगिकियां, असममित क्षमताएं और सूचना के क्षेत्र में दबदबा शामिल होंगे और यह बहुत महत्वपूर्ण था कि भविष्य के लिए भारतीय वायुसेना इन आयामों को अवश्य शामिल करे।

‘आत्मनिर्भरता’ के माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को दोहराते हुए रक्षा मंत्री ने रक्षा से जुड़े बुनियादी ढांचे में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के लिए भारतीय वायुसेना के आदेश से घरेलू रक्षा उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा और यह स्वदेशीकरण के नजरिए से गेम चेंजर साबित होगा। उन्होंने कमांडरों से स्वदेशी रक्षा उत्पादन और विमान रखरखाव के क्षेत्र में और भी अधिक परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास राष्ट्रीय नीति के पूरक पहलू हैं। स्वदेशी उद्योग के लिए भारतीय वायुसेना के समर्थन से इस क्षेत्र में एमएसएमई का विकास होगा जो एक साथ देश के आत्मनिर्भरता और सामाजिक-आर्थिक विकास को पूरा करने में मददगार होगा।

उन्होंने कमांडरों से आग्रह किया कि वे संयुक्त कमांडरों के सम्मेलन के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा जारी सभी निर्देशों का जायजा लें और उन्हें लागू करें। उन्होंने वर्तमान में चल रही एकीकरण प्रक्रिया, संयुक्त लॉजिस्टिक्स योजना के कार्यान्वयन और संयुक्त योजना और संचालन के क्षेत्रों में तालमेल बढ़ाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम करते रहने की ज़रूरत पर जोर दिया।

अपने समापन भाषण में रक्षा मंत्री ने वायुसेना के कमांडरों को एक शक्तिशाली रणनीतिक एयरोस्पेस बल होने के लक्ष्य को प्राप्त करने में रक्षा मंत्रालय से पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि सम्मेलन के दौरान लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों से भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता बढ़ेगी।

कमांडरों का सम्मेलन दिनांक 16 अप्रैल 21 को समाप्त होगा। वर्तमान युद्धक क्षमताओं को बेहतर बनाने एवं भारतीय वायुसेना को भविष्य के लिए तैयार एक युद्धक सेना बनाने की कार्ययोजना का परीक्षण किया जाएगा।  सभी क्षेत्रों में प्रणालियों, सुधारों और पुनर्गठन से संबंधित विषयों एवं अधिक कुशल प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने पर भी चर्चा की जाएगी।

 

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विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की भव्य शोभायात्रा कल

हाथरस। विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की जयंती के उपलक्ष में ब्राह्मण महासभा के तत्वावधान में कल 13 अप्रैल को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विशाल एवं भव्य शोभायात्रा शहर में निकलेगी और शोभायात्रा में सभी विप्र बंधुओं एवं शहर की जनता से शामिल होने की अपील की गई है। उक्त संबंध में जानकारी देते हुए श्री ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष रवि रंजन द्विवेदी एडवोकेट, शोभा यात्रा संयोजक राजेश शर्मा ‘राजू’ एवं ब्राह्मण शिविर संयोजक विशाल सारस्वत ने बताया है कि विप्र शिरोमणि भगवान परशुराम की शोभायात्रा कल 13 अप्रैल को भारी धूमधाम के साथ आगरा रोड स्थित चित्रकूट व्यायामशाला से सायं 5 बजे प्रारंभ होगी और शोभा यात्रा का उद्घाटन उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं सादाबाद विधायक रामवीर उपाध्याय द्वारा किया जाएगा। उन्होंने समस्त ब्राह्मण समाज एवं शहर की जनता से अनुरोध किया है कि शोभायात्रा में भारी संख्या में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करें।

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महाकुम्भ, आस्था,धर्म,और संस्कृति का संगम है -सतपाल महाराज

हरिद्वार| उत्तराखंड के पर्यटन संस्कृति कैबिनेट मंत्री एवं सुप्रसिद्ध समाजसेवी  सतपाल  महाराज ने कहा कि कुम्भ महापर्व सदियों से चला आ रहा है भारतीय सनातन संस्कृति का अद्वितीय महापर्व है जिसका अमृतमय सन्देश आत्मसात करके ही विश्व को विनाश से बचाया जा सकता है। महाराज  ने प्रेमनगर आश्रम स्थितगोवर्धन हॉल में आयोजित विशाल अध्यात्म-योग-साधना शिविर के दूसरे दिन श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमें कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए अपने दैनिक तथा सामाजिक कार्यों  को करने की आदत बनानी है। महाराज ने कहा कि भारत के ऋषि-महऋषियों एवं धर्म शास्त्रों के ज्ञान का मूल है कि समस्त प्राणियों के श्वांस-प्रश्वांस में समाये प्रभु-नाम के अध्यात्म तत्व-ज्ञान से ही मानव के विनाश कारी मन पर काबू किया जा सकता है। समुद्र मंथन से अमृत कुम्भ निकला और उसकी बूँदें चार स्थानोंपर गिरीं जहां पर हर बारह वर्ष में कुम्भ मनाया जाता है। महाराज ने अपने सम्बोधन में कहा कि भारत का प्राचीन विज्ञान इतना उन्नत था कि ऋषि-महाऋषियों को यह ज्ञात था कि हर बारह वर्ष में बृहस्पति सूर्य की राशि में लौटता है जिससे महा-योग की स्थिति उत्पन्न होती है तथा इसी पावन योग में कुम्भ पर्व मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि समुद्र से निकले चौदह रत्नो में सबसे पहले विष निकला जिसके विनाश से भगवान शिव ने संसार की रक्षा की ।  मानव मन को अध्यात्म ज्ञान से संतुलित करके ही मन के सागर मंथन से हम अमरत्व की दिशा प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए हमें अपने समाज की व राष्ट्र सहित समग्र मानवता की प्रगति को सुनिश्चित व सुरक्षित रखने हेतु हम सबको कुम्भ अर्थात घड़ा बनकर अच्छाइयों का संग्रह अपने अंदर करना होगा। तभी हम विनाशकारी शक्तियों का डटकर मुकाबला करते हुए अमृतत्व की शक्ति से अपने व अपने समाज की रक्षा कर भारत को एक महाशक्ति बना सकते हैं। कार्यक्रम में पूर्व कैबिनेट मंत्री अमृता रावत सहित देश से विभिन्न राज्यों से आये हुए अनेक-अनुभवी संत-महात्माओं ने अपने विचार रखे तथा कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध कलाकारों ने अपने मधुर भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किया।

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शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

शांति समझौते के वर्षों बाद कोलंबिया में हिंसा और मानवीय संकट गहराया

7 अप्रैल 2021 तक हुए 26 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए। इस हिंसा ने लगभग 15,000 लोगों के विस्थापित होने के लिए मजबूर किया है।

हत्याकांड, सोशल लीडर्स की हत्या, रिवॉल्यूशनरी आर्म्ड फोर्सेस ऑफ कोलंबिया (एफएआरसी) गुरिल्ला समूह के पूर्व लड़ाकों का नरसंहार कोलंबिया में जारी है। देश में लगभग हर रोज कम से कम एक हिंसक घटना की खबर जरुर मिलती है।

इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट एंड पीस स्टडीज (आईएनडीईपीएजेड) के अनुसार इस साल 6 अप्रैल तक 43 सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 14 पूर्व लड़ाकों की हत्या अवैध सशस्त्र समूहों और नशीले पदार्थों की तस्करी करने वाले समूहों द्वारा की गई। इसके अलावा इस साल के पहले 97 दिनों में 25 हत्याकांडों में 95 लोग मारे गए हैं।

इसके अलावा, एक हालिया रिपोर्ट में आईएनडीईपीएजेड ने इस साल हिंसा के कारण जबरिया सामूहिक विस्थापन में खतरनाक स्तर पर वृद्धि का संकेत दिया। देश के विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 15,000 लोगों को 2021 के पहले तीन महीनों में 65 सामूहिक विस्थापन की घटनाओं में अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया।

पूर्व राष्ट्रीय सरकार और एफएआरसी के बीच नवंबर 2016 में हुए शांति समझौते पर हस्ताक्षर के बाद हिंसा की स्थिति में सुधार होना चाहिए था लेकिन इसे लागू करने में इवान ड्यूक की अगुवाई वाली दक्षिणपंथी सरकार की विफलता के बाद और खराब हो गई है।

देश में सक्रिय विभिन्न सशस्त्र समूहों के सदस्य विशेष रूप से पर्यावरणविदों, भू- रक्षकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अफ्रो-वंशज और जनजातिय समुदायों के नेताओं को निशाना बनाते है जो भूमि और प्राकृतिक संसाधनों का बचाव करने के लिए काम करते हैं और अपने क्षेत्रों में अवैध फसलों की खेती और अवैध खनन के खिलाफ विरोध करते हैं।

आईएडीईपीएजेड के अनुसार शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद से 1,157 पर्यावरणविदों, मानवाधिकार रक्षकों, समुदाय, किसान और सोशल लीडर्स और एफएआरसी के 263 पूर्व लड़ाकों की हत्या कर दी गई है।

कई नेताओं ने कहा है कि ये हत्याएं आर्थिक हितों के साथ-साथ राजनीतिक एजेंडे से भी प्रेरित हैं। उन्होंने सामाजिक विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वालों को दोषी ठहराने और अपराधी बताने की ड्यूक की नीतियों को अस्वीकार कर दिया है, क्योंकि यह उनके खिलाफ हिंसा को सामान्य करता है।

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केन्‍द्र ने देश में कोविड स्थिति में सुधार आने तक इंजेक्‍शन रेम्‍डेसिविर और रेम्‍डेसिविर एक्टिव फार्मास्‍युटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया

भारत में कोविड मामलों में हाल में काफी तेजी आई है। 11.04.2021 तक कोविड के 11.08 लाख सक्रिय मामले हैं और उनमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसकी वजह से कोविड रोगियों के उपचार में प्रयुक्‍त इंजेक्‍शन रेम्‍डेसिविर की मांग में अचानक बहुत तेजी आ गई है। आने वाले दिनों में इस मांग में और वृद्धि होने की संभावना है।

भारत की सात कंपनियां अमेरिका की मेसर्स गिलीड साइंसेज के साथ स्‍वैच्छिक लाइसेंसिंग समझौते के तहत इंजेक्‍शन रेम्‍डेसिविर का उत्‍पादन कर रही हैं। उनके पास हर महीने लगभग 38.80 लाख यूनिट की संस्‍थापित क्षमता है।

उपरोक्‍त को देखते हुए भारत सरकार ने स्थिति में सुधार आने तक इंजेक्‍शन रेम्‍डेसिविर तथा रेम्‍डेसिविर एक्टिव फार्मास्‍युटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इसके अतिरिक्‍त, भारत सरकार ने रोगियों एवं अस्‍पतालों को रेम्‍डेसिविर की सरल सुविधा सुनिश्चित करने के लिए निम्‍नलिखित कदम उठाए हैं:-

  1. दवा की सुविधा सुगम बनाने के लिए रेम्‍डेसिविर के सभी घरेलू विनिर्माताओं को उनकी वेबसाइट पर उनके स्‍टॉकिस्‍ट/वितरकों के विवरणों को प्रदर्शित करने का सुझाव दिया गया है।
  2. ड्रग इंस्‍पेक्‍टरों तथा अन्‍य अधिकारियों को स्‍टॉक का सत्‍यापन करने तथा उनके कदाचारों की जांच करने तथा जमाखोरी और तहबाजारी रोकने के लिए अन्‍य कारगर कदम उठाने का भी निर्देश दिया गया है। राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य सचिव संबंधित राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के ड्रग इंस्‍पेक्‍टरों के साथ इसकी समीक्षा करेंगे।
  3. फार्मास्‍युटिकल विभाग रेम्‍डेसिविर के उत्‍पादन में बढ़ोतरी के लिए घरेलू विनिर्माताओं के संपर्क में बना हुआ है।

भारत सरकार ने राज्‍यों को यह भी सुझाव दिया है कि वर्तमान ‘कोविड-19 के लिए राष्‍ट्रीय नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल’ जो साक्ष्‍य पर आधारित है, को विशेषज्ञों की समिति द्वारा कई परस्‍पर बैठकों के बाद विकसित किया गया है और यह कोविड-19 के रोगियों के उपचार के लिए मार्गदर्शक दस्‍तावेज है। प्रोटोकॉल में रेम्‍डेसिविर को एक इंवेस्टिगेशनल थेरेपी अर्थात विस्‍तृत दिशा-निर्देशों में उल्‍लेखित प्रति संकेतों पर गौर करने के अतिरिक्‍त, जहां सूचित और साझा निर्णय निर्माण अनिवार्य है, के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

राज्‍यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों को सुझाव दिया गया है कि इन कदमों को एक बार फिर से सभी अस्‍पतालों, सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों को संप्रेषित कर दिया जाए और इनके अनुपालन की निगरानी की जाए।

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टीका उत्सव’ कोरोना के विरुद्ध दूसरी बड़ी लड़ाई की शुरुआत है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘टीका उत्सव’ वैक्सीनेशन पर्व को कोरोना के विरुद्ध दूसरी बड़ी लड़ाई कहा है और व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ-साथ सामाजिक स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया है। यह उत्सव आज महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती पर शुरू हुआ है और 14 अप्रैल को बाबा साहेब अम्बेडकर की जयंती तक चलेगा।

इस अवसर पर एक संदेश में प्रधानमंत्री ने इस अभियान के सम्बन्ध में चार बिन्दुओं पर बल दिया।

पहलाहर एकटीका लगवाएअर्थात ऐसे व्यक्ति जो  स्वयं को टीका लगवाने के लिए नहीं जा सकतेजैसे कि अनपढ़ एवं वृद्ध जनउनकी सहायता करें

दूसराहर एक– दूसरे का उपचार करे। ऐसा उन लोगों को कोरोना का उपचार दिलवाने के लिए है जिनके पास इसकी जानकारी नहीं है और इसके लिए आवश्यक संसाधन नहीं है

तीसराहर एक – दूसरे को बचाएअर्थात मै मास्क पहनूंगा और अपने अलावा औरों को बचाऊंगा।  इस पर जोर दिया जाना चाहिए।

और अंत में ‘सूक्ष्म संगरोध क्षेत्र’ (माइक्रो कन्टेनमेंट जोन्स) बनाने के लिए समाज और जनता को पहल करनी होगी। यदि कोरोना संक्रमण का एक भी प्रमाणित मामला सामने आता है तो परिवार के सदस्यों और समाज के लोगों को ‘माइक्रो कन्टेनमेंट जोन्स’ बनाने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसी घनी जनसंख्या वाले देश में ‘माइक्रो  कन्टेनमेंट जोन्स’  कोरोना के विरुद्ध लड़ाई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

प्रधानमंत्री ने परीक्षण करने और जागरूकता बढाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हर पात्र व्यक्ति से टीका लगवाने के लिए कहा।उन्होंने कहा कि ऐसा करना समाज और प्रशासन दोनों का पहला प्रयास होना चाहिए

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि हमें वैक्सीन की शून्य बर्बादी (जीरो वैक्सीन वेस्टेजकी दिशा में बढना होगा।उन्होंने कहा कि टीकाकरण क्षमता का सर्वोत्तम उपयोग ही हमारी क्षमता बढाने का रास्ता है

प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘माइक्रो कन्टेनमेंट जोन्स’ के बारे में जागरूक होने से ही हमारी सफलता का निर्धारण होगा। इसके लिए हमे अनावश्यक रूप से घर से बाहर नहीं निकलनासभी पात्र व्यक्तियों का टीकाकरण  और  मास्क पहनने एवं अन्य निर्देशों का पालन करने जैसे कोविड उचित व्यवहार का हम सब कैसे पालन करते हैंका तरीका अपनाना होगा।

प्रधानमंत्री ने इन चार दिनों के ‘टीका उत्सव’ के दौरान व्यक्तिगत, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर लक्ष्य निर्धारित करनेऔर उनकी पूर्ति के लिए गम्भीर प्रयास के लिए कहा। उन्होंने आशा व्यक्त की जन भागीदारी, जागरूकता और दायित्वपूर्ण व्यवहार के साथ हम सभी एक बार फिर से कोरोना पर नियन्त्रण करने में सफल हो सकेंगे।

उन्होंने दवाई भी-कड़ाई भी की याद दिलाने के साथ ही अपनी बात पूरी  की।

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भारत और चीन के कोर कमांडरों के बीच 11वें दौर की वार्ता

भारत-चीन कोर कमांडर स्तरीय 11वें दौर की बैठक दिनांक 09 अप्रैल 2021 को चुशूल-मोल्दो सीमा पर बने बैठक स्थल पर आयोजित की गई थी । दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ-साथ डिसइंगेजमेंट से जुड़े बाकी मुद्दों के समाधान के लिए विचारों का विस्तृत आदान-प्रदान हुआ । दोनों पक्ष मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल के अनुसार बकाया मुद्दों को तेजी से सुलझाने की आवश्यकता पर सहमत हुए । इस संदर्भ में यह भी रेखांकित किया गया कि अन्य क्षेत्रों में डिसइंगेजमेंट करने से दोनों पक्षों के लिए सेनाओं की संख्या में कमी करने और शांति व सौहार्द की पूर्ण बहाली सुनिश्चित करने तथा द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति को सफल बनाने का मार्ग प्रशस्त होगा । दोनों पक्ष इस बात पर सहमत थे कि अपने नेताओं की सहमति से मार्गदर्शन लेना, अपने संवाद को जारी रखना और शेष मुद्दों के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान की दिशा में जल्द से जल्द काम करना महत्वपूर्ण है । उन्होंने जमीन पर संयुक्त रूप से स्थिरता बनाए रखने, किसी भी नई घटना से बचने और संयुक्त रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखने पर भी सहमति जताई ।

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भारतीय रेल, मांग के अनुसार रेलगाड़ियों का संचालन जारी रखेगी

भारतीय रेल, मांग के अनुसार रेल सेवाएं उपलब्ध कराना जारी रखेगी। वर्तमान में, भारतीय रेल प्रतिदिन औसतन कुल 1402 विशेष रेल सेवाओं का संचालन कर रही है। कुल 5381 उपनगरीय सेवाएं तथा 830 यात्री रेल सेवाएं भी प्रचालनगत हैं। इसके अतिरिक्त, 28 विशेष रेल गाड़ियां का भी उच्च संरक्षण के साथ उच्च संरक्षित (पेट्रोनाइज्ड) रेलगाड़ियों के क्लोन के रूप में प्रचालन किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त, अप्रैल-मई 2021 के दौरान भीड़-भाड़ को कम करने के लिए 58 रेलगाड़ियों (29 जोड़ी) के साथ मध्य रेलवे में तथा 60 रेलगाड़ियों (30 जोड़ी) के साथ पश्चिमी रेलवे में अतिरिक्त रेलगाड़ियां चलाई जा रही हैं। ये रेल गाड़ियां गोरखपुर, पटना, दरभंगा, वाराणसी, गुवाहाटी, बरौनी, प्रयागराज, बोकारो, रांची और लखनऊ जैसे उच्च मांग वाले गंतव्यों के लिए है।

यह भी उल्लेखनीय है कि माल ढुलाई में, भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2020-21 में 1232.64 मिलियन टन (एमटी) की अब तक की सर्वाधिक माल ढुलाई की। भारतीय रेल का माल ढुलाई राजस्व 2019-20 के 1,13,897 करोड़ की तुलना में वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1,17,386 करोड़ (लगभग) रहा। भारतीय रेल ने पिछले वर्ष मालगाड़ियों की गति 24 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 44 किलोमीटर प्रति घंटे कर दी है।

उल्लेखनीय है कि अगस्त 2020 से संचालित 450 किसान रेल सेवाओं में 1.45 लाख टन कृषि उपज तथा शीघ्र नष्ट होने वाली सामग्रियों की ढुलाई की गई।

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