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प्रधानमंत्री ने स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2020 के ग्रैंड फिनाले को संबोधित किया

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स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन के ग्रैंड फिनाले में बोलते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्र देश के सामने आने वाली चुनौतियों के कई समाधानों पर काम कर रहे हैं। समस्याओं के समाधान देने के साथ ही यह डाटा, डिजिटलीकरण और हाई-टेक भविष्य को लेकर भारत की आकांक्षाओं को भी मजबूत करता है। उन्होंने स्वीकार किया कि तेजी से बदलती 21वीं सदी में भारत को अपनी वही प्रभावी भूमिका निभाने के लिए उतनी ही तेजी से खुद को भी बदलना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में नवाचार, अनुसंधान, डिजाइन, विकास और उद्यमिता के लिए आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा को और अधिक आधुनिक बनाना है और प्रतिभाओं के लिए अवसर पैदा करना है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति

राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इसे 21वीं सदी के युवाओं की सोच, जरूरतों, उम्मीदों और आकांक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक नीति दस्तावेज नहीं है बल्कि 130 करोड़ से ज्यादा भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब भी है। उन्होंने कहा, ‘आज भी कई बच्चों को लगता है कि उन्हें ऐसे विषय के आधार पर आंका जाता है, जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं है। माता-पिता, रिश्तेदारों, दोस्तों आदि के दबाव के कारण बच्चे दूसरों के द्वारा चुने गए विषयों को ही पढ़ने के लिए मजबूर होते हैं। इसका परिणाम यह है कि एक बड़ी आबादी जो अच्छी तरह से शिक्षित तो है लेकिन अधिकांश जो उन्होंने पढ़ा है, उनके लिए उपयोगी नहीं है।’ उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारत की शिक्षा प्रणाली में एक व्यवस्थित सुधार लाकर इस दृष्टिकोण को बदलने का प्रयास करती है और शिक्षा के उद्देश्य और सामग्री दोनों को बदलने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि एनईपी सीखने, अनुसंधान और नवाचार पर फोकस करती है साथ ही स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय के अनुभव को लाभदायक, व्यापक और ऐसा बनाने का विचार है, जो छात्र की स्वाभाविक रुचि का मार्गदर्शन कर सके।

छात्रों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह हैकाथॉन पहली समस्या नहीं है, जिसका समाधान निकालने की आपने कोशिश की है, न ही यह आखिरी है।’ उन्होंने युवाओं को तीन चीजें करने की सलाह दी: सीखना, सवाल पूछना और समाधान करना। उन्होंने कहा कि जब कोई सीखता है तो उसके पास सवाल करने की बुद्धि आती है और भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस भावना को दर्शाती है। उन्होंने आगे कहा कि फोकस स्कूल बैग के बोझ से हटाकर, जो स्कूल के बाद नहीं रहता है, सीखने के फायदे की तरफ बढ़ना है- जो जीवन में काम (याद करने से लेकर महत्वपूर्ण सोच तक) आती है।

अंत:विषय अध्ययन पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर नई शिक्षा नीति की सबसे रोमांचक विशेषताओं में से एक है। यह अवधारणा लोकप्रियता हासिल कर रही है क्योंकि एक ही साइज सबके लिए फिट नहीं होती है। उन्होंने कहा कि अंत:विषय अध्ययन पर जोर देने से यह सुनिश्चित होगा कि फोकस उस पर हो जो विद्यार्थी पढ़ना चाहता है, उस पर नहीं जो समाज उससे अपेक्षा करता है।

शिक्षा तक पहुंच

बाबा साहब अंबेडकर की बात का जिक्र करते हुए कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ होनी चाहिए, पीएम ने कहा कि यह शिक्षा नीति भी उनके सुलभ शिक्षा के विचारों को समर्पित है। प्राथमिक शिक्षा से शुरू होकर शिक्षा तक पहुंच को लेकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति बड़ी है। उन्होंने कहा कि नीति का लक्ष्य उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 2035 तक बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना है। उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वाले तैयार करने पर जोर दिया गया है। यानी एक तरह से यह हमारी मानसिकता और हमारे दृष्टिकोण में सुधार लाने की कोशिश है।

स्थानीय भाषा पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने और विकसित करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को अपने शुरुआती वर्षों में अपनी भाषा में सीखने से लाभ होगा। उन्होंने आगे कहा कि नई शिक्षा नीति दुनिया का समृद्ध भारतीय भाषाओं से भी परिचय कराएगी।

वैश्विक एकीकरण पर जोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैसे तो नीति लोकल (स्थानीय) पर केंद्रित है, पर वैश्विक एकीकरण पर भी समान रूप से ध्यान दिया गया है। शीर्ष वैश्विक संस्थानों को भारत में परिसर खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे भारतीय युवाओं को विश्वस्तरीय माहौल और अवसर प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करने में भी मददगार होगा। इससे भारत में विश्व-स्तरीय संस्थानों के निर्माण में भी मदद मिलेगी, जिससे भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनकर उभरेगा।

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गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को रक्षा बंधन पर कपड़ो आदि का वितरण

गार्गी फाउंडेशन द्वारा ज़रूरतमंद बच्चों को कपड़ो आदि का वितरण

रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर गार्गी फाउंडेशन उन ज़रुरतमंद बच्चों तक पहुंचा जिन बच्चों को उसने पढ़ाने लिखाने और उनकी ज़रूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है, उन तक पहुच के उन्हें मिठाईयां कपड़े और राखी आदि ज़रूरी वस्तुओं का वितरण किया, त्यौहार में ये सारी चीज़ें पा के बच्चों की ख़ुशी देखते ही बन रही थी कोरोना काल में इस अत्यंत साधारण से आयोजन में प्रमुख रुप से गार्गी फाउंडेशन की करता धरता सुषमा चौहान, भारती दीक्षित, पूजा श्रीवास्तव, छाया आदि संस्था के सदस्यों द्वारा भरपूर योगदान दिया गया, इस अवसर पर अनेक गड़मान्य लोग उपस्थित रहे और संस्था के कार्यो को सराहा।

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सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया।

सुशांत सिंह राजपूत की गला घोंट कर हत्या हुई! सुब्रमण्यम स्वामी ने गिनाई ये 26 वजहें

सुब्रमण्यम स्वामी हमेशा से ही अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी राजनेता के साथ साथ कानून के भी अच्छे जानकार  हैं। सुशांत सिंह के केस में वह अक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। सुशांत केस के लिए उन्होंने वकील का चयन करवाया साथ ही प्रधानमंत्री को लेटर लिख कर सीबीआई जांच की भी मांग की। सुशांत के केस में वह शुरू से ही साजिश बता रहे हैं। अब सुशांत सिंह राजपूत के केस में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हत्या का शक जताया है। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सोशम मीडिया पर सुशांत के केस से जुड़े 26 प्वाइंट शेयर किए है जो ये दावा करते है कि सुशांत ने आत्महत्या नहीं  की बल्कि उनकी हत्या की गयी हैं। 

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सुब्रमण्यम स्वामी ने एक नोट शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा कि सुशांत के गले पर जो निशान मिले हैं वो किसी बेल्ट हैं वो कपड़े के नहीं है। उन्होंने दावा किया जब कोई आत्महत्या करता है को उसके मुंह से झांक निकलता है आंखे और जीफ भी बाहर आती है लेकिन सुशांत के केस में यह नहीं देखा गया। साथ ही सुशांत के शरीर पर कई चोट के निशान थे उसके बारे में रिपोर्ट में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सुशांत सिंह राजपूत के घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है जो काफी हैरान करने वाली बात है। 

सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी दावा किया जिस कपड़े से सुशांत के फांसी लगाने का दावा किया जा रहा है उससे मुमकिन नहीं है फांसी को लगा पाना। सुशांत के कमरे से कोई स्टूल नहीं मिला है, सीसीटीवी भी नहीं थे साथ ही कमरे की एक चाभी भी गायब थी। यह सब इत्तेफाक नहीं है। सुशांत की हत्या कि गयी है। उन्होंने मुंबई पुलिस की जांच पर भी सवाल उठाए हैं। स्वामी के इन दावों में कितनी सच्चाई है ये तो जांच के बाद ही पता चलेगी।

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डिजिटल शिक्षा पर “भारत रिपोर्ट-2020” जारी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने जारी की रिपोर्ट

केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक” ने आज डिजिटल शिक्षा पर भारत रिपोर्ट-2020 जारी की। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि यह रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों द्वारा घर पर बच्चों के लिए सुलभ और समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने और उनके सीखने के क्रम में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए अपनाए गए अभिनव तरीकों की विस्तृत व्याख्या करती है। उन्होंने सभी से अनुरोध किया कि वह इस रिपोर्ट को जरूर पढ़ें ​ताकि उन्हें दूरस्थ शिक्षा और सभी के लिए शिक्षा की सुविधा के लिए सरकार की ओर से की की गई विभिन्न पहलों की जानकारी मिल सके।

रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शिक्षा को एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है जिसका लक्ष्य प्री-नर्सरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं तक स्कूलों के व्यापक स्पेक्ट्रम में डिजिटल शिक्षा को सार्वभौमिक बनाना है। गुणवत्तापूर्ण डिजिटल शिक्षा ने वैश्वीकरण के वर्तमान संदर्भ में एक नई प्रासंगिकता हासिल कर ली है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षकों, विद्वानों और छात्रों को सीखने की उनकी ललक में मदद करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं, जैसे कि “दीक्षा मंच”, “स्वयं प्रभा टीवी चैनल”, ऑनलाइन एमओओसी पाठ्यक्रम, ऑन एयर– “शिक्षा वाणी”, दिव्यांगों के लिए एनआईओएस द्वारा विकसित “डेजी, ई-पाठशाला”,  “ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (एनआरओईआर) की राष्ट्रीय रिपोजिटरी”, टीवी चैनल, ई-लर्निंग पोर्टल, वेबिनार, चैट समूह और पुस्तकों के वितरण सहित राज्य/केन्द्र शासित सरकारों के साथ अन्य डिजिटल पहल।

      रिपोर्ट में प्रधानमंत्री, श्री नरेन्द्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री श्री रमेश पोखरियाल “निशंक”, मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, श्री संजय धोत्रे और स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की सचिव, एमएचआरडी, श्रीमती अनीता करवाल के संदेश हैं। रिपोर्ट को राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के शिक्षा विभागों के परामर्श से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के डिजिटल शिक्षा प्रभाग द्वारा तैयार किया गया है।

      इसके अलावा केन्द्र और राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों ने छात्रों के द्वार पर डिजिटल शिक्षा प्रदान करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य भी किया है। छात्रों से जुड़ने के लिए कुछ प्रमुख माध्यमों के रूप में सोशल मीडिया टूल जैसे व्हाट्सएप ग्रुप, यू ट्यूब चैनल, आनलाइन कक्षाएं, गूगल मीट, स्काइप के साथ ई-लर्निंग पोर्टल, टीवी (दूरदर्शन और क्षेत्रीय चैनल), रेडियो और दीक्षा का उपयोग किया गया जिसमें दीक्षा का उपयोग सभी हितधारकों की सबसे प्रमुख पसंद थी।

      राज्य सरकारों द्वारा की गई कुछ प्रमुख डिजिटल पहल में राजस्थान में “स्माइल” (सोशल मीडिया इंटरफेस फॉर लर्निंग एंगेजमेंट), जम्मू में “प्रोजेक्ट होम क्लासेस”, छत्तीसगढ़ में “पढ़ाई तुहार दुवार” (आपके द्वार पर शिक्षा), बिहार में “उन्नयन” पहल पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से शिक्षा, दिल्ली में एनसीटी का अभियान “बुनियाद”, केरल का अपना शैक्षिक टीवी चैनल (हाई-टेक स्कूल प्रोग्राम), “ई-विद्वान पोर्टल” और साथ ही मेघालय में शिक्षकों के लिए मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम शामिल हैं। तेलंगाना में कोविड संकट के दौरान शिक्षकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य पर ऑनलाइन सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है।

      कुछ राज्यों ने दूरस्थ शिक्षा की सुविधा के लिए नवीन मोबाइल ऐप और पोर्टल लॉन्च किए हैं। मध्य प्रदेश ने टॉप पैरेंट ऐप लॉन्च किया है, जो एक नि:शुल्क मोबाइल ऐप है जो छोटे बच्चों के माता-पिता (3-8 साल) को बाल विकास के ज्ञान और व्यवहारों की सीख देता है ताकि उन्हें अपने बच्चों के साथ सार्थक जुड़ाव बनाने में मदद मिल सके। केएचईएल (इलेक्ट्रॉनिक लर्निंग के लिए नॉलेज हब), एक गेम आधारित एप्लीकेशन भी शुरू किया गया है, जो कक्षा एक से लेकर कक्षा 3 तक के छात्रों के लिए है। उत्तराखंड “संपर्क बैंक ऐप” का उपयोग कर रहा है, जिसके माध्यम से प्राथमिक स्कूल के छात्र एनिमेटेड वीडियो, ऑडिओ, वर्कशीट, पहेलियों आदि का उपयोग कर सकते हैं। असम ने कक्षा 6 से 10. के लिए “बिस्वा विद्या असम मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। बिहार ने कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों के लिए ई-पुस्तकों के साथ “विद्यावाहिनी ऐप” लॉन्च किया है। “उन्नयन बिहार पहल” के तहत बिहार सरकार ने छात्रों के लिए “मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय” शुरू किया है। इसी तरह शिक्षकों के लिए “उन्नयन बिहार” के तहत शिक्षक ऐप शुरू किया गया है। चंडीगढ़ ने कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के सीखने के परिणाम का आकलन करने के लिए “फीनिक्स मोबाइल एप्लिकेशन” लॉन्च किया है। महाराष्ट्र ने राज्य में छात्रों के लिए “लर्निंग आउटकम स्मार्ट क्यू मोबाइल ऐप” लॉन्च किया है। पंजाब ने कक्षा 1 से 10 तक के लिए आई स्कूएला लर्न मोबाइल एप्लिकेशन लॉन्च किया है। “सिक्किम एडुटेक ऐप” राज्य शिक्षा विभाग के तहत सिक्किम के सभी स्कूलों को जोड़ता है। इसमें छात्रों, शिक्षकों और प्रशासनिक इकाइयों के साथ-साथ अभिभावकों को भी लॉगिन करने की सुविधा दी गई है। त्रिपुरा में छात्रों के मूल्यांकन की सुविधा के लिए ‘एम्पॉवर यू शिक्षा दर्पण’ नाम का एक एप्लिकेशन शुरू किया गया है। उत्तर प्रदेश ने 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों को लक्षित करते हुए “टॉप पैरेंट ऐप” लॉन्च किया है। वर्तमान में बच्चों के लिए “चिंपल”, “मैथ्स मस्ती” और “गूगल बोलो” जैसे तीन बेहतरीन एडुटेक ऐप हैं।

      राज्य भी शिक्षा के एक माध्यम के रूप में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। “ओडिशा शिक्षा संजोग”- ओडिशा में एक व्हाट्सएप आधारित डिजिटल लर्निंग कार्यक्रम शुरू किया गया है जो एक सुव्यवस्थित तरीके से वर्ग समूहों के साथ ई-सामग्री साझा करता है। व्हाट्सएप के माध्यम से पंजाब और पुद्दुचेरी में भी ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है। राजस्थान व्हाट्सएप का उपयोग “हवामहल- खुशनुमा शनिवार” कार्यक्रम के लिए कर रहा है, जहां छात्र कहानियों को सुनकर व्हाट्सएप के माध्यम से दिए गए निर्देशों के आधार पर खेल, खेल सकते हैं। मिशन प्रेरणा की ई-पाठशाला उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और छात्रों के बीच संपर्क का एक व्हाट्सएप समूह है। हिमाचल प्रदेश ने तीन व्हाट्सएप अभियान शुरू किए हैं, जैसे, “करोना”, “थोड़ी मस्ती, थोड़ी पढ़ाई” और जहां राज्यों द्वारा ई-सामग्री की व्यवस्था की गई है ‘वहां हर घर पाठशाला’। छात्र इसकी मदद से अपने सवाल हल करते हैं और उस पर शिक्षक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं। विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए, इस अभियान का नाम “हम किसी से कम नहीं- मेरा घर पाठशाला” रखा गया है। सामग्री को व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से साझा किया जा रहा है जिसके साथ विशेष शिक्षकों की व्यवस्था की गई है।  

कई राज्यों को इंटरनेट के बिना कम तकनीकी रूपों के साथ शिक्षण और निर्देशन के लिए रचनात्मक उपायों को अपनाना पड़ा है। उदाहरण के लिए- अरुणाचल प्रदेश में, प्राथमिक कक्षा के छात्र ऑल इंडिया रेडियो, ईटानगर के माध्यम से अपनी मातृभाषा में दिलचस्प रेडियो वार्ताएँ प्राप्त कर रहे हैं। झारखंड के जिलों में क्षेत्रीय दूरदर्शन और उपलब्ध रेडियो स्लॉट के माध्यम से बच्चों को संबोधित करने वाले वास्तविक शिक्षकों की व्यवस्था की गई है। स्थानीय टीवी चैनलों पर वर्चुअल कंट्रोल रूम के माध्यम से कक्षाओं को प्रसारित करने की पुद्दुचेरी की ऐसी ही पहल है। मणिपुर ने कक्षा 3 से 5 तक के छात्रों के लिए कॉमिक पुस्तकों की शुरुआत की है ताकि उन्हें मजेदार तरीके से अवधारणाओं को सीखने में मदद मिल सके। लद्दाख जैसे कम कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में भी छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के लिए ईएमबीआईबीई बैंगलोर गैर सरकारी संगठनों के साथ सहयोग कर रहा है। वर्तमान समय में सामुदायिक जुड़ाव सबसे कठिन काम है ऐसे में स्थानीय और व्यक्तिगत संसाधनों का महत्व ज्यादा हो गया है। हरियाणा राज्य द्वारा क्विज प्रतियोगिताओं जैसी लोकप्रिय सुविधाएँ आयोजित की जाती हैं।

      दूरस्थ शिक्षा प्रदान करने की चुनौतियों से निपटने के लिए, एनआईओएस और स्वयं प्रभा सामग्री उन बच्चों को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है, जो इंटरनेट से नहीं जुड़े हैं और जिनकी रेडियो और टीवी तक सीमित पहुंच है। नवोन्मेषी माध्यमों से सामग्री उपलब्ध कराने के लिए राज्यों की पहल समावेशी शिक्षा को सुनिश्चित कर रही है। उदाहरण के लिए- आंध्र प्रदेश ने महत्वपूर्ण विषयों को समझने और अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए छात्रों के लिए टोल फ्री कॉल सेंटर और टोल फ्री वीडियो कॉल सेंटर शुरू किया है। खराब मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण, छत्तीसगढ़ ने मोटर ई-स्कूल शुरू किया है। राज्य ने वीएफएस (वर्चुअल फील्ड सपोर्ट) के रूप में एक टोल फ्री नंबर भी शुरू किया है। झारखंड ने रोविंग शिक्षक की शुरुआत की है, जहां कई शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आते हैं। गुजरात ने जुबानी पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए- वंचन अभियान और बच्चों के लिए “मैलो-सलामत ए हंफैलो” (परिवार का घोंसला-सुरक्षित है) जैसा सामाजिक मनोवैज्ञानिक सहायता कार्यक्रम चलाया है। पश्चिम बंगाल ने भी छात्रों के लिए विशेष और समर्पित टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर शुरू किया है।

      सुदूर क्षेत्रों में समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति सही नहीं है राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने भी बच्चों के घर पर पाठ्यपुस्तकों का वितरण किया है। जिन राज्यों ने छात्रों तक पहुँचने के लिए यह पहल की है, ओडिशा, मध्य प्रदेश (दक्शता उन्नाव कार्यक्रम के तहत), दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव आदि शामिल हैं। लक्षद्वीप ने छात्रों को ई-सामग्री से लैस टैबलेट वितरित किए हैं। नगालैंड ने छात्रों को नाममात्र की लागत पर डीवीडी/पेन ड्राइव के माध्यम से अध्ययन सामग्री वितरित की है। जम्मू और कश्मीर ने दृष्टिबाधित शिक्षार्थियों के लिए लैपटॉप और ब्रेल स्पर्श पठनीयता के साथ छात्रों को मुफ्त टैब वितरित किए हैं।

      डिजिटल शिक्षा पहल भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए मददगार बन रही है। गोवा ने राज्य में प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए एम्बाइब, एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सीखने, अभ्यास और परीक्षण के लिए ऑनलाइन मंच के साथ साझेदारी की है। कर्नाटक ने दूरदर्शन के माध्यम से एक परीक्षा तैयारी कार्यक्रम, और एक एसएसएलसी परीक्षा तैयारी कार्यक्रम शुरू किया है। एनईईटी परीक्षा की तैयारी करने वाले तमिलनाडु के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त छात्रों के लिए विस्तृत विश्लेषण के साथ ऑनलाइन अभ्यास परीक्षण उपलब्ध हैं।

      राज्यों द्वारा विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की जरूरत, भाषा पर पूरा नियंत्रण रखने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास भी सुनिश्चित करने को ध्यान में रखते हुए एनसीटी दिल्‍ली द्वारा उच्च कक्षाओं के लिए शिक्षा सामग्री तैयार की गई है। लॉकडाउन के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्राइमरी कक्षाओं के छात्रों को मजेदार तरीके से पढ़ाने के लिए ऐसी सेवाओं की एसएमएस/आईवीआर के माध्यम से व्यवस्था की जा रही है। इसी तरह तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्य भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात सक्रिय रूप से विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों के लिए समावेशी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इस प्रकार से सभी राज्यों के शिक्षा विभाग मिलकर दूरस्थ शिक्षा के रास्ते में आने वाली ​मुश्किलों को दूर करने के लिए पूरी तरह समर्पित और प्रतिबद्ध हैं।

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आई क्यू ए सी, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर एवं आई ई ई ई पी एस आई टी (छात्र शाखा) के संयुक्त तत्वावधान में दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

आई क्यू ए सी, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर एवं आई ई ई ई  पी एस आई टी (छात्र शाखा) के संयुक्त तत्वावधान में दो-दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला (ऑनलाइन) का आयोजन दिनांक 29 और 30 जुलाई, 2020 को किया गया, जिसका विषय था – “लर्निंग गूगल एप्स एंड मूडल फॉर ऑनलाइन एजुकेशन”. इस कार्यशाला द्वारा पारंपरिक शिक्षण पद्धतियों के स्थान पर आज समय की आवश्यकतानुसार विभिन्न ऑनलाइन माध्यमों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

                आज 29.07.2020 को कार्यशाला को आरम्भ करते हुए डॉ. आर. के. द्विवेदी (आई क्यू ए सी समन्वयक एवं इस कार्यशाला के संयोजक) ने सभी का स्वागत करते हुए समय की मांग के अनुसार इस कार्यशाला के आयोजन का महत्व बताया. कार्य की सफलता हेतु ईश्वर के आशीष अत्यंत आवश्यक होते हैं. इस कार्यशाला के आरम्भ में रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल द्वारा कार्यक्रम की सफलता के लिए प्रभु की प्रार्थना की गई. तत्पश्चात क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जोज़ेफ़ डेनियल ने इस प्रकार की कार्यशाला का आज के समय में बहुत महत्व बताया. विभिन्न आई सी टी साधनों के द्वारा शिक्षण में अब आमूलचूल परिवर्तन आ रहा है और इस कार्यशाला द्वारा इनकी विस्तृत जानकारी दी जाएगी. इसके बाद कॉलेज के नैक समन्यवक और दर्शनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष, डॉ. डी. सी. श्रीवास्तव ने दो-दिवसीय कार्यशाला की अवधारणा, महत्व और क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला.

कार्यशाला के प्रथम दिन डॉ. विश्वनाथ बिटे (एसिस्टेंट प्रोफ़ेसर, अंग्रेज़ी विभाग, महाराष्ट्र राजकीय राजाराम महाविद्यालय, कोल्हापुर) ने गूगल एप्स और गूगल क्लासरूम के विषय में विस्तार से बताया और समझाया. उन्होंने डेमो क्लास के माध्यम से सभी बिंदु बहुत स्पष्टता से समझाए. यह समस्त कार्यक्रम वेब एक्स प्लेटफार्म पर संपन्न हुआ. डॉ. बिटे ने सभी शिक्षकों के लिए आज के समय की मांग के अनुसार आई सी टी साधनों की जानकारी को अनिवार्य बताते हुए गूगल की वृहद जानकारी से सभी को लाभान्वित किया.

आज की कार्यशाला का संचालन अत्यंत कुशलता से डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, रसायनशास्त्र विभाग, क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर) द्वारा किया गया. 

 देश-भर से लगभग 450 प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला का लाभ उठाया.

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कानपुर टूर एण्ड ट्रेवेल्स का भव्य शुभारंभ

कानपुर शहर के परेड में कानपुर टूर एण्ड ट्रैवेल्स का भव्य शुभारंभ हुआ। शुभारंभ से पूर्व रुद्राविषेक एवं हवन पूजा के साथ संपन्न हुआ। जिसका शुभारंभ कानपुर प्रेस क्लब के संरक्षक सरस श्री सरस बाजपेई द्वारा फीता काटकर किया गया। इस मौके पर कानपुर टूर एण्ड ट्रैवेल्स के ओनर चन्दन जायसवाल व कीर्ति पांडेय द्वारा हवन पूजा के साथ शुभारम्भ किया गया। कानपुर टूर एण्ड ट्रैवेल्स के ओनर चन्दन जायसवाल व कीर्ति पांडेय ने बताया कि ‘हमने यह कानपुर टूर एण्ड ट्रैवेल्स का शुभारंभ सुरक्षा आप की सेवा हमारी संकल्प के साथ शुरू किया है !हम आपको सुरक्षित पहुँचायेगे आप अपने स्थान तक’* हमारे यहाँ सभी प्रकार की लग्जरी कार आवश्यकता अनुसार 24 घंटे 365 दिन किराये पर उपलब्ध है । वही जानकारी देते हुए बताया कि हमारे यहाँ तीर्थ यात्रा पर विशेष छूट दी जाती है जिससे पुण्य का काम पर जा रहे हैं यात्रियों को सुविधा और के साथ किफायती दाम में यात्रा कराई जाएगी यह प्रेरणा कानपुर प्रेस क्लब के संरक्षक श्री सरस बाजपेई द्वारा दी गई जिसका अनुसरण कानपुर टूर एंड ट्रैवल्स कर रहा है ।
हम सभी तीर्थ यात्रियों को यात्रा में छूट के साथ विभिन्न प्रकार के सुबिधा उपलब्ध कराते है ।
शुभ अवसरों के लिए विशेष छूट पर 24 * 7 हर तरह की लग्जरी कार की सुविधा उपलब्ध है। हमारे यहां व्यापारी व सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष छूट के साथ गाड़ी किराए पर उपलब्ध कराई जाती है। हमारे यहां दूल्हे की गाड़ी की बुकिंग के लिए विशेष ऑफर दिए जाते हैं । हमारे यहां यात्री की सुरक्षा व रक्षा के लिए सभी गाड़ियों में जीपीएस सिस्टम लगा हुआ है। जोकि आज के टाइम में बहुत ही महत्वपूर्ण सेवा है । वही कार्यक्रम के दौरान कानपुर टूर एंड ट्रैवेल्स के ओनर चंदन जायसवाल व कीर्ति पांडे द्वारा कानपुर प्रेस क्लब के संरक्षक सरस बाजपेई को मोमेंटो व शॉल पहनाकर सम्मानित किया गया।

वही कानपुर प्रेस क्लब के संरक्षक सरस बाजपाई ने कार्यक्रम के दौरान कानपुर टूर एंड ट्रेवल्स के ओनर चंदन जायसवाल व कीर्ति पांडे को ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ अपना आशीर्वाद और प्यार दिया।

वही इस अवसर पर कानपुर टूर एंड ट्रैवेल्स द्वारा प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य श्री श्याम सिंह पवार , कानपुर प्रेस क्लब के उपाध्यक्ष श्री सुनील साहू , कर्म कसौटी के संपादक श्री डीके मैथानी , समय संचार के संपादक रामशुख यादव , अलर्ट टीम के संपादक के के साहू व भारत एटू जेड के डायरेक्टर अश्वनी जैन सहित पत्रकार , अधिवक्ता , समाजसेवियों को सम्मानित किया गया ।
इस मौके कानपुर टूर एण्ड ट्रैवेल्स के ओनर चन्दन जायसवाल, कीर्ति पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र बाजपेई, समाजसेवक अमरीष गुप्ता, समाजसेवी रितेश बाजपेई, समाजसेवी चंद्रप्रकाश, पत्रकार रमन गुप्ता, स्वर्णिम चतुर्वेदी, अशवनी जैन, बबलू जायसवाल,फुरखान खान,हनी जायसवाल, नरेश सिंह चौहान, यश गुप्ता,जीतेश जायसवाल,एडवोकेट नितिन जायसवाल पत्रकार दीपक सिंह, आमिर, आशीष गुप्ता, संजय, अजय गुप्ता, स्वप्निल तिवारी निखिल गुप्ता,आदि पत्रकार साथी उपस्थित रहे।

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प्रशाषन द्वारा 32 स्थानों पर कोविड 19 की रैपिड जांच की सुविधा आधे घंटे में मिलेगी रिपोर्ट

कोविड-19, 32 स्थानों पर रैपिड जांच प्रशासन ओर से कराने की सुविधा हुई प्रारंभ आधे घंटे में मिलेगी रिपोर्ट

कानपुर-मुख्य चिकित्सा अधिकारी अनिल कुमार मिश्र ने बताया कि जनपद कानपुर नगर में विस्तारित की गई रैपिड जांच सरकार की ओर से 32 स्थानों पर कराने की सुविधा प्रारंभ कर दी गई है सुबह 10:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक इन 32 स्थानों पर जांच कराने की व्यवस्था की गई है निम्न आधार पर व्यक्ति जांच करा सकते है जांच कराने हेतु वह व्यक्ति जा सकता है जो कोविड पॉजिटिव व्यक्ति के कांटेक्ट ट्रेसिंग में आया हो या क्लोज कांटेक्ट में आया हो

जिस व्यक्ति में बुखार, खांसी या अन्य कोविड के लक्षण आ रहे हो, गंभीर रोगों के मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती होना है या उन्हें इलाज कराना हो कोरोना योद्धा फ्रंटलाइन वर्कर, मीडिया कर्मी इन 32 स्थानों पर सुबह 10:00 से 2:00 के बीच टोकन/पर्ची व्यवस्था के आधार पर क्रम से अपनी रैपिड जांच करा सकते है जिसका रिजल्ट आधे घण्टे में ही मिल जायेगा अन्य किसी भी प्रकार की समस्या होने पर जिला प्रशासन के कंट्रोल रूम नंबर 1800180 5159 पर संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं

32 स्थान निम्न है : उर्सला जिला चिकित्सालय, थाना कोतवाली, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र केपीएम थाना फीलखाना, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अनवरगंज थाना अनवरगंज, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नवाबगंज थाना नवाबगंज, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कृष्णा नगर थाना चकेरी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कैंट थाना छावनी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुजैनी थाना बर्रा, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरजेंदर नगर थाना चकेरी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चाचा नेहरू थाना रायपुरवा, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जागेश्वर हॉस्पिटल थाना गोविंद नगर, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कल्याणपुर थाना कल्याणपुर, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किदवई नगर थाना किदवई नगर, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ग्वालटोली थाना ग्वालटोली, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नेहरू नगर थाना नजीराबाद, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गीता नगर थाना कल्याणपुर, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बीएन भल्ला थाना बाबू पुरवा, ईएसआई जाजमऊ थाना चकेरी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दर्शन पुरवा थाना फजलगंज, ईटीसी फजलगंज थाना फजलगंज, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मेहरबान सिंह का पुरवा थाना नौबस्ता, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पनकी थाना पनकी, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सरसौल थाना महाराजपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कल्याणपुर थाना कल्याणपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौबेपुर थाना चौबेपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवराजपुर थाना शिवराजपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिल्हौर थाना बिल्लौर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ककवन थाना, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घाटमपुर थाना घाटमपुर, सामुदायिक स्वास्थ केंद्र भीतरगांव थाना घाटमपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सतारा थाना घाटमपुर, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिधनू थाना बिधनू इन सभी 32 केंद्रों में कोविड लक्षण वाले व्यक्ति, फ्रंटलाइन वर्कर, कोरोना योद्धा मीडिया कर्मी, कोविड पॉजिटिव मरीज के कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग के आधार पर संबंधित व्यक्ति अपनी जांच करा सकते हैं

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मिस्ट्री ऑफ़ वास्तु शास्त्र पे विबिनार का आयोजन

” मिस्ट्री ऑफ़ वास्तु शास्त्र “विषय पर व्याख्यान का आयोजन एसोसिएशन ऑफ केमिस्ट्री टीचर लखनऊ द्वारा आयोजित वेबीनार जिसका विषय मिस्ट्री ऑफ़ वास्तु शास्त्र दिनांक 25 जुलाई 2020 को आयोजित किया गया जिस के मुख्य वक्ता शहर के सुप्रसिद्ध वास्तु शास्त्री श्री प्रेम पंजवानी जी थे l
प्रेम जी पिछले 30 वर्षों से इस विद्या में अभ्यासरथ हैं तथा देश भर में एफएम रेडियो के माध्यम से लोगों से निरंतर बात करते रहते हैंl
उन्होंने अपने व्याख्यान में वास्तु शास्त्र विद्या के बारे में लोगों को बताया तथा निजी जीवन संबंधित बहुत सारे केस स्टडीज के बारे में भी बताया तथा उनसे संबंधित रेमेडीज भी बताई जिस को अपनाकर व्यक्ति अपने कैरियर ,मैरिज तथा जीवन के अन्य दिशाओं में सकारात्मक ऊर्जा से आगे बढ़ने में सहायक रहेगीl कार्यक्रम में श्री रंजीत श्रीवास्तव शमिल रहे
कार्यक्रम का समन्वय क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मीत कमल ने बहुत सुचारू रूप से किया l
डॉ डीके अवस्थी चेयरमैन तथा डॉ श्रद्धा सिन्हा वाइस प्रेसिडेंट सीटी ने धन्यवाद ज्ञापित किया lकार्यक्रम में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा प्रश्न पूछे जिनका उत्तर तथा उपाय वास्तु विद्या के माध्यम से बताया गयाl

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एस एन सेन बालिका विद्यालय के शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा वेबिनार का आयोजन

एसo एनo सेनo बालिका महाविद्यालय के शिक्षा-शास्त्र विभाग द्वारा, दिनांक: २५-०७-२०२० को, “शिक्षा में कोविड-१९; शैक्षिक और व्यावसायिक प्रयासों के प्रति विद्यार्थी की मनोवृतियों को सतत बनाये रखने हेतु पुनः निर्माण” विषय पर एक वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार में राष्ट्रीय स्तर पर लगभग १२०० प्रतिभागियों ने भाग लिया। वेबिनार के महत्वपूर्ण बिंदु थे –

१) कोविड-१९ लॉकडाउन के बाद शिक्षा की उनलॉकिंग

२) ऑनलाइन शिक्षा और कक्षा शिक्षण के दोराहे पर शिक्षा

३) विद्यार्थियों के मनोवृति के पुनः निर्माण में शिक्षकों और शिक्षाविदों का दायित्व

४) आईo सीo टीo प्रभावी शिक्षण था महामारी के बाद शिक्षा का स्वरुप

उपयुक्त बिंदुओं पर रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉo सीo पीo एसo चौहान, डॉo एम्o सीo साती एवं डॉo अजय सुराना ने अपने विचार रखे। विषय विशेषज्ञों ने मिश्रित शिक्षण, सुचना और प्रसारण प्रौद्योगिकी, पीo सीo केo टीo एवं ऑनलाइन शिक्षा के सम्भन्ध में अपने विचार रखे। औपचारिक तौर पर वेबिनार का उद्घाटन संयोजिका डॉo चित्रा सिंह तोमर ने महाविद्यालय के सचिव व प्राचार्य तथा कुलपति महोदय एवं प्रतिभागियों के स्वागत से किया। कुलपति महोदय ने शिक्षा प्रक्रिया को सतत बनाये रखने पर बल दिया। महाविद्यालय के संयुक्त सचिव ने कहा की ऑनलाइन शिक्षा अब विकल्प नहीं बल्कि समय की आव्यशकता है। डॉo सीo पीo एसo चौहान, अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के शिक्षा विभाग के एक्स-चेयरमैन है तथा डॉ एम्o सीo साती, गढ़्वाल यूनिवर्सिटी, उत्तराखंड एवं डॉ अजय सुराना, वनस्थली विद्यापीठ से थे। कार्यक्रम का समापन संयोजिका डॉo चित्र सिंह तोमर ने किया।

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‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार इंड-सैट परीक्षा आयोजित की गई

 मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपने ‘स्टडी इन इंडिया’ कार्यक्रम के तहत देश में पहली बार प्रतिभा आकलन के लिए इंड-सेट 2020 परीक्षा आयोजित की।  नेपाल, इथियोपिया, बांग्लादेश, भूटान, युगांडा, तंजानिया, रवांडा, श्रीलंका, केन्या, जाम्बिया, इंडोनेशिया और मॉरीशस के लगभग पांच हजार छात्रों ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा ऑनलाइन आयोजित इस परीक्षा में भाग लिया। परीक्षा के लिए छात्रों के पंजीकरण और अन्य पहलुओं का प्रबंधन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम एडीसीआईएल (इंडिया) लिमिटेड और एसआईआई की कार्यान्वयन एजेंसी की ओर से किया गया।

      इंड-सैट, स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम के तहत चुनिंदा भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन के इच्छुक विदेशी छात्रों को छात्रवृत्ति और दाखिला देने के लिए कराई जाने वाली एक परीक्षा है। यह परीक्षा भारत में अध्ययन के लिए आवेदन करने वाले छात्रों की शैक्षिक योग्यता का आकलन करने के लिए ली गई है। इस परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर मेधावी छात्रों का चयन किया जाएगा और उसके अनुरूप उन्हें छात्रवृत्ति दी जाएगी तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में दाखिला दिया जाएगा।  

      इस वर्ष के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि भारत में उच्च शिक्षा के लिए इच्छुक विदेशी छात्रों की योग्यता का आकलन करने के लिए एक बेंचमार्क के रूप में एशियाई और अफ्रीकी देशों में इंड-सैट परीक्षा आयोजित किए जाने का प्रस्ताव है। इस वर्ष प्रायोगिक परीक्षण के आधार पर 12 देशों में यह परीक्षा आयोजित की गई। भविष्य में इसे अन्य देशों में आयोजित करने की भी योजना है।

      द स्टडी इन इंडिया मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से शुरू किया गया एक कार्यक्रम है, जिसके तहत विदेशी छात्र भारत के 116 चुनिंदा उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के लिए आ सकते हैं। दाखिले के लिए छात्रों का चयन 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उनके द्वारा हासिल अंकों के आधार पर किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत लगभग 2000 छात्रों को छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था है जबकि कुछ अन्य को शिक्षण संस्थानों द्वारा फीस में कुछ छूट देने की व्यवस्था है। कार्यक्रम के पहले चरण में 2018-19 के दौरान लगभग 780 छात्रों ने भारत कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में प्रवेश लिया था। इसके दूसरे वर्ष यह संख्या बढ़कर 3200 हो गई।

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