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एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज की छात्रा हीना बानो ने बी. ए. तृतीय वर्ष में सी. एस. जे. एम. यूनिवर्सिटी कानपुर में सर्वोच्च अंक प्राप्त किए

कानपुर 24 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता एस. एन. सेन बी. वी. पी. जी. कॉलेज कानपुर के लिए स्वर्णिम गौरव का क्षण है कि महाविद्यालय की छात्रा हीना बानो पुत्री श्री अब्दुल हमीद ने बी. ए. तृतीय वर्ष हिंदी भाषा परीक्षा में सी. एस. जे. एम. यूनिवर्सिटी कानपुर में सर्वोच्च अंक प्राप्त कि। इस हेतु दिनांक 22 मार्च 2023 को विश्विद्यालय दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल महामहिम आनंदीबेन पटेल के द्वारा हींगवाला स्व. श्रीमती रामदुलारी कपूर स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रचना शर्मा ने बताया कि हीना बानो उनके 25 वर्षों के कार्यकाल में स्वर्ण पदक से सम्मानित होने वाली प्रथम छात्रा हैं। महाविद्यालय प्राचार्या डॉ. सुमन ने कहा कि ये उनके एक वर्ष के कार्यकाल में मिलने वाला पहला पदक अवश्य है मगर ये स्वर्णिम सफर अभी आगे भी जारी रहेगा। हिंदी विभाग की डॉ. शुभा बाजपेई, श्रीमती रेशमा, श्रीमती अंकिता शर्मा, सुश्री अपर्णा त्रिपाठी ने हीना की इस उपलब्धि पर हर्षाभिव्यक्ति की। समस्त शिक्षिकाओं ने हीना बानो को बधाई दी एवम् गर्व की अनुभूति की।

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नितिन गडकरी ने रांची, झारखंड में 9400 करोड़ रुपये की 21 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया

केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में 9400 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 532 किलोमीटर की 21 परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।

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श्री गडकरी ने कहा कि 7000 करोड़ रुपये की लागत से रांची से वाराणसी तक 260 किलोमीटर के 4 लेन वाले इंटर कॉरिडोर के निर्माण से 5 घंटे में रांची से वाराणसी पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 635 किलोमीटर का 4 लेन वाला रायपुर-धनबाद आर्थिक कॉरिडोर कोयला, स्टील, सीमेंट और अन्य खनिजों के परिवहन की सुविधा प्रदान करेगा।

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पीएम फसल बीमा योजना में नवाचार व पारदर्शिता, ‘डिजीक्लेम’ का कृषि मंत्री द्वारा शुभारंभ

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) के डिजिटाइज्ड क्लेम सेटलमेंट मॉड्यूल डिजीक्लेम का आज शुभारंभ किया। इस नवाचार के साथ ही दावों का वितरण अब इलेक्ट्रॉनिक रूप से किया जाएगा, जिसका सीधा लाभ प्रारंभ में 6 राज्यों (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा) के संबंधित किसानों को होगा। दावा भुगतान की प्रक्रिया अब स्वचालित हो जाएगी क्योंकि राज्यों द्वारा पोर्टल पर उपज डेटा जारी किया जाता है। श्री तोमर ने बटन दबाकर इन 6 राज्यों के बीमित किसानों को 1260.35 करोड़ रु. के बीमा दावों का भुगतान किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा पीएमएफबीवाई का शुभारंभ 6 साल पहले किया गया था और उनकी मंशा है कि अधिकाधिक किसानों को इसका लाभ मिलें।

कार्यक्रम में श्री तोमर ने कहा कि डिजीक्लेम के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में नई विधा का शुभारंभ हु्आ, जिससे केंद्र-राज्य सरकारों को सुविधा के साथ ही किसानों को क्लेम मिल जाएं, इसकी सुनिश्चितता पारदर्शिता के साथ की जा सकेगी। आयुष्मान भारत योजना के बाद प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत की बहुत बड़ी योजना है जो प्राकृतिक परिस्थितियों पर आधारित है। पिछले 6 साल से संचालित इस योजना के अंतर्गत बीमित किसानों को उनकी उपज के नुकसान की भरपाई के रूप में अभी तक 1.32 लाख करोड़ रु. का भुगतान किया गया है। श्री तोमर ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय सभी राज्य सरकारों, बीमा कंपनियों व किसानों के संपर्क में भी रहता है और समय-समय पर आने वाली कठिनाइयों का परिमार्जन किया जाता है। पिछले दिनों छत्तीसगढ़ के लिए ग्रिवांस पोर्टल बनाया गया है, जिसका लाभ परिलक्षित हो रहा है। इस पोर्टल को पूरे देश के लिए उपयोग करें, इसकी कोशिश हो रही है। अभी तक सामान्य तौर पर यह माना जाता था कि जो किसान ऋणी है, वहीं बीमित होता है लेकिन प्रसन्नता की बात है कि इस संबंध में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है और गैर-ऋणी किसान भी फसल बीमा कराने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। इस दिशा में ‘मेरी पालिसी-मेरे हाथ’अभियान का भी बड़ा योगदान है। श्री तोमर ने कहा कि हम सबका लक्ष्य यहीं होना चाहिए कि किसान स्वयं जागरूक हो जाएं व हर किसान बीमित हो ताकि प्राकृतिक प्रकोप की स्थिति में उसके नुकसान की भरपाई हो सकें।

श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां तो रहती ही है, लेकिन इनका समाधान बहुत ही शिद्दत के साथ सरकारें कर सकें, इसमें टेक्नालाजी विशेष सहायक है। आम किसानों तक मौसम की सटीक जानकारी भी पहुंच सकें, इसके लिए टेक्नालाजी की मदद से कृषि मंत्रालय द्वारा प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों, राज्य सरकारों एवं किसानों सबका समन्वय बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अब अनेक राज्य प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जुड़ने के लिए निरंतर अग्रसर हो रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि सबके संयुक्त प्रयत्नों के कारण इस बीमा योजना की लोकप्रियता और बढ़ेगी।

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कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही, केंद्रीय कृषि सचिव श्री मनोज अहूजा, पीएमएफबीवाई के सीईओ श्री रितेश चौहान सहित उ.प्र., राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड व हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। बीमा कंपनियों व बैंकों के प्रतिनिधि भी कार्यक्रम में उपस्थित थे, वहीं सैकड़ों प्रतिनिधि वर्चुअल जुड़े थे।

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अनवरगंज – मांधाना एलिवेटेड ट्रैक प्रोजेक्ट को ,नेटवर्क प्लानिंग समुह ने पास किया परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति परियोजना मे शामिल

कानपुर शहर को 2 भागो में विभाजित करते हुए नियमित यातायात जाम के साथ ही दक्षिण क्षेत्र का मुख्य शहरी क्षेत्र से सुगम संपर्क के अभाव तथा औद्योगिक विकास में बाधक बन रही अनवरगंज से मंधना रेल्वे ट्रैक के विकराल समस्या के सामाधान हेतु लगभग तीन दशकों से लंबित पढ़ी अनवरगंज मांधना ट्रैक को एलिवेटेड करने की परियोजना की नेटवर्क प्लानिंग समुह, जिसमें, 15 मंत्रालय के प्रतिनिधि होते है, की दिल्ली में संपन्न हुई बैठक मे अन्य प्रस्तावों के साथ इस प्रस्ताव का भी प्रजेंटेशन देखा गया ।
डाक्टर राजशेखर ने बताया, इस बैठक से पूर्व पूर्वोत्तर रेल्वे की उप वाणिज्य संचालन प्रबंधक शिल्पी kanojia, उप मुख्य अभियंता तथा कानपुर के संबंधित विभागों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर सुझाव प्राप्त कर प्रजेंटेशन तैयार किया गया।
डाक्टर राजशेखर ने, आज आधिकारिक रूप से प्राप्त सूचनाओं का हवाला देते हुए बताया की कानपुर शहर की इस महत्वपूर्ण परियोजना के प्रेजेंटेशन की तैयारी इतनी सार्थक रूप से की गई थी जिसमे इस परियोजना से कानपुर नगर को मिलने वाले लाभ तथा रेलवे के लाभ को प्रस्तुत किया गया जिसकी नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप के सदस्यों ने जम कर सराहना की और इसे आगे कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर के पास
अंतिम प्रक्रिया हेतु संस्तुति कर भेज दिया, जहां से शीघ्र ही निर्माण कार्य आरंभ करने के निर्देश मिल जायेगे।

इस संबंध में राजशेखर आयुक्त कानपुर मंडल ने बताया की,यह रेल्वे का 16 किलोमीटर का सेक्शन जिसमें 16 रेल्वे क्रॉसिंग, कानपुर के विकास मे बढ़ी बाधा है, और समान्तर चल रही जी टी रोड के कारण जाम और दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण बना हुआ था।

इस विकराल समस्या को लेकर विभिन्न संगठनों के द्वारा पिछले तीस वर्षो से उठाया जा रहा था, लेकिन निदान नहीं हो पा रहा था

पिछले वर्ष कानपुर की समीक्षा बैठक करने आए माननीय मंत्री जतिन प्रसाद से इस परियोजना को शासन स्तर से पहल करने के लिए राजशेखर आयुक्त ने अनुरोध किया, मुख्य सचिव महोदय ने रेलवे बोर्ड चेयरमैन को इसका संज्ञान दिया साथ ही शासन स्तर से इसके लिए एक कमेटी गठित की गई जिसमे आयुक्त कानपुर मंडल, पुलिस आयुक्त, महा प्रबंधक पूर्वुत्तर रेलवे, तथा उत्तर मध्य रेलवे द्वारा नामित अधिकारी, परियोजना निदेशक कानपुर मेट्रो, नीरज श्रीवास्तव स्तंत्र निर्देशक कानपुर स्मार्ट सिटी, मुख्य अभियंता नगर निगम महा प्रदबंधक सेतु निगम, अधीक्षण अभियंता राष्ट्रीय राजमार्ग, तथा परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कन्नौज नामित हुए

इसकी एक महत्त्वपूर्ण बैठक प्रमुख सचिव आवास ने दिनाँक 11 मई 2022 को आयोजित हुई
।कानपुर के विकास में अति गंभीर माननीय सांसद गण देवेंद्र सिंह भोले जी और सत्यदेव पचौरी जी ने भी माननीय रेल मंत्री से मिलकर इस प्रोजेक्ट को और आगे बढ़ाया।
डॉक्टर राजशेखर ने बताया की नियमित फॉलोअप तथा रेलवे के साथ नीरज श्रीवास्तव समन्वयक उच्च स्तरीय संयुक्त विकास समिति के साथ समन्वय करते रहने से यह कार्ययोजना गति शील रही।
विभिन्न चरणों में डीपीआर पूर्ण करने में पूर्वोत्तर रेलवे के उच्च अधिकारियों ने नियमित कानपुर आयुक्त स्तर पर बैठकों में प्रति भाग किया जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, विकास प्राधिकरण, नगर निगम इत्यादि के अधिकारियों के साथ तथा उद्योग संघटनो के सुझावों से इस महत्वपूर्ण योजनाओं की डीपीआर बन सकी जो सर्वप्रथम रेलवे बोर्ड के बाद नीति आयोग पहुंची और नीति आयोग से नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप को बैठक में इस परियोजनाओं को और आगे बढ़ाते हुए कैबिनेट कमेटी ऑफ इकनॉमिक अफेयर में चला गया।
आज रेलवे के अधिकारियों ने मंडलायुक्त से वार्ता कर धन्यवाद दिया और शीघ्र ही आगामी बैठक आयोजित करने हेतु अनुरोध किया जिसमें की भविष्य में आवश्यक कार्यों का रूप रेखा बनाया जा सके।

डॉक्टर राजशेकर ने बताया कानपुर के विकास की श्रंखला में यह परियोजना बहुआयामी है जो यहां के औद्योगिक विकास को और गति देगी,उन्होंने कहा की इस महत्वपूर्ण परियोजना के आगे बढ़ने मे माननीय सांसद देवेन्द्र सिंह भोले जी, और सत्यदेव पचौरी जी, का बहुत आभार व्यक्त करते, इस कार्य मे प्रयासरत संगठनों के प्रतिनिधियों को सहयोग के लिये धन्यवाद तथा, पूर्वोत्तर रेल्वे के वरिष्ठ अधिकारियों, जिला प्रशासन अन्य विभागों के अधिकारियों के साथ समन्वय जैसे महत्वपूर्ण कार्यो के लिए नीरज श्रीवास्तव के प्रति भी आभार व्यक्त किया।

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दयानंद गर्ल्स पी जी कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा निकाली गई आत्मनिर्भर भारत रैली

कानपुर 23 मार्च भारतीय स्वरूप संवाददाता, दयानंद गर्ल्स पीजी कॉलेज कानपुर में 23 मार्च, 2023 को एनएसएस के सात दिवसीय विशेष शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि नमामि गंगे विभाग भाजपा के प्रदेश संयोजक श्रीकृष्ण दीक्षित बड़े जी अनुसूचित जनजाति मोर्चा, कानपुर के जिलाध्यक्ष अनूप चौधरी जी, स्वस्थ संसार संस्थान (एनजीओ) के संस्थापक प्रमोद श्याम जी के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्या प्रोफेसर अर्चना वर्मा ने तथा संचालन कार्यक्रम संयोजिका, एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ संगीता ने किया। प्रथम सत्र में सरस्वती वंदना के साथ ही शहीद दिवस के उपलक्ष में भारत के गौरव, शान और आजादी के लिए लड़ने वाले सरदार भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु, सुखदेव को श्रद्धांजलि दी गई। जिसमें सरदार भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि तथा शहीद दिवस स्पीच व कविता पाठ एवम् पोस्टर प्रेजेंटेशन एनएसएस वॉलिंटियर्स के द्वारा किया गया।
तत्पश्चात द्वितीय सत्र में आज के मुख्य विषय *आत्मनिर्भर भारत* के अंतर्गत पोस्टर प्रदर्शन व रैली का आयोजन किया गया। एनएसएस वॉलिंटियर्स ने आत्मनिर्भर भारत के ऊपर अपने विचार भी रखे। छात्राओं को प्रोत्साहित करते हुए मुख्य अतिथि ने विषय को समीचीन बताते हुए कहा कि यह विषय वर्तमान संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। हमारे देश के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी ने 12 मई 2020 को आत्मनिर्भर भारत अभियान योजना की घोषणा की है। जिससे कि देश के 130 करोड़ लोग आत्मनिर्भर हो और हम कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हो। प्राचार्या जी ने कहा कि *आत्मनिर्भर भारत – मेक इन इंडिया स्टार्टअप* देश में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने में सहायक साबित हो सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से एनएसएस वॉलिंटियर्स सौम्या उपाध्याय दीक्षा शिखा वैष्णवी अभिव्यंजना आदि का योगदान रहा सभी वॉलिंटियर्स ने कैंप की सभी गतिविधियों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ अर्चना दीक्षित, डॉ अंजना श्रीवास्तव , डॉ श्वेता, श्री कृष्णेंद्र श्रीवास्तव, आकांक्षा, दीपा, श्री रामचंद्र सुमित महाविद्यालय के समस्त टीचिंग में नॉन टीचिंग स्टाफ का सराहनीय योगदान रहा।

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भारतीय रेल ने ओडिशा का 100 प्रतिशत विद्युतीकरण पूरा किया

वर्ष 2030 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जक अर्जित करने का लक्ष्य निर्धारित करने की तर्ज पर, भारतीय रेल ने ओडिशा के विद्यमान बड़ी लाइन नेटवर्क के 100 प्रतिशत विद्युतीकरण को पूरा कर लिया है। ओडिशा का विद्यमान बड़ी लाइन नेटवर्क 2,822 रूट किलोमीटर है जो अब 100 प्रतिशत विद्युतीकृत है और इसकी वजह से लाइन खींचने की (हाउल) लागत में (लगभग 2.5 गुना कमी) गिरावट आएगी, हाउलेज क्षमता भारी होगी, सेक्शनल क्षमता में बढोतरी होगी, इलेक्ट्रिक लोको के प्रचालन और रखरखाव की लागत कम हो जाएगी, आयातित कच्चे तेल पर कम निर्भरता के साथ परिवहन के ऊर्जा सक्षम और पर्यावरण अनुकूल साधन का निर्माण होगा और विदेशी मुद्रा की बचत होगी। इसके अतिरिक्त, रेलवे की 100 प्रतिशत विद्युतीकृत नेटवर्क की नीति की तर्ज पर विद्युतीकरण के साथ साथ बड़ी लाइन के नए नेटवर्क को भी मंजूरी दी जाएगी।

ओडिशा राज्य का भूभाग पूर्वी तट, दक्षिणी पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी मध्य रेलवे के अधिकार क्षेत्र में पडता है। ओडिशा के कुछ मुख्य रेलवे स्टेशन हैं : भुवनेश्वर, कटक, पुरी, संबलपुर, भद्रक, राउरकेला तथा झारसुगुडा। रेल नेटवर्क ओडिशा से देश के दूसरे हिस्सों में खनिज अवयवों, कृषि उत्पादों एवं अन्य वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ओडिशा में पहली रेलवे लाइन 1897 में कटक-खुरदा रोड-पुरी के बीच बनाई गई थी। ओडिशा राज्य की कुछ प्रतिष्ठित रेलगाड़ियां हैं : हावड़ा-पुरी एक्सप्रेस, कोणार्क एक्सप्रेस, कोरोमंडल एक्सप्रेस, हीराकुंड एक्सप्रेस, विशाखा एक्सप्रेस और भुवनेश्वर – नई दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस। ये रेलगाड़ियां राज्य के विभिन्न हिस्सों और भारत के अन्य प्रमुख शहरों के लिए सुविधाजनक कनेक्टविटी प्रदान करती हैं।

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घुमन्‍तू विमुक्‍त जनजातियां

भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का गठन, अन्‍य बातों के साथ-साथ, विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों संबंधी जातियों की राज्‍य-वार सूची तैयार करने के लिए किया था। एनसीडीएनटी ने दिनांक 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की थी। रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 1235 समुदायों को विमुक्‍त तथा घुमंतू समुदायों के रूप में चिन्हित किया गया है, जिनका ब्‍यौरा अनुबंध-I में दिया गया है।

मंत्रालय ने दिनांक 16.02.2022 को डीएनटी समुदायों के कल्‍याणार्थ ‘’डीएनटी समुदायों के आर्थिक सशक्तिकरण की स्‍कीम (सीड)’’ आरंभ की है। अगले पांच वर्षों के लिए इस स्‍कीम का कुल परिव्‍यय 200 करोड़ रुपए है। इस स्‍कीम के निम्‍नलिखित चार घटक हैं:-

  1. डीएनटी उम्‍मीदवारों को प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेने के लिए सक्षम बनाने हेतु  उन्‍हें गुणवत्तापरक कोचिंग प्रदान करना,
  2. उन्‍हें स्‍वास्‍थ्‍य बीमा प्रदान करना,
  3. सामुदायिक स्‍तर पर आजीविका पहल की सुविधा उपलब्‍ध कराना और
  4. इन समुदायों के सदस्‍यों हेतु घरों के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता उपलब्‍ध कराना।

इसके अलावा, डीएनटी समुदायों के कल्‍याणार्थ यह मंत्रालय निम्‍नलिखित स्‍कीमें भी कार्यान्वित कर रहा है:-

  1. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकपूर्व छात्रवृत्तियों की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम।
  2. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए मैट्रिकोत्तर  छात्रवृत्तियों की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम।
  3. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए विद्यालयों में उत्‍कृष्‍ट शिक्षा की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम (नया इंटरवेंशन) 
  4. ओबीसी, ईबीसी तथा डीएनटी छात्रों के लिए महाविद्यालयों में उत्‍कृष्‍ट शिक्षा की केन्‍द्रीय प्रायोजित स्‍कीम (नया इंटरवेंशन) 

भारत सरकार ने फरवरी, 2014 में घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजातियों के कल्‍याणार्थ राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग (एनसीडीएनटी) का  गठन किया था। एनसीडीएनटी ने दिनांक 08.01.2018 को अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की थी। एनसीडीएनटी ने अनेक कार्यकलाप आरंभ किए हैं, जिनमें अन्‍य बातों के साथ-साथ, विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू समुदायों की सूची तैयार करना, समुदाय के प्रति‍निधियों तथा एनजीओ के साथ विचार-विमर्श करना, फील्‍ड दौरे करना, प्राप्‍त शिकायत याचिकाओं तथा ज्ञापनों का विश्‍लेषण करना आदि शामिल हैं। आयोग ने इन समुदायों के कल्‍याणार्थ किए जाने वाले कई उपायों की भी सिफारिश की है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री मंत्रालय की मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

अनुबंध-I

घुमंतू तथा विमुक्‍त समुदायों की सूची

क्र.सं. राज्‍य घुमंतू समुदाय विमुक्‍त समुदाय
1 अंडमान व निकोबार द्वीप समूह 6 1
2 आंध्र प्रदेश 34 26
3 अरुणाचल प्रदेश 1 0
4 असम 0 0
5 बिहार 50 3
6 चंडीगढ़ 31 2
7 छत्तीसगढ 17 11
8 दादरा और नगर हवेली 4 0
9 दमन और दीव 4 0
10 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 26 29
11 गोवा 2 0
12 गुजरात 52 13
13 हरियाणा 35 14
14 हिमाचल प्रदेश 41 0
15 जम्मू और कश्मीर 14 0
16 झारखंड 39 5
17 कर्नाटक 76 85
18 केरल 21 1
19 लक्षद्वीप 0 0
20 मध्य प्रदेश 31 20
21 महाराष्ट्र 40 14
22 मणिपुर 0 0
23 मेघालय 2 0
24 मिजोरम 2 0
25 नागालैंड 0 0
26 ओडिशा 31 11
27 पुदुचेरी 13 0
28 पंजाब 23 9
29 राजस्थान 29 13
30 सिक्किम 5 0
31 तमिलनाडु 60 68
32 तेलंगाना 36 36
33 त्रिपुरा 14 0
34 उत्तर प्रदेश 18 31
35 उत्तराखंड 21 25
36 पश्चिम बंगाल 32 8
सकल योग 810 425

स्रोत: राष्‍ट्रीय विमुक्‍त, घुमंतू तथा अर्ध-घुमंतू जनजाति आयोग ने दिसम्‍बर, 2017 में अपनी रिपोर्ट प्रस्‍तुत की।

 

 

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निजी क्षेत्र में उपेक्षित वर्गों को आरक्षण

उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के अनुसार, वर्ष 2006 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा निजी क्षेत्र में सकारात्मक कार्रवाई के लिए एक समन्वय समिति गठित की गई थी। सचिव (डीओपीटी), सचिव (एसजेएंडई), सचिव (जनजातीय कार्य) तथा सचिव (डीपीआईआईटी) समिति के सदस्य हैं।  डीपीआईआईटी इस समिति को सचिवालयी सहायता उपलब्ध कराता है। अभी तक, इस समन्वय समिति की 9 बैठकें आयोजित हो चुकी हैं। समन्वय समिति की पहली बैठक में यह उल्लेख किया गया था कि सकारात्मक कार्रवाई के मुद्दे पर प्रगति प्राप्त करने के लिए सर्वोत्कृष्ट तरीका स्वयं उद्योग जगत द्वारा स्वैच्छिक कार्रवाई करना है।

तदनुसार, शीर्ष उद्योग एसोसिएशनों नामतः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल महासंघ (फिक्की), भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) तथा भारतीय दलित वाणिज्य और उद्योग मंडल (डीआईसीसीआई) ने अपनी सदस्य कम्पनियों द्वारा समावेशन प्राप्त करने हेतु शिक्षा, नियोज्यता और उद्यमिता पर केन्द्रित स्वैच्छिक आचार सहिंता (वीसीसी) तैयार की है। उद्योग संघों के सदस्यों द्वारा किए गए उपायों में, अन्य बातों के साथ-साथ, छात्रवृत्तियां, व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता विकास कार्यक्रम, कोचिंग आदि शामिल हैं।  तथापि, उनके पास निजी क्षेत्र के उच्च पदों पर आसीन समाज के लाभवंचित वर्ग की स्थिति के संबंध में  कोई आंकड़ा नहीं है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मंत्री श्री ए. नारायणस्वामी ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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वंचित छात्रों के लिए छात्रवृत्ति हेतु बजटीय आवंटन

अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी), आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईबीसी) और विमुक्त जनजातियों (डीएनटी) संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 250.00 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान था।  जबकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 394.61 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान है।

ओबीसी, ईबीसी और डीएनटी संबंधी मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति स्कीम में वर्ष 2021-22 के दौरान संशोधन किया गया है जिसका उद्देश्य XVवें वित्त आयोग के कार्यकाल में पांच वर्षों की अवधि के दौरान इस स्कीम के अंतर्गत लगभग 5.67 करोड़ छात्रों को कवर करना है।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के मंत्री सुश्री प्रतिमा भौमिक ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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सरकार, टिकाऊ, जलवायु लचीली तटीय अवसंरचना और तटीय समुदायों की आजीविका पर फोकस के साथ नीली अर्थव्यवस्था को बहुत महत्व देती हैः  भूपेन्द्र यादव

केंद्रीय पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव ने आज पर्यावरण वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के संस्थान नेशनल सेंटर फॉर सस्टनेबल कोस्टल मेनेजमैंट (एनसीएससीएम) की पहली जनरल बॉडी बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने बल देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, टिकाऊ तथा जलवायु लचीली अवसंरचना तथा तटीय समुदायों की आजीविका पर फोकस के साथ नीली अर्थव्यवस्था को काफी अधिक महत्व देते हैं।

श्री यादव ने कहा कि सरकार बहु-प्रबंधन उद्देश्यों के साथ क्षेत्र आधारित प्रबंधन के लिए ब्लू प्रिंट विकसित करने के लिए समुद्र स्थानिक योजना (एमएसपी) के साथ आगे बढ़ रही है। मंत्री महोदय ने एनसीएससीएम को तटीय समुदायों की ठोस आय पर ध्यान देने के साथ मैनग्रोव संरक्षण के लिए मिशन मिष्टी (मैनग्रोव इनसेटिव फॉर शोरलाइन हेबिटेट्स एंड टेंजबल इनकम) में योगदान देने का भी निर्देश दिया।

एनसीएससीएम की स्थापना फरवरी 2011 में तटों की सुरक्षा, संरक्षण, पुनः स्थापना, प्रबंधन और नीति परामर्श पर समर्थन के लिए अनुसंधान संस्थान के रूप में की गई थी। एनसीएससीएम का विजन बढ़ती साझेदारी, संरक्षण व्यवहारों, वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से स्थायी तटों को विकसित करना तथा वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ एवं खुशहाली के लिए ज्ञान प्रबंधन करना है। राष्ट्रीय केंद्र ने पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ईएसए) के 34,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक की मैपिंग, समग्र जोखिम रेखा की मैपिंग, तटीय विनियमन क्षेत्र (सीआरजेट) अधिसूचनाओं, 2011 तथा 2019 के अनुसार तटीय क्षेत्र प्रबंधन योजनाओं की तैयारी, संचयी तटीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन, ईको-सिस्सटम वस्तुओं और सेवाओं, ब्लू कार्बन पृथकीकरण, ईको-सिस्टम स्वास्थ्य रिपोर्ट्स कार्ड जैसे कई ऐतिहासिक अनुसंधान अध्ययन किए हैं।

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