Breaking News

क्राइस्ट चर्च कॉलेज “भारतीय अर्थव्यवस्था में संकट की स्थिति” में व्याख्यान

       क्राइस्ट चर्च कॉलेज, कानपुर के वाणिज्य संकाय द्वारा दिनांक 23.10.2019, बुधवार को एक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन महाविद्यालय सभागार में किया गया. इस व्याख्यान का शीर्षक था – “भारतीय अर्थव्यवस्था में संकट की स्थिति”. यह व्याख्यान डॉ. हृदय मोहन मेहरोत्रा द्वारा दिया गया. डॉ. मेहरोत्रा अत्यंत विद्वान अर्थशास्त्री, प्रखर वक्ता और अनुभवी शिक्षक रहे हैं. क्राइस्ट चर्च महाविद्यालय से उनका सुदीर्घ संबंध रहा है. वे यहाँ अर्थशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष तथा महाविद्यालय के पूर्व उप प्राचार्य भी रह चुके हैं. 

            कार्यक्रम के निर्विघ्न संचालन हेतु प्रारंभ में ईश वंदना की संस्कारगत परंपरा का अनुपालन करते हुए महाविद्यालय की प्रबंध-समिति के सचिव रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल को आमंत्रित किया गया कि वे ईश्वर के आशीषों से समस्त समुदाय को अभिसिंचित करें. तत्पश्चात कार्यक्रम को आरम्भ करते हुए वाणिज्य संकाय की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों का हार्दिक स्वागत किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डॉ. एच. एम. मेहरोत्रा, महाविद्यालय की प्रबंध समिति के सचिव, रेवरेंड सैमुअल पॉल लाल, प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल एवं वाणिज्य संकाय के अध्यक्ष प्रो. नलिन कुमार श्रीवास्तव का स्वागत पुष्पों से करते हुए उन्हें मंचासीन किया गया. 

            वर्तमान भारतीय आर्थिक स्थिति की गंभीरता और उसके दूरगामी प्रभावों पर विचार- विमर्श करने हेतु आज के व्याख्यान का आयोजन किया गया. डॉ. मेहरोत्रा ने “भारतीय अर्थव्यवस्था में संकट की स्थिति” विषय का सविस्तार विश्लेषण करते हुए बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में इस समय आर्थिक सुस्ती का दौर चल रहा है. सभी प्रमुख वित्तीय संस्थानों, जैसे वर्ल्ड बैंक, आई.एम.एफ. आदि और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों ने सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी) की विकास दर में गिरावट इंगित की है. डॉ. मेहरोत्रा ने विकास दर में इस कमी को लक्षित करते हुए उसके मुख्य कारणों को विश्लेषित किया. आर्थिक सुस्ती के पीछे कुछ विशिष्ट परिस्थितियाँ होती हैं, जिनकी चर्चा करते हुए डॉ. मेहरोत्रा ने बताया कि निर्यात में आई गिरावट और कीमतों के निरंतर उतार-चढ़ाव से बाज़ार प्रभावित होता है. साथ ही मौद्रिक तरलता में कमी ने भी आर्थिक सुस्ती को बढ़ावा दिया है. इस सुस्ती के प्रभाव ने आधारभूत संरचना सम्बन्धी विकास में भी कमी पैदा करके इस संकट की स्थिति को और गहन कर दिया है. इसके साथ नोटबंदी और जी एस टी लागू होने के कारण यह संकटपूर्ण आर्थिक परिवेश गहरा गया है. 

               डॉ. मेहरोत्रा ने समस्या की गहनता को रेखांकित करते हुए अत्यंत सुव्यवस्थित रूप से और सूक्ष्मता से उसके कारणों को विश्लेषित भी किया, किन्तु साथ ही उन्होंने इसके समाधानों पर भी चर्चा की. सरकार द्वारा इस संकट से निपटने के लिए उठाए जा रहे कारगर कदमों पर भी उन्होंने प्रकाश डाला. इसमें सर्वप्रमुख रूप से सरकार द्वारा कोर्पोरेट टैक्स की दर घटाने का प्रशंसनीय प्रयास उल्लेखनीय है, जिसके प्रभावस्वरूप एक ओर उद्योग जगत को लाभान्वित किया गया, तो दूसरी ओर संकटग्रस्त आर्थिक स्थिति में भी राहत प्राप्त हुई. 

                इतने विचारोत्तेजक व्याख्यान के पश्चात श्रोताओं के प्रश्नों / शंकाओं को आमंत्रित किया गया. यह प्रश्नोत्तर सत्र भी अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक रहा. कार्यक्रम के अंत की ओर बढ़ते हुए प्राचार्य डॉ. सैमुअल दयाल ने इतने महत्वपूर्ण और प्रासंगिक विषय पर संयोजित हुए व्याख्यान की बहुत प्रशंसा की. साथ ही आशा व्यक्त की कि एस प्रकार के उपयोगी व ज्ञानवर्धक आयोजन महाविद्यालय में निरंतर होते रहेंगे. अंत में प्रो. नलिन कुमार श्रीवास्तव (विभागाध्यक्ष वाणिज्य संकाय) ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि एवं सभी अभ्यागतों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया. 

             सम्पूर्ण कार्यक्रम का कुशल संचालनडॉ. शिप्रा श्रीवास्तव (एसोसिएट प्रोफ़ेसर, वाणिज्य संकाय) द्वारा किया गया. कार्यक्रम में समस्त महाविद्यालय के छात्रों और विविध विभागों के शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. डॉ. दीपक बेंस, डॉ. ए. ज़ेड. खान, डॉ. शालिनी कपूर, डॉ. अंजलि श्रीवास्तव, डॉ. विभा दीक्षित, डॉ आशुतोष सक्सेना, डॉ. डी. सी. श्रीवास्तव, डॉ. सत्यप्रकाश सिंह, डॉ. संगीता गुप्ता, डॉ. सूफिया शहाब, डॉ. सबीना बोदरा, डॉ. डोरोथी राय, डॉ. मीतकमल, डॉ. श्वेता चंद आदि प्रवक्ता-गण कार्यक्रम में उपस्थित रहे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *